प्रेग्‍नेंसी के दौरान नाश्‍ता जरूर करें वरना बच्चा होगा अस्वस्थ

नाश्‍ता दिन का सब से अहम भोजन होता है. कहते हैं कि नाश्‍ता शरीर के लिए सब से ज्‍यादा जरूरी होता है. अधिकतर महिलाएं काम की व्यस्तता के कारण नाश्‍ता समय पर नहीं कर पाती. अगर आप ऐसा प्रेग्‍नेंसी में करती हैं तो इस का असर आप के साथसाथ आप के गर्भस्थ शिशु पर भी पड़ता है.

यदि प्रेगनेंट महिला सुबह के समय नाश्‍ता नहीं करती है तो शिशु पर इस का कुप्रभाव पड़ता है. आइए, जानते हैं कि गर्भवती महिला के नाश्‍ता न करने पर शिशु कैसा महसूस करता है.

​शिशु के विकास पर पड़ सकता है असर

मां जो कुछ भी खाती है उस का सीधा असर उस के गर्भस्थ शिशु पर पड़ता है. प्रेगनेंट महिला द्वारा किए गए भोजन से ही बच्‍चे को पोषण मिलता है. वहीं पूरी रात के बाद सुबह भी यदि प्रेगनेंट महिला नाश्‍ता नहीं करती है तो उस का बच्‍चा भूखा रह जाता है. उसे पोषक तत्‍वों की कमी हो सकती है, जिस का सीधा असर बच्‍चे के विकास पर पड़ेगा.

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गर्भस्थ ​शिशु सुस्‍त महसूस करता है

सुबह का पहला आहार हमें दिनभर काम करने के लिए ऐनर्जी देता है. इस आहार से गर्भस्‍थ शिशु को भी ऐनर्जी मिलती है. वहीं अगर गर्भवती महिला समय पर नाश्‍ता न करे तो मां के साथसाथ शिशु को भी लो ऐनर्जी महसूस हो सकती है.

नाश्‍ता न करने से मां को पूरी ऐनर्जी नहीं मिल पाती, इसलिए उन्‍हें दिनभर सुस्‍ती रह सकती है. जब मां सुस्‍त महसूस करेगी तो बच्‍चे को भी सुस्‍ती रहेगी. इस वजह से बच्‍चे की मूवमेंट में भी कमी आ सकती है.

​प्रीमैच्‍योर डिलीवरी का रहता है खतरा

समय पर नाश्‍ता न करने या ब्रेकफास्‍ट स्किप करने से बच्‍चे को कई स्‍वास्‍थ्‍य सम्बंधी कई परेशानियां हो सकती हैं. इस की वजह से शिशु नौ महीने से पहले ही जन्‍म ले सकता है. रात के खाने से सुबह के नाश्‍ते के बीच 10 से 12 घंटे का गैप होता है और इतनी देर तक भूखा रहने के बाद भी समय पर नाश्‍ता न करना मां और बच्‍चे की सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है.

ओवरईटिंग हो सकती है

प्रेग्‍नेंसी के दौरान नाश्‍ता न करने पर बाद में ज्‍यादा भूख लगती है, जिस से ब्‍लडशुगर लैवल कम हो सकता है. ज्‍यादा भूख लगने पर महिलाएं ज्यादा खाना खाने लगती हैं और उन के भोजन में पौष्टिक खाद्य पदार्थों की मात्रा भी कम हो जाती है. ओवरईटिंग से बेहतर होगा कि आप समय पर नाश्‍ता करें.

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​शिशु की सेहत का रखें खयाल

यदि आप चाहती हैं कि आप का शिशु स्‍वस्‍थ रहे और उस का विकास भी ठीक तरह से हो तो समय पर नाश्‍ता जरूर करें. अपने नाश्‍ते में पौष्टिक चीजों को शामिल करें. इस के बाद दिनभर थोड़ाथोड़ा कर के खाएं ताकि शरीर को एनर्जी को मिलती रहे और एक बार में ही ज्‍यादा खाने की वजह से बढ़ते वजन से भी बचा जा सकता है.

डिनर के बाद सुबह नाश्‍ते के बीच बहुत लंबा गैप हो जाता है इसलिए नाश्‍ते को स्किप करने की गलती न करें और चाहे कुछ भी हो नाश्‍ता समय पर करने की कोशिश करें। इससे मां भी स्‍वस्‍थ रहेगी और गर्भस्‍थ शिशु का विकास भी अच्‍छा होगा.

कोविड और जिंदगी के बीच कुछ इस तरह बनाएं संतुलन

कोविड महामारी की वजह से नए तरीके की जिंदगी को कई महीने हो गए हैं. हम मास्क पहनने को मजबूर हैं, हाथ मिलाने और गले लगने से परहेज कर रहे हैं, हर कुछ धो रहे और सैनिटाइज कर रहे हैं, मूवी/माॅल/जिम और सार्वजनिक स्थानों पर भी नहीं जा रहे हैं, लेकिन फिर भी हम टीवी तथा सोशल मीडिया पर कोविड से संबंधित खबरें सुनने तक ही सीमित न रहें, क्योंकि यह एक ऐसा बैकग्राउंड म्यूजिक है जो थमने का नाम नहीं ले रहा है.

इस दुनिया में रहना मुश्किल हो गया है और हम सभी कोविड-19 के गहरा रहे खतरे से छुटकारा पाने और फिर से अपनी जिंदगी आजादी के साथ जीने का इंतजार कर रहे हैं. तनाव और असुरक्षा की इस अवधि से जूझने के प्रयास में हमें सुरक्षा और स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाने की जरूरत होगी, हमें मध्य मार्ग तलाशने की जरूरत होगी जहां हमें समूहीकरण की अपनी कोशिशों से कभी नहीं रोका जाए और हम व्यक्तिगत तथा सामाजिक कल्याण पर फोकस कर सकें. इस बारे में बता रहीं है  Dr. Jyoti Kapoor – Psychiatrist at Paras Hospital, Gurugram.

