बिना पिन डाले करें एटीएम से पेमेंट, जानिए पूरी जानकारी

एटीएम कार्डों की तकनीक में 1 जनवरी से एक बड़ा बदलाव हुआ है. अब सभी बैंक कौंटैक्टलेस एटीएम कार्ड जारी केरेंगे. इस कार्ड से पेमेंट करने के लिए उपभोक्ता को पिन डालने की जरूरत नहीं है. बस कार्ड को पेमेंट मशीन से टच करते ही पेमेंट हो जाएगा. इस कार्ड से बिना पिन डाले आप 2000 तक की पेमेंट कर सकती हैं. 2000 रुपये से ज्यादा की रकम के भुगतान के लिए आपको पिन डालने की जरूरत होगी.

हालांकि कई जानकार इसे सुरक्षा के लिहाज से कमजोर बता रहे हैं. जानकारों की माने तो इस तरह का लेन-देन असुरक्षित हो सकता है और साइबर फ्रौड को बढ़ावा दे सकता है. जानकारों का मानना है कि इसकी सुरक्षा को लेकर और अधिक स्पष्टता लाने और ग्राहकों को जागरूक करने की जरूरत है. ग्राहकों को भी इस कार्ड का इस्तेमाल सोच-समझकर करना चाहिए. इस  मामले में मौजूदा कानून पर्याप्त नहीं हैं.

आपको बता दें कि तमाम बैंक इस कार्ड की सिक्यूरिटी को बेहतर बता रहे हैं. पर सच तो ये है कि इसकी सुरक्षा को अभी और ज्यादा बेहतर बनाने की जरूरत है. कार्ड चोरी होने या गिरने की स्थिति में ग्राहक को साबित करने में परेशानी होगी कि कौंटेक्टलेस फीचर का इस्तेमाल कर उसने पेमेंट नहीं किया है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में होने वाले कुल वित्तीय लेन-देन में 60% दो हजार रुपए से कम का होता है. इसे आसान बनाने के लिए कौंटेक्टलेस कार्ड का आइडिया इस्तेमाल किया जा रहा है. आपको बता दें कि वीजा ने देश में पहली बार 2015 में कौंटेक्टलेस कार्ड जारी किए थे. तब से अब तक यह 2 करोड़ से ज्यादा ऐसे कार्ड जारी कर चुका है. विभिन्न बैंकों की बिना पिन/ओटीपी के ट्रांजैक्शन सीमा की बात की जाए तो एसबीआई, एक्सिस और यूनियन बैंक ने एक दिन में अधिकतम 5 कौंटेक्टलेस ट्रांजैक्शन की सीमा तय कर रखी है. ऐसे में कुछ बैंकों में प्रतिदिन 10000 रुपए तक का कौंटेक्टलेस पेमेंट किया जा सकता है.

सुंदरता के लिए कैसा हो आहार

जोकुछ भी आप खाते हैं उस का असर आप के स्वास्थ्य और खूबसूरती पर पड़ता है. भोजन आप की त्वचा के रंग, आप के बालों और यहां तक कि आप के मूड को भी प्रभावित करता है. अगर आप भीतर से सेहतमंद हैं, तो आप की त्वचा खुदबखुद चमकती रहेगी. कई प्राकृतिक खाद्यपदार्थों में ऐंटीऔक्सीडैंट्स और मिनरल्स भरपूर मात्रा में होते हैं, जो न केवल आप के तनाव को नियंत्रित रखते हैं, बल्कि त्वचा को भी चमकदार बनाए रखते हैं. आप विटामिन और मिनरल्स से युक्त संतुलित आहार ले कर अपनी त्वचा को जवां और खूबसूरत बनाए रख सकते हैं.

कैसे प्रभावित करते हैं पोषक पदार्थ

वजन नियंत्रित रहता है: यह सभी जानते हैं कि बहुत ज्यादा खाने और गलत तरह का आहार लेने से वजन बढ़ता है. मगर इस का यह मतलब भी नहीं कि आप सुपर मौडल की तरह अपनेआप को बिलकुल पतला बना लें. मगर मोटापा डायबिटीज और दिल की बीमारियों तक का कारण बन सकता है.

सही आहार न लेने से बाल रूखे और बेजान हो जाते हैं: बालों को भी पोषण की जरूरत होती है. आहार का सीधा असर बालों पर पड़ता है. अगर आप के भोजन में विटामिंस और मिनरल्स पर्याप्त मात्रा में नहीं होंगे तो हेयर फौलिकल कमजोर हो जाएंगे, जिस से बाल भी कमजोर हो कर पतले होने लगेंगे.

नाखूनों को भी चाहिए पोषण: अगर आप के नाखून आसानी से टूट जाते हैं, तो इस का मतलब कि आप को अपने आहार में बदलाव लाना चाहिए. बालों की तरह ही नाखूनों को भी पोषण की जरूरत होती है. इसलिए अंडों, कम फैट युक्त डेयरी उत्पाद और मीट का सेवन करें. इस से आप के नाखूनों को पर्याप्त प्रोटीन मिलेगा.

पोषक पदार्थों के अभाव में मांसपेशियां भी कमजोर हो जाती है: आप की मांसपेशियों का खूबसूरती से सीधा संबंध है. अगर आप की पेशियां कमजोर होने लगें तो आप वर्कआउट नहीं कर पाएंगी. इस का असर आप के शरीर की मुद्रा पर पड़ेगा. अपनी पेशियों को मजबूत बनाए रखने के लिए प्रोटीन से युक्त खाद्यपदार्थों का सेवन करें ताकि वे अपना काम ठीक से करती रहें.

जो भी खाते हैं वह आप की त्वचा से झलकता है: रूखी व बेजान त्वचा आप के आहार का ही परिणाम होती है. अगर आप पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन का सेवन करें, फल और सब्जियां भरपूर मात्रा में खाएं तो आप की त्वचा जवां और चमकदार बनी रहेगी. वसा से युक्त खाद्यपदार्थों एवं प्रोसैस्ड फूड का सेवन न करें. इस से त्वचा चिकनी हो जाती है और कीलमुहांसों की समस्या बढ़ सकती है.

सेहतमंद आहार एजिंग की प्रक्रिया को धीमा कर सकता है: आप के भोजन का असर आप के शरीर में हो रही एजिंग की प्रक्रिया पर भी पड़ता है. ऐंटीऔक्सीडैंट से युक्त आहार जैसे और्गेनिक फल और सब्जियां फ्री रैडिकल्स को दूर कर त्वचा को झुर्रियों और फाइन लाइंस से बचाती हैं.

