क्यों हो जाते हैं बार बार आपके बाल औयली?

हममें से कई लड़कियों के साथ अक्सर ऐसा होता है कि हम अपने बालों में शैंपू करते हैं और 2 दिन के भीतर ही बाल औयली औयली से हो जाते हैं. आप भी सोचती होंगी कि आखिर इसके पीछे की वजह क्या है. शायद यह एक ऐसा सवाल है जिसे हर लड़की खुद से जरुर करती होगी. इससे पहले की आप बाल औयली होने का उपाय ढूढें, अच्‍छा होगा कि आप इसके पीछे छुपे हुए कारण को जान लें. ताकि उसके लिये कुछ बेहतर उपाय सोंच सकें.

हाथों का प्रयोग

कई लड़कियों की बुरी आदत होती है कि वे अपने बालों को अपने हाथों से सुलझाती और सहलाती हैं, जिससे हेयरफौल और औयली हेयर की समस्‍या हो जाती है. आप को नहीं याद रहता है कि आपने अपने हाथों से क्‍या काम किया है, हो सकता है कि आपने कोई औयली चीज अपने हाथ से छुई हो या फिर भोजन किया हो. इस कारण से बाल औयली हो जाते हैं.

तेल ग्रंथी

यह एक आम कारण है जिसमें तेल ग्रंथी से ज्‍यादा तेल रिसने लगता है. इसे सीबम के नाम से जाना जाता है. जब यह सीबम ज्‍यादा मात्रा में निकलता है तो यह सिर और बालों को औयली बना देता है. इस समस्‍या से छुटकारा पाने के लिये आप हर दूसरे दिन शैंपू कीजिये.

औयली फूड

अगर हम बहुत तेल वाली चीजें खाते हैं तो वह तेल हमारे शरीर से बाहर निकलेगा. यह तेल शरीर के कई अलग-अलग भागों में जा कर इकठ्ठा हो जाता है, जैसे सिर की त्‍वचा आदि में. यह तेलिये बालों की समस्‍या बन जाते हैं. इसलिये इस समस्‍या से बचने के लिये आपको अपनी डाइट पर ध्‍यान देना होगा और ज्‍यादा औयली चीजें नहीं खानी होंगी.

धुआं उत्सर्जन

सड़कों पर गा‍ड़ियों से निकलने वाले धूएं में कुछ मात्रा वेपराइजड औयल का होता है. ज्‍यादा प्रदूषण की वजह से यह धूआं बालों में चिपक जाता है जिससे सिर औयली हो जाता है. इससे छुटकारा पाने के लिये हर्बल शैंपू रोजना प्रयोग करें.

धूल-मिट्टी

कई बार धूल मिट्टी और कई बाहरी गंदगी हमारे बालों और स्कैल्प पर आ कर जमा हो जाती हैं. इसी बात पर हमें शक होने लगता है कि हमारे बाल कहीं औयली तो नहीं हैं, लेकिन ऐसा नहीं होता. इससे डील करने का सबसे अच्‍छा तरीका है कि बालों को रोज या फिर हर दूसरे दिन शैंपू किया जाए.

गर्लफ्रेंड को सरप्राइज देने के ये हैं 5 शानदार तरीके

एक रिश्ते में अपने साथी से प्यार करना काफी नहीं होता है जब तक आप अपने साथी को इसका एहसास नहीं कराते हैं. रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए प्यार, भरोसा, और सरप्राइज देना बहुत जरूरी होता है.

अगर आप अपनी गर्लफ्रेंड को हमेशा सरप्राइज देते हैं तो इससे आपके रिश्ते में नयापन और गहराई बनी रहती है. आप अपनी गर्लफ्रेंड को कभी भी सरप्राइज दे सकते हैं और सरप्राइज का मतलब बस किसी उपहार से ही नहीं है. बहुत से चीजों से आप उन्हें सरप्राइज दे सकते हैं. तो आइए आपको अपनी गर्लफ्रेंड को किन तरीकों से सरप्राइज देना चाहिए बताते हैं.

  1. लव लेटर दें: ई-मेल और मैसेज करने के बजाय हाथ से लिखे लेटर अधिक भावुक होते हैं. लव लेटर हमेशा से रोमांटिक और विचारशील होते हैं. अगर आप अपने दिल की बात बताने में घबराते हैं या संकोच करते हैं तो उसे लेटर के जरिए बताएं. आपकी गर्लफ्रेंड को यह बात बहुत आकर्षित करेगी. अक्सर ऐसा होता है कि हम कुछ बात मौखिक रूप से नहीं बता सकते हैं इसलिए उन बातों को लिखकर बताना ज्यादा आसान होता है और गर्लफ्रेंड को स्पेशल भी महसूस होता है.
  2. बाहर घुमाने लें जाएं: हमेशा कोशिश करें कि आप अपनी गर्लफ्रेंड के लिए कुछ ऐसा करें जिससे उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाएं. उदाहरण के लिए, आप अपनी प्रेमिका को शॉपिंग के लिए ले जा सकते हैं.

अगर उसे शौपिंग करना कुछ खास पसंद ना हो तो आप उसे किसी नाटक या कॉन्सर्ट में ले जा सकते हैं जो उसे पसंद हो. आप उसे लॉग ड्राइव पर भी ले सकते हैं, इससे आपको एक-दूसरे के लिए समय भी मिल जाता है और अपनी बात एक-दूसरे से शेयर भी कर पाएंगें.

