#coronavirus: चीन से आगे भारत

झूठे जुमलों/वादों के सहारे सत्ता पर सवार हुई नरेंद्र मोदी सरकार दावे भी झूठे करती है. सरकार संसद के भीतर कुछ कहती है, बाहर कुछ और. गृहमंत्री अमित शाह लोकसभा में जो दावा करते हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रामलीला ग्राउंड में गृहमंत्री के उलट दावा ठोंक डालते हैं.

जो झूठे वादे/दावे करे, उसके आकलन भी सही नहीं हो सकते. आकलन तो खैर अनुमान होता है. आकलन के तहत तो कुछ भी पेश किया जा सकता है, वह भी जब सत्ता में झूठी सरकार हो तो कहने ही क्या.

अप्रैल में केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने 1 मई से कोरोना के मामलों में कमी आने के संकेत दिए थे. नीति आयोग के सदस्य और कोरोना के खिलाफ गठित टास्क फोर्स के प्रमुख डाक्टर वी के पौल ने कोरोना मामलों में बढ़ोतरी के ट्रैंड के आधार पर भविष्य के प्रोजैक्शन का ग्राफ पेश किया था, जिसके मुताबिक, 30 अप्रैल के बाद कोरोना के नए मामलों में गिरावट शुरू हो जाएगी और 16 मई तक यह संख्या शून्य (0) तक जा सकती है. इस ग्राफ को सरकार के प्रेस इंफौर्मेशन ब्यूरो यानी पीआईबी ने भी अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर किया था.

मोदी सरकार का यह दावा, या आकलन जो कह लें, गलत सिद्ध हो गया है. देशभर में कोरोना वायरस के मामले अभी भी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. भारत ने पिछले 24 घंटों में कोरोना संक्रमण मामले में इसके जन्मस्थल चीन को पछाड़ दिया है. देश में पिछले 24 घंटों में 3,970 मामले सामने आए हैं.

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स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश में 16 मई को सुबह 8 बजे तक कुल 85,940 मामले सामने आ चुके हैं. इसमें से 53,035 मरीजों का फिलहाल अस्पतालों में इलाज चल रहा है, वहीं 30,153 मरीज ठीक हो चुके हैं, जबकि देश में 2752 मरीजों की कोरोना से अब तक मौत हो चुकी है. बता दें कि चीन में कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 84,031 है.

देश में 24 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब तानाशाहीपूर्ण (इसलिए कि किसी को कहीं जाने का समय ही नहीं दिया) तरीक़े से देशव्यापी तालाबंदी लागू कर दी तब तक कोविड-19 के सिर्फ 618 सक्रिय मामले ही सामने आए थे. 11 मई तक यह आंकड़ा 67,000 हो गया जो 10,841 फीसदी की वृद्धि है. 7 मई को दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और अहमदाबाद सहित 15 प्रमुख शहरों में कुल सक्रिय मामले देशभर के कुल मामलों के 60 फीसदी थे. इन सभी शहरों में अभी लौकडाउन है लेकिन फिर भी, मामले लगातार बढ़ रहे हैं.

मुंबई में 67 मामलों के साथ लौकडाउन शुरू हुआ था जिसने 11 मई तक 19,402 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 13,000 का आंकड़ा छू लिया. दिल्ली में शुरुआत में सिर्फ 35 सक्रिय मामले थे जो 11 मई को 7,233 हो गए, यानी 20,565 फीसदी की वृद्धि. अहमदाबाद में 25 मार्च को 14 मामलों के बारे में पता था जो 41,557 फीसदी की वृद्धि के साथ 11 मई को 5,818 पर पहुंच गए.

इस बीच, महाराष्ट्र के अधिकारियों ने आखिरकार यह स्वीकार कर लिया कि राज्य के कुछ हिस्सों में सामुदायिक संक्रमण (कम्यूनिटी ट्रांसमिशन) हो रहा है. भारत में हर रोज़ 3,000 से 4,000 के बीच में मामले बढ़ रहे हैं जबकि चीन में गिनती के सिर्फ़ 1-10 के बीच.

यह वही चीन है जिसके वुहान शहर में पिछले साल दिसंबर के आख़िर में पहला मामला आया था. वहां एक समय इसने महामारी का रूप ले लिया था, लेकिन अब नियंत्रण में है. जब इस वायरस का पहला केस आया था तब यह बिलकुल ही नया वायरस था. न तो इस वायरस के बारे में जानकारी थी और न ही इसके फैलने के बारे में और न ही यह जानकारी थी कि इसे फ़ैलने से रोका कैसे जाए. इलाज और दवा की तो बात ही दूर थी. सबकुछ पहली बार हो रहा था. फिर भी चीन ने इस वायरस को नियंत्रित कर लिया.

लेकिन, जब इस वायरस के बारे में काफ़ीकुछ जान लिया गया, कैसे यह फैलता है, इसे कैसे रोका जा सकता है, तैयारी करने का समय भी मिल गया, तो भी कई देश स्थिति को काबू करने में नाकाम रहे. भारत अब उसी चीन से आगे निकल गया. वजह, भारत ने तैयारी नहीं की, लौकडाउन लागू करने में देर कर दी और स्वास्थ्य सुविधाएं लचर रहीं. मालूम हो कि भारत में कोरोना का पहला केस 30 जनवरी को सामने आ चुका था.

मौजूदा स्थिति में दुनिया में सबसे ज़्यादा कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या के मामले में भारत 11वें स्थान पर पहुंच गया है. अमेरिका जैसे पश्चिमी देशों में तो स्थिति बेकाबू हो गई थी, लेकिन अब उन अधिकतर देशों में स्थिति काबू में है. हालांकि, उन देशों में कोरोना संक्रमण के मामले काफ़ी ज़्यादा हो चुके हैं.

वैसे, भारत में कोरोना संक्रमण उस तेज़ी से नहीं फैला जैसे पश्चिमी देशों में फैला है. भारत ने कुछ हद तक इस पर नियंत्रण भी पाया है. हालांकि केरल और उत्तरपूर्वी राज्यों ने इसको काफ़ी हद तक नियंत्रित किया है, लेकिन कई राज्यों में स्थिति काबू में नहीं है. प्रवासी मज़दूरों के लौटने के बाद बिहार और ओडिशा में अब स्थिति बिगड़ने की आशंका है.

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तालाबंदी के तकरीबन 2 महीने होने को आए, लेकिन संक्रमण बढ़ने की तेज़ी में कमी नहीं आ पाई है. लेकिन आर्थिक हालात और ज़्यादा न बिगड़ें, इसलिए लौकडाउन में ढील दी जा रही है. हालांकि, ढील से संक्रमण के मामले बढ़ेंगे. वर्ल्ड हेल्थ और्गेनाइजेशन यानी डब्लूएचओ ने कह दिया है कि नोवल कोरोना वायरस हालफिलहाल दुनियाभर से खत्म होने वाला नहीं है. सो, दुनियावासियों को इसके संग जीना सीखना होगा. भारत आज चीन से जो आगे निकल गया है वह सुखद नहीं है. यह आगे निकलना देश के लिए नकारात्मकता है.

Summer special: सेहत से भरपूर है ककड़ी का भरवां

गर्मी के दिनों में ककड़ी का सेवन लगभग हर घरों में होता है.ये हमारे सेहत के लिए बहुत लाभदायक होती है. इसमें पानी अधिक मात्रा में होता है और ये जल्दी पच भी जाती है.ककड़ी में कैल्शियम, फॉस्फोरस, सोडियम और मैग्नीशियम अधिक होता है. यह पोटैशियम का भी एक बेहतर स्रोत है. पोटैशियम दिल के लिए जरूरी तत्व है. इससे हाई ब्लड प्रेशर कम होता है .इसके सेवन से आप डिहाइड्रेशन से बचे रह सकते हैं. यह पेट के लिए काफी हेल्दी होता है. इसके नियमित सेवन से कब्ज, सीने में जलन, एसिडिटी जैसी समस्याएँ नहीं होती.

हर दिन इसे खाने से डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल का लेवल सामान्य रहता है. डायबिटीज के रोगियों के लिए यह एक हेल्दी फल है. इसे खाने से इंसुलिन का स्तर कंट्रोल में रहता है.
वैसे तो ककड़ी हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होती है पर क्या आप जानते है की यह हमारी त्वचा के लिए भी बहुत फायदेमंद है.

