शिक्षा में डांस और आर्ट्स को कोई महत्व नहीं देता : इमरान हाशमी

फिल्म ‘फुटपाथ’ से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाले अभिनेता इमरान हाश्मी की अधिकतर फिल्में सफल रही हैं. वे बोल्ड अभिनय के लिए जाने जाते हैं, इसलिए उन्हें ‘सीरियल किसर’ भी कहा जाता है. इन दिनों वे अपनी इस इमेज से हटकर कुछ अलग करने की कोशिश कर रहे हैं. इस दिशा में वे फिल्म ‘व्हाई चीट इंडिया’ के निर्माता बनने के साथ ही अभिनय भी कर रहे हैं. फिल्म में उन्होंने शिक्षा प्रणाली की खामियों को दिखाने की कोशिश की है, जिसे सुधारने की जरुरत है. उनसे बातचीत हुई, पेश है अंश.

इस फिल्म को करने की वजह क्या है?

हमारी शिक्षा प्रणाली में बहुत बाधाएं हैं, जिसे सुधारने की जरुरत है. हमारी शिक्षा में प्रैक्टिकल नौलेज की बहुत कमी है. सरकार इस दिशा में कुछ नहीं करती. इसके अलावा मुझे पहले मालूम भी नहीं था कि हर राज्य में चीटिंग माफिया होती है, जो बिना प्रतिभा के आगे बढ़ जाती है और यही लोग बाद में डाक्टर और इंजिनियर भी बन जाते हैं. सिस्टम में बहुत बड़ी गलती है और इसमें क्रांति लाने की आवश्यकता है. ये समस्या केवल बच्चों को ही नहीं, माता-पिता और आगे आने वाली पीढ़ी के लिए भी है. मेरी इच्छा थी कि ऐसी बातों का खुलासा किया जाय, ताकि लोगों को सही जानकारी मिले और ऐसी फिल्म अब तक बनी भी नहीं है. ऐसे में जब ये स्क्रिप्ट मेरे पास आई तो इसमें अभिनय के साथ-साथ प्रोड्यूस करने की भी बात मेरे जहन में आई.

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अभिनय के अलावा एक निर्माता बनने का अनुभव आपके लिए कैसा था?

इस फिल्म में कई और निर्माता भी हैं. मैं अकेला प्रोड्यूसर नहीं हूं. ये सही है कि निर्माता बनने पर काम का प्रेशर और दायित्व बढ़ जाता है. इसमें हर विभाग पर ध्यान देना पड़ता है. निर्माता बनने पर किसी एक भी विभाग पर अगर आपने ध्यान नहीं दिया, तो फिल्म अच्छी नहीं बनेगी.

जैसा कि आपने इस फिल्म में नकल करने के बारे में दिखाने की कोशिश की है, क्या आपके आस-पास कभी कोई ऐसी घटना आपने देखी है?

मैंने कौलेज के दौरान देखा था कि हमारा एक पेपर लीक हुआ था बहुत सारे बच्चों ने उसे खरीदा था, लेकिन वह सही नहीं निकला. उनका पैसा खर्च करना सही नहीं था. 20 लड़कों ने खरीदा और वे परीक्षा हाल में रोने भी लगे थे, क्योंकि उन्होंने पेपर के अलावा कुछ पढ़ा नहीं था.

आज की शिक्षा प्रणाली अलग होने से जौब मिलने में बहुत परेशानी होती है, ऐसे में फिल्म में कहां तक दिखाया गया है और रिसर्च के दौरान क्या आप शिक्षा मंत्री से मिले, उनसे कुछ अलग जानकारी हासिल की, या इस फिल्म के बाद भी आप इस सिस्टम को ठीक करने के लिए जुड़े रहेंगे?

मैं इसके बारें में बहुत कुछ करने की इच्छा रखता हूं, दिल्ली जाने के बाद मैं शिक्षा मंत्री से भी मिलूंगा, उन्हें अपनी फिल्म दिखाऊंगा. मैंने इस फिल्म के दौरान काफी रिसर्च किया है और बहुत जानकारी मिली है, जिसे मैं उनसे मिलकर ठीक करना चाहता हूं.

मेरे हिसाब से नौकरियां इतनी नहीं है जितनी संख्या में लोग शिक्षित हो रहे हैं. सिस्टम जो प्रोमिस करता है उतनी सुविधाएं नहीं है. जितने बच्चे पढ़ने आते हैं, उतनी सीटें नहीं हैं.  इसलिए डिप्रेशन और आत्महत्याओं की संख्या बहुत बढ़ी है. 12 से 13 साल वे मेहनत करते रहते हैं और बाद में पता चलता है कि यूनिवर्सिटी में सीटें नहीं है. प्रतियोगिता इतनी बढ़ चुकी है कि 90 प्रतिशत अंक आने पर भी आपको किसी कौलेज में एडमिशन मिलना मुश्किल हो जाता है. इसका अर्थ ये नहीं कि आपकी प्रतिभा कम है. यहां इन्फ्रास्ट्रक्चर ऐसा है कि वे आपको एडमिशन नहीं दे पा रहे हैं.

कोटा में एक इंस्टिट्यूट है, जहां मेडिकल और इंजिनियर की पढ़ाई के लिए 6ठी या 7वीं कक्षा के बच्चों को भेज दिया जाता है, ये बच्चे परिवार से अलग सिर्फ पढ़ाई करते हैं और हर साल वहां तकरीबन 40 से 50 बच्चे सुईसाइड करते हैं, क्या ऐसी संस्था को बंद कर देना उचित नहीं? इन आत्महत्याओं का जिम्मेदार किसे ठहराया जाना चाहिए? आपकी क्या राय है?

