बेडशीट खरीदते समय न करें ये गलतियां

बेडशीट का चुनाव आपको पूरे समझदारी के साथ करना चाहिए. क्‍योंकि आपको सिर्फ चंद मिनट ही नहीं बिताने हैं. आपको यहां बहुत सारे घंटें, दिन और हफ्ते बिताने होते हैं. इसलिए इनका मुलायम और कम्‍फर्टेबल होना जरुरी होता है.

तो आपको बताते हैं बेडशीट खरीदते समय आपको किन बातोंका ध्यान रखना चाहिए. जिससे आप  आप कम्‍फर्टेबल बेडशीट चुनकर आराम की नींद सो सकी हैं.

फेब्रिक बेडशीट्स

गर्मियों के मौसम में कौटन की अच्छी रहती हैं लेकिन अगर मौसम सर्दियों का हो तो आप सिल्क, सैटिन, लिनेन जैसी बेडशीट्स का इस्तेमाल करें.

सीजन के हिसाब से

मौसम और अपनी सहूलियत के हिसाब से ही आप बेडशीट का चुनाव करें. जो दूसरों के घर कुछ देर देखने में अच्छी लगी थी, इस हिसाब से अपने घर के लिए बेडशीट का चुनाव न करें.

कौटन बेडशीट ध्‍यान से खरीदें

जब कभी कौटन बेडशीट खरीद रही हो, तो उसकी साइज पर विशेष ध्यान दें. ये भी याद रखें कि धोने के बाद ये थोड़ा सिकुड़ जाती है. कौटन बेडशीट में भी कई वैरायटी आती है जैसे प्योर कोटन, मिक्स कौटन, नौन-रिंकल कौटन, हैंडलूम कौटन आदि.

साइज का रखे ध्‍यान

बेडशीट हमेशा उसी साइज का खरीदें जिसे गद्दे के अंदर चारों ओर से आसानी से मोड़ा जा सकें.

क्‍लासी लुक के लिए

कभी-कभी व किसी खास मौके पर इस्तेमाल के लिए सिल्क बेडशीट एक अच्छा विकल्प है, ये आपके बेडरूम को क्लासी लुक देती हैं.

रिंकल फ्री बेडशीट

जिन बेडशीट को रोजाना इस्तेमाल करना हो तो ध्यान दे कि वे रिंकल फ्री हो. रोजाना इस्तेमाल के लिए रिंकल फ्री बेडशीट अच्छी रहती है और उन्हें आसानी से धोया जा सकता है.

हेयर केयर और हेयर स्टाइलिंग टिप्स

आज की युवा लड़कियों के मन में कई सवाल घूमते हैं जैसे बालों की देखभाल कैसे करें, कौन सा हेयरस्टाइल अपनाएं जिस से परफैक्ट लुक मिले, रफ बालों की केयर कैसे करें इत्यादि. बालों को हैल्दी रखने और हेयरस्टाइल के नए तरीके के बारे में बताया गया दिल्ली प्रैस भवन में हुई फैब मीटिंग के दौरान. हेयर ऐक्सपर्ट व स्टाइलिस्ट आरिफ सलमानी ने कुछ खास स्टैप्स बताने के साथसाथ हेयर केयर के टिप्स भी दिए.

ऐसे करें देखभाल

लगातार बढ़ता प्रदूषण बालों को कमजोर और बेजान बना देता है. ऐसे में ये टिप्स अपना कर बना सकती हैं अपने बालों को सुंदर और घना:

– बालों को पोषण देने के लिए नारियल के दूध का इस्तेमाल करें. नारियल का दूध बालों को पोषण तो देता ही है, साथ ही यह बालों को लंबा और चमकदार भी बनाता है. यदि आप के बाल ज्यादा रूखें हैं तो आप नारियल के दूध का इस्तेमाल जरूर करें. इस से आप के बाल सौफ्ट और सिल्की नजर आएंगे.

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– बालों को चमकदार बनाने के लिए सिरके का इस्तेमाल भी कर सकती हैं. सिरके में पोटैशियम और गुणकारी ऐंजाइम होते हैं जो खुजली और रूसी से राहत दिलाते हैं.

– सप्ताह में 2 बार बालों में बादाम, जैतून या नारियल के तेल से मसाज करने से बाल हैल्दी रहते हैं.

– बालों की देखभाल के लिए प्रोटीन ट्रीटमैंट जरूर लेना चाहिए. बालों को प्रोटीन ट्रीटमैंट देने के लिए 1 अंडे को फेंट कर गीले बालों में लगाएं. इसे 15 मिनट तक लगे रहने दें और फिर कुनकुने पानी से धो लें.

– बालों की जड़ों से रूसी को हटाने के लिए

3 चम्मच दही में थोड़ा सा काली मिर्च पाउडर मिला कर लगाएं. आधे घंटे बाद इसे धो लें. इसे हफ्ते में 2 बार करें.

– सेब का सिरका बालों को नई जान दे सकता है. बालों में सेब का सिरका महज 5 मिनट लगाने से ही बालों में नई चमक आ जाती है.

– हफ्ते में दो बार ऐलोवेरा जैल से बालों की जड़ों की मसाज करें. ऐसा करने से बालों में चमक आएगी और बालों का झड़ना भी कम होगा.

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– गीले बालों में कंघी न करें, इस से बाल कमजोर हो जाते हैं.

– हलके गीले बालों में सीरम लगाएं. सीरम बालों को स्मूद करता है. इस से बाल बिखरेबिखरे नहीं लगते. यदि आप के बाल ड्राई या कर्ली हैं, तो आप हेयर सीरम का इस्तेमाल जरूर करें. फर्क आप को दिख जाएगा.

– बाल धोने के लिए ज्यादा गरम पानी का इस्तेमाल न करें.

– महीने में 2 बार स्पा जरूर लें. यदि पार्लर नहीं जा सकती तो घर पर ही स्पा कर लें.

– बालों को स्टीम जरूर दें. अगर आप के पास स्टीमर नहीं है तो आप गरम तौलिए से भी बालों को स्टीम दे सकती हैं.

टिप्स परफैक्ट हेयरस्टाइल के

चेहरे पर तो हम मेकअप से काम चला लेते हैं, लेकिन परफैक्ट लुक तब ही आता है जब हेयरस्टाइल सब से अलग हो. हेयर स्टाइलिस्ट आरिफ ने कुछ ऐसे आसान उपाय बताए जिन की मदद से आप भी बालों के स्टाइल के साथ खुद को एक आकर्षक लुक दे सकती हैं:

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– जब भी शादी पार्टी के लिए हेयरस्टाइल बनाएं, तो ध्यान रखें आप के बाल अच्छी तरह धुले हुए हों.

– बालों में तेल न हो.

– हेयरस्टाइल बनाने से पहले ड्रायर का इस्तेमाल करें.

– यदि आप कर्ल कर रही हैं, तो कर्ल करने से पहले हेयर मूस का यूज कर सकती हैं. इस से कर्ल ज्यादा देर तक टिकेगा.

– बाल ज्यादा ड्राई हैं तो सीरम का इस्तेमाल करें.

आरिफ ने कुछ ऐसे हेयरस्टाइल भी बताए जो चोटी के अलावा कर्ली बालों या लंबे, छोटे, खुले बालों पर भी आजमाए जा सकते हैं:

सिंपल चोटी को बनाएं स्टाइलिश:  फैशनेबल ड्रैस के साथ बौलीवुड सैलिब्रिटीज भी चोटी करती हैं. आप भी हाई पोनीटेल, फिश टेल, सागर चोटी बना सकती हैं. इस से आप के बाल बिखरे हुए नहीं लगेंगे और आप बहुत आकर्षक भी लगेंगी.

