Hyundai #AllRoundAura ने मार्केट में मचाई धूम

हुंडई ऑरा ने भारतीय बाजार में धूम मचा दी है, खासकर इसके बीएस6 कंप्लेट तीन इंजन ऑप्शन ने ग्राहकों पर अपना गहरा असर छोड़ा है. यह कार तीन इंजन ऑप्शन में है, जिनमें दो पेट्रोल और एक डीजल इंजन है. लोग इंजन ऑप्शन की वजह से इसे काफी पसंद कर रहे हैं.

इसके तीनों इंजन बीएस 6 एमिशन नॉर्म्स के अनुसार हैं. तीनों इंजन में 1.2- लीटर पेट्रोल, 1.2- लीटर डीजल और 1.0- लीटर टर्बो पेट्रोल इंजन शामिल हैं. जिसमें से टर्बो-पेट्रोल हमारा पसंदीदा इंजन है. इसके बारे में बात करने से पहले हम बाकी दूसरे इंजन के बारे में आपको बताते हैं.

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1.2-लीटर कप्पा पेट्रोल इंजन ऑरा को स्मूदली ड्राइव करने में बेहतरीन बनाता है. आप चाहें तो फ़ैक्ट्री-फिटेड सीएनजी किट वाला 1.2- लीटर इंजन भी ले सकते हैं. जो कार में पहले से ही पूरी तरह फिट होगी. इस कार का BS6 डीजल मार्केट में अभी तक का सबसे छोटा इंजन है. जो संतुलन के साथ शानदार प्रदर्शन करता है.

तो अब जब 1.2- लीटर इंजन की जोड़ी 5-स्पीड मैनुअल ट्रांसमिशन के साथ उपलब्ध है तो इससे ज्यादा कार ग्राहकों को भला और क्या चाहिए. इस वजह से #AllRoundAura ग्राहकों को लुभा रही है.

अनन्या पांडे की कजिन अलाना की बिकिनी फोटो पर महिला यूजर ने कही गैंग रेप की बात, दिया ये जवाब

बौलीवुड स्टार्स अक्सर सुर्खियों में रहते हैं. साथ ही उनका असर उनकी फैमिली पर भी पड़ता है. हाल ही में बॉलीवुड में डेब्यू करने वाली स्टार अनन्या पांडे (Ananya Panday) की कजिन अलाना पांडे (Alanna Panday) को भी लोगों की गंदी सोच का शिकार होना पड़ा. अक्सर अपनी बोल्ड फोटोज को लेकर सुर्खियों में रहने वाली । अलाना पांडे बेहद बिंदास हैं और अक्सर ही अपनी बिकिनी फोटोज से सोशल मीडिया पर शेयर करती हैं, लेकिन हाल ही में एक यूजर के कमेंट ने उन्हें चौंका दिया. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला….

यूजर ने लिखी थी ये बात

दरअसल, हाल ही में अलाना पांडे ने अपने सोशलमीडिया अकाउंट पर कुछ बिकिनी फोटोज शेयर की थी, जिस पर एक औरत ने कमेंट करते हुए लिखा था कि यह तो गैंग रेप होने के लायक हैं, जिस पर अलाना ने सोशलमीडिया पर अपने एक पोस्ट के साथ करारा जवाब दिया है.

 

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Since 2020 is the year we don’t keep quiet – Yes I’m “FLAT”, yes I have a “small ass”, No being skinny does NOT mean you have an eating disorder. I know I’m not perfect, I still LOVE my body. Stop body shaming women. I have to wake up everyday and read the nastiest comments, comments from people that don’t know me as human. What’s worse that waking up to hateful comments about my body everyday, is that it comes from other women. I didn’t choose this body I was born with it. Am I less of a woman cause i’m not “curvy”? Hypothetically if I was one of those women who circum to this pressure and under go surgery, I’m then “plastic” and “fake”, right? Basically, you’ll are impossible to please. Hiding behind a screen has made it so easy for people to hate. It doesn’t matter if you have 5000, 500K or 5 million followers, don’t forget that there’s another human with FEELINGS at the other end. The next time you decide to channel your anger towards someone you don’t know on Instagram, stop and rethink. The world could use more love and less assholes right now ❤️🌈 #ThisIsMe

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अलाना ने शेयर किया ये पोस्ट

अलाना पांडे ने लिखा है, ‘मुझे एक महिला का कमेंट मिला था जो कह रही थी मैं गैंग रेप का शिकार होने के लायक हूं. क्योंकि मैंने बिकिनी में अपनी फोटो पोस्ट की. इसके बाद उसने मेरी मॉम और मेरे डैड तक को टैग किया. वो चाहती थी कि वो भी ये कमेंट देखें. काश मेरे पास इसका स्क्रीनशॉट होता. लेकिन मैं इतना डर गई थी कि मैंने तुरंत ही उसे ब्लॉक कर दिया और इंस्टाग्राम से ये कमेंट डिलीट कर दिया.’

कमेंट करने वाली औरत के बारे में लिखी ये बात

 

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अलाना ने इसके आगे लिखा, ‘जब मैंने उसे ब्लॉक करने के लिए उसकी प्रोफाइल देखी तो पता लगा कि वो शादीशुदा है और उनकी एक बेटी भी है जो मुझसे छोटी है. मुझे नहीं पता कि कैसे आप दूसरे बच्चे के लिए ऐसी बात बोल सकते हैं.’ अलाना पांडे ने इसके बाद कई सारी पोस्ट के जरिए ऐसी महिलाओं की कलई खोल दी है जो पढ़ी लिखी होने के बावजूद घटिया बातें लिखने से बाज नहीं आती है. अलाना पांडे की ये पोस्ट आप नीचे देख सकते हैं.

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सपोर्ट में आई अन्नया पांडे

अलाना पांडे की इस पोस्ट को पढ़ने के बाद उनकी कजिन अन्नया पांडे ने भी हौसला बढ़ाते हुए लिखा है, ‘हां… तुम बहुत सुंदर हो.’ जिसके बाद अलाना पांडे ने कजिन की बात पर हार्ट इमोजी के साथ जवाब भी दिया है. अलाना पांडे चंकी पांडे के भाई चिक्की पांडे की बेटी है.

बता दें, इससे पहले भी एक मौल में एक महिला ने एक औरत पर कुछ इसी तरह की टिप्पणी की थी, जिसकी वीडियो सोशलमीडिया पर वायरल हुई थी.

बेटी समीषा की झलक दिखाते हुए शिल्पा शेट्टी ने मनाया 45वां बर्थडे, Photo Viral

बॉलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी पिछले दिनों अपनी बेटी समीषा के चलते काफी सुर्खियां बटोरीं. शिल्पा सोशलमीडिया पर भी अपनी बेटी समीषा संग फोटोज अक्सर वायरल होती रहती हैं. हाल ही में शिल्पा शेट्टी (Shilpa Shetty) ने अपना 45वां जन्मदिन मनाया, जिसकी फोटोज उन्होंने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर किया. वही अब उनकी पार्टी की फोटोज वायरल हो रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं शिल्पा शेट्टी के बर्थडे सेलिब्रेशन की फोटोज….

फैमिली संग सेलिब्रेट किया बर्थडे

शिल्पा शेट्टी ने अपना 45वां बर्थडे अपने पूरे परिवार के साथ मिलकर सेलिब्रेट किया, जिसकी फोटोज में शिल्पा शेट्टी और उनकी न्यूबॉर्न बेबी समीषा की भी झलक देखने को मिली. शिल्पा शेट्टी को जन्मदिन पर पति राज कुंद्रा की ओर से खास सरप्राइज मिला है और इस बात का जिक्र एक्ट्रेस ने अपने जन्मदिन की तस्वीरों को शेयर करते हुए किया है.