यदि आपकी त्वचा तैलीय है, तो ककड़ी का एक टुकड़ा लेकर चेहरे पर रगड़ें.इससे चेहरे की चिकनाई दूर होगी . इसका रस चेहरे पर लगाने से दाग-धब्बे भी दूर होते हैं.
वैसे तो हम ककड़ी कच्ची ही खाते हैं पर क्या कभी आपने ककड़ी के भरवें के बारे में सुना है?यदि नहीं तो चलिए आज हम बनाते है ककड़ी का भरवां .ये खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होता है.

हमें चाहिए-

ककड़ी -2
जीरा-1/4 टी स्पून
रिफाइंड आयल या सरसों का तेल -1 टेबल स्पून

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सौंफ पाउडर-1/2 छोटी चम्मच
हल्दी पाउडर -1/4 टी स्पून
लाल मिर्च पाउडर-1/2 टी स्पून
धनिया पाउडर-2 टी स्पून
अमचूर पाउडर-1/4 टी स्पून
गरम मसाला-1/4 टी स्पून
नमक स्वादानुसार

बनाने का तरीका

1-सबसे पहले ककड़ी को अच्छे से पानी से धो लीजिये.फिर हर ककड़ी को लगभग 4-4 इंच के बराबर बराबर पीस में काट लीजिये.
2-फिर हर ककड़ी के पीस में एक साइड पर कट लगा दीजिये जिससे उसके अन्दर फिलिंग भरी जा सके.
3-अब एक बाउल में ऊपर दिए गए मसाले जैसे धनिया पाउडर,अमचूर पाउडर,लाल मिर्च पाउडर,हल्दी पाउडर,सौंफ पाउडर ,गरम मसाला और नमक डाल कर उसे अच्छे से मिला लें.अब उसमे 1 छोटी चम्मच रिफाइंड या सरसों का तेल डाल ले ताकि मसाला हल्का सा गीला हो जाये और फिलिंग के बाद बाहर न निकले.अब इस फिलिंग को ककड़ी के कट लगे वाले साइड में फिल करदे.ध्यान रखें की ज्यादा नहीं फिल करना है.
4-एक कढाई में 1 tablespoon सरसों का तेल या रिफाइंड आयल डाल कर उसे थोड़ा गर्म करें .अब उसमे जीरा डाल दें .
5-जीरा भुन जाने के बाद उसे फिल की हुई ककड़ी डाल दे.अब उसे अच्छे से मिलकर चला दे.और एक ढक्कन से कढाई को ढक दे.

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6-हर 3 से 4 मिनट के बाद ढक्कन खोल कर उसे चलते रहे.ऐसा 2 से 3 बार करें फिर उसे कलछी से दबा कर चेक कर ले की ककड़ी पक गयी है की नहीं.
7-अगर अब ककड़ी पक गयी है तो ढक्कन को हटाकर उसे खुले में पकाए.इससे उसका सारा पानी भी सूख जायेगा.अब जब भरवां पूरी तरह सूख जाये तो उसमे ऊपर से भुना हुआ धनिया ,गरम मसाला और अमचूर पाउडर भी डाल कर मिला सकती हैं.इससे स्वाद और बढ़ जायेगा.
8-अब उसे अच्छे से तेज़ आंच पर 1 से 2 मिनट चलाकर गैस बन्द कर दे. और इससे एक अलग प्लेट में निकाल ले.

#lockdown: आखिर कब पटरी पर जाएगी एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री- केरैक्टर आर्टिस्ट्स

हैलो कोई काम है क्या आज? आज, दिख तो नहीं रहा है, पर आ जाओं अगर कोई प्रसंग बनता है, तो आपको उसमें डाल देंगे, पर कोई निश्चित नहीं है, समझा. (मायूसी के स्वर में) ठीक है आता हूं, वैसे भी कई दिनों से कुछ काम नहीं किया है अगर मिल जाए. तो अच्छा रहेगा घर का किराया या अपना कुछ खाने-पीने का खर्चा चला लूंगा, ऐसा संवाद हर दिन मुंबई की एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री  में रोज चलती रहती थी, पर आज लॉक डाउन ने इसे पूरी तरह से बंद कर दिया है. जो फिल्में बन चुकी है वह भी रिलीज नहीं हो सकती क्योंकि थिएटर बंद है. ऐसे में जिसे डिजिटल पर रिलीज किया जा सकता है, उसे किसी तरह निर्माता निर्देशक रिलीज कर रहे है.

करोड़ों का नुक्सान इंडस्ट्री को हो चुकी है. करैक्टर आर्टिस्ट राह देख रहे है कि कब इंडस्ट्री फिर से पटरी पर आये और काम शुरू हो. ये सही है कि हिंदी फिल्म हो या टीवी इंडस्ट्री में एक बड़ी संख्या में चरित्र कलाकार काम करते है. महाराष्ट्र और दूसरे राज्यों से अभिनय के शौकीन ये कलाकार हर रोज किसी न किसी प्रोडक्शन हाउस से फ़ोन का इंतज़ार करते रहते है, लेकिन इस लॉक डाउन ने लगातार काम करने वाले चरित्र कलाकार की स्थिति को बदतर बना दिया है. कुछ कलाकार जो सिने एंड टीवी आर्टिस्ट एसोसिएशन (CINTAA) के मेंबर है और उन्हें थोड़ी बहुत सहायता राशि मिली है, लेकिन आगे क्या होगा, इस बारें में किसी के लिए भी कुछ सोचना संभव नहीं है. कैसे वे सरवाईव करते है आइये जानते है उन्ही से.

प्लान बी के बिना गुजारा संभव नहीं 

चरित्र अभिनेता के रूप में काम करने वाले अमर मेहता लॉक डाउन की वजह से वे अपने घर दहानू में है. बचपन से उन्हें अभिनय की इच्छा थी,पर आर्थिक स्थिति अधिक अच्छी नहीं थी. पिता ऑटो ड्राईवर थे और कुछ खेती उनके पास है. अभिनय के बारें में उन्हें कुछ जानकारी नहीं थी. कॉलेज की पढाई पूरी करने के बाद वे मुंबई आये. वित्तीय अवस्था अच्छी नहीं होने की वजह से जहाँ जो काम मिला करते गए. उस पैसे से उन्होंने एडिटिंग, एनिमेशन, शूटिंग आदि सब सीखना शुरू कर दिया. वे एक्टिंग के अलावा फिल्म से जुड़े हुए सारी तकनीक को जानते है, जिसका फायदा उन्हें अब मिल रहा है. शुरू में कमाई के लिए उन्होंने बहुत संघर्ष किया पर आगे बढ़ने की इच्छा प्रबल रही, इस दौरान किसी दोस्त के परिचय से मीडिया इंडस्ट्री में मनोरंजन से सम्बंधित काम मिला, जिसकी वजह से उनका परिचय कई निर्माता निर्देशक से हुआ, जहाँ उन्होंने अभिनय की इच्छा जाहिर की.

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अमर कहते है कि इंडस्ट्री में पहले अपनी पहचान बनाना मुश्किल होता है, पर एक बार निर्माता निर्देशक काम को देखने के बाद मुश्किल नहीं होती. मुझे पहला ब्रेक ‘सावधान इंडिया’ के शो  में पुलिस की भूमिका मिली. इसके बाद क्राइम पेट्रोल, सी आय डी, कमांडो आदि कई धारावाहिकों और फिल्मों में काम मिलता गया. दर्शकों ने पुलिस और मेरी निगेटिव भूमिका को पसंद किया. इससे मेरा रास्ता और भी आसान होता गया. इंडस्ट्री पहले भी बहुत अच्छी नहीं चल रही थी, अब तो लॉक डाउन से हालत और अधिक ख़राब हो चुकी है. नया आने वाला व्यक्ति यहाँ आकर अपना गुजारा नहीं कर सकता, उसके लिए प्लान बी रहना जरुरी है, क्योंकि काम करने के बाद 60 या 90 दिन के बाद पेमेंट मिलता है. अभी तो बहुत सारे पैसे मिले भी नहीं है, क्योंकि लॉक डाउन है और प्रोडक्शन हाउस अपनी लाचारी बता रहा है. ऐसे में कुछ किया नहीं जा सकता. केवल धैर्य बनाये रखना पड़ता है. मैं दूसरा जॉब करता हूं, जिससे मेरा घर चलता है. प्लान बी के बिना इंडस्ट्री में नहीं टिक सकते. यहाँ लोग बदलते रहते है, ऐसे में रोज नयी शुरुआत होती है. हर दिन लोगों से मिलना पड़ता है. इंडस्ट्री की तरफ से मुझे कोई आर्थिक सहयता अभी तक नहीं मिली है. मेरे परिवार में सभी लोग साथ मिलकर रहते है इसलिए घर चल जाता है. लॉक डाउन की आड़ में आगे काम मिले तो भी सही पारिश्रमिक प्रोडक्शन हाउस से मिलना मुश्किल हो जायेगा. अभिनय के अलावा मैं ब्लॉग भी लिखता हूं.

