पति के साथ करीना के गाने पर यूं नाचीं प्रियंका चोपड़ा, देखें VIDEO

बौलीवुड से दूर प्रियंका चोपड़ा इन दिनों अपने पति निक जोनस और ससुरालवालों के साथ फुर्सतभरे पल बिता रही हैं. अब तो प्रियंका ने जोनस फैमिली को भी अपने रंग में रंग लिया है, जिसका सबूत है उनका ये लेटेस्ट वायरल वीडियो. इस वीडियो में प्रियंका अपने पति और जेठ जेठानी के साथ करीना कपूर और सोनम के पौपुलर तारीफां सौन्ग पर डांस करती नजर आईं. ये वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसे सोशल मीडिया यूजर्स काफी पसंद कर रहे हैं.

मियामी में मना रहे हैं छुट्टियां…

प्रियंका इन दिनों जोनस फैमिली के साथ मियामी में छुट्टियां मना रही हैं. उनके साथ पति निक और उनके भाई जो जोनस, केविन जोनस और होने वाली जेठानी सोफी टर्नर (गेम ऑफ थ्रोन्स फेम) भी हैं. प्रियंका ने मस्ती भरा अपना यह वीडियो अपने इंस्टाग्राम पर शेयर किया है. इस वीडियो में वह बीच में बेबो का नाम लेती हुई भी सुनाई दे रही हैं.

 

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When Bollywood music kicks in.. #tareefan #kareenakapoor @sonamkapoor @badboyshah ❤️ @nickjonas @joejonas @sophiet

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सोनम ने की तारीफ…

प्रियंका और निक के इस वीडियो पर करीना का रिएक्शन तो पता नहीं चला है लेकिन सोनम कपूर ने जरूर देसी गर्ल के इस डांस पर रिएक्शन दिया है. उन्होंने प्रियंका की तारीफ करते हुए लिखा- वाह पीसी.

 

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When the crew looks this good ???❤️

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कुछ दिन पहले ही करीना कपूर और प्रियंका चोपड़ा, करण जौहर के चैट शो ‘कॉफी विद करण’ में साथ नजर आई थीं, जहां उन्होंने अपने कौमन एक्स शाहिद कपूर के बारे में भी बातचीत की थी. बहरहाल आप हमे ये जरूर बताइएगा कि आपको ये वीडियो कैसा लगा.

 

 

स्ट्रोक का खतरा कम करता है संतरे का जूस

गरमी ने दस्तक दे दी है, अब घर से बाहर निकलने से पहले धूप और लू से बचने की तैयारी अहम हो गई है. इसलिए जरूरी है कि आप प्रुर मात्रा में पानी पीने के साथ साथ फलों के जूस का भी सेवन करें. गरमी में संतरा अधिक प्रासंगिक हो जाता है. संतरा विटामिन सी का प्रमुख स्रोत है, इसके साथ ही इसमें बहुत से एंटीऔक्सिडेंट पाए जाते हैं. बेहतरीन स्वाद के साथ साथ तुरंत उर्जा के लिए भी ये ड्रिंक अहम है.

हाल ही में एक जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट की माने तो संतरे के जूस के नियमित सेवन से स्ट्रोक के खतरे को कम किया जा सकता है. ब्रिटिश जर्नल औफ न्यूट्रिशन में छपी इस रिपोर्ट की माने तो जो भी लोग संतरे की जूस का सेवन करते हैं उनमें ब्रेन स्ट्रोक होने का खतरा दूसरे लोगों के मुकाबले 24 फीसदी कम होता है. इसके अलावा दिल की बीमारियों का खतरा भी कम होता है. इस स्टडी के लिए शोधकर्ताओं की टीम ने करीब 20 से 70 वर्ष के 35,000 पुरुष और महिलाओं की जांच की है.

शुगर के मरीजों के लिए जरूरी है कि वो जूस का सेवन करते वक्त चीनी को अधिक मात्रा में ना सेवन करें. एक और रिपोर्ट में कहा गया है कि सिर्फ संतरा ही नहीं, बल्कि दूसरे जूस भी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं और उनसे भी स्ट्रोक का खतरा कम होता है. हालांकि, शोधकर्ताओं की टीम ने ये भी कहा कि जूस के कई फायदे होते हैं, लेकिन फिर भी लोगों को ज्यादा मात्रा में ताजे फलों का सेवन करना चाहिए.

अभी अभी लगी है नौकरी तो इन बातों को रखे ध्यान में

अपने कामकाजी वर्षों में उतर रहे अधिकतर युवा इस बात से अनजान होते हैं कि वित्तीय नियोजन (फाइनेंशियल प्लेनिंग) की शुरुआत कब की जाए. कुछ तो आर्थिक नियोजन के बारे में काफी देर तक सोचते भी नहीं, जबकि कुछ इसे बेहद कठिन काम मान कर इससे बचते हैं.

निजी वित्त प्रबंधन (फाइनेंस मेनेजमेंट) में किसी का गणित में अच्छा होना जरूरी नहीं है. आर्थिक नियोजन की सही राह पर चलने के लिए आपको थोड़े से अध्ययन और इस दिशा में काम करने के लिए तैयार होने की ही जरूरत है. कुछ मूलभूत बातों का पालन कर इसे आसानी से किया जा सकता है.

खर्च पर नियंत्रण रखना जरूरी

अच्छे वित्त के प्रबंधन के लिए आप को अपनी जरूरतों और इच्छाओं में अंतर समझना आवश्यक है. कोई भी सामान खरीदने से पहले अपनी वित्तीय स्थिति पर उसके परिणामों का आकलन करें और इस पर भी गौर करें कि आपको उसकी कितनी जरूरत है.

यदि उस सामान को खरीदने की अत्यंत आवश्यकता है और आपके वित्त पर ज्यादा दबाव नहीं पड़ेगा तभी अपने फैसले पर आगे बढ़ें. इसका यह मतलब कतई नहीं कि आप जिंदगी का आनंद उठाना छोड़ दें.