आहार का असर आंखों और पलकों पर भी पड़ता है: अगर आप सही आहार न लें और पर्याप्त मात्रा में पानी न पीएं तो इस का असर आप की आंखों और पलकों पर पड़ने लगता है. पलकों के बाल भी सिर के बालों की तरह पोषण न मिलने पर गिरने लगते हैं और हलके हो जाते हैं. सही आहार न लेने से आंखों की चमक भी जाती रहेगी.

खूबसूरती के लिए जरूरी पोषक तत्त्व

विटामिन सी: विटामिन सी शक्तिशाली ऐंटीऔक्सीडैंट है. यह शरीर से औक्सीडैंट निकालता है और कैंसर की संभावना को भी कम करता है. विटामिन सी कोलोजन बनाने में मदद करता है, जो त्वचा को मुलायम बनाए रखने के लिए जरूरी प्रोटीन है. ब्रोकली, अंकुरित अनाज, अमरूद, अंगूर, पार्सले आदि में विटामिन सी बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है. इसलिए इन खाद्यपदार्थों को जरूर अपने आहार में शामिल करें.

सेलेनियम: सेलेनियम भी शक्तिशाली ऐंटी औक्सीडैंट है, जो त्वचा का लचीलापन बनाए रखता है. यह मिनरल न केवल एक्नों को दूर रखता है बल्कि त्वचा को कैंसर से भी बचाता है. अखरोट, ट्यूना, लिवर, व्हीट, जर्म, प्याज, सीफूड, साबूत अनाज, भूरे चावल और पोल्ट्री उत्पादों में सेलेनियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है.

विटामिन ई: विटामिन ई त्वचा के लिए बेहद जरूरी है. यह विटामिन ए के साथ मिल कर त्वचा को कैंसर से बचाता है. विटामिन ई में ऐंटीऔक्सीडैंट गुण होते हैं जो प्रदूषण, धुएं, प्रोसैस्ड फूड एवं धूप के कारण त्वचा में बनने वाले फ्री रैडिकल्स को दूर करते हैं. इस तरह के फ्री रैडिकल्स झुर्रियों और एजिंग के मुख्य कारण होते हैं. बादाम, अंडा, अखरोट, ऐवोकाडो, ऐस्पेरैगस, सूरजमुखी के बीजों, पाइन नट, पालक, ओटमील, जैतून आदि में विटामिन ई प्रचुर मात्रा में पाया जाता है.

विटामिन ए और बीटा कैरोटिन: विटामिन ए त्वचा की मरम्मत और रखरखाव के लिए बहुत जरूरी है. अगर आप की त्वचा रूखी है, उस से पपड़ी उतरती है तो समझ लीजिए कि आप की त्वचा में विटामिन ए की कमी है. बीटा कैरोटिन को विटामिन ए का प्रीकर्सर कहा जाता है. यह ऐंटीऔक्सीडैंट रंगीन खाद्यपदार्थों में पाया जाता है. यह धूप से त्वचा को होेने वाले नुकसान से भी बचाता है. लिवर, कौलर्ड ग्रीन, ऐस्पेरैगस, आड़ू, बीट ग्रीन, पालक, अंडा, शकरकंदी, रैड पैपर आदि विटामिन ए और बीटा कैरोटिन के अच्छे स्रोत हैं.

जिंक: जिंक एक महत्त्वपूर्ण ट्रेस मिनरल है जो त्वचा के क्षतिग्रस्त ऊतकों की मरम्मत करने और घाव भरने में मददगार होता है. जिंक त्वचा को सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों के नुकसान से भी बचाता है. अगर आप कीलमुंहासों से परेशान हैं तो हो सकता है कि आप में जिंक की कमी हो. जिंक त्वचा में तेल की मात्रा को भी नियंत्रित करता है. कद्दू के बीच, अदरक, दालें, सीफूड, मशरूम, साबूत अनाज आदि जिंक के अच्छे स्रोत हैं.

ओमेगा-3: ओमेगा-3 शरीर में कार्टिसोल के स्तर को नियंत्रित रखता है, जो त्वचा को जवां बनाता है. अखरोट, सालमन, अलसी, चाइना सीड आदि ओमेगा-3 के अच्छे स्रोत हैं.

सेहतमंद त्वचा के लिए सुझाव

खूब पानी पीएं: पानी पीने से त्वचा की नमी बरकरार रहती है और उस में मौजूद टौक्सिंस निकल जाते हैं. त्वचा कोमल और मुलायम बनी रहती है.

सलाद खाएं: कच्ची पालक, उबले अंडे का सेवन करें. इन में कैरोटिनौइड ऐंटीऔक्सीडैंट और फैट सोल्यूबल रेटिनौल होता है. ये अच्छे ऐंटीऔक्सीडैंट हैं और त्वचा को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं.

हलदी का सेवन करें: भूरे, चावल, मांस के व्यंजन, शेक आदि हलदी डाल कर लें.

सेहतमंद पशु उत्पाद: सप्ताह में 2-3 बार सालमन फिश लें, इस में बेहतरीन गुणवत्ता के ओमेगा-3 फैटी ऐसिड और ऐस्टैजेंथिन होते हैं. ग्रास फ्रेड मीट और ग्रास फेड बटर के साथ इस का सेवन करें.

चीनी का सेवन कम मात्रा में करें: चीनी और चीनी से बनी चीजों के सेवन से बचें. ये ग्लाइसैशन को बढ़ाते हैं, जिस का त्वचा के ऊतकों पर बुरा असर पड़ता है.

बुरे फैट से बचें, अच्छे फैट का सेवन करें:  वनस्पति तेल जैसे कौर्न औयल, कपास का तेल, कनोला और मूंगफली के तेल का सेवन न करें. इन के बजाय नारियल का तेल, ऐवोकाडो, जैतून का तेल, ऐक्स्ट्रा वर्जिन औलिव औयल और ग्रास फेड बटर या घी का सेवन करें.

-श्रुति शर्मा

बैरिएट्रिक काउंसलर और न्यूट्रिशनिस्ट, जेपी हौस्पिटल, नोएडा

त्वचा को यों बनाएं जवां

सौंदर्य विशेषज्ञों के अनुसार चेहरे को विषाणुरहित और स्मूद बनाने तथा उस की मसल्स को फिट रखने के लिए फेशियल सर्वश्रेष्ठ तरीका है. इस से न केवल चेहरे की मृत कोशिकाएं यानी डैड सैल्स हट जाते हैं, बल्कि इस से चेहरे की त्वचा को पौष्टिकता भी मिलती है.

