#coronavirus: बैंकों की मेगा मर्जरी, कहीं आप भी तो नहीं इस बैंक के खाताधारक

लॉक डाउन में जहां देश में सब कुछ ठप सा है, वहीं 1 अप्रैल 2020 से देश के कुछ पब्लिक सेक्टर बैंकों का वजूद खत्म होने जा रहा है यानी ये बैंक अब अपनी पहचान हमेशाहमेशा के लिए खो देंगे.

जी हां, 1 अप्रैल, 2020 से देश के तमाम ग्राहकों का बैंक बदलने वाला है, जो देश के वित्तीय क्षेत्र का सब से बड़ा मर्ज होगा.

इन मर्ज बैंकों में इलाहाबाद बैंक, सिंडिकेट बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, आंध्र बैंक, कारपोरेशन बैंक वगैरह आते हैं.

रिजर्व बैंक के मुख्य महाप्रबंधक योगेश दयाल द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार इलाहाबाद बैंक की सभी शाखाएं 1 अप्रैल, 2020 से इंडियन बैंक की शाखाओं के रूप में काम करेंगी, वहीं इलाहाबाद बैंक के खाताधारक और जमाकर्ता सभी इंडियन बैंक के ग्राहक के तौर पर माने जाएंगे.

आंध्र बैंक और कार्पोरेशन बैंक की सभी शाखाएं यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के शाखा के तौर पर काम करेंगी. इन बैंकों के ग्राहक, खाताधारक और जमाकर्ता सभी यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के ग्राहक  माने जाएंगे.

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ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया की सभी ब्रांच पंजाब नेशनल बैंक यानी पीएनबी में मर्ज हो जाएंगी. इस का मतलब यह है कि इन दोनों बैंकों के ग्राहक अब पंजाब नेशनल बैंक के ग्राहक माने जाएंगे.

सिंडिकेट बैंक कैनरा बैंक में मर्ज हो रहा है. सिंडिकेट बैंक के सभी ग्राहक अब कैनरा बैंक के खाताधारक माने जाएंगे.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों के महाविलय की घोषणा करते हुए कहा कि केंद्र सरकार भारत को 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने को प्रतिबद्ध है. सरकार का फोकस बैंकिंग सेक्टर को मजबूत करने पर है. कर्ज बांटने में सुधार लाना सरकार की प्राथमिकता है.

उन्होंने यह भी कहा कि मर्ज होने के बाद सरकारी बैंकों की संख्या 27 से घट कर 12 रह जाएगी.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकारी बैंक चीफ रिस्क अफसर की नियुक्ति करेंगे, वहीं वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने कहा कि पूर्व में एसबीआई में जो भी बैंक मर्ज हुए, उस के कारण कोई छंटनी नहीं हुई और सेवा स्थिति पहले से बेहतर हुई है.

इस से पहले नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में भी बैंकों को मर्ज किया था. सब से पहले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में उस के 5 सहयोगी बैंकों- स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर और स्टेट बैंक ऑफ पटियाला के अलावा महिला बैंक को मर्ज किया गया.

1 अप्रैल 2017 से स्टेट बैंक में सहयोगी बैंकों का मर्ज प्रभावी हो गया, वहीं बैंक ऑफ बड़ौदा में विजया बैंक और देना बैंक का मर्ज हुआ.

बता दें कि पंजाब नेशनल बैंक देश का तीसरा सब से बड़ा बैंक माना जाता रहा है, इस से पहले एसबीआई यानी स्टेट बैंक इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा आते हैं.

वैसे, बैंक के विलय की योजना सब से पहले दिसंबर 2018 में पेश की गई थी.

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बैंकों के विलय का फैसला हर बैंक का निदेशक मंडल पहले ही ले चुका है. नरेंद्र मोदी की सरकार ने बीते साल अगस्त में बैंकों के मेगा मर्जरी का ऐलान किया था.

वहीं बैंक यूनियनों का मानना है कि बैंकिंग सेक्टर्स की समस्याओं का समाधान बैंकों के विलय से नहीं होगा. उन्होंने सरकार के इस कदम का विरोध किया है.

भले ही ये बैंकें अब दूसरी बैंकों में मर्ज हो रही हैं, फिलहाल अभी किसी भी बैंक के कर्मचारियों को निकालने की कोई योजना नहीं है. कहने का मतलब यह है कि ग्राहकों को घबराने की जरूरत नहीं है.

#coronavirus: lockdown से सुधरा हवा का मिजाज

देशभर में लॉक डाउन के कारण महानगरों समेत 104 शहरों में वायु प्रदूषण  के स्तर में 25 प्रतिशत तक की गिरावट आई है. दुनिया में बढ़ते वायु प्रदूषण से हर साल 10 लाख लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है. विश्व में हर 10 में से 9 लोग अशुद्ध हवा में सांस लेते हैं. एक रिपोर्ट में बताया गया है कि वायु प्रदूषण दुनिया भर के लोगों की आयु औसतन 3 साल कम कर रहा है. वायु प्रदूषण से सालाना 88 लाख लोग असमय मौत के मुंह में समा जाते हैं.

1. हर एक होता है प्रभावित

वायु प्रदूषण प्रत्येक व्यक्ति को प्रभावित करता है, चाहे वह अमीर हो या गरीब, बुढा हो या बच्चा, पुरूष हो या महिला, शहरी हो या ग्रामीण.  वायु प्रदूषण धीरे धीरे महामारी का रूप ले रहा है. हालांकि पिछले कुछ दशकों से धूम्रपान की तुलना में वायु प्रदूषण पर कम ध्यान दिया जा रहा है. हर साल मलेरिया की तुलना में यह तीन गुणा अधिक लोगों की जान लेता है.

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2. स्ट्रोक्स व लंग्स कैंसर का खतरा

लम्बे समय तक वायु प्रदूषण के सम्पर्क में रहने से हृदय और रक्त धमनियां प्रभावित होती हैं, जो मौत का बड़ा कारण है, वहीं लंग केंसर, श्वसन तंत्र संक्रमण और स्ट्रोक्स का आना, यह सब वायु प्रदूषण के चलते होता है.

3. वृद्धों के लिए सबसे नुकसानदेह

वृद्ध वायु प्रदूषण से सबसे प्रभावित होते हैं. वैश्विक स्तर पर देखा जाए तो वायु प्रदूषण की वजह से मरने वालों में ज्यादातर 60 साल से अधिक उम्र के 75 प्रतिशत लोग थे, कुल मिलाकर देखा जाए तो इससे सबसे ज्यादा मौतें होती हैं. ऐसे में यदि मानवीय गलतियों को सुधारा जाए तो वायु प्रदूषण से होने वाली दो तिहाई मौतों से बचाव संभव है.

