महकाना चाहती हैं घर का कोना कोना, तो करें ये उपाय

खुशबू एक ऐसा एहसास है, जो किसी को भी सम्मोहित कर लेती है. इस से वातावरण में भी मस्ती छा जाती है. भीनी भीनी खुशबू से महक रहे घर में घुसने पर किसी को स्वयं ही उस की स्वच्छता का एहसास हो जाता है. घर को खुशबूदार बनाने का चलन बेहद पुराना है. होम फ्रैगरेंस का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि घर से निकलने वाली अन्य तरह की दुर्गंध को कम किया जा सके. ताजी खुशबू वाला घर हमेशा स्वच्छता का एहसास दिलाता है. यही कारण है कि लोग अपने घरों को मनपसंद खुशबू से महकाना पसंद करते हैं.

बाजार में अनेक तरह के होम फ्रैगरेंस मौजूद हैं, जिन में से आप अपनी सुविधा व पसंद के मुताबिक चुनाव कर अपने घर को महका सकते हैं. रूम फ्रैगरेंस को कई कैटेगरियों व खुशबुओं में बांटा गया है. सैशे, पौटपोरी, सेंट आयल, एअर फ्रैशनर्स, रूम स्प्रे, परफ्यूम डिस्पेंसर, अरोमा लैंप, प्लग इन, सेंटेड कैंडल्स आदि. होम फ्रैगरेंस प्रोडक्ट्स बनाने वाली डेल्टा एक्सपर्ट्स कंपनी की डिजाइनर आरती का कहना है कि घर में इस्तेमाल की जाने वाली प्राकृतिक व अप्राकृतिक खुशबुएं कई तरह की होती हैं, कई खुशबूदार तेलों को मिला कर भी विशेष तरह की महक तैयार की जाती है. जैसे रोज और जैसमीन को मिला कर स्पेशल मूड क्रिएट किया जाता है. इन्हें आप कैंडल, अगरबत्ती, एअर स्प्रे, होम स्प्रे आदि के रूप में बाजार से खरीद सकते हैं. ये अधिक महंगे भी नहीं होते हैं.

आरती के अनुसार फ्रैगरेंस की कई कैटेगरियां होती हैं जैसे फ्रूट्स कैटेगरी में जहां वैनिला, स्ट्राबेरी, चौकलेट आदि फ्रैगरेंस आते हैं, वहीं फ्लोरल कैटेगरी में इंडियन स्पाइस, जैसमीन, रोज, लैवेंडर आदि. अपनी पसंद के मुताबिक लोग विभिन्न तरह के फ्रैगरेंस को अपने घर में इस्तेमाल करते हैं. बाथरूम की बात की जाए तो यहां अधिकतर लेमनग्रास फ्रैगरेंस का इस्तेमाल किया जाता है. फाइवस्टार होटल हो या अन्य कोई होटल, हर जगह इन फ्रैगरेंसेस का इस्तेमाल किया जाता है. होम फ्रैगरेंसेस के प्रति बढ़ती रुचि के कारण ही इस का बाजार दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है.

होम फ्रैगरेंस अगरबत्तियां

खुशबू के लिए अगरबत्ती का इस्तेमाल नया नहीं है. हां, इतना जरूर कहा जा सकता है कि पहले जहां अगरबत्तियां कुछ गिनीचुनी खुशबुओं में ही उपलब्ध थीं वहीं आज ये अनगिनत खुशबुओं में मिलती हैं. पुराने समय में अगरबत्ती व इस के धुएं को मेडिसिन के रूप में इस्तेमाल किया जाता था. अगरबत्तियां एक बेहतरीन होम फ्रैगरेंस के तौर पर भी सदा से इस्तेमाल की जाती हैं. अगरबत्तियां कई तरह की खुशबूदार लकडि़यों, जड़ीबूटियों, खुशबूदार आयल, गरममसाला, जैसमीन, पचोली (भारत का एक सुगंध देने वाला पौधा), संडलवुड, गुलाब, देवदार आदि प्राकृतिक खुशबुओं से तैयार की जाती हैं. इन्हें नेचुरल फ्रैगरेंसेस कहा जाता है, जबकि इन्हें आर्टिफिशल खुशबुओं जैसे स्ट्राबेरी, भांग व अफीम के पौधे आदि से भी तैयार किया जाता है.

अगरबत्तियां 2 प्रकार की होती हैं- डायरेक्ट बर्न और इनडायरेक्ट बर्न. जैसा कि नाम से ही जाहिर है, डायरेक्ट बर्न अगरबत्ती स्टिक को सीधे जला दिया जाता है और वह लंबे समय तक सुलग कर वातावरण को महकाए रखती है, जबकि इनडायरेक्ट बर्न अगरबत्ती में फ्रैगरेंस मैटेरियल को किसी मैटल की हौट प्लेट या आंच आदि पर रखा जाता है, जिस से वह गरम हो कर घर को महक ाती रहती है. यह स्टिक फार्म में न हो कर मैटेरियल फार्म में होती है.

