Paratha Recipe : घर पर बनाना चाहते हैं क्रिस्पी पराठा, तो आजमाएं ये रेसिपी

Paratha Recipe : नाश्ते में चाय के साथ गरमागरम पराठे मिल जाए, तो फिर खाने का मजा ही कुछ और होता है. पराठे खाने में बहुत स्वादिष्ट लगते हैं. घर पर इसे बनाना काफी आसान है. लेकिन कई लोगों की शिकायत होती है कि वे खुद से घर पर पराठे नहीं बना पाते हैं. ऐसे में आज हम आपको लजीज पराठे की आसान रेसिपी बताएंगे, जिन्हें फौलो कर आप आसानी से बना सकते हैं.

मेथी के पराठे

1 कप गेहूं का आटा

ताजा मेथी के पत्ते बारीक कटे हुए

बारीक कटी हुई हरी मिर्च

1 बड़ा चम्मच अदरक, कद्दूकस किया हुआ

नमक (स्वादानुसार)

1-2 बड़ा चम्मच तेल या घी

बनाने की विधि

एक बड़े मिक्सिंग बाउल में, गेहूं का आटा लें.

आटे में बारीक कटी हुई मेथी के पत्ते डालें.

जीरा, अदरक और नमक मिक्स करें.

धीरे-धीरे पानी डालें, थोड़ा-थोड़ा करके, नरम आटा गूंथ लें.

आटे को 3-5 मिनट तक चिकना और लचीला होने तक गूंथें.

गीले कपड़े से ढककर लगभग 10-15 मिनट के लिए रख दें.

आटे को बराबर आकार की लोइयों में बांट लें.

रोलिंग सतह पर थोड़ा सा मैदा छिड़कें और प्रत्येक लोई को चपटा, गोल पराठा बेलें. आप इसे अपनी पसंद के अनुसार पतला या मोटा बना सकते हैं.

मध्यम आंच पर तवा या कड़ाही गरम करें. गरम होने पर, उस पर बेले हुए पराठे को रखें.

दोनों तरफ से सुनहरा भूरा रंग होने तक पकाएं.

गरम मेथी पराठों को दही, अचार या अपनी पसंद की करी के साथ परोसें.

पनीर पराठा

सामग्री

1 कप गेहूं का आटा, अदरक टुकड़ों में कटा हुआ, 1 टेबल स्पून लहसुन, कद्दूकस किया हुआ आधा कप पनीर, स्वादानुसार नमक, 1 चम्मच आचार

बनाने की वि​धि

सबसे पहले गेहूं का आटा लें और इसे पानी से गूंथ लें.

इसे 15 मिनट के लिए छोड़ दें.

तब तक फीलिंग के लिए पनीर को कद्दूकस कर लें, उसमें कटा हुआ अदरक, लहसुन, एक चम्मच मिक्स अचार और स्वादानुसार नमक डालें.

इन्हें तब तक अच्छी तरह मिलाएं जब तक फ्लेवर आपस में मिल न जाएं.

इसके बाद आटे को बेल कर बीच में स्टफिंग भर दें.

आटे को बंद करके फिर से बेल लें.

फिर एक पैन गरम करें और अपने अचारी पनीर पराठे को मीडियम से तेज आंच पर तब तक सेकें जब तक कि क्रिस्पी न हो जाए.

नाना पाटेकर और सनी देओल एक साथ फिल्म वनवास में आएंगे नजर?

नाना पाटेकर (Nana Patekar) और सनी देओल चार दशक से फिल्मों में काम कर रहे हैं . लेकिन आज तक दोनों लीजेंड एक्टर्स ने किसी भी फिल्म में एक साथ काम नहीं किया. हाल ही में नाना पाटेकर और अनिल शर्मा के बेटे उत्कर्ष शर्मा अभिनीत फिल्म वनवास की प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जब नाना पाटेकर से सनी देओल के साथ काम करने को लेकर सवाल किया गया , तो नाना ने मजाकिया अंदाज में कहा मैं भी सनी के साथ काम करना चाहता हूं.

लेकिन अगर मैं गदर फिल्म में अमरीश पुरी वाले रोल की तरह अगर सनी देओल से मार खाऊंगा तो दर्शकों को बिल्कुल अच्छा नहीं लगेगा. इसलिये अगर मुझे सनी के साथ कोई अच्छा रोल औफर होता है तो  मैं वह फिल्म जरूर करना चाहूंगा. वहीं दूसरी तरफ सनी देओल ने भी एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान नाना पाटेकर के साथ फिल्म करने की इच्छा जताई है. इसी के चलते डायरेक्टर अनिल शर्मा ने नाना और सनी को अपनी अगली फिल्म में एक साथ लाने का वादा किया है. ऐसे में कहना गलत ना होगा की अनिल शर्मा की अगली फिल्म में नाना पाटेकर और सनी देओल पहली बार एक साथ नजर आ सकते हैं. जो  वनवास की रिलीज के बाद अनिल शर्मा की अगली फिल्म होगी.

Romantic Story- लौंग डिस्टैंस रिश्ते: क्यों अभय को बेईमान मानने को तैयार नहीं थी रीवा ?

‘‘हैलो,कैसी हो? तबीयत तो ठीक रहती है न? किसी बात की टैंशन मत लेना. यहां सब ठीक है,’’ फोन पर अभय की आवाज सुनते ही रीवा का चेहरा खिल उठा. अगर सुबहशाम दोनों वक्त अभय का फोन न आए तो उसे बेचैनी होने लगती है.

‘‘मैं बिलकुल ठीक हूं, तुम कैसे हो? काम कैसा चल रहा है? सिंगापुर में तो इस समय दोपहर होगी. तुम ने लंच ले लिया? अच्छा इंडिया आने का कब प्लान है? करीब 10 महीने हो गए हैं तुम्हें यहां आए. देखो अब मुझे तुम्हारे बिना रहना अच्छा नहीं लगता है. मुझे यह लौंग डिस्टैंस मैरिज पसंद नहीं है,’’ एक ही सांस में रीवा सब कुछ कह गई.

बेशक उन दोनों की रोज बातें होती हैं, फिर भी रीवा के पास कहने को इतना कुछ होता है कि फोन आने के बाद वह जैसे चुप ही नहीं होना चाहती है. वह भी क्या करे, उन की शादी हुए अभी 2 साल ही तो हुए हैं और शादी के 2 महीने बाद ही सिंगापुर की एक कंपनी में अभय की नौकरी लग गई थी. वह पहले वहां सैटल हो कर ही रीवा को बुलाना चाहता था, पर अभी भी वह इतना सक्षम नहीं हुआ था कि अपना फ्लैट खरीद सके. ऊपर से वहां के लाइफस्टाइल को मैंटेन करना भी आसान नहीं था. कुछ पैसा उसे इंडिया भी भेजना पड़ता था, इसलिए वह न चाहते हुए भी रीवा से दूर रहने को मजबूर था.

‘‘बस कुछ दिन और सब्र कर लो, फिर यह दूरी नहीं सहनी पड़ेगी. जल्द ही सब ठीक हो जाएगा. मैं ने काफी तरक्की कर ली है और थोड़ाबहुत पैसा भी जमा कर लिया है. मैं बहुत जल्दी तुम्हें यहां बुला लूंगा.’’

अभय से फोन पर बात कर कुछ पल तो रीवा को तसल्ली हो जाती कि अब वह जल्दी अभय के साथ होगी. पर फिर मायूस हो जाती. इंतजार करतेकरते ही तो इतना समय बीत गया था. बस यही सोच कर खुश रहती कि चलो अभय उस से रोज फोन पर बात तो करता है. बातें भी बहुत लंबीलंबी होती थीं वरना एक अनजाना भय उसे घेरे रहता था कि कहीं वह वहां एक अलग गृहस्थी न बसा ले. इसीलिए वह उस के साथ रहने को बेचैन थी. वैसे भी जब लोग उस से पूछते कि अभय उसे साथ क्यों नहीं ले गया, तो वह उदास हो जाती. दूर रहने के लिए तो शादी नहीं की जाती. उस की फ्रैंड्स अकसर उसे लौंग डिस्टैंस कपल कह कर छेड़तीं तो उस की आंखें नम हो जातीं.

‘‘रीवा, तुम्हारे लिए खुशी की बात है. मेरे पास अब इतने पैसे हो गए हैं कि मैं तुम्हें यहां बुला सकूं. तुम आने की तैयारी करना शुरू कर दो. जल्द ही मैं औनलाइन टिकट बुक करा दूंगा. फिर हम घूमने चलेंगे. बोलो कहां जाना चाहती हो? मलयेशिया चलोगी?’’

यह सुनते ही रीवा रो पड़ी, ‘‘जहां तुम ले जाना चाहोगे, चल दूंगी. मुझे तो सिर्फ तुम्हारा साथ चाहिए.’’

‘‘तो फिर हम आस्ट्रेलिया चलेंगे, बहुत ही खूबसूरत देश है.’’

अभय से बात करने के बाद रीवा का मन कई सपने संजोने लगा. अब जा कर उस का सही मानों में वैवाहिक जीवन शुरू होगा. वह खरीदारी और पैकिंग करने में जुट गई. रात को भी अभय से बात हुई तो उस ने फिर बात दोहराई. अभय के फोन आने का एक निश्चित समय था, इसलिए रीवा फोन के पास आ कर बैठ जाती थी. लैंडलाइन पर ही वह फोन करता था.

उस दिन भी सुबह से रीवा अभय के फोन का इंतजार कर रही थी. लेकिन समय बीतता गया और फोन नहीं आया. ऐसा तो कभी नहीं हुआ था कि फोन न आए. सोचा कि बिजी होगा, शायद बाद में फोन करे. पर उस दिन क्या, उस के बाद तो 1 दिन बीता, 2 दिन बीते और धीरेधीरे

10 दिन बीत गए, पर अभय की न तो कोई खबर आई और न ही फोन. पहले तो उसे लगा कि शायद अभय का सरप्राइज देने का यह कोई तरीका हो, पर वक्त गुजरने के साथ उस के मन में बुरेबुरे खयाल आने लगे कि कहीं कोई दुर्घटना तो नहीं घट गई. उस के मोबाइल पर फोन किया तो स्विचऔफ मिला. कंपनी के नंबर पर किया तो किसी ने ठीक से जवाब नहीं दिया.

सिंगापुर में अभय एक फ्रौड के केस में फंस गया था. 10 दिनों से वह जेल में बंद था. उसे लगा कि अगर रीवा को यह बात पता चलेगी तो न जाने वह कैसे रिऐक्ट करे. कहीं वह उसे गलत न समझे और यह सच मान ले कि उस ने फ्रौड किया है. कंपनी ने भी उसे आश्वासन दिया था कि वह उसे जेल से बाहर निकाल कर केस क्लोज करा देगी. इसलिए अभय ने सोचा कि बेकार रीवा को क्यों बताए. जब केस क्लोज हो जाएगा तो वह इस बात को यहीं दफन कर देगा. इस से रीवा के मन में किसी तरह की शंका पैदा नहीं होगी कि उस का पति बेईमान है.

असल में अभय जिस कंपनी में फाइनैंशियल ऐडवाइजर था, उस के एक क्लाइंट ने उस पर 30 हजार डौलर की गड़बड़ी करने का आरोप लगाया था. क्लाइंट का कहना था कि उस ने सैंट्रल प्रौविडैंट फंड में अच्छा रिटर्न देने का लालच दे कर उस का विश्वास जीता और बाद में उस के अकाउंट में गड़बड़ी कर यह फ्रौड किया. असल में यह अकाउंट में हुई गलती थी. डेटा खो जाने यानी गलती से डिलीट हो जाने की वजह से यह सारी परेशानी खड़ी हुई थी. लेकिन पुलिस ने अभय को ही इस बात के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए फ्रौड करने के लिए कंपनी के हिसाबकिताब में गड़बड़ी और कंपनी के डौक्यूमैंट्स के साथ छेड़छाड़ करने के जुर्म में जेल में डाल दिया था और फाइन भी लगाया था. उसे अपनी बात कहने या प्रमाण पेश करने तक का अवसर नहीं दिया गया. वहां पर एक इंडियन पुलिस अफसर ही उस का केस हैंडल कर रहा था और वह इस बात से नाराज था कि भारतीय हर जगह बेईमानी करते हैं.

‘‘आप यकीन मानिए सर, मैं ने कोई अपराध नहीं किया है,’’ अभय की बात सुन पुलिस अफसर करण बोला, ‘‘यहां का कानून बहुत सख्त है, पकड़े गए हो तो अपने को बेगुनाह साबित करने में बरसों भी लग सकते हैं और यह भी हो सकता है कि 2-3 दिन में छूट जाओ.’’

‘‘करण साहब, अभय बेगुनाह हैं यह बात तो उन की कंपनी भी कह रही है. केवल क्लाइंट का आरोप है कि उन्होंने 30 हजार डौलर का फ्रौड किया है. कंपनी तो सारी डिटेल चैक कर क्लाइंट को एक निश्चित समय पर पैसा भी देने को तैयार है, हालांकि उस के लिए अभय को भी पैसे भरने पड़ेंगे. बस 1-2 दिन में मैं इन्हें यहां से निकाल लूंगा,’’ अभय के वकील ने कहा.

‘‘अगर ऐसा है तो अच्छा ही है. मैं भी चाहता हूं कि हमारे देशवासी बदनाम न हों.’’