आसान नहीं है अभिनय का मिलना 

जयपुर के रहने वाले चरित्र अभिनेता प्रमोद सैनी , इरफ़ान खान की फिल्मों से बहुत प्रभावित रहे है, क्योंकि वे भी राजस्थान से है. बचपन से वे सनी देओल और अमरीश पूरी की आवाज निकालते थे. घरवालों को ये चीजे पसंद थी. अभिनय में आना उनकी दिली इच्छा रही है. इसके लिए उन्होंने जयपुर में एक समर कैम्प में गए. वहां उन्हें अभिनय अच्छा लगा. इसके बाद जयपुर में उन्होंने नाटको, टीवी शोज और फिल्मों में छोटी-छोटी भूमिका निभाते रहे. अभिनय को दिशा देने के लिए वे मुंबई आये. प्रमोद कहते है कि 7 साल पहले मुंबई आया था. यहाँ जिन दोस्तों के साथ रहता था. वे कुछ बताते नहीं थे. शुरू में कैसे क्या करना है, पता नहीं चल पाता है. बहुत मुश्किल था. मैंने टीवी शोज बहुत सारे किये है, जिसमें भाभी जी घर पर है, तारक मेहता का उल्टा चश्मा, सी आई डी, क्राइम पेट्रोल आदि है. इसमें मैंने हास्य अभिनेता की भूमिका अधिक की है, क्योंकि उसमें दर्शक मेरी इस भूमिका को अधिक पसंद करने लगे. ये सही है कि जिस भूमिका में आप जंचने लगते है वही किरदार आपको बार-बार मिलता है. मेरे काम से घरवाले भी बहुत खुश है, क्योंकि उन्हें मैं पर्दे पर दिखता हूं. लॉक डाउन होने के तुरंत बाद मैं जयपुर आ गया. नहीं तो मैं भी मुंबई फंस जाता. यहाँ मैं अपने घरवालों के साथ समय बिता रहा हूं. आगे क्या होगा समझना मुश्किल है, क्योंकि इसमें एक टीम काम करती है, इसलिए कोरोना वायरस के ख़त्म होने के बाद ही इंडस्ट्री शुरू हो तो अच्छा होगा. अभी तो जमा हुए पैसे से ही घर चला रहा हूं. मुंबई में 3 महीने का किराया जमा हो चुका है, जो बाद में देना पड़ेगा.

इसके आगे प्रमोद कहते है कि एक्टिंग एक ऐसी फील्ड है जहाँ कोई भी बिना ट्रेनिंग के कभी भी दुसरे शहरों से आ जाते है, जबकि ये क्षेत्र आसान नहीं है. यहाँ काम आसानी से कभी नहीं मिलता, ऐसे में बहुत सारे लोग परिवार को संकट में डाल देते है या फिर हताश होकर आत्महत्या कर लेते है. प्रतिभा ,धीरज और ट्रेनिंग के साथ यहाँ आना पड़ता है.

अभिनय प्रशिक्षण ने बचाया कास्टिंग काउच से 

कास्टिंग काउच फिल्म और टीवी इंडस्ट्री में एक बड़ा मुद्दा है, जिससे तक़रीबन बड़े-बड़े एक्ट्रेस को भी गुजरना पड़ता है, जिसकी वजह से ‘मी टू मूवमेंट’ आई और कई बड़े कलाकार निर्माता निर्देशक इसकी जाल में फंसे. जबलपुर की चरित्र अभिनेत्री मोनिका गुप्ता का कहना है कि मुझे कास्टिंग काउच का सामना नहीं करना पड़ा, क्योंकि मैं अभिनय मैंने अभिनय में ट्रेनिंग ली है और मैं इन सब चीजो से परिचित हूं. ट्रेनिंग के दौरान काम की सारी बारीकियां बताई जाती है. लखनऊ में मैं सुमित से मिली थी जो आज मेरे पति है और अभिनय से ही जुड़े होने की वजह से मैं सब पहले से जान गयी थी. सुमित से मैं लखनऊ में भारतेंदु नाट्य एकादमी में मिली थी. मैंने अभिनय की शुरुआत डेढ़ हज़ार रुपये से की थी. कई बार काम के बाद पता चलता है कि मुझे पैसे कम मिले है. ‘शैतान हवेली’ वैसी ही वेब सीरीज है, जिसमें मैं चुड़ैल बनी, प्रोस्थेटिक मेकअप 9 घंटे तक लगाना पड़ा था. काम करते-करते ही ये सब सीखना पड़ता है. काम मेरे लिए जरुरी है, क्योंकि इससे मुझे घर भी चलाना पड़ता है. अभी तक कोई चेक बाउंस नहीं हुआ ये भी एक बड़ी बात है.

अभिनय एक कला है, जो इन बोर्न होता है, जिसे ट्रेनिंग से इम्प्रूव किया जा सकता है. इसकी प्रेरणा आसपास के परिवेश से ही मिलती है.  मोनिका गुप्ता आगे कहती है कि बचपन में मैंने अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘आज का अर्जुन’ देखी, उसमें जया प्रदा और अमिताभ बच्चन की भूमिका से बहुत प्रभावित हुई. बचपन से मैंने कथक सीखा है और डांस में मुद्राएं होती है, जिससे अभिनय को भी बल मिला. घरवालों को मेरी एक्टिंग के बारें में समझाने में समय लगा. मेरी दीदी और बड़े भाई ने मुझे आगे बढ़ने में बहुत सहयोग दिया. 12 वीं कक्षा की पढाई के बाद मैंने विवेचना ग्रुप के साथ थिएटर करना शुरू किया. फिर मैंने लखनऊ में ‘भारतेंदु नाट्य एकादमी’ मैंने ट्रेनिंग लेकर दिल्ली गयी. कुछ दिनों तक वहां काम करने के बाद मुंबई आ गयी. मुंबई में ऑडिशन का दौर शुरू हुआ. साथ ही आरम्भ ग्रुप के साथ नाटकों में काम करना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे एड फिल्म्स, टीवी शोज, फिल्म्स, वेब सीरीज आदि में काम मिलने लगा. मुंबई में टिके रहना आसान नहीं होता. जो भी काम मिलता है उसे करती रहती हूं. इससे बहुत कुछ नया सीखने को मिलता है. काम कमोवेश मिलता है, पर बहुत अच्छा काम अभी तक नहीं मिला है उसकी तलाश जारी है.

लॉक डाउन के बाद के बारें में मोनिका कहती है कि अभी मैंने एक जी थिएटर प्रोजेक्ट किया था, जिसमें मुझे अच्छी राशि मिली. इसके अलावा अदानी के प्लांट में थिएटर से जुड़े है. काम अभी नहीं है और कब शुरू होगा पता नहीं. सिंटा की मेम्बर होने की वजह से कुछ पैसे मिले है, इसके अलावा सलमान खान की बीइंग ह्युमन की तरफ से भी पैसे मिले है. चिंता का विषय है,क्योंकि इंडस्ट्री में काम के 3 महीने बाद एक्टर्स को पैसे मिलते है. इसके अलावा मैंने पिछले दो सालों से कोई काम नहीं किया, क्योंकि नहीं मिला, पर साथ-साथ में थिएटर करना, इंडिया बेस्ट ड्रामेबाज़ टू में एक्टिंग मेंटोर का काम आदि किया है. इससे परिवार सम्हल जाता है. संघर्ष हमेशा चलता रहता है. इसके अलावा मुंबई में थिएटर का कल्चर बहुत अच्छा है. यहाँ कलाकार को कोई बांध कर नहीं रखता और एक अच्छी ऑडियंस भी यहाँ है. वित्तीय और मानसिक रूप से कलाकार संतुष्ट रहता है.

