Monsoon Special: जानें ड्रेस के साथ कौन से लेटेस्ट Earring करें कैरी, देखें फोटोज

जिसका हम हर साल इंतजार करते हैं वो मानसून आ चूका है , बारिश का सुहाना मौसम हर किसी में बचपन भर देता है खासकर के लड़कियां इस मौसम का लुत्फ़ उठाने में सबसे आगे रहती हैं. साथ ही वह ट्रेंड के नजरिये से भी सबसे आगे रहती हैं.वैसे तो लड़कियां हर मौसम में ट्रेंड को फॉलो करती है और जब बात बारिश की हो तो वो कैसे पीछे रह सकती हैं.

ठंडी और सुहानी हवा और मानसून की बौछार जहाँ एक तरफ हमें चिलचिलाती गर्मी से बहुत ज्यादा राहत देती है वहीँ इस मौसम में हमें कुछ दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है जैसे कि ट्रैफ़िक जाम में फंसना, भीगना और अपने पसंदीदा कपड़ों पर गंदगी के साथ घर वापस आना.और जो हमारी सबसे बड़ी उलझन है वो है फैशन ट्रेंड में बने रहने की .

क्योंकि जब बात यह तय करने की आती है कि मानसून पर क्या पहनना है तब हम हमेशा कंफ्यूज हो जाते हैं. क्यूंकि हम न केवल आरामदायक कपडे पहनना चाहते हैं, बल्कि हम स्टाइलिश भी लगना चाहते हैं.
लेकिन आज मै आपके इस कन्फ्यूजन को आसान करने जा रही हूँ. जी हां आज हम आपको बताएंगे कि इस बार आप मानसून पर किस ड्रेस के साथ कौन सी लाइट वेटेड earrings carry करें. क्योंकि हैवी earrings में आप बिलकुल भी comfortable फील नहीं करेंगे .

अपनी इस समस्या को कम करने के लिए आप मानसून के अनुकूल इन ड्रेसिंग सेंस को अपना सकते हैं. Monte Carlo की Executive Director मोनिका ओसवाल द्वारा बताई गयी कुछ ड्रेसिंग टिप्स यहां दिए गए हैं:

तो चलिए जानते हैं की बारिश के मौसम में आप कैसे कपडे पहने की आप लगे बोल्ड एंड beautiful –

1-शॉर्ट्स और कैप्रिस 

 

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कैप्रिस, शॉर्ट्स या स्कर्ट इस सीज़न के लिए सबसे बेस्ट हैं. इससे न केवल आपको गर्मी में आराम मिलेगा , बल्कि अचानक बारिश में भीगने पर आपको उलझन भी नहीं होगी . हालांकि, ये जरूर सुनिश्चित करें कि आपके कैप्रिस या शॉर्ट्स काफी ढीले-ढाले हो ,जिससे उन्हें सूखने में ज्यादा समय न लगे.
आप चाहे तो आप इनके साथ हैवी earrings की जगह डबल पर्ल स्टड earrings पहन सकती हैं .ये आपके लुक को काफी आकर्षक बना देंगे.

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2-culottes और टॉप

 

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ये जरूरी नहीं की सभी को कैप्रिस, शॉर्ट्स या स्कर्ट पसंद हो पर बारिश के मौसम में हम ज्यादा लम्बे कपडे पहन भी नहीं सकते है .इसलिए आप चाहे तो culottes और ball sleeves टॉप carry कर सकते है .ये पहनने में ढील-ढाले और comfortable रहेंगे. आप चाहे तो आप इनके साथ नेमिंग लैटर earrings try कर सकती हैं. ये आपके लुक को काफी यूनिक बना देगा.

 

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3-मिडी टाइप ड्रेस

 

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जितना ज्यादा हो सके मानसून में हलके फैब्रिक के कपडे पहने जैसे कॉटन, लाइक्रा या शिफॉन .क्योंकि अगर आप बारिश में भीगते है तो इस फैब्रिक के कपडे आसानी से सूख जाते हैं.
आप चाहे तो आप मिडी टाइप ड्रेस carry कर सकती हैं .ये पहनने में बहुत ही ज्यादा comfortable रहती है और आसानी से सूख भी जाती है. आप चाहे तो मिडी के साथ हार्ट के शेप के multipearl earrings भी try कर सकती हैं.

4- डार्क और वाइब्रेंट ट्यूनिक्स चुनें:

 

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मानसून के दौरान भारी कपड़े पहनना बहुत ही uncomfortable हो सकता है क्योंकि गीले होने पर वे भारी हो जाते हैं. इसलिए, जब तक मानसून का मौसम है तब तक के लिए तो उन लंबे कुर्तों को अलविदा कहिये. इसके बजाय,आप डार्क और वाइब्रेंट कलर के ट्यूनिक्स चुन सकते हैं. ट्यूनिक्स को हल्के लेगिंग या कैप्रिस और flat फ्लिप-फ्लॉप के साथ स्टाइल किया जा सकता है और एक आरामदायक ड्रेसिंग का अनुभव पाया जा सकता है. आप चाहे तो आप इनके साथ हार्ट शेप के स्टोन ड्रॉप्स earrings carry कर सकती हैं.ये आपके लुक में चार चाँद लगा देंगे.

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5- कोट और जैकेट:


बारिश के मौसम में trenchcoat एक बेहतर विकल्प हो सकता है. कॉटन,लाइक्रा टेक्सचर के trench कोट बेहतर लुक देते हैं.ये आपको वेस्टर्न लुक देगा और आप और ज्यादा स्टाइलिश लगेंगे.
आप चाहे तो आप इनके साथ sunflower स्टड earrings carry कर सकती हैं.ये आपको बहुत ही ज्यादा फंकी और अदोराब्ले लुक देंगे.

 

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ध्यान रहे-

मानसून में डेनिम को कहे नो –ये तो हम जानते है की जीन्स हम लड़कियों की पहली चॉइस होती है पर मानसून के दौरान हो सकते तो जीन्स या डेनिम को बाय-बाय कहे क्योंकि उनका कपड़ा बहुत पानी सोखता और जल्दी सूखता भी नहीं है. इससे न केवल बेहद गीले कपड़े पहनने से आपको बेचैनी होती है, बल्कि यह आपके शरीर को नम और फंगल और बैक्टीरियल संक्रमण से ग्रस्त कर सकता है.

कोरोना का कहर सबसे ज्यादा शिकार हैं युवा

अगर संख्या के लिहाज से देखें तो दुनियाभर में कोरोना से पीड़ित मरीजों में महज 16 से 18 फीसदी तक ही 15 से 25 साल के युवा हैं. जबकि सबसे ज्यादा प्रभावित अधेड़ या बूढ़े लोग हैं. लेकिन कोरोना के चलते कॅरियर पर लटकती तलवार और महत्वाकांक्षाओं के पर कतरे जाने के मामले में इस महामारी से सबसे ज्यादा पीड़ित युवा हैं. इस कोरोना संकट में न सिर्फ सबसे ज्यादा नौकरियां युवाओं ने खोयी हैं बल्कि उम्मीदों से भरा भविष्य भी सबसे ज्यादा युवाओं ने ही खोया है. कोरोना एक तरह से युवाओं पर कहर बनकर टूटा है.

हिंदुस्तान का हाल

हिंदुस्तान के लिए तो यह और भी परेशानी का सबब है क्योंकि पिछले दो दशकों में हिंदुस्तान को दुनिया की कतार की संभावनाओं वाले देश में खड़े करने वाले युवा ही हैं. ये युवा ही हैं जिन्होंने अपनी रात दिन की मेहनत से हिंदुस्तान को दुनिया की पांच सबसे महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनाया है. ये युवा ही हैं, जिन्होंने भारत में आने वाले रेमिटेंस को हर साल न केवल पिछले साल के मुकाबले आगे ले गये हैं बल्कि पूरी दुनिया की नजरों में भारत को खटकने वाला मुल्क बना दिया है. अमेरिका से लेकर आॅस्ट्रेलिया तक कोई ऐसा देश नहीं हैं जो भारतीय युवाओं से, अपने युवाओं की संभावनाओं के छीने जाने को लेकर आशंकित न हो. लेकिन आज अव्वल तो किसी भी देश में नयी नौकरियां नहीं आ रहीं और पुरानी नौकरियों में भी करीब करीब 50 फीसदी खत्म हो गई हैं या हो रही हैं.

