अनन्या पांडे संग अफेयर की खबरों पर खुलकर बोले कार्तिक आर्यन

‘सोनू के टीटू की स्वीटी’ से बंपर कामयाबी का स्वाद ले रहे अभिनेता कार्त‍िक आर्यन इन दिनों चंकी पांडे की बेटी अनन्या पांडे के काफी करीब दिख रहे हैं. हाल ही में अनन्या पांडे और कार्तिक आर्यन को एक साथ रेस्तरां से निकलते हुए स्पाट किया गया था. दोनों के रिश्ते का सच क्या है, इस पर पहली बार कार्त‍िक आर्यन ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.

‘हीरो तुम ही हो कल के’ में बतौर गेस्ट शामिल हुए कार्त‍िक आर्यन ने अनन्या पांडे संग डेटिंग का सच बताया. कार्त‍िक ने कहा, अभी क्या होता है, हम लोग डिनर करने लंच करने भी जाते हैं तो लोग बोलने लगते हैं कि डेट कर रहे हैं. ऐसा नहीं है. हम लोग बस दोस्त हैं. बस एक डिनर करने जाने को अफेयर लिखना सही नहीं है.

जब कार्त‍िक से पूछा गया कि आजकल एक्टर अपने रिलेशनशिप को छुपाते हैं और बाद में अचानक शादी कर लेते हैं तो इसपर आप क्या कहेंगे. कार्त‍िक ने कहा, कई बार ये होता है कि आप एक सवाल का जवाब देते हैं तो उससे दूसरा सवाल पैदा होता है फिर तीसरा सवाल पैदा होता है. तो चुप रहना ज्यादा बेहतर है.

कार्त‍िक ने बताया कि वो शाहरुख के बहुत बड़े फैन हैं. हाल ही में मुलाकात को दौरान शाहरुख ने बताया कि उन्होंने सोनू के टीटू की स्वीटी देखी. उन्होंने मेरे काम और फिल्म की तारीफ की. उस समय मैं स्पीचलेस था. वो सही मायने में हमारी इंडस्ट्री के बादशाह हैं.

एक्टर ने बताया, ये समय अमेजिंग है. हालांकि सफलता पाने में मुझे काफी टाइम लग गया. मैंने बहुत अप्स एंड डाउन देखे हैं. मेरी जिंदगी को बदलकर रख देने वाला अनुभव सोनू के टीटू की स्वीटी के साथ रहा. बहुत सारी चीजें इस साल बदल गई है. मैंने जैसा सोचा था अब वैसा हो रहा है. अब जाकर मैं अपने ड्रीम को जी रहा हूं.

गोवर्धन परिक्रमा : दान न भिक्षा, बस लूट ही लूट

कुछ दिन पहले अचानक बाजार में तुलारामजी से भेंट हो गई तो वे बोले, ‘‘आप का भाग्य बहुत अच्छा है, तभी तो आप यहां मिल गईं. लीजिए, गोवर्धन का प्रसाद. सच मानिए, जिस ने भी यह प्रसाद पाया है उस के कष्ट दूर हुए हैं, इच्छा पूर्ण हुई है. एक बार आप गोवर्धन जा कर देखिए, उस स्थान की महिमा देखिए,’’ कहते हुए उन्होंने मेरे हाथ में प्रसाद के रूप में पेड़ा और मिस्री दे दी.

मेरे चेहरे पर अविश्वास के भाव पढ़ कर वे कुछ तल्खी से बोले, ‘‘जो हजारोंलाखों लोग वहां जाते हैं, वे क्या मूर्ख हैं? कुछ पाते हैं, तभी तो जाते हैं. चमत्कार को नमस्कार होता है.’’

बात आईगई हो गई. कुछ समय के बाद किसी कार्य को ले कर मेरा गोवर्धन जाना हुआ और वहां की भीड़भाड़ को देख कर मुझे अनायास तुलाराम की बात याद आ गई. कार्य समाप्त होने पर मेरे मन में उस स्थान की सही जानकारी लेने की जिज्ञासा हुई. वहां घूमफिर कर जो कुछ मैं ने देखा वही बातें मैं अपने पाठकों को शेयर कर रही हूं.

अभी घूमने का कार्य- क्रम शुरू ही किया था कि मेरे कानों में किसी की क्रोधयुक्त आवाज आई, ‘‘ऐ मैडम, आप जूते पहन कर इस पवित्र स्थल को अपवित्र क्यों कर रही हैं? अगर श्रद्धा नहीं थी तो आप यहां आई ही क्यों? पता नहीं क्यों, संस्कारों का तो लोगों ने जनाजा ही निकाल दिया.’’

इस टिप्पणी पर मुझे उस व्यक्ति पर क्रोध भी आया और उस की सोच पर तरस भी. खैर, आगे बढ़ने पर मैं ने देखा कि बड़ी संख्या में वहां बैठे भिखारी अलग- अलग तरीके से भीख मांगते हुए दान देने वाले को दुआएं दे रहे थे, ‘आप का बेटा जिए’, ‘सुहाग अमर रहे’, ‘तरक्की होवे’, ‘बस, 1 रुपए का सवाल है. परिक्रमा करने आए हो तो दान भी करते जाओ बाबू.’

ऐसे में व्यक्ति की मानसिकता होती है कि चलो, 1 रुपए में ढेर सारी दुआएं मिल रही हैं तो सौदा महंगा नहीं है.

यहां आने वालों को घर से सिक्के लाने की जरूरत नहीं पड़ती, क्योंकि परिक्रमा की राह पर 1 रुपए के सिक्के की पोटली बना कर बेचते हैं, जिस में 20 या 25 सिक्के होते हैं. वे लोग अपना कमीशन काटना नहीं भूलते पर वहां जाने वाले लोगों को यह बड़ा सुविधा- जनक कार्य लगता है.

वहीं राह में एक और दृश्य देखा जिसे देख कर मन में सिहरन उठना साधारण सी बात है. अपंग तथा कोढि़यों की जमात लेटीबैठी थी. किसी के पैरों पर घाव ही घाव नजर आ रहे थे. उन की दर्द भरी आवाजें, कराहटें मन को विचलित करने के लिए काफी थीं. शायद ये लोगों के मन को द्रवित करने का तरीका था, क्योंकि ध्यान देने पर समझ में आया कि सब की मरहमपट्टी एक सी थी. सब पर कुछ लाल रंग का लेप व चमक थी, जैसे कि ताजे घाव की होती है.

कुछ कहना व्यर्थ सा तो लगता है पर मन में शंका अवश्य हुई कि ये सारे घाव एक से कैसे? और अगर ये सच में ही गलित कोढ़ के मरीज हैं, जोकि अति संक्रामक होता है, तब यह कटु सत्य होगा कि वहां जाने वालों के लिए तथा आसपास रहने वालों के लिए खतरनाक हो सकता है, क्योंकि जो 1 रुपए के सिक्के जनता उन पर लुटाती है वही वापस चलन में आते हैं. यह संक्रमण बढ़ाने का एक जरिया ही तो है.

दूसरे छोर पर कुछ साधु बड़ीबड़ी जटाएं फैलाए नंगे बदन, शरीर पर राख का लेप लगाए, ठिठुरती सर्दी में आंखें बंद किए, हाथ में मोटीमोटी मालाएं फिराते हुए बैठे थे, उन हट्टेकट्टे साधुओं की उम्र 40-50 के बीच थी और उन के कटोरे लगातार सिक्कों से भर रहे थे.

