घर के लिए परदों का ऐसे करें चुनाव

घर का पहला अट्रैक्शन मुख्य दरवाज़ा होता है. अमूमन देखा गया है कि घर का मुख्य दरवाज़ा बहुत ही ख़ूबसूरती से बनाया गया होता है. ऐसे में परदे लगाने के बाद उसकी ख़ूबसूरती कहीं ख़राब न हो जाए, इसलिए परदों का चुनाव करते समय ध्यान दें. इसके लिए हैवी और ट्रेडिशनल परदे का चुनाव आप कर सकती हैं. इससे कमरे को क्लासी और रौयल टच मिलेगा.

गेस्ट रूम का मेकओवर करने के लिए परदों का चुनाव करते समय कमरे की सीलिंग का विशेष ध्यान रखें. कमरे की सीलिंग से मैच करता हुआ परदा आपके गेस्ट रूम का लुक ही बदल देगा. सीलिंग अगर क्रीम या व्हाइट है, तो परदे का कलर भी वैसा ही रखें, बस हो सके तो गोल्ड बौर्डर दें. यानी व्हाइट या क्रीम परदे के साथ गोल्ड बौर्डर आपके परदे और कमरे दोनों को रौयल टच देगा.

बेडरूम– अपने बेडरूम को डार्क पिंक कलर के परदे से सजाएं. स्ट्राइप्ड पिंक परदे बेडरूम को कंटेपरेरी लुक देते हैं. पिंक के साथ आप दूसरे लाइट कलर भी मिक्स कर सकती हैं. बेडरूम के परदे को हैवी रखने की बजाय लाइट या सिंथेटिक कपड़े का चुनाव करें. हो सके तो सिल्क के परदे यूज़ करें.

अट्रैक्टिव लिविंग रूम– सबसे पहले अपने लिविंग एरिया को स्मार्ट टच दें. घर में सोफे के कुशन्स के कलर से मैच करते हुए हैवी परदों का चुनाव करें. ये आपके लिविंग रूम को रौयल और क्लासी लुक देगा. वाल कलर को ध्यान में रखते हुए किसी एक वाल कलर से मैच करते हुए परदों का चुनाव आप कर सकती हैं.

डायनिंग रूम– डायनिंग रूम को अट्रैक्टिव लुक देने के लिए हैवी ब्रोकेड के फ्लोर टचिंग परदे लगाएं. खाने की टेबल पर बैठने के बाद आपके गेस्ट को एक अलग ही फील मिलेगा.

कम बजट में मनाना चाहती हैं विंटर हौलिडे तो यहां आएं

अगर आप सर्दी का मजा खुले आसमान के नीचे और खूबसूरत वादियों में लेना चाहती हैं तो आप ऐसे खूबसूरत मौसम में सैर पर निकल सकती हैं. वैसे ज्यादातर लोग सर्दी में पहाड़ी जगहों पर जाना और घूमना इग्नोर करते हैं, ऐसे में इस समय ट्रिप काफी सस्ती भी रहती है. इसलिए अगर आपका बजट कम है तो इस समय घूमना आपके लिए एक अच्छा औप्शन हो सकता है. यहां हम आपको कुछ ऐसे खूबसूरत और मनोरम जगहों के बारे में बता रहे हैं जहां जाने और समय बिताने का अनुभव बेहद खुशनुमा होगा.

कश्मीर– सर्दी के मौसम में कश्मीर की सैर पर जाना एक रोमांचक अनुभव हो सकता है क्योंकि इस समय यहां स्नोफौल होता है. यह तो हम सब जानते हैं कि कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहा जाता है लेकिन यहां सर्दियों में बेहद ठंड पड़ती है, जिससे यहां इस समय कम टूरिस्ट ही आते है, इसलिए अगर आप इस ठंड को झेल सकते हैं तो इस समय आप कश्मीर की सैर काफी कम बजट में कर सकती हैं.

दार्जिलिंग– पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग को पहाड़ों की रानी भी कहा जाता है. अगर आपको लगता है कि आप इस समय की ठंड हैंडल कर सकते हैं तो दिसंबर से मार्च के बीच दार्जिलिंग जरूर जाएं. वैसे दार्जिलिंग में मई से सितंबर के बीच काफी टूरिस्ट आते हैं और इनकी आवाजाही लगातार इस समय चलती रहती है क्योंकि इस समय यहां का मौसम काफी सुहाना होता है. नंवबर के आखिर से यहां टूरिस्ट का आना तकरीबन बंद होने लगता है. दिसंबर के बाद दार्जिलिंग में होटेल्स का रेंट भी कम रहता है और यहां पहुंचने का किराया भी कम होता है, ऐसे में यहां आप कम पैसों में बढ़िया हौलिडे मना सकती हैं.