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हताश है दुनिया का मैन पावर हब

इस स्थिति में भारत जैसे देश के युवा हताश हैं; क्योंकि भारत को विश्व का ‘स्किल मैन पावर हब’ कहा जाता है. लेकिन अब यही हब बेरोजगारी के हब में न तब्दील हो जाए, इसको लेकर युवा बेहद डरे हुए हैं. कोरोना ने एक झटके में भारतीय युवाओं का सतरंगी भविष्य उनसे छीन लिया है. कोरोना के चलते युवा इस कदर हताशा और डिप्रेशन में चले गये हैं कि पिछले चार महीनों में युवाओं द्वारा की जाने वाली आत्महत्याओं में पांच से आठ फीसदी तक की बढ़ोत्तरी हो गई है. यही नहीं कोरोना से भले युवा आमतौर पर बचे हों लेकिन इसने जिस तरीके से युवाओं के भविष्य पर काली चादर तानी है, उस कारण आज बड़े पैमाने पर युवा तमाम लाइफस्टाइल बीमारियों की चपेट में आ गये हैं.

सेहत के संकट से घिरे युवा

बड़े पैमाने पर करीब 50 से 55 फीसदी तक कोरोनाकाल में युवाओं का ब्लड प्रेशर बढ़ गया है, इसकी पुष्टि दुनिया में हुए कई तरह के सर्वेक्षणों और युवाओं द्वारा की जाने वाली निराश करने वाली हरकतों से हो रही है. कोरोना के चलते बड़े पैमाने पर युवा अनिद्रा का शिकार हो गये हैं. भारत जैसे देश में पिछले चार महीनों में अनिद्रा और अर्धनिद्रा से लाखों युवा पीड़ित हुए हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पहले ही दुनियाभर के युवाओं पर सुरक्षित भविष्य के तनाव का जबरदस्त असर देखा था. नौकरी को लेकर असुरक्षा के चलते भारत में इन दिनों करीब 75 से 80 फीसदी युवक चिड़चिड़े हो गये हैं. यूं तो लाॅकडाउन के दौरान देश में अपराधों की संख्या नहीं बढ़ी, लेकिन अपराधियों में युवाओं की भागीदारी कोरोना के पहले के मुकाबले काफी ज्यादा बढ़ गई है.

अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी हैं युवा

ये तमाम आंकड़े चीख चीखकर आखिर हमसे क्या कह रहे है या कहने की कोशिश कर रहे हैं? ये तमाम आंकड़े, ये तमाम स्थितियां, हम सुन सकें तो चीख चीखकर कह रही हैं कि हमारे युआवों की हालत बहुत खराब है. यह सही बात है कि आज अर्थव्यवस्था में यूथ रीढ़ की हड्डी वाली भूमिका निभा रहा है, जिस कारण उसके खर्च, उसके रहन-सहन में आमूलचूल बदलाव हुए हैं. लेकिन इसकी वह भारी कीमत भी चुका रहा है. आप कहेंगे फल भी तो वही भारी कीमत भी चुका रहा है. कोरोना के चलते हुए ल\कडाउन के कारण देश में सबसे ज्यादा आमदनी युवाओं की घटी है और सबसे ज्यादा बोझ भी उन्हीं पर बढ़ा है. क्योंकि देश में करीब 56 फीसदी ईएमआई युवा भरते हैं. इसमें सबसे ज्यादा ईएमआई दुपहिया वाहनों की होती है. कोरोना के चलते लाॅकडाउन में चूंकि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौरपर करीब 60 फीसदी युवाओं की आय में घटोत्तरी हुई है, इसलिए ईएमआई का बोझ, भविष्य में इसे दे पाने की आशंका युवाओं के खाये डाल रही हैं.

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विश्व जनसंख्या के आंकड़ों के मुताबिक सन 2020 में भारत की औसत आयु 29 वर्ष होगी. जबकि ठीक इन्ही दिनों चीन की औसत उम्र 37, अमरीका की 45 और यूरोप तथा जापान की औसत आयु 48 वर्ष होगी. सन 2011 की जनगणना के जनसांखिक आंकड़ों के अनुसार भारत में 60 करोड़ 13 से 35 वर्ष की आयु के युवा हैं. इन आंकड़ो से स्पष्ट है कि भारत में कामकाजी व्यक्तियों कि संख्या दुनिया में सबसे अधिक है. पहले ये आंकड़े हमे खुश करते थे लेकिन अब यही आंकड़े हमें परेशान करते हैं क्योंकि इन आंकड़ों के पक्ष में बहुत सारी उपलब्धियां और कमाईयां आती थी, अब इन्हीं के पक्ष में आशंकाएं और निराशाएं आ रही हैं. इसलिए सिर्फ भारत को ही नहीं दुनिया के हर देश को पोस्ट कोरोनाकाल हेतु नयी सोच, नयी योजना और नये विश्वास सिर्फ युवाओं को ध्यान में रखकर लानी चाहिए.

Hyundai Grand i10 Nios: Exterior

हुंडई ग्रैंड आई 10 निओस  कि सबसे बड़ी खासियत है कि इस कार की डेलाइट बाकी अन्य कारों के मुकाबले लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती है.

यह जब जलती है तो अपने आस-पास बहुत सारे प्रकाश को फैला देती है. इससे आस-पास में भी उजाला छा जाता है. यह लाइट गाड़ी के खूबसूरती में चार चांद लगा देती है.

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वहीं अगर बात करें इस कार कि छत कि तो फ्लोटिंग रूफ है. जिसके आस-पास ब्लैक आउट सी पीलर लगा हुआ है.

इसके पहिए में डॉयमंड एलॉय लगा हुआ है जो जाम लगने में भी पहिए पर कोई असर नहीं होने देगा.

आप इस कार में बेठकर लंबे सफर पर जा सकते हैं आपको कोई जदिक्कत महसूस नहीं होगी.

नहीं रहे ‘शोले’ के सूरमा भोपाली, जब घर चलाने के लिए जगदीप को बेचनी पड़ी थी साबुन-कंघी

फिल्म ‘शोले’ के सूरमा भोपाली यानी जगदीप ऊर्फ सैयद इश्तियाक जाफरी दुनिया से रुखसत हो गए. इस के साथ ही बौलीवुड में कौमेडी के उस युग का भी अंत हो गया जिसे महमूद, राजेंद्रनाथ, जौनी वाकर, किश्टो मुखर्जी जैसे कलाकारों ने जिया था. बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट कैरियर की शुरुआत करने वाले जगदीप ने हिंदी सिनेमा में एक खास मुकाम बनाया है.

वे 81 साल के थे और बीमार चल रहे थे. लेकिन इस उम्र में भी जगदीप बेहद जिंदादिली से बीमारियों से जूझ रहे थे. आखिरकार 8 जुलाई को अपने पीछे 6 बच्चों और नातीपोतों से भरा परिवार छोड़ कर वे दुनिया से रुखसत हो गए.

शोले से मिली शोहरत

बौलीवुड के इस मशहूर हास्य कलाकार को फिल्म ‘शोले’ के सूरमा भोपाली से काफी पहचान मिली थी. वे भोजपुरी फिल्मों में भी काम कर चुके थे.

जगदीप अपने जमाने के बेहतरीन कौमेडियन रहे हैं. उन्होंने सूरमा भोपाली बन कर पहचान तो बनाई ही, साथ ही भोपाल शहर की बोली को भी मशहूर बना दिया था.

फिल्म इंडस्ट्री ने उन्हें पहले जगदीप नाम दिया और 1988 में आई फिल्म ‘सूरमा भोपाली’ ने उन्हें सूरमा बना दिया. लेकिन उन्हें पहचान मिली फिल्म ‘शोले’ से.

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मां की हालत देखी न गई

गौरतलब है कि उन के दोनों बेटे जावेद जाफरी और नावेद जाफरी भी फिल्म इंडस्ट्री में जानामाना नाम हैं.

मध्य प्रदेश के दतिया में 29 मार्च 1939 को पैदा हुए जगदीप का असली नाम सैयद इश्तियाक जाफरी था. वे जब काफी छोटे थे तभी उन के पिता का निधन हो गया. पिता की मौत के बाद परिवार पर मुसीबतों का पहाङ टूट पङा. मां अपने साथ जगदीप और बाकी बच्चों को ले कर मुंबई चली आईं और घर चलाने के लिए एक अनाथआश्रम में खाना बनाने लगीं.

तब जगदीप मां की यह हालत देख कर बेहद रोते थे. उन्होंने अपनी मां की मदद के लिए स्कूल छोड़ दिया और सड़कों पर साबुनकंघी और पतंगें बेचना शुरू कर दिया.

ताली बजाने से ले कर मुख्य रोल तक

इसी बीच बीआर चोपड़ा फिल्म  ‘अफसाना’ बना रहे थे और इस के एक सीन के लिए उन्हें चाइल्ड आर्टिस्ट की जरूरत थी. इस फिल्म  के सेट पर उन्हें सिर्फ ताली बजाने के ₹3 रुपए मिल रहे थे. यहीं से वे सैयद इश्तियाक से मास्टर मुन्ना बने और फिर अपने सिने कैरियर की शुरुआत की.

बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट उन्होंने कई फिल्मों में काम किया, लेकिन बिमल रौय की ‘दो बीघा जमीन’ से उन्हें खास पहचान मिली और फिर उन्होंने पीछे मुङ कर नहीं देखा.

फिल्म ‘शोले’ का सूरमा भोपाली के किरदार की कहानी भी बड़ी रोचक है.

सूरमा भोपाली का किरदार भोपाल के फौरेस्ट औफिसर नाहर सिंह पर आधारित था. भोपाल में अरसे तक रहे जावेद अख्तर ने नाहर सिंह के किस्से सुन रखे थे. इसलिए उन्होंने सलीम के साथ फिल्म ‘शोले’ लिखना शुरू किया और कौमेडी का पुट डालने के लिए नाहर सिंह से मिलताजुलता किरदार ‘सूरमा भोपाली’ तैयार कर दिया.

फिल्म रिलीज हुई और ‘सूरमा भोपाली’ मशहूर हो गए. 

फिल्म शोले में जयवीरू के साथ सूरमा भोपाली के मशहूर किरदार में जगदीप ने जबरदस्त अदाकारी दिखाई थी.

जब उन्होंने तीसरी शादी की

जगदीप ने 3 शादियां की थीं मगर तीसरी शादी को ले कर वे विवादों से घिर गए थे. दरअसल, जगदीप के दूसरे बेटे नावेद को देखने लड़की वाले आए थे, लेकिन नावेद ने शादी से मना कर दिया. नावेद उस वक्त अपना कैरियर बनाने में लगे थे. इस बीच जिस लड़की से नावेद की शादी होने वाली थी, उस की बहन पर जगदीप का दिल आ गया. उन्होंने लगे हाथ उन्हें प्रोपोज कर डाला और वे मान भी गईं.

उन की तीसरी पत्नी नाजिमा जगदीप से 33 साल छोटी हैं. मीडिया की सुर्खिया बनी इस शादी से पहली पत्नी से जगदीप के सब से बङे बेटे जावेद जाफरी काफी खफा हो गए थे. वहीं, जगदीप के पोते और जावेद जाफरी के बेटे मीजान जाफरी ने सबसे पहले संजय लीला भंसाली प्रसाद भट्ट और सहायक निदेशक फिल्म बाजीराव मस्तानी की थी. इसके बाद संजय लीला भंसाली ने मीजान जाफरी को अपने का मौका देते हुए अपनी फिल्म मलाल में अपनी भांजी शर्मिन सहगल के साथ हीरो बनाया था, मगर यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर असफल रही.

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जगदीप ने 400 से अधिक फिल्मों में काम किया था. ‘गलीगली चोर है’, ‘खूनी पंजा’, ‘हम पंछी एक डाल के’, ‘अंदाज अपना अपना’, ‘दो बीघा जमीन’, ‘आरपार’, ‘फूल और कांटे’ आदि उन की मशहूर फिल्में रही हैं.

जगदीप को लाइफ टाइम अचीवमैंट अवार्ड के साथसाथ कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया है.

जीवंत अदाकारी के लिए जगदीप को लंबे समय तक याद रखा जाएगा.

कंगना ने किया पूजा भट्ट पर पलटवार, भट्ट कैंप के लौंच करने वाले बयान पर कही ये बात

एक्टर सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) के सुसाइड मामले के बॉलीवुड में नेपोटिज्म पर बहस तेज हो गई है. बीते दिनों महेश भट्ट ने सुशांत की तुलना परवीन बाबी से करने के बाद एक्ट्रेस कंगना ने उन्हें खूब सुनाया था, जिसके बाद अब महेश भट्ट की बेटी पूजा भट्ट (Pooja Bhatt) ने नेपोटिज्म (Nepotism) पर बड़ा बयान देती नजर आई हैं, जिस पर कंगना का रिएक्शन भी देखने को मिला है. आइए आपको बताते हैं सोशलमीडिया पर पूजा भट्ट के नेपोटिज्म पर बयान और कंगना का पलटवार…

ट्विवटर पर लिखी ये बात

सड़क 2 एक्ट्रेस पूजा भट्ट ने एक के बाद एक ट्वीट कर नेपोटिज्म के मुद्दे पर खुलकर अपनी राय रखते हुए लिखा कि ‘हॉट टॉपिक नेपोटिज्म पर अपना बयान मुझे जारी करने के लिए कहा गया है. इस विषय को लेकर इस समय कई लोग गुस्से में हैं. एक ऐसे व्यक्ति के रूप में, भट्ट कैंप एक ऐसे ‘परिवार’ है जिसने पूरे फिल्म उद्योग की तुलना में अधिक नए प्रतिभा-अभिनेताओं, म्यूजिशन और टैक्नीशंस को लॉन्च किया है. मैं सिर्फ इस पर हंस सकती हूं और उसकी कल्पना कर सकती हूं.‘

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कंगना को लेकर कही ये बात

पूजा भट्ट ने अपने अलग ट्वीट में कहा ‘एक समय था जब भट्ट कैंप ने कई लोगों को मौका दिया और अब वहीं स्थापित लोग उनके खिलाफ आरोप लगा रहे है. उन्हें सितारों के पीछे ना भागने के लिए हीन महसूस कराया जाता था. अब वहीं लोग नेपोटिज्म कार्ड खेलते हैं? गूगल और ट्वीट करने वाले ये लोग यह सोचते भी नहीं.‘ कंगना रनौत के बारे में बात करते हुए पूजा भट्ट ने आगे कहा ‘ग्रेट टैलेंट कंगना को विशेष फिल्म ने ‘गैंगस्टर’ (Gangster) फिल्म के जरिए लॉन्च किया उन्हें मौका दिया. यह कोई छोटा करतब नहीं था. मैं उन्हें उसके सभी प्रयासों के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देना चाहती हूं. लेकिन वहीं भट्ट कैंप पर नेपोटिजम का आरोप लगा रही हैं.’

उन्हें विशेष फिल्म्स ने ‘गैंगस्टर’ (Gangster) फिल्म के जरिए लॉन्च नहीं किया जाता तो अनुराग बसु ने उन्हें खोज लिया. लेकिन विशेष फिल्म ने उनका समर्थन किया और फिल्म में निवेश किया. यह कोई छोटा करतब नहीं था. मैं उन्हें उसके सभी प्रयासों के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देना चाहती हूं.‘

नेपोटिज्म को लेकर कही ये बात

अदाकार पूजा ने अपने अगले ट्वीट में लिखा ‘तो ये ‘नेपोटिज्म’ शब्द से किसी और को जलील करने की कोशिश करो दोस्तों. लेकिन जिन लोगों ने दशकों से हमारे द्वारा प्रदान की गई स्प्रिंगबोर्ड के माध्यम से फिल्मों में अपना रास्ता खोज लिया है, वे जानते हैं कि हम क्या चाहते हैं. और अगर वे भूल गए हैं, तो यह उनकी ट्रेजडी है. हमारा नहीं!’

कंगना ने किया पलटवार

पूजा भट्ट के आरोपों का जवाब देते हुए कंगना रनौत ने लिखा कि प्रिय @ PoojaB1972 , # अनुराग बाबू के कंगना की प्रतिभा को देखने के लिए उत्सुकता थी, हर कोई जानता है कि मुकेश भट्ट को कलाकारों का भुगतान करना पसंद नहीं है, प्रतिभाशाली लोगों को मुफ्त में पाना एक एहसान है. कई स्टूडियो खुद पर करते हैं लेकिन यह आपके पिता को चप्पल फेंकने का लाइसेंस नहीं देता है. वहीं अगले ट्वीट में कंगना ने सुशांत को लेकर सवाल उठाते हुए कहा, उसे पागल कहो और उसे अपमानित करो. उन्होंने मेरे “दुखद अंत” की भी घोषणा की, इसके अलावा सुशांत सिंह राजपूत और रिया के रिश्ते में उन्होंने क्यों कहा? और उसके अंत की घोषणा भी क्यों की, कुछ सवाल आपको उनसे पूछना चाहिए.

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फिल्म के सवाल पर कही ये बात

आपकी जानकारी के लिए बता दें गैंगस्टर के साथ-साथ कंगना ने पोखरी के लिए भी ऑडिशन दिया था और उसी के लिए चुनी भी गई. पोखरी ऑल टाइम ब्लॉकबस्टर बन गई, इसलिए आपकी सोच कि गैंगस्टर की वजह से वह कौन है, पूरी तरह से काम नहीं कर रही है. पानी अपना स्तर पा ही लेता है.