4. वाहन कम चलने से हुआ हवा में सुधार

पिछली 22 मार्च से सड़कों पर वाहनों की बहुत कम आवाजाही से वायु प्रदूषण में बहुत फर्क पडा है. देशभर के विभिन्न शहरों में वायु प्रदूषण में पीएम 2.5 प्रदूषण की कमी देखी गई है.

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5. औद्योगिक क्षेत्रों मे काफी सुधार

उत्तर भारत के औद्योगिक शहरों के एक्यूआई में 80 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है. राजधानी के औद्योगिक केंद्र भिवाड़ी में हवा की गुणवत्ता में सबसे ज्यादा सुधार देखने को मिला है. भिवाड़ी का एक्यूआई 207 था, जो अब 42 अंक तक आ गया है.

#coronavirus: लौकडाउन के बीच…

लॉकडाउन‌‌ की खामोशी के लम्हों में नेचर की गुनगुनाहट को ध्यान से सुनो… फिर फील करो कि — लौकडाउन मुसीबत है या सेहत के लिए तोहफा.

घर में लोग परिवार के साथ समय बिता रहे हैं. हां,  कुछ लोग जरूर घर परिवार से दूर हैं. ऐसा भी लॉकडाउन की वजह से ही है. जो जहां था उसे वही ठहरना पड़ा .

भारत, इंडिया, हिंदुस्तान नाम से मशहूर हमारे देश के प्रधानमंत्री की 21 दिनों की लॉकडाउन कॉल पर देशवासी सरकार के साथ हैं. राज्य सरकार या स्थानीय प्रशासन ने कुछ शहरों में कर्फ्यू भी लगा दिया है.

लॉकडाउन के दौरान जिंदगी का एक हफ्ते का समय गुजर गया. चेहरों पर चिंताएं हैं . देश की सड़कों पर जिंदगी बसर करने वाला कहां जाए, रैनबसेरा हर शहर में नहीं. रेहड़ी पटरी वाले 21 दिनों तक कैसे गुजर करें, हर गरीब तक मदद नहीं पहुंच रही. जरूरी चीजों के अलावा दूसरे सामानों के छोटे दुकानदारों की स्थिति भी रोज कुआं खोदने जैसी है. निचले स्तर के कर्मचारी के पास पैसा नहीं, घर में राशन नहीं. मध्यवर्ग की आय के स्रोत बंद है. वेतनभोगी वेतन पर निर्भर हैं.

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दिल्ली में मेरे निवास के करीबी इलाकों कृष्णानगर, चंद्रनगर, खुरेजी, जगतपुरी में हर कैटेगरी के लोग रहते हैं. लोग व्यक्तिगत तौर पर तो कुछ कमेटियां और क्षेत्र के विधायक जरूरतमंदों को खाना राशन, दाल, सब्जी मुहैया कराने के साथ नकद रुपए भी दे रहे हैं. ऐसा इन इलाकों में ही नहीं, बल्कि पूरी दिल्ली में और देश की हर बस्ती के सभी इलाकों में हो रहा होगा.

कृष्णानगर विधानसभा क्षेत्र की एक सड़क के किनारे झुग्गियों में रहने वाले महिपाल, चांदनी, रफीकन, कुणाल, फहीम, फरजाना वगैरह लौकडाउन पर कुछ नहीं कहते. हालांकि, अपनी जिंदगी के बारे में वे सबकुछ सुनने व सुनाने को तैयार हैं.

झुग्गियों में रहने वाले ये सभी कोशिश करते हैं कि एक मीटर की दूरी बनाए रखें ताकि वे सेफ रह सकें. वे अपनी बेचारगी पर कहते हैं कि उन्हें तो सालभर मदद की जरूरत रहती है. उन परिवारों के पुरुष वह महिलाएं जो भी काम करते हैं उस से जीविका चलाना ही मुश्किल है. और, अब तो लॉकडाउन ने कमर तोड़ दी है. मौजूदा मदद के बारे में उन का कहना है कि विधायक जी द्वारा सूचित किए गए स्थलों में से एक स्थल पर जा कर वे दोपहर व शाम का खाना ले आते हैं.

लॉकडाउन की जिंदगी का दूसरा रूप यह है कि साधन संपन्न लोग घरों में परिवार सहित तरह-तरह के पकवान के चटखारे ले रहे हैं. साथ ही, वे दूसरों को ये पकवान खिला भी रहे हैं सोशल मीडिया पर ही सही. ऐसा व्हाट्सएप ग्रुप में देखा जा रहा है. व्हाट्सएप पर सुबह फ्रेंच फ्राइज तो दोपहर छोले भटूरे और शाम पूरी हलवा के साथ हो रही है.

लॉकडाउन की जिंदगी का एक रुख और. लोगों को कहीं जाना नहीं है, इसलिए वे खानापीना बहुत ही संतुलित ले रहे हैं. पौष्टिक तत्वों पर वे बहुत ध्यान दे रहे हैं. साथ ही, समय-समय पर नाश्ता, लंच व डिनर कर रहे हैं.

कुल मिलाकर लॉकडाउन के दौर में जिंदगी मुसीबतभरी तो है, लेकिन किसी के लिए स्वादभरी भी है, वहीं, कुछ के लिए सेहतभरी भी.

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#coronavirus: जानें क्या है कोरोना से जुड़े मिथ्स एंड फैक्ट्स

जितनी तेजी से कोरोना वायरस फैल रहा है, उसने  किसी देश, किसी जगह को  नहीं छोड़ा है  , उतनी ही तेजी से  फेक और अधपकी सूचनाएँ भी फैल रही हैं. और हम भी अपना दिमाग लगाए बिना इन सूचनाओं पर विश्वास कर रहे हैं.  जो सिर्फ हमें गलत जानकारियां देकर सच को झूट और झूट को सच मानने पर मजबूर कर रही हैं. ऐसे कठिन समय में आप  फेक न्यूज़ के जाल में न फंसे रहें , इसके लिए हम आपको कोरोना वायरस से जुड़े मिथ्स और फैक्ट्स से रूबरू करवाते हैं.  जानते हैं  इनके बारे में.

मिथ 1

– कोरोना वायरस से बचाव के लिए वैक्सीन तैयार हो गई है?

फैक्ट – अभी तक ऐसी कोई वैक्सीन तैयार नहीं की गई है , जो कोरोना वायरस को जड़ से ख़तम करें. हां , इस सच्चाई से इंकार नहीं किया जा सकता कि कोरोना वायरस की वैक्सीन को बनाने  को लेकर साइंटिस्ट्स जी जान से जुड़े हुए हैं. लेकिन अभी तक ऐसी कोई वैक्सीन तैयार नहीं हुई है जो इंसान के लिए पूरी तरह सेफ और कोरोना वायरस से लड़ने में पूरी तरह से सक्षम हो. क्योकि किसी भी वैक्सीन को बनने में कम  से कम  साल भर का समय लगता है.

