प्यार को प्यार ही रहने दो : भाग-2

कालेज का आखरी साल आ गया.  ‘‘अगर अभी नहीं बोली तो कब बोलेगी?‘‘ निरंजना की अंतरात्मा उसे धिक्कारती. उस के प्रति उत्तर में सब से पहले निरंजना ने अपनी सीट बदली, और उस के ठीक पीछे वाली सीट पर बैठने लगी.

उस दिन शुक्रवार था. दोपहर की क्लास के बाद वह अपने सहपाठी से बोला, ‘‘नमाज पढ़ कर आता हूं.‘‘

इतना कह कर वह चला गया. निरंजना ने जो सुना, उस के बाद डर के मारे उस की घिग्घी बंध गई. दिमाग में हजारों विचारों के घोड़े दौड़ने लगे. कभी मां कहतीं, ‘जल्दी से जल्दी इस की शादी कर दो,‘ तो कभी पिता धर्म का वास्ता दे कर कहते, ‘कोई और नहीं मिला था तुझे?‘

लेकिन, इस बीच अपने अंतर्मुखी चोले को उतार निरंजना खुद कहती, ‘मैं नहीं मानती धर्म और जाति को. यह तो इनसानों की बनाई हुई बेड़ियां हैं. मैं केवल अपने दिल की बात सुनूंगी. मैं पीछे नहीं हटूंगी.‘

सपनों में इतना कहना है तो जब असल जिंदगी में बात बाहर आएगी, तब क्या होगा.

खैर, निरंजना केवल सपनों से डरना नहीं चाहती थी. धर्म की इस मोटी मजबूत दीवार के बावजूद उस ने नसीम से मित्रता कर ली.

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नसीम के अनेक दोस्तों में अब निरंजना का भी नाम जुड़ चुका था. अब निरंजना का उद्देश्य था कि नसीम के मन में अपने लिए प्यार की लौ जलाना.

जो भावना वह नसीम के लिए रखती थी, उसी का सिला यदि दूसरी तरफ से नहीं मिला तो मिलन पूरा कैसे होगा?

आजकल निरंजना इसी उधेड़बुन में रहने लगी थी. नसीम के मन में प्यार जब हिलोरे लेगा तब लेगा, लेकिन निरंजना का मन उसे देख कर ही बागबाग हो उठता. उस के दिल ने भविष्य को ले कर न जाने कितने सुनहरे सपने सजा लिए, जिन में वह थी और उस का नसीम था.

पहले प्यार को दिल कभी नहीं भूलता. संभवतः उसे याद करते रहने में भी कोई बुराई नहीं है. सच्चा प्यार ना कभी कम होता है और ना मरता है. वह तो बस समय की गर्त में नीचे, कहीं नीचे, दिल की सतहों में दफन हो कर रह जाता है. लेकिन वह बंधन, जो पहले प्यार का दिल से होता है, उस गिरह को खोल पाना शायद मुमकिन नहीं.

पहले प्यार की याद आती है, लेकिन एक प्रसन्नता भरी लहर की तरह, न कि मायूसी भरी तरंग बन कर. पहले प्यार की याद में यदि मिलन की आशा नहीं, तो छूट जाने की निराशा भी नहीं. वह अपनेआप में पर्याप्त है दिल में खुशियां भर देने के लिए. तभी तो आज निरंजना के दिल में मीठी यादें एक बार फिर अंगड़ाई ले रही थीं. उन्हीं यादों को सीने से लगाए निरंजना नींद की आगोश में समा गई.

‘‘आज मीटिंग है दफ्तर में, इसलिए थोड़ा जल्दी निकलूंगा,‘‘ कहते हुए रजत अखबार की सुर्खियों में खो गया.

‘‘ठीक है, जल्दी नाश्ता तैयार कर देती हूं,‘‘ निरंजना किचन की ओर बढ़ गई. दोनों की गृहस्थी में वह सब था, जो एक आदर्श युगल जोड़े में होना चाहिए – एकदूसरे के प्रति प्यार, सम्मान व विश्वास.

रजत और निरंजना की शादी को पांच साल बीत चुके हैं और इन पांच सालों में दोनों ने एकदूसरे को अच्छी तरह समझ लिया है और एकदूसरे की खूबियों व कमियों के साथ स्वीकार लिया है. तभी तो दोनों इतने खुश रहते हैं. दोनों की ही माताएं अब अपनी गोद में एक नन्हे को खिलाने की चाह प्रकट करती रहती हैं, लेकिन यह इन दोनों की समझदारी है कि यह अपनी जिंदगी के निर्णय अपने हिसाब से करते हैं.

शादी के समय ही इन्होंने यह सोच लिया था कि परिवार आगे तभी बढ़ाएंगे जब हम चाहेंगे, ना कि जब सामाजिक दबाव पड़ने लगेगा.

आज निरंजना ने नाश्ते में ब्रेड पकोड़े बनाए. नसीम को ब्रेड पकोड़े बहुत पसंद थे. जब कभी उस का दिल नसीम को याद करता है, वह उस की पसंद का खाना बना कर रजत को खिलाती है. और उस की आंखें रजत के रूप में नसीम को बैठा पाती हैं.

निरंजना का मन इस भावना को किसी बेवफाई के रूप में नहीं देखता. वह तो पूरी तरह रजत की है. बस, दिल का एक टुकड़ा है, जो अभी भी नसीम के नाम पर धड़कता है. उस ने कई बार स्वयं से यह प्रश्न भी किया कि ऐसा क्यों?

पहला प्यार शायद इसलिए भी नहीं भूलता, क्योंकि यही वह इनसान है जिस ने आप के दिल के कोरे कागज पर पहला हर्फ लिखा. उस के बाद तो इस दिल के कागज पर जो भी कुछ लिखा गया, उस ने कहानी को आगे ही बढ़ाया, शुरुआत नहीं की. दिल का जो टुकड़ा पहले प्यार में पड़ा वह मासूम था, अनजाना था, अनभिज्ञ था. भविष्य में यह दिल जिस के भी पास जाए, उस पर एक छाप लग चुकी होती है.

पहला प्यार, पहला स्पर्श, पहला चुंबन… वह तारों को गिनना, वो सपनों में मुसकराना, वह प्रीतम की याद आने पर आंखों का स्वतः आर्द्र हो उठना… दिल पर पहली दस्तक की बात ही कुछ और है. उस के बाद तो जो हुआ, वह एक अनुभवी दिल पर गुजरने वाले तजरबे की तरह है.

रजत के औफिस चले जाने के बाद निरंजना ने घर का कामकाज निबटाया, फिर नहाधो कर हाथों में क्रीम लगाते हुए जब वह ड्रेसिंग टेबल के आईने में खुद को निहार रही थी, तो अचानक उस की उंगलियां शादी की अंगूठियों में घूमने लगीं.

कुछ याद करते हुए वह फौरन अपनी अलमारी की ओर लपकी. अपने लौकर में से उस ने एक चांदी का छल्ला निकाला, जिस पर हरा पत्थर बखूबी खिल रहा था. अनायास ही वह यह धुन गुनगुनाने लगी, ‘‘मैं ता कोल तेरे रहना… ‘‘

यही वह अंगूठी थी, जो नसीम ने निरंजना को अपने प्यार का इजहार करते हुए दी थी. उस दिन निरंजना के पैर जमीन पर नहीं पड़े थे. शायद उड़ ही रही थी वह.

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इस बार जब वह होस्टल की छुट्टियों में घर जाएगी, तो अपने मम्मीपापा से नसीम के बारे में बात करेगी. यही वादा नसीम ने भी उसे दिया था. दोनों साथसाथ समय गुजारते और भविष्य के सपने संजोते. कभी यह सोचते कि किस शहर में अपना घर बनाएंगे, तो कभी यह सोचते कि बच्चों के नाम क्या होंगे.

आगे पढ़ें- दोनों ने अपनेअपने धर्मों को निभाते हुए…

Menstrual Hygiene Day: टैम्पोन और मैंस्ट्रुअल कप

टैम्पोन और मासिक धर्म कप को “स्त्री स्वच्छता उत्पाद” में ही गिना जाता है. पीरियड्स के दौरान वैजाइना से निकलने वाले रक्त और टिश्यू को सोखने या इकट्ठा करने के लिए इनका इस्तेमाल किया जाता है .

टैम्पोन और मैन्सट्रुअल कप क्या हैं?

टैम्पोन और मैन्सट्रुअल कप आपको सामान्य जीवन का अनुभव कराते हैं. टैम्पोन कॉटन से बने छोटे प्लग होते हैं, जो आपकी वैजाइना के अंदर फिट होते हैं और पीरियड में आने वाले खून को सोखते हैं. कुछ टैम्पोन ऐप्लिकेटर के साथ आते हैं जो इसे वैजाइना में डालने में मदद करते हैं. टैम्पोन के अंत में एक स्ट्रिंग जुड़ी होती है, जिससे आप उन्हें आसानी से खींच सकते हैं.