1.डर से छुटकारा पाएंः

डर और सतर्कता के बीच अंतर है. हर समय डरकर रहने से स्ट्रेस केमिकल में इजाफा होता है जिससे चिंता, उदासी, चिड़चिड़ापन और अवसाद को बढ़ावा मिलता है. डर से मुकाबले का सबसे अच्छा तरीका वास्तविकता से संबंधित है. हम कोविड के बारे में सुन रहे हैं और यह आश्वस्त कर सकते हैं कि इसकी संक्रामकता तीव्र है, लेकिन मृत्यु दर कम है. मुख्य सुरक्षा मानकों पर अमल करें, लेकिन फिर से जिंदगी जीना शुरू करें, बाहर मास्क लगाकर जाएं, लोगों से मुलाकात के समय दूरी बनाए रखें, और इस महामारी के प्रभाव के अलावा अन्य विषयों पर चर्चा का आनंद उठाएं.

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2.नियंत्रण की भावना बनाए रखेंः

नियंत्रण में नहीं रहने की भावना हमें बंदी रहने का अहसास कराती है. हमारे मार्गदर्शन के लिए कई दिशा-निर्देश हैं, इसलिए उन पर अमल के लिए तर्कसंगत सोच का इस्तेमाल करें या संदेह होने पर सलाह मांगें. मनोवैज्ञानिक रूप से, नियंत्रण को लेकर जितना ज्यादा समस्या आएगी, उतना ही शक्तिहीन महसूस करेंगे. इसलिए यह जरूरी है कि मैं स्वयं से यह कहूं कि हम संदेह करने के बजाय स्थिति का प्रबंधन करने पर ज्यादा जोर देंगे.

3.इंतजार करना बंद करें, जीना शुरू करेंः

हमने विराम दिया, हमने प्रतिबिंबित किया और अब हमें आगे बढ़ना है, यदि हम अभी भी इसे लेकर आशंकित हैं कि आगे कैसे बढ़ना है तो हमें दिन में एक बार इसके बारे में बात शुरू करने की जरूरत है. स्वास्थ्य की अनदेखी न करें, क्योंकि संक्रमण फैलने की आशंका बनी हुई है, ज्यादातर अस्पतालों ने अब संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए जरूरी सतर्कताएं बरती हैं. इसी तरह, जिम खुलने, व्यायाम करने, बर्थडे और एनीवर्सरी सेलेब्रेट करने का इंतजार नहीं करें. भले ही रेस्टोरेंट बंद हैं, लेकिन छत पर डांस कर सकते हैं, क्योंकि पार्टियां सिर्फ पब में ही नहीं होती हैं.

4.संयम बरतेंः

यह हमेशा जरूरी है और कोविड ने हमें यह सबूत दिया है कि किस तरह से संयम ने प्रकृति को फिर से कायाकल्प में मदद की है. इस बदलाव ने न सिर्फ पौधों और पशुओं को राहत दी है बल्कि कम प्रदूशण स्तर और लाइफस्टाइल में सुधार के साथ इंसान पर सकारात्मक असर पैदा किया है. जिंदगी के पिछले तौर तरीकों को अपनाने की जल्दबाजी करने के लिए अनलाॅक के उपायों का इंतजार न करें, धीरे और मजबूती के साथ आगे बढ़ना सीखें, यह याद रखें कि कछुआ किस तरह से दौड़ जीत लेता है!

5. जिम्मेदारी और निरंतरताः

हमें से ज्यादातर लोग उपलब्ध संसाधनों का इस्तेमाल करते वक्त घर पर शायद जिम्मेदार व्यवहार विकसित किया है. यदि हम इन तरीकों को थोपे जाने वाले उपायों के तौर पर देखें तो हम मौका मिलते ही उन्हें छोड़ देना चाहते हैं, लेकिन यह एक महत्वपूर्ण सबक है. समय के श्रेष्ठ प्रबंधन और संसाधन प्रबंधन के साथ हम एक ऐसी जिंदगी बना सकते हैं जिसका जीविका पर दीर्घावधि सकारात्मक प्रभाव पड़े, जैसे कि बच्चे अपनी अलमारी ठीक रखना सीखता है और ऑनलाइन क्लास के वक्त आत्म-नियंत्रण विकसित करता है, और वयस्क घरेलू कार्यों में एक-दूसरे की मदद करते हैं. ये बेहद उपयोगी सबक हैं और बेहतर कल के लिए इन पर अमल बरकरार रखें.

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कोविड महामारी ने हमें यह दिखा दिया है कि यदि हम सुरक्षित जिंदगी चाहते हैं तो हमें सहिष्णुता, अनुशासन, सभी जीवन रूपों और कृतज्ञता के संबंध में सकारात्मक चीजों को समायोजित करने के लिए अपनी जीवनशैली में बदलाव लाना चाहिए, क्योंकि ये हमें जिंदगी संपूर्ण बनाने की राह में सुरक्षित रखने के तरीके हैं. संतुलन बनाए रखना जरूरी है, हम हाशिये  पर बने हुए थे और अब केंद्र की ओर बढ़ना चाहिए.