मसूरी– उत्तराखंड में बसा मसूरी एक खूबसूरत हिल स्टेशन है, सर्दियों के मौसम में यहां काफी ठंड पड़ती है. औफ सीजन जो कि दिसंबर के आखिर से फरवरी के बीच रहता है इस समय यहां ठहरना काफी सस्ता हो सकता है. इसके अलावा ठंड की वजह से इस समय मसूरी में टूरिस्ट काफी कम आते हैं तो आप यहां भीड़-भड़ाके से दूर शांति से पहाड़ी वादियों का मजा ले सकती हैं. अगर आपको फोटोग्राफी का शौक है तो यहां आपको बर्फ से ढकी हुई खूबसूरत हिमालय की पहाड़ियों को अपने कैमरे में कैद कर सकती हैं.

केले के छिलकों का करें ऐसे इस्तेमाल

अगर आप गार्डनिंग के शौकीन हैं तो ये लेख आपको काफी मदद करेगा. आप जब भी केले को खाते होगें तो उसके छिलके को सीधा डस्‍टबीन में डालते होंगी. पर अब ऐसा न करें. लेकिन क्या आप जानती हैं, केले के छिलकों में भी काफी पोषक तत्‍व होते हैं और ये अच्‍छे उर्वरक होते हैं. जी हां सही पढ़ा आपने. तो आइए आज इस छिलकों के लाभ के बारे में बताते हैं.

banana peels

–  छिलकों को गर्म पानी में उबालकर रखा रहने दें. दो सप्‍ताह बाद इस पानी को पौधों में डाल दें, तब तक यह छिलके गल जाएंगे.

–  केले के छिलकों को काट लें और इसे खाद में मिला दें. कुछ दिनों बाद इसे पौधों में डालें, इससे आपके पौधे काफी अच्‍छे हो जाएंगे.

केले के छिलकों को मिक्‍सी में पीस लें और इसे गर्म पानी में मिलाकर रख दें. जब यह ठंडा हो जाएं तो पेड़ और पौधों में डाल दें.

ये उपाय अपनाएं, झुर्रियां भगाएं

उम्र बढ़ने के साथ हमारी त्वचा सूखती जाती है और इसका लचीलापन भी कम हो जाता है. ऐसा कोलेजन और इलास्टिन जैसे त्वचा प्रोटीन्स की कमी के कारण होता है. कई बार अनियमित जीवनशैली, गलत खानपान, अनिद्रा, तनाव आदि की वजह से भी चेहरे पर असमय झुर्रियां दिखने लगती है. इसलिए इन्हें रोकने के लिए आपको खट्टे फलों का सेवन करना आवश्यक है. इन्हें खा कर आप बुढ़ापे को स्वयं से कोसों दूर रख सकती हैं और दिन पर दिन सुंदर और जवां दिख सकती हैं. खट्टे फलों में पाया जाने वाला विटामिन सी झुर्रियों को दूर करने में बहुत सहायक होता है. आइये देखते हैं कि ऐसे कौन-कौन से फल हैं तो कि चेहरे से झुर्रियां भगा सकते हैं.

जरुर खाएं खट्टे फल

खट्टे फल जैसे संतरा, मुसम्‍मी, नीबू और अंगूर जैसे फलों का सेवन अधिक से अधिक मात्रा में करें क्योंकि इनमें विटामिन सी अधिक मात्रा में होता है. विटामिन सी कोलाजन और त्वचा के लिए दूसरे प्रोटीन बनाने में सहायक होता है.

संतरे का छिलका

संतरे के सूखे छिलकों का महीन चूर्ण गुलाब जल या कच्चे दूध में मिलाकर पीसकर आधे घंटे तक लेप लगाने से कुछ ही दिनों में चेहरा साफ, सुंदर और कांतिमान हो जाता है. कील मुंहासे-झाइयों व सांवलापन दूर होता है.

एण्टी एजिंग एण्टीआक्सिडेंट्स

कैंटालूप, आड़ू और खूबानी में जरूरी एण्टीसआक्सिडेंट्स पाये जाते हैं, जो कि एजिंग की प्रक्रिया का सामना करने में उपयोगी होते हैं.

गहरे रंग के फलों का सेवन

गहरे रंग के फल जैसे क्रैनबेरीज, खरबूजे, केले, प्लम और अंगूर में विटामिन और एण्टीआक्सिडेंट्स की मात्रा बहुत अधिक होती है, जो कि कोलाजन को टूटने से बचाते हैं और आपकी त्वचा को जवां बनाते हैं.

फाइब्रस फल

फाइबर युक्त फल जैसे ऐवोकैडो, अमरूद, खूबानी, अंजीर, डेट और करौदे हमारे पाचन तंत्र को ठीक रखने में मदद करते हैं. गेहूं फ्लैक्सिड और मेवों से हृदय से सम्बन्धी बीमारी, कैंसर, डायबिटीज और हाइपरटेंशन जैसी बीमारियों से बचाता है. फाइबर युक्त फलों में कम मात्रा में कैलोरीज भी पायी जाती हैं.

