चुकंदर के ये टिप्स देंगे स्किन प्रौब्लम से छुटकारा

हर किसी का सपना होता है ब्यूटीफुल स्किन पाना, जिसके लिए आप हर तरह के ट्रीटमेंट करवाती हैं. जो स्किन को ब्यूटीफुल तो बनाता है, लेकिन वह ज्यादा समय के लिए नही होता. आप बिजी लाइफस्टाइल में अपनी स्किन की केयर करना भी भूल जाती हैं. इसीलिए आज हम आपको स्किन के लिए चुकंदर के सबसे बेहतर होममेड टिप्स बताएंगे, जिससे आप लंबे समय तक हेल्दी और ब्यूटीफुल स्किन पा सकेंगे.

1.होठों और गालों को चुकंदर से मिलता है नैचुरल पिंक लुक

केमिकल वाले ग्लौस और बाम की जगह चुकंदर का इस्तेमाल कर नैचुरल तरीके से अपने होठों और गालों को पिंक लुक दें.

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ऐसे लगाएं

-नैचुरल पींक लिप्स के लिए चुकंदर को कद्दूकस करके धूप में सुखा लें.

-दो दिन तक धूप लगने पर जब चुकंदर बिल्कुल सुख जाए तो इसे पीसकर बारीक पाउडर बना लें.

-अब इस पाउडर में बादाम का तेल मिलाएं. तैयार हुए पेस्ट को एक कांच की बोतल में भर कर रख दें.

-रोजाना अपनो होठों और गालों पर इसकी एक बूंद लगाएं और उंगली की मदद से अच्छे से फैलाएं. इससे आपके लिप्स नैचुरल पिंक नजर आएंगे.

  1. चुकंदर से बनाएं स्किन मास्क

स्किन के लिए आप जो क्रीम इस्तेमाल करती हैं वह आपको नैचुरल इफेक्ट नही देतीं. इसके लिए चुकंदर का इस्तेमाल करना आपके लिए फायदेमंद रहेगा.

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ऐसे लगाएं

-चुकंदर को पीसकर स्किन मास्क तैयार कर लें. इसे चेहरे पर लगाएं और जब यह सूख जाए तो चेहरे को पानी से धो लें.

  1. डार्क सर्कल से छुटकारा पाने के लिए

नींद की कमी या हेल्थ प्रौब्लम के कारण आपके आंखों के नीचे डार्क सर्कल होने लगते हैं, जिसके लिए चुकंदर एक नेचुरल और बेहतर उपाय है.

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ऐसे लगाएं

-डार्क सर्कल से परेशान है तो एक चम्मच चुकंदर के रस में बादाम तेल की 4-5 बूंदें मिलाकर आंखों के आस-पास लगाएं. आधे घंटे बाद फेसवौश कर लें

  1. एंटी-एजिंग से पाएं छुटकारा

बिजी लाइफस्टाइल के कारण आपकी स्किन में झुर्रियां आने लगती हैं, जिसके लिए चुकंदर बेस्ट औप्शन है. यह फेस पर बढ़ती उम्र की निशानियों को छुपाने में भी कारगर है. साथ ही इसमें मौजूद एंटीऔक्सीडेंट झुर्रियों को गायब करने में मदद करते है.

ऐसे लगाएं

-दाग धब्बों के लिए दो चम्मच मुल्तानी मिट्टी में 5 चम्मच चुकंदर का रस मिलाकर चेहरे व गर्दन पर लगाएं. आधे घंटे बाद हल्के हाथों से मसाज कर चेहरे को साफ कर लें.

-इसके लिए हर रोज चुकंदर के रस को स्किन पर जरूर लगाएं.

Edited by-rosy

12 टिप्स: लव मैरिज में न हो ‘लव’ का एंड

नीलम और मानव ने लव मैरिज की है. लेकिन अब नीलम का कहना है कि उन का जीवन बहुत सामान्य हो गया है. एक-दूसरे के प्रति पहले जैसा उत्साह नहीं रह गया है. पहले वे एकदूसरे की बातों को जितना समझते थे अब उतना नहीं समझ पाते. नीलम कहती हैं कि शादी से पहले की जिंदगी और बाद की जिंदगी में काफी बदलाव आ जाता है, जिसे अच्छी तरह मैनेज करना हर किसी के बस की बात नहीं. नीलम का अनुभव ऐसे लोगों से मेल खाता होगा, जिन्होंने लव मैरिज की है. आखिर क्यों लव मैरिज करने के बावजूद लव गुम होता दिखाई देता है?

1. आकर्षण और प्यार के फर्क को समझें

बहुत से लोग आकर्षण को प्यार समझ लेते हैं और शादी का फैसला कर लेते हैं. यही कारण है कि शादी के बाद वे एकदूसरे को दोषी ठहराते रहते हैं. आकर्षण किसी के बोलने के तरीके, उस के लुक्स, किसी के अंदाज, किसी की कंपनी को ऐंजौय करने में होता है, लेकिन प्यार इस से अलग होता है. प्यार का मतलब है हर परिस्थिति में एकदूसरे का साथ निभाना, उसे समझना, उसे सही गाइड करना और उस के लिए खुशी से त्याग करना. इसे निभाना काफी मुश्किल होता है. मात्र पसंद को प्यार न समझें.

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2. पहले और बाद का अंतर

अकसर लोगों को यही शिकायत रहती है कि उन के साथी के शादी से पहले और बाद के व्यवहार में काफी फर्क आ गया है. प्राइवेट बैंक में कार्यरत गरिमा की लव मैरिज हुए 1 साल हो गया है. उस ने अपना अनुभव बताते हुए कहा कि उन्हें शादी के बाद अपने पति में बहुत से बदलाव देखने को मिले हैं. मसलन, उन को गुस्सा अधिक आने लगा है, जिस के चलते उन की लड़ाई कई बार बढ़ जाती है. थोड़ाबहुत गुस्सा पहले भी आता था, लेकिन वे जल्द ही शांत हो कर हमेशा उन्हें मना लेते थे. लेकिन अब वे उन्हें मनाते नहीं. ऐसी बहुत सी बातें होती हैं, जो पहले स्वभाव में कम नजर आती हैं और तब अकसर लोग इन्हें हलके से लेते हैं. लेकिन यही बातें बाद में रिश्ते में मुश्किल पैदा करती हैं जैसे अधिक गुस्सा आना, घुलमिल कर न रहना, एक्सप्रैसिव न होना, गैरजिम्मेदाराना व्यवहार आदि.