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सही जानकारी का मिलना जरुरी 

ये सही है कि किसी भी फिल्म, टीवी और वेब की कास्टिंग आजकल हर बड़े शहरों में होती है, जिसमें दिल्ली, लखनऊ, भोपाल, इलाहाबाद आदि कई स्थानों पर कास्टिंग डायरेक्टर जाते है और फ्रेश टैलेंट ढूंढकर लाते है ऐसे में अभिनय की इच्छा रखने वाले कलाकारों को एक अच्छा मौका अभिनय करने के लिए मिलता है इसलिए अपने शहर में रहकर अभिनय की प्रैक्टिस करना सबसे बेहतर होता है. अभी मुंबई में लॉक डाउन में फंसे चरित्र कलाकार भूपेंद्र शाही कहते है कि ग्रेजुएशन के बाद दिल्ली गया और कई स्थानों पर अभिनय की ट्रेनिंग के बाद मुंबई आया. मैं यू पी के गांव देवरिया से हूं और टीवी देखते हुए अभिनय का कीड़ा दिमाग में आया. पिता अरविन्द शाही रेलवे में काम करते थे. मुझे अभिनय की इच्छा थी, पर कैसे बनेगे, पता नहीं था. थिएटर और ट्रेनिंग कुछ जानकारी नहीं थी, इसलिए जब मैं बनारस पढने गया, तो वहां मुझे नाटकों के बारें में पता चला और मैंने उस दिशा में प्रशिक्षण के बारें में सोचा और आगे बढ़ता गया. मेरी भाषा सही नहीं थी, भोजपुरी थी, जिसे ठीक करने के लिए दिल्ली गया और 2 साल तक थिएटर किया. फिर मुंबई आया और मेरी वित्तीय अवस्था को पिता ने सम्हाला. मुझे हमेशा निगेटिव चरित्र मिलता है, जिसे सभी पसंद करते है. पहला सीरियल ‘अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजो’ मिला था. इसके बाद सी आई डी, दिया और बाती हम आदि कई धारावाहिकों में काम मिलता गया. इसके अलावा कई फिल्में और वेब सीरीज के लिए बात चल रही है. किसी में एक या दो दृश्य तो किसी में बड़ी भूमिका भी मिल जाती है. इससे घर आसानी से चला लेते है. करीब 7-8 साल संघर्ष बहुत रहा, लेकिन अब ये ठीक हो चुका है. लॉक डाउन ख़त्म होने के बाद कुछ अच्छा होने की उम्मीद है. अभी मुंबई में मकान मालिक ने किराया आधा कर दिया है, इससे थोड़ी राहत मिल रही है. काम के दौरान ये सीखा है कि जो भी आपको मिलता है, उसे करते रहे. किसी प्रकार की राजनीति में न पड़े.

फ़िल्मी दुनिया के रास्ते है कठिन  

फ़िल्मी दुनिया दूर से ग्लैमरस लगती है और करीब आने पर संघर्ष का सिलसिला चलता रहता है, लेकिन टिकते वही है जिसमें काम करने की लगन मेहनत, धीरज और प्रशिक्षण हो. बिना इसके इंडस्ट्री में काम मिलना संभव नहीं. बचपन से अभिनय की शौक रखने वाले इलाहाबाद के चरित्र अभिनेता सुमित गोस्वामी की भी कहानी कुछ ऐसी ही है. एक फिल्म अवार्ड फंक्शन को देखकर उनके मन में इस क्षेत्र में आने की प्रेरणा मिली. वे मनोज बाजपेयी और आशुतोष राणा से काफी प्रभावित थे और सोचते थे कि अगर बिना किसी फ़िल्मी बैकग्राउंड के अगर ये कलाकार सफल हो सकते है, तो उनके लिए भी करना मुश्किल नहीं और उस दिशा में चल पड़े. अपनी जर्नी के बारें में सुमित कहते है कि इलाहाबाद में अपनी पढाई ख़त्म करने के बाद मैंने 5 साल तक थिएटर में काम किया. इसके बाद मैंने लखनऊ में भारतेंदु नाट्य एकादमी में अभिनय प्रशिक्षण लिया. वहां साल 2005 में मुझे स्कॉलरशिप 2000 रुपये मिलते थे जो मेरे लिए बहुत था. उस दौरान पुणे फिल्म इंस्टिट्यूट में भी आने का मौका मिला और अभिनय से जुड़ी सारी बारीकियां सीखने को मिली. इसके बाद 15 हजार रुपये लेकर मुंबई आया था और एक महीने ऑडिशन देने के बाद ‘लेफ्ट राईट लेफ्ट’ में काम मिला. इसके बाद महुआ चैनल पर बडकी मलकाइन सीरियल में काम किया और साथ ही पृथ्वी थिएटर से जुड़ गया. वहां कई जाने माने कलाकारों से परिचय हुआ और काम मिलने का सिलसिला शुरू हो गया. इसके अलावा अदानी के कॉर्पोरेट थिएटर से भी जुड़ गया हूं. मुझे कॉमेडी बहुत पसंद है, पर मैं इमोशनल भी करता हूं. इंडस्ट्री में आकर काम करना बहुत संघर्षपूर्ण है. कितना भी काम करने पर भी आप हमेशा नए ही रहते है. हर रोज संघर्ष रहता है. मुझे हर तरीके की भूमिका पसंद है और करना भी चाहता हूं, लेकिन इस लॉक डाउन से जिंदगी थोड़ी अनिश्चित हो गयी है. इस समय मैंने कुछ कविताओं को रिकॉर्ड कर यू ट्यूब पर डाला है. मेरी पत्नी मोनिका गुप्ता भी इसी क्षेत्र से है इससे काम की सहूलियत थोड़ी अधिक है, क्योंकि इस क्षेत्र में मानसिक सहयोग की जरुरत पड़ती है जो मुझे अपनी पत्नी से मिलता है. यहाँ आने वालों को मेहनत करने का जज्बा रखना पड़ता है अगर ये नहीं है तो फ्रस्ट्रेशन होता है.

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कोरोना संकट : 80 फीसदी भारतीयों की टूटी कमर, कमाई पर बुरा असर

कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन का देश के ग्रामीण इलाकों के लोगों की रोजीरोटी पर बुरा असर पड़ा है. हालांकि अभी तक देश के ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना का उतना प्रकोप नहीं दिखा, जितना कि शहरी क्षेत्रों में इस का खौफ देखा गया.

कोरोना से जंग जीतने के लिए घोषित लॉकडाउन ने देश के 80 फ़ीसदी से ज्यादा कामगारों की कमर तोड़ दी है. लॉकडाउन के दौरान इन की कमाई पर काफी बुरा असर पड़ा है. इन में काफी लोग ऐसे हैं, जिन का बिना सहायता के ज्यादा दिनों तक जीना मुश्किल है. इन लोगों की जिंदगी पटरी पर लाने के लिए सरकारी मदद की जरूरत है.

1. अधितकर की हालत खराब

एक सर्वे के मुताबिक देशभर के 5,800 परिवारों से बात की गई. शोधकर्ताओं का कहना है कि लॉकडाउन से देश के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की रोजीरोटी पर इस ने बड़ा असर डाला है. शोध में बताया गया है कि देश की 130 करोड़ की आबादी में शामिल बड़े वर्ग की कोरोना संकट के कारण कमर टूट गई है.

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2. कमाई प्रभावित होने से गहराया संकट

सर्वे के मुताबिक देश के 84 फ़ीसदी लोग महज 3,801 रुपए तक की कमाई कर पाते हैं और इन्हीं लोगों पर कोरोना संकट का गहरा असर पड़ा है. इन लोगों के पास भविष्य के लिए कोई जमा पूंजी नहीं है और लॉकडाउन के कारण इनकी कमाई प्रभावित होने से जिंदगी के लिए संकट खड़ा हो गया है.

3. पांच राज्यों पर सब से बुरा असर

इस सर्वे में बताया गया है कि लॉकडाउन का सब से बुरा असर देश के पांच राज्यों पर पड़ा है. ये राज्य हैं, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड और हरियाणा. इन सभी राज्यों में प्रवासी मजदूरों की संख्या भी काफी ज्यादा है और उन के सामने कोरोना ने एक बड़ी मुसीबत खडी कर दी है.