  1. एक फोटो या मेमोरी एल्बम बनाएं: एक ऐसी एल्बम बनाएं जिसमें आप दोनों के खास पल मौजूद हो, जिसे देखकर आपकी गर्लफेंड भावुक हो जाए. सबसे आसान तरीका यह है कि आप उसे एक साधारण फोटो एलबम दें जिसमें आप दोनों के साथ बिताए हुए पल कैद हों. इसके अलावा आप मेमोरी एल्बम में फोटो के साथ-साथ आपके विचारों और भावनाओं के बारे में भी लिख सकते हैं.
  2. कुछ अच्छा बनाकर खिलाएं: अपनी गर्लफ्रेंड के लिए कुछ अच्छा सा बनाकर खिलाना बहुत रोमांटिक होता है,खासकर तब जब आपको बहुत अच्छी कुकिंग आती हो. ऐसा जरूरी नहीं है कि कुछ ऐसा बनाकर खिलाएं जिसमें बहुत मेहनत लगे. अगर प्यार से आप अपनी गर्लफ्रेंड को कुछ सिंपल सा भी बनाकर खिलाएंगें तो वह उसके लिए काफी खास होगा क्योंकि आपने प्यार से उसके लिए ऐसा किया है. अगर आपको उसके पसंदीदा खाने के बारे में पता है तो आप वह भी बना सकते हैं.
  3. उन्हें काम्प्लीमेंट दें: किसी भी इंसान को अपनी तारीफ सुनना बहुत पसंद होता है और लड़कियों को तो अपनी तारीफ सुनने में बहुत आनंद आता है. इसलिए अगर आप अपनी गर्लफ्रेंड की तारीफ करेंगे तो उसे अच्छा लगेगा और आपके रिश्ते तो और गहरा करने में आपकी मदद करेगा.

आज हर व्यक्ति ‘कम्पलीट’ होना चाहता है : कैटरीना कैफ

मौडलिंग से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाली अभिनेत्री कैटरीना कैफ ने फिल्म ‘बूम’ से हिंदी फिल्मों में अभिनय शुरू किया. उनका शुरुआती दौर अधिक सफल नहीं था. उन्होंने रोमांटिक कौमेडी फिल्म ‘मैंने प्यार क्यों किया’ और ‘नमस्ते लन्दन’ में अच्छा अभिनय किया,  जिसकी आलोचकों ने तारीफ की और उन्होंने कई सफल फिल्मों में काम कर अपना नाम नामचीन अभिनेत्रियों की सूची में शामिल कर लिया. कैटरीना के संघर्ष के समय में अभिनेता सलमान ने उनकी सहायता की, उन दोनों की दोस्ती हुई और उन्हें फिल्म ‘मैंने प्यार क्यों किया’ मिली. इसके बाद उन्होंने पार्टनर, वेलकम, सिंह इज किंग, अजब प्रेम की गजब कहानी, दे दना दन, राजनीति आदि कई सफल फिल्मों में काम किया. शांत और स्पष्टभाषी कैटरीना को हमेशा नयी कहानियां उत्साहित करती हैं. अभी उनकी फिल्म ‘जीरो’ रिलीज पर है, उनसे मिलकर बात करना रोचक था पेश है अंश.

बहुत दिनों बाद फिर से फिल्मों में आ रही हैं, देरी की वजह क्या है?

ये सही है कि मैं करीब 6 साल बाद इस फिल्म में आ रही हूं. इसकी वजह सही कहानी का न मिलना है. इस कहानी में मुझे अलग अभिनय का मौका मिला, जो मुझे अच्छा लगा. देर भले ही हो पर मैं एक अच्छी कहानी पर काम करना पसंद करती हूं.

इसमें आपकी भूमिका क्या है?

इसमें मैंने बबिता की भूमिका निभाई है. आनंद एल राय ने आज से दो साल पहले इस फिल्म की कहानी सुनाई थी, जो मुझे अच्छी लगी थी. मैंने उनकी सारी फिल्में देखी है. मुझे उनकी फिल्म में काम करने की इच्छा थी. वे अभिनेत्री की मजबूत भूमिका फिल्म में रखते हैं. जिससे उन्हें अपना अभिनय सजीव करने के कई लेयर मिलते है. वे काम करते समय कलाकारों को बहुत आजादी देते हैं, जिससे काम करने में अच्छा लगता है.

इतने सालों में इंडस्ट्री में क्या परिवर्तन देखती हैं?

पहले भी मैंने शाहरुख खान के साथ काम किया है. तब सोशल मीडिया इतना स्ट्रोंग नहीं था. लोग आपके बारें में अधिक नहीं जान पाते थे. अब हर दिन कुछ नया होता है. कल मीडिया में क्या आयेगा आपको पता नहीं होता. पहले आजादी थी, आपको थोड़ा सुकून मिलता था. आज मैं जब मन चाहे, कहीं भी जा नहीं सकती, क्योंकि आपको हमेशा सचेत रहना पड़ता है. वह कभी-कभी खराब लगता है.

क्या आप शारीरिक रूप से चैलेंज्ड व्यक्ति से मिली हैं? उनके लिये क्या मेसेज देना चाहती हैं?

ऐसी शारीरिक कमजोरी कुछ व्यक्तियों को मिलती है, इसकी वजह पता करना मुश्किल है. मेरे परिवार में मेरी एक बहन है, जो शारीरिक रूप से अपंग है. कई बार मैं ये सोचने पर मजबूर होती हूं कि इसके साथ आखिर ऐसा क्यों हुआ? अब मैं इसे सबसे स्पेशल चाइल्ड और गिफ्ट मानती हूं, क्योंकि उनकी अपनी एक अलग दुनिया होती है, जिसमें वे जीते हैं. इस फिल्म में ऐसी ही शारीरिक रूप से कमी को दिखाया है, लेकिन इसके बावजूद भी वे खुश हैं. ये सही है कि हर व्यक्ति पूरा होना चाहता है. फिर चाहे वह पैसा, कैरियर, या रिश्ता हो, वे सब कुछ पा लेने के बाद भी कुछ और पाने की इच्छा में लगा रहता है.

इस फिल्म में आपको सबसे मुश्किल क्या लगा?