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हाफ बन: सैलेब्स से ले कर आम लड़कियों तक हर किसी को हाफ बन बनाना पसंद है. इस तरह का हेयरस्टाइल बनाने के लिए अपने आगे के बालों को बन की तरह बांध लें और पीछे के बालों को खुला ही रहने दें. इस हेयरस्टाइल को वैस्टर्न लुक के साथ ट्राई करें. बन को ज्यादा देर टीका कर रखने के लिए आप हेयर स्प्रे और सीरम का भी इस्तेमाल कर सकती हैं.

मेसी लुक हेयरस्टाइल: मेसी लुक के लिए आप बालों को 6-7 भागों में उलटा गूंथ कर के चोटी बना कर पूरी रात रहने दें और सुबह सैट कर लें. अगर आप को तुरंत मेसी लुक चाहिए तो आप कर्ल कर लें. कर्ल के बाद फिंगर्स की हैल्प से इन्हें सीधा करें. आप परफैक्ट मेसी लुक में नजर आएंगी.

सैलिब्रिटी लुक हेयरस्टाइल: सैलिब्रिटी लुक हेयरस्टाइल वैस्टर्न ड्रैस हो या फौर्मल दोनों के साथ अच्छा लगता है. इस लुक के लिए आप बीच की मांग निकाल कर बालों के 2 पार्ट कर लें. बालों को नीचे की साइड से कर्ल कर लें और पीछे के बालों की पोनी बना लें. याद रखें हाई पोनी नहीं बनानी है. हेयर स्प्रे का यूज कर के बालों को सैट कर लें.

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वैस्टर्न बन: पार्टी लुक हेयरस्टाइल के लिए बन बनाना काफी पसंद किया जाता है. बन की खासियत है कि यह वैस्टर्न और इंडियन दोनों ड्रैसेज पर अच्छा लगता है. आप हेयरस्टाइल बनाने में ज्यादा कन्फ्यूज हैं, तो वैस्टर्न बन ट्राई कर सकती हैं.

इसे इस तरह बनाएं:

– वैस्टर्न बन हेयरस्टाइल के लिए हेयर को ब्लास्ट ब्लो ड्राई करें.

– अपने हेयर के टैक्सचर के अनुसार कं्रपिंग का इस्तेमाल कर सकती हैं.

– बालों को 2 पार्ट में बांटें, बैक साइड से सैंटर के बालों को ले कर बन बनाएं.

– बन के लिए टोंग रौड का इस्तेमाल करें.

– बैक साइड के बचे हुए बालों को कर्ल कर लें.

– अब बन के साइज के अनुसार हेयर पिन की मदद से स्टफिंग करें.

– जब वैस्टर्न बन रैडी जाए तो हेयर स्प्रे का इस्तेमाल करें ताकि बन खराब न हो.

केसरी फिल्म रिव्यू : अक्षय कुमार का दमदार एक्शन

फिल्म रिव्यू: केसरी

डायरेक्टर:  अनुराग सिंह

कलाकार: अक्षय कुमार, परिणीति चोपड़ा, एडवर्ड सोनेनब्लिक, मीर सरवार

रेटिंग : चार स्टार

12 सितंबर 1897 को सारागढ़ी किले को बचाने के लिए हवलदार ईश्वर सिंह के नेतृत्व में 21 सिख सैनिको ने दस हजार अफगान सैनिकों के साथ युद्ध किया था. उस वीरता की कहानी को बयां करने वाली फिल्म है ‘‘केसरी’’. आत्मसम्मान और गौरव के लिए लड़ी गई इस लड़ाई ने ऐसी छाप छोड़ी थी कि सदियो बाद भी इस युद्ध को याद किया जाता है. ब्रिटेन में तो हर साल 12 सितंबर को ‘सारागढ़ी दिन’ मनाया जाता है.

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क्या है कहानी…

फिल्म ‘‘केसरी’’ की कहानी की शुरू होती है गुलिस्तान किले पर तैनात हवलदार ईश्वर सिंह (अक्षय कुमार) से, जो कि अपने ब्रिटिश मेजर के आदेश का उल्लंघन करते हुए अफगान सरगना मसूद खान के हाथों एक अफगानी विवाहित महिला का कत्ल होने से बचाता है. तब अंग्रेज मेजर, ईश्वर सिंह को सजा के तौर पर गुलिस्तान किले से हटाकर सारागढ़ी किले पर भिजवा देता है, जहां पर कभी कोई हमला नहीं होता. इस दौरान अंग्रेज मेजर ईश्वर सिंह से कहता है- ‘‘तुम हिंदुस्तानी कायर हो, इसीलिए हमारे गुलाम हो.’ ’सारागढ़ी पहुंचने पर ईश्वर सिंह पाता है कि वहां मौजूद सैनिकों में अनुशासन की कमी है. तो सबसे पहले ईश्वर सिंह उन 21 सिपाहियों को अनुशासन का पाठ पढ़ाचा है. इसके बाद उनके अंदर बहादुरी का जज्बा भरता है. जब ईश्वर सिंह अकेला होता है, तो वह ख्यालों में अपनी पत्नी जीवनी कौर (परिणीति चोपड़ा) से बातें करता है. दूसरे सिपाही भी अपने-अपने परिवार से जुड़े लोगों को याद करते हैं.

उधर अफगान सरगना मसूद खान इस बात से गुस्से में है कि जब वह एक विवाहित महिला को सजा दे रहा था, तो उसके काम में ईश्वर सिंह द्वारा रोड़ा डाला गया. इसलिए अब वह अफगानी पठानों के साथ गठजोड़ कर सारागढ़ी, गुलिस्तान और कोर्ट किले पर कब्जा करने की योजना बनाता है और सबसे पहले सारागढ़ी पर किले पर हमला करता है. अंग्रेज हुकूमत सारागढ़ी तक फौज नहीं भेज सकती,  इसलिए वह उन 21 सिख जवानों से वहां से भागने की बात कहती है, पर ईश्वर सिंह को अंग्रेज मेजर की बात याद आती है और वह नौकरी, पैसा और अंग्रेज हुकूमत के लिए लड़ने की बजाय अपने गौरव के लिए शहीद होने का निर्णय लेता है. उसके इस निर्णय के साथ सभी 21 सिपाही खड़े नजर आते हैं. अफगान सरगना का अनुमान है कि वह आधे घंटे के अंदर 21 सिख सैनिकों को मौत के घाट उतारकर सारागढ़ी पर कब्जा कर लेने के बाद गुलिस्तान व दूसरे किले पर शाम तक कब्जा कर लेंगे. लेकिन ईश्वर सिंह व अन्य सिपाही, अफगान सैनिकों से जमकर लोहा लेते हुए शाम छह बजे तक उन्हे सारागढ़ी किले के अंदर घुस ने नहीं देते.अफगान पठान कहता है कि वह तो बाजी हार चुके हैं.

