KBC 12: Lockdown में आई गुड न्यूज, जानें कब से होंगे रजिस्ट्रेशन

 ये तो हम सभी जानते है की कोरोना की महामारी के कारण पूरे देश में lockdown का तीसरा चरण 4 मई से लागू हो रहा है. जहां एक तरफ लॉकडाउन की वजह से देश और दुनिया की कई सारी चीजें अव्यवस्थित हो चुकी हैं, कई सारी फिल्मों और  सीरियल की शूटिंग पेंडिंग है.

वहीँ दूसरी तरफ एक ऐसी चीज़ भी है जिसे कोई नहीं रोक सकता और वो है अमिताभ बच्चन का टीवी शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’.

जी हाँ दोस्तों ये सच है सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन ने ‘कौन बनेगा करोड़पति (KBC)’ के 12वें सीजन की घोषणा की है. सोनी टीवी पर इसका प्रोमो भी जारी कर दिया गया है.

सोनी टीवी द्वारा इंस्टाग्राम पर भी  एक प्रोमो वीडियो शेयर किया गया है जिसमें अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) ये कहते नज़र आ रहे है की ‘लॉकडाउन के इस दौर में जहां सबकुछ बंद पड़ा है एक ऐसी चीज की बात कर रहे हैं जिसे कोई भी बंद नहीं कर सकता… वो है सपने…. .’

अमिताभ (Amitabh Bachchan) ने कहा कि नुक्कड की चाय से लेकर रेलगाड़ियों तक पर ब्रेक लग सकता है मगर सपनों की ऊंची उड़ानों पर कभी भी ब्रेक नहीं लग सकता. सपनों को नई उड़ान देने के लिए केबीसी फिर से शुरू हो रहा है.अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) ने KBC के लिए पहली बार अपने घर में शूटिंग की है.

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In Memoriam ..

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ये तो हम सभी  जानते है की KBC भारतीय टेलीविजन का सबसे प्रतिष्ठित शो है. व्यापक तौर पर इसकी पहचान एक ऐसे शो के रूप में है, जिसने ज्ञान की शक्ति के जरिए आम लोगों की जिंदगी बदली है. यह शो स्टूडियो नेक्स्ट के निर्माण में बनेगा और इसकी चयन प्रक्रिया सोनी लिव ऐप के जरिए डिजिटल माध्यम से पूरी की जाएगी.

9 मई से रात 9 बजे से KBC के नए सीजन के लिए ऑडिशन शुरू कर दिए जायेंगे .

आइये जानते है की KBC के ऑडिशन की क्या प्रक्रिया है-

First step –रजिस्ट्रेशन

सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन, केबीसी के 12वें सीजन के रजिस्ट्रेशन 9 मई से शुरू कर रहा है, जो 22 मई तक जारी रहेगा. इसमें हर रात 9 बजे सोनी टीवी पर अमिताभ बच्चन  एक नया सवाल पूछेंगे. आप इन सवालों के जवाब sms के जरिए या सोनी लिव ऐप के जरिए दे सकते हैं.

 

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‘Van Gogh’s final words were: this sadness will last forever. la tristesse durera toujours ..’ mailed to me by dear friend Siddharth across the street .. ! .. grief will never leave us .. but time to be positive .. time to bring the 😁 back .. time for the adage ‘the show must go on’ .. Scene shot for AmarAkbarAnthony at RK Studios fl 3 , ManMohan Desai director .. we were shooting 2 films simultaneously .. PARVARISH and AAA .. both in RK Studios .. first on fl 1, a climax action with Vinod , Amjad and me .. and this scene with me on fl 3 .. Man ji said to me, you rehearse this mirror scene ‘main zara us floor pe shot lekar aata hoon’ .. but when he came back I had already done the scene and shot it with the ASST., .. a basic idea given by Kader Bhai .. rest is all impromptu , ad lib , one take .. !! When Man ji came back to this set he was surprised that his asst., Anil Nagrath and I had done it .. he commented ‘ aye, barabar kiya hai na scene .. thok to nahi diya ..’ !! Man ji finally saw the scene a month later – it used to take time to process develop the print in those times .. he saw it at the mini trial theatre at Ranjit Studios, where we were shooting the climax of AAA .. after seeing it we sat on the steps of the Office in the Studio and he said to me .. ‘Lalla ! you are going to work in every film of mine that I make, until you say NO’ !!! Those were the days !!!

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Second step  – स्क्रीनिंग

जो प्रतिभागी रजिस्ट्रेशन के दौरान प्रश्नों का सही उत्तर देंगे वो  रैंडम विधि पर आधारित, पहले से तय की गई विशेष प्रक्रिया के तहत चुने जाएंगे, उनसे आगे की प्रक्रिया के लिए टेलीफोन द्वारा संपर्क किया जाएगा.

Third step  – ऑनलाइन ऑडिशन

KBC  के इतिहास में पहली बार सामान्य ज्ञान परीक्षा और वीडियो प्रस्तुति, विशेष तौर पर सोनी लिव के जरिए होगी. जहां एक सरल ट्यूटोरियल के जरिए इसकी हर प्रक्रिया को विस्तार से समझाया गया है, जोकि सोनी लिव पर आसानी से देखा जा सकता है.

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Fourth step  – पर्सनल इंटरव्यू

इस प्रक्रिया का अंतिम और निर्णायक राउंड पर्सनल इंटरव्यू पर समाप्त होगा, जहां ऑडिशन देने वाले चुने गए प्रतिभागियों का इंटरव्यू भी वीडियो कॉल के जरिए लिया जाएगा.

प्रतिभागियों के चुनाव की इस संपूर्ण प्रक्रिया की जांच एक स्वतंत्र ऑडिट फर्म के द्वारा की जाएगी.

#coronavirus: अब हर्ड इम्यूनिटी का दांव

भारत में 30 जनवरी को कोरोना वायरस के संक्रमण का पहला मामला सामने आया था. 24-25 मई की रात 12 बजे से देशबंदी यानी तालाबंदी लागू है. 3 मई को संक्रमितों की संख्या बढ़कर 40 हजार  हो गई तो मरने वालों की तादाद तकरीबन डेढ़ हजार होने को है.

हालांकि कोविड-19 के हौटस्पौट अमेरिका और यूरोप की तुलना में यह आंकड़ा अपेक्षाकृत कम लग सकता है, लेकिन तसवीर का यह सिर्फ़ एक रुख़ है. अब तक भारत में 10 लाख लोगों का टेस्ट किया गया है, जो प्रति 10 लाख लगभग 694 के बराबर है और यह दुनिया में सबसे कम दरों में से एक है.

अस्पतालों में प्रति एक हजार लोगों पर मात्र 0.55 बेड और कुल 48 हजार वैटिलेटर के साथ 1.3 अरब की आबादी वाला यह देश कोरोना वायरस महामारी के आने  वाले गंभीर संकट का सामना कैसे करेगा, यह घोर चिंता का विषय है.

भारत जैसे युवा आबादी वाले ग़रीब देशों में कोरोना से निपटने के लिए हर्ड इम्यूनिटी एक प्रभावशाली रणनीति हो सकती है, लेकिन यह एक विवादास्पद दृष्टिकोण है. हाल ही में ब्रिटेन ने इसे ख़ारिज कर दिया था.

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शोधकर्ताओं ने भारत में कोरोना महामारी से बचाव के लिए हर्ड इम्यूनिटी या झुंड प्रतिरक्षण का सुझाव दिया था. शोधकर्ताओं की टीम ने सुझाव दिया था कि यदि एक नियंत्रित तरीक़े से अगले 7 महीनों में भारत के 60 फीसद लोगों को इस बीमारी से ग्रस्त होने दिया जाए तो नवंबर तक भारत में यह स्थिति आ जाएगी कि यह वायरस किसी नए व्यक्ति को संक्रमित नहीं कर सकेगा क्योंकि इतने सारे लोगों के संक्रमित हो जाने के बाद वायरस को ऐसे असंक्रमित लोग नहीं मिलेंगे जिन पर वह हमला कर सके और अपनी संख्या बढ़ा सके. हर्ड इम्यूनिटी या प्रतिरक्षात्मक क्षमता उस समय प्राप्त होगी, जब देश की अधिकांश आबादी (60 से 80 प्रतिशत) संक्रमित होकर फिर ठीक हो जाए.

हालांकि यह खसरा जैसी बीमारियों के लिए एक सामान्य दृष्टिकोण है लेकिन यह उपयोग एक घातक, नई व लाइलाज बीमारी के साथ एक बड़ा जोखिम हो सकता है.