3. महत्त्वपूर्ण फैसलों पर विचारविमर्श

प्यार का मतलब अपनेआप को भूलना नहीं होता. अगर ऐसा करेंगे तो अपनी जिंदगी से संतुष्ट नहीं रहेंगे और जिस प्यार के लिए कर रहे होंगे उसे भी खुश नहीं रख पाएंगे, इसलिए अपने भावी लक्ष्य, अपनी इच्छाएं, अपने साथी से शेयर करें और उन्हें भी शेयर करने के लिए कहें. उन्हें ध्यान से सुनें और उन पर विचार करें, क्योंकि अकसर लोग लव मैरिज में प्यार को सब से ऊपर तो रखते हैं, लेकिन जब जिंदगी की हकीकत से सामना होता है, तो निभाना काफी मुश्किल हो जाता है, खासतौर पर लड़कियों के लिए. अत: अगर शादी के बाद भी आप कामकाजी बनी रहना चाहती हैं या पढ़ाई जारी रखना चाहती हैं, तो शादी से पहले इस संबंध में बात कर लें. इसी तरह अगर लड़का विदेश में सैटल होने की सोच रहा हो या उस का संयुक्त परिवार हो तो कुछ बातों के लिए पहले से तैयार रहना चाहिए.

4. आर्थिक आत्मनिर्भरता

प्यार में हमेशा यह परख लेना चाहिए कि आप का साथी कितना काबिल है. जहां प्यार करने से पहले प्यार के काबिल बनना जरूरी है, वहीं शादी से पहले आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर होना भी बहुत जरूरी है. खासतौर से लव मैरिज में, जहां फैसला आप ने लिया है. इसलिए परिवार की उतनी मदद नहीं मिल पाती. फिर आर्थिक तौर पर निर्भर होना न सिर्फ आप की शादी के लिए परिवार को मनाना आसान बनाएगा, आप के भविष्य के लिए भी यह बहुत जरूरी है ताकि आर्थिक कमी आप के रिश्तों में दरार न लाए.

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5. एकदूसरे की तारीफ करें

बहुत से लोगों की यह धारणा होती है कि अगर आप का पार्टनर आप के लिए कुछ अच्छा कर भी रहा है तो वह उस का कर्तव्य है, यह समझ कर आप उस की तारीफ नहीं करते. लेकिन इस से आप अपना रिश्ता फीका बना देंगे. आप को यदि अपने साथी का कोई काम अच्छा लगे तो उस की तारीफ करें. इस से आप का रिश्ता मजबूत बनेगा.

6. उपहार और चौंकाती खुशियां

शादी से पहले तो आप ने एकदूसरे को कई गिफ्ट दिए होंगे, पर शादी के बाद भी यह सिलसिला बरकरार रखना चाहिए. मगर यह जरूरी नहीं है कि गिफ्ट्स पर काफी पैसा खर्च किया जाए. बस, अपने साथी की पसंद के अनुसार छोटेछोटे गिफ्ट भी दिए जा सकते हैं. सरप्राइजेज हमें जवां बनाते हैं और जिंदगी में जोश भी लाते हैं, लेकिन शादी के बाद भी अगर आप सरप्राइजेज से अपने पार्टनर को खुश रखेंगे तो यकीन मानिए, आप की जिंदगी कभी बोरिंग नहीं होगी.

7. एकदूसरे को स्पेस दें

शादी से पहले आप की जिंदगी में हर जगह आप का पार्टनर छाया हुआ था और उस की पोजैसिवनैस अच्छी भी लगती थी, लेकिन जरूरी नहीं कि शादी के बाद भी यह ऐक्स्ट्रा केयरिंग नेचर अच्छा लगे. इसलिए रिश्ते में स्पेस बनाए रखना चाहिए. हर बात पर प्रश्न नहीं पूछना चाहिए न ही हर मामले में दखल देना चाहिए. एकदूसरे के निर्णयों पर भरोसा करना जरूरी है. हर किसी की अपनी निजी जिंदगी भी होती है. उसे बनाए रखने में सहयोग देना चाहिए वरना शादी का बंधन कैद लगने लगेगा.

8. खुद की पहचान

अकसर लोग शादी के बाद यही सोचते हैं कि उन की खुशियां तो सिर्फ उन के साथी से, उन के गम हैं तो उन के साथी से. खासतौर से लव मैरिज में जहां पहले से ही वे एकदूसरे में इतना खोए रहते थे तो शादी के बाद तो उम्मीदें और बढ़ जाती हैं. लेकिन यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि हर किसी का अपना व्यक्तित्व, अपनी सोशल लाइफ, अपनी पसंद होती है, इसलिए अपनी चीजों को एकदम अनदेखा नहीं करना चाहिए. मसलन, शादी के बाद दोस्तों से मेलजोल एकदम से खत्म नहीं करना चाहिए. यह सही है कि समय की कमी के कारण दोस्त छूट जाते हैं, लेकिन कुछ दोस्तों का जिंदगी में बने रहना जरूरी होता है. इस से आप का सोशल सर्कल होगा तो आप अपनी लाइफ को भी ऐंजौय कर पाएंगे.

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9. सजनासवंरना

अकसर शादी के बाद पति हो या पत्नी अपनी तरफ ध्यान देना छोड़ देते हैं, जबकि शादी से पहले वे एकदूसरे के लुक्स से काफी प्रभावित हुए थे. हर कोई चाहता है कि उस का साथी देखने में अच्छा लगे, उसे डौमिनेट करने के बजाय अच्छा सुझाव देना चाहिए कि उस पर क्या अच्छा लगेगा. साथ ही अपनेआप को भी संवार कर रखना चाहिए ताकि सारी जिंदगी आप अपने साथी को अपनी अदाओं का कायल बना कर रख सकें.

10. अपनी अपेक्षाएं शेयर करें

अकसर दंपती यही सोचते हैं कि जैसे शादी से पहले उन का पार्टनर बिना कहे उस की बातों को समझ जाया करता था, शादी के बाद भी समझ जाएगा. लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि पहले उन की जिंदगी बहुत ही सीमित थी. अब उन की जिंदगी में बहुत से लोग जुड़ गए हैं. जिन्हें साथ ले कर उन्हें चलना है. इसलिए हर चीज समझने के लिए इतना समय नहीं मिल पाता. बेहतर यही होगा कि अपनी इच्छाएं या जो आप चाहते हैं, उसे अपने पार्टनर को बताएं. वह उन पर गौर जरूर करेगा. अंदर ही अंदर न घुटें. इस से आप अपने मन में सिर्फ गुस्सा ही पालेंगे. अपनी बात शेयर करने से आप अपनी मुश्किल का हल शुरू में ही निकाल लेंगे.

