6 टिप्स: मौनसून में ऐसे रखें सिल्क साड़ी का ख्याल

गरमी हो या मौनसून शादी या पार्टी में जाना ही पड़ता है, जिसके लिए हम ज्यादातर साड़ी ही पहनना पसंद करती होंगी. आजकल मार्केट में कईं तरह की साड़ियां भी मौजूद है, जिनमें सिल्क की साड़ियां भी है. सिल्क की साड़ियों का ख्याल रखना सबसे जरूरी होता है क्योंकि अगर हम उसका ख्याल नही रखेंगे तो साड़ी खराब होने का खतरा रहता है. जिससे हमारे कपड़ों के साथ-साथ पैसे भी वेस्ट चले जाते हैं. इसीलिए आज हम आपको लौंग टाइम के लिए कैसे सिल्क की साड़ियों को टिप-टौप बनाकर रखने के लिए कुछ खास तरीके बताएंगे, जिससे आप जब चाहें बिना किसी परेशानी के साड़ियां पहन पाएंगी.

1. मलमल के कपड़े में रखें सिल्क की साड़ियां

सिल्क की साड़ियों को हमेशा मलमल या सूती कपड़े में लपेटकर रखें. मौनसून में नमी की गंध न आए, इसके लिए साड़ियों को थोड़े दिनों में धूप जरूर दिखाएं. कोशिश करें कि सीधी धूप न लगे. पानी गिर जाए तो गीली साड़ी को धूप में सुखाने की गलती न करें, वरना पानी का धब्बा कभी नहीं जाएगा. उसे ड्राइक्लीन कराएं.

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2. आसानी से सिल्क की साड़ियों से निकालें दाग

सिल्क की साड़ी से दाग हटाने के लिए पेट्रोल का का इस्तेमाल करना सही रहेगा. माइल्ड डिटर्जेंट और प्रोटीन स्टाइन रिमूवर से जूस, आइसक्रीम, चाय के दाग बहुत आसानी से निकल जाते हैं. इसे थोड़ी-सी कौटन में लेकर हल्के हाथ से दाग पर मलें. साड़ियों पर ब्रश का इस्तेमाल करने से जरूर बचें, क्योंकि इससे साड़ी फटने का डर होता है.

3. नमी से बचाना है जरूरी

कीड़े, धूल, नमी से रेशम को बचाने के लिए ब्राउन पेपर या सफेद सूती कपड़े में उसे लपेटकर जरी को काला होने से बचाएं. सिल्क की साड़ी को प्लास्टिक कवर या कार्डबोर्ड बौक्स में न रखें. न ही कभी उन्हें लोहे या लकड़ी के हैंगर पर टांगें. बेहतर होगा कि उन्हें साफ पेपर में लपेटकर रखें.

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4. पानी के छींटे न मारें

सिल्क साड़ी पर फोल्ड के निशान जल्दी बनते हैं. ऐसे में समय-समय पर उन्हें उलट-पलटकर रीफोल्ड करें. दूसरी फैब्रिक की साड़ियों के साथ इन्हें स्टोर न करें. अलग-अलग बटर पेपर पर लपेटकर रखें. सीधी धूप में साड़ी न सुखाएं, ऊपर से कोई मलमल या हल्का सूती दुपट्टा जरूर डालें. आयरन करते समय पानी के छींटे भी न मारें. ऐसा करने से दाग पड़ सकता है. सिल्क की साड़ी को हमेशा ठंडे और डार्क प्लेस में ही स्टोर करें.

5. ड्राईक्लीन है सही औप्शन

सिल्क की साड़ियों की सफाई के लिए ड्राइक्लीनिंग सबसे बेस्ट तरीका है. साड़ी धोने की जरूरत हो तो एक बाल्टी पानी में चौथाई कप डिसटिल्ट वौटर, सफेद सिरका और शैंपू डालकर हल्के हाथ से मलकर धोएं. आपके घर में हार्ड वौटर की सप्लाई होती हो तो सिल्क साड़ी पर लाइट डिटर्जेंट का इस्तेमाल करें.

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6. प्रैस करते समय रखें खास ध्यान

अक्सर हम सभी कपड़ों को एक जैसा समझकर उन्हें प्रैस करने की गलती कर देते हैं, लेकिन सिल्क की साड़ी के साथ ऐसा बिल्कुल न करें. सिल्क की साड़ी पर आयरन करते वक्त साड़ी के नीचे कौटन का कपड़ा जरूर रखें.  और अगली बार किसी अन्य पार्टी में जाने के लिए सिलवटें दूर करने के लिए प्रेस करते समय प्रेस का टैम्प्रेचर सिल्क पर सेट कर लें और साड़ी को हमेशा उल्टा करके प्रेस करें. इससे साड़ी के जलने या खराब होने का खतरा कम रहता है.

पीरियड्स के दिनों में रखें सफाई का खास ख्याल

हम जानते हैं कि हर लड़की और महिला के जीवन में प्रत्येक महीने करीब 4 -5 दिन का समय काफी कठिन और थकावट वाला होता है. यह वो समय है जब आप पीरियड्स से जूझ रही होती हैं, लेकिन इस का मतलब यह नहीं है कि आप उन दिनों के दौरान खुद की देखभाल करना छोड़ दें , बल्कि उन दिनों में आप का शरीर आप से ज्यादा देखभाल और साफ-सफाई मांगता है. पीरियड्स के दौरान सफाई का ख्याल जरूर रखें वर्ण बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.

  1. यूरिन इन्फेक्शन का रहता है खतरा

मासिक धर्म के दौरान खुद को साफ न रखना बहुत सारे बैक्टीरिया को आमंत्रित करता है. वे न केवल आप को बाहरी रूप से प्रभावित करते हैं बल्कि यूरिन इन्फेक्शन्स भी पैदा कर सकते हैं. इस से न सिर्फ आप के पेट के निचले हिस्से के लिए  दर्दनाक है बल्कि आप की किडनी को भी प्रभावित करता है.

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  1. रैशेज है नौर्मल प्रौब्लम

यह एक बहुत ही आम प्रौब्लम है और लगभग हर दूसरी महिला कभी न कभी इस का अनुभव करती है. आपके पीरियड्स के दौरान होने वाले रैशेज का मुख्य कारण सैनिटरी नैपकिन को बारबार न बदलना है. 4-6 घंटे से अधिक समय तक एक ही नैपकिन का उपयोग करने से रक्त उस के आसपास के इंफेक्शन का कारण बन सकता है जिस से स्किन पर चकत्ते और जलन होती है.

  1. सफेद डिस्चार्ज की प्रौब्लम से बचें

मासिक धर्म के दौरान अस्वच्छता आप की योनि में बैक्टीरिया पनपने का कारण बनती है और बाद में इस से सफेद डिस्चार्ज की प्रौब्लम पैदा होती है. जरूरी है कि योनि को पीरियड्स के दौरान साफ रखें.

  1. बांझपन की होती है संभावना

मासिक धर्म के दौरान गंदे कपड़ों का उपयोग करना या लंबे समय तक एक ही सैनिटरी नैपकिन या टैम्पोन का उपयोग करना बैक्टीरिया पनपने का रास्ता खोलता है. ये बैक्टीरिया अंडाशय तक पहुंच सकते हैं जिससे बांझपन की संभावना बढ़ जाती है.

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  1. सरवाइकल कैंसर का खतरा

पीरियड्स के दौरान अस्वच्छता की वजह से कैंसर के विकास की पर्याप्त संभावनाएं हैं. महिलाओं के लिए यह बहुत जरूरी है कि वे अपने पीरियड्स के दौरान न केवल खुद को साफ रखें बल्कि नियमित रूप से अपने प्राइवेट पार्ट की सफाई कर के स्वच्छता बनाए रखें.

कैसे रखें सफाई

अपने योनि क्षेत्र को साफ रखें. गर्म पानी और इंटिमेट या वैजाइनल वौश का उपयोग कर इसे समय-समय पर साफ करती रहे.

