‘बेटो को पढाओं और ना समझे तो थप्पड़ लगाओं’ का नारा होना चाहिए : मौनी रौय

साल 2007 में धारावाहिक ‘क्योंकि सांस भी कभी बहू थी’ में कृष्णा तुलसी की भूमिका निभाकर चर्चित हुई अभिनेत्री मौनी रौय पश्चिम बंगाल के कूचबिहार की हैं. उन्हें बचपन से ही कुछ अलग करने की इच्छा थी, जिसमें उनके माता-पिता ने भरपूर सहयोग दिया. उनके दादाजी एक थिएटर आर्टिस्ट थे, जिनसे मौनी काफी प्रभावित थीं. धारावाहिक ‘नागिन’ उसकी सबसे सफल शो रहा, जिससे वह घर-घर में पहचानी गयी. मौनी का रुझान बचपन से स्केचिंग, पेंटिंग और डांस में रहा. वह एक प्रशिक्षित कत्थक डांसर हैं. यही वजह है कि उन्होंने कई डांस रियलिटी शो में भाग लिया और पुरस्कार भी जीता.

मौनी का फिल्मी सफर फिल्म ‘गोल्ड’ से शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने अक्षय कुमार की पत्नी की भूमिका निभाई थी. अभी उनकी दूसरी फिल्म रोमियो, अकबर, वाल्टर (रौ) रिलीज पर है, जिसे लेकर वह बहुत खुश हैं. हंसमुख और विनम्र मौनी से बात हुई, पेश है कुछ अंश.

इस फिल्म को करने की खास वजह क्या है?

इसकी कहानी ने मुझे बहुत प्रेरित किया और मैं ऐसी फिल्म का हिस्सा बनना हमेशा से चाहती थी, क्योंकि ऐसे गुमनाम वीरों की कहानी को हमेशा कहने की जरुरत होती है, जिसे लोग नहीं जानते. हमारी सुरक्षा में लगे ऐसे वीरों की कहानी में शामिल होना मेरे लिए गर्व की बात है.

क्या कोई खास तैयारी करनी पड़ी ?

मैंने इस पर रिसर्च वर्क पूरी तरह से किया है और उनके काम को समझने की कोशिश की है. वे उस समय कैसे बात करते थे और उनकी चल चलन क्या थी आदि पर काम किया, बाकी निर्देशक रोब्बी ग्रेवाल ने काफी सहयोग दिया है.

टीवी से फिल्मों में आईं, दोनों में क्या फर्क महसूस करती हैं?

माध्यम अभिनय में कोई मायने नहीं रखता. फिल्म हो या टीवी दोनों में ही चरित्र के अनुसार अभिनय करना पड़ता है. टीवी से फिल्मों में आना मेरे लिए कोई बड़ी बात नहीं थी, क्योंकि मैं टीवी पर अच्छा काम कर रही थी, ऐसे में मुझे फिल्म ‘गोल्ड’ मिली और मैंने तब उसे करना ही बेहतर समझा और मैंने किया.  मैंने कई बार सोचा कि मैं इस फिल्म के बाद दोबारा टीवी पर चली आउंगी, लेकिन फिल्म ‘ब्रह्मास्त्र’, रोमियो, अकबर, वाल्टर (रौ), ‘मेड इन चाइना’ आदि कई फिल्में मिली, तब मैंने इसमें ही रहना उचित समझा. पहले भी फिल्मों के औफर आते थे, पर उतनी अच्छी फिल्में नहीं मिल रही थी, जिससे मैं टीवी को छोड़ सकूं, क्योंकि टीवी मेरा घर है, जहां से मैंने अभिनय को सीखा है.

क्या आप फिल्मों का चयन करते समय अपने किरदार की अहमियत को भी देखती हैं?

हां अवश्य देखती हूं, क्योंकि कई बार एक छोटी सी भूमिका भी फिल्म के लिए काफी प्रभावशाली होती है और मैं ऐसी भूमिका में काम करना पसंद करती हूं.

फिल्म ‘ब्रह्मास्त्र’ में आप नकारात्मक भूमिका निभा रही हैं, क्या आपको नहीं लगता कि आप टाइपकास्ट की शिकार हो सकती हैं?

नकारात्मक चरित्र अगर आपको अच्छा और चुनौतीपूर्ण लगे, उसकी अहमियत फिल्म में है तो उसे करने में मुझे कोई समस्या नहीं, क्योंकि मुझे हर तरह की भूमिका निभाना पसंद है.

जौन अब्राहम के साथ काम करने के अनुभव क्या थे?

जौन एक अनुभवी कलाकार हैं. उनसे उनकी सादगी और काम करने के तरीके मुझे बहुत अच्छे लगे. जब आप एक बड़े कलाकार के साथ काम करते हैं, तो उनसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है.

टीवी पर फिर से काम करना पसंद करेंगी?

समय मिले और अच्छी स्क्रिप्ट मिलने पर अवश्य काम करूंगी. अभी मेरी कई फिल्में आगे आने वाली है, जिसकी शूटिंग कर रही हूं.

कूचबिहार से मुंबई तक आप पहुंच चुकी हैं, इसे आप कैसे देखती हैं?

मैं अपनी जर्नी से बहुत खुश हूं. कूचविहार से दिल्ली और फिर मुंबई, ये सब बहुत मुश्किल था, क्योंकि एक दौर ऐसा था, जब मैं कुछ भी नहीं थी और एकता कपूर ने मुझे काम दिया, मुझपर विश्वास रखा. धारावाहिक ‘नागिन’ मेरी सबसे चर्चित और बड़ा शो रहा, जिसने मुझे पहचान दी और आज मैं यहां तक पहुंची हूं. इसके अलावा मेरा परिवार और मेरे दोस्त, जिन्होंने कभी मुझे नकारात्मक सोचने पर मजबूर नहीं किया और मुझे अच्छा काम मिलता गया. मैं आज भी हर दिन सुबह उठकर काम करना पसंद करती हूं.

क्या आपका कोई ड्रीम प्रोजेक्ट है?

मैं अपने दिल से चाहती हूं कि कोई हिस्टोरिकल, म्यूजिकल डांस वाली फिल्म बने, जिसमें मैं अभिनय के साथ-साथ कत्थक करूं.