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डायरेक्शन और स्टोरी…

पंजाबी फिल्मों के चर्चित फिल्मकार अनुराग सिंह ने 2007 में ‘रकीब’ नामक हिंदी फिल्म निर्देशित की थी, उसके बाद वह पंजाबी फिल्मों में व्यस्त हो गए और पंजाबी में ‘यार अनमुले’, ‘जट्ट एंड ज्यूलिएट’, ‘जट्ट एंड जूलियट 2’, ‘डिस्को सिंह’, ‘पंजाब 1984’ और ‘सुपर सिंह’ जैसी हिट फिल्में दी. अब वह ‘‘केसरी’’ से फिर से बौलीवुड की तरफ मुड़े हैं. बतौर निर्दशक ‘‘केसरी’’ उनकी बेहतरीन फिल्म कही जाएगी. मगर कमजेर पटकथा के चलते फिल्म बेवजह लंबी हो गई है. लेखक व निर्देशक के तौर पर अनुराग सिंह ने इंटरवल तक महज किरदारों को स्थापित करने में लगा दिया. इतना ही नही इंटरवल तक तो फिल्म बेहद धीमी गति से ही आगे बढ़ती है और इंटरवल तक लगता है कि अनुराग सिंह इस फिल्म पर से अपनी पकड़ खो चुके हैं. इंटरवल से पहले के हिस्से को एडीटिंग टेबल पर कसने की जरुरत थी. पटकथा के स्तर पर भी काफी काम करने की जरुरत थी. मगर इंटरवल के बाद अनुराग सिंह फिल्म को संभालने में कामयाब रहते हैं.

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फिल्म ‘केसरी’ के निर्माण से अक्षय कुमार भी जुड़े हुए हैं, इसके बावजूद लेखक व निर्देशक अनुराग सिंह ने इंटरवल के बाद फिल्म के सभी 21 किरदारों के साथ पूरा न्याय किया, फिल्म सिर्फ ईश्वर सिंह तक सीमित नहीं रहती .इसके लिए अनुराग सिंह बधाई के पात्र हैं.

शानदार है क्लाइमैक्स…

अनुराग सिंह ने जिस तरह से जेहाद के लिए लड़ रहे 19 वर्षीय अफगानी और अपने गौरव के लिए लड़ रहे 19 वर्षीय सिंह के किरदार को तुलनात्मक ढंग से पेश किया है, वह बहुत कुछ कह जाता है. जी हां! फिल्म में एक सीन है जहां ईश्वर सिंह, अफगानी बालक को बच्चा कहकर मौत के घाट उतारने की बजाय बख्श देते हैं, मगर कुछ देर बाद वही अफगानी बालक ईश्वर सिंह के पेट में तलवार भोंक देता है. जबकि सिख सिपाही गुरमुख सिंह की चीखें सुनने के लिए अफगानी किले की मिनार में आग लगा देता है, तब भी रोने या बिलखने की बजाय वो आग में लिपटा होने के बावजूद हंसते हुए कई अफगानियां को मौत के घाट उतारता है. इसी वजह से फिल्म का क्लाईमेक्स गहरी छाप छोड़ जाता है.

युद्ध के सीन काफी बेहतर बन पड़े हैं. इन सीन्स को देखते हुए दर्शकों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं. निर्दशक ने अक्षय कुमार की एक्शन इमेज को बेहतर तरीके से भुनाया है. लेकिन हिंसा के सीन काफी हैं. कैमरामैन अंशुल चौबे ने 1897 के काल को स्थापित करने में अहम भूमिका निभायी है.

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कलाकारों का अभिनय…

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो ईश्वर सिंह के किरदार में अक्षय कुमार ने बेहतरीन परफार्मेंस दी है. युद्ध के सीन्स हों या इंसानियत की बात कहनी हो, हर भावना को वह परदे पर बेहतर तरीके से उकेरने में सफल रहे हैं. एक छोटे से किरदार में परिणीति चोपड़ा अपना प्रभाव छोड़ने में अफसल रहती हैं.

दो घंटे तीस मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘केसरी’’ का निर्माण अरूणा भाटिया व सुनीर क्षेत्रपाल ने करण जौहर की ‘धर्मा प्रोडक्शन’ के साथ मिलकर किया है. अगर आप अक्षय कुमार के फैन है और देशभक्ति फिल्मे देखना पसंद करते हैं तो ये फिल्म जरूर देखें.

इन तरीकों को अपनाकर कम करें ईएमआई का बोझ

बैंकों से होम लोन मिल जाना ही काफी नहीं है, बल्कि उसकी ईएमआई का बेहतर प्रबंधन उससे कहीं अधिक महत्‍वपूर्ण है. ईएमआई के सही मैनेजमेंट के अभाव में होम बायर्स को कई परेशानियों का सामना करना पड़ जाता है. ईएमआई में देरी से पेनाल्‍टी से लेकर डिफौल्‍ट और प्रौपर्टी अटैच होने तक का खतरा रहता है. आर्थिक जगत और जौब मार्केट में उतार-चढ़ाव के कारण इन दिनों डिफौल्‍ट करने वालों की संख्‍या भी काफी बढ़ गई है.

इन सबके बीच बैंकों की ब्‍याज दरें एक बार फिर बढ़ने लगी हैं. कई सरकारी बैंकों के बाद अब एचडीएफसी ने भी होम लोन की ब्‍याज दरों में इजाफा कर दिया है. इससे भी होम बायर्स का तनाव बढ़ता जा रहा है. ऐसे में ईएमआई का बेहतर मैनेजमेंट आपके लिए अधिक जरूरी हो गया है. ऐसा नहीं करने से घर खरीदने का मजा किरकिरा हो सकता है.

ऐसे में आज हम कुछ ऐसे तरीके बता रहे हैं, जिनसे आपको होम लोन की ईएमआई मैनेज करने में मदद मिलेगी. यहां ध्‍यान देने वाली बात यह भी है कि हम ईएमआई कम करने के जो पांच तरीके बता रहे हैं, जिनका इस्तेमाल आप किसी भी तरह के लोन की ईएमआई कम करने के लिए कर सकते हैं.

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इएमआई सैलरी मिलने की तारीख के करीब रखें

समय पर ईएमआई चुकाने से बैंकों एवं अन्य वित्तीय संस्थानों का आप पर विश्‍वास बना रहता है. इसीलिए ईएमआई को सैलरी मिलने की तारीख के करीब रखना हमेशा बेहतर होता है. समय पर ईएमआई का भुगतान नहीं भरने से बैंक आपसे भारी-भरकम जुर्माना वसूलते हैं. इससे क्रेडिट स्कोर भी खराब हो जाता है. अगर ईएमआई लगातार नहीं भर रहे हैं तो घर अटैच होने की भी आशंका बढ़ जाती है.

इंश्योरेंस पौलिसी से मिली रकम को बैंक को दें

ऐसे में कम ईएमआई आपके लिए हमेशा अच्‍छी होती है. इसके लिए आपको बोनस या इंश्योरेंस पौलिसी की अवधि पूरी होने पर मिलने वाली मोटी रकम का एक हिस्‍सा बैंक को देते रहना चाहिए. अमूमन 3 साल के बाद आप अपने बैंक को एकमुश्‍त राशि दे सकते हैं.

इसे एक उदाहरण के जरिए आप अच्‍छी तरह समझ सकते हैं. आपने अगर 9 फीसदी ब्याज दर पर 15 साल के लिए 50 लाख रुपये का होम लोन ले रखा है और इसके लिए एकमुश्त 1 लाख रुपये जमा करते हैं तो आप ब्याज के रूप में 1.9 लाख रुपये तक बचा सकते हैं. इतना ही नहीं, इससे लोन की अवधि भी लगभग 5 महीने कम हो जाती है. चूंकि शुरुआत में ईएमआई का अधिक हिस्‍सा ब्याज के रूप में जाता है, ऐसे में आप अगर एकमुश्‍त रकम जमा करते रहेंगे, तो आपका बोझ लगातार कम होता जाएगा.