 

शादी रे शादी, तेरे कितने रूप

शादी 2 लोगों के बीच सामाजिक एकता या वैधानिक संधि है. इस का आधार पे्रम व विश्वास माना जाता है. शादी करने के पीछे कानूनी, सामाजिक, भावानात्मक, आर्थिक, धार्मिक आदि कई कारण माने जाते हैं. प्रत्येक संस्कृ ति, देश, राज्य में अलगअलग तौरतरीकों से शादियां होती हैं. शादी स्वयं में एक संस्था कहलाती है और समाज में शादी को आवश्यक भी माना जाता है. समय बदलने के साथसाथ जहां दुनिया भर के लोगों के रहनसहन में बदलाव आए हैं, वहीं उन के विचारों में भी परिवर्तन आए हैं. आज अनेक लोग शादी नामक संस्था से सहमत नहीं हैं और इसलिए वे इसे एक नया और ज्यादा अनुकूल आकार देने के लिए तत्पर रहते हैं.

पहले शादी का अर्थ किसी भी हाल में अपनी एक ही पत्नी या एक ही पति का साथ निभाना ही होता था, लेकिन आज शादी के रिश्ते में उतारचढ़ाव आते ही इस रिश्ते को तोड़ दिया जाता है. आज लोग शादी को उम्र भर का बंधन भी नहीं बनाना चाहते. कई बार तो वे शादी के रिश्ते में बंधना ही पसंद नहीं करते. लिव इन रिलेशनशिप इसी बात की गवाही देता है कि हम अपनी शारीरिक जरूरतें तो पूरी करना चाहते हैं लेकिन शादी कर के किसी के साथ उम्र भर बंधने को तैयार नहीं हैं. यही वजह है कि ऐसे नए रिश्तों की शुरुआत हो चुकी है. लेकिन फिर भी इन रिश्तों को अभी वैधानिक रूप से उचित नहीं माना जाता.

होमोसेक्सुअल रिलेशनशिप में इस बात के बंधन से मुक्ति मिल गई है कि आप को अपने विपरीत लिंग के साथ ही शारीरिक संबंध बनाने हैं. इस बात की आजादी पर अब कानून की मुहर भी लग चुकी है. रिश्तों को ले कर एकदम इतना ज्यादा बदलाव पहले कभी देखने में नहीं आया. पहले ऐसा होता था पर छिपतेछिपाते. आज इन रिश्तों को डंके की चोट पर बनाया जाता है.

जहां तक शादी का सवाल है तो ऐसे लोगों की कमी नहीं, जो थोड़े समय के लिए शादी करना चाहते हैं. लोगों की जरूरतों के कारण ही आज समाज में कई तरह की शादियों का चलन बढ़ा है. कई लेखकों ने कौंटे्रक्चुअल मैरिज (यह शादी एक समय सीमा पर समाप्त हो जाने वाले कौंट्रेक्ट पर आधारित होती है), प्रिमिसिव मैरिज (इस शादी में एक्स्ट्रा मैरिटल संबंध रखने की आजादी होती है), क्वार्टनरी मैरिज (इस में 2 शादीशुदा जोड़े और उन के बच्चे साथसाथ रहते हैं) आदि शादियों की सिफारिश की है. इन अरेंजमेंट्स को पारंपरिक शादियों की तुलना, जिन में शादियां टूटने की कल्पना अधिक होती है, के मुकाबले ज्यादा टिकाऊ माना जाता रहा है. फिर भी सचाई यह है कि कुछ लोगों को लगता है कि इन प्रोपोजल्स में भी नया कुछ नहीं है. वास्तव में देखा जाए तो फ्यूचर में जिस तरह की नई शादियों को करने की वकालत की जाती है वह सब कहीं न कहीं पहले से ही अस्तित्व में रहे हैं.

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आज समाज में जिस तरह की शादियां होती हैं उन में एक सराहनीय बात यह होती है कि पतिपत्नी साथसाथ जीवन शुरू करते हैं और अपनी आने वाली पीढ़ी की देखरेख स्वयं करते हैं. यह एक ऐसी स्थिति है, जिस में दोनों पार्टनर आपस में पूरी तरह समर्पित होते हैं. इन सब को देखते हुए शादी की संस्था में कुछ लचीलापन लाने की जरूरत महसूस होती रही है. इस सब के मद्देनजर भविष्य में शादी के संबंध में और ज्यादा विकास आ सकता है. नौन मैरिटल सेक्सुअल रिलेशनशिप के खिलाफ कानून में बदलाव आएगा. शादी पूरी तरह एक व्यक्तिगत विचार व मामला होगा. इस से व्यक्ति के पास ज्यादा विकल्प होंगे.

ग्रुप मैरिज

ग्रुप मैरिज आने वाले समय में प्रचलित हो सकती है. जब समाज में सैक्सुअल समानता स्थापित होगी तब ग्रुप मैरिज पौपुलर होगी. इस में कई पतियों की शादियां कई पत्नियों व कई पत्नियों की शादियां कई पतियों से होती हैं. इस में वे एकदूसरे के साथ संबंध बनाने के लिए आजाद होते हैं. लचीलेपन के कारण उस में आपसी संबंध सहमति पर आधारित हो सकते हैं.

ओपन मैरिज

इस तरह की शादी में दोनों पार्टनर आपस में प्रेम करते हैं और साथसाथ रहना चाहते हैं. लेकिन उन की तरफ से एकदूसरे को यह छूट रहती है कि वे किसी अन्य के साथ शारीरिक संबंध बना सकते हैं. यही नहीं, वे अपने संबंध एक से अधिक के साथ भी बनाने के लिए स्वतंत्र रहेंगे. यदि एड्स या गर्भवती न होने की गारंटी रहेगी तो यह सरलता से चल सकेगा.

टैंपरेरी मैरिज

टैंपरेरी मैरिज जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि यह शादी कुछ समय के लिए ही होती है. यह भी कौंट्रेक्ट के आधार पर कुछ माह व सालों के लिए की जाती है. ओल्ड जापान में इस तरह की शादियां संभव थीं, जो 5 या अधिक वर्षों के लिए की जाती थीं. 19 वीं शताब्दी में जरमन लेखक गाथे ने अपने एक उपन्यास में 5 वर्ष के कौंट्रेक्ट के आधार पर की गई शादी का वर्णन किया है.

अगर दोनों पार्टनर एकदूसरे के साथ खुश हैं तो यह शादी अधिक समय तक बनी रहती है. यूरोपीय देशों में कुछ ही वर्षों में कई पार्टनर्स के साथ शादी और बाद में तलाक हो जाता है. कानूनी रूप से जिस तारीख को कौंट्रेक्ट समाप्त हो रहा है उस दिन शादी के इस एग्रीमेंट को पुन: रिन्यू कराना आवश्यक होता है अगर आप ने ऐसा नहीं कराया तो यह कौंट्रेक्ट टूट जाता है. चूंकि लोग अब दूसरे देशों में जा कर नौकरियां कर रहे हैं और यह आगे बढ़ेगा, तब टेंपरेरी शादियों का चलन भी बढ़ेगा.

ट्रायल मैरिज

यूरोप के इतिहास में किसान अपने बच्चों को इस बात की स्वतंत्रता देते थे कि वे अपना मनपसंद पार्टनर पाने के लिए शादी से पहले किसी के साथ शारीरिक संबंध बनाने का अनुभव प्राप्त कर लें. उन के मातापिता इसे एक गंभीर मामला मानते थे. इस तरह की शादियों के पीछे यही उद्देश्य रहता था कि यदि रिश्ता ठीक न चला तो तलाक के झंझटों से बचा जा सके और एकदूसरे से आसानी से अलग हुआ जा सके. एक ट्रायल मैरिज टैंपरेरी मैरिज की तरह ही होती है. आज भी समाज में युवा एक प्राइवेट इनफौर्मल एग्रीमेंट कर के आपस में साथसाथ रहते हैं और इस के बाद जब एकदूसरे को अच्छी तरह समझ लेते हैं तब  शादी कर लेते हैं.

इंडीविजुअल मैरिज

इस शादी में 2 पार्टनर तब तक साथ रहते हैं जब तक वे चाहते हैं. लेकिन उन्हें बच्चे पैदा करने का अधिकार नहीं होता. इस के बाद जब पतिपत्नी बच्चों की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हो जाते हैं तो ‘पैरेंटल मैरिज’ होती है.

होमोसेक्सुअल मैरिज

हाल ही में इस तरह के संबंध को ले कर काफी चर्चा सुनने को मिली. 2 होमोसेक्सुअल अब आपस में विवाह के लिए स्वतंत्र हैं. इस से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे दोनों स्त्रियां हैं या दोनों पुरु ष.

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लिव इन रिलेशनशिप

आज लिव इन रिलेशनशिप जैसे रिश्ते खूब बन रहे हैं. बिना शादी के 2 लोग साथ में पतिपत्नी जैसे रहते हैं और जब मन भर जाए तो अपनेअपने रास्ते हो लेते हैं. इस में किसी को किसी से कोई शिकायत नहीं होती और न ही कोई किसी पर जबरदस्ती दबाव बना सकता है. जहां आज इस तरह के रिश्तों को काफी जगह दी जा रही है वहीं आने वाले समय में लोग शादी और तलाक जैसे झंझटों में उलझनों के बजाय लिव इन रिलेशन बनाना पसंद करेंगे.