क्या कोई सोशल वर्क आप करती हैं?

मैं सोशल वर्क करती हूं, लेकिन इतना जरुर कहना चाहती हूं कि हमारे देश में खासकर छोटे शहरों और गांव के लड़कों को एजुकेट करना बहुत जरुरी है, जहां वे महिलाओं का सम्मान करना सीखें. मैं एक छोटे शहर से हूं, जहां मैंने पुरुष प्रधान समाज को देखा है. लोग ‘बेटी बचाओं बेटी पढाओं’ का नारा लगाते रहते हैं, जबकि ये नारा ‘बेटों को पढाओं और ना समझे तो थप्पड़ लगाओं’ होना चाहिए.

सोने से पहले भूल कर भी न खाए ये 6 चीजे

पहले कई स्टडीज में ये बात सामने आ चुकी है कि देर रात खाना खाने से अनिद्रा, वजन बढ़ने जैसी गंभीर स्वास्थ समस्याएं होती हैं. पर इसके बाद भी बहुत से लोग देर रात में कुछ ना कुछ खाते रहते हैं. खाना तब ही सेहत के लिए असरदार होता है जब उसे सही समय पर खाया जाए. फायदेमंद चीजों को भी अगर गलत वक्त पर खाया जाए तो सेहत पर उनका असर उल्टा होता है.

इस खबर में हम आपको उन 6 चीजों के बारे में बताने वाले हैं जिनका रात के वक्त में सेवन सेहत के लिए बेहद हानिकारक होता है.

आइसक्रीम

बहुत से लोग रात में आइसक्रीम खाने के शौकीन होते हैं. आइसक्रीम में वसा की मात्रा अधिक होती है. देर रात इसे खाने से एसिडिटी बनती है.

फ्रेंच फ्राइज

तले हुए क्रिस्पी फ्रेंच फ्राइज सभी के पसंदीदा होते हैं. पर स्वास्थ पर इनका असर बेहद खराब होता है. खास कर के रात के वक्त फ्रेंच फ्राइज या आलू चिप्स का सेवन करने से बचें. इनके सेवन से स्वास्थ की गंभीर समस्याएं और सेहत पर बुरा असर होता है.

चाय

बहुत से लोग सोने से पहले चाय का सेवन करते हैं. पर क्या आपको इससे होने वाले स्वास्थ नुकसानों के बारे में पता है? सभी प्रकार के चायों में कैफीन होता है, ये आपकी नींद के लिए बेहद हानिकारक होते हैं.

चौकलेट

किसे चौकलेट पसंद नहीं होगा. पर आपको ये जान कर हैरानी होगी कि रात में इसका सेवन सेहत के लिए हानिकारक होता है. इसमें कैफीन की मात्रा होती है जो आपकी नींद में खलल डालती है.

सोडा ड्रिंक्स

सोडा डिंक्स में भारी मात्रा में कैलोरी होती है. इसे पीने से सेहत का काफी नुकसान होता है. देर रात इसका सेवन करने से सेहत का काफी नुकसान होता है.

पिज्जा

जब भी लोगों को अधिक भूख लगी रहती है वो पिज्जा खाना पसंद करते हैं.  पर इसका सेवन करते वक्त सावधान रहें. पिज्जा में भारी मात्रा में फैट मौजूद होता है. इससे आपका पाचनतंत्र बुरी तरह से प्रभावित होता है.

होली विशेष : भांग पैनाकोटा

सामग्रीः

– 1 कप हैवी क्रीम

– डेढ़ कप गाढा दूध

– 1 तेज पत्ता

– 1/4 कप फ्रोजन या ताजा पकी कतरी हुई भांग की पत्तियां (फ्रोजन होने पर इसका अधिक से अधिक       पानी बाहर निकल जाता है)

– बड़ी चुटकी ताजा पिसा जायफल

– 2 चम्मच जिलेटिन पाउडर

– 1/2 चम्मच नमक

– ताजी पिसी मिर्च

बनाने की विधिः

– क्रीम, 1/2 कप दूध मिलाएं और कम आंच पर एक उबाली लें.

– जैसे ही यह उबलने लगे, आंच बंद कर दें और इसे 15 से 20 मिनट तक घुलने दें.

– एक ब्लेंडर में 3/4 कप दूध, भांग और जायफल को मिलाएं और चिकना होने तक फेंटे.

– एक छोटे कटोरे में शेष 1/4 कप दूध डालें, ऊपर से जिलेटिन छिड़कें और इसे लगभग 5 मिनट तक       नरम  होने दें.

– जिलेटिन और दूध को घुली क्रीम में डालें और धीरे-धीरे हिलाते हुए धीमी आंच पर गर्म करें, जब तक   जिलेटिन गायब न हो जाए.

– स्वाद के लिए  मिश्रण को एकमेक कर लें, नमक और काली मिर्च को डालें.

– एक अच्छी जालीदार छलनी में मिश्रण को दबा-दबा कर छान लें.

– चार रेमकिन यानी कांच या सिरेमिक की छोटी बाउल में भर कर रख दें.

– सेट होने तक कई घंटों तक फ्रिज करें.

– अनमोल्ड करने के लिए, लगभग 10 सेकंड के लिए गर्म पानी के कटोरे में रेमिकन को डुबोएं और   प्रत्येक  पैनाकोटा को अपनी प्लेट पर पलट लें.

धर्म है औरतों से हिंसा का कारण

क्या आप ने कभी देखा है कि कबूतर और कबूतरी आपस में लड़ पड़े या हाथी ने अपनी हथिनी को पीटपीट कर मार डाला या मोर मोरनी से लड़ा या शेर अपनी शेरनी से लड़ा? नहीं, आप ने कभी यह नहीं सुनादेखा होगा, क्योंकि प्रकृति की इन जातियों का काम एकदूसरे को प्यार देना है, सहवास करना और उस के फलस्वरूप संतान उत्पन्न करना है. लाखों सालों से धरती का प्रत्येक जीव प्रकृति के इस नियम का पालन करता हुआ अपना जीवनचक्र पूरा कर रहा है. इस धरती पर सिर्फ हम इंसान ही हैं जो प्रकृति के इस नियम की धज्जियां उड़ाते हैं, अपनी मादाओं को मारतेपीटते और पूरा जीवन उन का शोषण करते हैं.