इम्पीरियर कॉलेज लंदन के साइंटिस्ट प्रोफेसर रोबिन का कहना है कि कोई भी वैक्सीन शुरुआती समय में वायरस को सिर्फ रोक सकती है, ताकि बीमारी और न  फेले. फिर  इसके बाद ऐसी वैक्सीन तैयार की जाती है , जो इंसान के शरीर में मौजूद वायरस को पूरी तरह खत्म करने में सक्षम हो.

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मिथ 2

कोविद – 19 से बचाव करने में गरम पानी या फिर नमक का पानी काफी उपयोगी है ?

फैक्ट- अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि गरम पानी या नमक का पानी पीने से कोविद 19 के संक्रमण से बचा जा सकता है. अगर ऐसा होता तो किसी को भी यह वायरस बड़ी आसानी से अपनी गिरफ्त में नहीं ले पाता. आपको बता दें कि  अगर आप रोज़ाना नमक का पानी पी रहे हैं तो बी पी के मरीज़ों का इससे ब्लड प्रेशर  बढ़ने से यह उनके लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है. क्योंकि जहां सोडियम शरीर में फ्लड के संतुलन को बनाए रखने का काम करता है. लेकिन अगर ब्लड स्ट्रीम में  जरूरत से ज्यादा सोडियम हो  तो यह ब्लड वेसल्स में पानी अवशोषित करने लगता है, जिससे खून का बहाव बढ़ने से ब्लड प्रेशर काफी अधिक बढ़ जाता है.  हाँ  आपको , गरम पानी पीने  से  गला सूखने की समस्या से निजात जरूर मिल सकता  है.

इसके बजाए आप ये प्रयास करके अपनी व दूसरों की लाइफ को सेफ कर सकते हैं –

– बार बार साबुन या गरम पानी से हाथ धोए. इससे आप बैक्टीरिया के संपर्क में आने से बच पाएंगे.

– सर्दी जुखाम से ग्रस्त इंसान के संपर्क में कम से कम आये.

– रोज़ाना साफ़ कपड़े पहनें. क्योंकि इससे बैक्टीरिया आपकी बॉडी पर  ज्यादा  देर तक नहीं रह पाएंगे.

 मिथ 3 

चीनी सामान खरीदने से बीमार होने का डर?

फैक्ट- रिसर्च में यह साबित हुआ है कि ये नया वायरस कोविद -19  सरफेस पर ज्यादा देर तक नहीं रहता है. जबकि जिस चीनी सामान को आप खरीदने से डर रहे हैं वो कई दिनों, महीनों व हफ्तों से रखा हुआ होने के कारण आपके लिए उसे खरीदना किसी भी तरह से हानिकारक नहीं है. आपको बता दें कि  कोविद 19 तब होता है जब आप डायरेक्ट संक्रमित इंसान के संपर्क में आते हैं. जिसके कारण उसके खांसने , छींकने  से मुँह से निकली बूंदें आपके शरीर में प्रवेश कर जाती है.

मिथ 4

हर मास्क से कोविद 19 के संक्रमण से बचा जा सकता है?

फैक्ट- मार्किट में ढेरों ऐसे मास्क है जो सिर्फ कहने भर के लिए ही मास्क है. इसलिए हर मास्क कोविद 19 को नहीं रोक सकता. सच्चाई यह है कि अगर आपका मास्क टाइट फिटिंग का नहीं होगा तो  संक्रमित इंसान के मुँह से निकली छोटी छोटी बूंदें सीधे आपके मुँह में प्रवेश करके आपको संक्रमित कर सकती हैं या फिर आप उस संक्रमित इंसान को छूने  उसी हाथों को अपने मुँह, नाक या फिर आँखों को टच कर लें.

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मिथ 5

अख़बारों को छूने से फेल सकता है कोरोना वायरस ?

फैक्ट- वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के अनुसार, अभी तक इस बात का कोई प्रमाण नहीं है. भले ही अखबार कई हाथों से गुजरने के बाद हमारे हाथों में आता है लेकिन संक्रमण कई फैक्टर पर निर्भर करता है, जैसे वायरस का कितनी मात्रा में पहुंचना, सतह पर कितनी देर तक जीवित रहना आदि कारण इसके लिए  जिम्मेदार होते हैं. आपको बता दें कि वायरस पेपर या कपड़े की सतह पर बहुत कम समय रहता है.

इसलिए फेक न्यूज़ के जाल में न फसे.

#lockdown: फिल्म इंडस्ट्री के दिहाड़ी मजदूरों की Help करने आगे आए दबंग खान, पढ़ें पूरी खबर

कोरोना वायरस के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में 21 दिन के लॉकडाउन का ऐलान किया हुआ है, लेकिन रोज कमा कर खाने वाले मजदूरों को लॉक डाउन के समय अपनी बेसिक जरूरत की चीजों को जुटाने में बहुत ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.  उन्हें अपना पेट भरना मुश्किल हो रहा है. इसलिए पीएम मोदी ने हाल ही में पीएम केयर्स फंड के बारे में सबको बताया. उन्होंने कहा कि इसके जरिए कोई भी शख्स आसानी से कोरोना वायरस के खिलाफ चल रही इस जंग में आर्थिक मदद कर सकता है. उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर इस बारे में पूरी जानकारी दी.

ऐसी मुश्किल के समय बॉलीवुड के कई स्टार्स अपने-अपने तरीके से उन मजदूरों की सहायता करने में जुटे हुए हैं. अब बॉलीवुड के दबंग खान यानी सलमान खान ने भी अपने NGO बीइंग ह्यूमन के जरिए मजदूरों की सहायता करने का बीड़ा उठाया है। उन्होंने  फिल्म इंडस्ट्री के दिहाड़ी मजदूरों को रुपये  देकर सहायता करने का फैसला किया है.

 

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आपको बता दे फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लाइज (Federation of Western Indian Cine Employees) (FWICE) के मुताबिक, सलमान खान ने इंडस्ट्री के 25000 दिहाड़ी मजदूरों को आर्थिक रूप से मदद करने का फैसला लिया है.

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FWICE के प्रेसिडेंट बी एन तिवारी ने बताया कि सलमान खान अपने NGO बीइंग ह्यूमन के जरिए उनकेआर्गेनाईजेशन तक पहुंचे और मजदूरों के लिए मदद का हाथ आगे बढ़ाया. उन्होंने हमें  कुछ दिन पहले कॉल किया था. हमारे पास 5 लाख मजदूर हैं, जिनमें से 25000 को आर्थिक मदद की बेहद जरूरत है.