सुष्मिता सेन के भाई-भाभी के रिश्ते में आई दरार! चारु असोपा ने डिलीट की शादी की सारी फोटोज

कोरोनावायरस कहर के बीच जहां कुछ सितारे सिंपल वेडिंग सेलिब्रेशन के साथ सात जन्मों के बंधन में बंध रहे हैं तो वहीं कुछ सेलेब्स के रिश्ते टूटने की खबरें आ रही हैं. पिछले कुछ माह से बाॅलीवुड और सोशल मीडिया में चर्चा गर्म रही है कि बौलीवुड एक्ट्रेस सुष्मिता सेन Sushmita Sen) के भाई राजीव सेन (Rajeev Sen) और टीवी एक्ट्रेस चारु असोपा (Charu Asopa sen) की शादी में दरार आ गई हैं. वैसे चारू आसापा सोशल मीडिया पर जिस तरह की फोटो शेअर कर रही थी, उससे भी वह ट्रोलिंग की शिकार थी और इससे सुष्मिता सेन भी खुश नही थीं. हालांकि दोनों इस बात से नकारते रहे हैं. लेकिन दोनों के सोशलमीडिया को देखकर तो कुछ और ही देखने को मिल रहा है. दरअसल हाल ही में एक्ट्रेस चारु असोपा ने एक कदम उठाया है, जिससे उनकी शादी को लेकर फैंस के बीच सवाल खड़े हो गए हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

शादी की फोटोज की डिलीट

पिछले साल 7 जून को कोर्ट मैरिज करने वाले चारु और राजीव की शादी बड़े ही धूमधाम से हुई थी, जिसमें उनकी खुशी देखते ही बन रही थी. वहीं दोनों ने फोटोज सोशलमीडिया पर शेयर भी की थीं. वहीं अब राजीव सेन के बाद चारु असोपा अपने सोशल मीडिया पर अकाउंट से शादी की सभी फोटोज भी डिलीट कर दी हैं.

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हिंदू रीति-रिवाजों से हुई थी शादी

चारु असोपा और राजीव सेन ने 7 जून के बाद, हिंदू रीति-रिवाजों के साथ 16 जून को गोवा में शादी की थी, जिसमें सुष्मिता सेन भी नजर आई थीं. वहीं दोनों की जोड़ी फोटोज में बेहद प्यारी लग रही थीं. एक दूसरे के साथ खड़े होकर शादी के जोड़े में चारु असोपा ने कई फोटोज क्लिक कराई थीं.

ट्रोलिंग का शिकार होती रहती हैं चारु

बीते दिनों लॉकडाउन के दौरान चारु असोपा अक्सर अपनी फोटोज शेयर करती रहती हैं, जिसमें कपल की इंटिमेट फोटोज भी शामिल होती थीं. वहीं इन फोटोज के कारण अक्सर वह सोशलमीडिया पर ट्रोलिंग का शिकार भी होती रहती थीं.

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श्वेता तिवारी पर निशाना साधते हुए पति अभिनव कोहली ने शेयर की बेटे की फोटो, कही ये बात

पिछले दिनों से कसौटी जिंदगी के फेम एक्ट्रेस श्वेता तिवारी (Shweta Tiwari) पर्सनल लाइफ के कारण सुर्खियों में बनी हुई है. श्वेता तिवारी और उनके पति अभिनव कोहली (Abhinav Kohli) के बीच लॉकडाउन के बीच मनमुटाव बढ़ता जा रहा है, जिसके चलते दोनों के बीच सोशलमीडिया पर तकरार चल रही है.

जहां दोनों की शादी टूटने के कगार पर है तो वहीं अभिनव कोहली बेटे रेयांश (Son Reyansh) के लिए श्वेता तिवारी पर लगातार निशाना साध रहे हैं. हाल ही में अभिनव कोहली का एक और बयान श्वेता तिवारी के गुस्से का कारण बन गया है. आइए आपको बताते हैं क्या कहना है अभिनव कोहली का….

बेटे की फोटो शेयर कर लिखी ये बात

टीवी एक्टर अभिनव कोहली ने रेयांश की फोटो पोस्ट करते हुए लिखा ‘मैं तुम्हें काफी मिस कर रहा हूं. तकरीबन 1 महीना 23 दिन हो गए हैं मैं तुमसे नहीं मिला हूं. तुम्हारी मम्मी ने मुझे तुमसे अलग कर दिया है. मैं तुम्हें शब्दों में नहीं बता सकता कि मैं मुझे कितना प्यार करता हूं. भगवान की मर्जी होगी तो हम जल्द फिर से मिलेंगे और मैं तुम्हें अपने सीने से लगाउंगा.‘

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बच्चों से दूर करने के लिए श्वेता ने उठाया था कदम

बीते दिनों इस पोस्ट से पहले अभिनव कोहली (Abhinav Kohli) ने कुछ दिनों पहले एक और पोस्ट करते हुए श्वेता तिवारी पर आरोप लगाया कि वो बेटे रियांश से उन्हें मिलने नहीं देती हैं. श्वेता ने लॉकडाउन के दौरान मौका देखते हुए बेटे रेयांश को मुझसे दूर रखा और जब मैं बेटे रेयांश से मिलने घर पहुंचा तो उन्होंने पुलिस बुलाकर मुझे घर से बाहर कर दिया.

बता दें, श्वेता तिवारी की अभिनेता अभिनव कोहली से दूसरी शादी है, जबकि वह इससे पहले राजा चौधरी से सात फेरे लिए थे. श्वेता तिवारी ने अपने पहले पति राजा पर भी गंभीर आरोप लगाते हुए उनसे तलाक लिया था जिससे उनकी पहली बेटी पलक है.