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ऐसी संस्थाओं को बिना देरी किये बंद कर देना चाहिए. इतना प्रेशर बच्चों पर ठीक नहीं. बहुत सारे माता-पिता बच्चे को पढ़ाने के लिए लोन भी ले लेते हैं. ऐसे में बच्चों पर पैसा जल्दी कमाने का प्रेशर रहता है. वे माता-पिता अपनी जगह सही है, क्योंकि उन्होंने बच्चे की अच्छी परवरिश के लिए ऐसा किया है. इतना ही नहीं, ये बच्चे 18 घंटे रोज पढ़ते हैं. उन्हें 4 से 5 घंटे की नींद नसीब होती है. उनके लिए फ्री समय बिल्कुल भी नहीं होता. उनके दिमाग को रिलैक्स नहीं मिलता. इसलिए डिप्रेशन की दर लगातार बढ़ रही है. मुझे याद आता है कि मैंने कौमर्स की पढ़ाई 5 साल की है, जबकि मुझे आर्ट्स में जाना चाहिए था. दिशा मुझे स्कूल सिस्टम ने दिखाया ही नहीं. ये प्रोसेस असल में 6 या 7वीं कक्षा से शुरू हो जानी चाहिए. स्कूल तो रट्टा पर ही चलता जाता है. डांस और आर्ट्स को स्कूल में कोई महत्व नहीं दिया जाता, जो गलत है. सालों पुराना सिलेबस है. क्रिएटिव कुछ होता नहीं है.

आपने विजय माल्या और नीरव मोदी को सबसे बड़ा चीटर कहा है, ऐसा क्यों?

हमारे देश में बहुत सारे चीटर हैं, जो यहां का पैसा लेकर विदेश भाग चुके हैं, उन्हें जल्द से जल्द यहां लाने की जरुरत है. उन्हें इसके लिए कड़ी से कड़ी सजा होनी चाहिए और ये देश के लिए एक उदहारण भी होना चाहिए. ये हमारे टैक्स का पैसा है, जिसे इन लोगों ने लेकर ऐश किया है.

ऐसे कई राजनेता भी हैं, जो चीटर है, क्योंकि उनकी कथनी और करनी में अंतर होता है, इसके जिम्मेदार किसे मानते हैं, उन्हें चुनने वाला नागरिक या राजनेता?

दोनों ही समान रूप से जिम्मेदार हैं. नागरिक को सोच समझकर अपने वोट का इस्तेमाल करना चाहिए, जबकि चुने हुए नेता को अपना काम भूलना नहीं चाहिए. शिक्षा प्रणाली को ही अगर हम लें, तो सालों से इस पर बहस हो रही है,पर बदलाव कुछ भी नहीं हुआ है.

आप अपनी जर्नी को कैसे लेते हैं? क्या कुछ मलाल अभी बाकी है?

मेरा सफर अभी खत्म नहीं हुआ है. मैं और भी अलग-अलग तरह की फिल्में करना चाहता हूं. मेरी सफल जर्नी में दर्शक शामिल हैं, जिन्होंने मुझे बहुत प्यार दिया. मेरी फिल्मों की प्रसंशा की.

क्या आपकी किताब ‘किस औफ लाइफ’ पर फिल्म बनेगी?

एक दक्षिण की प्रोड्यूसर ने मुझे इस किताब पर फिल्म बनाने के लिए कहा था, जिसमें वे मुझे एक्टर के तौर पर लेना चाहते हैं. किताब लिखना बहुत मुश्किल था, जिसमें मैंने अपने अनुभव शेयर किये हैं. मैं अभी कैंसर पर एक डौक्यूमेंट्री बनाना चाहता हूं. मैंने उसे लिख भी लिया है और अगले साल मैं उसे बनाऊंगा. यहां पर डौक्यूमेंट्री फिल्म बनाना भी मुश्किल है. अगर फिल्म में दो चार गाने न हो, एक्शन और कौमेडी न हो, तो फिल्म देखने कोई नहीं आता. इस फिल्म में एक बड़ा कारण कैंसर को दिखाया जायेगा, जिससे आप लड़ सकते है, ये सभी के लिए देखने योग्य होगा.

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कैंसर से आपका बेटा निजात पा चुका है, क्या कैंसर की कहानी उसी से प्रेरित है?

ये सही है कि वह अब बिल्कुल ठीक हो चुका है. मैं चाहता हूं कि इस फिल्म के जरिये लोगों में जागरूकता फैले और लोग इस बीमारी को सही तरह से ले सकें.

‘किसर ब्वाय’ की इमेज आपसे छुट गई है या नहीं?

कोशिश कर रहा हूं कि ये इमेज छुट जाय, जो छवि 10 साल से मेरी बनी हुई थी, उसे तोड़ने में और 10 साल लग जायेंगे, ऐसा मुझे लगता है.

यूथ को क्या मेसेज देना चाहते हैं?

एजुकेशन सिस्टम में क्रांति लाने की बहुत जरुरत है. मार्क्स और ग्रेड पर अधिक ध्यान न दें उसके कम होने का मतलब ये नहीं कि आप कमजोर है. मेहनत के साथ आप हर काम कर सकते हैं. सिर्फ डिग्री से कुछ नहीं होता और माता-पिता से ये कहना चाहता हूं कि वे अपनी इच्छाएं अपने बच्चों पर न थोपे, उनकी प्रतिभा को समझे और उसी दिशा में उन्हें आगे बढ़ने में मदद करें. हर बच्चे का अपना सपना होता है, जो उसके माता-पिता से जुड़ा नहीं होता. इसलिए उसे समझने की कोशिश करें.

सरकार से चैट कर जानिए इनकम टैक्स से जुड़ी सारी बातें

आपकी इनकम पर टैक्स लगेगा या नहीं? आपको इनकम टैक्स रिटर्न भरना जरूरी है या नहीं? जो भी आपकी इनकम है उसपर टैक्स देना होगा या नहीं? नौकरी पेशा वाले हर इंसान के मन में ऐसे सवाल आते हैं. इस तरह के तमाम सवालों के जवाब इनकम टैक्‍स डिपार्टमेंट के एक्‍सपर्ट से लाइव चैट में यह सवाल पूछ सकते हैं और आपको तुरंत जवाब मिलेगा. आपको बता दें कि नोटबंदी के बाद केन्द्र सरकार ने इनकम टैक्‍स के नियमों कई बदलाव किए हैं. इसके अलावा इनकम टैक्‍स रिटर्न फाइल करने और दूसरे इनकम टैक्‍स नियमो को लेकर इनकम टैक्‍स विभाग सख्‍त हो गया है.