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शिल्पा ने किया पति का शुक्रिया

 

बर्थडे सेलिब्रेशन की फोटोज को शेयर करते हुए शिल्पा शेट्टी ने कैप्शन में लिखा है ‘दुनिया के बेस्ट पति ने मेरे लिए फेवरेट वनिला केक बेक किया है. मेरे साथ मेरा पूरा परिवार है और बाकी सभी लोग वीडियो कॉल पर थे.’ इसी के साथ शिल्पा शेट्टी ने जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हर किसी का शुक्रिया अदा किया है.

 

 

बता दें, इसी साल एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा सेरोगेसी के जरिए बेटी समीषा के माता-पिता बने है. वहीं सरोगेसी के चलते शिल्पा ट्रोलिंग का शिकार भी हुई थीं, जिसके बाद उन्होंने मीडिया के सामने सरोगेसी के फैसले की वजह बताते हुए कहा, “ मै हमेशा से दो बच्चे चाहती थीं, क्योंकि मैं नहीं चाहती थी वियान सिंगल चाइल्ड बड़ा हो. क्योंकि हम भी दो बहनें थीं. मुझे पता है कि दूसरे भाई बहन का होना कितना जरूरी होता है.” शिल्पा शेट्टी ने अपनी प्रेग्नेंसी के कॉम्पलिकेशन के बारे में बताते हुए कहा,” वियान के पैदा होने के बाद मैं लंबे समय से दूसरा बच्चा चाहती थी. लेकिन मुझे कुछ हेल्थ इश्यू थे. मुझे ऑटो इम्यून बीमारी थी जिसे APLA भी कहते हैं. मेरे शरीर में लगातार बनते ऑटो इम्यून APLA के कारण जब भी मै प्रेग्नेंट होतीं, ये बीमारी मुझे अपनी चपेट में ले लेती और हर बार मेरा मिसकैरेज हो जाता “.

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लॉकडाउन इफेक्ट: ‘आपरेशन थिएटर’ से दिखने लगे ‘ब्यूटी पार्लर‘

कोरोना संक्रमण के दौर में जीवन पूरी तरह से बदला दिख रहा है. सब से बडा बदलाव उन जगहों में दिख रहा है, जो बोल्ड और ब्यूटीफुल सैक्टर माना जाता था. ब्यूटी पार्लर लोगों को सुंदर बनाने का काम करते थे. यहां घुसते ही फैशन और स्टाइल का ट्रेंड दिखता था. नेल से ले कर बालों तक की खूबसूरती को यहां निखारा और संवारा जाता था. महिलाएं सब से अधिक समय यहां व्यतीत करना पसंद करती थीं. किसी भी पार्टी में जाने से पहले ब्यूटी पार्लर जाना जरूरी होता था.

लौकडाउन के 3 माह बाद जब ब्यूटी पार्लर को अनलौक किया गया, तब पार्लर नए रंग में रंगे नजर आए. यह पार्लर कम और आपरेशन थिएटर अधिक नजर आ रहे थे.

पहले अनलौक में गाइडलाइन के तहत पार्लर में केवल हेयर कटिंग की अनुमति दी गई.

लखनऊ के बादशाहनगर स्थित लैक्मे के सैलून में घुसते ही सब से पहले ब्यूटी पार्लर आने वाले को सेनेटाइज होना होता है. उस का टैंपरेचर लेना होता है. इस का पूरा अलग रिकार्ड रखना होता है.

इस पार्लर के अंदर हर तरह का स्टाफ पूरी तरह से सुरक्षा से लैस था. पैरों में पहने गए जूतों को प्लास्टिक से कवर किया गया था. पार्लर की ड्रेस के ऊपर पीपी किट पहनी गई थी. चेहरे पर मास्क था और सिर को भी कवर किया गया था. इस के अलावा पूरे पार्लर को खोलने के पहले सेनेटाइज करना होता है.

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यहां की ओनर अनामिका राय बताती हैं,”कस्टमर से ले कर वर्कर तक के प्रयोग करने के लिए पर्सनल किट का प्रयोग किया जाता है. ज्यादातर चीजें डिस्पोजेबल हैं. जो एक बार ही प्रयोग हो रही हैं.”

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 5,000 से अधिक लोग ब्यूटी पार्लर के कारोबार में जुडे हैं. 15 करोड़ रुपए का हर माह का यह कारोबार आंका जाता है. 50 से अधिक बड़े ब्यूटी सैलून हैं और छोटे सैलून की संख्या 3 से 4 हजार के बीच है. सब से ज्यादा संख्या महिलाओं की है.

एक शहर का यह हाल है. इस से पूरे देश में इस कारोबार का अंदाजा लगाया जा सकता है. इस संख्या के बल पर ही ब्यूटी प्रोडक्ट्स बनाने वाली कंपनियां भी टिकी हैं. इन से मिलने वाले विज्ञापनों पर मीडिया भी टिकी होती है. ऐसे में ब्यूटी के बिजनेस के कमजोर पड़ने से पूरा कारोबार प्रभावित हो रहा है.

कोरोना संक्रमण में मास्क पहनने और सोशल डिसटेंसिंग बनाने की वजह से इस कारोबार को सब से अधिक नुकसान हो रहा है.

बढ़ गया खर्च का बोझ:

कोरोना से निबटने के लिए ब्यूटी पार्लर ने जो इंतजाम किए हैं, उस पर ही करीब एक पार्लर पर  20 से 25 हजार रुपए का अतिरिक्त खर्च आ रहा है. इस को हेयर कटिंग से इस खर्च का निकलना पूरी तरह से असंभव है. ऐसे में ब्यूटी पार्लरों पर सब से अधिक कोरोना का संकट छाया हुआ है.

ब्यूटी पार्लर खुलने के बाद भी कस्टमर का आना पहले की तरह शुरू नहीं हुआ है. पार्लर के प्रति कस्टमर की सोच में अलग से भी बदलाव होने लगा है.

अनामिका राय कहती हैं कि पहले लोग पार्टी में आनेजाने के लिए ब्यूटी पार्लर जाना जरूरी समझते थे. अब सोशल मीटिंग बंद होने से यह परेशानी बढ़ती जा रही है. कम कस्टमर आने से पार्लर का खर्च निकालना मुश्किल हो गया है. लौकडाउन में वेडिंग सीजन भी प्रभावित हुआ, जिस की वजह से पार्लर का बिजनेस पूरी तरह से प्रभावित हुआ.

ब्यूटी पार्लर खुल भले ही गए हों, पर अभी भी लोगों मे इस का कोेई क्रेज नहीं है. उच्च वर्ग को यहां जाने से डर लग रहा है और मध्यम वर्ग के पास पैसा कम हो गया है. ऐसे में उस के लिए पार्लर जाना मुश्किल होता जा रहा है. वेडिंग सीजन भी कोरोना के प्रभाव में रहा, जिस से पार्लर का बिजनेस प्रभावित हो गया. ऐसे में लग रहा है कि ब्यूटी पार्लर में कस्टमर की रौनक वापस आने में अभी समय लगेगा. केवल पार्लर खोलने से ही यह बिजनेस नहीं बढ़ेगा. ऐसे में इस कारोबार को बचाने के लिए सरकार को बिजली के बिल में छूट, जीएसटी में रियायत देने जैसे काम करने चाहिए, तभी इस कारोबार को बचाया जा सकता है.

भारी पड़ रहा बोझ:

ब्यूटी पार्लर का कारोबार कुछ समय पहले तक बहुत लाभ का समझा जाता था. लौकडाउन में 3 माह तक बंद रहने से इस की चमक पूरी तरह से फीकी पड़  गई है. कोरोना संकट के समय में नएनए नियम बनने, कस्टमर के ना आने से यह कारोबार अपनी चमक खोता जा रहा है. सोशल मीडिया का प्रभाव भी इस कारोबार पर पड़ रहा है.

‘परपल इन’ की ब्यूटी एक्सपर्ट पायल श्रीवास्तव कहती हैं कि ‘आजकल लोगों ने खुद से ही हेयर कटिंग शुरू कर दी है. यूट्यूब से सीख कर सभी अपने काम भर का मेकअप कर ले रही हैं. बाजार में मेकअप के रेडीमेड प्रोडक्ट्स भी आ रहे हैं. ऐसे में ब्यूटी का यह कारोबार पूरी तरह से प्रभावित हो रहा है. सब से ज्यादा प्रभाव उन लोगों पर पड़ रहा है, जो नएनए इस कारोबार में आए हैं.