दोस्तों के साथ घूमना-फिरना और मनोरंजन किसी भी युवा के लिए प्रमुख जरूरत है, क्योंकि उन्होंने कई सालों तक पढ़ाई में कड़ी मेहनत करने के बाद नौकरी करना आरंभ किया है. लेकिन जिन चीजों की आपको जरूरत नहीं है, उन्हें खरीदने पर लगाम लगाना बहुत जरूरी है और इसके लिए आप में आत्म-नियंत्रण की भावना मजबूत होनी चाहिए.

बजट बनाकर तय करें दायरा

एक बार वित्तीय लक्ष्य तय करने के बाद, बजट बनाएं और प्रयत्न पूर्वक उसका ज्यादा से ज्यादा पालन करें. एक महीने बाद, आपको अहसास होगा कि बजट बनाना और खर्चों पर नजर रखना कितना मददगार होता है.इससे आपको पता चलता है कि आपको कितना पैसा खर्च करना चाहिए और कितनी बचत करने की आवश्यकता है. इससे आपके वित्तीय मसलों के बारे में भी स्पष्ट जानकारी मिलती है और आप अनावश्यक खर्चों अथवा उधारी से बचकर अपने पास उपलब्ध साधनों में जीवन-यापन कर सकते हैं.

सुनियोजित बजट द्वारा चिंता के मामलों पर जोर दिया जाता है और यह व्यर्थ खर्चों से दूर रहने में मदद करता है. आपको यह समझना जरूरी है कि समझदारी से किया गया खर्च एक प्रकार की बचत है.

इमरजेंसी के लिए भी बचत करें

हर दिन एक जैसा नहीं होता. जरूरी नहीं कि आज आपकी नौकरी सुरक्षित है, तो कल भी ऐसा ही हो. आज के परिदृश्य में व्यक्ति को कभी भी मंदी की मार झेलनी पड़ सकती है और कारोबारी रणनीति में बदलाव होने अथवा उच्च शिक्षा का फैसला करने के कारण नौकरी से भी अलग होना पड़ सकता है.

परेशानी के वक्त के लिए थोड़ा पैसा बचाना समझदारी भरा कदम होता है. नियमित मासिक राशि में से थोड़ा सा हिस्सा अलग निकालें, जिसे मासिक खर्च से अलग रखना चाहिए. स्वस्थ इमरजेंसी फंड आपको बेहद जरूरी आराम एवं सहजता प्रदान करता है.

अपने लक्ष्यों पर टिके रहें

नौकरी की शुरुआत करने से पूर्व जरूरी है कि आप अपने लक्ष्यों को निर्धारित कर उसी दिशा में काम करें. लक्ष्यों की समय सीमा अलग-अलग होती है. कुछ लक्ष्य छोटी अवधि के होते हैं, तो कुछ मध्य अवधि के. वहीं कुछ लक्ष्य दीर्घकालिक होते हैं, लेकिन हमेशा अपने लक्ष्यों की दिशा में ही काम करें. लक्ष्य तय करना और उसी दिशा में आगे बढ़ने से आप अपनी पूंजी और समय का सही चीजों में निवेश करने में सक्षम होंगे.

अनफेबरेबल सिचुएशन के लिए भी रहें तैयार

जीवन में अपने आप को बुरे वक्त के लिए तैयार रखना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि यह किसी पर भी आ सकता है. स्वास्थ्य और जीवन बीमा कवर लेना बुरे वक्त में काफी मददगार साबित होता है.

अप्रत्याशित स्थितियों में आपको वित्तीय स्थिरता उपलब्ध कराकर आपकी एवं परिवार की मदद करता है. यह अप्रत्याशित स्थिति अस्पताल में भर्ती होना, चोट लगना अथवा मौत होना हो सकती है, जो आपकी जिंदगी को पूरी तरह से बदल सकती है.

जीवन बीमा इन अप्रत्याशित घटनाओं के प्रति सुरक्षा प्रदान करता है. जीवन बीमा लेने से पहले खुद का पर्याप्त बीमा कराने पर अवश्य ध्यान दें, ताकि भविष्य में आप पर निर्भर लोगों को सहयोग मिल सके.

मेरी शादी होने वाली है. मैं सैक्स को लेकर डरी हुई हूं…

सवाल…

मेरी उम्र 21 साल है और जल्द ही शादी होने वाली है. मैं शादी के बाद सैक्स को ले कर डरी हुई हूं. क्या महिलाओं में सैक्स संबंधी समस्याएं होती हैं? क्या इन का उपचार संभव है?

जवाब…

शादी के बाद सैक्स को ले कर आप नाहक डरी हुई हैं. सैक्स संबंध कुदरती प्रक्रिया है. महिलाओं में भी सैक्स समस्याएं हो सकती हैं जैसे सैक्स संबंध के समय योनि में दर्द, चरमसुख का अभाव, उत्तेजना में कमी आदि. मगर पुरुषों की ही तरह महिलाओं की सैक्स समस्याओं का भी निदान संभव है. आप के लिए बेहतर यही है कि इन सब बातों से डरे बगैर खुद को शादी के लिए तैयार करें.

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ये 5 गलतियां करती हैं रिश्तों को कमजोर…

रिश्ते बनाना तो बहुत आसान होता है लेकिन उन्हें संभालना मुश्किल होता है. एक अच्छे रिश्ते का मतलब केवल फूल देना और अच्छी जगह पर डिनर करना नहीं होता है. वैसे तो बहुत सी ऐसी चीजें होती हैं जिन्हें करने से आपके रिश्ते खराब हो सकते हैं लेकिन ऐसी कुछ गलतियां है जो आपको एक सीरियस रिलेशनशिप में भूल कर भी नहीं करनी चाहिए. अगर आप अपने रिश्ते के बौन्ड को और मजबूत बनाना चाहते हैं तो इन 5 गलतियों से जरूर बचे.