कभी भी एक साथ दो पैड का इस्तेमाल न करें. कुछ महिलाएं हैवी पीरियड्स के समय एक बार में दो सेनेटरी पैड का उपयोग करती हैं. इस से योनि क्षेत्र में इंफेक्शन हो सकता है.

आरामदायक, साफ अंडरवियर पहनें. केवल कौटन या कपड़े से बने अंडरवियर जो आप की स्किन को सांस लेने की अनुमति देते हैं उन्हीं को पहने. सिंथेटिक और टाइट अंडरवियर भी इंफेक्शन को आमंत्रित करते है.

इंटरनेशनल फर्टिलिटी सेंटर की डौ. रीता बक्शी से बातचीत पर आधारित.

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एक बार फिर दिल्ली हुई शर्मसार

एक स्त्री की आत्मा उसी वक्त आत्महत्या कर लेती है जब उसके साथ बलात्कार होता है. ये घटना उस स्त्री को अन्दर से तोड़कर रख देती है, लेकिन उस छोटी सी बच्ची का क्या जिसे इसका मतलब भी नहीं पता और वे एक हैवान की हैवानियत का शिकार हो गई.

हाल ही में एक सनसनीखेज वारदात से दिल्ली फिर दहल गई. एक मासूम बच्ची की अस्मत के साथ खिलवाड़ किया गया. उस बच्ची को आरोपी टौफी दिलाने के बहाने ले गया और फिर झाड़ियों में ले जाकर कुकर्म को अंजाम दिया. फिलहाल आरोपी को सीसीटीवी फुटेज की मदद से गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन बच्ची की हालात नासाज है. वे जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी बच्ची की हालत को जानने अस्पताल पहुंचे थे.

आखिर कब तक होगा ये सब…

पीड़ित परिवार को मुआवजा देने की बात भी कही, लेकिन अब सवाल ये है कि आखिर कबतक? कबतक इस तरह की वारदात होती रहेगी और दिल्ली सरकार कर क्या रही है? एक बार फिर से इस घटना ने दिल्ली को कटघरे में ला कर खड़ा कर दिया है. आज से कुछ साल पहले जब देश की राजधानी दिल्ली में निर्भया कांड हुआ था तब पूरी दिल्ली सड़क पर उतर आई थी तब सरकार ने कहा था कि इसके लिए कड़े से कड़े कानून बनाए जाएंगे. लेकिन आज जब फिर से दिल्ली में निर्भया जैसी घटना घटी तो फिर से राजनेता अपनी राजनीति की रोटियां सेंकने में लग गए हैं. क्या उस बच्ची के साथ जो हुआ वो उसे भूल पाएगी. शायद जब वो बड़ी हो जाए तो उसे समझ आए कि उसके साथ क्या हुआ था. अभी तो बस उसके बचने की दुआ ही की जा सकती है. आरोपी की पहचान मोहम्मद नन्हें के रुप में की गई है.

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मुझे तो ये समझ नहीं आता की आखिर इन हैवानों के अंदर क्या जरा सी भी दया नहीं होती. एक स्त्री क्या ये तो छोटी सी बच्ची को भी नहीं छोड़ते. क्या इनका अपना कोई परिवार नहीं या फिर इन्हें परवरिश ही अच्छी नहीं मिलती. ये हैवान इस तरह के गलत काम करने की हिम्मत कहां से लाते हैं जो इंसानियत को शर्मसार कर देती है.

सुरक्षा पर सवाल…

आज एक बार फिर से देश की राजधानी की सुरक्षा पर सवाल खड़े हुए हैं. अभी तक तो सिर्फ महिलाएं, लड़कियां घर से रात को बाहर निकलने पर डरती थीं लेकिन इस घटना के बाद अब तो लोग अपनी छोटी सी बच्ची को खेलने के लिए भी भेजने से डरेंगे. उनके बच्चे अपना बचपन भी नहीं खेल पाएंगे. क्योंकि अब तो उनका बचपन भी सुरक्षित नहीं रहा है. आज सिर्फ इस बच्ची की ही बात नहीं है आए दिन खबर सुनने को मिलती है कि पांच साल की बच्ची से रेप, तो कभी सात साल की बच्ची से रेप.

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जिन बच्चों ने ठीक से बोलना भी नहीं सीखा उनके साथ भी बलात्कार जैसी घटना घट रही है देश कहां जा रहा है हमारा. क्या ये भारत है? आज ये सवाल सिर्फ आप से, मुझसे या दिल्ली प्रशासन से,भारत सरकार से ही नहीं बल्कि पूरे भारत को लोगों से है. सरकार को इसके लिए कुछ कड़े रुख अपनाने होंगे और कुछ कड़े कानून का प्रावधान करना होगा वरना वो दिन दूर नहीं जब घर में बच्ची को जन्म देने से भी लोग डरेंगे की कहीं उसके साथ बलात्कार न हो जाए.

जरा सोचिएगा आप भी…

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‘बिग बौस 13: सलमान खान ने मांगी डबल फीस, इतने करोड़ करेंगे चार्ज

बौलीवुड के दबंग खान यानी सलमान खान का पौपुलर रियलिटी शो ‘बिग बॉस 13’ औडियंस के बीच अपनी जगह बनाने फिर आ रहा है, लेकिन सोशल मीडिया पर शो से जुड़ी खबर हो रही है कि शो के होस्ट यानी सलमान खान ने अपनी फीस बढ़ा दी है. खबर है कि खान इस बार ‘बिग बौस सीजन 13’ के हर हफ्ते लगभग 31 करोड़ की मोटी रकम लेने वाले है. आइए आपको बताते हैं शो से जुड़ी पूरी खबर…

बिग बौस के इस सीजन में सलमान लेंगे दुगुनी फीस

 

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Congratulations team Bharat… from #Bharat

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मीडिया रिपोर्टस की माने को बौलीवुड के ‘भाईजान’ सलमान खान ‘बिग बौस 13’ के सिंगल एपिसोड के लिए 12 से 14 करोड़ चार्ज किए थे, लेकिन इस बार सलमान ने अपनी फीस बढ़ाते हुए ‘बिग बौस सीजन 13’ के हर हफ्ते लगभग 31 करोड़ की मोटी रकम लेने का फैसला किया है. वहीं अगर हिसाब लगाया जाए तो सलमान खान को ‘बिग बौस सीजन 13’ के 26 एपिसोड होस्ट करने के लिए शो के मेकर्स 403 करोड़ रूपए देंगे.

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शो को प्रोड्यूस भी कर सकते हैं सलमान

सोशल मीडिया पर ये भी खबरें फैली हुई है कि सलमान ना सिर्फ पौपुलर शो को होस्ट करते नजर आएंगे बल्कि इस बार सीजन को प्रौड्यूस भी कर सकते हैं. बता दें पिछले साल सलमान खान को हर एपिसोड के लिए 11 करोड़ रुपये मिले थे. जिसमें उनके दो विशेष एपिसोड खास होते थे. 2018 में सलमान खान ने 165 करोड़ रुपये कमाए थे. लेकिन अब सलमान खान हर हफ्ते 13 करोड़ रुपये कमाई करेंगे.

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बता दें,  इस बार ‘बिग बौस सीजन 13’ में शामिल होने के लिए चंकी पांडे, राजपाल यादव, वरीना हुसैन, महाअक्षय चक्रवर्ती, से लेकर अंकिता लोखंडे, डैनी डी, जीत चिराग पासवान, मेघना मलिक, राहुल खंडेलवाल, हिमांश कोहली को शो में आने के लिए अप्रोच किया हैं, लेकिन इस सीजन की खास बात ये है कि इस बार शो में आम आदमी हिस्सा नही लेंगे. यानी इस बार हमें सेलिब्रिटीज का ड्रामा शो में देखने को मिलेगा.