‘‘लेकिन तुम्हारी वाइफ को हम क्या उत्तर दें? वह बारबार हमें फोन कर रही है. उस ने तो पुलिस को इन्फौर्म करने को भी कहा है,’’ अपनी टूटीफूटी हिंदी में कंपनी के मालिक जोन ने पूछा.

‘‘सर, आप प्लीज उसे कुछ न बताएं. मैं नहीं चाहता कि मेरी वाइफ मुझे बेईमान समझे. वह मुझे छोड़ कर चली जाएगी. हो सकता है वह मेरे जेल में होने की बात सुन डाइवोर्स ही ले ले. नो, नो, सर, डौंट टैल हर ऐनीथिंग ऐंड ट्राई टू अवौइड हर फोन काल्स. मैं उस की नजरों में गिरना नहीं चाहता हूं.’’

‘‘पर वह तो यहां आने की बात कर रही थी. हम उसे कैसे रोक सकते हैं?’’

जोन की बात सुन कर अभय के चेहरे पर पसीने की बूंदें झिलमिला उठीं. वह जानता था कि अपने को निर्दोष साबित करने के लिए पहले उसे डिलीट हुए डेटा को कैसे भी दोबारा जैनरेट करना होगा और वह करना इतना आसान नहीं था. 30 हजार डौलर उस के पास नहीं थे, जो वह चुका पाता. कंपनी भी इसी शर्त पर चुकाने वाली थी कि हर महीने उस की सैलरी से अमाउंट काटा जाएगा. वह जानता था कि वह इस समय चारों ओर से घिर चुका है. कंपनी वाले बेशक उस के साथ थे और वकील भी पूरी कोशिश कर रहा था, पर उसे रीवा की बहुत फिक्र हो रही थी. इतने दिनों से उस ने कोई फोन नहीं किया था, इसलिए वह तो अवश्य घबरा रही होगी. हालांकि अभय की कुलीग का कहना था कि उसे रीवा को सब कुछ बता देना चाहिए. इस से उसे कम से कम अभय के ठीकठाक होने की खबर तो मिल जाएगी. हो सकता है वही कोई रास्ता निकाल ले.

मगर अभय इसी बात को ले कर भयभीत था कि कहीं रीवा उसे गलत न समझ बैठे. जितना आदरसम्मान और प्यार वह उसे करती है, वह कहीं खत्म न हो जाए. वह भी रीवा से इतना प्यार करता है कि किसी भी हालत में उसे खोना नहीं चाहता. इंडिया में बैठी रीवा को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. अभय की खोजखबर कैसे ले. इस बारे में उस ने अपने मौसा से बात की. वे आईएफएस में थे और इस समय अमेरिका में पोस्टेड थे. उन्होंने सलाह दी कि रीवा को सिंगापुर जाना चाहिए.

सिंगापुर पहुंच कर रीवा ने जब कंपनी में कौंटैक्ट किया तो सच का पता चला. बहुत बार चक्कर लगाने और जोन से मिलने पर ही वह इस सच को जान पाई. सचाई जानने के बाद उस के पांव तले की जैसे जमीन खिसक गई. अभय को बेईमान मानने को उस का दिल तैयार नहीं था, पर पल भर को तो उसे भी लगा कि जैसे अभय ने उसे धोखा दिया है. अपने मौसा को उस ने सारी जानकारी दी और कहा कि वही इंडियन हाई कमीशन को इस मामले में डाल कर अभय को छुड़वाएं.

रीवा को अपने सामने खड़ा देख अभय सकपका गया, ‘‘तुम यहां कैसे…? कब आईं… मैं तुम्हें परेशान नहीं करना चाहता था, इसलिए कुछ नहीं बताया… मेरा यकीन मानो रीवा मैं बेईमान नहीं हूं… तुम नहीं जानतीं कि मैं यहां कितना अकेला पड़ गया था…’’ घबराहट में अभय से ठीक से बोला तक नहीं जा रहा था.

‘‘मुझे तुम पर यकीन है अभय. चिंता मत करो सब ठीक हो जाएगा.’’

रीवा के मौसा के इन्फ्लुअंस और इंडियन हाई कमीशन के दखल से अगले 2 दिनों में अभय जेल से बाहर आ गया.

‘‘रीवा, आई ऐम रियली सौरी. पर मैं डर गया था कि कहीं तुम मुझे छोड़ कर न चली जाओ.’’

‘‘सब भूल जाओ अभय… मैं ने तुम्हारा हाथ छोड़ने के लिए नहीं थामा है. लेकिन अब तुम सिंगापुर में नहीं रहोगे. इंडिया चलो, वहीं कोई नौकरी ढूंढ़ लेना. हम कम में गुजारा कर लेंगे, पर रहेंगे साथ. कंपनी के पैसे कंपनी से हिसाब लेने पर चुका देंगे. कम पड़ेंगे तो कहीं और से प्रबंध कर लेंगे. लेकिन अब मैं तुम्हें यहां अकेले नहीं रहने दूंगी. दूसरे देश में पैसा कमाने से तो अच्छा है कि अपने देश में 2 सूखी रोटियां खा कर रहना. कम से कम वहां अपने तो होते हैं. इस पराए देश में तुम कितने अकेले पड़ गए थे. जितनी जल्दी हो यहां से चलने की तैयारी करो.’’

रीवा के हाथ को मजबूती से थामते हुए अभय ने जैसे अपनी सहमति दे दी. वह खुद भी इस लौंग डिस्टैंस रिश्ते से निकल रीवा के साथ रहना चाहता था.

Govinda की बेटी टीना अहूजा ने कृष्णा अभिषेक को लेकर कहा, ‘टौक्सिक रिश्ता 7 साल बाद…’

ऐक्टर गोविंदा ( Govinda) और उनके भांजे कृष्णा अभिषेक (Krushna Abhishek) के बीच चल रही अनबन की खबरें काफी पहले से आ रही है. हाल ही में गोविंदा और कृष्णा को एकसाथ शो में देखा गया था. इस दौरान दोनों ने ये भी दावा किया कि अब उनके बीच किसी भी तरह का पारिवारिक मतभेद नहीं है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक जब गोविंदा को गोली लगी थी, 7 साल बाद कृष्णा अभिषेक उनसे मिलने गए थे. इतने सालों बाद इस तरह दोनों मामा भांजे की मुलाकात हुई.अब इसी बीच गोविंदा की बेटी टीना अहूजा ने अपने कजिन ब्रदर कृष्णा अभिषेक को लेकर बड़ी बात कही हैं. टीना ने बताया है कि बीते 7 सालों से गोविंदा और कृष्णा अभिषेक के बीच किस तरह के तकरार देखने को मिले हैं.

टीना अहूजा फैमिली ड्रामे से रहती हैं दूर

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, टीना अहूजा ने गोविंदा और कृष्णा अभिषेक के झगड़े का जिक्र करते हुए कहा कि इन दोनों के बीच की लड़ाई काफी टौक्सिक थी. मैं कुछ बोलूंगी तो फिर विवाद हो जाएगा. कृष्णा अभिषेक से मेरे परिवार का झगड़ा 7 सालों तक चला है. मैं तो इस ड्रामे से खुद को दूर रखना ही पसंद करती हूं.

हर कोई अपनी जिंदगी में खुश है

टीना ने आगे कहा कि मैं अपनी जिंदगी में बहुत खुश हूं. ये सब बातें अब पुरानी हो गई है. हमें अतीत के बारे में बात नहीं करनी चाहिए. मुझे लगता है कि इन बातों को अब भुलाने का समय आ गया है. मैं अपने कजिन से मिली. उसकी तरफ से मुझे सब कुछ ठीक लगा. हर कोई अपनी जिंदगी में खुश है. मैं भी अपने काम में लगी हुई हूं. हमें जिंदगी से और क्या ही चाहिए.

सुनीता अकसर कश्मीरा शाह को देती थी ताना

एक समय था जब इन दोनों परिवार के बीच इतना झगड़ा बढ़ गया था कि कृष्णा अभिषेक की पत्नी कश्मीरा शाह ने सरेआम गोविंदा के परिवार की बेइज्जती करनी शुरू कर दी थी. तो दूसरी तरफ गोविंदा की पत्नी सुनीता भी अकसर कश्मीरा शाह को ताना देती रहती थी.

Romantic Story In Hindi : रिश्ते का सम्मान- क्या हुआ था राशि और दौलत के साथ

Romantic Story In Hindi: दौलत और राशि को आदर्श पतिपत्नी का खिताब महल्ले में ही नहीं, उस के रिश्तेदारों और मित्रों से भी प्राप्त है. 3 साल पहले रुचि के पैदा होने पर डाक्टर ने साफ शब्दों में बता दिया था कि आगे राशि मां तो बन सकती है पर उसे और उस के गर्भस्थ शिशु दोनों को जीवन का खतरा रहेगा, इसलिए अच्छा हो कि वे अब संतान की इच्छा त्याग दें.

माहवारी समय से न आने पर कहीं गर्भ न ठहर जाए यह सोच कर राशि सशंकित हो चली कि आदर्श पतिपत्नी से आखिर चूक हो ही गई. अपनी शंका राशि ने दौलत के सामने रखी तो वह भी सशंकित हुए बिना नहीं रहा. झट से राशि को डाक्टर के पास ले जा कर दौलत ने अपना भय बता दिया, ‘‘डाक्टर साहब, आप तो जानते ही हैं कि राशि के गर्भवती होने से मांबच्चा दोनों को खतरा है, आप की सलाह के खिलाफ हम से चूक हो गई. इस खतरे को अभी क्यों न खत्म कर दिया जाए?’’

‘‘हांहां, क्यों नहीं? 10 दिन बाद आ जाना,’’ डाक्टर ने समझाते हुए कहा.

रास्ते में राशि ने दौलत से कहा, ‘‘सुनो, यह बेटा भी तो हो सकता है…तो क्यों न खतरे भरे इस जुए में एक पांसा फेंक कर देखा जाए? संभव है कि दैहिक परिवर्तनों के चलते शारीरिक कमियों की भरपाई हो जाए और हम खतरे से बच जाएं.’’

‘‘तुम पागल हो गई हो,’’ दौलत बोला, ‘‘सोचो कि…एक लालच में कितना बड़ा खतरा उठाना पड़ सकता है. नहीं, मैं तुम्हारी बात नहीं मान सकता. इतना बड़ा जोखिम…नहीं, तुम्हें खो कर मैं अधूरा जीवन नहीं जी सकता.’’

राशि चुप रह गई. वह नहीं चाहती थी कि पति की बात को ठुकरा कर उसे नाराज करे या कोई जोखिम ले कर पति को दुख पहुंचाए.

10 दिन बाद दौलत ने राशि को डाक्टर के पास चलने को कहा तो उस ने अपनी असहमति के साथ कहा, ‘‘गर्भपात तो 3 माह तक भी हो जाता है. 3 माह तक हम यह तो समझ सकते हैं कि कोई परेशानी होती है या नहीं. जरा सी भी परेशानी होगी तो मैं तुम्हारी बात नहीं टालूंगी.’’

‘‘जाने दो, मैं भी छोटी सी बात भूल गया था कि यह गर्भ और खतरे तुम्हारी देह में हैं, तुम्हारे लिए हैं. मैं कौन होता हूं तुम्हारी देह के भीतर के फैसलों में हस्तक्षेप करने वाला?’’ निराश मन से कहता हुआ वह कार्यालय चला गया.

शाम को कार्यालय से दौलत घर जल्दी पहुंच गया और बिना कुछ बोले सोफे में धंस कर बैठ गया. यह देख राशि बगल में बैठती हुई बोली, ‘‘तुम्हारा मन ठीक नहीं है. नाहक परेशान हो. अभी डेढ़दो माह तुम्हें गंवारा नहीं है तो चलो, सफाई करवा लेती हूं. बस…अब तो खुश हो जाओ प्यारे…यह तुच्छ बात क्या, मैं तो आप के एक इशारे पर जान देने को तैयार हूं,’’ कहते हुए राशि ने दौलत की गोदी में सिर औंधा कर उस की कमर में बांहें डाल कर उसे कस लिया.

दौलत को लगा कि राशि उसे अनमना नहीं देख सकती, इसीलिए वह उस के फैसले को महत्त्व दे रही है. वह आपादमस्तक न्योछावर है तो उस के प्रति कुछ अहम दायित्व उस के भी बनते हैं और ऐसे दायित्वों की राशि सस्नेह उस से उम्मीद भी करती होगी. कहते भी हैं कि एक कदम पत्नी चले तो पति को दो कदम चलना चाहिए. मतलब यह कि राशि की सहमति पर अपनी ‘हां’ का ठप्पा लगा कर खतरे की प्रतीक्षा करे. पर वह किस विश्वास पर एक डाक्टर की जांच को हाशिए में डाल कर भाग्यवादी बन जाए? मस्तिष्क में एक के बाद एक सवाल पानी के बुलबुले की तरह बनते व बिगड़ते रहे. अंत में विचारों के मंथन के बाद दौलत ने पत्नी की प्रार्थना मान ली और दोनों एकदूसरे में सिमट गए.

आखिर डाक्टर की देखरेख में गर्भस्थ शिशु का 9वां महीना चल रहा था. राशि को किसी की मदद की आवश्यकता महसूस हुई तो उस ने अपनी मौसेरी बहन माला को बुलवाने के लिए कहा. फोन पर बात की, मौसी मान ही नहीं गईं, माला को राशि के हाथ सौंप कर वापस भी चली गईं.