भारत जैसे देश में हर्ड इम्यूनिटी के काम नहीं करने के 3 कारण हो सकते हैं, बल्कि संभावित रूप से ये इस देश के लिए ख़तरनाक भी हो सकते हैं,  इसलिए कि इससे अस्पतालों में मरीज़ों की संख्या बढ़ सकती है, जिससे स्वास्थ्य प्रणाली धराशायी हो सकती है और फिर अंत में बहुत बड़ी संख्या में मौतें हो सकती हैं.

पहला कारण यह है कि विशेषज्ञों को कोविड-19 से प्रतिरक्षा के बारे में अधिक जानकारी नहीं है, ख़ासतौर से इस बारे में कि यह रोगमुक्त क्षमता कितनी देर बाक़ी रहती है, किस प्रकार की प्रतिरक्षा हासिल होती है और फिर से संक्रमित होने की संभावना कब होती है. ये वे सवाल हैं जिनके जवाब आजकल दुनियाभर के विशेषज्ञ तलाश करने की कोशिश कर रहे हैं.

दूसरा कारण यह है कि भारत में हर्ड इम्यूनिटी की सिफ़ारिश इस धारणा पर की जा रही है क्योंकि देश की एक बड़ी आबादी युवा है, यानी 80 प्रतिशत आबादी 44 वर्ष की आयु से कम है. इन अधिकांश युवाओं में कोरोना वायरस की प्रतिक्रिया बहुत ख़तरनाक नहीं होगी. हालांकि, यह धारणा समस्या पैदा कर सकती है, इसलिए कि भारतीय युवाओं की एक बड़ी संख्या संक्रमित होने पर गंभीर स्थिति तक पहुंची है, यहां तक कि उनमें मृत्युदर भी ज़्यादा है.

45-54 आयुवर्ग के देशवासियों में से क़रीब 40 फीसद और 20-44 आयुवर्ग के 22 फीसद हाईब्लडप्रैशर से ग्रस्त हैं. 15-44 वर्ष की आयु के लगभग 4 फीसद लोग टाइप 2 मधुमेह की बीमारी से ग्रस्त हैं, जबकि अधिकांश मामले दर्ज नहीं हुए हैं. 21 लाख लोग एड्स के साथ जी रहे हैं, जिनमें से 83 फीसद की आयु 15 से 45 वर्ष के बीच है. इसके अलावा, युवाओं में अस्थमा और सांस की अन्य बीमारियां 4.2 फीसद हैं और लगभग एकतिहाई युवा तंबाकू का नशा करते हैं.

इसके बावजूद, युवा आबादी में हर्ड इम्यूनिटी की तलाश करना अधिक आयु वाले नागरिकों के लिए बड़ा जोखिम बन सकता है. देश में लगभग 5 करोड़ लोग 65 वर्ष से अधिक आयु के हैं.

सवाल उठता है कि इन बूढ़े भारतीयों को अलगथलग कैसे किया जाएगा. इनमें अधिकांश बड़े परिवारों में एकसाथ रहते हैं ख़ासकर देश के ग्रामीण हिस्सों में.

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तीसरा कारण यह है कि हर्ड इम्यूनिटी को लंबे समय तक रणनीति के रूप में लागू नहीं किया जा सकता. यह स्वास्थ्य प्रणाली की क्षमता में वृद्धि के साथ लागू की जाएगी, जैसे लोगों की शारीरिक क्षमता में वृद्धि, सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य क्षेत्रों के बीच सहयोग में वृद्धि, परीक्षणों में वृद्धि,  सामाजिक दूरी जैसे उपायों को लागू करना, फ़ेसमास्क का अनिवार्य होना तथा सार्वजनिक सभाओं  पर प्रतिबंध और एक ही स्थान पर अधिक भीड़ का जमा न होना, जो भारत के शहरों में आम है.

इस सबके मद्देनजर यह कहा जा सकता है कि हर्ड इम्यूनिटी की रणनीति पर पूरी तरह भरोसा करना देश के लिए ख़तरनाक हो सकता है.

डायरी: भाग-2

कालेज की अन्य सहेलियां मानसी की नजरों में विपुल के प्रति उठ रहे जज्बातों को पढ़ने में सक्षम होने लगी थीं. वे अकसर मानसी को विपुल के नाम से छेड़तीं. कुछ लड़कियां विपुल को मानसी का बौयफ्रेंड तक बुलाने लगी थीं. ऐसी संभावना की कल्पना मात्र से ही मानसी का मन तितली बन उड़ने लगता. चाहती तो वह भी यही थी मगर कहने में शरमाती थीं. सहेलियों को धमका कर चुप करा देती. बस चोरीछिपे मन ही मन फूट रहे लड्डुओं का स्वाद ले लिया करती.

“कल मूवी का कार्यक्रम कैसा रहेगा?”, मानसी के प्रश्न उछालने पर अनुजा इधरउधर झांकने लगी.

विपुल बोला, “कौन सी मूवी चलेंगे? मुझे बहुत ज्यादा शौक नहीं है फिल्म  देखने का.”

“लगता है तुम दोनों पिछले जन्म के भाईबहन हो. अनुजा को भी मूवी का शौक नहीं. उसे तो बस कोई किताबें दे दो, तुम्हारी तरह. लेकिन कभीकभी दोस्तों की खुशी के लिए भी कुछ करना पड़ता है तो इसलिए इस शनिवार हम तीनों फिल्म देखने जाएंगे, मेरी खुशी के लिए”, इठलाते हुए मानसी ने अपनी बात पूरी की.

विपुल के चले जाने के बाद अनुजा, मानसी से बोली, “तुम दोनों ही चले जाना फिल्म देखने. तुम्हारे साथ होती हूं तो लगता है जैसे कबाब में हड्डी बन रही हूं.”

“कैसी बातें करती हो? ऐसी कोई बात नहीं है. हम दोनों सिर्फ अच्छे दोस्त हैं,” मानसी ने उसे हंस कर टाल दिया.

जब तक विपुल के मन की टोह न ले ले, मानसी अपने मन की भावनाएं जाहिर करने के लिए तैयार नहीं थी.

 

“जो कह रही हूं, कुछ सोचसमझ कर कह रही हूं. तेरी आंखों में विपुल के प्रति आकर्षण साफ झलकता है. पता नहीं उसे कैसे नहीं दिखा अभी तक”, अनुजा की इस बात सुन कर मानसी के अंदर प्यार का वह अंकुर जो अब तक संकोचवश उस के दिल की तहों के अंदर दब कर धड़क रहा था, बाहर आने को मचलने लगा.

विपुल को देख कर उसे कुछ कुछ होता था, पर यह बात वह विपुल को कैसे कहे, इसी उधेड़बुन में उस का मन भटकता रहता.

‘अजीब पगला है विपुल. इतने हिंट्स देती हूं उसे पर वह फिर भी कुछ समझ नहीं पाता. क्या मुझे ही शुरुआत करनी पड़ेगी…’, मानसी अकसर सोचा करती.

*आजकल* मानसी का मन प्रेम हिलोरे खाने लगा था. विपुल को देखते ही उस के गालों पर लालिमा छा जाती. अब तो उस का दिल पढ़ाई में बिलकुल भी न लगता. उस का मन करता कि विपुल उस के साथ प्यारभरी मीठी बातें करे. जब भी वह विपुल से मिलती, चहक उठती. उस का मन करता कि विपुल उस के साथ ही रहे, छोड़ कर न जाए. आजकल वह प्रेमभरे गीत सुनने लगी थी और अपने कमजोर शब्दकोश की सहायता से प्यार में डूबी कविताएं भी लिखने लगी थी. लेकिन यह सारे राज उस ने अपनी निजी डायरी में कैद कर रखे थे. विपुल तो क्या, अनुजा भी इन गतिविधियों से अनजान थी.

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*उस* शाम जब अनुजा किसी काम से बाहर गई हुई थी तो विपुल रूम पर आया. मानसी तभी सिर धो कर आई थी और उस के गीले बाल उस के कंधों पर झूल रहे थे. मानसी अकसर अपने बालों को बांध कर रखा करती थी मगर आज उस के सुंदर केश बेहद आकर्षक लग रहे थे.

“आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो. अपने बालों को खोल कर क्यों नहीं रखतीं?” विपुल ने मुसकराते हुए कहा.

“केवल मेरे बाल अच्छे लगते हैं, मैं नहीं?”, मानसी ने खुल कर सवाल पूछे तो उत्तर में विपुल शरमा कर हंस पड़ा.

दोनों नोट्स पूरे करने बैठ गए.

“ओह, कितनी सर्दी हो रही है आजकल. यहां बैठना असहज हो रहा है. चलो, अंदर हीटर चला कर बैठते हैं”, कहते हुए मानसी विपुल को बैडरूम में चलने का न्योता देने लगी.

