पुराने नोट

लेखक- सुरेश सौरभ

‘‘पता नहीं इस बुढि़या ने न जाने कहांकहां और क्याक्या कितना छिपा रखा है. मेरी तो जान आफत में आ पड़ी है. क्या उठाऊं और क्या धरूं, कुछ समझ में नहीं आ रहा है.

‘‘यह बुढि़या भी बड़ी अजीब थी. जाने कहांकहां का… जाने क्यों ये चिथड़ेगुदड़े संभाल कर रखे हुए थी,’’ भुनभुनाते हुए सुमन अपनी मर चुकी सास के पुराने बक्से की सफाई कर रही थी.

तभी सुमन की नजर बक्से के एक कोने में मुड़ेतुड़े एक तकिए पर पड़ी जिस के किनारे की उखड़ी सिलाई से 500 का एक पुराना नोट बत्तीसी दिखाता सा झांक रहा था.

सुमन ने बड़ी हैरत से उस तकिए को उठाया, हिलायाडुलाया, फिर किसी अनहोनी के डर से जल्दीजल्दी उस तकिए की सिलाई उधेड़ने लगी.

अब सुमन के सामने 1000-500 के पुराने नोटों का ढेर था. वह फटी आंखों से उसे हैरानी से देखे जा रही थी. थोड़ी देर तक उस का दिमाग शून्य पर अटक गया, फिर उस की चेतना लौटी.

सुमन ने फौरन आवाज लगाई, ‘‘अरे भोलू के पापा, जल्दी आओ… जरा सुनो तो…’’

‘‘क्या आफत आ गई. अभी खाना दे कर गई है और पुकारने लगी है. यह औरत जरा भी सुकून से खाना नहीं खाने देती है,’’ पति झुंझलाया.

‘‘अरे, जल्दी आओ,’’ सुमन ने दोबारा कहा.

‘‘पता नहीं, कोई सांपबिच्छू तो नहीं है…’’ बड़बड़ाता हुआ पति वहां पहुंचा. सुमन सिर पर हाथ रखे अपने सामने 1000-500 के पुराने नोटों के ढेर को बड़ी हैरानी से देख रही थी.

पति ने यह नजारा देखा तो उस के भी होश उड़ गए. सारा गुस्सा ठंडा हो गया. फिर अटकतेअटकते वह बोला, ‘‘यह सब क्या है सुमन…’’

‘‘तुम्हारी मां ने बड़े अरमान से हमारी गरीबी दूर करने के लिए ये पैसे जोड़जोड़ कर अपने तकिए में रखे थे. लेकिन 2 साल पहले बेचारी मरते समय यह राज हमें न बता पाई. दिल में यही अरमान रहे होंगे कि बहू, बेटे और उन के बच्चों की इन रुपयों से गरीबी दूर हो जाएगी. पर हाय रे नोटबंदी का दानव मेरी सासू मां के सारे अरमानों को खा गया.’’

यह देख पति भारी मन से बोला, ‘‘अम्मां को मैं ही दवादारू के लिए थोड़ेबहुत पैसे देता रहता था, पर मुझे क्या पता था कि वे हमारी गरीबी दूर के लिए पैसे जोड़ रही थीं.’’

सुमन डबडबाई आंखों से बोली, ‘‘सचमुच अम्मां का दिल बहुत बड़ा था.’’

पति ने कहा, ‘‘हां, शायद हम लोगों से भी

ज्यादा बड़ा…’’

सुमन बोली, ‘‘आप सही कहते हो.’’

अब वहां वे दोनों फूटफूट कर रोने लगे, जिसे सिर्फ घर की दीवारें ही सुन पा रही थीं.

नरेंद्र मोदी की सरकार ने सोचा था कि वह नोटबंदी से अमीरों का काला धन निकालेगी, पर यहां तो गोराचिट्टा धन एक रात में काला हो गया था.

दोस्ती प्यार से ऊपर है- समीक्षा जायसवाल

जी टीवी के लोकप्रिय शो ‘जिंदगी की महक’ की लीड एक्ट्रेस समीक्षा जायसवाल अब कलर्स चैनल के नए शो बहू बेगम में नूर की भूमिका निभा रही हैं. पेश है एक इवेंट के दौरान चुलबुली, शोख समीक्षा से की गई बातचीत के मुख्य अंश;

जिंदगी की  महक  सीरियल की शूटिंग दिल्ली में हुई थी. अब मुंबई में रहना कैसा लग रहा है? आप को दिल्ली ज्यादा पसंद है या मुंबई ?

दिल्ली के देखे मुंबई में रहना मुझे बहुत ज्यादा ईजी और कनविनिएंट लगता है. मैं जनवरी में मुंबई शिफ्ट हुई हूं. यहाँ मेरे बहुत सारे फ्रेंड्स थे. इसलिए ज्यादा परेशानी नहीं हुई. मुंबई इस इंडस्ट्री का हब है. सो यहां काम बहुत करना बहुत इजी है. दिल्ली की जलवायु एक्सट्रीम पर होती है मगर मुंबई में मौसम भी सही रहता है. वैसे भी ऐसी जगह काम करना बहुत आसान होता है जहां इसी काम का माहौल हो.

इस सीरियल की स्टोरी कुछ अलग सी है जिस में प्यार , फ्रेंड और वाइफ में बट गया है. ऐसे में आप ने प्यार के बजाय दोस्त की भूमिका क्यों चुनी?

मैं ने जानबूझ कर यह चुनौती स्वीकार की है. लोग मानते हैं कि हीरो हीरोइन जिन के बीच रोमांस है ,लव स्टोरी है ,वही मेन रोल होता है जो सही नहीं. मेरे प्रोड्यूसर ने मुझे दोनों रोल ऑफर किए थे पर मैं ने नूर यानी दोस्त का रोल चुना. अपने पिछले सीरियल में मैं एक सीधी-सादी बहु का किरदार निभा चुकी हूं . पर अब  कुछ अलग करना चाहती थी इसलिए नूर को चुना.

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आप खुद को इस रोल के साथ कितना रिलेट करती है?

मेरे अलावा बाकी जो भी लोग हैं सब यही कहते हैं कि मैं रियल लाइफ में बिल्कुल नूर जैसी ही हूं. मैं कोई परदा नहीं करती. बेपरवाह रहती हूं. हमेशा मस्ती करती रहती हूं. चुलबुली और केयर फ्री लड़की हूं. ऐसा नहीं है कि अपने पहले रोल महक जो एक सिंपल सेटल गर्ल थी, जैसी बिलकुल नहीं हूं. वह केरैक्टर भी मेरा ही एक हिस्सा था मगर कहा जाए तो नूर के काफी क्लोज हूं.

खुद को फिट और खूबसूरत बनाए रखने के लिए क्या करती है ?

बहुत मेहनत करनी पड़ती है. खाना छोड़ना पड़ता है. मैं इंदौर से हूं जो बहुत फूडी होते हैं. वैसे भी फूड मेरी बहुत बड़ी वीकनेस है. मुझे चटपटा खाना बहुत पसंद है. मगर अब काफी कोशिश कर रही हूं ताकि वजन घटा सकूं. 14 घंटे हमें यों भी काम करना पड़ता है. उस के बाद भी अनुशासन के साथ रहना, डांस करना, व्यायाम करना ,कम और चुनिंदा यानि पौष्टिक भोजन करना जैसी लाइफस्टाइल अपनानी होती हैं.

आप का ड्रीम रोल क्या है ?

मैं इम्तियाज अली की फिल्म में काम करना चाहती हूं. उन के सारे किरदार बहुत खूबसूरत होते हैं. जब वी मेट, तमाशा रौकस्टार ( फेवरेट फिल्म ) जैसी कोई भी फिल्म ले लीजिए. इसी तरह के किरदार करना चाहती हूं.

दोस्ती और प्यार में आप किसे महत्वपूर्ण मानती है ?