ये फिल्म थोड़ी कठिन है, इसमें इमोशन को दिखाना कठिन ही नहीं, मुश्किल भी था. शूटिंग के बीच-बीच में जब ब्रेक मिलता था, तो मैं रिलैक्स हो जाती थी. कई बार वैसी इमोशनल सीन्स को मैं अवायड भी करना चाहती थी, लेकिन वह एक अच्छा अनुभव था.

आज हर कोई तनाव भरे माहौल में जी रहा है, खासकर बच्चे, ऐसे में आप उन्हें किस तरह की सलाह देना चाहती हैं?

ये बहुत मुश्किल विषय है, जिस पर बात करनी चाहिए, क्योंकि आज के बच्चे डिजिटल इंडिया में फंस चुके हैं. उनके अंदर इमोशन बहुत कम रह गया है. अगर उनके साथ कोई समस्या आती है तो वे समझ नहीं पाते कि क्या करना है और वे तनावग्रस्त हो जाते हैं. हमारे जीवन में कई चीजे आती और जाती है. उसके लिए अधिक उत्तेजित होने की जरुरत नहीं होती. असल में वे बच्चे वह पाना चाहते है, जो उनके पास नहीं है या उनको मिलना मुश्किल है. इस समस्या का समाधान वे सोशल मीडिया के द्वारा खोजते हैं, जो गलत है. समझदारी जब तक आपकी खुद की नहीं होगी, आप की समस्या का समाधान आपको नहीं मिल पाता. आज मैं भी कही जाने या आने में सहज महसूस नहीं करती, क्योंकि मुझे डर रहता है कि मेरी खराब तस्वीर ट्रोल होगी. ये मैं नहीं चाहती. मैं सभी बच्चों और टीनेजर्स को सलाह देती हूं कि आप अपने आस-पास को देखें. मोबाइल और इन्टरनेट पर अधिक समय न बिताएं. मोबाइल को अपने से दूर रखने की कोशिश करें. अपने ‘गोल’ पर ध्यान केन्द्रित करें. सफलता के लिए मोबाइल की आपको जरुरत नहीं. मेरी इच्छा है कि मैं अपने बच्चों को रियल फ्रेंडशिप और वर्ल्ड को दिखाऊं, जिसमें मोबाइल की भागीदारी न हो.

दरी साफ करने के आसान तरीके

दरी कई सालों तक चल सकती है, अगर इनकी साफ-सफाई और रख-रखाव आप अच्‍छे से करें तो.इस मौसम में यानि सर्दियों के मौसम में दरी का ज्‍यादा से ज्‍यादा इस्तेमाल किया जाता है इसलिए ये जल्दी गंदे हो जाते हैं.

आज हम दरी को घर में ही साफ करने की विधी बताएगें जिससे आप आसानी से साफ कर सकती हैं.

–  आप अपने घर में दरी को आराम से धो सकती हैं पर जरुरी है कि आप उसपर दिए गए निर्देशों को ध्‍यान से पढ़ लें. कभी भी दरी को गरम पानी में नहीं धोना चाहिए. ठंडे पानी में दरी को सर्फ डाल कर 15-20 मिनट तक भिगो कर रख दें पर उसमें पड़े दाग को ब्रश से न साफ करें. चाहें तो पानी में बेकिंग सोड़ा भी डाल सकती हैं.

–  छोटे मोटे दाग धब्‍बों को मिटाने के लिए पानी और सिरके का प्रयोग किया जा सकता है. एक बोतल में पानी और सिरका मिलाएं और जहां भी दाग लगा हो वहां पर स्‍प्रे कर दें. उसके बाद उसे किसी सूती कपड़े से साफ करें.

–  अगर आपको दरी से गंध मिटानी हो तो पानी और सिरका का घोल बना लें और उसे छिडक दें. आप चाहें तो इस घोल को रोज़ ही इस्‍तमाल कर सकती हैं, इससे दरी से कभी भी बदबू नहीं आएगी.

–  कभी भी मैट को ड्रायर के दा्रा न सुखाएं वरना वह खराब या फट भी सकता है. अच्‍छा होगा कि उसे बाहर धूप में ही सुखाएं और कभी भी उसे मोड़ कर न रखें वरना उसमें निशान पड़ने की संभावाना बढ़ जाती है.

पश्चिम बंगाल के इस शहर में करें प्रकृति को महसूस

पश्चिम बंगाल में प्राकृतिक खूबसूरती की खाजाना है. दार्जिलिंग यहां पहाड़ों की रानी है. इसी खूबसूरती के बीच एक और सुंदर सी जगह है झिलिमिली. बांकुरा जिले के मुकुटमणिपुर से 15 किमी. दूर स्थित झिलमिली एक खूबसूरत शहर और टूरिस्ट डेस्टिनेशन है. रानीबांध से झिलिमिली के रास्ते के दोनों तरफ बेहद घने जंगल हैं, इसलिए झिलिमिली को दक्षिण बंगाल का दार्जिलिंग भी कहा जाता है.

झिलिमिली पहाड़ियों के ऊपर बसा है,और इसके चारों तरफ घने जंगलों का अंबार है ,ऐसे में जब सुबह सूरज की रोशनी जंगलों से छनकर पड़ती है तो यह दृश्य काफी मनमोहक होता है. झिलमिलि पश्चिम बंगाल के टूरिस्ट प्लेसेस में से एक है. यहां आना और समय बिताने का अपना एक अलग ही अनुभव होता है. यहां घूमने के अलावा और भी ऐक्टिविटी की जा सकती हैं.

इस हिल स्टशेन के बगल से कंग्साबाती नदी बहती है, इसके किनारों पर काफी सैलानी पिकनिक मनाने आते हैं. इस नदी के किनारे एक वाच टावर भी बनाया गया है,  जहां से आप इस हिल स्टेशन की खूबसूरती का मनोरम दृश्य देख सकती हैं. अगर आप भी प्रकृति को करीब से महसूस करना चाहती हैं बिना किसी रुकावट के पक्षियों का चहचहाना सुनना चाहते हैं तो झिलिमिली से बेहतर औप्शन आपको नहीं मिल सकता.

