कहानी- महिमा दीक्षित
‘‘तुम यहां क्या कर रही हो?’’ किट्टू गुस्से में घूरते हुए कहा.
‘‘जरूरी बात करनी है, तुम्हारे पापा से रिलेटेड है,’’ धरा ने शांत स्वर में कहा. 2 दिनों बाद तुम्हारे पापा का बर्थडे है, मैं चाहती हूं कि तुम उस दिन उन के पास रहो…’’
‘‘और मैं तुम्हारी बात क्यों सुनूं?’’ उस की बात पूरी होने से पहले ही किट्टू ने चिढ़ कर जवाब दिया.
‘‘क्योंकि वे भी इतने सालों से तुम्हें उतना ही मिस कर रहे हैं जितना कि तुम करते हो. यह उन की लाइफ का बैस्ट गिफ्ट होगा क्योंकि तुम उन के लिए सब से बढ़ कर हो,’’ धरा ने किट्टू से कहा, ‘‘क्या तुम मेरे साथ कल देहरादून चलोगे?’’
किट्टू का कोल्डड्रिंक जैसा ठंडा स्वर उभरा, ‘‘इतना ही कीमती हूं तो मुझे वे छोड़ कर क्यों गए थे? मैं उन से नहीं मिलना चाहता. वे कभी मेरे बर्थडे पर नहीं आए…या…या फिर तुम्हारी वजह से नहीं आए. मुझे तुम से बात ही नहीं करनी. तुम गंदी औरत हो.’’ अपना बैग उठाते हुए लगभग सुबकने वाला था किट्टू.
‘‘तुम जाना चाहते हो तो चले जाना लेकिन, बस, एक बार ये देख लो,’’ कह कर धरा ने सारे पुराने मैसेज और चैट के प्रिंट किट्टू के सामने रख दिए जिन में घूमफिर कर एक ही तरह के शब्द थे अंबर के कि ‘किट्टू से बात करा दो,’ या ‘मैं मिलने आना चाहता हूं’ या ‘डाइवोर्स मत दो.’ और रोशनी के भी शब्द थे, ‘मैं तुम्हारे परिवार के साथ नहीं रह सकती,’ या ‘शादी जल्दबाजी में कर ली लेकिन तुम्हारे साथ और नहीं रहना चाहती,’ ‘किट्टू से तुम्हें नहीं मिलने दूंगी…’ ऐसा ही और भी बहुतकुछ था.
किट्टू की तरफ देखते हुए धरा ने कहा, ‘‘मेरे पास कौल रिकौर्डिंग्स भी हैं. अगर तुम सुनना चाहो तो. तुम्हारे पापा कभी नहीं चाहते कि तुम अपनी मां के बारे में थोड़ा सा भी बुरा सोचो या सच जान कर तुम्हारा दिल दुखे. इसलिए आज तक उन्होंने तुम्हें सच नहीं बताया. लेकिन मैं उन्हें इस तरह और घुटता हुआ नहीं देख सकती. और हां, हम एकदूसरे से प्यार करते हैं, लेकिन हम ने कभी शादी नहीं की. जानते हो क्यों? क्योंकि तुम्हारे पापा को लगता था कि शादी करने पर तुम उन्हें और भी गलत समझोगे. क्या अब भी तुम मेरे साथ कल देहरादून नहीं चलोगे?’’ यह कह कर धरा ने हौले से किट्टू के सिर पर हाथ फेरा.
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‘‘चलो, चल कर मम्मी को बोलते हैं कि पैकिंग कर दें,’’ किट्टू को जैसे अपनी ही आवाज अजनबी लगी.
जब धरा के साथ किट्टू घर पहुंचा तो सभी की आंखें फैल गईं. नानी की तरफ देखते हुए किट्टू ने अपनी मां से कहा, ‘‘मैं पापा के बर्थडे पर धरा के साथ 2-3 दिनों के लिए देहरादून जा रहा हूं, मेरी पैकिंग कर दो.’’
रोशनी और बाकी सब समझ गए थे कि किट्टू अभी किसी की नहीं सुनेगा. सुबह उसे लेने आने का बोल धरा होटल के लिए निकल गई. पूरे रास्ते धरा सोचती रही कि आगे न जाने क्या होगा, किट्टू न जाने कैसे रिऐक्ट करेगा. वह अंबर से कैसे मिलेगा और अब क्या सबकुछ ठीक होगा? सुबह दोनों देहरादून की फ्लाइट में थे. किट्टू ने धरा से कोई बात नहीं की.