 

कलाकारों की जिंदगी अब सुधर गयी है – तृप्ति डिमरी 

फिल्म ‘बुलबुल’ में बंगाल के जमींदार पत्नी की भूमिका निभाकर चर्चित होने वाली अभिनेत्री तृप्ति डिमरी उत्तराखंड की है, लेकिन उसकी पढाई दिल्ली में हुई. उसे बचपन से अभिनय पसंद था. मॉडलिंग से उसने अपने कैरियर की शुरुआत की और फिल्मों में आई. लॉक डाउन में तृप्ति ने खाना बनाना,  फिल्में देखना, किताबें पढना आदि किया है और अपने परिवार के साथ समय बिता रही है. स्वभाव से नम्र और हंसमुख तृप्ति आज ओटीटी प्लेटफार्म पर अपनी फिल्म की वजह से पोपुलर हो चुकी है. वह आजकल डिजिटल पर प्रसंशकों की तारीफे पढ़ती है और खुश होती है. गृहशोभा के लिए उसने ख़ास बात की पेश है कुछ अंश.

सवाल-‘बुलबुल’ फिल्म इतनी सफल होगी, क्या आपने सोचा था ?

ये फिल्म इतनी सफल होगी मुझे पता नहीं था. मुझे ख़ुशी इस बात से हो रही है कि लोग हमारी बात को समझ रहे है, जो हमने उस फिल्म के ज़रिये कहने की कोशिश की है. इसमें सबके काम की तारीफ की जा रही है. शुरू में कहानी रूचिकर लगी थी, ये सोचकर हाँ कर दी थी. 

सवाल-महिलाओं की भावनाओं की कद्र आज भी नहीं की जाती, इसकी वजह क्या मानती है?

मेरे हिसाब से ये परिवार से ही शुरू होता है. महिलाओं को सम्मान देने और उनकी भावनाओं को कद्र देने की सीख उनके माता-पिता ही दे सकते है. मेरे परिवार में मेरे पेरेंट्स ने बचपन से समान अवसर दिया है. अगर भाई बाहर जा सकता है तो मैं भी बाहर जा सकती हूं. बराबरी की ये आदत बचपन से ही बच्चे को घर में दी जानी चाहिए. लिंग भेद उनमें नहीं आनी चाहिए, क्योंकि बचपन की सीख ही उन्हें एक अच्छा इंसान बनाती है, ऐसा होने पर हर घर में समस्या आधी हो जाएगी. 

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सवाल-इस फिल्म में जमींदार की पत्नी की भूमिका निभाने के लिए कितनी तैयारियां की?

निर्देशक अन्विता दत्त के साथ काम करते हुए ही सब कुछ सीखा है, उन्होंने पहले ही कह दिया था कि अभिनय आसान नहीं है. मेरे पास तैयारी के लिए दो महीने थे. उस समय मैंने निर्देशक के साथ मिलकर चरित्र को समझने की कोशिश की. इसमें मेरी दो भूमिका है, ,जिसमें जमींदारिन की भूमिका निभाना मेरे लिए कठिन था, क्योंकि उस किरदार से मैं काफी दूर हूं. वह चरित्र काफी संभला हुआ स्थिर चरित्र है. मेहनत अधिक करनी पड़ी. किरदार की तरह बोलना, सोचना, चलना आदि सीखा और उस चरित्र को आत्मसात किया. 

सवाल-अभिनय में आना एक इत्तफाक था या बचपन से ही सोचा था?

हर इन्सान के अंदर अभिनय करने की इच्छा होती है. मेरे अंदर भी थी, पर बड़े पर्दे पर कर पाऊँगी सोचा नहीं था, क्योंकि पूरे परिवार से कोई भी फिल्म इंडस्ट्री में नहीं था. मन था पर सोचा नहीं था. तैयारी भी नहीं किया. मेरे भाई के एक दोस्त ने मेरी फोटोग्राफी की. मेरी तस्वीर उसने कई एजेंसियों में भेज दी. मैं चुन ली गयी और धीरे-धीरे मॉडल और अब एक्टर बनी. मैं सही समय पर सही जगह पहुँच जाती थी और चीजें होती जाती थी. पोस्टर बॉयज के समय मुझे एक्टिंग नहीं आती थी और मैं कुछ अलग करने की कोशिश कर रही थी. मैने फिल्म किया, लेकिन लैला मजनू के समय मैने एक्टिंग क्लासेस लिया और एक्टिंग से मुझे प्यार हो गया. 

सवाल-परिवार का सहयोग कितना था?

परिवार का सहयोग पहले नहीं था, क्योंकि उन्हें लगता था कि अकेली लड़की मुंबई जाकर कैसे रहेगी. वे डरे हुए थे. फिल्म पोस्टर बॉयज को देखने के बाद उन्हें लगा कि लड़की सही दिशा में जा रही है. वे कभी नहीं चाहते थे कि मैं इस इंडस्ट्री में आकर संघर्ष करूँ और अपना समय बर्बाद करूँ, पर आज वे खुश है. मुझसे अधिक उत्साहित वे मेरे किसी भी फिल्म के लिए रहते है. 

सवाल-लॉक डाउन का फायदा ओटीटी प्लेटफॉर्म को मिला है, कलाकारों को कितना फायदा हुआ है?

आज कलाकार को फायदा अधिक है, क्योंकि ओ टी टी की वजह से आधे से अधिक कलाकारों की जिंदगी सुधर गयी है. शुरू में मैं जब मुंबई आई थी और लोगों से मिलती थी तो लोग कहते थे कि काम यहाँ नहीं है, पर अब सब व्यस्त है. काम अब अधिक हो रहा है. सबको काम मिल रहा है. कलाकारों को एक्स्प्लोर करने का अधिक मौका मिल रहा है. सिनेमा हॉल का मज़ा अलग है, उसके खुलने का इंतज़ार है, क्योंकि हर कलाकार अपने आप को बड़े पर्दे पर देखना चाहता है. लॉक डाउन  में डिजिटल प्लेटफॉर्म होने की वजह से लोगों को मनोरंजन मिल रहा है. नहीं तो मुश्किलें और अधिक होती. 

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सवाल-डिजिटल पर सर्टिफिकेशन नहीं होती, ऐसे में निर्माता, निर्देशक की जिम्मेदारी कितनी होती है कि वे ऐसे फिल्म बनांये, जिसे परिवार के सभी देख सके?

आज़ादी होने पर कुछ भी बना देना सही नहीं. स्टोरी पर फोकस करने की जरुरत है. बिना जरुरत के कुछ भी दिखा देना सही नहीं.  मेरी फिल्म में भी काफी इंटिमेट सीन्स है, जिसके लिए काफी लोगों ने मुझे कहा भी है कि ये दृश्य देखना उनके लिए कठिन था,पर स्टोरी के वह जरुरी था, क्योंकि उसके बाद लड़की की जिंदगी बदल जाती है. जिसके बाद से वह ठान लेती है कि वह किसी को अपने उपर हुक्म चलाने नहीं देगी. हमारे समाज में घटित फैक्ट को दिखाने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए.

 

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🌸Growing up, I was extremely different from the character I play in Bulbbul. I was not an extrovert at all! She’s curious and excitable and I was the opposite of it. I was very shy and I never felt comfortable participating in school functions and activities. I even hated getting doubts cleared in class because I didn’t like having all those eyes on me. Something changed when I got to college. I realised it’s time I take to the stage and face the world. I became more involved in college activities and even joined a modelling agency, which turned out to be the door that opened these opportunities for me. I remember putting off giving my first audition because the thought of facing the camera terrified me. Surprisingly, I did well and I got selected, which led to my debut movie ‘Poster Boys’. From being uncomfortable with so many eyes on me to now feeling at home on a set, I’ve come a long way. I am here because I chose to fight my fear and get out of my comfort zone. I chose to trust myself and stopped listening to my insecurities. I’m still nervous in new situations, I still fumble but I now know you can always overcome those fears and give it your all. Remember, fear is just a feeling and no feeling is permanent. Fight it even if you fail. You can always get back up and try again. I’m glad I chose to fight. #Bulbbul @netflix_in @officialcsfilms @anushkasharma @kans26 @anvita_dee @avinashtiwary15 @rahulbose7 @paoli_dam @parambratachattopadhyay @manojmittra @saurabhma @an5hai @siddharthdiwan @itsamittrivedi @rameshwar_s_bhagat @lifaafa_ @veerakapuree @anishjohn83 @rod__sunil @hingoraniharry @keitanyadav @redchillies.vfx @redchillies.color @kyana.emmot @castingbay @ruchi.mahajan1 @buddhadevvarun

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सवाल-फिल्मों में अन्तरंग दृश्य करने में आप कितनी सहज होती है? 