गैरसरकारी संगठन सहज और इक्वल

मेजर्स 2030 द्वारा महिलाओं पर किया गया एक सर्वेक्षण भारत के आधुनिक और विकसित चेहरे पर किसी तमाचे से कम नहीं है. वडोदरा की इन 2 संस्थाओं ने अपने सर्वेक्षण में पाया है कि भारत में करीब एक तिहाई शादीशुदा महिलाएं पतियों के हाथों पिटती हैं, मगर इन में से ज्यादातर को इस से कोई खास शिकायत भी नहीं है. वे इसे अपनी नियति मान चुकी हैं.

शर्मनाक है कि भारत में 15 से 49 साल के आयुवर्ग की महिलाओं में से करीब 27 फीसदी 15 साल की उम्र से ही घरेलू हिंसा बरदास्त करती आ रही हैं. मायके में पिता और भाई के हाथों और ससुराल में पति के हाथों पिट रही हैं.

हाल में ‘मीटू’ आंदोलन ने पढ़ीलिखी, ऊंचे ओहदों पर काम करने और आधुनिक कहलाने वाली औरतों की मजबूरी, त्रासदी और दुर्दशा का जो नंगा सच सामने रखा है, उसे देखते हुए अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस देश की कम पढ़ीलिखी, आर्थिक रूप से बेहाल, मजबूर, गांवदेहातों में रहने वाली औरतें पुरुष समाज के हाथों किस कदर अपमान, हिंसा, प्रताड़ना और शोषण का सामना कर रही हैं.

औरत से ही हिंसा क्यों

आखिर हिंसा का शिकार औरत ही क्यों होती है? वही क्यों पिटती है? उस का ही क्यों शारीरिक और मानसिक शोषण होता है? औरत को पीट कर उसे अपने काबू में रखने की रवायत आखिर इस धरती पर कब और कैसे शुरू हो गई? इंसान के अलावा कौनकौन से जीव हैं, जो अपनी मादाओं को पीटते हैं या उन का शोषण करते हैं?

इन सवालों के जवाब ढूंढ़ने के लिए हमें अन्य जीवों के व्यवहार और मानवजाति के हजारों साल पहले के इतिहास को खंगालना होगा. साथ ही प्रकृति के नियमों को भी समझनाबूझना होगा.

इस धरती पर मुख्यतया 2 ही जातियां हैं- नर और मादा. इस के अलावा जो तीसरी जाति है वह है- संकर. मनुष्य के रूप में देखें तो इस जाति को कहते हैं हिजड़ा या किन्नर यानी जिस में नर और मादा दोनों के गुण मिलते हैं. बाकी दोनों जातियों के मुकाबले इन की संख्या बहुत कम है. नर और मादा जाति में से इस धरती पर एक भी अनुपस्थित हुआ तो सृष्टि समाप्त हो जाएगी. यानी दोनों ही जीवन को गतिमान रखने के लिए समानरूप से महत्त्वपूर्ण हैं. यह बात इस धरती पर निवास कर रहे छोटे से ले कर बड़े आकार के जीव के लिए सत्य है.

नर और मादा ये दोनों जातियां इस धरती पर जीवन की निरंतरता को बनाए रखने का माध्यम हैं. यही इन का मुख्य कार्य है. लिहाजा, इन के बीच हमेशा एकदूसरे के प्रति आकर्षण होता है. दोनों ही जातियां चूंकि एकदूसरे की पूरक हैं, लिहाजा ये सदैव इस कोशिश में रहती हैं कि अपने आकर्षण में दूसरे को बांधे रखें, एकदूसरे के प्रेम में समाहित रहें, प्रकृति के नियम को पूरा करें ताकि नए जीवन को धरती पर आने का अवसर मिल सके.

ऐसा नहीं है कि धरती पर मौजूद दूसरे जीवों के बीच लड़ाई नहीं होती. जरूर होती है, मगर उस लड़ाई का कारण क्या है? जीव यदि आपस में लड़ते हैं तो उस का कारण होता है- भोजन. आखिर जीवन को आगे बढ़ाने के प्रकृति के नियम को पूरा करने के लिए भोजन भी आवश्यक है. लिहाजा, अन्य जीवों के बीच अगर लड़ाई होती भी है, तो वह शिकार के लिए होती है.

सहवास करने वाले नरमादा आपस में कभी नहीं लड़ते. वे लड़ते हैं दूसरे जीवों से. हर प्राणी अपना और अपने बच्चों का पेट भरने के लिए भोजन की तलाश में रहता है. जंगल में एक नर दूसरे नर से लड़ता है ताकि उस से भोजन छीन कर अपनी मादा और बच्चों का पेट भर सके. मादा को पाने के लिए भी एक नर दूसरे नर से लड़ता है. कभीकभी दूसरे को मार भी डालता है, मगर अपनी मादा से कतई नहीं लड़ता. मगर मनुष्य सब से ज्यादा अपने घर की औरत से ही लड़ता है.

पुरुष की क्रूरता

23 साल पहले दिल्ली में हुए तंदूर कांड को कौन भूल सकता है. मानव जीवन के इतिहास में पहली बार यह देखा गया कि पुरुष के क्रोध, घृणा, अमानवीयता, क्रूरता की पराकाष्ठा यह कि एक औरत को तंदूर में डाल कर भून दिया गया. सुशील शर्मा नाम के हाइली ऐजुकेटेड और यूथ कांग्रेस के प्रैसिडैंट ने उस स्त्री को तंदूर में डाल कर भून डाला, जिस से उस ने प्रेम किया था, जिस के साथ सहवास किया था और जो उस की पत्नी थी. नैना साहनी हत्याकांड की तपिश से तब पूरा देश तपने लगा था.

सुशील शर्मा ने पहले अपनी पत्नी नैना को गोली मारी, फिर उस की लाश एक पौलिथीन में भर कर अपनी कार में डाल कर दिल्ली की सड़कों पर घूमता फिरा. कोशिश की कि यमुना नदी के पुल से वह लाश यमुना में डाल सके, मगर लोगों की भीड़ की वजह से वह ऐसा नहीं कर पाया. फिर उस ने अपनी कार कनाट प्लेस में अपने रेस्तरां की ओर मोड़ दी.

