महान संगीतकार जोड़ी कल्याणजी आनंदजी को सुदेश भोसले दिया ट्रिब्यूट

गायक सुदेश भोसले ने महान संगीतकार जोड़ी कल्याणजी आनंदजी के अविस्मरणीय गीतों के नाम एक शाम पद्मश्री आनंदजी की उपस्थिति में मुंबई के प्रसिद्ध औडीटोरियम षण्मुखानंद में ‘गीतों का कारवां’ नामक कार्यक्रम का आयोजन किया.

सुदेश भोसले ने अपने समय की मशहूर संगीतकार जोड़ी कल्याणजी आनंदजी की लोकप्रिय धुनों पर बने ‘अपनी तो जैसे तैसे’,‘पल पल दिल के पास’,‘यारी है इमान‘, ‘सलाम ए इश्क मेरी जान’,‘राफ्ता राफ्ता देखो आंख मेरी लड़ी है’, ‘खैइके पान बनारसवाला’,‘मेरे अंगने में..’जैसे कई बहुचर्चित गीत गाए. कल्याणजी आनंदजी जोड़ी के आनंदजी ने मंच पर सुदेश भोसले का साथ देते हुए खुद कुछ गीत गाए.

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गीत गाते भावुक होकर सुदेश भोसले ने उस सुनहरे समय को याद करते हुए कहा-‘‘कल्याणजी आनंदजी का मेरे दिल में हमेशा एक विशेष स्थान रहा है.गायक के  रूप में मैं उनका श्रृणी हूं.उन्होंने हमेशा मुझे एक अलग आवाज में गाने के लिए प्रोत्साहित किया.उनकी सबसे अच्छी बात मुझे यह लगती है कि वह फिल्म जगत में एक बड़ी शख्सियत होने के बाद भी हमेशा विनम्र रहे.अमित जी (अमिताभ बच्चन) नब्बे के दशक में कई लाइव शो किया करते थ.यह आयोजन कल्याणजी आनंदजी के आर्केस्ट्रा के बिना संभव ही नहीं होता था. जब अमितजी परफौर्म करते थे, उस समय मैं कल्याणजी आनंदजी के साथ शो में हुआ करता था.यह शो उस दौर में एक तरह से पारिवारिक पिकनिक की तरह होते थे. इसी वजह के चलते अमितजी और मेरे संबंधों में गहराई आयी.आज मुझे खुशी हैं कि मै आनंदजी के सामने उन्हें व स्वर्गीय कल्याणजी को ट्ब्यिूट दे रहा हूं.’’ इस समारोह में संगीतकार आनंदजी के साथ उनकी पत्नी शांताबेन शाह भी उपस्थित थीं. इस संगीतमय शाम में सुदेश भोसले के साथ प्रसिद्ध गायिका साधना सरगम, पामेला चोपड़ा, मुख्तार शाह, तरनुम मल्लिक ने भी गीत गाए.

सुदेश भोसले महज बेहतरीन गायक ही नहीं,बल्कि मिमिक्री कलाकार भी हैं. संजीव कुमार के आसामायिक निधन के बाद सुदेश भोसले ने फिल्म ‘‘प्रोफेसर की पड़ोसन’’के लिए संजीव कुमार के संवाद डब किए थे. वह अमिताभ बच्चन,संजीव कुमार,अशोक कुमार व विनोद खन्ना सहित कई कलाकारों की मिमिक्री भी अच्छी कर लेते हैं.

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सुदेश भोसले सबसे पहले 1988 में फिल्म‘‘जलजला’’के लिए गाने गाए थे.उसके बाद तो सुदेश भोसले द्वारा स्वरबद्ध गीत तमाम फिल्मों में अमिताभ बच्चन पर फिल्माए गए.सुदेश भोसले द्वारा स्वरबद्ध चर्चित गीतों में ‘एक दूसरे से करते हैं प्यार हम’, ‘जुम्मा चुम्मा दे दे’, ‘अंग से अंग लगाना’,‘मेरी दुकान पे आना मेरी जान’,‘याद आ रहा है’का समावेश है.

4 टिप्स: बिजी लाइफस्टाइल में ऐसे करें पैरों की देखभाल

पैर हमारी बौडी का भार दिनभर उठाते हैं. फिर भी जहां हम बाकी अंगों की देखभाल कर उनकी खूबसूरती का पूरा ख्याल रखते हैं और अक्सर पैरों को अनदेखा कर देते हैं, जबकि पैरों को विशेष देखरेख की जरूरत होती है. इसलिए अपने चेहरे की सुंदरता के साथ-साथ पैरों की सफाई और सुंदरता का भी खास ध्यान रखें और समय-समय पर उन की सफाई, स्क्रबिंग और मौस्चराइजिंग के साथ पैरों की केयर करती रहें.

1. सही फुटवियर्स है सबसे जरूरी

समर हो या मौनसून, हमेशा अपने आराम के लिए सही जूते पहनना जरूरी है. फैशन दिखाने के लिए आप अपने पैरों से कौम्प्रोमाइज कर लेते हैं, जो आपके पैरों को नुकसान पहुंचाते हैं. अगर आप ज्यादा समय के लिए जूते पहनते हैं, तो देखना चाहिए कि जूते का साइज, फिट और क्वौलिटी का ख्याल रखना चाहिए. अगर आप इन बातों का ख्याल रखेंगे तो आपके पैर हमेशा खूबसूरत रहेंगे.

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2. पैरों की सफाई के लिए बनाएं घोल

एक टब में कुनकुना पानी लें. उस में 1 कप नीबू का रस, थोड़ा सा इलायची पाउडर, 2 चम्मच औलिव आयल, आधा कप दूध मिला लें. अब इस घोल में 10-15 मिनट के लिए पांव डाल कर बैठ जाएं. फिर किसी माइल्ड सोप से पांव धो लें और कोई अच्छी सी फुट क्रीम लगा लें. चाहें तो फुट लोशन भी लगा सकती हैं.