मेरे लिए दोस्ती प्यार से ऊपर है. दोस्ती में सुकून है और प्यार में जुनून. जुनून तो आतेजाते रहेंगे. मगर दोस्ती हमेशा रहती है. वैसे भी लाइफ में काफी तामझाम और दुनियादारी चलती रहती है. तो ऐसे में आप उस के पास आना चाहोगे जो आप को सुकून दे सके. जिस से आप बिना छुपाए हर बात शेयर कर सकें. ऐसा शख्स एक दोस्त ही हो सकता है.

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आप की फेवरेट ड्रैस क्या है ?

मेरी फेवरेट ड्रैस है कैजुअल वनपीस ड्रैस. मुझे हल्की, क्यूट सी फ्रौक पहनना भी बहुत पसंद है.

आजकल  कलाकार वेबसाइट का रुख काफी करने लगे हैं. इस सन्दर्भ में आप क्या कहना चाहेंगी?

वेबसाइट एक नया प्लेटफार्म बन कर उभरा है. जिस में अलग स्टोरीलाइन होती है. जब कि टीवी पर ज्यादातर फैमिली ड्रामा चलता है. ऐसे में कुछ नया ट्राई करने के लिए लोग वेबसाइट का रुख करने लगे है.

Nach Baliye 9: शो में ज्यादा फीस को लेकर अनीता से चिढ़ी श्रद्धा, मिला ये जवाब…

स्टार प्लस के पौपुलर रियलिटी शोज में से एक नच बलिए 9 जल्द ही लोगों को एंटरटेन करने आ रहा है, लेकिन खबर है कि शो से जुड़े कंटेस्टेंट के बीच शो से पहले ही कौम्पीटिशन शुरू हो गया. शो की दो एक्ट्रेसेस अनीता हसनंदानी और श्रृद्धा आर्या के बीच फीस को लेकर अनबन शुरू हो गईं है. आइए आपको बताते हैं शो से जुड़ा पूरा मामला…

अनीता हसनंदानी बनी शो की हाइएस्ट पेड सेलीब्रिटी

 

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The more you work out, the weaker my knees get. ?

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एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के मुताबिक, अनीता हसनंदानी नच बलिए 9 का हिस्सा बनने के लिए भारी भरकम फीस ले रही हैं. अनीता को सिंगल एपिसोड 30 लाख रूपए मेहनताना मिलने वाला है, जिसके चलते अनीता  इस शो की हाइएस्ट पेड एक्ट्रेस बन गई हैं.

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श्रृद्धा आर्या को नापसंद आई ये बात

 

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Bach Baliye ? !!! #nachbaliye9 @banijayasia @starplus Makeup: @sachinmakeupartist Hair : #saba Managed by: @knackfortalent

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खबरों के मुताबिक, बाकी कंटेस्टेंट्स को मेकर्स की यह बात पसंद नहीं आई है. कुंडली भाग्य में नजर आ रही श्रृद्धा आर्या भी नच बलिए 9 में अपने एक्स-बौयफ्रेंड के साथ शो में हिस्सा लेने जा रही हैं. कहा जा रहा है कि जब अनीता के हाइएस्ट पेड एक्ट्रेस होने के बारे में पता चला तो उन्होंने मेकर्स के सामने इस बात की नाराजगी जता दी है. अब श्रद्धा की नाराजगी भी जायज है क्योंकि, उनका शो कुंडली भाग्य इस समय टीवी के टौप शोज में से एक हैं. ऐसे में वह अपने शो से समय निकाल कर नच बलिए का हिस्सा बनने जा रही हैं.

अनीता का श्रृद्धा को पलटवार

 

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Kya hain inn naqaabon ka raaz? #NachBaliye9, Starts 19th July, Friday 8pm only on StarPlus @anitahassanandani @sarya12

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इसी बीच अनीता ने श्रद्धा की नाराजगी पर अपनी जबान खोलते हुए कहा है कि ‘मुझे नहीं पता कि किस कंटेस्टेंट को कितनी फीस दी गई है. मैं बस मेरी फीस के काफी खुश हूं. मैं हमेशा से नच बलिए का हिस्सा बनना चाहती थी. हर चीज का एक सही समय होता है ऐसे में अब समय आ गया है कि इस शो में अपना कदम रखूं. मुझे मेरे बलिए को मनाने में कई साल लग गए हैं. वैसे भी नागिन 3 के खत्म होते ही मुझे यह शो मिल गया था. अब मैं अच्छे से केवल नच बलिए पर अपना फोकस रखना चाहती हूं.

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‘बता दें, नच बलिए 9 में इस बार फैसल खान-मुसकान कटारिया, गीता फोगट-पवन कुमार, रोशेल राव-कीथ सिकेरा, विंदू दारा सिंह-दीना उमरोवा, शांतनु माहेश्वरी-नित्यामी शिर्के, सौरभ राज जैन और रिद्धिमा जैन, अनीता हसनंदानी और रोहित रेड्डी और उर्वशी ढोलकिया-अनुज सचदेवा नजर आएंगे. वहीं मनीष पौल मेजबान तो रवीना टंडन जज के रूप में दिखेंगी.

टेन्शन के बिना काम करना ही है मेरी इनर स्ट्रेंथ– जीबा कोहली

चौकलेट की दुनिया में एक अलग नाम स्थापित करने वाली चौकलेटियर, लोकोपकारक और महिला उद्यमी जीबा कोहली ने केवल देश में ही नहीं, विदेश में भी अपने चौकलेट की वैरायटी से सबको चकित किया है. जिसके लिए उन्हें देश और विदेश में कई पुरस्कार भी मिले है. वह फैंटासी फाइन चौकलेट की ओनर है और चौकलेट को घर-घर तक पहुंचाने की दिशा में काम कर रही है. वह एक प्रशिक्षित भरतनाट्यम डांसर है. काम के दौरान ही उन्होंने व्यवसायी राजेश कोहली से शादी की और दो बेटियों करीना और सोफिया की मां बनी. उन्होंने कई किताबें चौकलेट की रेसिपी पर लिखी है, ताकि लोगों को इसके बारें में जानकारी हो सकें.

जीबा की ये कंपनी 70 साल से अधिक पुरानी है, इस कंपनी की स्थापना वर्ष 1946 में की गयी थी, जिसे उसके नाना ने शुरू किया था, जिसे उन्होंने अपने बेटे की याद में बनाया था,क्योंकि वह मुंबई में चौकलेट शॉप देखना चाहता था. वह कहती है कि उस समय चौकलेट का इतना क्रेज़ लोगों में नहीं था, लेकिन मेरे नाना ने इसे घर-घर तक पहुंचाया. इसके लिए उन्होंने विधवा, गरीब लड़कियों, प्रताड़ित महिलाओं को इस काम में जोड़ा ,क्योंकि ऐसी महिलाओं को वे एम्पावर करना चाहते थे. इसके बाद उन्हें अच्छी तरह से चौकलेट बनाने की विधि का प्रशिक्षण जानकार लोगों से दिलवाते थे और उन्हें अपने यहाँ काम देते थे और बेचने की प्रक्रिया बताते थे. मैं उस समय बहुत छोटी थी और स्कूल से लौटकर उनके काम में हाथ बंटाया करती थी. इससे धीरे-धीरे मेरी रूचि इस क्षेत्र की ओर बढती गयी. मेरी मां भी इस कंपनी से जुडी थी, लेकिन उनकी मृत्यु जल्दी होने की वजह से मुझे 18 साल की उम्र में मैंने इस कंपनी की बागडोर को अपने हाथ में ली.

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इसके आगे वह कहती है कि अभी भी मेरे यहां वही लोग काम करते है, जिन्हें अपनी किसी शारीरिक कमजोरी या किसी अन्य समस्या के चलते आगे बढ़ने में समस्या आई और वे एक मुकाम तक नहीं पहुंच पाएं. उन्हें हम सिखाते है और वे कमाकर अपनी इच्छा पूरी कर लेते है. फैन्टासी चौकलेट को आगे ले जाना मेरे लिए बहुत गर्व की बात है.