 

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Our utmost respect to all those people working selflessly and tirelessly to keep us safe. We are so lucky to have you.

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बीइंग ह्यूमन फाउंडेशन ने कहा कि वे उन सभी मजदूरों का ख्याल रखेंगे. उन्होंने इन 25000 मजदूरों की अकाउंट डिटेल्स मांगीं हैं, क्योंकि वे चाहते हैं कि मदद के पैसे सीधा मजदूरों के पास पहुंचे.’

बीएन तिवारी ने आगे बताया, ‘उन मजदूरों के अलावा 4,75,000 मजदूर हमारे पास और हैं, जिनको हम सपोर्ट कर रहे हैं. ये लोग एक महीने तक अपना काम चला सकते हैं. हमने उनके लिए राशन इकट्ठा किया है, लेकिन दुर्भाग्य से वे इसे लेने यहां नहीं आ सकते. लेकिन हम उन सभी मजदूरों तक पहुचाने की कोशिश कर रहें हैं.’

हमनें अन्य सेलेब्रिटीज से भी लेटर लिखाकर सहायता मांगी हैं. लेकिन उन्हें अभी तक कोई खास जवाब नहीं मिले हैं. उन्होंने कहा कि प्रोड्यूसर महावीर जैन ने खाने और जरूरी समान में मदद करने को कहा है.

 

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@cmomaharashtra_ @My_bmc @adityathackeray @rahulnarainkanal

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हाल ही में सिद्धार्थ मल्होत्रा, कियारा अडवाणी, करण जौहर, आयुष्मान खुराना, तापसी पन्नू, नितेश तिवारी संग अन्य ने दिहाड़ी मजदूरों को सपोर्ट करने का ऐलान किया था. I Stand With Humanity नाम के इनिशिएटिव के साथ ये स्टार्स दिहाड़ी मजदूरों को 10 दिन का जरूरी सामान और खाना पहुंचाने में मदद करेंगे.

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18 मार्च को Producers Guild of India ने फिल्म, टेलीविजन और वेब इंडस्ट्री के दिहाड़ी मजदूरों के लिए रिलीफ फंड बनाने का ऐलान किया था. कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन के ऐलान के बाद डायरेक्टर अनुराग कश्यप, सुधीर मिश्रा, विक्रमादित्य मोत्वाने संग अन्य ने दिहाड़ी मजदूरों के लिए चिंता जताई थी.

सलमान खान  की फिल्म की बात करें तो वह अपनी ‘राधे’ फिल्म की शूटिंग में बिजी चल रहे हैं लेकिन कोरोनावायरस के चलते कुछ समय के लिए उनकी फिल्म की शूटिंग रोक दी गई है.

#lockdown: फैमिली के साथ Tik-Tok पर छाईं शिवांगी जोशी, VIDEO VIRAL

सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है में इन दिनों कार्तिक (Mohsin Khan) और नायरा (Shivangi Joshi) की जिंदगी में मुसीबतें बढ़ी हुई हैं. वहीं दोनों की जिंदगी में नई खुशी भी आ गई है. दरअसल, शो में जल्द ही नायरा (Shivangi Joshi) की बेटी कायरा की एंट्री होने वाली है, जिसके चलते शो में नए-नए ट्विस्ट आ रहे हैं, लेकिन इसी बीच कोरोनावायरस के लौकडाउन के चलते शो की शूटिंग बंद कर दी गई है. दूसरी तरफ शो की कास्ट भी सोशल मीडिया पर रोजाना नई-नई वीडियो अपने फैंस के लिए शेयर कर रही है. हाल ही में नायरा के रोल में नजर आने वाली शिवांगी जोशी (Shivangi Joshi) की टिकटौक (Tik-Tok) वीडियो सोशल मीडिया पर छाई हुई हैं. आइए आपको दिखाते हैं सोशल मीडिया पर वायरल शिवांगी जोशी की टिक टौक वीडियोज….

 गढ़वाली गानों में टिक टौक बनाती दिखीं शिवांगी जोशी

रियल लाइफ में सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहने वाली शिवांगी जोशी (Shivangi Joshi) आए दिन अपने वीडियो और फोटोज शेयर करती रहती हैं. हाल ही में शिवांगी लौकडाउन के दौरान गढ़वाली गानों पर टिकटौक वीडियो बनाती नजर आईं. शिवांगी जोशी (Shivangi Joshi) पहाड़ी हैं, जिस कारण वह इन दिनों अपनी फैमिली के साथ उत्तराखंड में वक्त बिता रही हैं.

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डांस की शौकीन हैं शिवांगी

परदे पर नायरा (Shivangi Joshi) बेहद खूबसूरत डांस करती हुईं नजर आती हैं, लेकिन परदे के पीछे भी वह डांस की काफी शौकीन हैं, जिसका अंदाजा शिवांगी जोशी की ये टिकटौक वीडियो के जरिए लगाया जा सकता है.

लव-कुश के साथ भी नजर आईं शिवांगी

परदे पर लव-कुश भले ही नायरा से नाराज हैं, लेकिन परदे के पीछे वह शिवांगी के साथ काफी समय बिताते हैं. साथ ही वह शिवांगी के साथ मस्ती करते हुए टिक टौक वीडियो भी बनाते हैं, जिसे फैंस काफी पसंद करते हैं.

कायरव के साथ भी करती हैं मस्ती

शिवांगी जोशी शो के सेट पर अपने औनस्क्रीन बेटे यानी कायरव के साथ भी मस्ती करती हुई नजर आती हैं. वहीं कायरव के साथ टिक टौक वीडियो भी बनाती हुई नजर आती हैं.

शिवांगी जोशी की और टिकटौक वीडियो देखने के लिए क्लिक करें 

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बता दें, टिक टॉक पर शिवांगी जोशी के 5 मिलियन लोग फॉलोवर्स हैं. इसके साथ ही उनकी हर वीडियो पर कई मिलियन लाइक और कमेंट्स मिलते हैं.

#lockdown: फैमिली के लिए बनाएं दही पनीर के आलू

आलू की सब्जी हर घर में पसंद की जाती है. और अगर आलू की सब्जी में ही दही और पनीर का कौम्बीनेशन मिला दिया जाए तो यह आपकी फैमिली के लिए एक होटल ट्रीट हो जाएगी. दही पनीर के आलू की सब्जी बनाना बहुत आसान है. इसे आप चाहें तो लंच या डिनर कभी भी परोस सकते हैं.

हमें चाहिए

2 आलू चौकोर टुकड़ों में कटे

1 छोटा चम्मच पनीर

2 बड़े चम्मच दही

1 पैकेट रेडीमेड मसाला मैजिक

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1 बड़ा चम्मच तेल

1 छोटा चम्मच देगी मिर्च

थोड़ी सी धनियापत्ती कटी सजाने के लिए

नमक स्वादानुसार.