ऐसे करें लाइव चैट

ग्राहकों के सवालों के जवाब देने के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने लाइव चैट की सुविधा शुरू की है. टैक्सपेयर इनकम डिपार्टमेंट की वेबसाइट ttps://www.incometaxindia.gov.in/Pages/default.aspx पर जाकर सरकार के इनकम टैक्‍स एक्‍सपर्ट्स से लाइव चैट कर सकता है और इनकम टैक्‍स से जुड़े हर सवाल का जवाब पा सकते हैं.

 जानिए क्या होगा आपको फायदा 

आपको इनकम टैक्‍स के नियमों से जुड़ी जानकारी होने से काफी फायदा होगा. आम तौर पर बहुत से लोगों को इनकम टैक्‍स से जुड़े नियमों की जानकारी नहीं है. इसकी वजह से वे कई बार इनकम टैक्‍स नियमों का पालन नहीं करते हैं। इससे उनके कानूनी शिकंजे में फंसने का खतरा रहता है.

यात्रा को ऐसे बनाएं स्मार्ट और सुरक्षित

अगर आप यात्रा करने की शौकिन हैं, तो इसके साथ- साथ आपको स्मार्ट यात्री बनने की आवश्कता है, तो आइए आज हम इस विषय पर बात करेंगे कि कैसे आप अपनी यात्रा को स्मार्ट और सुरक्षित बना सकती हैं.

स्मार्ट पैकिंग – अपनी पैकिंग करते समय इस बात का ध्यान रखें कि कभी भी अपने साथ ऐसे कपड़े न ले कर जाएं जो बहुत ही हलके रंग के हो और आसानी से गंदे हो जाएं, इससे आप बार-बार कपड़े धोने की समस्या से बच पाएंगी. इसके अलावा अपने साथ कुछ ऐसे कपड़े भी रख लें जिसे आप मिक्स एंड मैच कर के पहन पाएं. इससे आप बिना किसी मेहनत के स्टाइलिश लगेंगी और आपको ज्यादा कपड़े कैरी करने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी.

छोटा लगेज – हम जहां भी जाते हैं वहां शौपिंग जरूर करते हैं और अपनी यादगार के तौर पर कुछ न कुछ जरूर ले के आते हैं इसलिए अच्छा होगा कि आप अपने घर से कम सामान ले कर निकलें जिससे अगर आप शौपिंग थोड़ी ज्यादा भी कर लें तो आपको अपने सामान को लेकर किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े.

दवाइयां – कई बार ऐसा होता है कि दूसरी जगह जाने से थकान, मौसम या फिर खान-पान में बदलाव होने से बदहजमी, लूजमोशन, सर्दी – बुखार जैसी समस्याएं होने लगती हैं. ऐसे में अच्छा होगा कि आप डौक्टर की सलाह ले कर कुछ दवाइयां अपने पास सावधानी के तौर पर पहले ही रख लें.

पैसे– यात्रा के दौरान इस बात का ख्याल रखें कि कभी भी बहुत ज्यादा कैश या फिर कीमती सामान लेकर यात्रा न करें और आप अपने डेविड, क्रेडिट भी संभाल कर रखें. इसके अलावा इस बात का भी पूरा ध्यान रखें कि अपने साथ किसी भी तरह की कोई ज्यूलरी या कीमती सामान न रखें.

जहां भी आप जा रहे हों वहां की अधिक से अधिक जानकारी अपने पास रखने की कोशिश करें ताकि आप किसी भी प्रकार की ठगी से बचे रहें.

परफेक्ट फिगर के लिए एक्सरसाइज

आजकल के युवा जहां सलमान खान की तरह अपनी मसल्स बनाना चाहते हैं, वहीं युवतियां दीपिका पादुकोण और करीना कपूर खान जैसी सैक्सी फिगर पाना चाहती हैं. लड़कों में मसल्स और ऐब्स का क्रेज है तो लड़कियों में ब्रैस्ट, अंडर आर्म्स और हिप्स को ले कर क्रेज है, जिस की वजह से वे जिम जाती हैं.

सब से खास बात यह है कि उन को यह पता नहीं होता कि बौडी में फैट समानरूप से हर जगह बढ़ता और घटता है. इस को कम करने के लिए डाइटिंग करनी पड़ती है. इस के साथ ही बौडी को टोन करने के लिए ऐक्सरसाइज ही एकमात्र उपाय है. आप बोल्ड ऐंड ब्यूटीफुल शेप में बौडी को देखना चाहते हैं तो ऐक्सरसाइज जरूर करें. यह केवल बौडी को शेप ही नहीं देती बल्कि कई तरह की बीमारियों से भी शरीर को दूर रखती है.

सनी फिटनैस फैक्ट्री के सनी और सोनिया मेहरोत्रा कहते हैं, ‘‘युवावस्था में यदि शरीर अनफिट होता है, तो बाकी जीवन पर भी इस का प्रभाव पड़ता है. मोटापा लड़कियों में शादी के बाद बांझपन को बढ़ाता है. लड़कों में यह कई बीमारियों को जन्म देता है. सही माने में वे जिंदगी का पूरा आनंद नहीं ले पाते हैं. लड़केलड़कियों में ऐक्सरसाइज के तरीके एकजैसे ही होते हैं. इस का समय कमज्यादा हो सकता है. लड़कियों में बजाय लड़कों के तुरंत असर दिखता है.

‘‘युवाओं में आज तेजी से ब्लडप्रैशर, डायबिटीज और कोलैस्ट्रौल की बीमारी बढ़ रही है. इस की मुख्य वजहों में नशा करना, हैल्दी डाइट न लेना और ऐक्सरसाइज न करना हैं. नशा करने से बौडी कई तरह की बीमारियों से घिर जाती है और कुछ सालों में ही कमजोर हो कर बीमारी का घर बन जाती है.

‘‘पेरैंट्स बच्चों को आउटडोर गेम्स के लिए नहीं भेजते जिस वजह से उन को बचपन से ही दौड़भाग की आदत नहीं पड़ती है. ज्यादातर यूथ मसल्स बनाने के लिए जिम आते हैं और सप्लीमैंट्स डाइट का सहारा लेने की कोशिश करते हैं, जबकि जरूरत इस बात की है कि वे अच्छी डाइट लें. इस में नाश्ता जरूर हो. नाश्ते में ओट्स, फू्रट्स और नट्स शामिल करें. फ्राइड फूड छोड़ दें. नियमित जिम या ऐक्सरसाइज करें.’’