1.रोमांस में कमी

एक समय पर आप संतुष्ट हो जाते हैं और भूल जाते है कि रिश्ते में प्यार और रोमांस भी जरुरी है. ऐसा माना जाता है की प्यार दिखाया नहीं समझा जाता है. अगर आप किसी से सच्चा प्यार करते हैं तो वो इंसान खुद ही आपके प्यार को समझेगा मगर कभी-कभी अगर अपने प्यार को जाहिर कर देंगे तो इससे आपके साथी को एक अलग खुशी मिलेगी. आपके लिए जरुरी है कि रिश्ते में रोमांस को बनाएं रखें और इसे बरकरार रखने के लिये एफर्ट डालें. कभी-कभी प्यार जताकर अपने साथी को खास महसूस कराया जा सकता है.

2.परफेक्ट पार्टनर की उम्मीद…

इस दुनिया में कोई इंसान बिल्कुल परफेक्ट नहीं होता है इसलिए इसकी उम्मीद करना बेवजह है. हर चीज में अपने साथी को टोकते रहना और उसकी गलतियां निकालना सही नहीं है. अगर उनसे कोई गलती हो जाए तो उन्हें डांटने के बजाय समझाये. बार-बार उनकी गलती को गिनवाने से उनका आत्म-विश्वास कम होगा. बेहतर होगा कि आप अपनी उम्मीदें जरुरत से ज्यादा ना रखें. अगर कोई गलती भी हो जाए तो उसे दूसरों के सामने ना गिनाएं बल्कि उन्हें आपस में निपटा लें, उन्हें सुधारने का तरीका बताएं ताकि दोबारा उनसे वही गलती न हो जाए.

3.आमना-सामना करने से बचना…

बहुत बार हम सोचते हैं कि किसी भी झगड़े को खत्म करने के लिए उसके बारे में बात ही ना की जाए. बिना बात किए आपके सारे झगड़े खत्म नहीं होंगे बल्कि और ज्यादा बढ़ जाएंगे. अगर आप-दोनों के बीच लड़ाई हो तो उसका सामना करें. आमना-सामना करने से आप अपने बीच की प्रॉब्लेम को दूर कर पाएंगे. इन झगड़ों को अपने साथी को बताने के बजाय दूसरों को बताने की गलती ना करें. ऐसा करने से लोगों के सामने आपका ही मजाक बनेगा. कोई आपके प्रोब्लेम का हल नहीं निकालेगा बल्कि आपको और निराश ही करेगा. कोशिश करें कि आप एक-दूसरे से आराम से बैठकर बात करें और अपने प्रोब्लम का हल खुद निकाले.
4.ज्यादा बांधकर न रखें…
अपने रिश्ते को थोड़ा स्पेस दें. ज्यादा दखल देना भी अच्छा नहीं होता है. जब आप प्यार में होते हैं तो आप चाहते हैं कि सभी चीजें साथ में करें लेकिन रिश्ते की शुरुआत में ही ऐसा ठीक लगता है. जैसे आप आगे बढ़ते हैं तो ज्यादा साथ रहना भी आपके रिश्ते को नुकसान पहुंचा सकता है. हर इंसान की अपनी एक लाइफ होती है और थोड़ा निजीं समय आपके रिश्ते को बेहतर बना सकता है.

5.खुद को या साथी को बदलने की कोशिश…

कभी भी अपने पार्टनर को खुश करने के लिए खुद को नहीं बदले या फिर अपनी खुशी के लिये साथी को बदलने की कोशिश ना करें. अगर आप प्यार में हैं तो आप जैसे हैं उन्हें वैसे ही अच्छे लगेंगे और आपको भी उन्हें ऐसे ही पसंद करना चाहिए. अगर कोई आपको बदलना चाहता है तो उन्हें आपसे ज्यादा दिखावे से प्यार है. प्यार करने का मतलब एक-दूसरे की हर छोटी-बड़ी चीजों से प्यार करना होता है. हर तरह से एक-दूसरे को समझना होता है.

पीनट्स चौको नेस्ट बनाने का आसान तरीका

सामग्री

– 200 ग्राम मूंगफली

– 2 बड़े चम्मच

– सेंवइयां

– 4 छोटे चम्मच घी

– 1 छोटा चम्मच खसखस

– 1/2 कप दूध

–  4-5 बिस्कुट

बनाने की विधि

– मूंगफली को बिना चिकनाई के भून कर छिलका उतार लें.

– फिर चीनी को ग्राइंडर में पीस लें.

– खसखस को रोस्ट कर के अलग रख लें.

– घी में सेंवइयों को सुनहरा होने तक भूनें.

– अब पैन गरम कर के थोड़ा घी डालें.

– फिर मूंगफली पाउडर डाल कर 1-2 मिनट भूनें.

– दूध डाल कर दूध सूखने दें और आंच बंद कर के खसखस मिलाएं व मिश्रण के छोटे गोले बना लें.

– कुनकुने दूध में बिस्कुट का पेस्ट बना कर गोलों को डिप करते जाएं.

– फिर सेंवइयों में रोल करते हुए नेस्ट का आकार दे कर चौको नेस्ट सैट होने के लिए 10 मिनट तक फ्रिज    में रख दें.

 -व्यंजन सहयोग: अर्चना 

5 टिप्स: गरमी में पसीने की बदबू को ऐसे कहें बाय बाय

झुलसाती गरमी में त्वचा और स्वास्थ्य संबंधी नई नई समस्याएं सिर उठाने लगती हैं. इन में बड़ी समस्या पसीना आने की होती है. सब से ज्यादा पसीना बांहों के नीचे यानी कांखों, तलवों और हथेलियों में आता है. हालांकि ज्यादातर लोगों को थोड़ा ही पसीना आता है, लेकिन कुछ को बहुत ज्यादा पसीना आता है.