मैंस्ट्रुअल कप छोटे घंटी या कटोरे के आकार के होते हैं और वे रबड़, सिलिकॉन या नरम प्लास्टिक से बने होते हैं. वजाइना के अंदर कप को पहना जाता हैं और यह पीरियड में निकले रक्त को एकत्र कर लेता है . ज्यादातर कप दोबारा उपयोग में लाए जा सकते हैं. ज़रुरत के हिसाब से आपको इसकी आवश्यकता होती है. आवश्यकता के बाद इसे धो लें और फिर से उपयोग करें. अन्य कप डिस्पोजेबल होते हैं और आप इन्हें एक बार या एक पीरियड चक्र के बाद फेंक सकते हैं.

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टैम्पोन का उपयोग कैसे करें ?

टैम्पोन कईं तरह से उपलब्ध हैं, जैसे – लाइट, रेगुलर और सुपर . कुछ टैम्पोन एप्लीकेटर्स के साथ आते हैं – कार्डबोर्ड या प्लास्टिक से बनी छोटी स्टिक्स, जो वजाइना में टैम्पोन डालने में मदद करती हैं और कुछ टैम्पोन के पास एप्लीकेटर नहीं होता, इसलिए आप उन्हें अपनी उंगली से डालते हैं.

इसके बाद अपने हाथ धोएं और एक आरामदायक स्थिति में पहुंचें. आप स्क्वाट कर सकते हैं, एक पैर ऊपर रख सकते हैं या अपने घुटनों की मदद से शौचालय में बैठ सकते हैं. ऐप्लिकेटर या अपनी उंगली का उपयोग करके टैम्पोन को अपनी वजाइना में धकेलें, यह भी देखना चाहिए कि आप किस तरह के टैम्पोन का इस्तेमाल करते हैं. यदि आप आराम कर रही हैं तो वैजाइना में टैम्पोन डालना ज्यादा आसान होता है. सुचारू, राउंड एप्लिकेटर के साथ टैम्पोन का उपयोग आसान होता है. आप टैम्पोन या ऐप्लिकेटर की नोक पर थोड़ी चिकनाई भी लगा सकती हैं.

यदि आपको कोई परेशानी हो रही है, तो किसी ऐसे व्यक्ति से पूछें जिस पर आप भरोसा करते हैं (जैसे आपकी माँ, बहन, या कोई अन्य व्यक्ति जिन्होंने पहले कभी टैम्पोन का इस्तेमाल किया है) ताकि वह आपको यह दिखा सकें कि टैम्पोन को वैजाइना में कैसे डाला जाए. रैपर और ऐप्लिकेटर को कूड़ेदान में फेंक दें, उन्हें फ्लश न करें. हर 4 से 8 घंटे में अपना टैम्पोन बदलना सबसे अच्छा है. टैम्पोन लगाने के 8 घंटे बाद ही इसे बदलें .

आप रात भर टैम्पोन पहन सकते हैं, लेकिन इसे सोने से ठीक पहले लगाएं और सुबह उठते ही इसे बदल दें. टैम्पोन में एक छोर होता है जो आपकी वजाइना से बाहर लटका होता है. आप टैम्पोन को धीरे से स्ट्रिंग खींचकर बाहर निकालते हैं . टैम्पोन को बाहर निकालना आसान होता है, जब यह ज्यादा पीरियड फ्लो की वजह से उसे गीला कर देता है . यदि टैम्पोन वजाइना में लंबे समय से है तो यह टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम नामक बीमारी का कारण बन सकता है .

यदि आप टैम्पोन का उपयोग कर रही हैं और आपको उल्टी, तेज बुखार, दस्त, मांसपेशियों में दर्द, गले में खराश, चक्कर आना, बेहोशी या कमजोरी और दाने हो रहे हैं, तो टैम्पोन को बाहर निकालें और अपने गायनाकॉलजिस्ट से संपर्क करें . टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम को रोकने के लिए, आप सबसे कम अवशोषक टैम्पोन का उपयोग कर सकती हैं और अपने टैम्पोन को हर 4 से 8 घंटे या आवश्यकतानुसार बदल सकती हैं . टैम्पोन डालने से आमतौर पर चोट नहीं लगती, लेकिन शुरुआत में प्रैक्टिस करनी पड़ सकती है . जब तक आपको यह पता न चले कि आपके लिए कौन सा टैम्पोन ठीक है, तब तक अलग-अलग प्रकार के टैम्पोन आजमाएं . लेकिन पीरियड खत्म होने पर टैम्पोन न पहनें . यदि टैम्पोन डालना पीड़ादायक हो रहा है, तो इस बारे में डॉक्टर या नर्स से बात करें .

मैन्सट्रुअल कप का उपयोग कैसे करें ?

कईं तरह के कप होते हैं और वह सभी निर्देशों और चित्रों के साथ आते हैं . अपने हाथ धोएं और एक आरामदायक सहज स्थिति में आ जाएं . आप स्क्वाट कर सकते हैं, एक पैर ऊपर रख सकते हैं या अपने घुटनों का सहारा लेकर शौचालय पर बैठ सकते हैं . कप को निचोड़ें या मोड़ें ताकि यह सिकुड़ जाए और इसे अपनी उंगलियों से अपने वजाइना के अंदर करें . अपने कप के साथ आए निर्देशों का उपयोग करके इसे निचोड़ने का सबसे अच्छा तरीका समझें . यदि आप आराम कर रही हैं तो आपकी वैजाइना में कप डालना ज्यादा आसान है .

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कुछ कपों को आपकी वजाइना में, आपके गर्भाशय ग्रीवा के पास ऊंचा करके रखा जाना चाहिए, बाकि आपकी वजाइना के निचले हिस्से में बैठते हैं . यदि आपका कप असहजता पैदा कर रहा है या गलत जगह है, तो इसे बाहर निकालें और फिर से डालने की कोशिश करें . आप मैन्सट्रुअल कप को एक बार में 8 से 12 घंटे तक पहन सकती हैं . कुछ मैन्सट्रुअल कप में थोड़ा सा स्टेम होता है जिसे आप बाहर निकालने के लिए खींचते हैं . रिम के चारों ओर एक उंगली हुक करके, इसे निचोड़कर और इसे बाहर निकालकर हटा दिया जाता है . ज्यादातर कप पुन: प्रयोग किए जा सकते हैं .

इसे टॉयलेट, सिंक या शॉवर की नाली में खाली कर दें और इसे फिर से उपयोग करने से पहले धो लें . यदि आप किसी ऐसी जगह पर हैं जहाँ आप कप नहीं धो सकती हैं, तो बस इसे खाली कर दें और वापस डाल दें . हमेशा अपने कप के पैकेट के साथ आए सफाई और स्टोरेज के निर्देशों का पालन करें . अन्य कप डिस्पोजेबल हैं, आप उन्हें एक उपयोग या एक पीरियड के बाद फेंक दें . इन कपों को रैपर या टॉयलेट पेपर में लपेटें और फेंक दें, टॉयलेट में न बहाएं . कप को डालना सुरक्षित है, लेकिन शुरुआत में थोड़ी प्रैक्टिस की ज़रुरत होती है . अगर कप डालने में पीड़ा का अनुभव कर रहे हैं, तो डॉक्टर या नर्स से परामर्श करें .

यह पूरी तरह आप पर निर्भर करता है कि आप अपनी जीवन शैली के बारे में सोचें कि आपकी ज़रुरतों के लिए सबसे बेहतर क्या होगा .

श्रीजना बगारिया, सह-संस्थापक, पी सेफ से बातचीत पर आधारित..

आर्थिक तंगी के तनाव ने ली एक और टीवी सेलेब की जान, सुसाइड से पहले दर्द किया बयां

कोरोनावायरस लॉकडाउन के बीच बढ़ती आर्थिक तंगी लोगों में मानसिक तनाव पैदा कर रही है, जिसके कारण आम आदमी हो या एक्टिंग की दुनिया में अपना नाम हासिल करने वाले एक्टर भी शामिल हैं. हाल ही में लॉकडाउन में काम न मिलने के कारण मानसिक तनाव से जूझ रहीं टीवी अभिनेत्री प्रेक्षा मेहता ने अपनी जान ले ली है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला….