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हल नहीं आत्महत्या

सिनेऐक्टर सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या ने झटका दिया है. डिप्रैशन में हजारों लोगों को अभी झटके लगने हैं. पर एक चमकते सितारे को इस तरह अपनी जान देनी पड़ेगी, इस की उम्मीद नहीं थी. सुशांत सिंह राजपूत कोई सुसाइड नोट नहीं छोड़ गया, इसलिए उस की दुखद मृत्यु का असल कारण नहीं पता चल पाएगा. पर यह सब को मालूम है कि उस का कैरियर डांवांडोल ही था. वह टीवी स्क्रीन से निकल कर बड़ी स्क्रीन पर छा जाने के सपने देख रहा था, पर हर रोज मौके उस के हाथ से निकल रहे थे.

खुद से जबरन से ज्यादा उम्मीद कर लेने वालों के साथ कुछ ऐसा ही होता है. डिप्रैशन सदा ही एक भयंकर बीमारी रही है. घर, पैसे या दिल के कारणों से युवा ही नहीं, बुजुर्ग व वृद्ध भी आत्महत्या कर लेते हैं. जो चर्चित होते हैं उन की आत्महत्या ज्यादा सुर्खियां बन जाती हैं, बाकी गुमनामी में भुला दिए जाते हैं.

डिप्रैशन से बचने के कोई खास उपाय नहीं हैं. मोटिवेशनल गुरु हजार बातें कहते रहें पर असल यह है कि जब किसी को लगता है कि उस के बंद दरवाजे पक्के बंद हैं जिन से वह निकलना चाहता है तो डिप्रैशन होगा ही. कोई भी चाहे जितनी पट्टी पढ़ा ले कि जिंदगी में हार नहीं माननी चाहिए, एक लक्ष्य नहीं मिल पाया तो दूसरा ढूंढ़ा जा सकता है. जीवन तो संघर्ष का नाम है, भागने का नहीं आदि उपदेश सुननेसुनाने में अच्छे लगते हैं पर जो अपनी राह नहीं पा पाता वह इन शब्दों को सुन ही नहीं सकता. उस के सिर्फ कान ही नहीं बंद होते बल्कि मन की खिड़कियां भी बंद हो जाती हैं.

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कठिनाई यह है कि समाज उन के साथ चलता है जो सफल हैं. जो पिछड़ गया वह रह गया. 2-3 साथी कुछ कदम उस का साथ देंगे, पर फिर छोड़ कर चल देंगे. डिप्रैशन का शिकार अपनों से भी दुत्कारा जाता है, परायों से भी. समाज इसे व्यक्ति की अपनी बीमारी मानता है, समाज का दोष नहीं. किसी भी सूरत में उस को सहानुभूति के दो शब्दों के अलावा कोई दूसरी उम्मीद नहीं रखनी चाहिए. हालांकि, यह सहानुभूति डिप्रैशन को और उग्र कर देती है.

आज डिप्रैशन से लड़ने के लिए बहुत दवाइयां आ गई हैं. पर आज चुनौतियां भी बहुत हो गई हैं. सुशांत सिंह की आत्महत्या उस के अकेलेपन, उस की असफलता और कुछ अनजाने कारणों से हुई पर आसपास का माहौल, जिम्मेदार लोग इस से कुछ नहीं सीखेंगे और एक झटका दे कर आगे बढ़ जाएंगे. कोरोना से पीडि़त टीवी  मीडिया को कुछ नया विषय मिला था, इसलिए इस घटना की चर्चा ज्यादा हो गई.

आत्महत्या किसी समस्या का कोई हल नहीं है पर यह पक्का है कि इस स्थिति का उपाय भी नहीं है. डिप्रैशन तभी होता है जब व्यक्ति को लगता है कि उस के लिए कुछ ऐसा हो रहा है जिस से निबटना उस के बस का नहीं. इस पर कोई कुछ नहीं कर सकता.

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पति को निर्भर बनाएं अपने ऊपर

‘नाम मानसी मल्होत्रा, उम्र 30 वर्ष, विवाहित, शिक्षा बी.ए., एम.ए. घरेलू कार्यों में सुघड़. पति का गारमेंट्स का अच्छा व्यापार, छोटा परिवार, 2 बच्चे, 8 वर्षीय बेटी, 5 वर्षीय बेटा. दिल्ली के पौश इलाके में अपना घर, घर में नौकरचाकर, गाड़ी, सुखसुविधाओं की कोई कमी नहीं.’ फिर भी मानसी परेशान रहती है. आप हैरान हो गए न, अरे भई, सुखी जीवन के लिए और क्या चाहिए, इतना सब कुछ होते हुए भी कोई कैसे परेशान रह सकता है? लेकिन मानसी खुश नहीं है. घरपरिवार, प्यार करने वाला पति, बच्चे, आर्थिक संपन्नता सब कुछ होते हुए भी मानसी तनावग्रस्त रहती है. उसे लगता है कि उस की पढ़ाईलिखाई सब व्यर्थ हो गई. उस का सदुपयोग नहीं हो रहा है. वह बच्चों को तैयार कर के, लंच पैक कर के स्कूल भेजने, नौकरों पर हुक्म चलाने, शौपिंग करने, फोन पर गप्पें लड़ाने के अलावा और कुछ नहीं करती.

क्या ये सब करने के लिए उस के मातापिता ने उसे उच्च शिक्षा दिलाई थी? सब उसे एक हाउस वाइफ का दर्जा देते हैं. पति की कमाई पर ऐश करना मानसी को खुशी नहीं देता. वह चाहती है कि अपने दम पर कुछ करे, पति के काम में सहयोगी बने, अपनी शिक्षा का सदुपयोग करे  क्या घर से बाहर जा कर नौकरी करना ही शिक्षा का सदुपयोग है? क्या यही नारीमुक्ति व नारी की आत्मनिर्भरता को दर्शाता है, नहीं यह केवल स्वैच्छिक सुख है, जिस के जरिए महिलाएं आर्थिक आत्मनिर्भरता का दम भरती हैं और घर में महायुद्ध मचता है. क्या किसी महिला के नौकरी भर कर लेने से उसे सुकून और शांति मिल सकती है? इस का जवाब आप सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक बसों में धक्के खा कर, भागतेभागते घर की जिम्मेदारियों को निबटा कर नौकरी करने वाली महिलाओं से पूछिए.