पति विराट को चीयर करने पहुंचीं अनुष्का, यूजर्स ने ऐसे उड़ाया मजाक

ICC क्रिकेट वर्ल्ड कप 2019 में पति विराट कोहली और टीम इंडिया को चियर करने पहुंची बौलीवुड एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा इन दिनों सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का शिकार हो रहीं हैं. सोशल मीडिया पर अनुष्का का मैच के दौरान लिया गया एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें औडियो नहीं बल्कि उनके एक्सप्रेशन को लेकर लोग उनहें ट्रौल कर रहे हैं. आइए आपको बताते हैं पूर मामला…

इस वजह से कर रहें हैं ट्रोल

एक्ट्रेस अनुष्का का सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें कैप्शन दिया गया है कि ये Four (चार रन) का सिग्नल क्या होता है? इस वीडियो को लेकर सोशल मीडिया के यूजर ना सिर्फ अनुष्का शर्मा बल्कि उनके पति विराट कोहली का भी खूब मजाक उड़ा रहे हैं क्योंकि क्रिकेटर की वाइफ होने के बाद भी उनके इस बारे में नहीं पता. वहीं इस वीडियो को लेकर सोशल मीडिया पर कई मीम्स भी बनाए जा रहे हैं.

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डार्क यलो कलर की ड्रेस में मैच देखने पहुंचीं अनुष्का

 

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In ths stands yesterday ?

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एक तरफ जहां अनुष्का ट्रोल हो रहीं हैं वहीं मैच देखने के लिए अनुष्का शर्मा खूबसूरत डार्क यैलो कलर की ड्रेस में पहुंची थीं. वहीं मैच के दौरान उनके चार रन के सिग्नल को गलत बता दिया, जिसके कारण अब वो ट्रोलिंग का शिकार हो रही हैं.

इससे पहले भी मैच में जाने से हो चुकीं हैं ट्रोल

 

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Sun soaked and stoked ☀️? #throwback

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ये पहली बार नहीं है जब अनुष्का मैच के दौरान चियर करने को लेकर ट्रोल हुईं है. इससे पहले भी अनुष्का मैच का हिस्सा बनने को लेकर ट्रोल हुईं है. ट्रोलिंग पर लोगों के नजरिए की बात करें तो उनका कहना है कि जब भी अनुष्का मैच का हिस्सा बनती हैं तो टीम हार जाती है.

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वर्क फ्रंट की बात करें तो अनुष्का शर्मा पिछले साल रिलीज हुई ‘जीरो’ में दिखाई दी थी. इस फिल्म में अनुष्का शर्मा के अलावा अहम भूमिका में कटरीना कैफ और शाहरुख खान भी दिखाई दिए थे. इस फिल्म में भले ही उनके अभिनय की खूब तारीफ हुई हो लेकिन बौक्स औफिस पर ये फिल्म कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई थी. जिसके बाद से अनुष्का अभी तक किसी भी फिल्म का हिस्सा नहीं बनीं हैं. लोग तो ये मानने लगे हैं कि कहीं अनुष्का ने बौलीवुड से दूर तो नहीं हो गईं हैं.

अपने बच्चों को डिप्रेशन से ऐसे बचाएं

कौम्पिटिशन के इस समय में आजकल लोग एक दूसरे से आगे निकले में अपनी सेहत पर ध्यान देना बंद कर चुके हैं. साथ ही काम और पढ़ाई में प्रेशर बढ़ने के कारण किशोरों और युवाओं में डिप्रेशन के मामले तेजी से बढ़ते जा रहा हैं. डिप्रेशन का मुख्य कारण काम, पढ़ाई का प्रेशर, ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने की ललक होता है. खासकर अगर हम युवाओं की बात करें तो भारत में सबसे ज्यादा डिप्रेशन के शिकार युवा हो रहे हैं. हाल ही में एक आईआईटी-हैदराबाद में पढ़नेवाले मार्क एंड्रयू चार्ल्स ने पढ़ाई और करियर  के  तनाव की वजह से सुसाइड कर लिया. आज हम आपको बताते है कि डिप्रेशन क्या है, क्यों बढ़ रहा है और इसे कैसे दूर किया जा सकता है.

क्या होता है डिप्रेशन

वैसे तो किसी ना किसी वजह से उदास होना आम बात है, लेकिन जब यह एहसास ज्यादा समय तक बन रहा है तो समझ जाइए कि डिप्रेशन की स्थिती बनती जा रही हैं. डिप्रेशन एक ऐसा मानसिक विकार है जिसमें व्यक्ति को कुछ भी अच्छा नही लगता और उसे लगने लग जाता है कि उसकी जिंदगी में सिर्फ दुख है या उसकी जिंदगी में जीने के लिए अब कुछ नही बचा है.

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महिलाओं को होता है डिप्रेशन का सबसे ज्यादा खतरा

वर्ल्ड हेल्थ ऑग्रजेइशेन के रिपोर्ट मुताबिक महिलाओं के डिप्रेशन के चपेट में आने का खतरा पुरूषों के मुकाबले में कही ज्यादा होता हैं. आधुनिक समय में महिलाओं पर घर, परिवार, बच्चे और करियर के साथ ही अन्य और जिम्मेदारियां होती हैं. साथ ही वीकेंड के दिन भी महिलाएं घर का काम करती है, जिसके कारण उन्हें आराम नही मिलता. महिलाओं मे डिप्रेशन ज्यादा होने का एक मुख्य कारण हार्मोनल बदलाव भी होता है, जिसके कारण वे ज्यादा डिप्रेशन का शिकार होती है.

क्यों होता है डिप्रेशन

नौकरियां और पढ़ाई की वजह से आज युवाओं पर जिस तरह का दबाव और डिप्रेशन बढ़ा है, उसकी वजह से आज कई युवा गलत कदम उठाने के लिए मजबूर हो जाते है. नौकरियों में काम का दबाव बढ़ने और उसमें सफल ना होने के कारण मानसिक रोग अवसाद बन जाता है.

डिप्रेशन से होने वाले नुकसान

हर वक्त का डिप्रेशन इन्सान के शरीर को बहुत नुकसान पहंचाता है, जिसमें सबसे पहला नुकसान हर वक्त का चिड़चिड़ापन, जल्दी गुस्सा आना, नींद कम आना जैसी बातें आम है. डिप्रेशन से ग्रस्त व्यक्ति को हार्ट अटैक आने का खतरा बढ़ जाता है.

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डिप्रेशन से बच्चों को ऐसे बचाएं

– नकारात्मक सोच से ज्यादा से ज्यादा बचने की कोशिश करें.

– वर्तमान में जीना सीखें, जो है उसमें खुश रहें और जो नही उसके बारे में सोचकर अपना आज बर्बाद ना करें.

– खाली समय में अपने आपकों खुश रखने की कोशिश करें.

– भरपूर नींद लें, लेकिन जरूरत से ज्यादा ना सोएं. समय पर सोनें और समय पर उठें.

– दोस्तों व परिवार के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं.

– हेड मसाज, सोना या स्टीम बाथ लें. इससे शरीर को आराम मिलेगा तो दिमाग को राहत मिलेगी.

– ध्यान लगाएं या योग करें. डिप्रेशन से दूर रहने के लिए योग बहुत अच्छा तरीका है.

– कम उम्र के बच्चों को भी ऐसे दौड़ भाग वाले खेलों को अपनाना चाहिये जिससे शारीरिक रसायन का संतुलन बना रहे और निराशा और डिप्रेशन से दूर रहें.

– सभी उम्र के लोगों को प्रकृति में रह कर कुछ समय बिताना चाहिये. जहां उन्हें सूर्य की रोशनी, ताजी हवा और आकाश का साथ मिल सके.

ब्रेकफास्ट में परोसें cheese सैंडविच

लोगों को हल्का और टेस्टी सैंडविच खाते हुए आपने देखा होगा. सैंडविच बिजी लाइफस्टाइल के लिए ब्रेकफास्ट में बेस्ट औप्शन होता है. इसीलिए आज हम आपको चीज ब्रेड सैंडविच के बारे में बताएंगे, जिसे आप ब्रेकफास्ट या इवनिंग स्नैक्स के रूप में खा सकते हैं. साथ ही अपनी फैमिली को भी खिला सकते हैं.