“आर यू श्योर?”, विपुल इस से पहले कभी अंदर नहीं गया था. जब भी आया बस लिविंगरूम में ही बैठा.

“हां.. हां…. चलो अंदर आराम से बैठ कर पढ़ेंगे. फिर मैं तुम्हें गरमगरम कौफी पिलाऊंगी.”

विपुल और मानसी दोनों बिस्तर पर बैठ कर पढ़ने लगे. मानसी ने तह कर रखी रजाई पैरों पर खींच लीं. दोनों सट कर बैठे पढ़ रहे थे कि अचानक बिजली कड़कने लगी. हलकी सी एक चीख के साथ मानसी विपुल से चिपक गई, “मुझे बिजली से बहुत डर लगता है. जब तक अनुजा वापस नहीं आ जाती प्लीज मुझे अकेला छोड़ कर मत जाना.”

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“ठीक है, नहीं जाऊंगा. डरती क्यों हो? मैं हूं न”, विपुल उस की पीठ सहलाते हुए बोला.

फिर एक बात से दूसरी बात होती चली गई. बिना सोचे ही विपुल और मानसी एकदूसरे की आगोश में समाते चले गए. कुछ ही देर में उन्होंने सारी लक्ष्मणरेखाएं लांघ दीं. बेखुदी में दोनों जो कदम उठा चुके थे उस का होश उन्हें कुछ समय बाद आया.

बाहर छिटपुट रोशनी रह गई थी. सूरज ढल चुका था. कमरे में अंधेरा घिर आया. मानसी धीरे से उठी और कमरे से बाहर निकल गई. विपुल भी चुपचाप बाहर आया और कुरसी खींच कर बैठ गया. दोनों एकदूसरे से कुछ कह पाते इस से पहले अनुजा वापस आ गई. उस के आते ही विपुल “देर हो रही है,” कह कर अपने घर चला गया. जो कुछ हुआ वह अनजाने में हुआ था मगर फिर भी मानसी आज बेहद खुश थी. उसे अपने प्यार का सानिध्य प्राप्त हो गया था. आगे आने वाले जीवन के सुनहरे स्वप्न उस की आंखों में नाचने लगे. आज देर रात तक उस की आंखों में नींद नहीं झांकी, केवल होंठों पर मुस्कराहट  तैरती रही.

“क्या बात है, आज बहुत खुश लग रही हो?” अनुजा ने पूछा तो मानसी ने अच्छे मौसम की ओट ले ली.

*अगले* दिन विपुल मानसी के रूम पर उसे पढ़ाने नहीं आया बल्कि कालेज में भी कुछ दूरदूर ही रहा. करीब 4 दिनों के बाद मानसी कालेज कैंटीन में बैठी चाय पी रही थी कि अचानक विपुल आ कर सामने बैठ गया. उसे देखते ही मानसी का चेहरा खिल उठा.

“हाय, कैसे हो?”, मानसी ने धीरे से पूछा.

पर विपुल को देख कर ऐसा लग रहा था जैसे वह पतला हो गया हो.

‘तो क्या विपुल बीमार था, इस वजह से दिखाई नहीं दिया’, मानसी सोचने लगी, ‘और मैं ने इस का हालतक नहीं पूछा. मन ही मन मान लिया कि उस दिन की घटना के कारण शायद विपुल सामना करने में असहज हो रहा हो.’

“मानसी, मैं तुम से कुछ बात करना चाहता हूं. उस शाम हमारे बीच जो कुछ हुआ वह… मैं ने ऐसा कुछ सोचा भी नहीं था. बस यों ही अकस्मात हालात ऐसे बनते चले गए. प्लीज, हो सके तो मुझे माफ कर दो और इस बात को यहीं भूल जाओ. मैं भी उस शाम को अपनी याददाश्त से मिटा दूंगा.”

‘तो इस कारण विपुल पिछले कुछ दिनों से रूम पर नहीं आया.’ मानसी का शक सही निकला. उस दिन की घटना के कारण ही विपुल मिलने नहीं आ रहा था.

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उस शाम मानसी को विपुल का साथ अच्छा लगा था. वह पहले से ही विपुल की ओर आकर्षित थी. अब यदि उस का और विपुल का रिश्ता आगे बढ़ता है तो मानसी को और क्या चाहिए. वह खुश थी मगर आज विपुल की इस बात पर उस ने ऊपर से केवल यही कहा, “मैं ने बुरा नहीं माना, विपुल. मैं तो उस बात को एक दुर्घटना समझ कर भुला भी चुकी हूं. तुम भी अपने मन पर कोई बोझ मत रखो.”

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डायरी: भाग-3

मानसी चाहती थी कि अब उसका और विपुल का प्यार आगे बढ़े, पहली सोपान चढ़े और धीरेधीरे गहराता जाए. इसलिए विपुल को किसी भी तनाव में रख कर इस रिश्ते के बारे में सोचा नहीं जा सकता, यह बात वह अच्छी तरह समझ चुकी थी. प्यार की क्यारी को पनपने के लिए जो कोमल मिट्टी मन के आंगन में चाहिए उसे अब वह अपनी सहज बातों और मीठे व्यवहार की खुरपी से रोपना चाहती थी.

इस घटना का जिक्र मानसी ने केवल अपनी डायरी में किया. अनुजा को उस शाम के बारे में कुछ नहीं पता था.

तीनों एक बार फिर पुराने दोस्तों की तरह मिलनेजुलने लगे. विपुल फिर सै रूम पर आने लगा. तीनों घूमनेफिरने जाने लगे. अब तक विपुल और अनुजा की भी अच्छी निभने लगी. एक तरफ विपुल के लिए मानसी की चाहत तो दूसरी तरफ विपुल से अनुजा की बढ़ती मित्रता, इस तिगड़ी में सभी बेहद प्रसन्न रहने लगे.

*एक* शाम जब अनुजा रूम पर आई तो मानसी ने हड़बड़ा कर अपनी डायरी जिस में वह कुछ लिख रही थी, बंद कर किताबों के पीछे छिपा दी.

“मुझे सब पता है क्या लिखती रहती हो तुम इस डायरी में”, अनुजा ने चुटकी ली.

“ऐसा कुछ नहीं है. तुम न जाने क्याक्या सोचती रहती हो…” मानसी हंसी और कमरे से बाहर निकल गई. अनुजा उस के पीछेपीछे आई और कहने लगी, “मानसी, अगर विपुल आगे नहीं बढ़ पा रहा तो तुम्हें शुरुआत करनी चाहिए. मुझे लगता है अब समय आ गया है. हम तीनों की दोस्ती को 1 साल होने को आया है. हम एकदूसरे को अच्छी तरह समझने लगे हैं. अब ज्यादा सोचविचार में और समय मत गंवाओ. विपुल जैसा अच्छा लड़का सब को नहीं मिलता…आगे बढ़ो और अपने मन की बात विपुल से कह डालो.”

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अनुजा ने मानसी को समझाया तो वह विपुल से अपने दिल की बात करने को राजी हो गई. अनुजा ने सुझाव दिया कि निकट आते वैलेंटाइन डे पर मानसी विपुल से अपने दिल की बात कह दे, मगर  वैलेंटाइन डे से पहले रोज डे पर विपुल ने अनुजा को लाल गुलाब दे कर अचानक प्रपोज कर दिया. ऐसे किसी कदम की उसे उम्मीद न थी. अनुजा हक्कीबक्की रह गई. कुछ कहते न बना. बस खामोशी से गुलाब हाथ में लिए वह रूम पर लौट आई. जब मानसी को इस घटना के बारे में पता लगा तो उसे अनुजा से भी ज्यादा ठेस लगी. वह तो विपुल को अपना बनाने की ख्वाब संजो रही थी लेकिन विपुल ने तो बाजी ही पलट दी.

अनुजा जानती थी कि मानसी के मन में विपुल को ले कर आकर्षण पनप रहा है. वह तो स्वयं ही मानसी को विपुल की ओर धकेल रही थी. मगर विपुल ने आज जो किया उस के बाद अनुजा मानसी से नजरें मिलाने में भी सकुचाने लगी.

‘न जाने मेरी सहेली मेरे बारे में क्या सोचेगी?’ अनुजा मन ही मन परेशान होने लगी. उस की बेचैनी उस के चेहरे पर साफ झलकने लगी.