कुछ लोगों को गरमी के साथ साथ पसीने की ग्रंथियों के ओवर ऐक्टिव होने के चलते भी अधिक पसीना आता है जिसे हम हाइपरहाइड्रोसिस सिंड्रोम कहते हैं. बहुत ज्यादा पसीना आने की वजह से न सिर्फ शरीर में असहजता महसूस होती है, बल्कि पसीने की दुर्गंध भी बढ़ जाती है. इस से व्यक्ति का आत्मविश्वास डगमगा जाता है.

tips of saving

पसीने और उस की दुर्गंध पर ऐसे पाएं काबू….

  1. साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें

पसीना अपनेआप में दुर्गंध की वजह नहीं है. शरीर से दुर्गंध आने की समस्या तब होती है जब यह पसीना बैक्टीरिया के साथ मिलता है. यही वजह है कि नहाने के तुरंत बाद पसीना आने से हमारे शरीर में कभी दुर्गंध नहीं आती.

दुर्गंध आनी तब शुरू होती है जब बार बार पसीना आता है और सूखता रहता है. पसीने की वजह से त्वचा गीली रहती है और ऐसे में उस पर बैक्टीरिया को पनपने का अनुकूल माहौल मिलता है. अगर आप त्वचा को सूखा और साफ रखें तो पसीने के दुर्गंध की समस्या से काफी हद तक बच सकती हैं.

2. स्ट्रौंग डियोड्रैंट और ऐंटीपर्सपिरैंट का इस्तेमाल करें…

हालांकि डियोड्रैंट पसीना आने से नहीं रोक सकता है, लेकिन यह शरीर से आने वाली दुर्गंध को रोकने में मददगार हो सकता है. स्ट्रौंग पर्सपिरैंट पसीने के छिद्रों को बंद कर सकते हैं, जिस से पसीनाकम आता है. जब आप के शरीर की इंद्रियों को यह महसूस हो जाता है कि पसीने के छिद्र बंद हैं तो वे अंदर से पसीना छोड़ना बंद कर देती हैं.

ये ऐंटीपर्सपिरैंट अधिकतम 24 घंटे तक कारगर रहते हैं. अगर इन का इस्तेमाल करते समय इन पर लिखे निर्देशों का पालन न किया जाए तो ये त्वचा के इरिटेशन की वजह भी बन सकते हैं. ऐसे में कोई भी ऐंटीपर्सपिरैंट इस्तेमाल करने से पहले डाक्टर की सलाह जरूर लें.

3. लोंटोफोरेसिस

यह तकनीक आमतौर पर उन लोगों पर इस्तेमाल की जाती है, जो हलके ऐंटीपर्सपिरैंट इस्तेमाल कर चुके होते हैं, लेकिन उन्हें इस से कोई फायदा नहीं होता है. इस तकनीक से आयनोटोफोरेसिस नामक मैडिकल डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता है, जिस के माध्यम से पानी वाले किसी बरतन या ट्यूब में हलके इलैक्ट्रिक करंट डाले जाते हैं और फिर प्रभावित व्यक्ति को इस में हाथ डालने के लिए कहा जाता है.

यह करंट त्वचा की सतह के माध्यम से भी प्रवेश करता है. इस से पैरों और हाथों में पसीना आने की समस्या बेहद कम हो जाती है. लेकिन कांखों के नीचे अधिक पसीना आने की समस्या को ठीक करने के लिए यह तरीका उपयुक्त नहीं होता है.

4. मैसोबोटोक्स

बांहों के नीचे बेहद ज्यादा पसीना आना न सिर्फ दुर्गंध की वजह बनता है, बल्कि आप की ड्रैस भी खराब कर सकता है. इस के इलाज हेतु कांखों में प्यूरिफाइड बोटुलिनम टौक्सिन की मामूली डोज इंजैक्शन के माध्यम से दी जाती है, जिस से पसीने की नर्व्ज अस्थायी रूप से बंद हो जाती हैं. इस का असर 4 से 6 महीने तक रहता है. माथे और चेहरे पर जरूरत से ज्यादा पसीना आने की समस्या के उपचार हेतु मैसोबोटोक्स एक बेहतरीन समाधान साबित होता है, इस में पसीना आना कम करने के लिए डाइल्युटेड बोटोक्स को इंजेक्शन के जरीए त्वचा में लगाया जाता है.

खानपान की कुछ चीजों से भी पसीना अधिक आ सकता है. उदाहरण के तौर पर गरममसाले जैसेकि कालीमिर्च ज्यादा पसीना ला सकती है. इसी तरह से अलकोहल और कैफीन का अधिक इस्तेमाल पसीने के छिद्रों को ज्यादा खोल सकता हैं. इस के साथ ही प्याज के अधिक इस्तेमाल से पसीने की दुर्गंध बढ़ सकती है. गरमी के दिनों में इन चीजों के अधिक इस्तेमाल से बचें.

डा. इंदू बालानी डर्मैटोलौजिस्ट, दिल्ली

न करें सेना का इस्तेमाल

लड़ाई की लाठियां बजाना आसान है पर देशों के लिए लड़ाई उतनी ही महंगी होती है जितनी 2 किसानों के लिए जो खेत की हदबंदी पर झगड़ रहे हों. भारतीय सेना पर देश को भरोसा है पर यह भरोसा तभी तक कायम रह सकता है जब तक देश सेना को खासा पैसा देता रहे. खाली पेटों से लड़ाइयां नहीं लड़ी जातीं. देश की जातिप्रथा का छिपा मतलब हमेशा यही रहा है कि पिछड़ों व दलितों को हमेशा खाली हाथ रखो ताकि वे कभी भी पंडों, बनियों, राजपूतों के खिलाफ न खड़े हो सकें.