दिन करीब आते देख राशि और दौलत एकदेह नहीं हो सकते थे. देहाग्नि दौलत को जैसे राख किए जा रही थी. बारबार ‘जीजाजी’ कह कर दौलत से सट कर माला का उठनाबैठना राशि को इस बात का संकेत दे रहा था कि कहीं वह नादान लड़की बहक गई तो? या फिर दौलत बहक गया तो?

राशि का संदेह तब मजबूत हो चला जब अगली सुबह माला न तो समय से उठी, न ही उस ने चायनाश्ते का ध्यान रखा. राशि ने दौलत को अपने बिस्तर पर नहीं देखा तो वह माला के कमरे में गई जो अकेली सो रही थी. रसोई में देखा तो दौलत टोस्ट और चाय तैयार कर रहा था.

आहट पा कर दौलत अधबुझी राशि को देख चौंक कर बोला, ‘‘अरे, तुम ने ब्रश किया कि नहीं?’’ उस के गाल पर चुंबन की छाप छोड़ते हुए फिर बोला, ‘‘मैं ने सोचा, आज मैं ही कुछ बना कर देखूं. पहले हम दोनों मिल कर सबकुछ बना लेते थे पर अब मेरी आदत छूट गई है. तुम्हारी वजह से मैं पक्का आलसी हो गया हूं. जाओ, कुल्ला करो और मैं चाय ले कर आता हूं.’’

‘‘मैं तो यह देख रही थी कि रुचि स्कूल के लिए लेट हो रही है और घर में आज सभी घोड़े बेच कर सो रहे हैं. आज रुचि को जगाया नहीं गया,’’ मन का वहम छिपा कर राशि रुचि के स्कूल की बात कह बैठी.

‘‘कल रात को तो बताया था कि आज उस की छुट्टी है, मेरी भुलक्कड़ रानी. कहीं मुझे न भूल जाना. वैसे भी आजकल मुझे बहुत तड़पा रही हो,’’ कहते हुए दौलत राशि को अपनी बांहों में भींच कर लिपट गया.

प्यार करने के लिए लिपटे पतिपत्नी को पता नहीं था कि रसोई में आती माला ने उन्हें लिपटे हुए देख लिया है…वह बाधा डालते हुए बोली थी, ‘‘दीदी, तुम क्यों रसोई में आ गईं? मैं छुट्टी की वजह से आज लेट हो गई.’’

चौंक कर दौलत राशि से अलग छिटक गया और खौल रही चाय में व्यस्त हो कर बोला, ‘‘साली साहिबा, मैं ने सोचा कि आज सभी को बढि़या सी चाय पिलाऊं. चाय तैयार हो तब तक आप रुचि को जगा कर नाश्ते के लिए तैयार कीजिए.’’

माला रुचि को जगाने में लग गई.

सब से पहले चाय माला ने पी और पहली चुस्की के साथ ही ताली बजा कर हंस पड़ी…दौलत झेंप गया. उसे लगा कि कहीं चाय में चीनी की जगह नमक तो नहीं पड़ गया? उस को हंसते देख कर राशि ने चाय का प्याला उठाया और मुंह से लगा कर टेबल पर रखते हुए हंस कर बोली, ‘‘बहुत अच्छी चाय बनी है. रुचि… जरा देख तो चाय पी कर.’’

रुचि ने चाय का स्वाद लिया और वह भी मौसी से चिपट कर हंस पड़ी. बरबस दौलत ने चाय का स्वाद लिया तो बोल पड़ा, ‘‘धत् तेरे की, यह दौलत का बच्चा भी किसी काम का नहीं. इतनी मीठी चाय…’’ उस ने सभी कप उठाए और रसोई की ओर चल दिया.

पीछे से माला रसोई में पहुंची, ‘‘हटिए, जीजाजी, आप जैसी हरीभरी चाय मैं तो फिलहाल नहीं बना पाऊंगी, पर नीरस चाय ही सही, मैं ही बनाती हूं,’’ कह कर माला हंस पड़ी.

दौलत ने सोचा था कि सभी को नाश्ता तैयार कर के सरप्राइज दे. पर पांसे उलटे ही पड़ गए लेकिन जो हुआ अच्छा हुआ. काफी दिनों बाद शक में जी रही राशि आज जी भर कर हंसी तो…

पेट में दर्द के चलते दौलत ने राशि को अस्पताल में भरती करवाया और माला को अस्पताल में रातदिन रुकना पड़ा. दूसरे दिन मौसी आ गई थीं, सो यह काम उन्होंने ले लिया और माला को घर भेज दिया. घर में भोजन की व्यवस्था करतेकरते माला को दौलत के करीब आने व बहकने के मौके मिले. जवान लड़की घर में हो…संगसाथ, एकदूसरे को कुछकुछ छूना और छूने की हद पार कर जाना, फिर अच्छेबुरे से बेपरवाह एक कदम और…बस…एक और कदम ही दौलत और माला के करीब लाया.

दौलत ने और करीब आ कर माला को अपनी बांहों में भींच कर गाल पर चुंबन जड़ दिया. माला लाज से सिहर उठी साथ ही भीतर से दहक गई. दौलत ने भी माला की सिहरन व दहक महसूस की.

दौलत एक बार तो तड़प उठा पर… ‘‘सौरी, मालाजी,’’ कह कर झटके से दूर हो चुका था और कान पकड़ कर माफी मांगने लगा, ‘‘सौरी, अब कभी नहीं. किसी हालत में नहीं. मैं भूल गया था कि हमारे बीच में क्या रिश्ता है,’’ और फिर नजर झुका कर वह बाहर चला गया था.

मर्द का स्पर्श पा कर देह के भीतर स्वर्गिक एहसास से माला तड़प गई थी, शायद कुछ अधूरा रह गया था जो अब पूरा न हुआ तो वह बराबर छटपटाती रहेगी. काश, यह अधूरापन समाप्त हो जाए. काश, एक कदम और…

उस एक कदम और…के परिणाम अब माला की सोच के बाहर थे. उस को दुनियादारी की चिंता नहीं रही. उसे सुधबुध थी तो सिर्फ यह कि यह अधूरापन अब वह नहीं सह पाएगी. अब उसे हर कीमत पर दौलत का स्पर्श चाहिए. भले ही उसे कई मौत मरना पड़े. वह तकिए को वक्ष के नीचे भींच कर पलंग पर औंधी पड़ी छटपटाती रही.

अस्पताल की कैंटीन में मौसी को लंच करवा कर दौलत काफी देर रुका. डाक्टर ने तो सब सामान्य बताया, इसलिए उस की खुशी का ठिकाना न था. अगले दिन आपरेशन की तारीख थी. आपरेशन को ले कर दौलत व राशि संदेहजनक स्थिति से गुजर रहे थे.

रात को घर आ कर दौलत रुचि और माला के साथ खाना खा कर अपने कमरे में सोने की कोशिश कर रहा था और माला अपने कमरे में. दौलत सोच रहा था कि माला ने आपत्ति नहीं जताई तो क्या…पर अब वह उस के लिए सम्माननीय व्यक्ति नहीं रहा. अपने ही घर में उसे माला जैसी मेहमान की इज्जत के साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए थी. हर अगले कदम के भलेबुरे के बारे में उसे अवश्य सोच लेना चाहिए.

मुश्किल से दौलत को उनींदी हालत में रात काटनी पड़ी. पुरुष हो कर इतना भलाबुरा सोच ले तो वह वाकई पुरुष है. बहक कर संभल चुके पुरुष को चट्टान समझ कर उलटे पांव वापस लौट जाए वही समझदार स्त्री है. जमीर सभी का सच बोलता है, परंतु उस जमीर के सच को सुनने वाले दौलत जैसे पुरुष विरले ही होते हैं.

माला तो करवटें बदलबदल कर अपने गदराए यौवन को दौलत के हाथ सौंपना चाहती थी पर कैसे? क्या यह संभव था? दौलत माफी मांग कर माला से नजदीकी समाप्त कर चुका है. परंतु माला में एक ही चाहत पल रही थी कि वह अपना सबकुछ दौलत को सौंप दे.

माला अब अपनी देह की दास थी. छटपटा कर वह कब उठ कर कमरे से निकली और कब दौलत की चादर में धीरे से घुस कर लेट गई, उसे पता ही नहीं चला. पर आहट पाते ही दौलत उठ कर बैड के नीचे उतर कर धीमे स्वर में बोल पड़ा, ‘‘माला, मैं ने तुम से माफी मांगी है. इस माफी का सम्मान करो. मैं तुम्हारे, राशि, रुचि, इस घरौंदे के भविष्य को धोखा नहीं दे सकता. देखो, भूल जब समझ में आ जाए, त्याग देनी चाहिए. तुम जानती हो कि जिस इच्छापूर्ति के लिए तुम पहल कर रही हो, इस से कितनी जिंदगियां बरबाद हो सकती हैं…जिन में एक जिंदगी तुम्हारी भी है? मौसीजी जानेंगी, तब क्या होगा? और राशि जानेगी तो पता है?…वह मर जाएगी जिस की जिम्मेदार तुम भी बनोगी. चलो, अब अपने कमरे में जाओ और मेरी साली साहिबा की तरह बरताव करो. तुम अपनी इस देह को और अपने स्त्रीत्व को अपनी सुहागरात के लिए बचा कर रखो. ऐसी जल्दी न करो कि अपने पति के लिए यह तोहफा गंवा कर अंतिम सांस तक आत्मग्लानि के बोझ से दब कर आनंद न पा सको और न ही पति को दे सको.

‘‘हमारे बीच जीजासाली का रिश्ता है, इस रिश्ते का सम्मान करो. मैं गलत हूं, मैं ने अपना कदम पीछे हटाया तो तुम भी अपने को गलत मान कर अपने कदम पीछे हटा लो. सुबह का भूला शाम को घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहा जाता. मैं भूल कर लौट आया. इसी तरह तुम भी लौट जाओ और अपनी जिंदगी के साथ तमाम जिंदगियों को तबाह होने से बचाओ.’’

माला चुप नहीं रह सकी, वह बोल पड़ी, ‘‘जीजाजी, रिश्तों का मैं क्या करूं? अहम बात तो यह है कि मेरे शरीर में आग आप ने लगाई है, इसे बुझाने के लिए कहां जाऊं? किस घाटी में कूद जाऊं?’’

दौलत ने माला की मंशा को स्पष्ट किया, ‘‘तुम गलत हो, माला.’’

माला जिद कर बोली, ‘‘मैं गलतसही की बात नहीं करती. मैं तो सिर्फ जानती हूं कि आप मुझे मेरी ही देहाग्नि से जला कर राख कर देना चाहते हो. मैं अपनी इस देहाग्नि को बरबाद नहीं होने दूंगी और न ही इसे और ज्यादा छटपटाने दूंगी.’’

‘‘मुझे पता नहीं था कि तुम इतनी जिद्दी और महत्त्वाकांक्षी हो कि अपना तो अपना, सारे परिवार, समाज की हदें पार करने पर तुल जाओगी. क्या तुम्हें समझ में नहीं आ रहा है कि जो तुम करने वाली हो वह कितना बुरा है?’’ दौलत ने समझाने की कोशिश की और उस की बांह पकड़ कर बच्चों की तरह खींच कर उस के कमरे में ले गया और बोला, ‘‘कुछ लाज हो तो यह नादानी छोड़ दो और अच्छी औरत की तरह पेश आओ. जो तुम चाहती हो वह पति के साथ किया जाता है.’’

बात टल गई…पर माला रात भर नहीं सोई. आंखें सूज कर लाल हो गईं और उस के चेहरे पर रंगत की जगह अधूरेपन की बेचैनी झलक रही थी जैसे वह कुछ भी कर सकती है.

अगले दिन आपरेशन की वजह से दौलत अस्पताल में रहा और दोपहर बाद माला भी पहुंच गई. आपरेशन सफलतापूर्वक हो गया और बेहोश राशि बाहर आ गई. कुछ घंटों बाद दौलत बेटे को देख कर खुशी से उछल पड़ा था. इस अवसर पर माला भी नवजात बहनौते को गोदी में ले कर राशि के चेहरे पर तब तक नजर गड़ाए रही जब तक कि उसे यह समझ में नहीं आ गया कि राशि और उस के नवजात शिशु का मासूम चेहरा उस से किस तरह प्यार के हकदार हैं. कुछ पल सोचने के बाद पिछली रात तक उस के मन पर पला ज्वार आंखों के रास्ते बह चला. आंखों में रोशनी लौटी तो माला ने अपने आंसू पोंछ कर नवजात बहनौते को इस प्रकार से चूमा जैसे कह रही हो कि अरे, फूल की पंखुड़ी से बच्चे आज तुझे देख कर मेरा मन भी फूल सा हलका हो गया है.