28 वर्षीय आंचल अग्रवाल पीतमपुरा में रहती हैं, जनकपुरी में नौकरी करती हैं. सुबह 10 बजे के आफिस के लिए उन्हें 9 बजे घर से निकलना पड़ता है. रात को 7 बजे बसों में धक्के खा कर घर पहुंचती हैं. घर पहुंचते ही घर का काम उन का स्वागत करता है. अपनी सेहत, स्वास्थ्य, परिवार के लिए उन के पास कोई समय नहीं है. नौकरी की आधी कमाई तो आनेजाने व कपड़ों पर खर्च हो जाती है, ऊपर से तनाव अलग होता है. जब पतिपत्नी दोनों नौकरी करते हैं तब इस बात पर बहस होती है कि यह काम मेरा नहीं, तुम्हारा है. जबकि अगर पति घर से बाहर कमाता है और पत्नी घर में रह कर घर और बच्चे संभालती है तो काम का दायरा बंट जाता है और गृहक्लेश की संभावना कम हो जाती है. घर पर रह कर महिलाएं न केवल पति की मदद कर सकती हैं बल्कि उन्हें पूरी तरह अपने पर निर्भर बना कर पंगु बना सकती हैं. उस स्थिति में आप के पति आप की मदद के बिना एक कदम भी नहीं चल पाएंगे. कैसे, खुद ही जानिए :

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घर की मेंटेनेंस में योगदान

एक पढ़ीलिखी गृहिणी घर की टूटफूट मसलन, प्लंबिंग, इलेक्ट्रिसिटी वर्क, घर के पेंट पौलिश बिना पति की मदद के बखूबी करा सकती है. कुछ महिलाएं चाहे घर के नल से पानी बह रहा हो, बिजली का फ्यूज उड़ जाए, दीवारों से पेंट उखड़ रहा हो, वे चुपचाप बैठी रहती हैं, पति की छुट्टी का इंतजार करती हैं कि कब वे घर पर होंगे और घर की मेंटेनेंस कराएंगे. वे घर की इन टूटफूट के कामों के लिए पति की जिम्मेदारी मानती हैं. बेचारे पति एक छुट्टी में इन सभी कामों में लगे रहते हैं और झुंझलाते रहते हैं, ‘‘क्या ये काम तुम घर पर रह कर करा नहीं सकती हो?’’

स्वाति घर पर ही रहती है. पढ़ीलिखी है. वह घर की इन छोटीमोटी जरूरतों का खुद ध्यान रखती है. जब भी कोई परेशानी हुई, मिस्त्री को फोन कर के बुलाती है और स्वयं अपनी निगरानी में ये सभी काम कराती है. स्वाति के इस नजरिए से उस के पति मेहुल बहुत खुश रहते हैं.

बच्चों की शिक्षा में मदद

अगर आप पढ़ीलिखी हैं और हाउस वाइफ हैं तो बच्चों की शिक्षा में आप अपनी पढ़ाईलिखाई का सदुपयोग कर सकती हैं. बच्चों को घर से बाहर ट्यूशन पढ़ाने भेजने के बजाय आप स्वयं अपने बच्चों को पढ़ा सकती हैं. इस से व्यर्थ के खर्च में तो बचत होगी ही, साथ ही बच्चे पढ़ाई में कैसा कर रहे हैं, आप की उन पर नजर भी रहेगी. बच्चों की स्कूली गतिविधियों में आप भाग ले सकती हैं. मेहुल अपने बच्चों की पढ़ाईलिखाई उन की पी.टी.एम., उन की फीस जमा कराना इन सभी के लिए स्वाति पर निर्भर रहता है, क्योंकि उसे तो आफिस से समय मिलता नहीं और उस की गैरहाजिरी में स्वाति इन सभी कार्यों को बखूबी निभाती है. इस से स्वाति के समय का तो सदुपयोग होता ही है, साथ ही उसे संतुष्टि भी होती है कि उस की शिक्षा का सही माने में उपयोग हो रहा है. बच्चों का अच्छा परीक्षा परिणाम देख कर मेहुल स्वाति की तारीफ करते नहीं थकता. बच्चों की शिक्षा को ले कर वह पूरी तरह से स्वाति पर निर्भर है.

परिवार की सेहत में मददगार

एक पढ़ीलिखी गृहिणी घर के स्वास्थ्य व सेहत के मसले पर भी पति को बेफिक्र कर सकती है. अभी पिछले दिनों की बात है, स्वाति की सास को अचानक दिल का दौरा पड़ा, तब मेहुल की आफिस में कोई महत्त्वपूर्ण मीटिंग चल रही थी. वह आफिस छोड़ कर आ नहीं सकता था, तब स्वाति ने ही पहले डाक्टर को घर पर बुलाया और जब डाक्टर ने कहा कि इन्हें फौरन अस्पताल ले जाइए, तब स्वाति एक पल का भी इंतजार किए बिना सास को स्वयं ड्राइव कर के अस्पताल ले कर गई. वहां अस्पताल की सारी औपचारिकताएं पूरी कर के सास को अस्पताल में दाखिल कराया.