मानसी ने अनुजा के अंदर उठ रहे तूफान को पढ़ लिया. आखिर दोनों बचपन से एकदूसरे का साथ निभाती आई थीं. भावनाएं बांटती आई थीं. अनुजा के चेहरे पर उठ रहे व्यग्रता के भावों को देख मानसी ने अपने चेहरे पर जरा भी व्याकुलता नहीं आने दी. एक सच्ची सहेली की तरह उस ने अनुजा के सामने स्वयं को उस की खुशी में प्रसन्न दर्शाया. उस ने अनुजा को यह कह कर समझाया कि जो कुछ वह सोच रही थी, ऐसा कुछ नहीं था. वे तीनों अच्छे मित्र हैं और मानसी के मन की भावनाएं केवल अनुजा की कल्पना मात्र हैं. विपुल की तरफ से कभी भी इस प्रकार का न तो कोई संदेश आया, न ही इशारा. वह दोनों केवल अच्छे दोस्त रहे.

“तुम्हें गलतफहमी हो गई थी, मेरी जान. विपुल मुझे नहीं तुम्हें पसंद करता है और इस का साक्षी है उस का दिया यह गुलाब का फूल. अब खुशी से फूल को अपनाओ और विपुल के साथ एक सुखी जीवन बिताओ. मेरी शुभकामनाएं तुम्हारे साथ हैं”, मानसी ने कहा तब जा कर अनुजा को थोड़ी शांति मिली.

मानसी ने यह सब केवल अनुजा को शांत करने के लिए कहा, मगर उस के अंदर जो ज्वालामुखी फट रहे थे उस का सामना करना उस के लिए कठिन हो रहा था. विपुल ने उसे धोखा दिया है. वह उस के साथ ऐसा कैसे कर सकता है? क्या मानसी की आंखों में विपुल ने कभी कुछ नहीं पढ़ा? और उस शाम का क्या जो उन दोनों ने एकदूसरे की बांहों में गुजारीं? मानसी को इन सभी सवालों के दैत्य घेरने लगे. वह भीतर ही भीतर सुलगने लगी. अपनी सब से प्यारी सहेली की खुशी में वह बाधा नहीं बनना चाहती पर दिल का क्या करे.

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अगला पूरा हफ्ता इसी उहापोह में बीता. अनुजा के समक्ष ऊपर से शांत और प्रसन्न दिखने वाली मानसी अंदर ही अंदर घुल रही थी.

आखिर दिल पर दिमाग हावी हो ही गया. इतने दिनों से चल रही मगजमारी में मानसी का शैतानी मन उस के शांत मन से जीत गया. उस ने ठान लिया कि वह विपुल को सबक सिखा कर रहेगी और उस की सचाई अनुजा के सामने खोल देगी. इसी आशय से उस ने सुबूत के तौर पर अपनी डायरी उठाई और तैयार हो कर कालेज चली गई. आज वह इस डायरी में बंद हर राज को अनुजा के समक्ष रख देगी.

*कालेज* में हर जगह लाल रंग की लाली छाई हुई थी. आज वैलेंटाइन डे था. हर ओर लाल गुब्बारे, दिल की शेप के कटआउट, लाल रिबन, लड़कियां भी लाललाल पोशाकों में सजी हुईं अपने अपने बौयफ्रैंड के साथ इठलाती घूम रही थीं. कहां आज ही के दिन मानसी ने विपुल से अपने दिल की बात कहने की सोची थी और कहां आज वह विपुल और अनुजा के बनते हुए रिश्ते को तोड़ने जा रही है.

मानसी ने कैफेटेरिया में विपुल और अनुजा को एकसाथ बैठे देख लिया. उस की तरफ उन दोनों की पीठ थी. सधे हुए तेज कदमों से बढ़ती हुई वह उन की तरफ लपकी. इस से पहले कि वह उन्हें आड़े हाथों लेती उस के कानों में उनका वार्तालाप सरक गया.

“अनुजा, तुम मुझे पहले ही दिन से पसंद आ गई थीं. तुम्हारा मितभाषी स्वभाव मेरे अपने अंतर्मुखी स्वभाव से मेल खाता है”, विपुल बोला.

“हां, और देखो न हमारे स्वाद, हमारी इच्छाएं और आकांक्षाएं भी कितनी मिलतीजुलती हैं. सच कहूं तो मैं ने तुम्हें कभी उस नजर से देखा नहीं था”, अनुजा कह रही थी, “बल्कि मैं तो कुछ और ही समझती रही थी अब तक,” संभवतया अनुजा का इशारा मानसी की ओर था.

“समझने में मुझे भी कुछ समय जरूर लगा. कभीकभी मन में कुछ संशय भाव भी उभरे. पर यह निर्णय मैं ने बहुत सोचसमझ कर किया है. जीवन में गलती सभी से हो जाती है मगर समझदार वही व्यक्ति है जो अपनी गलतियों से सीख कर आगे बढ़ता है”, विपुल ने अपनी बात पूरी की.

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पीछे खड़ी मानसी सब सुन रही थी. ‘सच ही तो कह रहे हैं दोनों. एकदूसरे के लिए यही बने हैं. दोनों के स्वभाव एकदूसरे के अनुकूल हैं. क्या एक बार सोने से प्यार हो जाता है? नहीं न… विपुल और उस के बीच जो हुआ वह प्यार का नहीं जवानी के आकर्षण व जोश का परिणाम था, जो शायद किसी के भी साथ हो सकता है. एक बार हुई ऐसी घटना के बलबूते पूरे जीवन के निर्णय नहीं लिए जा सकते और न ही लेने चाहिए. विपुल ने सही निर्णय लिया जो सोचसमझ कर अपने अनुरूप साथी का चयन किया. दोनों साथ में कितने खुश हैं. मेरे दोस्त हैं. क्या इन की खुशी पर वज्रपात कर के मैं खुश रह पाऊंगी? क्या ऐसा करने के बाद मैं स्वयं को कभी माफ कर पाऊंगी? निर्णय वही लेना चाहिए जिस से जीवन सुखी हो. आज भावेश में आ कर मैं यह क्या करने जा रही थी…’, मानसी ने अपने कदम रोक लिए. अपनी डायरी को उस ने वापस अपने बैग में छिपा दिया. अब इसकी जरूरत कभी नहीं पड़ेगी.

नभ में छाई घटाएं खुलने लगीं. बसंत के मध्यम सूरज की सुहानी किरणें हर ओर उजाले की बौछारें करने लगीं. मानसी के मन के अंदर भी यह उजाला उतरने लगा. उस के चेहरे पर मुसकराहट आने लगी.

“अच्छा बच्चू, मुझ से गुपचुप यहां अकेले पार्टी करने का प्रोग्राम है. तुम दोनों भले ही एक कपल बन गए हो पर मैं कबाब में हड्डी बनने से संकोच नहीं करूंगी. मुझे भी तुम्हारे साथ पार्टी करनी है”, कहते हुए मानसी ने अपनी दोनों बांहें पसार दीं.

अनुजा और विपुल ने भी हंसते हुए उसे अपनी बांहों में ले लिया. तीनों ने कौफी और केक का और्डर दिया. अनगिनत बातों का पिटारा फिर खुलने लगा.

Mother’s Day 2020: फैमिली के लिए बनाएं काजू पुलाव

अगर आप लॉकडाउन में नए तरह का पुलाव घर पर फैमिली के लिए ट्राय करना चाहते हैं तो काजू पुलाव आपके लिए बेस्ट रेसिपी है. ये टेस्टी के साथ-साथ हेल्दी भी है.

सामग्री :

–  केसर (¼ छोटा चम्मच)

–  गरम दूध (½ कप)

– घी (40 ग्राम)

– 2 प्याज (बारीकी कटा हुआ)

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– बासमती चावल 300 ग्राम (1½ कप)

– इलायची (4)

–  लौंग (2)

– सब्जी का शोरबा  (2½ कप)

–  भुना हुआ काजू (½ कप)

– किशमिश (½ कप)

बनाने की विधि –

– सबसे पहले केसर को एक छोटी कटोरी में गरम दूध में डाल कर 10 मिनट के लिये रख दें.

– तब तक के लिये एक बडे़ फ्राइंग पैन में घी गरम करें, उसमें कटी प्‍याज डाल कर भूरा होने तक पकाएं.

– जब प्‍याज भूरे रंग की हो जाए तब इसे एक कटोरे में निकाल कर रख लें.

– अब एक सौस पैन में चावल डालें, उसमें केसर वाला घोल, लौंग, इलायची और सब्‍जी वाला शोरबा मिक्‍स करें.

– पैन को ढक्‍कन से बिल्‍कुल टाइट फिट कर दें और चावल को उबाल लें.

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– फिर आंच को कम करें और 12 मिनट तक पकाएं या फिर तब तक पकाएं जब तक कि राइस पक ना   जाए.

– इसे एक किनारे रखें, फिर 10 मिनट के बाद इसे खोल कर इसमें से इलायची और लौंग निकालें.