भारत पाकिस्तान दोनों की सेनाओं के साथ यही हाल है. पाकिस्तान के पास भारत से कम पैसा है पर उसे लगातार अमेरिका, सऊदी अरब, चीन से पैसा मिलता आया है. भारत के नेताओं की अकड़ कुछ ज्यादा रही है और इसलिए सैनिक सहायता हमेशा न के बराबर मिली है. सेना के लिए देश को पेट काट कर सामान खरीदना पड़ा है और अगर राफेल हवाई जहाज यूपीए सरकार ने पहले नहीं खरीदे और मोदी सरकार ने भी आखिर में फैसला किया तो इसलिए कि पैसा दिख नहीं रहा था.

सेना की अपनी जानकारी के हिसाब से पिछले 1 साल में वायु सेना ने अरबों रुपए की लागत के 16 हवाईजहाज दुर्घटनाओं में तकनीकी खराबियों की वजह से खो दिए. इन में 2 मिग बाइसन, 2 जगुआर, 2 मिग 27, मिराज हैलीकौप्टर, 2 हौक, कई ट्रांसपोर्ट हवाईजहाज शामिल हैं. इतने हवाईजहाजों का गिरना और उन में सैनिकों का बिना युद्ध के मरना एक खतरे की घंटी है. मिगों को तो उड़ते ताबूत कहा जाने लगा है. ये रूसी विमान बनावट में ही कमजोर हैं पर चूंकि दूसरे देशों से अच्छे मिल ही नहीं रहे, इन्हें खरीदना पड़ रहा है.

भारत पुराने हवाई जहाज कैरियर व पनडुब्बियां ही खरीद पा रहा है. अब पुराने मिग 29 खरीदने की बात चल रही है. सैनिकों की राइफलें पुरानी हैं. अभी अमेठी में राइफल कारखाने का उद्घाटन करते हुए नरेंद्र मोदी ने यह बात मानी है. सैनिकों के वेतनों व पैंशनों का मामला अटका रहता है. उन्हें अच्छा खाना नहीं मिल पाता. छावनियों की शक्लों को देखें तो पता लग जाएगा कि ज्यादातर बिल्डिंगें अंगरेजों के जमाने की हैं.

एक गरीब देश के लिए सेना पर खर्चा करना आसान नहीं है. उत्तर कोरिया ने इसी वजह से अमेरिका से समझौता किया. जर्मनी और जापान ने दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जम कर विकास किया क्योंकि सेना पर खर्च नहीं किया. हमारे यहां सोशल मीडिया पर हल्ला मचाया जा रहा है मार दो, जला दो, खात्मा कर दो, बिना यह सोचे कि इस की कीमत क्या है. मोदी कहते हैं घर में घुसघुस कर मारेंगे, पर किसलिए और किस कीमत पर.

हम देश में गाय को बचाने पर ज्यादा खर्च करने लगे हैं, मंदिरों, कुंभों, आश्रमों, पूजाओं पर भयंकर खर्च कर रहे हैं पर सेना के लिए जेब खाली है. अगर जेब में पैसे नहीं, जो पाकिस्तान के पास भी नहीं, तो लोगों का खयाल रखें. उन्हें लड़ाई के लिए न उकसा कर काम के लिए तैयार करें. सरकार अपनी फाइलों की सुरक्षा करे, धर्म की सुरक्षा के नाम पर सेना का इस्तेमाल करना बंद कर दे तो ठीक रहे.

उत्तर प्रदेश, बिहार और लोकसभा चुनाव साल 2019 के आम चुनाव बिहार व उत्तर प्रदेश के लिए काफी अहमियत रखते हैं. देश के सब से ज्यादा गरीब यहीं बसते हैं और गंगा नदी के बावजूद सदियों से उन की बीमारी, गरीबी, भूख, टूटे मकानों में कोई फर्क नहीं आया है. पगपग पर बिखरे मंदिरों के बावजूद यहां के लोगों की फटेहाल हालत दूर से दिख जाती है.

अगर रेल से सफर कर रहे हों तो गांव के बाद गांव और शहर के बाद शहर कूड़े के बीच बेतरतीब मकान दिखेंगे और उन के बीच आदमी जानवरों की तरह रहते दिखेंगे. ये राज्य वही हैं जहां से मुगलों ने 250 साल राज किया. इन्हीं 2 राज्यों का गुणगान हर शास्त्र में है पर इन की गरीबी यहां से आने वाले प्रधानमंत्रियों, मंत्रियों, राष्ट्रपतियों के होते दूर नहीं हुई. वजह साफ है. ये दोनों राज्य गलत नेताओं को चुनते रहे हैं और जब भी उन्होंने सही नेता चुन लिया तो वह बिगड़ते देर नहीं लगाता.

नरेंद्र मोदी ने गुजरात छोड़ कर यों ही बनारस को चुनाव लड़ने के लिए नहीं अपनाया है. यहीं तो बिहार व उत्तर प्रदेश का दिल है जो आज भी पुरानी सोच, जातिवाद, पाखंड का जहरीला खून दोनों राज्यों में बहाता है. न भाजपा, न कांग्रेस इस सोच या इस तरह की राजनीति को बदलने की बात भी कर रही हैं जो यहां के लोगों को बदबूदार दलदल से निकालने की हो. उलटे भाजपा तो फिर अयोध्या में राम मंदिर का मामला उठा कर दलदल में धकेलने की बात कर रही है.

इन दोनों राज्यों ने पिछले 20-25 सालों में कई तरह की सरकारें देखी हैं पर सब का रवैया एक ही सा है. इन्हीं दोनों राज्यों के लोग दुनियाभर में जा कर नाम और पैसा कमाते हैं पर यहां अपने देश, अपने राज्य में नेताओं की सड़ी सोच की वजह से सड़ी जिंदगी जीने को मजबूर हैं. ये नेता लखनऊ और पटना में ही नहीं हैं, हर गांव में हैं. एक और चुनाव इन दोनों राज्यों की हालत नहीं बदलेगा. अगर यही लोग रहे तो पक्का है कि तीर्थों का उद्धार होगा, जनता को पाताल में ही जगह मिलेगी.