रेस्तरां में कुछ लोग खाना खा रहे थे. उस ने अपने मैनेजर केशव से रेस्तरां बंद करवाने को कहा. केशव ने रेस्तरां बंद कर के सभी कर्मचारियों को भेज दिया. इस के बाद सुशील ने केशव को बताया कि उस की कार की डिग्गी में एक लाश है, जिसे तंदूर में डाल कर ठिकाने लगाना है. उस ने केशव को यह नहीं बताया कि यह लाश उस की प्रिय पत्नी नैना की है. पुरुष के इस भयावह चेहरे की कल्पना ही रूह कंपाने के लिए काफी है.

तंदूर का मुंह छोटा था, लिहाजा पूरी लाश उस में नहीं जा सकती थी. तब केशव और सुशील शर्मा ने मिल कर नैना की लाश को टुकड़ों में काटा. जब तंदूर की आग मंद पड़ने लगी और लाश के टुकड़े पूरी तरह नहीं जले तो उस में ढेरों मक्खन डाला गया. आग भड़क उठी और धुएं का गुबार उठा.

रेस्तरां के बाहर फुटपाथ पर सो रही सब्जी बेचने वाली अनारो ने रेस्तरां की चिमनी से निकलते तेज धुएं को देख कर समझा कि रेस्तरां में आग लग गई है और उस ने शोर मचा दिया. पास में ही गश्त कर रहे दिल्ली पुलिस के सिपाही अब्दुल नजीर गुंजू के कानों में शोर पड़ा तो भीड़ के साथ वह भी रेस्तरां की तरफ दौड़ पड़ा और इस तरह सामने आई एक पुरुष के वहशीपन की वह रोंगटे खड़े कर देने वाली कहानी जो सालों तक सुनी और सुनाई जाती रहेगी.

पुरुष समाज के अत्याचारों की ऐसी अनगिनत कहानियां हैं. चाहे वह जेसिका लाल मर्डर हो, प्रियदर्शिनी मट्टू केस हो या फिर निर्भया का बलात्कार और वीभत्स मौत का

मंजर, कहना गलत न होगा कि पुरुष जैसा क्रूर और दुष्ट प्राणी दुनिया की किसी दूसरी प्रजाति में नहीं मिलेगा.

मर्द क्यों बना दरिंदा

आखिर यह विकृत मनोवृत्ति कब पैदा हुई? किस ने पैदा की? क्यों पैदा की? वह कौन सा कारक रहा जिस ने मर्द को औरत के ऊपर हावी कर दिया? स्वयं को औरत से श्रेष्ठ समझने का भाव कब और कैसे पुरुष के डीएनए में भर गया, जबकि प्रकृति ने तो दोनों को एकदूसरे का पूरक बनाया था, एकदूसरे का प्रेमी और साथी बनाया था, प्रतिस्पर्धी नहीं.

दरअसल, औरतों के उत्पीड़न का खेल शुरू हुआ हजारों साल पहले, जब धरती पर धर्म ने अपने पैर पसारने शुरू किए. धर्म को फैलाने वालों ने इंसान और इंसान के बीच लड़ाइयां करवाई. ज्यादा से ज्यादा जमीन पर अपने अनुयायियों और अपने विचारों को फैलाने के लिए उन्होंने भीषण युद्ध करवाए. ईश्वर जैसी अदृश्य शक्ति को गढ़ा और अपनी बात मनवाने के लिए प्रकृति के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए उन्होंने कमजोरों पर जुल्म ढाने शुरू कर दिए.

विरोधियों की स्त्रियों को जबरन उन से छीन लिया. उन से जबरन शारीरिक संबंध बनाए. नाजायज बच्चे पैदा किए. बस यहीं से धरती पर जीवन की निरंतरता को बनाए रखने वाले एकदूसरे के पूरक स्त्री और पुरुष के बीच कड़वाहट के बीज पड़ने शुरू हो गए. यहीं से पुरुष के डीएनए में क्रूरता का समावेश हुआ और स्त्री में भय का.

धर्म ने छीना मानव का नैसर्गिक गुण

धर्म ने मानवजाति का कभी उत्थान नहीं किया, बल्कि उस के नैसर्गिक गुणों को उस से छीन लिया. धर्म की उत्पत्ति के साथ ही मनुष्य इस धरती पर पाए जाने वाले अन्य सभी प्राणियों से भिन्न हो गया. प्रकृति के नियमों की अवहेलना करने लगा. यहां तक कि पुरुष खुद को इतना श्रेष्ठ समझने लगा कि प्रकृति के विनाश पर ही उतारू हो गया.

कालांतर में क्रूरता, भय, क्रोध, विनाश, अपमान, शोषण, प्रताड़ना जैसे तमाम गुण उस के डीएनए में गहरे समाहित होते चले गए. आज अगर वह खुद को औरत से श्रेष्ठ समझ कर उसे उत्पीड़न की वस्तु मानता है तो इस का जिम्मेदार है धर्म.

बचपन में हम ने एक कहानी सुनी थी. सत्यवान और सावित्री के प्यार की. सत्यवान मर जाता है. यमराज जब उस की आत्मा को ले कर जाने लगता है तो सावित्री दूर तक यमराज का पीछा करती है और अपनी बातों से उस को पछाड़ कर अपने पति सत्यवान की आत्मा को वापस उस के शरीर में ले आती है. सत्यवान जी उठता है. लेकिन हम ने कभी कोई ऐसी कहानी नहीं सुनी कि किसी पति ने अपनी पत्नी के लिए ऐसा किया हो. ये कहानियां धर्म की रची हुई हैं. धर्म ने स्त्री को बताया कि यह काम सिर्फ तुम्हारा है, पुरुष का नहीं.

लाखों वर्षों से स्त्रियां ही पुरुषों के ऊपर अपना सबकुछ लुटा रही हैं. युद्ध में पति की मौत पर पत्नी उस की लाश के साथ जीवित जल कर सती होती रही है. ऐसा करने के लिए उसे धर्म ने बाध्य किया. कभी ऐसा सुना कि कोई पति भी पत्नी के लिए सती हो गया हो? सारा नियम, सारी व्यवस्था, सारा अनुशासन पुरुष ने पैदा किया है. धर्म के नाम पर पैदा की गई हैं ये बातें.