– चावल को किसी चम्‍मच से चलाएं और फिर इस पर फ्राई की हुई प्‍याज, काजू और किशमिश डाल कर सर्व करें.

#coronavirus: मानव शरीर के भीतर रह सकती है महामारी

नोवल कोरोना वायरस के आगे सभी घुटने टेक चुके हैं. उम्मीद है तो साइंस से या वैज्ञानिकों से. वैज्ञानिक रिसर्च में जुटे हैं, हल खोज रहे हैं. दुनिया के उच्च श्रेणी के एक वैज्ञानिक ने कहा है कि नोवल कोरोना वायरस की कोविड-19 के ऐसी महामारी होने की संभावना है जो लंबे समय तक इंसानों में रह सकती है, मौसमी बन सकती है और मानव शरीर के भीतर बनी रह सकती है.

लौकडाउन में हमआप कब तक रहेंगे, कब लौकआउट होंगे, इस सवाल के कोई माने नहीं जब, हो सकता है, हमआप अपने जिस्मों के लौकअप में वायरस को कैद किए घूम रहे हों, आम जीवन जी रहे हों.

विज्ञान और वैज्ञानिकों की तो माननी पड़ेगी, इस समय वही आस हैं. इन्हीं वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस ख़त्म नहीं होगा और इसके संक्रमण के मामले हर साल आते रहने की आशंका है. ऐसा मानने के पीछे एक तर्क तो यही है कि नोवल कोरोना वायरस, एसएआरएस यानी गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम के परिवार का ही एक वायरस है और यह एसएआरएस वायरस 17 वर्षों पहले आया था. एसएआरएस का मामला पहली बार नवंबर 2002 में चीन में आया था और फ़रवरी 2003 में इसकी पहचान की गई थी. यह वायरस ख़त्म नहीं हुआ है और इसके संक्रमण के मामले जबतब आते रहे हैं.

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दुनियाभर के शीर्ष शोधकर्ताओं और सरकारों के बीच एक आम सहमति यह बन रही है कि लौकडाउन के बावजूद इस वायरस को ख़त्म होने की संभावना नहीं है. अमेरिका के नेशनल इंस्टिट्यूट औफ़ एलर्जी ऐंड इंफैक्शस डिजीज के निदेशक एंथोनी फ़ौसी ने पिछले महीने कहा था कि वायरस के कारण होने वाली बीमारी कोविड -19 एक मौसमी बीमारी बन सकती है. उन्होंने यह बात कई देशों में ऐसे मामले सामने आने के बाद कही थी.

अब चीन के वायरल और चिकित्सा शोधकर्ताओं के एक समूह ने इस मामले में राजधानी बीजिंग में प्रेस कौन्फ्रैंस में कहा कि मरीज़ों में बिना लक्षण दिखाए लंबे समय तक रहने वाले वायरस को फैलने से रोकना बेहद मुश्किल हो जाता है क्योंकि ऐसा वायरस बिना पकड़ में आए ही लोगों में फैलता रहता है.

विशेषज्ञों का कहना है कि एसएआरएस यानी सार्स वायरस के मामले में संक्रमित लोग गंभीररूप से बीमार तो हुए लेकिन एक बार जब उन्हें क्वारंटीन कर दिया गया तो वायरस फैलने से रुक गया. उसके उलट, नोवल कोरोना वायरस के मामले में ऐसा नहीं है. चीन में कोरोना वायरस के संक्रमण पर नियंत्रण पा लिए जाने के बावजूद हर रोज़ ऐसे दर्जनों कोरोना संक्रमण के मामले आ रहे हैं जिनमें कोई लक्षण ही नहीं दिख रहा है.

चीन के शीर्ष अनुसंधान संस्थान चाइनीज एकेडमी औफ़ मेडिकल साइंसेज में पैथोजन जीवविज्ञान संस्थान के निदेशक जिन क्यूई ने कहा, ‘इसके एक ऐसी महामारी होने की संभावना है जो लंबे समय तक इंसानों में रह सकती है, मौसमी बन सकती है और मानव शरीर के भीतर बनी रह सकती है.’

यदि चीन के वैज्ञानिकों की यह बात सही है तो फिर अमेरिका की प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी और दिल्ली की एक संस्था के शोधकर्ताओं का वह सुझाव घातक हो सकता है जिसमें कहा गया है कि भारत को कोरोना वायरस से मुक्त करने का सर्वश्रेष्ठ तरीक़ा यह है कि इसकी आधी से ज़्यादा आबादी को कोरोना वायरस से संक्रमित करा दिया जाए.

प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी और दिल्ली की संस्था के शोधकर्ताओं ने इसके लिए हर्ड इम्यूनिटी या झुंड प्रतिरक्षण का सुझाव दिया था. चूँकि कोरोना वायरस का कोई वैक्सीन यानी टीका अभी बना नहीं है, इसलिए उस टीम ने सुझाव दिया था कि यदि एक नियंत्रित तरीक़े से अगले 7 महीनों में भारत के 60 फीसद लोगों को इस बीमारी से ग्रस्त होने दिया जाए तो नवंबर तक भारत में यह स्थिति आ जाएगी कि यह वायरस किसी नए व्यक्ति को संक्रमित नहीं कर सकेगा क्योंकि इतने सारे लोगों के संक्रमित हो जाने के बाद वायरस को ऐसे असंक्रमित लोग नहीं मिलेंगे जिन पर वह हमला कर सके और अपनी संख्या बढ़ा सके.

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कुछ रिपोर्टों में कहा गया है और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी कह चुके हैं कि जैसेजैसे गरमी बढ़ेगी, यह वायरस कमज़ोर पड़ जाएगा. लेकिन इसके लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं हैं. पेकिंग यूनिवर्सिटी फर्स्ट हौस्पिटल के संक्रामक रोग विभाग के प्रमुख वांग गुइकियांग ने कहा है, ‘यह वायरस गरमी के प्रति संवेदनशील तो है लेकिन ऐसा तब होगा जब यह वायरस 30 मिनट के लिए क़रीब 56 डिग्री सैल्सियस पर रखा जाए और मौसम कभी इतना गर्म नहीं होता. इसलिए, विश्वस्तर पर गरमी के दौरान भी वायरस संक्रमण मामलों के कम होने की संभावना कम ही है.’

सो, तय है कि मौजूदा वायरस हालफिलहाल खत्म होने वाला नहीं है. वह तो मानव के भीतर तमाम कोशिकाओं यानी सैल्स के संग रहने की आदत डालने में जुटा है. अब यह हम पर है कि लौकडाउन में बंद रहें या फिर लौकआउट में क्रियाशील.

देबिना और हमारी दोस्ती बहुत अच्छी है– गुरमीत चौधरी

छोटे पर्दे से अभिनय कैरियर में कदम रखने वाले गुरमीत चौधरी का बचपन जबलपुर और चेन्नई में बिता है उन्हें हमेशा से कुछ अलग काम करने की इच्छा थी, जिसमें साथ दिया उसके माता-पिता ने. गुरमीत ने टीवी, फिल्म, वीडियो एल्बम आदि सभी में काम किया है. अभिनय के अलवा गुरमीत ने कई रियलिटी शो में भी हिस्सा लिया है. उन्हें हमेशा नयी स्क्रिप्ट और कहानी का इंतज़ार रहता है. इस लॉकडाउन में वे घर पर अपनी पत्नी और माँ के साथ है और उनके द्वारा बनाये गए सभी व्यंजन का लुत्फ़ उठा रहे है. हालांकि ये कठिन घड़ी है, लेकिन इससे निकलकर कुछ अच्छा करने की इच्छा रखते है. उनसे बात हुई पेश है खास अंश.

सवाल-इनदिनों आपकी दिनचर्या क्या है?

व्यस्त दिनों में घर पर समय बिता नहीं पाता, इसलिए अभी घरवालों को समय दे रहा हूं. कुछ किताबे पढ़ना और वर्क आउट कर रहा हूं. इसके अलावा मेरी पत्नी देबिना और माँ यू ट्यूब पर कुछ-कुछ देखकर बना रही है और मैं बड़े चाव से खा रहा हूं.

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सवाल-लॉक डाउन के बाद देश में किस तरह के बदलाव को महसूस कर रहे है? इंडस्ट्री कैसे बदलेगी?