अगरबत्तियां कई आकारों में मिलती हैं जैसे स्टिक, धूप, पाउडर आदि. इन के प्रयोग से आप कम खर्च में घर को महका सकते हैं. इन की खुशबू से मक्खियां व मच्छर भी दूर रहते हैं.

फ्रैगरेंस कैंडल्स

आप के घर में सजी डिजाइनर फ्रैगरेंस कैंडल देख कर कोई भी आसानी से यह अंदाजा नहीं लगा सकता कि आप के घर से आने वाली भीनीभीनी खुशबू में इस आकर्षक कैंडल का हाथ है. आज बाजार में इतने यूनीक डिजाइनों, रंगों व खुशबुओं में फ्रैगरेंस कैंडल्स मौजूद हैं कि हर किसी पर दिल आ जाए. डिजाइनर अरोमा लैंप को आप अपने घर में कहीं भी रखें, यह अपना काम बखूबी करेगा. एक विशेष तरह के बने इस लैंप में पानी की कुछ बूंदों में आरोमा आयल डाल दिया जाता है, जिस से घर लंबे समय तक महकता रहता है. ये बेहद आकर्षक होते हैं.

रीड डिफ्यूजर

रीड डिफ्यूजर के बारे में अभी भारत में कम लोग ही जानते हैं लेकिन यह तेजी से लोगों की पसंद बन रहा है. रीड डिफ्यूजर फ्रैगरेंस कैंडल का अच्छा विकल्प है. इस में नैचुरल व सिंथेटिक दोनों तरह के आयल्स का इस्तेमाल किया जाता है. यह खुशबू को कमरे की हवा में अच्छी तरह घोल कर लंबे समय तक घर को महकाता है. इसे अगरबत्ती या फ्रैगरेंस कैंडल्स की तरह समयसमय पर जलाने की जरूरत नहीं होती. यह अनेक तरह की खुशबुओं, शेप्स व साइजों में बाजार में उपलब्ध है, जो एक सुरक्षित तरीके से आप के घर को खुशबूदार बनाता है. रीड डिफ्यूजर में आप को बोतल या कंटेनर, सैंटेड आयल व रीड्स मिलती हैं. बोतल या कंटेनर में आयल को भर दिया जाता है व इस में एक रीड स्टिक डाल दी जाती है और बस, आप का पूरा घर महक जाता है, मस्ती भरी खुशबू के साथ.

कई लोग सोचते होंगे कि इस रीड डिफ्यूजर को घर में किस जगह पर रखा जाए तो कई लोग इसे किचन, बाथरूम, लिविंगरूम, ड्राइंगरूम या बेडरूम में रखना पसंद करते हैं तो कई इसे अपने आफिस आदि में भी रखते हैं ताकि काम करते समय एम्लाई रिलैक्स व शांति महसूस करें. यह नर्सिंगहोम्स, स्पा और ब्यूटी शौप्स आदि में भी इस्तेमाल किया जाता है. यह कई साइजों में मिलता है. आप अपने कमरे के आकार व जरूरत के मुताबिक इसे खरीद सकते हैं.

कैंडल वार्मर्स

कैंडल वार्मर मोम को गरम करता है और इस पिघले हुए मोम से निकलने वाली खुशबू से सारा घर महक जाता है. इस कैंडल को जलाने की जरूरत नहीं होती, बल्कि धीरेधीरे पिघलने वाले मोम से निकलने वाली खुशबू लंबे समय तक घर को महकाती है. यह उन लोगों के लिए अच्छा विकल्प है, जो सैंटेड कैंडल को बिना जलाए उस की महक पाना चाहते हैं. एअर फ्रैशनर्स स्प्रे को आप आसानी से इस्तेमाल कर सकती हैं. यह हवा को महकाता है और घर में आने वाली अन्य दुर्गंधों को प्रभावहीन बनाता है. एअर फ्रैशनर्स स्प्रे एक छोटी सी खूबसूरत कैन में उपलब्ध होते हैं जिन्हें प्रयोग में न आने पर आसानी से स्टोर भी किया जा सकता है. छोटे कैंस को आप दीवार पर भी लगा सकते हैं, जिन में लगे एक बटन को पुश कर के आप घर को जब चाहे महका सकते हैं. इस के अलावा फ्रैगरेंस स्टिक भी मिलती है जिसे आप सफाई करते समय वैक्यूम क्लीनर बैग में रख सकते हैं. इस से आप के घर का कोनाकोना महक उठेगा व स्वच्छता का एहसास दिलाएगा. ये फ्रैगरेंस स्प्रे कैंस अनेक सुंदर डिजाइनों में उपलब्ध हैं.