इस क्षेत्र में जीबा को कई चुनौती रही है, पर उन्होंने धैर्य से इसे सम्हाला है. वह बताती है कि बचपन से मैंने इस क्षेत्र को देखा है. यहां शांत दिमाग और सही शिक्षा ही आपके काम आती है,जिसमें मैंने सीखना और सिखाना हमेशा जारी रखा. मैंने हमेशा चौकलेट को लेकर नयी-नयी रेसिपी बनायीं और कोशिश किया कि लोग इसके स्वाद को पहचाने, क्योंकि चौकलेट किसी भी प्रकार से हर दिन आप अपनी सूची में शामिल कर सकते है और इसके लिए सही स्वाद और लुक का होना जरुरी है. इस बीच मेरी शादी हुई मैं दो बेटियों की माँ भी बनी, पर मैंने अपने काम को नहीं छोड़ा. मैंने हर काम बिना तनाव के करना सीखा है. यही मेरी इनर स्ट्रेंथ है. मैं सबकी सुनती हूं, मेहनत करती हूं और किताबे पढ़ती हूं. मेरी टीम में 50 लोग है, जिसे मैं हमेशा समय-समय पर नयी-नयी जानकारी से प्रशिक्षित करती रहती हूं. इसके अलावा मैं ट्रेवल करते समय भी उन्हें अपने साथ लेकर जाती हूं, ताकि वे दूसरे जगहों के चौकलेट के बारें में जानकारी प्राप्त कर सके. अच्छी चौकलेट बनाने की कला हमेशा अनुभव से ही आती है.

चौकलेट में तरह-तरह की वैरायटी का होना बहुत जरुरी होता है. आज से 20 साल पहले जीबा ने चौकलेट ट्रफल किसी की मांग पर बनाया था,जो आज बहुत पोपुलर है. अपने इनोवेशन के बारें में उसका कहना है कि मैंने सभी प्रकार के डार्क, केमिकल फ्री ,शुगर फ्री, मिल्क फ्री, विगन, एडिबल फ्लावर चोकलेट्स आदि बनाए है. ये सारे बहुत ही उत्साहित करने वाले चौकलेट है. इसे लोगो तक पहुंचाने के लिए वर्कशौप का आयोजन करती हूं, जिसमें मैं अधिकतर घरेलू महिलाओं को आमंत्रित करती हूं. इसके अलावा यू ट्यूब पर भी मैंने चौकलेट बनाने की विधि को शेयर किया है, जिसे सीखकर महिलाएं रोजगार कर सकती है. मैं खुद सीखकर उन्हें सिखाती हूं. उन्हें मार्केट ट्रेंड बताती हूं.

क्या विदेशी और भारतीय चौकलेट में अंतर है?

पूछे जाने पर जीबा का कहना है कि मैं 25 साल पहले स्विस चौकलेट को इंडिया लायी. उसके बाद मैं बेल्जियम चौकलेट की एम्बेसेडर बनी. अभी मैं फ्रेंच चौकलेट के साथ काम कर रही हूं. फैन्टासी भारतीय कच्चे पदार्थ के साथ-साथ स्विस, बेल्जियम और फ्रांस के मेटेरियल का भी प्रयोग करती है. मेरे हिसाब से कोई भी चौकलेट ग्रेट नहीं है, ग्राहक मुख्य है, जो इसे टेस्ट करता है. कुछ लोगों को मेरे आलमंड चौकलेट पसंद है, तो कुछ डार्क चौकलेट खाते है. इस तरह हर तरह के ग्राहक होते है. मेरा उत्पाद औनलाइन भी है. चौकलेट महंगा है इसलिए सब लोग इसे खरीदकर घर पर नहीं बना सकते है. इसलिए उन्हें मैं अपने यहां सिखाती हूं.

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आपका टर्निंग पौइंट क्या रहा?

18 साल की उम्र में जब मेरी मां बीमार पड़ी और मुझे काम सम्हालना पड़ा, उससे पहले 15 साल की उम्र में जब मेरे नाना ने उनके साथ वर्ल्ड ट्रिप करवाया और सबसे मिलवाया, 25 साल में मेरी शादी हुई और दो बेटियों की माँ बनी,पिछले साल मुझेएक टीवी शो मिला जो मेरा ही था आदि इस तरह सारे मेरे टर्निंग पॉइंट थे. आगे मैं व्यवसाय की नयी प्रक्रिया पर काम कर रही हूं. चौकलेट कभी भी शरीर के लिए ख़राब नहीं होता, इसे हमेशा संतुलन के साथ खाना चाहिए, ताकि आपको बाद में समस्या न हो. मेरी दोनों बेटियां अपने पिता के व्यवसाय को पसंद करती है और उसमें जाना चाहती है,लेकिन वे मेरे साथ भी काम करती है. पति ने हमेशा मेरे काम में सहयोग दिया,जिससे मैं यहाँ तक पहृच पायी हूं.

जीबा फिटनेस के लिए योगा, डांस और स्विमिंग करती है. वह गृहशोभा की महिलाओं से कहना चाहती है कि हमने इस धरती पर जन्म लिया है, हर पल को सेलिब्रेट करें. आप क्या थी और क्या है, इस पर कभी न रोये. आप इतनी सक्षम है कि परिवार के साथ आप कुछ भी कर सकती है. आपका दिमाग आपके हाथ में है इसलिए हमेशा खुश रहे. परेशानियां सबके जीवन में आती है, उससे आगे बढ़े.

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कार्डियो एक्सरसाइज से रखें खुद को फिट

आजकल की भाग-दौड़ वाली जिंदगी में खुद के लिए समय निकालना बहुत ही मुश्किल होता है. खासकर आप जब सोच रहे हो कि आपको एक्सरसाइज के लिए समय निकालना हो. इसीलिए आप जब कई बार योजना बनाते हैं रोजाना जिम जाकर जमकर वर्कआउट करने कि तो वो योजना कभी पूरी नही हो पाती और आप मायूस हो जाते है. लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसे एक्सरसाइज के बारे में बताएंगे जिससे की आप घर बैठे अपने आपको फिट रख सकते हैं. ये सभी एक्सरसाइज आप घर बैठे बिना किसी मशीन के आसानी से कर सकते है. खुद को फिट रखने के साथ ही शरीर को मेनटेन करने के लिए कार्डियो एक्सरसाइज बेस्ट तरीका है. इसे करने से कैलोरी तो बर्न होती है साथ ही ये आपके मेटाबॉलिज्म में भी सुधार लाता है.

1. सबसे अच्छा है रनिंग करना

रनिंग शरीर को फिट रखने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि इससे किसी भी व्यक्ति का स्टैमिना अच्छा हो जाता है. इसके साथ ही रनिंग से पैरों की हड्डियों से जुड़ी परेशानीयों भी दूर होती है.

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2. रस्सी कूदना है अच्छा औप्शन

रस्सी कूदना कार्डियो का सबसे बेहतर तरीका माना जाता है. यह न सिर्फ आपके दिल की सेहत को मजबूत रखेगा बल्कि शरीर में खून के प्रवाह को भी सुधारेगा. इसके साथ ही रस्सी कूदने से पैरों को मजबूती मिलेगी और बैलेंस सुधरेगा.

3. एक्सरसाइज के लिए परफेक्ट है डांसिंग

ये खासकर उन लोगों के लिए है जिन्हें एक्सरसाइज करना बिल्कुल पसंद ना हो पर डांस करना अच्छा लगता हो. इसके लिए सिर्फ एक अपना मनपसंद गाना बजाए और जमकर एक या दो घंटे टे तक डांस करें. डांस करने से व्यक्ति का स्टैमिना बढ़ता है साथ ही ब्लड सर्कुलेशन सुधारने, मसल्स को मजबूत बनाने और लंग्स मजबूत करने में मदद मिलती है. डांस करने वाले व्यक्ति को दिल की बीमारी होने का कम खतरा होता है.