पंखे से लटककर की आत्महत्या

खबरों की मानें तो, प्रेक्षा लॉकडाउन शुरू होने से पहले ही मुंबई से अपने घर इंदौर लौट गईं थीं, लेकिन मुंबई से जाने से पहले तक उनके पास कोई काम नहीं था. घर पर रहते हुए भी उन्हें बेरोजगारी की समस्या सता रही थी और आखिर में प्रेक्षा ने अपने कमरे में पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली. वहीं आत्महत्या करने से पहले प्रेक्षा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक छोटा सा संदेश छोड़ा था जिसमें लिखा है, ‘सबसे बुरा होता है सपनों का मर जाना’.

 

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Meri Taraf Aata Har Gham Phisal Jaaye Aankhon Mein Tum Ko Bharun Bin Bole Baatein Tumse Karun 🥰

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क्राइम शो में आ चुकी हैं नजर

 

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Hello Guyzz Happy Holi Everyone 🎉 Enjoy My Episode of Crime Patrol Tonight 10:30pm only on SonyTv 😎 Me as Shelly

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25 साल की उम्र में प्रेक्षा टीवी के एपिसोडिक शोज जैसे क्राइम पेट्रोल, मेरी दुर्गा और लाल इश्क में काम कर चुकी थीं. वहीं टीवी ही नहीं बल्कि, प्रेक्षा बौलीवुड एक्टर अक्षय कुमार की फिल्म ‘पैडमैन’ में भी देखा गया था. इंदौर के बजरंग नगर में प्रेक्षा अपनी फैमिली के साथ रहती थीं. प्रेक्षा के सुसाइड केस के इंचार्ज का कहना है कि प्रेक्षा ने एक सुसाइड नोट तो छोड़ा है लेकिन आत्महत्या का कारण नहीं दिया. फिलहाल छानबीन जारी है.

बता दें, एक्ट्रेस प्रेक्षा से पहले हाल ही में टीवी के एक एक्टर मनमीत ग्रेवाल ने लॉकडाउन से हुए तनाव के कारण घर में ही आत्महत्या कर ली थी. वहीं कोरोनावायरस के खौफ के चलते उनकी वाइफ की मदद के लिए किसी ने भी उनका मदद के लिए हाथ नहीं बढ़ाया.

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जरा सी आजादी: भाग-3

पैनी नजर रखी शुभा ने क्योंकि रसोई में चाकू भी थे. तेज धार चाकू उस ने उठा कर छिपा दिए थे जिस पर नेहा ने आवाज दी. ‘‘दीदी, आप का चाकू आलू तक तो काटता नहीं है, आप इस से काम कैसे करती हैं?’’

‘‘आज बाजार चलेंगे, नेहा. कुछ सामान लाना है. चाकू भी लाने वाले हैं.’’

आधे घंटे के बाद नेहा ने नाश्ता मेज पर सजा कर रख दिया. आलूटमाटर की सब्जी और पूरी. खातेखाते नेहा ने कहा, ‘‘दीदी, आप का घर कितना खुलाखुला है. ऐसा लगता है सांस आती भी है और जाती भी है. मेरे घर में सामान ही इतना है कि…’’

‘‘पुराना सामान निकाल देते हैं. थोड़ा सा बदलाव करते हैं. तुम्हारा घर भी खुलाखुला हो जाएगा. आज बाजार चलते हैं न. चलो, अभी चलें. दोपहर का लंच बाहर ही करेंगे.’’

‘‘कुछ रुपए दिए हैं ब्रजेश ने. अपने लिए जो चाहूं खरीदने को कहा है.’’

‘‘कोई बात नहीं, मेरे पास भी कुछ रुपए हैं. जरूरत पड़ी तो बैंक से निकाल लेंगे. तुम जो चाहो, ले लेना.’’

‘‘अरे नहीं बाबा, मुझे क्या ताजमहल खरीदना है जो इतने रुपए चाहिए. न सोना चाहिए न महंगी साड़ी. कुछ भी भारीभरकम नहीं चाहिए. कुछ हलकाफुलका चाहिए जिस का मेरी छाती पर कोई बोझ न हो.’’

अभियान शुरू किया नेहा की रसोई से. दुनियाजहान के पुराने बरतन, जिन्हें कभी अपना घर बनाने पर निकाल देंगे, पुराना फ्रिज, पुराना टीवी, रेडियो, पुरानी प्रैस, पुराना लोहा, पुरानीपुरानी किताबें, पुराना फर्नीचर, पुराने परदे, पुराने कपड़े, पुरानी तसवीरें, पुरानी साडि़यां, और भी बहुतकुछ था जिसे बदलने की आवश्यकता थी.

‘‘कल जब अपना घर होगा तब ले लेना नया सब.’’

‘‘अपना घर होगा जब रिटायरमैंट होगा और उस में अभी 4 साल पड़े हैं. तब तक तो मन भी मर जाएगा. कल का इंतजार कब तक, दीदी?’’

‘‘कल का इंतजार तुम अपने हाथों समाप्त कर लो, नेहा.’’

‘‘ब्रजेश औफिस के काम से बाहर जाने वाले हैं इस सोमवार, कह रहे हैं मुझे साथ लेते जाएंगे.’’

‘‘तुम वहां क्या करोगी?’’

‘‘क्या करूंगी, होटल में सड़ूंगी और क्या.’’

‘‘तो मत जाओ. मैं कागजकलम देती हूं, सामान की लिस्ट बनाओ जिसे बदलना चाहती हो. वे बाहर रहेंगे तो हम आराम से सफाई अभियान पूरा कर लेंगे.’’

‘‘घर में तांडव हो जाएगा. मेरी इतनी औकात कहां.’’

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‘‘तुम घर की मालकिन हो न. अपनी इच्छा का मान भी करना सीखो. घर के बरतन बदलने में भी तुम ब्रजेशजी का मुंह देखती हो. उन्हें उन के औफिस तक ही रहने दो न.’’

‘‘नहीं रहते न औफिस तक. रसोई के चम्मच तक में उन की मरजी होती है. घर में ऐसा कुहराम मचेगा कि मुझे सांस तक लेना मुश्किल हो जाएगा,’’ खीज पड़ी थी नेहा, ‘‘कल मेरी सास की मरजी थी, अब पति की है. कल बहू की होगी, मेरी मरजी शायद अगले जन्म में होगी.’’

‘‘अगला जन्म किस ने देखा है, पगली. कल क्या होगा कौन जानता है. आज देखो. ब्रजेश को मैं और विजय समझा लेंगे. आज भी शायद विजय ने समझाया होगा.’’

‘‘तो क्या इसीलिए आज बारबार मुझ से कह रहे थे कि मेरा जो जी चाहे मैं करूं, वे मना नहीं करेंगे. कुछ अजीबअजीब सी बातें कर तो रहे थे.’’

‘‘तुम्हारी मरजी की बात अजीबअजीब सी लगी तुम्हें?’’

‘‘जो कभी नहीं हुआ वह एक दिन होने लगे तो अजीब ही लगेगा न.’’

नेहा की बातों में शुभा दिलचस्पी ले रही थी.

‘‘मेरी मरजी, मेरी इच्छा, मेरी सोच, अजीब तो है ही. मेरा घर कहीं नहीं है, दीदी. शादी से पहले अपना घर सजाने का प्रयास करती थी तो मां कहती थीं, अभी पढ़ोलिखो. सजा लेना अपना घर जब अपने घर जाओगी. शादी कर के आई तो ब्रजेश ने ढेर सारी जिम्मेदारियां दिखा दीं. एक बेटी की इच्छा थी, वह भी पूरी नहीं होने दी ब्रजेश ने. पिता की बेटियों को निभातेनिभाते अपनी बेटी के लिए कुछ बचा ही नहीं. अब इस उम्र में कुछ बचा ही नहीं है जिसे कहूं, यह मेरा शौक है. मेरा घर तो सब का घर ही सजाने में कहीं खो गया. बच गया है कबाड़खाना, जिसे हर 3 साल के बाद ब्रजेश ढो कर एक शहर से दूसरे शहर ले जाते हैं.’’

मन भर आया शुभा का.

‘‘मन भर गया है, दीदी. अब कुछ भी अच्छा नहीं लगता.’’

‘‘चलो, पहले इस कागज पर लिखो तो सही, क्या बदलना चाहती हो. ब्रजेश ने मुझे कहा है न कि मैं तुम्हारी सहायता करूं. वे कुछ कहेंगे तो मुझे बताना. इल्जाम मुझ पर लगा देना, कहना कि मैं ने कहा था बदलने को.’’

सोमवार को ब्रजेश 3 दिन के लिए बाहर गए और सचमुच नेहा को साथ नहीं ले गए. शुभा ने वास्तव में नेहा का घर बदल दिया.