फ्रैगरेंस पोटपोरी

फ्रैगरेंस पोटपोरी का इस्तेमाल कर आप प्राकृतिक तौर पर अपने घरआंगन को महका सकते हैं. प्राकृतिक खुशबूदार सूखे हुए पौधों के भागों व अन्य फ्रैगरेंस सामग्री को लकड़ी या सिरेमिक के बने डेकोरेटिव बाउल या फिर बारीक कपड़े के थैले में संजोया जाता है. ये बाजार में कई आकर्षक पैकेटों में मिलते हैं. इन से निकलने वाली धीमीधीमी खुशबू हवा के साथ घर के कोनेकोने में भर जाती है. अगर आप बाजार में मिलने वाले होम फै्रगरेंस का इस्तेमाल नहीं करना चाहते तो घर पर भी होम फ्रैगरेंस बना सकते हैं. किसी मिट्टी या सिरेमिक के पौट में पानी भर कर उस में ताजे गुलाब की पंखुडि़यां डाल दें. चाहें तो इस में खुशबूदार आयल की कुछ बूंदें भी मिला दें. इसे आप सेंटर या साइड टेबल के बीचोंबीच सजा कर रख दें. इसे घर की खिड़की या दरवाजे पर भी टांगा जा सकता है. हवा के साथ इस की महक पूरे घर में फैल जाएगी और यह होम फ्रैगरेंस का काम करेगा.

ये हैं भारत के पांच सबसे खूबसूरत एयरपोर्ट

भारत में वैसे तो बहुत से एयरपोर्ट हैं लेकिन उनमें से कुछ ऐसे हैं जिनकी खूबसूरती देखते ही बनती है. आज हम भारत के पांच ऐसे आकर्षक और अदभुत हवाई अड्डों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां की खूबसूरत वादियों को देखकर आप विदेशी एयरपोर्ट के बारे में भूल जाएंगी और आपका मन करेगा कि सारी गर्मी बस यहीं पर बीत जाए.

अगटि्ट एयरपोर्ट (लक्षद्वीप)

यह एयरपोर्ट लक्षद्वीप के दक्षिण में स्थित है. डोर्नियर औपरेशन के लिए इस एयरपोर्ट का निर्माण 1987-1988 में हुआ था. 16 अप्रैल 1988 में इसका उद्घाटन हुआ. इसे टर्मिनल के छोटे से ढांचे में रखा गया था फिर 2006 में इसमें कुछ बदलाव के काम शुरु किये गये. बीच में किसी कारण इसके रनवे में कुछ समस्याएं भी आयी थी और 24 सितंबर 2010 में अगटि्ट को कोची से जोड़ दिया गया. आखिरकार 2010 में इसकी रनवे समस्या दूर हो गयी. यह ऐसा एयरपोर्ट है जहां की वादियों को देखकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाए. यह एयरपोर्ट सुदंर मूंगे के चट्टानों से घिरा हुआ है.

लेंगपुई एयरपोर्ट (मिजोरम)

मिजोरम का लेंगपुई एयरपोर्ट 2,500 मीटर लंबा है औप पहाड़ों के बीचोबीच बनाया गया है. इस प्रदेश को 1987 में अलग राज्य की मान्यता दी गयी थी. मिजोरम का अर्थ पहाड़ी भूमि होता है. यह छोटा राज्य है जो 900 किमी में फैला हुआ है. यहां पहाड़ की सबसे ऊंची चोटी फवंगपुई, द ब्लू माउंटेन है जिसकी ऊंचाई 2165 मीटर है.

लेह एयरपोर्ट (जम्मू-कश्मीर)

इस गर्मी के मौसम में लेह एयरपोर्ट में आपको ठंड का एहसास होगा. वहां की ठंडी वादियां और सुंदरता की वजह से लेह एयरपोर्ट की गुणवत्ता और सुंदरता में चार चांद लग जाते हैं. लेह की पहाड़ियों में बर्फ की चादरें बिछी हुई होती हैं. लेह दुनिया के सबसी ठंडी जगहों में दूसरे स्थान पर आता है. इसकी बेहद सुंदरता के कारण इसे कई और नामों से भी जाना जाता है.

जुब्बड़हट्टी शिमला

अगर आपको खतरनाक लैंडिग करने का शौक है तो यह एयरपोर्ट केवल आपके लिए ही बना है. शिमला से 22 किलोमीटर दूर स्थित यह एयरपोर्ट पहाड़ों को काटकर बनाया गया है. शिमला को वैसे भी ‘क्वीन औफ हील्स’ कहा जाता है. ऐसे में अगर इस गर्मी में आप शिमला घूमने का प्रोग्राम बना रहे हैं तो फ्लाइट से जाएं. वैसे भी यहां पर केवल दो हवाई जहाज ही पार्क हो सकते हैं तो ज्यादा भीड़ भाड़ नहीं होगी. साथ ही आप एयरपोर्ट घूमते हुए शिमला भी घूम लेंगे.

