धर्म के नाम पर लूट की छूट

धर्म 5,000 से ज्यादा सालों से ऐसे ही समाज में पैर नहीं पसारे हुए है. धर्म के नाम पर कमाने वाले जहां हमेशा से ही राज करते रहे हैं, वहीं धर्मगुरु मंदिरों के माध्यम से पैसा, पौवर पाते रहे हैं. प्रचारक कमीशन पाते रहे हैं और अंधभक्त को बेचने वाले लूटते रहे हैं. तर्क, विज्ञान, सोच की स्वतंत्रता के बावजूद अगर धर्म का सहारा ले कर एक पार्टी सत्ता पर जा पहुंची है तो इसलिए कि उस के लाखों एजेंट समर्थन जुटा रहे हैं. ये एजेंट हिंदू ही हों, जरूरी नहीं. जब हिंदू धर्म फलेगाफूलेगा तो दूसरे धर्म भी उस का अनुसरण करेंगे.

बैंगलुरु में इसलामिक बैंकिंग के नाम पर एक शातिर स्कल कैपधारी मोहम्मद मंसूर खां मुसलिम अंधभक्तों का इसलामिक बैंकिंग के नाम पर 1,500 करोड़ रुपए ले कर भाग गया है.

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मोहम्मद मंसूर ने उन मुसलिम भक्तों को फांसा था जो इसलामिक आदेश मानते हैं कि ब्याज लेना हराम है. उस ने उन से कहा कि उस की कंपनी आई मौनिटरी एडवाइजरी में पैसा जमा कराएगी तो सोने की खरीदफरोख्त से होने वाले लाभ में से उन्हें पार्टनर की हैसीयत से 7 से 15 फीसदी का मुनाफा हो सकता है. चूंकि आम बैंक ब्याज की बात करते हैं, इसलामिक कानून के अनुसार वहां पैसा जमा कराना गलत है. यह प्रचार धर्म के एजेंट ही करते हैं.

धर्मभक्त मुसलिमों को यह इसलामिक पूंजी निवेश लगा. 1,500 करोड़ से ज्यादा रुपया शिवाजी नगर जैसे छोटे इलाके में जमा हो गया. मोहम्मद मंसूर के मजे आ गए. उस ने जगुआर जैसी महंगी गाड़ी खरीद ली थी. जब भांडा फूटा, जो स्वाभाविक था, तो वह देश छोड़ कर भाग गया है.

धर्मभक्ति के नाम पर सदियों से लोगों को जान और माल दोनों देने को उकसाया जा रहा है. हर धर्म किसी न किसी बहाने औरतों को भी अपने दुकानदारों का फायदा पहुंचाने के लिए उकसाता रहता है. उन के अपनेअपने भगवान भक्तों का कल्याण कम करते हैं, भक्तों को बहकाने वालों का कल्याण ज्यादा करते हैं. देशभर में ऐसे ही मंदिर, मसजिद, गुरुद्वारा, चर्च धड़ाधड़ थोड़ी बन रहे हैं. तकनीक के सहारे जो भी थोड़ीबहुत आर्थिक उन्नति देश में हो रही है उस में से अधिकांश हिस्सा इन धर्म के दुकानदारों के हवाले हो जाता है.अगर एक पार्टी ने इस का लाभ उठा कर सत्ता पा ली है तो बड़ी बात क्या है. यूरोप, अमेरिका, पश्चिमी एशिया इस तरह के शासकों के सदियों से गवाह रहे हैं. जनता हर जगह लूटी जाती रही है जैसे बैंगलुरु के शिवाजी नगर में लूटी गई है.

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पार्टी के लिए ट्राय करें ‘इश्कबाज’ की ‘अनिका’ के ये लहंगे

स्टार प्लस के सीरियल इश्कबाज से फैंस का दिल जीतने वाली अनिका यानी सुरभि चंदना अब स्टार प्लस के नए शो संजीवनी 2 में नजर आने वाली हैं. हाल ही में शो के प्रोमो में सुरभि का रोल को फैंस को पसंद आ रहा है. पर आज हम उनके टीवी सीरियल की नही बल्कि उनके इंडियन फैशन यानी लहंगों की बात करेंगे. सीरियल इश्कबाज में जितना लोगों को शिवाय और अनिका की जोड़ी पसंद आई थी उतना ही सुरभि के लहंगों को भी उनके फैंस ने पसंद किया था. आइए आपको दिखाते हैं सुरभि के कुछ लहंगे, जिसे आप किसी भी शादी या सगाई में पहन सकती हैं…

1. फ्लावर प्रिंट पैटर्न है ट्रैंड

सुरभि हो चाहे कोई भी टीवी एक्ट्रेस सभी जानते हैं कि आजकल फ्लावर प्रिंट पैटर्न फैशन ट्रेंड में है. सुरभि का फ्लावर प्रिंट पैटर्न में ये पिंक कलर के लहंगे के साथ क्रीम कलर का ब्लाउज किसी भी शादी के लिए परफेक्ट कौम्बिनेशन रहेगा. इस लुक को पहनकर औप हौट और स्टाइलिश दोनों नजर आएंगी.

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2. मल्टी कलर लहंगा है शादी के लिए परफेक्ट

 

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आजकल लड़कियां कलर को लेकर कन्फ्यूज रहती है कि शादी में कौनसा कलर पहनें. पर सुरभि का ये लहंगा आपके सारी उलझनों को सुलझा देगा. गुजराती टाइप सिंपल लहंगे के साथ हैवी ज्वैलरी को मैचिंग करके आप शादी के लिए ये लुक ट्राय कर सकती हैं.

3. फ्रिल कट है परफेक्ट

आजकल फ्रिल कट ट्रेंड में है. आप कईं सेलेब्स को देखा होगा फ्रिल कट का इस्तेमाल करते हुए. सुरभि का ये पर्पल कलर यानी बैंगनी कलर के फ्रिल लहंगे को किसी भी पार्टी में सिपंल तरीके से इस्तेमाल कर सकती हैं. चाहे तो इसके साथ चेन वाले इयरिंग्स को कैरी करके खुद को सेक्सी और हौट लुक भी दे सकती हैं.

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4. फुल स्लीव लहंगे भी है शादियों के लिए बेस्ट

अक्सर शादियों में लोग स्लीवलेस लहंगे पहनना पसंद करते हैं पर अगर आप स्लीवलेस पहनने में हिचकिचाते हैं तो सुरभि का ये लहंगा आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. वहीं आप चाहे तो इसके साथ कुंदन की ज्वैलरी को पेयर करके लहंगे को हैवी लुक भी दे सकती हैं.