वह लड़का: जानेअनजाने जब सपने देख बैठा जतिन

रिवोली थिएटर, थिएटर के सामने एक सुंदर पार्क, पार्क में हर तरफ बिखरी हुई फूलों की छटा, सीमेंटकंकरीट के जंगलों सी फैली ऊंचीऊंची इमारतों के बीच, मुंबई की उमस से थोड़ी सी राहत पाने की एक जगह. शाम के समय घूमते हुए कुछ बुजुर्ग, शोर मचा कर खेलते हुए बच्चे. कुछ युवकयुवतियां हाथ में हाथ लिए, पार्क की बैंचों पर, जगहजगह सटे बैठे, अपने प्यार के सुखद लमहों को जीते हुए और कुछ लफंगे युवक इधरउधर ताकझांक करते हुए.

कामना पार्क के एक बैंच पर अकेली बैठी थी. पार्क के ये नजारे भी उस के अकेलेपन को दूर नहीं कर पा रहे थे. उस के ठीक सामने वाली बैंच पर एक लड़का भी अकेला बैठा हुआ था. कामना पिछले 10 मिनट से देख रही थी कि वह उसे नजरें चुराचुरा कर देख रहा है.

कामना उठी और उस लड़के के पास आ कर खड़ी हुई. जतिन समझ नहीं पाया कि वह लड़की क्यों खड़ी है. उस ने अपने आसपास और आगेपीछे देखा. उस के अलावा वहां कोई और जानपहचान का नहीं था. जब यह निश्चित हो गया कि वह लड़की उसी से मिलने आई है तो वह सकपका गया. शरीर के रोंगटे खड़े हो गए.

23-24 साल की जिंदगी में उस के साथ ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. पैदल चलते, बसों में, मुंबई की लोकल ट्रेनों में सफर करते समय, उस ने सैकड़ों लड़कियों के रूप को आंखों से भरते हुए मन में उतारा था. पर कभी कोई लड़की उसे इस प्रकार घूरते हुए देख कर खुद पास नहीं चली आई. उसे पहली नजर में वह लड़की शरीफ घराने की लगी थी. फिर शंका हुई कि वह कहीं चालचलन में खराब तो नहीं है. पर मन नहीं माना. वह जरूर शरीफ घराने की ही है, उस ने अपने मन को समझाया. अब लगा कि यदि उस की सोच सही है तो कहीं वह उसे थप्पड़ मारने का इरादा तो नहीं कर रही है? पार्क में उपस्थित लोगों के सामने शर्मिंदा तो नहीं करना चाहती? एकबारगी जी चाहा कि पार्क छोड़ कर चला जाए पर अंत में वह हिम्मत जुटा कर उस के सामने जा कर खड़ा हो गया.

‘‘बैठो,‘‘ बैंच पर खाली जगह पर बैठते हुए कामना बोली.

जतिन की सांसें जो कुछ देर पहले रुकने लगी थीं, फिर चल पड़ीं. जो कुछ उस ने लड़की के बारे में सोचा था, गलत सिद्ध हो गया. वह शरीफ घराने से ही थी. थप्पड़ मारने और शर्मिंदा करने का उस का कोई इरादा नहीं दिखाई दिया.

‘‘आप बहुत सुंदर हैं,’’ बैठते हुए जतिन ने कहा, ‘‘लाख कोशिशों के बावजूद भी मैं आप के चेहरे से अपनी नजरें नहीं हटा पा रहा था.’’

‘‘सच,’’ कामना ने अपनी नीलीनीली आंखें उस के चेहरे पर गड़ा दीं.

‘‘आप को वहां अकेले नहीं बैठना चाहिए था. ये जो लड़के आप के आसपास मंडरा रहे हैं, अच्छे नहीं हैं,’’ वह बोला.

‘‘मैं जानती हूं पर ये मुझे नहीं छेड़ते. मैं यहां रोज जो आती हूं. वैसे तुम्हारा नाम…’’

‘‘जतिन, और आप का?’’

‘‘कामना,’’ उसे गौर से देखते हुए कामना बोली, ‘‘जतिन, जानते हो मैं तुम्हारे पास क्यों आई? तुम में एक गजब का आकर्षण है. तुम्हें देख कर मुझे लगा, जैसे मेरी बरसों की तलाश पूरी होने जा रही है.’’

‘‘फ्लर्टिंग? ’’ जतिन को अपनी तारीफ सुन कर विश्वास नहीं हुआ.

‘‘बिलकुल नहीं,’’ कामना ने कहा.

‘‘सच तो यह है कि आप जैसी सुंदर लड़की मैं ने इस पार्क में पहले कभी नहीं देखी,’’ जतिन बोला.

‘‘अब तुम फ्लर्ट कर रहे हो?’’

‘‘बिलकुल नहीं.’’

‘‘गुड, मुझे साफ बात करने वाले लड़के ही पसंद हैं. एक बार मुझे फिर से देख कर बताओ कि मैं कैसी लग रही हूं? कोई लड़का यदि लड़की की तारीफ करे तो उसे अच्छा लगता है.’’

जतिन ने इस बार कामना को ऊपर से नीचे तक देखा. ‘‘स्मार्ट, सैक्सी, पार्टीवियर आउटफिट. बिलकुल बेपरवाह हुस्न,’’ उस ने कहा.

‘‘थैंक यू,’’ कामना ने पूछा, ‘‘वैसे करते क्या हो?’’

‘‘एमए कर चुका हूं. अच्छी नौकरी की तलाश में हूं.’’

‘‘मैं ने भी ग्रैजुएशन किया है. मेरी नौकरी करने की मजबूरी नहीं है. पिता हैं नहीं, सिर्फ मां हैं और पिताजी का छोड़ा हुआ खूब पैसा है. सारा दिन सजीसंवरी रहती हूं, दिन में 10 बार सुंदर से सुंदर आउटफिट चेंज करती हूं, मौजमस्ती करती हूं और पैसे लुटाती हूं. बस, यही मेरी जिंदगी है,’’ कामना कुछ गंभीर दिखाई दी.

‘‘फिर यहां पार्क में, अकेले?’’ जतिन ने झिझकते हुए पूछा.

‘‘मां शादी के लिए पीछे पड़ी हैं. न कोई अच्छा लड़का उन्हें मेरे लिए मिला है और न ही मुझे, जिसे मैं पसंद कर सकूं. जब तनाव बढ़ जाता है तो यहां आ कर बैठ जाती हूं. तुम पहले लड़के हो, जो मुझे अच्छे लगे हो. खैर छोड़ो इन बातों को. यह बताओ कि कालेज में सिर्फ फ्लर्टिंग ही की या कभी किसी लड़की के साथ डेटिंग भी की?’’

जतिन ने कामना के पास खिसकते हुए कहा, ‘‘डियर, किस दुनिया में जी रही हो. फ्लर्टिंग, डेटिंग आज आउटडेटिड हो चुके हैं. जवान लोगों की नई मंजिल है, लिव इन रिलेशन की. वैसे अभी तक मुझे डेटिंग का मौका नहीं मिला पर तुम चाहो तो यह संभव हो सकता है,’’ जतिन अब खुलने लगा था.

‘‘कहां ले चलोगे? मुझे तेज रफ्तार पसंद है. पार्क के बाहर मेरी औडी खड़ी है. उसी से यहां आतीजाती हूं. मुश्किल से 50 किलोमीटर की स्पीड आ पाती है. सब तरफ कीड़ेमकोड़ों की तरह इंसानों की भीड़. 100 किलोमीटर से ऊपर स्पीड आए तो आए कैसे? तुम्हारे पास बाइक है? उसी पर चलेंगे. ड्राइव मैं करूंगी,’’ कामना बोली.

जतिन कामना के थोड़ा और करीब खिसक आया और बोला, ‘‘महाबलेश्वर कैसा रहेगा?’’

‘‘नाइस, परसों चलते हैं, लेकिन अभी से मेरे इतने नजदीक मत आओ. मुझ से इतना चिपक कर मत बैठो. मैं काफी समय से पार्क में आ रही हूं. बहुत लोग मुझे जानने लगे हैं. उन्हें थोड़ा अजीब लगेगा.’’

जतिन ने खिसक कर अपने और कामना के बीच फिर से उतनी ही दूरी बना ली, जितनी पहले थी.

‘‘पानीपूरी खाओगे?’’

‘‘श्योर, लेकिन एक शर्त पर.‘‘

‘‘कैसी शर्त?’’

‘‘पैसे मैं दूंगा.’’

‘‘नहीं, पैसे मैं दूंगी. जिंदगी में सिर्फ तुम हो, जो मुझे एक नजर में ही पसंद आ गए हो. क्या मैं इस खुशी को भी सैलिब्रेट नहीं कर सकती? इच्छा तो है किसी फाइवस्टार होटल में चलें. पर जल्दबाजी में कदम नहीं उठाने चाहिए. गिरने का डर रहता है.’’

‘‘पानीपूरी कहां खाओगी?’’

‘‘पार्क के बाहर एक चाट वाला है. वहीं चलते हैं,’’ कहते हुए कामना ने कलाई घड़ी की तरफ निगाह डाली. साढ़े 7 बज रहे थे. ‘‘ओफ, डेढ़ घंटा हो गया,’’ उस के मुंह से  निकला.

‘‘कहीं और जाना है क्या?’’ जतिन ने पूछा.

‘‘नहीं, मां ज्यादा चिकचिक न करें, यही खयाल रहता है. अभी वक्त है. चलो, चलते हैं,’’ कामना बैंच से उठ गई. जतिन भी उस के साथ ही उठ गया.

पानीपूरी खातेखाते जतिन सोच रहा था कि उस की तो लौटरी लग गई है. एक बार इस के दिल में पूरी तरह से समा गया तो फिर चांदी ही चांदी है. अजगर हो जाऊंगा. अजगर कहां नौकरी करते हैं? आराम ही आराम. ऐश और सिर्फ ऐश.

‘‘चलो, अब थोड़ा पार्क में घूमते हैं,’’ पानीपूरी खा कर लौटते हुए कामना ने कहा. दोनों पार्क में आ कर एक छोर से दूसरे छोर तक घूमने लगे. थोड़ी देर बाद कामना ने चुप्पी तोड़ी, ‘‘मुझ से शादी करोगे?’’

जतिन बोला, ‘‘तुम अच्छी तो लगने लगी हो पर मुझे जिंदगी में सैटल होने में अभी कुछ वक्त लगेगा. अच्छी नौकरी मिलना भी तो आसान नहीं है.’’

‘‘लेकिन मैं ज्यादा इंतजार नहीं कर सकती. नौकरी न भी करोगे तो चलेगा. मुझे मां की चिकचिक हमेशा के लिए खतम कर के उन्हें खुश करना है.’’

‘‘फिर तो कोई समस्या ही नहीं है. मैं शादी के लिए तैयार हूं.’’

‘‘एक दिन में जिंदगी के फैसले तो नहीं किए जा सकते. कुछ तुम्हें, मुझे समझना है और कुछ मुझे, तुम्हें. थोड़ा समय तो लगेगा. इसीलिए तो मैं ने डेटिंग के

लिए हामी भरी थी. बस, कुछ दिन डेटिंग, फिर फैसला.’’

‘‘तो फिर एक काम क्यों न करें?

1-2 महीने लिव इन रिलेशनशिप में रह लेते हैं. आजकल तो ट्रायल औफर्स का जमाना है. बिल्डर मकान बना कर बेचते हैं तो एक महीने तक का ट्रायल औफर देते हैं. महीने भर ट्रायल लो. पसंद आए तो खरीदो वरना नहीं. डाक्टर्स ट्रीटमैंट में ट्रायल औफर देते हैं तो होटल खाने में. आजकल हर फील्ड में ट्रायल औफर्स की भरमार है. कालेज में भी तो यही चलन लड़के और लड़कियों के बीच था. इस से एकदूसरे को समझने का मौका मिल जाएगा. बात जमी तो शादी, वरना रास्ते अलगअलग और एकदूसरे को अलविदा. कोई कानूनी कार्यवाही नहीं.’’

‘‘नहीं, यह असंभव है. अब मैं ऐसा कुछ नहीं कर सकती, लाइफ  में मैच्योरिटी आ गई है. ऐसा करते हैं, मैं तुम्हें अपनी मां से मिलवाती हूं. तुम्हारे बारे में उन की राय भी तो जरूरी है, कल एक अच्छी सी ड्रैस पहन कर आ जाना, बाल आज के फैशन के हिसाब से कटवा लेना. उन्हें आधुनिक लड़के पसंद हैं. बाकी मैं संभाल लूंगी,’’ कामना ने जतिन को समझाया.

‘‘कल कितने बजे?’’

‘‘7 या 8 बजे. क्यों टाइम सूट करेगा न? फोन नंबर और पता मैं तुम्हें दे दूंगी.’’

‘‘तो चलो, फिर इसी खुशी में एक मूवी देख ली जाए. डर्टी पिक्चर रिवोली में ही लगी है. क्या बोल्ड डायलौग हैं और विद्या बालन की ऐक्टिंग, एकदम धांसू. तुम्हें पसंद आएगी.’’ जतिन ने शाम को रंगीन बनाने के लिए सुझाव दिया.

‘‘यह पिक्चर तो मैं जरूर देखूंगी, पर तुम्हारे साथ नहीं,’’ कामना ने कहा.

तभी एक सुंदर युवक दोनों के सामने आ खड़ा हुआ. उसे देखते ही कामना रुक गई.

कामना ने युवक से कहा, ‘‘सुहास, इन से मिलो. ये मेरे दोस्त हैं, जतिन. हम दोनों ने शादी करने का फैसला किया है. वास्तव में हम पिछले 2 घंटे से अपनी वैडिंग ही प्लान कर रहे थे.’’