वीर सावरकर इंडरनेशनल एयरपोर्ट, (अंडमान एंड निकोबार)

देश छोटे से महाद्वीप अंडमान निकोबार का यह मुख्य एयरपोर्ट है. पोर्ट ब्लेयर से इसकी दूरी 2 किलोमीटर दूर साउथ में स्थित है. 3,290 मीटर रनवे वाला यह एयरपोर्ट को बहुत अच्छे ढंग से बनाया गया है.

हौट गार्लिक चिकन विंग्स

सामग्री

–  20 चिकन विंग्स

– 2 बड़े चम्मच मक्खन

– 8-10 लहसुन की कलियां बारीक कटी

– 3 बड़े चम्मच लालमिर्च का पेस्ट

– 1/4 कप टोमैटो पेस्ट

– 1 छोटा चम्मच चीनी

– तलने के लिए फिगारो औलिव औयल

– नमक व कालीमिर्च स्वादानुसार

विधि

चिकन विंग्स पर नमक व कालीमिर्च पाउडर बुरक कर 10 मिनट तक मैरिनेट करें. अब कड़ाही में तेल गरम कर के चिकन विंग्स को सुनहरा होने तक डीप फ्राई करें. फिर मध्यम आंच पर एक पैन में मक्खन गरम करें और लहसुन भून लें. अब इस में लालमिर्च का पेस्ट, टोमैटो पेस्ट, चीनी व नमक मिलाएं और सौस गाढ़ा होने तक पकाएं. तैयार सौस में चिकन विंग्स को अच्छी तरह औस करें और परोसें.

-व्यंजन सहयोग:

शैफ आशीष सिंह

कौरपोरैट शैफ, कैफे देल्ही हाइट्स, दिल्ली

जेबखर्च : पैसा संभालने की पहली शिक्षा

औरतें अकसर दफ्तरों में वेतन में भेदभाव व ग्लास सीलिंग  की शिकायतें करती हैं. यह शिकायत वैसे वाजिब है क्योंकि एक तरह का सा काम करने वाली औरतों को पुरुषों के मुकाबले 20 से 40 फीसदी कम वेतन मिलता है और पदोन्नति के उन के अवसर आधे ही होते हैं. पर इस का सारा दोष दफ्तरों में पुरुष प्रधान माहौल को देना पूरा सच न होगा.

प्यू की एक शोध के अनुसार, मांओं की मरजी को ले कर ही भेदभाव बचपन से ही शुरू हो जाता है जहां औसतन बेटों को 13 डौलर साप्ताहिक जेबखर्च मिलता है, वहीं बेटियों को 6 डौलर ही मिलते हैं. लड़कियां इसी उम्र से कम में गुजारा करने की आदी हो जाती हैं और जीवन के हर क्षेत्र में इस भेदभाव को स्वीकार कर लेती हैं.

यह भेदभाव घरों में हर तरफ बिखरा होता है. बेटियों पर बाहर आनेजाने के समय, अपना वाहन खरीदने, घूमने जाने, टीवी, कंप्यूटर खरीदते समय यानी हर बात पर अंकुश लगाया जाता है. लड़कियों पर ये अंकुश मांएं ही ज्यादा लगाती हैं, क्योंकि ये बचपन में अपनी मां से सीख कर आई होती हैं. उन में न तो इस परंपरा को बदलने की इच्छा होती है न साहस. अगर पति कभी बेटी का पक्ष लेता नजर आए भी, तो मां ही बेटों के साथ खड़ी हो जाती हैं.

घर की अर्थव्यवस्था में जेबखर्च बहुत बड़ी बात नहीं है, पर यह भेदभाव गहराई तक मन में बैठ जाता है और लड़कियां कम में गुजारा करना सीख जाती हैं.

इस का दुष्परिणाम भी होता है. लड़कियां जब अपना पूरा मानसम्मान नहीं पातीं तो उन की उत्पादकता व कुशलता कम हो जाती है. इस कमी को कार्यक्षेत्र में औरतों की प्रवृत्ति कह कर टाल दिया जाता है और औरतों से भेदभाव करने में यह बहुत काम आता है.

जेबखर्च लगभग बराबर मिलना चाहिए और मांबाप को बेटेबेटी दोनों के खर्चों पर बराबर नजर रखनी चाहिए. दोनों को बचत का पाठ पढ़ाया जाना चाहिए क्योंकि बचत ही मजबूती होती है. जेबखर्च पैसा संभालने की पहली शिक्षा है और इस में भेदभाव न करना परिवार के हित में है.

आप भी रख सकती हैं अपने गहनों को नए जैसा

अगर आपको गहनों का शौक है तो आपके पास सोने के नहीं तो, चांदी और मोती के गहने तो होंगे ही. कई बार ऐसा होता है कि हम गहने खरीद तो लेते हैं लेकिन सही ढ़ंग से नहीं रखने की वजह से कुछ ही दिनों में या तो उनका रंग फीका पड़ जाता है या फि‍र वो पुराने और नकली नजर आने लगते हैं.

ऐसे में अगर आप चाहती हैं कि आपकी ज्वैलरी हमेशा नई और चमकदार बनी रहें तो कुछ बातों को समझ लेना बहुत जरूरी है. कोशि‍श कीजिए कि घर का काम करते समय, झाड़ू-पोंछा करते समय, बर्तन धोते समय या फिर बर्तन साफ करते समय इन्हें उतार दें. इससे उन पर धूल नहीं जमेगी और उनकी चमक फीकी नहीं पड़ेगी.

कुछ आसान से तरीके है इन्हें अपनाकर आप भी अपने गहनों को लंबे समय तक सुरक्षि‍त और चमकदार रख सकती हैं.

1. हीरे की ज्वैलरी-

हीरे के गहनों को ड्रायर या ड्रेसर के ऊपर नहीं रखना चाहिए क्योंकि इससे उनपर निशान पड़ सकते हैं और उनकी कटिंग खराब हो सकती है. इन्हें साफ करने के लिए बाजार में मिलने वाले क्लीनिंग सॉल्यूशन का इस्तेमाल करना चाहिए. आप घर में अमोनिया और पानी को मिलाकर भी हीरे के गहनों को साफ कर सकती हैं.

2. सोने के गहने-

अगर सोने के गहनों की उचित देखभाल न की जाए तो इनकी चमक फीकी पड़ सकती है. इन्हें हमेशा सॉफ्ट डिटर्जेट, हल्के गुनगुने पानी और मुलायम कपड़े से साफ करना चाहिए.

सोने की चेन और कंगन को अलग-अलग रखना चाहिए क्योंकि एकसाथ रखने से ये उलझ सकते है. स्वीमिंग के दौरान इन्हें हटा देना चाहिए, क्योंकि स्वीमिंग पुल के पानी में मौजूद क्लोरीन से सोने के गहनों पर बुरा प्रभाव पड़ता है. यह केमि‍कल इन्हें कमजोर कर सकता है.

3. मोती के गहने-

जैसे सूरज की हानिकारक किरणें हमारी त्वचा को नुकसान पहुंचाती है, उसी तरह तेज रोशनी और गर्मी कीमती स्टोन्स और मोती को भी समय से पहले बेकार और रंगहीन बना देती है. वक्त बीतने के साथ ये फीके और धुंधले पड़ने लग जाते हैं, इसलिए इन्हें तेज रोशनी से बचाना चाहिए.

मोती के गहनों को मुलायम कपड़े से साफ करके एयरटाइट डिब्बे में रखना चाहिए. मेकअप करने के बाद ही इन्हें पहनना चाहिए. परफ्यूम, मेकअप, हेयरस्प्रे से ये फीके पड़ सकते हैं. इन्हें साफ करने के लिए बेकिंग सोडा या ब्लीच का प्रयोग नहीं करना चाहिए.

4. चांदी के आभूषण-

चांदी के आभूषणों को भी खतरनाक केमिकल्स से बचाना चाहिए क्योंकि केमिकल्स के प्रभाव से ये कमजोर हो सकते हैं. इन्हें स्वीमिंग के दौरान और घरेलू काम करते समय कभी नहीं पहनना चाहिए. चांदी को किसी दूसरे धातु के साथ रखने से ये जल्दी काली हो जाती है.

स्ट्रैच मार्क्स से ऐसे पाएं छुटकारा

स्ट्रैच मार्क्स यानी त्वचा पर खिंचाव के निशान. यों तो महिलाओं में गर्भावस्था के बाद होने वाली यह एक आम परेशानी है, लेकिन कई बार देखा गया है कि वजन कम करने के बाद भी इस तरह के निशान त्वचा पर देखे जाते हैं. यही नहीं महिलाओं के साथसाथ पुरुषों में भी स्ट्रैच मार्क्स एक आम समस्या बनते जा रहे हैं. स्टैच मार्क्स कई तरह के होते हैं, जिन के होने की कुछ अलगअलग वजहें हो सकती हैं. लेकिन इन से घबराने की जरूरत नहीं है.

महिलाएं और पुरुष इस तरह के निशानों को कुछ साधारण घरेलू उपायों से दूर कर सकते हैं. इस के अलावा कुछ खास क्रीमों और औयल आदि की नियमित मालिश से भी इन निशानों से छुटकारा पाया जा सकता है.