8 टिप्स: ऐसे पाएं पिंपल से छुटकारा

पिंपल्स को छिपाने या उनसे छुटकारा पाने के लिए आप क्या नहीं करती हैं. बाजार में मौजूद विभिन्न उत्पादों को खरीद उनका इस्तेमाल करती हैं. वैसे तो बाजार में पिंपल्स के उपचार के लिए विभिन्न उत्पाद मौजूद हैं, लेकिन रोहतो फार्मा की एक्नेस ट्रीटमेंट किट की बात ही कुछ और है. ये केवल आपकी स्किन को कोमल ही नहीं बनाते बल्कि पिंपल्स से आपकी लड़ाई में जबरदस्त साथ देते हैं.

1. तीन स्टेप्स का कमाल

गर्मी और बरसात के मौसम में स्किन पर पिंपल होने की आशंका अधिक बढ़ जाती है. तभी तो कंप्लीट क्लीनिंग जरूरी होती है और यह संपूर्ण क्लीनिंग आपको रोहतो फार्मा की एक्नेस ट्रीटमैंट किट में मिलती है क्योंकि इसमें ट्रिपल सी (क्लिन, केयर और क्लीयर) की ताकत है, जो केवल पिंपल्स का सफाया ही नहीं करती बल्कि इन्हें दोबारा होने से भी रोकती है.

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2. डाले स्किन में नई जान

तैलीय स्किन के लिए कील मुंहासों का खतरा अधिक रहता है. लेकिन एक्नेस ट्रीटमेंट किट के प्रयोग से पिंपल पैदा करने वाले कीटाणुओं की समस्या खत्म हो जाती है. साथ ही आपको मिले मखमल सी स्किन.

होममेड टिप्स का करें इस्तेमाल

3. बर्फ का करें इस्तेमाल

आप एक छोटे बर्फ के टुकड़े को एक साफ कपड़े में लपेट लें. अब अपने पिंपल के ऊपर धीरेधीरे उस बर्फ के टुकड़े को रगड़ें. आप ऐसा दो से तीन मिनट तक करें. पिंपल पर बर्फ रगड़ने से उसकी सूजन कम होती है और वो धीरेधीरे ठीक होने लगता है. अगर पिंपल निकलने की शुरुआत होते ही ये नुस्खा आजमाया जाए, तो इससे ज्यादा फायदा होता है.

4. टूथपेस्ट

थोड़ा सा टूथपेस्ट पिंपल पर लगाएं. ऐसा करने से आपके पिंपल का आकार घट सकता है. ध्यान रहे कि आप सफेद टूथपेस्ट का ही इस्तेमाल करें. टूथपेस्ट में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो पिंपल के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया को कम करने में मदद करते हैं.

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5. मुल्तानी मिट्टी

मुल्तानी मिट्टी, गुलाब जल और नींबू के रस को मिलाकर एक पेस्ट बना लें. आप चाहे तो इसमें थोड़ा पानी भी मिला सकती हैं. हाथ से इस पेस्ट को पूरे चेहरे पर या सिर्फ पिंपल वाली जगह पर लगाएं. इस पेस्ट को दस से पंद्रह मिनट तक लगाकर रखें फिर पानी से धो लें.

6. एलोवेरा

एलोवेरा जैल को सीधे पिंपल वाली जगह पर लगाएं. जैल को दस से पंद्रह मिनट तक पिंपल पर लगा रहने दें और फिर पानी से धो लें. इसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल और एंटीइन्फ्लैमेट्री गुण स्किन में होनी वाली सूजन और जलन को कम करते हैं. आप चाहे तो एक्नेस एलोवेरा जैल का भी प्रयोग कर सकती हैं.

7. नींबू है बेस्ट औप्शन

एक छोटी कटोरी में नींबू का रस निकाल लें और उस रस में रुई का छोटा-सा टुकड़ा डुबो लें. सोने से पहले रुई से नींबू के रस को पिंपल वाली जगह पर लगाएं. रात भर नींबू के रस को लगा रहने दें और अगले दिन सुबह उसे पानी से धो लें. नींबू में एंटीमाइक्रोबियल और एंटीसेप्टिक गुण पाए जाते हैं, जो पिंपल पैदा करने वाले बैक्टीरिया को मार देते हैं.

8. घरेलू उपायों के अलावा एक अन्य उपाय

मुहासों से छुटाकारा पाने के लिए वैसे तो बाजार में बहुत उत्पाद हैं, लेकिन उन सबमें रोहतो फार्मा की एक्नेस ट्रीटमेंट किट काफी असरदार है क्योंकि इसमें आयुर्वेद का कमाल है. जी हां, इसमें आयुर्वेदिक सामग्री जैसे लीकोरिस, व्हाइट टी एक्सट्रैक्ट एवं शहतूत के साथ मजबूत और प्रभावी एसिड, सल्फर और आईएमपी (आइसोप्रोपाइल मिथइलफेनोल) जैसे तत्व मौजूद हैं, जो आपकी स्किन को नुकसान पहुचाए बिना अपना काम तुरंत करती है.

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पैक्ड फूड से हो सकती है ये 4 बीमारियां

लेखक- पूजा भारद्वाज

आप ने अकसर घर में देखा होगा कि बचे खाने को बैक्टीरिया से बचाने के लिए फ्रिज में रख दिया जाता है. अगर आप सुबह के खाने को शाम तक फ्रिज में रख कर खा रहे हैं, तो उस में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन बहुत से लोग फ्रिज में हफ्ताभर स्टोर खाना भी यह कह कर खा लेते हैं कि फ्रिज में ही तो रखा था कौन सा खराब हुआ होगा. लेकिन अब आप को सावधान होने की जरूरत है, क्योंकि लंबे समय तक स्टोर खाने से आप को बैक्टीरिया के कारण कई बीमारियां हो सकती हैं. तो आइए जाने इस से क्याक्या नुकसान हो सकते हैं:

1. फूड पौइजनिंग

शोध से यह बात साफ हो गई है कि बासी खाने में बैक्टीरिया पनपने लगते हैं. लंबे समय तक रखा खाना खाने से उस में पनपे बैक्टीरिया के कारण फूड पौइजनिंग भी हो सकती है.

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2. पेट की प्रौब्लम

2 घंटे से ज्यादा समय पहले बना खाना ही सेहत को नुकसान पहुंचा देता है, तो बासी खाने में पनपे बैक्टीरिया पेट में जा कर खाने को सड़ाना शुरू कर देते हैं, जिस से पेट में दर्द होने लगता है. अगर यह बासी खाना 1-2 दिन पुराना हो तो इस से उलटियां भी हो सकती हैं. अगर आप अकसर फ्रिज में रखा खाना ही खाते हैं तो गैस, ऐसिडिटी और पेट दर्द की शिकायत भी बढ़ने लगती है.

3. डायरिया

बासी खाना खाने से डायरिया भी हो सकता है, जिस से शरीर में पानी की कमी हो जाती है. इस वजह से शरीर काफी कमजोरी महसूस करता है.