जिंदगी को मुस्कुराने दें

अकसर हमारी जिंदगी में एक स्थिति आती है जब हम अपनी जिम्मेदारियां निभातेनिभाते इतना थक जाते हैं और तनावग्रस्त रहने लगते हैं कि हमारे अंदर की स्वाभाविक ऊर्जा और उत्पादकता का स्तर घटने लगता है. हमें लगता है जैसे हम दूसरों की उम्मीदें पूरी नहीं कर पा रहे. इस वजह से हम परेशान, उखड़ेउखड़े और निराश रहने लगते हैं. स्वयं को नाकाबिल और अयोग्य समझने लगते हैं. इस स्थिति को बर्नआउट की स्थिति कहा जाता है. यह कोई मानसिक बीमारी नहीं मगर खराब मानसिक सेहत का नतीजा जरूर है.

बर्नआउट की स्थिति किसी के साथ भी आ सकती है. मसलन कोई गृहिणी जो सालों से अपने घरपरिवार और बच्चों की देखभाल में अपना पूरा वक्त लगा रही है, फिर भी उसे इस कार्य के लिए सराहना नहीं मिल रही हो या कोई कर्मचारी जो पूरी मेहनत और ईमानदारी से अपना कार्य करता रहा है, जरूरी होने पर भी छुट्टी नहीं लेता मगर इस के लिए उसे प्रोत्साहन नहीं मिलता या कोई विद्यार्थी जो मांबाप के सपनों को पूरा करने के लिए रातदिन पढ़ाई में जुटा है पर फिर भी अच्छे परिणाम नहीं मिल रहे आदि.

बर्नआउट की स्थिति ऐसे रिश्तों में भी आ सकती है जिस में आपस में प्यार और सपोर्ट नहीं रह जाता. बस रिश्ते को ढोने की परंपरा चलती रहती है.

कारण

बर्नआउट की वजह तनाव, जरूरत से ज्यादा जिम्मेदारियां, सराहना न मिलना या अनुचित उम्मीदों के साथसाथ जीवन को देखने का नजरिया और आप की जीवनशैली भी हो सकती है. आप अपने काम से संतुष्ट नहीं, पर्याप्त आराम नहीं करते, दूसरों का सहयोग नहीं मिलता या अपनी समस्याएं दूसरों से कह नहीं पाते तो भी आप बर्नआउट के शिकार हो सकते हैं.

बर्नआउट का शिकार व्यक्ति काफी थकान महसूस करता है. उस की भूख घट जाती है. बीमार पड़ता है. उत्साह और सकारात्मक सोच नहीं रह जाती और खुद पर भी संदेह करने लगता है. वह निराशा में आ कर कभी भी कोई गलत फैसला भी ले सकता है.

कैसे निबटें

यह समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है. प्रयास किया जाए तो इस से बचा जा सकता है. इस संदर्भ में जेपी हौस्पिटल, नोएडा के डाक्टर मृणमय दास कुछ उपाय बताते हैं :

– उन लोगों से बातचीत करें जो आप के बेहद करीब हैं जैसे आप का जीवनसाथी, परिजन या दोस्त.

– अपने परिजनों के साथ समय बिताएं. सकारात्मक सोच रखें और जीवन का आनंद लेने की कोशिश करें.

– अपने साथियों के साथ मेलजोल रखें. कार्यस्थल पर लोगों से दोस्ती करें. इस से आप काम में थकान महसूस नहीं करेंगे.

– नकारात्मक लोगों से बचें. अगर आप किसी नकारात्मक सोच वाले व्यक्ति के साथ काम कर रहे हैं तो उस के साथ कम समय बिताएं.

– नए दोस्त बनाएं. अपना सोशल नेटवर्क बढ़ाने की कोशिश करें.

– काम के प्रति अपना नजरिया बदलें. काम पर नियंत्रण पाने की कोशिश करें.

– अपने जीवन में संतुलन बनाएं. अगर आप को अपना काम पसंद नहीं तो जीवन में कहीं और संतोष पाने की कोशिश करें. जैसे आप अपनी हौबी के अनुसार कुछ नया कर सकते हैं. अपने दोस्तों और परिजनों के साथ समय बिता सकते हैं.

– अपने लिए समय निकालें. बर्नआउट से बचना मुश्किल है लेकिन समयसमय पर काम से ब्रेक लें. छुट्टी पर जाएं. अपनेआप को इस स्थिति से बाहर लाने की कोशिश करें.

– न कहना सीखें. अगर आप को यह मुश्किल लगता है तो सोचें कि आप वास्तव में क्या करना चाहते हैं. जो काम पसंद नहीं उस के लिए साफ तौर पर न कहें.

यों बदलें जीवनशैली

– अपनेआप को रिलैक्स करने के लिए समय निकालें. इस के लिए मैडिटेशन या ऐक्सरसाइज कर सकते हैं.

– काम के दौरान बीचबीच में 10 मिनट का ब्रेक लें. 10 मिनट का एक ब्रेक 2 घंटे तक आप का मूड अच्छा बनाए रखेगा.

– कार्बोहाइड्रेट का सेवन कम मात्रा मेें करें. ज्यादा व्यस्त जीवनशैली के बीच अकसर हम मीठी चीजें, जंक फूड आदि ज्यादा खाना पसंद करते हैं. लेकिन इन से बचें. इस तरह के खाद्यपदार्थ आप की ऐनर्जी बढ़ाने के बजाए कम करते हैं.

– कैफीन, ट्रांस फैट, कैमिकल प्रिजर्वेटिव्स से युक्त खाद्यपदार्थों से बचें.

– ओमेगा 3 फैटी ऐसिड से युक्त खाद्यपदार्थ खाएं. इस से आप का मूड अच्छा होगा. इस के लिए आप सीवीड, अलसी और अखरोट का सेवन कर सकते हैं.