क्यों होते हैं स्ट्रैच मार्क्स

शरीर के अलगअलग हिस्सों पर हमारी त्वचा अलगअलग प्रकार की यानी कहीं सख्त तो कहीं मुलायम होती है. लेकिन मुख्य तौर पर त्वचा की 3 परतें होती हैं- पहली परत यानी बाहरी त्वचा को ऐपिडर्मिस, दूसरी परत को डर्मिस और सब से निचली यानी अंतिम परत को हाइपोडर्मिस कहते हैं.

शरीर पर दिखाई देने वाले खिंचाव के निशान हमारी त्वचा की बीच की परत में होते हैं, जो किसी तंतु या कोशिका में होने वाले खिंचाव की वजह से पैदा होते हैं.

आमतौर पर महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान या डिलिवरी के बाद शरीर के निचले हिस्सों यानी पेट, कमर या साइड में स्ट्रैच मार्क्स हो जाते हैं, लेकिन शोध बताते हैं कि खिंचाव के ये निशान आनुवंशिक कारणों से भी हो सकते हैं.

80 फीसदी से ज्यादा मामलों में पाया गया है कि जिन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान या डिलिवरी के बाद स्ट्रैच मार्क्स हुए, पूर्व में उन की मां को भी इसी तरह के खिंचाव के निशान अपनी प्रैगनैंसी के दौरान हुए थे. नौर्मल डिलिवरी के अलावा सिजेरियन मामलों में भी ऐसे निशान हो सकते हैं.

गर्भावस्था ही नहीं एकमात्र कारण

महिलाओं में स्ट्रैच मार्क्स का मुख्य कारण प्रैगनैंसी ही है, लेकिन अकसर देखा गया है कि वजन कम करने के दौरान तथा तेजी से वजन घटने के बाद भी इस तरह के खिंचाव के निशान त्वचा पर होना आम बात है. दरअसल, हमारी त्वचा का लचीलापन और नसों में होने वाला खिंचाव इस तरह के निशानों की मुख्य वजह है. वजन कम करने की प्रक्रिया के दौरान हमारा शरीर रूटीन की शारीरिक गतिविधियों से कुछ अतिरिक्त गतिविधियों की तरफ बढ़ता है. वजन उठाने, कसरत करने, जौगिंग करने आदि से हमारी नसों में अचानक से खिंचाव बढ़ने लगता है, जिस की प्रतिक्रिया के रूप में हमारा रक्तसंचार भी प्रभावित होता है. शुरुआत में हलके गुलाबी या लाल रंग के दिखने वाले खिंचाव के ये निशान बाद में धारियों के रूप में त्वचा पर दिखने लगते हैं.

बढ़ने लगी है पुरुषों में भी परेशानी

तेजी से बदलती इस जीवनशैली में आज जिम जाना और नियमित रूप से ऐक्सरसाइज बगैरा करना सभी के लिए जरूरी हो गया है. ऐसे में न केवल महिलाओं, बल्कि पुरुषों में भी स्ट्रैच मार्क्स की दिक्कत सामने आने लगी है. दरअसल, पुरुषों में वजन घटाने की प्रक्रिया के दौरान भी खिंचाव के निशान देखे जाते हैं, जो पीठ, कंधों और जांघों पर मुख्य रूप से पाए जाते हैं.

ऐथलीट्स में खेल की ट्रैनिंग के दौरान इस तरह के निशान देखे जाते हैं. हालांकि महिलाओं के मुकाबले पुरुषों की त्वचा पर होने वाले ये निशान कई मामलों में अपनेआप गायब हो जाते हैं. इस के अलावा पुरुषों में उम्र बढ़ने के साथ भी स्ट्रैच मार्क्स दिखाई देने लगते हैं.

अलग रंग व निशान के कारण

हमारी त्वचा पर अलगअलग रंगों और आकार में होने वाले धब्बों, निशानों इत्यादि के विभिन्न कारण होते हैं. लेकिन त्वचा पर होने वाले खिंचाव के निशान किसी प्रकार से हानिकारक नहीं होते. इस से आप की कार्यक्षमता पर भी असर नहीं पड़ता. फिर भी इस तरह के निशानों के बारे में जानकारी होनी बहुत जरूरी है. खासतौर से लाल और सफेद रंग के स्ट्रैच मार्क्स के बारे में.

हालांकि रंगों के प्रभाव के मामलें में ये निशान थोड़े हलके होते हैं, जो त्वचा के आकर बदलने की वजह से होते हैं. महिलाओं में ऐसे निशान स्तनों, जांघों, नितंबों और बांहों के आसपास देखे जाते हैं. वजन में उतारचढ़ाव, मांसपेशियों के खिंचाव आदि के अलावा हारमोंस में बदलाव भी इन का कारण होता है. ऐसे में त्वचा में खिंचाव की वजह से लाल और बैगनी निशान दिखाई देने लगते हैं.