डाक्टरों से सारी बातचीत, उन का इलाज, सारी भागदौड़ स्वयं स्वाति ने पूरी जिम्मेदारी से निभाई. इसी का परिणाम है कि आज स्वाति की सास पूरी तरह ठीक हो कर घर पर हैं. अगर उस दिन स्वाति ने फुर्ती व सजगता न दिखाई होती तो कुछ भी हो सकता था. मेहुल की अनुपस्थिति में उस ने अपनी शिक्षा व आत्मविश्वास का पूरा सदुपयोग और मेहुल के दिल में हमेशा के लिए जगह बना ली. जब पति घर से बाहर होते हैं और पत्नी घर पर होती है तो वह बच्चों, घरपरिवार की सेहत का पूरा ध्यान रख सकती है और पति को बेफिक्र कर के अपने ऊपर निर्भर बना सकती है.

हर क्षेत्र में भागीदार

पढ़ीलिखी पत्नियां घर पर रह क र पति की गैरहाजिरी में घर की सारी जिम्मेदारियां निभा कर पति को पंगु बना सकती हैं. घर के जरूरी सामानों की खरीदारी, घर की साफसफाई, बच्चों की शिक्षा, सेहत, घर का आर्थिक मैनेजमेंट, कानूनी दांवपेच, घर की मेंटेनेंस, गाड़ी की सर्विसिंग ये सभी काम, जिन के लिए अधिकांश पत्नियां पतियों के खाली समय होने का इंतजार करती हैं और कामकाजी पति के समयाभाव के कारण जरूरी कार्य टलते रहते हैं और घर में क्लेश होता है.

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एक सुघड़ पत्नी अपने गुणों से पति को अपने काबू में कर सकती है. अगर आप घर की ए टू जेड जिम्मेदारियां संभाल लेंगी तो पति स्वयंमेव आप के बस में हो जाएंगे, वे आप के बिना एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा पाएंगे. नौकरी से केवल आप पति की आर्थिकमददगार बनती हैं लेकिन घर संभाल कर आप उन के हर क्षेत्र में भागीदार बनती हैं. जब पत्नियां पति की सभी जिम्मेदारियां निभाती हैं तो पति भी उस से खुश रहते हैं, उन की हर संभव मदद करते हैं न कि जिम्मेदारियों को ले कर तूतू मैंमैं करते हैं. सलिए अगर पति के दिल पर राज करना है, अपने खाली समय का सदुपयोग करना है, अपनी शिक्षा का सदुपयोग करना है, व्यर्थ के तनाव से बचना है तो घर की हर जिम्मेदारी संभालिए. स्वयं को पूरी तरह व्यस्त कर लीजिए. पति को पूरी तरह अपने ऊपर निर्भर बना दीजिए. अगर वह घर पर हों तो बिना आप की मदद के कुछ भी न कर सकें, इतना अपने ऊपर निर्भर बना दीजिए उन को. फिर देखिए, वे कैसे दिनरात आप के नाम की माला जपेंगे और घर में हर तरफ खुशियों की बहार आ जाएगी.

ब्यूटी हैक्स विद टी बैग्स

चाय पीना किसे पसंद नहीं होता . कुछ गिने चुने लोग ही होते हैं , जिन्हें चाय पीना अच्छा नहीं लगता . बात हो चाहे आफिस की या फिर सफर के दौरान यहां तक घर में भी कई कई बार चाय की चुस्कियां ले ली जाती है. ये न सिर्फ हमें रिफ्रेश करने का काम करती है बल्कि हमारी स्किन व हेयर्स के लिए भी काफी फायदेमंद मानी जाती है. लेकिन इस बात से बहुत कम लोग ही अनजान हैं कि जिस चाय की पत्ती को हम चाय बनाने के बाद बेकार समझ कर फैंक देते हैं , वे हमारी स्किन की खूबसूरती को बढ़ाने का भी काम करती है.

जानते हैं कैसे बढ़ाती है हमारी स्किन की खूबसूरती

1. डार्क सर्कल्स से निजात

आज डार्क सर्कल्स से हर कोई परेशान है. ये आपके चेहरे की रौनक को कम करता है. ऐसे में अगर आप भी डार्क सर्कल्स से परेशान हैं तो इसके लिए आप जब टी बैग का इस्तेमाल कर लें तो उसे फेंकें नहीं बल्कि फ्रिज में ठंडा करके उसे अपनी आंखों के ऊपर 10 मिनट तक रखें. इससे जहां आपकी आंखों के नीचे आई सूजन भी कम होगी वहीं धीरे धीरे डार्क सर्कल्स भी गायब होने लगेंगे.

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2. एजिंग से भी छुटकारा

ग्रीन टी के जहां ढेरों हैल्थ बेनिफिट्स हैं , वहीं ये हमारी स्किन पर दिखने वाली थकावट को दूर करके एजिंग को भी रोकता है. क्योंकि ये एन्टीओक्सीडैंट्स गुणों से भरपूर जो होती है. इसके लिए जब भी आप कोई भी फेस पैक चेहरे पर अप्लाई करें तो उसमें ग्रीन टी बैग से लीव्स निकालकर इसमें ऐड करके फेस पर अप्लाई करें. इससे आपकी स्किन पर नेचुरल ग्लो आने के साथ साथ एजिंग की समस्या से भी निजात मिलेगा.