लॉक डाउन के बाद बहुत सारी बातें बदल जाएगी और इस दिशा में शायद निर्माता, निर्देशक सभी सोच रहे है और कुछ अच्छा निकलकर अवश्य आएगा. काम जरुरी है, लेकिन इसके साथ-साथ सावधानियां भी बनाये रखने की आवश्यकता है. ये केवल हमारे देश में ही नहीं पूरे विश्व में ये बदलाव देखा जायेगा. मैंने अक्सर जापानी, कोरियन सीरीज और फिल्मों में एक्टर्स को मास्क पहनकर अभिनय करते देखा है. यहाँ भी वैसी ही कुछ सूरत होगी. जब तक कोरोना वायरस का वैक्सीन नहीं बनता, लव सीन्स में पहले की फिल्मों की तरह फूलों और कोयल की आवाज से ही काम चलाना पड़ेगा.

सवाल-आपने हर तरह की भूमिका निभाई है अभी क्या बाकी रह गया है 

मुझे अभी केवल शुरुआत लगता है. टीवी मैंने की है, फिल्मों में अधिक काम करना बाक़ी है. फिल्मों में काम करते वक़्त कभी लगा नहीं कि मैं टीवी आर्टिस्ट हूं. हर नए प्रोजेक्ट में एक फ्रेश कलकार की तरह मैं काम करता हूं. हर एक प्रोजेक्ट मेरे लिए उत्साहपूर्ण होता है. हर काम मुझे पहला प्रोजेक्ट लगता है.

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सवाल-कोई खास फिल्म जिसे आप करना चाहते है? 

मेरी इच्छा है कि एक्शन,डांस और कॉमेडी फिल्म करूँ, क्योंकि मेरा एक्शन अच्छा है मुझे डांस भी पसंद है. कॉमेडी तो मुझे करना बहुत अच्छा लगता है. उसे फिल्मों में एक्स्प्लोर करना चाहता हूं. रोहित शेट्टी, संजय लीला भंसाली, राजू हिरानी, करण जौहर आदि सभी के साथ काम करना चाहता हूं.

सवाल-सोशल मीडिया की ट्रोलिंग को आप कैसे देखते है?

अटेंशन पाने के लिए लोग कुछ भी सोशल मीडिया पर करते रहते है. मैं उसे पढता भी नहीं हूं. अवॉयड करता हूं. आलोचक को पढता हूं.

सवाल-आपके जीवन में देबिना और परिवार का कितना सहयोग रहा है?

परिवार के बिना आप कभी भी आगे नहीं बढ़ सकते. इसमें मेरे परिवार में मेरे माता पिता, देबिना और उसके पेरेंट्स सभी का कुछ न कुछ योगदान रहा है. मैं जब देबिना को डेट कर रहा था, तो मुझे कोई पहचानता नहीं था और न ही मेरी कोई पहचान थी. मेरे लिए मेरा घर और परिवार सबसे पहले आता है, क्योंकि घर पर खुश होने पर आप बाहर भी ख़ुशी से काम कर सकते है.

सवाल-सुखी वैवाहिक जीवन का राज क्या है?

हम दोनों में दोस्ती बहुत अच्छी है, इसलिए कहासुनी होने पर फिर से दोस्त बन जाते है. इसके अलावा हम दोनों के बीच में कभी कोई तीसरा न होने पर भी हम दोनों अच्छा समय साथ बिता लेते है.

सवाल-इरफ़ान खान और ऋषि कपूर दो अच्छे और दिग्गज कलाकार हमारे बीच नहीं रहे, आपकी प्रतिक्रिया उनके बारें में क्या है?

दोनों ही लीजेंड कलाकार रहे है, दोनों का अचानक गुजरना बहुत दुखद है. मैं लॉक डाउन से उतना नहीं घबराया, जितना इस न्यूज़ से परेशान हुआ. इस समाचार ने तो मुझे झकझोर कर रख दिया. कोरोना वायरस के लॉक डाउन के चलते मैं उन दोनों का आखिरी दर्शन भी नहीं कर पाया, जिसका मुझे खेद है. इरफ़ान खान को मैं धारावाहिक ‘चंद्रकांता’ की बद्रीनाथ चरित्र से जानता था. उनकी कई फिल्में भी देखी है, जिससे मैं बहुत प्रभावित था.

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ऋषि कपूर की फिल्म ‘चांदनी’ मुझे बहुत पसंद थी. उनकी फिल्में मैं जरुर देखता था. उन दोनों के साथ काम करने की भी इच्छा थी. इस लॉस से हम दोनों देबिना और मैं बहुत दुखित है.

धर्म के नाम पर आपस में लड़ना बंद करें- शमा सिकंदर

धारावाहिक ये मेरी लाइफ है से चर्चित होने वाली अभिनेत्री शमा सिकंदर राजस्थान के मकराना शहर की है. उसने कई धारावाहिकों, फिल्मों और वेब सीरीज में काम किया है.  स्वभाव से बोल्ड और आत्मविश्वास से परिपूर्ण शमा को इंडस्ट्री में अपनी पहल बनाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी. उसकी एक प्रोडक्शन हाउस ‘शमा सिकंदर फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड’ भी है.

इनदिनों शमा लॉक डाउन में घर पर बैठकर उन सभी कार्यों को निपटा रही है, जिसे वह व्यस्त रूटीन में नहीं कर पाती. उनसे बात करना रोचक था पेश है अंश.

सवाल-अभी आप क्या कर रही है?

आज मेरी हेल्पर जो घर पर मेरे साथ ही रहती है आलू पालक बनायीं है. मेरे पास कुछ केक बैटर पड़े है, जिसे मैं केक बना रही हूं. रात में कुछ मीठा खाने की इच्छा होती है, जो अब नहीं मिल पाता, इसलिए मैंने ग्लूटेन फ्री आलमंड केक और पास्ता बनाया है. कुछ हेल्दी फ़ूड खाने की कोशिश कर रही हूं. इसके अलावा मिक्स वर्कआउट करती हूं.

सवाल-अभिनय की इच्छा कहां से पैदा हुई?

मैं बचपन से ही अभिनय करने में तेज़ हूं. स्कूल बंक करने के लिए सफाई से झूठ बोला करती थी. जब भी स्कूल में नाटक होता था तो मेरे पिता को लगता था कि मैं अभिनय कर सकती हूं और वे मुझे नाटकों में भाग लेने के लिए कहते थे. उन्हें फिल्में देखने का बहुत शौक था.मैं उस समय बहुत ‘शाय नेचर’ की थी मुझमें हिम्मत नहीं थी कि मैं अभिनय करू,पर उनके कहने पर मैं करने लगी थी. छोटे शहर में रहने के बावजूद भी वे चाहते थे कि मैं अपनी पढ़ाई जारी रखूँ. उन्होंने हर तरह की आज़ादी दी,पर मुझे अपने आपको समझने में काफी समय लगा कि मैं अभिनय कर सकती हूं.

मेरे पिता का मार्बल का व्यवसाय था, उन्होंने कई सेलिब्रिटी के घर पर मार्बल का काम करवाया था. काम के दौरान वे मुंबई आते रहते थे, कई बार मेरा पूरा परिवार उनकी पार्टियों में शामिल होते थे, ऐसे में पिता को लगा कि मैं अभिनय कर सकती हूं और मुझे एक्टिंग स्कूल में प्रशिक्षण के लिए डाल दिया . पहले तो मुझे अभिनय पसंद नहीं था और लगता था कि मैं सुंदर नहीं हूं ,मैं अभिनेत्री नहीं बन सकती,पर धीरे-धीरे मुझे भी अच्छा लगने लगा.

सवाल-आपकी अब तक की जर्नी से कैसी रही ?

मैं एक छोटे शहर से हूं  ऐसे में मुंबई में आना और काम करना मेरे लिए चुनौती थी. मैंने 13 साल की उम्र में अभिनय शुरू कर दिया था, जो मेरे लिए चुनौती थी. मेरा कोई गॉड फादर नहीं था, इसलिए समस्या और अधिक होती थी. मैंने काम अधिक नहीं किया,लेकिन जो भी किया,वह अच्छा किया. इससे मेरे अंदर कई बार घमंड भी आये , पर मुझे जिंदगी ने इतनी पछाड़ लगाई कि मैं वापस सही हो गयी. मैंने जिंदगी में आभारी रहना सीखा है. मुझे कभी लगा नहीं था कि मैं यहाँ तक पहुँच पाऊँगी. मेरी डिप्रेशन और बाइपोलर डिसऑर्डर ने मुझे इसकी सीख दी है. मैंने अपनी जिंदगी को पूरे शानोशौकत से जी है और अब कोई मलाल रह नहीं गया है. मैंने आंसू भर- भर के पिया है और खुशियाँ को भी बहुत एन्जॉय किया है. मैं आज मौत से भी नहीं घबराती. मैंने हमेशा से मुसीबतों को ओपर्चुनिटी समझा है.

सवाल- पहला ब्रेक कब मिला ?