सभी विटामिन हैं खास

स्ट्राबेरी, ब्लूबेरी, केले और सेब में विटामिन बी, डी और ई की मात्रा अधिक होती है जिसको खाने से बेजान त्‍वचा में चमक आ जाती है

अब स्मार्ट सोफे से बनेगा आपका घर भी स्मार्ट

घर को सजाने में सोफे का काफी महत्व है. ये हर घर की ज़रूरत है. इससे आप अपने आशियाने को स्टाइलिश लुक दे सकती हैं. आजकल इसकी ढेरों वैरायटी बाजार में उपलब्ध है. आप अपनी पसंद और कमरे की साइज़ के मुताबिक स्टाइलिश सोफा ख़रीद सकती हैं. तो चलिए आज हम आपको इस लेख के जरिए बताते हैं कि कौन से डिजाइनर सोफे आपके घर की सुंदरता में चार चांद लगा सकते हैं.

सिंगल सिटर– अगर आपका कमरा अगर बहुत छोटा है तो आप सिंगल सिटर का सोफा खऱीदें. बड़े साइज़ का सोफा आप ख़रीदने से बचें. छोटे कमरे में कंफर्टेबल सीटिंग अरेंजमेंट के लिए स्टाइलिस्ट सिंगल सिटर सोफा बेहतरीन विकल्प है. कमरे के कौर्नर स्पेस का उपयोग करने के लिए आप वहां भी डिज़ाइनर सिंगल सिटर सोफा रख सकती हैं.

एल शेप– ये शेप भी आपके घर को डेकोरेट करने के लिए अच्छा औप्शन है. ये न स़िर्फ स्टाइलिस्ट दिखता है, बल्कि जगह भी कम लेता है. टिपिकल सोफा की बजाय ये आरामदायक और फ्लेक्सिबल भी होता है. साथ ही इस पर ज़्यादा लोग एडजस्ट भी हो सकते हैं. इन दिनों बाज़ार में एल शेप सोफा के ढेर सारे डिज़ाइन्स उपलब्ध है. इसलिए आप अपने घर की जगह और बजट के मुताबिक ये सोफा खरीद सकती हैं.

सोफा कम बेड– अगर आपके घर में अक्सर मेहमानों का आना-जाना लगा रहता है या फिर आपका घर छोटा है तो, नौर्मल सोफा की बजाय सोफा कम बेड बेहतरीन विकल्प होगा. वैसे भी अब थ्री सिटर टिपिकल सोफा कम ही पसंद किया जाता है. मेट्रो सिटिज़ में कमरे छोटे होने के कारण सोफा कम बेड ज़्यादा पसंद किया जाता है. इसलिए आपके लिए ये बेहतर विकल्प हो सकती है.

मल्टी सिटर सोफा –  अगर आप अपने घर में कुछ डिफरेंट करना चाहती हैं तो मल्टी सिटर सोफा के दोनों साइड डिफरेंट डिज़ाइन का सोफा रखें या फिर मल्टी सिटर और सिंगल डिज़ाइन को एक जैसा ही रहने दें और सिटिंग एरिया में उसके आसपास डिफरेंट स्टाइल में चेयर अरेंज करें. आप चाहें तो उस एरिया को आकर्षक बनाने के लिए कुछ डेकोरेटिव आइटम्स का भी इस्तेमाल कर सकती हैं.

दीवान सोफा– अगर आप बेडरूम के लिए सोफा ख़रीदने की सोच रही हैं,  तो नौर्मल सोफा की बजाय दीवान आपके लिए बेस्ट रहेगा. ये बेंच की तरह होता है यानी इसके पीछे सपोर्ट नहीं रहता. बैठने के साथ ही आप इसमें कपड़े, बेडशीट, एक्स्ट्रा कपड़े भी स्टोर कर सकती हैं. इसमें ऊपर की सीट हटाने पर अंदर स्टोरेज की व्यवस्था होती है.

बेसन के लड्डू

सामग्री

– 1 कप बेसन

– थोड़ा सा इलायची पाउडर

– 1/4 कप घी

– 1/2 कप पिसी हुई चीनी

– गार्निशिंग के लिए थोड़ा सा पिस्ता कटा.

विधि

– बेसन को छान लें.

– भारी तले वाली कड़ाही में घी गरम कर बेसन को हलका सुनहरा होने तक भूनें.

– तैयार मिश्रण को थाली में निकाल कर थोड़ा ठंडा करें और फिर इस में इलायची पाउडर व चीनी अच्छी तरह मिक्स करें.

– मिश्रण के लड्डू बना कर पिस्ते से सजा कर सर्व करें.