4. कई परिवारों के सामने गहरी समस्या

सर्वे के दौरान जिन परिवारों से बातचीत की गई उन में से 34 फीसदी परिवारों ने बताया कि वे बिना आर्थिक मदद के एक सप्ताह भी नहीं रह पाएंगे. शोधकर्ताओं का कहना है कि सर्वे से पता चला है कि ज्यादा वेतन वाले लोगों की आय में कम कमी दिखी, क्योंकि इन में से ज्यादातर लोगों के पास स्थायी नौकरी है. इसलिए उन के सामने भविष्य का कोई संकट नहीं है. इस के साथ ही ऐसे लोग लॉकडाउन के दौरान भी घर से काम कर रहे हैं. कम आय वालों में सिर्फ कृषि कार्य और खानपान से जुड़े श्रमिकों को ही काम मिल पा रहा है.

5. 10 करोड़ से अधिक भारतीयों का छिना रोजगार

सर्वे और दूसरे संस्थानों के आंकड़ों के मुताबिक देश में 25 मार्च को लॉकडाउन के ऐलान के बाद बड़ी संख्या में लोगों का रोजगार खत्म हो गया. एक अनुमान के मुताबिक करीब 10 करोड़ से अधिक भारतीयों का रोजगार छिन गया है.

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6. भविष्य की गम्भीर समस्या

लॉकडाउन के कारण लोगों के सामने निकट भविष्य के लिए गंभीर समस्या खड़ी हो गई है. अगर दुनिया भर की बात की जाए तो कई देशों ने कोरोना संकट पर विजय पाने के लिए लॉकडाउन घोषित कर रखा है. इस कारण करीब 1.3 अरब लोगों की आमदनी प्रभावित हुई है.’

 6 संकेत: कहीं आपका पार्टनर चीटर तो नहीं

इस दुनिया में किसी के लिए भी सब से मीठा एहसास होता है प्यार. आप किसी शख्स को दिल से चाहें और वह भी आप को उतनी ही निष्ठा के साथ प्रेम करे, तो इस से अच्छी और कोई फिलिंग हो ही नहीं सकती. प्रेम करने वाला बदले में प्रेम की ही आस रखता है. लेकिन इंसान प्यार में हमेशा वफादार रहे यह जरूरी नहीं है. विश्वासघात, बेवफाई, धोखा, चीटिंग ये सब सिर्फ शब्द नहीं हैं, बल्कि मजबूत से मजबूत रिश्ते की नींव हिलाने के लिए काफी हैं. कई लोग अपने पार्टनर को चीट करते हैं. एक स्टडी के मुताबिक, कुछ सालों में ऐसे काफी सारे केसेस सामने आए हैं, जिन में अकसर शादी के बाद पार्टनर चीट करते हैं और आज के समय तो ये समस्या बेहद आम हो गई है.

लेकिन इस बात का पता लगाना कि आप का पार्टनर वास्तव में आप के साथ चीट कर रहा है या नहीं, जानना थोड़ा मुश्किल है. कटाकटा रहना, आदतों में एकदम से बदलाव, काफी हद तक रिलेशनशिप में चीटिंग को दर्शाता है. आप का पार्टनर विश्वासपात्र है या नहीं और कहीं वह आप को धोखा तो नहीं दे रहा. जानिए इन संकेतों से जो बताते हैं कि कहीं आप का पार्टनर आप के साथ चीटिंग तो नहीं कर रहा.

1. व्यवहार में बदलाव:

सब से बड़ी पहचान यही है कि पार्टनर के व्यवहार में बदलाव होने लगता है. ‘मैं बोर हो गया हूं’ जैसे शब्दों से समझ में आने लगता है कि कहीं कुछ तो गड़बड़ है. दीप्ति माखीजा के अनुसार, पार्टनर जब चीट करने लगता है तो अपनेआप ही कुछ क्लू या बातें सामने आने लगती हैं, जिन्हें बस समझने की देरी है. जैसे उस के बोल होने लगते हैं, ‘तुम्हें बोलने का तरीका नहीं है? अपना वजन कम करो, मोटी हो गई हो. साथ ही, आप के पार्टनर आप की तुलना किसी दूसरेतीसरे से करने लगते हों. बेवजह आप की गलती निकालने लगे हों, आप की किसी एक छोटी सी गलती पर आप को गैरजिम्मेदार ठहराने लगे हों, तो आप को सचेत हो जाना चाहिए. खास कर तब जब ऐसा पहले कभी नहीं होता था. यह न समझें कि अब वह ऐसा कर के आप को शर्मिंदा महसूस कराने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसा कोई इंसान तभी करता है जब वह अपने पुराने रिश्ते को तोड़ कर किसी और के साथ रिश्ते बनाना चाहता है.

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2. दिनचर्या में बदलाव:

दैनिक दिनचर्या में लगातार आने वाले बदलाव भी पार्टनर के आप को धोखा देने के संकेत हो सकते हैं. जैसे, अचानक अपने वार्डरोब में कपड़ों को बदलना, खुद पर ज्यादा ध्यान देने लगना. आईने में खुद को निहारते रहना, आप के आने पर सतर्क हो जाना इत्यादि यदि ऐसा होता है तो समझा जाए कि कुछ तो गड़बड़ है. पहले की तरह आप में रुचि न दिखाना, क्योंकि पहले आप दोनों एकदूसरे के नजदीक जाने के बहाने ढूंढा करते थे और अब आप का पार्टनर आप से दूर जाने के बहाने ढूंढने लगें. कमिटमैंट से घबराने लगे तो समझिए वह आप को धोखा दे रहे हैं. इस के अलावा आप से बेवजह लड़ाइयां होने लगना. आप के हर काम में नुक्स निकालने लगना. पहले की तरह व्यक्तिगत बातें, कैरियर संबंधित बातें आदि आप से साझा न करने लगें, तो समझ लीजिए कि वह आप से दूर होने की कोशिश कर रहे हैं.

3. आप के प्रति प्यार कम होना:

पहले जहां आप की हर बातें उन्हें प्यारी लगती थी. पर अब आप की हर बात पर वह झल्लाने लगें. मूवी देखने या कहीं बाहर जाने में आनाकानी करने लगें. ज्यादा समय औफिस में बिताने लगें. इन बातों से साफ पता चलता है कि आप का पार्टनर आप को चीट कर रहा है. हो सकता है आप का पार्टनर किसी और बात को ले कर परेशान हो या कुछ और वजह हो सकती है. लेकिन इस सब के साथ आप का पार्टनर कोई फैसला लेने में आप से आप की राय नहीं पूछते या आप से अपनी बातें शेयर नहीं करते, तो यह धोखे का संकेत हो सकता है.

4. फोन से जुड़े सवाल:

यदि आप अपने पार्टनर की फोन से जुड़ी गतिविधियों में बदलाव को नोटिस करते हैं, तो यह धोखा देने का संकेत हो सकता है. जैसे आप का पार्टनर जरूरत से ज्यादा फोन पर व्यस्त रहने लगे. औफिस में उन का फोन कईकई घंटों तक व्यस्त आता हो. आप से अपने फोन और मैसेज छिपाने लगे हों. फोन का पासवोर्ड बदल दिया हो और आप को अपना पासवोर्ड न बताएं और न ही अपना फोन छूने दें, तो यह धोखे का संकेत हो सकता है. इस के अलावा उन की सोशल मीडिया की आदतों में भी बदलाव हो सकता है, जैसे ज्यादा फोटो अपलोड करना या बारबार अपनी प्रोफाइल बदलते रहना, बारबार मैसेज अलर्ट चेक करना, जैसे कई छोटेछोटे बदलाव धोखे का संकेत हो सकते हैं.

5. छोटीछोटी बातों पर झूठ बोलने लगना:

यदि आप का साथी आप से हर छोटीछोटी बात पर झूठ बोलने लगे, बातें छिपाने लगे, तो समझिए जरूर कुछ गड़बड़ है.

6. आंखें चुराने लगे:

यदि आप का साथी आप से बात करने से बचने लगे या बात करते वक्त अपनी आंखें न मिला पाए, इधरउधर देखने लगे, आप की बातों को अनसुना करने लगे, आप की किसी भी बात को गंभीरता से न ले, वही काम करे जो आप को पसंद नहीं है, अपनी गलती न मानने के बजाए आप की ही गलती निकालने लगे, आप का फोन न उठाए और न ही आप के किसी मैसेज का जवाब दे, तो समझ लेना चाहिए कि आप का पार्टनर आप को नजरअंदाज करने की कोशिश कर रहा है.