4. लंग्स की मजबूती के लिए साइकलिंग

कार्डियो के इस तरीके से लंग्स को मजबूती मिलती है और शरीर में बेहतर तरीकें से औक्सिजन जाती है. इके साथ ही साइकलिंग से पैरों के मसल्स मजबूत होते है जिससे उम्र के साथ पैरों में होने वाली कमजोरी की शिकायत नही होती.

5. सीढ़ियां चढ़ना-उतरना है अच्छी एक्सरसाइज

ये उन लोगों के लिए है जिन लोगों के पास कम समय होता है अपने लिए. इसे आप अपना काम करते बक्त भी कर सकते है साथ ही इसके लिए आपको बाहर जाने की जरूरत नही पड़ती. इससे आप घर में ही अगर सीढ़ियां है और अगर आप रोज इन्हें 15 से 20 मिनट चढ़ें या उतरें तो आपका वर्कआउट हो जाएगा.

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6. जंपिंग जैक करें ट्राय

जंपिंग जैक एक्सरसाइज करने से भारी मात्रा में कैलोरी बर्न होता है. साथ ही इसे करने से पेट और व्यक्ति के शरीर को सही शेप मिलती है.

7. बौडी को फ्रेश रखने के लिए बेस्ट है सूर्य नमस्कार

कार्डियो एक्सरसाइज में सूर्य नमस्कार को सबसे बेहतर माना जाए सेहत के लिए तो गलत नही होगा. यह अकेला ऐसा एक्सरसाइज है, जो पूरे शरीर को चुस्त-दुरस्त रखने में मदद करती है. ये कार्डियो के साथ-साथ योगा में भी सबसे बेहतर माना जाता है. इस योगासान में 12 प्रकार के एक्सरसाइज होते है, जिससे पूरे शरीर का एक्सरसाइज हो जाता है. अगर कोई व्यक्ति सूर्य नमस्कार आसान 25 मिनट तक कर लें तो उसे और दूसरी एक्सरसाइज करने की जरूरत नही होगी. इसे करने से पहले एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि इसे आप खाली पेट ही करें.

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7 टिप्स: मौनसून में ऐसे टिका रहेगा मेकअप

बारिश के मौसम में न केवल आप के बालों में चिपचिपाहट हो सकती है, बल्कि आपका खूबसूरत मेकअप भी बिगड़ सकता है. जरा सोचिए, अगर बारिश के मौसम में आप पार्टी के लिए तैयार हो कर निकलें और अचानक बारिश होने लगे तो आप का सारा मेकअप बह जाएगा. इसी परेशानी से बचने के लिए पेश हैं, इस मौसम में मेकअप करने के कुछ सुझाव:

1. क्लीनिंग है जरूरी

मौनसून में स्किन की सही देखभाल के लिए चेहरे को नियमित फेस वौश करें. चेहरा धोने के 10 मिनट बाद उस पर बर्फ का टुकड़ा रब करें. इस से मेकअप अधिक समय तक टिकता है और साथ ही मौनसून में डल स्किन को भी फ्रैश लुक मिलेगा. अगर आप की स्किन औयली है तो ऐस्ट्रिंजैंट का इस्तेमाल करें. जिन की त्वचा सामान्य या ड्राई हो वे इस मौसम में फेस वाश के बाद टोनर का इस्तेमाल करें.

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2. प्राइमर का करें सही इस्तेमाल

अगर आप के चेहरे पर ज्यादा दागधब्बे और हलके गड्ढे अथवा दाने हैं, तभी प्राइमर लगाएं, क्योंकि ऐसा करना इस मौसम में उपयुक्त होगा. प्राइमर स्किन की सतह को समतल कर देगा, जिस से मेकअप ज्यादा देर तक टिका रहेगा. लेकिन जिन्हें ऐसी समस्या नहीं है उन्हें प्राइमर लगाने की जरूरत नहीं है.

मौनसून में मेकअप करने से पहले चेहरे पर जैली प्राइमर का प्रयोग कर लें. प्राइमर लगा कर 2-3 मिनट के लिए छोड़ दें. उस के बाद अगला स्टैप करें. इस से प्राइमर ज्यादा टाइम तक टिकता है. बारिश में कंसीलर के इस्तेमाल से बचें, क्योंकि बारिश का पसीने वाला मौसम कंसीलर को चेहरे पर टिका नहीं रहने देता. फिर भी आप को कंसीलर की सख्त जरूरत हो तो क्रेयान कंसीलर का विकल्प चुन सकती हैं.

3. आईशैडो का करें ऐसे इस्तेमाल

मौनसून के दौरान अपनी आईब्रोज को हमेशा सैट रखें और आईब्रोज पैंसिल का इस्तेमाल भूल से भी न करें. इन दिनों पैंसिल के बहने का डर रहता है. जहां तक संभव हो आईशैडो का प्रयोग न ही करें. यदि करना ही पड़े तो आईशैडो में क्रीम के बजाय पाउडर का प्रयोग करें ताकि वह मैल्ट हो कर आप के खूबसूरत चेहरे को खराब न करे. यह क्रीम आईशैडो के मुकाबले ज्यादा देर तक टिका रहता है. इस में भी कुछ नैचुरल शेड्स जैसे पिंक या ब्राउन का प्रयोग करें. स्मज फ्री काजल का इस्तेमाल करें. पलकों पर वाटरपू्रफ मसकारा लगाएं. यह ज्यादा देर तक टिकेगा. मौनसून में ब्लैक की जगह कलरफुल लाइन के साथ ट्रांसपैरेंट मसकारा इस्तेमाल करें.

4. लिपस्टिक के साथ लिप बाम भी रखें जरूर

लिपस्टिक आप के चेहरे से डलनैस दूर करने का काम करती है. दोस्तों से मिलना हो या आउटिंग पर जाना हो, अच्छे ब्रैंड और स्किन टोन के हिसाब से लिपस्टिक जरूर लगाएं. लेकिन उस पर लिप ग्लौस न लगाएं, क्योंकि यह ग्लौस आसानी से मिट जाता है (विकल्प के तौर पर आप ज्यादा देर तक टिका रहने वाला शीयर ग्लौस लगा सकती हैं). अगर लिपस्टिक न लगाती हों तो बैग में अच्छे ब्रैंड का लिप बाम जरूर रखें. इसे दिन में 2-3 बार लगाएं, क्योंकि फटे होंठ लुक खराब करते हैं. इसलिए लिप बाम लगा कर होंठों को मुलायम बनाएं. लिपस्टिक को लौंग लास्ट करने के लिए अपने होंठों पर पहले लूज पाउडर का एक हलका सा कोट लगा लें. अब कौटन बौल से ऐक्स्ट्रा पाउडर झाड़ कर साफ कर लें. यह आप की लिपस्टिक के लिए एक परफैक्ट बेस का काम करता है. अब लिप लाइन पर हलके रंग का लिप लाइनर प्रयोग कर लें. अगर आप के होंठ पतले आकार के हैं, तो लिप लाइन के बाहर की ओर लाइनर का प्रयोग करें. यदि आप अपने होंठ पतले दिखाना चाहती हैं, तो होंठों के अंदर लिप लाइनर का इस्तेमाल करें. लिपस्टिक लगाने के बाद एक हलका सा लूज पाउडर का कोट एक बार फिर लगा लें. इस से आप के होंठों पर लिपस्टिक ज्यादा देर तक लगी रहेगी.