क्या है कोलोजन

कोलोजन शरीर के उन प्रमुख प्राकृतिक प्रोटीन्स में से एक है, जो त्वचा को लचीला, मुलायम एवं जवां बनाए रखता है. उम्र बढ़ने के साथ कोलोजन का उत्पादन कम होने लगता है. परिणामस्वरूप चेहरे पर झुर्रियां दिखाई देने लगती हैं. उम्र बढ़ने के साथ कोलोजन के उत्पादन एवं त्वचा की आंतरिक परत में इलास्टिन की कमी से त्वचा ढीली पड़ने लगती है. 25 साल की उम्र के बाद त्वचा में कोलोजन का स्तर धीरेधीरे कम होने लगता है. तनाव, जीवनशैली, गलत खानपान, फास्ट फूड पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता, शराब, धूम्रपान, प्रदूषण, व्यायाम की कमी आदि कारण उम्र के प्रभाव को बढ़ा देते हैं.

कोलोजन शरीर के हर भाग में होता है. रिसर्चर द्वारा 29 तरह के कोलोजन पहचाने जा सके  हैं. हाइप 1 कोलोजन उम्र के प्रभाव को कम करता है तथा त्वचा को मजबूती एवं लचीलापन प्रदान करता है. चूंकि कोलोजन को त्वचा के द्वारा औब्जर्व नहीं किया जा सकता है, इसलिए महिलाएं पूरक इस्तेमाल करती हैं, जो शरीर में कोलोजन के स्तर को बढ़ा देता है. कोलोजन के पूरक त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं, क्योंकि ये झुर्रियों, फाइन लाइंस को कम करने, त्वचा को पुन: पुरानी अवस्था में लौटाने, त्वचा को मजबूती देने, उसे जवान बनाने तथा उस के लचीलेपन को बढ़ाने में सहायता करते हैं.

फोटो फेशियल की प्रक्रिया

फोटो फेशियल करीब 60 मिनट की प्रक्रिया है, जिस की शुरुआत हर फेशियल की तरह चेहरे की साफसफाई से ही होती है. इस पूरी प्रक्रिया को प्रशिक्षित डाक्टर द्वारा पूरा किया जाता है. इस में आईपीएल यानी इंटैस्ड पल्स लाइट मशीन का प्रयोग कर त्वचा के भीतर जीनोन लाइट को छोड़ा जाता है जो त्वचा की दूसरी लेयर में जा कर कोलोजन बनने की प्रक्रिया को बढ़ाती है. दरअसल कोलोजन त्वचा के अंदर मुख्य संरचनात्मक प्रोटीन है, जो डर्मिस सतह में स्थित होता है.

फोटो फेशियल से लाभ

इस उपचार से कोलोजन बनना 50% बढ़ जाता है, जिस से बढ़ती उम्र के निशान जैसे फाइन लाइंस व झुर्रियां कम होती हैं और त्वचा का ढीलापन दूर हो कर उस में कसाव आता है. इस के अलावा त्वचा में भूरे धब्बे बनाने वाले मेलानिन का उत्पादन कम होता है और त्वचा में मौजूद पोषण करने वाले तत्व बढ़ते हैं जो त्वचा को बेहतर बनाते हैं. इस उपचार से मैटाबोलिज्म सक्रिय होता है.

इस फेशियल के अंत में यंग स्किन मास्क लगाया जाता है. यह नवीनतम टैक्नोलौजी झुर्रियां हटाने के अलावा पिगमैंटेशन के निशान भी ठीक करती है और ऐजिंग की प्रक्रिया को स्लो करती है.

कैसा हो हाउसवाइफ का वर्क मैनेजमैंट

शीला एक हाउसवाइफ है. उस की समस्या यह है कि वह कभी फ्री ही नहीं होती. उस की कामवाली बाई सुबह 9 बजे आती है पर 9 बजे तक वह न तो डस्टिंग कर पाती है न ही रसोई क्लीन कर के बरतन धोने के लिए रख पाती है. इस से कामवाली भी झुंझला जाती है. पर कामावाली बहुत फुरती से सारे काम कर के चली जाती है. सारे दिन घर के कामों में उलझी शीला समझ ही नहीं पाती कि आखिर उस का वक्त जाता कहां है?

शीला की ही तरह बहुत सी ऐसी हाउसवाइफ होंगी जिन की समस्या यही होगी कि घर पर ही रह कर घर के काम निबटाना कोई मुश्किल काम नहीं. बस जरूरत है थोड़े से वर्क मैनेजमैंट की.

सोशल साइट्स पर बिजी न रहें

जब शीला ने अपने पति से इस बारे में बात की तो उन्होंने कहा कि सुबहसुबह मोबाइल पर तुम्हारा बहुत वक्त बरबाद होता है. शीला को अपने पति की बात सही लगी. दरअसल, शीला की आदत थी कि सुबहसुबह सोशल साइट्स पर लाइक्स, कमैंट्स देखने और उन का जवाब देने में इतनी बिजी हो जाती कि उसे वक्त का पता ही नहीं चल पाता था.

जब शीला को उस की गलती मालूम हुई तो उस ने तुरंत वह सुधार किया और अब वह सुबह के बजाय सारा काम खत्म होने के बाद ही सोशल मीडिया पर ऐक्टिव होती है. अब उस का सारा काम समय पर होता है और वह पूरा दिन फ्री रहती है.

टाइमटेबल से बनेगी बात

मीनल के घर में कामवाली नहीं आती पर फिर भी उस का सारा काम 12 बजे तक खत्म हो जाता है, क्योंकि उस ने हर काम का समय तय कर रखा है कि उसे कितने वक्त में कौन सा काम निबटाना है. टाइमटेबल के हिसाब से किया गया काम हमेशा वक्त पर होता है और सारा दिन फ्री हो कर आप अपने लिए काफी वक्त निकाल सकती हैं. ऐक्स्ट्रा टाइम होने पर आप घर बैठे अपना कोई छोटामोटा होम बिजनैस भी शुरू कर सकती हैं.

सुबह जल्दी उठें

बहुत सी हाउसवाइफ की आदती होती है कि सुबह देर से उठती हैं या बच्चों को स्कूल भेज कर आलस में लेट जाती हैं जिस से कभीकभी गहरी नींद आ जाती है और बहुत देर हो जाती है. सुबह अगर देरी से काम शुरू होता है तो सारा दिन उलझन और झुंझलाहट के साथ बीतता है और खुद के लिए वक्त निकालना मुश्किल सा लगता है. इसलिए जल्दी उठने की आदत डालें और उठ कर वापस न सोएं तो आप के पास वक्त ही वक्त होगा.