‘इस साल ब्यूटी का कारोबार सब से ज्यादा प्रभावित हो रहा है. चेहरे पर मास्क पहनना भी इस की बडी वजह बन रहा है. जब चेहरा दिखाना ही नहीं तो उस को चमकाने में लाभ कैसा?

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प्रोडक्ट्स में बदलाव:

कोरोना के प्रभाव को कम करने और लोगों में सुरक्षा की भावना को जगाने के लिए ब्यूटी प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियों ने नए रंगरूप में प्रोडक्ट्स तैयार करने शुरू कर दिए हैं. अब ब्यूटी प्रोडक्ट्स पाउच में बनने लगे हैं, जिस से यह पर्सनल किट की तरह बन जाए. एक बार प्रयोग करने के बाद यह बचे नहीं.

अनामिका राय ने बताया कि अब पर्सनल किट की तरह से प्रोडक्ट्स तैयार होने शुरू हो गए हैं. इस का लाभ यह होगा कि हाईजीन को बनाए रखना सरल हो जाएगा. तौलिया की जगह पर एक बार यूज होने वाले टौवल का प्रयोग किया जा रहा है. मेकअप के लिए जिन चीजों को दोबारा प्रयोग किया जाता है, उन को भी सब से पहले सेेेनेटाइज किया जाता है, जिस से संक्रमण का खतरा किसी भी तरह से ना हो. ऐसे में अब ब्यूटी पार्लर पूरी तरह से बदले नजर आएंगे.

हेल्थ, ब्यूटी और हौबी के लिए मिला समय

लेखिका – मंजुला अमिया गंगराड़े

कहते हैं, स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता है. लौकडाउन के इस समय पार्लर, जिम, योगा क्लास जैसी कई एक्टिविटीज सैंटर्स कोरोना के चलते बंद हैं. स्कूल, कालेज और औफिस बंद हैं. अब घर में परिवार के सभी सदस्य उपस्थित हैं तो खानापीना भी खूब हो रहा है. बच्चों और पति को खुश करने के लिए तलीभुनी चीजों से ले कर फास्ट फूड तक गृहणियां घर में बना रही हैं. ऐसे में कुछ महिलाओं के लिए काम की अधिकता से थकान और तनाव का अनुभव भी होता है. तो जो महिलाएं अकेली हैं या जिन के घर में दो या तीन सदस्य ही हैं, उन को खाली वक्त काटना मुश्किल हो रहा है.

लौकडाउन पीरियड में महिलाएं अपने स्वास्थ्य और सौंदर्य का कैसे ध्यान रखें? फिजिकल और मेंटल फिटनेस को बनाए रखने के लिए क्या जरूरी उपाय करें? ऐसा क्या करें कि घर पर रहते हुए भी हम फिट और पौजिटिव फील करें.

इस समय फिजिकल और मेंटल हैल्थ को ठीक रखने के लिए देशविदेश में महिलाएं और लड़कियां क्या कर रही हैं, किस तरह घर और काम के बीच अपना सामंजस्य बनाए रख रही हैं, आइए हम भी उन के अनुभव जानें…

अर्चना बोंद्रिया, रायपुर

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मैं एक सोशल वर्कर हूं. कई एनजीओ से भी मैं जुड़ी हुई हूं. अपने अनुभव से मैं ने जाना कि इस समय पूरी कम्यूनिटी को अपने स्वास्थ्य के साथसाथ अपनेआप को पौजिटिव एनर्जी से भरपूर रखना बहुत जरूरी हैं.

मैं अपने साथियों से फोन पर बात कर के उन का हौसला बढ़ाती हूं. तनाव के इस माहौल को हलका बनाने के लिए कुछ हंसीमजाक, मनोरंजक खेल, पहेली जैसे खेल मोबाइल पर खेलने के लिए उन्हें उत्साहित करती हूं. इस के लिए बहुत जरूरी है कि मैं स्वयं सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर और खुश रहूं.

मैं खाने के साथसाथ अपने पहनावे का भी खासा ध्यान रखती हूं. घर में रहते हुए भी मैं सुबह नहाधो कर साफ और अच्छे कपडे पहनती हूं. बिलकुल वैसे ही जैसे बाहर जाते वक्त तैयार होती हूं. इस से मैं फ्रेश फील करती हूं. ये बहुत जरूरी है, क्योंकि पहले मैं स्वयं अच्छा महसूस करूं, तभी तो मैं दूसरो को सच्ची खुशी दे सकूंगी.

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अनिला गंगराड़े, साइकोथैरेपिस्ट, इंदौर

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मैं एक होस्पिटल में कार्यरत हूं. इस समय मेडिकल स्टाफ के साथसाथ आम आदमी भी कई मानसिक तनावों से परेशान है. बच्चे, बड़े, बुजुर्ग सभी तनाव से गुजर रहे हैं. हर उम्र की अपनी अलग परेशानियां हैं.

इस प्रोफेशन से जुड़े होने की वजह से मेरा तनाव से सामना होना स्वाभाविक है. मैं स्वयं के तनाव को दूर करने के लिए घर पर ही योग, ध्यान और प्राणायाम करती हूं.

इस के अलावा संगीत तनाव को कम करने का बहुत अच्छा माध्यम है. शाम को अकसर कोई सुरीली धुन बजाती हूं. मेरा सभी के लिए एक ही संदेश है… “मेंटल डिसटेंसिंग फ्रॉम नेगेटिविटी”.

मृदुला गोयल, पुणे

Mridula-Goel

मैं एक आईटी प्रोफेशनल हूं. मुझे सारा समय लैपटौप पर काम करना होता है. मीटिंग्स और बाकी सारे काम भी आजकल औनलाइन ही हो रहे हैं. मीटिंग में वीडियो काल भी शामिल होती हैं, तो ऐसे में मुझे अपनी ड्रेस और लुक्स का भी ध्यान रखना पड़ता है.

वैसे भी जब आप ठीक से तैयार होते हैं तो आप को थोड़ी औफिस वाली फीलिंग आती है. रोज कुछ नयापन बना रहता है.

पर हां, सारे समय लैपटौप के सामने बैठे रहने से गरदन, पीठ, हाथ सभी दर्द करते हैं. सारा समय बैठे हुए काम करते रहने की वजह से और भी कई परेशानी होती हैं. इसलिए मैं वीक एंड पर डांस के लिए समय निकालती हूं. डांस मेरे लिए एक्सरसाइज के साथ स्ट्रेस को कम करने का भी काम करता है.

लिवांशी, बड़ौदा

मैं एक रिक्रूटमेंट कंपनी  के लिए काम करती हूं. रिपोर्टिंग विदेश के टाइम से करनी होती है. इसी कारण सारा काम और रिपोर्टिंग रात को करनी होती है. ऐसे में रात को औफिस वर्क के लिए जागना पड़ता है. इसलिए मुझे अपनेआप का ज्यादा ध्यान रखना पड़ता है.

मैं अपनी आंखों को आराम देने के लिए खीरा और गुलाब जल का यूज करती हूं. घर का बना सादा खाना खाती हूं, जिस से मुझे रात में काम करने में कोई दिक्कत ना आए. वीक एंड में चेहरे पर घर में ही बनाया फेस पैक लगाती हूं. बालों में औयलिंग और मसाज करना मुझे रिलैक्स कर देता है. हलकी एक्सरसाइज और डायट से मुझे एनर्जी मिलती है. वीक एंड की थोड़ी सी मेहनत में मैं अगले हफ्ते काम करने के लिए पूरी तरह से तैयार होती हूं.

Pallavi
पल्लवी, लंदन

लंदन में भी लौकडाउन कुछ छूट के साथ जारी है. यहां का मौसम भारत से अलग होने के कारण हमें अपना ध्यान अलग तरीके से रखना होता हैं.