अगर कोई दृश्य फिल्म के लिए जरुरत है तो उसे करने में कोई समस्या नहीं. दर्शकों के मनोरंजन के लिहाज से डाले गए अन्तरंग दृश्य करने में सहज नहीं. 

सवाल-गृहशोभा के ज़रिये क्या मेसेज देना चाहती है?

मेरे हिसाब से ये बहुत अच्छा समय है, क्योंकि पहली बार लॉक डाउन की वजह से सारे परिवार साथ में मिलकर काम कर रहे है. जितना हो सके इस समय को हंसते-हँसते अपने परिवार के साथ बिताएं. ये मौका बार-बार नहीं मिलेगा. अभी बाहर बहुत समस्या है. लोगों को दो वक़्त पेट भर खाना मिलना मुश्किल हो रहा है, ऐसे में अगर मुझे वह मिल रहा है तो हम लकी है. खुश रहिये. 

जानें किस फेस शेप के लिए कौन से Glasses हैं परफेक्ट, कहीं आप भी तो नहीं कर रहे ये गलती

आजकल के दौर में, बढ़ते Pollution और असंतुलित खान पान के कारन जहाँ एक तरह व्यक्ति को पूरा पोषण नहीं मिल पाता. वहीं दूसरी तरफ इस Covid -19 माहामारी के कारन अब Maximum काम कम्प्यूटर के द्वारा किया जाता है, जिससे आपकी आँखों पर बहुत जोर पड़ता है. जिसके कारण आपकी आंखे बहुत कमजोर हो जाती है. जिसके लिए या तो आपको Glasses पहनना होता है या लेंस .
और अगर आप सोचते हैं की आपकी आँखों पर Glasses चढ़ने से आपका लुक खराब हो जायेगा तो इस सोच से बाहर आइये .इसको मजबूरी न समझकर एक सुपर कूल Accessary समझिये.

ज़रा इस बात पर गौर करिये की आप अपने आपको स्टाइलिश दिखाने के लिए अपनी बॉडी पर काफी कुछ नया Try कर सकते हैं पर आप अपनी शक्ल पर सिर्फ एक ही चीज़ पहन सकते हैं और वो है Glasses या Sunglasses. Glasses दुनिया का एक ऐसा जादुई Accessary है जो आपके फेस शेप से लेकर आपके visual appearance को पूरी तरह बदल सकता है, बशर्ते आप अपने फेस शेप के हिसाब से सही glasses पहने तो. अगर आप थोड़ी सूझबूझ के साथ अपने लिए Glasses लेंगे तो न सिर्फ आपको कंफर्ट पूरा मिलेगा बल्कि आप और भी अधिक स्टाइलिश और स्मार्ट लगेंगे.

कई बार जब हम Glasses खरीदने शोरूम जाते है तो डिस्प्ले में रखे चश्मों में से कुछ के फ्रेम और कलर्स देखकर उन पर इतना फ़िदा हो जाते हैं कि तुरंत decide कर लेते हैं की हमें कौन सा Glasses खरीदना है. यानी हमारे लिए चश्मे(Glasses ) का चुनाव एक तरह की त्वरित प्रक्रिया होती है. इसके बाद जब घर आते हैं, तो आइना देख कर पता चलता है , ये तो हम पर बिल्कुल भी सूट नहीं कर रहे.
ऐसा इसीलिए होता है, क्योंकि हर चश्मे(Glasses ) को अलग-अलग फ़ेसकट को ध्यान में रखकर बनाया जाता है. और ज़्यादातर लोगों को इस बात का अंदाज़ा ही नहीं होता कि उन पर कौन सा glasses सूट करेगा.
इसलिए इस बात का ख़ास ध्यान रखें की आपके चश्मे(Glasses ) का फ्रेम सही हो. इससे आप अपने चश्मिश लुक के बावजूद ग्लैमरस और फैशनेबल लग सकते हैं.

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इसलिए आज हम आपके लिए लेकर आए हैं कुछ टिप्स जो आपके चेहरे की शेप के अनुसार बताएँगे की आपको किस फ्रेम का Glasses लेना चाहिए-.

गोलाकार चेहरा-

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अगर आपके चेहरे का आकार ऐश्वर्या राय या प्रीति जिंटा जैसा है तो इसका मतलब आपके चेहरे का आकार गोल है. इस तरह का चेहरा हमेशा भरा–भरा लगता है.
जिन लोगों का चेहरा गोल आकार का है उन्हें सिर्फ एक बात पर ध्यान देना है की वो कभी गोल आकार के या सर्कुलर Glasses न पहने क्योंकि राउंड या सर्कुलर Glasses आपके चेहरे को और ज्यादा राउंड और गोल मटोल Appearance देगा.
रेक्टेंगुलर फ्रेम्स या स्क्वायर फ्रेम्स आपके फेस को काफी सूट करेंगे. ये आपके राउंड फेस शेप में एक Structure ऐड करेगा और आपके सॉफ्ट फीचर्स को शार्प करके लुक को बैलेंस करेगा. एक चीज़ और आप रेक्टेंगुलर फ्रेम्स में ऐसे डिज़ाइन चुन सकते है जो पतले और चीकबोन्स के ऊपर हो. ये आपके चेहरे को परफेक्ट लुक देने में मदद करते है. आप कलर्ड फ्रेम्स भी चुन सकते है.

ओवल आकर

katrina

अगर आपका माथा और चिन दोनों चौड़े हैं और आपके चेहरे का आकार बॉलीवड एक्ट्रेस कटरीना कैफ जैसा है.इसका मतलब आपका चेहरा अंडाकार है यानी ओवल शेप का .
अगर आपका चेहरा ओवल आकर यानी अंडाकार है तो आपको सिर्फ दो बातों पर ध्यान देना है.पहली की आप पूरी तरह से square या rectangular Glasses न पहने और दूसरी की आप पूरी तरह से राउंड या सिचुलर Glasses न पहने. आप वो Glasses पहने जो इन राउंड और rectangular को मिला कर बनायीं गयी है.जिसमे थोडा structure भी हो ,dimension भी हो और थोडा सॉफ्ट और सर्कुलर टच भी हो. ओवल शेप के लिए फ्रेम चुनते वक्त ध्यान रखें की चश्मे (Glasses ) का फ्रेम बहुत पतला भी न हो और बहुत मोटा भी नहीं.

चौकोर आकार –

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जिनके फेस पर काफी थिक structure हैं या जिनका फेस रेक्टेंगल की तरह है और जिनकी काफी सख्त और तीखी jawline है यानी आपके चेहरे का आकार अनुष्का शर्मा जैसा है. तो आपको भी सिर्फ एक ही चीज़ पर ध्यान देने की जरूरत है और वो ये है की आप अपने स्क्वायर और structural फेस के मुताबिक rectangular ,square और structural glasses न पहने. इस फेस शेप वाले राउंड और सर्कुलर glasses पहन सकते है जो आपके फेस में थोडा सॉफ्ट टच ऐड करेंगे. चेहरे को सॉफ़्ट दिखाने के लिए Narrow फ़्रेम स्टाइल. यानि, ऐसा फ़्रेम जिसकी चौड़ाई गहराई से अधिक हो, वो लें.
इस चेहरे पर थोड़े वर्क, डिजाइन और कंट्रास्ट वाले चश्मे(glasses) अच्छे लगेंगे. कोशिश करें कि चश्मे(glasses) का ब्रिज अधिक लंबा न हो.

लम्बा आकार

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अगर आपके माथे और जबड़े की चौड़ाई समान है और आपके चेहरे का आकार बॉलीवुड एक्ट्रेस कीर्ती सेनन जैसा है ,तो इसका मतलब आपका चेहरा लंबा है.
अगर आपका चेहरा इस शेप का है तो आप ओवर साइज फ्रेम चुन सकते है. विशेषकर वे, जो आपके फेस से अधिक चौड़े है. बहुत अधिक छोटे और नैरो फ्रेम्स न ले क्योंकि ये आपके फेस की लम्बाई को और अधिक बढाने का काम करेंगे.

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हार्ट शेप

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अगर आपके चेहरे का आकार दीपिका पादुकोण जैसा है यानी दिल के आकार का.
ऐसे फेस शेप वाले लोगों पर रेक्टेंगुलर, ओवल या राउंड शेप फ़्रेम के चश्में अच्छे लगेंगे. इसके साथ ही आपको ये ध्यान रखना पड़ेगा कि चश्मे(glasses) का फ़्रेम ऊपर के बजाए नीचे से अधिक चौड़ा हो. इससे चेहरा बैलेंस रहता है . दिल के आकार वाले लोगों के लिए कैट आई फ्रेम भी बहुत बढि़या है. इन्हें ऐविएटर खरीदने से बचना चाहिए, क्योंकि यह उन के चेहरे के आकार को बिगाड़ सकता है.और एक चीज़ आप अपने फ़्रेम का कलर लाइट ही चुनें.