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5. सही फाउंडेशन है जरूरी

उमस के मौसम में मेकअप के पसीने के साथ बहने की संभावना के चलते लिक्विड या क्रीम फाउंडेशन के बजाय औयलफ्री मौइश्चराइजर का हलका कोट लगाया जा सकता है. टचअप के लिए हलका कौंपैक्ट पाउडर लगा सकती हैं. फाउंडेशन की जगह टिंटेड मौइश्चराइजर का भी प्रयाग किया जा सकता है.

मौनसून के दौरान हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि आप का ब्लश सौम्य पर परिधान पर सूट करता होना चाहिए. बेहतर होगा इस दौरान शिमरी ब्लश यूज में न लाएं, क्योंकि यह चिपचिपा लुक देता है, साथ में पानी के कौंटैक्ट में आने पर बहने भी लगता है. पाउडर ब्लश के बजाय आप क्रीम ब्लश इस्तेमाल कर सकती हैं. अगर आप थोड़ा और कलर व उभार चाहती हैं तो क्रीम ब्लश के ऊपर पाउडर ब्लश लगाएं ताकि यह गालों पर ज्यादा देर तक टिका रहे, जो आप के चेहरे पर चमक व कलर लाने के साथसाथ खूबसूरती भी बढ़ाता है.

6. हेयर सीरम है मौनसून में जरूरी

मौनसून में चेहरे के बाद बालों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है, क्योंकि इस मौसम में ज्यादा भीगने और उमस के कारण स्कैप्ल में नमी रहती है. इस वजह से बाल भी ज्यादा टूटते हैं और मौइश्चर के चलते बाल चमक खो कर बेजान से लगने लगते हैं. इसलिए उनमें सीरम का इस्तेमाल करें और फिर बालों को उलझने से रोकने के लिए उन का जूड़ा या चोटी बना लें.

7. मिस्टी स्प्रे का करें इस्तेमाल

अपने फेस को ग्लोइंग और फ्रैश दिखाने के लिए मिस्टी स्प्रे का इस्तेमाल कम से कम 12 से 15 इंच की दूरी से करें. स्प्रे करने के बाद 6-7 सैकंड सैटल होने दें.

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भारती तनेजा

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बर्थडे स्पैशल: कैटरीना से जानें उनकी खूबसूरती का राज

अपनी हुस्न से सबको दीवाना बनाने वाली, अपने ठुमको पर सबको नचाने वाली कभी शीला तो कभी चिकनी चमेली बन कर सबके दिलो में अपनी जगह बनाने वाली कैटरीना कैफ का आज जन्मदिन हैं. कैटरीना का जन्म 16 जुलाई 1983 को हांगकांग में हुआ था. कैटरीना बचपन से ही खूबसूरत हैं. मात्र 14 साल की उम्र में ही कैटरीना ने मौडलिंग की दुनिया में कदम रख लिया था. आज कैटरीना बेहतरीन अभिनेत्री और एक खूबसूरत मौडल हैं.

कैटरीना के ब्यूटी के चर्चे हर जगह है. तभी तो कैट को बार्बी डौल लुक्स के लिए भी जाना जाता हैं. दरअसल, सन् 2011 में मैटेल कंपनी द्वारा एक बार्बी डौल बनाई गई थी जो बिलकुल कैटरीना के लुक्स पर आधारित थी.

आज कैटरीना 36 वर्ष की हो गई हैं लेकिन उनकी खूबसूरती किसी 16 वर्ष की लड़की से कम नहीं हैं. आखिर कैटरीना अपनी खूबसूरती को बरकरार रखने लिए क्या करती हैं? यह सवाल आप सबके मन में भी जरूर आता होगा तो आइए जानते है कैटरीना की खूबसूरती का राज.

बर्फ से करती है मसाज

कैटरीना की दिन की शुरुआत ठंडे ठंडे बर्फ से होती हैं. कैटरीना हर सुबह एक बाउल में बर्फ और ठंडा पानी डाल कर अपने चेहरे को उस में भिगोती हैं. हर कुछ सेकेंड्स में वह चेहरा बाहर निकालती है और फिर भिगोती हैं. बाद में बर्फ से मसाज करती हैं.

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बर्फ चेहरे के लिए बहुत लाभदायक होता है. बर्फ के पानी में चेहरे को भिगोने से चेहरा का फेट कम होता हैं, पिम्पल्स जैसी दिक्कत नहीं होती, इससे चेहरे का सूजन और डार्क सर्कल भी ठीक हो जाता है.

ज्यादा से ज्यादा पानी पिती हैं

कैटरीना कितनी भी बीजी क्यों न हों वह पूरे दिन में 10 से 12 ग्लास पानी जरूर पीती हैं. कैटरीना का कहना है, ‘ बाहरी सुंदरता से ज्यादा आंतरिक सुंदरता मायने रखती है.’ इसलिए बाहर से ज्यादा खुद को अंदर से ब्यूटीफुल रखना बेहद जरूरी है. पानी से त्वचा हेल्दी भी रहता है और इसका ग्लो बरकरार रहता है.

एक्सरसाइज करना नहीं भूलती कैटरीना

कैटरीना खुद को फिट और ब्यूटीफूल दिखाने के लिए हमेशा एक्सरसाइज के लिए एक घंटा निकालती है. कैटरीना का मानना है, ‘ एक्सरसाइज सभी के लिए जरूरी है. इससे शरीर को अनेक फायदे मिलते है. एक्सरसाइज से खून का संचार बढ़ता है जिससे स्किन फ्रेश और ग्लौइंग दिखती है. इससे स्किन जल्दी लूज नहीं होती, आप पूरा दिन एक्टिव रहते हैं और हमेशा यंग दिखते हैं.’

अधिक मेकअप के खिलाफ है कैटरीना

कैटरीना अपनी स्किन का बहुत ध्यान रखती है. इसलिए सोने से पहले वो मेकअप हटाना जरूरी समझती है. वैसे कैटरीना को अधिक मेकअप करना पसंद नहीं. इसलिए वह अपनी रोजाना मेकअप किट में सिर्फ संसक्रीन, लीपबाम, रखना पसंद करती है. कैटरीना अपने चेहरे को ग्लौइंग बनाने के लिए फैशियल का इस्तेमाल नहीं करती इसके जगह कैट गुनगुने नारियल तेल से मसाज करना पसंद करती हैं. नारियल तेल चेहरे को हाइड्रेटेड रखता है, प्रदूषण से बचाता है और यह आपकी त्वचा को डिटौक्सीफाय भी रखता है.

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खूबसूरती के लिए खाने-पीने पर रखती है खास ध्यान

कैटरीना खाने में प्रोटीन, फाइबर और हेल्दी फेट वाला खाना खाना पसंद करती है. सुबह के नाश्ते में कैटरीना ओट्स और फ्रूट खाना पसंद करती है. खाने में कैटरीना फिश या उब्ली सब्जियों के साथ अकाई बैरी और व्हीटग्रास पाउडर लेती हैं. फिश और सब्जियों में भरपूर मात्रा में फाइबर और प्रोटीन मिलता है जिससे त्वचा की सुंदरता बढ़ने लगती है.

शाम में कैट सेंडविच खाना पसंद करती है. और रात के खाने में सूप के साथ एग व्हाइट खाना पसंद करती है. अगर आप भी कैटरीना की तरह ग्लौइंग और ब्यूटीफुल दिखना चाहती है तो आप उनके इस बेहतरीन दिनचर्या को जरूर फौलो करें.

कौमेडी के साथ हकीकत दिखाती फिल्म खानदानी शफाखाना

हमारे समाज में लोग सेक्स पर खुलकर बात नहीं करते है, लेकिन हम सब इस बात को समझते हैं और मानते हैं कि अगर ऐसा हो तो हमारा समाज एक स्वस्थ समाज होगा. खानदानी शफाखाना एक हंसी-मजाक वाली, लेकिन समाज से जुड़ी हकीकत पर आधारित फिल्म के रूप में इस मुद्दे को उठाती है.