‘तैमूर डौल’ के बाद मार्केट में आई तैमूर नाम की बिस्किट

करीना कपूर खान और सैफ अली खान के लाडले बेटे तैमूर अली खान बौलीवुड के सबसे पौपुलर स्टार किड बन चुके हैं. तैमूर की पौपुलैरिटी का आलम ये है कि हर दूसरे दिन उनकी कोई लेटेस्ट तस्वीर या वीडियो वायरल हो जाता है. इतना ही नहीं कुछ दिनों पहले तो तैमूर की शक्ल वाली डौल भी मार्केट में आई थी. और अब बच्चों को लुभाने के लिए तैमूर कुकीज भी बाजार में आ गई हैं.

वायरल हुईं तैमूर कुकीज…

मीडिया रिपोर्ट्स की माने तों अब मार्केट में तैमूर के नाम के बिस्किट भी बेचे जा रहे है. कस्टमाइज कुकीज बनाने वाले एक बेकरी में तैमूर कुकीज मिल रहे है. इस बेकरी ने हाल ही में एक अवार्ड फंक्शन में आने वाले मेहमानों को भी ये कुकीज गिफ्ट की हैं.

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डॉल की खबर पर ऐसा था करीना का रिएक्शन…

बता दें कि केरल के एक मार्केट में तैमूर के शक्ल वाले डौल बेचे जा रहे थे. इस खबर को सुनकर खुद करीना भी चौंक गई थीं. जहां इन डौल्स की वजह से तैमूर सुर्खियों में छाए हुए थे वहीं करण जौहर के चैट शो पर करीना ने खुलासा किया था कि उन्हें तैमूर डौल बिल्कुल भी पसंद नहीं आई क्योंकि वह तैमूर जैसी बिल्कुल भी नहीं दिखती है. करीना का कहना था कि नीली आंखे, बिखरे बाल और बंदगला कुर्ता पहनने से कोई डौल मेरा बेटा तैमूर नहीं बन जाएगा. फिलहाल तो देखना होगा कि तैमूर के बिस्किट वाली खबर पर करीना और सैफ किस तरह से रिएक्ट करते है. वैसे आपको ये तैमूर कुकीज कैसी लगी ये जरूर बताइएगा.

 

 

कुहासा छंट गया

पूर्व कथा

ज्योति अपने भाई के घर मिलने जाती है तो उस की भाभी और भांजी अनवेक्षा उस का अपमान कर के उसे घर से निकाल देते हैं.

बस में बैठते ही उस का मन अतीत की गलियों में भटकने लगता है कि किस तरह भाभी के रूखे व्यवहार ने सभी भाईबहनों को भाई से अलग कर दिया. ज्योति जब अपने घर पहुंचती है तो सभी लोग खुश होते हैं लेकिन वह पति जतिन से वहां दोबारा न जाने की बात कहती है.

एक दिन पुलिस स्टेशन में ज्योति की मुलाकात अभिषेक से होती है. वह उसे नहीं पहचान पाता. घर आ कर वह जतिन को अभिषेक के बारे में बताती है और उस की मदद करने को कहती है.

जतिन की योजनानुसार उस के मैनेजर का बेटा अभिषेक को उस के आफिस ले कर आता है. वह बड़ी बदतमीजी से उस के साथ पेश आता है. फिर भी जतिन उसे अपना विजिटिंग कार्ड दे देता है. एक दिन अभिषेक अपने दोस्त विनीत के घर मिलने के लिए जाता है तो रास्ते में उसे जतिन मिलता है और अपने घर ले जाता है. वहां उस की मुलाकात मानसी से होती है. जतिन, मानसी को बताता है कि अभिषेक उस के दोस्त का बेटा है. वह अभिषेक से खाना खाने के लिए कहता है तो वह नानुकर करने लगता है लेकिन मानसी के स्नेह भरे व्यवहार और आग्रह करने पर वह खाना खाने को तैयार हो जाता है और अब आगे…

गतांक से आगे…

अंतिम भाग

‘‘क्या पापा, आप पुरानी बातें सुना कर इसे उदास कर रहे हैं,’’ मानसी बोली, ‘‘आओ अभिषेक, मैं तुम्हें अपनी सीडी का कलेक्शन दिखाती हूं.’’

‘‘मैं फिर आऊंगा, अभी चलता हूं,’’ कह कर अभिषेक ने हाथ जोड़ दिए.

लौटते समय विनीत के पास जाने का मन ही नहीं हुआ सो अभिषेक सीधा होस्टल चला गया. देर रात तक उसे अपने घर की बातें याद आती रहीं. उस की अनवेक्षा दीदी को तो शायद रसोई का नक्शा ही मालूम न हो. कभी वह जिद करता था तो फोन कर के पिज्जा मंगा देती थीं. मां को तो क्लब और किटी पार्टियों से ही फुरसत नहीं थी. पापा को हर पल ताना मार कर यह एहसास दिलाना उन का खास शगल था कि ये तमाम शानोशौकत, इतना बड़ा बिजनेस सब उन के पापा का दिया हुआ है. ये तमाम बातें याद करते करते वह गहरी नींद में सो गया.

सुबह कालिज जाते समय विनीत आ गया. पता नहीं क्यों विनीत का आना उसे अच्छा नहीं लगा. वह थोड़ा रूखे स्वर में बोला, ‘‘कहो, कैसे हो?’’

‘‘तुम तो यार बड़ी पहुंची चीज निकले. हम से आंख बचा कर ही निकल आए और हां, उन अंकल से तुम्हारी कैसे जानपहचान निकल आई?’’

‘‘मेरे पापा के वह पुराने मित्र हैं.’’

‘‘बच के रहना उन से क्योंकि तुम नशे की दुनिया के नए खिलाड़ी हो,’’ विनीत चेतावनी के लहजे में समझाते हुए बोला.