4. खाने में पौष्टिकता नहीं बचती

फ्रिज में रखे बासी खाने के स्वाद में भले आप कोई फर्क महसूस न करते हों, लेकिन असल में बासी खाने में सारी पौष्टिकता नष्ट हो चुकी होती है और उस में शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले बैक्टीरिया पनप चुके होते हैं. स्वाद भी ताजे खाने जैसा नहीं रह जाता.

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लिव इन रिलेशन : कमजोर पड़ रही है डोर

लिव इन रिलेशन में रह रहे पार्टनर की हत्या और खुदकुशी के नएनए मामले रोज सामने आ रहे हैं. ऐसे में इन रिश्तों को ले कर फिर से उंगलियां उठनी शुरू हो गई हैं. अहम सवाल यह है कि पश्चिम की इस परंपरा को तो हम ने स्वीकार कर लिया, लेकिन क्या हम अपनी पारंपरिक और दकियानूसी सोच से बाहर निकल पाए हैं. इन तमाम मामलों पर गौर करें तो यही बात सामने आती है कि हम इस नए मौडल के साथ खुद को एडजस्ट करने में नाकाम साबित हुए हैं. यहां हम लिव इन सिस्टम पर कोई सवाल खड़े नहीं कर रहे हैं. इस की अपनी खूबियां और खामियां हैं, लेकिन जो भी मामले सामने आ रहे हैं उस से यही पता चलता है कि या तो हम पूरी तरह से इस सिस्टम को समझ ही नहीं पाए हैं या फिर इस के हिसाब से खुद को ढाल नहीं पाए हैं.

1. बढ़ रहा है रिश्ते का ग्राफ

एक स्त्री और पुरुष का बिना विवाह किए आपसी रजामंदी से एकसाथ रहने के रिश्ते को लिव इन रिलेशन कहते हैं. इस में एकसाथ रहने की कोई सामाजिक या आर्थिक मजबूरी नहीं होती और न ही कोई दबाव.

युवकयुवतियां सोचसमझ कर साथसाथ रहते हैं और जब चाहें अलग हो सकते हैं. कुछ समय पहले तक सोसायटी के लिए यह एक बड़ा सवाल था, लेकिन आज एक तरह से इस रिश्ते को कुछ हद तक शहरी समाज स्वीकार कर चुका है. महानगरों में यूथ ने लिव इन कल्चर को तेजी से अपना लिया है.

युवाओं ने अपनी सहूलत को ध्यान में रख ऐसे रिश्तों की ओर तेजी से कदम बढ़ाया. इस तेज रफ्तार जिंदगी में संतुलन बनाए रखने और कैरियर में आगे बढ़ने के लिए युवाओं को लिव इन रिलेशनशिप बिना बंधन के आसान रास्ता नजर आता है. यही वजह है कि ऐसे रिश्तों का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है.

2. चौराहे पर रिश्ता

आएदिन पार्टनर की हत्या और खुदकुशी के मामलों ने इस रिश्ते को चौराहे पर ला कर खड़ा कर दिया है. जिस स्वतंत्रता की चाहत में युवकयुवती एकदूसरे के करीब आए थे, वहां अब एक नए तरह का बंधन उन्हें नजर आने लगा है.

नोएडा में हुई ब्यूटीशियन श्वेता की मौत ने तरक्की पसंद शहरों में बदलते रिश्ते को ले कर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. पति और ससुराल वालों के अत्याचार से परेशान श्वेता ने बागपत से नोएडा आ कर अपना काम शुरू किया था.

करीब डेढ़ साल पहले उस की जिंदगी में मुकेश आया. वह उस का बचपन का साथी था. दोनों आपसी रजामंदी के साथ रहने लगे. श्वेता की इतनी ही ख्वाहिश थी कि मुकेश उस से शादी कर ले, लेकिन शादी के इसी दबाव ने उस की जान ले ली. आरोप है कि मुकेश ने बिल्डिंग की 8वीं मंजिल से उसे नीचे फेंक दिया, जिस के कारण उस की मौत हो गई. पुलिस ने श्वेता की 10 साल की बेटी के बयान पर आरोपी मुकेश को गिरफ्तार कर लिया.

दिल्ली के सुल्तानपुरी में भी कुछ दिन पहले ऐसी ही कहानी दोहराई गई, लेकिन यहां मामला कुछ अलग था. यहां एक महिला मंजू के साथ सुदामा उर्फ राजेश लिव इन रिलेशन में रहता था.

करीब 11 साल पहले दोनों के बीच दोस्ती हुई थी. दोनों 7 साल से एकसाथ रह रहे थे. राजेश को कई साल से बच्चे की चाह थी, लेकिन मंजू इस के लिए तैयार नहीं थी. इसी बात को ले कर दोनों के बीच अकसर लड़ाई होती थी. मंजू का कहना था कि जब बच्चे की चाह थी तो शादी करनी चाहिए थी, फिर लिव इन रिलेशन में रहने का इतने सालों तक बहाना क्यों बनाया. मंजू की यह बात राजेश को नागवार गुजरी और आखिर इसी बात को ले कर उस ने मंजू की हत्या कर दी.

3. नहीं बदली है सोच

दरअसल, पश्चिम की इस परंपरा को हम ने अपनी सुविधा के हिसाब से आत्मसात तो कर लिया, लेकिन हमारी सोच वैसी ही पुरातनपंथी बनी हुई है. सवाल यह है कि जब इस रिलेशनशिप में कोई भी पार्टनर कभी भी अलग हो सकता है तो यहां दबाव बनाने जैसी कोई बात होनी ही नहीं चाहिए थी.

राजेश को यह सोचना चाहिए था कि मंजू उस की पत्नी नहीं थी, इसलिए उस पर बच्चे के लिए दबाव बनाना सरासर गलत था. वहीं श्वेता का मुकेश पर शादी के लिए दबाव बनाना लिव इन रिलेशनशिप की कसौटी पर खरा नहीं कहा जा सकता है.

इस रिलेशन में अलग होने की सुविधा है. यह पारंपरिक शादी की तरह जटिल बंधन नहीं है. अलग होने के लिए लोगों को किसी की सहमति की जरूरत नहीं होती.

लिव इन रिलेशनशिप में अगर पार्टनर के साथ संबंध ठीक है, तो ठीक, नहीं तो उस रिलेशनशिप को वहीं पर खत्म कर दिया जाना चाहिए. इसे आगे बढ़ाने का मतलब है मौत को दावत देना. इस रिलेशनशिप में कंप्रोमाइज के लिए कोई जगह नहीं होती. वैस्टर्न कल्चर में यह ‘वाकइन, वाकआउट’ रिलेशनशिप मानी जाती है.

दोनों पार्टनर में से जो भी जब चाहे, इस से बाहर आ सकता है और दूसरे के खिलाफ नैतिक जिम्मेदारी, बदचलनी का आरोप नहीं लगाता है. दरअसल, पश्चिम के इस मौडल को हम ने अपना तो लिया है, लेकिन हमारी सोच जस की तस बनी हुई है. पुरुष लिव इन पार्टनर को अपनी प्रौपर्टी समझने की भूल कर बैठता है. वह अपनी पार्टनर के साथ आम पति की तरह व्यवहार करने लगता है वहीं युवती भी शादी की जिद करने लग जाती है, जोकि सही नहीं है.