सुहास ने बढ़ कर जतिन से हाथ मिलाया और उसे शादी के लिए बधाई दी.

अब कामना जतिन की तरफ मुड़ी. बोली, ‘‘जतिन, तुम्हारे और मेरे बीच पिछले 2 घंटे में जो कुछ बातें हुईं, सब मनगढ़ंत थीं. सिर्फ टाइमपास. सुहास के यहां पहुंचने तक के लिए. न तो मैं रईस हूं और न ही मेरी मां मेरी शादी के लिए किचकिच करने वाली हैं. मैं भी तुम्हारी तरह ही मध्यवर्गीय परिवार से हूं और सुहास मेरे मंगेतर हैं. जल्दी ही हमारी शादी होने वाली है.

आज मैं इन के साथ यहां डेटिंग के लिए आई हूं. रिवोली में हम डर्टी पिक्चर देखेंगे और डिनर करेंगे. इसीलिए तो मैं ने तुम से थोड़ी देर पहले कहा था कि मैं यह पिक्चर देखूंगी जरूर, पर तुम्हारे साथ नहीं.’’ कामना ने जतिन के चेहरे को पढ़ा, ठगे जाने के हजारों भाव उस के चेहरे पर आजा रहे थे. वह हक्काबक्का, बेजान सा खड़ा कामना की बातें सुने जा रहा था. उस के कानों से गरमगरम लावा बहने लगा था.

कामना ने आगे कहा, ‘‘दरअसल, आज सुहास और मेरी मुलाकात में इतनी देर इसलिए हो गई क्योंकि मैं यहां कुछ जल्दी पहुंच गई और सुहास की लोकल टे्रन लेट हो गई. पार्क में समय गुजारने के लिए जब मैं बैंच पर आ कर बैठी तो कई लफंगे युवकों को अपने आसपास चक्कर लगाते हुए पाया. मैं उन्हें देख कर डर गई.

अचानक मेरी निगाह तुम पर पड़ी. तुम भी मुझे घूर रहे थे. मैं एक नजर में ही पहचान गई कि तुम गुंडे किस्म के लड़के नहीं हो. फिर क्या था? मैं ने तुरंत एक कहानी गढ़ डाली. तुम्हें कहानी का नायक बनाते हुए, हाथ के इशारे से तुम्हें अपने पास बुला डाला. उस के बाद जो कुछ हुआ, तुम्हें बताने की जरूरत नहीं है.’’

‘‘बहुत मजेदार,’’ सुहास बोल उठा.

कामना अब सुहास के हाथों में हाथ डाल कर चल पड़ी. जाते समय जतिन के हाथों में एक चाकलेट पकड़ा दी. उस के गाल पर हलकी सी चपत लगाते हुए बोली, ‘‘बच्चे, जिस कालेज से तुम पढ़ कर निकले हो, वहां मैं प्रोफैसर हूं.’’

कामना जब सुहास के साथ पार्क से बाहर निकल गई तो जतिन की तंद्रा टूटी.

उस के मुंह से कालेज के दिनों वाली गालियां निकलती चली गईं, ‘‘साली… धोखेबाज… लुच्ची… लफंगन.’’

Short Story In Hindi : तुम देना साथ मेरा

इसबार शादी की सालगिरह पर कुछ खास करने की इच्छा है माहिरा की. बेटे अर्णव और आरव भी यही चाहते हैं. वैसे तो टीनएजर्स अपनी दुनिया में मगन रहते हैं, लेकिन इवेंट में जान डालने को दोनों तैयार हैं. 20वीं सालगिरह है. अकसर लोग 25वीं को खास तरह से मनाते हैं पर माहिरा की सोच वर्तमान में जीने की रही है कि जो खुशी के पल आज मिल रहे हैं उन्हें कल पर क्यों टाला जाए? पकौड़े खाने के लिए उस ने कभी बारिश की बूंदों का इंतजार नहीं किया. जब उस का जी किया या ईशान ने फरमाइश की उस ने  झट कड़ाही चढ़ा दी.

दरअसल, माहिरा और ईशान दोनों ही खाने के शौकीन हैं. अपने को ‘बिग फूडी’ की श्रेणी में रख दोनों ही खुश रहते हैं. शादी के बाद से खाने के शौक ने दोनों को एक मीठे बंधन में बांधा. ईशान को मीठा पसंद है तो माहिरा को तीखा भाता है. एकदूसरे की खुशी का ध्यान करते हुए हर भोजन में कुछ तीखा पकता तो कुछ मीठा भी बनाया जाता. दोनों तरह के व्यंजनों को पूरे स्वाद से खाया जाता, कोई नई रैसिपी पता चलती या किसी के घर कुछ नया पकवान खा कर आते तो माहिरा साथ ही उसे बनाने की विधि भी पूछ आती. इस वीकैंड यही ट्राई करूंगी, सोच वह भी खुश होती और न्यू फ्लैयर खाने को मिलेगा सोच ईशान भी कभी किसी मराठी दोस्त की पत्नी से पूरनपोली सीखी तो कभी तमिल दोस्त की पत्नी से अड़ा, कभी बिहार का लिट्टीचोखा ट्राई किया तो कभी राजस्थान की मावाकचौरी.

‘‘माहिरा, तुम सच मेें माहिर हो. यथा नाम तथा गुण. नईनई रैसिपीज बखूबी बना लेती हो,’’ ईशान अकसर अपनी पत्नी की पाककला पर बलिहारी जाता.

‘‘मेरी मां ने सिखाया था कि आदमी के दिल का रास्ता उस के पेट से हो कर जाता है. बस वही फौलो कर रही हूं, जानेमन,’’ माहिरा भी हंस कर कहती.

‘‘पेट ही नहीं तुम ने इस फूडी के मन को भी संतुष्ट कर रखा है,’’ ईशान के कहने पर दोनों ठहाका लगाते.

स्वादों के इस मेले में घूमतेफिरते इतने साल निकल गए. जाहिर है जब स्वादिष्ठ खानों का शौक होगा तो उन के संग शरीर में आई कैलोरी भी अपना रंग दिखाएगी. थोड़े बड़े पेट और फैली कमर की ओर लटकते लव हैंडल्स के लिए माहिरा के पास एक बढि़या जवाब तैयार रहता कि 2-2 बच्चों की मां हूं. 16 साल की लड़की तो रही नहीं अब मैं.

ईशान भी कब कोई ताना  झेलने वालों में से होता. वह भी चुटकी लेता कि मैं भी तो 2-2 बच्चों का बाप हूं, मेरी तोंद को नजर क्यों लगाती हो? इस लजीज मस्ती में विघ्न तब पड़ा जब पिछले साल एक शाम औफिस से लौट कर ईशान ने बताया कि आज कंपनी की तरफ से हैल्थ कैंप लगा था.

‘‘थोड़ा ज्यादा हो गया है वेट… 115 किलोग्राम आया,’’  झेंपते हुए ईशान बोला.

‘‘क्या?’’ माहिरा की छोटी सी चीख निकल गई, ‘‘थोड़ा ज्यादा वेट? 115 किलोग्राम को तुम थोड़ा ज्यादा वेट बोल रहे हो? अब मेरी सम झ में आ रहा है कि आजकल तुम्हारे घुटनों में दर्द क्यों रहने लगा है. इतना वजन उठाएंगी तो भला टांगों का क्या दोष…’’ माहिरा ने महसूस नहीं किया  था कि कब वे दोनों ‘मीडियम’ से ‘लार्ज’ और  फिर ‘ऐक्स्ट्रा लार्ज’ साइज में तबदील हो गए.

आज औफिस में हुए हैल्थ कैंप की रिपोर्ट ने ईशान को परेशान कर दिया. जीभ

का चटोरापन अपनी जगह है पर उस की सजा पूरे शरीर को भुगतनी पड़े, यह बात ठीक नहीं. माहिरा के मनमस्तिष्क में आज केवल ईशान का बिगड़ा स्वास्थ्य चक्कर काट रहा था. डिनर पश्चात बच्चे गुडनाइट कह अपने कमरे में चले गए और ईशानमाहिरा अपने कमरे में. माहिरा जल्दी सोने वालों में से है, लेकिन आज नींद बैडरूम में घुसने का नाम नहीं ले रही थी.

उसे जागता हुआ देख शायद ईशान को एहसास हो गया कि  आज माहिरा को किस बात ने परेशान किया हुआ है. उस के बालों में अपनी उंगलियां फेरते हुए बुदबुदाया, ‘‘माहिरा, तुम अच्छी तरह वाकिफ हो मेरी टेस्टी खाने की आदत से. खाने में स्वादिष्ठ भोजन के बिना मु झे कुछ अच्छा नहीं लगता और इसी कारण मेरा वजन बढ़ गया है. आज कैंप के डाक्टरों ने मु झे और भी कई ब्लड टैस्ट करवाने को कहा, साथ ही काफी हिदायतें भी दीं कि तलाभुना खाना, मीठा खाना, बेकरी प्रोडक्ट्स वगैरह सब बंद,’’ इतना कह वह धीरे से हंसा, ‘‘इन्हें क्या मालूम एक फूडी के लिए जीभ का स्वाद क्या होता है. इन की सलाह मान कर जीना भी कोई जिंदगी हुई… जिंदगी जिंदादिली का नाम है. डरने वाले क्या खाक जीया करते हैं?’’

‘‘डाक्टरों की बात को इतना लाइटली मत लो ईशान. अगर अभी से शरीर अनहैल्दी हो जाएगा तो बुढ़ापे में क्या होगा?’’ माहिरा ने अपनी चिंता व्यक्त की.

‘‘तुम हो न मेरा बुढ़ापा संभालने के लिए. अभी का टाइम तो अच्छी तरह जीएं. वैसे भी मैं ने कई इंश्योरैंस पौलिसियां ले रखी हैं. डौंट वरी, डियर.’’

ईशान की बातों से माहिरा को सम झते देर न लगी कि वह अब भी अपना स्वाद त्यागने को तैयार नहीं है.

‘‘एक गुड न्यूज दे दूं तुम्हें… मैं ने इस लौंग वीकैंड के लिए कौर्बेट नैशनल पार्क में रिजोर्ट बुक करा लिया है. बस, अब तैयारी कर लो एक छोटे से हौलिडे की.’’

कुछ समय के लिए माहिरा चिंतित अवश्य हो उठी थी, लेकिन ईशान की जिंदादिली ने जिंदगी को फिर यथावत चला दिया. 2 दिनों में एक शौर्ट वैकेशन के लिए जाना था, सो माहिरा तैयारी में जुट गई. मौसम के अनुसार सभी के कपड़े, कैमरा, दूरबीन, चार्जर, कुछ खानेपीने का सामान आदि पैक करते हुए उस ने अगले 2 दिन बिताए. ईशान को उस के हाथ के बने स्नैक्स इतने भाते थे कि उस ने पूरे मन से चकली, मठरी और नमकपारे बनाए, साथ ही मफिन और नट्स ऐंड डेट केक सूखे नाश्ते के लिए बना लिए. शनिवार की अल्पसुबह चारों अपनी गाड़ी में सवार हो निकल पड़े. हलकाफुलका नाश्ता रास्ते में चलती कार में करते गए. जब गजरौला पहुंचे तब जा कर सब ने गियानी ढाबे पर पेट भर कर खाया. ढाबे के खाने की बात ही और होती है. साथ ही कड़क चाय पी कर सब की थकान, छूमंतर हो गई. पूरे 5 घंटों का सफर तय कर उन की कार जिम कौर्बेट नैशनल पार्क पहुंची. रामनगर में बुक किए रिजोर्ट में पहुंच कर सब कुछ देर सुस्ताए.

‘‘बच्चो, आज का प्लैन है जीप सफारी. शाम 4 बजे चलेंगे.’’

ईशान की बात सुन कर दोनों बच्चे खुश हो उठे. बच्चों के साथ घूमने का यही आनंद है. उन का उत्साह बड़ों में भी उमंग और ऊर्जा भर देता है.

‘‘आज जीप सफारी के मजे लेते हैं और कल सुबह चलेंगे ऐलीफैंट सफारी पर. सुबह के समय में शेर देखने के चांस बहुत होते हैं और फिर हाथी के ऊपर बैठ कर जंगल की सैर के क्या कहने.’’

ईशान की योजना ने बच्चों को ‘ये…ये’ के नारे लगाने पर विवश कर दिया.

जीप सफारी में सभी ने बहुत आनंद उठाया. हालांकि शेर के दर्शन नहीं हुए पर कल

सुबह हाथी की सवारी पर शेर देखने की आशा लिए चारों रिजोर्ट लौट आए. पूरे दिन के थके हुए खाना खा कर चारों अपनेअपने बिस्तर पर ढेर हो गए. कल सुबह जल्दी उठना था सो जल्दी सोने का निर्णय पहले ही तय था.

सोते हुए अचानक माहिर को ऐसा प्रतीत हुआ कि बिस्तर पर कुछ हलचल हो रही है. उस ने उठ कर देखा तो ईशान बड़ी व्याकुलता से अपनी छाती सहला रहा था.

‘‘क्या हुआ?’’ माहिरा ने पूछा.

ईशान हौले से बोला, ‘‘अजीब घबराहट सी हो रही है. करीब 1 घंटे से जागा हुआ हूं. टौयलेट भी हो आया पर ऐसा लग रहा है जैसे छाती में गैस हिट कर रही है. कोई चूरण लाई हो क्या?’’