पुराने सारे बरतन निकाल दिए और थोड़े से पैसे और डाल कर रसोई चमचमा गई. 10 हजार रुपए का लोहाकबाड़ बिक गया जिस में नया गैस चूल्हा, माइक्रोवेव आ गया. रद्दी सामान और पुराना फर्नीचर निकाला जिस में छोटा सा कालीन नए परदे और 2 नई चादरें आ गईं.

3 दिन से दोनों रोज बाजार आजा रही थीं और इस बीच शुभा बड़ी गहराई से नेहा में धीरेधीरे जागता उत्साह देख रही थी. उस ने चुनचुन कर अपने घर का सामान खरीदा, कटोरियां, प्लेटें, गिलास, चम्मच, दालों के डब्बे, मसालों की डब्बियां, रंगीन परदे, लुभावना कालीन, सुंदर चादरें, चार चूल्हों वाली गैस, सुंदर फूलों की झालरें, छोटा सा माइक्रोवेव, सुंदर तोरण और बंदनवार.

हर रात या तो शुभा उस के घर सोती थी या उसे अपने घर पर सुलाती थी. घर सज गया नेहा का. बुझीबुझी सी रहने वाली नेहा अब कहीं नहीं थी. मुसकराती, अपना घर सजा कर बारबार खुश होती नेहा थी जिस की दबी हुई छोटीछोटी खुशियां पता नहीं कहांकहां से सिर उठा रही थीं. बहुत छोटीछोटी सी थीं नेहा की खुशियां. बाहर बालकनी में चिडि़यों का घर और उन के खानेपीने के लिए मिट्टी के बरतन, बालकनी में बैठ कर चाय पीने के लिए 4 प्लास्टिक की कुरसियां और मेज.

‘‘दीदी, वे नाराज तो नहीं होंगे न?’’

‘‘उन के लिए भी कुछ ले लो न. कोई शर्ट या टीशर्ट या पाजामाकुरता. कुछ बहू के लिए भी तो लो. बेटी की इच्छा पूरी तो हो चुकी है तुम्हारी. वह तुम्हारी बच्ची है न. उसे भी अच्छा लगेगा जब तुम उस के लिए कुछ लोगी. तुम्हें शौक पूरे करने को कुछ नहीं मिला क्योंकि जिम्मेदारियां थीं. तुम बहू का शौक तो पूरा कर दो. अब क्या जिम्मेदारी है? जो तुम्हें नहीं मिला कम से कम वह अपनी बहू को तो दे दो.’’

‘‘उसे पसंद आएगा, जो मैं लाऊंगी?’’

‘‘क्यों नहीं आएगा. मेरे पास कुछ रुपए हैं. मुझ से ले लो.’’

‘‘अपने हाथ से इतने रुपए मैं ने कभी खर्च ही नहीं किए. अजीब सा लग रहा है. पता नहीं, क्याक्या सुनना पड़ेगा जब ब्रजेश आएंगे. दीदी, आप पास ही रहना जब वे आएंगे.’’

‘‘कितने पैसे खर्च किए हैं तुम ने? कबाड़खाने से ही तो सारे पैसे निकल आए हैं. जो रुपए ब्रजेश दे कर गए थे उस से ब्रजेश के लिए और बच्चों के लिए कुछ ले लो. टीशर्ट और शर्ट खरीद लो, बहू के लिए कुरती ले लो, आजकल लड़कियां जींस के साथ वही तो पहनती हैं.’’

बुधवार की शाम ब्रजेश आने वाले थे. बड़े उत्साह से घर सजाया नेहा ने. चाय के साथ पकौड़ों का सामान तैयार रखा. रात के लिए मटरपनीर और दालमखनी भी रसोई में ढकी रखी थी. शुभा के लिए भी एक प्रयोग था जिस का न जाने क्या नतीजा हो. पराई आग में जलना उस का स्वभाव है. आज पराया सुख उसे सुख देगा या नहीं, इस पर भी वह कहीं न कहीं आश्वस्त नहीं थी. पुरानी आदतें इतनी जल्दी साथ नहीं छोड़तीं, पत्नी को दी गई आजादी कौन जाने ब्रजेश सह पाते हैं या नहीं?

द्वारघंटी बजी और शुभा ने ही दरवाजा खोला. ब्रजेश के साथ शायद बेटा और बहू भी थे. बड़े प्यारे बच्चे थे दोनों. उसे देख दोनों मुसकराए और झट से पैर छूने लगे.

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‘‘आप शुभा आंटी हैं न. पापा ने बताया सब. मम्मी खुश हैं न?’’ बहुत धीरे से बुदबुदाया वह लड़का.

एक ही प्रश्न में ढेर सारे प्रश्न और आंखों में भी बेबसी और डर. कुछ खो देने का डर. मंदमंद मुसकरा पड़ी शुभा. ब्रजेश आंखें फाड़फाड़ कर अपना सुंदर सजा घर देख रहे थे. आभार था जुड़े हाथों में, भीग उठी पलकों में, शायद आत्मग्लानि की पीड़ा थी. ऐसा क्या ताजमहल या कारूं का खजाना मांगा था नेहा ने. छोटीछोटी सी खुशियां ही तो और कुछ अपनी इच्छा से कर पाने की आजादी.

‘‘नेहा, देखो तुम्हारी बेटी आई है,’’ शुभा ने आवाज दी.

पलभर में सारा परिवार एकसाथ हो गया. नेहा भागभाग कर उन के लिए संजोए उपहार ला रही थी. बेटे का सामान, बहू का सामान, ब्रजेश का सामान.

‘‘मम्मी, आप ने घर कितना सुंदर सजाया है. परदे और कालीन दोनों के रंग बहुत प्यारे हैं. अरे, बाहर चिडि़या का घर देखो, पापा. पापा, चाय बाहर बालकनी में पिएंगे. बड़ी अच्छी हवा चल रही है बाहर. पूरा घर कितना खुलाखुला लग रहा है.’’

नेहा की बहू जल्दी से कुरती पहन भी आई, ‘‘मम्मी, देखो कैसी है?’’

‘‘बहुत सुंदर है बच्चे. तुम्हें पसंद आई न?’’

धन्यवाद देने हेतु बहू ने कस कर नेहा के गाल चूम लिए. ब्रजेश मंत्रमुग्ध से खड़े थे. अति स्नेह से उस के सिर पर हाथ रख पूछा, ‘‘अपने लिए क्या लिया तुम ने, नेहा?’’

‘‘अपने लिए?’’ कुछ याद करना चाहा. क्या याद आता, उस ने तो बस घर सजाया था, अपने लिए अलग कुछ लेती तो याद आता न. बस, गरदन हिला कर बता दिया कि अपने लिए कुछ नहीं लिया.

‘‘देखो, मैं लाया हूं.’’

बैग से एक सूती साड़ी निकाली ब्रजेश ने. तांत की क्रीम साड़ी और उस का खूब चौड़ा लाल सुनहरा बौर्डर.

शुभा को याद आया ब्रजेश को सूती साड़ी पहनना पसंद नहीं जबकि नेहा की पहली पसंद है कलफ लगी सूती साड़ी. खुशी से रोने लगी नेहा. ब्रजेश जानबूझ कर 3 दिन के लिए आगरा बेटे के पास चले गए थे. पलपल की खबर विजय और शुभा से ले रहे थे. शुभा की तरफ देख आभार व्यक्त करने को फिर हाथ जोड़ दिए. अफसोस हो रहा था उन्हें. क्यों नहीं समझ पाए वे, खुशी भारी साड़ी या भारी गहने में नहीं, खुशी तो है खुल कर सांस लेने में. छोटीछोटी खुशियां जो वे नेहा को नहीं दे पाए.

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शादी की खबरों के बीच दुल्हन बनीं हरियाणवी क्वीन ‘Sapna Choudhary’, देखें फोटोज

कोरोना वायरस लॉकडाउन के बीच में बिग बौस फेम हरियाणा की डांसिंग क्वीन सपना चौधरी अपने फैंस को एंटरटेन करने में लगी हुई हैं. हाल ही में सपना चौधरी (Sapna Choudhary) की शादी की खबरों से उनके फैंस हैरान हैं. वहीं सपना चौधरी (Sapna Choudhary) का ब्राइडल फोटोशूट उनकी शादी की खबरों पर मोहर लगा रहा है, जिसके बाद सपना चौधरी (Sapna Choudhary) के फैंस उनके शादी की तारीख जानने के लिए एक्साउटेड हैं. आइए आपको दिखाते हैं सपना चौधरी का ब्राइडल लुक…

ब्राइडल फोटोशूट है बेहद खूबसूरत

दुल्हन के जोड़े में सपना चौधरी (Sapna Choudhary) बेहद खूबसूरत लग रही हैं और इस तस्वीरों को शेयर करते हुए उन्होंने कैप्शन में लिखा है, ‘हर छोटा बदलाव बड़ी कामयाबी का हिस्सा होता है……!’.