एकदूसरे के साथ ज्यादा वक्त गुजारने पर युवक या युवती भावुक होने लगते हैं, जोकि इस रिलेशनशिप के लिए फिट नहीं बैठता. इसलिए कुछ भी गलत होने से पहले ही इस रिश्ते पर विराम लगा देना चाहिए.

4. भरोसे की कमी

अब मंगोलपुरी की ही वारदात को लीजिए. यहां लिव इन में रह रही युवती ने इसलिए खुदकुशी कर ली, क्योंकि उस का पार्टनर शराब पी कर आएदिन उसे पीटता था.

यहां भी युवक पुरातन पुरुषवादी मानसिकता का शिकार नजर आता है. युवती भी पुरानी फिल्मों की अभिनेत्री की तरह धोखा खाने की हालत में खुदकुशी कर लेती है. वह युवती पुलिस के पास जा सकती थी. उस युवक के खिलाफ केस दर्ज करा सकती थी और उस युवक का साथ छोड़ सकती थी, लेकिन उस ने तंग आ कर खुदकुशी का खतरनाक रास्ता चुन लिया.

कुछ दिन पहले दिल्ली की एक अदालत ने मिजोरम की एक युवती को अपने पार्टनर की हत्या के जुर्म में 7 साल की सजा और 7 लाख रुपए का जुर्माना सुनाया था. इस युवती ने 2008 में अपने नाईजीरियाई पार्टनर विक्टर ओकोन की इसलिए हत्या कर दी थी कि उस ने युवती को बिना बताए उस के अकाउंट से 49 हजार रुपए निकाल लिए थे.

इस से पता चलता है कि साथ रहने के बावजूद पार्टनर के बीच वह विश्वास कायम नहीं हो पाता है जो एक पतिपत्नी के बीच रहता है. अब सवाल यह है कि अगर विक्टर भरोसे के काबिल नहीं था तो वह युवती उस के साथ क्यों रह रही थी? वह उस से अलग हो कर अपने लिए नए पार्टनर की तलाश कर सकती थी, लेकिन बजाय अलग होने के उस ने इस जघन्य वारदात को अंजाम दिया.

5. चलन बढ़ने की वजह

कैरियर की दौड़ में आज शादी एक बंधन जैसी लगने लगी है. युवा पार्टनर एकदूसरे के करीब तो आते हैं, लेकिन उज्ज्वल भविष्य बनाने की वजह से  वे शादी की जिम्मेदारी उठाने को तैयार नहीं होते. वे शादी को एक अड़ंगा मानते हैं लेकिन पार्टनर से वही सब चाहते हैं जो एक शादीशुदा पतिपत्नी का ही अधिकार है.

सैक्स शरीर की नैचुरल डिमांड है. साथ ही एक शख्स अपने इमोशंस को भी शेयर करना चाहता है, ऐसे में लिव इन रिलेशनशिप उन्हें बेहतर औप्शन नजर आता है.

इस दौरान वे पतिपत्नी की तरह एक ही छत के नीचे रहते हैं और फिजिकल रिलेशन भी बनाते हैं. इस से दोनों को न सिर्फ मैंटल सिक्युरिटी मिलती है, बल्कि दोनों का अलगअलग रहने का खर्च भी बच जाता है.

ज्यादातर लिविंग रिलेशन उन युवाओं में पाए गए हैं जो घर से दूर रह रहे हैं. उन के परिवार वालों को ऐसे रिश्ते की कोई खबर नहीं होती. लिविंग रिलेशन में रह रहे युवकयुवतियां अपने मांबाप या घर वालों से अपने रिश्ते को छिपा कर उन्हें अंधेरे में रखते हैं. ऐसे में बिना जवाबदेही के यह रिश्ता युवाओं को शुरुआती दौर में तो खूब रास आता है, लेकिन दिक्कत यह है कि लंबे समय बाद पार्टनर आम पतिपत्नी की तरह व्यवहार करने लग जाते हैं.

6. शादी और लिव इन रिलेशन

शादी महज एक बालिग युवकयुवती का मेल नहीं है. इस में 2 परिवारों का मिलन होता है. शादी से युवकयुवती को सामाजिक तौर पर एकसूत्र में बंधने की मान्यता हासिल होती है.

शादी से दोनों को सामाजिक प्रतिष्ठा मिलती है, लेकिन इस के उलट लिव इन अपनी जरूरतों के हिसाब से 2 युवाओं का मिलन है. शादी जहां एक तरह का स्थायी संबंध माना जाता है, वहीं लिव इन रिलेशनशिप में दोनों पार्टनर असुरक्षा की भावना के शिकार होते हैं.

दोनों के मन में डर रहता है कि न जाने उस का पार्टनर कब साथ छोड़ कर चला जाए. इस तरह के संबंधों में हमेशा तनाव की स्थिति बनी रहती है. यह रिश्ता समाज के दायरे से हट कर नितांत निजी रिश्ता है.

वहीं शादी इतनी जटिल प्रक्रिया है कि वहां दोनों युवकयुवती का अलग होना इतना आसान नहीं है. समाज उन्हें इस कीइजाजत नहीं देता. इस तरह से दोनों रिश्तों की अपनी खूबियां और खामियां हैं.

दरअसल, सवाल हमारी सोच का है. ग्लोबलाइजेशन के बाद से सभी मुल्कों के बीच परंपराओं का तेजी से आदानप्रदान बढ़ा है, लेकिन कईर् मामलों में हमारी स्थिति दो नावों पर सवारी करने जैसी होती है.

हम नई परंपराओं को स्वीकार तो कर लेते हैं, लेकिन अपनी पारंपरिक सोच नहीं  बदलना चाहते और यही वजह है कि हम उस में पूरी तरह से फिट नहीं हो पाते. लिव इन रिलेशन से जुड़े तमाम मामलों के पीछे यह एक महत्त्वपूर्ण कारण है.

7. युवतियों पर पड़ता है सब से अधिक असर

समाज सेविका आरती सिंह का कहना है कि ज्यादातर मामलों में ऐसे संबंध प्रेम पर नहीं, शारीरिक आकर्षण पर निर्भर होते हैं. शरीर का आकर्षण खत्म होते ही रिश्तों में दरार आनी शुरू हो जाती है. कपल के बीच झगड़े शुरू हो जाते हैं.

ऐसे संबंधों के टूटने का सब से ज्यादा असर युवतियों पर पड़ता है. पुरातन सोच रखने वाला हमारा समाज एक ऐसी युवती को कभी सम्मान नहीं देना चाहता है जो शादी से पहले किसी युवक के साथ एक ही घर में रह चुकी हो.