3. पैरों के लिए ऐसे बनाएं लोशन

एक गहरे रंग की बोतल लें. उस में 1 चम्मच बादाम का तेल, 1 चम्मच औलिव आयल, 1 चम्मच व्हीटजर्म आयल, 12 बूंदें यूकेलिप्टस एसेंशियल आयल मिला लें. इसे अच्छी तरह हिलाएं और किसी ठंडी व छायादार जगह पर रख दें. पैरों को साफ करने के बाद उन्हें अच्छी तरह सुखा कर यह लोशन लगाएं.

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4. पैरों की करें मसाज

दिन भर की थकान के बाद पैरों की मसाज बेहद आवश्यक है. इस के लिए हाथ में 2 चम्मच चीनी लें, फिर उस में 1 चम्मच औलिव आयल या बेबी आयल मिला लें. दोनों हाथों से इस मिश्रण को अच्छी तरह मिला लें फिर इस से लगभग 2 मिनट तक पैरों की मसाज करें. यदि पैर ज्यादा रूखे हैं तो लंबे समय तक मसाज करें. अब पैरों को गरम पानी से धो लें. आप स्वयं अपने पैरों में फर्क महसूस करेंगी. ये काफी दिनों तक नरम व मुलायम बने रहेंगे. इस से आप हाथों की मसाज भी कर सकती हैं.

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सुस्त लाइफस्टाइल से बढ़ती डीवीटी की परेशानी

लेखक- उमेश कुमार सिंह

आरामपसंद लाइफस्टाइल और फैटी फूड से दिल के रोगों का ही नहीं, डीप वीन थ्रौंबोसिस यानी डीवीटी का भी खतरा बढ़ रहा है. डीवीटी शरीर की गहराई में खून का थक्का बन जाने को कहते हैं. इस तरह के थक्के पिंडलियों, जांघों, किडनी, दिमाग, आंतों और लिवर में बन सकते हैं. इस खतरे की चपेट में अब बड़ी उम्र के लोग या किसी कारण से चलफिर न पाने वाले ही नहीं, युवा और बच्चे भी आने लगे हैं. कई बार जौइंट रीप्लेसमैंट सर्जरी और गंभीर किस्म के ऐक्सीडैंट के मामलों में की जाने वाली सर्जरी के कारण भी फ्री हुए टिशू फैट में मिल जाते हैं, जो डीवीटी की वजह बनते हैं. वास्तव में डीवीटी का सब से बड़ा जोखिम तब है जब थक्का खून के साथ फेफड़ों तक पहुंच जाता है. यह प्रक्रिया पलमोनरी ऐंबोलिज्म कहलाती है.

और्थोपैडिक्स डा. संजय अग्रवाल का कहना है कि थक्के के फेफड़ों में जाने के समय से ले कर 30 मिनटों के अंदर एक व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है. लगभग 80% डीवीटी के रोगियों में यह पाया गया है कि यह बीमारी कोई लक्षण प्रकट नहीं करती. रोगविशेषज्ञों के लिए भी यह एक गुप्त रोग की तरह है.

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डीवीटी एक जिंदगी भर डराने वाली स्थिति की तरह होती है. कभीकभी इसे इकौनौमी क्लास सिंड्रोम भी कहा जाता है, क्योंकि इस के विकास के साथ ही इस की बढ़ने की संभावना भी बढ़ जाती है. जब शरीर की विभिन्न गतिविधियां रुक जाती हैं जैसे लंबी व जटिल हवाईयात्रा के दौरान पैरों का सुन्न पड़ जाना. यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब शरीर के किसी भाग में खून जम जाता है. ज्यादातर पैरों की लंबी शिराओं हाथों और कंधों पर ऐसा होता है.

 क्यों होती है डीवीटी की प्रौब्लम

ज्यादातर लोग आजकल शारीरिक श्रम नहीं करते. चलनेफिरने से भी उन्हें पहरेज रहता है, जो डीवीटी की वजह बन सकता है. इस के अलावा जंक फूड और तंबाकू आदि का सेवन भी इस प्रौब्लम को बढ़ा रहा है. इसी कारण युवाओं और बच्चों तक सभी इस की चपेट में आने लगे हैं.

क्या होता असर

डा. संजय अग्रवाल का कहना है कि डीवीटी के कारण प्रभावित अंग में खून की सप्लाई पर असर पड़ने लगता है. इस के कारण दर्द, सूजन और प्रभावित अंग में भारीपन हो जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक डीवीटी में जो थक्के बनते हैं, उन के लंग्स में पहुचने पर अचानक सांस लेने में दिक्कत हो सकती है. अगर ये दिल या ब्रेन में पहुंच जाएं तो हार्ट अटैक या स्ट्रोक की वजह बन सकते हैं.

जानें उपचार

आजकल डीवीटी का अल्ट्रासाउंड द्वारा भी पता लगाया जाता है. डाक्टरों का विश्वास है कि इस तरीके का प्रयोग कर वे छोटेछोटे थक्कों का पता लगा सकते हैं. थ्रौंबोसिस का खून की जांच कर के भी पता लगाया जा सकता है. यह बहुत अच्छा तरीका माना जाता है. एक ऐसी जांच जो क्लोटिंग सामग्री के बाय प्रोडक्ट्स के स्तर को मापती है डी डीमर कहलाती है और इस का इस्तेमाल आजकल बहुत चलन में है. जब आप बैठे हों तो पैरों के विभिन्न व्यायाम करें जैसे एडि़यों को घुमाना, पैरों की उंगलियों को हिलातेडुलाते रहना, क्योंकि इस से पैरों में खून एकत्रित नहीं होगा और शरीर में खून का प्रवाह लगातार बना रहेगा.