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हैवी ज्वैलरी और बालों में गजरा लगाए दिखीं Sapna


बालों में गजरा और हैवी ज्वैलिरी के साथ सपना चौधरी (Sapna Choudhary) का यह ब्राइडल अवतार काफी आकर्षक लग रहा है. वहीं माथे पर मांगटीका और नाक में नथ पहने हुए सपना चौधरी का लुक देखते ही बन रहा है.

कोरोनावायरस के बीच कराया फोटोशूट


कोरोनावायरस लॉकडाउन के बीच फोटोशूट कराते हुए सपना चौधरी ने अपने फोटोशूट में ब्लैक कलर की ऑफ शोल्डर ड्रेस के साथ फेस मास्क लगातार फैंस को इस वायरस के खिलाफ जागरूक करती दिखाई देती नजर आईं थी.

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सफेद ड्रेस में क्लिक कराई तस्वीर

सफेद कलर के सूट में सपना चौधरी एकदम देसी लग रही हैं. इसी के साथ उनका मांग टीका उनके लुक पर चार चांद लगा रहे हैं. इसमें उनका लुक फैंस को काफी पसंद आया था.

पहले भी आ चुकी हैं ब्राइडल लुक में नजर

सपना चौधरी इससे पहले भी ब्राइडल लुक में नजर आ चुकी हैं, जिसमें वह सिंपल ब्राइडल लुक में नजर आईं थी. सपना का ब्राइडल लुक फैंस को काफी पसंद आता है. और जिसके कारण यह वायरल भी तेजी से हो जाती है.

 

डौलर की जगह चीनी करैंसी !

दुनिया में आमतौर पर सुपरपावर माने व समझे जाने वाले अमेरिका की हैसियत खतरे में है. अमेरिकी डौलर, जो 75 वर्षों से विश्व अर्थव्यवस्था पर एकछत्र राज कर रहा है, अब कई एजेंडों की ज़द में आ गया है जो बहुत तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं.

यह सही है कि अमेरिका में अब तक 16 लाख से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हो गए और तकरीबन एक लाख इंसानों की जानें जा चुकी हैं लेकिन उसके के सामने इससे भी बड़ी चुनौती चीन और चीनी करैंसी डिजिटल युवान की ओर से आ रही है. चीन के कुछ हिस्सों में डिजिटल करैंसी का प्रयोग शुरू हो चुका है और इसे राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय करैंसी के तौर पर पूरी दुनिया में चलाने की तैयारी भी पूरी कर ली गई है.

चीन, दरअसल, वर्ष 2022 में एक डिजिटल युआन मुद्रा लाना चाहता है जिसका नाम है – ई-आरएमबी.
2022 में चीन जाने वाले लोगों को इस नई डिजिटल करैंसी में ही ख़रीदारी या लेनदेन करना पड़ सकता है. यह ऐसी मुद्रा होगी जो नज़र नहीं आएगी, न ही इसे आप नोट की तरह हाथ में ले सकेंगे. यह कोई कल्पना नहीं, बल्कि हकीकत है.

चीन के केंद्रीय बैंक, पीपुल्स बैंक औफ चाइना ने देश के 4 बड़े शहरों में इस पर काम शुरू कर दिया है. इस परियोजना में सरकारी कर्मचारियों के वेतन का कुछ हिस्सा डिजिटल युआन में दिया जाएगा. इसके अलावा लगभग 20 निजी व्यवसायों, जैसे स्टारबक्स और मैकडोनल्ड ने भी इस प्रयोग में हिस्सा लिया है.

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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आर्टिफ़िशल इंटैलीजैंस और 5वीं पीढ़ी (फिफ्थ जनरेशन) की तकनीक को अपने एजेंडे के केंद्र में रखकर विश्वव्यापी योजनाएं बनाईं और अब उसकी फ़सल काट रहे हैं. चीन की नई डिजिटल करैंसी आरएमबी का महत्त्व 2 बुनियादी वजहों से है. एक तो यह कि भविष्य में अमेरिका का कोई भी प्रतिबंध उस पर कोई असर नहीं डाल पाएगा और दूसरी वजह यह कि इससे चीन को बहुत अधिक जियो-पौलिटिकल महत्त्व मिल जाएगा क्योंकि चीन की अलीबाबा और दूसरी सैकड़ों कंपनियां अब अफ़्रीक़ा और लैटिन अमेरिका में बहुत तेज़ी से फैलती जा रही हैं. चीन ने डिजिटल करैंसी का इस्तेमाल इतना बढ़ा दिया है कि ब्लूमबर्ग मैगज़ीन के अनुसार वर्ष 2018 में चीन में लगभग साढ़े 41 ट्रिलियन डौलर का लेनदेन मोबाइल फ़ोन से हुआ.

चीन की अर्थव्यवस्था नोवल कोरोना वायरस के गंभीर वार के बाद बहुत तेज़ी से उबर रही है. चीनी इकोनौमी रफ़तार पकड़ चुकी है. अपने देश में मौजूद यूरोप की बहुराष्ट्रीय कंपनियों को चीन बहुत तेज़ी से ख़रीदता जा रहा है क्योंकि कोरोना की वजह से उन कंपनियों के शेयरों की क़ीमत बहुत गिर गई है. यहां तक कहा जा रहा है कि चीन बड़ी ख़ामोशी से आधी दुनिया ख़रीदने में लगा है.

चीन ने जहां आर्थिक मंच पर बाज़ी मारी है वहीं विशेषज्ञ कहते हैं कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था को संभलने में कई दशकों का समय लगेगा.

विश्व में एकछत्र राज कर रहे डौलर के प्रभुत्व को चीन एकदम तो समाप्त नहीं कर सकता लेकिन उसने उसको कमज़ोर करना शुरू कर दिया है. अमेरिका आएदिन अलगअलग देशों और कंपनियों पर जो प्रतिबंध लगा रहा है, उसका भी डौलर की पोज़ीशन कमज़ोर होने में रोल रहा है.

डिजिटल युआन को लाना एक ऐसी बात मानी जा रही है जिससे वैश्विक संतुलन में बदलाव आ सकता है. यह चीन की उन महत्त्वाकांक्षी परियोजनाओं का हिस्सा है जिनका उद्देश्य अमेरिका के प्रभाव को ख़त्म करना और 21वीं सदी का खुद को एक शक्तिशाली देश बन कर उभरना है.

विशेषज्ञों का कहना है कि इसके सफल प्रयोग से 10-15 वर्षों में एक नयी सियासी व आर्थिक व्यवस्था जन्म ले सकती है.

दिल्ली स्थित फ़ोर स्कूल औफ मैनेजमैंट के चीन मामलों के विशेषज्ञ डा. फ़ैसल अहमद कहते हैं, “भारत और अमेरिका भी क्रमशः ‘लक्ष्मी’ और ‘डिजिटल डौलर’ नाम की अपनी डिजिटल मुद्राओं पर काम कर रहे हैं. लेकिन अभी तक ये वास्तविकता से काफ़ी दूर हैं.”

डौएचे बैंक ने इस साल जनवरी के अंत में डिजिटल मुद्राओं पर एक ख़ास रिपोर्ट जारी की थी जिसमें सुझाव दिया गया था कि चीनी डिजिटल युआन वैश्विक पावर संतुलन को उलट सकता है.

रिपोर्ट में कहा गया, “चीन अपने केंद्रीय बैंक की मदद से एक डिजिटल मुद्रा पर काम कर रहा है जिसे सौफ्ट या हार्डपावर टूल के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. वास्तव में, अगर चीन में व्यापार करने वाली कंपनियों को डिजिटल युआन अपनाने के लिए मजबूर किया जाता है तो यह निश्चित रूप से वैश्विक वित्तीय बाज़ार में डौलर की प्रधानता को नष्ट कर सकता है.”

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रिपोर्ट में कहा गया है, “20वीं सदी की शुरुआत में जिस तरह से अमेरिका ने डौलर को बढ़ावा दिया था उसी तरह से चीन सरकार अब रेनमिनबी यानी आरएमबी (चीन की आधिकारिक मुद्रा जिसकी इकाई युआन है) के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिए ज़बरदस्त प्रयास कर रही है. साल 2000 से 2015 तक चीन के व्यापारिक लेनदेन में आरएमबी का हिस्सा शून्य से बढ़कर 25 फीसदी हो गया. ”

मगर, वर्चुअल दुनिया में एक शक्ति बन कर उभरने वाली मुद्राओं में फ़ेसबुक की लिब्रा और डिजिटल युआन के अलावा भी कई वर्चुअल करैंसी मौजूद हैं और कई पर काम चल रहा है. बिटकौइन बाज़ार में पहले से ही मौजूद है और इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है.