11. सुझाव दें मगर थोपें नहीं

अकसर लोगों में यह आदत होती है कि जब उन्हें अपनी कोई बात मनवानी होती है तो वे कसम दे देते हैं. मसलन, पत्नी नहीं चाहती उस का पति धूम्रपान करे तो वह कसम दे कर छुड़वाने की कोशिश करती है, जो सरासर बेवकूफी है. बेहतर है कि अगर आप अपने साथी की कोई आदत छुड़ाना चाहते हैं, तो उसे सिर्फ उस आदत के परिणामों से अवगत करवाएं. यकीनन वह उसे छोड़ने की कोशिश करेगा. अपने निर्णयों को दूसरे पर थोपना गलत है, क्योंकि ऐसे निर्णय ज्यादा दिन टिक नहीं पाते हैं.

12. लाइफस्टाइल के साथ दिल से ऐडजस्ट

शादी से पहले आप अलग परिवारों के हिस्से थे. दोनों के तौरतरीकों में फर्क था. पहले यह बुरा इसलिए नहीं लगता था, क्योंकि एक सीमित समय में साथ रहते थे, उस का खास फर्क दूसरे की जिंदगी पर नहीं पड़ता था. पर अब जब शादी हो चुकी है, तो उन के लाइफस्टाइल को स्वीकार करना चाहिए. मसलन, पति नानवेज खाता है. पहले वह आप के साथ नहीं खाता था, पर अब आप उस के परिवार का हिस्सा हैं तो हर वक्त इस स्थिति से बचना संभव नहीं. इसलिए इसे स्वीकार कर लेना चाहिए. हर किसी को उस का प्यार लाइफ पार्टनर के रूप में नहीं मिलता. अगर आप को यह हसीन तोहफा मिला है तो मनमुटाव में समय न बिताएं. अगर एकदूसरे की भावनाओं का ध्यान रखते हुए अपने रिश्ते को निभाने की उत्साहपूर्ण कोशिश करेंगे तो आप के ‘लव’ का मैरिज के बाद कतई एंड नहीं होगा.

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Summer special: हेल्दी और टेस्टी फ्रूट कस्टर्ड से बनाएं दिन मजेदार

आजकल लोग हेल्दी रहने के लिए फ्रूटस खाते हैं. फ्रूट हर किसी को पसंद भी आते हैं. पर अगर फ्रूट को फ्रूट कस्टर्ड में बदलकर खाया जाए तो वह डिनर में डेजर्ट के काम भी आता है. और आज हम आपको एक आम और एकदम आसानी से बनाया जाने वाला स्वादिष्ट और पौष्टिक डिजर्ट फ्रूट कस्टर्ड की रेसिपी बताएंगे. और अगर आप चाहें तो इसे किसी खास अवसर पर या घर में जब भी कुछ फल बच जायें, तब भी बना सकती.

हमें चाहिए

200 ग्राम अंगूर

1 अनार

1 आम

1 सेब

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1 कप (200 ग्राम) क्रीम

3/4 कप (150 ग्राम) चीनी

1/4 कप से थोड़ा सा अधिक वनीला कस्टर्ड

1 लीटर (फुल क्रीम) दूध

बनाने के लिए

  • किसी बर्तन में दूध को उबलने के लिये रख दीजिये, 3/4 कप ठंडा दूध बचा लीजिये.
  • बचे हुये ठंडे दूध में कस्टर्ड पाउडर डालकर अच्छी तरह तब तक घोलिये कि कस्टर्ड की गुठलियां खतम हो जाये.

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  • दूध में उबाल आने के 4-5 मिनट के बाद, कस्टर्ड घोल डालते जाइये, और दूध को चमचे से चलाते जाइये, सारा कस्टर्ड घोल डालकर अच्छी तरह मिक्स कर दीजिये और चीनी भी डाल दीजिये.
  • कस्टर्ड को दूध के साथ लगातार चलाते हुये, 7-8 मिनिट तक गाढ़ा होने तक पका लीजिये. साथ ही क्रीम को मिलाकर व्हिप कर लीजिये.

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इसके बाद, आम और सेब को छील कर छोटे-छोटे टुकड़े में काट कर तैयार कर लीजिये, अनार को छील कर दाने निकाल लीजिये. अंगूर को डंठल से तोड़कर अलग कर लीजिये.

  • पके हुये कस्टर्ड को ठंडा होने के बाद उसमें, तैयार फ्रूट और क्रीम डालकर मिलाइए. तैयार फ्रूट कस्टर्ड को 2-3 घंटे के लिये फ्रिज में रख दीजिये. ठंडा होने के बाद फ्रूट कस्टर्ड का स्वाद बहुत अच्छा हो जाता है.
  • ठंडा-ठंडा टेस्टी कस्टर्ड लंच या डिनर किसी भी खाने के बाद, या आपका कुछ ठंडा मीठा खाने का मन हो परोसिये और खाइये.

लॉकडाउन में बकाया पैसे न मिलने पर भड़की Humari Bahu Silk की टीम, मेकर्स को दी सुसाइड की धमकी

बौलीवुड हो या टीवी इंडस्ट्री हर कोई कोरोनावायरस लॉकडाउन में आर्थिक तंगी की मार झेल रहा है. जहां टीवी सितारे आर्थिक तंगी से परेशान हो गए हैं तो वहीं शो के प्रौड्यूसर अपनी टीम को उनके बकाया पैसे नही दे पा रहे हैं, जिससे तंग आकर हर कोई गलत रास्ता उठाने को तैयार है. दरअसल, हाल ही में सीरियल ‘हमारी बहू सिल्क’ (Humari Bahu Silk) की टीम और क्रू मेंबर्स ने अपनी बकाया राशि न मिलने के कारण सुसाइड करने की धमकी दी है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला….

सुसाइड की धमकी

सीरियल ‘हमारी बहू सिल्क’ के लीड स्टार जान खान, चाहत पांडे और रीवा चौधरी ने इस बात का खुलासा करते हुए कहा है कि शो के मेकर्स ने उनके पैसे देने से साफ इनकार कर दिया है. तो वहीं शो में नजर आ रहे लीड स्टार जान खान ने तो सोशल मीडिया के जरिए ‘हमारी बहू सिल्क’ के मेकर्स के खिलाफ मोर्चा तक खोल दिया है.