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डीवीटी के निदान के लिए इस में आमतौर पर प्रारंभ में इंजैक्शन के जरीए हैपरीन की ऊंची मात्रा दी जाती है. मरीज को वारफैरीन की भी दवा कुछ महीनों तक खाने को कहा जाता है. जब तक यह दवा ली जाती है मरीज को रोजाना अपने खून की जांच करानी पड़ती है कि वह सही तरीके से दवा ले रहा है तथा वह हैमरेज के खतरे में तो नहीं है. डीवीटी के लक्षणों से बचने के लिए दर्द विनाशक व उस स्थान पर गरमी पहुंचाने वाली दवा लेने की डाक्टर द्वारा राय दी जाती है.

लोगों को अपने लाइफस्टाइल में सुधार करना चाहिए और खानपान में संयम बरतना चाहिए. अगर इस के बाद भी किसी कारण से डीवीटी की प्रौब्लम पैदा होती है, तो उसे दवा और इंटरवैंशनल रेडियोलौजी की मदद से ठीक किया जा सकता है.

दो साल बाद टीवी पर वापसी करती नजर आएंगी सुकीर्ति कांडपाल

टीवी के ‘दिल मिल गए’, ‘प्यार की यह एक कहानी’,‘रब से सोणा इश्क’, ‘काला टीका’ फेम टीवी एक्ट्रेस सुकीर्ति कांडपाल पिछले दो साल से एक्टिंग से दूरी बनाए हुए थीं, लेकिन अब सूत्र दावा कर रहे है कि सुकीर्ति कांडपाल ‘सावधान इंडिया’ के कुछ एपिसोड्स में अभिनय करते हुए छोटे परदे पर वापसी कर रही हैं.

मिनी सीरिज में आएंगी सुक्रीर्ति नजर

 

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Of all the things I hold in high regard , rules are not one of them ?. The Sunday tbt .

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वैसे सूत्रों की माने तो अब ‘सावधान इंडिया’ के कौंसेप्ट में बदलाव किया गया है. अब यह एपिसोडिक की बजाय पांच एपिसोड की ‘मिनी सीरीज’ के रूप में प्रसारित होगा. इसमें सुकीर्ति कांडपाल ने ‘चौसर’ नामक मिनी सीरीज में अभिनय किया है, जो कि जल्द प्रसारित होगा. ‘चौसर’ में चार माह की गर्भवती महिला किस तरह अपने पिता की हत्या के दोषी राजनैतिक परिवार को बर्बाद करती है,उसकी कहानी होगी. इसमें सुकीर्ति कांडपाल गर्भवती महिला के किरदार में होंगी.

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Must be a reason why I’m King of my castle ?????

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बता दें, टीवी एक्ट्रेस सुकीर्ति कांडपाल इन दिनों एक्टिंग करियर में कम एक्टिव रहती हैं, लेकिन वह अपने सोशल मीडिया पेज पर हमेशा एक्टिव रहती है. हाल ही में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में सावधान इंडिया स्पेशल की क्राइम सीरीज के प्रमोशन के लिये सुकृति कांडपाल भोपाल पहुंची. जिसमें फैंस से मुलाकात करने के साथ-साथ होटल की लौबी में फोटो शूट करवाती नजर आईं.

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करण पटेल ने छोड़ा सीरियल ‘ये है मोहब्बतें’, जानें क्या है वजह

एकता कपूर के सीरियल ‘ये है मोहब्बतें’ से अंततः एक्टर करण पटेल का रिश्ता खत्म हो गया. पिछले कुछ महीनों से टीवी इंडस्ट्री में इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि सीरियल ‘ये है मोहब्बते’ में रमन भल्ला का किरदार निभा रहे एक्टर करण पटेल कभी भी सीरियल ‘ये है मोहब्बते’ को छोड़ सकते हैं. बहरहाल, अब टीवी इंडस्ट्री में खबरें हैं कि ‘‘बिग बौस 13’ का हिस्सा बनने के लिए करण पटेल ने सीरियल ‘ये है मोहब्बते’को छोड़ा है. जबकि कुछ सूत्रों का दावा है कि करण पटेल लंबे समय से इस सीरियल के सेट पर घुटन महसूस कर रहे थे, उन्हें लग रहा था कि अब उनके रोल में कुछ भी रोचकता नहीं रही.

करण ने मीडिया कहा ये…

 

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Too Lazy to click new ones but active enough to re-post older ones ??????

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करण पटेल ने एक अंग्रेजी के वेब पोर्टल से कहा है, ‘‘यह सच है कि अब मैं सीरियल‘ ये है मोहब्बते’ का हिस्सा नहीं हूं. यह भी सच है कि मेरा किसी से कोई मनमुटाव या मेरे रोल को लेकर कोई शिकायत भी नहीं है. यह भी सच है कि अब अगले हफ्ते से मेरे किरदार को निभाने के लिए एक्टर चैतन्य चौधरी शूटिंग शुरू करेंगे.’’

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‘बिग बौस 13’ में आ सकते हैं नजर

करण पटेल के सीरियल छोड़ने के पीछे ये भी कयास लगाए जा रहे हैं कि वह सलमान खान के फेमस रियलिटी शो बिग बौस के 13वें सीजन में नजर आ सकते हैं.

शो के दौरान मिले थे औफस्क्रीन ससुर से

करण की औफस्क्रीन वाइफ यानी अंकिता भारगव के पिता भी शो ये हैं मोहब्बतें में इशिता के पिता का किरदार निभा चुके हैं. इसी दौरान अंकिता करण से मिली थी.