सोनिया बताती हैं, ‘‘लड़कियां वेट बढा़ने और कम करने दोनों के लिए जिम आती हैं. वे भी ऐक्सरसाइज के जरिए ही फिटनैस हासिल कर सकती हैं. इस के लिए ऐक्सरसाइज का नियमित करना जरूरी है.

‘‘कई बार यह देखा जाता है कि लड़कियां जिम जाती हैं पर एकदो दिन ऐक्सरसाइज करने के बाद ही जिम छोड़ देती हैं. वे ज्यादातर इस प्रयास में रहती हैं कि क्रश डाइट से उन का वजन कम हो जाए. वेट लौस के साथ अगर सही से जिम नहीं किया गया तो बौडी टोन सही नहीं दिखेगी. फैट लटकालटका सा दिखेगा. ऐक्सरसाइज शुरू करते समय कुछ समय बौडी में दर्द रहता है पर धीरेधीरे यह सही हो जाता है.

‘‘वजन बढ़ने से कई तरह की बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में जरूरी है कि वजन सही रखें और स्वस्थ रहें. वजन घटाने के लिए डाइटिंग की नहीं, बल्कि राइट डाइट की जरूरत होती है. कोल्डड्रिंक से दूर रहें. ग्रीन टी वजन घटाने में मददगार होती है. ऐक्सरसाइज की शुरुआत फिटनैस ऐक्सपर्ट की देखरेख में ही करें. लड़कियां चेस्ट पुशअप से ब्रैस्ट साइज बढ़ा सकती हैं.’’

टोंड आर्म के लिए ऐक्सरसाइज

बेहतर फिटनैस के लिए बाजुओं का भी स्ट्रौंग और टोंड होना जरूरी है. इस के लिए कुछ ऐक्सरसाइज हैं जो आर्म्स को टोंड और स्ट्रौंग बनाती हैं. आर्म के 2 हिस्से होते हैं. पहला बाइसेप्स और दूसरा ट्राइसेप्स. दोनों ही हिस्सों के लिए अलगअलग ऐक्सरसाइज होती हैं.

अल्टरनेट हैमर कर्ल

अल्टरनेट हैमर कर्ल करने के लिए सीधे खड़े हो जाएं और रीढ़ की हड्डी जितनी हो सके सीधी रखें. अब दोनों हाथों में समान वजन के डंबल्स लें. डंबल्स अंदर की तरफ रखें. इस के बाद दाएं हाथ को छाती तक ऊपर ले जाएं और धीरेधीरे नीचे लाएं. इस प्रक्रिया को कम से कम 10 से 15 बार करें.

प्लांक आर्म ऐक्सरसाइज

प्लांक आर्म ऐक्सरसाइज न केवल बाजुओं बल्कि एब्स मसल्स को भी मजबूत बनाती है. प्लांक आर्म के लिए पेट के बल जमीन पर लेट जाएं और फिर माथे को जमीन से छुआएं इस के बाद शरीर के ऊपरी हिस्से से कोहनी को आगे लाते हुए कोहनी को जमीन से और पैरों को पंजों के ऊपर टिका दें. अब पेट व जांघों को धीरेधीरे ऊपर की ओर उठाने का प्रयास करें. इस के रोज 10 राउंड करें.

एल्बो प्लांक

प्लांक आर्म ऐक्सरसाइज करने के बाद एल्बो प्लांक करें. इसे करने के लिए पीठ के बल लेट जाएं और फिर दाएं पैर को बाएं पैर के ऊपर रखें. हाथों को सीधा सिर के ऊपर तक उठाएं. लेकिन ध्यान रहे कि बाजू कान से छूते हुए जाएं. इस के बाद अपने शरीर को रैगुलर क्रंच की तरह ऊपर उठाएं. फिर शरीर के ऊपरी हिस्से पर दबाव डालते हुए अपनी कोहनी से घुटने को छूने की कोशिश करें. दूसरे पैर से भी इस प्रक्रिया को दोहराएं.

रिवर्स बारबेल कर्ल

रिवर्स बारबेल कर्ल को इजेड बार के साथ करने पर अधिक लाभ होता है. आप इसे साधारण तरीके से भी कर सकते हैं.

3 सैट 10 रैप की इस कसरत का उद्देश्य अपर मसल के नीचे की मसल्स को लाभ देना है.

स्टैंडिंग डंबल ट्राइसेप्स ऐक्सटैंशन

कमर में दर्द की शिकायत वाले लोग स्टैंडिंग डंबल ट्राइसेप्स ऐक्सटैंशन को बैठ कर भी कर सकते हैं. इसे रस्सी लगा कर मशीन के साथ भी किया जा सकता है, क्योंकि डंबल में कई बार ग्रिप अच्छी नहीं बन पाती. इस के रोजाना 3 सैट और 15 रैप लगाएं.

इंक्लाइन डंबल कर्ल

इंक्लाइन डंबल कर्ल एक कमाल की बाइसेप्स की कसरत है. यह सीधा बाइसेप्स के सहारे होती है, तो इस का पूरा फायदा भी बाजुओं को ही मिलता है. यदि इस के कई रैप नहीं निकल पा रहे हैं तो डंबलों को नीचे लाने के बाद हथेलियां पैरों की ओर कर लें और फिर ऊपर ले जाते समय फिर से सीधा ले जाएं. इस के 3 सैट और 15 रैप किए जा सकते हैं.

क्लोज ग्रिप बैंच प्रैस

ट्राइसेप्स की 2 बेहतरीन कसरत हैं, एक ट्राएंगल पुशअप्स और दूसरी यह. बाइसैप्स को टोंड करने के लिए ट्राइसेप्स पर काम करना भी बेहद जरूरी होता है. मोटे, मजबूत ट्राइसैप्स की इस कसरत से चैस्ट पर भी काम होता है. इस में आप हैवी वेट भी लगा सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि इसे करते समय एक अच्छा रिस्ट बैंड इस्तेमाल में लें.