ऐक्स्ट्रा कामों के लिए अलग से वक्त

रोज के काम के अलावा कुछ काम ऐसे भी होते हैं जो गृहिणी के लिए चुनौती होते हैं. बीना की आदत है कि वह जल्दी उठ कर जल्दीजल्दी अपना काम खत्म कर लेती है. बच्चों के स्कूल से आने के पहले जो वक्त उस के पास बचता है उस वक्त में वह ऐक्स्ट्रा काम जैसे वार्डरोब की सफाई कपड़ों को इस्तरी करना, हिसाबकिताब देखना जैसे काम करती है. इस से बिना अतिरिक्त लोड के सब काम हो जाता है और उस का घर कभी बिखरा हुआ नहीं रहता. चाहे किसी भी वक्त घर में मेहमान आएं वह हमेशा अपटूडेट रहती है.

काम सौंपना सीखें

यह केवल आप का घर नहीं है. सारा काम खुद पर न ओढ़ें. अपने पति और बच्चों को थोड़थोड़ा काम सौंप कर मदद लें. जैसे डस्टिंग के लिए या बाहर से कुछ सामान लाने को आप उन्हें कह सकती हैं. छुट्टी वाले दिन हाउसवाइफ पर काम का अतिरिक्त लोड होता है. ऐसे में सब को काम पर लगा कर मदद लेंगी तो बिना थके वक्त पर सब काम पूरे होंगे और आप परिवार के साथ खुल कर छुट्टी का मजा ले सकेंगी.

फ्लर्टिंग में पुरुषों से आगे महिलाएं

फ्लर्टिंग के मामले में अकसर पुरुष बदनाम होते हैं. माना जाता है कि वे लड़कियों को देखते ही उन पर लाइन मारने लगते हैं. उन्हें रिझाने के लिए तरहतरह की हरकतें करते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है. पुरुष के मुकाबले महिलाएं 5 तरह के ऐसे सैक्सी बौडी सिगनल्स देती हैं, जिन से पुरुषों को यह इशारा मिल जाए कि वे उन्हें लाइक करती हैं.

शोध में वैज्ञानिकों ने यह बात मानी है कि फ्लर्ट करने में महिलाएं भी पुरुषों के मुकाबले कहीं पीछे नहीं हैं. एक बायोलौजिस्ट ने भी अपनी रिसर्च में यह खुलासा किया है कि महिलाएं पुरुषों से ज्यादा फ्लर्टिंग करती हैं.

हेलन फिशर नाम के इस साइंटिस्ट ने अपनी नई बुक ‘एनाटोमी लव’ में यह खुलासा किया है कि महिलाएं अपने ऐक्स्प्रैशन से ही बता देती हैं कि वे पुरुष में इंट्रैसटेड है या नहीं. यह महिला की स्माइल और आंखों से पता लगाया जा सकता है. इस पूरे रहस्य को जानने के लिए वाशिंगटन के एक एंथ्रोपोलौजिस्ट डैविड गिवन्स और सैक्सोलौजिस्ट टिमोथी पर्पर ने कई ‘बार’ और ‘क्लबों’ में सैकड़ों घंटे बैठ कर कपल्स को उन की पहली मुलाकात में देखा.

इस पूरी रिसर्च में जो रिजल्ट सामने आया वह काफी चौंकाने वाला था, क्योंकि उन में से आधे से ज्यादा केसों में महिलाओं ने ही पहल की थी. हेलन फिशर ने 25 हजार सिंगल लड़केलड़कियों पर 2010 में स्टडी की थी, जिस में पाया कि हर उम्र और रंग की महिलाएं ही ऐसे मामलों में ज्यादा पहल करती हैं.

इस के बाद 2012 में लगभग 50 हजार पुरुषों ने माना था कि उन्हें किसी महिला ने बाहर मिलने जाने का निमंत्रण दिया और इन में 95% पुरुष इस बात से खुश थे. उन्होंने बताया कि महिलाएं और पुरुष दोनों ही इन में एक अहम रोल अदा करते हैं, लेकिन अगर किसी एक ने ‘हिंट’ मिस कर दिया तो पूरा खेल भी खत्म हो सकता है.

फ्लर्टिंग के संकेत

कुछ संकेत, जो महिलाएं फ्लर्ट करने के लिए इस्तेमाल करती हैं ताकि पुरुष भी समझ सकें उन की फ्लर्टिंग लैंगवेज को:

– जब कोई महिला बातचीत के दौरान काफी करीब आने की कोशिश करे, तो इस का मतलब है कि वह उस पुरुष को पसंद करती है.

– वैसे तो महिलाएं पुरुषों से बराबर दूरी बनाए रखती हैं, लेकिन फ्लर्ट के दौरान वे आप से ज्यादा टची होने की कोशिश करेगीं. हालांकि उस बात के लिए वे सौरी बोल देंगी, लेकिन जिस तरह से उन का टच होगा, आप समझ जाएंगे यह फ्लर्ट है.

– जब महिला किसी पुरुष के सामने बारबार अपने बालों को कानों के पीछे ले जाने लगे या फिर उन्हें अपनी उंगलियों से घुमाने लगे, तो बात सीधी है कि वह उस पुरुष की ओर आकर्षित हो रही है.

– पुरुष से बात करते समय जब महिला अपने हाथों को रब करे या अपने शरीर को टच करे जैसे गरदन, बाहों पर हाथ फेरे तो संकेत है कि आप उसे कौफी के लिए इन्वाइट करें, वह मना नहीं करेगी.

– अगर बात करते वक्त महिला देर तक आई कौंटैक्ट रखे या फिर एक खास अंदाज में अपनी नजरें झुका ले, तो समझएि वह आप की ओर आकर्षित हो रही है.

– अपने पुरुष मित्र से मिलने पर उस का मुसकरा कर स्वागत करना, देखते ही अपने कपड़े ठीक करने लगना फ्लर्टिंग के लक्षण हैं.

– फ्लर्टिंग में माहिर महिला यह बात अच्छी तरह जानती है कि पुरुष को किस तरह से अपनी ओर आकर्षित कर के दिल की बात उन तक पहुंचाई जा सकती है.

– अगर वह आप के करीब आने लगे या फिर टच करने की कोशिश करे, तो ये आप के लिए ग्रीन सिगनल है.

– जो महिला फ्लर्टिंग में माहिर होती है, वह बहुत ही स्मार्टली सिर्फ उतनी ही स्किन रिवील करेगी, जिस से पुरुष का ध्यान उस की तरफ आकर्षित हो या उस के बाद उस के ही खयालों में खो जाए.

– फ्लर्टी महिला पुरुष मित्र के पास आ कर बड़े सैक्सी अंदाज में धीरेधीरे कुछ कहेगी ताकि वह यह समझ जाए कि वह उसे अच्छा लग रहा है.