बता दें, स्टार प्लस के सीरियल ‘ये है मोहब्बतें’ शो लंबे समय से लोगों को एंटरटेन कर रहा है. वहीं इस सीरियल में  करण के अलावा कई लोकप्रिय स्टार कास्ट भी हैं, जिनमें एक्ट्रेस दिव्यंका त्रिपाठी, अनीता हसनंदानी जैसे सितारे भी हैं.

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ताकि मानसून में भी बनी रहे घर की सेहत

मौनसून का मौसम काफी आनंददायक होता है लेकिन यही हमारे घरों को सब से ज्यादा नुकसान पहुंचाता है. इस मौसम में पानी का छतों और दीवारों से रिसाव सब से बड़ी समस्या होती है. इस के अलावा बारिश और नमी छत और दीवारों को ही नहीं बल्कि लकड़ी के दरवाजों, खिड़कियों और फर्निचर को भी नुकसान पहुंचाती है. आइए जानते हैं मौनसून में घर को कैसे सुरक्षित रखा जाए…

ऐसे करें मानसून से बचाव

मानसून के दस्तक देने से पहले ही हमें अपने घर का एक बार अच्छी तरह मुआयना करना चाहिए. जहां रिपेयर और रंगरोगन की जरूरत हो तो कराने में देरी न करें. मुसलाधार बारिश और आद्रता से बाहरी दीवारें और छत सब से अधिक प्रभावित होती हैं. दीवारों और छत में दरारें आ गई हों तो उन्हें ठीक कराएं. अगर आप मानसून के पहले कुछ जरूरी कदम नहीं उठाएंगे तो आप के घर पर मौसम का काफी बुरा असर पड़ सकता है.

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छत

अगर हर साल मानसून में छत से पानी का रिसाव होता है तो छत पर टाइल्स लगवा लें. टाइल्सों के बीच जो 3-5 मिलि मीटर का स्थान होता है उसे एक रसायन, जिसे एपॉक्सी कहते हैं से भराएं. मानसून आने से पहले ही छत और पाइपों को साफ करा लें ताकि पाइपों के ब्लॉक होने से छत पर पानी न भरे. छत से पानी की निकासी की उपयूक्त व्यवस्था न होना घर को बहुत नुकसान पहुंचा सकती है.

दीवारें

दीवारों का प्लास्टर गीला हो जाता है तो दीवारों में जो दरारें हैं उन्हें वाटर प्रूफ मोर्टार और पेंट से भरें. वाटर प्रूफ सीलिंग एजेंट घर को पहुंचने वाली क्षति को रोकता है. वाटर प्रूफिंग से माकान में पानी नहीं रिसता है और उसे क्षति नहीं पहुंचती है. अगर दीवारें ज्यादा खराब हो गई हों तो लूज़ प्लास्टर को निकलवा कर वाटर प्रूफ प्लास्टर कराएं. दीवारों पर पुट्टी लगाएं. उस के बाद पेंट कराएं.

दरवाजें

बरसात के मौसम में लकड़ी के दरवाजे अक्सर फूल जाते हैं क्यों कि लकड़ी नमी को सोख लेती है. मानसून आने से पहले इन्हें वार्निश या पेंट करा लें.

खिड़कियां और बालकनी

बालकनियों और खिड़कियों में भी शेड लगा लें ताकि बारिश का पानी अंदर न आए.

फर्नीचर

हमेशा फर्निचर को दीवारों से कुछ इंच दूर रखें ताकि नमी इन तक न पहुंचे. अगर आप का फर्निचर लकड़ी का है तो पांच साल में एक बार उस पर वार्निश या पेंट जरूर कराएं.

इनडोर प्लांट्स

मानसून में सभी इनडोर प्लांट्स को बाहर रखें क्यों कि आप इन्हें लगातार पानी देंगे जिस से घर में आद्रता का स्तर बढ़ जाएगा. नमी के कारण इन की बाहरी सतह पर व्हाइट मोल्ड भी जमा हो जाती है जो वायु को प्रदूषित कर आप को बीमार बना सकती है.

कार्पेट और कालीन

कार्पेट और कालीन नमी को सोख लेते हैं और इन से बदबु आने लगती है. इन की नियमित रूप से वैक्यूम क्लीनिंग करें. इस से इन में धूल और नमी एकत्र नहीं होगी. अगर बहुत जरूरी न हो तो इन्हें रोल कर के सूरज की रोशनी के सीधे संपर्क से दूर साफ और सुखे स्थान पर रखें. इन्हें प्लास्टिक शीट्स में पैक कर के रखें क्यों कि आद्रता इन के टेक्सचर को खराब कर सकती है.

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पेंट

5 साल में एक बार घर को पेंट जरूर कराएं. घर की बाहरी दीवारों पर वाटर प्रूफ पेंट कराएं ताकि पानी न रिसे. सिलिकौन वाला पेंट चुनें जिस का वाटर रेजिस्टेंस अधिक हो. मकान के जिस भाग पर मोल्ड और फंगस लगी है पेंट कराने से पहले उसे डिसइंफेक्टेंट से साफ करें.

मकान बनाते समय इन बातों का रखें ख्याल

अगर आप मकान बनाते समय ही कुछ बातों का ध्यान रखेंगे तो हर साल मानसून के मौसम में आप को परेशान नहीं होना पड़ेगा.

छत

यहां से पानी आने की सब से अधिक संभावना होती है. जब घर बनाते हैं तो उसे वाटर प्रूफ करना बहुत जरूरी है. छत तैयार करने के बाद एक लेयर ब्रिक फोबा की लगाते हैं. मार्केट में कई वाटर प्रूफिंग केमिकल उपलब्ध हैं जैसे डॉक्टर फिक्सिट आदि, आप इन का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. छत बनाने के बाद एक लेयर टार की बिछा देते हैं. यह तरल रूप में होता है. छत बनाते समय अगर कोई दरारें छूट जाएं तो यह उसे भर देता है.