ऐसे में युवतियों को अपना भविष्य अंधकारमय नजर आने लगता है. आज भी इस पुरुष प्रधान समाज में पुरुष की गलती को नजरअंदाज किया जाता है. ऐसे में युवतियां अवसाद की शिकार हो जाती हैं और खुदकुशी जैसा खतरनाक कदम उठा लेती हैं.

फिल्म ‘दबंग 3’ का हिस्सा नही बनेंगी मलाइका, ये है वजह…

बौलीवुड के दबंग खान यानी सलमान खान की बौक्स औफिस पर सुपरहिट फिल्म दबंग का हिस्सा बन चुकीं मलाइका अरोड़ा अब इस फिल्म के सीक्वल में नजर नहीं आएंगी. फिल्म दबंग में आइटम सौंग ‘मुन्नी बदनाम हुई’ गाने से फैंस के दिल में जगह बनाने वाली मलाइका को दबंग 3 का हिस्सा नही बनाने का फैसला सलमान खान और उनके भाई और मलाइका के एक्स हस्बैंड अरबाज खान ने लिया है.

अर्जुन और मलाइका के रिलेशन के चलते फिल्म से किया दूर

 

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Happy bday my crazy,insanely funny n amazing @arjunkapoor … love n happiness always

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अरबाज और सलमान ने भी फिल्म में मलाइका को हिस्सा देने की पूरी तैयारियां कर ली थी, लेकिन जब अर्जुन कपूर और मलाइका के अफेयर की खबर फैली तो यह फैसला बदल दिया गया.

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मलाइका ने दिया ये जवाब…

 

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Kinda pensive …. ? @preetasukhtankar

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मलाइका अरोड़ा से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने चौंकाने वाला जवाब दिया. मलाइका ने बताया, ‘इस बार मैं दबंग 3 का हिस्सा नहीं हूं. इस बार काफी पुराने लोग फिल्म में नजर नहीं आएंगे लेकिन मैं दुआ करूंगी कि जो लोग भी इस फिल्म से जुड़े हैं उनको सफलता मिले.’

अपनी लाइफ के सबसे बेहतरीन पल जी रही हैं मलाइका

 

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It’s FRIYAYYYYYYYY …. this summer heats got me frolicking #TGIF

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मलाइका ने आगे अपने प्लान्स के बारे में बात करते हुए कहा, ‘मैं अपनी प्रोडक्शन कंपनी के तहत बेहतरीन कंटेंट के शोज बनाना चाहती हूं. वैसे मुझे काफी बेहतरीन आइडियाज मिल रहे हैं. मैं अभी सही चुनाव करने के लिए कुछ और समय लेना चाहती हूं. सच बताऊं तो यह मेरी जिंदगी का सबसे बेहतरीन समय है. मुझे लगता है कि हर औरत को 40 की उम्र पार करने के बाद ही सफलता मिलती है. यह वह उम्र है जहां पर आप आजादी से अपने फैसले कर सकते हैं.’

मलाइका की जगह सलमान खुद करेंगे आइटम नंबर

 

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Dance class from the master himself . . Prabhu Deva @kichchasudeepa @wardakhannadiadwala

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मलाइका की जगह फिल्म दबंग 3 में खुद सलमान खान ही आइटम नंबर पर प्रभुदेवा के इशारों पर थिरकने वाले हैं.

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बता दें, मलाइका फिल्म दबंग के पहले दो सीक्वल में अपने आइटम सौंग्स से सुर्खियां बटोर चुकी हैं. वहीं इन दिनों अर्जुन से उनके रिलेशनशिप के चलते भी वो फैंस के बीच अक्सर ट्रोल होती रहती हैं.

बप्पी दा ने करवाया अपने ‘लुक’ का कौपीराइट, जानें क्यों

बौलीवुड में अपने पचास साल के करियर में 650 से अधिक फिल्मों व सैकड़ों एलबमों को संगीत से संवार चुके बप्पी लाहिरी संगीतकार व गायक हैं. पर अब वह फिल्म निर्देशन के क्षेत्र में भी कदम रख चुके हैं. बप्पी लहरी निर्देशित पहली लघु फिल्म ‘‘वी आर वन’’राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए भेजी गयी है. तो वहीं उनके मशहूर गीतों को उनके बेटे बप्पी लाहिरी ने नए सिरे से संगीत बद्धकर एलबम ‘‘म्यूजिक रूप सीरीज वन’’ लेकर आए, ‘म्यूजिक रूम सीरीज वन’’के सभी गीत अनुराधा पालाकुर्थी ने गाए हैं और इस एलबम का निर्माण ‘जूजू’ संगीत कंपनी ने किया है. इसी के साथ बप्पी लाहिरी ने अब अपने लुक को ‘कौपीराइट’’ करवा लिया है. यानी कि अब फिल्म में कोई भी कलाकार उनका लुक धारण कर मिमिक्री वगैरह नही कर सकता.

अब नही कर पाएगा बप्पी दा को कोई कौपी

 

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जी हां! बप्पी लाहिरी हमेशा एक ही स्टाइल के कपड़े और सोने की चेन वगैरह पहने हुए नजर आते हैं. बौलीवुड की कई फिल्मों में कुछ कलाकारों न उसी तरह का लुक धारण कर कौमेडी करते नजर आ चुके हैं. यह बात बप्पी लाहिरी को नागवार गुजरी और उन्होंने अपने लुक का कौपीराइट करवा लिया. खुद बप्पी लाहिरी बताते हैं-‘‘हमारे फिल्मकार बहुत तेज हैं. वह किसी भी कलाकार को मेरी तरह कपडे़, सोने की ब्रेस्लेट व चेन वगैरह पहनाकर उनसे कौमेडी कराते थे. मुझे यह अपमान जनक लगता था. अब ऐसा कोई नहीं कर पाएगा. हर इंसान सोचता है कि हाथ में सोने की ब्रेसलेट, गले में सोने की चेन पहनने से बप्पी लाहिरी बन जाएगा. पर ऐसे कोई भी बप्पी लाहिरी थोड़ी बन जाएगा. बप्पी लाहिरी बनने के लिए बहुत तपस्या करनी पड़ी है. अब मैंने अपना लुक कौपीराइट करा लिया है. अगर फिल्म में मेरे लुक की किसी ने नकल की, तो मैं उसके उपर वन मिलियन डौलर का केस करूंगा. सच कह रहा हूं. कई फिल्मों में मैंने देखा कि कुछ कलाकार मेरी तरह कपड़े व सोने के जेवर पहनकर कौमेडी कर रहे हैं. तो मुझे बहुत बुरा लगा. अब मेरा लुक कौपी राइट करवाने से कोई ऐसा नही कर पाएगा.’’