ट्रेडमिल ऐक्सरसाइज

आप कोई भी कसरत कर लें, लेकिन जब तक आप ट्रेडमिल पर दौड़ नहीं लगा लेते, वर्कआउट अधूरा माना जाता है. उम्र, वजन या लिंग चाहे जो भी हो, ट्रेडमिल पर वर्कआउट करने के कई फायदे होते हैं. इस से शरीर फिट तो रहता ही है, साथ ही, आप के शरीर के सारे अंग भी चुस्तदुरुस्त रहते हैं. ट्रेडमिल ऐक्सरसाइज के पूरे फायदे लेने के लिए इसे ठीक से करना जरूरी है.

सही जूते पहनें

ऐक्सरसाइज के लिए लोगों का जूतों पर ध्यान नहीं, बल्कि उन के लुक्स पर अधिक रहता है. ट्रेडमिल पर या सामान्य रनिंग के लिए जूतों के सोल में ऐक्स्ट्रा पैडिंग होनी चाहिए. इस से पैर आरामदायक रहते हैं और दौड़ते समय  पैरों पर अधिक जोर भी नहीं पड़ता. जूते ठीक न होने पर पैरों में दर्द, मोच जैसी दिक्कतें आ सकती हैं. इस से आप का संतुलन बिगड़ सकता है.

दौड़ते हुए नीचे देखना

जब भी ट्रेडमिल पर दौड़ें या वाक करें तो सामने देखें. यदि आप नीचे देखेंगे या फिर पैरों की गतिविधि पर ध्यान देंगे तो ध्यान हट सकता है और आप फिसल सकते हैं. वहीं नीचे देखने पर कमर या गरदन की नस में भी खिंचाव आ सकता है.

दौड़ते समय हैंडल पकड़ना

कई लोग ट्रेडमिल पर दौड़ते समय हैंडल पकड़ लेते हैं ताकि उन को सहारा मिल जाए, लेकिन फिटनैस ऐक्सपर्ट्स इसे सही नहीं मानते. उन की राय में ऐसा करने से शरीर को सहारा मिल जाता है और कैलोरी सही प्रकार बर्न नहीं होती. यदि आप इंक्लाइन मोड पर हैं तब भी बहुत आगे की ओर झुक कर नहीं चलना चाहिए.

मुंह से सांस लेना

यदि आप ट्रेडमिल पर दौड़ते समय मुंह से सांस लेते हैं, तो इस का मतलब है कि रेस्पिरेटरी सिस्टम को दुरुस्त करने की आवश्यकता है. इस से बचने के लिए डीप ब्रीदिंग की प्रैक्टिस करें, ताकि नाक से गहराई से सांस लेते हुए आप के शरीर को पूरी औक्सीजन मिले.

दौड़ने से पहले स्ट्रैचिंग न करना

किसी भी ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए शरीर में फ्लेक्सिबिलिटी का होना बहुत जरूरी है. इसलिए अगर आप बिना स्ट्रैचिंग के ट्रेडमिल पर ऐक्सरसाइज करेंगे तो थकान अधिक होगी और चोट लगने की आशंका भी अधिक रहेगी. ऐसे में मसल्स पर भी खिंचाव सब से ज्यादा परेशान करता है. ट्रेडमिल पर दौड़ने से पहले हमेशा 5 मिनट की स्ट्रैचिंग प्रैक्टिस जरूर करें और उतरने के बाद भी.

बेहतर मैटाबौलिज्म

ट्रेडमिल पर ऐक्सरसाइज करने से शरीर का मैटाबौलिज्म बढ़ता है. शरीर का मैटाबौलिज्म रेट शरीर की कार्यप्रणाली को सुचारु करने में मदद करता है. शरीर का मैटाबौलिज्म जितना ज्यादा होता है, शरीर में उतनी ही ज्यादा एनर्जी होती है. बढ़े हुए मैटाबौलिज्म से वजन कम करने में भी मदद मिलती है.

देखा गया है कि जैसेजैसे लोगों की उम्र बढ़ती है, उन की हड्डियां कमजोर होने लगती हैं, लेकिन अगर नियमित रूप से ट्रेडमिल पर दौड़ लगाएं तो आप की हड्डी की मोटाई बढ़ेगी और हड्डी जितनी मोटी होगी वह उतनी ही मजबूत बनेगी.

टोंड मसल्स

ट्रेडमिल पर रनिंग करने से न केवल वजन घटता है बल्कि शरीर की मासपेशियां भी टोंड होती हैं. ध्यान रहे अच्छे शेप में आने के लिए मांसपेशियों का टोंड होना जरूरी है. ट्रेडमिल पर ऐक्सरसाइज करने से पैर, जांघ, पेट और कूल्हे पर जोर पड़ता है और इन का शेप बेहतर होता है. ट्रेडमिल पर दौड़ने से शरीर में औक्सीजन की मात्रा ठीक होती है और इस का ठीक प्रवाह होता है. इस से पसीना आता है और त्वचा के पोर्स खुल जाते हैं, शरीर से गंदगी बाहर निकलती है और त्वचा कुछ ही दिनों में चमकदार बन जाती है, जो आप को सुदंर बनाती है.

बच्चों को चलाएं नंगे पांव, ये होते हैं फायदे

आजकल के मां बाप अपने बच्चे की सेहत को लेकर इतने ज्यादा सचेत रहते हैं कि कई बार उन्हें अच्छी चीजों से भी दूर कर देते हैं. आमतौर पर मां बाप छोटे बच्चों का नंगे पांव घूमना गलत मानते हैं. हाल ही में हुई एक स्टडी में ये बात सामने आई कि नंगे पांव रहने वाले बच्चों में कूदने और संतुलन बनाने की क्षमता उन बच्चों के मुकाबले बेहतर होती है जो ज्यादा समय तक जूते पहने रहते हैं. हालांकि ज्यादा समय तक जूते पहनने वाले मुख्य रूप से 6 से 10 साल तक के बच्चों ने परीक्षण के दौरान अच्छे परिणाम दिए हैं.