शक नहीं है कि आज हर कोई डौलर पर भरोसा करता है और सभी इसे महत्त्व देते हैं. लेकिन, आर्थिकविद यह मान रहे हैं कि इस वक्त अमेरिका की अर्थव्यवस्था दयनीय स्थिति में पहुंच गई है, जिससे उबरने में उसे दशकों का वक्त लग सकता है. सो, अमेरिकी अर्थव्यवस्था व अमेरिका की करैंसी डौलर पर दुनिया का भरोसा अब बहुत ज्यादा समय तक नहीं टिक पाएगा. ऐसे में जो खालीपन उभरेगा, उसे भरने की दौड़ में चीन सबसे आगे दिख रहा है.

लॉकडाउन में ‘कसौटी’ के ‘अनुराग’ पहुंचे मुंबई से पुणे, घर पहुंचकर ऐसे मनाया जश्न

कोरोनावायरस लॉकडाउन के बीच जहां आम आदमी अपने परिवार से दूर है तो वहीं स्टार्स भी अपनी फैमिली से दूर मुंबई में फंसे हैं. वहीं डोमेस्टिक एयरलाइन्स की इजाजत मिलने के बाद स्टार्स अपनी फैमिली से मिलने जा रहे हैं, जिनमें सीरियल ‘कसौटी जिंदगी के 2’ में अनुराग बासु  के रोल में नजर आने वाले एक्टर पार्थ समथान (Parth Samthaan) भी हैं. पार्थ को बीते दिन मुंबई एयरपोर्ट पर देखा गया है. डोमेस्टिक फ्लाइट्स को उड़ान की इजाजत मिलते ही पार्थ समथान (Parth Samthaan) अपने होमटाउन पुणे के लिए निकल गए हैं. आइए आपको दिखाते हैं पार्थ समथान की लेटेस्ट फोटोज…

शेयर की एयरपोर्ट की झलक

पार्थ समथान (Parth Samthaan) ने सोशल मीडिया के जरिए मुंबई एयरपोर्ट की झलक दिखाई है. इसी बीच कोरोना वायरस से बचने के लिए मुंबई एयरपोर्ट पर हर तरह की सावधानी बरती जा रही है.  वहीं पार्थ समथान भी पूरी सेफ्टी के साथ ही घर से बाहर निकले हैं.

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फेस मास्क के साथ-साथ लगाया शिल्ड

बढ़ते कोरोनावायरस को देखते हुए पार्थ समथान (Parth Samthaan) ने हर एक जरुरी सामान अपने पास रखा था. फेस मास्क से लेकर वो फेस शिल्ड का इस्तेमाल करते हुए नजर आए.

पार्थ ने फैंस को दी ईद की बधाई

 

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Haaye garmiiii👅👅🙈🙈

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पार्थ समथान (Parth Samthaan) ने अपने फैंस को खास अंदाज में ईद की मुबारकबाद देते भी नजर आए थे. वहीं घर पहुंचकर पार्थ समथान को मीठी-मीठी सेवइयां भी खाने को मिल गई.

नीति टेलर के साथ वीडियो की थी शेयर

 

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Madness continues with @nititaylor #friendstv #joey #rachel #tiktok Tiktok id : @parthsamthaan623

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सीरियल ‘कैसी हैं यारियां’ में साथ काम कर चुके पार्थ समथान (Parth Samthaan) और एक्ट्रेस नीति टेलर लॉकडाउन के बीच औनलाइन वीडियो बनाते हुए नजर आए थे, जिसे फैंस काफी पसंद कर रहे हैं. वहीं पता चल रहा है कि पार्थ अपने दोस्तों को कितना मिस कर रहे हैं.

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लॉक डाउन में करें स्किन केयर 

लॉक डाउन में आजकल सभी घर से काम कर रहे है, ऐसे में महिलाये अपने स्किन केयर के बारें में कम सोच पा रही है. लेकिन घर पर हो या कामकाजी, हर किसी को अपनी त्वचा की देखभाल नियमित करनी चाहिए. ताकि आपकी स्किन हेल्दी और ग्लोइंग रहे. इस बारें में क्यूटिस स्किन सोल्यूशन की ब्यूटी एक्सपर्ट डॉ. अप्रतिम गोयल कहती है कि स्किन हमारी लार्जेस्ट ऑर्गन है जिसका ख्याल हमें हमेशा रखने की जरुरत होती है. डल या ड्राई स्किन होने पर इसकी देखभाल और अधिक करने की होती है. इसके लिए आपको बाज़ार जाने की जरुरत नहीं होती. लॉक डाउन है, पर सब कुछ घर पर आपके किचन में ही आसानी से उपलब्ध हो जाता है. बस थोडा समय निकालकर इसे करने की जरुरत होती है. दूध, बेसन और हनी ये तीन चीजे ही आपकी स्किन को आसानी से सुंदर बना सकती है. आइये जाने होम केयर रेमिडीज क्या है,

ग्लोइंग स्किन के लिए  

 

  • ग्लोइंग स्किन के लिए दो बड़ी चम्मच बेसन या गेहूं का आटा लें, उसमें रोज वाटर मिलकर गाढ़ा पेस्ट बना लें, 
  • इसे अपने चेहरे पर लगा लें और त्वचा में अपनी उँगलियों की पोरों से गोलाई में घुमाकर लगा लें. 
  • 15 मिनट बाद कुनकुने पानी से अच्छी तरह से धो लें, अच्छे परिणाम के लिए सप्ताह में एक दिन अवश्य लगायें.

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त्वचा का रिजुविनेशन 

 

  • एक बड़ी चम्मच संतरे के छिलके का पाउडर लेकर उसमें 2 बड़ी चम्मच दही अच्छी तरह से मिला लें,
  • चेहरे पर लगाने के 20 मिनट के बाद धो लें इससे त्वचा साफ, फ्रेश और टोंड हो जाएगी, 
  • ये इंस्टेंट रेजुविनेशन फेस पैक है, इसे आप किसी पार्टी या किसी इवेंट में जाने से पहले भी लगा सकती है.

 

स्किन डिटैन

 

  • दो टेबलस्पून प्लेन दही में एक चाय चम्मच शहद मिला लें और त्वचा पर लगा लें,
  • 15 मिनट तक रहने दे, बाद में पानी से धो लें,
  • दही में प्राकृतिक रूप से एंजाइम और एसिड होता है जो स्किन की टैनिंग को स्वाभाविक तरीके से हटाता है, जिससे शहद में AHA होता है जो पिगमेंटेशन से साफ़ करती है.

 

मोयस्चराइजर लगायें 

अगर आपकी त्वचा ऑयली और एक्ने प्रोन है और आप घर पर है फिर भी आप आयल फ्री और non- Comedogenic  मोयास्चराइजर का प्रयोग करें, ड्राई स्किन वाले को ceramides युक्त थिक मोयास्चराइजर लगाना चाहिए.

डाइट 

 ये सही है कि चमकदार त्वचा के लिए डाइट का भी ख़ास ध्यान रखना पड़ता है. इसके लिए एल्कलाइन रिच फ्रूट्स और सब्जियां जैसे ब्रोकोली, केला, तरबूज और एंटी ओक्सिडेंट रिच फ़ूड अधिक ले, डेयरी प्रोडक्ट, फ्राइड फ़ूड, सुगर फ़ूड आदि से दूर रहें, विटामिन ए, सी, डी3 बी काम्प्लेक्स वाले भोजन अधिक सेवन करें, जो त्वचा के लिए गुणकारी होता है. अगर किसी भी प्रकार की कमी हो, तो डॉक्टर की परामर्श से सप्लीमेंट अवश्य ले. 

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नाईट क्रीम 

नाईट क्रीम हमेशा स्किन रिजुविनेशन में सहायक होता है, इसका प्रयोग हर रात करें. इस क्रीम में ग्लाइकोलिक, हाईल्युरोनिक,कोजिक एसिड और विटामिन सी होने की जरुरत होती है. 