एएमआई अधिक का करवाए

अगर आप अधिक ईएमआई चुकाने की स्थिति में हैं तो अपनी ईएमआई अधिक करवा लें. लोन रीपेमेंट के मामले में यह हमेशा बेहतर रणनीति साबित होती है. इसे आप ऐसे समझिए कि 20 साल के लिए 50 लाख के लोन पर अगर आप अपनी ईएमआई में लगभग 4 हजार रुपए का इजाफा कर देते हैं तो लोन की अवधि कई साल कम हो जाती है. इसी तरह अगर आप ईएमआई में इतनी रकम कम दें तो आपके लोन की अवधि लगभग 10 साल तक बढ़ सकती है.

अतिरिक्त इएमआई भरने की करें कोशिश

हर साल आपको एक अतिरिक्त ईएमआई भरने की भी कोशिश करनी चाहिए. बढ़ते खर्च के चलते शुरू में ऐसा करना कठिन हो सकता है, लेकिन आगे यह फायदेमंद साबित होता है. सामान्य तौर पर ब्याज दरों में बदलाव वाले निश्चित अवधि के लोन के लिए इस तरह के पेमेंट पर कोई चार्ज नहीं लगता है.

सभी बैंको के ब्याज दरों की रखें जानकारी

होम लोन लेने के बाद भी अन्‍य बैंकों या वित्‍तीय संस्‍थानों से ब्‍याज दरों से संबंधित जानकारियां लेते रहना चाहिए. अगर कोई दूसरा बैंक आपको कम ब्याज दर औफर कर रहा हो तो आपको सस्‍ती ब्‍याज दर वाले बैंक की तरफ स्विच कर जाना चाहिए. बढ़ती प्रतिस्‍पर्धा के कारण बैंक और वित्तीय संस्थान अक्सर कम दर का औफर देते रहते हैं.

वीडियो : एमरेल्ड ग्रीन नेल आर्ट

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एनिमल लवर्स इन जगहों की करें सैर, मूड हो जाएगा फ्रेश

क्या आपको प्रकृति की बनाई चीजों से प्यार है? क्या आपको जानवरों से लगाव है? अगर हां, तो ये खबर आपके लिये ही है. अगर आप जानवरों से खासा लगाव रखती हैं, तो आपको दुनिया की उन जगहों पर जरूर जाना चाहिए, जो एनिमल लवर्स के लिए बहुत ही खास ट्रिप बन सकती है. अगर आप भी उन एनिमल लवर्स हैं, तो हम आपको ऐसी जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पर आप प्यारे-प्यारे जानवरों से मिल सकती हैं.

इन जगहों पर अनेक प्रकार के जीव भारी मात्रा में मिलेंगे लेकिन ये जीव किसी को कोई नुकसान भी नहीं पहुंचाते क्योंकि यहां के वातावरण में लोगों के साथ रहते रहते इन्हें इंसानों के साथ रहने की आदत सी हो गई है.

जैलीफिश लेक, आइलैंड

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अगर आपने पहले कभी जैलीफिश करीब से नहीं देखी है, तो यह जगह आपके लिए काफी खास है. मैनचैस्ट आइलैंड में मौजूद इस लेक में हजारों जैलीफिश के साथ टूरिस्ट तैरने का मजा लेते हैं. कई साल पहले यहां समुद्र हुआ करता था, लेकिन पानी का लेवल कम होने से यहां जैलीफिश की पौपुलेशन लगातार बढ़ती चली गई. कुछ जेलीफिश खतरनाक भी होती हैं लेकिन यहां मौजूद जेलीफिश आमूमन किसी को नुकसान नहीं पहुंचाती.

फौक्स विलेज, जापान

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जापान के मियागी में एक ऐसा भी गांव है, जहां आपको हर जगह फौक्स (लोमड़ी) देखने को मिल जाएंगी. यहां पर 6 तरह की अलग-अलग ब्रीड की 100 से ज्यादा लोमड़ियां हैं. ये सभी वहां के बड़े जंगली एरिया में घूमती रहती हैं. यहां आने वाले विजिटर्स इनके साथ खेल भी सकते हैं. लेकिन इसके लिए उन्हें पहले 700 जैपनीज येन खर्च करने होंगे. इन लोमडियों के साथ खेलना में भी काफी आनंद आता है क्योंकि इन्हें इंसानों के साथ रहने की आदत सी हो गई है.

रैबिट आइलैंड

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रैबिट आइलैंड को ओकोनोशिमा के नाम से भी जाना जाता है. यह हिरोशिमा का एक छोटा सा हिस्सा है. यहां पर खरगोश सैकड़ों की संख्या में हैं. जब टूरिस्ट यहां घूमने आते हैं, तो ये सारे खरगोश खाने के लिए उनके पीछे-पीछे भागते दिखते हैं. यह किसी को पता नहीं है कि कब इस जगह को रैबिट्स के नाम से पहचाना जाने लगा, लेकिन कई वर्षों पहले यह जगह जहर की टेस्टिंग के लिए जानी जाती थी. और तो और यहां खरगोस इतनी ज्यादा संख्या में ही की आप इनकी गिनती भी नहीं कर सकती. यहां की आबादी से ज्यादा यहां खरगोशों की संख्या है.

वीडियो : एमरेल्ड ग्रीन नेल आर्ट

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इन टिप्स को अपनाकर अपने घर का माहौल बनाएं पौजिटिव

पौजिटिविटी यानी सकारात्मकता व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ व ऊर्जावान बनाती है, इसलिए बड़ी से बड़ी मुसीबत का सामना करना भी उस के लिए बहुत मुश्किल नहीं रह जाता. पौजिटिविटी के लिए सकारात्मक सोच का होना आवश्यक है ताकि हमारी सोच को नकारात्मक बनाने वाले तत्त्व हमारे आसपास न रह सकें और हम स्वयं को पौजिटिव ऐनर्जी युक्त अनुभव कर सकें.

क्या है पौजिटिव ऐनर्जी

ऐनर्जी का शाब्दिक अर्थ होता है ऊर्जा या शक्ति. वहीं पौजिटिव ऐनर्जी वह ऊर्जा है जो हमारे मन को शांति और सुकून का एहसास कराती है और हमारे सोच को सकारात्मक बनाती है. हर समय पौजिटिव ऐनर्जी से लबरेज रहने के लिए आवश्यक है कि हम अपने घर को भी पौजिटिव ऐनर्जी से युक्त बनाएं और इस के लिए आवश्यक है कि हम इन बातों पर ध्यान दें:

घर को एकदम साफसुथरा और व्यवस्थित रखें और घर के सामान का हर 6 माह में निरीक्षण करें. जिस सामान का आप ने 6 माह से उपयोग नहीं किया है उसे घर से विदा कर दें, क्योंकि घर में उस की उपयोगिता ही नहीं है और वह आप के घर में सिर्फ जगह घेर रहा है. घर में रहने वाला अनुपयोगी सामान और कूड़ाकबाड़ निगेटिव ऐनर्जी उत्पन्न करता है.

घर के हर कमरे को सामान से ठूंस देने स्थान पर बाजार से वही सामान लाएं जिस की आवश्यकता हो. खुलाखुला और साफसुथरा घर पौजिटिव ऐनर्जी लाता है.

घर की खिड़कियों को खुला रखें ताकि घर में ताजा हवा का आवागमन हो सके.

घर के रद्दी सामान को हर माह के अंत में कबाड़ वाले को दे दें.