यह धर्म स्त्री पर पुरुष द्वारा थोपा गया.

सारी कहानियां उस ने गढ़ी हैं. वह कहानियां गढ़ता है, जिस में पुरुष को स्त्री बचा कर लौटा लाती है. और ऐसी कहानी नहीं गढ़ता, जिस में पुरुष स्त्री को बचा कर लौटता हो. स्त्री गई कि पुरुष दूसरी स्त्री की खोज में लग जाता है, उसे बचाने का सवाल ही नहीं है. पुरुष ने अपनी सुविधा के लिए सारा इंतजाम कर लिया है.

यह इंतजाम उस से करवाया है धर्म के रचयिता पुरुषों ने.

उन पुरुषों ने, जिन्होंने स्वयं को धर्मगुरु कहलवाया और जिन्होंने धर्म की आड़ में अपनी ऐयाशियों का सामान जमा किया. असल में जिस के पास थोड़ी सी भी शक्ति हो किसी भांति की, वे जो थोड़े भी निर्बल हों किसी भी भांति से, उन के ऊपर सवार हो ही जाते हैं. मालिक बन ही जाते हैं. गुलामी पैदा कर देते हैं.

शारीरिक दृष्टि से पुरुष थोड़ा शक्तिशाली है. लेकिन उस में सहनशक्ति उतनी ज्यादा नहीं है. औरत के पास शारीरिक बल कम है, मगर सहनशक्ति अपार है. दोनों को प्रकृति ने ऐसा बनाया है ताकि दोनों की इन शक्तियों का इस्तेमाल धरती पर जीवन की निरंतरता को बनाए रखने के लिए किया जा सके.

टूट गए नियम

पुरुष का काम है भोजन देना, सुरक्षा देना, प्रेम देना और स्त्री का काम है उस प्रेम को अपनी कोख में स्थान दे कर नए जीवन को जन्म देना. सारी सृष्टि इसी नियम के तहत चल रही है. स्त्री को 9 महीने बच्चे को पेट में रखना और फिर उसे जन्म देने की पीड़ा से गुजरना होता है. लिहाजा, प्रकृति ने उसे सहनशक्ति बढ़ा कर दी.

पुरुष को इन 9 महीनों के दौरान उस की देखभाल करनी होती है, उस के लिए भोजन का इंतजाम करना होता है, इसलिए उसे शारीरिक ताकत बढ़ा कर दी. मगर कुछ उतावले, सनकी लोगों ने प्रकृति के इस साधारण से नियम को तोड़ कर इस के ऊपर धर्म को बैठा दिया और पुरुष की शारीरिक शक्ति का इस्तेमाल गलत कार्यों की ओर करवाने का दबाव बनाना शुरू किया. उस को लड़ाइयों में झोंक दिया. विध्वंसकारी गतिविधियों में लगा दिया.

धर्म के द्वारा पैदा की गई ये विकृतियां हजारों सालों से पुरुषों के खून में दौड़ रही हैं और इन्हीं विकृतियों का नतीजा है घरेलू हिंसा.

कपड़ों के अलावा ये 5 चीजें भी वाशिंग मशीन में धो सकती हैं आप

अगर आपके घर में भी वाशिंग मशीन है तो आप इसका इस्तेमाल कपड़े धोने के आलावा और भी कई तरह की चीजें धो सकती हैं. आप इन चीजों के बारे में जानकर हैरान हो जाएंगे कि ये भी वाशिंग मशीन में आसानी से साफ हो जाती हैं तो आइए आपको बताते हैं इनके बारे में.

दोबारा इस्तेमाल किये जा सकने वाले सब्जी के थैले…3

प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगने के बाद से हर जगह कपड़े से तैयार किये हुए थैलों का इस्तेमाल बढ़ गया है. कच्ची फल सब्जियों की वजह से ये बैग जल्दी गंदे हो जाते हैं और शायद ही इन्हें कोई साफ़ करने के बारे में सोचता है. लेकिन आप इन्हें मशीन में डालकर आसानी से साफ कर सकती हैं.

योगा मैट्स

योगा मैट्स घर में सबसे गंदी चीजों में से एक होती हैं और इन्हें आप आसानी से वाशिंग मशीन में डाल कर धो सकती हैं. आप इनके साथ टावल वगैरह भी धुलने के लिए डाल सकती हैं और इन्हें साफ़ करने के दौरान मशीन को सौम्य रखें. इसके लिए गर्म पानी का इस्तेमाल ना करें, मैट की क्वालिटी खराब हो सकती है.

किचन एसोसिरीज

ओवन के लिए इस्तेमाल होने वाले ग्लव्स, क्लीनिंग मैट्स, रबर का चॉपर बेस आप ये सभी चीजें वाशिंग मशीन की मदद से साफ़ कर सकती हैं.

कैप्स और हेयर एसोसिरीज

इसके लिए आप अपने मेश बैग का इस्तेमाल कर सकती हैं. आपने इस बैग में अपना कैप या फिर दूसरी हेयर एसोसिरीज डालें और जेंटल साइकिल मोड पर मशीन चला दें. इन्हें धोने के लिए गर्म पानी का इस्तेमाल ना करें. रबर के सामान खराब हो सकते हैं.

माउस पैड

माउस पैड पर भी बहुत गंदगी जमा रहती है और उसे साफ़ करने की तरफ शायद ही किसी का ध्यान जा पाता है. लेकिन अगली बार आप वाशिंग मशीन में इसे डाल कर साफ़ कर सकती हैं. आप इसके लिए हल्के गर्म पानी का भी प्रयोग कर सकती हैं.