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जान खान ने सोशल मीडिया पर दी जानकारी

सोशल मीडिया पर सीरियल ‘हमारी बहू सिल्क’ के मेकर्स की पोल खोलते हुए जान खान ने लिखा, ‘मैं यह पोस्ट मेरी टीम के टैक्नीशियन, कैमरामैन, शो की यूनिट, मेकअप मैन, मेरे को-स्टार और अपने लिए लिख रहा हूं. मैंने अपने करियर में कई बड़े प्रोडक्शन हाउस के साथ काम किया है, लेकिन आज तक किसी ने शो की टीम के साथ ऐसा नहीं किया. मुझे हमेशा समय पर भुगतान किया गया है लेकिन ‘हमारी बहू सिल्क’ के प्रोड्यूर्स टीम के साथ गलत कर रहे हैं. वैसे तो ये हमारी टीवी इंडस्ट्री की कड़वी सच्चाई है लेकिन फिर भी मैं इस अन्याय के खिलाफ बात करना चाहता हूं. शो के निर्माता दिव्या निराले, ज्योति गुप्ता और सुधांशू त्रिपाठी को इस समय सब लोगों का वेतन देना चाहिए. बहुत हो गया… ये अमानवीय व्यवहार आपको बंद करना होगा.’

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बता दें, ‘हमारी बहू सिल्क’ की कास्ट और बाकी टीम के लोगों को लंबे समय से उनके बकाया पैसे न नहीं मिले हैं, जिसके कारण शो की टीम को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है.

Hyundai #WhyWeLoveTheVenue: Multi-Function Steering Wheel

सड़क पर ज्यादातर दुर्घटनाएं ड्राइवर के ध्यान भटक जाने पर होती हैं. गाना बदलना या टेम्परेचर को एडजस्ट करने में ध्यान ड्राइविंग से भटक जाता है. लेकिन शुक्र है, हुंडई वेन्यू एक मल्टी-फंक्शन स्टीयरिंग व्हील के साथ आता है.

हुंडई वेन्यू के स्टीयरिंग पर मौजूद बटन का इस्तेमाल कर के आप बिना स्टीयरिंग से हाथ हटाए इसके म्यूजिक सिस्टम को कंट्रोल कर सकते हैं. इस में एक वॉइस रिकॉग्नाइजेशन स्विच भी है, जिसकी मदद से आप गाड़ी के अलग-अलग फंक्शन्स को सिर्फ आपकी आवाज से ही काबू कर सकते हैं. इन सारी सुविधाओं की वजह से हुंडई वेन्यू को ड्राइव करते वक्त इसके हैंडल पर अपने हाथ जमाए रखना बहुत आसान है.

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इसके स्टीयरिंग व्हील पर क्रूज कंट्रोल सिस्टम के भी बटन मौजूद हैं, जो लंबी हाइवे वाली ड्राइव से होने वाली थकान को आप  से दूर रखते हैं.हुंडई वेन्यू हमें देता है आसान कंट्रोल का अनुभव. #WhyWeLoveTheVenue 

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Flex Breast Shields: जानें मां और बच्चे के लिए कितना सुरक्षित है Flex

ब्रेस्टफीड (स्तनपान) कराने वाली मांओं के सामने अक्सर ये सवाल आता है कि ब्रेस्ट पंप और ब्रेस्ट शील्ड के जरिए बच्चे को फीड कराना कितना सुरक्षित है. क्योंकि इस बैक्टीरिया पनपने का खतना होता है. इसीलिए मेडेला पर्सनलफिट फ्लेक्स ब्रेस्ट शील्ड्स इस बात का पूरा ख्याल रखता है और बेहद सुरक्षित तरीके से ब्रेस्ट शील्ड का निर्माण करता है ताकि बच्चे की सेहत पर इसका कोई बुरा असर नहीं पड़े.

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आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ सवालों का जवाब जो एक नई मां को जानना बेहद जरूरी हैं…

सवाल: क्या Flex ब्रेस्ट शील्ड में यूज की जाने वाली सामग्री मां और बच्चे के लिए सुरक्षित है?

जी हां, Flex ब्रेस्ट शील्ड बनाने से पहले इसमें इस्तेमाल होने वाली सामग्री का बड़े पैमाने पर परीक्षण किया जाता है और इसे बिना बीपीए, प्राकृतिक रबर लेटेक्स और फोथलेट्स के बनाया जाता है. ताकी बच्चे और मां की सेहत पर इसका बुरा असर न हो.

सवाल: एक पर्सनल फिट फ्लेक्स ब्रैस्ट शील्ड्स को कब तक इस्तेमाल करना चाहिए?

ब्रेस्ट शील्ड की लाइफटाइम इसके इस्तेमाल होने और साफ सफाई के तरीकों (मैनुअल वॉश, डिशवॉशर, उबलते पानी या माइक्रोवेव में) पर निर्भर करता है. इसलिए अगल ज्यादा इस्तेमाल होने के बाद आपको इसमें कोई खराबी लगे तो ऐसे में हम समय-समय पर ब्रेस्ट शील्ड बदलने की सलाह देते हैं.

ज्यादा जानकारी के लिए यहां क्लिक करें…

इसी कड़ी में आगे पढ़िए कैसे पता करें कि ब्रेस्ट शील्ड बदलने का उचित समय क्या है?

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लॉकडाउन में इस TV एक्टर ने किया सुसाइड, कोरोनावायरस के डर से लोगों ने नहीं की मदद

बौलीवुड में जहां बीमारी के कारण कई सितारों का लॉकडाउन में निधन से फैंस दुखी हैं तो वहीं टीवी स्टार्स की आत्महत्या की खबर से सदमे में हैं. दरअसल हाल ही में सीरियल ‘आदत से मजबूर’ (Aadat Se Majboor) में नजर आ चुके एक्टर मनमीत ग्रेवाल (Manmeet Grewal) ने आत्महत्या कर ली है. वहीं हैरानी की बात यह है कि पति के शव को लटका देख जब उनकी पत्नी ने लोगों से मदद मांगी तो उनकी मदद के लिए कोई आगे नही आया. आइए आपको बताते हैं क्या है एक्टर की आत्महत्या की वजह….

आर्थिक तंगी का सामना कर रहे थे मनमीत

जहां पूरा देश और मजदूर आर्थिंक तंगी से जूझ रहे हैं तो वहीं टीवी सितारे भी इसका सामना कर रहे हैं. वहीं मनमीत ग्रेवाल की मौत का खुलासा करते हुए उनके बेस्टफ्रेंड मनजीत सिंह ने बताया कि, ‘बीते कुछ समय से मनमीत ग्रेवाल आर्थिक तंगी का सामना कर रहे थे. ऐसे में उन्होंने टीवी शोज के जरिए अपने हालात सुधारने की कोशिश की लेकिन कोरोना वायरस लॉकडाउन ने सबकुछ बर्बाद कर दिया. वह अंदर से बुरी तरह टूट चुके थे शायद इसलिए उन्होंने आत्महत्या कर ली.’