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पूरे विश्व में है लुक की है पहचान

 

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बप्पी लाहिरी की यह पहचान सिर्फ भारत ही नहीं, पूरे विश्व में है. इस बात को स्वीकार करते हुए बप्पी लाहिरी बताते हैं-‘‘मेरी यह स्टाइल पूरे विश्व में मशहूर है. जहां भी एशियन रहते हैं, वह जानते हैं कि इस तरह की पोशाक वाला बप्पी लाहिरी हैं. एक बार मैं ठंडी के दिनों में न्यूयौर्क गया हुआ था, बहुत ठंड थी. इसलिए मैंने उपर से ठंड से बचने के लिए गर्म कपडे़ पहन रखे थे. तो मेरी सोने की चैन वगैरह अंदर हो गयी. एक शख्स ने मुझसे पूछ लिया कि, ‘बप्पी जी आपकी चेन कहां है?’ पूरे भारत में कोई ऐसा गायक नही है, जो मेरी तरह सोना पहनता हो.’’

हौलीवुड गायक एल्विस प्रेस्ली से प्रेरित है बप्पी लाहिरी का लुक

जब हमने बप्पी लाहिरी से पूछा कि उन्होंने अपनी पोशाक के साथ सोने के जेवरात पहनकर जो लुक बनाया, उसकी प्रेरणा उन्हें कहां से मिली थी? इस सवाल पर बप्पी लाहिरी ने कहा-‘‘मेरे आदर्श हौलीवुड गायक एल्विस प्रेस्ली रहे हैं. वह भी गोल्ड यानी सोने के शौकीन थे. हाथ में ब्रास, गले में बड़ा सा क्रौस आदि पहनते थे. मैं जब इंडस्ट्री में आया, तब पहली बार मेरी मां ने मुझे पहला चेन दिया था. उसके बाद मेरी पत्नी ने गणपति का बना चेन दिया. यही से मैं सोने को बहुत लकी मानने लगा. सोने ने पूरे विश्व में मेरी एक इमेज बना दी.’’

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हर धर्म का करते हैं सम्मान बप्पी

बौडी पर पहनकर रखे सोने के गहने दिखाते हुए बप्पी लाहिरी बताते हैं-‘‘अब आप मेरी चैन को ध्यान से देखिए. इसमें गणेश जी बने हुए हैं, इसे उल्टा करके देखे तो ‘अल्लाह’ नजर आएगा. आपको दूसरी चेन में कृष्ण, यह देखिए क्रौस है. तो मैं हर धर्म की इज्जत करता हूं. इनको मैं गले में ईश्वर का आशीर्वाद समझ कर धारण करता हूं. यह देखिए इस चेन में गोल्डन टेंपल के वाहेगुरू भी हैं. मैं ब्राम्हण हूं. पर मैं हर धर्म को सम्मान देता हूं. जन्म से मैं हिंदू हूं, तो हिंदुत्व मेरा धर्म रहेगा. पर मैं दूसरों का अपमान नही करता. मैं हर इंसान से कहता हूं कि आप अपने धर्म को मानिए, पर दूसरे धर्म का अपमान मत करिए.’’

गोल्ड मैन के नाम से हैं फेमस

बौलीवुड में बप्पी लाहिरी की ईमेज ‘‘गोल्डमैन’’की है. इस पर वह कहते हैं-‘‘मैं हर जगह बोल चुका हूं कि बप्पी लाहिरी इज गोल्ड मैन. मेरे लिए गोल्ड लकी है. मैंने जब से सोना धारण किया, तब से एक के बाद एक हिट गाने दिए.’’ बप्पी लाहिरी अपने सोने के गहने कभी किसी को नहीं देते. वह खुद बताते हैं-‘‘मैनें जो गले में चेन पहन रखी है, यह मैं किसी को देता नही हूं. क्योंकि मैं इन्हें अपना रक्षक मानता हूं. इनके आशीर्वाद से मैं आगे बढ रहा हूं.’’

Edited by Rosy

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4 टिप्स: ऐसे घटाएं बैली फैट

बढ़ती कमर सेहत और फिगर दोनों को खराब करती है. बैली फैट के बढ़ने का कारण है कोर्टिसोल का असंतुलित होना. अगर आप के शरीर में कोई बीमारी होती है, तो यही हारमोन है जो बीमारी को और फिर आप के इम्यून सिस्टम को इतना बढ़ा देता है कि आप का शरीर उस बीमारी से लड़ कर उसे जड़ से खत्म कर सके. मगर जब आप स्टै्रस में होते हैं तो यही हारमोन आप के लिए मुसीबत बन जाता है. ज्यादा और लगातार स्ट्रैस लेने से कोर्टिसोल बहुत ज्यादा मात्रा में और ज्यादा समय के लिए रिलीज होने लगता है, जिस की वजह से बहुत सी बीमारियां तो होती ही हैं, साथ ही यह हारमोन फैट को भी बढ़ाने लगता है व शरीर के हिस्सों में फैट को जमाने लगता है, जिस की वजह से बैली फैट या वजन बढ़ता है. कोर्टिसोल को बैलेंस रखने के लिए आप को कार्डिओ एक्सरसाइज  करनी चाहिए और खानपान पर भी ध्यान देना चाहिए. इस से आप अपना बैली फैट कम कर पाएंगी और साथ ही वजन भी. पेश हैं, कुछ सुझाव जो बैली फैट कम करने में सहायक होंगे:

  1. अच्छी नींद है जरूरी

अच्छी नींद लेने से बढ़ा कोर्टिसोल लैवल बैलेंस होता है, क्योंकि उस समय शरीर और दिमाग दोनों ही आराम की अवस्था में होते हैं. अच्छी नींद का मतलब 8 से 12 घंटे की नींद नहीं. बस 6 घंटे की नींद पर्याप्त है, जिस में कि आप सोने से पहले मन में किसी भी तरह का विचार न करें, बस सोते समय सांस पर ध्यान देना है.

साउंड स्लीप का मतलब बीच में बारबार न उठना. एक बार सोएं तो सीधे 5-6 घंटे की नींद ले कर ही उठें. अच्छी नींद के लिए सोने से पहले कम से कम 3 घंटे पहले भोजन करें. हलका भोजन करें और सोने से 2-3 घंटे पहले पानी या कोई लिक्विड ड्रिंक न लें. सिर्फ सोते समय 2-3 घूंट पानी पीएं ताकि आप को रात को वाशरूम जाने के लिए उठना न पड़े. अगर आप इन आदतों को अपनाते हैं तो आप का कोर्टिसोल लैवल कम होने लगेगा और बैली फैट भी कम होने लगेगा.