घर के फर्नीचर को रिअरेंज करती रहें. इस से उस स्थान पर जमा धूलमिट्टी तो साफ हो ही जाती है, नए स्थान पर रखा फर्नीचर आप के अंदर नएपन का एहसास ला कर पौजिटिव ऐनर्जी को भी संचालित करता है.

घर और बालकनी में पाम, कैक्टस, मनीप्लांट, रबड़ प्लांट, फर्न, क्रोटन, ऐलोवेरा जैसे इनडोर प्लांट और बालकनी में पिटोनिया और बोगनबेलिया जैसे रंगबिरंगे फूलों और लताओं के प्लांट लगाएं. ये घर में औक्सीजन और पौजिटिव ऐनर्जी को उत्पन्न करते हैं.

घर में कैमिकल युक्त चीजों के स्थान पर इको फ्रैंडली नौनटाक्सिक होममेड सोल्यूशंस का प्रयोग करें. आजकल बाजार में इको फ्रैंडली साबुन, सोल्यूशंस क्रौकरी तथा फर्नीचर उपलब्ध हैं.

घर में रिसाइकल की जाने वाली वस्तुओं का प्रयोग करें. घर से प्रतिदनि निकलने वाले कचरे के 2 डब्बे रखें. एक में पेपर, विभिन्न वस्तुओं के रैपर व सूखा कचरा डालें और दूसरे में घर की सब्जियों के छिलके व अवशिष्ट भोज्यपदार्थ आदि डालें. इन चीजों को एक गड्ढे या डब्बे में एकत्र कर के खाद बनाएं. यह खाद आप के घर के प्लांट्स के लिए अत्यधिक उपयोगी होगी.

घर में प्राकृतिक प्रकाश आने की पर्याप्त व्यवस्था रखें, क्योंकि कमरों में रहने वाला अंधेरा जहां आप की सोच को संकुचित करता है, वहीं प्रकाशवान कमरे आप को ऊर्जावान बना कर पौजिटिव सोच को विकसित करते हैं. सुबह होते ही खिड़कियों से परदे हटा दें ताकि प्रकाश आ सके.

लाइट की भी पर्याप्त व्यवस्था रखें. सी एफ.एल. के स्थान पर एल.ई.डी. लाइट्स का प्रयोग करें. ये स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए लाभदायक होती हैं.

घर में लैंवेंडर, मिंट, खस, मोगरा, रोज जैसी प्राकृतिक खुशबू वाली कैंडल्स लगाएं. इन की खुशबू घर की निगेटिव ऐनर्जी को समाप्त कर पौजिटिविटी को बढ़ाती है.

स्वयं को प्रकृति के करीब लाएं. घर में नैचुरल पेंटिंग्स लगाएं. यदि घर में जगह है तो किचन गार्डन अवश्य लगाएं अन्यथा गमलों में पौधा लगा कर घर को हराभरा बनाएं.

मिरर्स को ऐनर्जी उत्पन्न करने वाला माना जाता है. इन्हें ऐसे स्थानों पर लगाएं जहां पर आप पौजिटिव ऐनर्जी को बढ़ाना चाहते हैं. इन्हें टौयलेट, बाथरूम या डस्टबिन के आसपास न लगाएं वरना निगेटिव ऐनर्जी उत्पन्न होगी.

बहुत आसान रेसिपी है आंवला मुरब्बा बनाने की

सामग्री:

– आवला (1 किलो)

– फिटकरी (5 ग्राम)

– चीनी (1 कीलो)

– पानी (1 कप)

मुरब्बा बनाने की विधि:

– सबसे पहले आवला को अच्छे से धो लें.

– फिर काटे वाले चम्मच या टूथपिक से आंवले के चारो तरफ छेद करें.

–  फिर उसमे ढेर सारा पानी और पिटकारी डाल कर उसे 8-10 घंटे के लिए ढक कर छोड़ दें.

– फिर उसे फिटकिरी वाले पानी से निकाल ले और उसे 2-3 पानी से अच्छे दे धो लें.

– अब उसे किसी बड़े बर्तन में ले ले और उसे चीनी और एक कप पानी डाल दें.

– फिर उसे मिला दे और उसे 15-20 मिनट के लिए ढक कर छोड़ दें.

– फिर उसे गैस पे रख दे और उसे मध्यम आंच पे 15-20 मिनट तक पकाये.

– धीरे धीरे आप देखेंगे की हमारी चासनी गाढ़ी हो गयी है और मुरब्बे का रंग भी बदलने लगा है तब गैस को बंद कर दे और फिर उसे ढककर 12 घंटे के लिए छोड़ दें.

– हमारी आंवले का मुरब्बा बनकर तैयार है.

 

औरतों के हाथ कुछ नहीं

अप्रैल मई में होने वाले चुनावों में औरतों की भूमिका मुख्य रहेगी, क्योंकि अब की बार बहुत से ऐसे मुद्दे हैं, जिन का औरतों पर सीधा असर होगा. 2014 के चुनाव से पहले मुख्य मुद्दा भ्रष्टाचार था जो अखबारों की सुर्खियां तो बनता था पर आम जनजीवन पर उस का असर न था. अब नरेंद्र मोदी इस चुनाव को भारत पाकिस्तान मुद्दे का बनाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि हरेक को डराया जा सके कि पाकिस्तान को खत्म करना भारत के लिए आवश्यक है. जो इसे मुद्दा नहीं मानेगा, वह देशद्रोही होगा.

इस झूठी देशभक्ति और देश प्रेम के पीछे असल में औरतों को मानसिक व सामाजिक गुलाम रखने वाली धार्मिक परंपराओं को न केवल बनाए रखना है, बल्कि उन्हें मजबूत भी करना है. पिछले 5 सालों में देश में आर्थिक मामलों से ज्यादा धार्मिक या धर्म या फिर धर्म की दी गई जाति से जुड़े मामले छाए रहे हैं.

गौरक्षा सीधा धार्मिक मामला है. पौराणिक ग्रंथों में गायों की महिमा गाई गई है. असल में यह एक ऐसा धन था जिसे किसी भी गृहस्थ से पंडे बड़ी आसानी से बिना सिर पर उठाए दान में ले जा सकते थे.आज गायों के नाम पर जम कर राजनीति की जा रही है, चाहे इस की वजह से शहर गंदे हो रहे हों, घर सुरक्षित न रहें, किसानों की फसलें नष्ट हो रही हों.

इस की कीमत औरतों को ही देनी होती है. एक तरफ वे इस वजह से महंगी होती चीजों को झेलती हैं तो दूसरी ओर उन्हें पट्टी पढ़ा कर गौसेवा या संतसेवा में लगा दिया जाता है. इन 5 सालों में कुंभों, नर्मदा यात्राओं, तीर्थों, मूर्तियों, मंदिरों की बातें ज्यादा हुईं. वास्तविक उद्धार के नाम पर कुछ सड़कों, पुलों का उद्घाटन हुआ जिन पर काम वर्षों पहले शुरू हो चुका था.

भारत तरक्की कर रहा है, इस में संदेह नहीं है पर यह आम आदमी की मेहनत का नतीजा है, इस मेहनत का बड़ा हिस्सा सरकार संतसेवा, गौसेवा, तीर्थसेवा या सेनासेवा में लगा देगी तो घरवाली के हाथ क्या आएगा?

आज रिहायशी मकानों की भारी कमी है, जबकि उन के दाम नहीं बढ़ रहे हैं. ऐसा इसलिए है कि लोगों के पास पैसा बच ही नहीं रहा. बदलते लाइफस्टाइल के बाद घरवाली इतना पैसा नहीं बचा पाती कि युवा होने के 10-15 साल में अपना खुद का घर खरीद सके. उसे किराए के दड़बों में अपनी स्टाइलिश जिंदगी जीनी पड़ रही है. औरतों को चुनावों में जीत के लिए लड़ाई में झोंक दिया गया तो यह एक और मार होगी.