ईशान की छटपटाहट देख माहिरा बेचैन हो उठी. इतनी रात गए, यहां घर से बाहर…समय देखा तो रात के 2 बज रहे थे.

‘‘बाहर का खाना खाया है, क्या पता उसी से अपच हो रही हो. थोड़ा टहल

कर देखो.’’

माहिरा के सु झाव पर ईशान उठ कर कमरे में ही धीरेधीरे टहलने लगा, ‘‘काफी देर से टहल रहा हूं पर आराम नहीं आया तब जा कर वापस बिस्तर पर बैठ गया था.’’

ईशान के बिगड़ते मुंह से माहिरा सम झ रही थी कि उसे तकलीफ हो रही है. उस ने तत्काल रिजोर्ट की रिसैप्शन पर फोन किया. यहां कोई डाक्टर औन कौल की सुविधा तो नहीं थी पर हल्द्वानी में कई अच्छे अस्पताल हैं, यह बताया गया. बच्चे सो रहे थे. ईशान की तबीयत में कोई सुधार न आता देख माहिरा ने अस्पताल जाने का निर्णय ले एक टैक्सी बुलवा ली. बच्चों को यहीं रूम में सोता छोड़ कर दोनों टैक्सी से हल्द्वानी के लिए रवाना हो गए. हल्द्वानी के ब्रिजपाल हौस्पिटल तक पहुंचने में उन्हें पूरा 1 घंटा लग गया.

रास्ताभर ईशान अपनी छाती सहलाता रहा और माहिरा उस के माथे पर बारबार छलक आई पसीने की बूंदों को पोंछती रही. सारे रास्ते दोनों चुप रहे, किसी की सम झ में नहीं आ रहा था कि क्या कहे.

माहिरा हताश होने वालों में से नहीं थी, किंतु वर्तमान स्थिति के कारण उस में नैराश्य की भावना उभरने लगी थी. उसे आने वाले कल की चिंता ने घेर लिया. उस ने खामोशी से ईशान का सिर अपने कंधे पर टिका लिया. इस 1 घंटे के रास्ते में न जाने कितनी भावनाओं के ज्वार दोनों के मन में शोर मचाते रहे. दोनों के मन के अंदर न जाने कितने विचारों का आवागमन निर्बाध चल रहा था.

अस्पताल पहुंचे तो इमरजैंसी में दाखिल किया गया. औन ड्यूटी डाक्टर ने चैकअप किया, पहले भी हुआ है कभी ऐसा?’’ फिर रिपोर्ट बना कर ईशान को फौरन आईसीयू में भरती किया गया. ईसीजी करवाया, फिर ईशान के हाथ में कैन्यूला लगा कर कुछ देर के अंतराल में 2 इंजैक्शन दिए. कुछ टैबलेट्स दीं. थोड़ीथोड़ी देर में नर्स बीपी चैक करने लगती.

ऐसे ही अगले 2 घंटे बीत गए. बाहर सूरज की किरणें हर ओर छिटक कर नए सवेरे

का संदेश देने लगी थीं, किंतु माहिरा और ईशान की रात अभी खत्म नहीं हुई थी. दोनों बहुत व्याकुल थे, माहिरा ने रिजोर्ट में फोन कर अपने बच्चों के नाम संदेश छोड़ा ताकि उठने पर वे इन्हें अपने पास न पा कर डरें नहीं.

जब ईशान की तबीयत में थोड़ा सुधार आया तब डाक्टर ने माहिरा को अपने कक्ष में बुलाया, ‘‘देखिए मैडम, जब आप आए तब आप के हसबैंड का बीपी रेट 210/110 था जो सामान्य से काफी अधिक है… खतरनाक लैबल तक. इन की यह हालत बीपी अटैक के कारण भी हो सकती है, और हो सकता है कि यह एक हार्ट अटैक भी हो. इस की जांच करने के लिए हमें इन्हें ऐडमिट रखना होगा. ट्रौप टी टैस्ट भी करना होगा,’’ कहते हुए डाक्टर ईशान की फैमिली मैडिकल हिस्ट्री पूछने लगे.

माहिरा इतनी डीटेल्स सुन कर काफी घबरा गई. वह यहां अकेली थी. ऐसे में कोई भी निर्णय अकेले लेना उसे  ठीक नहीं लगा. उसे ईशान

से डिस्कस कर के ही आगे का कदम उठाना सही लगा.

‘‘कहो ईशान, क्या तबीयत में थोड़ा सुधार फील कर रहे हो? माहिरा ने पूछा.

उत्तर में ईशान ने तबीयत में सुधार बताया तब माहिरा ने उसे वस्तुस्थिति सम झा कर पूछा, ‘‘ऐडमिट करने के लिए हामी भर दूं? कहो तो तुम्हें ऐडमिट करवा कर रिजोर्ट जा कर बच्चों को ले आऊं?’’

ईशान विषादग्रस्त हो बोला, ‘‘सौरी माहिरा, मेरे कारण तुम सब को कितनी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है…कहां तो हम सब हौलिडे मूड में आए थे और ये सब हो गया… तुम्हें अकेले ही…’’

‘‘कैसी बातें करते हो, ईशान? यह समय परेशान होने का नहीं, सही निर्णय लेने का है. अच्छा, तुम रैस्ट करो, मैं अपने फैमिली डाक्टर से फोन पर राय लेती हूं,’’ कह माहिरा ने उन का फोन मिलाया और सारी स्थिति विस्तार से सम झाई. उन की बात लोकल डाक्टर से भी करवा दी. उन की सलाह पर ट्रोपोनिन टी टैस्ट भी करवाया.

जब तक उस की रिपोर्ट आई, माहिरा टैक्सी से वापस रिजोर्ट गई. वहां चैक आउट किया, बच्चों को ले कर अपनी कार से ड्राइव करती हुई अस्पताल पहुंची.

डैडी को इस हालत में पा कर बच्चे काफी परेशान हो उठे. कितनी प्रसन्नता से छुट्टी मनाने आए थे. उन को खिन्न देख कर ईशान भी तनावग्रस्त हो गया. कुछ ही घंटों में ट्रौप टी टैस्ट की रिपोर्ट आ गई. शुक्र है कि रिपोर्ट नैगेटिव आई. इस का सीधा तात्पर्य यह था कि ईशान को बीपी का अटैक आया था, हार्ट अटैक नहीं. स्थानीय डाक्टरों से प्रैस्क्रिप्शन ले कर माहिरा ने ईशान को डिस्चार्ज करवाया और कार में सवार हो सभी घर रवाना हो गए.

रास्ते में बच्चे फोन पर गेम खेलने में मगन हो गए. किंतु ईशान और माहिरा का

मन अभी भी भूत, वर्तमान और भविष्य के जाले पोंछ रहा था. कल और आज इन 2 दिनों में उन की जिंदादिली से दौड़ती जिंदगी को बड़ा  झटका लगा था. इस अनुभव ने दोनों को  झक झोर दिया. उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उन के स्वप्नमहल की ऊंची दीवारों को हिलाना इतना आसान हो सकता है.

आगे ऐसी स्थिति न उत्पन्न हो यह सोच कर माहिरा ने अपने गृहस्थजीवन को और प्रबल करने की ठान ली. जैसे नई रैसिपीज माहिरा में एक नया जोश फूंक देती है वैसे ही ईशान का स्वास्थ्य वापस ठीक करने की इच्छा ने उस के अंदर एक नव ऊर्जा का संचार कर डाला. जीभ का जनून छोड़ा नहीं जा सकता पर कंट्रोल तो किया जा सकता है. लाइफस्टाइल बदलाव की मदद से अनहैल्दी हो चुकी जिंदगी को वापस ट्रैक पर लाने के लिए उस के हाथ में अभी समय है.

सुबह नाश्ते की टेबल पर दलिया देख ईशान का चौंकना स्वाभाविक था. अकसर माहिरा दलिया के कबाब या टिक्की बनाती थी. दलिया उन्हें बीमारों का खाना जो लगता था.

‘‘खा कर तो देखो,’’ ईशान के चेहरे पर उभर आए भावों को परखते हुए माहिरा बोली.

‘‘दलिया भी टेस्टी हो सकता है मैं ने कभी सोचा नहीं था.’’

ईशान के मुंह से नाश्ते की प्रशंसा सुन माहिरा को अपनी स्ट्रैटेजी पर कौन्फिडैंस बढ़ गया.

आज का सारा दिन उस ने बढ़ते वजन का सेहत पर असर और वजन बढ़ाने के तरीकों के बारे में सर्च करने में बिताया. दिन ढले जब ईशान घर लौटा तो वह पूरी तैयारी के साथ सब के सामने आई. माहिरा के हाथ में कौपी, पैन और कुछ प्रिंटआउट्स देख कर ईशान को थोड़ा अचंभा हुआ.

‘‘ईशान, मु झे अपनी जिंदगी तुम्हारे साथ वैसे ही व्यतीत करनी है जैसी अब तक जीती आईर् हूं. खुशी से, प्यार में डूब कर और हंसतेखेलते,’’ ईशान का हाथ अपने हाथों में ले कर उस ने बात शुरू की,’’ अपने शरीर के प्रति हमारा सब से पहला कर्तव्य है और नैक्स्ट आती है हमारी फैमिली.’’

फिर उस ने अपने दोनों बेटों को पुकारा, ‘‘अर्णव, आरव, आज तुम्हें एक कहानी सुनाती हूं. तुम ने सर्कस में जगलर देखा है न. वह कैसे एकसाथ कई बौल्स उछालतापकड़ता है. वैसे ही हम सब जीवन के जगलर्स हैं. हम सब के हाथों में 5 बौल्स हैं- 3 रबड़ की और 2 कांच कीं. रबड़ की बौल्स को उछालो, गिराओ पर वे टूटेंगी नहीं, वापस बाउंस कर के हमारे हाथ में आ जाएंगी. किंतु कांच की बौल्स अगर गिरी तो टूटना तय है,’’ माहिरा अपने तीनों दर्शकों ईशान, अर्णव और आरव जो पूरी तल्लीनता से उसे देखसुन रहे थे, कि आंखों में आंखें डाल कर आगे कहने लगी, ‘‘हमारा प्रोफैशन, हमारी धनसंपदा और हमारा फ्रैंड सर्कल ये तीनों हैं रबड़ की बौल्स. एक बार छूट गईं तो इन का फिर से मिल पाना संभव है. हमारा स्वास्थ्य और हमारा परिवार ये दोनों हैं कांच की बौल्स. इन के प्रति लापरवाही बरती और यदि ये हाथ से फिसल गईं तो अपना नुकसान तय सम झो.’’

माहिरा की संजीदगी देख ईशान सम झ गया कि इस बार वह हैल्थ को ले कर काफी सीरियस है. माहिरा ने प्रिंटआउट के जरीए ईशान को शरीर में अधिक फैट जमा होने पर होने वाले नुकसानों के बारे में सम झाया, हैल्दी रहने के फायदे दिखाए, कई प्रकार के डाइट चार्ट्स भी शेयर किए.

अगली सुबह अलार्म ने नींद काफी जल्दी खोल दी. स्पोर्ट्स शूज, वाटर बोतल, हैंकी, टौवेल सबकुछ तैयार  था. माहिरा और ईशान ने रोजाना मौर्निंगवाक शुरू कर दी, साथ ही एक जिम की मैंबरशिप भी ले ली. इतनी रिसर्र्च का यह लाभ हुआ कि माहिरा डाइट में भी बदलाव लाई. अधिकतर घर का खाना, 1-2 चम्मच तेल में ही खाना पकाना, मीठे पर कंट्रोल, पोर्शन कंट्रोल, टाइम पर खाना आदि कदम उठाने से जल्द ही ईशान को अपने घुटनों के दर्द में आराम मिलने लगा. 1 साल की तपस्या से शरीर का काफी फैट उतर चुका था. माहिरा का साइज भी अब सिकुड़ कर मीडियम पर आ पहुंचा.

शादी की 20वीं वर्षगांठ की पार्टी के उपलक्ष में दोनों ने स्पैशल पोशाकें सिलवाईं.

मैरून कलर कोऔर्डिनेट कर के जब दोनों ने पार्टी में ऐंट्री की तो सारा हौल मित्रों व रिश्तेदारों की तालियों से गुंजायमान हो उठा.

कोई कहता, ‘‘तुम दोनों को देख कर कौन कह सकता तुम्हारी शादी को 20 साल हो गए हैं,’’ तो कोई कहता, ‘‘वाह, कितने यंग और फ्रैश लग रहे हो जैसे नया शादीशुदा जोड़ा.’’

प्रशंसा और कौंप्लिमैंट्स की बरसात में भीगते हुए दोनों स्टेज की ओर बढ़े.

सब के जवाब में ईशान कहने लगा, ‘‘इस का श्रेय सिर्फ और सिर्फ माहिरा को जाता है. इस के संकल्प और मेहनत का परिणाम है कि इस ने मेरा बुढ़ापा कई साल पीछे धकेल दिया है और इसी खुशी में आज मैं और माहिरा एक कपल डांस करेंगे. चलाओ मेरी रिक्वैस्ट का गाना,’’ शरमाती हुई माहिरा को बांहों में ले ईशान डांस फ्लोर पर जा पहुंचा. पीछे से गाना बज उठा-

‘‘जब कोई बात बिगड़ जाए, जब कोई मुश्किल पड़ जाए, तुम देना साथ मेरा ओ हमनवाज…’’

‘‘कल और आज इन 2 दिनों में उन की

जिंदादिली से दौड़ती जिंदगी को बड़ा  झटका लगा था.