जिंदगी को सकरात्मक दिशा देने से न सिर्फ आप अपने अंदर नई ऊर्जा महसूस करेंगे, बल्कि दूसरों को भी जीने का तरीका सिखा सकेंगे.

करना है कम खर्च तो महिलाएं अकेले जाएं शौपिंग

महिलाओं के शौपिंग के बिहेवियर संबंधित लोगों में ये धरणा होती है कि वो काफी खर्चीली होती हैं. जब भी वो बाजार जाती हैं हमेशा जरूरत से ज्यादा की खरीदारी करती हैं, बेकार का पैसा उड़ाती हैं. पर इस खबर में इस धारणा से जुड़ा एक अहम तथ्य रखने वाले हैं. एक नए शोध में ये बात सामने आई है कि जब महिलाएं शौपिंग करने समूह में जाती हैं, ज्यादा खरीदारी करती हैं. वहीं जो अकेले जाती हैं, तुलनात्मक रूप से कम खरीदारी करती हैं.

एक अंग्रेजी वेबसाइट के हालिया शोध में ये बात सामने आई कि महिलाएं जब समूह में बाजार जाती हैं, तो अधिक खर्च कर देती हैं, इसलिए उन्हें खरीदारी करने अकेले बाजार जाना चाहिए. इस वेबसाइट के मुताबिक इसका असर सैंपल की 62 फीसदी महिलाओं पर देखने को मिला.

अध्ययन के मुताबिक, जब महिलाएं अपने समूह में बाजार जाती हैं तो अकेले बाजार जाने की अपेक्षा 37.25 पाउंड अधिक खर्च कर डालती है. आपको बता दें कि इस शोध को 2000 महिलाओं पर किया गया है. इस शोध को करने वाली कंपनी के प्रवक्ता का कहना है कि ‘सहेलियों के साथ खरीददारी के लिए जाना, भले ही कभी-कभी खर्चीला साबित हो सकता है, लेकिन अकेले बाजार जाने की अपेक्षा यह अधिक आनंददायक हो सकता है.’ उन्होंने आगे कहा कि, ‘जब आप अकेले खरीददारी करती हैं, तो आप आसानी से पसंद न आने वाली वस्तु को न खरीदने का फैसला कर सकती हैं.’

बागी-3 में टाइगर श्रौफ की हिरोईन होंगी सारा अली खान ?

बौलीवुड में कई फिल्मों का सीक्वल बनाया जा रहा है. धूम, कृष, दबंग, गोलमाल के बाद बागी के सिक्वल ने भी बौक्स औफिस पर जमकर कमाई की है. जिसे देखते हुए कहा जा सकता है कि बौलीवुड में फिल्मों के सीक्वल का दौर पिछले कई सालों से चल रहा है. बता दें कि टाइगर श्रौफ अभिनित बागी की सफलता को देखते हुए इस फिल्म का तीसरा सिक्वल भी जल्द ही बनने जा रहा है. साजिद नाडियावाला ने बागी-3 के लिए कलाकारों को अप्रोच करना भी शुरू कर दिया है. मिली जानकारी के अनुसार साजिद ने बागी-3 के लिए सारा अली खान से संपर्क किया है. यदि सारा अली खान इस हिट फिल्म को अपनी मंजूरी दे देती हैं तो जल्द ही वो टाइगर श्रौफ के साथ सिनेमाई पर्दे पर दिखेंगी.

सैफ अली खान और अमृता राव की बेटी सारा अली खान ने हाल ही में केदारनाथ फिल्म से बौलीवुड में एंट्री की है. इसके बाद उनकी दूसरी फिल्म सिंबा 28 दिसंबर को रिलीज होने वाली है. केदारनाथ में सुशांत सिंह राजपूत के अपोजिट सारा अली खान के काम की काफी तारीफ की जा रही है. जिसके बाद फैंस रणवीर सिंह संग सारा अली खान की फिल्म सिंबा देखने को उत्सुक है.

इन दो फिल्मों के बाद सारा अली खान के लिए बागी-3 का मिलना सोने पर सुहागा जैसा है. कारण कि बागी सीक्वल की पिछली दोनों फिल्में हिट साबित हुई थी. पहली फिल्म बागी में टाइगर श्रौफ के अपोजिट श्रद्दा कपूर हीरोइन थी तो दूसरी फिल्म में दिशा पटानी टाइगर के साथ थी. अगर सारा की ओर से आधिकारिक पुष्टि हो जाती है तो उन्हें और टाइगर श्रौफ की जोड़ी को बागी-3 में देखना काफी दिलचस्प होगा.

तो नहीं होगा मां और बच्चे में कुपोषण

बच्चे के जन्म के तुरंत बाद कुपोषण का बुरा असर मां और बच्चे दोनों पर पड़ता है. गर्भावस्था के दौरान और उस के बाद होने वाला कुपोषण बच्चे के लिए बेहद घातक हो सकता है. इसे रोकना बहुत जरूरी है.

गर्भावस्था के बाद कुपोषण के कारण

स्तनपान इस का सब से पहला और मुख्य कारण है. बच्चे को दूध पिलाने वाली मां को रोजाना कम से कम 1000 कैलोरी ऊर्जा की जरूरत होती है. ज्यादातर महिलाएं या तो सही डाइट चार्ट के बारे में नहीं जानती हैं या फिर इस की अनदेखी करती है, जिस के कारण वे डिहाइडे्रशन, विटामिन या मिनरल की कमी और कभीकभी खून की कमी यानी ऐनीमिया की शिकार हो जाती हैं. इसे पोस्ट नेटल मालनयूट्रिशन यानी बच्चे के जन्म के बाद होने वाला कुपोषण कहा जा सकता है.

स्तनपान कराने से मां को ज्यादा भूख लगती है और अकसर वह ऐसे खाद्यपदार्थ खाती है, जो पोषक एवं सेहतमंद नहीं होते. स्वाद में अच्छे लगने वाले खाद्यपदार्थों में विटामिन और मिनरल्स की कमी होती है, जिस के कारण मां कुपोषण से ग्रस्त हो जाती है.

बच्चे के जन्म से पहले और बाद में प्रीनेटल विटामिन का सेवन करना बहुत जरूरी है. प्रीनेटल विटामिन जैसे फौलिक ऐसिड पानी में घुल कर शरीर से बाहर निकलते रहते हैं, जिस के चलते अकसर बच्चे के जन्म के बाद महिलाएं फौलिक ऐसिड की कमी के कारण ऐनीमिया से ग्रस्त हो जाती हैं.

बच्चे के जन्म के बाद कुपोषण के कारण अकसर महिलाएं पोस्टपार्टम डिप्रैशन की भी शिकार हो जाती हैं. बच्चे को जन्म देने के बाद उन में भावनात्मक बदलाव आते हैं, जिस के कारण डिप्रैशन की समस्या हो सकती है. इस के कारण कई बार महिलाएं ठीक से खाना खाना बंद कर देती हैं और कुपोषण की शिकार हो जाती हैं.

गर्भावस्था के दौरान लगभग सभी महिलाओं का वजन बढ़ जाता है. कई बार वे वजन में कमी लाने के लिए ठीक से खाना खाना बंद कर देती हैं, और कुपोषण की शिकार हो जाती हैं. अत: गर्भावस्था के बाद वजन में धीरेधीरे कमी लाने की कोशिश करें ताकि अचानक कुपोषण की शिकार न हो जाएं बच्चे को जन्म देने के तुरंत बाद वे आसानी से 1 ही महीने में 4-5 पाउंड वजन कम कर सकती हैं. इसलिए जरूरत से ज्यादा डाइटिंग न करें.

बच्चे के जन्म के बाद अकसर महिलाएं ठीक से सो नहीं पातीं. अत: नींद पूरी न होने के कारण शरीर में पोषक पदार्थ अवशोषित नहीं होते, जिस के कारण वे कुपोषण का शिकार हो जाती हैं.

शिशु के लिए जोखिम

गर्भवती महिला में कुपोषण का बुरा असर उस के पेट में पल रहे बच्चे पर पड़ता है. ऐसे में बच्चे का विकास ठीक से नहीं हो पाता और जन्म के समय उस का वजन सामान्य से कम रह जाता है. गर्भावस्था के दौरान मां में कुपोषण, आईयूजीआर यानी इंट्रायूटरिन ग्रोथ रिस्ट्रिक्शन और जन्म के समय कम वजन का बुरा असर बच्चे पर पड़ता है जिस के कई बुरे असर हो सकते हैं जैसे- जन्मजात दोष, दिमाग को नुकसान, समय से पहले जन्म, कुछ अंगों का विकास न होना, बच्चे में न्यूरोलौजिकल, इंटेस्टाइनल, रेस्पीरेटरी या सर्कुलेटरी डिसऔर्डर. कुछ बच्चे पैदा होते ही नहीं रोते. इन में से 50 फीसदी मामलों का कारण आईयूजीआर होता है.

बच्चे के आने वाले जीवन पर असर

अगर गर्भावस्था के दौरान मां में पोषण की कमी हो तो बच्चे को अपने जीवन में इन बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है:

औस्टियोपोरोसिस, क्रोनिक किडनी फेल्योर, टाइप 2 डायबिटीज, मेलिटस, क्रोनिक औब्स्ट्रक्टिव लंग्स डिजीज, खून में लिपिड्स की मात्रा असामान्य होना, इंम्पेयर्ड ऐनर्जी होम्योस्टेसिस (जब शरीर अपनेआप में ऊर्जा के स्तर को विनियमित नहीं रख पाता), वे बच्चे जिन का वजन जन्म के समय सामान्य से कम होता है, उन का विकास ठीक से नहीं हो पाता.

गर्भावस्था से पहले, उस के दौरान और बाद में पोषण की कमी के परिणाम कुछ इस तरह हो सकते हैं. स्कूल में बच्चे की परफौर्मैंस अच्छी नहीं रहती, वह ठीक से पढ़ाई नहीं कर पाता, उस का विकास ठीक से नहीं होता, बच्चा शारीरिक रूप से कमजोर होता है और उस में ताकत की कमी होती है.

मां के लिए समस्याएं

अगर गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में पोषण की कमी हो तो उन में मृत्यु दर की संभावना अधिक होती है. इस के अलावा बच्चे का समय से पहले पैदा होना, गर्भपात जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं. और भी कई समस्याएं हो सकती हैं जैसे संक्रमण, ऐनीमिया यानी खून की कमी, उत्पादकता में कमी, सुस्ती और कमजोरी, औस्टियोपोरोसिस.

कुपोषण को कैसे रोका जा सकता है

संतुलित आहार के सेवन से कुपोषण को रोका जा सकता है. महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान पर्याप्त मात्रा में फल, सब्जियों, पानी, फाइबर, प्रोटीन, वसा एवं कार्बोहाइड्रेट का सेवन करना चाहिए. वे महिलाएं जो गर्भधारण की योजना बना रही हैं, उन्हें प्रीनेटल विटामिन शुरू कर देने चाहिए. इस के अलावा सेहतमंद आहार लें और नियमित व्यायाम करें. गर्भावस्था के दौरान पोषक खाद्यपदार्थों का सेवन करें. बच्चे के जन्म के बाद भी विटामिनों का सेवन करें. इस से मां और बच्चा दोनों स्वस्थ रहेंगे.

पोषण संबंधी जरूरतें

आयरन: शरीर में हीमोग्लोबिन बनाने के लिए आयरन बहुत जरूरी है. हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाता है और पूरे शरीर में आक्सीजन पहुंचाता है. अगर शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी हो जाए तो शरीर के सभी अंगों तक आक्सीजन पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंच पाती. अगर महिला आयरन का सेवन ठीक से न करे तो धीरेधीरे हीमोग्लोबिन की कमी होने लगती है और वह ऐनीमिक हो जाती है. उस के शरीर में बीमारियों से लड़ने की ताकत नहीं रहती.