इन 6 घरेलू नुस्खों से दूर करें हेयर फौल…

आज के समय में हेयर फौल की समस्या अधिकांश लोगों को है, क्योंकि उनका प्रदूषण से ज्यादा सामना होता है. ऐसे में वे अपने झड़ते बालों को देख कर  परेशान हो उठते हैं और बाजार से अच्छे प्रोडक्ट्स खरीदने से पीछे नहीं हटते. लेकिन इसके बावजूद भी रिजल्ट कुछ खास नहीं निकलता. ऐसे में हम आप को बता रहे हैं कि आप घर बैठे ही अपनी हेयर फौल की समस्या का निदान कर सकते हैं. जानिए कैसे:

  1. ऐलोवीरा हेयर मास्क…

ऐलोवीरा हेयरफौल को रोकने के लिए बहुत ही कारगर उपाय है. यह बालों की ग्रोथ को बढ़ाने के साथ स्कैल्प की हैल्थ को सुधारने का काम करता है. इस के लिए आप बस पौधे के पल्प को सीधे अपने स्कैल्प और बालों में अप्लाई करे फिर 45 मिनट बाद उसे ठंडे पानी से धोएं. अगर आपको कोई ऐलोवीरा प्लांट न मिले या फिर पल्प निकालना मुश्किल लग रहा हो तो नायका आपको सलाह देता है कि आप इसकी जगह वेदिक लाइन हेयर पैक को ऐलोवीरा और जोजोबा औयल के साथ भी यूज कर सकती हैं.

यहां से खरीदें: वेदिक लाइन हेयर पैक 

2. एग हेयर मास्क…

अंडे की बदबू को सहन करना काफी मुश्किल होता है. लेकिन अगर आप इस का फायदा जान लेंगे तो आप इसे लगाने में जरा भी आनाकानी नही करेंगे. अंडे में भरपूर मात्रा में सल्फर, फास्फोरस और प्रोटीन की मौजूदगी बाल झड़ने की समस्या को रोकने में काफी मददगार होती है. इस के लिए आप एक अंडे के सफेद भाग में एक छोटा चम्मच औलिव औयल व शहद मिला कर पेस्ट तैयार करें. फिर इस पेस्ट को जड़ों से टिप्स तक अप्लाई करके 20 मिनट के लिए छोड़ दें और फिर माइल्ड शैंपू से बालों को धोएं. लेकिन अगर आपको इसकी स्मैल पसंद नहीं तो इसकी जगह आप नायका का ईवोवा हेयर न्यूट्रीऐंट विद ऐग औयल का भी यूज कर सकते हैं.

यहां से खरीदें: ईवोवा हेयर न्यूट्रीऐंट विद ऐग औयल

naykaa hair care

 

3. कोकोनेट हेयर स्पा…

क्या आप जानते हैं कि कोकोनट मिल्क में प्रोटीन की मौजूदगी बालों की ग्रोथ को बहुत जल्दी बढ़ाने का काम करती हैं. इस के लिए बस आप फ्रैश कोकोनट मिल्क को स्कैल्प पर अप्लाई करें. इस के लिए आप हेयर ब्रश की मदद लें, क्योंकि उससे लगाने में आसानी जो होती है. फिर इसे अप्लाई कर के आप अपने बालों को 20 मिनट के लिए टोवल से कवर ले फिर पानी से धो लें. लेकिन अगर आपके पास समय कम है तो इस के लिए आप नायका के पलमर कोकोनट औयल फार्मूला डीप कंडीशनिंग प्रोटीन पैक का यूज कर सकती हैं.

यहां से खरीदें: पलमर कोकोनट औयल फार्मूला डीप कंडीशनिंग प्रोटीन पैक

naykaa hair care

4. ग्रीन टी रिंस…

ग्रीन टी जिससे अधिकांश लोग अपने दिन की शुरुआत करते हैं. ये सिर्फ हैल्थ के लिए ही नहीं बल्कि हेयर्स के लिए भी काफी कारगर है. इससे हेयर ग्रोथ बहुत तेजी से होती है. इस के लिए आप 2-3 टीबैग को गरम पानी में डालें. फिर ठंडा होने पर इसे स्कैल्प व बालों पर अप्लाई कर के अच्छे से मसाज करें. अच्छे से मसाज होने के बाद बालों को पानी से धे लें.  इसके लिए नायका आपको बौडी शौप फूजी ग्रीन टी रीफ्रैशिंग प्यूरीफाइंग शैंपू यूज करने की सलाह देता हैं.

यहां से खरीदें: बौडी शौप फूजी ग्रीन टी रीफ्रैशिंग प्यूरीफाइंग शैंपू

5. आंवला हेयर पैक…

आंवला या फिर इंडियन गूस्बेरी, जिसमें विटामिन सी की मात्रा अधिक होती है. ये बाल झड़ने की समस्या का बहुत तेजी से निदान करने के साथ बालों को सफेद होने से भी रोकता है. इसके लिए आप आंवला पाउडर और नींबू के रस को मिलाकर हेयर मास्क बनाए और अपने स्कैल्प पर अप्लाई करें. मास्क को जल्दी सुखाने के लिए अपने बालों को शावर कैप से कवर करें और फिर कुछ समय बाद धो लें. इसके लिए आप नायका का आयुर्वेदिक हेयरफौल कंट्रोल औयल विद आंवला का भी यूज कर सकती हैं.

यहां से खरीदें: आयुर्वेदिक हेयरफौल कंट्रोल औयल विद आंवला

6. मेथी हेयर मास्क…

मेथी या फेन्युग्रीक के कई फायदे हैं जैसे मेथीदाना वजन कम करने का काम करता है. वहीं ये हेयर फौल की प्रौब्लम को रोकने का भी बेस्ट सौल्यूशन है. इस के लिए आप पूरी रात मेथीदाना को पानी में भिगोकर उसे बालों को स्कैल्प में अप्लाई करें और फिर बालों को पानी से धो लें. इसे और भी आसानी से करने के लिए आप नायका के तिजोरी फेन्युग्रीक हेयर औयल का भी इस्तेमाल कर सकती हैं.

यहां से खरीदें: तिजोरी फेन्युग्रीक हेयर औयल 

सौंदर्य से संबंधित अधिक जानकारी पाने के लिए यहां क्लिक करें और नायका ब्यूटीबुक पर जाएं.

