कौमेडी के साथ हकीकत दिखाती फिल्म खानदानी शफाखाना

हमारे समाज में लोग सेक्स पर खुलकर बात नहीं करते है, लेकिन हम सब इस बात को समझते हैं और मानते हैं कि अगर ऐसा हो तो हमारा समाज एक स्वस्थ समाज होगा. खानदानी शफाखाना एक हंसी-मजाक वाली, लेकिन समाज से जुड़ी हकीकत पर आधारित फिल्म के रूप में इस मुद्दे को उठाती है.

सोनाक्षी ने कहा ये…

इस फिल्म में मुख्य भूमिका निभा रही, सोनाक्षी सिन्हा भी इस बात से इत्तेफाक रखती हैं. “मैंने इस फिल्म को करने का फैसला किया क्योंकि यह हम सबसे जुड़ा हुआ एक बहुत ही और अहम विषय है जिसपर बात-चीत की जानी चाहिए. मैं नहीं चाहती कि कोई भी, औरत या मर्द, सेक्स के बारे में बात करने से कतराए. मुझे उम्मीद है कि मेरा इस फिल्म को करना, उन्हें खुलकर सेक्स से जुड़ी समस्याओं के बारे में बात करने की हिम्मत देगा. मुझे यकीन है कि यह फिल्म लोगों को सोचने… और बात करने पर मजबूर कर देगी. बात तो करो!”

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पंजाबी लड़की की कहानी का सिलसिला बयान करती हुई फिल्म

एक छोटे से शहर से आयी एक पंजाबी लड़की की कहानी का सिलसिला बयान करती हुई फिल्म, जिसे हालात एक सेक्स क्लिनिक चलाने के लिए मजबूर कर देते हैं. यह फिल्म एक ऐसे विषय का रास्ता खोलती है जिसके बारे में शायद ही कभी बात की जाती है. सोनाक्षी सिन्हा और निर्देशक, शिल्पी दासगुप्ता द्वारा बड़ों के बीच भी सेक्स के बारे में चर्चा करने के टैबू और शर्म को सबके सामने लाकर एक दिलेर कदम उठाया है. शिल्पी दासगुप्ता ने कहा, “सोनाक्षी ने इस चुनौती को अच्छी तरह से स्वीकार किया, ये एक ऐसी चीज़ है जिसके बारे में बात करने में भी लोग हिचकिचाते हैं, किरदार निभाना तो दूर की बात है. हमें उम्मीद है कि हम लोगों को सेक्स को एक गंदा शब्द न समझने में मदद कर पायेंगे.”  यह सेक्स पर आधारित एक ही ऐसी फिल्म है जो पूरे परिवार के लिए हैं!

इस फिल्म के निर्माताओं को लगता है कि सेक्स से जुड़ी बहुत सारी परेशानियों को आसानी से दूर किया जा सकता है अगर हम बस उनके बारे में बात करते हैं तो… बात तो करो! निर्देशिका शिल्पी दासगुप्ता कहती हैं, “क्या आप जानते हैं कि कुछ वक़्त पहले तक भारत के कुछ राज्यों में यौन शिक्षा प्रतिबंधित की गयी थी? यह एक ऐसा मुद्दा है जिसके लिए हमें अभियान चलाना चाहिए.

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गुलशन कुमार और टी-सीरीज पेश करते हैं, खानदानी शफाकाना, सनडायल प्रोडक्शन की एक फिल्म. भूषण कुमार, महावीर जैन, मृगदीप सिंह लांबा, दिव्या खोसला कुमार द्वारा निर्मित, शिल्पी दासगुप्ता द्वारा निर्देशित यह फिल्म 2 अगस्त 2019 को रिलीज होने के लिए तैयार है.

Edited by Rosy

एक्ट्रेस समीरा रेड्डी ने बेटी के लिए लिखा इमोशनल मैसेज, फोटोज वायरल

बौलीवुड एक्ट्रेस समीरा रेड्डी ने हाल ही में एक प्यारी सी बच्ची को जन्म दिया है, जिसकी खबर उन्होंने फोटो के साथ सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए दी. वही अब समीरा ने अपनी बेटी के साथ एक फोटो और एक इमोशनल मैसेज सोशल मीडिया पर शेयर किया. आइए आपको दिखाते हैं समीरा का उनकी बेटी के लिए खास मैसेज….

एक्ट्रेस समीरा को थी बेटी की ख्वाहिश


समीरा रेड्डी ने लिखा- ‘इस छोटी बच्ची के आने से मुझे जंगली घोड़ों के जैसी ताकत मिली हैं वह चाहती थी कि मैं फिर से खुद को पा लूं. उसे पता चल गया था कि मैं खो गई हूं उसके आने से मुझे रास्ता मिल गया हैं. मुझे मातृत्व का जश्न मनाने के लिए एक आवाज मिली, मेरी बौडी में बदलाव हुआ. मैं बहुत खुश हूं कि लोगों को इतना जुड़ाव महसूस हुआ और मुझे यहां आने के लिए सपोर्ट मिला! हमने एक लड़की के लिए प्रार्थना की थी.

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पहले ही दिखा चुकी हैं बेटी की झलक

 

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Our little angel came this morning ?My Baby girl ! Thank you for all the love and blessings ❤️?? #blessed

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समीरा रेड्डी ने इससे पहले अपनी बेटी के होने की खुशी में फोटो शेयर की थी, लेकिन उस फोटो में बेटी के फेस की जगह हाथ लिए समीरा दिख रहीं थीं.

प्रेग्नेंसी पीरियड को एन्जौय करती नजर आईं थी समीरा

समीरा रेड्डी ने अपना प्रेगनेंसी पीरियड काफी एंजौय किया. इस दौरान उन्होंने अपना फोटोशूट भी करवाया था जोकि सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था और तो और उनकी गोद भराई भी बहुत शानदार तरीके से हुई थी. उन्होंने इस गोद भराई की कुछ तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर शेयर की थी, जो वायरल हो गई थी.

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बता दें, एक्ट्रेस समीरा रेड्डी भले ही फिल्मों से दूर हों लेकिन वह सोशल मीडिया पर अक्सर एक्टिव रहती हैं और अपनी फैमिली के साथ फोटोज शेयर करती रहती हैं. समीरा के पति अक्षय वर्दे है. दोनों की शादी साल 2014 में हुई थी, जिनके साथ उनका एक बेटा हैं. दोनों ने अपने बेटे का नाम ‘हंस’ रखा है.

आप हम और ब्रैंड

सुखलीन अनेजा

मार्केटिंग डाइरैक्टर, साउथ एशिया रैकिट बैंकिजर हाइजीन होम

इस नए स्तंभ का उद्देश्य यह है कि आप रोजमर्रा इस्तेमाल किए जाने वाले घरेलू उत्पादों के बारे में और करीब से जान सकें. आमजन की स्वच्छता और स्वास्थ्य मुद्दों पर लगातार काम करते हुए रैकिट बैंकिजर कंपनी ने बहुत बड़ा मुकाम हासिल किया है. घर को गंदगी, कीटाणुओं, कीटों और बदबू से मुक्त करने के लिए इस कंपनी ने कई नए उत्पाद मार्केट में उतारे हैं. हाइजीन होम योजना के तहत हार्पिक, लाइजौल, वैनिश, फिनिश और एयर विक जैसे प्रोडक्ट्स भारतीय उपभोक्ताओं के पसंदीदा बन गए हैं.

कंपनी भारतीय शहरी और ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए उन की जेब के हिसाब से क्याक्या उत्पाद ले कर आई है और भविष्य में भारत के स्वास्थ्य और स्वच्छता से जुड़ी उस की क्या योजनाएं हैं, इस पर कंपनी की मार्केटिंग डाइरैक्टर सुखलीन अनेजा से की गई बातचीत के कुछ अंश पेश हैं:

सवाल- भारतीय ग्राहक हैल्थ, हाइजीन और होम केयर के मामले में किस प्रकार की परेशानियों से घिरे हैं? आरबी के उत्पाद उन्हें इन परेशानियों से कैसे मुक्त करते या उन की आदतों में कैसे सुधार लाते हैं?