बनाने का तरीका

आलुओं को 2-3 मिनट के लिए उबलते पानी में डाल कर रखें. फिर पानी निथार दें.

पनीर को 1 चम्मच पानी के साथ मिला कर पेस्ट बना लें. एक पैन में तेल गरम कर पहले मैजिक मसाला भूनें फिर पनीर व दही मिला कर अच्छी तरह से भूनें.

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फिर अब 1/2 कप पानी मिलाएं. नमक डालें. ढक कर कुछ देर पकाएं. जब आलू गल जाएं तो आंच बंद कर दें. 1 चम्मच तेल में देगीमिर्च का छौंक बना कर सब्जी पर डाल दें. धनियापत्ती बुरक कर गरमगरम परोसें.

लंबी कहानी: कुंजवन (भाग-10)

पिछला भाग- लंबी कहानी: कुंजवन (भाग-9)

पर उस दिन रात भर वो सो नहीं पाए. आधी रात के बाद वो मोबाइल पर दबे गले से किसी से बात करते रहे. सुबह नाश्ता करते समय जानकीदास सामान्य लग रहे थे. बंटी के धमकी के विषय में उन्होंने कोई बात नहीं उठाई. यों ही साधारण बातें कर रहे थे. तनाव भी नहीं था उन के मुख पर. शिखा थोड़ी अवाक हुई. कल रात भी जब सोने गए थे तब भयानक तनाव में थे शिखा को चिंता थी कि कहीं उन की तबियत ना खराब हो जाए पर इस समय उन को देख लग ही नहीं रहा कि उन को कुछ भी चिंता है. चैन की सांस ली उस ने. हलकीफुलकी बातों के बीच में ही अचानक उन्होंने प्रश्न किया,

‘‘बेबी, क्या तू जानती है कि सुकुमार कहां है.’’ अवाक हुई शिखा. उस दिन की घटना को 5 वर्ष बीत गए. दादू ने कभी सुकुमार का नाम तक नहीं लिया और आज अचानक. उस ने अवाक हो दादू को देखा.

‘‘मैं…मुझे क्या पता दादू? मैं ने वचन दिया था कि उस से संपर्क नहीं रखूंगी.’’

बात संभालते जानकीदास ने कहा.

‘‘नहीं… कहीं रास्ते में या बाजार में दिखाई पड़ा हो.’’

‘‘ना दादू. कहीं नजर नहीं आया. आता तो बताती.’’

‘‘लड़का कहां खो गया.’’

‘‘खो ही गया होगा. इस शहर में उस के लिए है ही क्या. पर दादू आज इतने दिनों बाद उस की याद?’’

‘‘संकट की घड़ी में ही कोई भरोसे की जगह खोजता है.’’

‘‘वो होता भी तो इन बदमाशों से नहीं भिड़ पाता पर हां मेरा मनोबल बढ़ जाता.’’

‘‘बेटा अब तुझे फैसला लेना ही होगा. मेरी ढलती उम्र है किसी भी दिन चला जाऊंगा और तू इतने बड़े संसार में इतने बड़े कारोबार के साथ एकदम अकेली तेरे पापा को भी क्या जवाब दूंगा.’’

‘‘तुम शादी की बात कर रहे हो?’’

‘‘हां बेटा…’’

‘‘दौलत बुरी बला है. हम कैसे जानेंगे कौन किस चक्कर में है. अंदर ही अंदर वो बंटी से भी बुरा हुआ तो?’’

‘‘मध्यम दर्जे के शिक्षित परिवारों के बच्चे आमतौर पर चरित्रवान होते हैं. एक तो अय्याशी के लिए पैसा नहीं होता, दूसरा आगे बढ़ने की चाहत में वे इतने व्यस्त रहते हैं कि भटकने का समय ही नहीं होता उन के पास. उन्हीं में से…’’

‘‘कोशिश कर के देखा दादू. वो स्वयं ही पीछे हट जाएंगे. स्तर में थोड़ा अंतर चल जाता है पर इतना अंतर…’’

‘‘समझ में नहीं आता क्या करूं?’’

‘‘अंकल जी नमस्ते.’’

चौंके दोनों. नंदा बंटी की मां. जानकीदास ने अपने को संभाला.

‘‘खुश रहो. बैठो…इतने सवेरे.’’

‘‘आना पड़ा. मां जो हूं.’’

शिखा सामान्य रही,

‘‘नाश्ता करिए आंटी मौसी.’’

‘‘रहने दे, नाश्ता कर के ही आई हूं बस चाय.’’

‘‘बेटी, इतनी सवेरे सब ठीक तो है न?’’

‘‘कहां ठीक है. बंटी की तरफ देखा नहीं जाता. खाना, पीना, कामकाज सब छोड़ दिया है. बहुत चोट लगी है उसे. बचपन से प्यार करता था शिखा को. मैं और उस का दुख नहीं देख सकती. मंजरी होती तो यह शादी कब की हो जाती. अब आप है आप ही कुछ करिए. समझाइए बच्ची को. यह झगड़ा तो इन में बचपन से होता आया है फिर प्यार भी तो था.’’

शिखा ने बातों में भांप लिया.

‘‘ना आंटी. प्यार कभी भी नहीं था. बंटी तो इस शब्द का मतलब ही नहीं जानता और मेरी तरफ तो प्रश्न ही नहीं उठता. हां एक स्कूल में पढ़ते थे और घर का रास्ता उस के लिए खुला था क्योंकि मम्मा आप की सहेली थीं. बात बस इतनी सी ही थी इस से आगे और कुछ भी नहीं वो आप प्रचार कुछ भी करती रहें.’’

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‘‘ना बच्चे वो बहुत प्यार करता है तुम से.’’

‘‘ठीक उसी तरह जूली, रीता, नीना को भी करता है. आप कितनी बहुएं लाएंगी.’’

‘‘तेरी मां ने ही यह रिश्ता जोड़ा था कम से कम उस का मान रख.’’

‘‘रिश्ता नहीं जोड़ा था गले तक शराब पी उलटापलटा बोल रही थी उसी को आप ने तुरुप का इक्का बना लिया बाजी जीतने के लिए.’’

‘‘अंकल, आप कुछ नहीं कहेंगे?’’

‘‘बेटा, रिश्ता तो मेरा गहरा है शिखा के साथ. मेरा खून है. पर मैं इस घर में आया था एक वेतन पाने वाला मामूली कर्मचारी बन कर और आज भी वही हूं. मालिकों के किसी भी फैसले का पालन करना मेरी ड्यूटी है उन को अपनी राय देना नहीं. मैं शिखा के व्यक्तिगत मामले में एक शब्द नहीं बोल सकता.’’