लाल रंग के स्ट्रैच मार्क्स शुरुआती स्तर पर होते हैं, जो हमारी ब्लड वैसल्स को दर्शाते हैं. डाक्टर की सलाह पर विशेष प्रकार की क्रीम द्वारा कोलोजन का स्तर सुधारने के बाद ये निशान ठीक हो जाते हैं.

जब लंबे समय तक स्ट्रैच मार्क्स शरीर पर रहते हैं, तो धीरेधीरे उन का रंग सफेद और चमकीला होने लगता है. माइक्रोडर्माब्रेसन जैसे उपचारों के माध्यम से सफेद स्ट्रैच मार्क्स को हलका किया जा सकता है. इस के अलावा आईपीएल और फ्रैक्सेल जैसे उपचार भी स्ट्रैच मार्क्स के रंग को फीका करने में मदद कर सकते हैं.

क्या है उपाय

खिंचाव के इस तरह के नशानों से व्यायाम, खानपान, मालिश और कुछ खास तरह की क्रीम, लोशन या औयल आदि के जरीए छुटकारा पाया जा सकता है. ऐक्सरसाइज में मांसपेशियां मजबूत बनती हैं, इसलिए पेट के स्ट्रैच मार्क्स से छुटकारा पाने के लिए रोजाना कं्रचेज करें. इस के अलावा अपने आहार में विटामिन सी और विटामिन ई के साथसाथ ताजे फल और हरी सब्जियां शामिल करें. इस से नए टिशूज बनने लगते हैं.

-डा. गौरव भारद्वाज

सरोज सुपर स्पैश्यलिटी हौस्पिटल

चाहिए तेज तर्रार दिमाग वाले बच्चे, तो ये खबर आपके लिए है

प्रेग्नेंसी में बच्चे की सेहत का राज होता है प्रेग्नेंसी के दौरान मां की डाइट. गर्भावस्था में मां का खानपान किस तरह का है इसपर निर्भर करता है कि बच्चे का सेहत कैसा होने वाला है. अगर आप चाहती हैं कि आपका बच्चा सेहतमंद रहे, मानसिक तौर पर तेज हो तो ये खबर आपके लिए है. बच्चों को मानसिक तौर पर स्मार्ट बनाने के लिए जरूरी है कि मांएं को पोषक खाद्य पदार्थों के साथ साथ विटामिंस की खुराक लेती रहें.

अमेरिका में हुए एक शोध में ये बात सामने आई कि प्रेग्नेंसी के दौरान जिन महिलाओं ने विटामिन सप्लिमेंट की खुराक लेती हैं उनके बच्चे, उन महिलाओं के बच्चों की तुलना में दिमागी तौर पर अधिक तेज तर्रार हैं जिनकी माएं गर्भावस्था के दौरान विटामिन सप्लिमेंट नहीं लेती थी.

आपको बता दें कि इस शोध को 9 से 12 साल के करीब 3000 बच्चों पर किया गया है. जानकारों की माने तो प्रेग्नेंसी के दौरान मां के खानपान का असर बच्चों के संज्ञानात्मक  क्षमताओं पर होता है. विटामिन के तत्व जो प्रेग्नेंसी में बच्चों की मानसिक क्षमताओं को सकारात्मक ढंग से प्रभावित करते हैं वो हैं फौलिक एसिड, रिबोफ्लेविन, नियासिन और विटामिन बी12, विटामिन सी और विटामिन डी. इन तत्वों को अपनी डाइट में शामिल करने वाली माओं के बच्चों में सोचने, समझने की क्षमता अच्छी रहती है. शोधकर्ताओं के अनुसार प्रेग्नेंसी के दौरान सिर्फ भोजन से इन सभी पोषक तत्वों की भरपूर और पर्याप्त मात्रा नहीं मिल पाती. इसलिए भोजन के साथ-साथ विटामिन सप्ल‍िमेंट्स की खुराक भी जरूरी हैं.

आपको बता दें कि शुरुआती तीन साल के दौरान ही जो बच्चे ताजे फल, हरी सब्ज‍ियां, मछली और अनाज खाते हैं, उनका स्कूल में रिजल्ट बेहतर होता है. कई शोधों में ये बात स्प्ष्ट हुई है कि जिन बच्चों की डाइट अच्छी रहती है उनमे कौन्फिडेंस भी बेहतर होता है.

इस बड़े निर्देशक की फिल्म में साथ काम करेंगे अमिताभ-ऐश्वर्या

बौलीवुड अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन जल्द ही मणिरत्नम की फिल्म में नजर आने वाली हैं. खबरों के मुताबिक ऐश्वर्या ने मणिरत्नम की फिल्म के लिए हामी भर दी है. इस फिल्म में वह साउथ स्टार के साथ रोमांस करती हुई दिखेंगी. ये फिल्म एक बड़े बजट की ऐतिहासिक ड्रामा फिल्म होगी जो कल्कि कृष्णमूर्ति के उपन्यास ‘द सन औफ पोन्नी’ पर आधारित है. इस फिल्म को बाहुबली फ्रेंचाइजी की तर्ज पर बनाया जा रहा है.