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मनमीत की पत्नी ने मांगी थी मदद

इसी बीच, मनजीत सिंह ने बताया कि, ‘बीती रात मनमीत ग्रेवाल की पत्नी का मुझे फोन आया था. मनमीत ग्रेवाल की पत्नी ने मुझे बताया कि उनके पति ने फांसी लगी ली है. वह रो रोकर मुझसे मदद मांग रही थी. मैंने भी कई लोगों को फोन किया लेकिन समय पर वहां कोई भी नहीं पहुंच पाया. ऐसे में आधी रात को मैं बाइक लेकर मनमीत ग्रेवाल के घर गया लेकिन तब तक पुलिस और मेडिकल टीम वहां आ गई थी और मनमीत ग्रेवाल मुझे छोड़कर जा चुका था.’

बता दें, लॉकडाउन के बीच आम आदमी ही नहीं टीवी सितारे भी आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं. जहां हाल ही में नागिन फेम एक्ट्रेस सायंतनी घोष ने भी खुलासा किया था कि वह फाइनेंशली परेशान है तो वहीं मनमीत ग्रेवाल की मौत के बाद इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस लॉकडाउन का असर सिर्फ आम आदमी ही नहीं सेलेब्स पर भी पड़ा है.

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Anushka Sharma की धमाकेदार ‘पाताललोक’, पढ़ें रिव्यू

वेब सीरीज  पाताललोक

रेटिंग 4

कलाकार जयदीप अहलावत, नीरज काबी, अभिषेक बनर्जी, इश्वाक सिंह, गुल पनाग व अन्य.

निर्देशक अविनाश अरुण, प्रोसित रॉय

प्लेटफार्म अमजोन प्राइम

कोई एक जगह जहां आपको मीडिया, समाज, राजनीति और प्रशासन नंगा दिखने को मिले तो समझ जाइए जनाब आप ‘पाताललोक’ आ चुके हैं. जी हां, यही खासियत है इस नए वेब सीरीज ‘पाताललोक’ की. शानदार कंटेंट और समाज के डार्क साइड को लेकर बुनी गई इस सीरीज में आपको वह सब चीज देखने को मिल जाएगी जो शायद धरतीलोक में हम देख नहीं पाते या देखना नहीं चाहते.

इस वेब सीरीज की शुरुआत ही जयदीप अहलावत के इस संवाद होता है “यह एक नहीं 3 दुनिया है. सबसे ऊपर स्वर्ग लोक जिसमें देवता रहते हैं. बीच में धरती लोक जिसमें आदमी रहते हैं. और सबसे नीचे पाताल लोक जिसमें कीड़े रहते हैं.” यह संवाद ही काफी हद तक यह बताने के लिए काफी है कि इस क्राइम थ्रिल सीरीज में सुंदर सी दिखने वाली प्यारी प्यारी दुनिया सबके लिए एक जैसी नहीं, बल्कि यह 3 हिस्सों में बंटी हुई है.

इस सीरीज को प्रोड्यूस किया है अनुष्का शर्मा ने और निर्देशक है अविनाश अरुण और प्रोसित रॉय. यह सीरीज इस 15 मई से अमेज़न प्राइम पर 9 एपिसोड के साथ अपलोड कर दी गई है. इस सीरीज के राइटर है सुदीप शर्मा. देखा जाए तो यह सीरीज किसी हीरोनुमा कहानी का हिस्सा नहीं बल्कि सभी पात्र खुद में एक बड़ी कहानी को खोलते हुए दिखाई देते है किन्तु मुख्य कलाकार के तौर पर जयदीप अहलावत तथा नीरज काबी देखने को मिल जाते हैं. इसके अलावा संजीदा अदाकारा गुल पनाग, अभिषेक बनर्जी, स्वस्तिका मुखर्जी तथा अन्य का भी अहम् किरदार है.

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क्या है सीरीज में?

यह कहानी दिल्ली के आउटर यमुना पार थाने से शुरू होती है जहां पर यमुना पुल के पास पकड़े गए 4 आरोपियों को लाया जाता है. अब मामला ओपन एंड शट केस है आरोपियों को रंगे हाथ पकड़ लिया गया है. इस मामले में बिगड़ने लायक कुछ नहीं होता इसलिए इस केस को इंस्पेक्टर हाथी राम चौधरी (जयदीप अहलावत) को दे दिया जाता है. हाथी राम चौधरी एक साधारण सा पुलिस वाला है जिसके हाथ इतने सालों की सर्विस में एक भी हाई प्रोफाइल केस हाथ नहीं लगा है. लेकिन यह क्या थोड़ी देर में पता चलता है कि यह अपराधी दिल्ली में टॉप के पत्रकार और मशहूर टीवी एंकर संजीव मेंहरा (नीरज काबी) के मर्डर के चलते आए थे. फिर शुरू होती है कांस्पीरेसी का असली मिस्ट्री खेल. जिसमें आपको कई हिचकोले खाने को मिलेंगे. कई पात्र खुलते दिखाई देंगे. और गुत्थी उलझती खुलती दिखेगी. अब आगे की मिस्ट्री क्या है इसे देखने के लिए आपको सीरीज देखनी पड़ेगी वरना मजा ख़राब हो जाएगा.

ख़ास क्या है?

नीरज काबी चूंकि बड़ा पत्रकार रहा है लेकिन अब नौकरी खतरे में पड़ गई है तो वह भी इसी बीच वापस खुद को ट्रेक में लाने के मोके ढूढ़ रहा है. इस सीरीज में जो 4 आरोपी पकड़े गए हैं उनके पीछे का इतिहास काफी सस्पेंस और रोचाक्ताओं से भरा है. जो इस वेब सीरीज की जान भी है. हाथी राम की इन्वेस्टीगेशन में कई पात्रों के शेड खुलते दिखेंगे. जो सीरीज को रोचक बनाते हैं. इस सीरीज की खासियत है वर्तमान और भूतकाल का कॉकटेल. जो सेक्रेड गेम 1 और असुर जैसी सीरीज की याद ताजा कर देते हैं. हर पात्र की बेकग्राउंड स्टोरी. जो काफी दिलचस्प है. इसी बेकग्राउंड स्टोरी में समाज की कुरूपता देखने को मिलती है. साथ ही वर्तमान में राजनीतिक चालबाजियां और प्रशासनिक समस्याएं दिख जाएंगी.

किसने कैसा काम किया?

इस सीरीज में बड़ा नाम देखने को नहीं मिलेगा. लेकिन ऐसे नामों की भरमार है जिन्हें कहीं न कहीं देखकर आपने पहले जरूर कहा होगा की क्या शानदार कलाकार है. सबसे पहले जयदीप अहलावत. इन्होने पुलिस का किरदार निभाया है. किरदार की बात की जाए तो शायद इस रोल के लिए इनसे बेहतर कलाकार मिलना मुश्किल था. अहलावत खुद हरियाणा से ताल्लुक रखते है साथ जिस तरह का पुलिसिया टोन और लहजा इस्तेमाल किया गया वह जयदीप पर जम गया.