हमें चाहिए          

4 पीस ब्रेड

2 चम्मच पिज्जा सौस

2 चम्मच टमाटर सौस

2-3 चम्मच मोसेरोला चीज

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2-3 चम्मच स्वीट कौर्न

1 शिमला मिर्च

1 प्याज

1 टमाटर

1/2 चम्मच काली मिर्च पाउडर

1/2 चम्मच नमक

1-2 चम्मच फन फूड्स पिज्जा स्प्रेड

बनाने का तरीका

सबसे पहले दोनों ब्रेड में पिज्जा स्प्रेड लगाएं और फिर उसमे पिज्जा सौस, टमाटर सौस लगाकर प्याज, टमाटर, शिमला मिर्च, स्वीट कौर्न, मोसेरोला चीज को घिसकर उसमे भरे और ऊपर से एक चुटकी नमक और काली मिर्च डालकर दूसरी ब्रेड में भी सोसे लगाकर उसके ऊपर कवर करें.

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इसके बाद एक नौनस्टिक पैन को गैस पर रखें और उसे गरम होने दें, जब वह गरम हो जाये तो उसमें 1 चमच्च घी या बटर लगाएं और फिर उसके ऊपर ब्रेड का वो सैंडविच रखे, और कांच की प्लेट से ढक दे और 5 मिनट तक धीमी आंच पर सेके, 5 मिनट बाद उसे दूसरी साइड पर भी घी लगाकर 5 मिनट तक धीमी आंच पर ही सेकें. और फिर इसे सौस या चाय के साथ गरमा गरम परोसें.

टाइप्स औफ रूममेट्स

‘3 इडियट्स’ को देख कर राजू, फरहान और रैंचो जैसी दोस्ती किस को नहीं चाहिए थी. क्या जिंदगी थी उन की भी, यहां से वहां ‘भैया औल इज वैल’ गाते फिरना, रातरात भर यहां से वहां मटरगश्ती करना, किसी और की शादी में खाना खा कर आना और पकड़े जाने पर कान पकड़ना. यही तो मजा होता है रूममेट्स के साथ रहने का. लेकिन मेरी जिंदगी में ग्रहण तो तब लगा जब मैं कालेज के होस्टल में अपनी रूममेट से मिली. मेरी रूममेट बिलकुल भी वैसी नहीं थी जैसा मैं ने सोचा था.

मैं अपने रूम में घुसी तो देखा वह एक औरत, जोकि उस की मम्मी लग रही थी, के साथ बैड पर बैठी हुई थी. मैं ठहरी एक्स्ट्रोवर्ट जिसे नाचनागाना, धूम मचाना पसंद है. पर जब मैं ने उस की बातें सुनीं तो मुझे समझ आ गया कि इस की और मेरी तो कभी जमने नहीं वाली.

‘‘नहीं, मैं कहीं घूमूंगी नहीं,’’ रूममेट ने सामने बैठी आंटी से कहा.

‘‘अरे, बेटा, यही तो मौका है. कब तक ऐसी छुईमुई सी बनी बैठी रहेगी. यही तो समय है घूमनेफिरने का, थोड़ा बाहर निकल, मजे कर,’’ आंटी ने उसे समझाते हुए कहा.

‘‘मम्मी, नहीं न. मुझे यह सब पसंद नहीं है. आप छोड़ो न यह सब. आप की फ्लाइट का टाइम हो रहा है, जाओ आप.’’

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‘‘अच्छा, ठीक है, जैसा तू चाहे कर,’’ यह कहते हुए आंटी ने उसे गले लगा लिया.

मैं कोने में खड़ी यह दृश्य देख रही थी. सचमुच यह देख कर तो मेरी आंखों में आंसू आ गए. नहींनहीं, इसलिए नहीं कि दृश्य बहुत मार्मिक था, बल्कि इसलिए कि मुझे तो मेरे घर से यह कह कर भेजा गया था कि ज्यादा मटरगश्ती करने की जरूरत नहीं है दिल्ली में. और यहां देखो, माजरा ही अलग है. खैर, जातेजाते उस की मम्मी मुझे नमस्ते के साथ यह कह कर गई थी कि दोनों खूब मजे करना. अब उन आंटी को क्या कहूं कि आप की बेटी का मेरी रूममेट बनने भर से मेरा जीवन मजा से सजा के फेज में आ चुका है.

हालांकि, मैं उस रूममेट के साथ सिर्फ 5 महीने ही रही जिस में मेरा टाइम बाहर अपने दोस्तों के साथ बीतता था जबकि उस का रूम में पढ़तेपढ़ते. इस बार मेरी रूममेट मौजमस्ती करने वाली थी लेकिन अपनी सहेलियों के साथ. मैं जहां अपने बैड पर अपनी बुक ले कर पड़ी रहती, वहीं वह और उस की सहेलियां कचरमचर शोर मचाती रहतीं. इस रूममेट को भी मैं ने झेला ही था वैसे. और इस का साथ 2 सेमेस्टर तक ही चला.

चौथे सेमेस्टर तक मैं कुछ समझती न समझती, यह तो समझ ही चुकी थी कि रूममेट्स किसी भी टाइप के हों पर जो मुझे मिले उस टाइप के तो न हों. इस बार घर से वापस आ कर मैं ने कसम खा ली थी कि कुछ भी हो, पिछली 2 बारी जैसी रूममेट न हों. अगर वैसी हुईं तो मैं वार्डन के पैर पड़ जाऊंगी और रूममेट बदलवा कर छोड़ं ूगी. पर इस बार मेरी नई रूममेट कुछ अलग ही टाइप की थी. मतलब उस से 10 मिनट बात करते ही मेरे मन में मानो गाना बजने लग गया हो ‘जिस का मुझे था इंतजार, वो घड़ी आ गई आ गई है आज…’ वैसे थी तो वह मेरे जैसी ही लेकिन कुछ ज्यादा ही बकबक करती थी. पर मुझे उस की बकबक अच्छी लगती थी.

मुझे पहली 2 रूममेट्स के साथ रह कर अकेलेपन की आदत सी हो गई थी पर मेरी नई रूममेट मुझे शांत बैठने ही नहीं देती थी. हम साथ में खातेपीते, नाचतेगाते और सुखदुख बांटते. कालेज में उस का और मेरा बैच अलग था पर मेरी उस के दोस्तों के साथ और उस की मेरे दोस्तों के साथ खूब अच्छी जमती थी. ग्रैजुएट होने तक हम दोनों साथ ही रहे. उस ने और मैं ने विनती करकर के एकसाथ ही हर सेमेस्टर में रूम अलौट करवाया. पर जो बात मुझे आखिर में जा कर समझ आई वह यह थी कि इस बार मैं ने अपनी रूममेट की अच्छीबुरी सब आदतों को अपनाया था. वह सफाई नहीं करती थी तो मैं ही कर दिया करती थी.

यह तो थीं मेरी 3 अलगअलग टाइप की रूममेट्स. लेकिन रूममेट्स और भी कई टाइप की होती हैं जिन के साथ आप को कैसे न कैसे समय गुजारना ही होता है. कुछ ऐसे टाइप के रूममेट्स हैं जिन के बारे में आप को पता हो तो आप समझ जाएंगे कि आप को उन के साथ अपना टाइम कैसे बिताना है या उन से दोस्ती कैसे करनी है.

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पार्टी एनिमल

यह वह रूममेट है जिसे जब देखो तब पार्टी करने का मन होता रहता है. खासकर पीजी में रहने वाले रूममेट्स इस तरह के होते हैं. कभी ये रातरात भर भी वापस नहीं आते तो कभीकभी तो दिन में भी अपने सभी दोस्तों को बुला कर हुड़दंग मचाए रहते हैं. इस टाइप के रूममेट्स आप की नींद और प्राइवेसी में अकसर ही खलल डालते रहते हैं. इन्हें झेलने के लिए ज्यादा कुछ नहीं करना, बस, इन्हें एक बार बैठ कर समझा दीजिए कि पार्टी रूम में करनी हो तो आप से पूछ लें. कहीं ऐसा न हो कि आप का टेस्ट हो कालेज में और अपने ही रूम में आप पढ़ न पाएं.