डायमंड शेप-

kareena

बॉलीवुड एक्ट्रेस करीना कपूर की तरह अगर आपका फेस शेप है तो आप डायमंड फेस शेप वाली हैं.
ऐसे चेहरे वालों का फेस ऊपर से काफी पतला होता है इसीलिए आपको ऐसे फ्रेम का चुनाव करना चाहिए जो आपकी आँखों की ओर ध्यान आकर्षित करें. और ऊपर के हिस्से में चौड़ाई ऐड करे.
आंखों को हाईलाइट और चीकबोन्स को सॉफ़्ट दिखाने के लिए आप सेमि-rimless, rimless, ओवल, राउंड फ्रेम ट्राई कर सकते है. इसके अलावा आप कैट आई फ्रे़म भी ले सकते हैं. आप टॉप हैवी फ्रेम चुन सकते है. ये आपके लिए बेस्ट ऑप्शन है.

फ्रेम चुनते वक्त रखें ध्यान

फ्रेम चुनते वक्त ध्यान रखें कि फ्रेम का साइज़ आपकी chickbones तक ही हो अगर glasses आपकी chickbones इ बड़े होंगे तो वो आपके शक्ल पर बहुत बड़े नज़र आयेंगे और अगर glasses आपकी chickbones से छोटे होंगे तो वो बहुत छोटे नजर आयेंगे.
अगर आप अपनी आंखों की पुतली यानी eyeball के रंग से मिलता फ्रेम लेते हैं तो यह आपके ऊपर और भी जंचेगा.

बालों के रंग का भी है महत्व

चश्मे(glasses) का रंग अगर आपके बालों को कांप्लिमेंट करता है तो आप यकीनन स्टाइलिश लगेंगे. अगर आपके बाल काले या गाढ़े भूरे हैं तो आप डार्क शेड्स, बोल्ड कलर्स और एक से अधिक शेड्स के कांबिनेशन वाले चश्में पहन सकते हैं. अगर आपके बाल हल्के भूरे रंग के हैं तो मेटल या पेस्टल शेड्स के लाइट फ्रेम आप पर अधिक जचेंगे.

Beauty Tips: 60 सैकेंड स्किन क्लिंजिंग रूल

1 मिनट तक अपने मुंह को धोना 60 सैकेंड रूल के नाम से जाना जाता है. यह आज कल बहुत प्रसिद्ध है और बहुत सी लडकियां व महिलाएं इसे ट्राई कर रही हैं. हम में से कुछ लडकियां या महिलाएं एक परफैक्ट या दाग धब्बे रहित स्किन के साथ पैदा नहीं होती हैं. किसी की स्किन बहुत ज्यादा औइली हो जाती है जिस से पिम्पलस की समस्या होती है. तो ऐसी समस्याओं के साथ हम किसी ऐसे उपाय की खोज में रहती हैं जिस से हमारी स्किन पहले से बेहतर हो जाए. आजकल 60 सैकेंड रूल इंटरनेट पर ट्रेंडिंग में है और हर कोई इसे ट्राई कर रहा है. आप को भी एक परफैक्ट स्किन के लिए इसे जरूर ट्राई करना चाहिए.

क्या है 60 सैकेंड रूल

आप को हमेशा अपना फेस एक मिनट तक अच्छे से धोना चाहिए. जब हम मेक अप अप्लाई करते हैं तो मेक अप के साथ साथ उस में डर्ट, गंदगी व तेलीय पदार्थ जमा हो जाते हैं जिन्हें अच्छे से साफ करना बहुत जरूरी होता है.

60 सैकेंड तक मुंह धोने से न केवल आप अपना मेक अप व डर्ट अच्छे से रीमूव कर पाएंगी बल्कि आप अपनी स्किन की तरफ भी ध्यान देंगी. आप अपने नाक के कोनों को, अपनी चिन के नीचे व हेयर लाइन के आस पास के एरिया को अच्छे से क्लीन करें. यह तकनीक आप को बहुत ही बेसिक प्रतीत होगी क्योंकि यह है भी बहुत बेसिक लेकिन आप की स्किन के लिए यह वरदान साबित हो सकती है.

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क्लिंज़र का इस्तेमाल

इस से आप की स्किन का टैक्श्चर साॅफ्ट होगा, पिम्पलस ठीक हो जाएंगे व एक तरह का निखार आएगा. मुंह धोने के लिए आप अपने किसी भी फेवरेट क्लिंज़र का इस्तेमाल कर सकती हैं. जो आप की स्किन को सूट करता हो. इसे अपनी उंगलियों की टिप्स की सहायता से अपने मुंह पर अप्लाई करें व मुंह को अच्छे से धोएं.

आप चाहें तो डबल क्लिंजिंग भी कर सकती हैं. उस के लिए आप को 30 सैकेंड के लिए पहले औइल क्लिंजर से मुंह साफ करना पड़ेगा. ताकि मेक अप व  गंदगी, स्किन से निकल जाए. व उस के बाद 30 सैकेंड तक दोबारा क्लिंज़र की सहायता से मुंह धोलें.

यदि आप हर रात इस तकनीक से अपना मुंह 60 सैकेंड के लिए धोती हैं तो आप को रिज्लट एक महीने में ही देखने को मिल जायेगागा. आप इस को रोजाना ट्राई करें. यकीन मानिए यह आप की दाग धब्बों वाली स्किन के लिए एक वरदान साबित होगा.

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व्हाट्सऐप ग्रुप में हैं तो ध्यान दें

हम सभी विभिन्न कारणों से व्हाट्सऐप ग्रुप क्रिएट करते हैं या ग्रुप का हिस्सा बनते हैं. कभी औफिस के काम की चर्चा के लिए, कालेज के प्रोजेक्ट के लिए, किसी ट्रिप की प्लानिंग के लिए, इस रविवार कहां खाने जाएं तय करने के लिए, परिवार से जुड़े रहने के लिए तो कभी दोस्तों से गपे मारने के लिए. लेकिन, व्हाट्सऐप ग्रुप में ऐसा कोई न कोई व्यक्ति जरूर होता है जो या तो ग्रुप का सही इस्तेमाल नहीं जानता या अजीब से मैसेज भेज सब का ध्यान भंग करता है और ग्रुप से रिमूव हो कर ही दम लेता है. कभीकभी अनजाने में हम ही वह व्यक्ति बन जाते हैं.

व्हाट्सऐप ग्रुप का हिस्सा बने रहने के लिए कुछ अनकहे नियम होते हैं जिन्हें जानना बेहद जरूरी है, नहीं तो आज नहीं तो कल या तो आप ग्रुप से निकाल दिए जाएंगे या सभी आप को उपद्रव की तरह देखने लगेंगे.

नवीन सर का ही उदाहरण ले लीजिए. वे हमारे औफिस के ग्रुप का हिस्सा हैं. उन्हें इमोजी इस्तेमाल करने में या तो दिक्कत होती है या वे शायद इमोटिकंस का सही मतलब नहीं समझते. वे अकसर ग्रुप में किसी मैसेज की तरफ इशारा करने के लिए उंगली वाली इमोजी की जगह मिडिल फिंगर वाली इमोजी का इस्तेमाल करते हैं. पहली बार तो ऐसा लगा जैसे सच में वह किसी को मिडिल फिंगर दिखाना चाहते हैं परंतु बाद में समझ आया कि यह उन की इमोटीकंस की गलत समझ है. हंसी तो बहुत आई पर बहुत ज्यादा जूनियर होने के नाते उन्हें टोकना मुझे सही नहीं लगा लेकिन किसी और ने भी उन्हें नहीं टोका यह देख कर आश्चर्य हुआ. खैर, यदि आप भी ऐसे ही भूल करते हैं तो संभल जाएं, क्या पता कोई आप को भी हंसी का पात्र समझता हो.

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व्हाट्सऐप ग्रुप के निम्नलिखित अनकहे नियमों का पालन करें:

• किसी से बिना पूछे उन्हें व्हाट्सऐप ग्रुप में ऐड न करें. यह व्यक्ति की निजी पसंद है कि वह किसी ग्रुप का हिस्सा बनना चाहता है या नहीं. पहले पर्मिशन लें उस के बाद ही उसे ग्रुप में ऐड करें. आप के बिना पूछे ऐड किए जाने पर यदि व्यक्ति ग्रुप लेफ्ट करता है तो उस के निर्णय का सम्मान करें और जबर्दस्ती ऐड न करें.