अंसारी के किरदार में इश्वाक सिंह सोम्य दिखे. अंसारी का किरदार पटकथा में काफी अहम् हिस्सा है. जो वर्तमान में काफी सवाल इस समाज से करते हैं. इसके अलावा गुल पनाग पत्नी के रोल में अच्छी दिखी. नीरज काबी की बात क्या की जाए. शानदार. न्यज एंकर के तौर पर दर्शकों को जो चाहिए था वह उन्हें मिल गया संजीव मेहरा के तौर पर. इसके अलावा एक कलाकार जिसे अब स्पेस मिलता दिख रहा है वह है ‘हथोडा त्यागी’ यानी अभिजीत बनर्जी. साइलेंट रोल में उम्दा एक्टिंग. कम शब्द लेकिन जोरदार. सारे संवाद अपने चेहरे के हावभाव से कह दिए. इसके इतर बाकी कलाकारों ने भी अच्छी एक्टिंग की और अपनी जगह पकड़ के रखी.

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लेखन के तौर पर स्क्रिप्ट अच्छी है. समाज के कड़वे सच से रूबरू होने का मोका मिला है. इससे पहले भी संदीप शर्मा उड़ता पुजाब और एनएच 10 की स्क्रिप्ट लिख चुके हैं. तो समझा जा सकता है उन्हें किस तरह के कंटेंट में मजा आता है. डायरेक्शन अच्छा है. हां, शुरू में कहानी थोड़ी धीरे चलती है लेकिन बाद में शानदार तरह से पटरी पर दौड़ने लगती है. कुछ कुछ जगह वाकई कई शानदार डायलॉग और सीन दर्शाए गए है. जिसमें वर्तमान पॉलिटिक्स पर तीखे कटाक्ष हैं इसके अलावा मोबलिंचिंग का मामला, मीडिया और राजनीति का गठजोड़ और भ्रष्ट चेहरा काफी कुछ सवाल बनाते हैं. आज इस तरह के कंटेंट उतारना एक बड़ा चैलेंज है जो इस सीरीज ने एक्सेप्ट किया.

खुद को स्वीकार करना जरूरी है- अनमोल रोड्रिगेज

भारत में एसिड अटैक का शिकार होने वाली लड़कियों और महिलाओं की कमी नहीं. लड़कियों के साथ इस तरह का व्यवहार करने वाले सामान्यतया सिरफिरे आशिक या गहरे दुश्मन होते हैं. मगर मुंबई में रहने वाली अनमोल रोड्रिगेज के साथ कुछ और ही हुआ.

उस समय वह केवल 2 महीने की थी. मां ने उसे अपनी गोद में लिटा रखा था. तभी उस के पिता ने एसिड फेंका. पिता का निशाना भले ही मां थी मगर अनमोल भी इस से बच नहीं सकी. उस की एक आंख चली गई और चेहरे के साथ शरीर के कुछ हिस्से भी झुलस गए. मां ने उसी वक्त दम तोड़ दिया मगर अनमोल का काफी समय तक अस्पताल में इलाज चला. ननिहाल वालों ने कुछ समय तो उस की जिम्मेदारी उठाई मगर फिर उसे लावारिस छोड़ दिया ऐसे में उसे एक अनाथालय में शरण मिली. अनाथालय में रहते हुए इलाज के साथ उस की पढ़ाई भी होने लगी.

18 साल के बाद अनाथालय में रहने की अनुमति नहीं थी तब अनमोल को अपनी जिम्मेदारी खुद उठानी पड़ी.

फिलहाल 22 साल की अनमोल रोड्रिगेज मुंबई में रहती है. वह बीगो लाइव के जरिए सोशल इंन्फ्लुएंसर, मोटिवेटर और फैशन एजुकेटर का काम करती है. उसे शौर्टफिल्म ‘आंटी जी’ में शबाना जी के साथ काम करने का मौका भी मिला.

मुंबई में रेंट के मकान में एक रूममेट के साथ रहने वाली अनमोल के जीवन का सफर इतना आसान नहीं है. जिंदगी के रास्ते में उसे अपनों के दिए जख्म, लोगों की नफरत और भेदभाव के दर्द का भी सामना करना पड़ा.

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पेश है उस से की गई बातचीत के मुख्य हिस्से

1. बचपन से अब तक आप को किस तरह के संघर्षों का सामना करना पड़ा?

बचपन में 5 साल तक मैं हॉस्पिटल में रही जहां मेरा इलाज चलता रहा. उस के बाद में एक अनाथालय में आ गई जहां मैं ने पढ़ाई पूरी की साथ में इलाज भी होता था. मुझे यहां अलग ट्रीट नहीं किया गया. अन्य बच्चों की तरह ही नॉर्मल रूप से रखा गया. मगर बड़ी होने और कालेज जाने पर मैं ने महसूस किया कि समाज की नजरों में मैं अलग हूं. लोगों का रवैया मेरे प्रति सही नहीं है. मुझे ले कर एक्सेप्टेंस नहीं है. ओवरऑल सोसाइटी में मेरी तरफ संवेदनशीलता नहीं है. कोई मेरा दोस्त बनना या हग करना नहीं चाहता. मैं जैसी हूं उस रूप में स्वीकार करने को कोई तैयार नहीं.

जब मुझे पहली दफा जॉब लगी तो मेरे खराब चेहरे की वजह से मुझे निकाल दिया गया. मेरे लिए इन बातों को समझना और बाहर आना आसान नहीं था. मानसिक स्तर पर मैं बहुत समय तक काफी परेशान भी रही.

2. जिंदगी में आगे क्या करना चाहती हैं?

मैं ने बहुत सी चीजें प्लान कर के रखी हैं. वैसे बचपन से ही मुझे थिएटर और एक्टिंग का शौक रहा है. जब मुझे शौर्टफिल्म ‘आंटी जी’ में काम करने का मौका मिला तो मेरी एक्टिंग में रुचि और बढ़ गई. पहले मैं खुद को अंडरस्टीमेट करती थी मगर अब मुझे लगता है कि मैं इस क्षेत्र में आगे बढ़ सकती हूं. यही नहीं मैं सोशल मीडिया में भी एक्टिव रही हूं और इस क्षेत्र में भी आगे बढ़ना चाहती हूं.

3. आप को आंटी जी फिल्म में मौका कैसे मिला?