उधारी वाला रूममेट

इस तरह के रूममेट्स अकसर ही कुछ न कुछ मांगते दिख जाते हैं, ‘भाई यार, कोई अच्छी शर्ट दे दे,’ ‘यार यह शूज पहन लूं आज, मेरे शूज फट गए हैं,’ ‘अपना डियो दिखइओ यार, मेरा खत्म हो गया,’ ‘गर्लफ्रैंड के साथ डेट है, 500 रुपए उधार दे दे न भाई.’ अगर आप को कभी ऐसे रूममेट्स मिल जाएं तो न कहने की आदत शुरू से ही डाल लीजिए. हालांकि, जब दोस्ती मजबूत हो जाती है तो इस तरह की उधारी बड़ी छोटी लगने लगती है. मगर जब उधारी हद से ज्यादा बढ़ जाए तो रोकना मुश्किल हो जाता है. बेहतर है कि इस मामले में शुरू से ही मना करना सीख जाएं.

खानाचोर

आप सुबह फ्रिज में अपनी फेवरेट आइसक्रीम रख कर जाएंगे, मगर शाम को उसे वहां नहीं पाएंगे, क्योंकि आप का खानाचोर रूममेट चुरा कर खा जाएगा. मेरे साथ कुछ ऐसा ही हुआ था. मेरे घर से मेरे लिए केले के चिप्स आए थे जिन्हें मैं ने बड़ी खुशी से अपने बैड के साइड में रखे टेबल के ऊपर रखा था. मेरी रूममेट उस वक्त रूम में नहीं थी जब वह पार्सल आया था.

शाम के वक्त मैं अपने कुछ दोस्तों के साथ घूमने निकल गई. मुझ से गलती यह हुई कि मैं उन चिप्स को छिपा कर रखना भूल गई. रात में जब मैं वापस लौटी तो मैं ने अपना चिप्स से भरा डब्बा बिलकुल खाली पाया. मन तो किया वही डब्बा उठा कर रूममेट के सिर पर मार दूं लेकिन मैं ने खुद को रोक लिया. खाना चोर रूममेट से बचने का एक ही इलाज है कि या तो उस से पहले ही सब शेयर कर के खाओ या अपना खाना छिपा कर रखना सीख जाओ.

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किताबी कीड़ा

इन रूममेट्स के हाथ में या तो हमेशा किताब दिखेगी या किताबों में ये घुसे दिखेंगे. ये वैसे तो क्लास के टौपर होते हैं लेकिन अपने दोस्तों को बखूबी समझते भी हैं. इन से आप को उस ज्ञान की प्राप्ति होती है जो न आप को कालेज के प्रोफैसर सिखाते हैं और न ही मातापिता.

आप यह कर सकते हैं कि इन्हें अपने साथ थोड़ा घुमाएंफिराएं और वापस आ कर खुद भी थोड़ा पढ़ लें जिस से चीजें समांतर हो जाएं. ये बोरिंग दिख सकते हैं पर असल में होते नहीं हैं.

कुएं का मेढक

जैसा कि नाम सुन कर ही पता चलता है, वह रूममेट जो हमेशा ही रूम में पड़ा रहता है. रूम से बाहर निकलना उसे फूटी आंख नहीं सुहाता. इस तरह के रूममेट्स को ‘चलो छोड़ दो उन के हाल पर,’ जैसी बातों के भरोसे नहीं छोड़ना चाहिए बल्कि आगे बढ़ कर उन्हें अपने प्लांस में शामिल करना चाहिए. हां, एकदो बार वे आनाकानी करेंगे या मना करेंगे पर फिर मान भी जाएंगे. रूम में ही हमेशा रहने की कोई वजह तो जरूर होगी, आप जानने की कोशिश करेंगे तो हल भी निकल आएगा.

सफाईपसंद

इस तरह के रूममेट्स का बड़ा फायदा होता है. ये जितने सफाईपसंद आप का उतना फायदा. आप के हिस्से की सफाई भी ये कर देते हैं. हां, कभीकभी आप को परेशान भी बहुत करते हैं, ‘यह चीज यहां क्यों रखी है,’ ‘यार, अपना सामान उठा कर रख न,’ आदि. इन के प्रभाव से कुछ हो न हो पर आप सफाई करना तो सीख ही जाते हैं. हां, अगर कभी ये बहुत ज्यादा गुस्सा करें तो इन को इग्नोर कर अपना पलंग फैला कर चले जाएं, आनंद आ जाएगा आप को उस की शक्ल देख कर.

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प्यार का मारा

प्यार के मारे रूममेट के तो क्या ही कहने. आप इस बात से परेशान होंगे कि पलंग पर किस तरफ मुंह कर के सोएं कि हवा ज्यादा लगे और आप की रूममेट इस बात से परेशान होगी कि उस का बौयफ्रैंड आखिर उसे मैसेज क्यों नहीं कर रहा. फिर उस का कभी ब्रेकअप होगा तो आप को उस के आंसू भी पोंछने होंगे और जब पैचअप होगा तो अपना माथा भी पीटना पड़ेगा. यह तो प्यार के मारों के साथ चलता ही रहता है. आप को बस यह ध्यान रखना है कि उन का प्यार आप के लिए सिरदर्द न बन जाए. अपनी रूममेट से पहले ही कह दें कि जब आप रूम में हों तो वह अपने बौयफ्रैंड को न बुलाए, क्योंकि सिचुएशन कभीकभी औक्वर्ड भी हो सकती है.

एंग्री बर्ड

ये रूममेट्स इतने गुस्सैल होते हैं कि कभी तो ये अपना समान फेंक देते हैं या फिर किसी के बारे में बोलना शुरू करते हैं तो चुप ही नहीं होते. कभीकभी तो गालियां भी देते हैं. आप इन के गुस्सा होने के समय थोड़ा दूर ही रहें, तो बेहतर है. हां, जब गुस्सा शांत हो तो बात करें और उन्हें समझाएं जरूर.

गंदगीपसंद रूममेट

यह वह रूममेट होता है जिसे साफसफाई से कोई प्यार नहीं होता. इस के अंडरगारमैंट्स बाथरूम में टंगे मिलेंगे और पसीने की बदबू पूरे कमरे में फैली हुई. इस तरह के रूममेट न केवल आप के वातावरण को खराब करते हैं बल्कि आप के सिर में दर्द भी पैदा कर देते हैं. इन की लाख अच्छाइयां इन की इस एक बुराई के नीचे दबने लगती हैं. दोस्ती से हट कर आप को इन्हें कड़ी हिदायतें दे कर समझाने की जरुरत होती है कि वे अपनी यह बुरी आदत सुधार लें वरना आप या तो उन की शिकायत कर देंगी या फिर अपना रूम चेंज कर लेंगी.

सोतूमल रूममेट

ये रूममेट सोने के इतने आदि होते हैं कि सुबहशाम बस सोते हुए ही दिखते हैं. आप कालेज से यह मन बना कर आते हैं कि आज तो आकाशपाताल एक कर के पढ़ाई करनी है, पर इन्हें देख कर ही उबासी लेने लगते हैं. ये रूममेट सचमुच आप के और आप की पढ़ाई के बीच की सब से बड़ी बाधा हैं. इन्हें समझाने की कोशिश करें. अगर तब भी ये अपनी हर समय सोने की आदत न छोडे़ं तो हो सके तो किसी और दोस्त के रूम पर जा कर पढ़ लें या इन से किसी दोस्त के यहां घूम आने के लिए कह दें.

सिगरेट का आदी

ज्यादतर पीजी में रहने वाले लड़के सिगरेट के आदी होते हैं. ये खुद तो सिगरेट पीते हैं, साथ ही आप के आसपास के वातावरण को प्रदूषित भी कर देते हैं. आप इन से इतना परेशान हो जाएंगे कि कभीकभी लड़ाई भी हो सकती है. बेहतर यह होगा कि आप अपने रूममेट्स के लिए कुछ नियम बना दें और उन नियमों को लागू करें.

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पहला नियम तो यही हो कि स्मोकिंग हमेशा कमरे के बाहर हो. जो यह नियम न माने उस से बात न करें या साथ हैंगआउट करना छोड़ दें. सेहत अच्छी रखना इस उम्र में बहुत जरूरी है. साथ ही, सिगरेट के धुएं के बीच पढ़ाई करना बहुत मुश्किल है.