उस के जाने के बाद जानकीदास थोड़े चिंतित दिखाई दिए.

‘‘यह मेहता परिवार के हाथ में अंतिम तीर था. वो भी निशाना चूक गया. अब यह डेसपरेट हो कर कुछ भी कर सकते हैं. बेबी, सावधान.’’

‘‘वो तो हूं मैं दादू. दादू, एक बात है. तुम को कई बार आधी रात को मोबाइल पर बात करते देखा है. किस से बात करते हो?’’

मानो चोरी करते पकड़े गए हों ऐसे सहमते हुए बोले,

‘‘अरे वो… वो शंकर… वो करता है कनाडा से. समय का बहुत अंतर है न जब उसे फुरसत होती है तब यहां आधी रात हो जाती है. साफ पता चल रहा था कि वो सच नहीं बोल रहे. आश्चर्य हुआ दादू और उस से झूठ बोलें पर बोल तो रहे हैं. पर क्यों?’’

‘‘इस बार मेरी भी बात कराना अंकल से.’’

‘‘हांहां जरूर.’’

‘‘दादू, मैं ने सुकुमार से रिश्ता तोड़ा उसे मुंह दिखाने से मना किया. तुम को बहुत बुरा लगा था ना?’’

‘‘बुरा लगने से ज्यादा दुख हुआ था उस से भी ज्यादा आश्चर्य हुआ था. तू तो मां के हर फैसले के विरोध में उलटी दिशा में चलती थी. मां के कहने पर चलने वाली तो कभी नहीं थी. फिर मां के इतने बड़े फैसले के सामने कैसे घुटने टेक दिए? सुकुमार को जीवन से उखाड़ फेंक दिया? ’’

‘‘कारण था जो मैं ने आज तक किसी को नहीं बताया. आज तुम को बता रही हूं. मैं ने उस दिन मम्मा के फैसले के सामने घुटने टेके थे सुकुमार के कारण.’’

‘‘सुकुमार के लिए?’’

‘‘हां दादू, नहीं तो मैं उसे बचा नहीं पाती.’’

‘‘मेरी समझ में कुछ भी नहीं आ रहा.’’

‘‘मम्मा ने उस की हत्या के लिए सुपारी दी थी.’’

सिहर उठे जानकीदास.

‘‘बेबी.’’

‘‘हां दादू. मम्मा ने मेरे सामने प्रस्ताव रखा था या तो मैं उसे अपने जीवन से हटा दूं नहीं तो वे उसे दुनिया से हटा देंगी. मेरे लिए अपने जीवन की खुशी से सुकुमार के जीवन का मूल्य बहुत ज्यादा था तो उसे अपने से दूर कर दिया.’’

‘‘शिव…शिव… कोई मां इतनी भयंकर हो सकती है?’’

‘‘मेरी मां तो थी.’’

‘‘सुकुमार जानता है इस बात को?’’

‘‘नहीं. उस दिन के बाद मिला ही नहीं. दादू कहां होगा वो?’’

अनमने हो गए वो.

‘‘पता नहीं पर तुम दोनों का प्यार समर्पण सच्चा है, ईश्वर तुम दोनों को जरूर मिलाएंगे.’’

पहली बार शिखा के आंसू ढुलक कर गालों पर बह आए.

आज चंदन घर पर नहीं आफिस में आया. पहले पूछ लिया था कि वो समय दे पाएगी या नहीं. शिखा के पास आज विशेष काम नहीं था, कोई मीटिंग भी नहीं थी तो उसे बुला लिया. चंदन आया और आते ही एक कार्ड बढ़ा दिया.

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‘‘शिखा, अगले शुक्रवार शाम सात बजे मेरे घर आना है जरूर. डिनर है?’’

‘‘किस बात का डिनर है.’’

‘‘मेरे बेटे का मुंडन है.’’

‘‘अरे तू पापा बन गया. कितनी खुशी की बात है.’’

‘‘तू जरूर आना. सभी पुराने साथी आएंगे.’’

‘‘सभी…’’

‘‘जो घनिष्ठ थे वो सभी. दिल्ली के सभी तो हैं ही. जो देश के बाहर हैं वो भी आने की कोशिश करेंगे.’’

शिखा के मुंह से निकला.

‘‘सुकुमार?’’

‘‘बस वही रह गया. उस का अतापता, नंबर लेना. हां घर का पता पूछा था. पर कहा अनाथों के ठिकाने नहीं होते,’’ शिखा हंसी.

‘‘पागल है अभी भी. वही भावुक बातें.’’

‘‘हां शिखा. चालाक, स्वार्थी लोगों को झेलतेझेलते जब हमारा मन घबरा उठता है तो जीने के लिए ऐसे दोचार पागलों की जरूरत होती है जो ताजी हवा का झोंका लाए और हमारा मन भी ताजगी से भर उठे. वैसे मैं दिल से उसे बुलाना चाहता हूं तो एक उपाय सोचा भी था.’’

‘‘वो क्या?’’

‘‘उस दिन कहा था ना वो इस समय लोकप्रिय लेखक है. उस की कई उपन्यास और कहानी संग्रह प्रकाशित हुई हैं. ‘नीलकमल प्रकाशन’ से. उस के मालिक हैं विनोद गोयल हमारे बाबूजी के दोस्त हैं. सोचा था लेखक का पता ठिकाना उन के पास तो होता ही है. पर पता चला कि सुकुमार स्वयं जा कर स्क्रिप्ट दे कर आता है. स्वयं ही अपनी कापी और पैसे ले आता है. बीच में कुछ जरूरत हो तो आ जाता है. नंबर या पताठिकाना उन को भी नहीं मालूम. हर किताब में लेखक का फोटो और संपर्क छपता है. यह वो भी नहीं देता.’’

‘‘ऐसा क्यों करता है?’’

‘‘सीधा सा जवाब है तेरे सामने नहीं आना चाहता. तू ने ही तो उसे मुंह दिखाने से मना किया था न.’’

‘‘चंदन. प्लीज…मैं मजबूर थी.’’

‘‘इतनी बड़ी मजबूरी की हीरा छोड़ कांच… जाने दे. आना जरूर’’

‘‘बच्चा कितना बड़ा है चंदन.’’

‘‘डेढ़ वर्ष का. पर तेरा आशीर्वाद ही चाहिए बस. उस के जाने के बाद देर तक चुप बैठी रही. दादू का दुख समझती है. वास्तव में उस के सभी साथियों का विवाह हो गया है. एकएक दोदो बच्चे भी हो गए. बस वो ही अकेली रह गई है. पर वो करे क्या? वो किसी दूसरे को सुकुमार की जगह देने की सोच भी नहीं सकती. भले ही उसी की भलाई के लिए उस के साथ अमानवीय व्यवहार किया हो पर वो आज भी उसी को समर्पित है.’’