इस अनुभव ने दोनों को  झक झोर दिया…’’

Donald Trump का चुना जाना विश्व की महिलाओं के लिए खतरे की घंटी

अमेरिका में हुए राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने कमला हैरिस को बहुत आसानी से हरा दिया. हालांकि, इस चुनाव में उन की जीत के पीछे कुछ महत्त्वपूर्ण कारण थे, जो उन के मजबूत नेतृत्व की छवि, मुद्दों की सटीक पकड़ और अलगअलग सामाजिक और आर्थिक मुद्दों को ले कर नैरेटिव सेट करने से जुड़े हुए थे. यही वजह रही कि वे चुनाव जीतने में सफल रहे। वहां की महिलाएं मानती हैं कि डोनाल्ड ट्रंप एक आर्टिस्ट हैं और मजबूत छवि बनाने के लिए कुछ भी ऐक्टिंग कर सकते हैं और यही उन्होंने किया, जो इस प्रकार रहे :

हमले के बाद खुद को नायक के रूप में पेश करना

चुनाव में ट्रंप ने राष्ट्रवादी नेता के रूप में अपनी छवि को बखूबी स्थापित किया. उन्होंने अमेरिकी हितों की सुरक्षा को सब से बड़ा मुद्दा बनाते हुए खुद को विश्व मंच पर अमेरिका की साख दोबारा स्थापित करने वाले नेता के रूप में पेश किया. उन की मजबूत छवि और उन पर हुए हमले के बाद जनता में उन के प्रति सहानुभूति और बढ़ गई, जिस से उन्हें नायक के रूप में देखा गया.

अप्रवासियों के लिए विरोधी नीति का अपनाना

बाइडेन शासन में करीब 11.7 मिलीयन लोग अवैध तरीके से अमेरिका में घुसे हैं. इन अप्रवासियों पर कड़ी काररवाई और अवैध प्रवासियों को देश से बाहर निकालने के वादे ने ट्रंप को खासतौर पर स्थानीय वोटरों का समर्थन दिलाया. ट्रंप ने इस मुद्दे पर जोर दे कर कहा कि अमेरिकी टैक्स का पैसा अवैध प्रवासियों पर नहीं खर्च होना चाहिए. उन्होंने अमेरिकी नागरिकता के कानून को भी सख्त बनाने का वादा किया, जिस से उन्हें बड़ी संख्या में समर्थन मिला.

श्वेत महिलाओं का समर्थन

हालांकि कमला हैरिस ने महिलाओं के मुद्दों, खासकर गर्भपात के अधिकार को चुनावी अभियान में प्रमुखता से उठाया था, लेकिन ट्रंप ने सफेद महिलाओं को यह समझाने में कामयाबी पाई कि गर्भपात अकेला मुद्दा नहीं है और इसे उन्होंने संस्कृति का हिस्सा बताया, जिस में चर्चवादी लोगों का बहुत अधिक योगदान रहा. इस से श्वेत महिलाएं प्रभावित हुईं और वोट दिया.

देश की आर्थिक हालात और बढ़ती महंगाई पर जोर देना

अमेरिका में आर्थिक हालात और महंगाई एक बड़े मुद्दे के रूप में उभरे. बाइडेन सरकार के दौरान आर्थिक स्थिति बिगड़ने और महंगाई बढ़ने से जनता में असंतोष था. ट्रंप ने इसे प्रमुख मुद्दा बनाते हुए यह संदेश दिया कि उन की सरकार में आर्थिक सुधार होंगे.

अचानक से जो बाइडेन का पीछे हट जाना

डैमोक्रेट्स ने राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में कमला हैरिस को बहुत देर से घोषित किया. जो बाइडेन की उम्र को ले कर सवाल उठने पर उन की उम्मीदवारी कमला हैरिस को दी गई, लेकिन उन्हें तैयारी का पर्याप्त समय नहीं मिला. इस देरी के कारण स्विंग वोटर ट्रंप के पक्ष में चले गए और इस से कमला हैरिस की संभावनाओं पर विपरीत प्रभाव पड़ा.

बिजनैस टाइकून एलन मस्क का ट्रंप को साथ देना

एलन मस्क ने ट्रंप के समर्थन में खुल कर रैलियां कीं और सोशल मीडिया पर उन के पक्ष में माहौल बनाया. मस्क का समर्थन ट्रंप के लिए एक बड़े एक्स फैक्टर की तरह काम आया, जिस ने चुनाव प्रचार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई.

नहीं खुश अमेरिकी महिलाएं

इस तरह से डोनाल्ड ट्रंप अब अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बन चुके हैं और 20 जनवरी, 2025 को अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए शपथ लेंगे, लेकिन उन के राष्ट्रपति बनने को ले कर अधिकतर महिलाएं खुश नहीं हैं, क्योंकि ट्रंप महिलाओं के अधिकारों के पक्ष में नहीं हैं, जिस में अबौर्शन मुख्य रूप से शामिल
है.

उन के हिसाब से पेट में पल रहे बच्चे का अबौर्शन एक तरीके की हत्या है। ऐसे में महिलाओं को रैपिस्ट के बच्चे को जन्म देना पड़ेगा. महिलाएं इसे हत्या नहीं मानतीं, वे इसे उन का मूल अधिकार समझती हैं और उन के स्वास्थ्य से जुड़े अधिकारों की श्रेणी में आता है. इसलिए उन के शरीर के बारें में निर्णय लेने का हक उन का ही होना चाहिए. इसे ले कर कई हेट स्पीच भी ट्रंप के समर्थकों द्वारा सोशल मीडिया पर दिए गए, जिस का विरोध महिलाएं जम कर कर रही हैं.

4B मूवमैंट की शुरुआत

ट्रंप की जीत से आहत महिलाएं इसे पुरुषों की गलती मानते हुए 4B यानि Four Nos मूवमैंट में शामिल हो रही हैं. साउथ कोरिया में 2016 में 4B आंदोलन की शुरुआत हुई थी. यह #MeToo जैसा ही मूवमैंट था, जिस में महिलाओं के लिए समानता और अधिकारों की बात कही गई थी. साउथ कोरिया से निकल कर यह आंदोलन एशिया और अब अमेरिका तक पहुंच गया है.

महिलाएं विरोध में सिर मुड़वा रही हैं

महिलाओं का कहना है कि वह पितृसत्तात्मक समाज द्वारा तय किए गए ब्यूटी के पैमानों को नहीं मानेंगी.
इस आंदोलन के तहत सैक्स रिश्ते शादी और बच्चे करने से वे इनकार कर रही हैं, ताकि विरोध का तरीका और प्रतिशोध का संकेत हो सके, जिस में ‘योर बौडी माय चौइस ’ को बहिष्कार करने की गूंज भी शामिल है. इस की आंधी आगे कहां तक जाएगी इस का पता समय के साथ चल पाएगा.

पुरुषपंथी विचारों और क्रिस्टियनिटी का हावी होना

डोनाल्ड ट्रंप का ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन (MAGA)’ आंदोलन एक पुरुषपंथी और क्रिस्टियनिटी को बढ़ाने की दिशा में सोचीसमझी रणनीति का परिणाम है. इस से यह पता चलता है कि अमेरिका तभी फिर से महान बन सकता है, जब आधुनिक अमेरिकी पुरुष अपने पिता और दादाओं की तरह मजबूत पुरुष बनना सीखें और महिलाओं पर प्रभुत्व स्थापित करें.

यह आंदोलन अमेरिका को उस काल्पनिक स्वर्णिम युग में वापस लाने के वादे पर आधारित है, जहां शिक्षित महिलाएं अपनी जगह जानते हुए खुशहाल जीवन बिताते हुए भी गलती की और डोनाल्ड ट्रंप जैसे व्यक्ति को अपना नेता चुन बैठी. दुर्भाग्य से दुनिया के सब से मजबूत राष्ट्र में आगामी राष्ट्रपति चुनावों के लिए माहौल इन महिलाओं ने ही तैयार कर दिया है. अब अमेरिका एक ऐसी वास्तविकता में रह रहा है, जहां लाखोंकरोड़ों अमेरिकी पुरुष, डोनाल्ड ट्रंप को पुरुष शक्ति के प्रतीक के रूप में देखते हैं और उन का दूसरी बार राष्ट्रपति चुना जाना देश की कई समस्याओं का एकमात्र समाधान मानते हैं.

देखा जाए तो पूर्व राष्ट्रपति और रियलिटी टीवी स्टार डोनाल्ड ट्रंप का सोशल मीडिया और टैलीविजन पर महिलाओं का अपमान करने और उन्हें नीचा दिखाने का इतिहास रहा है. प्रमुख महिलाओं और विशेषरूप से उन महिलाओं के बारे में भद्दी और आपत्तिजनक टिप्पणियां करते हैं, जो उन के टैलीविजन रैलियों में
हजारों लोगों की मौजूदगी में सार्वजनिक रूप से उन के खिलाफ़ बोलती हैं.

वह उन की शारीरिक बनावट की आलोचना करते हैं, उन के परिवारों और यहां तक कि उन के प्रजनन विकल्पों का भी अपमान करते हैं. कम से कम 26 महिलाओं ने उन पर यौन दुराचार और हमले का आरोप लगाया है. ये आरोप 1970 के दशक से ही लगे हुए हैं और इन में बलात्कार, अवांछित चुंबन, छेड़छाड़ आदि शामिल हैं.

पिछले साल एक सिविल ट्रायल में जूरी ने उन्हें यौन उत्पीड़न के लिए उत्तरदायी पाया और उन पर आरोप लगाने वाले को 5 मिलियन डौलर दिया. हालांकि ट्रंप सभी आरोपों से इनकार करते हैं, लेकिन महिलाओं के प्रति उन का तिरस्कार उन के शब्दों और आचरण पर विचार करने की जरूरत है. यहां तक कि उन के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जेडी वेंस भी एक खुलेतौर पर महिला विरोधी हैं, जो अपने डैमोक्रेटिक प्रतिद्वंदी को ‘चाइल्डलैस कैट लेडिज’ कह कर उन का अपमान करते हैं.

राष्ट्रपति के रूप में, ट्रंप ने न्यायाधीशों को नियुक्त किया, जिन्होंने रो बनाम वेड मामले को पलट दिया और कई राज्यों में अमेरिकी महिलाओं को अपने शरीर और जीवन पर सार्थक नियंत्रण से वंचित कर दिया.

क्या है सोच

इंडियाना पोलिस की अमेरिकी नागरिक और वैज्ञानिक कहती हैं कि डोनाल्ड ट्रंप के अलावा महिलाओं के पास कोई औप्शन महिलाओं के लिए बचा नहीं था, क्योंकि बाइडेन शासन में 11.7 मिलियन अवैध माइग्रैंट अमेरिका में घुसे हैं, जिन्हें छोटेछोटे शहरों और गांव में टेंट लगा कर शरण दिया गया है. ये लोग अपना पेट पालने के लिए हर इल्लीगल काम कर रहे हैं. इन के पास सही डाक्यूमैंट नहीं हैं, ऐसे में अवैध रूप से घुस कर सारे अनैतिक काम कर रहे हैं. इस के अलावा आज महिलाओं में एकजुटता की भी कमी है, इसलिए उन की आवाज बुलंद नहीं हो पा रही है,अमेरिका में चोरी, रेप, मर्डर आदि के मामले पहले से काफी बढ़ चुका है, क्योंकि यहां आने वालों को काम नहीं मिल रहा है.  क्योंकि अमेरीका के पुरुषों और क्रिस्टियनिटी ने संस्कृति और परंपरा के महत्त्व को बताते हुए सब का ब्रैनवौश कर दिया है, जबकि तथ्य बहुत अलग हैं.

वे आगे कहती हैं कि 22 वर्षीय जौर्जिया की नर्सिंग छात्रा लैकेन रिले का जौगिंग से लौटते वक्त 26 वर्षीय वैनेजुएला निवासी जोस एंटोनियो इबारा द्वारा रेप कर मर्डर कर देना, अमेरिका की महिलाओं को झकझोर देने वाला रहा, क्योंकि वहां रहने वाली कोई भी महिला इन अवैध घुसपैठियों की वजह से अब खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रही रही है. यह व्यक्ति पिछले साल टैक्सास के एल पासो से अवैध रूप से दाखिल हुआ था, ऐसे में ट्रंप का लैकेन रिले के परिवार से मिलना और उन्हें आश्वासन देना कि वे अमेरिका से सारे अवैध लोगों को उन के देश भिजवा देंगे, सब के मन मुताबिक था, जिस का फायदा ट्रंप को जीत में मिली.

यह सही है कि अमेरिका से उठी किसी भी आवाज की गूंज पूरे विश्व में सुनाई पड़ती रही है, जिस की नींव ट्रंप के जीतने पर कमजोर हुई है. यह दर्शाता है कि महिलाओं में एकजुटता की कमी ही आवाज कम होने की एक वजह है, जिस का खामियाजा आने वाले समय में पूरे विश्व की महिलाओं को भुगतना पड़ेगा.