सोनाक्षी ने कहा ये…

इस फिल्म में मुख्य भूमिका निभा रही, सोनाक्षी सिन्हा भी इस बात से इत्तेफाक रखती हैं. “मैंने इस फिल्म को करने का फैसला किया क्योंकि यह हम सबसे जुड़ा हुआ एक बहुत ही और अहम विषय है जिसपर बात-चीत की जानी चाहिए. मैं नहीं चाहती कि कोई भी, औरत या मर्द, सेक्स के बारे में बात करने से कतराए. मुझे उम्मीद है कि मेरा इस फिल्म को करना, उन्हें खुलकर सेक्स से जुड़ी समस्याओं के बारे में बात करने की हिम्मत देगा. मुझे यकीन है कि यह फिल्म लोगों को सोचने… और बात करने पर मजबूर कर देगी. बात तो करो!”

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पंजाबी लड़की की कहानी का सिलसिला बयान करती हुई फिल्म

एक छोटे से शहर से आयी एक पंजाबी लड़की की कहानी का सिलसिला बयान करती हुई फिल्म, जिसे हालात एक सेक्स क्लिनिक चलाने के लिए मजबूर कर देते हैं. यह फिल्म एक ऐसे विषय का रास्ता खोलती है जिसके बारे में शायद ही कभी बात की जाती है. सोनाक्षी सिन्हा और निर्देशक, शिल्पी दासगुप्ता द्वारा बड़ों के बीच भी सेक्स के बारे में चर्चा करने के टैबू और शर्म को सबके सामने लाकर एक दिलेर कदम उठाया है. शिल्पी दासगुप्ता ने कहा, “सोनाक्षी ने इस चुनौती को अच्छी तरह से स्वीकार किया, ये एक ऐसी चीज़ है जिसके बारे में बात करने में भी लोग हिचकिचाते हैं, किरदार निभाना तो दूर की बात है. हमें उम्मीद है कि हम लोगों को सेक्स को एक गंदा शब्द न समझने में मदद कर पायेंगे.”  यह सेक्स पर आधारित एक ही ऐसी फिल्म है जो पूरे परिवार के लिए हैं!

इस फिल्म के निर्माताओं को लगता है कि सेक्स से जुड़ी बहुत सारी परेशानियों को आसानी से दूर किया जा सकता है अगर हम बस उनके बारे में बात करते हैं तो… बात तो करो! निर्देशिका शिल्पी दासगुप्ता कहती हैं, “क्या आप जानते हैं कि कुछ वक़्त पहले तक भारत के कुछ राज्यों में यौन शिक्षा प्रतिबंधित की गयी थी? यह एक ऐसा मुद्दा है जिसके लिए हमें अभियान चलाना चाहिए.

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गुलशन कुमार और टी-सीरीज पेश करते हैं, खानदानी शफाकाना, सनडायल प्रोडक्शन की एक फिल्म. भूषण कुमार, महावीर जैन, मृगदीप सिंह लांबा, दिव्या खोसला कुमार द्वारा निर्मित, शिल्पी दासगुप्ता द्वारा निर्देशित यह फिल्म 2 अगस्त 2019 को रिलीज होने के लिए तैयार है.

Edited by Rosy

एक्ट्रेस समीरा रेड्डी ने बेटी के लिए लिखा इमोशनल मैसेज, फोटोज वायरल

बौलीवुड एक्ट्रेस समीरा रेड्डी ने हाल ही में एक प्यारी सी बच्ची को जन्म दिया है, जिसकी खबर उन्होंने फोटो के साथ सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए दी. वही अब समीरा ने अपनी बेटी के साथ एक फोटो और एक इमोशनल मैसेज सोशल मीडिया पर शेयर किया. आइए आपको दिखाते हैं समीरा का उनकी बेटी के लिए खास मैसेज….

एक्ट्रेस समीरा को थी बेटी की ख्वाहिश


समीरा रेड्डी ने लिखा- ‘इस छोटी बच्ची के आने से मुझे जंगली घोड़ों के जैसी ताकत मिली हैं वह चाहती थी कि मैं फिर से खुद को पा लूं. उसे पता चल गया था कि मैं खो गई हूं उसके आने से मुझे रास्ता मिल गया हैं. मुझे मातृत्व का जश्न मनाने के लिए एक आवाज मिली, मेरी बौडी में बदलाव हुआ. मैं बहुत खुश हूं कि लोगों को इतना जुड़ाव महसूस हुआ और मुझे यहां आने के लिए सपोर्ट मिला! हमने एक लड़की के लिए प्रार्थना की थी.

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पहले ही दिखा चुकी हैं बेटी की झलक

 

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Our little angel came this morning ?My Baby girl ! Thank you for all the love and blessings ❤️?? #blessed

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समीरा रेड्डी ने इससे पहले अपनी बेटी के होने की खुशी में फोटो शेयर की थी, लेकिन उस फोटो में बेटी के फेस की जगह हाथ लिए समीरा दिख रहीं थीं.

प्रेग्नेंसी पीरियड को एन्जौय करती नजर आईं थी समीरा

समीरा रेड्डी ने अपना प्रेगनेंसी पीरियड काफी एंजौय किया. इस दौरान उन्होंने अपना फोटोशूट भी करवाया था जोकि सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था और तो और उनकी गोद भराई भी बहुत शानदार तरीके से हुई थी. उन्होंने इस गोद भराई की कुछ तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर शेयर की थी, जो वायरल हो गई थी.

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बता दें, एक्ट्रेस समीरा रेड्डी भले ही फिल्मों से दूर हों लेकिन वह सोशल मीडिया पर अक्सर एक्टिव रहती हैं और अपनी फैमिली के साथ फोटोज शेयर करती रहती हैं. समीरा के पति अक्षय वर्दे है. दोनों की शादी साल 2014 में हुई थी, जिनके साथ उनका एक बेटा हैं. दोनों ने अपने बेटे का नाम ‘हंस’ रखा है.

आप हम और ब्रैंड

सुखलीन अनेजा

मार्केटिंग डाइरैक्टर, साउथ एशिया रैकिट बैंकिजर हाइजीन होम

इस नए स्तंभ का उद्देश्य यह है कि आप रोजमर्रा इस्तेमाल किए जाने वाले घरेलू उत्पादों के बारे में और करीब से जान सकें. आमजन की स्वच्छता और स्वास्थ्य मुद्दों पर लगातार काम करते हुए रैकिट बैंकिजर कंपनी ने बहुत बड़ा मुकाम हासिल किया है. घर को गंदगी, कीटाणुओं, कीटों और बदबू से मुक्त करने के लिए इस कंपनी ने कई नए उत्पाद मार्केट में उतारे हैं. हाइजीन होम योजना के तहत हार्पिक, लाइजौल, वैनिश, फिनिश और एयर विक जैसे प्रोडक्ट्स भारतीय उपभोक्ताओं के पसंदीदा बन गए हैं.

कंपनी भारतीय शहरी और ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए उन की जेब के हिसाब से क्याक्या उत्पाद ले कर आई है और भविष्य में भारत के स्वास्थ्य और स्वच्छता से जुड़ी उस की क्या योजनाएं हैं, इस पर कंपनी की मार्केटिंग डाइरैक्टर सुखलीन अनेजा से की गई बातचीत के कुछ अंश पेश हैं:

सवाल- भारतीय ग्राहक हैल्थ, हाइजीन और होम केयर के मामले में किस प्रकार की परेशानियों से घिरे हैं? आरबी के उत्पाद उन्हें इन परेशानियों से कैसे मुक्त करते या उन की आदतों में कैसे सुधार लाते हैं?

भारत तेजी से बढ़ती वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. इस की जनसंख्या का बड़ा हिस्सा अभी भी गरीबी रेखा से नीचे है. एक तरफ भारत तकनीक के क्षेत्र में अव्वल पायदान पर है और कई शीर्ष वैश्विक कंपनियों के लिए बेहतर और वृहद बाजार है, वहीं दूसरी ओर यह बहुसंख्यक भारतीयों के लिए साफ पीने का पानी, स्वच्छता और घर की देखभाल से जुड़ी बुनियादी जरूरतें पूरी करने में अक्षम है. ये मुद्दे हर भारतीय नागरिक के लिए चिंता का कारण हैं. महिलाएं इस से सब से ज्यादा प्रभावित हैं.

गंदगी से होने वाली बीमारियां सब से ज्यादा उन्हें प्रभावित करती हैं. आज भी खुले में शौच जाना महिलाओं के लिए बहुत शर्मिंदगी का विषय है. अस्वच्छ और असुरक्षित वातावरण में शौच करना गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा करता है और कभीकभी जानलेवा भी साबित होता है. रैकिट बैंकिजर ने भारत सरकार के ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के साथ गठबंधन किया है और अपने मिशन ‘बनेगा स्वच्छ भारत’ का शुभारंभ किया है. आरबी का उत्पाद हार्पिक ग्रामीण भारत के लोगों तक अपनी पहुंच बनाने में सफल हुआ है. इस उत्पाद के साथ हम ने लोगों को शौचालय का उपयोग करने और उसे साफ रखने के महत्त्व को समझाने में मदद की है.

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बीते कुंभ मेले के दौरान लाखों भारतीयों के लिए चलायमान शौचालयों की व्यवस्था हम ने की और वहां नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से सफाई के महत्त्व को बताते हुए लोगों को हार्पिक पैकेट मुफ्त बांटे. अपनी इस पहल के जरीए हम ने लोगों को इस बात के लिए जागरूक किया कि शौचालय को अगले व्यक्ति के लिए साफ छोड़ना सामान्य शिष्टाचार और सम्मान का प्रतीक है.

‘हर घर स्वच्छ’ कैंपेन के जरीए हमारा हार्पिक ब्रैंड अब छोटे शहरों और गांवों तक अपनी पहुंच बना कर समाज के बड़े हिस्से को बुनियादी स्वच्छता और शौचालय के फायदे सिखा रहा है. उत्तर प्रदेश में यह काम एक मोबाइल टौयलेट वैन के माध्यम से उन क्षेत्रों में किया जा रहा है, जहां ग्रामीण आबादी अधिक है.

एक ओर हमने यह बड़ी चुनौती स्वीकार की है, वहीं हम ने ‘स्वच्छ भारत पैक’ लौंच किया है, जिस में अपने घर को स्वच्छ बनाने के प्रोडक्ट सिर्फ क्व5 में उपभोक्ताओं को उपलब्ध हैं. भारत का हर घर साफ और सुरक्षित हो, इस के प्रचारप्रसार के लिए हम ने फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार को अपना ब्रैंड ऐंबैसडर बनाया है, जो लोगों के पसंददीदा हीरो हैं.

सवाल- भारतीय महिलाओं में हाइजीन और होम केयर को ले कर क्या बदलाव देखने को मिल रहे हैं?

महिलाएं अपने आसपास के वातावरण में हो रहे बदलावों को देख कर न सिर्फ जागरूक हो रही हैं, बल्कि उन उत्पादों के प्रति आकर्षित भी हो रही हैं जो उन के जीने के तरीके को बेहतर बनाने के लिए, उन के बजट में बाजार में उपलब्ध हैं. अधिकांश शहरी महिलाओं के लिए तो अपनी और अपने परिवार के सदस्यों की स्वच्छता, हाइजीन और घर की साफसफाई उन की आदत में शुमार है, मगर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं ने अभी इन बातों को अपनी प्राथमिकता नहीं बनाया है और यह इसलिए भी है, क्योंकि उन के पास पैसे हमेशा कम होते हैं.

हम ने यह भी देखा है कि मोबाइल फोन, स्मार्ट फोन, गूगल और अन्य खोज विकल्प महिलाओं के शौंपिंग बिहेवियर में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. अधिक शिक्षित और संपन्न परिवारों की महिलाएं अपने घर की साफसफाई के लिए अलगअलग क्लीनर के उपयोग के महत्त्व को समझती हैं और विभिन्न उत्पादों के उपयोग को ले कर उन के निर्णय उन की समझ को भी ये खोज विकल्प बदल रहे हैं. उन का परिवेश और सामाजिक दृष्टिकोण भी उन के और उन के घर की देखभाल, हाइजीन और स्वच्छता के व्यवहार को बदलता है. महिलाएं अन्य महिलाओं के खरीद पैटर्न और उन के व्यवहार को देख कर भी प्रभावित होती हैं. इस से चीजों के इस्तेमाल को ले कर उन का अपना व्यवहार बदलता है. वे नई चीज खरीदने और इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित होती हैं.

सवाल- महिलाओं और बच्चों की हाइजीन को ले कर चेतना जगाने की ओर आप क्या कदम उठा रही हैं?

‘वूमन हाइजीन’ एक ऐसा विषय है जिसे कई ब्रैंडों द्वारा संबोधित किया गया है और लगातार किया जा रहा है. मेरा मानना है कि ब्रैंड के द्वारा जागरूकता फैलाई जा सकती है, मगर परिवर्तन को जारी रखने की जिम्मेदारी महिलाओं पर है. हमारे अभियान उन महिलाओं पर केंद्रित हैं, जो परिवर्तन की पैरोकार हैं और समझती हैं कि घर में स्वास्थ्य और स्वच्छता बनाए रखना उन के परिवार की भलाई के लिए महत्त्वपूर्ण है.

2017 में हमारा ‘हार्पिक अभियान’ महिलाओं को खुले में शौच करने से रोकने और खुले में शौच से होने वाले नुकसान को ले कर महिलाओं को जागरूक करने की राह में पहला शिक्षा अभियान था. इस अभियान के दूसरे भाग में हम ने दर्शाया कि विवाह के बाद बहू को उस के घर में शौचालय मिलना उस का मूल अधिकार है. इस कैंपेन की पंच लाइन थी- ‘घर में साफ शौचालय जरूरी.’ यह कैंपेन ग्रामीण महिलाओं तक पहुंच बना कर शौचालय के महत्त्व को समझाने का हमारा अपना तरीका था. वैवाहिक विज्ञापनों में जिन परिवारों ने हमारे इस संदेश को अपने विज्ञापनों के साथ जगह दी, उन्हें हार्पिक की ओर से भुगतान भी किया गया. इस से हमारे संदेश और अभियान को आगे बढ़ने में बहुत मदद मिली.

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आरबी इंडिया युवा पीढ़ी को स्वस्थ और स्वच्छ आदतों के बारे में जागरूक करने और पूरे भारत में स्वच्छता सुविधाओं में सुधार लाने के लिए सरकारी ऐजेंसियों, गैरसरकारी संगठनों और अन्य भागीदारों के साथ काम कर रहा है. बच्चे परिवर्तन के ध्वजवाहक और स्वच्छ भारत अभियान की कुंजी हैं.

सवाल- आम भारतीय गृहिणी स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति कितनी गंभीर दिखती है? क्या वह हाइजीन से जुड़े नएनए ब्रैंडेड प्रोडक्ट्स के प्रति आकर्षित हो रही हैं या फिर घरेलू चीजों से ही काम चलाना चाहती है?

शहरी महिलाओं की सोच काफी विकसित हुई है. वे स्वच्छता के महत्व को समझ रही हैं और स्वच्छता में विश्वास कर रही हैं. बाजार में जो विभिन्न उत्पाद उपलब्ध हैं, वे उन की विशेषताओं को जानने को उत्सुक दिखती हैं. उन की खरीदारी में कई फैक्टर्स काम करते हैं. वे बाजार में उपलब्ध नए प्रोडक्ट्स को इस्तेमाल कर के उन की खूबियों को जानने के प्रति उत्साहित हैं. अगर उत्पाद उन के बजट में है तो वे यह अनुभव प्राप्त करना चाहती हैं कि कौन सा उत्पाद उन की किन आवश्यकताओं को भलीभांति पूरा करता है.

दूसरी ओर ग्रामीण भारतीय महिलाओं के लिए खरीदारी का फैसला उन की सामर्थ्य पर निर्भर करता है. वे काफी हद तक अभी घरेलू उपचारों में ही विश्वास करती हैं. वे अभी ब्रैंडेड उत्पादों के लाभों को नहीं समझ रही हैं. मार्केट लीडर होने के नाते हम ज्यादा से ज्यादा महिलाओं तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं और यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं कि वे स्वस्थ और स्वच्छ वातावरण के प्रभाव को समझें और उन उत्पादों को अपनाएं जो उन के घर और परिवार को स्वस्थ रखें.

सवाल- औनलाइन शौपिंग ने बिक्री को किस प्रकार प्रभावित किया है?

दुनिया में तेजी से बढ़ते ई कौमर्स बाजारों में से भारत भी एक हे. औनलाइन शौपिंग ने उपभोक्ताओं के लिए उत्पादों का बहुत बड़ा बाजार खोल दिया है और उन्हें उत्पादों के विकल्पों के बारे में भी अधिक जागरूक बना दिया है. औनलाइन शौपिंग ने हमें भी अपने ग्राहकों तक पहुंचने में व्यापक मदद की है. इस ने हमें और अधिक नया करने और अपने ग्राहकों को एक व्यापक उत्पाद शृंखला प्रदान करने के लिए प्रेरित किया है. हमें लगता है कि खरीदारी का यह तरीका न सिर्फ चीजों को और अधिक रोमांचक बना देगा, बल्कि आगे बढ़ने के लिए भी प्रेरित करेगा.

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क्या ग्रामीण क्षेत्रों की गृहिणियों के लिए भी आप के पास ऐसा कुछ है जो उन के बजट में हो और जिस के प्रति वे आकर्षित भी हों? आप के कौन से ऐसे उत्पाद हैं जो गामीण क्षेत्रों में भी खूब बिक रहे हैं?

पिछले साल हम ने ‘मेक इंडिया टौयलेट प्राउड’ नामक कैंपेन लौंच किया, जिस का उद्देश्य घर में उपयोग के लिए स्वच्छ शौचालय होने पर गर्व की भावना को बढ़ाना है. इस अभियान के तहत हम ने ग्रामीण भारत को ध्यान में रख कर मात्र क्व5 में ‘स्वच्छ भारत पैक’ लौंच किया है. पैकेजिंग पाथ इनोवेशन का यह तरीका उपभोक्ताओं को हार्पिक की बोतल उपलब्ध करा कर इस का अनुभव प्राप्त करने में सक्षम बनाता है. ऐसे ही हमारा मौर्टिन मौस्किटो कौइल है, जिसे भी हम ने ग्रामीण भारत की आय को देखते हुए उन के लिए बनाया है.

सवाल- वह क्या चीज है जो आप को इतना हार्ड वर्क करने के लिए प्रेरित करती है?

लोगों के  जीवन में बदलाव लाने और अपनी एक बेहतर जगह बनाने के लिए मैं जनून की हद तक प्रतिबद्ध हूं. मेरे कार्यों के कारण अगर जमीनी स्तर पर सामुदायिक परिवर्तन आता है तो इस परिवर्तन का हिस्सा बन कर मुझे खुशी होगी. यह मेरे लिए गर्व का विषय है और बेहद प्रेरणादायक है. ये पांच मूल्य आरबी को एक बड़ा और्गनाइजेशन बनाने में सहयोगी हैं- जिम्मेदारी, स्वामित्व, उद्यमिता, उपलब्धि और साझेदारी.

उन महिलाओं के लिए आप का क्या संदेश है जो पारिवारिक जिम्मेदारियों को पूरा करने के बाद एक बार फिर अपने काम से जुड़ना चाहती हैं?

एक महिला होने के नाते मैं जानती हूं कि अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियां निभाने के लिए महिलाएं ही अपने कैरियर से समझौता करती हैं और ब्रेक लेती हैं. हम हमेशा महिलाओं को अपने घर और कैरियर में संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं और उन्हें पूरा अवसर देते हैं कि वे दोनों मोरचों पर अपने कर्तव्यों को निभा सकें.

2015 में हम ने एक आंतरिक अभियान चलाया था- ‘डेयर’. इस कार्यक्रम का लक्ष्य था कि हम प्रतिभाशाली महिलाओं को ढूंढ़े, उन के टेलैंट को उभारें, उन का आरबी की ओर आकर्षण डैवलप करें और उन्हें अपने साथ संलग्न करें. हमारे पास ऐसे और भी कई कार्यक्रम हैं, जो उन महिलाओं को फिर से कैरियर शुरू करने में मदद करते हैं, जिन्होंने पारिवारिक जिम्मेदारियों के निर्वहन के लिए नौकरी से ब्रेक लिया. मैं महिलाओं से कहती हूं कि अपनेआप पर विश्वास करो और अपने सपनों का पीछा करो. यदि आप जानती हैं कि आप इसे कर सकती हैं, तो इस का मतलब है कि आप कर सकती हैं और आप को बाधाओं की परवाह किए बगैर आगे बढ़ना चाहिए.

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सवाल- कार्यस्थल में जातीय और लैंगिक समानता के मामले में भारतीय कंपनियों के मुकाबले बहुराष्ट्रीय कंपनियों को काम के लिहाज से बहुत बेहतर माना जाता है. मगर भारत में जो बहुराष्ट्रीय कंपनियां है, उन्हें अपने यहां काम करने वालों के लिए और अधिक निष्पक्षता व समानता सुनिश्चित करने के लिए अभी कितनी दूरी तय करनी है?

आरबी लैंगिक समानता के लिए ‘संयुक्त राष्ट्र सतत विकास’ को फौलो करता है और भारत में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है. आरबी ने लैंगिक विविधता से संबंधित किसी भी बाधा को तोड़ने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं. ‘डेयर’ जैसी हमारी परियोजना ने महिलाओं से से जुड़े पूर्वाग्रहों को दूर करने में मदद की है. एक और परियोजना है ‘लीन इन सर्कल’, जिस के तहत महिलाएं अपने सर्कल में आने वाली कमजोर महिलाओं को सपोर्ट करती हैं और उन्हें समर्थन देते हुए उन के कैरियर को मजबूत करने में मदद करती हैं. महिलाओं को और अधिक समावेशी महसूस कराने के लिए ‘ही डेयर्स, शी डेयर्स’ कार्यक्रम है, जिस के तहत आयोजित कार्यक्रमों के अंतर्गत महिलाओं को अपने विचार व्यक्त करने का समान अवसर दिया जाता है.

सवाल- सामाजिक बदलाव लाने में बड़ी कंपनियों की क्या भूमिका देखती हैं? क्या वे सिर्फ अपना लाभ हासिल करने के लिए काम करती हैं या उन के कुछ सामाजिक सरोकार भी हैं?

आरबी ने हमेशा उद्देश्य के साथ व्यवसाय चलाने में विश्वास किया है. जब हम एक व्यवसाय में होते हैं तो हमें यह भी एहसास होता है कि हम सामाजिक परिवर्तन लाने में एक प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं. एक विकासशील देश में होने से हमें व्यवहार, सामाजिक और आर्थिक परिवर्तनों पर प्रभाव बनाने का मौका मिलता है. यह 360 डिग्री अप्रोच का मामला है, जिस में हम अपने उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य और स्वच्छता में सुधार लाने, अपने स्टेकहोल्डरों का हित देखने के साथ ही अपनी भविष्य की पीढि़यों के लिए भी बेहतर वातावरण तैयार करने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं.

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