शोधकर्ताओं ने बताया कि बच्चों ने कूदने और संतुलन बनाने में बेहतर प्रदर्शन किया है, जो यह दर्शाता है कि बचपन किशोरावस्था में बुनियादी संतुलन का विकास लंबे समय तक नंगे पैर रहने से बेहतर होता है.

जानकारों की माने तो नंगे पैर रहने से ज्यादा प्रकृति के करीब रहने का एहसास होता है और पैरों में कुछ पहनकर चलने से पैरों के स्वास्थ्य और संचालन की प्रगति प्रभावित होती है.

आपको बता दें कि इस स्टडी में संतुलन, लंबी कूद और 20 मीटर दौड़ की गतिविधियों के लिए ग्रामीण दक्षिण अफ्रीका तथा उत्तरी जर्मनी के शहरी क्षेत्रों के 6-18 आयु वर्ग के 810 लोगों को शामिल किया गया है. नतीजों में सामने आया है कि नंगे पैर चलने वाले लोगों ने संतुलन और ऊंची कूद में जूते पहनकर चलने वाले लोगों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है.

आइए जाने कि नंगे पैर चलने के और कौन से फायदे हो सकते हैं

  • नंगे पैर चलने से बौडी पोश्चर सही रहता है. इससे कमर भी सीधी रहती है. इससे कमर और रीढ़ की हड्डी से जुड़ी बहुत सी परेशानियां दूर हो जाती हैं.
  • पैरों में होने वाले दर्द में भी नंगे पांव चलने से फायदा होता है.
  • नंगे पैर चलने से खून का प्रवाह सही रहता है. इससे पैरों का निचला हिस्सा मजबूत होता है.
  • एक शोध के अनुसार, नंगे पैर चलने से तनाव भी कम होता है और दिमाग शांत होता है.

मराठी फिल्म ‘लकी’ से परदे पर हौट बिकनी में उतरी दीप्ति सती

दक्षिण भारतीय फिल्मों की चर्चित अदाकारा दीप्ति सती इन दिनों मराठी भाषा की संजय कुकरेजा, सूरज सिंह, और दीपक पांडुरंगा राणे द्वारा निर्मित फिल्म ‘‘लकी’’ को लेकर चर्चा में हैं, जिसमें वह हीरोइन बनकर आ रही हैं. जी हां! संजय जाधव निर्देशित फिल्म ‘‘लकी’’ से वह मराठी फिल्मों में प्रवेश कर रही हैं. मजेदार बात यह है कि अपनी पहली ही मराठी फिल्म ‘‘लकी’’ में वह एकदम हौट लुक के साथ सेक्सी अंदाज में तहलका मचाने वाली हैं. यह पहली बार होगा जब किसी मराठी भाषा की फिल्म में दीप्ति जैसी साइज जीरो हीरोइन दर्शक देख सकेंगे.

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कई सौंदर्य प्रतियोगिताओं का हिस्सा रही अभिनेत्री दीप्ति सती ने अब तक किसी भी फिल्म में बिकनी नही पहनी है. मगर दीप्ति ने पहली बार प्रसिद्ध फिल्मकार संजय जाधव की फिल्म ‘‘लकी’’ में बिकनी पहनकर कई गर्मागर्म दृष्य दिए हैं. इस तरह दीप्ति पहली बार सेल्यूलाइड के परदे पर हौट अवतार में नजर आएंगी.

एक मुलाकात के दौरान इस बारे में पूछे जाने पर दीप्ति बताती हैं- ‘‘जब मुझे बताया गया कि मुझे इस फिल्म के एक दृष्य में बिकनी पहननी है, तो मैं पहले बहुत नर्वस थी. लेकिन बाद में मुझे अहसास हुआ कि यह फिल्म के महत्वपूर्ण दृश्यों में से एक है. इसलिए मैंने इसे अंजाम दिया. शूटिंग के दिन निर्देशक संजय जाधव ने कोशिश की कि सीन फिल्माते वक्त मुझे कोई झिझक महसूस ना हो. इसलिए सेट पर निर्देशक, कैमरामैन, मैं और मेरे हेयर मेकअप टीम के अलावा कोई मौजूद नहीं था.’’

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दीप्ति सती आगे कहती हैं – ‘‘यह फिल्म एक हास्यप्रधान नाटकीय फिल्म हैं. फिल्म कीक हानी कौलेज में पढ़ने वाले युवाओं की है. जिसके चलते बिकनी पहनना स्क्रिप्ट का हिस्सा था. आज की युवा पीढ़ी बिकनी पहनने में झिझकती नही है. जिम में स्पोर्ट्स वियर या कौलेज जाते समय डेनिम पहनते हैं, उसी तरह स्वीमिंग पुल में टू पीस बिकनी पहनते हैं. फिल्म में सारे दृश्य बहुत ही ज्यादा कलात्मक ढंग से फिल्माए गए हैं.’’

7 फरवरी 2019 को प्रदर्शित होने वाली फिल्म ‘‘लकी’’ में अभय महाजन और दीप्ति सती मुख्य भूमिका में हैं.

पीरियड्स में टेंशन-फ्री हो कर करें ऐसे सफर

जब आपके पीरियड्स चल रहे हों तो जाहिर है आप सफर पर जाने से बचती हैं. लेकिन अपने प्लान को इस तरह कैंसल करना ही पर्याय नहीं है. इसके बजाय आप कुछ टिप्स को अपनाएं और अपने वैकेशन को एन्जौय करें.

– सफर के दौरान इस्तेमाल किए गए पैड और टिश्यू पेपर फेंकने के लिए जगह न मिलने पर कई बार आपको उन्हें अपने बैग में रखना पड़ सकता है. इसलिए हमेशा अपने साथ कुछ टिश्यू और प्लास्टिक बैग साथ रखें. साथ ही एक सैनिटाइजर भी जरूर रखें. इसकी जरूरत बार-बार पड़ेगी.

– बार-बार पैड चेंज करते रहें. इसलिए जहां भी रेस्टरूम दिखे वहां जाकर चेक करें और पैड बदलें. जब भी  वाशरूम जाएं पानी और टौयलेट पेपर से अपने प्रायवेट पार्ट्स की सफाई करें. वेट वाइप का इस्तेमाल न करें क्योंकि ज्यादातर वेट वाइप्स में अल्कोहल और फ्रेगनेंस का इस्तेमाल होता है. जिनकी वजह से जलन और सूजन हो सकती है.