अर्जुन के कमेंट पर मलाइका ने दिया यह जवाब

अर्जुन कपूर और मलाइका अरोड़ा काफी समय से अपने रिश्ते को लेकर सुर्खियों में हैं. दोनों न केवल पार्टियों में साथ देखे जाते हैं बल्कि सोशल मीडिया पर भी एक-दूसरे की तस्वीरों पर कमेंट करने से डरते नहीं. बीते दिनों में कई बार दोनों ने सोशल मीडिया पर एक-दूसरे से प्यार जताया है और अब एक बार फिर से दोनों ने एक दूसरे से प्यार जताया है.

हाल ही में मलाइका अरोड़ा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक तस्वीर शेयर की थी, जिसमें वो सफेद सूट पहने दिखाई दे रही हैं. इस तस्वीर पर अर्जुन कपूर ने कमेंट कर लिखा, ‘अ रौयल मेस….’ इसके साथ-साथ अर्जुन कपूर ने अपने कमेंट में आग वाला साइन भी बनाया है. इससे साफ है कि वो मलाइका को कहना चाह रहे हैं कि उनकी तस्वीर ने आग लगा दी है.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Malaika Arora (@malaikaaroraofficial) on

मलाइका अरोड़ा ने अर्जुन कपूर के कमेंट पर रिप्लाई करते हुए लिखा है, ‘अच्छा…’ मलाइका अरोड़ा के कमेंट से जाहिर है कि वो अर्जुन के साथ फ्लर्ट कर रही हैं.

insta

बता दें कि अर्जुन कपूर और मलाइका अरोड़ा काफी लम्बे समय से रिलेशनशिप में हैं. हालांकि इन्होंने इसे पब्लिक में कभी भी स्वीकार नहीं किया है. यहां तक कि इस समय भी ये दोनों पार्टियों से लेकर सोशल मीडिया पर साथ-साथ नजर आते हैं लेकिन ये मीडिया के सामने यह नहीं मानते हैं कि ये रिश्ते में हैं.

हाल में अर्जुन कपूर से यह पूछा भी गया था कि क्या वो जल्द ही मलाइका अरोड़ा के साथ शादी करने की प्लानिंग कर रहे हैं तो उन्होंने कहा था, ‘मैं इसके बारे में बात नहीं करना चाहता हूं. हर किसी को यह हक होता है कि वो अपनी जिंदगी के बारे में जितना चाहे, उतना लोगों को बताए.’

इन टिप्स को करेंगे फालौ तो अरेंज मैरिज में मिलेगा लव मैरिज का मजा

भारत में अरेंज मैरिज काफी आम है. हमारी सोसायटी में हर दूसरा व्यक्ति अरेंज मैरिज करता होता है खासतौर पर महिलाएं. माता-पिता ऐसा सोचते हैं कि अरेंज मैरिज अधिक सफल होती हैं. हालांकि, शादी तो आप कर लेते हैं लेकिन उसके बाद जो असहजता होती है, उससे निकलना काफी मुश्किल होता है. किसी भी ऐसे व्यक्ति के साथ रहना जिसे आप ठीक से जानते भी नहीं हैं, ऐसे में असहज होना स्वभाविक है. हालांकि, समय के साथ आप इस रिश्ते और अपने साथी को समझने लगते हैं। अगर आप हाल ही में शादी के बंधन में बंधे हैं या बंधने वाले हैं तो अरेंज मैरिज में भी प्यार लाने के लिए ये टिप्स आपकी मदद कर सकते हैं.

1. सबसे जरुरी है बात करना…
हर रिश्ते को मजबूत करने और आगे बढ़ाने के लिए संचार एक महत्पूर्ण हिस्सा है. आप जितना अधिक आपस में बाते करेंगे उतने बेहतर तरीके से आप एक-दूसरे को जान और समझ पाएंगे. बात करने के अलावा एक दूसरे की आदतों, पसंद, नापसंद और शौक के बारे में जानना भी जरुरी है. इससे आप उनके बारे में वो सभी जानकारी ले पाएंगे जो आवश्यक है. साथ ही आप अपनी आदतें, पसंद और नापसंद उनके साथ साझा कर पाएंगे.

2. एक-दूसरे में दिलचस्पी दिखाएं…
आपको अपने पति या पत्नी की छोटी सी दुनिया में कदम रखना है तो उसमें शामिल होने की कोशिश भी करें. उनसे जुड़ी चीजों में दिलचस्पी दिखाएं. एक दूसरे के लिए जिज्ञासु होंगे तो आप दोनों अरेंज मैरिज में भी एक दूसरे के बारे में नई चीजें सीख पाएंगे. अगर आप अपने साथी में रुचि नहीं दिखाएंगे तो आपका रिश्ता नीरस हो जाएगा और आप अपनी शादी में प्यार नहीं ढूढ़ पाएंगे.

3. शिकायतें ना करें…
अरेंज मैरिज में जिम्मेदारियां और उम्मीदें अधिक होती हैं साथ ही दोनों पार्टनर पर इस रिश्ते को संभालने का दबाव भी ज्यादा होता है. आपका साथी आपकी हर एक पसंद और नापसंद को साझा कर पाएं, ऐसा जरुरी नहीं है. उसके परिवार और आपके मूल्यों में भी फर्क हो सकता है. खासतौर पर महिलाओं को नए परिवार में जाना होता हैं तो उन्हें बहुत से नए मूल्यों का पालन करना होता है. हो सकता है आपको बहुत सी नई चीजें सीखनी पड़े लेकिन इन सभी बातों को लेकर परेशान ना हो और शिकायतें करना शुरु ना कर दें. अरेंज मैरिज में सामंजस्य बनाना बेहद जरुरी है और इसके लिए आप अपने साथी के साथ चर्चा करें. उनसे बताएं कि कौन सी चीजें आपको चिंतित कर रही हैं और उन्हें किस तरह से सुधारा जा सकता है.

4. प्यार का जादू…
किसी भी रिश्ते में प्यार एक अहम हिस्सा है जो आप दोनों के बीच दूरियों को कम करता है. ऐसा जरुरी नहीं है कि हर किसी को पहली नजर में प्यार हो जाएं. अरेंज मैरिज में सभी चीजें व्यवस्थित होने में समय लग सकता है. धीरे-धीरे आप एक-दूसरे को प्यार करने लगेंगे. अपने साथी को आपकी भावनाएं समझने के लिए समय दें और सोचें कि आप उनके प्यार को कैसे पा सकते हैं. सबसे जरुरी है कि इस दौरान आप धीरज रखें और निराश ना हो.