मन में बहुत कुछ उमड़ आया अभिषेक के. क्यों अच्छा इनसान बने वह, किस के लिए बने. उस की परवा भी किसे है. दीदी उस धोखेबाज के साथ अपना और मम्मी का जेवर ले कर भाग गईं. एक बार भी मुड़ कर अपने छोटे भाई की तरफ नहीं देखा. मां हार्टअटैक से चल बसीं. पापा को बिजनेस के घाटे और दीदी के सदमे ने इतना दर्द दिया कि शरीर को लकवा मार गया. अब तो उस बडे़ घर में भी उल्लू ही बोलते हैं. सारे नौकर, जिस को जो मिला समेट कर चलता बना. पापा की देखभाल के लिए सिर्फ बांके चाचा ही तो बचे हैं.

जतिन अंकल के प्रेम और मानसी के  अधिकार से भरे अपनत्व ने अभिषेक के टूटे मन पर मरहम का काम किया. तीसरे दिन ही न चाहते हुए भी अभिषेक के कदम जतिन अंकल के घर की ओर उठ गए.

घंटी पर हाथ रखने से पहले ही मानसी दरवाजा खोले मुसकराती हुई खड़ी थी.

 

‘‘अंकल व आंटी कहां हैं. दिखाई नहीं दे रहे हैं.’’

‘‘कोई नहीं है. मम्मी- पापा एक शादी में गए हैं, थोड़ी देर से आएंगे.’’

‘‘आप को शादीब्याह में जाना क्या अच्छा नहीं लगता?’’

‘‘अच्छा क्यों नहीं लगता पर वह क्या है कि अब मैं शादी लायक उम्र में हूं और मुझे देखते ही लोग मां को शादी लायक लड़कों के रिश्ते बताने में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि दूल्हादुलहन को बधाई देना भी भूल जाते हैं. इसीलिए शादियों में जाना मैं ने बंद कर दिया है…अरे, तुम हंस क्यों रहे हो? मैं ने कोई जोक थोडे़ ही मारा है.’’

‘‘नहीं, मैं सिर्फ देख रहा हूं कि आप कितनी रफ्तार से और कितना सारा बोल सकती हैं.’’

‘‘हां, यह तो है. मुझे बोलना और बातें करना अच्छा लगता है. पर तुम क्या इतने ही चुप रहते हो हमेशा? अब तुम भी तो कुछ बोलो.’’

‘‘मैं…मैं क्या बोलूं?’’ अभिषेक सकपका गया.

‘‘चलो, मैं बताती हूं, तुम कुछ अपने घरपरिवार के बारे में बताओ, कौनकौन हैं घर में? अंकल व आंटी कैसे हैं. पापा बता रहे थे कि तुम्हारी एक बड़ी बहन भी है. कहां है वह?’’

‘‘बहुत लंबी कहानी है. सुन कर ऊब जाएंगी आप.’’

‘‘मैं ऊब क्यों जाऊंगी,’’ मानसी बोली, ‘‘तुम बताओ तो सही.’’

अभिषेक ने अनवेक्षा के घर से भागने से ले कर मां की मृत्यु और पिता के बिस्तर पर लाचार पड़ने की सारी कहानी मानसी को बता दी.

रसोई में ही बैठा कर उस से बातें करतेकरते मानसी ने अपने और उस के लिए खाना बनाया. खाना खाते समय अभिषेक बोला, ‘‘तुम इतना स्वादिष्ठ खाना बना लेती हो और मेरी दीदी तो रसोई में घुसती भी नहीं थीं.’’

अभिषेक चला गया, देर रात गए जब ज्योति और जतिन आए तो मानसी ने अभिषेक के आने के बारे में बताया, साथ ही अभिषेक ने अपने परिवार के बारे में जो कुछ मानसी को बताया था उसे भी उस ने अपनी मां को बता दिया.

अभिषेक के परिवार की दुख भरी कहानी सुनने के बाद ज्योति का चेहरा सफेद पड़ गया. जतिन भी बेहद दुखी हो उठे. मानसी दौड़ कर गई और रसोई से पानी ला कर मां को दिया फिर बोली, ‘‘मां, तुम सुन कर इतनी परेशान हो उठीं. सोचो, अभिषेक ने तो यह सब अपनी आंखों से देखा है, भोगा है. इतनी कम उम्र में इतना सब देखने के बाद अगर वह गलत रास्ते पर भटक गया तो उस का क्या दोष है?’’

‘‘तुम ठीक कह रही हो, मनु, पर इस से पहले कि वह नशे की दुनिया में बहुत आगे बढ़ जाए, उसे वापस लाना होगा.’’

‘‘मुझे लगता है यह कोई खास मुश्किल काम नहीं है क्योंकि अभी भी उस के मन में अपने घर वालों के लिए स्नेह का झरना बह रहा है. बस, वक्त के बहाव ने उस में मिठास की कमी कर दी है. सिर्फ उसे उस झरने का एहसास कराना है और उस से ज्यादा महत्त्वपूर्ण है उसे उस के खतरनाक दोस्तों से दूर करना.’’

अगली शाम ज्योति ने खाना खाते समय मानसी से कहा, ‘‘बेटी, इस बार शुभम को राखी वक्त से भेज देना. देर होने पर वह उदास हो जाता है और फिर बहुत नाराज भी होता है.’’

‘‘मां, मैं इस बार अभिषेक को बुला कर राखी बांधूं?’’

‘‘नहीं,’’ ज्योति की आवाज की दृढ़ता से जतिन और मानसी दोनों चौंक उठे.

‘‘आखिर वह है तो उसी ओछी मानसिकता की पैदावार. क्या पता तुम्हारी राखी…तुम्हारे स्नेह को वह पैसे लूटने का एक बहाना समझे और मैं यह कतई बरदाश्त नहीं करूंगी,’’ कह कर मेज से प्लेट उठाने लगी ज्योति.