धोखा देने वाला हमेशा कोई करीबी ही होता है और शायद यही वजह है कि जब इंसान को धोखा मिलता है तो सबकुछ बिखर जाता है. खासतौर पर जब धोखा देने वाला आप का पार्टनर हो.

फिर क्या करें जब पार्टनर के धोखे का पता चल जाए:

पूरा समय लें: अगर आप अपने पार्टनर के धोखा देने की बात से परेशान हैं तो जल्दबाजी करने से बचें. पूरा समय लें. आप को किसी से भी इस बारे में बात करने की जरूरत नहीं है. अपने पार्टनर से तो बिलकुल नहीं. आप को गुस्सा तो आ रहा होगा, लेकिन नाराजगी में कहे शब्द नुकसान अधिक पहुंचाते हैं.

न बहस करे न लड़े: विरोध दर्ज करना जरूरी है और सामने वाले को भी तो पता चलना चाहिए कि कुछ ऐसा हुआ है जिस की वजह से आप परेशान हैं. लेकिन अपनी आवाज और शब्दों पर संयम रखें. पार्टनर को यह जरूर बताएं कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं.

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‘वो’ को दोष न दें: ज्यादातर मामलों में धोखा देने वाले पार्टनर को दोषी मानने के बजाए उस लड़की या लड़के को दोषी मान लिया जाता है, जिस की वजह से धोखा दिया गया. ऐसा करना सही नहीं है. क्योंकि जो शख्स आप के प्यार को झुठला कर आगे निकल गया, तो गलती उस की ही है.

अपने मामले में किसी और को बोलने न दे: अगर आप चाहते हैं कि आप के और आप के पार्टनर के बीच सब कुछ ठीक हो जाए तो बेहतर यह होगा कि आप इस बात की चर्चा किसी और से न करें. किसी तीसरे को इन बातों में शामिल करना आप के लिए ही खतरनाक हो सकता है.

एक मौका और दें: अगर आप को लगे कि आप के पार्टनर को अपनी गलती का एहसास हो गया है और वह सब कुछ ठीक करना चाहता है तो उसे वक्त दें. हो सकता है सब फिर पहले जैसा हो जाए. इस के लिए आप दोनों का साथ रहना और साथ वक्त बिताना जरूरी है, ताकि आप दोनों के बीच की गलतफहमी खत्म हो सके.

Health Tips: बच्चों की डाइट में इन्हें जरूर शामिल करें

अधिकांश बच्चे खाने को ले कर चूजी होते हैं. चाहे मां कितना भी अच्छा खाना बना दे लेकिन उन्हें तो जंक फूड ही पसंद आता है. अपने बच्चों की इसी आदत से पेरैंट्स परेशान रहते हैं, फिर क्योंकि यह उम्र बच्चों की ग्रोथ के लिए अहम जो होती है. ऐसे में अगर बच्चों को सही पोषण नहीं मिलता तो उन के शारीरिक और मानसिक विकास पर असर पड़ता है जो आगे चल कर कई बीमारियों का कारण भी बन सकता है. यह आप की जिम्मेदारी है कि आप अपने बच्चे को हर जरूरी न्यूट्रिऐंट्स दें, जो उस के विकास में अहम रोल निभाए.

कौन-कौन से न्यूट्रिऐंट्स हैं जरूरी

1. प्रोटीन:

प्रोटीन ऊतकों को बनाने व उन्हें रिपेयर करने का काम करता है. खाने को ऊर्जा में बदलने के साथ इंफैक्शन से भी बचाता है. बढ़ते बच्चों को सही मात्रा में प्रोटीन मिलना बेहद जरूरी है. ऐसे में आप अपने बच्चे को प्रोटीन से भरपूर डाइट दें. इस के लिए आप उस की डाइट में डेरी प्रोडक्ट्स, दाल, अंडे, फिश, नट्स, बींस आदि को शामिल करें.

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2. कार्बोहाइड्रेट्स:

आज का ट्रैंड है ‘कट द कार्ब्स इन योर डाइट’. जबकि आप को बता दें कि बच्चों को बढ़ती उम्र में ऊर्जा और कैलोरीज की खास आवश्यकता होती है. जो उन्हें कार्बोहाइड्रेट्स से ही मिल सकती है. बता दें कि फैट्स व प्रोटीन की मदद से ऊतकों का निर्माण व रिपेयर का कार्य सुचारु रूप से चलता रहता है. इसलिए अपने बच्चों को जरूरत के अनुसार कार्बोहाइड्रेट्स युक्त डाइट जैसे ब्रैड, आलू, हरे चने, ब्राउन राइस, अनाज, राजमा, केला आदि दें. इस उम्र में उन की डाइट से कार्ब्स को कट करने के बारे में न सोचें.

3. फैट्स:

अकसर जब भी फैट्स का जिक्र होता है तो हम उन्हें सेहत के लिए खराब मान कर उन्हें बच्चों की डाइट से हटाना ही बेहतर समझते हैं. जबकि सभी फैट्स खराब नहीं होते. आप अपने बच्चे को गुड फैट्स दें, क्योंकि ये शरीर में ऊर्जा देने के साथसाथ हड्डियों को मजबूत बनाने व हैल्दी सैल्स का निर्माण करने में सहायक होते हैं. साथ ही ये बच्चे के शरीर में आसानी से स्टोर हो कर जरूरत पड़ने पर शरीर को सही ढंग से जरूरी न्यूट्रिऐंट्स के इस्तेमाल में भी मदद करते हैं. इस के लिए आप अपने बच्चे को मीट, फिश, डेरी प्रोडक्ट्स, नट्स, ओमेगा 3 फैटी ऐसिड युक्त फूड दें.

4. कैल्सियम:

बच्चों में कैल्सियम दांतों व मजबूत हड्डियों के निर्माण के लिए अतिआवश्यक है. साथ ही ये मसल्स और हार्ट फंक्शन के लिए भी जरूरी होता है. यह मेटाबौलिज्म को सुचारु रखने के लिए सहायक माना जाता है. इसलिए बढ़ती उम्र में सही मात्रा में बच्चे को कैल्सियम देना जरूरी है. इस के लिए आप कैल्सियम रिच फूड जैसे दूध, दही, पनीर, सोया, हरी सब्जियों, अनाज व दालों को उन के आहार में शामिल करें.

5. आयरन:

आयरन खून बनाने के लिए महत्त्वपूर्ण खनिज होता है. जो पूरे शरीर में आक्सीजन को पहुंचाने का काम करता है. साथ ही शरीर में आयरन की पूर्ति होने से बच्चे की एकाग्रता भी बढ़ती है. कंस्ट्रेशन लेवल भी बढ़ता है. इस के लिए आप अपने बच्चे को साबूत अनाज, बींस, नट्स, हरी पत्तेदार सब्जियां दें. ये चीजें आप के बच्चे के शरीर में आयरन की कमी को दूर करने का काम करेंगी.

6. फौलेट:

यह माओं के लिए जितना जरूरी होता है उतना ही बच्चों के लिए भी. यह बच्चों में सैल्स के हैल्दी ग्रोथ और विकास में सहायक है. फौलेट एक प्रकार का विटामिन बी है, अगर शरीर में इस की कमी हो जाए तो बच्चा एनीमिया से भी ग्रस्त हो सकता है. इसलिए अपने बच्चों को फौलेट रिच फूड जिस में साबूत अनाज, दाल, पालक आदि जरूर दें.

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7. फल व सब्जियां:

फलों व सब्जियों में विटामिंस व खनिज की मात्रा काफी अधिक होती है. आप को बता दें कि ये विटामिंस व खनिज आप के बच्चे की हैल्दी स्किन, ग्रोथ व उसे बीमारियों से बचाने का काम करते हैं. क्योंकि ये फाइबर व ऐंटिऔक्सीडेंट्स से भरपूर जो होते हैं. फलों में विटामिन ए और सी होता है, जिस से आप के बच्चे में कैंसर और दिल की बीमारियां होने का खतरा कम होता है. इस के लिए आप अपने बच्चे को फल व सब्जियां खाने की आदत डालें.

विटामिंस: इन विटामिंस को भी बच्चों के आहार में जरूर शामिल करें.

विटामिन ए: यह इम्युनिटी बढ़ाने के साथसाथ आंखों के लिए काफी जरूरी होता है.

विटामिन सी: यह इम्युनिटी को बढ़ाने के साथ रक्त वाहिकाओं को स्वस्थ रखने का काम करता है.