अगली सुबह का सूरज अंबर के लिए दुनियाजहान की खुशियां ले कर आया. किट्टू को सामने देख एकबारगी तो किसी को यकीन ही नहीं हुआ और अगले ही पल अंबर ने अपने बेटे को गोद में उठा कर कुछ घुमाया. जैसे वह अभी भी 14 साल का नहीं, बल्कि उस का 4 साल का छोटा सा किट्टू हो. पूरे 9 साल बाद आज वह अपने बच्चे को अपने पास पा कर निहाल था और घर में सभी नम आंखों से बापबेटे के इस मिलन को देख रहे थे.
अंबर का इतने सालों का इंतजार आज पूरा हुआ था, अंबर के साथ आज धरा को भी अपना अधूरापन पूरा लग रहा था. शाम में किट्टू ने बर्थडे केक अपने हाथ से कटवाया था और सब से पहला टुकड़ा अंबर ने किट्टू के मुंह में रखा, तो एक बार फिर अंबर और किट्टू दोनों की आंखें नम हो गईं. तभी किट्टू ने अंबर की बगल में खड़ी धरा को अजीब नजरों से देखा तो वह वहां से जाने लगी. अचानक उसे किट्टू की आवाज सुनाई दी, ‘‘पापा, केक नहीं खिलाओगे धरा आंटी को?’’ और धरा भाग कर उन दोनों से लिपट गई.
अगली सुबह धरा जल्दी ही निकल गई थी. उस ने बताया था कि कोई जरूरी काम है बस जाते हुए 2 मिनट को किट्टू से मिलने आई थी. दोपहर में अंबर को धरा का मैसेज मिला, ‘तुम्हें तुम्हारा किट्टू मिल गया. मैं कल आखिरी बार तुम से उस जगह मिलना चाहती हूं जहां हम ने चांदनी रात में साथ जाने का सपना देखा था.’
अंबर जानता था धरा ने उसे जबलपुर में धुआंधार प्रपात के पास बुलाया है. उस ने पढ़ा था कि शरद पूर्णिमा की रात चांद की रोशनी में प्रकृति धुआंधार में अपना अलौकिक रूप दिखाती है. तब से उस का सपना था कि चांदनी रात में नर्मदा की सफेद दूधिया चट्टानों के बीच तारों की छांव में वह अंबर के साथ वहां हो. अगली शाम में जब अंबर भेड़ाघाट पहुंचा तो किट्टू भी साथ था. वहां उन्हें एक लोकल गाइड इंतजार करता मिला जिस ने बताया कि वह उन लोगों को धुआंधार तक छोड़ने के लिए आया है.
करीब 9 बजे जब अंबर वहां पहुंचा तो धरा दूर खड़ी दिखाई दी. चांद अपने पूरे रूप में खिल आया था और संगमरमर की चट्टानों के बीच धरा, यह प्रकृति,? सब उसे अद्भुत और सुरमई लग रहे थे. वह धरा के पास पहुंचा और उस का हाथ पकड़ कर बेचैनी से बोला, ‘‘मुझे छोड़ कर मत जाओ, धरा. मैं नहीं रह सकता तुम्हरे बिना. अब तो सब ठीक हो चुका है. देखो, किट्टू भी तुम से मिलने आया है.’’
धरा ने धीरे से अपना हाथ अंबर के हाथ से छुड़ाया, तो अंबर के चेहरे पर हताशा फैल गई. किट्टू ने धरा की तरफ देखा और दोनों शरारत से मुसकराए. दूर क्षितिज में आसमान के तारे और शहर की लाइट्स एकसाथ झिलमिला रही थीं. तभी धरा ने एक गुलाब निकाला और घुटने पर बैठ कर कहा, ‘‘मुझे भी अपने परिवार का हिस्सा बना लो, अम्बर. क्या अब से रोज सुबह मेरे हाथ की चाय पीना चाहोगे?’’
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खुशी और आंसुओं के बीच अंबर ने धरा को जोर से गले लगा लिया था और किट्टू अपने कैमरे से उन की फोटो खींच रहा था.
उन का इतने सालों का इंतजार आज खत्म हुआ था. अंबर के साथसाथ धरा का अधूरापन भी हमेशा के लिए पूरा हो गया था. आज उसे उस का वह क्षितिज मिल गया था जहां अतीत की गहरी परछाइयां वर्तमान का उजाला बन कर जगमगा रही थीं, वह क्षितिज जहां 10 साल के लंबे इंतजार के बाद अंबरधरा भी एक हो गए थे.