आजकल स्कूल भी औनलाइन चल रहे हैं तो मुझे अपनी बिटिया को ज्यादा टाइम देना होता है. वह घर के बाहर खेलने जा नहीं सकती, तो मुझे उसे और ज्यादा वक्त देना होता है.

हां, इसी बहाने मुझे भी अपना बचपन फिर से मिल जाता है. लेकिन इस के लिए मुझे बहुत एनर्जी की जरूरत पड़ती है, इसीलिए मैं लस्सी, जूस, सूप, ताजे फल, सलाद और सब्जियों को अपनी डायट में शामिल करती हूं. घर का बना  उबटन और हेयर केयर का पूरा ध्यान रखती हूं. हौबी के तौर पर गमलों में कुछ सब्ज़ियां लगा रखी हैं, जो इस समय बहुत काम आ रही हैं. उन की हरियाली और फ्रेश हवा के बीच समय गुजारना मुझे बहुत अच्छा लगता है और यह मुझे हर तनाव से दूर रखता है.

मेघा, बेंगुलुरू

मैं एक आर्किटेक्ट हूं. लौकडाउन के कारण साइट विजिट नहीं हो सकती. जो भी काम घर से हो सकता है, उसे करने के अलावा मैं अपनी हौबी के लिए समय निकाल रही हूं.

एक आर्किटेक्ट  होने के नाते मेरा झुकाव आर्ट की तरफ  नेचुरल है. मेरा पिछले कई वर्षों से पेंटिंग बनाने का मन था, पर समय ही नहीं मिल पा रहा था. अब लौकडाउन में जब घर पर हूं तो आजकल मधुबनी पेंटिंग और नाइफ पेंटिंग बना रही हूं.

इस तरह मैं अपनी सारी अभिलाषाएं जो आम दिनों में पूरी नहीं हो पा रही थीं, इन दिनों में पूरा कर रही हूं. पेंटिंग के साथ ही कुछ फ्यूजन ड्रेस पर भी मैं अपनी कला का प्रयोग कर रही हूं. इस काम में मुझे असीम सुख मिल रहा है और तारीफ तो मिल ही रही है.

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मीता, बेंगुलुरू सिटी

मैं एक इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर हूं. काफी सारे प्रोजेक्ट औनलाइन चल रहे हैं. सारे समय सभी के साथ कोआर्डिनेट करना होता है. दिन काफी थकान भरा हो जाता है. मेरा संगीत की तरफ झुकाव हमेशा से रहा है. इस के लिए मैं समय निकाल लेती हूं.

मैं ने बेंगुलुरू में “बैंगलोर आर्ट सर्कल” नाम से एक सेल्फ म्यूजिक प्लेटफार्म शुरू किया है, जो नईनई प्रतिभाओं को आगे आने का अवसर दे रहा है.

मुझे खुशी है कि इस से कई लोग जुड़ रहे हैं. लौकडाउन के इस समय में हम संगीत के कई प्रोग्राम औनलाइन दे रहे हैं, जिसे लोग काफी पसंद कर रहे हैं. इन सब एक्टिविटीज के कारण मुझे दिनभर की थकान  और टेंशन महसूस नहीं होती है.

नजला है, इन्फ्लुएंजा या कोविड-19

वातावरण में तरहतरह के वायरस मौजूद हैं. ये दिखते नहीं हैं. शरीर के बाहर ये मृतप्राय होते हैं लेकिन शरीर के अंदर जीवित हो जाते हैं. वायरस को विषाणु कहते हैं जिस का शाब्दिक अर्थ विष होता है. इंसानों पर वायरसों के भिन्नभिन्न असर होते हैं.

पत्रपत्रिकाओं, विशेषकर मैडिकल जर्नल्स, में प्रकाशित स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लेखों से हासिल जानकारी को यहां पेश किया जा रहा है.

नजला :

वायरसों से होने वाले असर के ज़िक्र में सब से पहले नज़ला यानी ज़ुकाम की बात करते हैं. बता दें कि नजला को नैसोफेरिंजाइटिस नाम से भी जाना जाता है. हवा में 200 से अधिक क़िस्मों के वायरस हैं जिन की वजह से नज़लाज़ुकाम हो जाता है. इन में एक का नाम रीनो वायरस है जबकि कोरोना वायरस परिवार के भी कुछ वायरस हैं जिन से इंसान को ज़ुकाम होने के साथ निम्न समस्याएं हो सकती हैं-

*  सांस के सिस्टम के ऊपरी भाग में तकलीफ़
*  नाक बंद हो जाना
* गले में इन्फैक्शन
*  नाक से पानी बहना
*  छींकें आना
नजलाजुकाम के ये लक्षण काफ़ी हलके होते हैं.

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इन्फ्लुएंजा

श्लैष्मिक ज्वर यानी इन्फ्लुएंजा हवा में फैले एक विशेष समूह के वायरसों से होने वाला संक्रामक रोग है. यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे में बहुत तेज़ी से फैलता है. संक्रमण के शुरुआती 5 दिनों के भीतर यह एक से दूसरे व्यक्ति में तेज़ी से स्थानांतरित होता है. इस के संक्रमण से ये दिक्कतें होती हैं –
* बुख़ार
* सिरदर्द
* थकन, बदन में दर्द
* कभीकभी नाक से पानी बहना, छींकें आना और गले में दर्द
*  फ्लू के लक्षण ज़ुकाम से ज़्यादा तकलीफदेह होते हैं.
*  कुछ लोगों की भूख मर जाती है, कुछ को दस्त आने लगता है या पेट में दर्द होता है.
*  केस अगर ज्यादा बिगड़ जाए तो फ्लू से भी फेफड़ों में इन्फैक्शन हो जाता है.

कोविड-19

कोविड-19 बीमारी ताज़ा सामने आए नोवल कोरोना वायरस से होती है. इस में जो लक्षण सामने आते हैं वे निम्न हैं-
*  खांसी
*  सांस लेने में तकलीफ़
*  बुख़ार
*  सूंघने की शक्ति कम या ख़त्म हो जाना
*  स्वाद चखने की क्षमता कम या ख़त्म हो जाना
*   कभीकभी फेफड़ों में इन्फ़ेक्शन हो जाता है
*  कभी बीमार की किडनी फ़ेल हो जाती है और अगर ज़्यादा गंभीर स्थिति हो तो बीमार की मौत हो जाती है.
*  अगर सर्दी लगी है तो शुरू के 2 दिनों में लक्षण ज़्यादा बढ़ जाते हैं, जबकि नोवल कोरोना वायरस के लक्षण संक्रमित होने के 2 दिन से ले कर 14 दिनों तक ज़ाहिर हो सकते हैं.

वहीं, कभीकभी सूंघने और चखने की क्षमता का ख़त्म हो जाना महत्त्वपूर्ण लक्षण हो सकता है. दक्षिण कोरिया, चीन और इटली में अधिकतर कोरोना मरीज़ों का कहना था कि उन की सूंघने और स्वाद महसूस करने की क्षमता बहुत कम हो गई.

वैसे, नजला या जुकाम और इन्फ्लुएंजा में भी नाक बंद हो जाती है जिस से सूंघने की क्षमता कम हो जाती है मगर नोवल कोरोना वायरस के संक्रमितों में यह लक्षण ज़्यादा गंभीर होता है.

फेफड़ों में वायरस नाक के रास्ते या मुंह के रास्ते :

हमसब में यह भी जानने की उत्सुकता है कि नोवल कोरोना वायरस फेफड़े में नाक के रास्ते पहुंचता है कि फेफड़े के? दरअसल, इस विषय पर अमेरिका के उत्तरी केरोलीना राज्य के कई विश्वविद्यालयों ने शोध किया. एक टीम ने पता लगा लिया कि ज़्यादातर नाक के रास्ते से यह वायरस फेफड़ों में पहुंचता है. यह शोध औस्ट्रिया के डेर स्टैंडर्ड न्यूजपेपर में छपा है.