पुराने राजा अपनी जनता से टैक्स वसूलने के लिए अकसर उन्हें साम्राज्य बनाने के लिए बलिदान के लिए उकसाते थे, लोगों को सेना में भरती कराते थे, ज्यादा काम करा कर टैक्स वसूलते थे और ज्यादा बंधनों में बांधते थे. आज भी कितने ही देशों में इस इतिहास को दोहराया जा रहा है.

औरतों को जो आजादी चाहिए वह शांति लाने वाली और कम जबरदस्ती करने वाली सरकार से मिल सकती है धर्मयुद्ध की ललकार लगाने वालों से नहीं. धर्म है तभी तो धंधा है औरतों की गुरुओं पर अपार श्रद्धा होती है और वे खुद को, पतियों को, बच्चों को ही नहीं सहेलियों को भी गुरुओं के चरणों के लिए उकसाती रहती हैं.

रजनीश, आसाराम, रामरहीम, रामपाल, निर्मल बाबा जैसों की पोल खुलने के बाद भी वे इन गुरुओं और स्वामियों की अंधभक्ति में लगी रहती हैं. अब औरतों की क्या कहें जब अरबों खरबों का व्यवसाय सफलतापूर्वक चलाने वाला रैनबैक्सी कंपनी का शिवेंद्र सिंह भी इसी तरह के गुरुकुल का सहसंचालक बन बैठा है और उसे धंधे की तरह चला रहा है, जहां सफेद कपड़े पहने हजारों भक्तिनें दिखती हैं.

शिवेंद्र की शिकायत और किसी ने नहीं उस के भाई और पार्टनर मानवेंद्र सिंह ने ही की है. पुलिस से अपनी शिकायत में मानवेंद्र सिंह ने कहा है कि राधा स्वामी सत्संग के मुख्य गुरु गुरिंद्र सिंह ढिल्लों और उस की वकील फरीदा चोपड़ा ने उसे जान से मारने की धमकी दी है. भाइयों की कंपनियों में बेईमानी के आरोप मानवेंद्र सिंह ने खुल कर लगाए हैं. पैसों को इधर से उधर करने का आरोप भी लगाया गया है.

राधा स्वामी सत्संग के संपर्क में आने के बावजूद शिवेंद्र सिंह शराफत का पुतला नहीं बना है. उस की कंपनियों को एक जापानी कंपनी को धोखे से बेचने पर 3,500 करोड़ का हरजाना देना भी अदालत ने मंजूर किया हुआ है. नकली दस्तखत तक करने के आरोप लगाए गए हैं.

सारे स्वामियों के आश्रम, डेरे, केंद्र इस तरह के आरोपों से घिरे हैं. इन स्वामियों का रोजाना औरतों को बलात्कार करना तो आम होता ही है, ये भक्तों का पैसा भी खा जाते हैं, सरकारी जमीन पर कब्जा कर लेते हैं, विरोधी को मार डालते हैं, विद्रोही कर्मचारियों को लापता तक कर देते हैं. फिर भी इन्हें भक्तिनों की कभी कमी नहीं होती.

आमतौर पर इन आश्रमों में भीड़ औरतों की ही होती है जो घरों की घुटन से निकलने के लिए गुरुओं की शरणों में आती हैं पर दूसरे चक्रव्यूहों में फंस जाती हैं. इन आश्रमों में नाचगाना, बढि़या खाना, पड़ोसिनों की बुराइयों के अवसर भी मिलते हैं. बहुतों को गुरुओं से या उन के चेलों से यौन सुख भी जम कर मिलता है. आश्रम में जा रही हैं, इसलिए घरों में आपत्तियां भी नहीं उठाई जातीं. भक्तिनें अपने घर का कीमती सामान तो आश्रमों में चढ़ा ही आती हैं, अपनी अबोध बेटियों को भी सेवा में दे आती हैं.

केरल का एक मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा था जहां एक 16 साल की लड़की को उस की मां खुद स्वामी को परोस आई थी कि इस से उस को पुण्य मिलेगा. शिवेंद्र सिंह और मानवेंद्र सिंह का विवाद जिस में राधा स्वामी सत्संग पूरी तरह फंसा है साफ करता है कि इस तरह के गुरुओं के गोरखधंधों को पनपने देना समाज के लिए सब से ज्यादा हानिकारक है.

अफसोस यह है कि इक्कादुक्का नेताओं को छोड़ कर ज्यादातर नेता भी इन गुरुओं के चरणों में नाक रगड़ते हैं, शिवेंद्र, मानवेंद्र सिंह और लाखों भक्तिनों की तरह. आप भी क्या ऐसी ही भक्तिन तो नहीं

भरोसा करें तो किस पर

वृद्धों की देखभाल करने में अब ब्लैकमेल और सैक्स हैरसमैंट से भी बेटों को जूझना पड़ सकता है. हालांकि, मुंबई का एक मामला जिस में 68 वर्षीय पिता के लिए रखी नर्स ने पिता की मालिश करते हुए वीडियो बनवा लिया और फिर उस वीडियो के सहारे 25 करोड़ रुपए की मांग कर डाली. भले अकेला ऐसा मामला सामने आया हो पर ऐसे और मामले नहीं होते होंगे, ऐसा नहीं हो सकता.

वृद्धों के लिए रखे गए नौकर अकसर शिकायत करते हैं कि वृद्ध उन से मारपीट करते हैं. यह कह कर वे नौकरी छोड़ने की धमकी दे कर बेटेबेटियों से पैसा भी वसूलते हैं. कुछ नौकरनौकरानियां धीरेधीरे शातिर बन कर पैसा वसूलने के बीसियों तरीके सीख लेते हैं. कामकाजी बेटेबेटियां वृद्ध मातापिता की जिद को पहचानते हैं, क्योंकि इस उम्र तक आते आते वृद्धों के मन में शंका भरने लगती है कि कहीं कोई उन्हें छोड़ न दे, किसी कागज पर दस्तखत न करा ले, कुछ लूट न ले. वे कभी उस नौकर या नौकरानी पर भरोसा करते हैं जो 24 घंटे उन के साथ होता है तो कभी 24 घंटे उस पर शक करते रहते हैं.

वीडियो बना कर ब्लैकमेल करना बहुत आसान है और अच्छे घरों के बेटेबेटियों के पास न तो माता पिता से पूछताछ करने की हिम्मत होती है और न ही वे बदनामी सहना चाहते हैं. वे पुलिस में चले जाएं तो भी खतरा बना रहता है कि घर के हर राज को जानने वाला नौकर या नौकरानी न जाने क्या क्या गुल खिलाए.

इस समस्या का आसान हल नहीं है. दुनियाभर में युवा बेटे बेटियों की गिनती घट रही है और वृद्धों की बढ़ रही है. अब तो यह बोझ पोतेपोतियों पर पड़ने लगा है. जब तक वृद्ध वास्तव में असहाय होते हैं तब तक पोते पोतियां युवा हो चुके होते हैं और उन्हें भी इन नौकर नौकरानियों से जूझना पड़ता है.

हमारे समाज ने पहले तो व्यवस्था कर रखी थी कि वानप्रस्थ आश्रम ले लो यानी किसी जंगल में जा कर मर जाओ पर आज का सभ्य, तार्किक, संवेदनशील व उत्तरदायी समाज उसे पूरी तरह नकारता है. वृद्धों को झेलना पड़ेगा, यह ट्रेनिंग तो अब बाकायदा दी जानी चाहिए. इस के कोर्स बनने चाहिए. यह समस्या विकराल बन रही है, यह न भूलें.