क्या सोचती हैं महिलाएं

– फ्लर्टिंग को ले कर महिलाओं का कुछ और ही सोचना है. उन का कहना है कि फ्लर्टिंग की कला न सिर्फ आप को ऐसे खुशनुमा पलों को जीने का मौका देती है, बल्कि रिफ्रैश भी कर देती है और इस कला में अब वे भी किसी से पीछे नहीं रही हैं, बस उन का तरीका पुरुषों से थोड़ा अलग है.

– महिलाओं का कहना है कि फ्लर्टिंग आप को फ्रैश और रोमांटिक बनाए रखती है. इस से आप को कौंफिडैंस मिलता है. जिंदगी रंगीन लगने लगती है.

– महिलाओं का मानना है कि अगर कोई उन के दिल को भा रहा है, तो उस से फ्लर्ट करने में कोई बुराई नहीं है.

– फ्लर्टिंग में दोनों पक्षों के लिए फील गुड फैक्टर जुड़ा होता है.

– महिलाओं का सोचना है कि क्या पता फ्लर्टिंग से शुरुआत हुई बात रोमांटिक रिश्ते तक पहुंच जाए.

– फ्लर्टिंग को कभीकभार लोग आप के चरित्र से जोड़ कर देखने लगते हैं, ऐसे में फ्लर्टिंग थोड़ी संभल कर करनी चाहिए और उसी के साथ करनी चाहिए जो आप की ही तरह ओपन माइंडेड हो.

– फ्लर्टिंग कभी गलत मकसद से नहीं की जानी चाहिए. फ्लर्टिंग का मकसद यह हो कि आप भी खुश रहें और सामने वाला भी.

– अगर कोई अच्छा लग रहा हो, तो उसे देखना, उसे देख कर मुसकराने और बातें करने में कोई बुराई नहीं है. बशर्तें इरादे नेक हों.

– कोई अच्छा लग रहा हो, तो उसे कौंप्लिमैंट जरूर करना चाहिए.

फ्लर्ट करने के नुकसान

इस बात का ध्यान रहे कि फ्लर्टिंग के आप को नुकसान भी भुगतने पड़ सकते हैं.

– भले ही आप के इरादे नेक हों, पर फ्लर्टिंग करने वाली महिला को समाज में अच्छा नहीं समझा जाता है. कहीं न कहीं इस बात से ले कर उस के चरित्र को आंका जाता है. लोग महिला को ले कर तरहतरह की बातें बनाने लगते हैं. हो सकता है आप का गलत फायदा भी उठाया जाए. हो सकता है फिर कोई आप को गंभीरता से न ले और मजे के लिए आप से बातें करें या दोस्ती रखे.

– फ्लर्टिंग करतेकरते भावनात्मक लगाव होना स्वाभाविक है. ऐसे में फ्लर्टिंग बहुत सोचविचार कर करें वरना रिश्तों में समस्या पैदा हो सकती है.

– महिलाओं के फ्लर्टिंग के अंदाज को कुछ पुरुष गलत समझ बैठते हैं और उन के इशारों को गलत दिशा में ले जाते हैं. ऐसे में फ्लर्टिंग की कला को जाननेसमझने का तरीका सही रहेगा ताकि आगे आप धोखा न खा सकें.

शोधकर्ता का कहना है कि अपनी यौन रुचियों को ले कर महिलाओं के गैरशाब्दिक संकेतों को भी पुरुष नहीं समझ पाते. ऐसे में जरूरी है कि हम महिलाओं के इन इशारों का मतलब समझ सकें.

जानिए पैन कार्ड में कैसे बदलें पता

वित्तीय लेनदेन के लिहाज से पैन कार्ड बेहद ही अहम है. इसकी जरूरत आज काफी बढ़ गई है. बैंक खाता खोलने के लिए पैन बेहद जरूरी दस्तावेज है. टैक्स जमाकर्ता के लिए पैन बेहद जरूरी है. आपको बता दें कि पैन कार्ड यानि कि परमानेंट अकाउंट नंबर एक स्थाई नंबर होता है. एक बार ये बन जाए तो इसमें बदलाव नहीं हो सकता. पर कई बार लोगों का पता बदल जाता है और उन्हें पता नहीं होता कि पैन रिकार्ड में दर्ज पता कैसे बदलें. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि पैन में दर्ज पता को कैसे बदला जा सकता है.

इनकम टैक्‍स डिपार्टमेंट के अनुसार अगर आपका एड्रेस बदल गया है तो आपको इनकम टैक्‍स डिपार्टमेंट को इस बारे में जानकारी देनी चाहिए, जिससे कि आपके पैन डाटा बेस में नया एड्रेस अपडेट हो सके.

आपको नए पैन कार्ड या पैन डाटा में बदलाव या सुधार की रिक्वेस्ट के लिए फार्म भर कर पता में बदलाव करने की जानकारी विभाग को दे सकती हैं. आप यह फौर्म किसी टीआईएन एफसी में जमा करा सकते हैं या एनएसडीएल टीआईएन की वेबसाइट पर औनलाइन सबमिट कर सकती हैं.

गौरतलब है कि एनकम टैक्स डिपार्टमेंट के अनुसार किसी भी व्यक्ति को एक से अधिक पैन अलौट नहीं हो सकता. एक व्यक्ति के पास दो पैन का होना कानून के खिलाफ है. ऐसा करने वाले को 10,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.

संगीत का वैभव सितारा

22 वर्षीय  दिल्ली की संगीत की दुनिया में ‘मास्टर औफ परकशन’ कहा जाता है. लोग उस में शिवमनी की परछाई देखते हैं. वैभव शिवमनी को अपनी प्रेरणा मानते हैं.

वैभव चतुर्वेदी बिना किसी तालीम के 16 वाद्ययंत्रों को बजाता है, जिन में ड्रम, कहोन, डिजरी डू, हैंड पैन, हैंड ड्रम, बांसुरी, मुरचंग, भपंग, कांगो, दर्बुका मुख्य हैं. डिजरी डू आस्ट्रेलिया का वाद्य है, जंबे अफ्रीका का है, हैंड पैन स्विटजरलैंड का, काहोन स्पैन का है, कांगो कांगो देश का वाद्य है और दरबुका मिस्र का है, मुरचंग और भपंग राजस्थान के वाद्य हैं. इस तरह देखा जाए तो वैभव दुनिया के अलगअलग देशों के संगीत से जुड़ा है और अपने देश के ऐसे वाद्य भी बजाता है जिन्हें बहुत कम लोग बजा पाते हैं.