मैंने 13 साल की उम्र में काम करना शुरू कर दिया था. इसकी वजह हमारी वित्तीय अवस्था का अचानक ख़राब हो जाना था .परिवार काफी आर्थिक तंगी से गुजर रही थी. मैं परिवार में बड़ी हूं और जब पिता की ये हालत देखी, तो काम करने की ठान ली. कोशिश की और फिरोज खान ने फिल्म ‘प्रेम अगन’ में मुझे पहला ब्रेक दिया.

मुझे याद आता है कि एक रात  मैंने अपनी माता-पिता को रोते हुए देखा था. तब मुंबई में दंगे चल रहे थे,ऐसे में पैसे की व्यवस्था कैसे होगी,कैसे वे हमें भरपेट भोजन देंगे इसकी चिंता उन्हें सता रही थी,क्योंकि व्यवसाय ठप हो गया था.हम सब दंगे के शिकार थे. उसके बाद पिता को वापस अपनी आर्थिक अवस्था सुधारने में काफी वक़्त लगा,लेकिन तब तक हमारे पास घर चलाने के लिए कुछ नहीं था. इसलिए मुझे जल्दी काम करना पड़ा,क्योंकि उस समय मेरा मन भी पढ़ाई में नहीं लगता था. घर चलाना है बस यही सोचती थी, क्योंकि मुझसे छोटे तीन भाई- बहनों को सम्हालना था.

वहां से मेरा अभिनय कैरियर शुरू हुआ ,मैं छोटी-छोटी भूमिका जो भी मिलता उसे करने लगी थी,मुझे डांस आती थी, इसलिए  एक्स्ट्रा में खडी हो जाती थी,कोरियोग्राफर जो डांस सिखाते थे वही मुझे हर जगह ले जाते थे, ऐसे कर जो चार पांच सौ रूपये मिलते थे, वही बहुत बड़ी बात उस ज़माने में हुआ करती थी. जब मैंने  पहली कमाई 500 रुपये लेकर मम्मी के हाथ में दिया तो वह मुझे गले लगाकर रोने लगी थी.

सवाल- लॉक डाउन के बाद इंडस्ट्री में भी काफी बदलाव लाने की जरुरत है, कैसे क्या करना संभव हो सकेगा?

मेरी दो फीचर फिल्म थी, जो शुरू होने वाली थी और ये लॉक डाउन हो गया. आगे क्या होगा किसी के लिए कुछ भी कहना संभव नहीं है. लॉक डाउन के उठने के बाद भी दर्शकों को सिनेमा घरों तक आने में डर लगा रहेगा, क्योंकि भीड़भाड़ वाले जगहों पर लोग जाना पसंद नहीं करेंगे, ऐसे में इंडस्ट्री को नया रुख अख्तियार करने की आवश्यकता होगी और वे शायद कर भी रहे होंगे,क्योंकि फिल्मों में शूटिंग के वक़्त 300 से 400 लोग पूरी यूनिट में होते है. मेकअप मैन हमारे चेहरे को नजदीक से मेकअप करते रहते है. बहुत सारा रिस्क है, कैसे क्या होगा बताना मुश्किल है. मुझे लगता है, जो ऑनलाइन बने पड़े है उसे ही धीरे-धीरे रिलीज किया जायेगा.जब भी इस बारें में सोचती हूं तो निगेटिव ख्याल आते है इसलिए मैंने अब सोचना बंद कर दिया है.

सवाल-मेंटल हेल्थ को आपने अच्छी तरह से हमेशा हैंडल किया है इस परिवेश में किस तरह की सलाह सबको देना चाहती है?

नकारात्मक बातों को कभी भी सोचना सही नहीं होता, जिस बात का आपको पता नहीं, उसके बारें में न सोचना ही बेहतर होता है. इस लॉक डाउन के बाद कुछ बहुत अच्छा हो जाय और परिस्थिति पहले से कही और अधिक अच्छा हो जाय ये भी हो सकता है. तनाव होता है, उससे निकलने का रास्ता भी खुद को ही निकालना पड़ता है. मेरे हिसाब से कोई भी तनाव इतना बड़ा नहीं होता,जिससे आप निकल न सके.

सवाल-आपकी पर्सनल लाइफ कैसी चल रही है?

मेरे पार्टनर व्यवसायी जेम्स मिलायर्न है, उनके साथ मेरी सगाई हो चुकी है. मेरे साथ मुंबई में रहते है. शादी करने वाली हूं. हम दोनों की बोन्डिंग बहुत अच्छी है. मुंबई में ही वे मिले थे. मैं उनके साथ आजकल टिकटोक पर वीडियो बना रही हूं.

सवाल-क्या मेसेज देना चाहती है?

इस लॉक डाउन से दुखी न हो, जो मिल रहा है उसका आभार व्यक्त करें. धरती को सभी ने बहुत बर्बाद किया है. अभी डिटोक्स का समय है. इसे अच्छी तरह से हो जाने दे और इधर-उधर घूमने के बजाय घर में रहने का प्रयत्न करें. इसके अलावा इंसान अपने असल धर्म को समझे. धर्म के नाम पर आपस में लड़ना अब बंद करें.

Lockdown 3.0: यह लॉकडाउन कुछ अलग है ! 

कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए मार्च के आखिरी सप्ताह से अभी तक हम सभी लोगो ने दो लॉक डाउन का पालन किया है, उस दौरान पूर्ण देशबंदी लागू था . अभी भी देशबंदी दो सप्ताह तक लागू रहेगा लेकिन कुछ इलाको में कुछ विशेष शर्तों के अनुसार छूट प्रदान होगी. आइये जानते है – लॉक डाउन  कैसे अलग है .

* लॉकडाउन-3  चार मई से प्रभावी होगा :- 1 मई के शाम को देश में कोविड-19 की स्थिति की व्यापक समीक्षा करने के बाद आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत भारत सरकार के गृह मंत्रालय  ने लॉकडाउन को 4 मई, 2020 से दो सप्ताह और बढ़ाने के लिए  एक आदेश जारी किया जिसमें देश के जिलों को तीन भागों में बता गया. संक्रमण के जोखिम पर आधार पर देश के जिलों को रेड जोन (हॉटस्पॉट), ग्रीन जोन  और ऑरेंज जोन में बांटा गया. इन दिशा-निर्देशों में ग्रीन और ऑरेंज जोन में पड़ने वाले जिलों में काफी रियायतें या ढील दी गई है.

* इन सेवा में कोई छूट नहीं होगा :-  लॉकडाउन को बढ़ाने के साथ गृह मंत्रालय ने यह भी साफ कर दिया है कि इस दौरान हवाई सफर, ट्रेन, इंटर स्टेट बस सर्विस, स्कूल-कॉलेज बंद रहेंगे. देश में 40 दिनों का लॉकडाउन 3 मई को पूरा हो रहा था.

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* सोशल डिस्टेंशिंग के नियम जारी रहेगा :-  इस बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लॉकडाउन बढ़ाने की घोषणा की है. हालांकि, इस बार ग्रीन और ऑरेन्ज जोन में शर्तों के साथ कुछ छूट भी दी जाएगी। लेकिन सोशल डिस्टेंशिंग के नियम पहले की तरह जारी रहेगा .

* राज्यों के सलाह पर लॉकडाउन बढ़ाया गया :- बीते सोमवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ लॉकडाउन पर चर्चा की थी. इस दौरान अधिकतर राज्यों के मुख्यमंत्रियों की राय थी कि कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए लॉकडाउन अभी जारी रखा जाए.  हालांकि, कुछ राज्यों ने लॉकडाउन के साथ ही आर्थिक गतिविधियों को शर्तों और सावधानियों के साथ चालू करने पर जोर दिया था. सबका सलाह मानते हूँ लॉक डाउन का गाइडलाइंस तैयार किया गया है .

* शाम 7 बजे से सुबह 7 बजे तक सख्ती से प्रतिबंध जारी रहेगा :- नए दिशानिर्देशों में लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए कुछ उपाय भी सुझाए गए हैं. इस प्रकार सभी गैर आवश्यक गतिविधियों के लिए लोगों की आवाजाही पर शाम 7 बजे से सुबह 7 बजे तक सख्ती से प्रतिबंध जारी रहेगा. स्थानीय अधिकारियों को इस उद्देश्य और सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए सीआरपीसी की धारा 144 के अंतर्गत निषेध आदेश (कर्फ्यू) जैसे कानून के उचित प्रावधानों के अंतर्गत आदेश जारी करने होंगे.