विटामिन बी 3: यह नर्वेस सिस्टम, हैल्दी स्किन, हेयर, आइज के लिए जरूरी विटामिन है.

इस तरह आप के बच्चे तक जरूरी न्यूट्रिऐंट्स भी पहुंच जाएंगे और आप भी टैंशन फ्री हो जाएंगे.

 ब्लैकहैड्स और व्हाइटहैड्स को ऐसे करें दूर

वातावरण में मौजूद प्रदूषण और चेहरे को नियमित ऐक्सफौलिएट न करने की वजह से चेहरे पर होने वाले दागधब्बे अच्छे नहीं लगते हैं. खासकर नाक और लोअर लिप के नीचे होने वाले ब्लैकहैड्स और व्हाइटहैड्स. दरअसल, सिबेसियस ग्लैंड के द्वारा जरूरत से ज्यादा तेल पैदा करने पर स्किन के पोर्स बंद हो जाते हैं या फिर मृत कोशिकाओं के एकत्रित हो हेयर फौलिकल्स को ब्लौक करने के कारण स्किन तक औक्सीजन नहीं पहुंच पाती और स्किन सांस नहीं ले पाती.

इन्हें ठीक करने के लिए बहुत से उपायों का इस्तेमाल किया जाता है, बावजूद इस के ये बारबार हो जाते हैं. मशहूर कौस्मैटोलौजिस्ट भारती तनेजा इस परेशानी से बचने के लिए नियमित रूप से अपने चेहरे को सैलिसिलिक ऐसिड युक्त क्लींजर से धोने की सलाह देती हैं.

व्हाइटहैड्स के लिए करें ये उपाय

नीम और हलदी पैक:

नीम और हलदी दोनों ही अपने औषधीय गुणों के लिए जाने जाते हैं. इन दोनों में पाए जाने वाले ऐंटीऔक्सीडैंट के कारण ये व्हाइटहैड्स को दूर करने में मदद करते हैं. इस के लिए नीम की कुछ पत्तियां ले कर उन में 1 चुटकी हलदी मिला कर पीस लें. फिर इस पेस्ट को चेहरे पर लगा लें. 10 मिनट लगा रहने के बाद पानी से धो लें. इस से आप को व्हाइटहैड्स से छुटकारा मिल जाएगा.

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चने की दाल का स्क्रब:

बेसन स्किन की अंदरूनी सफाई करता है. डैड स्किन की प्रौब्लम दूर करने के साथ ही इस से चेहरे की रंगत भी निखरती है. 1 चम्मच चने की दाल पीस कर उस में 1 चम्मच कच्चा दूध और 2 चम्मच रोजवाटर मिलाएं. अब इस पेस्ट को चेहरे पर 20 मिनट तक लगाए रखें और फिर चेहरा धो लें.

ओटमील:

ओटमील भी डैड स्किन दूर करने के साथ ही स्किन ऐक्सफौलिएट के लिए भी बैस्ट होता है. यह स्किन के ऐक्स्ट्रा औयल को एब्जौर्ब कर पोर्स खोल देता है, जिस से उसे भरपूर औक्सीजन मिलती है. इस के लिए 2 चम्मच दही, 1 चम्मच नीबू का रस,1 चम्मच शहद और 4 चम्मच ओटमील को एकसाथ मिक्स करें. चेहरे को अच्छी तरह धोने के बाद पेस्ट लगाएं. लगभग 20 मिनट तक लगा रहने दें. फिर ठंडे पानी से धो लें.

ब्लैकहैड्स के लिए करें ये उपाय

अंडा स्ट्राइप:

अंडा स्किन से गंदगी को खींच कर निकाल देता है, जिस से रोमछिद्र सिकुड़ जाते हैं और ब्लैकहैड्स खत्म हो जाते हैं. इस के लिए अंडे के सफेद हिस्से को अच्छी तरह फेंटें. जब अच्छी तरह झाग बन जाए तो उसे नाक पर लगाएं. इसे लगाने के बाद छोटी ब्लैकहैड्स स्ट्राइप्स लगाएं और उस पर एक और अंडे की लेयर लगाएं यानी 2 बार अंडे की लेयर और 2 स्ट्राइप्स. इसे लगभग 40 मिनट तक नाक पर रहने दें. सूखने पर हटा लें. इस पेस्ट को हफ्ते में 2 बार इस्तेमाल करें. ब्लैकहैड्स स्ट्राइप्स आप को आसानी से ब्यूटी स्टोर पर मिल जाएंगी.

शुगर पैक:

इसे बनाने के लिए 1 पैन में 3 चम्मच चीनी, 2 चम्मच शहद और एक नीबू का रस डालें. धीमी आंच कर इसे पिघलाएं.

गाढ़ा पेस्ट बनने पर एक कटोरी में निकालें और इस में 2-3 बूंदें ग्लिसरीन मिला कर मिक्स करें. इस हलके गरम पेस्ट को नाक पर अच्छी तरह लगाएं. 20 मिनट लगाए रखने के बाद हटा लें. इस पेस्ट को 2-3 बार इस्तेमाल करने से पूरे ब्लैकहैड्स खत्म हो जाएंगे. नीबू और शहद में ऐंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जोकि तेजी से ब्लैकहैड्स को साफ करते हैं.

मिल्क पैक:

1 चम्मच दूध में उतना ही बिना फ्लेवर वाला जिलेटिन पाउडर डालें. इसे  2-3 मिनट माइक्रोवैव में गरम करें. फिर हलका ठंडा कर नाक पर 2-3 लेयर में लगाएं. इस

पेस्ट को 30 मिनट तक लगा रहने के बाद हटाएं. इस पेस्ट का फर्क आप को पहली बार में ही दिखेगा. जिलेटिन पोषक तत्त्वों से भरपूर होता है जोकि स्किन को रिजैनरेट करता है और साथ ही स्किन में कसावट भी लाता है. यह रोमछिद्रों

से गंदगी को हटाता है और उन्हें सिकुड़ने में मदद करता है. इस मास्क में दूध स्किन के पीएच को बैलेंस करता है.

  -भारती तनेजा

डाइरैक्टर औफ एल्पस ब्यूटी क्लीनिक ऐंड ऐकैडमी

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मेरे बाल बहुत औयली हैं, इनकी देखभाल कैसे करूं?

सवाल-

मैं 23 वर्ष की युवा हूं. मेरे बाल बहुत औयली हैं. मैं इन की देखभाल कैसे करूं?

जवाब-

औयली बाल असल में सिर की तैलीय त्वचा की वजह से होते हैं. सिर की त्वचा में सिबम नाम का पदार्थ होता है. जब त्वचा में सिबम की मात्रा ज्यादा होती है तो यह बालों के द्वारा सोख लिया जाता है और इस से बाल औयली हो जाते हैं. औयली हेयर से बचने के लिए हफ्ते में 3 बार शैंपू जरूर करें. शैंपू हमेशा औयली हेयर के अनुसार ही चुनें. औयली बालों में तेल लगाने की जरूरत नहीं होती लेकिन फिर भी आप हलका गरम बादाम तेल बालों की जड़ों में लगाएं ताकि बालों को पोषण मिल सकें. तेल लगाने के आधे घंटे बाद बालों को धो लें. अधिक देर तक बालों में तेल लगा कर न रखें. औयली बालों में गंदगी बहुत जल्दी चिपक जाती है. इसलिए बालों को बाहर कवर कर के रखें. कुछ लोगों में बालों को हमेशा बांधे रखने की आदत होती है. बालों को कस कर बांधने से बालों की जड़ों पर जोर पड़ता है. इस से बाल तो कमजोर होते ही हैं और साथ ही बालों में तेल का स्राव भी बढ़ जाता है. इसलिए बालों को ज्यादातर बांध कर नहीं रखना चाहिए.

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हममें से कई लड़कियों के साथ अक्सर ऐसा होता है कि हम अपने बालों में शैंपू करते हैं और 2 दिन के भीतर ही बाल औयली औयली से हो जाते हैं. आप भी सोचती होंगी कि आखिर इसके पीछे की वजह क्या है. शायद यह एक ऐसा सवाल है जिसे हर लड़की खुद से जरुर करती होगी. इससे पहले की आप बाल औयली होने का उपाय ढूढें, अच्‍छा होगा कि आप इसके पीछे छुपे हुए कारण को जान लें. ताकि उसके लिये कुछ बेहतर उपाय सोंच सकें.