बचपन में टेबल बजाने से शुरू हुआ वैभव का यह थाये सफर, जिसे उस के स्कूल के प्रिंसिपल ने भी सपोर्ट किया और उसे तबला व कांगो बजाने का मौका दिया. वैभव ने स्कूल के अनेक कार्यक्रमों में पैड और साइड ड्रम भी बजाए. उस के मातापिता के पास इतना पैसा नहीं था कि उसे संगीत की शिक्षा दिला पाते, पर जब वैभव 10वीं कक्षा में आया तो उसे सेवन पीस ड्रम दिलवाया जिस की वैभव ने दिल लगा कर पै्रक्टिस की.

वैभव के परिवार वाले बताते हैं कि वैभव की बचपन से ही संगीत के प्रति गहरी रुचि थी. वे याद करते हैं तो समझ आता है कि बिना गाना सुने वैभव कभी सोता ही नहीं था. उस की मां को यदि कुछ काम करना होता था तो वे टेपरिकौर्डर पर गाना बजा कर उसे बैठा देती थीं और वह छोटा सा बच्चा आराम से खेलता रहता था, जब उसे नींद आती तो वह खुद सो जाता था. यह वह तब करता जब महज 7-8 महीने का था.

vaibhav

वैभव को सीखने के लिए कभी अच्छे टीचर नहीं मिले जो मिले वे उस के टैलेंट के हिसाब से नहीं सिखा पाते थे. आज वैभव खुद वर्कशौप करता है और लोगों को इन नए इंस्ट्रूमैंट को बजाने की टे्रनिंग देता है. वह फेसबुक के माध्यम से संगीत की कई इंटरनैशनल हस्तियों से जुड़ा है, जिन से सीखता भी रहता है. वह यू ट्यूब पर भी अपनी वीडियो अपलोड करता है.

15 वर्ष की उम्र में वैभव ड्रम टीचर बना, 18 साल की उम्र में नोएडा में ड्रम सर्कल स्टार्ट किया, ताकि संगीतप्रेमी फ्री में जुड़ सकें और अपना टैलेंट पब्लिक के सामने ला सकें. उस ने संगीत को तनाव दूर करने का टूल बना लिया है. इस सर्कल में हर उम्र के लोग आते हैं और

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2-3 घंटे संगीत का भरपूर आनंद लेते हैं. आईएएस, डाक्टर, इंजीनियर, डांसर, सिंगर, हाउसवाइफ सब लोग इस गु्रप से जुड़े हैं.

कई प्रमुख अखबारों और पत्रिकाओं में वैभव के संगीत के बारे में छप चुका है. पढ़ने में हमेशा अब्वल रहने वाला वैभव सीए इंटर कर चुका है, पर आज वह पूरी तरह संगीत के लिए समर्पित है. वैभव यह सब सिर्फ पैसे कमाने के लिए नहीं करता बल्कि संगीत उस का पहला प्यार है. करीब 70 एनजीओ के लिए फंड जुटाने का काम वैभव कर चुका है. वह इंटरनैशनल और भारतीय संगीतकारों के साथ मिल कर करीब 300 शो कर चुका है.

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आज वह कौर्पोरेट ट्रेनिंग के साथसाथ इवैंट भी करता है. नएनए बाद्य बजाना वैभव की हौबी है. उस के सामने कोई भी बाद्ययंत्र आए तो उस के हाथ उस पर खुदबखुद चलने लगते हैं, उस की उंगलियों में मानो जादू है. उस के कानों में एक बार कोई धुन या ताल पड़ जाए तो उस के हाथ तुरंत उसे कौपी कर सकते हैं. कर्मण नाम से वैभव का एक बैंड है. उस की एक रजिस्टर्ड कंपनी ‘नो मैड सोल्स’ है. सारे कार्यक्रम और संगीत से जुड़े अन्य कार्यक्रम इसी नाम से करता है.

वैभवन इतनी कम उम्र में कई कालेज के बैंड कंपीटिशन का जज भी बन चुका है. आज वैभव संगीत की दुनिया का चमकता हुआ सितारा है.

महकाना चाहती हैं घर का कोना कोना, तो करें ये उपाय

खुशबू एक ऐसा एहसास है, जो किसी को भी सम्मोहित कर लेती है. इस से वातावरण में भी मस्ती छा जाती है. भीनी भीनी खुशबू से महक रहे घर में घुसने पर किसी को स्वयं ही उस की स्वच्छता का एहसास हो जाता है. घर को खुशबूदार बनाने का चलन बेहद पुराना है. होम फ्रैगरेंस का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि घर से निकलने वाली अन्य तरह की दुर्गंध को कम किया जा सके. ताजी खुशबू वाला घर हमेशा स्वच्छता का एहसास दिलाता है. यही कारण है कि लोग अपने घरों को मनपसंद खुशबू से महकाना पसंद करते हैं.

बाजार में अनेक तरह के होम फ्रैगरेंस मौजूद हैं, जिन में से आप अपनी सुविधा व पसंद के मुताबिक चुनाव कर अपने घर को महका सकते हैं. रूम फ्रैगरेंस को कई कैटेगरियों व खुशबुओं में बांटा गया है. सैशे, पौटपोरी, सेंट आयल, एअर फ्रैशनर्स, रूम स्प्रे, परफ्यूम डिस्पेंसर, अरोमा लैंप, प्लग इन, सेंटेड कैंडल्स आदि. होम फ्रैगरेंस प्रोडक्ट्स बनाने वाली डेल्टा एक्सपर्ट्स कंपनी की डिजाइनर आरती का कहना है कि घर में इस्तेमाल की जाने वाली प्राकृतिक व अप्राकृतिक खुशबुएं कई तरह की होती हैं, कई खुशबूदार तेलों को मिला कर भी विशेष तरह की महक तैयार की जाती है. जैसे रोज और जैसमीन को मिला कर स्पेशल मूड क्रिएट किया जाता है. इन्हें आप कैंडल, अगरबत्ती, एअर स्प्रे, होम स्प्रे आदि के रूप में बाजार से खरीद सकते हैं. ये अधिक महंगे भी नहीं होते हैं.

आरती के अनुसार फ्रैगरेंस की कई कैटेगरियां होती हैं जैसे फ्रूट्स कैटेगरी में जहां वैनिला, स्ट्राबेरी, चौकलेट आदि फ्रैगरेंस आते हैं, वहीं फ्लोरल कैटेगरी में इंडियन स्पाइस, जैसमीन, रोज, लैवेंडर आदि. अपनी पसंद के मुताबिक लोग विभिन्न तरह के फ्रैगरेंस को अपने घर में इस्तेमाल करते हैं. बाथरूम की बात की जाए तो यहां अधिकतर लेमनग्रास फ्रैगरेंस का इस्तेमाल किया जाता है. फाइवस्टार होटल हो या अन्य कोई होटल, हर जगह इन फ्रैगरेंसेस का इस्तेमाल किया जाता है. होम फ्रैगरेंसेस के प्रति बढ़ती रुचि के कारण ही इस का बाजार दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है.