• अगर आप ग्रुप के एडमिन हैं तो ग्रुप कंट्रोल फीचर का इस्तेमाल करें. यदि आप चाहते हैं कि ग्रुप पर केवल इंपोर्टेंट नोटिस ही पोस्ट किए जाएं तो ग्रुप में सिर्फ एडमिन ही मैसेज भेज सकें, इस के लिए ग्रुप सेटिंग्स में सेंड मैसेजेस औप्शन में जा कर ‘ओनली एडमिन’ सिलैक्ट करें. इस से आप बेवजह के मैसेजेस से बच जाएंगे.

• ग्रुप पर वही मैसेज भेजें जो सभी लोगों के लिए रेलेवेंट हों न कि सिर्फ आप और आप के दोस्त के लिए. अगर किसी एक व्यक्ति को कुछ बताने के लिए मैसेज भेजा जा रहा है तो वह आप उसे डायरैक्ट मैसेज कर के भी बता सकते हैं. खासकर किसी एक ही व्यक्ति से लंबी बात करनी है तो ग्रुप में बाकी सभी को परेशान न करें.

• यदि व्हाट्सऐप ग्रुप पर किसी से बहस शुरू होती है तो उसे ज्यादा न बढ़ाएं. मैसेज पर आप की सीधी सी बात भी अहंकारी लग सकती है. आप के शब्दों का कुछ अलग ही मतलब निकाला जा सकता है. बहसबाजी के लिए कोई भी ग्रुप सही जगह नहीं है. किसी एक व्यक्ति से बहस करनी है तो पर्सनल मैसेज पर करें या आमनेसामने. कुछ लोगों के कारण पूरे ग्रुप की शांति भंग नहीं होनी चाहिए.

• ग्रुप पर यदि किसी चीज का फैसला लेने के लिए मैसेज किया जा रहा है तो यह उम्मीद न करें कि आप के मैसेज भेजते ही कोई उस पर रिप्लाई कर देगा. लोगों को समय दीजिए और मैसेज पढ़ लिए जाने के बाद ही कोई प्लान बनाइए या उसे वायरल कीजिए.

• हर ग्रुप में एक न एक व्यक्ति ऐसा जरूर होता है जिसे अपने सारे चुटकुले, मीम्स, गलतसलत जानकारी व्हाट्सऐप ग्रुप में भेजनी होती है. अगर आप यह करते हैं तो यकीन मानिए आप बाकी सब के लिए इर्रिटेटिंग से ज्यादा कुछ नहीं हैं. ग्रुप में ओवर स्पैमिंग न करें.

• अपनी पूरी बात को एक ही मैसेज में लिखें बजाए अलगअलग शब्दों को 10 अलग मैसेज में लिखने के.

• यह सब से जरूरी पौइंट है, कभी भी किसी भी तरह के फेक मैसेज को या अप्रमाणित जानकारी को ग्रुप में शेयर न करें. ‘गोमूत्र के सेवन से कोरोना भाग जाता है’ या ‘कश्मीरियों ने पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए’ जैसी खबरें जबतक किसी प्रमाणित और विश्वसनीय स्त्रोत से न आए तब तक उन्हें फौरवर्ड न करें. आसान शब्दों में ‘व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी’ का हिस्सा न बनें. ग्रुप पर कोई इस तरह की सूचना भेजे तो उसे सख्त हिदायत दे कर मना करें.

• ‘यह साईं बाबा का चमत्कारी मंत्र है. इसे 7 लोगों को फौरवर्ड कीजिए और आप को 12 घंटों में सुखद समाचार मिलेगा’ जैसे मैसेज न केवल डिस्टर्बिंग हैं बल्कि आप का बददिमाग होना भी प्रमाणित करते हैं. पढ़ेलिखे हो कर भी आप ऐसी चीजें मानते और फौरवर्ड करते हैं तो आप मूर्ख हैं. यदि आप के पास इस तरह के मैसेज आते हैं और आप उस व्यक्ति को कड़े शब्दों में दोबारा फौरवर्ड करने से मना नहीं करते हैं तो आप महामूर्ख हैं.

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• अगर आप का बहुत बड़ा फैमिली ग्रुप है जिस से आप चाह कर भी नहीं निकल सकते और उस पर केवल ऋतु मामी या पूजा आंटी के बेटे के कम नंबर आने जैसी चुगलियां या बातें होती हैं तो उस ग्रुप को म्यूट कर दें. मैसेजेस आएंगे भी तो आप को पता नहीं चलेगा.

• अगर आप के दोस्तों के या औफिस के 5-6 ग्रुप हैं और सभी पर लगभग सभी लोग हैं, तो किसी जानकारी, फोटो या विडियो को एक ही ग्रुप में डालें. किसी को अपने फोन में एक ही तरह की विडियो या फोटो 5 बार सेव हुई अच्छी नहीं लगती.

• किसी एक ही व्यक्ति की बात का सटीक रिप्लाई देना हो तो उस व्यक्ति के मैसेज पर ‘रिप्लाई’ के औप्शन पर क्लिक कर के रिप्लाई दें जिस से यह स्पष्ट हो जाए कि आप ने किसे क्या कहा है.

• जब ग्रुप में बहुत सारी बातें हो रही हों तो किसी एक व्यक्ति को खासतौर पर कुछ कहने के लिए @ दबा कर उस के नाम को क्लिक करें जिस से वह टैग हो जाए. इस से जब भी वह व्यक्ती व्हाट्सऐप ग्रुप खोलेगा तो उसे नोटिफिकेशन दिख जाएगी कि उस के लिए कोई बात कही गई है.

• आज कल कई खबरें या मैसेज बिना किसी प्रोपर फैक्ट के होते हैं. इन मैसेजेस की भाषा भी अभद्र व किसी व्यक्ति या वर्ग की भावनाओं को ठेस पहुंचा सकती है. इस तरह के मैसेज शेयर करने से बचें. कोरोना के समय में तबलीगी जमात की खबरों में ऐसी कई तरह की बातें थीं जो पूर्ण रूप से गलत या सही तथ्यों के साथ छेड़खानी कर लिखी गई थीं. नफरत और घृणा फैलाने वाली सामग्री से दूर रहें और उसे फैलाने वालों को भी चेताएं.

• संवेदनशील घटनाओं की तस्वीरें व्हाट्सऐप ग्रुप में डालने से पहले ध्यान रखें कि यह किसी व्यक्ति को मानसिक क्षति भी पहुंचा सकती हैं. सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु के बाद उन की मृत तस्वीरें धड़ल्ले से पोस्ट की गई थीं. इस तरह की चीजें व्यावहारिक तौर पर भी सही नहीं हैं, इन्हें शेयर न करें.

• यदि कोई व्यक्ति व्हाट्सऐप ग्रुप पर अपनी किसी समस्या के बारे में बात करता है या यह कहता है कि वह सही महसूस नहीं कर रहा है तो उसे ‘यार, तेरा रोजरोज का ड्रामा है’ जैसे मैसेज न करें. आप यह कह सकते हैं कि ये ग्रुप शायद सही स्थान नहीं है जहां आप अपनी तकलीफ बता सकें. कठोर शब्दों का इस्तेमाल करने से बचें. आप नहीं जानते कोई व्यक्ति किन हालातों से गुजर रहा है. सभी की भावनाओं का खयाल रखें.

• कोई व्यक्ति अगर व्हाट्सऐप ग्रुप पर किसी मैसेज को सीन या उस का रिप्लाई नहीं कर रहा है लेकिन औनलाइन है तो यह आप का काम नहीं है कि आप उसे बारबार मैसेज कर रिप्लाई करने के लिए कहें. व्यक्ति व्यस्त भी हो सकता है और यह उस की निजी पसंद है कि वह रिप्लाई कब करेगा.

• व्हाट्सऐप ग्रुप को समयसमय पर चेक करते रहें. ऐसा न हो कि आप के औफिस का ग्रुप हो जिसे आप 3 दिन बाद खोल कर रिपलाई कर रहे हों.

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• अगर ग्रुप पर आप के लिए या आप से रिलेटेड बात की जा रही है तो उस का रिप्लाई दें. रिप्लाई न दे कर आप खुद की पहचान घमंडी या अहंकारी के रूप में बना रहे हैं. औफिशियल ग्रुप में इस तरह का व्यवहार आप को मुश्किल में डाल सकता है.

• ग्रुप पर लोगों से सम्मानपूर्वक बात कीजिए और यदि कोई आप को कुछ गलत कहता है तो यकीनन जवाब दीजिए. ग्रुप पर बात न कर के आप अपनी बात पर्सनल चैट में भी रख सकते हैं.

• किसी भी औफिशियल या फौर्मल ग्रुप का नाम और आइकन अपनी मर्जी से कभी भी न बदलें. आप के पास कोई अच्छा सुझाव है तो ग्रुप एडमिन से डिस्कस कीजिए और पर्मिशन लीजिए.

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