इस के अलावा एक समझदार दुनिया में महिलाओं के प्रति घृणा और हिंसक पुरुषों का यह ट्रैक रिकौर्ड यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त होगा कि ट्रंप के पास कभी भी व्हाइट हाउस में वापस आने का कोई मौका नहीं था, लेकिन अमेरिका की जनता एक समझदार दुनिया में शायद नहीं रह रही है, तभी उन्हें चुनना उस देश की महिलाओं के लिए एक गलत अंजाम हो सकता है, जिसे
उन्हें अगले 4 साल तक भुगतना पड़ेगा.

जानें क्या है Skin Ageing के कारण और इससे बचने के उपाय

 Skin Ageing : स्किन एजिंग एक प्राकृतिक प्रक्रिया होती है जो साइकोलौजिकल और एनवायरनमेंट फैक्टर के संयोजन से होती है.  कई खराब स्किनकेयर की आदतों से भी जल्दी से स्किन बूढ़ी होने लगती है. प्रायः लापरवाही और जागरूकता की कमी से हम ऐसी स्किनकेयर या लाइफस्टाइल आदतों को अपनाते है जिससे कालेजन टूटता है, इससे स्किन में जलन होती है और  फिर इस वजह से फाइन लाइन्स, धब्बे और बढ़े हुए छिद्रों से  बुढ़ापा  जल्दी झलकने लगता है.

अगर आप जल्दी बुढ़ापे के लक्षणों का अनुभव कर रहे है तो नीचे कुछ स्किनकेयर और लाइफस्टाइल  से सम्बंधित ख़राब आदतों के बारें में बताया जा रहा है जिससे बुढ़ापा जल्दी आता है.

बहुत ज्यादा स्क्रबिंग (रगड़ना)

स्क्रबिंग और एक्सफोलिएट करने से स्किन के लिए लाभ होता है क्योंकि इससे स्किन के मृत कोशिकाओं और स्किन की उपरी परत की गंदिगी से छुटकारा पाने में मदद मिलती है. हालांकि अगर इसे बहुत ज्यादा किया जाए तो इससे लाभ के बदले नुकसान भी होता है.  बहुत ज्यादा जोर से एक्सफोलिएट करने या चेहरे पर ज्यादा स्क्रब करने से भी स्किन में तेज जलन हो सकती है. समय के साथ ज्यादा स्क्रबिंग करने से लंबे समय तक सूजन और फाइन लाइंस और झुर्रियां हो सकती है. अगर आप फेशियल स्क्रब का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो इसे रगड़ने के बजाय अपने चेहरे पर धीरे से इस्तेमाल करें. इसके अलावा हफ्ते में 2-3 बार स्क्रबिंग करना पर्याप्त होता है.

मॉइस्चराइज़र और सनस्क्रीन लगाना भूलें

जब बात उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने की आती है, तो मॉइस्चराइज़र और सनस्क्रीन बहुत महत्वपूर्ण हो जाते हैं. हममें से ज्यादातर लोग इन चीजों को लगाते हैं. स्किन में नमी या हाइड्रेशन की कमी से जल्दी बुढ़ापा झलकता है. अक्सर कई लोग जिनकी स्किन सूखी नहीं होती है, वे हर दिन मॉइस्चराइज़र का उपयोग नहीं करते है उन्हें लगता है कि उन्हें इसकी जरुरत नहीं है. यहीं वह गलती करते है. स्किन के लिए मॉइस्चराइज़र जरूरी है. अगर आपकी स्किन ऑयली है तो आप एक वाटर बेस्ड या हल्का मॉइस्चराइज़र का इस्तेमाल कर सकते है. लेकि इसका लगातार करें. ठीक इसी तरह यूवी रेडिएशन के संपर्क में आने से बचने के लिए सनस्क्रीन का इस्तेमाल करने से समय से पहले बुढ़ापा नहीं नज़र आता है क्योंकि इससे कोलेजन नही टूटता है. आपकी डेली स्किनकेयर रूटीन में चेहरे को धीरे-धीरे धोने के बाद  मॉइस्चराइजर और  सनस्क्रीन लगाना शामिल होना चाहिए. क्रीम, सीरम और ह्यालूरोनिक एसिड बेस्ड प्रोडक्ट जैसे कि प्रोह्फिलो  इंजेक्शन भी समय से पहले उम्र बढ़ने को रोकने में मदद कर सकते हैं और यहां तक कि ये बुढ़ापे के लक्षणों को भी कम करते है.

खुशबूदार और सिंथेटिक (कृत्रिम) रंगों वाले प्रोडक्ट का इस्तेमाल

सुगंधित प्रोडक्ट बाजार में बहुत ज्यादा मिलते है. हालांकि आपको किसी भी स्किनकेयर प्रोडक्ट में सुगंध या सिंथेटिक रंग का कौम्बिनेशन होने पर सावधान रहना चाहिए. खुशबूदार प्रोडक्ट से कई हानिकारक प्रभाव हो सकते हैं. सुगंध और सिंथेटिक रंग स्किन में जलन और ब्रेकआउट पैदा करते है. इससे न केवल संवेदनशील स्किन को परेशानी होती हैं, बल्कि सभी प्रकार की स्किन के लिए ये हानिकारक होते हैं. वास्तव में सुगंध और सिंथेटिक रंगों वाले प्रोडक्ट में इस्तेमाल किये गए कुछ तत्व संभावित कार्सिनोजन प्रभाव वाले होते हैं इससे स्किन की जलन के अलावा स्किन भी खिंचती है. इसलिए सुगन्धित स्किन केयर प्रोडक्ट न चुने.

अपनी स्किन के हिसाब से प्रोडक्ट का इस्तेमाल करना

बहुत सारे लोगों को यह पता होता है कि मानव की स्किन नार्मल, ड्राई, ऑयली और सेंसटिव स्किन होती है.  फिर भी बहुत सारे लोग अपनी स्किन के हिसाब से प्रोडक्ट का इस्तेमाल नहीं करते है. अपनी स्किन के हिसाब से स्किन केयर प्रोडक्ट का इस्तेमाल करने से  जलन और ब्रेकआउट नही होता है.  जिनकी स्किन  सेंसटिव या जिनके मुंहासे ज्यादा होते है उन्हें स्किनकेयर प्रोडक्ट को लेने से पहले बहुत सावधान रहना चाहिए.  बहुत ही सामान्य नियम का पालन करें और स्किन पर जलन पैदा करने वाले प्रोडक्ट का इस्तेमाल करना बंद करें. ख़राब स्किनकेयर प्रोडक्ट का उपयोग करने के कारण त्वचा में जलन और समय से पहले बुढ़ापा झलकता है.

बहुत ज्यादा चीनी का सेवन करना

बहुत ज्यादा चीनी का सेवन करने से जल्दी बुढ़ापा झलकता है. चीनी शरीर में एक ऐसी प्रक्रिया को बढ़ाती है जिससे एडवांस ग्लाइकेशन एन्ड प्रोडक्ट (एजीई) नामक हानिकारक फ्री रेडिकल्स प्रोड्यूस होते है. ये एजीई  स्किन स्काफफोल्डिंग प्रोटीन जैसे कि कोलेजन को तोड़ने के लिए जिम्मेदार होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप उम्र बढ़ने के संकेत दिखते हैं. इसलिए लो-शुगर वाला डाइट न केवल शरीर के लिए बल्कि स्किन के लिए भी अच्छा होता है.

भारत के लीडिंग सेलिब्रिटी कास्मेटिक डर्मेटोलॉजिस्ट, मुंबई के डॉ रश्मि शेट्टी द्वारा इनपुट

Pregnancy के दौरान ब्रेस्ट में क्यों होता है बदलाव, कब लें डौक्टर की मदद?

प्रैग्नेंसी (Pregnancy) के दौरान महिलाओं में शारीरिक तौर पर काफी ज्यादा बदलाव आते हैं. ये बदलाव शरीर में हार्मोनल उतार चढ़ाव के कारण होते हैं. ज्यादातर महिलाओं में ये बदलाव प्रैग्नेंसी के पहले सप्ताह से ही दिखने लगते हैं. महिलाओं में ये बदलाव तब तक होते हैं, जब तक बच्चे का जन्म नहीं हो जाता. प्रैग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में हार्मोन स्तनपान कराने वाले ब्रेस्ट को तैयार करते हैं. जिनकी वजह से महिलाओं के ब्रेस्ट के आकार में भी बदलाव आ जाता है.

शोध के मुताबिक प्रैग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में कुछ ऐसे ऊतक बनने लगते हैं, जो समय के साथ-साथ बढ़ते चले जाते हैं. जिसमें एस्ट्रोजन ब्रेस्ट की कोशिकाओं को तेजी से बढ़ाते हैं. जिससे प्रैग्नेंसी के दौरान कोलोस्ट्रम दूध का निर्माण करता है. ये बदलाव आम होते हैं. तो आइये जानते हैं कि प्रैग्नेंसी के दौरान ब्रेस्ट के आकार में देखे जाने वाले बदलाव के बारे में.

1.ब्रेस्ट में दर्द– प्रैग्नेंसी के दौरान ब्रेस्ट के बढ़ने से महिलाओं को काफी असुविधा झेलनी पड़ सकती है. इससे दर्द भी बढ़ सकता है. ब्रेस्ट के बढ़ने के कारण उसनें आ रही कोमलता के लिए एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन की बढ़ोतरी होती है. ये समस्या प्रैग्नेंसी के पहले महीने से तीसरे महीने तक होते हैं.

2.बढ़े हुए स्तन प्रैग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में हार्मोनल बदलाव के कारण उनके स्तन, निप्पलस और अंडकोष में भी बढ़ोतरी देखी जाती है. जिससे ब्रेस्ट में खिंचाव भी साफ़ तौर पर महसूस किये जा सकते हैं. जिससे स्किन में खुजली की समस्या होने लगती है. इससे निशान भी हो सकती है.

3.निप्पल में बदलाव स्वाभाविक है, जब भी ब्रेस्ट के आकार बढ़ेंगे तो निप्पलों के आकार में भी बदलाव आएंगे. शोध के मुताबिक वाहिनियों में खिंचाव से स्तन और निप्पलस सबसे ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं. जिससे कभी कभी असुविधा तक हो सकती है. इस वजह से निप्पलस के आसपास का क्षेत्र बदलता चला जाता है.

4.निप्पल डिस्चार्ज प्रैग्नेंसी के दौरान निप्पलस से कोलोस्ट्रम के नाम से जाना जाने वाला पिला गाढ़ा तरल रिसाव होता है. जो प्रैग्नेंसी के दूसरे से तीसरे महीने के दौरान निकलने वाला दूध होता है. कभी कभी आप इसे नोटिस भी कर सकते हैं. इसक मतलब यही होता है कि आपके स्तन की तक वाहिकाएं तेजी से बढ़ रही हैं.

5.प्रैग्नेंसी के दौरान कैसे कम करें परेशानी ब्रेस्ट में बदलाव काफी दर्दनाक हो सकता है. खासकर तब जब महिला प्रेग्नेंट हो. ऐसे में अपने दर्द और परेशानी को कुछ हद तक कम कर सकती है. वो कैसे, ये भी जान लीजिये.

  • प्रैग्नेंसी के दौरान परफेक्ट फिटिंग की ब्रा का चयन करें, ताकि ब्रेस्ट की परेशानी को कम किया जा सके. इससे आपको अच्छी मदद मिलेगी.
  • ब्रेस्ट में हो रहे दर्द से राहत पाने के लिए मालिश करें. ध्यान रहे कि मालिश गले से ब्रेस्ट तक होनी चाहिए.
  • अगर ब्रेस्ट से कोलोस्ट्रम का रिसाव हो रहा है तो पैड वाली ब्रा का चयन करें.

6.जरूरत पड़ने पर लें डॉक्टर की मदद महिलाओं में स्तन सबसे संवेदनशील अंगों में से एक होते हैं. प्रैग्नेंसी के दौरान ब्रेस्ट में बदलाव आम बात है, लेकिन कई मामलों में आप किसी विशेषज्ञ से अपनी हर परेशानी को साझा कीजिये. कभी कभी इन बदलावों में कुछ असमान्यता भी देखने को मिलती है. जो बड़े खतरे की घंटी हो सकती है.

  • अगर ब्रेस्ट में महसूस हो कोई गांठ.
  • स्तन में सिर्फ एक जगह ही लगातार बना रहे दर्द.
  • स्तन के आस पास लाल पन रहना.
  • स्किन में बदलाव के साथ गहरे लाल चकत्ते दिखना.
  • निप्पल से कोलोस्ट्रम के अलावा कुछ अलग सा पदार्थ निकलना.
  • निप्पल का सिकुड़ना या अंदर की ओर जाना.

प्रैग्नेंसी के दौरान हार्मोन में उतार चढ़ाव बना रहता है. जिससे ब्रेस्ट के आकार में बदलाव के साथ बढ़ते हैं. इन बदलावों के दौरान कब भी परीक्षण किया जाता है तो ट्यूमर और समान्य ब्रेस्ट के बीच अंतर समझना मुश्किल होता है. प्रैग्नेंसी के दौरान ये बदलाव होते तो हैं लेकिन बच्चे के जन्म के बाद सारी परेशानियां अपने आप सही होने लगती हैं. फिर भी आप अगर चाहे तो विशेषज्ञ से सलाह ले सकते हैं.

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