दीवारें

अगर आप मकान बना रहे हैं तो बाहरी दीवारों की मोटाई साढ़े चार इंच के बजाय नौ इंच रखें. घर की दीवारों के बाहरी ओर जो प्लास्टर हो वह कम से कम पंद्रह मिलि मीटर का हो. इसे तैयार करने के लिए सीमेंट और रेत का अनुपात 1:4 रखें. इस से पानी के रिसाव की आशंका नहीं रहेगी. आप चाहें तो प्लास्टर में ही वाटर प्रूफिंग केमिकल भी मिला सकते हैं.

पेंट

पेंट कराने से पहले दीवारों पर वाटर प्रूफ पुट्टी लगवाएं. पूरे घर की बाहरी दीवारों पर वाटर प्रूफ एक्सटीरियर पेंट लगाएं. यह पानी को रूकने नहीं देता और वह फिसल कर निकल जाता है. मकान तैयार होने के बाद जब आप पहली बार पेंट कराएं तब ही क्वालिटी का ध्यान रखें क्योंकि अगर एक बार आप की दीवारे खराब हो गईं तो फिर आप को हमेशा समस्याएं आएंगी.

ग्रे इंक स्टूडियो के आर्किटेक्ट सर्वेश चड्डा से की गई बातचीत पर आधारित

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सर्जरी से पाएं सैलिब्रिटी लुक

संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राजील और दक्षिण कोरिया के बाद भारत कौस्मैटिक सर्जरी प्रक्रियाओं की संख्या के लिए दुनिया में चौथे स्थान पर है. अब यहां भी लोग पर्सनैलिटी निखारने के लिए कौस्मैटिक सर्जरी का सहारा लेने लगे हैं. आइए, आप को इस के बारे में विस्तार से बताते हैं:

राइनोप्लास्टी: इसे नोज जौब के रूप में भी जाना जाता है. यह न केवल पुननिर्माण या नाक के आकार को बदलने के लिए की जाती है, बल्कि इस से फंक्शन में भी सुधार आता है.

लिप औग्मैंटेशन: यह एक लोकप्रिय कौस्मैटिक प्रक्रिया है, जो आप को फुलर और प्लंपर लिप्स दे सकती है. इन दिनों इंजैक्टेबल डरमिनल फिलर्स सब से आम लिप औग्मैंटेशन विधि है.

हेयर ट्रांसप्लांट: यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिस में सर्जन आमतौर पर बालों को पीछे या सिर के पीछे की ओर से घुमा कर उन्हें सिर के अगले या ऊपरी हिस्से (गंजे हिस्सों) में लगाते हैं. यह पुरुषों में सब से आम है, क्योंकि कई पुरुष गंजेपन और बाल झड़ने से पीडि़त होते हैं.

पैक्ड फूड से हो सकती है ये 4 बीमारियां

ब्रो लिफ्ट: इसे फोरहैड लिफ्ट कहा जाता है. यह माथे के साथसाथ नोज ब्रिज पर मौजूद शिकन की रेखाओं को भी कम करती है और ऊपरी पलकों को हुड करने वाली सैगिंग ब्रो को उठाने में मदद करती है.

रिटिडैक्टोमी: इसे आमतौर पर फेस लिफ्ट के रूप में जाना जाता है. यह जौ लाइन के आसपास ढीली स्किन में कसाव लाती है. यह मुंह और नाक के आसपास के गहरे क्रेज को भी दूर करती है. यह ठुड्डी और गरदन के अतिरिक्त फैट और मास को भी हटा सकती है.

बोटोक्स औग्मैंटेशन: इस का उपयोग नितंबों के आकार बढ़ाने के लिए किया जाता है. यह आप की फिगर के संतुलन को बेहतर बनाती है.

ब्रैस्ट औग्मैंटेशन: इस में स्तनों के आकार को बढ़ाने के लिए ब्रैस्ट ट्रांसप्लांट या फैट ट्रांसफर का उपयोग किया जाता है ताकि वे बेहतर दिखें.

लाइपोसक्शन: यह कौस्मैटिक प्रक्रिया है, जो वसा को हटाती है. इसे आहार और व्यायाम के माध्यम से कम नहीं किया जा सकता है. शरीर के खास हिस्सों जैसेकि पेट, कूल्हों, नितंबों, जांघों, गरदन या बांहों से वसा को हटाने के लिए सक्शन तकनीक का उपयोग किया जाता है.

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ऐब्डौमिनोप्लास्टी: इसे टक के रूप में भी जाना जाता है. यह अतिरिक्त वसा और स्किन को हटा कर पेट की दीवार की मांसपेशियों को कस कर पेट को चपटा बना देती है.

इंजैक्शन और फिलर: उम्र बढ़ने के कारण होने वाली रेखाओं और झुर्रियों को दूर करने के लिए यह सब से अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला गैरसर्जिकल तरीका है.

बोटुलिनम टौक्सिन: यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिस का उपयोग रेखाओं और झुर्रियों को दूर करने के लिए किया जाता है. यह विश्व में एक न्यूनतम इनवेसिव कौस्मेटिक प्रक्रिया है और उपचार के बाद महसूस होने वाले सही परिणामों के लिए सब से प्रसिद्ध है.

कैमिकल पीलिंग: इस प्रक्रिया में एक रासायनिक समाधान स्किन पर लगाया जाता है जो उसे ऐक्सफौलिएट करता है और अंतत: पील औफ करता है, जिस से युवा स्किन की प्राकृतिक नवीनीकरण प्रक्रिया प्रोत्साहित होती है.

लेजर हेयर रिमूवल: यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जो प्रकाश की एक संकेंद्रित किरण यानी लेजर का उपयोग करती है. यह अनचाहे बालों को हटाती है, क्योंकि यह स्किन के नीचे के रोमछिद्रों को नष्ट कर देती है, जिस से बाल पैदा होते हैं. एलएचआर सौंदर्यचिकित्सा लेजर प्रक्रियाओं की दुनिया का गोल्डन गेटवे है.