जानें पार्टी के ये डिफरेंट मेकअप टिप्स और पाएं अलग लुक

मौका कोई भी हो, महिलाओं को बस सजनेसंवरने का बहाना चाहिए. फिर जब बात शादी की हो तो मेकअप के बिना उन की सुंदरता में निखार ही नहीं आता. ब्राइडल मेकअप, पार्टी मेकअप और करैक्टिव मेकअप कैसे करें और किन बातों का ध्यान रखें बता रही हैं क्राइलोन की मेकअप ऐक्सपर्ट मेघना मुखर्जी.

ब्राइडल मेकअप: सब से पहले चेहरे को साफ कर सुखा लें. फिर हाई डैफिनेशन का माइक्रो प्राइमर लगाएं. अगर चेहरे पर दागधब्बे हों तो उन्हें छिपाने के लिए कंसीलर लगाएं. फिर चेहरे पर ब्रश को गोलगोल घुमा कर पौलिश करें. अब हाई डैफिनेशन की क्रीम पैलेट का प्रयोग करें. बेस न. 250, 340 और 130 नं. को मिक्स कर के लगाएं. फिर इस पर पाउडर लगाएं. एमएसपी 3 ट्रांसपेरैंट पाउडर ब्रश से लगाएं. इसे क्लाकवाइज व ऐंटीक्लाकवाइज लगाएं. फिर ब्रश में डार्क ब्राउन कलर ले कर नोज, चीक्स, फोरहैड और चिन की कंटोरिंग करें. बेस पूरा हो जाने पर आईज मेकअप करें.

ब्राइडल जूड़ा चोटी: दुलहन की खूबसूरती में मेकअप के बाद हेयरस्टाइल भी बेहतर होना बहुत जरूरी है, क्योंकि हेयरस्टाइल से ही दुलहन का परफैक्ट लुक आता है. ब्राइडल हेयरस्टाइल की जानकारी दे रही हैं हेयरस्टाइलिस्ट रूबी महाजन.

ब्राइडल हेयरस्टाइल: सब से पहले इयर टू इयर बालों का एक भाग बनाएं. पीछे के बालों की एक पोनी बनाएं. इयर टू इयर भाग से एक रैडियल सैक्शन लें और क्राउन एरिया में आर्टिफिशियल बन लगा कर पिन से सैट करें. फिर रैडियल सैक्शन के बालों की 1-1 लट ले कर बैककौंबिंग कर स्प्रे करें. इन बैककौंबिंग के बालों का ऊंचा पफ बनाएं और पीछे पिन से सैट करें. दोनों साइड के बालों में भी स्प्रे कर पोनी के ऊपर ही सैट करें. अब पोनी पर आर्टिफिशियल लंबी चोटी लगाएं. पोनी के ऊपर गोल आर्टिफिशियल बड़ा सा बन लगाएं. आर्टिफिशियल बालों से 1-1 लट ले कर बन के ऊपर पिन से सैट करें. फिर उन बालों की नौट बना कर बन पर ही बौब पिन से सैट करें.

ऐसे ही एक चोटी से 3 नौट जूड़े की एक तरफ राउंड में तो दूसरी तरफ भी वैसे ही नौट लगाएं. अब जूड़े की साइड में एक और चोटी साइड में लगाएं. अब जूड़े से ले कर पूरी चोटी तक ऐक्सैसरीज लगाएं. आगे फंट पर भी ऐक्सैसरीज लगाएं.

पार्टी मेकअप: फेस को क्लीन कर के मौइश्चराइजर लगाएं. फिर अल्ट्रा अंडर बेस लगाएं. इसे किसी भी सीजन में लगा सकती हैं. अब बेस ओबी3 व ओबी1 मिक्स कर के लगाएं. अच्छी तरह मर्ज कर के फेस पर ब्रश से पाउडर लगाएं. अब चेहरे की कंटूरिंग के लिए ओडीएस4 कंटूरिंग कलर ले कर नोज, चीक्स, फोरहैड व चिन पर कंटूरिंग करें. फिर टीएल11 ब्रश से ट्रांसलूशन पाउडर पूरे चेहरे पर लगाएं.

चीक्स मेकअप: गालों को उभारने और खूबसूरत दिखाने के लिए ग्लैमर ग्लो पैलेट से ब्लशर लगाएं. इस से गाल शाइन के साथसाथ सुंदर भी दिखते हैं और चेहरे को देते हैं  बेहतर लुक.

आई मेकअप: सब से पहले शैडो प्राइमर लगाएं. फिर सिमरिंग विजन पैलेट से गोल्ड ब्रौंज कलर साइड में लगा कर आईबौल्स के सैंटर में पिंक कलर का शैडो लगाएं. फिर शैडो को अच्छी तरह ब्लैंड करें. आंखों के कौर्नर्स पर मेटैलिक पैलेट से ब्लू कलर ले कर लगाएं. आंखों के नीचे वाले एरिया में ब्लू कौपर शैडो थ्रीफ्रोर्थ लगाएं. लिविंग कलर सिल्क गोल्ड से हाईलाइट करें. फिर मर्ज करें. जहां क्रीमी शैडो लगाया है वहां पाउडर शैडो लगाएं. आईज के नीचे भी पाउडर शैडो लगाएं. आईब्रोज को ब्रश द्वारा ब्राउन शैडो से शार्प करें. फिर आर्टिफिशियल आईलैशेज लगाएं या टीवीजेड का लैशेज लें. यह बेहतर होता है. सूखने पर इस पर केक लाइनर में सेल सीलर मिक्स कर के लगाएं, ग्लिटर लगा कर कौपर मसकारा लगाएं.

लिप मेकअप: लिप्स को खूबसूरत आकार देने के लिए पहले उन्हें अच्छी तरह साफ कर लें. फिर लिपस्टिक में 2 बूंद सेल सीलर डाल कर होंठों पर लगाएं. फिर इस पर ग्लौस लिपस्टिक लगाएं. यह लिप्स पर ज्यादा देर तक टिकी रहेगी.

हेयरस्टाइल: बालों में अच्छी तरह कंघी कर के बीच की मांग निकाल लें. फिर आगे से इयर टू इयर पार्टिंग करें. पीछे के बालों की पोनी बनाएं. फिर आगे से बौक्स एरिया की पार्टिंग कर उन बालों की पीछे से खजूरी चोटी बनाएं. अब इस खजूरी चोटी का पफ बनाएं. पोनी को लपेट कर जूड़ा बनाएं फिर आर्टिफिशियल बाल लगाएं. उन पर नैट लगा कर आर्टिफिशियल ऐक्सैसरीज से सजाएं.

करैक्टिव मेकअप: चेहरे को अच्छी तरह साफ कर लें. फिर चेहरे के डार्क सर्कल्स पर औरेंज कलर कंसीलर डी-30 लगाएं और मर्ज करें. कंसीलर 9632 ब्रश से ही लगाएं. फिर पूरे चेहरे पर प्राइमर लगाएं. जिस दिशा में स्किन के बाल हैं उसी दिशा में ब्रश लगाएं. फिर कंटूरिंग कलर लगाएं. ये डी-4, डी-5, डीएफडी-डी3 डीजे2 है. पाउडर पी3 पी5 को मिला कर डैब करें. फिर इस पर बेस कलर लगाएं. डीएफडी, डी5 को मिक्स कर के इस में डी 68 मेकअप ब्लैंड की एक बूंद डाल कर बेस को सौफ्ट करें. फिर लिक्विड बना कर लगाएं. बेस को डैबडैब कर के ब्रश से लगाएं. बेस के बाद डर्मा पाउडर डी-3, डी-5 का मिक्सचर ब्रश से लगाएं. डीजे2 कंटूरिंग कलर से नोज की कंटूरिंग करें. टीवी ब्राउन आईशैडो पाउडर से चीक्स, नोज व जौ लाइन की कंटूरिंग करें.