3. सनबर्न

समर में सनबर्न आम समस्या है. जिससे बचने के लिए हर महिला सतर्क रहती है, लेकिन फिर भी सन बर्न हो ही जाता है. जिससे निजात पाने के लिए कभी महंगी क्रीम्स का सहारा लिया जाता है तो कभी ब्यूटी पार्लर का. ऐसे में आप घर बैठे इस समस्या से निजात पा सकती हैं. इसके लिए आप टी बैग को स्किन के जिस हिस्से पर सन बर्न हुआ है वहां पर लगा कर 10 मिनट के लिए छोड़ दें. कुछ ही अप्लाई में आपको नजर आएगा कि स्किन काफी ठीक होने लगी है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें टैनिक एसिड होने के कारण ये स्किन टैनिंग को हटाने का काम करता है.

4. स्किन रैशेस को ठीक करे

स्किन पर कई बार गलत ब्यूटी प्रोडक्ट्स लगाने से या फिर खानपान में गड़बड़ी होने की वजह से स्किन पर रैशेस हो जाते हैं. जो न सिर्फ स्किन को भद्दा दिखाने का काम करते हैं बल्कि स्किन में कई बार जलन भी होती है. ऐसे में टी बैग्स को प्रभावित जगह पर लगाने से स्किन रैशेस काफी हद तक ठीक हो जाते हैं.

5. बैस्ट स्क्रब

स्क्रब करना बहुत जरूरी है , क्योंकि ये स्किन से डेड सेल्स को रिमूव करके स्किन को स्मूद बनाने का काम जो करता है. इसके लिए जरूर आप महंगे स्क्रब्स पर निर्भर रहती होंगी. लेकिन आपने सोचा है कि टी बैग आपके लिए बैस्ट स्क्रब का काम कर सकता है. इसके लिए आप ग्रीन टी में थोड़े से चीनी के दाने और पानी मिलाकर स्क्रब तैयार करें. और उसे फेस पर अप्लाई करें. आपको खुद अपने चेहरे पर अलग ही ग्लो नजर आने लगेगा.

6. डीटोक्स करने वाला फेस मास्क

स्किन में ग्लो कौन नहीं चाहता , ऐसे में आप आसानी से टी बैग से फेस मास्क तैयार कर सकती हैं. इसके लिए आप ग्रीन टी में थोड़ा सा शहद मिलाकर मास्क तैयार करें. फिर इसे सूखने तक चेहरे पर लगा छोड़ दें. आपको बता दें कि ग्रीन टी जहां टाइटनिंग का काम करती है, वहीं हनी स्किन को जवां बनाने का काम करता है.

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7. बालों में लाए चमक

अगर आप अपने बालों में चमक लाना चाहती हैं तो आप घर पर इस आसान से टिप्स से बालों में चमक पा सकती हैं. इसके लिए आप पानी में ग्रीन टी बैग्स को डालकर 15 मिनट तक धीमी आंच पर उबालें. फिर इसे ढककर 4 घंटे के लिए एक तरफ रख दें. फिर इस पानी से बालों को धोकर 20 मिनट बाद शैंपू कर लें. आपको अपने बाल काफी इम्प्रूव दिखेंगे.

अगर आप टी बैग्स नहीं बल्कि खुली चाय की पत्तियों का इस्तेमाल करती हैं तो आप उसे यूज़ करने के बाद एक साफ़ कपड़े में बांधकर फ्रिज में रखकर उसका इस्तेमाल कर सकती हैं.

रूखे और बेजान बालों के लिए हेयर स्पा ले सकती हूं?

सवाल-

मेरी उम्र 24 साल है. मेरे बाल रूखे और बेजान हैं. क्या मैं हेयर स्पा ले सकती हूं और यह कितने दिनों के गैप में लेना ठीक रहता है?

जवाब-

हां बालों के लिए हेयर स्पा सब से बढि़या उपाय है. इसे रैग्युलर हफ्ते में 1 बार करने से अच्छे नतीजे मिलते हैं. इस से फिर से बालों में चमक और नमी लाने में मदद मिलती है जो पौल्यूशन और सूखेपन के कारण खो जाती है. इस इलाज से आप बालों को शाइनी व सिल्की बना सकती हैं. हेयर स्पा में औयल मसाजिंग, शैंपू, हेयर मास्क और कंडीशनिंग शामिल होते हैं. स्पा में 45 मिनट से ले कर 1 घंटा तक लगता है. हेयर स्पा नैचुरल ट्रीटमैंट है. इस का कोई बुरा असर नहीं होता.

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अकसर देखा जाता है कि हम बालों के मुकाबले अपनी स्किन की ज्यादा केयर करते हैं. जबकि हर मौसम में बालों को भी खास केयर की जरूरत होती है वरना धीरे धीरे हमारे बाल बेजान होने लगते हैं. और फिर चाहे हमारा फेस कितना भी ग्लो क्यों न करे लेकिन फिर भी चेहरे पर वो बात नहीं आ पाती जो आनी चाहिए. ऐसे में ढेरों ऐसे इंग्रीडिएंट्स है , जो हमारे बालों व स्कैल्प को भी डीटोक्स करने में अहम रोल निभाते हैं. इनकी खास बात यह है कि ये केमिकल्स और प्रिज़र्वेटिव्स फ्री भी है. यानि बालों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते. और आप इन्हें घर में रखी चीजों से आसानी से बना भी सकती हैं.

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बड़े काम का है ब्रैस्ट पंप

ऋतु ने प्यारी सी बेटी को जन्म दिया. ऋतु और उस की फैमिली को तो जैसे जिंदगी का सब से बड़ा तोहफा मिल गया हो. आखिर यह खुशी होती ही ऐसी है, जिस की तुलना दुनिया की किसी भी खुशी से नहीं की जा सकती. परिवार में सभी की जबान पर बस यही था कि बेटी को कोई परेशानी नहीं होने देंगे. हमेशा मुसकराता रखेंगे.