राखी वाले दिन अभिषेक कुरता- पाजामा में आ कर दरवाजे पर खड़ा हो गया. उसे मुसकराता देख कर मानसी का मन खुशी और आश्चर्य से भर गया.

‘‘अरे, तुम? आज कैसे तैयार हो कर आए हो?’’

‘‘क्यों, आज राखी है न?’’

मानसी ने उसे अंदर ड्राइंगरूम में बैठाया और ‘अभी आई’ कह कर, अंदर चली गई.

मानसी अंदर से पानी का गिलास ले कर आई तो अभिषेक बोला, ‘‘अरे, मैं तो समझा कि आप राखी की थाली लेने गई हैं. जानती हो, आज मैं कितने बरसों बाद राखी बंधवाऊंगा. अनवेक्षा दीदी तो इस त्योहार को हंसी में टाल देती थीं. कहती थीं, ‘कमाल है, यह छुटकू मेरी क्या रक्षा करेगा? अपने को संभालने के लिए मैं खुद ही काफी हूं. रही शगुन की बात तो पापा की जायदाद में से आधा हक तो है ही मेरा, फिर मैं इस के हिस्से में से पनौती क्यों मारूं?’ मेरा मन रखने के लिए भी उन्होंने मुझे कभी राखी नहीं बांधी पर कल जब समीर ने कहा, ‘देख, अभिषेक, मैं ने दोनों बहनों को राखी का उपहार देने के लिए पैसे जमा किए हैं. चल, मेरे साथ चल कर उन के लिए कुछ खरीद दे, कल राखी है न,’ तो अचानक मेरी आंखों के सामने तुम्हारा चेहरा आ गया. मुझे लगा कि राखीरोली का थाल सजा कर तुम शायद मेरा इंतजार करोगी, पर…’’

उस की बात बीच में काट कर मानसी बोली, ‘‘भाई, जब तक आ कर इस चौकी पर बैठोगे नहीं तो कैसे तुम्हारी आरती उतारूंगी.’’

चौंक कर देखा अभिषेक ने. लाल बांधनी का सूट पहने मानसी हाथ में थाल पकडे़ मुसकराती हुई खड़ी थी. इतनी जल्दी इतना सबकुछ, अवाक् रह गया वह.

अभिषेक की आरती उतार कर मानसी ने उस की कलाई पर राखी बांधी और माथे पर तिलक लगा कर मुंह में मिठाई डाल दी. हंसते हुए अभिषेक ने भी उस के मुंह में बरफी का टुकड़ा भर दिया.

मानसी ठुनक पड़ी, ‘‘और भैया, मेरा तोहफा?’’

एक पल चुप रह कर अभिषेक ने स्नेहिल स्वर में कहा, ‘‘इतने अनमोल पल में तुम्हें देने के लिए पैसे से खरीदा कोई तोहफा काफी नहीं होता, इसलिए मनु दी, मेरे लिए यह राखी कितनी कीमती है, इस का अंदाजा शायद आप नहीं लगा सकतीं. हां, तोहफे के रूप में एक वादा आप को थमाता हूं कि तुम्हारा भाई, आज इस दिन से ही अपनी तमाम गंदी आदतों को छोड़ कर एक अच्छा इनसान बनेगा.’’

‘‘मेरे लिए इस से कीमती तोहफा कोई और हो भी नहीं सकता मेरे भाई, और आज का दिन सरप्राइज देने का है तो मैं तुम्हें एक और सरप्राइज दूंगी, पहले आंखें बंद करो.’’

मां का हाथ पकड़ कर मानसी उन्हें परदे से बाहर ले आई.

‘‘अब खोलो.’’

सामने ज्योति को खड़ा देख अभिषेक अचानक बौखला ही गया.

‘‘आप…आप तो गर्ल्स कालिज की प्रधानाचार्या हैं.’’

‘‘हां, पर तुम्हारी बूआ भी हूं. वही बूआ जिसे याद कर एक दिन तुम मानसी से कह रहे थे कि उन के स्नेह भरे आंचल की छांव तुम्हें भूले नहीं भूलती.’’

‘‘हैलो, एक्सक्यूज मी. मिस्टर अभिषेक, यहां एक अदद थैंक्यू के हकदार तो हम भी हैं. आखिर आप के फूफाजी जो ठहरे.’’

‘‘आप को एक क्या, हजार थैंक्यू कह कर भी उस प्यार का बदला मैं नहीं दे पाऊंगा. मुझे सही वक्त पर मेरी बहन का स्नेह, एक अच्छे अंकल का साथ और एक स्नेहिल परिवार सभी कुछ, फूफाजी, आप की वजह से ही तो मिला है.’’

सूजी कैरट

सामग्री

– 1 कप सूजी

– 3/4 कप गाजर घिसी

– 1/4 कप दही

– 3/4 कप चीनी पिसी

– 1/2 छोटा चम्मच बेकिंग पाउडर

– 4-5 अखरोट कटे हुए

– बड़े चम्मच घी

– 1 छोटा चम्मच गुलाबजल

– 1 छोटा चम्मच चेरी.

बनाने की विधि

– सूजी को बिना चिकनाई के हलका सा भून लें.

–  एक मिक्सिंग बाउल में दही फेट लें.

– अब इसमें  गाजर मिलाएं. दूसरे बरतन में सूजी, बेकिंग पाउडर, चीनी, चेरी और अखरोट डाल कर     मिक्स  करें.

– अब इस में दही का मिश्रण, पिघला घी व गुलाबजल डाल कर मिक्स कर लें.

– केकटिन को ग्रीस कर के इस में तैयार मिश्रण डाल दें.

– कुकर को 5 मिनट प्रीहीट कर के आंच धीमी कर अब इस के अंदर स्टैंड डाल कर केकटिन रखें.

– 40-45 मिनट तक धीमी आंच पर पकने दें.

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