आई मेकअप: आईज मेकअप के लिए आईशैडो प्राइमर की 1 बूंद लगाएं. इसे उंगलियों से लगाएं ताकि ब्लैंडिंग अच्छी हो. आईब्रोज हमेशा हाईरेस्ट पौइंट पर ब्रश नं. 980 से कलर लगाते हुए अंदर की तरफ आएं. फिर हाईलाइटर क्रीम थ्रीफोर्थ लगाएं. फिर आईबौल्स से ले कर नीचे तक चौकलेटब्राउन कलर लगाएं. अब ब्लैक पैंसिल से कौर्नर पर शैडो लगाएं और अच्छी तरह ब्लैंड करें. अब इसे मैट आईशैडो से जहां हाईलाइट किया था दबाएं. फिर जहां चौकलेटब्राउन कलर लगाया था वहां डार्क ब्राउन कलर का शैडो लगाएं. अब ब्लैक पैंसिल से कौर्नर पर थोड़ा सा शैडो लगा कर ब्लैंड करें. आईज के नीचे वाटर लाइन एरिया में काजल पैंसिल से थ्रीफोर्थ काजल लगाएं. अब ब्रश से डार्क ब्राउन व चौकलेट कलर काजल एरिया के बाहर लगाएं.

फिर केक आईलाइनर में सेल सीलर मिला कर लगाएं. बाहर की तरफ मोटा और अंदर की तरफ पतला लाइनर लगाएं. फिर मसकारा लगा कर वीवा का लीची हाईलाइटर लगाएं. ब्लशर पीच कलर का तो लिपस्टिक पिंक कलर की लगाएं.

फिल्म रिव्यू : मर्द को दर्द नही होता

फिल्म- ‘‘मर्द को दर्द नही होता”

रेटिंगः ढाई स्टार

डायरेक्टर: वासन बाला

एक्टर्स: अभिमन्यु दसानी, राधिका मदान, गुलशन देवैय्या और महेश मांजरेकर

‘‘पेडलर्स’’ जैसी फार्मूला फिल्म के बाद फिल्मकार वासन बाला एक बार फिर फार्मूला फिल्म ‘‘मर्द को दर्द नहीं होता’’ लेकर आए हैं. इस फिल्म में उन्होने कहानी का केंद्र एक ऐसे पुरुष को बनाया है,  जिसे ‘कांजिनेटियल इंनसेंसिटीविटी टू पेन’ नामक गंभीर बीमारी से ग्रसित होने के कारण शरीर में दर्द का अहसास ही नहीं होता. इस फैंटसी कहानी में बुराई पर अच्छाई की जीत की कहानी भी है. मगर फिल्म में फिल्म के हीरो की बजाय हीरोइन ज्यादा खतरनाक एक्शन करते हुए नजर आती है. कई सीन्स में तो हीरो सूर्या डरपोक और हीरोइन सुप्रि बेखौफ नजर आती है. जबकि पूरी फिल्म में सूर्या का तकिया कलाम है- ‘‘दिमाग को सन्न कर देने वाली हर कहानी के पीछे बहुत बुरे फैसले होते हैं.’’

कहानी…

फिल्म ‘‘मर्द को दर्द नही होता’’ की कहानी मुंबई के लड़के सूर्या (अभिमन्यु दसानी) की है. सूर्या को ‘कांजिनेटियल इंनसेंसिटीविटी टू पेन’ नामक गंभीर बीमारी है, जिसका डाक्टरों के पास कोई इलाज नही है. इस बीमारी के चलते उसे दर्द नहीं होता, फिर उसे चाहे जितनी चोट लगती रहे. सूर्या के नाना (महेश मांजरेकर) बार बार उसे एक्शन फिल्में दिखाकर दर्द का अहसास कराते रहते हैं. जिससे आम लोग उसे एक आम लड़के की तरह माने. मगर सूर्या के पिता जतिन (जिमित त्रिवेदी ) नहीं चाहते कि सूर्या घर से बाहर निकले. उधर सूर्या बचपन से ही सौ लोगों को हराने वाले दिव्यांग कराटे मैन मणि (गुलशन देवैय्या) का फैन है और उसकी तमन्ना इस कराटे मैन से मिलने की है. जिसके बाद वह भी उसी की तरह ताकतवर बनकर पाप को जलाकर राख कर सके. सूर्या की बचपन की दोस्त है सुप्रि (राधिका मदान) जो कि हर मुसीबत के समय सूर्या की मदद करती रहती है. लेकिन सूर्या की शरारतों के कारण सूर्या और सुप्रि अलग हो जाते हैं. कुछ सालों बाद सूर्या को कराटेमैन का पता मिलता है, जब वह वहां पहुंचता है, तो उसकी मुलाकात फिर से सुप्रि से होती है और यहीं पर वो पहली बार विलेन जिमी (गुलशन देवैय्या) से मिलता हैं. मणि और जिमी दोनो भाई हैं. लेकिन जिमी एक अपराधी है. इसके बाद एक्शन सीन्स के साथ कहानी तेजी से आगे बढ़ती है.

स्टोरी और डायरेक्शन…

पटकथा लेखक के तौर पर वासन बाला को थोड़ी और मेहनत करनी चाहिए थी. इंटरवल से पहले कहानी कंफ्यूज करने के साथ बहुत धीमी रफ्तार से आगे बढ़ती है, जबकि इंटरवल के बाद जैसे ही सूर्या, सुप्रि और मणि का जिमी के साथ टकराव शुरू होता है, वैसे ही एक्शन सीन्स के साथ कहानी तेज गति से आगे बढ़ती है. पटकथा लेखक के तौर पर वासन बाला ने एक्शन के बीच में भी कुछ अच्छे कौमेडी सीन्स डाले हैं. लेखक और निर्देशक वासन बाला ने सुप्रि के प्रेमी अतुल के किरदार को जबरन जोड़ा है. अतुल के किरदार की वजह से कहानी भटकने के साथ ही फिल्म भी लंबी हो गयी है. एडीटिंग टेबल पर इसे कसने की जरुरत थी. तर्क की कसौटी पर कसेंगे,  तो फिल्म पसंद नहीं आएगी. हालांकि, फिल्म के कैमरामैन जय पटेल अपने बेहतरीन काम के लिए बधाई के पात्र हैं.

एक्टिंग…

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो अभिमन्यु दसानी बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं करते हैं. उन्हे अभी मेहनत करने की जरुरत है. कई सीन्स में उनके चेहरे पर भाव ही नही आते. मगर राधिका मदान ने बेहतरीन एक्टिंग की है. दोहरी भूमिका में गुलशन देवैय्या ने कमाल का काम किया है. नाना की भूमिका में महेश मांजरेकर ठीक ठाक हैं.

दो घंटे 17 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘मर्द को दर्द नहीं होता’’ का निर्माण रौनी स्क्रूवाला, लेखक व निर्देशक वासन बाला, संगीतकार करण कुलकर्णी व दीपांजना गुहा है.

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