मगर ऋतु की बेटी मुसकराने की बजाय थोड़ीथोड़ी देर में रोने लगती. इस कारण उस की नींद भी पूरी नहीं हो पा रही थी. उस का इस तरह से रोना किसी से देखा नहीं जा रहा था. समझ नहीं आ रहा था कि वह क्यों रोती है, उसे क्या दिक्कत है.

फिर एक दिन ऋतु की फ्रैंड सोनम उस से मिलने आई, तो ऋतु ने उस के सामने इस बात का जिक्र किया. तब सोनम बात सुनते ही समझ गई कि बच्ची इतना क्यों रोती है, क्योंकि सोनम खुद इस दौर से जो गुजर चुकी थी.

उस ने ऋतु से पूछा कि तुम इसे ठीक से दूध तो पिला रही हो न? तब ऋतु ने झिझकते हुए बोला कि हां, लेकिन मेरे साथ दिक्कत यह है कि स्तनों में दूध काफी भर जाने के कारण वे भारी हो गए हैं, और उन से दूध निकलता रहता है, जिस से दर्द के कारण मुझे दूध पिलानेमें काफी दिक्कत होती है और मैं अपनी बच्ची को सही से दूध नहीं पिला पाती.

तब सोनम बोली कि यही वजह है तुम्हारी बेटी थोड़ीथोड़ी देर में रोने लगती है, क्योंकि पेट नहीं भरने के कारण न तो वह ढंग से सो पाती है और न ही खेल.?

तब सोनम ने ऋतु को ब्रैस्ट पंप के बारे में बताया कि यह तुम्हारी समस्या का हल करेगा, क्योंकि इस पंप की मदद से तुम अपने स्तनों में भरे दूध को निकाल कर स्टोर कर सकती हो. इस से तुम्हारे स्तनों में दर्द की समस्या भी दूर होगी, तुम्हारे बच्ची का पेट भी भरा रहेगा और तुम्हारा दूध बेकार भी नहीं जाएगा.

यह सुन कर ऋतु खुशी से चहक उठी, क्योंकि वह अपनी बच्ची को यों भूख के मारे रोते नहीं देख सकती थी. आखिर मां का प्यार होता ही ऐसा है.

ब्रैस्ट पंप है वरदान

न्यू मौम्स बनते ही जैसे उन की दुनिया बदल सी जाती है. खुद के लिए वक्त नहीं मिलता, न ही पार्टनर को टाइम दे पाती हैं. बस हर समय बच्चे की चिंता व उसी का ध्यान लगा रहता है. ऐसे में ब्रैस्ट पंप न सिर्फ उन के बच्चे को दूध पिलाने के काम को आसान बनाता है, बल्कि इस के जरीए मां खुद के लिए भी थोड़ा टाइम निकाल पाती है, तो हुआ न ब्रैस्ट पंप वरदान.

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क्यों है यह फायदेमंद

– ब्रैस्ट पंप को इस तरह बनाया गया है कि यह मां के दूध की हर बूंद को पंप की मदद से बोतल में स्टोर करने का काम करता है.

– यह मां और बच्चे के लिए पूरी तरह से सेफ है, क्योंकि इस के सभी पार्ट्स ड्ढश्चड्ड और स्रद्गद्धश्च फ्री हैं.

– अपनी 2 फेज ऐक्सप्रैशन टैक्नोलौजी और डबल पंपिंग की सुविधा के कारण यह कम समय में ज्यादा दूध निकालने में सक्षम है.

– ब्रैस्ट पंप को इस तरह डिजाइन किया गया है कि मौम्स इसे टोट बैक या बैग पैक में आसानी से ले भी जा सकती हैं.

– वैक्यूम ऐडजस्टमैंट के कारण यह काफी कंफर्टेबल है.

कैसे चुनें ब्रैस्ट पंप

वैसे तो आप को मार्केट में तरहतरह के ब्रैस्ट पंप मिल जाएंगे, लेकिन ब्रैस्ट पंप चुनने के मामले में आप जरा भी क्वालिटी से समझौता न करें, क्योंकि इस से बच्चे का न्यूट्रिशन और हैल्थ जो जुड़ी हुई है. ऐसे में मेडेला के ब्रैस्ट पंप बैस्ट हैं, जो मां और बच्चे को ध्यान में रख कर डिजाइन किए गए हैं. ये आप को मैन्युअल और इलैक्ट्रिक, जिन में सिंगल और डबल पंप्स की सुविधा दी गई है, में मिल जाएंगे. अगर आप को डेली इस्तेमाल करना है, तो आप डबल पंप, फ्रीस्टाइल का इस्तेमाल कर सकती हैं. मां की सुविधा के लिए इस के साथ आइस पैक, कूलर बैग्स और ब्रैस्ट मिल्क को स्टोर करने के लिए बोतल की सुविधा भी दी गई है. इस से मां को काफी आसानी होती है. आप मैक्सी फ्लैक्स ब्रैस्ट पंप्स को भी चुन सकती हैं, क्योंकि ये काफी सुविधाजनक हैं.

अगर आप सिर्फ कभीकभार ही इस का इस्तेमाल करना चाहती हैं, तो आप के लिए स्ंिवग सिंपल ब्रैस्ट पंप का चयन करना ही बैस्ट रहेगा. इस से आप की गैरमौजूदगी में आप के बच्चे को आप का दूध भी मिल जाएगा और आप टैंशन फ्री भी हो जाएंगी.

तो फिर अब सही ब्रैस्ट पंप चुन कर आप रहें फ्री और बच्चे को भी दें पूरा न्यूट्रिशन, क्योंकि उस के लिए मां का दूध ही संपूर्ण पोषण और इम्युनिटी को बूस्ट करने वाला जो होता है.

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