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  1. मैट एक्सरसाइज क्रंचेज करें

रिवर्स क्रंच करने के लिए पीठ के बल लेट दोनों हाथों को सिर के नीचे रखें. अब बौडी के ऊपरी और निचले हिस्से को एकसाथ ऊपर उठाएं और कुछ देर रुकने के बाद वापस आएं. नीचे से ऊपर जाते वक्त सांस अंदर खीचें, फिर बाहर निकालें. क्रंचेज में ही और बहुत से वैरिएशंस हैं जैसे बाल क्रंच, 90 डिग्री लैग क्रंच, फिगर 4 क्रंच, इत्यादि. ये सभी एक्सरसाइज  हमारे लोअर, मेनली, मिडल और ऐब्स के फैट को कम करने के लिए बहुत ही इफैक्टिव हैं.

इतनी हो लैग रेंज

60 डिग्री लैग रेंज

इस एक्सरसाइज  को करने के लिए आप किसी समतल जगह मैट पर लेट जाएं और अपनी दोनों लैग्स को एकसाथ 60 डिग्री के ऐंगल में उठाएं. आप के दोनों हाथ साइड में हिप्स के पास होने चाहिए. लैग ऊपर की ओर लाते हुए सांस को बाहर छोड़ना है. लैग को सीधा ही रखना है. मतलब नी को मोड़ते हुए एक्सरसाइज नहीं करनी है.

साइड बैंडिंग एक्सरसाइज है बेस्ट

बेसिक साइड बैंड से आप की साइड्स का फैट तो जाता ही है, साथ ही यह आप के बैली फैट को भी कम करने में हैल्प करती है. इस एक्सरसाइज  को करने के लिए दोनों पैरों को शोल्डर लैंथ जितना ओपन कर लीजिए और दोनों हाथ साइड में ही रहें. आप हाथ में डंबल्स या वेट प्लेट्स भी ले सकती हैं. फिर राइट से लैफ्ट की तरफ आप को झुकना है, ध्यान रहे बौडी को सीधा ही रखना है.

  1. कार्डिओ एक्सरसाइज करना है जरूरी

सिर्फ मैट एक्सरसाइज  ही नहीं, साथ में कार्डिओ वर्कआउट करना भी जरूरी है. ये सभी एक्सरसाइज  अपने घर, रूम, जिम, पार्क में भी कर सकती हैं. इन्हें करने के लिए ज्यादा जगह की जरूरत नहीं होती. कार्डियो वर्कआउट में आप लो हाई ऐरोबिक्स, डांस फिटनैस, फंक्शनल टे्रनिंग, हाई इंटैंसिटी कार्डिओ वर्कआउट, सर्किट ट्रेनिंग, स्टैप ऐरोबिक्स इत्यादि शामिल कर सकती हैं.

हाई नीज

हाई नीज एक कार्डिओ वर्कआउट है. इस में आप को एक जगह पर खड़े रह कर बौडी को सीधा रख कर अपनी नीज को 90 डिग्री के ऐंगल में बना कर वन बाई वन ऊपरनीचे करना होता है. इस एक्सरसाइज  को आप स्लो से फास्ट मोशन और जंप कर के भी कर सकती हैं.

स्पौट रन

इस एक्सरसाइज  में किसी लंबे ट्रैक पर जा कर रनिंग करने की जरूरत नहीं है. आप को एक ही जगह खड़े हो कर अपने पैरों को वन बाई वन जल्दीजल्दी चलाना है और अपनी नीज को हलका सा बैंड और बौडी को भी हलका सा आगे की ओर झुकाना है ताकि टमी पर ज्यादा असर पड़े.

जंपिंग जैक्स

इस एक्सरसाइज  में आप को दोनों पैर मिला कर ताड़ासन की स्थिति में खड़ा होना है और फिर जंप करते हुए पैरों और हाथों को खोलना है पर शोल्डर लैंथ से थोड़ा बाहर की और खुलेंगे और हाथ ही सोल्डर्स या आप के सिर तक सीधे ऊपर जाएंगे. इसे लगातार करते रहना है.

  1. बैली फैट कम करने के लिए जरूरी है डाइट

बैली फैट को कम करने के लिए वर्कआउट के साथसाथ अपनी डाइट में भी बदलाव करना बहुत जरूरी है. बैली फैट को कम करने के लिए अपनी डाइट में प्रोटीन शामिल करें. प्रोटीन लेने से भूख कम लगती है और आप कुछ भी ऊटपटांग खाने से बचते हैं, क्योंकि जब भूख लगती है तो जो भी मिलता है हैल्दी या अनहैल्दी आप बिना सोचेसमझे खा लेते हैं, जिस की वजह से वजन और बैली या ओवरआल बौडी का फैट बढ़ता रहता है.

आप व्हे प्रोटीन ले सकती हैं, क्योंकि इस में बायोलौजिकल वैल्यू बहुत अधिक मात्रा में होती है, जो हमारी बौडी में न्यूट्रिशंस को जल्दी औब्जर्व करती है. अपनी डाइट में नट्स और सीड्स शामिल करें. पनीर, टोफू, सोयाबीन चंक्स, खाने से लंबे समय तक पेट के भरे रहने से पेट की चरबी कम होती है.

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रौ वैजिटेबल्स ऐंड फ्रूट्स

खाने से आधा घंटा पहले रौ वैजिटेबल्स की प्लेट तैयार कर लें और पेट भर कर खाए, जिस में आप टमाटर, खीरा, ककड़ी, प्याज, गाजर, पुदीना, धनिया, नीबू इत्यादि ऐड कर सकती हैं. ऐसा करने से खाने में धीरेधीरे 1 रोटी खाना कम कर दें, जिस से आप ओवरईटिंग से बचेंगी हैं और बैली फैट कम होने लगेगा. आप सेब, अमरूद, तरबूज, पपीता, अनन्नास जरूर खाएं.

अपने बैली फैट को कम करने के लिए ब्रेकफास्ट जरूर करें, क्योंकि ब्रेकफास्ट करने से पूरे दिन की ऐनर्जी बनती है. आप अगर अच्छा ब्रेकफास्ट करते हैं मतलब हैल्दी जैसे पोहा, नट्स और सीड्स, रोटी और दाल, ब्रैड सैंडविच, मिल्क या जूस तो आप का पेट मौर्निंग में ही भरा रहता है और आप दिन में ओवरईटिंग से बचते हैं, जो बैली फैट को कम करने में मदद करता है. ब्रेकफास्ट करने से स्ट्रैस लैवल भी कम रहता है. फाइबर रिच फूड्स का इन्टेक बढ़ाना चाहिए.

– शक्ति- गुडवेज फिटनेस की फिटनेस एक्सपर्ट

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पार्टी के लिए परफेक्ट है टीवी की ‘नागिन’ के ये साड़ी लुक्स

टीवी की नागिन यानी अनीता हसनंदानी इन दिनों कंटेस्टेंट के रूप में अपने नए शो नच बलिए 9 का हिस्सा बनने पर डांस प्रैक्टिस में लगी हुई हैं. अनीता बौलीवुड से लेकर टेलीविजन तक कईं हिट फिल्मों और सीरियल्स में काम कर चुकीं हैं. वहीं बात उनके फैशन की करें तो वेस्टर्न हो या इंडियन दोनों ही लुक में अनीता बेहद ही खुबसूरत लगती हैं. अनीता सीरियल ये है मोहब्बतें से अपने वैम्प लुक के साथ-साथ साड़ी लुक में भी पौपुलर हुई. आज हम आपको उनके साड़ी के कुछ कलेक्शन के बारे में बताएंगे, जिसे आप शादी या किसी पार्टी में ट्राय कर सकते हैं.