हवाई यात्रा के दौरान इन चीजों से बना लें दूरी

फ्लाइट से पहली बार जब आप सफर करने जा रही हैं तो कई सारी चीज़ों का ध्यान रखना पड़ता है और उनमें से ही एक है आपकी पैकिंग. ऐसी कई सारी चीज़ें हैं जिन्हें आप फ्लाइट में कैरी नहीं कर सकती. वैसे तो इसकी जानकारी आपके टिकट में साफतौर से दी हुई होती है. इसके साथ ही फ्लाइट में कई सारी चीज़ों को ले जाने की भी मनाही भी होती है जिसके बारे में पता होना सबसे ज्यादा जरूरी है वरना एयरपोर्ट पर निकालकर रखने या फेंकने के अलावा कोई औप्शन नहीं बचता. तो आइए बताते हैं आपको किस तरह पैकिंग करनी चाहिए.

नुकीली चीज

किसी भी तरह की कोई नुकीली चीज़ को आप फ्लाइट में हैंडबैग में लेकर सफर नहीं कर सकती. क्योंकि ये औज़ार माने जाते हैं. तो अगर आप चाकू, बौक्स कटर या तलवार कैरी कर रहे हैं तो बेहतर होगा इन्हें अच्छे से पैक करके अपने चेक-इन बैग में रखें. इसी तरह रेज़र, ब्लेड, नेल फाइलर और नेल कटर भी लगेज चेक-इन में निकलवा लिया जाता है.

लिक्विड्स 

लिक्विड ले जाने की मनाही  हर एक देश में अलग-अलग है. तो बेहतर होगा आप फ्लाइट के नियमों का पालन करते हुए 100 मिली से ज्यादा लिक्विड न कैरी करें. और साथ ही इनकी पैकिंग भी अच्छी तरह से करें.

खेल सामग्री

बेसबौल बैट, स्की पोल्स, धनुष-तीर, हौकी स्टिक, गोल्फ क्लब या ऐसी ही दूसरी खेल सामग्री को भी आप फ्लाइट में लेकर सफर नहीं कर सकती. बेहतर होगा इन चीज़ों की खरीददारी डेस्टिनेशन पर पहुंचकर करें या रेंट पर ले लें.

मीट, फ्रूट्स, सब्जी

ज्यादातर देशों में आप अपने साथ मीट, फ्रूट्स, सब्जियां, पौधे और ऐसी चीज़ें कैरी नहीं कर सकते. तो अगर आप फ्रूट्स वाला कोई स्नैक्स अपने साथ कैरी करने की सोच रही हैं तो अच्छा होगा आप इसे एयरपोर्ट पर ही खा लें वरना चेक-इन के दौरान इसे जब्त कर लिया जाएगा.

बदलना होगा शहरों के पुराने इलाकों को

दिल्ली जैसे कितने ही शहरों में होलसेल मार्केटें शहर की रिहायशी बस्तियों व घने बाजारों के बीचोंबीच हैं और धीरेधीरे आसपास के मकानों में भी घुस रही हैं. इन संकरी गलियों में न चलने की जगह है, न ठेलों की और न ही सैकड़ों मजदूरों के लिए, जो दुकानों का माल सप्लाई करने आते हैं. ये चल रही हैं क्योंकि रेल से आनेजाने में सुविधा है. दिल्ली के चावड़ीबाजार, सदरबाजार, पहाड़गंज, खारीबावली के इलाके ऐसे ही हैं.

इन इलाकों में रहने वालों के लिए मुसीबतें ही हैं. सदियों नहीं तो दशकों से रह रहे लोगों की जिंदगियां उन के बिना कुसूर के खराब हो रही हैं. उन्हें अपने पुश्तैनी मकान छोड़ कर भागना पड़ रहा है. कई फिल्मों ने इन इलाकों की घरेलू, व्यापारी, धार्मिक जिंदगी को पेश किया है पर रोमांटिक माहौल तो यहां असलियत से काफी दूर है. यहां की बदबू, भीड़, बिखराव, लटके तार जानलेवा हैं. जिन बस्तियों ने पुश्तों को शरण दी है वे अब खतरा बन गई हैं.

हर नई सरकार यहां सफाई का वादा करती है पर न व्यापारी, न उन के ग्राहक और न ही यहां रहने वाले लोग किसी ठोस प्लान पर सहमत हो पा रहे हैं. घरों में व्यापारिक काम न हो इस पर सुप्रीम कोर्ट कानून के अनुसार सख्त हो रहा है और इसीलिए बहुतों को मजबूर किया जा रहा है कि अपनी बसीबसाई दुकानों से 30-40 किलोमीटर दूर जाएं. इस पर भारी गुस्सा है और अडि़यल रवैया अपनाया जा रहा है. व्यापारियों को लगता है कि नई जगह उन्हें फिर से नई साख बनानी पड़ेगी, क्योंकि वहां उन की दुकान की पहचान खो जाएगी. यह सच है पर शहर की मजबूरी है.

शहरों के पुराने इलाकों को बदलना तो होगा. दिल्ली, भोपाल, आगरा, कोलकाता, मुंबई, चेन्नई जैसे शहरों के पुराने इलाकों को तो म्यूजियम ही बनना पड़ेगा. वे धरोहरों के हिस्से हैं, आज के धंधों के नहीं. यूरोप के ज्यादातर शहरों के ऐसे इलाके केवल पर्यटकों के लिए बन गए हैं. पुराने मकानों में होटल बन गए हैं, हवेलियां म्यूजियम बना दी गई हैं. दुकानों में पर्यटकों का सामान बिकता है या रेस्तरां हैं. लोग सैर करने और पुराने माहौल में एक बार फिर जीने के लिए आते हैं.

व्यापारियों को नए जमाने के साथ तो चलना ही होगा. पुरानी सोच से चिपके रहने का अर्थ है खुद पुराना बना रहना. अगली पीढि़यों को इन्हीं इलाकों में रखना है तो इन का ढांचा वैसा ही रख कर इन्हें नया रंग देना जरूरी है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें