प्रेग्नेंसी के दौरान इन चीजों से रहें दूर

प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को कई तरह की सावधानियां बरतनी पड़ती है जिससे कोख में पल रहे बच्चे को किसी तरह की परेशानी ना हो. इस दौरान ध्यान रखना चाहिए कि गर्भवती महिला को अच्छा खान पान मिले, नियमित एक्सरसाइज और जरूरी सप्लीमेंट्स मिलते रहें. इन बातों के अलावा ऐसी और भी कुछ चीजें हैं जिनमें लापवाही करना नुकसानदायक हो सकता है.

आइए कुछ ऐसी ही बातों के बारे में विस्तार से जाने.

दूर रहें नुकसानदायक गंध ले

कई चीजों के गंध आपके बच्चे के लिए हानिकारक हो सकता है. अगर आप दीवारों पर पेंट करने वाली हैं तो रुक जाइए. पेंट की गंध आपके बच्चे के लिए हानिकारक हो सकता है.

 गर्म पानी से ना नहाएं

गर्भावस्था के दौरान गर्म पानी से नहाना खतरनाक हो सकता है. हालांकि हमेशा इसका असर बुरा नहीं होता. लेकिन संभव है कि शरीर का तापमान 101 डिग्री तक पहुंच जाए और आपका ब्लड प्रेशर गिर सकता है. ऐसा होने पर आपके बच्चे को जरूरी पोषक तत्व और औक्सीजन की कमी हो सकती है. और्गैनाइजेशन ऑफ टेराटोलौजी इन्फौर्मेशन सर्विस की माने तो गर्भवती महिलाओं को अपने शरीर का तापमान 101 डिग्री से नीचे ही रखने की कोशिश करनी चाहिए.

फलों के जूस के अत्यधिक सेवन से बचें

जी हां, गर्भावस्था में अत्यधिक जूस के सेवन से बचें. इसका प्रमुख कारण है कि इसमें शुगर की मात्रा अधिक होती है. जूस पीने से बेहतर है कि आप फलों को खाएं.

पीठ के बल ना सोएं

प्रेग्नेंसी के दौरान पीठ के बल सोने से बचें. इस वक्त सबसे अच्छा होता है कि आप बाईं ओर करवट ले कर सोएं. हालांकि आपके लिए ये थोड़ा मुश्किल हो सकता है. आपको बता दें कि जब गर्भवती महिला पीठ के बल लेटती है तो गर्भाशय का पूरा भार शरीर के दूसरे अंगों पर पड़ता है. इससे ब्लड सर्कुलेशन भी बिगड़ सकता है. पीठ के बल सोने से सांस संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं.

 स्किन केयर प्रोडक्ट्स

आप अपनी त्वचा पर कुछ भी लगाएंगी वो आपके शरीर द्वारा सोख लिया जाता है. इसका प्रभाव आपके बच्चे पर भी होता है. इस दौरान आपको किसी भी तरह के केमिकल्स के उपयोग से बचाव करना चाहिए. खासतौर पर एसिड, रेटिनौयड और बेंजाइल पेरोक्साइड से दूरी बनाएं. अपने ब्यूटी प्रोडक्ट खरीदने से पहले एक बार उसके कंपोनेंट्स जरूर चेक कर लें.

एक्सरसाइज या डाइटिंग: वजन कम करने के लिए क्या करें?

अपने खानपान और लाइफस्टाइल के कारण आजकल अधिकतर लोगों में मोटापे की समस्या देखी जा रही है. इससे निजात पाने के लिए लोग घंटों जिम करते हैं, पर कुछ खास असर नहीं होता. हाल ही में एक रिपोर्ट आई है जिसमें सामने आया है कि वजन कम करने के लिए एक्सरसाइज से ज्यादा डाइट महत्वपूर्ण होती है. अगर आपको वजन कम करना है तो इक्सरसाइज से ज्यादा डाइट पर ध्यान देना होगा.

अमेरिका की एक शोध संस्था के मुताबिक, जो लोग धीरे-धीरे यानी हफ्ते में सिर्फ 1 या 2 पाउंड ही वजन कम करते हैं, उनका वजन जल्दी नहीं बढ़ता है. रिपोर्ट में ये बात भी सामने आई कि खाना के पाचन में 10 फीसदी तक कैलोरी बर्न होती हैं. वहीं, 10 से 30 फीसदी कैलोरी फिजिकल एक्टिविटी से कम होती हैं.

एक बड़ी न्यूट्रिशनिस्ट के मुताबिक लोग कितनी एक्सरसाइज करते हैं, इससे ज्यादा जरूरी है कि क्या खाते हैं. अन्हेल्दी डाइट से शरीर में कैलोरीज की मात्रा काफी ज्यादा बढ़ जाती है. जबकि, एक्सरसाइज करने से कुछ ही कैलोरीज कम होती हैं. रोजाना एक्सरसाइज करने से 5 से 15 फीसदी कैलोरी ही कम होती हैं. लेकिन अन्हेदी डाइट से शरीर को कई ज्यादा कैलोरी मिलती हैं.

वेज मोमोज बनाने की रेसिपी

सामग्री:

– मैदा (100 ग्राम)

– पनीर 1/2 कप (कद्दूकस किया हुआ)

– बन्द गोभी 1 कप (बारीक कतरा हुआ)

– गाजर  1/2 कप (कद्दूकस की हुई)

– शिमला मिर्च (मीडियम साइज की)

– प्याज (बारीक कटी हुई)

– हरी मिर्च (बारीक कतरी हुई)

– अदरक 1 टुकड़ा (कद्दूकस कर लें)

– लहसुन कलियां (कुटी हुई)

– हरा धनिया 2 बड़े चम्मच (बारीक कटा हुआ)

– तिल का तेल (2 बड़े चम्मच)

– काली मिर्च पाउडर (1/4 चम्मच)

– लाल मिर्च पाउडर (1/4 चम्मच)

– सिरका (1 बड़ा चम्मच)

– सोया सौस  (1 बड़ा चम्मच)

– नमक ( स्वादानुसार)

वेज मोमोज बनाने की विधि:

– सबसे पहले मैदा को छान कर पानी की मदद से गूंथ लें और फिर उसे एक घंटे के लिए ढ़क कर रख दें.

– एक फ्राई पैन में तेल गरम करके उसमें प्याज और लहसुन डाल कर थोड़ा सा भून लें.

– फिर अदरक, हरी मिर्च, डालें और थोड़ा सा भूनें.

– अब कटी हुई सब्जियां, पनीर, काली मिर्च, लाल मिर्च, सिरका, सोया सौस, नमक और हरा धनिया भी डाल दें और 2 मिनट तक चलाते हुए पका लें.

-अब आपकी भरावन सामग्री तैयार है. इसे ठंडा होने पर भरने के लिए उपयोग करें.

– फिर अब गूंथे हुये आटे की छोटी-छोटी लोई बना लें.

– लोई इतनी बड़ी हो कि उसे पतला-पतला बेलने पर लगभग 3 इंच गोलाई की पूरी तैयार हो सके.

– अब बेली हुई पूरी में उचित मात्रा में भरावन सामग्री रखें और उसे चारों ओर से मोड़ते हुए मोमोज के     आकार में बन्द कर दें.

– अब मोमोज पकाने वाला स्टैण्ड मोमोज मेकर  ले लें.

– आमतौर से 4 खाने का मोमाज बर्तन होता है, जिसमें नीचे के खाने में 1/3 पानी भर कर ऊपर के 3     खानों में मोमोज रख कर भाप से पकाए जाते हैं.

– मोमोज स्टैण्ड में ऊपर बताई गई विधि से मोमोज सेट करने के बाद उसे गैस पर रखें और आठ मिनट पकायें.

नोट- अगर आपके पास मोमोज स्टैण्ड नहीं है, तो भी आप मोमोज रेसिपी प्रिपेयर कर सकती हैं. आप एक भगोने में लगभग 1/2 पानी भरें और उसके ऊपर स्टील वाली छलनी पलट रख दें और उसके ऊपर मोमोज रख कर उन्हें 10 मिनट पकायें.

फिल्म रिव्यू : उरी – द सर्जिकल स्ट्राइक

2016 में कश्मीर के उरी क्षेत्र में हुए आतंकवादी हमले के बाद 29 सितंबर 2016 में पाक स्थित आतंकवादियों व उनके अड्डों को सर्जिकल स्ट्राइक करके नष्ट करने वाले भारतीय सेना के वीर जांबाज सैनिकों को फिल्म ‘‘उरी-द सर्जिकल स्ट्राइक’’ एक बेहतरीन ट्रिब्यूट है. दर्शकों को उनकी सीट से बांधे रखकर उनके अंदर उत्साह और देशभक्ति का जज्बा भी जगाती है. राजनीतिक स्तर पर भी यह एक बेहतरीन फिल्म है, जिसे कट्टर बौलीवुड फिल्म की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता.

2016 के उरी हमले के बाद भारतीय सेना द्वारा सितंबर 2016 में पाक अधिकृत कश्मीर में की गई सर्जिकल स्ट्राइक के सत्य घटनाक्रम पर आधारित फिल्म ‘‘उरीः द सर्जिकल स्ट्राइक’’ की कहानी पांच अध्यायों में विभाजित कर सुनाई गयी है. पर कहानी के केंद्र में मेजर विहान शेरगिल (विक्की कौशल)हैं.

2016 में कश्मीर के उरी क्षेत्र में हुए आतंकवादी हमले के बाद 29 सितंबर 2016 में पाक स्थित आतंकवादियों व उनके अड्डों को सर्जिकल स्ट्राइक करके नष्ट करने वाले भारतीय सेना के वीर जांबाज सैनिकों को फिल्म ‘‘उरी-द सर्जिकल स्ट्राइक’’ एक बेहतरीन ट्रिब्यूट है. दर्शकों को उनकी सीट से बांधे रखकर उनके अंदर उत्साह और देशभक्ति का जज्बा भी जगाती है. राजनीतिक स्तर पर भी यह एक बेहतरीन फिल्म है, जिसे कट्टर बौलीवुड फिल्म की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता.

2016 के उरी हमले के बाद भारतीय सेना द्वारा सितंबर 2016 में पाक अधिकृत कश्मीर में की गई सर्जिकल स्ट्राइक के सत्य घटनाक्रम पर आधारित फिल्म ‘‘उरीः द सर्जिकल स्ट्राइक’’ की कहानी पांच अध्यायों में विभाजित कर सुनाई गयी है. पर कहानी के केंद्र में मेजर विहान शेरगिल (विक्की कौशल)हैं.

प्रथम अध्याय जून 2015 में मेजर विहान के नेतृत्व में मणिपुर क्षेत्र के आतंकवादी अड्डों को खत्म करने की कहानी है, जिसके बाद प्रधानमंत्री (रजित कपूर) व एनएसए प्रमुख गोविंद (परेश रावल) इन वीर जवानों के सम्मान में रात्रि भोज देते हैं और वहां पर अपनी मां (स्वरुप संपत) की अल्माइजर की बीमारी के चलते सेना से अवकाश लेने की बात मेजर विहान शेरगिल करते हैं, तो प्रधानमंत्री सलाह देते है कि वह दिल्ली में ही सेना मुख्ययालय में आ जाएं. इस तरह वह सेना में बने रहते हुए अपनी मां के साथ रह सकेंगे और उनकी मां की देखभाल के लिए सरकार की तरफ से एक नर्स दी जाती है.

बाद में पता चलता है कि यह नर्स वास्तव में सेना की ही अफसर पल्लवी शर्मा (यामी गौतम) है, जिसे विहान के परिवार की सुरक्षा के मद्देनजर नर्स बनाकर रखा गया था. कहानी आगे बढ़ती है और एक आतंकवादी हमले में मेजर विहान शेरगिल के बहनोई कैप्टन करण कष्यप (मोहित रैना) शहीद हो जाते हैंं. इसके बाद उरी पर सेना के उपर आतंकवादी हमला होता है और 19 भारतीय सैनिक शहीद हो जाते हैं. तब प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री व एनएसए प्रमुख मिलकर सर्जिकल स्ट्राइक करने का निर्णय लेते हैं. इस काम को अंजाम देने का नेतृत्व विहान शेरगिल को मिलता है. मेजर विहान शेरगिल, मणिपुर व आसाम की बटालियन के बीस सदस्यों के अलावा कैप्टन सरताज के साथ मिलकर चार दल बनाते हैं. वह अपने वायुसेना के विमान का पायलट, वायुसेना की ही ऐसी पायलट सीरत कौर (कीर्ति कुल्हारी) को चुनते हैं, जिस पर जांच चल रही है. पर उसे सही अर्थ में अपनी वीरता दिखाने का अवसर नही मिल पाया. अंत में सर्जिकल स्ट्राइक सफलतापूर्वक अंजाम दी जाती है.

‘हाल ए दिल’ (2008), ‘बूंद’ (2009), ‘डैडी कूल ज्वाइन द फन’ (2009), ‘‘आक्रोष’’ (2010) फिल्मों के पटकथा लेखक और ‘तेज’ (2012) फिल्म के संवाद लेखक आदित्य धर की बतौर लेखक व निर्देशक ‘‘उरी :द सर्जिकल स्ट्राइक’’ पहली फिल्म है, मगर फिल्म देखने के बाद इस बात का अहसास नहीं होता कि यह किसी नवोदित निर्देशक की फिल्म है. बल्कि बतौर निर्देशक आदित्य धर ने ‘‘उरी-द सर्जिकल स्ट्राइक’’ से कई दिग्गज निर्देशकों को भी पीछे छोड़ दिया है. तमाम निर्देशकों को इस फिल्म को देखकर काफी कुछ सीखना चाहिए. बतौर लेखक आदित्य धर ने फिल्म की पटकथा पर थोड़ी और मेहनत की होती, तो यह फिल्म सदैव के लिए एक क्लासिक फिल्म के साथ साथ एक पथप्रदर्शक या अग्रणी सिनेमा के रूप में गिनी जाती. इंटरवल से पहले फिल्म में कुछ बेहतरीन भावनात्मक दृष्य भी हैं. पर इंटरवल के बाद फिल्म की पटकथा पर मेहनत करने की जरुरत महसूस होती है. वास्तविक घटनाक्रम और वास्तविक पात्रों पर आधारित फिल्म के अंतिम हिस्से में कुछ पात्रों को कैरीकेचर बना देना भी खलता है.

लेखक व निर्देशक इस बात के लिए बधाई के पात्र हैं कि उन्होंने पूरे घटनाक्रम को राष्ट्रवाद की चाशनी में नहीं रंगा. और न ही बेतुके राष्ट्भक्ति के संवाद ही रखे हैं. आदित्य धर की इस बात के लिए प्रशंसा की जानी चाहिए कि उन्होंने अपनी फिल्म में इस बात पर जोर नही दिया कि इस सर्जिकल स्ट्राइक से भारत सरकार को क्या हासिल हुआ, बल्कि उन्होंने देश के वीर सैनिकों के कर्तव्य निर्वाह को प्रमुखता दी.

फिल्म के तमाम दृष्य काफी सुंदर बने हैं. युद्ध पर आधारित फिल्म में जिस तरह से प्राकृतिक सौंदर्य को कैमरे ने कैद किया है, उसके लिए फिल्म के कैमरामैन मितेश मीरचंदानी की जितनी तारीफ की जाए, उतनी कम है.

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो मेजर विहान शेरगिल के किरदार में विक्की कौशल ने काफी शानदार अभिनय किया है. वह पूरी फिल्म को अपने कंधों पर लेकर आगे बढ़ते हैं. वह सैनिक की वर्दी और आम विहान के रूप में बेहतर ढंग से अभिनय कर गए हैं. विक्की कौशल सही मायनों में देशभक्त अधिकारी और सज्जन व्यक्ति के रूप उभरते हैं. वह बेवजह सीना ताने नजर नही आते. एनएसए प्रमुख गोविंद के किरदार में परेश रावल ने भी काफी अच्छा काम किया है, वह परदे पर हूबहू वर्तमान एनएसए प्रमुख अजीत डोभाल ही नजर आते हैं. वहीं 2016 के समय के रक्षामंत्री मनोहर पर्रीकर के किरदार में योगेश सोमन काफी जंचे हैं. कीर्ति कुल्हारी, यामी गौतम, मोहित रैना ने भी ठीक ठाक अभिनय किया है.
गीत संगीत ठीक ठाक है.

दो घंटे 13 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘उरी-द सर्जिकल स्ट्राइक’’ का निर्माण रौनी स्क्रूवाला ने किया है. 2016 कि उरी हमले पर आधारित इस फिल्म के लेखक व निर्देशक आदित्य धर हैं. संगीतकार शाश्वत सचदेव, कैमरामैन मितेश मीरचंदानी तथा फिल्म को अभिनय से संवारने वाले कलाकार हैं – विक्की कौशल, परेश रावल, यामी गौतम, कीर्ति कुल्हारी, मोति रैना, इवान रौड्रिग्स, योगेश सुमन, मानसी पारेख, रजित कपूर व अन्य.

रेटिंग : साढ़े तीन स्टार

महिलाओं को होता है कैंसर का ज्यादा खतरा, जानिए क्यों

देश में असमय मौत होने वाले कारणों में कैंसर प्रमुख कारण है. 2016 में तरीब 14 लाख कैंसर के मामले दर्ज किए गए हैं. आपको बता दें कि इन आंकडों में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक है. वहीं इंडियन काउंसिल औफ मेडिकल रिसर्च ने साल 2020 तक कैंसर के 17 लाख नए मामलों के दर्ज होने की आशंका जताई है, जिनमें 8 लाख लोगों के लिए जान का खतरा कहीं ज्यादा है.

महिलाओं को होने वाले कैंसर में स्तन, सर्वाइकल, फेफड़े के मामले प्रमुख हैं. एक वेबसाइट के मुताबिक देश में हम मिनट एक महिला की मौत सर्वाइकल कैंसर से होती है. आपको बता दें कि महिलाओं को हर तरह के कैंसरों में स्तन का कैंसर सबसे ज्यादा 27 प्रतिशत होता है.

जानकारों की माने तो महिलाओं में स्तन कैंसर होने के प्रमुख कारण मोटापा, वसा युक्त भोजन, देर से शादी, अपर्याप्त स्तनपान हैं.

बड़े पद पर बैठी एक हेल्थ एक्सपर्ट ने एक आर्टिकल में लिखा कि महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा अधिक कैंसर होने का कारण खान-पान पर ध्यान ना देना है. इसके अलावा वायु प्रदूषण का भी महिलाओं के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है. हालांकि इन दोनों कारणों का शिकार पुरुष भी हैं लेकिन जागरूकता के अभाव में महिलाएं देर से इलाज कराती हैं जिसका खामियाजा भुगतना पड़ता है. इसके अलावा भारत में मासिक धर्म के दौरान महिलाएं साफ-सफाई का ख्याल नहीं रख पातीं जिसकी वजह से भी स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याएं हो जाती हैं.

2 से ज्यादा बच्चों की प्लानिंग कर रहीं हैं तो है जान का खतरा

जिन महिलाओं के दो से अधिक बच्चे होते हैं, उनमें हार्ट अटौक का खतरा बढ़ जाता है. इस बात की पुष्टी यूके में हुए एक शोध में हुई. कैंब्रीज यूनिवर्सिटी के छात्रों द्वारा किए इस शोध में ये स्पष्ट हुआ कि हर बच्चे के जन्म से मां के दिल में खिंचाव होता है. जिसकी ओर किसी का भी ध्यान नहीं जाता. इसके अलावा बच्चों के पैदा होने पर घर में कामकाज भी अधिक हो जाता है, जिसके चलते मां अपनी सेहत का ख्याल नहीं रख पाती.

इस शोध में ये बात भी सामने आई कि महिलाएं जिनके दो बच्चे होते हैं, कि तुलना में महिलाएं जिनके 5 बच्चे हैं, उनमें दिल की बीमारी का खतरा 30 फीसदी बढ़ जाता है.

इस लिए जरूरी है कि लोग छोटे परिवार रखें और मां की सेहत का खासा ख्याल रखें. आपको बता दें कि इस शोध में करीब 8000 महिलाओं को शामिल किया गया, जिनकी उम्र 45 से 64 साल की थी.

टेंशन में एमेजौन और फ्लिपकार्ट

पिछले वर्ष 26 दिसम्बर को ईकौमर्स में एफडीआई से जुड़ी की गई सरकार की घोषणा से अमेरिकी ईकौमर्स कंपनी एमेजौन और अमेरिका की वौलमार्ट के स्वामित्व वाली फ्लिपकार्ट ज्यादा ही टेंशन में हैं. हालांकि, इन के आलावा दूसरी सभी ईकौमर्स कंपनिया भी टेंशन में हैं.

दरअसल, इस वर्ष के चौथे महीने यानी अप्रैल में देश की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी को आम चुनाव का सामना करना है. सत्ता का उस का कार्यकाल 14 पूरा हो जाएगा. ऐसे में उसे वोटबैंक की चिंता सताने लगी है क्योंकि वह अपने कार्यकाल में जनहित के कार्यों को लागू नहीं कर पाई है. उलटे, उस के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी नेशनल डेमोक्रेटिक अलायन्स (एनडीए) सरकार ने जो कदम उठाए, वे जनहित नहीं बल्कि जनअहित के रहे. नतीजतन, देश के मतदाता एनडीए व उस की सारकार से नाराज हैं.  इस की एक बानगी हालिया हुए 5 राज्यों की विधानसभाओं के चुनावों में देखने को मिली जब भाजपा कहीं भी सरकार न बना सकी. उसे हर जगह हार का स्वाद चखना पड़ा.

वर्ष 2014  में खुदरा कारोबारियों को ईकौमर्स मैदान में खेल कर रहीं देशीविदेशी कंपनियों से नजात दिलाने का वादा कर नरेन्द्र मोदी सत्ता पर काबिज़ हुए, लेकिन सत्ता के नशे में वे इस सेक्टर की अनदेखी करते रहे. अब जब चुनाव सर पर हैं तो उन्हें इन की चिंता हुई. सो, इन्हें खुश करने के लिए ईकौमर्स कंपनियों पर नकेल लगाने का फैसला किया और एफडीआई के नियम बदल डाले.

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (एफडीआई) प्राप्त करने वाली कंपनियों एमेजौन और फ्लिपकार्ट ज्यादा ही टेंशन में आ गई हैं. हालांकि, सरकार के कदम से दूसरी कम्पनियां भी टेंशन में हैं. सरकार के घोषित नए नियमों में 2 क्लौज़ ऐसे हैं, जिन के कारण एमेजौन और फ्लिपकार्ट को अपने काम करने के तरीकों में बड़े बदलाव करने होंगे. पहला यह है कि किसी भी वेंडर में मार्केटप्लेस या उस की ग्रुप कंपनियों का इक्विटी स्टेक नहीं हो सकता है. दूसरा यह है कि वेंडर अपनी 25 फीसदी से ज्यादा खरीदारी मार्केटप्लेस की होलसेल यूनिट सहित किसी इकाई से करे तो यह माना जाएगा कि वेंडर की इनवेंटरी पर उन की मार्केटप्लेस का कण्ट्रोल है.

एफडीआई के नए नियमों के अनुसार, मार्केटप्लेस एंटिटी या उस की ग्रुप कम्पनियां इन्वेंटरी पर नियंत्रण नहीं रख सकती है. एमेजौन और फ्लिपकार्ट प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इन्वेन्टरी पर कण्ट्रोल रखती हैं. वे अपनी होलसेल इकाईयों यानी एमेजौन होलसेल और फ्लिपकार्ट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के ज़रिए सस्ती दरों पर मैन्युफैक्चरर्स से थोक खरीदारी करती हैं और यह माल प्रेफर्ड सेलर्स के ज़रिए अपने मार्केटप्लेस पर बेचती हैं. इन सेलर्स में वे कम्पनियां भी होती हैं जिन में हो सकता है कि ईकौमर्स कंपनी या उस की ग्रुप एंटिटी का स्टेक हो.

सरकार के कदम से चिंता में आईं एमेजौन, फ्लिपकार्ट और दूसरी औनलाइन मार्केटप्लेस अब सरकार से यह गुहार लगाने की सोच रही हैं कि ईकौमर्स के लिए एफडीआई नियमों में हालिया बदलाव पहली फरवरी से न लागू किए जाएं. कंपनियों की ऐसी प्लानिंग के बारे में एक ईकौमर्स कंपनी से जुड़े एक एग्जीक्यूटिव का कहना है कि इतने कम समय में बिजनेस मौडल बदलना आसान नहीं है, लिहाज़ा डेडलाइन खिसकाई जाए.

दरअसल, कंपनियों को सरकार के बदले नियमों का विस्तार से अद्ध्य्यन करना है. नियमों के मुताबिक़, कंपनियों के अपने बिजनेस तरीके में बड़े बदलाव करने पड़ सकते हैं, जिस के लिए सिर्फ एक महीने का समय काफी कम है.

इस बीच, फ्लिपकार्ट ने कहा है कि वह भारतीय बाज़ार के लिए प्रतिबद्ध है कि मार्केट आधारित फ्रेमवर्क बनाना महत्त्वपूर्ण है. उस ने उम्मीद यह भी ज़ाहिर की कि वह निष्पक्ष और ग्रोथ बढ़ाने वाली ऐसी नीतियों को बढ़ावा देने के लिए सारकार के साथ मिल कार काम करने को तैयार है जिन से यह नया सेक्टर यानी ईकौमर्स विकास करता रहे.

मटर पुलाव

सामग्री:

– 2 कप बासमती चावल (धुलकर एक घंटा भीगे हुए)

– 2 टेबल स्पून घी

– 1 टेबल स्पून जीरा

– 1 टेबल स्पून अदरक

– 2 कप मटर

– 2 टी स्पून धनिया पाउडर

– 1 टी स्पून गरम मसाला

– नमक (स्वादानुसार)

– 1 टी स्पून हल्दी

– पानी(आवश्यकतानुसार)

मटर पुलाव बनाने की वि​धि

– सबसे पहले एक पैन में घी गर्म करके इसमें अदरक और जीरा डालें.

– फिर जब अदरक ब्राउन हो जाए तब इसमें मटर, चावल, नमक, हल्दी और गरम मसाला डालकर अच्छे से मिला लें.

– इसे बिना ढके पकाएं.

– फिर चार कप पानी डालकर इसमें उबाल आने दें.

– अब आंच को धीमी करके ढककर पकाएं.

– आपके चावल 10 मिनट के अंदर पककर तैयार हो जाएंगे.

– अंत में गर्मागर्म सर्व करें.

पहली बार यात्रा करते समय न करें ये गलतियां

यात्रा का शौक पूरा करने के साथ-साथ स्मार्ट यात्री बनना भी जरूरी है. ये बात किस हद तक सही है इसका अंदाजा आपको एक-दो ट्रिप करने के बाद ही पता चलता है. पहली ट्रिप के दौरान ऐसी बहुत सारी गलतियां होती है जो आमतौर पर लोग करते ही हैं. लेकिन अगर आप एक स्मार्ट ट्रैवलर बनना चाहती हैं तो कुछ चीज़ों को जान लेना जरूरी है, जो आपके बहुत काम आएंगे.

हर जगह ट्रैवल एजेंट की नहीं होती जरूरत

बेशक ट्रैवल गाइड आपको उस जगह के बारे में पूरी जानकारी देते हैं लेकिन अगर आप इत्मीनान से घूमने का मजा लेना चाहती हैं तो हर जगह ट्रैवल एजेंट लेना परहेज करें. ऐसा इसलिए क्योंकि वो कई सारी जगहों के बारे में पूरी डिटेल्स दिए बिना जल्दी-जल्दी जगहों को कवर करने के बारे में सोचते हैं. इसके कारण आप इन्जौय भी नहीं कर पाएंगी.

ओवर बुकिंग करने से बचें

पहली बार यात्रा के दौरान ज्यादातर लोग हर एक चीज़ की पहले से बुकिंग कराने लगते हैं. होटल से लेकर ब्रेकफास्ट, लंच, डिनर और कैब की पहले से बुकिंग कई बार महंगी डील साबित होती है. सीज़न से अलग अगर आप किसी ट्रैवल डेस्टिनेशन पर जाती हैं तो औनलाइन के मुकाबले चीज़ें काफी सस्ती और आसानी से मिल जाती हैं. तो इस हिसाब से अपनी प्लानिंग करें.

स्थानीय लोगों से डरने की नहीं जरूरत

बहुत सारी घटनाओं के बारे में सुनकर और देखकर आपको ऐसा लगता होगा कि दूसरे देशों में किसी भी अंजान लोग से बात करना सुरक्षित नहीं तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं. क्योंकि स्थानीय लोगों से आप कई सारी चीज़ों के बारे में खुलकर पूछ सकती हैं जैसे- ठहरने के लिए सस्ती जगह और खाने के लिए टेस्टी फूड्स आदि.

बजट बनाकर चलना रहेगा बेहतर

बेशक ट्रिप प्लान करते समय आप पहले से हर एक चीज़ की प्लानिंग कर लेते होंगे, लेकिन फिर भी एक्स्ट्रा पैसे अपने पास जरूर रखें. कई बार कुछ चीज़ों के कीमत का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं होता ऐसे में पैसे पास न होने पर प्रौब्लम हो सकती है.

बहुत ज्यादा पैकिंग

पहली बार ट्रिप पर जा रही हैं तो जितना हो सके कम पैकिंग करके जाएं जिससे भागदौड़ करने में परेशानी न हो. कपड़ें हो, फुटवेयर्स या फिर एक्सेसरीज़, इनकी पैकिंग दिन के हिसाब से नहीं, बल्कि जरूरत के हिसाब से करें.

पति से ज्यादा कमाने वाली महिलाओं को रहता है डिप्रेशन का खतरा

आजकल जैसी लोगों की जरूरतें हो गई हैं, पति पत्नी दोनों का कमाना बेहद जरूरी हो गया है. खासकर के शहरी रहनसहन में तो ये और ज्यादा जरूरी है कि पति पत्नी दोनों काम करें. महिलाओं के कामकाज को ले कर एक रिपोर्ट आई है जिसके मुताबिक पति से ज्यादा कमाने वाली महिलाओं में डिप्रेशन का खतरा होता है.

ये रिपोर्ट अमेरिका की यूनिवर्सिटी औफ इलिऔइस में हुए एक शोध से सामने आई. शोधकर्ताओं के अनुसार परिवार को सबसे ज्यादा वित्तीय मदद कौन कर रहा है और इसका उनके मनोविज्ञान पर भी असर होता है.

अध्ययन में पाया गया कि अपने परिवार के दूसरे सदस्यों के मुकाबले महिलाओं की आय जैसे जैसे बढ़ती है, उनमें डिप्रेशन का खतरा बढ़ने लगता है. वहीं दूसरी ओर ये बात भी सामने आई कि पुरुषों में जैसे जैसे आय की बढ़ोत्तरी होती है, उनका जीवन स्तर सुधरता है और मानसिक सेहत पर भी इसका सकारात्मक असर होता है. अमेरिका में हुए इस अध्ययन में 1463 पुरुष और 1769 महिलाओं को शामिल किया गया था. उनके मनोविज्ञान और मानसिक सेहत की जांच की गई.

अध्ययन की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जब एक महिला अपने बच्चों की देखभाल के लिए छुट्टी ले कर घर पर रहती है तो उसके मानसिक सेहत पर किसी प्रकार का नकारात्मक बदलाव देखने को नहीं मिलता. इसके विपरीत जब पुरुषों को घर में रहना होता है तो उनकी मानसिक सेहत नकारात्मक तौर पर प्रभावित होती है.

शोधकर्ताओं ने कहा कि अध्ययन के दौरान महिलाओं और पुरुषों में नौकरी और घर की जिम्मेदारियों और उनकी वजह से होने वाले अवसाद में अंतर नजर आया.

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