जब आने लगें अश्लील मैसेजेज

‘हाय प्रिया”

अजनबी नंबर से आए कौल पर किसी अपरिचित द्वारा अपना नाम लिए जाने पर वह थोड़ी चौकी जरूर थी फिर सोचा कि शायद कोई हो जो जानता हो मुझे. उस ने सवाल किया, “आप कौन?”

“आप के चाहने वाले और कौन?”

सामने वाले की आवाज में शरारत भरी खनक थी. न चाहते हुए भी वह बरबस बोल पड़ी,” चाहने वाले का कुछ नाम तो होगा.”

“जो नाम चाहे वह रख लीजिए. आप के नर्म, गुलाबी होठों पर हर नाम खूबसूरत लगेगा. ”

प्रिया ने उस की लच्छेदार बातों पर विराम लगाते हुए जल्दी से यह कहते हुए फ़ोन काट दिया कि मैं अजनबियों से बात नहीं करती.

पर यह क्या आधे घंटे के अंदर दोबारा उसी नंबर से फोन देख कर पिया थोड़ी असहज हो गई. फोन उठाती हुई कठोर स्वर में बोली, “हू  इज दिस ,डिस्टर्ब क्यों कर रहे हो?”

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“मैं तो दोस्ती कर रहा हूं.”

“पर मैं अजनबियों से दोस्ती नहीं करती.”

“अजनबी कहां अभी तो बात हुई थी आप से. जहां तक नाम की बात है तो लोग मुझे राज बुलाते हैं. यदि पहचान की बात है तो आप के ही किसी दोस्त से नंबर मिला है मुझे.”

“अच्छा बोलो क्या कहना चाहते हो?”

“बस यही कि आप की निगाहें दिल में खंजर जैसी घुस जाती है. कसम से आप सामने होती तो……. ”

“तो क्या ….. ”

इस के बाद थोड़ी मस्ती भरी ,थोड़ी नोकझोंक भरी, थोड़ी रोमांटिक और थोड़ी अश्लील बातों का दौर चल पड़ा. शुरुआत में नेहा को किसी अजनबी से यों बातें करने में संकोच लगा मगर उस के बिंदास अंदाज ने वह संकोच भी दूर कर दिया. अब तो नेहा को भी मजा आने लगा. वह युवक धीरेधीरे अश्लील बातों पर उतर आया.  एकदो बार नेहा ने डांटा मगर फिर बेपरवाह हो गई. अब तो दोनों मिलने भी लगे. फिर एक दिन नेहा को अपने घर पर बुला कर उस युवक ने दोस्तों के साथ मिल कर उस के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया.

इस तरह की घटनाएं अक्सर लड़कियों और महिलाओं के साथ होती हैं. कई बार विवाहित महिलाओ को भी ऐसे फेक कॉल्स करने वाले से बातें करने की लत लग जाती है जो आगे जा कर बड़ी परेशानी की वजह बनती है.

हाल ही में द्वारका सेक्टर-7 में रिटायर्ड विंग कमांडर की पत्नी मीनू जैन (52 ) की गत 25 अप्रैल को की गई हत्या और लूट के पीछे एक ऐसे अनजान शख्स दिनेश दीक्षित का हाथ माना जा रहा है जिस ने पहले तो मीनू जैन को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी. फिर दोस्ती करने के बाद उस के घर में घुस कर उस की हत्या कर दी और करीब 50 लाख के गहने और कैश ले कर गायब हो गया.

पुलिस के मुताबिक़ मोबाइल के डेटिंग ऐप के जरिए शादीशुदा महिलाओं से दोस्ती करने में उसे खास दिलचस्पी थी. वह फ़ोन पर अश्लील फोटो और मैसेज भेज कर उन्हें अपने जाल में फंसाने का प्रयास करता. इसी क्रम में उस ने मीनू को अपना शिकार बनाया था.

इसी तरह दिल्ली की 44 वर्षीया, 2 बेटों की मां सुधा स्वीकारती हैं कि वह भी एक ऐसे ही फेक फ़ोन कौल करने वाले की गिरफ्त में आ कर अपना सुखचैन और साथ में डेढ़ लाख रूपए गंवा चुकी हैं.

वह बताती हैं कि एक बार वह किसी रोंग नंबर से बात करने लगीं और बात करतेकरते उस के प्यार में पड़ गईं. उन के बीच यह रिश्ता काफी लम्बे समय तक चला. एक दिन मोबाइल पर बहुत घबराए आवाज में उस युवक ने नेहा से कहा कि उस की बहन का एक्सीडेंट हो गया है और तुरंत ऑपरेशन की जरुरत है. डॉक्टर ढाई लाख रूपए मांग रहे हैं. मगर इतनी जल्दी में वह डेढ़ लाख ही इंतजाम कर पाया है सो हो सके तो 1 लाख की हेल्प कर दे. सुधा उस से इमोशनली इतनी ज्यादा जुड़ चुकी थी की वह इंकार नहीं कर पाई और 1 लाख रूपए उस के अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए. इसी तरह झांसा दे कर उस युवक ने सुधा से 50 हजार और निकलवा लिए. उस युवक की वजह से सुधा की अपने पति के साथ भी विवाद गहरे होने लगे. बाद में रूपए और सुखचैन गवाने के बाद सुधा को अहसास हुआ कि वह तो बुरी तरह ठगी गई है. युवक काम निकलने के बाद उस की दुनिया से गायब भी हो चुका था

इसी तरह अनजान शख्स कभीकभी महिलाओ को बदनाम करने का प्रयास भी करते है. लड़की या महिला द्वारा विरोध करने पर उसे मार डालने की धमकियाँ दी जाती हैं. जरा इन घटनाओं पर गौर करें;

अप्रैल 12, 2019

महरौली : एक राजनीतिक पार्टी से जुड़ा शख्स पवन (25 ) अपनी ही पार्टी की महिला कार्यकर्ताओं से सोशल मीडिया पर दोस्ती करता. उन को अश्लील मेसेज और विडियो भेजता, गंदीगंदी बातें करता, खुद की भी अश्लील फोटो भेजता. महिलाएं विरोध करतीं तो हाथ में चाकू लिए फोटो भेज कर उन्हें और परिवार को जान से मारने की धमकी देता. सोशल मीडिया पर बारबार अपनी आईडी बदलता ताकि पकड़ में न आ सके. महरौली थाने की पुलिस ने उसे ट्रैक कर बुधवार को गिरफ्तार कर लिया. आरोपी को कोर्ट ने जुडिशल कस्टडी में भेज दिया है.

मार्च 10, 2018

रांची की एक अदाकारा जो फिल्म एमएस धौनी: द अनटोल्ड स्टोरी में काम कर चुकी है, की फेक फेसबुक आईडी बना कर और उस से अश्लील मैसेज व फोटो भेज कर, दुरुपयोग किया गया. अदाकारा ने  इस संबंध में पुलिस में शिकायत की.

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फेक फेसबुक आईडी बनाने वाला यह शख्स फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज कर महिलाओं को बदनाम करने की धमकी देता है. उन्हें कहता है कि तुम्हें पूरी तरह से बदनाम कर दूंगा.

अप्रैल 1 ,2019

उज्जैन के शिवाजी कॉलोनी में रहने वाली २३ वर्षीया युवती को एक अनजान शख्स द्वारा लगातार अश्लील मैसेज और फोटो पोस्ट किये जाने का मामला सामने आया. युवती ने उस का नंबर ब्लॉक कर दिया तो वह दूसरे नंबर से वही काम करने लगा. युवती द्वारा विरोध किये जाने पर उस पर तेज़ाब फेंकने की धमकी दे डाली. इस के बाद युवती ने थाने जा कर शिकायत दर्ज कराई.