 

4 टिप्स: गरमी में ऐसे रखें अपने फ्रिज को हाइजीन फ्री

डेली भागदौड़ भरी लाइफ में सुबह-सुबह झाडू पोछा करने के अलावा हेल्थ की दृष्टि से हाइजीनिक का ख्याल रखना भी जरूरी होता है.  हाइजीनिक होम यानी वह घर जहां घर की खूबसूरती के साथ-साथ उस के बैक्टीरिया फ्री होने की जरूरत को भी उतना ही महत्त्व दिया जाता हो और हाइजीन होम में फ्रिज भी एक ऐसी चीज है, जिसकी सफाई गरमी में सबसे ज्यादा जरूरी होती है. वैसे तो आज ज्यादातर घरों में फ्रौस्टफ्री फ्रिज ही रखे जाते हैं, लेकिन फ्रिज के कई नए-पुराने मौडल्स आज भी ऐसे हैं, जिन्हें समय-समय पर डीफ्रौस्ट करने की जरूरत महसूस की जाती है. इसीलिए आज हम आपको कुछ ऐसे टिप्स बताएंगे, जिससे आप फ्रिज की सफाई के साथ-साथ हाइजीन का ख्याल भी रख पाएंगे.

1. डीफ्रौस्ट क्यों है जरूरी

कई नौन फ्रौस्टफ्री रैफ्रिजरेटर्स ऐसे हैं, जिन्हें कुछ दिनों तक औन रखने के बाद फ्रीजर एरिया में बर्फ का ढेर लग जाता है. ऐसे रैफ्रिजरेटर्स को यदि समय रहते डीफ्रौस्ट न कर लिया जाए, तो फ्रीजर में जमी बर्फ जल्दी ही फ्रिज एरिया में भी बर्फ का ढेर लगा देती है, जिस से फ्रिज को नुकसान पहुंच सकता है.

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-ऐसे रैफ्रिजरेटर्स को हफ्ते में कम से कम 1 बार डीफ्रौस्ट अवश्य करना चाहिए. समय पर यदि इसे डीफ्रौस्ट न किया जाए, तो कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. जैसे: द्य यदि पूरे फ्रिज में बर्फ जम गई तो उस के प्लास्टिक या अन्य पार्ट्स क्रैक हो सकते हैं.

-अगर आपके पास समय कम हो और फ्रिज की जल्दी सफाई करनी हो तो पहले उस में रखी खानेपीने की चीजें और ट्रे, आइसक्यूब टे्र, बौक्स व शैल्फ वगैरह पार्ट्स निकाल कर सुरक्षित रख दें. बर्फ जल्दी पिघलाने के लिए फ्रिज का दरवाजा खुला छोड़ सकते हैं. इससे बाहर की गरम हवा अंदर पहुंच कर उसे जल्दी डीफ्रौस्ट करने में मदद करेगी.

2. डिफ्रोस्ट के बाद हाइजीन का भी रखें ध्यान

-पूरी तरह से बर्फ के पिघल जाने के बाद आप फ्रिज की सफाई शुरू कर दें. फ्रिज के अंदर के भाग की सफाई के लिए आप किसी भी तरह का हार्ड या अमोनियाबेस्ड उत्पाद का इस्तेमाल न करें.

1 बाल्टी ठंडा पानी ले कर उस में बेकिंग सोडा और माइल्ड साबुन मिला लें. अब इसमें स्पंज डाल कर उस से फ्रिज व उस के सभी पार्ट्स की अच्छी तरह सफाई कर लें.

-आप चाहें तो सिंक या किसी बड़े बरतन में गरम पानी भर कर उस में डिटर्जेंट पाउडर मिला लें और एक ही बार में सारे पार्ट्स साफ कर लें. अब पानी से फ्रिज साफ कर लें ताकि डिटर्जेंट अच्छी तरह से निकल जाए. इस के बाद साफ कपड़े या पेपर टौवल से फ्रिज साफ कर 1 घंटे के लिए उस का दरवाजा खुला छोड़ दें ताकि फ्रिज अच्छी तरह सूख जाए. 1 घंटे बाद फ्रिज में सारा सामान वापस रख कर टैंपरेचर रीसेट कर दें. लीजिए, फ्रिज डीफ्रौस्ट भी हो गया और क्लीन भी.

3. डिफ्रोस्ट के बाद बदबू दूर रखने के लिए करें ये काम

-बदबू को दूर करने के लिए आप बेकिंग सोडा के सहित डिटर्जेंट वाले पानी में वैनिला एक्सट्रैक्ट भी मिला सकती हैं. आप चाहें तो कुछ समय के लिए फ्रिज में कौफी भी रख सकती हैं. इस से भी बदबू दूर हो जाएगी.

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-कौटन बौल या स्पंज में नीबू के रस की कुछ बूंदें डाल कर कुछ घंटों के लिए उसे फ्रिज में ही रहने दें. बदबू गायब हो जाएगी.

-इन दिनों बिजली की समस्या हर जगह बढ़ रही है. कई बार ऐसा होता है कि देर तक लाइट न आने की वजह से फ्रिज में रखे खाद्यपदार्थ से बदबू आने लगती है. इस बदबू को दूर करने के लिए आप टोमैटो जूस की मदद ले सकते हैं.

– ध्यान रहे कि इस जूस को तैयार करते हुए पानी का इस्तेमाल बिलकुल भी न किया गया हो. साफ कपड़े या स्पंज को इस टोमैटो जूस में डाल कर फ्रिज के अंदर के भाग को अच्छी तरह से साफ कर दें. अब एक बार फिर से डिटर्जेंट मिले गरम पानी से फ्रिज साफ कर के उसे सुखा लें.

-टोमैटो जूस की जगह यह बदबू दूर करने के लिए आप वेनेगर यानी सिरका भी इस्तेमाल कर सकती हैं.

– फ्रैश मिंट यानी पुदीना का इस्तेमाल खाने से ले कर घर को खुशबू से महकाने तक के लिए किया जाता है. आप चाहें तो इसे फ्रिज महकाने के लिए भी इस्तेमाल कर सकती हैं.

4. फ्रिज की सफाई के लिए इन बातों का भी रखें ध्यान

कुछ ऐसे भी बैक्टीरिया हैं, जो खाने को दूषित तो करते हैं, लेकिन हमें बीमार नहीं बनाते. ऐसे बैक्टीरिया का प्रभाव सबसे ज्यादा फलों और सब्जियों पर रहता है. सेब पर इस का असर होते ही सेब मुलायम होने और सिकुड़ने लगता है जबकि गाजर सूखी और रंगहीन होने लगती है. ऐसे सेब, गाजर व अन्य फल ज्यादा दिनों तक फ्रिज में रखने की वजह से देखने में बेशक अच्छे न लग रहे हों, लेकिन उन्हें खाने से नुकसान नहीं होता. खाने की चीजों पर बैक्टीरिया के प्रभावों को रोकने के लिए निम्न बातें जरूरी हैं:

– खरीदारी के समय ध्यान रखें कि आप कीड़ेमकौड़े या दाग लगे हुए फल या सब्जियां तो नहीं खरीद रहे.

– फल व सब्जियां अच्छी क्वालिटी की ही खरीदें ताकि फ्रिज में उन्हें सहेजना आसान रहे.

– यदि अच्छी क्वालिटी की चीजें न मिल पा रही हों तो बेहतर होगा कि आप फ्रोजन फल व सब्जियां खरीद लें.

– ध्यान रखें कि फ्रिज में रखा गया कोई सामान खराब तो नहीं हो रहा. यदि ऐसा है तो तुरंत उसे निकाल फेंकें.

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– हफ्ते में 1 बार फ्रिज की सफाई अवश्य करें.

– फ्रिज में भी फल व सब्जियों को हफ्ते भर से ज्यादा न रखें.

– फ्रिज को कीड़ेमकोड़ों से सुरक्षित रखने के लिए फलों, सब्जियों और मीट के लिए अलग-अलग जगह तय कर दें और उन्हें वहीं रखें.

– मीट और सब्जियां काटने के लिए अलगअलग कटिंग बोर्ड्स व बरतन रखें. हर बार इस्तेमाल करने के बाद उन्हें साफ करना न भूलें.

– लकड़ी के बोर्ड्स का प्रयोग न करें.

– छिलकों को खाने में यूज करें या न करें, लेकिन स्क्रब ब्रश से फलों व सब्जियों की अच्छी तरह सफाई जरूर कर लें.

– घर से बाहर यदि आप सलाद ले रहे हैं तो बेहतर होगा कि उन्हें पानी से साफ कर लें, चाहे उस पर धुला हुआ ही क्यों न लिखा हो.

– खाने की कुछ चीजें ऐसी भी होती हैं, जिन्हें जब हम खरीद कर लाते हैं और तभी से उन में बैक्टीरिया के कुछ अंश होते हैं. इन में रौ मीट, फै्रश फिश, सी फूड सहित कुछ सब्जियां भी हैं. ऐसी चीजों को अधिक से अधिक तापमान पर अच्छी तरह पकाने के बाद ही उन के बैक्टीरिया को नष्ट किया जा सकता है.

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#coronavirus: क्या महिलाओं के साथ हमदर्दी दिखा रहा है?