प्रीनेटल विटामिन: गर्भवती महिलाओं को प्रीनेटल विटामिन लेने की सलाह दी जाती है ताकि बच्चे को विटामिन और मिनरल्स पर्याप्त मात्रा में मिलते रहें. लेकिन कुछ मामलों में जन्म के बाद प्रीनेटल विटामिनों की जरूरत नहीं होती. इसलिए डाक्टर से पूछ लें कि आप को कितने समय तक विटामिन जारी रखने चाहिए.

ओमेगा 3 फैटी ऐसिड: बच्चे के जन्म के बाद खासतौर पर स्तनपान कराने वाली महिलाओं को अपने आहार में ओमेगा 3 फैटी ऐसिड का सेवन जरूर करना चाहिए. अलसी के बीज, सोया, अखरोट और कद्दू के बीजों में ओमेगा 3 फैटी ऐसिड पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है.

कैल्सियम: महिलाओं को जीवन की हर अवस्था में कैल्सियम की सही मात्रा की जरूरत होती है. इस के लिए डेयरी उत्पादों, गहरी हरी पत्तेदार सब्जियों, ब्रोकली, दूध एवं दूध से बनी चीजों, कैल्सियम फोर्टिफाइड खाद्यपदार्थों का सेवन करें.

बच्चे को जन्म देने के बाद महिलाओं के लिए विशेष सुझाव:

सिर्फ कैलोरीज के सेवन से बचें: बच्चे के जन्म के बाद शुरुआती दिनों में महिलाएं बच्चे की देखभाल में बहुत ज्यादा व्यस्त हो जाती हैं. ऐसे में वे सेहतमंद आहार पर ध्यान नहीं दे पातीं और जानेअनजाने हाईकैलोरी भोजन खाती रहती हैं. इस दौरान गाजर, फलसब्जियां, लोफैट योगर्ट, उबला अंडा, लो फैट चीज, अंगूर, केला, किशमिश, मेवे का सेवन करना चाहिए.

बारबार थोड़ाथोड़ा खाएं: एक ही बार भरपेट खाने के बजाय, बारबार कम मात्रा में खाती रहें. इस से दिनभर ऊर्जा बनी रहेगी. भारी भोजन को पचाने के लिए ज्यादा ऊर्जा की जरूरत होती है. लेकिन इस समय मां की नींद पूरी नहीं हो पाती, जिस से भारी भोजन पचाना मुश्किल होता है, इसलिए हलका आहार लें ताकि शरीर में ऊर्जा का सही स्तर बना रहे और आप दिनभर थकान न महसूस करें.

डिहाइड्रेशन से बचें: बच्चे को जन्म देने के दौरान शरीर से तरल पदार्थ बहुत ज्यादा मात्रा में निकल जाते हैं, इसलिए इस दौरान हाइड्रेशन का खास ध्यान रखें. डिहाइड्रेशन से मां कमजोरी और थकान महसूस कर सकती है.

बच्चे के जन्म के बाद पोषण और वजन में कमी: बच्चे के जन्म के बाद अकसर महिलाएं एकदम अपना वजन कम करना चाहती हैं, जिस के कारण उचित आहार का सेवन नहीं करतीं. स्तनपान कराने से वजन खुद ही कम हो जाता है, बल्कि स्तनपान कराने वाली मां को रोजाना 300 अतिरिक्त कैलोरीज की जरूरत होती है. इसलिए डाक्टर की सलाह से व्यायाम करें और अतिरिक्त कैलोरीज के सेवन से बचें.

श्रुति शर्मा

बैरिएट्रिक काउंसलर और न्यूट्रिशनिस्ट, जेपी हौस्पिटल, नोएडा

हैल्थ का आयरन कनैक्शन

महिलाओं की शारीरिक बनावट ऐसी है, जिस में उन्हें कई चक्रों से हो कर गुजरना पड़ता है. जैसे पीरियड्स, प्रैगनैंसी, फीडिंग आदि. साथ ही अगर जरूरी मिनरल्स न मिलें तो महिलाओं का शरीर कमजोर होता जाता है. क्योंकि, आयरन शरीर में हीमोग्लोबिन बनाने का काम करता है और अगर आयरन की कमी हो जाए तो हीमोग्लोबिन ठीक से बन नहीं पाता है.

न करें इन बातों को इग्नोर

अकसर देखा जाता है कि महिलाएं अपनी हैल्थ को गंभीरता से नहीं लेतीं. छोटीछोटी बातों को इग्नोर कर देती हैं. अगर आप काम करते हुए थक जाती हैं या दफ्तर में अपने काम पर फोकस नहीं कर पातीं तो अपना ब्लड टैस्ट जरूर करवाएं. आयरन की कमी से आप का चेहरा पीला पड़ सकता है. क्योंकि हीमोग्लोबिन के कारण ही खून को लाल रंग मिलता है, जिस से आप के चेहरे पर निखार आता है और गुलाबी रंगत मिलती है. अगर आयरन हीमोग्लोबिन ही नहीं बनाएगा तो रंगत कहां से आएगी.

क्यों जरूरी है आयरन

शरीर में आयरन की कमी होने लगे तो कई बीमारियां घर करने लगती हैं. सब से पहले तो आयरन की कमी से शरीर में खून की कमी हो जाती है और व्यक्ति एनीमिया नामक बीमारी से ग्रसित हो जाता है. हमारे शरीर में खून बनाने के लिए आयरन की जरूरत होती है. आयरन फेफड़ों और शरीर के बाकी हिस्सों में जरूरी आक्सीजन पहुंचाने का काम करता है. इस की कमी के कारण आप कई बीमारियों की चपेट में आ सकती हैं. साथ ही आयरन आक्सीजन का उपयोग मांसपेशियों में करता है और उसे स्टोर करने का काम भी करता है ताकि आप का शरीर हैल्दी बना रहे.