-डा. अजय राणा

आईएलएएमडी के संस्थापक और निर्देशक

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क्या आपको लगने लगा है मोटापा बोझ

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज शहर की रहने वाली वर्निका शुक्ला खुद को उत्तर प्रदेश की पहली प्लस साइज मौडल बताती हैं. उन्होंने नैशनल लैवल की कई सौंदर्य प्रतियोगिताएं जीती हैं. वे मौडलिंग करती हैं और साथ ही सिंगल मदर्स के लिए ‘मर्दानी द शेरो’ संस्था भी चलाती हैं. वे टीचर हैं. वे इतने काम करती हैं कि उन्हें देख कर कोई यह नहीं कह सकता कि प्लस साइज सुंदर नहीं होता. वर्निका शुक्ला कहती हैं, ‘‘भारत में औरतों की 36-24-36 फिगर को परफैक्ट माना जाता है, जबकि यहां ज्यादातर लोगों को महिलाओं की कर्वी बौडी शेप अच्छी लगती है. विद्या बालन जैसी अभिनेत्री प्लस साइज के बावजूद सफलता के मानदंड स्थापित कर चुकी हैं.’’

प्लस साइज को ले कर फैशन की दुनिया बदल चुकी है. वर्निका बताती हैं कि अब फैशन वीक में प्लस साइज का अलग राउंड होता है. फैशन के तमाम स्टोर ऐसे हैं, जिन में प्लस साइज के कपड़े मिलते हैं. ऐसे कपड़ों के लिए प्लस साइज मौडलिंग की जरूरत होती है. ऐसे में अब प्लस साइज को ले कर परेशान होने की जरूरत नहीं है. अब इस की पहचान बन रही है.

साइज नहीं सोच बदलिए

समाज में तमाम तरह के लोग रहते हैं. इन में बहुत सारे ऐसे होते हैं जो मोटे होने के बाद भी अपना काम सही तरह से करते हुए ऐक्टिव रहते हैं और कुछ ऐसे भी होते हैं जो उतने मोटे तो नहीं होते हैं पर परेशान रहते हैं. अपने मोटापे को कम करने में ही लगे रहते हैं.

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साइको थेरैपिस्ट नेहा आनंद मानती हैं, ‘‘मोटापा भी अपनेआप में एक मनोवैज्ञानिक परेशानी है. अगर आप यह सोच कर बैठ गए कि आप मोटे हैं और कोई काम नहीं कर सकते तो सच में आप कोई भी काम नहीं कर पाएंगे. अपना मोटापा आप को बोझ लगने लगेगा. अगर आप अपना खानपान सही रख रहे हैं और एक्सरसाइज कर के शरीर को फिट रख रहे हैं, तो मोटापा कभी आप की राह में रोड़ा नहीं बन सकता है.’’

यह जान लेना बहुत जरूरी है कि फैट शरीर के लिए बहुत जरूरी होता है. यह बौडी के बायोलौजिकल फंक्शन में खास रोल अदा करता है. फैट की एक फाइन लाइन होती है. अगर मोटापे की फाइन लाइन पेट के आसपास क्रौस कर जाती है तो खतरा बढ़ जाता है. लड़कियों को अपनी वेस्ट लाइन 35 इंच से कम और लड़कों को 40 इंच से कम रखनी चाहिए.

डाइट से करें फैट कंट्रोल

पेट भरने के लिए खाना न खाएं. खाना खाते समय इस बात का खयाल रखें कि वह ऐसा हो, जिस से शरीर को अच्छी मात्रा में कैलोरी मिल सके. कुछ खाद्यपदार्थ ऐसे होते हैं कि उन के खाने से पेट भर जाता है पर कैलोरी सही मात्रा में नहीं मिलती. केवल फैट बढ़ता है. जितनी कैलोरी खाने के जरीए आप ले रहे हैं उसे बर्न करने के लिए भी उतनी मेहनत करनी चाहिए. एक शरीर को 1600 कैलोरी की जरूरत होती है. यदि काम कम करते हों तो 1000 से 1200 के बीच कैलोरी लेनी चाहिए. अखरोट, बादाम, मस्टर्ड औयल और दालों में फैट को कम करने वाले पदार्थ पाए जाते हैं.

फ्राइड आइटम्स की जगह भुने स्प्राउट्स लें. इन से पेट भी भर जाता है और बौडी को पौष्टिक आहार भी मिल जाता है. डाइट शैड्यूल को प्लान करते समय लिक्विड आइटम्स को भी प्लान करें. नारियल पानी और मौसमी के जूस का ज्यादा प्रयोग करने से फैट नहीं बढ़ता है. फैट को कम करने के लिए किसी स्लिमिंग सैंटर जाने के बजाय कुछ एक्सरसाइज करें. मोटापा शरीर से मिलने और खर्च होने वाली कैलोरी के बीच असंतुलन से बढ़ता है. इस के अलावा जब ज्यादा फैट वाले आहार का प्रयोग किया जाता है तो भी मोटापा बढ़ता है.

एक्सरसाइज न करने और बैठेबैठे काम करने वालों में भी यह परेशानी बढ़ती है. कुछ लोग मानसिक तनाव में भी ज्यादा भोजन करने लगते हैं. इस से भी मोटापा बढ़ जाता है. किशोरावस्था में होने वाला मोटापा बड़ा होने पर बना रहता है. महिलाओं में कुछ शारीरिक बदलाव होने पर मोटापा बढ़ता है. गर्भावस्था के समय भी मोटापा बढ़ती है. बौडी का अपेक्षित वजन बौडी की लंबाई के हिसाब से होना चाहिए, जिस से उस की शारीरिक बनावट अच्छी लगे. बौडी मास शरीर के वजन को नापने का सब से सही उपाय है. बौडी मास इनडैक्स (बीएमआई) को नापने के लिए लंबाई को दोगुना कर के वजन किलोग्राम से भाग दे कर निकाला जाता है.