होम फ्रैगरेंस अगरबत्तियां

खुशबू के लिए अगरबत्ती का इस्तेमाल नया नहीं है. हां, इतना जरूर कहा जा सकता है कि पहले जहां अगरबत्तियां कुछ गिनीचुनी खुशबुओं में ही उपलब्ध थीं वहीं आज ये अनगिनत खुशबुओं में मिलती हैं. पुराने समय में अगरबत्ती व इस के धुएं को मेडिसिन के रूप में इस्तेमाल किया जाता था. अगरबत्तियां एक बेहतरीन होम फ्रैगरेंस के तौर पर भी सदा से इस्तेमाल की जाती हैं. अगरबत्तियां कई तरह की खुशबूदार लकडि़यों, जड़ीबूटियों, खुशबूदार आयल, गरममसाला, जैसमीन, पचोली (भारत का एक सुगंध देने वाला पौधा), संडलवुड, गुलाब, देवदार आदि प्राकृतिक खुशबुओं से तैयार की जाती हैं. इन्हें नेचुरल फ्रैगरेंसेस कहा जाता है, जबकि इन्हें आर्टिफिशल खुशबुओं जैसे स्ट्राबेरी, भांग व अफीम के पौधे आदि से भी तैयार किया जाता है.

अगरबत्तियां 2 प्रकार की होती हैं- डायरेक्ट बर्न और इनडायरेक्ट बर्न. जैसा कि नाम से ही जाहिर है, डायरेक्ट बर्न अगरबत्ती स्टिक को सीधे जला दिया जाता है और वह लंबे समय तक सुलग कर वातावरण को महकाए रखती है, जबकि इनडायरेक्ट बर्न अगरबत्ती में फ्रैगरेंस मैटेरियल को किसी मैटल की हौट प्लेट या आंच आदि पर रखा जाता है, जिस से वह गरम हो कर घर को महक ाती रहती है. यह स्टिक फार्म में न हो कर मैटेरियल फार्म में होती है.

अगरबत्तियां कई आकारों में मिलती हैं जैसे स्टिक, धूप, पाउडर आदि. इन के प्रयोग से आप कम खर्च में घर को महका सकते हैं. इन की खुशबू से मक्खियां व मच्छर भी दूर रहते हैं.

फ्रैगरेंस कैंडल्स

आप के घर में सजी डिजाइनर फ्रैगरेंस कैंडल देख कर कोई भी आसानी से यह अंदाजा नहीं लगा सकता कि आप के घर से आने वाली भीनीभीनी खुशबू में इस आकर्षक कैंडल का हाथ है. आज बाजार में इतने यूनीक डिजाइनों, रंगों व खुशबुओं में फ्रैगरेंस कैंडल्स मौजूद हैं कि हर किसी पर दिल आ जाए. डिजाइनर अरोमा लैंप को आप अपने घर में कहीं भी रखें, यह अपना काम बखूबी करेगा. एक विशेष तरह के बने इस लैंप में पानी की कुछ बूंदों में आरोमा आयल डाल दिया जाता है, जिस से घर लंबे समय तक महकता रहता है. ये बेहद आकर्षक होते हैं.

रीड डिफ्यूजर

रीड डिफ्यूजर के बारे में अभी भारत में कम लोग ही जानते हैं लेकिन यह तेजी से लोगों की पसंद बन रहा है. रीड डिफ्यूजर फ्रैगरेंस कैंडल का अच्छा विकल्प है. इस में नैचुरल व सिंथेटिक दोनों तरह के आयल्स का इस्तेमाल किया जाता है. यह खुशबू को कमरे की हवा में अच्छी तरह घोल कर लंबे समय तक घर को महकाता है. इसे अगरबत्ती या फ्रैगरेंस कैंडल्स की तरह समयसमय पर जलाने की जरूरत नहीं होती. यह अनेक तरह की खुशबुओं, शेप्स व साइजों में बाजार में उपलब्ध है, जो एक सुरक्षित तरीके से आप के घर को खुशबूदार बनाता है. रीड डिफ्यूजर में आप को बोतल या कंटेनर, सैंटेड आयल व रीड्स मिलती हैं. बोतल या कंटेनर में आयल को भर दिया जाता है व इस में एक रीड स्टिक डाल दी जाती है और बस, आप का पूरा घर महक जाता है, मस्ती भरी खुशबू के साथ.

कई लोग सोचते होंगे कि इस रीड डिफ्यूजर को घर में किस जगह पर रखा जाए तो कई लोग इसे किचन, बाथरूम, लिविंगरूम, ड्राइंगरूम या बेडरूम में रखना पसंद करते हैं तो कई इसे अपने आफिस आदि में भी रखते हैं ताकि काम करते समय एम्लाई रिलैक्स व शांति महसूस करें. यह नर्सिंगहोम्स, स्पा और ब्यूटी शौप्स आदि में भी इस्तेमाल किया जाता है. यह कई साइजों में मिलता है. आप अपने कमरे के आकार व जरूरत के मुताबिक इसे खरीद सकते हैं.

कैंडल वार्मर्स

कैंडल वार्मर मोम को गरम करता है और इस पिघले हुए मोम से निकलने वाली खुशबू से सारा घर महक जाता है. इस कैंडल को जलाने की जरूरत नहीं होती, बल्कि धीरेधीरे पिघलने वाले मोम से निकलने वाली खुशबू लंबे समय तक घर को महकाती है. यह उन लोगों के लिए अच्छा विकल्प है, जो सैंटेड कैंडल को बिना जलाए उस की महक पाना चाहते हैं. एअर फ्रैशनर्स स्प्रे को आप आसानी से इस्तेमाल कर सकती हैं. यह हवा को महकाता है और घर में आने वाली अन्य दुर्गंधों को प्रभावहीन बनाता है. एअर फ्रैशनर्स स्प्रे एक छोटी सी खूबसूरत कैन में उपलब्ध होते हैं जिन्हें प्रयोग में न आने पर आसानी से स्टोर भी किया जा सकता है. छोटे कैंस को आप दीवार पर भी लगा सकते हैं, जिन में लगे एक बटन को पुश कर के आप घर को जब चाहे महका सकते हैं. इस के अलावा फ्रैगरेंस स्टिक भी मिलती है जिसे आप सफाई करते समय वैक्यूम क्लीनर बैग में रख सकते हैं. इस से आप के घर का कोनाकोना महक उठेगा व स्वच्छता का एहसास दिलाएगा. ये फ्रैगरेंस स्प्रे कैंस अनेक सुंदर डिजाइनों में उपलब्ध हैं.