ऐसे पहचानें आयरन की कमी

थकान: थोड़ा काम कर के अगर आप थक जाती हैं जैसे अगर आप सीढि़यां चढ़ रहीं हैं और थोड़ी ही देर में आप की सांस फूलने लगती है तो इस का मतलब आप के शरीर में आयरन की कमी हो सकती है. कई बार तो ऐसा होता है कि आप ने नींद पूरी की हो फिर भी आप को थकान महसूस होने लगती है, इस से जाहिर होता है कि आप के शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो रही है. मतलब कि आप के शरीर में आयरन की कमी है.

पीरियड्स में असहनीय दर्द: अगर आप को मासिक चक्र के समय ज्यादा ब्लीडिंग हो रही है तो आप के शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो सकती है. इसलिए अगर आप को ऐसी समस्या है तो डाक्टर से जरूर मिलें और इस दौरान खाने में फल, सब्जी और दाल की मात्रा को बढ़ाएं.

सांस फूलना: अगर थोड़ाबहुत ही काम करते समय सांस फूलने लगे तो समझ लें कि आप के शरीर में अब आयरन की कमी होने लगी है. सामान्य तौर पर पुरूषों में हीमोग्लोबिन की मात्रा 13.5 से 17.5 और महिलाओं में 12.0 से 15.5 ग्राम प्रति डीएल होनी चाहिए. जबकि इस का आंकड़ा गर्भवती महिलाओं में 11 से 12 के बीच में ही रहता है.

धड़कनों का तेज होना: हीमोग्लोबिन शरीर में आक्सीजन को सही मात्रा में पहुंचाता है. लेकिन इस की जब कमी हो जाती है तो आक्सीजन दिल तक ठीक से पहुंच नहीं पाती जिस के कारण हमारी सांस फूलने लगती है और धड़कनें तेज हो जाती हैं.

टांगें हिलाना: अकसर हम देखते हैं कि कुछ महिलाएं अपनी टांगों को हिलाती रहती हैं. कुछ शोधों में सामने आया है कि जिन लोगों में आयरन की कमी होती है ऐसा करना उन की आदत होती है.

सिर दर्द: आक्सीजन का सिर्फ दिल ही नहीं दिमाग तक उचित मात्रा में पहुंचना भी जरूरी है. अगर आक्सीजन सही मात्रा में दिमाग तक नहीं पहुंचती है तो तेज सिर दर्द होता है जो किसी भी पेन किलर से जल्दी ठीक नहीं होता.

घबराहट होना: जब शरीर को आक्सजीन नहीं मिलती तो घबराहट होने लगती है. ऐसे में आयरन की गोलियां खानी चाहिए और संतरा लेना चाहिए. याद रहे विटामिन सी के बिना आयरन खून में अवशोषित नहीं होता.

प्रैगनैंसी में अजीब सी ललक: अकसर देखा जाता है कि जब महिलाएं प्रैगनैंट होती हैं तो अजीब सी चीजों की डिमांड करती हैं जैसे मिट्टी के बरतन खाना, आइस चबाना और चाक खाना. ऐसा शरीर में आयरन की कमी के कारण ही होता है.

बालों का झड़ना: महिलाएं अपने बालों को ले कर बहुत संजीदा रहती हैं. कोई भी महिला यह नहीं चाहेगी कि उसे बालों के झड़ने की समस्या हो. सभी महिलाएं चाहती हैं कि उन के बाल लंबे, घने, मुलायम और चमकदार रहें. लेकिन अगर शरीर में आयरन की कमी हो तो बालों के झड़ने की समस्या बढ़ जाती है. क्योंकि, ऐसे में शरीर को लगता है कि बाल और नाखून उतने जरूरी नहीं जितना दिल और दिमाग, और फिर प्राथमिकता के आधार पर वह काम करना शुरू कर देता है जिस से शरीर बाल और नाखून पर ध्यान देना बंद कर देता है.

अन्य लक्षण: आयरन की कमी के लक्षणों में कमजोरी और थकावट, चिड़चिड़ापन, आंखों के आगे अंधेरा, चक्कर, सिर दर्द, सांस लेने में समस्या, अनियमित पीरियड्स, बालों का झड़ना, नाखून का टूटना और चेहरे का पीला पड़ना आदि शामिल हैं.

आयरन की कमी को पूरा करने के उपाय

अगर आप के शरीर में आयरन की कमी का पता चले तो घबराएं नहीं. आप अपने डेली रूटीन में पौष्टिक और संतुलित भोजन को शामिल करें. साथ ही अपनी दिनचर्या भी संतुलित रखें. जरूरत पड़ने पर डाक्टर से संपर्क कर आयरन सप्लीमैंट जैसे लीवोजिन भी ले सकती हैं.

इस के साथसाथ अपनी डाइट में चोकरयुक्त आटा, मल्टीग्रेन आटा, चुकंदर, अनार, काबुली चना, अंकुरित अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियां, राजमा, संतरे का रस, सोयाबीन, हरी मूंग व मसूर दाल, सूखे मेवे, गुड़, अंगूर, अमरूद, अंडा और दूध, मेथी, रैड मीट, सरसों का साग, पालक, चौराई, मछली को शामिल करें.

गर्भावस्था में आयरन का महत्त्व

गर्भवती महिलाओं के लिए आयरन लेना नियमित रूप से जरूरी है. अगर इस की कमी हुई तो जच्चा और बच्चा दोनों के लिए खतरा बढ़ जाता है. हीमोग्लोबिन की मात्रा भी घट जाती है जिस से मां और बच्चा दोनों को एनीमिया का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए जब महिला प्रैगनैंट हो तो उसे पौष्टिक व आयरनयुक्त आहार दिया जाता है.

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