दरअसल मुझे एक ईमेल आया. डायरेक्टर ने मेल के साथ मुझे स्क्रिप्ट भी भेजा था. मुझे शबाना जी के साथ काम करने का मौका दिया जा रहा था. पहले तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ कि वाकई यह सच है. मैं ने तुरंत हामी भर दी. इस तरह शबाना के जी के साथ मुझे फिल्म करने का मौका मिला. मेरा रोल इस फिल्म में एक एसिड सर्वाइवर का ही था.

4. फैशन में रुचि कैसे हुई ?

बचपन से ही मुझे फैशन में रुचि थी. रिसोर्सेज अधिक नहीं थे मगर फैशन करना पसंद था. लोगों से मेरे फैशन सेंस के लिए कंपलीमेंट्स मिलते थे. फिर जब सोशल मीडिया पर एक्टिव हुई तो पता चला कि इस के जरिए भी आगे बढ़ा जा सकता है.

5. आप अपना आत्मविश्वास कैसे कायम रखती हैं?

शुरू में लोगों का व्यवहार मेरी तरफ अलग था. वैसे कुछ लोग सपोर्टिव भी होते थे. पर मैं यह मानती हूं कि अपनी परिस्थितियों को आप कैसे स्वीकार करते हैं, इस बात पर बहुत चीजें निर्भर होती हैं. कई लोग खुद को स्वीकार करते हैं तो कुछ नहीं करते.

मैं जानती थी कि मेरा चेहरा तो अब ऐसे ही रहना है. ऐसे में लोग क्या सोचेंगे या क्या कमेंट कर रहे हैं इस डर से मैं घर से नहीं निकलती तो कहीं नहीं पहुंच सकती.

मैं ने खुद को मानसिक तौर पर मजबूत बनाया. खुद को स्वीकार किया और सोसाइटी को भी समय दिया कि लोग मुझे स्वीकार करें. अब तो सब मेरी तारीफ करते नहीं थकते. खुद ही आत्मविश्वास आ जाता है. अब तो इतना विश्वास है कि कोई भी चुनौती आ जाए मैं उस का सामना कर लूंगी. कोई भी ऐसी चुनौती नहीं है जो मेरे आत्मविश्वास को हिला सके.

6. सफलता के लिए क्या जरूरी है?

सफलता के लिए डेडीकेशन, कठिन परिश्रम, 100% सही दिशा में प्रयास, निश्चित मकसद, सकारात्मक उर्जा और कभी भी गिवअप न करने का रवैया होना जरूरी है.

6. फैशन से जुड़े कुछ टिप्स?

हर किसी का अपना टेस्ट होता है. सब के पास महंगे कपड़े होने जरूरी नहीं. साधारण कपड़ों में भी वाउ फैक्टर लाया जा सकता है. अपनी स्टाइलिंग पर ध्यान दें. जो भी पहनें उसे कैरी करने का तरीका आकर्षक होना चाहिए. किसी को कॉपी करने की जरूरत नहीं. अपना अलग स्टाइल रखें .

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7. क्या एसिड अटैक का कोई असर अभी तक है?

तकलीफ तो अभी भी है. मैं एक ही आंख से देख पाती हूं. ज्यादा देर कंप्यूटर पर काम करती हूं तो आंखों पर दबाव पड़ता है और सर दर्द होने लगता है. धूप में ज्यादा रहने से आंखों में से पानी आने लगता है. त्वचा पर भी जलन होती है.

8. सरकार द्वारा एसिड सर्वाइवर्स के लिए जो कदम उठाए गए हैं क्या उस से संतुष्ट हैं?

एसिड अटैक को ले कर लोगों में जागरूकता बढ़ी है और सरकार भी कई मेजर ला रही है मगर ये काफी नहीं हैं. सरकार एसिड सर्वाइवर्स को ₹3 लाख वनटाइम कंपनसेशन के तौर पर देती है. जबकि बहुत से सर्वाइवर्स हैं जिन्हें अपना कंपनसेशन नहीं मिल पाता. जिन में से एक मैं भी हूं. क्योंकि यह एक लंबी प्रक्रिया है. बहुत सारे डाक्यूमेंट्स, रिपोर्ट्स और एफआईआर की कॉपी आदि जमा करनी पड़ती है. जिस के पास पैरंट्स हैं वे तो एफआईआर वगैरह ले आते हैं मगर मेरे जैसे केस में यह सब कठिन है.

यही नहीं ₹ 3 लाख वैसे भी काफी नहीं हैं. एक छोटी सर्जरी का कॉस्ट ₹ 3 लाख से ज्यादा ही आता है.

एक नए कानून के मुताबिक इस की सर्जरी हॉस्पिटल में फ्री होगी. मगर जब आप अप्रोच करो तो कई बार यह संभव नहीं हो पाता. हॉस्पिटल वाले कहते हैं कि इस कानून के आने के बाद वालों की सर्जरी फ्री करेंगे लेकिन कानून से पहले जिन पर एसिड हमला हुआ उन को रुपए देने पड़ेंगे. यही नहीं कुछ हॉस्पिटल वाले बहुत से डॉक्यूमेंट मांगते हैं जो सब के पास नहीं होते. सरकार को इन बातों पर गौर करना चाहिए और कंपनसेशन की रकम भी बढ़ानी चाहिए.

थ्रिलर फिल्मों में निर्देशक के विजन को समझने की जरुरत होती है- मनोज बाजपेयी

बचपन से अभिनय की इच्छा रखने वाले अभिनेता मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee) ने ‘बेंडिट क्वीनफिल्म से अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा. उन्हें पॉपुलैरिटी फिल्म ‘सत्या’ से मिली. इस फिल्म ने उन्हें उस समय की सभी बड़े अभिनेताओं की श्रेणी में रख दिया. इस फिल्म के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया. हिंदी के अलावा उन्होंने तमिल और तेलगू भाषाओं में फिल्में की है.

बिहार के पश्चिमी चंपारण के एक छोटे से गाँव से निकलकर यहाँ तक पहुंचना और कामयाबी हासिल करना मनोज बाजपेयी के लिए आसान नहीं था. साधारण और शांत व्यक्तित्व के मनोज फिल्मों के लिए ‘चूजी’ नहीं, उन्हें जो भी कहानी प्रेरित करती है, वे उसे कर लेते है.यही वजह है कि उन्होंने हर तरह की फिल्में की है. उनके इस सफ़र में उनकी पत्नी नेहा और बेटी का साथ है, जिनके साथ वे क्वालिटी टाइम बिताना पसंद करते है. लॉक डाउन के इस समय में वे उत्तराखंड के किसी होटल में अपने परिवार के साथ समय बिता रहे है.