उधर, कोरोना वायरस के संक्रमण के आंकड़ों की तुलना में मरने वालों की संख्या को देखा जाए तो यह बेहद कम है. हालांकि उपलब्ध आंकड़ों पर पूरी तरह भरोसा नहीं किया जा सकता लेकिन आंकड़ों की मानें तो संक्रमण होने पर मृत्यु की दर केवल 1 से 2 फ़ीसदी हो सकती है.

वायरस का इन्क्यूबेशन पीरियड :

आधिकारिक तौर पर पैन्डेमिक कोरोना वायरस का नाम सार्स सीओवी-2 (Sars-CoV-2) है. संक्रमण होने और उस के लक्षण दिखने के बीच के वक़्त को इन्क्यूबेशन पीरियड कहा जाता है.

यह वह वक़्त होता है जब वायरस इंसान के शरीर में जम जाता है. शरीर के भीतर जाने के बाद यह वायरस इंसान के लिए सांस लेने में तकलीफ़ पैदा कर सकता है. इस का पहला हमला आप के गले के आसपास की कोशिकाओं पर होता है. इस के बाद यह सांस की नली और फेफड़ों पर हमला करता है. यहां यह एक तरह की ‘कोरोना वायरस फैक्ट्रियां’ बनाता है. यानी, यहां अपनी संख्या बढ़ाता है. यहां नए बने कोरोना वायरस बाक़ी कोशिकाओं पर हमला करने में लग जाते हैं. शुरुआती दौर में आप बीमार महसूस नहीं करते. हालांकि, कुछ लोगों में संक्रमण के शुरुआती वक़्त से ही लक्षण दिखाई देने लगते हैं.

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वायरस का इन्क्यूबेशन पीरियड भी लोगों में अलगअलग हो सकता है. औसतन यह 5 दिनों का होता है.

यह भी जान लें कि अधिकतर कोरोना संक्रमित बीमारों में लक्षण नज़र नहीं आते, या बहुत हलके होते हैं, इसलिए अगर हलके लक्षण भी दिखाई दें तब भी तत्काल डाक्टर से संपर्क करना चाहिए. सो, ज्यादा से ज्यादा जानकारी हासिल करें, जागरूक बनें ताकि स्वस्थ रह सकें और सुरक्षित भी.

 सिगरेट और शराब: लड़कियों की इमेज करें खराब

औनलाइन फूड डिलिवरी ऐप ‘स्विगी’ के कर्मचारी द्वारा मुंबई में एक महिला के साथ मारपीट और पैसे ले कर भागने का मामला सामने आया है. पीडि़ता का आरोप है कि जब वह इस की शिकायत ले कर माहिम पुलिस थाने में पहुंची, तो पुलिसकर्मी ने उलटे उस से ही आपत्तिजनक सवाल करने शुरू कर दिए.

दरअसल, बात यह है कि रविवार सुबह 3 बजे वह महिला अपने दोस्त के साथ घर पर थी, उस ने स्विगी से खाना और्डर करने के साथ ही उस डिलिवरी बौय से सिगरेट लाने की भी अपील की जिस के लिए वह लड़का राजी भी हो गया. डिलिवरी के समय उस महिला ने उसे इस के लिए 150 रुपए अतिरिक्त भी दिए. पर वह कुछ और पैसे की मांग करते हुए घर में घुस आया. जब डिलिवरी बौय घर में घुसा तो वह महिला चिल्लाने लगी. लेकिन वह टेबल पर रखे 100 रुपए ले कर भाग गया. जब वह बाहर आई तो देखा कि नीचे वह करीब 4 लोगों के साथ खड़ा था और उस महिला को धमकी देने लगा कि उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे. फिर वह महिला हिम्मत कर के माहिम पुलिस थाने पहुंची. पर वहां पुलिसकर्मी एफआईआर दर्ज करने की जगह उस महिला के चरित्र पर ही सवाल उठाने लगे कि वह सिगरेट पीती है? क्या उस के मातापिता को पता है कि उन की बेटी सिगरेट पीती है? डिलिवरी बौय से सवाल करने की जगह पुलिसकर्मी उस महिला से ही आपत्तिजनक सवाल कर उसे शर्मिंदा करने लगे और डिलिवरी बौय को जाने दिया.

कुछ समय पहले सोशल मीडिया पर एक तसवीर वायरल हो रही थी. तसवीर 2 लड़कियों की थी जो एक पार्क में सिगरेट पीते हुए सैल्फी ले रही थीं.

उस तसवीर की जम कर आलोचना हुई थी. दोनों लड़कियों को सिगरेट पीते देख लोगों ने अपनीअपनी राय देनी शुरू कर दी कि लड़की हो कर सिगरेट पीती है, लड़कियों को सिगरेट नहीं पीनी चाहिए, अच्छे घरों की लड़कियां सिगरेट नहीं पीतीं आदि. लोगों ने उस तसवीर को सभ्यता व संस्कृति से जोड़ते हुए उन लड़कियों को खूब लताड़ा था. लोगों का कहना था कि वैस्टर्न कल्चर हम पर हावी होने लगा है. यह सब विदेशों में चलता है, यहां नहीं.

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क्या कोई सिगरेट पहली बार पी रहा था जो लोग भाषण देने लगे? नहीं, बल्कि सिगरेट पीने वाली लड़कियां थीं, इसलिए सब को कमैंट करने का मौका मिला था. सिगरेट पीना कोई नई बात नहीं है, बहुत पीते हैं. खुले में पीते हैं, दोस्तरिश्तेदारों के सामने पीते हैं और मजे से पीते हैं, धुआं उड़ाउड़ा कर पीते हैं और लोग कुछ नहीं कहते, क्योंकि लड़के पी रहे हैं न. वहीं, लड़की पीती दिख गई, तो हायतोबा मच गई जैसे कोई अनर्थ हो गया. लड़के शराब, सिगरेट, गुटखा कुछ भी खापी सकते हैं, लड़कियों को छेड़ सकते हैं, क्योंकि संस्कृतिसभ्यता से तो सिर्फ लड़कियों का लेनादेना है.

एक लड़की बताती है, ‘‘एक बार दिल्ली के मोतीबाग में सुनसान पड़े एक स्टौप के करीब खड़े हो कर सिगरेट पीते हुए एक पुलिस वाले ने मुझे देख लिया. शाम होने वाली थी और आसपास दूरदूर कोई नहीं था. अपनी गश्ती वाली पीली मोटरसाइकिल पर बैठा वह पुलिस वाला मुझ तक आया, फिर उस ने जिस भाषा में मुझे लताड़ा, वह यकीनन ऐसा था कि जैसे मैं ने कोई बेहूदगी की हो. वजह थी मेरा सिगरेट पीना. मेरा सिगरेट पीना उस के लिए मेरे खराब चरित्र का सर्टिफिकेट था.’’ वह आगे कहती है, ‘‘कई बार हालात ऐसे बन जाते हैं कि हंसी आ जाती है. आसपास के लोगों की अनचाही टिप्पणियों से बचने के लिए मुझे छिप कर सिगरेट पीनी पड़ती है. इतना ही नहीं, सुबूत मिटाने के लिए

मुझे परफ्यूम की बोतल साथ रखनी पड़ती है.’’

वह कहती है कि ऐसा नहीं कि उसे डर लगता है या फिर लोगों के जेहन में अपनी छवि संवारसहेज कर रखने का शौक है, बल्कि अपने आसपास के लोगों की बेवजह की असहजता बरदाश्त कर पाना उस के बस में नहीं है. सिगरेट पीना उस के लिए फैशन कतई नहीं है. यह उस की एक गंदी आदत है जिसे वह छोड़ना चाहती है. पर छोड़ नहीं पा रही है. उस का कहना है, ‘‘हां, पूरा हक है सिगरेट पीते देख आप को मुझे कोसने का, लेकिन अगर आप मुझे इसलिए कोसना चाहते हैं क्योंकि मैं एक लड़की हो कर सिगरेट पीती हूं, तो फिर आप की सलाह की मुझे कोई जरूरत नहीं है.’’