इटली, चीन, फ्रांस, जर्मनी, ईरान और साउथ कोरिया के 88 हजार कोरोना संक्रमितों पर हुई रिसर्च से पता चला कि उनमें से 2.8 फीसदी पुरुषों की और 1.7 फीसदी महिलाओं की मौत हुई है. इसी तरह चाइनीज़ सेंटर्स ऑफ़ डिज़ीज़ कंट्रोल ने भी इस विषय पर 44 हज़ार लोगों पर  अध्ययन किया है और पाया है कि 2.8 प्रतिशत पुरुषों की और 1.7 प्रतिशत महिलाओं की मौत हुई है.तो क्या कोरोना संक्रमण पुरुधों के प्रति महिलाओं से कहीं ज्यादा कठोर है ? क्या इसका राज सेक्स होर्मोस हैं ? वैज्ञानिक इस रास्ते भी कोरोना तक पहुंचना चाहते हैं.

दुनियाभर से मिल रहे डाटा से मालूम होता है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कोविड-19 के कारण गंभीर स्थिति में पहुंचने का अधिक खतरा होता है और तुलनात्मक दृष्टि से उनके ठीक होने की संभावना भी ज्यादा है.इसलिए कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि महिलाओं में जो एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टेरोन होरमोंस की अधिक मात्रा होती है, शायद वह इसका कारण है.एस्ट्रोजन एसीई2 प्रोटीन को नियंत्रित करता है, जिसका प्रयोग नया कोरोनावायरस कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए करता है; जबकि सूजन-रोधी गुणों के लिए विख्यात प्रोजेस्टेरोन इम्यून सिस्टम के ओवर रिएक्शन को रोकता है.

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इन दोनों होरमोंस के इन गुणों को विशेष रूपसे उन गर्भवती महिलाओं में देखा गया है जो नया कोरोना वायरस से संक्रमित हुई हैं.हालांकि वह इम्यूनो कोम्प्रोमाईजड (शरीर में कम प्रतिरोधात्मक क्षमता का होना) होती हैं,लेकिन उन्हें तुलनात्मक दृष्टि से संक्रमण की कम तीव्रता का अनुभव होता है,संभवत: एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टेरोन की उच्च मात्रा के कारण.परिणामस्वरूप अमेरिका में वैज्ञानिक क्लिनिकल ट्रायल्स कर रहे हैं यह जानने के लिए कि क्या यह होरमोंस कोविड-19 रोगियों को ठीक करने में मदद कर सकते हैं.गौरतलब है कि इन होरमोंस का अल्प अवधि तक प्रयोग करना तो सुरक्षित है,लेकिन इनसे पुरुषों में अजीब साइड-इफेक्ट्स हो सकते हैं जैसे सीने (ब्रैस्ट) में कोमलता व हॉट फ़्लैशज़.

लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि होरमोन थैरेपी के समर्थन में फ़िलहाल पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं. डाटा से मालूम होता है कि बुज़ुर्ग महिला ठीक होने की संभावना बुज़ुर्ग पुरुष से अधिक है.वैसे महिलाओं को कम खतरा होना अन्य जैविक व बिहेवियर तत्वों से समझाया जा सकता है.सार्स व नया कोरोना वायरस के संदर्भ में जो अध्ययन किये गये हैं,उनसे मालूम होता है कि टोल-लाइक रेसप्टर्स (टीएलआर) के लिए जो जेनेटिक कोड ज़िम्मेदार है और जो जन्मजात इम्यूनिटी निर्धारित करने में मदद करता है, से समझाया जा सकता है कि महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कोविड-19 से कम खतरा क्यों है ? महिलाओं में दो एक्स क्रोमोसोम होते हैं यानी पुरुषों की तुलना में दोगुणे टीएलआर जींस.

कोशिकाओं के सतह पर एसीई2 रेसप्टर्स होते हैं, जिनसे छिपकर नया कोरोना वायरस व्यक्ति को संक्रमित करता है.लेकिन एसीई1 की उपस्थिति एसीई2 एक्सप्रेशन को कम कर देती है, परिणामस्वरूप एसीई2 रेसप्टर्स कम हो जाते हैं,जिससे संक्रमण की आशंका भी कम हो जाती है. डाटा से मालूम होता है कि जिन देशों में लोगों में एसीई1 जीन की मात्रा कम है,विशेषकर यूरोप में, वहां संक्रमण व मौतें अधिक हुई हैं.हाल के एक अध्ययन से यह भी मालूम हुआ है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक एसीई2 रेसप्टर्स होते हैं और इसलिए उन्हें संक्रमण का ज़्यादा खतरा होता है.

जो जींस ह्यूमन लयूकोसाईट एंटीजन्स (एचएलए) के लिए ज़िम्मेदार हैं, जोकि वह प्रोटीन हैं जो इम्यून सिस्टम को शरीर पर हमला करने से रोकते हैं, वह दो रूपों में आते हैं.अध्ययनों से मालूम होता है कि एचएलए का एक रूप ऐसा है जिससे कोरोनावायरस से संक्रमित होने का खतरा कम होता है और एचएलए का दूसरा रूप ऐसा है जिससे संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है. किस व्यक्ति में एचएलए का कौन सा रूप है, यह पहचान करने से संक्रमण की गंभीरता की भविष्यवाणी की जा सकती है और यह भी तय किया जा सकता है कि वैक्सीन से किसको अधिक फायदा होगा. संभवत: इससे यह बात भी सामने आ सकती है कि भारत के विभिन्न राज्यों में संक्रमण व मौतों के डाटा में इतना अधिक अंतर क्यों है?

हम अब तक यही शोर मचाते रहे कि सिगरेट पीना सेहत के लिए हानिकारक है, इससे कैंसर भी हो सकता है,लेकिन अगर फ्रांस के न्यूरोबायोलॉजिस्ट की बात मानें तो सिगरेट पीने से कोरोना वायरस से बचा जा सकता है.मान्यवर की हाइपोथिसिस यह है कि सिगरेट के तम्बाकू में निकोटीन होता है जो संक्रमण को इस वजह से दूर रखता है क्योंकि वह उन्हीं एसीई2 रेसप्टर्स से चिपक जाता है जिनकी कोरोना वायरस टारगेट करता है.चूंकि निकोटीन वायरस को ब्लाक कर देता है, इसलिए वह कोशिका में प्रवेश करके व्यक्ति को संक्रमित नहीं कर पाता. साथ ही निकोटीन इम्यून सिस्टम के ओवररिएक्शन को भी कम कर देता है, जिसे साईटोकिन स्ट्रोम कहते हैं, जो कोविड-19 के अति गंभीर मामलों में देखने को मिलती है.

ये प्रारम्भिक नतीजे लगभग 500 कोविड-19 रोगियों के अध्ययन पर आधारित हैं, इनमें से केवल 5 प्रतिशत ही सिगरेट का सेवन करने वाले थे.डाटा की समीक्षा करते हुए डाक्टरों ने कहा कि आम फ्रेंच जनसंख्या के समान आयु व लिंग वर्ग में जो कोरोना वायरस से संक्रमित हुए उनमें सिर्फ 20 प्रतिशत ही सिगरेट पीने वाले थे. गार्डियन की रिपोर्ट के अनुसार, पेरिस के अस्पतालों में कोविड-19 के जो 11,000 रोगी भर्ती किये गये उनमें सिर्फ 8.5 प्रतिशत ही सिगरेट पीने वाले थे, जबकि फ्रांस की लगभग 25 प्रतिशत जनसंख्या सिगरेट पीती है.

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बहरहाल, इस थ्योरी को निकोटीन पैच का प्रयोग करते हुए पेरिस के अस्पताल में टेस्ट किया जायेगा. यह हो सकता है कि कोरोना वायरस को ब्लाक करने में निकोटीन की भूमिका हो,लेकिन यह भी तथ्य है कि स्मोकिंग से फ्रांस में सालाना 75,000 लोग मरते हैं. दूसरे शब्दों में निकोटीन कोविड-19 के उपचार के लिए केवल दो विकल्प प्रदान कर रही है – कुआं या खाईं. हालांकि अभी यह तय नहीं है कि निकोटीन कोरोना वायरस का कवच है, लेकिन जिन सिगरेट पीने वालों को यह रोग हो जाता है उनमें इसके अधिक गंभीर लक्षण विकसित होते हैं क्योंकि उनके फेफड़ों में तंबाकू का ज़हरीला प्रभाव मौजूद होता है.संक्षेप में बात सिर्फ इतनी सी है कि नया कोरोनावायरस का रहस्य अभी बरकरार है और इसलिए उसके इलाज की खोज में देरी है.

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