दरअसल आजकल तकनीकी विकास और मोबाइल के बढ़ते प्रयोग ने जहाँ जिंदगी आसान बनाई है वहीँ लोगों की निजी जिंदगी में घुसपैठ करना भी आसान हो गया है. अब कोई भी ऐरागैरा आप के जीवन में ताकझांक कर सकता है और आप को परेशान भी कर सकता है. खास कर महिलाएं और लड़कियां आवारा लड़कों के निशाने पर होती हैं. जो उन्हें अक्सर अश्लील मेसेजेस ,फोटोज और फेक कॉल्स से परेशां करते हैं.

हाल ही में (अप्रैल 17, 2019) मोबाइल एप ट्रूकौलर द्वारा 2,150 महिलाओं पर करवाए गए एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि देश में मोबाइल का इस्तेमाल करने वाली 3 में से 1 महिला को नियमित रूप से अश्लील फोन या मैसेज आते है. जिन में 11% लोग उन की जानपहचान वाले होते हैं. हालांकि ये मामले 2017 के मुकाबले 2018 में कुछ कम हुए हैं.

महिलाओं पर प्रभाव

इस तरह मोबाइल पर भेजे जाने वाले अश्लील मेसेजेस और फोटोज के कारण महिलाओं को मानसिक उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है. उन के मानसिक स्वास्थ्य पर भी इस का बुरा असर पड़ता है. करीब पांच में से चार महिलाओं ने कहा कि इस तरह के कॉल्स के कारण उन्हें क्रोध और चिड़चिड़ाहट महसूस हुई जब कि तीन में से एक महिला ने इन की वजह से डर और चिंता के भाव महसूस किये.

क्या करती हैं महिलाएं

62% महिलाएं उस अनजान कौलर को सर्च करने की कोशिश करती हैं. 16% महिलाएं सोशल मीडिया पर इस का जिक्र करती हैं, स्क्रीन शॉट और नंबर शेयर करती हैं. 1% अपने परिवार के किसी पुरुष सदस्य या दोस्त को कौल रिसीव करने को कहती हैं. 11% अपना नंबर बदल देती हैं. 32% ऐसे कौल को नजरअंदाज करती हैं. वहीं 92% महिलाएं सीधे नंबर ब्लॉक कर देती हैं.

कितनी बार आते हैं ऐसे कौल्स

सर्वे में शामिल की गई महिलाओं में से करीब 50 प्रतिशत महिलाओं को अश्लील और सेक्सुअल कन्टेन्ट से जुड़े कौल  सप्ताह में एक बार आए वहीं 9 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि उन्हें ऐसे कॉल्स का सामना रोज करना पड़ता है.

कौन भेजता है महिलाओं को इस तरह के मैसेज या कौल

सर्वे के मुताबिक महिलाओं को अश्लील कौल या मैसेज करने वालों में 74% अनजान कौलर होते हैं. 23% स्टौकर होते हैं, वहीं 11% लोग महिला की पहचान वाले होते हैं. सर्वे में शामिल हुईं 53 प्रतिशत से ज्यादा महिलाओं ने माना कि उन्हें जालसाजी व ठगी से जुड़े कौल किए गए.

फोन पर उत्पीड़न में दिल्ली टौप पर

दिल्ली में 28% महिलाओं को हर सप्ताह यौन उत्पीड़न से जुड़े कौल या मैसेज आते हैं. जो बाकि किसी भी राज्य की तुलना में सब से ज्यादा है. इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन औफ इंडिया की तरफ से जारी रिपोर्ट ‘इंटरनेट इंन इंडिया 2017’ के मुताबिक देश में 50 करोड़ इंटरनेट यूजर्स हैं जिन में 30% यानी 14.3 करोड़ महिलाएं हैं. देश में इंटरनेट का सब से अधिक इस्तेमाल यंगस्टर्स और स्टूडेंटस करते हैं. गांवों में 100 इंटरनेट यूजर्स में 36 महिलाएं ही इंटरनेट का इस्तेमाल करती हैं. एनसीआरबी के मुताबिक 2016 में देश में महिलाओं के खिलाफ साइबर क्राइम के 930 मामले दर्ज किए गए थे.

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क्या करें

  1. दोस्ती करें सोच समझ कर

किसी ने आप को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी और आप ने तुरंत स्वीकार कर लिया इस टेंडेंसी को छोड़ दें. दोस्ती हमेशा सोचसमझ कर करें. अनजान लोगों की रिक्वेस्ट को इग्नोर करें या डिलीट मार दें. यदि कोई पुराण दोस्त जानबूझ कर आप को परेशान कर रहा है तो पहले उसे समझाने का प्रयास करें कि आप को यह सब पसंद नहीं. मगर यदि वह न माने तो उसे तुरंत ब्लॉक कर दें. किसी को भी इतनी ढील न दें कि वह आप को परेशान कर सके.

  1. झांसे में न आएं

कभी भी अश्लील मैसेज और फेक कौल्स करने वाले व्यक्ति के झांसे में न आएं. यदि किसी वजह से आप ने उस से दोस्ती कर ली है तो भी कभी उस के बुलाने पर अकेली, सुनसान जगह या अकेले उस के घर पर मिलने न जाएं. मिलना ही है तो मॉल या मेट्रो स्टेशन जैसी खुली जगहों पर मिलें. उसे अपनी निजी बातें न बताएं और कभी भी ऐसी निजी तस्वीरें शेयर न करें जिन का वह गलत इस्तेमाल कर सके.

  1. कानून का सहारा लें

फोन पर बिना मर्जी दोस्ती के लिए कहना भी अपराध है. महिलाओं के साथ होने वाले इस तरह के छेड़छाड़ या उत्पीड़न के मामलों में सामान्यतः आरोपी के खिलाफ धारा 354 के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है. महिलाओं को फोन या सोशल मीडिया पर उन की इच्छा के बिना दोस्ती के लिए कहना उत्पीड़न का मामला है. इस तरह किसी की निजता में दखल देना अपराध माना जाता है. बारबार टैक्स्ट मैसेज भेजना, मिस्ड कौल करना, फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजना, महिला के स्टेटस अपडेट पर नजर रखना और सोशल मीडिया पर उस के पीछे लगे रहना आईपीसी की धारा 354 डी के तहत दंडनीय अपराध है.

पुलिस में शिकायत करें

महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा के लिए पुलिस ने अब इस तरह के मामलों में साइबर क्राइम के तहत मामला दर्ज करना शुरू कर दिया है. पहले फोन पर मैसेज करने या अश्लील फोटो भेजने पर पुलिस रिपोर्ट तो दर्ज कर लेती थी लेकिन ऐसे मामलों में कार्रवाई करना मुश्किल होता था. क्यों कि ज्यादातर लड़के फेक आईडी पर सिम कार्ड ले कर इस तरह की हरकत करते हैं. ऐसे में कई बार उन्हें सबक सिखाने के लिए आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर मामले की जांच की जिम्मेदारी क्राइम ब्रांच को सौंप दी जाती है  ताकि क्राइम ब्रांच सर्विलांस की मदद से आरोपी पर कार्रवाई कर सके.

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मलाल रिव्यू: शानदार अभिनय के साथ कमजोर फिल्म

रेटिंगः दो स्टार
निर्माताः संजय लीला भंसाली, महावीर जैन,भूषण कुमार व किशन कुमार
निर्देशकः मंगेश हड़वले
कलाकारः शरमिन सहगल, मीजान जाफरी, समीर धर्माधिकारी,अंकुर बिस्ट व अन्य
अवधिः दो घंटे, 17 मिनट

2004 की सफल तमिल फिल्म ‘‘ सेवन जी रेनबो कालोनी’’ की हिंदी रीमेक फिल्म ‘‘मलाल’’ नब्बे के दशक की प्रेम कहानी है, मगर फिल्मकार ने इस प्रेम कहानी में नब्बे के दशक में मुंबई में महाराष्ट्रियन बनाम उत्तर भारतीय का जो मुद्दा था, उसे जबरन ठूंसने का प्रयास कर फिल्म को तबाह कर डाला. लेखक व निर्देशक ने अपनी गलती से फिल्म को इतना तबाह किया कि इस फिल्म से करियर की शुरूआत कर रहे शरमिन सहगल और मीजान जाफरी भी अपने बेहतरीन अभिनय से फिल्म को नहीं बचा सके.