हल है न: भाग-3

नवल भैया के दोस्त हो कर तुम सब छोटी बहन से ऐसी हरकतें कर रहे हो? आंटी बिस्तर से उठ नहीं सकतीं, उज्ज्वल छोटा है और भैया होश में नहीं… इस सब का फायदा उठा रहे हो… गैट आउट वरना अभी पुलिस को कौल करती हूं. यह रहा 100 नंबर,’’ मोबाइल स्क्रीन पर रिंग भी होने लगी. उस ने स्पीकर औन कर दिया.

रिंग सुनाई पड़ते ही सब नौ दो ग्याह हो लिए. तब उज्ज्वल ने लपक कर दरवाजा बंद कर दिया. शुचि ने फोन काट दिया. अचानक फिर फोन बज उठा, ‘‘हैलो पुलिस स्टेशन.’’

‘‘सौरी… सौरी सर गलती से दब गया था. थैंक्यू.’’

‘‘ओके,’’ फोन फिर कट गया. उस के बाद तीनों नवल को उस के बिस्तर तक पहुंचाने की कोशिश में लग गए.

सुबह करीब सात बजे नवल जागा. सिर अभी भी भारी था. उस ने अपना माथा सहलाया, ‘‘कल रात कुछ ज्यादा ही हो गई थी. थैंक्स राजन, विक्की, सौरभ और राघव का जो उन्होंने मुझे फिर घर पहुंचा दिया सहीसलामत.’’

उन्हें थैंक्स कहने के लिए नवल मोबाइल उठाया ही था कि शुचि सामने आ गई.

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‘‘अरे शुचि, तू कब आई? अचानक कहां चली गई थी तू? मोहसिन क्या मिल गया हम सब को ही भूल गई,’’ वह दिमाग पर जोर दे कर मुसकराया.

‘‘नमस्ते भैया. मैं मोहसिन नहीं मलय के साथ विदेश चली गई थी. डेढ़ साल के लिए… पर आप तो यहां रह कर भी यहां नहीं रहते… अपने घरपरिवार को ही जैसे भूल गए हैं.’’

‘‘क्या मतलब?’’

‘‘बहुत बुरा लगा सब बदलाबदला देख कर… अंकल नहीं रहे, आंटी बैड पर हो गईं, भाभी परी को ले कर मायके चली गईं और आप…’’

‘‘हां शुचि वक्त ऐसे ही बदलता है… एक मिनट मैं ब्रश कर के आता हूं तू बैठ.’’

दीप्ति वहीं चाय ले कर चली आई थी. बाथरूम से जब नवल आया तब तक शुचि कैमरा उस के टीवी से अटैच कर चुकी थी. उस ने रिमोट नवल के हाथों में थमाते हुए कहा, ‘‘आप औन कर के देखो भैया, इस कैमरे से बहुत अच्छी वीडियो बनाया है. यह कैमरा दीप्ति के लिए विदेश से लाई हूं… मैं अभी आई भैया आप तब तक देखो.’’ और दोनों अंदर चली गईं.

‘‘वैरी गुड,’’ कह कर नवल तकिए के सहारे बैठ गया. और टीवी औन कर के चाय का कप उठाने लगा.

वीडियो चल पड़ा था. उस की नजर स्क्रीन पर गई, ‘अरे यह तो मैं, मेरे दोस्त मेरा ही वीडियो… ड्राइंगरूम… वही कपड़े यानी कल… वह वीडियो देखता गया और गुस्से और शर्म से भरता चला गया. छि… मैं उन्हें अपना अच्छा दोस्त समझता था… वे मेरी बहन दीप्ति के साथ शिट… शिट…’ उसे दोस्तों से ज्यादा अपनेआप पर क्रोध आने लगा. वह दोनों हाथों से अपना चेहरा ढक अपनी शर्म और गुस्सा छिपाने का प्रयास करने लगा.

तभी शुचि आ गई. वीडियो खत्म हो चुका था.

‘‘भैया… भैया,’’ कह कर उस ने नवल के चेहरे से उस के हाथ हटा दिए, ‘‘दीप्ति और आंटी के लाख कहने पर भी आप अपने दोस्तों की असलियत जाने बिना उन के खिलाफ कुछ नहीं सुनते थे, इसलिए मुझे यह करना पड़ा… सौरी भैया.’

‘‘अरे तू सौरी क्यों बोल रही है… गलती तो मेरी है ही और वह भी इतनी बड़ी… सही किया जो मेरी आंखें खोल दीं. कितना जलील किया है मैं ने दीप्ति को. उज्ज्वल पर भी क्या असर पड़ता होगा और मां को तो मैं इस हालत में भी मौत की ओर ही धकेले जा रहा होऊंगा. शराब ने मुझे इतना गिरा दिया कि अपनों को छोड़ मैं गैरों पर विश्वास करने लगा. उन्हीं के बहकावे में मैं ने लतिका को भी घर से जाने के लिए मजबूर कर दिया. वह मेरी नन्ही परी को ले कर चली गई. वह सिसक उठा. रोज सुबह सोचता हूं नहीं पीऊंगा अब से पर कमबख्त लत है कि छूटती नहीं… शाम होतेहोते मैं… उफ,’’ उस का चेहरा फिर उस की हथेलियों में था.

‘‘छूटेगी जरूर भैया, अगर आप मन में ठान लें… चलेंगे भैया?’’

पूछने के अंदाज में उस ने सिर उठाया, ‘‘कहां?’’

‘‘चलिए आज ही चलिए भैया जहां मैं अपने मियांजी को ले गई थी उन के गुटके की आदत को छुड़वाने के लिए. मेरे घर के पास ही तो है नशामुक्ति केंद्र. मेरे कुलीग के भाई अमन हवां के हैड बन गए हैं,’’ कह कर वह मुसकराई थी, ‘‘चलेंगे न भैया.’’

नवल ने हां में सिर हिलाया, तो पास खड़ी दीप्ति नवल से लिपट खुशी से रो पड़ी. नवल ने उस के सिर पर हाथ फेरा और सीने से लगा लिया. शुचि भी नम आंखों से मुसकरा उठी.

शुचि की शादी की वर्षगांठ पर दीप्ति उस के घर आई थी.

‘‘अब तो नवल भैया ठीक हो गए हैं… अब उदास क्यों है? तेरी भाभी को भी अब जल्दी लाना होगा. तभी तो मैं अपनी भाभी को ला पाऊंगी… पर तू हां तो कर पहले.’’

‘‘मतलब?’’

‘‘मतलब यह तू अमन को पसंद है. मैं ने बहुत पहले अमन से तेरा गुटका बदलने वाला उपाय शेयर किया था तो वे खूब हंसे थे. और तभी से वे तुम से यानी बीरबल से मिलना चाहते थे. वे भी आए हैं मिलेगी उन से?’’

 

‘‘तू पागल है क्या?’’ दीप्ति के लाज और संकोच से कान लाल हो उठे.

तभी अमन को वहां से गुजरते देख शुचि बोली, ‘‘अमन, अभीअभी मैं आप को ही याद कर रही थी… आप मिलना चाहते थे न मेरी बीरबल दोस्त से… यही है वह मेरी प्यारी दोस्त दीप्ति…’’

दीप्ति नमस्ते कर नजरें झुकाए खड़ी थी. अमन से नजरें मिलाने का साहस उस में न था. उस ने महसूस किया, अमन मंदमंद मुसकरा रहा है. सच जानने के लिए उस की पलकें अपनेआप उठीं फिर झुक गईं. अमन कभी दीप्ति को देखता तो कभी शुचि को और फिर मंदमंद मुसकराए जा रहा था. दीप्ति की धड़कनें तेज होने लगी थीं.

‘‘अरे अमन अब कुछ बोलो भी.’’

शुचि दीप्ति से अमन की ओर इशारा करते हुए बोली, ‘‘अब बता बनेगी मेरी भाभी?’’

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अमन ने खुशी को छिपाते हुए बनावटी गुस्से से शुचि को आंख तरेरीं तो उधर दीप्ति ने भी शरमा कर आंखें झुका लीं. शुचि के मुंह से अमन की तारीफें सुन कर और अपने भैया को ठीक करने वाले अमन को साक्षात देख कर वह पहले ही प्रभावित थी.

‘‘वाह, अब जल्दी से आंटी को खुशी की यह खबर देनी होगी,’’ कह कर शुचि ने दीप्ति को बांहों में भर लिया.

#coronavirus: Quarantine टाइम को बनाएं क्वालिटी टाइम

कोरोना महामारी की भयावहता को देखते हुये भारत सरकार द्वारा राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन का निर्णय लिया गया है जिसे सुनकर हर दिमाग बौखला गया है. इस वाइरस की दहशत ने बेराजी ही सही लेकिन हर व्यक्ति को इस फैसले को मानने को मजबूर कर दिया है.

हम हमेशा से पढ़ते-सुनते आए हैं कि व्यक्ति को हर प्रतिकूल परिस्थिति का सामना धर्य के साथ सकारात्मक सोच अपनाते हुये करना चाहिए. आज की परिस्थितियों में यह फॉर्मूला अत्यंत प्रभावी है.

अब निशा को ही देखिये. लॉकडाउन के कारण कानपुर पढ़ने वाली उसकी बेटी घर आ गई. पति का ऑफिस और छुटकी का स्कूल भी बंद है. घर से बाहर कहीं आना-जाना नहीं. ऐसे में चारों जने घर के बर्तनों कि तरह जब-तब टकराने लगते हैं. कहाँ तो निशा अपने परिवार के साथ इस तरह के समय को तरसती रहती थी और कहाँ अब हर समय इस कैद से आजादी के लिए छटपटा रही है.

निशा ही नहीं बल्कि हर परिवार इस गंभीर समस्या से जूझ रहा है. ऐसे में क्यों न इस क्वान्टिटी टाइम को क्वालिटी टाइम बनाने की कोशिश की जाये.

क्या करें

सुबह जल्दी उठने की जल्दबाज़ी न करें और अपने तन-मन को आराम दें.

घर के सभी सदस्य एक साथ योगा-कसरत, मेडिटेशन आदि करें.

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साफ-सफाई आदि का कोई काम पेंडिंग हो तो सब मिलकर उसे निपटाये.

पति एवं बच्चों से अधिकारपूर्वक रसोई में मदद करने के लिए कहें. मिलकर बनाएँ… मिलकर खाएं…

लूडो, कैरम, शतरंज जैसे इनडोर गेम खेलें. घर में उपलब्ध नहीं हों तो इंटरनेट का सहारा लिया जा सकता है.

कॉमेडी मूवी देखें ताकि मानसिक तनाव कम हो.

दोस्तों, सहेलियों, रिशतेदारों से विडियो कॉलिंग के जरिये संपर्क बनाए रखें.

विडियो चैट के माध्यम से ऑनलाइन अंत्याक्षरी खेली जा सकती है.

खुली छत हो तो सुबह या शाम के समय टहलें. प्रकृति और पक्षियों की चहचहाट सकारात्मकता बढ़ाती है.

यदि कोई बुजुर्ग घर में है तो उनके अनुभवों का लाभ उठाएँ. छोटा बच्चा तो स्वयं ही पूरे घर का मनोरंजन करने में सक्षम है. उसकी बाल सुलभ क्रियाओं का आनंद लें.

पूरे दिन में परिवार का हर सदस्य घंटा-दो घंटा अवश्य ही किसी रचनात्मक कार्य में लगाए. इससे भी सकारात्मकता बढ़ती है.

जो शौक घर की चारदीवारी में पूरे किए जा सकते हैं उन्हें करें. सिलाई-बुनाई… कुकिंग-बेकिंग… पढ़ना-लिखना… ड्राइंग-पेंटिंग… गीत-गजल सुनना इसमें शामिल हैं.

क्या ना करें

परिवार का कोई सदस्य यदि देर तक सोना चाहता है तो उस पर जल्दी उठने का दबाव बनाकर उसका मूड खराब न करें.

हर समय टीवी पर ना चिपके रहें. यह भी तनाव बढ़ाता है.

अपने खाली दिमाग को शैतान का घर न बनने दें. न अफवाहों पर ध्यान दें और ना ही उन्हें फैलाने में सहायक बनें.

बच्चे यदि अपने दोस्तों के साथ ग्रुप चैट कर रहे हैं तो उन्हें रोकटोक कर घर में अनावश्यक तनाव न बढ़ाएँ बल्कि खुश हों कि कम से कम वे व्यस्त तो हैं.

घरेलू काम को लेकर चिकचिक ना करें क्योंकि किसी को भी देर नहीं हो रही है.

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ऊपर दी गई क्या करें और क्या ना करें की सूची देखकर ही लग रहा है कि यहाँ करने वाले कार्यों की सूची न करने वाले कार्यों से कहीं अधिक लंबी है. इसलिए अब यदि हमें क्वान्टिटी टाइम मिला है तो इसे क्वालिटी टाइम में बदल कर  इसका सदुपयोग करें. खुद भी खुश रहें और अन्य सदस्यों की खुशी में भी भागीदार बनें.

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