बता दें कि पिछले काफी समय से मणिरत्नम कृष्णमूर्ति कल्कि के नोवेल पर काम कर रहे थे. इस एतिहासिक उपन्यास में अरुल्मोझीवर्मन की कहानी लिखी गई है. कृष्णमूर्ति कल्कि को अपना उपन्यास पूरा करने के लिए तकरीबन तीन साल लगे. साथ ही वो इसके लिए तीन बार श्रीलंका भी गए थे. जैसे ही उपन्यास पूरी होने की खबर मिली निर्देशक मणिरत्नम ने इस पर फिल्म बनाने की घोषणा कर दी.

वहीं ऐसी भी खबर है कि फिल्म निर्देशक ऐश्वर्या के अलावा अमिताभ बच्चन को भी इस फिल्म में लेना चाहते हैं. उन्होंने अमिताभ को फिल्म की कहानी भी सुनाई है. लेकिन वो इस फिल्म में हैं या नहीं इसकी पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है. बता दें कि अमिताभ और ऐश्वर्या आखिरी बार 2008 में फिल्म सरकार राज में एक साथ नजर आए थे.

इस फिल्म में ऐश्वर्या राय बच्चन और विक्रम के अलावा विजय सेतुपति, सिम्बु और जयम रवि भी नजर आएंगे. इस फिल्म के लिए निर्माता मणिरत्नम महेश बाबू को साइन करना चाहते थे. लेकिन ऐसा हो नहीं हो पाया. डायरेक्टर 14 जनवरी को फिल्म की आधिकारिक घोषणा कर सकते हैं.

अगर बैंक ना करे आपका काम तो यहां करें शिकायत

पैसा सुरक्षित रखने और लगातार बढ़ाने का सबसे अच्छा जरिया होता है बैंक. जिनका भी बैंक में खाता है उन्हें अक्सर उसके कामकाज को लेकर शिकायत रहती है. कभी ट्रांजेक्शन का अटकना, कभी किसी स्कीम संबंधी शिकायतें, तो कभी एटीएम कार्ड से जुड़ी बात. हालांकि बैंकों के पास इसके निपटारे की कई व्यवस्थाएं पहले से हैं, पर कई बार बैंक के जवाब से भी ग्राहक संतुष्ट नहीं होते. इस खबर में हम आपको इस बात की जानकारी देंगे कि अगर आपके साथ भी ऐसी कोई समस्या रही है जिसे आप बैंक लेकर गए हों और बैंक के जवाब से आप संतुष्ट न हों ऐसे में आपको क्या करना चाहिए.

क्या करना चाहिए

अगर आपका बैंक आपके शिकायत का निपटारा नहीं कर पा रहा है, आप  बैंक की प्रक्रिया से असंतुष्ट हैं तो आप बैंकिंग ओम्बड्समैन (बीओ) के पास जा सकती हैं. पर इसके लिए जरूरी है कि आप पहले बैंक में अपनी शिकायत दर्ज कराएं. अगर बैंक 30 दिनों के अंदर आपकी शिकायत पर जवाब नहीं देता है या आप बैंक के जवाब से संतुष्ट नहीं हैं तो आप ओम्बड्समैन के पास जा सकती हैं. इसके अलावा आपको इस बात का भी ध्यान रखना है कि बैंक से जवाब मिलने के एक साल के अंदर ही आपको यहां शिकायत करनी है.

 इसमें गौर करने वाली बात है कि आपको उसी ओम्बड्समैन के पास शिकायत दर्ज करना होगा जिसके अधिकार क्षेत्र में आपका ब्रांच या बैंक औफिस आता है. इसके अलावा कार्ड या केंद्रीय औपरेशनों से जुड़ी शिकायतों के लिए बिलिंग एड्रेस से बैंकिंग ओम्बड्समैन का अधिकार क्षेत्र तय होगा.

ऐसे करें शिकायत

ओम्बड्समैन में शिकायत दर्ज करने के लिए आपको www.bankingombudsman.rbi.org.in पर उपलब्ध फौर्म को डाउनलोड कर उसे पूरा भरना होगा. इसमें आपके नाम, पता, शिकायत से जुड़ी जानकारियां भरनी होगी. इसके अलावा शिकायत फौर्म के साथ अपने पक्ष में दस्तावेज जमा करना होगा. आप चाहें तो नीचे दिए लिंक की मदद से औनलाइन शिकायत दर्ज कर सकती हैं.

https://secweb.rbi.org.in/BO/precompltindex. htm

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