‘‘हम एक ऐसे समाज का हिस्सा हैं जहां लोग इस बात की दुहाई देते नजर आते हैं कि एक लड़की को कैसे कपड़े पहनने चाहिए और उसे कैसे पेश आना चाहिए. बहुत दुखद है कि हमारे देश में स्मोकिंग करने, टैटू बनाने वाली लड़कियों को बदचलन समझा जाता है. अगर कोई लड़का मुंहफट है या सिगरेट पीता है तो उस पर कोई उंगली नहीं उठाई जाती और न ही उसे कैरेक्टरलैस समझा जाता है. लेकिन लड़कियों के मामले में जल्दी ही लोग जजमैंट देना शुरू कर देते हैं,’’ यह कहना है बौलीवुड यंग ऐक्ट्रैस कृति सेनन का.

हम चाहे खुद को कितना ही उदार क्यों न कहलवा लें, लेकिन, आज भी हमारे देश में लड़कियों के सिगरेट पीने को नैतिकता से जोड़ कर देखा जाता है. हम ऐसा मानते हैं कि अगर एक लड़की सिगरेट पीती है, तो उस के कोई नैतिक मूल्य नहीं हैं. निश्चितरूप से ऐसी धारणा बेतुकी है क्योंकि सिगरेट और नैतिकता का आपस में कोई लेनादेना नहीं है. अगर सिगरेट पीना बुरा है तो पुरुषों का पीना भी बुरा है और अगर पुरुषों को अधिकार है सिगरेट पीने का, तो प्रत्येक औरत को भी अधिकार है सिगरेट पीने का. कोई चीज बुरी है, तो सब के लिए बुरी है और नहीं, तो किसी के लिए भी बुरी नहीं है. आखिर हर बात के लिए महिलाओं के साथ ही भेदभाव क्यों? क्यों औरतों के लिए अलग मापदंड निर्धारित किए गए हैं? पुरुष अगर लंगोट पहन कर नहाए तो ठीक और अगर औरत ऐसा करे तो चरित्रहीन बन गई? ये दोहरे मापदंड क्यों?

चरित्र पर भारी पड़ता सिगरेट का धुआं

चलती सड़क पर अचानक आप की नजर एक ऐसी लड़की पर पड़ती है जिस के हाथ में सिगरेट है. उस के मुंह से निकलता सिगरेट का धुआं आप को यह सोचने को विवश कर देता है कि न जाने आजकल की पीढ़ी को क्या हो गया है. आप भले ही इस बात को नकार दें लेकिन सच यही है कि जब भी आप किसी सिगरेट पीती लड़की को देखते हैं या आप को संबंधित लड़की के सिगरेट पीने जैसी आदत का पता चलता है, तो आप उस के विषय में कुछ ऐसी ही धारणा बना लेते हैं जिस का शायद कोई आधार ही नहीं होता.

सिगरेट पीते लड़के को आसानी से नजरअंदाज कर दिया जाता है लेकिन जब वही सिगरेट लड़की के हाथ में दिख जाए तो संस्कारों से ले कर उस के चरित्र पर प्रश्नचिह्न लगा दिया जाता है. निश्चिततौर पर सिगरेट पीना खुली विचारधारा और उन्मुक्त स्वभाव को दर्शाता है लेकिन क्या इसे वैयक्तिक चरित्र से जोड़ कर देखा जाना सही है?

एक फिल्म आई थी ‘वीरे दी वैडिंग’. फिल्म उन दिनों चर्चा में थी. इसे करोड़ों लोगों ने देखा भी. इस फिल्म में बहुतकुछ है. 4 लड़कियां जो आपस में दोस्त हैं. उन का रिलेशनशिप है. नाचगाना है और साथ में हैं ढेर सारी गालियां और गालियां भी ऐसी जो महिलाओं को ले कर बनी हैं.

यह फिल्म अर्बन, अपर क्लास की 4 लिबरेटेड लड़कियों की कहानी है जो आजाद खयाल की हैं. एक स्टीरियोटाइप समाज में या कहें समाज के एक हिस्से में है कि अगर आजाद खयाल नजर आना है, तो कुछ चीजें करनी होंगी. मर्दों की तरह गाली देना उन में से एक है. लड़की बिंदास मानी जाएगी. गांव की औरतों का गाली देना गंवारपन है. लेकिन, शहरी खातीपीती, पढ़ीलिखी कई लड़कियों के लिए यह टशन है, स्टाइल है.

ऐसी गालियां देती औरतें अकसर यह भी ध्यान नहीं देतीं कि ये गालियां औरतों की देह और उन के अंगों को केंद्र में रख कर पुरुषों ने बनाई हैं. चूंकि, जैंडर न्यूट्रल गालियां नहीं हैं, इसलिए गालियां देनी हैं, तो आप के लिए सिर्फ ऐसी ही गालियां उपलब्ध हैं जिन में निशाने पर औरतों की देह है. पुरुष अगर गाली देता है, तो महिलाएं भी ऐसा कर सकती हैं.

गुस्से की अभिव्यक्ति अगर गाली से होती है, तो महिलाएं भी गाली क्यों न दें? अगर यह बुरा है, तो उतना ही बुरा है जितना पुरुषों का गाली देना है. समस्या सिर्फ यह है कि पुरुषों की देह को केंद्र में रख कर गालियां बनाई ही नहीं गई हैं. बात उन सिंबलों की करते हैं जिन के आधार पर भारत में अकसर किसी महिला को लिबरेटेड या स्वतंत्र होना मान लिया जाता है.

अब बात करते हैं महिलाओं के सिगरेट पीने की. सिगरेट पीने को लंबे समय तक और आज भी महिलाओं के एंपावरमैंट से जोड़ कर देखा जाता है. जैसे, कोई लड़की सिगरेट पीती है तो वह आजाद खयाल की लड़की मान ली जाती है. भारतीय संदर्भ में देखें तो यह बात पूरी तरह से निराधार भी नहीं है. हमारे समाज में खुले में सिगरेट वही लड़कियां पी सकती हैं जिन के पास आजादी नाम की थोड़ीबहुत चीज है.

मान लीजिए, लड़की की शादी की बात चल रही है और लड़के वालों से यह कहा जाए कि उन की बेटी सिगरेट और शराब पीती है, तो कितने लड़के वाले इस बात को नौर्मली लेंगे? लेकिन, यही बात अगर लड़के के बारे में बोली जाए तो शायद ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि लड़के के लिए शराबसिगरेट पीना तो आम बात है.

हालांकि, यह बात हम भी मानते हैं कि सिगरेट स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है. न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए, बल्कि आसपास के सभी लोगों को भी इस के इस्तेमाल से नुकसान पहुंचता है और यह पर्यावरण को भी दूषित करती है. इतना ही नहीं, सार्वजनिक धूम्रपान करना एक दंडनीय अपराध है जिस के लिए आप को जेल भी जाना पड़ सकता है. हालांकि, यह प्रशासनिक कार्यवाही है यदि आप धूम्रपान करते पाए जाते हैं तो.

परंपरागत समाज में यह माना जाता है कि शराब या सिगरेट पीने वाली लड़कियां गलत ही होंगी. उन का चरित्र खराब ही होगा. वे अगर धुआं उड़ा रही हैं तो कैरेक्टरलैस और अगर अगरबत्ती जला रही हैं तो संस्कारी ही होंगी. चाय के ठेले पर अगर कोई लड़की सिगरेट पीती दिख जाए, तो उसे नजरों से ही मंजिल तक पहुंचाया जाता है. जब तक लड़की आंख से ओझल न हो जाए, लोग उसे निहारते ही रहते हैं जैसे कोई अजूबा हो.

कोई लड़की अगर शराब पी कर सड़क पर हंगामा करे तो वह नैशनल न्यूज बन जाती है, जबकि यही काम लड़का करे तो यह नौर्मल लगता है. अगर कोई लड़की काम के कारण लेट घर आए तो वह जरूर बाहर लड़कों के साथ गुलछर्रे उड़ा रही है. शोरशराबे से इतर जो लड़कियां शराब पीना चाहती हैं उन्हें घर वालों से छिप कर शराब पीनी पड़ती है, जबकि बेटे शराब पीते हैं तो यही बात परिवार और समाज को सामान्य लगती है.