*आवश्यक जरूरतों और स्वास्थ्य उद्देश्यों मिलेगा छूट :-   सभी जोन में 65 वर्ष से ज्यादा उम्र के व्यक्तियों, बीमार लोगों, गर्भवती महिलाओं और 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को आवश्यक जरूरतों और स्वास्थ्य उद्देश्यों को छोड़कर घर पर ही रहना होगा. रेड, ऑरेंज, ग्रीन जोन में बाह्य रोगी विभागों (ओपीडी) और मेडिकल क्लीनिकों को सामाजिक दूरी के नियमों के पालन और अन्य सुरक्षा सावधानियों के साथ परिचालन की अनुमति होगी, हालांकि रोकथाम (कंटेनमेंट) वाले जोन में इसकी अनुमति नहीं होगी.

* हर जोन के लिए अलग-अलग दिशा निदेश जारी होगा :-   रेड, ग्रीन और ऑरेन्ज जोन के लिए अलग-अलग गाइडलाइंस तैयार की गई है. ग्रीन और ऑरेन्ज जोन में काफी छूट भी दी गई है.

* ग्रीन जोन के जिले :- ग्रीन जोन ऐसे जिले होंगे ज‍हां या तो अब तक संक्रमण का कोई भी पुष्ट (कन्‍फर्म) मामला नहीं आया है अथवा पिछले 21 दिनों में कोई पुष्ट मामला सामने नहीं आया है.

*  रेड जोन के जिले :-   रेड जोन के रूप में जिलों का वर्गीकरण करते समय सक्रिय मामलों की कुल संख्या, कन्‍फर्म मामले दोगुनी होने की दर, जिलों से प्राप्‍त कुल परीक्षण (टेस्टिंग) और निगरानी सुविधा संबंधी जानकारियों को ध्यान में रखा गया है .

* ऑरेंज जोन :-  वे जिले, जिन्हें न तो रेड जोन और न ही ग्रीन जोन के रूप में परिभाषित किया गया है, उन्‍हें ऑरेंज जोन के रूप में वर्गीकृत किया गया है .

* आने वाले समय में देश के जिले अपने जोन से दूसरे जोन में शामिल हो सकते है

रेड, ग्रीन और ऑरेंज जोन के रूप में जिलों के वर्गीकरण को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ हर सप्‍ताह या आवश्यकतानुसार पहले साझा किया जाएगा.  वैसे तो राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश कुछ और जिलों को रेड व ऑरेंज जोन के रूप में शामिल कर सकते हैं, लेकिन वे किसी ऐसे जिले के वर्गीकरण को घटा नहीं सकते हैं जिसे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा रेड या ऑरेंज जोन की सूची में शामिल किया गया है.

* एक जिले में भी दो जोन बनाया जायेगा

देश के कई जिलों की सीमाओं में एक या एक से अधिक नगर निगम हैं. यह देखा गया है कि नगर निगमों के भीतर जनसंख्या घनत्व अधिक होने और लोगों का मिलना-जुलना अधिक होने के कारण नगर निगम की सीमा के भीतर कोविड-19 के मामले जिले के बाकी हिस्सों की तुलना में अधिक हैं. अत: नए दिशा-निर्देशों में यह उल्‍लेख किया गया है कि ऐसे जिलों को दो जोन में वर्गीकृत किया जाएगा, अर्थात, नगर निगम की सीमा के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र के लिए एक जोन; और नगर निगम की सीमा के बाहर आने वाले क्षेत्र के लिए एक अन्‍य जोन. यदि नगर निगम की सीमा के बाहर आने वाले क्षेत्र में पिछले 21 दिनों से कोई मामला सामने नहीं आया है, तो इसे रेड या ऑरेंज जोन के रूप में जिले के समग्र वर्गीकरण से एक पायदान नीचे के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा.

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* ऑरेंज  जिला में आर्थिक एवं अन्य गतिविधियां कार्य शुरू होगा

यदि जिला समग्र रूप से रेड है; या ग्रीन के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा, यदि जिला समग्र रूप से ऑरेंज है। इस वर्गीकरण से जिले के उस क्षेत्र में और भी अधिक आर्थिक एवं अन्य गतिविधियां या कार्य किए जा सकेंगे, जो कोविड-19 के मामलों से अपेक्षाकृत कम प्रभावित हैं और इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि निरंतर पूरी सावधानी बरती जाए, ताकि ये क्षेत्र आगे भी कोविड-19 के मामलों से मुक्त रहें. यह व्‍यवस्‍था केवल नगर निगम वाले जिलों के संबंध में ही की गई है.

* नियंत्रण क्षेत्र बनाया जायेगा

कोविड-19 के फैलाव और रेड एवं ऑरेंज जोन के अंतर्गत आने की दृष्टि से देश के सबसे संवेदनशील क्षेत्रों को नियंत्रण क्षेत्र (कंटेनमेंट जोन) के रूप में विकसित किया जायेगा . ये ऐसे क्षेत्र हैं जहां संक्रमण फैलने का व्‍यापक जोखिम है. कंटेनमेंट जोन को संबंधित जिला प्रशासन द्वारा परिभाषित किया जाएगा और ऐसा करते समय सक्रिय मामलों की कुल संख्या, उनके भौगोलिक फैलाव और कार्यान्‍वयन की दृष्टि से सुव्‍यवस्थित सीमांकन करने की आवश्यकता को ध्यान में रखा जाएगा। स्थानीय प्राधिकारी कंटेनमेंट जोन के निवासियों के बीच आरोग्य सेतु एप की 100% कवरेज सुनिश्चित करेगा. कंटेनमेंट जोन के लिए गहन निगरानी प्रोटोकॉल होंगे जिनमें मरीज के संपर्क में आए लोगों का पता लगाना, घर-घर की निगरानी, किसी व्‍यक्ति से जुड़े जोखिम के आकलन के आधार पर उसका संस्थागत क्‍वारंटाइन और नैदानिक प्रबंधन भी शामिल हैं. सख्त दायरा नियंत्रण को सुनिश्चित करने की आवश्यकता होगी, ताकि आपातकालीन चिकित्सा स्थिति और आवश्यक वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति बनाए रखने को छोड़कर इस जोन के भीतर और बाहर लोगों की आवाजाही न हो सके। कंटेनमेंट जोन के भीतर किसी भी अन्य गतिविधि या कार्य की अनुमति नहीं है.

* 22 मार्च से शुरू हुआ अभी 17 मई तक जारी रहेगा

देश में पहले एक दिन का बंद आव्हान पीएम मोदी की अपील पर  22 मार्च को जनता कर्फ्यू लगाया गया, इसके सफलता के बाद नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा की थी. इसके बाद 14 अप्रैल से इसे 17 दिन के लिए और बढ़ा दिया गया था. अब कल यह तीसरे फेज में लॉकडाउन को 17 मई तक बढ़ा दिया गया है.

मुझे स्मोकिंग की आदत है, क्या मैं आईवीएफ की मदद से मां बन सकती हूं?

सवाल-

मेरी उम्र 30 साल है. मेरी शादी को 6 साल हो चुके हैं, लेकिन मैं कंसीव नहीं कर पारही हूं. मुझे स्मोकिंग की भी आदत है. क्या मैं आईवीएफ तकनीक  की मदद से मां बन सकती हूं?

जवाब-

आप को कंसीव करना है तो स्मोकिंग को पूरीतरह छोड़ना होगा. यदि आप के पति भी स्मोकिंग करते हैं तो उन्हें भी इस आदत को छोड़ने को कहें.आप की उम्र भी अधिक है, इसलिए जल्दी गर्भधारण करना जरूरी है. इस के लिए आप आईवीएफ की मदद ले सकती हैं. यह आप के लिए बिलकुल सुरक्षित तकनीक है.

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डौ. अर्चना धवन बजाज बांझपन उपचार और आईवीएफ के क्षेत्र में एक जाना-माना नाम हैं. चिकित्सा के क्षेत्र में एमबीबीएस, डीजीओ, डीएनबी और एमएनएएस की डिग्रियां हासिल करने के बाद उन्होंने यूके स्थित नॉटिंघम विश्वविद्यालय से मेडिकल रिप्रोडक्टिव टेक्नोलौजी में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की है. वे हैचिंग, वीर्य भू्रण के संरक्षण, ओवरियन कौर्टिकल पैच, क्लीवेज स्टेज भ्रूण पर ब्लास्टमोर बायोप्सी और ब्लास्टक्रिस्ट की अग्रणी विशेषज्ञ हैं. दिल्ली में नर्चर आईवी क्लिनिक की निदेशक के तौर पर काम करते हुए डौ. बजाज ने स्त्रीरोग विशेषज्ञ, एक परामर्शदाता, प्रसूति विशेषज्ञ और फर्टिलिटी एंड आईवीएफ विशेषज्ञ के तौर पर विशेष ख्याति पायी है.

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