– बहुत अधिक तकलीफ होने पर पीरियड्स के समय पेन किलर खाने से आराम मिल सकता है.   पीरियड्स में सफर के समय तकलीफ होने पर आप पेनकिलर खा सकती हैं. लेकिन सफर पर जाने से  पहले अपने डौक्टर से बात करें.

– पेट फूलने और मरोड़ों की समस्या के बीच शायद ही सफर के दौरान आप जींस पहनना चाहें. इसलिए ऐसे कपड़े पहनें जिसमें आपको सुविधा और आराम महसूस हो. इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं कि आप पैजामा पहनकर घूमें. आप स्टाइलिश और आरामदायक कपड़े पहन सकती हैं जैसे योग पैंट या लूज गाउन. कौटन अंडरगार्मेंट पहनें ताकि प्रायवेट पार्ट्स में अधिक पसीना आए तो वह सोख लेगा और रैशेज भी नहीं होंगे. हां एक्स्ट्रा पैड और अंडरगार्मेंट भी साथ जरूर रखें.

–  पीरियड्स के समय बार-बार आपका दिल कुछ चटपटा या कुरकुरा खाने का होगा. लेकिन जंक फूड और नमकीन चीजें आपका पीएमएस और पेट फूलने की समस्याएं बढ़ा देंगे. पीरियड्स के दौरान केला, खजूर, अंगूर और आम जैसे फल खाना चाहिए. इसलिए चाहे जहां भी अपने साथ कुछ फल जरूर रखें. साथ ही हाइड्रेट रहने के लिए ढ़ेर सारा पानी पीएं.

वर्मीसेली चाट रेसिपी

सामग्री

– वर्मीसेली (1 कप उबली)

– स्वीट कौर्न (2 बड़े चम्मच)

– छोलिया (2 बड़े चम्मच)

–   प्याज (1कटा)

–  टमाटर का पेस्ट

–  1 हरीमिर्च

– छोटी शकरकंदी जूलियन (कटी हुई)

– दही (1/2 कप)

– मीठी चटनी (2 बड़े चम्मच)

– हरी चटनी (1 बड़ा चम्मच)

– सिंघाड़े (2-3 कटे हुए)

– नमक (स्वादानुसार)

–  तेल (तलने के लिए)

बनाने की विधि

– शकरकंदी को तल कर अलग रख लें.

– अब कड़ाही में तेल गरम कर प्याज, सिंघाड़े, स्वीटकौर्न और छोलिया मिला कर पकाएं.

– पक जाने पर तली हुई शकरकंदी, नमक, हरीमिर्च और वर्मीसेली भी मिलाएं.

– एक प्लेट में मिश्रण निकाल कर दही और चटनी के साथ सर्व करें.

खर्च हो जाती है पूरी सैलरी? इस स्कीम में करें इंवेस्ट, मिलेगा बड़ा रिटर्न

महंगाई के इस दौर में जिसकी जितनी कमाई है उसमें वो परेशान है. किसी के लिए उसकी कमाई पर्याप्त नहीं होती. फ्यूचर के लिए सेविंग्स भी बेहद जरूरी है. पर महीने के खर्चे से कुछ सेविंग्स कर पाना बड़ा मुश्किल होता है. ऐसे में जरूरत है थोड़ी सूझबूझ की. थोड़ी सी स्मार्टनेस से आप अपने लिए अच्छी खासी सेविंग्स का जुगाड़ कर सकती हैं. अगर आप बाजार में निवेश विकल्पों के बारे में जानकरी रखती हैं तो जाहिर तौर पर सीप (सिस्टेमैटिक इंवेस्टमेंट प्लानिंग) के बारे में जानती होंगी. इस प्लान से आप अच्छा खासा बचत कर सकती हैं.

बैंक अकाउंट से लिंक करें एसआईपी

आज के समय में आप चाहे कितना ही कमा लें, कम पड़ता है. बढ़ती महंगाई के साथ आप बहुत सी चीजों की आपूर्ति नहीं कर पाती हैं. ऐसे में आप बचत के लिहाज से एसआईपी अकाउंट खुलवा सकती हैं. इसे बस अपने बैंक खाते से लिंक कराना होता है. बैंक के सेविंग अकाउंट से सिप प्लान को लिंक करवाने से मासिक आधार पर एक निश्चित तारीख को आपके खाते से पैसा कटने लग जाएगा. यानी आपकी ओर से खुद-ब-खुद एक निश्चित मासिक सेविंग शुरु हो जाएगी.

एसआईपी है अन्य निवेश विकल्पों से बेहतर

सेविंग्स के नाम पर लोग सेविंग अकाउंट या फिक्स्ड डिपौजिट का चुनाव करते हैं. बचत खाते में आपको 3.5 से 6 फीसदी तक की ब्याज दर मिलती है. इसके अलावा एफडी में अधिक से अधिक 7.5 फीसद की दर से ब्याज पा सकती हैं. जबकि एसआईपी आपको 15 से 18 फीसदी का ब्याज दर दे  सकता है.

कितना करें निवेश

मान लीजिए आपकी सैलरी 50,000 रुपये महीना है तो आप इससे 5000 रुपये की मासिक सेविंग से शुरुआत कर सकती हैं. अगर आप अगले 10 वर्षों तक इस निवेश को जारी रखती हैं तो आप 15 फीसद के अनुमानित रिटर्न के लिहाज से करीब 10 लाख रुपये जोड़ लेंगी.

कौस्मैटिक सर्जरी से दिखें कमसिन

केवल बोटौक्स या फिलर ही नहीं, और भी कई तरह की सर्जरी हैं जो परफैक्ट लुक देने में कारगर हैं. चेहरे के दागधब्बों को दूर कर चेहरे पर चमक लाने के लिए कैमिकल पील करवाना खासा पौपुलर है. परमानैंट हेयर रिमूवल और टमी टक कुछ ऐसे पार्ट्स हैं जिन से आप की पर्सनैलिटी पर गजब का निखार आता है. इन के लिए महीनेभर से ही प्लान करना जरूरी है. बोटौक्स से जहां आप उम्र कम दिखा सकते हैं, वहीं लिप फिलर आप के होंठों पर आकर्षक उभार लाता है.