फ्रैगरेंस पोटपोरी

फ्रैगरेंस पोटपोरी का इस्तेमाल कर आप प्राकृतिक तौर पर अपने घरआंगन को महका सकते हैं. प्राकृतिक खुशबूदार सूखे हुए पौधों के भागों व अन्य फ्रैगरेंस सामग्री को लकड़ी या सिरेमिक के बने डेकोरेटिव बाउल या फिर बारीक कपड़े के थैले में संजोया जाता है. ये बाजार में कई आकर्षक पैकेटों में मिलते हैं. इन से निकलने वाली धीमीधीमी खुशबू हवा के साथ घर के कोनेकोने में भर जाती है. अगर आप बाजार में मिलने वाले होम फै्रगरेंस का इस्तेमाल नहीं करना चाहते तो घर पर भी होम फ्रैगरेंस बना सकते हैं. किसी मिट्टी या सिरेमिक के पौट में पानी भर कर उस में ताजे गुलाब की पंखुडि़यां डाल दें. चाहें तो इस में खुशबूदार आयल की कुछ बूंदें भी मिला दें. इसे आप सेंटर या साइड टेबल के बीचोंबीच सजा कर रख दें. इसे घर की खिड़की या दरवाजे पर भी टांगा जा सकता है. हवा के साथ इस की महक पूरे घर में फैल जाएगी और यह होम फ्रैगरेंस का काम करेगा.

ये हैं भारत के पांच सबसे खूबसूरत एयरपोर्ट

भारत में वैसे तो बहुत से एयरपोर्ट हैं लेकिन उनमें से कुछ ऐसे हैं जिनकी खूबसूरती देखते ही बनती है. आज हम भारत के पांच ऐसे आकर्षक और अदभुत हवाई अड्डों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां की खूबसूरत वादियों को देखकर आप विदेशी एयरपोर्ट के बारे में भूल जाएंगी और आपका मन करेगा कि सारी गर्मी बस यहीं पर बीत जाए.

अगटि्ट एयरपोर्ट (लक्षद्वीप)

यह एयरपोर्ट लक्षद्वीप के दक्षिण में स्थित है. डोर्नियर औपरेशन के लिए इस एयरपोर्ट का निर्माण 1987-1988 में हुआ था. 16 अप्रैल 1988 में इसका उद्घाटन हुआ. इसे टर्मिनल के छोटे से ढांचे में रखा गया था फिर 2006 में इसमें कुछ बदलाव के काम शुरु किये गये. बीच में किसी कारण इसके रनवे में कुछ समस्याएं भी आयी थी और 24 सितंबर 2010 में अगटि्ट को कोची से जोड़ दिया गया. आखिरकार 2010 में इसकी रनवे समस्या दूर हो गयी. यह ऐसा एयरपोर्ट है जहां की वादियों को देखकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाए. यह एयरपोर्ट सुदंर मूंगे के चट्टानों से घिरा हुआ है.

लेंगपुई एयरपोर्ट (मिजोरम)

मिजोरम का लेंगपुई एयरपोर्ट 2,500 मीटर लंबा है औप पहाड़ों के बीचोबीच बनाया गया है. इस प्रदेश को 1987 में अलग राज्य की मान्यता दी गयी थी. मिजोरम का अर्थ पहाड़ी भूमि होता है. यह छोटा राज्य है जो 900 किमी में फैला हुआ है. यहां पहाड़ की सबसे ऊंची चोटी फवंगपुई, द ब्लू माउंटेन है जिसकी ऊंचाई 2165 मीटर है.

लेह एयरपोर्ट (जम्मू-कश्मीर)

इस गर्मी के मौसम में लेह एयरपोर्ट में आपको ठंड का एहसास होगा. वहां की ठंडी वादियां और सुंदरता की वजह से लेह एयरपोर्ट की गुणवत्ता और सुंदरता में चार चांद लग जाते हैं. लेह की पहाड़ियों में बर्फ की चादरें बिछी हुई होती हैं. लेह दुनिया के सबसी ठंडी जगहों में दूसरे स्थान पर आता है. इसकी बेहद सुंदरता के कारण इसे कई और नामों से भी जाना जाता है.

जुब्बड़हट्टी शिमला

अगर आपको खतरनाक लैंडिग करने का शौक है तो यह एयरपोर्ट केवल आपके लिए ही बना है. शिमला से 22 किलोमीटर दूर स्थित यह एयरपोर्ट पहाड़ों को काटकर बनाया गया है. शिमला को वैसे भी ‘क्वीन औफ हील्स’ कहा जाता है. ऐसे में अगर इस गर्मी में आप शिमला घूमने का प्रोग्राम बना रहे हैं तो फ्लाइट से जाएं. वैसे भी यहां पर केवल दो हवाई जहाज ही पार्क हो सकते हैं तो ज्यादा भीड़ भाड़ नहीं होगी. साथ ही आप एयरपोर्ट घूमते हुए शिमला भी घूम लेंगे.

वीर सावरकर इंडरनेशनल एयरपोर्ट, (अंडमान एंड निकोबार)

देश छोटे से महाद्वीप अंडमान निकोबार का यह मुख्य एयरपोर्ट है. पोर्ट ब्लेयर से इसकी दूरी 2 किलोमीटर दूर साउथ में स्थित है. 3,290 मीटर रनवे वाला यह एयरपोर्ट को बहुत अच्छे ढंग से बनाया गया है.

हौट गार्लिक चिकन विंग्स

सामग्री

–  20 चिकन विंग्स

– 2 बड़े चम्मच मक्खन

– 8-10 लहसुन की कलियां बारीक कटी

– 3 बड़े चम्मच लालमिर्च का पेस्ट

– 1/4 कप टोमैटो पेस्ट

– 1 छोटा चम्मच चीनी

– तलने के लिए फिगारो औलिव औयल

– नमक व कालीमिर्च स्वादानुसार

विधि

चिकन विंग्स पर नमक व कालीमिर्च पाउडर बुरक कर 10 मिनट तक मैरिनेट करें. अब कड़ाही में तेल गरम कर के चिकन विंग्स को सुनहरा होने तक डीप फ्राई करें. फिर मध्यम आंच पर एक पैन में मक्खन गरम करें और लहसुन भून लें. अब इस में लालमिर्च का पेस्ट, टोमैटो पेस्ट, चीनी व नमक मिलाएं और सौस गाढ़ा होने तक पकाएं. तैयार सौस में चिकन विंग्स को अच्छी तरह औस करें और परोसें.

-व्यंजन सहयोग:

शैफ आशीष सिंह

कौरपोरैट शैफ, कैफे देल्ही हाइट्स, दिल्ली

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