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सैक्स में बाधक नहीं मोटापा

ज्यादातर लोगों का मानना है कि मोटापा सैक्स में बाधक होता है. सैक्स से संतुष्ट न होने के कारण वैवाहिक जीवन में भी दरार पड़ जाती है. जिन लोगों में मोटापा उन की पर्सनैलिटी को खराब नहीं करता लोग उन के प्रति आकर्षित होते हैं और उन्हें सैक्स करने में परेशानी नहीं आती. अगर कोई साथी मोटा है तो दूसरे को उसे सैक्स के लिए तैयार करने का प्रयास करना चाहिए. सैक्स के दौरान उन क्रियाओं को अपनाना चाहिए, जिन से मोटापा सैक्स में बाधा न डाल सके. मोटापे में शरीर जल्दी थक जाता है.

मोटापे की शिकार महिलाओं और पुरुषों की अलगअलग परेशानियां होती हैं. मोटापे को सहज भाव में ले कर सैक्स क्रियाओं में बदलाव कर के उस का मजा लिया जा सकता है. मोटापे के शिकार व्यक्ति को लगता है कि वह अपने साथी को सैक्स में संतुष्ट नहीं कर पा रहा. इसलिए उसे अपने मन में यह हीनभावना न रख अपने साथी की जरूरतों को समझ उस का साथ देना चाहिए.

तनमन से रहें फिट

मोटापे के लिए अपने ही पुराने समय से तुलना करना सही नहीं होता है. अकसर लोग अपने पहले के फोटो देखते हुए कहते हैं कि पहले मैं ऐसा था. मैं दुबलापतला था तो कितना आकर्षक लगता था. इस सोच से मोटापा डिप्रैशन के लिए मददगार हो जाता है. हम हर समय मोटापे के बारे में ही सोचते रहते हैं. यह सोच अच्छी नहीं है कि जब मैं 20 साल का था तो दुबलापतला और आकर्षक था. अब शायद मैं उतना आकर्षक नहीं दिख सकूंगा.

शारीरिक आकर्षण ही सबकुछ नहीं

नेहा आनंद कहती हैं, ‘‘शारीरिक आकर्षण ही जरूरी नहीं होता है. आदमी अपने को तब ज्यादा परेशान महसूस करता है जब उसे मोटे की जगह बेवकूफ समझा जाए. बाहरी सुंदरता को ज्यादा अहमियत नहीं देनी चाहिए. आदमी में अनुशासन, परिश्रम और काम के प्रति ईमानदारी की भावना उसे आकर्षक बनाती है.’’

120 किलोग्राम वजन के दिवाकर का कहना है, ‘‘मेरे मोटापे को देख कर डाक्टर कहता है कि डायबिटीज और ब्लडप्रैशर से दूर रहने के लिए मुझे 6 माह में 20-25 किलोग्राम वजन कम करना चाहिए. इस के बाद भी मुझे लगता है कि मैं अभी भी 5 पीस वाला पिज्जा 3-4 घंटे में खा सकता हूं. मेरा मानना है कि लाइफ बहुत छोटी है. इसे अपनी तरह से जीना चाहिए. अपनी मनपसंद चीजों को खाना छोड़ कर पागलों की तरह दुबला होने का प्रयास नहीं करना चाहिए. आप जैसे हैं वैसे ही खुश रहना सीखें.’’

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दूसरों से तुलना कर के अपने को कभी असहज न करें. कुछ लोग असहज महसूस करते हुए नशे का शिकार हो जाते हैं. समाज से अपने का अलग कर लेते हैं. उम्र बढ़ने के साथ यह असहजता कम हो जाती है, क्योंकि व्यक्ति को लगता है कि बूढ़ा होने के बाद कोई फर्क नहीं पड़ता है. उलटे उसे यह लगने लगता है कि वह और भी ज्यादा परिपक्व हो गया है. वह अपनेआप को माहौल में पूरी तरह से ढाल चुका होता है.

कुछ खामोशियों को खामोश ही रहने दो…

एक औफिस में दो लोग वैभव और दिव्या काम करते थे. काम तो कई लोग करते थे लेकिन मैं उन दो लोगों की बात कर रहीं हूं जो ऑफिस में साथ काम करते-करते अच्छे दोस्त बन गए, लेकिन दिव्या को पता ही नहीं चला कि वैभव उसे पसंद करने लगा था. वैभव उसे रोज़ फोन करता था…उससे प्यार-प्यारी बातें करता था लेकिन उसकी कभी कहने की हिम्मत नहीं हुई कि वो दिव्या को पसंद करता है. वो कहते हैं न कि कुछ खामोशियां…अगर खामोशियां ही बनकर रहें तो रिश्ता बना रहता है…शायद वैभव भी ऐसा ही सोचता था.

वैभव को दिव्या से बात करना बहुत पसंद था.उसे अच्छा लगता था खुशी होती थी जब वो दिव्या से बात करता था हर बार वो कुछ कहने की कोशिश करता था लेकिन वही खामोशी सामाने आ जाती थी. औफिस में मिलना –जुलना तो लगा ही रहता था लेकिन फोन किए बिना भी रह नहीं पाता था.एक दिन की बात है वैभव ने दिव्या को फोन किया और बोला कि मैं तुम्हें याद कर रहा हूं…बहुत मिस कर रहा हूं तब दिव्या को थोड़ा अटपटा सा लगा और उसने सवाल कर लिया कि आप मुझे क्यों याद कर रहें हैं? वैभव ने तुरन्त पलटकर जवाब दिया कि काश तुम ये कह देती कि अरे वैभव आज ही तो मिले थे हम औफिस में फिर क्यों याद आ रही है तो ज्यादा अच्छा लगता. दिव्या थोड़ा घबराई उसके हांथ-पांव ठंडे हो रहे थें. उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं.उसे ये तो समझ आ चुका था कि कुछ तो है वैभव के दिल में… वो अबतक ये समझ चुकी थी कि वैभव क्या चाहता है और उसके दिल में उसके लिए क्या है, लेकिन फिर वही बात आड़े आती है कि कुछ खामोशियों को खामोश ही रहने दें.