1. अनीता की ये सिल्वर साड़ी है पार्टी परफेक्ट

अनीता हसनंदानी अक्सर नई-नई साड़ी लुक में नजर आती है, जिसे आप भी ट्राय कर सकती हैं. अनीता की ये सिल्वर साड़ी आपके लिए पार्टी में जाने के लिए परफेक्ट औप्शन है और अगर आप भी अनीता की तरह शाइनिंग सिल्वर साड़ी और सिंपल ग्रे कलर के ब्लाउज के साथ सिंपल इयरिंग्स कैरी करेंगी ते ये आपके लुक के लिए परफेक्ट रहेगा. इससे आप एलिगेंट के साथ-साथ सेक्सी भी दिखेंगी.

 

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2. मौनसून के लिए परफेक्ट है अनीता का ये लुक

 

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? Shagun

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मौनसून में स्काई ब्लू कलर बहुत चलता है. अगर आप भी मौनसून वेडिंग या फैमिली गैदरिंग का हिस्सा बनने जा रहे हैं तो ये लुक आपके लिए एकदम परफेक्ट है. डार्क स्काई ब्लू या आसमानी कलर की साड़ी के साथ ब्लैक ब्लाउज का कौम्बिनेशन बेस्ट है. साथ ही अगर आपको ये कौम्बिनेशन लाइट लगे तो इसे हैवी बनाने के लिए आप स्काई ब्लू के साथ कौम्बिनेशन के इयरिंग्स को पेयर कर सकती हैं. ये आपको स्टाइलिश के साथ-साथ ट्रेंडी लुक देगा.

3. ब्लैक एंड वाइट कौम्बिनेशन है सबका फेवरेट

 

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“Use Gratitude as a beauty filter”

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ब्लैक एंड वाइट कौम्बिनेशन हर किसी को पसंद आता है. चाहे वह वेस्टर्न में पहनें या फिर इंडियन लुक में. अनीता का ये ब्लैक एंड वाइट लुक भी इस कौम्बिनेशन के एकदम परफेक्ट लुक है. वाइट साड़ी के साथ ब्लैक ब्लाउज और उसके साथ सिल्वर झुमके आपको स्टाइलिश के साथ-साथ एलीगेंट लुक देगा.

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4. फ्रिल के साथ साड़ी कौम्बिनेशन है ट्रेंडी

 

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लाइट पिंक कलर के साथ फ्रिल कौम्बिनेशन के ब्लाउज में अनीता बेहद खूबसूरत दिख रही हैं. अगर आप भी कुछ नया पार्टी लुक ट्राय करना चाहती हैं तो ये लुक आपके लिए एकदम परफेक्ट है. पिंक कलर लाइट के साथ आपको रिलेक्स भी करेगा. साथ ही स्टाइलिश के साथ आप ब्यूटीफुल और ट्रेंडी भी लगेंगी.

गलती तो भारी पड़ने वाली है

दिल्ली के समाचारपत्रों में 14 जून को प्रकाशित 3 समाचार आपस में जुड़े हैं. पहला समाचार यह था कि एशिया समेत विश्व की जनसंख्या घट रही है और प्रति महिला बच्चों का औसत 2.1 फीसदी से घट कर 1.8 फीसदी हो जाएगा. इस का मतलब है कि अगले कई दशकों तक बच्चे कम होंगे पर चूंकि लोग ज्यादा दिन जिंदा रहेंगे, इसलिए बिना देखभाल वाले वृद्ध बढ़ते जाएंगे.

दूसरा समाचार था कि 90 वर्ष का एक वृद्ध और 80 वर्ष की उस की बहन अपने बंद मकान में मरे पाए गए. वे शायद अत्यधिक गरमी के कारण मरे थे. उन का वर्षों से पड़ोसियों से संबंध टूट गया था और उन से मिलनेजुलने कोई नहीं आता था.

तीसरा समाचार यह था कि 70 वर्ष के एक व्यक्ति ने अपनी 35 वर्षीया 6 माह पुरानी पत्नी की ईंट से सिर फोड़ कर हत्या कर दी और फिर खुद गले में फंदा लगा कर आत्महत्या कर ली.

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ये तीनों ही समाचार भविष्य की एक भयावह स्थिति की ओर इशारा कर रहे हैं. अब शहरों में मकान खाली होने लगेंगे और जो बूढ़े और गरीब हैं वे इन खाली होते मकानों में अकेले पड़े रहेंगे. कितनों के आसपास कोई पड़ोसी ही न होगा. मल्टीस्टोरी बिल्डिंगों में रहने वालों को और अधिक कठिनाइयां होंगी, क्योंकि पुराने मकान जर्जर होने लगेंगे और वृद्ध रखरखाव का पैसा भी न दे पाएंगे.

इन मकानों के बिजली के कनैक्शन काट दिए जाएंगे, दरवाजों पर टैक्स वसूली के नोटिस लगे होंगे, लिफ्टें नहीं चलेंगी, पानी के पंप खराब हो जाएंगे. इन वृद्धों को इलाज की सुविधा भी नहीं मिलेगी. बेटेपोते होंगे भी तो अपने में मस्त और किसी दूसरे देश या शहर में.

जो लोग देश की समस्याओं की जड़ में जनसंख्या को लेते थे उन के लिए दुखद बात है कि जनसंख्या कम होना विकट सामाजिक आर्थिक समस्या पैदा करेगी. सामाजिक इसलिए कि वृद्धों की देखभाल कौन करेगा और आर्थिक इसलिए कि जब काम करने वाले न होंगे तो देश की अर्थव्यवस्था कैसे चलेगी? टैक्स कौन देगा? वृद्धों की देखभाल न होने का एक कारण घटते युवा और बढ़ते वृद्ध हैं.

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घरों में वृद्ध और बढ़ेंगे और एक युवा को नानानानी और दादादादी दोनों को संभालना होगा. हो सकता है उस के मातापिता भी वृद्ध हो चलें. यदि उस की शादी भी ऐसे ही साथी से हो तो एक घर में 4 जोड़े नानानानी की उम्र के और 2 जोड़े मातापिता की उम्र के हो सकते हैं. अगर वे साथ न भी रहें तो भी जिम्मेदारी इस युवा जोड़े की होगी. इसे 12 प्रौढ़ों और वृद्धों की देखभाल करनी होगी. प्रकृति से हम ने जो खिलवाड़ किया है और जीनेमरने पर जो कंट्रोल किया है वह भारी पड़ने वाला है.

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