मनोज बाजपेयी को बचपन से कवितायें  पढ़ने का शौक है. उन्हें हिंदी और अंग्रेजी  में हर तरह की कवितायें पढ़ी है. उन्होंने कई प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कार भी जीता है,पर वे कविता खुद लिखते नहीं. साल 2019 में साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री अवार्ड से भी नवाजा गया है. अभी उनकी फिल्म ‘मिसेज सीरियल किलर’ डिजिटल पर रिलीज हो चुकी है. बातचीत हुई, पेश है कुछ खास अंश.

सवाल-लॉक डाउन में कहाँ है और क्या कर रहे है?

मैं अपने परिवार के साथ उत्तराखंड के एक होटल में हूं. पहाड़ों और वादियों का लुत्फ़ उठा रहा हूं. मैं इधर एक शूटिंग के लिए आया था और परिवार वाले भी यहाँ मुझसे मिलने आ गए थे. इतने में लॉक डाउन हो गया और यही रहने लगा हूं. मुझे अच्छा लग रहा है कि मुंबई की भीड़ भाड़ से दूर यहाँ प्राकृतिक वातावरण के बीच में दो महीने से रह रहा हूं.

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सवाल-इस फिल्म को करने की ख़ास वजह क्या है?

इसकी स्क्रिप्ट बहुत अच्छी थी. निर्देशक शिरीष कुंदर के साथ मैंने कई शोर्ट फिल्में की थी. इस वजह से हम दोनों की केमिस्ट्री बहुत अच्छी हो गयी थी. साथ ही हम दोनों पडोसी भी है. भूमिका बड़ी नहीं है, पर बहुत पावरफुल है. इसके अलावा शिरीष एक अच्छे निर्देशक भी है, इसलिए उनके साथ काम करने की इच्छा हुई और मैंने फिल्म की.

सवाल-आप किसी भी फिल्म में एक अलग छाप छोड़ते है, ये कैसे होता है? इसके लिए आपको क्या अलग से मेहनत अपनी भूमिका के लिए करनी पड़ती है?

मैं अपना काम करता हूं. दर्शकों को पसंद आता है इसकी ख़ुशी मुझे है. मैं कई सालों से काम कर रहा हूं. हर फिल्म के साथ वर्कशॉप करना, अभिनय की तकनीक को सीखना आदि करता आ रहा हूं. मेहनत, लगन और तकनिकी ज्ञान सब होने पर ही ये शायद हो पाता है. दर्शकों का प्यार ही मुझे यहाँ तक ले आया है और मैं अच्छा काम कर पा रहा हूं.

सवाल-आपके यहां तक पहुंचने में परिवार किस तरह से सहयोग देता है?

परिवार के सहयोग के बिना कुछ भी नहीं हो सकता. परिवार मेरी व्यस्तता को जानता और समझता है. साथ ही उसका आदर भी करता है. परिवार के साथ मेरा तालमेल हमेशा सही रहा है. समय मिलते ही मैं अधिक से अधिक समय उनके साथ बिताता हूं. काम के समय परिवार पूरा सहयोग देता है, ताकि मैं स्वछंद तरीके से काम को अंजाम दूँ. ये सामंजस्य है, जो बना हुआ है और मैं अपने आपको इस बारें में भाग्यशाली समझता हूं.

सवाल-कोरोना वायरस की वजह से कुछ एहतियात हर रोज बरतने को कही जा रही है, क्या लॉक डाउन के बाद इंडस्ट्री में भी कुछ बदलाव आयेगा?

लॉक डाउन एक न एक दिन अवश्य खुलेगा. वायरस भी एक दिन पूरे समाज से जायेगा. तब तक मास्क पहनना और अपना ख्याल रखना बहुत जरुरी है. उसके लिए क्या रास्ता अपनाया जायेगा, उसपर एसोसिएशन काम कर रही है. कैसे शूटिंग की जायेगी, कैसे सावधानी बरतते हुए इसे अंजाम दिया जायेगा आदि विषयों पर भी विचार किया जा रहा है. थिएटर को खोलने पर भी चर्चा हो रही है, लेकिन जब भी ये खुलेगी दर्शक आयेगे, क्योंकि समूह में बैठकर जो मजा फिल्म और नाटक देखने में है, उसे अकेले बैठकर नहीं लिया जा सकता. ये सही है कि ओटीटी प्लेटफार्म से जो मजा अभी दर्शक ले रहे है. आगे फिल्मों से उनकी अपेक्षा अधिक हो जाएगी. फिल्मों को भी उस स्तर पर प्रभावशाली कहानी कहने की जरुरत होगी.

सवाल-थ्रिलर फिल्म को बनाना कितनी चुनौती होती है, किस बात का बहुत ख्याल रखना पड़ता है?

इसमें चुनौती निर्देशक की होती है, निर्देशक पूरी फिल्म को देख रहा होता है और वह उसकी सुर और लय को पहचानता है, ऐसे में निर्देशक के विजन को समझने की बहुत जरुरत होती है. निर्देशक के साथ चलने और उसकी सुर को समझने पर काम आसान हो जाता है.

सवाल-आगे और क्या करने की सोच रहे है?

कोरोना वायरस के आने के बाद मैंने भविष्य की प्लानिंग करना छोड़ दिया है. आज जो है उसी के बारें में बात करें और जितना हो सके उसे जीने की कोशिश करें. ये एक बहुत बड़ी सीख है. मेरी दो फिल्में पूरी हो चुकी है. फॅमिली मैन 2 आने वाली है, लेकिन आगे समय में क्या परिवर्तन आएगा. इसके बारें में कुछ नहीं कह सकते.

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सवाल-क्या आप मानते है कि हमारी इंफ्रास्ट्रक्चर में भी बदलाव होने की जरुरत है?

हमने अपने जीवन और समाज में मेडिकल फैसिलिटी को लेकर उतना काम नहीं किया, जितनी जरुरत है. ये सेवा जन-जन तक गरीब लोगों में उपलब्ध हो. उन्हें हर तरह की सुविधा मिले, इसपर काम नहीं किया गया. इस पर अब सोचने की जरुरत है, क्योंकि आज पता चला है कि डॉक्टर नर्सेज और पैरामेडिकल स्टाफ हमारे जीवन के सबसे महत्वपूर्ण पहलू है.

सवाल-मां के साथ बिताया पल जिसे आप याद करते है?

मां शब्द पैदा होने के बाद से ही आप से जुड़ जाता है और जितना समय इस दुनिया में हम जीते है आप के साथ वह जुड़ा रहता है. इसलिए धरती को भी मां का दर्जा दिया गया है, जो सबसे अधिक विकराल और सबसे अधिक नम्र है. मेरा अस्तित्व और जो मैं आज हूं वह मां की वजह से है. हर दिन उनका है और हर दिन उनको चरणस्पर्श है.

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