स्वमोह और खुद को ही महिमा मंडित करने के चक्कर में कंगना रानौट ने एक बेहतरीन फिल्म का मटियामेट कर डाला. कंगना रानौट यह भूल गईं कि फिल्म से जुड़े हर सदस्य के पूर्ण सहयोग व मेहनत से ही बेहतरीन फिल्म बनती है. यदि आप अपनी टीम के सदस्यों की प्रतिभा को स्वीकार किए बगैर महज खुद को ही बेहतरीन कलाकार साबित करने का प्रयास करेंगी, तो फिल्म का सत्यानाश होना तय है. फिल्म ‘मणिकर्णिका’ में यही हुआ. फिल्म देखकर लगता ही नहीं कि यह फिल्म ‘खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी’ की कहानी है.