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वैभव ने एक दिन दिव्या को फोन करके कहा कि तुम सफेद शर्ट और ट्राउज़र पहन कर आना दिव्या चाहती तो मना कर सकती थी लेकिन शायद वो खुद भी उसकी तरफ अट्रैक्ट हो रही थी और उसने वैभव का कहना मान लिया. वो वही कपड़ा पहन कर गई जिसमें वैभव ने उसे बुलाया था. उसी दिन की बात है…रात के करीब साढ़े बारह बज रहे थे… दोनों की बात हो रही थी और बात ही बात में वैभव ने कुछ कहा जिसपर दिव्या ने पूछा की आप इनता मेरे बारे में क्यों सोचते हो? वैभव ने कहा कि क्यूं तूम मुझे सफेद कपड़ों में अच्छी लगती हो? क्यूं मैं तुमसे आधी रात को भी मिलने के लिए तैयार रहता हूं? तुम जो भी सोचती हो मैं उसे पूरा करना चाहता हूं क्यूं ? क्यूं तुमसे मिलना मुझे अच्छा लगता है? और क्यूं तुम्हारी याद आती है?शायद इसका जवाब मैं तुम्हें दे सकता हूं लेकिन मैं खामोश रहना चाहता हूं……

दिव्या अबतक सब कुछ समझ चुकी थी और उसने धीमी सी आवाज में बस इतना ही कहा कि कुछ खामोशियों को खामोश ही रहने दों…..वो खामोशियां अच्छी होती हैं…. वैभव आज भी बात करता है, दिव्या भी उसे शायद चाहने लगी थी लेकिन इन सबके बीच एक मोड़ ऐसा था जिसपर दिव्या दोराह में खड़ी थी और जिंदगी में उसके कश्मकश थी..जानते हैं क्यूं? क्योंकि वो पहले से ही एक रिलेशनशिप में थी शायद इसलिए ही उसने कहा था कि कुछ खामोशियों को खामोश ही रहने दों…..अब ये रिश्ता गुमनाम ही रहेगा या आगे कुछ होगा ये तो वक्त ही बताएगा….

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Nach baliye 9: एक्स बौयफ्रेंड के साथ डांस करती नजर आएंगी एक्ट्रेस उर्वशी, दिया ये बयान

बिग बौस सीजन 6 की विनर रह चुकी एक्ट्रेस उर्वशी ढोलकिया जल्द ही स्टार प्लस के रियलिटी शो नच बलिए के नौंवे सीजन में नजर आएंगी, जिसमें वे एक्स-बौयफ्रेंड अनुज सचदेवा के साथ परफौर्म करती दिखेंगी. नच बलिए 9 के निर्माताओं ने इस बार शो में एक्स-कपल्स को लाने का फैसला किया है, जिसके कारण उर्वशी ने अनुज से हाथ मिलाया है. वहीं हाल ही में एक इंटरव्यू में अपने एक्स के साथ एक्सपीरियंस शेयर करते हुए बयान दिया है. आइए आपको बताते हैं उर्वशी ने अपने एक्स बौयफ्रेंड के बारे में क्या कहा…

मीडिया से कहा ये…

शो में हिस्सा लेने से पहले उर्वशी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस शो के माध्यम से अपने रिश्ते को कोई दूसरा मौका देने का नहीं सोच रही हैं. ‘एक बार जब किस्सा खत्म हो गया है तो उसे बार-बार दोहराने का कोई फायदा नहीं है. क्यों न हम एक नया रिश्ता शुरू करें और एक नया रिश्ता बनाएं. मुझे ऐसा लगता है कि जो दो लोग रिश्ते में रह चुके हैं वो अच्छे दोस्त भी हो सकते हैं. इसमें कोई बुराई नहीं है. जिंदगी में आगे बढ़ते रहना जरूरी होता है.’

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मैं जिंदगी में बढ़ चुकी हूं आगे- उर्वशी

उर्वशी ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा है, ‘मैं 20 साल की नहीं हूं, इसलिए मैं जिंदगी के बारे में अलग थोड़ा अलग सोचती हूं. मुझे ऐसा लगता है कि मैच्योर लोग पुराने झगड़े याद नहीं रखते हैं. कभी-कभी आपको जिंदगी में आगे बढ़ना पड़ता है और इसी में खुशी मिलती है. मैंने अपनी जिंदगी में यही किया है. मैं अपने एक्स के साथ शो में आ रही हूं इसका मतलब यह कतई नहीं है कि मैं अपने रिश्ते को दूसरा मौका देने जा रही हूं. लोगों को समझना चाहिए कि मैं जिंदगी के बारे में अलग तरह के विचार रखती हूं.’

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बता दें, नच बलिए 9 स्टार प्लस पर 19 जुलाई से शुरू होने जा रहा है, जिसमें इस बार एक्स का तड़का लगाते हुए कईं जोड़िया नजर आएंगी. वहीं कईं नए कपल लोगों का दिल जीतते हुए भी नजर आएंगे, जिनमें फैजल खान और अनीता हसनंदानी जैसे बड़े सितारे अपने पार्टनर के साथ जलवा बिखेरते नजर आएंगे.

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