हाथों का प्रयोग

कई लड़कियों की बुरी आदत होती है कि वे अपने बालों को अपने हाथों से सुलझाती और सहलाती हैं, जिससे हेयरफौल और औयली हेयर की समस्‍या हो जाती है. आप को नहीं याद रहता है कि आपने अपने हाथों से क्‍या काम किया है, हो सकता है कि आपने कोई औयली चीज अपने हाथ से छुई हो या फिर भोजन किया हो. इस कारण से बाल औयली हो जाते हैं.

तेल ग्रंथी

यह एक आम कारण है जिसमें तेल ग्रंथी से ज्‍यादा तेल रिसने लगता है. इसे सीबम के नाम से जाना जाता है. जब यह सीबम ज्‍यादा मात्रा में निकलता है तो यह सिर और बालों को औयली बना देता है. इस समस्‍या से छुटकारा पाने के लिये आप हर दूसरे दिन शैंपू कीजिये.

औयली फूड

अगर हम बहुत तेल वाली चीजें खाते हैं तो वह तेल हमारे शरीर से बाहर निकलेगा. यह तेल शरीर के कई अलग-अलग भागों में जा कर इकठ्ठा हो जाता है, जैसे सिर की त्‍वचा आदि में. यह तेलिये बालों की समस्‍या बन जाते हैं. इसलिये इस समस्‍या से बचने के लिये आपको अपनी डाइट पर ध्‍यान देना होगा और ज्‍यादा औयली चीजें नहीं खानी होंगी.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- क्यों हो जाते हैं बार बार आपके बाल औयली?

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‘‘समाज स्वीकारे न स्वीकारे कोई फर्क नहीं पड़ता- मानोबी बंधोपाध्याय

मानोबी बंधोपाध्याय

पहली ट्रांसजैंडर प्रिंसिपल

घर में बच्चे का जन्म हो, शादी हो या कोई और खुशी का उत्सव, उन का आना स्वाभाविक है. उन्हें बुलाना नहीं पड़ता, अपनेअपने इलाके की खबर रखते हैं, इसलिए तुरंत ही पहुंच जाते हैं. उन के आने  से समाज थोड़ा असहज महसूस करता है. न जाने कितनी आशंकाएं मन को घेर लेती हैं कि न जाने क्या हो. उन से अभद्र व्यवहार की ही उम्मीद की जाती है, क्योंकि उन्हें इसी तरह के खाके में सदियों से रखा गया है. लेकिन वे खुशी से तालियां बजाते आते हैं, नाचगा कर बधाइयां देते हैं और बख्शीश जिसे वे अपना हक समझते हैं, ले कर आशीषें दे कर चले जाते हैं. फिर भी समाज उन्हें अपने से अलग, अपनी सामाजिक व्यवस्था से अलग मानता है. उन्हें हिजड़ा, किन्नर कह कर उन का मजाक उड़ाया जाता है. रास्ते में जब वे भीख मांगते दिखते हैं तो गाड़ी का शीशा चढ़ा लिया जाता है.

मानोबी ने तोड़ा मिथक

पश्चिम बंगाल के नाडिया जिले के कृष्णानगर वूमंस कालेज की प्रिंसिपल मानोबी बंधोपाध्याय आज किसी परिचय की मुहताज नहीं हैं. ‘अ गिफ्ट औफ गौडस लक्ष्मी’ की लेखिका मानोबी बंधोपाध्याय की यात्रा सोमनाथ से मानोबी बनने की ही नहीं है. उन की कहानी संघर्षों और चुनौतियों से लड़ने और उन्हें परास्त करने की भी है, स्त्री मन में पुरुष देह की भी है.

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मानोबी कहती हैं, ‘‘अगर मैं ने अपनी जीवनयात्रा के बारे में बताना शुरू किया तो वह वेद बन जाएगा, उपनिषद् बन जाएगा यानी इतनी लंबी है मेरी जीवनयात्रा. वैसे जैसे ट्रांसजैंडर होते हैं वैसी ही है मेरी जीवनयात्रा. फर्क इतना है कि आज मैं उच्च शिक्षित हूं और कालेज की प्रिंसिपल बन गई हूं. आज मेरे पास ताकत है. शिक्षा की वजह से मेरे जीवन में अंतर आया है, पर हम ट्रांसजैंडर हैं, यह बात समाज हमें कभी भूलने नहीं देता है.’’

संघर्ष की करुण कहानी

मानोबी से जब उन के संघर्ष की बात की तो उन की आंखें नम हो गईं. उन का कहना है, ‘‘इतना संघर्ष किया कि मेरा दुख एक पहाड़ के समान है. मैं ने इतने आंसू बहाए हैं कि एक समुद्र बन जाए. लेकिन उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद मैं ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा. कभी विचार नहीं किया कि समाज मुझे किस ढंग से देखता है, मेरे बारे में क्या सोचता है. मेरे लिए महत्त्व की बात है कि मैं कैसे समाज को देखती हूं. लोगों के व्यवहार की चिंता नहीं करती, केवल अपने भीतर झांक कर देखती हूं.’’

प्रिंसिपल बनने के बाद भी हालांकि स्वीकृति की मुहर नहीं लगी है उन की पहचान पर. पर उन्हें इस बात की खुशी है कि उन के छात्र उन से बहुत प्यार करते हैं. वे मानती हैं कि छात्र बहुत मासूम होते हैं, पर टीचर उन्हें उन के खिलाफ भड़काते रहते हैं.

ऐक्सैप्टैंस की परिभाषा क्या है? सवाल के जवाब में वे कहती हैं कि सब बेकार की बातें हैं, इसलिए किसी की स्वीकृति की मुहर उन्हें उन पर नहीं लगानी है. वे मानती हैं कि वे केवल अपना काम कर रही हैं, सरकार ने उन्हें एक ओहदा दिया है और वे उस का सम्मान करती हैं.

केवल अध्यापन ही नहीं मानोबी एक अच्छी कवयित्री भी हैं और कविताओं के माध्यम से केवल उन का वह दर्द ही बाहर निकलता है, जिस से वे गुजरी हैं. एक दर्दभरा काफिला है उन की जिंदगी, उन की इंग्लिश में एक कविता है. वैसे वे बंगला भाषा में ज्यादा लिखती हैं:

व्हेन आई सी द स्काई

आई सा देयर इन नो जैंडर

व्हेन आई सी द नेचर

व्हेन आई सी द वर्ड

व्हेन आई सी द रिवर

आई सा देयर इज नो जैंडर

व्हेन आई कम बैक टु मेनस्ट्रीम सोसायटी औफ ह्यूमन

देन, समवन आस्कड मी

यू आर ए मैन और वूमन.

मानोबी कहती हैं कि 2003-2004 में जब उन्होंने सैक्स चेंज औपरेशन कराने का फैसला लिया तो भी बहुत हंगामा हुआ था. इस दौरान उन्हें कई औपरेशन कराने पड़े और क्व5 लाख खर्च करने पड़े. सर्जरी के बाद से वे मानती हैं पूरी तरह से स्वतंत्र हो गई हैं. जो चाहती हैं, पहनती हैं. अब वे साड़ी भी पहन लेती हैं और महिलाओं की तरह सजसंवर भी लेती हैं.

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मानोबी का एक ग्रुप थिएटर भी है, जिस में वे अभिनय करती हैं. इस के अलावा वे स्क्रिप्ट भी लिखती हैं और शास्त्रीय नृत्य में भी पारंगत हैं. उन का कहना है कि अध्यापन, नाटक, अभिनय, लेखन सभी एकदूसरे से जुड़े हुए हैं और ये सब उन्हें हिम्मत और रस देते हैं. निजी क्षेत्रों ने ट्रांसजैंडर्स के लिए अपने दरवाजे नहीं खोले हैं. इस के बावजूद इस समुदाय ने अपनी मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति से नौकरियों और शिक्षा के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है. यह अलग बात है कि इन में से बहुतों को अपनी पहचान छिपानी पड़ती है ताकि कार्यस्थल पर उन के साथ भेदभाव न हो.

पहली ट्रांसजैंडर कालेज प्रिंसिपल बनने के बाद वे चाहती हैं कि शिक्षा को ज्यादा से ज्यादा ट्रांसजैंडरों तक पहुंचाए, क्योंकि इस अधिकार से वे अकसर वंचित रह जाते हैं जबकि शिक्षा ही उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने की अहम कड़ी है.

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