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आखिर क्यों सोच लिया जाता है कि अगर लड़कियां शराबसिगरेट पी रही हैं तो वे गलत ही होंगी? एक कोरी पोस्ट पर यूजर ने सवाल किया था कि भारत में कितनी महिलाएं शराब का सेवन करती हैं? जवाब देने वाले ने कहा कि मैट्रोपौलिटन शहरों में करीब 80 फीसदी, बड़े शहरों में 40-45 फीसदी और छोटे शहरों में 5 फीसदी. सवाल और जवाब दोनों ही बड़े दिलचस्प थे लेकिन इस पर एक और सवाल है कि आखिर कितनी महिलाएं शराब पीती हैं, इस की जानकारी चाहिए ही क्यों?

आदिकाल से यह प्रथा चली आ रही है कि हिंदुस्तान में संस्कारी बहू के चर्चे होते हैं और अगर बहू ने कुछ गलत काम कर दिया तो घरबाहर सभी उसे दोषी मानने लगते हैं. जमाना तो बदल गया लेकिन संस्कारी बहूबेटी की परिभाषा को सोशल मीडिया पर अपडेट करना शायद आलादर्जा भूल गया. तभी तो देखिए न, आज भी लड़कियों के छोटे कपड़े पहनने, शराबसिगरेट पीने, घर देर से आने, लड़कों से बात करने, पार्टी करने, अपने मनमुताबिक जीने को उन के कैरेक्टर से जोड़ कर देखा जाता है.

मर्द पिए तो कोई बात नहीं और लड़की पिए तो उस का कैरेक्टर ढीला है? अगर कैरेक्टरलैस ही शराब पीने की परिभाषा है तो फिर लड़के भी उतने ही कैरेक्टरलैस हैं. विदेशों में यही कल्चर है, पर वहां किसी भी लड़की के शराबसिगरेट पीने को उस के कैरेक्टर से जोड़ कर नहीं देखा जाता. तो फिर भारत में ऐसा क्यों? भारत में इसे अपवाद माना जाता है. चलिए, ठीक है, लेकिन फिर सभ्य समाज उन लड़कों को क्या कहेगा जो हुड़दंग मचाते हैं और शराब पी कर काफी गलत कर जाते हैं? कुल मिला कर इसे सही न समझें. लेकिन इसे अपवाद भी न बनाएं. शराबसिगरेट पीना या न पीना किसी के कैरेक्टर की निशानी नहीं है.

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Father’s day Special: सिंगल पैरेंट बनने में स्वैर्गिक आनंद मानते हैं गुलशन ग्रोवर

400 से अधिक हिंदी फिल्मों में काम कर चुके अभिनेता गुलशन ग्रोवर भले ही ‘बैडमैन’ के नाम से परिचित हो, पर वे एक अत्यंत ही सुलझे हुए और संजीदा दिल इंसान है. वे सिंगल फादर है और सिर्फ साढ़े 4 साल की उम्र से अपने बच्चे संजय ग्रोवर की परवरिश की है. इस दौरान उन्हें कई समस्याओं से गुजरना पड़ा, लेकिन उनके माता-पिता, दोस्तों, और शूटिंग टीम के सदस्यों ने उनकी सहायता की, जिसके फलस्वरूप उन्होंने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया. आज संजय बड़े हो चुके है और अमेरिका में कई सालों से फिल्मों से सम्बंधित विषयों पर पढाई कर लॉस एंजिलस के एम् जी एम् स्टूडियो में फिल्म प्रोड्यूसर है और हॉलीवुड में कई फिल्मों के निर्माण कार्य में लगे है. उनकी इस ग्रोथ में गुलशन ग्रोवर हमेशा साथ रहे और वे हमेशा हर साल अपने बेटे से मिलने अमेरिका जाते रहे. गुलशन ग्रोवर का उनके बेटे के साथ गहरा दोस्ताना सम्बन्ध है, जिसे वे बहुत एन्जॉय करते है. 

वे कहते है कि मैंने सिंगल पैरेंट बनने के बारें में कभी सोचा नहीं था. परिस्थितियां ऐसी बनी कि मुझे ये चुनौती लेनी पड़ी. दरअसल एक बच्चे के परवरिश में माता-पिता दोनों का होना जरुरी होता है. हालात कुछ ऐसी बनी कि उसकी माँ हमें छोड़कर चली गयी. मैंने उस समय निर्णय लिया था कि बच्चे को मैं रखूँगा और इसकी परवरिश करूँगा. उस समय कह तो दिया था, पर बाद में काफी परेशानी हुई. मैं उन सब महिलाओं का आभारी हूं, जिन्होंने मुझे संजय की परवरिश में सहायता की. शूटिंग पर गया और मेरा बेटा उधर आ गया, तो हेयर ड्रेसर से लेकर एक्ट्रेसेस सबने सहायता की. किसी रेस्तरां में गया तो वहां काम करने वालों ने सहायता की. फ्लाइट में गया तो किसी एयर होस्टेज ने और स्कूल में गया तो दूसरे बच्चे की माओं ने गाइड किया. बड़ी अच्छी आया मिली, जो उसकी देखभाल करती रही. इसके बाद जब मेरे माता- पिता ने देखा कि मैं अकेला बहुत मुश्किल में हूं, तो मेरे माता-पिता ने उसकी जिम्मेदारी ली. और बड़ा किया. जब संजय थोडा बड़ा हुआ, तो वह मुंबई आकर मेरे साथ रहने लगा.

 

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बच्चे की बचपन से अधिक किशोरावस्था महत्वपूर्ण होती है, ऐसे में उसकी देखभाल करने के बारें में पूछे जाने पर गुलशन बताते है कि अधिकतर बच्चे मां के साथ अधिक कम्फ़र्टेबल होते है और उनके साथ रिश्ता भी अच्छा रहता है. हमारे यहां पिता एक सेंटी फिगर होते है, जो शाम को आकर बच्चे की हाल चाल पूछते है और कुछ गलत किया तो डांटते है. उपरी ऑब्जरवेशन होता है. उसमें बच्चे का पिता से डर और औरा भी बना रहता है. बहुत करीब होने से औरा और डर दोनों चला जाता है, फिर उसे समझाना पड़ता है कि क्या गलत और क्या सही है. मैं बस इतना लकी था कि उस समय मेरे अंदर और बच्चे में सद्बुद्धि आई और वह दौर धीरे-धीरे निकल गया. अभी भी मेरा वैसा ही सम्बन्ध है और सिंगल पैरेंटहुड ही चल रहा है. संजय अभी अमेरिका के लॉस एंजिलस में एम जी एम (Mertro Goldwyn Mayer) स्टूडियो में फिल्म प्रोड्यूसर है. अभी लॉक डाउन में मेरे साथ मुंबई आया हुआ है, मुझे अच्छा लग रहा है और मैं अभी उसके फिल्म निर्माण में मदद कर रहा हूं.आगे उसकी फिल्मों में भी एक्टिंग करूँगा. फ़िलहाल मैं एक अनुभवी पिता की तरह उसकी हर संभव मदद कर रहा हूं.

आगे वे सिंगल पेरेंट्स के लिए ये मेसेज देना चाहते है कि जब आप जिम्मेदारी लें, तो पूरी तरह से मानसिक रूप से सोच लें, क्योंकि इसमें समय बहुत लगेगा, काम काज के साथ सामंजस्य के अलावा सोशल लाइफ का पूरी तरह से सैक्रिफाइस करना पड़ेगा. जब आप सिंगल पैरेंट बनते है, तो काम के बाद कहीं रुकने का मन ही नहीं करेगा. बच्चा आपका इंतजार कर रहा होगा या उसके साथ रहने में जो मज़ा आयेगा, वह अद्भुत होता है. इन सब त्याग के पीछे आनंद उस बच्चे को बड़े होते हुए देखने में होगा, जिसमें आपके सहयोग और त्याग से ही उस बच्चे में ग्रोथ, उसका आत्मविश्वास, व्यक्तित्व आदि सबकुछ निखरा है, वह एक स्वैर्गिक आनंद है, जिसे बयां करना संभव नहीं. 