कुछ और आगे बढ़ते ही कानों में आवाज आई, ‘‘गिरिराज महाराज पर दूध चढ़ाओ और पापों से मुक्ति पाओ. हर मनोकामना पूर्ण होगी.’’ लोग बालटी में दूध भर कर, वहीं एक पर्वत शिला पर उसे चढ़ा रहे थे. इसे दूध न कह कर, सफेद पानी कहना ही उचित होगा. दुकानदार से पूछने पर ज्ञात हुआ कि यह दूध मात्र 16 रुपए लिटर था. यह व्यापार खूब मजे से चल रहा था. और हां, मजे की बात यह थी कि दूध चढ़ाने के लिए भी आपाधापी मची हुई थी, क्योंकि उस दिन पूर्णमासी थी.

यहां पर अपंग भिखारी व साधु बने लोगों के अलावा छोटी उम्र के लड़केलड़कियां भी श्रद्धालुओं के पीछे लगे दान के रूप में 1 रुपए की मांग कर रहे थे. 20-22 साल की हट्टीकट्टी युवतियां गोद में नंगा बच्चा उठाए भीख देने के लिए मनुहार कर रही थीं जबकि उन के कपड़े काफी अच्छे थे.

आलम यह था कि जिसे देखो, वही हाथ फैलाए खड़ा था या पीछेपीछे आ रहा था. यह सब देख कर मन अत्यंत क्षुब्ध हुआ और हिंदू धर्म की इस दान प्रवृत्ति का प्रतिकूल प्रभाव समाज पर पड़ रहा है, वह साफ दिख रहा था. जो बच्चे स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करते दिखने चाहिए थे वे भिक्षावृत्ति सीख रहे थे. चूंकि एक दिन में उन के पास 100-150 रुपए जमा हो जाते होंगे तथा पर्व और त्योहारों पर तो इस की मात्रा और बढ़ जाती होगी, इसीलिए यह एक सहज तरीका, व्यवसाय बन रहा है.

यह तो रही धार्मिक स्थल की बात, जहां दानपुण्य के नाम पर भिक्षा, लूट बढ़ रही है. साथ ही मुफ्त में बिना परिश्रम के जेब भरने और जीवन अकर्मण्यता के साथ व्यतीत करने की आदत पनप रही है.

हम लोगोें को बचपन से ही धर्मभीरु बनाया जाता है. इसी डर को आधार बना कर पंडेपुजारी, धर्म के ठेकेदार, पापपुण्य को सीढ़ी बना कर, दान के नाम पर जनता को लूटते रहते हैं और जनता अपनी इच्छा से, खुशी से लुट कर स्वयं को धन्य मानती रहती है.

ऐसे अनेक अवसर जैसे, जन्म, मृत्यु, श्राद्ध, ग्रहण के समय ऐसे नियम बनाए गए हैं जहां दानदक्षिणा देना बहुत आवश्यक बताया गया है. जैसे कि मृत्यु के बाद मृतक के लिए शैयादान कर के कर्तव्य की पूर्ति मानी जाती है. आत्मा को तृप्त किया जाता है. अब यह कौन जानता है कि इस शैयादान या श्राद्ध का सामान व भोजन मृतक तक पहुंचता भी है या नहीं? और पहुंचता है तो कैसे?

ग्रहण की बात करें तो यह एक भौगोलिक प्रक्रिया है, लेकिन पंडितों ने इसे एक आपदा के रूप में प्रस्तुत किया है. साथ ही वे इस के अनेक दुष्प्रभाव बता कर इन से बचने के लिए अनेक तरह की दानदक्षिणा पर जोर देते हैं. नतीजतन उन की जेब भरने का एक और साधन.

यह अफसोस है कि अशिक्षित तो अशिक्षित, शिक्षित भी इस भेड़चाल में शामिल हैं. छोटीछोटी परेशानियों पर भी (जोकि थोड़े से प्रयास या प्रतीक्षा से सुलझ सकती हैं) लोग पंडेपुजारियों की शरण में चले जाते हैं और उन के द्वारा लुट कर निश्ंिचत हो जाते हैं. चाहे काम बने या नहीं. काम बना तो उन की कृपा, न बना तो भाग्य की कमी.

अफसोस की बात है कि आज वैज्ञानिक युग में भी इस प्रकार के कुविचारों को बढ़ावा मिल रहा है. आवश्यकता है कि हमारे बुद्धिजीवी आगे आएं और कानून द्वारा पंडितों, पुजारियों, ज्योतिषियों और मीडिया द्वारा फैलाए जा रहे इस दुष्प्रचार पर रोक लगाएं जिस से आम जनता और भ्रमित न हो. हर पहलू को वैज्ञानिक तर्क पर तोला जाए, सचाई को परखा जाए. हमारा संविधान भी सरकार को यही आदेश देता है पर यहां तो सरकारें तीर्थयात्राएं आयोजित करने में लगी हैं. लगता है सरकार को भी अपनी रोजगार नीति के बजाय इस तरह की ठगी की कमाई पर ही ज्यादा भरोसा है. अगर ऐसा न होता तो गोवर्धन जैसी यात्राओं के नाम पर जनता को लूट कर अपनी जेबें भरने के धंधे क्यों फलफूल रहे होते.

गुम हो जाए डेबिट कार्ड तो ऐसे पाएं वापस

एटीएम कार्ड अब लोगों के लिए बेहद जरूरी चीज बन चुकी है. इससे कहीं भी, कभी भी कैश निकालने की सुविधा ने इसकी अनिवार्यता और बढ़ा दी है. पर अक्सर लोगों का ये कार्ड कहीं गुम हो जाता है, खो जाता है. ऐसे में उनके लिए काफी मुश्किलें खड़ी हो जाती हैं. ज्यादातर लोगों को पता नहीं होता कि इस सूरत में करना क्या चाहिए. अगर आप स्टेट बैंक औफ इंडिया की ग्राहक हैं तो ये खबर आपके लिए है. अगर आपका डेबिट कार्ड कहीं गुम हो जाए तो परेशान ना हों, इस खबर में बताए गए उपायों से आप अपना पैसा सुरक्षित कर सकती हैं.

ऐसे करें कार्ड ब्लौक

कार्ड खोने की सूरत में सबसे पहला काम जो आपको करना चाहिए वो है कार्ड को ब्लौक करवाना. इससे आपका पैसा सुरक्षित हो जाएगा. कोई चाह कर भी आपके कार्ड को एक्सेस नहीं कर सकेगा. कार्ड को ब्लौक करवाने के लिए आप 1800112211, 18004253800 पर कौल कर सकती हैं.
इसके अलावा आप इंटरनेट बैंकिंग, एसएमएस द्वारा या मोबाइल बैंकिंग का इस्तेमाल कर के भी कार्ड ब्लौक कर सकती हैं. इसकी सूचना आपके रजिस्टर्ड नंबर पर आ जाएगी.

वापस कैसे पाएं एसबीआई डेबिट कार्ड

हाल ही में एसबीआई ने ‘एसबीआई कार्ड’ ऐप लौंच किया है. इसकी मदद से आप डेबिट कार्ड के लिए दोबारा रिक्वेस्ट कर सकती हैं. इसके लिए ऐप के मेन्यू टैब के लेफ्ट में सर्विस रिक्वेस्ट पर टैप करें. यहां रीइश्यु या रीप्लेस कार्ड का विकल्प का चुनाव करें और कार्ड नंबर के साथ सब्मिट करें. नेट बैंकिंग और योनो ऐप के जरिए भी आप दोबारा कार्ड के लिए अप्लाइ कर सकती हैं.

इसके अलावा नजदीकी शाखा में जा कर भी आप कार्ड के लिए आवेदन कर सकती हैं. वहां जा कर आपको अपने खोए हुए कार्ड की जानकारी देनी होगी. इसके बाद आपको कुछ कागजी प्रक्रिया पूरी करनी होगी. इसके बाद बैंक आपको नया कार्ड की रिक्वेस्ट जमा कर लेगी. कुछ दिनों में आपके स्थाई पते पर नया डेबिट कार्ड पहुंच जाएगा.

हिंसक महात्माओं से बचें

वर्ष 2010में घटित 2 घटनाओं से देश भर के लोग चौंक गए थे. ये दोनों घटनाएं हमारे देश के 2 बड़े महात्माओं से जुड़ी हुई हैं. पहला वाकया है कृपालु महाराजजी के एक आश्रम का. वैसे कृपालु महाराजजी किस पर अपनी कृपा लुटाते हैं यह तो पता नहीं लेकिन इन के बारे में ऐसी खबरें अखबारों में छपती रहती हैं कि इन के कई आश्रमों में आमजन की हड़पी हुई जमीन शामिल है. यही नहीं, इन पर दूसरे संगीन आरोप भी लगते रहते हैं.

बहरहाल, आज राजनेताओं की तरह महात्मा भी काफी बेशर्म हो चुके हैं. आरोपों का इन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. ये तो ‘राम नाम जपना पराया माल अपना’ को अपने जीवन में उतार चुके हैं. हमें तो अध्यात्म के मार्ग पर चलने का संदेश देते हैं और खुद उस पर चलना नहीं चाहते.

4 मार्च, 2010 को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के पनगढ़ गांव में कृपालु महाराज के एक आश्रम ‘भक्तिधाम’ के वार्षिक समारोह में यहां के गरीब लोगों को खाना, कंबल, बरतन और नकद पैसा बांटा जाना था. गरीब लोग मुफ्त का सामान पाने के लिए एकदम से झपट पड़े. भगदड़ मच गई और नतीजा यह हुआ कि देखतेदेखते 63 लोग मौत के मुंह में समा गए. मरने वालों में 37 बच्चे और 26 महिलाएं थीं.

एक प्रवचन का अंश

साधुमहात्माओं से समाज को कोई सही प्रेरणा मिलती है, ऐसा कतई नहीं है. फिर भी कृपालु महाराज की यह उपलब्धि तो है कि इन के शिष्यों में वकील, पत्रकार, न्यायाधीश, उद्योगपति आदि सभी तबके के लोग हैं. और इस की एक वजह है कि कृपालु महाराज तोतारटंत में काफी प्रवीण हैं. वेदों की ऋचाएं, शास्त्रों के श्लोक, पुराणों की कहानियां, रामायण की चौपाइयां उन्हें याद हैं. लोगों को प्रभावित करने के लिए यह कला काफी है. कृपालु महाराज के प्रवचन का एक अंश ही उन के चरित्र को समझने के लिए काफी होना चाहिए.

प्रसंग था कि कृष्ण का जन्म जेल में क्यों हुआ. इस पर कृपालु कह रहे थे कि कृष्ण का जन्म जेल में होना हमारे लिए एक प्रतीक है. दरअसल जेल हमारे पापों का प्रायश्चित्त स्थल है. वहां पर पाई सजा का प्रायश्चित्त करते हैं तो हमारा एक नया जन्म होता है. वे कह रहे थे कि वेद में कहा गया है, ‘‘मनुर्भव’’ अर्थात मनुष्य बनो. वसुदेवदेवकी ने जेल में अपने 8 बच्चों को जन्म दिया. इसलिए यदि हमें भी जेल जाना पड़ जाए तो उसे सहज स्वीकार करें और इसे ईश्वर की इच्छा मान कर हमें अपने पापों का शमन करना चाहिए.

कृपालु महाराजजी की इस व्याख्या का अर्थ निश्चित ही यह माना जाएगा कि यह एक आध्यात्मिक विश्लेषण है. लेकिन 4 मार्च को जितने भी बेगुनाह लोग मारे गए या घायल हुए इस के लिए कृपालु महाराज सीधेसीधे जिम्मेदार हैं.

कायदे से होना तो यह चाहिए था कि कृपालु महाराज इन मौतों का अपराध अपने ऊपर लेते और जेल जाने का नैतिक साहस दिखाते. लेकिन इस हादसे पर उन की प्रतिक्रिया उन्हें एक धूर्त आदमी सिद्ध करती है. उन का कहना था कि आश्रम की तरफ से किसी को निमंत्रण नहीं भेजा गया था. लोग खुद ही भंडारे में आए थे. जाहिर है गरीबों को प्रलोभन और अव्यवस्था का शिकार बना कर वे इस हादसे को ईश्वर पर थोप कर खुद साफ बच निकले हैं.

यहां हम एक और घटना का जिक्र करते हैं. यह घटना आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर के साथ घटित हुई थी. 30 मई की शाम को रविशंकर अपना सत्संग समाप्त कर के अपने आश्रम की तरफ जा रहे थे. जैसे ही वे जीप में बैठे कि किसी ने बंदूक से उन की तरफ गोली दाग दी. संयोग से वह गोली उन्हें न लग कर साथ चल रहे उन के एक शिष्य को जा लगी. वह मामूली घायल हो गया. इस घटना पर रविशंकरजी बुरी तरह बिफर पड़े थे और कहने लगे कि यह तो ईश्वर की कृपा रही कि गोली उन्हें नहीं लगी. वे मीडिया से यही कहते रहे कि पुलिस अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती. उसे मामले की पूरी जांच करनी चाहिए.

कुछ दिनों बाद पुलिस जांच में यह बात साफ हो गई कि पास के एक फार्म हाउस के मालिक ने आवारा कुत्तों को भगाने के लिए गोलियां चलाई थीं. उन में से एक गोली रविशंकरजी की तरफ चल पड़ी.

इन के उपदेश

श्रीश्री रविशंकरजी महाराज ‘आर्ट औफ लिविंग’ के संस्थापक हैं. आप आदमी को अध्यात्म के द्वारा किस तरह जीना चाहिए, यह सिखाते हैं. देशविदेश में हजारों की संख्या में इन के शिष्य हैं. अपने सत्संग में यह लोगों को उन की परेशानियों से भरे प्रश्नों का उत्तर भी देते हैं. यही तो उन की जीने की कला अर्थात ‘आर्ट औफ लिविंग’ है. ऐसे ही कुछ प्रश्नों के उत्तरों पर यहां गौर करें :

पीडि़त : श्रीश्री जी, मेरे घर में चोरी हो गई थी. काफी कीमती सामान चला गया. पुलिस ने भी रिपोर्ट दर्ज नहीं की है.

रविशंकर : संसार का कोई भी सामान कीमती नहीं होता. कीमती तो हमारी आत्मा है और सब से कीमती है परमात्मा. न्याय की आशा पुलिस से नहीं परमात्मा से करनी चाहिए.

पीडि़त : कोई हमारा अपमान करे, हमें दुख पहुंचाए तो श्रीश्रीजी हम क्या करें?

रविशंकर : परमात्मा का शुक्रिया अदा करें. अपमान सहने से हमारा अभिमान पिघलता है. अभिमान पिघलेगा तो परमात्मा हमारे करीब आएगा. किसी भी तरह का दुख या संकट आने पर हमें अपने कार्यों का चिंतन करना चाहिए.

रविशंकर के इन आध्यात्मिक समाधानों पर हम गौर करें तो सहज ही पाएंगे कि ‘आर्ट औफ लिविंग’ के नाम पर वे आम आदमी की जिंदगी का मजाक ही उड़ाते हैं. वे लोगों से कहते हैं कि न्याय की आशा पुलिस से नहीं परमात्मा से करें. और खुद पुलिस से जांच की जिद करते रहते हैं. लोगों से कहते हैं कि मृत्यु निश्चित है और खुद इस बात से परेशान हो जाते हैं कि अगर गोली उन को लग जाती तो क्या होता.

गोली चलने की इस घटना के साथ रविशंकरजी का कूटनीतिक चरित्र भी हमारे सामने आया. एक तरफ तो अज्ञात हमलावर के खिलाफ थाने में मुकदमा पंजीकृत हुआ और रविशंकर खुद पुलिस जांच की मांग करते रहे. दूसरी तरफ रविशंकर यह बयान भी देते रहे कि मैं ने हमलावर को माफ कर दिया है. वह मेरे सत्संग में आए मैं उसे सुदर्शन क्रिया और मैडिटेशन सिखाऊंगा, ताकि उस का हिंसक चित्त अहिंसक हो सके.

हिंसक परमात्मा

हमारी अपनी समझ में वे सभी साधुमहात्मा हिंसक हैं जो अपने उपदेशों से लोगों के जीवन को आहत करते हैं. हिंसा का अर्थ किसी की हत्या कर देने से नहीं होता है. हमारा हर वह कार्य हिंसा के दायरे में आता है, जो जानेअनजाने लोगों को दुखी करता है. आज अगर समाज के ज्यादातर लोग हताश, निराश और परेशान हैं तो इस में हमारे साधुमहात्माओं का भी बहुत बड़ा योगदान है. यहां समझने वाली बात यह है कि हमें अपनी परेशानियां अपने ढंग से ही दूर करनी होंगी. परमात्मा जिस का कोई वजूद नहीं हमारी परेशानियों को दूर करने के लिए वह भी नहीं आने वाला. अगर इनसान की परेशानियां परमात्मा ही दूर कर देता तो लाखोंकरोड़ों लोग इतने परेशानहाल न होते.

यह कितनी विचित्र बात है कि उपदेशक साधुसंत खुद तो आलीशान जीवन जीते हैं लेकिन आम आदमी को ये उपदेश यही देते हैं कि धन में सुख नहीं है. अगर तुम धन से प्यार करोगे तो परमात्मा नहीं मिलेगा. मोक्ष को जीवन का परम लक्ष्य बताने वाले महात्माओं की वजह से आम आदमी ने गरीबी में मजा लेने की आदत डाल ली है.

अपने घरमकान की देखभाल करने पर भी हमारे महात्माओं को ऐतराज है. वे कहते हैं कि क्यों व्यर्थ ही घरमकान की चिंता करते हो. यह सब तो यहीं छूट जाना है, साथ कुछ नहीं जाएगा. लेकिन अपना आश्रम बनाने के लिए ये महात्मा सरकार या आप लोगों की जमीन भी घेर लेते हैं. जिन आचरणों पर महात्मा खुद नहीं जी पाते उन आचरणों पर लोगों को जीने के लिए प्रेरित करना हमारी समझ में हिंसा से भरा कार्य है.

संसार असत्य है. यह जगत एक धर्मशाला की तरह है. हमारे बेटाबेटी पूर्व जन्म के हमारे कर्जदाता हैं, जो अपना कर्ज वसूलने आए हैं. निष्काम कर्म का फंडा भी हिंसक विचार हैं. इन विचारों की वजह से समाज में परस्पर हिंसा फैलती है. परिवारों में कलह रहती है. जब बेटाबेटी और मांबाप कर्जदाता और कर्जदार ही समझे जाएंगे तो इन के बीच प्रेम पनपेगा भी कैसे? महात्माओं के निष्काम कर्म के उपदेश ने आम आदमी को कर्महीन और आलसी बना दिया है. नकारात्मक सोच की वजह से अकर्मण्यता और आलस्य का विस्तार नहीं होगा तो और क्या होगा?

चीन की अनूठी विरासत बीजिंग और शंघाई

चीन सिर्फ दुनियाभर में इलैक्ट्रौनिक सामान के लिए ही नहीं बल्कि पर्यटन के शानदार ठिकानों के लिए भी मशहूर है. चाहे वह बीजिंग हो या फिर शंघाई, यहां के अद्भुत नजारों को देख कर आप का मन गद्गद हो उठेगा.

बीजिंग

चीन की राजधानी होने के साथ बीजिंग ऐसा शहर है जहां विश्व के 7 अजूबों में ‘चीन की दीवार’ यानी ग्रेट वाल औफ चाइना तो देखी ही जा सकती है. कई प्राचीन राजाओं व राजवंशों की ऐतिहासिक इमारतें, किले व स्मारक भी देखे जा सकते हैं. चीन की भव्य प्राचीन सभ्यता, चाहे वह किसी भी राजवंश युआन, मिंग या किंग राजवंश से जुड़ी हो, यहां की भव्य ऐतिहासिक इमारतों में देखी जा सकती है.

बीजिंग में विश्व का सब से बड़ा केंद्रीय स्क्वायर है. यहां विश्व के अन्य बड़े महानगरों की भांति बहुमंजिली इमारतें, फैशनेबल लोग, भारी ट्रैफिक, बडे़बड़े शौपिंग मौल व व्यापारिक प्रतिष्ठान भी हैं. दर्शनीय स्थलों में मुख्य रूप से सभी स्थल प्राचीन व ऐतिहासिक ही हैं.

भाषा व मुद्रा : यहां के लोगों की आपसी भाषा चीनी ही है. गिनेचुने लोग ही अंगरेजी जानते हैं. आप की बात किसी भी दुकानदार या व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए आप की मदद लोकल टूर गाइड ही कर सकता है. यहां की मुद्रा युआन है जो भारतीय रुपए के हिसाब से अभी लगभग 9 रुपए है. बीजिंग एअरपोर्ट पर ही मुद्रा बदल लेना बेहतर होगा.

दर्शनीय स्थल

चीन की दीवार : बीजिंग का मुख्य आकर्षण है चीन की दीवार. विश्व के 7 आश्चर्यों में से एक यह प्रसिद्ध दीवार, जो 4163 मील लंबी तथा लगभग 15 फुट चौड़ी है, विश्वभर के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है. मुझे भी चीन की दीवार का यही आकर्षण बीजिंग खींच लाया. यह 2 हजार वर्ष पुरानी है जो चीन की दूसरे देशों के आक्रमण से रक्षा करती है. चीन की दीवार के दूसरी ओर मंगोलिया है. कहा जा सकता है कि यह चीन की प्राचीन सभ्यता की खूबसूरत निशानी है.

वास्तव में जमीन पर बनी यह मात्र एक सीधी दीवार नहीं है, बल्कि पहाड़ी व जंगली इलाकों को पार करती हुई ऊंचीनीची दीवार है जिस के दोनों ओर मुंडेर बनी है. सुना था कि यह मोटर चलने लायक चौड़ी सड़क की भांति है. यह चौड़ी तो अवश्य है परंतु हर 20-30-50 गज की दूरी पर बनी सीढ़ियां पर्यटकों को जल्दी ही थका देती हैं. यहां मोटर या कोई अन्य वाहन जाना संभव ही नहीं क्योंकि बीजिंग में यह कमरेनुमा भाग से शुरू होती है, जहां सीढ़ियां ही सीढ़ियां हैं. सड़क के दोनों ओर मुंडेर बनी होने से गिरने का खतरा नहीं रहता. परंतु पूरी सड़क पर पहाड़ी जैसी ढलान होने के कारण मात्र 1-2 किलोमीटर तक ही पर्यटक मुश्किल से जा पाते हैं. मैं मुश्किल से 1 किलोमीटर ही जा सकी. सीढ़ियां एकदम ऊंची व खड़ी हैं.

हां, ऊपर जाने के बाद चारों तरफ निगाहें दौड़ाने पर दूरदूर तक पहाड़ों व पेड़ों के बीच दीवार दिखाई देती है. यह हो सकता है कि प्राचीन काल में युद्ध के घोड़े इस ऊंची-नीची दीवार पर चढ़ते व दौड़ते रहे हों.

मिंग टौंब : यह प्राचीन ऐतिहासिक स्थल है जहां मिंग राजवंश के 13 राजाओं की भव्य समाधियां हैं. चारों ओर घिरे पहाड़ व प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों का मिंग टौंब देखने का उत्साह दोगुना कर देते हैं.

समर पैलेस : शाहीबाग, पहाडि़यों व लेक से घिरा यह पैलेस पर्यटकों के आकर्षण का विशेष केंद्र है. यहां लगभग 3 हजार ऐसे ‘खूबसूरत प्राकृतिक स्थल’ हैं जहां आप फोटोग्राफी का आनंद उठा सकते हैं. पैलेस के बड़ेबड़े बरामदे, हौल, पवेलियन, हरेभरे बाग तथा साथ में विकसित की गई लेक दृश्यों को आकर्षक बनाते हैं.

टियानमेन स्क्वायर : यह विश्व का सब से बड़ा स्क्वायर यानी वर्गाकार जमीन का टुकड़ा है जो शहर के बीचोबीच वहां की संसद के चारों ओर बना है. इस का आकार 4 लाख वर्ग मीटर है. इस स्क्वायर में तरीके से लगी हरीभरी घास व पौधे इसे सुंदर पिकनिक स्थल होने जैसा आभास देते हैं. इस के चारों ओर महत्त्वपूर्ण इमारतें हैं.

पैलेस म्यूजियम : यह एक संग्रहालय है जिसे ‘फौरबिडन सिटी’ के नाम से जाना जाता है. 72 हैक्टेअर में फैले इस संग्रहालय के भीतर अनेक राजमहल कौंप्लैक्स हैं. बहुत बड़े भूखंड में फैले होने के कारण पर्यटक जहां सुंदर शाही महलों के भवनों का आनंद उठाते हैं वहीं बाहर निकलने तक वे काफी थक भी जाते हैं. यह विश्व का सब से बड़ा महलों का कौंप्लैक्स है.

कैसे पहुंचें

अनेक टूर कंपनियां चीन का 10 दिन का पैकेज बनाती हैं जिन में बीजिंग भी शामिल रहता है. इस पैकेज में आनेजाने व रहने का खर्च लगभग 1 लाख रुपए आता है. आप सीधे हवाई टिकट ले कर भी बीजिंग की सैर कर सकते हैं. यहां आनेजाने का किराया लगभग 35 से 40 हजार रुपए है.

चीन की चाय की चुस्की

बीजिंग जा कर चीन की चाय का आनंद अवश्य लें. यहां चाय के बड़ेबड़े शानदार शोरूम हैं, जहां एक कमरा विशेष रूप से चाय के स्वाद का अनुभव करने के लिए बना होता है.

यहां की अंग्रेजी भाषी खूबसूरत लड़कियां एक विशेष अंदाज में आप को 8 से 15 तरह की विभिन्न स्वाद व खुशबू वाली चाय का आस्वादन कराती हैं. छोटेछोटे कप में दी जाने वाली यह चाय बिना दूध व बिना चीनी के बनाई जाती है.

इस तरह बीजिंग के दर्शनीय स्थलों के साथ चाइना वाल की थकानभरी सैर करने के बाद चीनी चाय के स्वाद का लुत्फ थकान को स्वाहा कर पर्यटन की मस्ती को दोगुना बढ़ा देता है.

शंघाई

कई वर्षों से भारत में चर्चा सुनी थी कि मुंबई को शंघाई बनाएंगे तो मन में तमन्ना थी कि देखें आखिर शंघाई में क्या है? वाकई में गगनचुंबी डिजाइनर इमारतों से सजी और रात्रि में रोशनियों से जगमग चकाचौंध भरे शंघाई की खूबसूरती मन को भीतर तक आकृष्ट कर गई. चौड़ी सड़कें, बड़ीबड़ी भव्य इमारतें, डिजाइनर तरीके से किया गया सड़कों का सौंदर्यीकरण हर पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए काफी था. ऊपर से शाम होते ही ज्योंज्यों रात्रि का अंधकार अपना विस्तार करता गया, इमारतों से निकलने वाली डिजाइनर रोशनियां व लेजर किरणें शहर के सौंदर्य का चमत्कार बढ़ाती गईं. मन इतना मंत्रमुग्ध था कि उस खूबसूरती को निखारते रहने को जी चाहता था.

पूर्वी चीन में यांगजे नदी के किनारे बसा शंघाई चीन का सब से बड़ा शहर है. यों तो चीन की राजधानी बीजिंग है, परंतु चीन के अर्थतंत्र का आधार शंघाई ही है. शंघाई बंदरगाह विश्व के व्यस्ततम बंदरगाहों में से एक है. वर्ष 2005 में तो यह विश्व का सब से बड़ा ‘कार्गो पोर्ट’ ही बन गया. शंघाई दक्षिणपूर्वी देशों का सब से महत्त्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र बन चुका है.

किसी भी पर्यटक के लिए शंघाई में मुख्य रूप से 3 आकर्षण हैं – व्यापार, शौपिंग तथा दर्शनीय स्थल. शंघाई को ‘ओरिएंटल पैरिस’ के नाम से भी जाना जाता है. मौडर्न व फैशनेबल शौक रखने वालों के लिए नांजिंग रोड व हुआइहै रोड उपयुक्त हैं जबकि मध्यम प्रकार की खरीदारी के लिए सिचुआन नौर्थ रोड जाना चाहिए.

दर्शनीय स्थल

ओरिएंटल पर्ल टीवी टावर : यहां का यह टावर पर्यटकों का सब से प्रमुख आकर्षण है. इसे ‘फोटोग्राफिक ज्वैल’ का नाम दिया गया है यानी इसे कैमरे में कैद कर के फोटोग्राफी के शौकीन भरपूर संतुष्टि पा सकते हैं. पुडोंग पार्क में बना यह टावर यांगपू पुल से घिरा हुआ है. इस का दृश्य यों प्रतीत होता है कि जैसे 2 ड्रैगन मोतियों से खेल रहे हों.

468 मीटर ऊंचा यह टावर विश्व में तीसरा सब से ऊंचा टावर है. 3 खंभों पर खड़ा यह टावर रात की रोशनी में और भी अधिक आकर्षक हो उठता है. डबल डैकर एलीवेटर्स में इतनी ऊंचाई तक 7 मीटर प्रति सैकंड की गति से ऊपर जाते हैं. दर्शक 263.5 मीटर की ऊंचाई तक जाते हैं, जहां लगे आब्जर्वेटरी लेवल से पूरे शंघाई का सुंदर नजारा देखा जा सकता है.

टावर का भीतरी भाग अद्भुत मनोरंजक खजाने से भरा है. इस के पैडस्टल में शंघाई म्यूनिसिपल इतिहास संग्रहालय बना है. निम्न तल पर भविष्य का सुंदर अंतरिक्ष शहर व साइटसीइंग हौल है जहां विश्व के प्रमुख दर्शनीय स्थलों का खूबसूरत दृश्य देखा जा सकता है. इस के अतिरिक्त टावर के बेस में साइंस सिटी बनाई गई है.

टावर के ऊपरी भाग में पर्यटकों के लिए यादगार वस्तुओं की अनेक दुकानें व रोटेटिंग रैस्टोरेंट हैं.

जेड बुद्धा मंदिर : बुद्ध से संबंधित यह मंदिर विश्व के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. यहां सफेद जेड (एक प्रकार का अत्यंत कीमती पत्थर) से बनी बुद्ध प्रतिमाएं हैं.

यूयुआन गार्डन : यूयुआन गार्डन शंघाई के सब से प्राचीन गार्डनों में से एक है जो मिंग तथा किग राजाओं के जमाने की वास्तुकला पर आधारित है. यह 6 भागों में विभक्त है, इन भागों का अपनाअपना स्टाइल है. यह 2 हैक्टेअर क्षेत्र में फैला है. यहां 40 ऐसे स्थल हैं जहां से सुंदर व मनोहारी फोटोग्राफी की जा सकती है. पूरा गार्डन देखने में कई घंटे का समय लग जाता है.

शंघाई म्यूजियम : यह संग्रहालय चीन की प्राचीन कला का अद्भुत खजाना है यहां लगभग 1,20,000 कीमती वस्तुएं प्रदर्शित हैं. दूर से देखने पर संग्रहालय का आकार एक कांसे के प्राचीन बरतन जैसा प्रतीत होता है जो 5 हजार वर्ष पूर्व चीन में भोजन पकाने के लिए प्रयोग किया जाता था. यहां 4 तलों पर कुल 11 संग्रहालय बने हैं जिन में अलगअलग कांसे, पाटरी, फर्नीचर, जेड, धातु के बरतन, आभूषण, हस्तकला तथा ग्रामीण आर्ट के संग्रहालय हैं.

क्रूज का आनंद : यहां के विशेष आकर्षण व रात्रि की चकाचौंध का नजारा देखने के लिए हुआंगपू नदी में कू्रज का आनंद अवश्य लें. लगभग 2 घंटे की सैर में आप को इतना आनंद आएगा कि मानो आप सपनों में सैर कर रहे हों.

कू्रज के निचले भाग में एअरकंडीशंड कमरे में बैठ कर खिड़की से दृश्य का आनंद लिया जा सकता है. कू्रज के ऊपरी भाग में हवाओं के झोंके के साथ खूबसूरत नजारे देखे जा सकते हैं. यदि रात्रि में इन दृश्यों का आनंद नहीं लिया तो समझिए आप ने शंघाई को देखा ही नहीं और फिर चीन की आप की यात्रा अधूरी मानी जाएगी.

कस्टमाइज्ड इंटीरियर का है ट्रैंड, क्या आपने आजमाकर देखा

हर किसी के मन में अपने घर को ले कर एक सपना होता है, उसे अपनी पसंद व बजट के अनुसार सजानेसंवारने की चाह होती है. अब यह सपना साकार करना मुश्किल भी नहीं है, क्योंकि बाजार में इतने औप्शन उपलब्ध हैं कि आप जिस चीज को चाहें खरीद सकते हैं.

बाजार में ऐसे कई सर्विस प्रोवाइडर हैं, जो डैकोर व अन्य सजावट की ऐक्सैसरीज को ग्राहक की पसंद व आवश्यकता के अनुसार तैयार कर देते हैं. ऐसे में घर के इंटीरियर को एक पर्सनल टच देने के लिए किसी इंटीरियर डिजाइनर की ही मदद ली जाए, ऐसा जरूरी नहीं है. अगर आप के बजट में किसी इंटीरियर डैकोरेटर पर पैसा खर्च करना नहीं है तो आप स्वयं अपने लिए अपनी पसंद का इंटीरियर चुन कर कम दामों में एक डिजाइनर घर बना सकते हैं.

इस के लिए सब से पहले आप यह तय करें कि आप को किस तरह का इंटीरियर चाहिए- ट्रैडिशनल या फ्यूजन. उस के बाद लाइटिंग विकल्प, फर्नीचर, फ्लोरिंग, पेंट आदि की कीमतों के बारे में पता लगाएं और फिर जो चीजें आप के बजट में फिट बैठें, उन चीजों का इस्तेमाल करें.

अपनाने का फायदा

होम डैकोर में कस्टमाइज्ड इंटीरियर को अपनाने का सब से बड़ा फायदा यह होता है कि प्रत्येक ग्राहक अपनी निजी पसंद के अनुसार अलग डिजाइन व स्टाइल निर्मित कर सकता है. पहले एक के सोफे के डिजाइन या परदे के स्टाइल को देख कर दूसरे को वैसा ही अपने घर के लिए चाहिए होता था. यही वजह थी कि सब के घरों में एक समय में एक जैसी बेंत की कुरसियां, सफेद ग्लास की मेजें और एक ही शेप के सोफे या फिर वाशबेसिन ही देखने को मिलते थे. किसी भी चीज में एक निजता की छाप नहीं झलकती थी. आज हर किसी की कोशिश होती है कि उस के घर में रखी हर वस्तु सब से अलग व अनोखी हो. इसलिए बहुत चुन कर और हर तरह की बारीकियों का ध्यान रखते हुए घर के हर कोने की डिजाइनिंग की जाती है.

लिपिका सूद ऐसोसिएट्स की डिजाइनर लिपिका सूद के अनुसार, ‘‘जब इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति की जरूरतों और घर की हर जगह यानी कमरे, किचन, बाथरूम और बालकनी आदि को ध्यान में रखते हुए सजावट की जाती है तो उसे कस्टमाइज्ड इंटीरियर कहा जाता है. इस सज्जा में हर चीज की जरूरत, रंग, शेप, फैब्रिक, मैटीरियल, डिजाइनिंग आदि एकदूसरे से मेल खाती है. फिर वह चाहे सोफा, कुशन, दीवार, सीलिंग, परदे या फिर ऐक्सैसरीज हो.

‘‘अगर आप बाजार जा कर जो चीजें आप को पसंद हों उन्हें खरीद लेते हैं तो हो सकता है वे आप के कमरों के आकार के अनुसार फिट न बैठें. इसलिए जरूरी है कि ऐसी चीजें लगाई जाएं, जो पूरे डैकोर के साथ कोआर्डिनेट करने के साथसाथ आप के बजट में भी हों. अगर आप का लिविंगरूम छोटा है और आप बाजार से एक बड़ा सोफा खरीद लाते हैं, तो जाहिर सी बात है कि आप को चलने में असुविधा होगी. इसलिए छोटे सोफे तैयार किए जाते हैं और उसी आकार में बाकी फर्नीचर भी.’’

ला सोरोगीका ब्रैंड की डायरैक्टर और सीईओ अंजलि गोयल के अनुसार, ‘‘कस्टमाइज्ड इंटीरियर विभिन्न डिजाइनर तत्त्वों का प्रयोग करते हुए व उन्हें उस जगह का उपयोग करने वाले व्यक्ति की आवश्यकताओं के साथ तालमेल बैठाते हुए तैयार किया जा सकता है. ऐसा लुक देना बहुत आवश्यक होता है, जिस से उस में रहने वाले व्यक्ति की निजी छाप उस में दिखाई दे. इस तरह की डिजाइनिंग से पूरे घर को बदला जा सकता है.

‘‘लैदर की अपहोल्स्ट्री के साथ उपयोग किया गया सौलिड वुड फर्नीचर गरमाहट की अनुभूति देता है, तो शीशों का उपयोग एक आलीशान लुक व अच्छी रुचि होने का परिचायक होता है. इस तरह की डिजाइनिंग में विकल्पों की कमी नहीं है. आप चाहें तो बहुत ही मौडर्न लुक दे सकते हैं या ट्रैडिशनल लुक को ही क्रिएट कर सकते हैं.’’

स्टाइलिश भी डिफरैंट भी

आज बदलते ट्रैंड व घर को एक डिफरैंट व अपनी अनिवार्यताओं के हिसाब से लुक देने के लिए डिजाइन के अनगिनत विकल्पों के मौजूद होने के कारण कस्टमाइज्ड इंटीरियर फैशन में आ गया है.

डिजाइनर मधुलिका राय का मानना है कि कस्टमाइज्ड लुक की लोकप्रियता के पीछे मीडिया की भी अहम भूमिका है. बेहतर जिंदगी जीने के ढंग व सैलिब्रिटीज के घरों को टीवी पर दिखा कर उस ने लोगों के मन में वैसा ही घर बनाने की चाह प्रबल की है.

अंजलि गोयल के अनुसार, ‘‘आज जब हम इंटीरियर की बात करते हैं, तो सब से पहली चीज जो हमारे दिमाग में आती है, वह है स्टाइलाइज्ड लुक, जिसे कस्टमाइज्ड डिजाइनिंग के द्वारा पाया जा सकता है. इस में इंटीरियर डिजाइनर लोगों की आवश्यकताओं, उपयोगिता व जगह को ध्यान में रखते हुए एक उचित, खूबसूरत व उपयोगी थीम, प्रोडक्ट व पूरी सजावट के बारे में समाधान सुझाते हैं. इस पूरी प्रक्रिया में क्रिएटिविटी होने के साथसाथ तकनीकी पहलुओं का भी इस्तेमाल किया जाता है, इसलिए तकनीकी रूप से भी इंटीरियर डिजाइनर का कुशल होना जरूरी है.’’

मनचाहा डैकोर

लिपिका सूद कहती हैं, ‘‘आप जिस रंग के परदे लगाते हैं, उसी रंग के बैड कवर, कुशन कवर लगा सकते हैं, जिस से एक तालमेल बना रहता है. परदों पर झालरें लगाना चाहते हैं, तो दीवार के रंग से मैच कर के लगाई जा सकती हैं. आप का घर छोटा है तो उसे बड़ा लुक देने के लिए दीवारों पर वौल पेपर लगवाया जा सकता है या वौल पेपर पर पेंट करवाया जा सकता है. कोई भी चीज, जो खरीद कर लाई जाती है, जरूरी नहीं कि आप के डैकोर में फिट बैठे या उस के साथ मैच करे. अकसर घरों में फ्लोरिंग चिप्स वाली ही होती है. अगर आप के सोफे का रंग नीला है तो टरक्वाएज टाइलें उस के ऊपर लगवा सकती हैं और उसी तरह की वौल हैंगिग टांग सकती हैं. इस से एक कंप्लीट लुक आ जाता है और प्रयोग करने वाले को किसी तरह की असुविधा नहीं होती.

‘‘किचन में तो कस्टमाइज्ड लुक सब से ज्यादा जरूरी है. मान लीजिए कोई महिला जो बहुत लंबी नहीं है, उस के किचन में इतने ऊंचे कैबिनेट बने हुए हैं कि उसे स्टूल पर चढ़ कर सामान उतारना पड़ता है, तो क्या यह सुविधाजनक स्थिति होगी? उसे अपनी लंबाई के अनुसार ही कैबिनेट आदि बनवाने होंगे या फिर आटे का डब्बा या मसाले रखने के लिए बहुत स्टोरेज की आवश्कता हो, तो इस में जरूरत के हिसाब से बदलाव किया जाता है. उपयोग करने वाले की लंबाई इस में बहुत महत्त्व रखती है.’’

आम लोगों के मन में यही धारणा है कि अपनी पसंद व उपयोगिता के हिसाब से घर सजाने का अर्थ है बहुत सारे पैसों का निवेश. यह बात कुछ समय पहले तक शायद सही मानी जाती थी, पर आज ऐसा नहीं है. वजह है बाजार में हर वैराइटी व मैटीरियल की चीजों का उपलब्ध होना. आप सोफा या बैड खरीदना चाहते हैं तो बहुत महंगी लकड़ी का न ले कर कम दाम की लकड़ी का ले सकते हैं. उसी तरह फैब्रिक, किचन ऐक्सैसरीज या डैकोरेशन की ऐक्सैसरीज भी इतने प्रकार की आप को मिल जाएंगी कि वे आप के छोटे से फ्लैट या अपार्टमैंट के हिसाब से एकदम उपयुक्त व आप के बजट में होंगी. आवश्यकता है तो सिर्फ बहुत सारी जानकारी और खोज करने की. दूसरे क्या सोचते हैं, इस पर ध्यान न देते हुए अपनी पसंद व आवश्यकताओं पर ध्यान दें और जिएं एक सुविधाजनक जिंदगी.

रोमांटिक डेस्टिनेशन है मालदीव

मालदीव एक परफेक्ट रोमांटिक डेस्टिनेशन है जो अपने बीचेज की खूबसूरती के लिए दुनियाभर में मशहूर है. मालदीव के बीचेज पर आपको साफ और क्रिस्टल क्लियर समुद्र का पानी मिलेगा. यहां बीच से सनसेट देखना भी काफी खूबसूरत और रोमांचक होता है.

यहां के बीचेज बेहद साफ हैं जहां आप घंटों स्विमिंग का मजा ले सकती हैं. इसके अलावा आप मालदीव में वाटर स्पोर्ट्स और कई अंडरवाटर ऐक्टिविटीज में भी शामिल हो सकती हैं.

छुट्टियां बिताने के लिहाज से मालदीव भारतीयों के बीच मशहूर डेस्टिनेशन है. क्योंकि यहां भारतीयों को वीजा औन अराइवल की सुविधा मिलती है. यानी मालदीव जाने के लिए आपको पहले से वीजा लेने की जरूरत नहीं है. आप मालदीव पहुंचकर अपना पासपोर्ट दिखाकर वीजा ले सकती हैं.

मुंबई और दिल्ली से अब मालदीव की राजधानी माले के लिए डायरेक्ट फ्लाइट की सेवा शुरू कर दी गई है. पहले दिल्ली और मुंबई से मालदीव जाने के लिए फ्लाइट कोच्चि या कोलंबों में रुकती थी, जहां से कनेक्टिंग फ्लाइट मिलती थी इसमें 1-2 घंटे लग जाते थे.

बड़ी उम्र के पार्टनर के साथ ऐसे बिठाएं रिश्ते में सामंजस्य

अपने से ज्यादा उम्र के लड़कों के साथ रिलेशनशिप में आने के कुछ फायदें भी हैं तो कुछ नुकसान भी. अगर आपका पार्टनर आपसे उम्र में बड़ा है तो स्वभाविक है कि उसे आपसे अधिक अनुभव होगा और चीजों की जानकारी भी आपसे ज्यादा होगी.

अक्सर महिलाएं अपने से बड़े उम्र के लड़कों से ज्यादा आकर्षित होती हैं क्योंकि वे अपने रिश्ते को लेकर अधिक ईमानदार होते हैं.

रिश्ते को समझेगा – आपका साथी पहले किसी रिलेशनशिप में रहा होगा तो उसे इस बात की जानकारी होगी कि किस कारण से उसका पिछला रिश्ता टूटा. ऐसा ज्यादातर तब होता है जब आपका साथी आपसे बड़ा हो क्योंकि उसे इन चीजों की अच्छे से समझ होगी. वह आपको अपने पिछले रिश्ते की वजह से कभी कोई दुख नहीं होने देगा और ना ही अपने रिश्ते पर उसका प्रभाव पड़ने देगा.

भविष्य के बारे में सोचेगा–  अगर आपका साथी उम्र में आपसे बड़ा होगा तो वह आप दोनों के आने वाले भविष्य के बारे में अधिक गहराई से सोचेगा और अपने रिश्ते को लेकर अधिक गंभीर भी होगा. आपके आने वाले भविष्य से जुड़ी छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखेगा और उसकी प्लानिंग भी करेगा.

अपने प्यार को जताते हैं – अपने से बड़ी उम्र के लड़के हमेशा अपने प्यार को अलग-अलग तरीकों से अपने साथी को दर्शाते हैं. उनकी दुनिया सिर्फ अपनी साथी के आस-पास घुमती रहती है. वह हमेशा आपको खास महसूस कराते हैं. आपकी हर इच्छा को खुशी-खुशी पूरा करने की कोशिश करते हैं.

रिश्ते को खुशहाल बनाने के लिए ये करें

अगर आप अपने रिश्तों से खुश हैं तो आपको किसी और के रिश्ते से प्रेरणा लेने की जरुरत नहीं होती है. आप दूसरों को प्रेरित करने के लिए उदहारण होते हैं. पर कई लोग ऐसे होते हैं, जो इतना चाहने के बाद भी अपने रिश्ते में खुशियां नहीं ला पाते हैं.

उनके मन में कई बार ये सवाल होते हैं कि बाकी लोग अपने रिश्ते में कैसे खुश रह पाते हैं. वो ऐसा क्या करते हैं कि उनका रिश्ता इतना खुशहाल है. कुछ साधारण चीजों से भी आप अपने रिश्ते में प्यार और खुशी को बनाकर रख सकते हैं. चलिए जानते हैं कि जो खुशहाल कपल हैं वो खुश रहने के लिए क्या करते हैं.

साथ में समय बिताएं – तेजी से चलती जिंदगी में अपने लिए खाली समय ढूंढ पाना बहुत कठिन होता है लेकिन आप अपनी व्यस्त दिनचर्या से कम से कम आधा घंटा निकाल ही सकते हैं. आप दोपहर का भोजन साथ में करें या घर का सामान लेने के लिए, शाम को इवनिंग वाक के लिए जा सकते हैं. साथ ही वीकेंड पर आप कुछ अलग प्लान करें.

बातचीत जारी रखें– एक दिन में कम से कम एक बार पूरे अटेंशन के साथ बातचीत करना जरुरी होता है. किसी भी तरह की गलतफहमी को दूर करने के लिए भी आपको बात करना जरूरी होता है. यदि आप किसी बात को लेकर चिंतित हैं या आपका साथी जो कर रहा है उससे आपको आपत्ति है तो इस बारे में बात करें.

अपने प्यार को जाहिर करें–  हर बार अपने साथी से ये बोलना कि आप उनसे प्यार करते हैं थोड़ा अजीब लग सकता है लेकिन विश्वास करें इससे आपका रिश्ता और मजबूत होगा. आप इन्हें मैजिक वर्ड कहते हैं और हम कह सकते हैं कि ये मैजिक वर्ड जादू करते हैं. किसी भी रिश्ते को खुशहाल बनाने के लिए जरुरी है कि आप अपने साथी से प्यार का इजहार करें.

ज्यादातर साइबर फ्रौड की शिकार होती हैं महिलाएं, जानिए क्यों

आज के समय में औनलाइन फ्रौड लोगों के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बना हुआ है. ये मुद्दा ना सिर्फ आम लोगों को परेशान करता है बल्कि सरकारी महकमें के लिए भी ये किसी चुनौती से कम नहीं है. जानकारी और जागरुकता के अभाव में लोग अक्सर इसके शिकार होते हैं.

हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमें ये स्पष्ट हुआ है कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं औनलाइन फ्रौड का ज्यादा शिकार होती हैं. रिपोर्ट में ये बात सामने आई है कि औनलाइन शौपिंग के दौरान पुरुषों के मुकाबले महिलाएं 6 गुना अधिक फ्रौड का शिकार होती हैं. फ्रौड के लिए महिलाओं को झांसे में लाना ज्यादा आसान होता है. वो महिलाओं को टारगेट कर गुमराह करते हैं और आसानी से उन्हें लूट लेते हैं.

क्यों महिलाएं हो रही ज्यादा शिकार

रिपोर्ट में ये बात सामने आई कि पुरुषों के मुकाबले महिलाएं इस लिए भी औनलाइन फ्रौड की शिकार होती हैं क्योंकि वो ज्यादातर शौपिंग औनलाइन प्लौटफौर्म से करती है. आपको बता दें कि ये सारे साइबर क्राइम कंप्यूटर वायरस, मालवेयर, हैकिंग आदि के जरिए किया जाता है. इस सर्वे में बात सामने आई कि इस फ्रौड में शिकार हुए ज्यादातर लोगों की उम्र 20 से 49 सालों तक की है.

पुरुष भी बच ना सकें

हालांकि इस रिपोर्ट का एक दूसरा पहलू भी सामने आया है जिसमें कहा गया है कि भले ही पुरुष महिलाओं से 6 गुना कम फ्रौड का शिकार होते हों लेकिन औसतन वे 3 गुना ज्यादा पैसे का नुकसान उठाते हैं. इसका मतलब ये हुआ कि कुल रकम के लुटाने में पुरुष महिलाओं से 3 गुना आगे हैं.

कैसे बचें इन फ्रौड्स से

इन फ्रौड्स से बचने के लिए जरूरी है कि आप सूचित और सतर्क रहें. किसी भी व्यक्ति से अपने कार्ड की जानकारियां साझा ना करें. लोग आपको फोन कर के आपके कार्ड की जानकारी लेते हैं, आपकी निजी जानकारियां हांसिल कर के आपके खाते से राशि उड़ा ले जाते हैं. इससे बचने के लिए आप किसी भी व्यक्ति से अपने बैंक या कार्ड संबंधी जानकारियों को साझा ना करें. अगर कोई आपको फोन कर खुद को बैंक का प्रतिनिधि बताता है और आपसे आपकी निजी सूचनाएं मांग रहा है तो तुरंत इसकी जानकारी पुलिस को दें और शिकायत करें. औनलाइन खरीदारी करते वक्त खासा सतर्क रहें. कोशिश करें कि आपके कार्ड या बैंक की जानकारी ब्राउजर में सेव ना हो.

इन छोटी छोटी सूझबूझ से आप खुद को इन फ्रौड्स से बचा सकेंगी.

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