इतना ही नहीं फिल्म ‘‘मलाल’’ के निर्माता, सह पटकथा लेखक व संगीतकार संजय लीला भंसाली हैं. मगर ‘मलाल’से भंसाली की प्रेम कहानी प्रधान फिल्मों में मौजूद रहने वाला गहरा व जटिल प्यार तथा भव्यता गायब है. प्यार इंसान को तबाही या उंचाई पर ले जा सकता है, इस मुद्दे को भी फिल्मकार गंभीरता से पेश नहीं कर पाएं.

कहानीः
फिल्म की कहानी नब्बे के दशक में मुंबई के महाराष्ट्रियन बाहुल्य इलाके में क्रिकेट मैच से शुरू होती है. इस क्रिकेट मैच में राजनेता सावंत (समीर धर्माधिकारी) की टीम जब हार के कगार पर पहुंच जाती है, तो सावंत के इशारे पर उनके सहयोगी जाधव अम्पायर को इशारा करते हैं और सावंत की टीम एक रन से मैच जीत जाती है, मगर विरोधी टीम की तरफ के खिलाड़ी शिवा मोरे (मीजान जाफरी) को अम्पायर के गलत निर्णय पर गुस्सा आता है और वह अम्पायर की जमकर पिटाई करता है. जिसे देख सावंत अपनी टीम की हार स्वीकार कर ट्राफी शिवा मोरे को दिलाते हैं. सावंत, जाधव से कहते हैं कि शिवा को आफिस में मिलने के लिए बुलाया जाए, क्योंकि यह उनके काम का है. शिवा ट्राफी लेकर जब चाल के अपने घर में जाता है, तो सीढ़ियों पर उसकी मुठभेड़ आस्था त्रिपाठी (शरमिन सहगल) से होती है, जो कि उसी चाल में प्रोफेसर भोसले के मकान में किराए पर अपने माता-पिता व छोटे भाई के साथ रहने आयी है. आस्था के पिता अमीर थे और शेयर बाजार में बहुत बड़े दलाल थे. मगर शेयर बाजार में ऐसा नुकसान हुआ कि उन्हे चाल में किराए पर रहने के लिए मजबूर होना पड़ा. स्टौक शिवा मोरे चाल में रहने वाला टपोरी किस्म का बदमाश महाराष्ट्रियन लड़का है, जिससे उसके माता पिता भी परेशान रहते हैं. मगर सावंत, शिवा से कहता है कि उसे तो अपने मराठी माणुस की मदद करनी चाहिए और उत्तर भारतीयों को भगाना चाहिए. इससे शिवा को जोश आ जाता है और वह फोन करके प्रोफेसर भोसले से कहता है कि वह एक उत्तर भारतीय को अपना चाल का घर किराए पर देकर अच्छा नही कर रहा हैं. इस पर प्रोफेसर भोसले उसे डांट देता है. शिवा की मां सहित चाल में रह रहे सभी निवासी आस्था व उसके परिवार के साथ अच्छे संबंध जोड़ लेते हैं, मगर शिवा उसे पसंद नहीं करता. सीए की पढ़ाई कर रही आस्था चाल में रह रहे सभी बच्चो को छत पर ट्यूशन पढ़ाने लगती है, ट्यूशन पढ़ने वालों मे शिवा की बहन भी है.

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एक दिन शिवा अपने बदमाश दोस्तों के साथ शराब की बोटलों के साथ छत पर पहुंचते हैं. आस्था के साथ उसका विवाद होता है. आस्था कहती है कि वह इंडियन है और मुंबई भी इंडिया है,  इसलिए यहां हर इंडियन को रहने का हक है. उसके बाद आस्था मराठी भाषा में शिवा को जवाब देती हैं, जिससे शिवा सारा टपोरीपना गायब हो जाता है और वह आस्था को दिल दे बैठता है. अब शिवा, सावंत से भी दूरी बना लेता है. इधर आस्था के माता पिता उसकी शादी विदेश से पढ़ाई करके लौटे अमीर लड़के आदित्य से तय कर देते हैं. जबकि शिवा, आस्था को टूटकर चाहने लगता है और शिवा की जिस बुराई को आस्था पसंद नही करती, वह सारी बुराइयां वह छोड़ने लगता है. धीरे-धीरे शिवा मारा-मारी करना, शराब पीना, सिगरेट पीना छोड़ देता है.

आस्था के प्यार में शिवा अपनी जिंदगी की दिशा व दशा दोनों बदल देता है. एक दिन आस्था अपने माता-पिता के सामने शिवा से स्वीकार करती है कि वह शिवा से बहुत प्यार करती है, मगर उससे ज्यादा प्यार वह अपने पिता से करती है. पिता के आदेश के चलते वह शादी सिर्फ आदित्य से करेगी. यानी कि प्यार पर कर्तव्य भारी पड़ जाता है. आस्था एक मशहूर शेयर ब्रोकर के यहां शिवा को नौकरी दिलवा देती है, बैंक में उसका खाता खुलवा देती है, उसके बाद वह शिवा के साथ अपनी सहेली के घर में कुछ समय बिताती है. वापसी में शिवा कहता है कि वह आस्था के पिता को मनाने का प्रयास करेगा. मगर कहानी कुछ अलग ही रूप ले लेती है.

लेखन व निर्देशनः
फिल्म ‘‘मलाल’ देखकर इस बात का अहसास ही नहीं होता कि इसका निर्देशन 11 वर्ष पहले राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त दिल को छू लेने वाली मराठी भाषा की फिल्म ‘‘टिंग्या’’ का निर्देशन करने वाले निर्देशक मंगेश हडवले ने किया है. फिल्मकार ने कहानी 1998 में शुरू करते हुए उस वक्त मुंबई में उत्तर भारतीयों के खिलाफ शिवसेना का जो रूख था, उसे चित्रित किया, मगर पांच मिनट बाद ही फिल्मकार यह मुद्दा पूरी तरह से भूल गए. पांच मिनट पूरी फिल्म में कहीं भी नेता सावंत नजर नहीं आए. इंटरवल से पहले फिल्म बहुत बेकार है. इंटरवल से पहले फिल्मकार ने बेवजह ही डांस व एक्शन सीन्स भरे हैं. मगर इंटरवल के बाद सही मायनों में प्रेम कहानी शुरू होती है. पर जरुरत से ज्यादा मेलोड्रामा है.

फिल्मकार महाराष्ट्रियन परिवेश और चाल के जीवन का यथार्थ चित्रण करने में जरुर सफल रहे हैं. यूं तो यह एक तमिल फिल्म का रीमेक है, मगर दर्शक को फिल्म देखते हुए ‘‘तेरे नाम’’ सहित कुछ पुरानी फिल्मों की याद आ जाती है. फिल्म के कुछ संवाद हालिया रिलीज फिल्म ‘‘कबीर सिंह’’ की याद दिला देते हैं.

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अभिनयः

महाराष्ट्रियन टपोरी किस्म के बदमाश या यूं कहें कि गुंडे किस्म के शिवा के किरदार को परदे पर जीवंत करने में मीजान काफी हद तक सफल रहे हैं. उनके चेहरे पर गम, दर्द व प्यार के भाव भी बाखूबी उभरते हैं. एक्शन सीन हो या इमोशनल या फिर रोमांस का मसला हो हर जगह मीजान प्रभावित करते हैं. डांस में उन्हे अभी थोड़ी और मेहनत करने की जरुरत है. आस्था के किरदार के साथ शरमिन सहगल ने भी न्याय किया है. वह मासूम व सुंदर नजर आयी हैं. लेकिन कमजोर पटकथा व कमजोर चरित्र चित्रण के चलते इन दोनों की प्रतिभा भी ठीक से उभर नहीं पाती. समीर धर्माधिकारी ने यह फिल्म क्यों की, यह बात समझ से परे हैं.

फिल्म खत्म होने के बाद दर्शक खुद को ठगा हुआ महसूस करता है, उसकी समझ में नहीं आता कि आखिर फिल्म बनाई ही क्यो गयी?

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