भारत तेजी से बढ़ती वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. इस की जनसंख्या का बड़ा हिस्सा अभी भी गरीबी रेखा से नीचे है. एक तरफ भारत तकनीक के क्षेत्र में अव्वल पायदान पर है और कई शीर्ष वैश्विक कंपनियों के लिए बेहतर और वृहद बाजार है, वहीं दूसरी ओर यह बहुसंख्यक भारतीयों के लिए साफ पीने का पानी, स्वच्छता और घर की देखभाल से जुड़ी बुनियादी जरूरतें पूरी करने में अक्षम है. ये मुद्दे हर भारतीय नागरिक के लिए चिंता का कारण हैं. महिलाएं इस से सब से ज्यादा प्रभावित हैं.

गंदगी से होने वाली बीमारियां सब से ज्यादा उन्हें प्रभावित करती हैं. आज भी खुले में शौच जाना महिलाओं के लिए बहुत शर्मिंदगी का विषय है. अस्वच्छ और असुरक्षित वातावरण में शौच करना गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा करता है और कभीकभी जानलेवा भी साबित होता है. रैकिट बैंकिजर ने भारत सरकार के ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के साथ गठबंधन किया है और अपने मिशन ‘बनेगा स्वच्छ भारत’ का शुभारंभ किया है. आरबी का उत्पाद हार्पिक ग्रामीण भारत के लोगों तक अपनी पहुंच बनाने में सफल हुआ है. इस उत्पाद के साथ हम ने लोगों को शौचालय का उपयोग करने और उसे साफ रखने के महत्त्व को समझाने में मदद की है.

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बीते कुंभ मेले के दौरान लाखों भारतीयों के लिए चलायमान शौचालयों की व्यवस्था हम ने की और वहां नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से सफाई के महत्त्व को बताते हुए लोगों को हार्पिक पैकेट मुफ्त बांटे. अपनी इस पहल के जरीए हम ने लोगों को इस बात के लिए जागरूक किया कि शौचालय को अगले व्यक्ति के लिए साफ छोड़ना सामान्य शिष्टाचार और सम्मान का प्रतीक है.

‘हर घर स्वच्छ’ कैंपेन के जरीए हमारा हार्पिक ब्रैंड अब छोटे शहरों और गांवों तक अपनी पहुंच बना कर समाज के बड़े हिस्से को बुनियादी स्वच्छता और शौचालय के फायदे सिखा रहा है. उत्तर प्रदेश में यह काम एक मोबाइल टौयलेट वैन के माध्यम से उन क्षेत्रों में किया जा रहा है, जहां ग्रामीण आबादी अधिक है.

एक ओर हमने यह बड़ी चुनौती स्वीकार की है, वहीं हम ने ‘स्वच्छ भारत पैक’ लौंच किया है, जिस में अपने घर को स्वच्छ बनाने के प्रोडक्ट सिर्फ क्व5 में उपभोक्ताओं को उपलब्ध हैं. भारत का हर घर साफ और सुरक्षित हो, इस के प्रचारप्रसार के लिए हम ने फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार को अपना ब्रैंड ऐंबैसडर बनाया है, जो लोगों के पसंददीदा हीरो हैं.

सवाल- भारतीय महिलाओं में हाइजीन और होम केयर को ले कर क्या बदलाव देखने को मिल रहे हैं?

महिलाएं अपने आसपास के वातावरण में हो रहे बदलावों को देख कर न सिर्फ जागरूक हो रही हैं, बल्कि उन उत्पादों के प्रति आकर्षित भी हो रही हैं जो उन के जीने के तरीके को बेहतर बनाने के लिए, उन के बजट में बाजार में उपलब्ध हैं. अधिकांश शहरी महिलाओं के लिए तो अपनी और अपने परिवार के सदस्यों की स्वच्छता, हाइजीन और घर की साफसफाई उन की आदत में शुमार है, मगर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं ने अभी इन बातों को अपनी प्राथमिकता नहीं बनाया है और यह इसलिए भी है, क्योंकि उन के पास पैसे हमेशा कम होते हैं.

हम ने यह भी देखा है कि मोबाइल फोन, स्मार्ट फोन, गूगल और अन्य खोज विकल्प महिलाओं के शौंपिंग बिहेवियर में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. अधिक शिक्षित और संपन्न परिवारों की महिलाएं अपने घर की साफसफाई के लिए अलगअलग क्लीनर के उपयोग के महत्त्व को समझती हैं और विभिन्न उत्पादों के उपयोग को ले कर उन के निर्णय उन की समझ को भी ये खोज विकल्प बदल रहे हैं. उन का परिवेश और सामाजिक दृष्टिकोण भी उन के और उन के घर की देखभाल, हाइजीन और स्वच्छता के व्यवहार को बदलता है. महिलाएं अन्य महिलाओं के खरीद पैटर्न और उन के व्यवहार को देख कर भी प्रभावित होती हैं. इस से चीजों के इस्तेमाल को ले कर उन का अपना व्यवहार बदलता है. वे नई चीज खरीदने और इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित होती हैं.

सवाल- महिलाओं और बच्चों की हाइजीन को ले कर चेतना जगाने की ओर आप क्या कदम उठा रही हैं?

‘वूमन हाइजीन’ एक ऐसा विषय है जिसे कई ब्रैंडों द्वारा संबोधित किया गया है और लगातार किया जा रहा है. मेरा मानना है कि ब्रैंड के द्वारा जागरूकता फैलाई जा सकती है, मगर परिवर्तन को जारी रखने की जिम्मेदारी महिलाओं पर है. हमारे अभियान उन महिलाओं पर केंद्रित हैं, जो परिवर्तन की पैरोकार हैं और समझती हैं कि घर में स्वास्थ्य और स्वच्छता बनाए रखना उन के परिवार की भलाई के लिए महत्त्वपूर्ण है.

2017 में हमारा ‘हार्पिक अभियान’ महिलाओं को खुले में शौच करने से रोकने और खुले में शौच से होने वाले नुकसान को ले कर महिलाओं को जागरूक करने की राह में पहला शिक्षा अभियान था. इस अभियान के दूसरे भाग में हम ने दर्शाया कि विवाह के बाद बहू को उस के घर में शौचालय मिलना उस का मूल अधिकार है. इस कैंपेन की पंच लाइन थी- ‘घर में साफ शौचालय जरूरी.’ यह कैंपेन ग्रामीण महिलाओं तक पहुंच बना कर शौचालय के महत्त्व को समझाने का हमारा अपना तरीका था. वैवाहिक विज्ञापनों में जिन परिवारों ने हमारे इस संदेश को अपने विज्ञापनों के साथ जगह दी, उन्हें हार्पिक की ओर से भुगतान भी किया गया. इस से हमारे संदेश और अभियान को आगे बढ़ने में बहुत मदद मिली.

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आरबी इंडिया युवा पीढ़ी को स्वस्थ और स्वच्छ आदतों के बारे में जागरूक करने और पूरे भारत में स्वच्छता सुविधाओं में सुधार लाने के लिए सरकारी ऐजेंसियों, गैरसरकारी संगठनों और अन्य भागीदारों के साथ काम कर रहा है. बच्चे परिवर्तन के ध्वजवाहक और स्वच्छ भारत अभियान की कुंजी हैं.

सवाल- आम भारतीय गृहिणी स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति कितनी गंभीर दिखती है? क्या वह हाइजीन से जुड़े नएनए ब्रैंडेड प्रोडक्ट्स के प्रति आकर्षित हो रही हैं या फिर घरेलू चीजों से ही काम चलाना चाहती है?

शहरी महिलाओं की सोच काफी विकसित हुई है. वे स्वच्छता के महत्व को समझ रही हैं और स्वच्छता में विश्वास कर रही हैं. बाजार में जो विभिन्न उत्पाद उपलब्ध हैं, वे उन की विशेषताओं को जानने को उत्सुक दिखती हैं. उन की खरीदारी में कई फैक्टर्स काम करते हैं. वे बाजार में उपलब्ध नए प्रोडक्ट्स को इस्तेमाल कर के उन की खूबियों को जानने के प्रति उत्साहित हैं. अगर उत्पाद उन के बजट में है तो वे यह अनुभव प्राप्त करना चाहती हैं कि कौन सा उत्पाद उन की किन आवश्यकताओं को भलीभांति पूरा करता है.

दूसरी ओर ग्रामीण भारतीय महिलाओं के लिए खरीदारी का फैसला उन की सामर्थ्य पर निर्भर करता है. वे काफी हद तक अभी घरेलू उपचारों में ही विश्वास करती हैं. वे अभी ब्रैंडेड उत्पादों के लाभों को नहीं समझ रही हैं. मार्केट लीडर होने के नाते हम ज्यादा से ज्यादा महिलाओं तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं और यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं कि वे स्वस्थ और स्वच्छ वातावरण के प्रभाव को समझें और उन उत्पादों को अपनाएं जो उन के घर और परिवार को स्वस्थ रखें.

सवाल- औनलाइन शौपिंग ने बिक्री को किस प्रकार प्रभावित किया है?

दुनिया में तेजी से बढ़ते ई कौमर्स बाजारों में से भारत भी एक हे. औनलाइन शौपिंग ने उपभोक्ताओं के लिए उत्पादों का बहुत बड़ा बाजार खोल दिया है और उन्हें उत्पादों के विकल्पों के बारे में भी अधिक जागरूक बना दिया है. औनलाइन शौपिंग ने हमें भी अपने ग्राहकों तक पहुंचने में व्यापक मदद की है. इस ने हमें और अधिक नया करने और अपने ग्राहकों को एक व्यापक उत्पाद शृंखला प्रदान करने के लिए प्रेरित किया है. हमें लगता है कि खरीदारी का यह तरीका न सिर्फ चीजों को और अधिक रोमांचक बना देगा, बल्कि आगे बढ़ने के लिए भी प्रेरित करेगा.

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क्या ग्रामीण क्षेत्रों की गृहिणियों के लिए भी आप के पास ऐसा कुछ है जो उन के बजट में हो और जिस के प्रति वे आकर्षित भी हों? आप के कौन से ऐसे उत्पाद हैं जो गामीण क्षेत्रों में भी खूब बिक रहे हैं?

पिछले साल हम ने ‘मेक इंडिया टौयलेट प्राउड’ नामक कैंपेन लौंच किया, जिस का उद्देश्य घर में उपयोग के लिए स्वच्छ शौचालय होने पर गर्व की भावना को बढ़ाना है. इस अभियान के तहत हम ने ग्रामीण भारत को ध्यान में रख कर मात्र क्व5 में ‘स्वच्छ भारत पैक’ लौंच किया है. पैकेजिंग पाथ इनोवेशन का यह तरीका उपभोक्ताओं को हार्पिक की बोतल उपलब्ध करा कर इस का अनुभव प्राप्त करने में सक्षम बनाता है. ऐसे ही हमारा मौर्टिन मौस्किटो कौइल है, जिसे भी हम ने ग्रामीण भारत की आय को देखते हुए उन के लिए बनाया है.

सवाल- वह क्या चीज है जो आप को इतना हार्ड वर्क करने के लिए प्रेरित करती है?

लोगों के  जीवन में बदलाव लाने और अपनी एक बेहतर जगह बनाने के लिए मैं जनून की हद तक प्रतिबद्ध हूं. मेरे कार्यों के कारण अगर जमीनी स्तर पर सामुदायिक परिवर्तन आता है तो इस परिवर्तन का हिस्सा बन कर मुझे खुशी होगी. यह मेरे लिए गर्व का विषय है और बेहद प्रेरणादायक है. ये पांच मूल्य आरबी को एक बड़ा और्गनाइजेशन बनाने में सहयोगी हैं- जिम्मेदारी, स्वामित्व, उद्यमिता, उपलब्धि और साझेदारी.

उन महिलाओं के लिए आप का क्या संदेश है जो पारिवारिक जिम्मेदारियों को पूरा करने के बाद एक बार फिर अपने काम से जुड़ना चाहती हैं?

एक महिला होने के नाते मैं जानती हूं कि अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियां निभाने के लिए महिलाएं ही अपने कैरियर से समझौता करती हैं और ब्रेक लेती हैं. हम हमेशा महिलाओं को अपने घर और कैरियर में संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं और उन्हें पूरा अवसर देते हैं कि वे दोनों मोरचों पर अपने कर्तव्यों को निभा सकें.

2015 में हम ने एक आंतरिक अभियान चलाया था- ‘डेयर’. इस कार्यक्रम का लक्ष्य था कि हम प्रतिभाशाली महिलाओं को ढूंढ़े, उन के टेलैंट को उभारें, उन का आरबी की ओर आकर्षण डैवलप करें और उन्हें अपने साथ संलग्न करें. हमारे पास ऐसे और भी कई कार्यक्रम हैं, जो उन महिलाओं को फिर से कैरियर शुरू करने में मदद करते हैं, जिन्होंने पारिवारिक जिम्मेदारियों के निर्वहन के लिए नौकरी से ब्रेक लिया. मैं महिलाओं से कहती हूं कि अपनेआप पर विश्वास करो और अपने सपनों का पीछा करो. यदि आप जानती हैं कि आप इसे कर सकती हैं, तो इस का मतलब है कि आप कर सकती हैं और आप को बाधाओं की परवाह किए बगैर आगे बढ़ना चाहिए.

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सवाल- कार्यस्थल में जातीय और लैंगिक समानता के मामले में भारतीय कंपनियों के मुकाबले बहुराष्ट्रीय कंपनियों को काम के लिहाज से बहुत बेहतर माना जाता है. मगर भारत में जो बहुराष्ट्रीय कंपनियां है, उन्हें अपने यहां काम करने वालों के लिए और अधिक निष्पक्षता व समानता सुनिश्चित करने के लिए अभी कितनी दूरी तय करनी है?

आरबी लैंगिक समानता के लिए ‘संयुक्त राष्ट्र सतत विकास’ को फौलो करता है और भारत में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है. आरबी ने लैंगिक विविधता से संबंधित किसी भी बाधा को तोड़ने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं. ‘डेयर’ जैसी हमारी परियोजना ने महिलाओं से से जुड़े पूर्वाग्रहों को दूर करने में मदद की है. एक और परियोजना है ‘लीन इन सर्कल’, जिस के तहत महिलाएं अपने सर्कल में आने वाली कमजोर महिलाओं को सपोर्ट करती हैं और उन्हें समर्थन देते हुए उन के कैरियर को मजबूत करने में मदद करती हैं. महिलाओं को और अधिक समावेशी महसूस कराने के लिए ‘ही डेयर्स, शी डेयर्स’ कार्यक्रम है, जिस के तहत आयोजित कार्यक्रमों के अंतर्गत महिलाओं को अपने विचार व्यक्त करने का समान अवसर दिया जाता है.

सवाल- सामाजिक बदलाव लाने में बड़ी कंपनियों की क्या भूमिका देखती हैं? क्या वे सिर्फ अपना लाभ हासिल करने के लिए काम करती हैं या उन के कुछ सामाजिक सरोकार भी हैं?

आरबी ने हमेशा उद्देश्य के साथ व्यवसाय चलाने में विश्वास किया है. जब हम एक व्यवसाय में होते हैं तो हमें यह भी एहसास होता है कि हम सामाजिक परिवर्तन लाने में एक प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं. एक विकासशील देश में होने से हमें व्यवहार, सामाजिक और आर्थिक परिवर्तनों पर प्रभाव बनाने का मौका मिलता है. यह 360 डिग्री अप्रोच का मामला है, जिस में हम अपने उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य और स्वच्छता में सुधार लाने, अपने स्टेकहोल्डरों का हित देखने के साथ ही अपनी भविष्य की पीढि़यों के लिए भी बेहतर वातावरण तैयार करने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं.

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मौनसून में ट्राय करें मैंगो फालूदा

गरमी का मौसम शुरू होते ही मार्केट में कईं तरह के आम यानी मैंगों मिल जाते हैं. ये फ्रूट बच्चों से लेकर सभी को पसंद आता है. किसी को ये काटकर खाना पसंद होता है तो किसी को शेक बनाकर. आज हम आपको मैंगो फालूदा की रेसिपी के बारे में बताएंगे. मैगों फालूदा बनाना आसान है. इसे आप अपनी फैमिली को डेजर्ट के रूप में भी दिखा सकते हैं.

हमें चाहिए

फालुदा सेव-एक कप

वनीला आइसक्रीम- एक कप

सब्जा के दाने- 2

दूध- 2 टी कप

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पका हुआ आम (टुकड़ों में कटा हुआ)- 1

मेवे (काजू, बादाम, पिस्ता)- एक छोटी कटोरी

गुलाब जल तीन बड़े चम्मच

मैंगो फालुदा में पानी- जरूरत के अनुसार

बनाने का तरीका

सबसे पहले आप एक कटोरे में सब्जा के दाने को 5 मिनट पानी में डालकर छोड़ दिजिए. लेकिन ध्यान रहे कि पानी की मात्रा सिर्फ इतनी हो कि सब्जा के दाने पूरी तरह फूल सकें. इसके बाद गैस पर मध्यम आंच में एक पैन रखें और उसमें फालूदा सेव और पानी डालकर उबाल दे.

कुछ समय बाद जब पैन में रखा सेव ठीक से उबल जाए तो इसका पानी छानकर ठंडे पानी से धोकर बाउल में डाल लें. इसके बाद एक गिलास लें और उसमें एक चम्मच गुलाब जल और सब्जा डालें. जिसके ऊपर फालूदा सेव और फिर एक कप दूध भी डालें.

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इसी तरीके को दोबारा अपनाएं. आखिर में कटा हुआ आम सबसे ऊपर और फिर आइसक्रीम- मेवा डाल दें. बस कुछ मिनचों में आपका मैंगो फालूदा तैयार होने के बाद अपनी फैमिली और फ्रेंड्स को खिलाएं और मौनसून का मजा लें.

4 टिप्स: मौनसून में बेसन से रहेगी खूबसूरती बरकरार

अचानक आप को फ्रैंड की बर्थडे पार्टी में जाना पड़े और आप के पास न तो पार्लर जाने का टाइम हो और न ही आप के घर में कोई फेस पैक पड़ा हो, जिसे लगा कर आप मिनटों में ग्लो पा सकती हैं, तो ऐसे में आप यही सोंचेगी कि कैसे इस मुरझाए चेहरे के साथ पार्टी में जाऊं. ऐसे में बेसन एक ऐसी चीज है, जिस से आप मिनटों में ग्लोइंग त्वचा पा कर लोगों की वाहवाही लूट सकती हैं. इसीलिए आज हम आपको बेसन के ब्यूटी वाले फायदे के बारे में बताएंगे.

1. ड्राई स्किन को दे मौइश्चर

अगर आप की स्किन ड्राई है तो आप बेसन में थोड़ी सी मलाई या दूध के साथ शहद व चुटकी भर हलदी मिला कर पेस्ट तैयार करें. फिर इस पैक को चेहरे पर अप्लाई कर के 15 मिनट के लिए सूखने के लिए छोड़ दें. ये पैक आप की स्किन को क्लीन करने के साथसाथ स्किन के मौइश्चर लैवल को मैंटेन रखने का काम करता है. इस से स्किन में नई जान आ जाती है.

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2. औयली स्किन को दे नैचुरल लुक

आप की स्किन पर अगर हर समय औयल ही नजर आएगा तो चेहरा अट्रैक्टिव नहीं लगेगा. ऐसे में बेसन पैक आप की स्किन से अतिरिक्त औयल को हटा कर उसे सौफ्ट बनाने का काम करता है. इस के लिए आप बेसन में गुलाब जल की कुछ बूंदें मिला कर उसे चेहरे पर अप्लाई करें. फिर सूखने के बाद उसे कुनकुने पानी से क्लीन करें. इस से आप स्किन में खुद सुधार महसूस करेंगी.

3. दागधब्बों को करे हल्का

चेहरे पर अगर दागधब्बे दिखाई दें तो चेहरा खूबसूरत नहीं लगता. ऐसे में उन्हें हटाने के लिए आप को जरूरत है बेसन में शहद मिला कर चेहरे पर अप्लाई करने की. इस पैक को आप हफ्ते में 3-4 बार चेहरे पर अप्लाई कर सकती हैं, क्योंकि इस में एंटीमाइक्रोब गुण होने के कारण यह मुंहासों की प्रौब्लम को कंट्रोल करने का काम करता है. इससे स्किन फ्रैश नजर आती है.

4. टैनिंग को करें रिमूव

गरमी में सब से ज्यादा स्किन टैनिंग की प्रौब्लम होती है. ऐसे में आप को जरूरत है बेसन में नीबू का रस, हलदी व गुलाब जल मिला कर पेस्ट तैयार करनी की. इस पेस्ट को चेहरे पर लगा कर सूखने के बाद पानी से धो लें. ये न सिर्फ आप की स्किन टोन को इंप्रूव करेगा, बल्कि स्किन को स्मूद व ग्लोइंग भी बनाएगा. तो इस तरह आप बेसन से स्किन को चमकतादमकता पा सकती हैं.

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महिला कमांडो का कमाल

छत्तीसगढ़ में कम्यूनिटी या सामुदायिक पुलिस के तहत महिला कमाण्डो या संगवारी पुलिस का अभिनव प्रयोग किया जा रहा है. संगवारी पुलिस केन्द्र सरकार की एक योजना है जिसमे महिलाओं की समिति बनाई गई है और पुलिस  अपना पूरा सहयोग दे रही है . इस योजना में महिलाओं की सौ प्रतिशत भागीदारी है. यहां यह बताना लाजिमी होगा कि संगवारी पुलिस का मुख्य उद्देश्य गैर कानूनी, अपराधिक, असामाजिक कृत्य नशाखोरी इत्यादि पर रोकथाम करना है . यह योजना छत्तीसगढ़ के हर गांव, शहर, नगर, कस्बों, वार्ड, पन्चायत में चल रही है .

महिला संगवारी छत्तीसगढ़ पुलिस का महिला जागरुकता की ओर एक सुनहरा और सराहनीय कदम कहां जा सकता है. पुलिस और जनता के बीच आज भी बहुत दूरी है उस दूरी को कम करने के लिए ही केन्द्र सरकार के निर्देशन में कम्यूनिटी पुलिस के या सामुदायिक पुलिस महिला संगवारी पुलिस का गठन किया है.

महिला संगवारी पुलिस नीली साड़ी पहन कर, हाथ मे डण्डा और सीटी लेकर रात को अपने क्षेत्र के सभी गलियों और मुहल्ले मे घूम रही हैं . इसका सबसे बड़ा लाभ यह मिल रहा है कि पुलिस के पास जो रोजाना छोटी-छोटी जन शिकायतें थाने या चौकी मेँ होती हैं उसके लिए अब पुलिस को वहां जाकर शिकायत का समाधान नहीं करना पड़ रहा है. ऐसे मामलों को संगवारी पुलिस टीम स्वयं ही निपटारा कर रही है बिना पुलिस की सहायता लिये. बड़े वारदातों और शिकायतों पर ही पुलिस की सहायता ली जा रहा है.

महिलाओं के माध्यम से शराब खोरी पर रोक

वैसे तो संगवारी पुलिस संगठन सभी अपराधिक, गैर कानूनी कार्य व असमाजिक कृत्य की रोकथाम के लिए बनाया गया है किन्तु इस योजना का सबसे बड़ा केन्द्र बिंदू है शराब सेवन और शराब सेवन से हो रहे अपराध हैं . जिला रायपुर के  तिल्दा थाना में पदस्थ  पुलिस अधिकारी  शरद चंद्रा बताते हैं इस कार्य की शुरुआत महिला कमाण्डो स्वयं अपने घर से कर रही हैं.क्योंकि यदि वे अपने घर को सुधार नहीं पायेंगी तो समाज को कैसे सुधार पायेंगी. महिला रात्रि में 3 घंटे रोजाना अपने आसपास के गली, कुचे और मोहल्ले में पुलिस की भान्ति गश्त कर रही हैं . जबकि यह कार्य बिल्कुल निशुल्क है, जी हां इस कार्य के लिए संगवारी पुलिस महिलाओं को किसी भी प्रकार का कोई पारिश्रमिक या मानदेय नही दिया जाता. बावजूद इसके संगवारी पुलिस महिलायें बड़े उत्साह और तत्परता से अपना कर्तव्य निर्वहन कर रही हैं.

पुलिस  प्रशिक्षण भी दे रही

इस योजना के शुरुआत में ही केन्द्र सरकार के निर्देशन पर प्रदेश के सभी जिलों में  पुलिस कर्मियों द्वारा महिलाओं को सशक्त और जागरूक बनाने के लिये 10 दिवसीय प्रशिक्षण भी दिया गया. इस प्रशिक्षण में कराटे के गुण, मार्शल आर्ट, साधारण बचाव के तरीके, व्यायाम, अभ्यास इत्यादि शामिल हैं . प्रशिक्षण में हर गांव, शहर, पंचायत वार्ड के महिला समूहों ने जमकर हिस्सा लिया. प्रशिक्षित महिलाओं ने नाटक अभिनय के माध्यम से अन्य महिलाओं को भी सिखाया .

स्वयं महिला कमाण्डो का कार्य को देखने के लिए संगवारी पुलिस की गश्त में शामिल हुई और  देखा कि महिला कमाण्डो रोजाना कई मामले सुलझा रहे हैं जैसे नशा कर पति द्वारा पत्नि को प्रताड़ित करना, देर रात तक आवारागर्दी करते लड़कों का हुल्लड़बाजी और मारपीट, झगड़े व लडकियों के साथ छेड़छाड़ करना. संगवारी पुलिस की सीटी की आवाज सुनते ही बाहर घूम रहे युवक और पुरूषवर्ग घर के भीतर चले जाते हैं . लोगों का महिला कमाण्डो प्रति भय प्रत्यक्ष दिख रहा है . संगवारी पुलिस के संदर्भ में पुलिस अधिकारी जितेंद्र सिंह मीणा (आईपीएस) बताते हैं कि यह एक ऐसा प्रयोग है जिसमें आम जनता और पुलिस मिलकर अपराध पर रोक लगाने का एक अभिनव प्रयोग कर रहे हैं इससे लोगों में पुलिस के प्रति भय खत्म हो रहा है और कानून के प्रति सम्मान की भावना जागृत हो रही है.

संगवारी पुलिस की आंखों देखी

एक रात, कुछ लड़को द्वारा ट्रक चालकों के साथ कर रहे झगड़े और मारपीट को महिला कमाण्डो टीम ने समझाईश देकर सुलझाया. एक मामले में चार-पांच छात्र युवक खुले मैदान में बैठकर शराब व बोन्फिक्स से नशा कर रहे थे जिसे संगवारी पुलिस ने समझाईश दी. महिलाओं द्वारा समझाने पर भी युवक काबू मे नही आये तब पुलिस कर्मियों की सहायता से उन्हे चौकी भेजा गया. ऐसे ही एक और मामले मे एक पति द्वारा  शराब पीकर अपनी पत्नी के साथ गाली गलौच और मार पीट किये जाने पर महिला ने संगवारी पुलिस के पास इसकी शिकायत की . कमाण्डो पुलिस टीम ने उस महिला घर मे ही जाकर  पुरुष पर कार्यवाही की जिसके दौरान उसे जेल भी भेजा गया.

संगवारी पुलिस के इस संगठित कार्य से पुलिस विभाग को भी लाभ हो रहा है. बीच-बीच में पुलिस भी जाँच करने आती है की महिलाये अपना कर्तव्य ठीक से निभा रही हैं या नहीं. सबसे अच्छी बात तो यह है कि इस कार्य में संगवारी पुलिस के परिवार वाले भी पूरी तरह से सहयोग दे रहे हैं एवं रात्रि में गश्त करने के लिए कोई मनाही  नही कर रहे . 9 बजे रात्रि में इनकी ड्यूटी शुरू हो जाती है और लगभग 1बजे रात तक चलती है. मोहल्लो के अलावा उनकी कोशिश यही रहती है कि वे उस अपराधिक क्षेत्रों में भी गश्त करें जहां अपराध होने की संभावना अधिक है जैसे तालाब-नदी के किनारे, खुले मैदानों, अधूरे बने बन्द सुने मकान इत्यादि .

संगवारी पुलिस सच में सरकार की बहुत अच्छी पहल है जो महिलाओ को सशक्तीकरण और जागरूकता के लिए एक नया आत्मविश्वास प्रदान कर रही है. ऐसे महिलाओं के उत्साह को नमन है जो निशुल्क इस काम को पूरे मन से कर रही है. भविष्य में महिला कमाण्डो संगवारी पुलिस और अधिक सफल हो और महिलाओं का उत्साह ऐसे ही बना रहे यही कामना करती हैं.

Serial Story: गुंडा (भाग-3)

मेरी ने उस का हाथ थामा, ‘‘नीरू, मुझे घर जाना है, जरूरी काम है. तू चलेगी क्या मेरे साथ?’’ मेरी अब उस की बहुत अच्छी दोस्त बन चुकी थी.

रास्ते में मेरी ने कहा, ‘‘नीरू, मैं बहुत दिन से एक बात कहना चाह रही थी, मगर डर रही थी कि कहीं तुम बुरा न मान जाओ. मेरा विचार है कि सगाई से पहले एक बार आनंद के बारे में पुनर्विचार कर लो. उस के और तुम्हारे स्वभाव में जमीनआसमान का अंतर है. वह जो दिखता है वह है नहीं और तुम्हारा मन बिलकुल साफ है.’’

‘‘जिसे मैं शांत, गंभीर और नेक व्यक्ति मानती थी उस में अब मुझे पैसोें का गरूर, अपनेआप को सब से श्रेष्ठ और दूसरों को तुच्छ समझने की प्रवृत्ति, दूसरों के दुखदर्द के प्रति संवेदनशून्यता आदि खोट क्यों दिखाई दे रहे हैं? शायद यह मेरी ही नजरों का फेर हो.’’ नीरू की आंखों में आंसू आ गए. उसे मंगल की याद आई. उस ने आंसू पोंछे.

मेरी समझ गई. उस ने मन में सोचा, ‘अब तुम ने आनंद को ठीक पहचाना.’

‘‘मेरी, मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि जब बात सगाई तक पहुंच गई है अब मैं क्या कर क्या सकती हूं?’’

‘‘सगाई तो क्या, बात अगर शादी के मंडप तक भी पहुंच जाती है और तुझे लगता है कि तू उस के साथ सुखी नहीं रह सकती, तेरा स्वाभिमान कुचला जाएगा, तो ऐसे रिश्ते को ठुकराने का तुझे पूरा हक है,’’ मेरी उसे घर छोड़ कर चली गई.

2 दिन तक नीरजा कालेज नहीं गई. उसे कुछ भी करने की इच्छा नहीं हो रही थी. अगले दिन तो वह और भी बेचैन हो उठी थी. उस का दम घुट रहा था. शाम होतेहोते वह और भी बेचैन हो उठी.

‘‘मां, थोड़ी देर वाकिंग कर के आती हूं.’’

‘‘मैं साथ चलूं?’’

‘‘नहीं मां, यों ही जरा चल के आऊंगी तो थोड़ा ठीक लगेगा,’’ वह चप्पल पहन कर निकल गई.

नीरू की मां जानती थी कि उसे कोई चीज बेचैन कर रही है. छोटीमोटी बात होगी तो वापस आ कर ठीक हो जाएगी. ऐसीवैसी कोई बात होगी तो वह अवश्य उस के साथ चर्चा करेगी. वे अपने काम में लग गईं.

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थोड़ी देर चलते रहने के बाद उस ने देखा कि वह किसी जानेपहचाने रास्ते से जा रही है. वह रुक गई. उसे अचानक ध्यान आया कि वह मेघा के घर के आसपास खड़ी है. उस के कदम मेघा के घर की ओर बढ़ गए. फाटक खोल कर उस ने अंदर प्रवेश किया. चारों ओर शांति थी. वहां चंदू की बाइक नहीं थी. ‘चलो, अच्छा है घर पर नहीं है. मेघा और उस की मां से थोड़ी देर बात कर के उस की मनोस्थिति में थोड़ा बदलाव आएगा.’

‘तनाव मुक्त हो कर आज रात वह मां से खुल कर बात कर सकेगी.’ दरवाजा बंद था. उस ने घंटी बजाने को हाथ उठाया ही था कि अंदर से आवाज आई, ‘‘नहीं मेघा, यह नहीं हो सकता.’’ अरे, यह तो चंदू की आवाज है.

‘‘क्यों भैया, क्यों नहीं हो सकता? मैं जानती हूं कि तुम उस से बहुत प्यार करते हो.’’

‘‘हांहां, तू तो सब जानती है, दादी है न मेरी.’’

‘‘हंसी में बात को मत उड़ाओ भैया. अगर तुम नीरू से नहीं कह सकते तो बोलो, मैं बात करती हूं.’’

‘‘नहींनहीं मेघा, खबरदार ऐसा कभी न करना. मैं जानता हूं कि वह किसी और की अमानत है तो फिर मैं कैसे…’’

‘‘चलो, एक बात तो साफ है कि आप उस से…’’

‘‘मगर इस से क्या होता है मेघा? वह किसी और से प्यार करती है, दोचार दिन में उस की सगाई होने वाली है और फिर शादी.’’

अब नीरू की समझ में आ रहा था कि शायद वे लोग उस की बात कर रहे थे.

‘‘भैया, आप से किस ने कह दिया कि नीरजा आनंद से प्यार करती है. यह तो केवल घटनाओं का क्रम है. वह उस के साथ खुश नहीं रह पाएगी.’’

‘‘यह तू कैसे कह सकती है?’’ चंदू ने झुंझलाते हुए कहा.

‘‘दोनों के स्वभाव में जमीनआसमान का अंतर है. आनंद स्वार्थी और अहंभावी है. वह वह नहीं है जो दिखता है. वह और भी खतरनाक है.’’

‘‘मैं सब जानता हूं मेघा, मगर अब कुछ नहीं हो सकता. सब से बड़ी बात यह है कि मैं कालेज में बदनाम हूं. धनवान भी नहीं हूं.’’

‘‘मगर मैं जानती हूं कि तुम कितने अच्छे हो. दूसरों की भलाई के लिए कुछ भी कर सकते हो.’’

‘‘मैं तेरा भाई हूं न, इसलिए तुझे ऐसा लगता है. मेघा अब छोड़ न यह सब. उस को शांति से आनंद के साथ आनंदपूर्वक जीने दे. इस समय तू मुझे जाने दे. मेरी गाड़ी अब तक ठीक हो गई होगी,’’ चंदू ने कहा.

घर की खिड़की से बचती हुई नीरू घर के पिछवाड़े की तरफ चली गई.

घर पहुंचने के बाद मां ने देखा कि अब वह तनावमुक्त थी, पर किसी आत्ममंथन में अभी भी उलझी हुई है. उन्होंने कुछ नहीं कहा. नीरू चुपचाप रात का खाना खाने के बाद अपने कमरे की बत्ती बुझा कर बालकनी में आ कर बैठ गई. बाहर चांदनी बिछी हुई थी.

वह जैसे किसी तंद्रा में थी. उस की आंखों के सामने तरहतरह की घटनाएं आ रही थीं, जिन में वह कभी आनंद को देख रही थी तो कभी चंदू को. जिसे सीधा, सरल, उत्तम और सहृदय मानती रही वह किस रूप में सामने आया और जिसे गुंडा, मवाली, फूलफूल पर मंडराने वाला भंवरा मानती आई है उस का स्वभाव कितना नरमदिल, दयालु और मददगार है, मगर उस ने चंदू को कभी उस नजरिए से नहीं देखा.

मेरी ने कई बार उसे समझाया भी कि चंदू साफ दिल का इंसान है जो अन्याय बरदाश्त नहीं कर सकता.

कोई लड़कियों को छेड़ता है, किसी बच्चे या बूढ़े को सताता है तो उस से लड़ाई मोल लेता है. वह लड़कियों के पीछे नहीं भागता, बल्कि उस के शक्तिशाली व्यक्तित्व और चुलबुलेपन से आकर्षित हो कर लड़कियां ही उसे घेरे रहती हैं. आज क्या बात हो गई उस के सामने सबकुछ साफ हो गया. शायद उस की आंखों पर लगा आनंद की नकली शालीनता का चश्मा उतर गया था.

‘ये क्या किया मैं ने. क्या मेरी पढ़ाई मुझे इतना ही ज्ञान दे पाई? मेरे संस्कार क्या इतने ही गहरे थे? मुझे सही और गलत की पहचान क्यों नहीं है? क्या मेरी ज्ञानेंद्रियां इतनी कमजोर हैं कि वे हीरे और कांच में फर्क नहीं कर पातीं? क्या मैं इतनी भौतिकवादी हो गई हूं कि मुझे आत्मा की शुद्धता और पवित्रता के बजाय बाहरी चमकदमक ने अधिक प्रभावित कर दिया.

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‘मेघा सही कहती थी कि वह आनंद के साथ कभी खुश नहीं रह पाएगी. न वह ऐश्वर्य में पलीबढ़ी है, न उसे पाना चाहती है. वह ऐसी सीधीसादी साधारण लड़की है जो एक शांतिपूर्ण, तनावमुक्त जिंदगी जीना चाहती है. वह अपने पति और परिवार से ढेर सारा प्यार पाना चाहती है.’

अचानक उस ने जैसे कुछ निश्चय कर लिया कि वह उस व्यक्ति से हरगिज शादी नहीं करेगी, जिस में संवेदनशीलता नहीं है, आर्द्रता नहीं है, जो भौतिकवादी है. फिर चाहे वह करोड़पति हो या अरबपति, उस का पति कदापि नहीं बन सकता. वह उस गुंडे, मवाली से ही शादी करेगी जो दिल का सच्चा है, नरमदिल और मानवतावादी है. वह जितना बिंदास दिखता है उतना ही परिपक्व और जीवन के प्रति गंभीर है. उसे पूरा विश्वास है कि उस की जिंदगी ऐसे व्यक्ति की छत्रछाया में बड़ी शांति से गुजर जाएगी. ऐसा निश्चय करने के बाद नीरजा को बड़े चैन की नींद आई.

पत्रकारों के खिलाफ कंगना का रौद्र रूप, मीडिया को दिया ये जवाब

रविवार, 7 जुलाई को फिल्म ‘‘जजमेंटल है क्या’’ के एक गाने की रिलीज के लिए बुलाई गयी प्रेस कौंफ्रेंस में कंगना रनौत और पीटीआई के पत्रकार जस्टिन राव के बीच हुई तूतूमैंमैं के बाद मामला निरंतर उलझता और अति कड़ुवाहट वाला होता जा रहा है. कंगना रनौत और उनकी बहन रंगोली चंदेल सोशल  मीडिया पर पत्रकारों के खिलाफ जमकर आग उगल रही हैं. रंगोली ने ट्वीटर पर मीडिया के खिलाफ ‘अपमानजनक’ अभियान चला रखा है. तो दूसरी तरफ शुक्रवार देर शाम ‘मुंबई प्रेस क्लब’ ने भी कंगना रनौत के बहिष्कार का ऐलान कर दिया. ‘मुंबई प्रेस क्लब’ की तरफ से ‘एंटरटेन्मेंट जर्नलिस्ट गिल्ड’ का समर्थन करने की बात कही गयी है.

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तो वहीं कंगना रनौत की बहन और उनकी मैनेजर रंगोली चंदेल ने अपने ट्वीटर हैंडल पर अपने वकील ‘सिद्दिकी एंड एसोसिएट्स’ की तरफ से जारी आधिकारिक बयान वाला पत्र सांझा किया है. रंगोली ने दावा किया है कि उनकी बहन का पत्रकार द्वारा खुलेआम उपहास, उत्पीड़न और अपराधिक धमकी दी गयी थी. अपने बयान में रंगोली ने लिखा है- ‘‘यह तथाकथित प्रोफेशनल जर्नलिस्ट सार्वजनिक मंचो का उपयोग शरारत करने के लिए करते हैं. मेरे कथित ग्राहक सहित किसी भी सेलेब्रिटी का अवैध और अपराधिक रूप से परेशान करने के लिए, पूरी जानकारी के बावजूद कि उनके अवैध और अपराधिक कार्य स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति नही बल्कि मानहानि का मामला है. ’’वकील के पत्र के नीचे  रंगोली ने लिखा है- ‘‘सर ये तो दुकान बंद करवाएंगे और इनको जेल भी भिजवाएंगे. क्रिमिनल कहीं के.. कैसे यह बदनाम करने की धमकी देते हैं और कंगना को डराते हैं..’’

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वकील के इस पत्र में अपंजीकृत संस्था ‘‘इंटरटेनमेंट जर्नलिस्ट गिल्ड’’ से कहा गया है कि वह इस तरह के मुद्दे के खिलाफ अपना पक्ष रखे और ऐसे माध्यमों के माध्यम से अनप्रोफेशनल पत्रकारों का सीधे समर्थन या प्रोत्साहन करना बंद करे.

 

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इससे पहले गुरूवार, 11 जुलाई को कंगना रनौत ट्वीटर व यूट्यूब पर अपना पक्ष रखते हुए एक वीडियो जारी कर चुकी हैं, जिसमें कंगना रनौत ने पत्रकारों को ‘छद्म पत्रकार’ और ‘देशद्रोही’ की संज्ञा देते हुए इन सड़े गले और झूठे बताते हुए उन पर बैन लगाने की मांग की है. कंगना ने पत्रकारों को ‘छद्म उदारवादी’ और ‘दीमक’ की संज्ञा देते हुए अपनी बात शुरू करते हुए कहा- ‘‘पत्रकारों का एक वर्ग देश के गर्व, समानता और अखंडता पर झूठी अफवाहों व राष्ट्र विरोधी विश्वासघाटी मूल्यां का दीमक की तरह प्रसार कर रहा है. फिर भी संविधान में इनके लिए कोई दंड या सजा नहीं है. यह बिके हुए पत्रकार हैं. यदि यह धर्म निरपेक्ष होते तो धार्मिक मामलों पर देश पर हमला न करते.’’

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इतना ही नही इस वीडियो में कंगना ने पत्रकारों को धमकी देते हुए खुद पर बैन लगाने के लिए कहा है. इस वीडियो में कंगना ने आगे कहा है- ‘‘मैं आप लोगों से हाथ जोड़कर विनती करती हूं कि आगे बढ़ो और मुझ पर प्रतिबंध लगाएं. क्योंकि मैं नहीं चाहती कि मेरी वजह से तुम लोगों के घर का चूल्हा जले. ’’इस वीडियो में कंगना ने पत्रकार जस्टिन राव का विस्तार से जिक्र किया है.

इस तरह कंगना रनौत की तरफ से एक तरह से मीडिया के खिलाफ युद्ध का ऐलान हो चुका है. कम से कम वह ‘एंटरटेनमेंट जर्नलिस्ट गिल्ड’ की मांग के अनुरूप माफी मांगने के मूड़ में तो कतई नहीं हैं.

मौनसून के रंग सितारों के संग    

आज से कई साल पहले ‘टिप टिप बरसा पानी…….’ फिल्म ‘मोहरा’ का ये गाना हिट हुआ, जिसकी रीमेक एक बार फिर किया जा रहा है. दरअसल बारिश की बूंदों को लेकर बनी तक़रीबन सभी गाने प्रकृति की रोमांस को दर्शाते है, जिसे फिल्मकारों ने अपनी फिल्मों में फिल्माने से कभी नहीं कतराएं, फिर चाहे वह देश में हो या विदेश में, उसकी सुन्दरता दर्शकों को हमेशा भाया और हो भी क्यों न? मानसून की बौछार से जनजीवन से लेकर पेड़ पौधे और जानवर सभी खिल जाते है, लेकिन जहां इस बारिश को कलाकार पर्दे पर भले ही रोमांटिक पहलू को जीवंत करने के लिए करते हो, पर असल जीवन में कुछ कलाकार को बारिश कतई पसंद नहीं, जबकि कुछ को पसंद भी है. क्या कहते है वे इस बारें में, आइये जाने उन्ही से.

मल्लिका शेरावत

मानसून को बहुत एन्जौय करती हूं. विदेश में भी बारिश होती है, पर वहां ठण्ड अधिक होने से अच्छा नहीं लगता. सूरज नहीं निकलता और डिप्रेसिंग होता है. हमारे देश में मानसून खुशियों के साथ नवजीवन को साथ लेकर आता है. माटी की सौधी-सौधी खुश्बू,गर्मी का कम होना,चारों तरफ हरियाली आदि सबकुछ देखना मुझे बहुत अच्छा लगता है. मुझे मानसून में समुद्री तट पर चलना बहुत पसंद है.

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तुषार कपूर

मानसून पहले मुझे अधिक पसंद नहीं था. बेटे के आने के बाद इसे मैं अधिक पसंद करने लगा हूं. इस मौसम में लक्ष्य के साथ मैं पार्क में जाता हूँ और वह 2 से 3 घंटे तक खेलता है. इसलिए अब मैं इसे पसंद करने लगा हूं.

सिमोन सिंह

मुझे मानसून बहुत अच्छा लगता है. इस मौसम में मिट्टी की भीनी-भीनी खुश्बू और पेड़ पौधों से टपकते बारिश की बूँदें इस मौसम में देखना बहुत अच्छा लगता है. बचपन से ही मैंने इसे एन्जॉय करती आई हूँ. ख़ासकर समुद्री तट इस मौसम में बहुत सुंदर लगता है.

विद्या बालन

मुझे इस मौसम में ठंडी हवा और बारिश को देखना बहुत अधिक पसंद है. मैंने बचपन से इसे पसंद किया है. सिर्फ आउटडोर शूटिंग और बाहर जाना इन दिनों मुश्किल होता है. गरम चाय और पकौड़े इस मौसम को और अधिक सुहावना बनाते है.

सोनाक्षी सिन्हा

मानसून मुझे पसंद नहीं. खास कर मुंबई में तो हर जगह पानी भर जाता है और इस मौसम में मुझे काम करना भी अच्छा नहीं लगता. उदासी वाले इस मौसम में कुछ भी करना मुझे पसंद नहीं. इस मौसम में मैं घर पर रहना पसंद करती हूँ.

आयुष्मान खुराना

मुझे बारिश और मानसून का मौसम बहुत पसंद है इसे मैं बहुत एन्जौय करता हूं. खास कर परिवार और दोस्तों के साथ रहने में मुझे बहुत अच्छा लगता है. पानी जीवन है और बारिश इसका एक माध्यम, जिसे मैं कभी मिस नहीं करना चाहता.

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कैटरीना कैफ

मुझे बारिश की बौछार से आने वाली माटी की खुश्बू बहुत पसंद है. इसे मैं मुंबई में रहकर एन्जौय करना चाहती हूं, लेकिन अगर ऐसा न हुआ, तो मैं इसे बहुत मिस करती हूं. बारिश की बूंदे मुझे बहुत अच्छी लगती है. बारिश की ये बूंदे प्यार और रोमांस का एहसास करवाते है.

कलाकार को इज्जत और मान लेना आना चाहिए –अनीता राज

80 के दशक में हिंदी सिनेमा जगत में कामयाबी की कदम छूने वाली एक्ट्रेस अनीता राज के पिता जगदीश राज थे, जिन्होंने अधिकतर फिल्मों में पुलिस औफिसर की भूमिका निभाई और गिनिस वर्ल्ड रिकौर्ड में शामिल हुए. अनीता ने अपने कैरियर की शुरुआत फिल्म ‘प्रेमगीत’ से की. फिल्म की सफलता ने उन्हें रातोंरात एक्ट्रेस बना दिया. अनीता ने काम के बीच में कई बार ब्रेक लिया और सही भूमिका मिलने पर काम की तरफ रुख किया, फिल्मों के अलावा उन्होंने कई धारावाहिकों में भी काम किया है. अभी अनीता राज कलर्स टीवी पर धारावाहिक ‘छोटी सरदारनी’ में गांव की महिला सरपंच की भूमिका निभा रही है, जो एक महत्वाकांक्षी महिला है. पेश है उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश.

सवाल- इस शो की कौन सी बात आपको खास लगी?

इस शो का चरित्र मुझे बहुत अच्छा लगा. ये बहुत ही आत्मविश्वास से परिपूर्ण महिला का किरदार जो आजकल की अधिकतर महिलाएं है. मुझे याद आता है कि कुछ दिनों पहले मैं पटियाला गयी थी और मैंने वहां टोल टैक्स पर एक महिला को काम करते हुए देखा, जिसे देखकर मुझे बहुत खुशी हुई. मैंने बहुत ट्रेवल किया है, पर किसी भी जगह पर ऐसा नहीं देखा है. मेरी भूमिका भी वैसी ही है, जो बहुत पावरफुल सरपंच की है, जो काम के साथ-साथ अपने परिवार को भी प्रोटेक्ट करती है. ये किरदार मेरे लिए चुनौतीपूर्ण है.

सवाल- आप अभी फिल्मों या धारावाहिकों में कम नजर आ रही है, इसकी वजह क्या मानती है?

मैंने एक साल पहले एक धारावाहिक में काम खत्म किया है, इसके बाद दो फिल्में की. इसके बाद ये कहानी आई, इस तरह काम चलता रहता है.

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सवाल- आपने एक लम्बी जर्नी इंडस्ट्री में तय किया है, पहले और आज में कितना परिवर्तन पाती है?

मैं इस इंडस्ट्री की बहुत शुक्रगुजार हूं, क्योंकि मुझे हर तरह के निर्माता, निर्देशक, यूनिट और कलाकार के साथ काम करने का मौका मिला. इसके अलावा मेरे पिता जगदीश राज जिन्होंने हर फिल्म में इंस्पेक्टर की भूमिका निभाई. उनका नाम गिनीज वर्ल्ड रिकौर्ड में शामिल है और मैं उनकी बेटी हूं. इसलिए मैं जब इंडस्ट्री में आई तो जरा सा भी संघर्ष नहीं करना पड़ा, क्योंकि सबको पता था कि मैं उनकी बेटी हूं. दौर में अन्तर बहुत आया है. अभी खाना वैनिटी वैन में खाते है, तब सेट पर खाते थे. ड्रेस बदलना होता था, तो ऐसी जगह की तलाश की जाती थी जहां लोगों का आना जाना नहीं था. तकनीक और काम करने के तरीके में भी बहुत बदलाव आया है. इससे आज काम करना बहुत आसान हो गया है. मेरे लिए अच्छा यह है कि मैंने वो दौर और इस दौर को भी देखा है. दोनों को मैं एन्जौय कर रही हूं.

सवाल- क्या अभी भी इंडस्ट्री में वही इज्ज़त और मान कलाकारों को मिलता है,जैसा पहले मिला करता था, क्योंकि आज कलाकारों की संख्या हर दिन बढ़ रही है, हर दिन नए-नए कलाकारों से दर्शको को परिचित होना पड़ रहा है?

इज्जत और मान लेना किसी भी कलाकार को आना चाहिए. अगर आपने किसी की इज्जत नहीं की, तो आप किसी सम्मान के हकदार नहीं. कहानियों में बहुत परिवर्तन आया है. पहले पुरुष प्रधान फिल्में अधिक थी, जबकि अब कहानी रिलेट करने वाली होने से सफल होती है. ये बदलाव अच्छे के लिए हुआ है.

सवाल- आपने शादी की बच्चे की मां बनी इस दौरान आपने कई बार ब्रेक लिया और वापस काम से जुड़ी, क्या इसका प्रभाव आपके करियर पर पड़ा?

कभी भी नहीं, क्योंकि मुझे जो भी स्क्रिप्ट अच्छी लगी मैंने किया. हर काम के लिए आपकी स्वीकारोत्मक अप्रोच होने की जरुरत होती है. इस उम्र में आप हीरोइन की भूमिका नहीं कर सकते, ऐसे में आपको अपनी उम्र को समझना पड़ता है और अगर आपने उसे ग्रेसफुली स्वीकार कर लिया है, तो आप खुश रहते है और उसकी झलक आपके चहरे पर होती है.

सवाल- आपकी फिटनेस का राज क्या है?

मैं फिटनेस फ्रीक हूं और अपने डाइट पर बहुत ध्यान देती हूं. खाना भले ही न खाऊं, पर जिम अवश्य जाती हूं. असल में 90 प्रतिशत आपकी भोजन का होता है और 10 प्रतिशत केवल वर्कआउट होता है. वेट वर्कआउट मैं करती हूं. मेरा बेटा शिवम हिंगोरानी वेलनेस से जुड़ा हुआ है और प्लांट बेस्ड प्रोटीन शेक प्रोड्यूस करता है. इसलिए हम दोनों स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देते है.

सवाल- आपके बेटे ने कभी आपके क्षेत्र में आने की कोशिश नहीं की?

उसने कई फिल्मों में अस्सिस्टेंट डाइरेक्टर का काम किया है और आगे भी कर रहा है, लेकिन उसकी रूचि वेलनेस पर अधिक है.

सवाल- क्या अभिनय से इतर आप कुछ करने की इच्छा रखती है?

मेरे भाई की बेटी ड्रेस डिजाइनर है और उसके परिधान भी मैं पहनती हूं, लेकिन मैं अभिनय के अलावा कुछ सोचा नहीं है.

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सवाल- आज की महिला सशक्त होने के बावजूद भी प्रताड़ित होती है, इसकी वजह क्या मानती है?

आज की महिला जागरूक और सशक्त भी है. इसके अलावा उनके लिए बनाये गए कानून भी बहुत सख्त है, लेकिन कुछ महिलाएं इसका गलत प्रयोग भी करती है. मेरी उनसे गुजारिश है कि कोई भी समस्या अगर रियल है तो उसमें उस कानून का प्रयोग अवश्य करें, किसी को कष्ट देने के लिए उसका प्रयोग न करें.

सवाल- कोई ऐसा क्षेत्र जिसमें आप कुछ सामाजिक कार्य करना चाहे?

मैं सामाजिक कार्य समय समय पर करती रहती हूं. मुझे याद आता है कि मैं नागपुर के एक गाँव में गयी थी, जहां मैंने एक 50 साल के उम्र की महिला जो 80 साल की लग रही थी उसने महाराष्ट्रियन कास्टा साड़ी में बिना चप्पल के पहले 5 किलोमीटर और बाद में 10 किलोमीटर की मैराथन दौड़ पूरी की,क्योंकि उसके पास पति के इलाज के लिए पैसे नहीं थे. मैंने उसे सम्मानित किया था, उसे कुछ पैसे भी मिले, ऐसे जो लोग गुमनाम है, उनके लिए काम करने की जरुरत है.

सवाल- आप अपनी दौर की अभिनेत्रियों के साथ आजकल कितना मेलजोल रखती है?

मेरी बातचीत पद्मिनी कोल्हापूरे और पूनम ढिल्लों के साथ होती रहती है. मिलना कम होता है.

सवाल- कोई ऐसी फिल्म जिसे आप करना चाहती है?

कौमेडी फिल्म करने में मजा आता है, वो अगर फिर करने को मिले तो बहुत अच्छा रहेगा.

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