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बेहद 2 से लेकर पटियाला बेब्स तक बंद हुए ये 10 से भी ज्यादा शोज, पढ़ें खबर

देश में कोरोनावायरस लॉकडाउन बढ़ने के साथ ही कईं लोगों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है. वहीं टीवी और फिल्म इंडस्ट्री को भी लॉकडाउन के कारण करोड़ों का सामना करना पड़ा है, जिसके चलते कई टीवी शोज पर ताला लगाना पड़ गया है. 1 या दो नही बल्कि 10 टीवी सीरियल्स को बंद करने का फैसला लिया गया है. आइए आपको बताते हैं कौन से हैं वह 10 टीवी शो…

1. विद्या

हाल ही में शुरू हुए मीरा देओस्थले स्टारर इस शो विद्या के बंद होने की खबरें बीते हफ्ते ही सामने आई है. शो के प्रोड्यूसर महेश पांडे ने जानकारी दी है कि लॉकडाउन की वजह से हुए नुकसान के चलते उन्हें ये फैसला लेना पड़ा है.

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2. बेहद 2

 

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सुर्खियों में रहने वाला सोनी टीवी का पौपुलर सीरियल बेहद का दूसरा सीजन भी लॉकडाउन के चलते बंद हो गया है. औडियंस का दिल जीतने वाले जेनिफर विंगेट और शिविन नारंग के इस शो को भी मेकर्स ने घाटे के चलते बंद करने का फैसला ले लिया है.

3. मेरी गुड़िया

अलीशा पंवार स्टारर इस शो को भी बंद किया जा रहा है. बीते साल दिसम्बर में शुरु हुआ ये शो टीआरपी लिस्ट में कुछ खास कमाल नहीं दिखा पा रहा था.

4. कार्तिक पूर्णिमा

लॉकडाउन की वजह से इस शो को भी बहुत नुकसान हुआ है. इस शो की एक्ट्रेस पौलमी दास ने ही शो के बंद होने की खबर की पुष्टि की थी.

5. पटियाला बेब्स

हाल ही में सोनी टीवी ने एक साथ कई शोज को बंद करने का फैसला किया था, जिसमें पटियाला बेब्स का भी नाम शामिल था. फैंस के बीच सुर्खियों में रहने वाले शो  ‘पटियाला बेब्स’ के बंद होने की खबर से अशनूर कौर टूट गई थी.

6. इश्क शुभान अल्लाह

इस शो ने टीआरपी लिस्ट में खूब धमाल मचाया है, लेकिन हाल ही में इसके बंद होने की खबर भी सामने आई है.

7. दिल ये जिद्दी है

इस शो को भी कोरोना वायरस लॉकडाउन के चलते बंद किया जा रहा है. इस शो में ‘बिग बॉस 12’ फेम रोहित सुचांती मुख्य रोल में थे.

8. नजर 2

 

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Look At All The Stars 🌟… You Look Up And You Think …. #ootd #loveyourself #selflove #nazar2

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भोजपुरी क्वीन मोनालिसा स्टारर सुपर नेचुरल शो नजर के दूसरे सीजन को भी लॉकडाउन के चलते गुल खान ने बंद करने का ऐलान कर दिया था. जबकि शो को रिलीज हुए कुछ ही दिन हुए थे.

9. इशारों इशारों में

लॉकडाउन के नुकसान को इस शो के मेकर्स भी नहीं झेल पाए. इसीलिए इस शो को भी बंद करने का फैसला किया गया है.

10. दिल जैसे धड़के धड़कने दो

 

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#ASHDEEP 😍❤️ #yehundinonkibaathai ka re-telecast dekhiye Monday to Friday 10:30pm #welcomebackyudkbh during #lockdown #stayhome #staysafe keep sharing @randeepraii @i_ashisinghh #nos2withoutashdeep #onlyashdeepinseason2 season 2 coming soon keep requesting for season 2 #yehundinokibaathai #yehundinonkibaathai #diljaisedhadkedhadaknedo #yehundinonkibaathai2 #yudkbh #sonytv #ashdeepins2 #yudkbhturns2 #2yearsofyudkbh #ashirandeepinyudkbhs2 #giveashdeepins2 #yudkbhs2withashdeep #yudkbhturns2 #giveyudkbh2withashdeep #yudkbhs2withashdeeponly #sonytvmaanjao #4yearsofashdeep #confirmashdeepfors2 #yudkbhliveson #shashisumeetproductions #sonytvofficial #itaawards2019 #ita2019 @i_ashisinghh @randeepraii @shashisumeet @sumeetm @shashisumeetproductions @sonytvofficial

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स्टार प्लस के इस शो पर भी कोरोना की मार पड़ी है.

11. दादी अम्मा दादी अम्मा मान जाओ ना

 

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Behind the scenes 😊 #AnSh #abhisheksinghpathania #sheendass #shlokjhawar #anjalipradhan #bestcouple #daadiammadaadiammamaanjaao

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इस शो पर भी कोरोना ग्रहण लग चुका है और इस खबर के सामने आते ही दर्शक काफी निराश भी हुए थे.

12. नागिन 4

 

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EXCLUSIVE: Nia Sharma, Vijayendra, Rashami to begin Naagin 4 finale shoot from THIS date?Here’s how it may end Pinkvilla has learnt that Nia Sharma, Vijayendra Kumeria would begin shooting for Naagin 4 from the 15th of this month and this is how their story might end. Read. That Naagin 4 will be airing its final four episodes is well known. The fourth season starred Nia Sharma, Vijayendra Kumeria, Anita Hassanandani in pivotal roles. Rashami Desai had entered the show just before the lockdown. Recently, producer Ekta Kapoor herself revealed that she didn’t pay too much attention to the show and hence the show did not perform as expectations. Pinkvilla has learnt that Nia, Vijayendra, Rashami, Anita will begin shooting from June 15th for 10 days. Not just that, we have also learnt how the story might actually end. “Apparently, Nia’s character Brinda will kill Vishaka (Anita Hassanandani), Shalaka (Rashami Desai), and Dev (Vijayendra Kumeria) will also get killed. Later, Brinda will be murdered with the laal tekdi mystery brought to a proper end. The makers were contemplating how to begin the fifth season and are still working on the story,” a source revealed. Regarding the end, both Nia and Vijayendra said that this is a business decision and they have accepted the decision. Nia and Vijayendra also revealed that the production informed us about the same a few days back. “I got a call from the production house before the things were out in media and I thought it was nice of them to inform us otherwise there are times when we just read things in media first then you get shocked. They spoke to me and told me the reason that a show like Naagin cannot start from the middle again and get the same kind of attention. That is the reason which was given to us,” Vijayendra told Pinkvilla. . . . @niasharma90 @vijayendrakumeria @anitahassanandani @imrashamidesai #Naagin4 🐍

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लॉकडाउन के चलते हुए नुकसान को एकता कपूर भी नहीं झेल पाईं और उन्होंने अपने सुपरनैचुरल शो ‘नागिन 4’ के बंद होने की घोषणा कर दी, जिसके बाद फैंस के गुस्से का भी सामना करना पड़ा. वहीं वह अलग बात है कि इस शो को बंद करने से पहले एकता ने इसे पूरा करने की तैयारी शुरू कर दी है.

बता दे, सीरियल्स की शूटिंग बंद होने के कारण कई टीवी और फिल्मों की शूटिंग पर रोक लग गई, जिसके कारण डेली ध्याड़ी पर काम करने वाले कलाकारों की आमदनी ठप्प हो गई थी. वहीं कुछ कलाकारों ने इसके चलते सुसाइड करने का फैसला ले लिया था.

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