डर्माब्रेशन, लेजर स्किन रिसरफेसिंग व कैमिकल पील जैसे ट्रीटमैंट के बेहतर परिणामों के लिए इन्हें कुछ मामलों में दोहराना भी पड़ सकता है. इस के अलावा जो लोग खुद में खास बदलाव देखना चाहते हैं वे फेसलिफ्ट, लाइपोसक्शन व बौडी कौंटूरिंग भी करवा सकते हैं.

जो अपनी ब्रैस्ट को सही शेप देना चाहती हैं, वे ब्रैस्ट सर्जरी के बारे में जरूर पता करें. ये सभी एक दिन में होने वाली सर्जरी हैं और आप उसी दिन घर भी जा सकती हैं, लेकिन सर्जरी का निशान हटने में थोड़ा समय लगता है. इसलिए यदि शादी से पहले सर्जरी करवानी हो तो 3 से 6 महीने पहले करवाना बेहतर होगा.

बोटौक्स व फिलर प्रक्रिया

अगर आप ट्रीटमैंट लेने जा रहे हैं, तो पहले फेस अच्छी तरह साफ कर लें. फेसपैक लगा कर उस पर बर्फ से मालिश भी लाभदायक है. इंसुलिन इंजैक्शन जैसे छोटे बोटौक्स के इंजैक्शन चेहरे पर लगाए जाते हैं. इस पूरी प्रक्रिया में 15 से 20 मिनट का समय लगता है. इस का फास्ट इफैक्ट नहीं होता. 3 से 7 दिनों के अंदर इस का असर आप को चेहरे पर दिखाई देने लगता है. यह असर 3 से 6 महीने तक बरकरार रहता है.

रिंकल्स, पिंपल्स, डार्क सर्कल्स, ल्यूकोडर्मा जैसी कौमन ब्यूटी प्रौब्लम्स का इलाज कौस्मेटिक के एडवांस ब्यूटी ट्रीटमैंट्स ने संभव बनाया है. इन ट्रीटमैंट्स का सहारा ले कर हम अपनी त्वचा की रंगत निखारने के साथ ही अपने होंठ, गाल, नाक, कान, आईब्रो आदि के आकार में स्थायी रूप से मनचाहा परिवर्तन ला सकते हैं.

क्या है राइनोप्लास्टी

जैसा कि कुछ हद तक नाम से ही मालूम होता है कि अगर आप की नाक की शेप प्रौपर नहीं है तो आप 1-2 घंटे के इस ट्रीटमैंट की मदद से अपनी नाक को सही शेप दे सकती हैं.

इस के साथ आप अपने अपर लिप पार्ट और नोज के बीच नोज पौइंट का एंगल भी ठीक करवा सकती हैं. चाहें तो इसे फेसलिफ्ट के साथ भी करवा सकती हैं. इस के लिए आप को बस एक दिन के लिए ही एडमिट होना पड़ता है. हालांकि पूरी तरह से सूजन जाने में 2 महीने लग जाते हैं. यदि आप 2-3 हफ्ते बाद ही अपने काम पर वापस जाना चाहती हैं तो इस का खर्च तकरीबन 50-70 हजार रुपए तक आता है.

प्लास्टिक सर्जरी

शरीर के किसी भी हिस्से पर चोट लगने या जलने से वह भाग यदि भद्दा दिखाई देता है तो उसे प्लास्टिक सर्जरी से ठीक किया जा सकता है. इस ट्रीटमैंट में जांघों के पास की स्किन को निकाल कर उस जगह पर लगा दिया जाता है, जिस से उस की खूबसूरती को बरकरार रखा जा सके. प्लास्टिक सर्जरी की इस विधि को स्किन ग्राफ्टिंग कहते हैं. युवतियां अकसर नाक, होंठ, ब्रैस्ट की सर्जरी कराती हैं. पुरुषों में हेयर ट्रांसप्लांट और छाती आदि की सर्जरी ज्यादा प्रचलित है.

साइड इफैक्ट्स

वैसे तो बोटौक्स के साइड इफैक्ट्स नहीं होते पर सभी लोगों की स्किन एकजैसी न होने से इस के अलगअलग रिस्पौंस भी मिल सकते हैं. इस से चेहरे पर जलन और मार्क्स हो सकते हैं.

कुछ मामलों में आप को सिरदर्द, नजलाजुकाम और आंखों के आसपास की स्किन लाल हो कर उस में खुजली या फेशियल पेन भी हो सकता है.

इस पर आने वाला खर्च

सही खर्च का अंदाज आप के चेहरे पर निर्भर करता है. अगर आप केवल आंख के हिस्सों तक ही ट्रीटमैंट करवाती हैं तो इस का पूरा खर्च 4 से 7 हजार रुपए के बीच आता है, जबकि आंख के ऊपरी हिस्से यानी माथे पर इस ट्रीटमैंट को करवाने के लिए आप को 12 हजार से ले कर 20 हजार रुपए तक चुकाने पड़ सकते हैं. वहीं, प्लास्टिक सर्जरी करवाने के लिए इस से अधिक रकम भी खर्च करनी पड़ सकती है.

परफैक्ट लुक के लिए सर्जरी का बढ़ता बाजार

कौस्मेटिक तथा प्लास्टिक सर्जरी जैसे उपाय उन लोगों के लिए वरदान हैं जिन्हें किसी कारण से शरीर या चेहरे की विकृति का सामना करना पड़ता है लेकिन अब मानसिक संतुष्टि और आकर्षक दिखने की होड़ ने इसे एक अलग तरह का बाजार उपलब्ध करा दिया है.

इस बाजार का सब से बड़ा खरीदार है युवावर्ग. भारत जैसे देश में यह सर्जरी लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है. यही नहीं, भारी रकम दे कर शादी के दिन के लिए युवाओं की बड़ी संख्या इस के जरिए अपने चेहरे और शरीर का कायाकल्प करवाने में जुटी है.

– डा. करुणा मल्होत्रा,

(कौस्मैटिक स्किन ऐंड होम्योक्लीनिक)

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