 

रवा कोकोनट बरफी

सामग्री

– 3 बड़े चम्मच घी

– 3/4 कप सूजी

– 1/2 कप नारियल कद्दूकस किया

– 2 कप दूध

– 3/4 कप चीनी

– 1 छोटा चम्मच इलायची पाउडर

– गार्निशिंग के लिए पिस्ता.

विधि

– पैन में घी गरम कर उस में सूजी को हलका सुनहरा होने तक भूनें.

– अब उस में नारियल डाल कर 5 मिनट तक चलाएं और फिर आंच से उतार कर एक तरफ रख दें.

– एक अन्य पैन में दूध को धीमी आंच पर उबाल कर उस में सूजी मिक्स्चर डाल अच्छी तरह चलाएं.

– दूध सूख जाए तो उस में चीनी और इलायची पाउडर डाल कर अच्छी तरह चलाएं. फिर इसे तब तक चलाती रहें जब तक कि मिक्स्चर घी न छोड़ने लगे.

– अब एक ट्रे में घी लगा कर स्पैचुला से मिक्स्चर को फैला कर सैट होने के लिए फ्रिज में थोड़ी देर रखें.

– जब बरफी अच्छी तरह सैट हो जाए तो उसे मनचाही शेप दे कर पिस्ते से गार्निश कर सर्व करें.

 

बनाना फेस मास्क से पाइये दमकती त्वचा

केला आपकी त्वचा की देखभाल कर उसे आकर्षक, मुलायम व चमकदार बनाने में बड़ा महत्‍वपूर्ण रोल अदा करता है. इसके पेस्‍ट को लगाने से त्‍वचा पर असमय झुर्रियां नहीं पड़ती. यहां पर केले से बनाएं जाने वाले कुछ प्राकृतिक फेस मास्‍क दिये जा रहे हैं जिनका उपयोग कर आप कुछ ही दिनों में दमकती त्वचा पा सकती हैं.

केला

केले को पीस लें और अपने चेहरे तथा गर्दन पर लगाएं. इसको 10-15 मिनट के लिये चेहरे पर लगा रहने दें और बाद में ठंडे पानी से धो लें. आप चाहें तो इसके बाद अपने चेहरे पर बरफ भी लगा सकती हैं. केला लगाने से आपका चेहरा ग्‍लो करने लगेगा.

केला और तेल

एक पिसा हुआ केला और 1 चम्‍मच औलिव आयल या बादाम तेल को आपस में मिलाइये. अब इस पेस्ट को अपनी त्‍वचा पर लगाइये. इसे 10-15 मिनट तक के लिये लगा रहने दीजिये और फिर पानी से धो लीजिये.

केला और दूध

आधा केला लीजिये और उसमें 1 चम्‍मच दूध डालिये. इसे पीस लीजिये और चेहरे पर 15-20 मिनट के लिये लगा लीजिये. इसे लगाने के बाद आपका चेहरा ग्‍लो करेगा और कोमल हो जाएगा.

केला और शहद

केला और शहद दोनो ही एक अच्‍छे मौइस्‍चराइजर होते हैं. आधा केला पीस लें और उसमें 1 चम्‍मच शहद मिलाएं. अब इसे अपने चेहरे तथा गर्दन पर लगाएं और 15 मिनट के बाद चेहरा धो लें. इसके बाद स्‍टीमिंग लें और फिर मौइस्‍चराइजर लगा लें.

केला और ओट

एक कटोरे में आधा कप ओट और आ‍धा केला मिला लीजिये. अब इसे अपने चेहरे पर लगाइये और 10 मिनट तक लगा रहने दीजिये, उसके बाद इसे हल्‍के हाथों से पानी से रगड़ कर छुडा़ लीजिये. इससे ब्‍लैकहेड और डेड स्‍किन हट जाएगी.

तो वैवाहिक जीवन रहेगा खुशहाल

चित्रा विवाह के 3 महीने बाद पहली ही बार मायके आई और आते ही उस ने अपने पिता के गले लग कर रोते हुए कहा कि अब वह वापस अपने ससुराल कभी नहीं जाएगी. उस के मातापिता यह सुन कर घबरा गए कि जिस बेटी का विवाह उन्होंने इतने धूमधाम से किया था, अचानक ससुराल में उस के साथ ऐसा क्या हुआ कि उस को यह निर्णय लेना पड़ रहा है. दामाद समीर तो विवाह के पहले भी कई बार घर आ चुका था. उस में तो कभी कोई कमी नहीं लगी.

मातापिता का इकलौता बेटा, सुदर्शन व्यक्तित्व के साथ पढ़ालिखा और अच्छी कंपनी में कार्यरत है. कोई बुरी आदत भी नहीं है. सब कुछ देखसुन कर ही विवाह तय किया था. उस के मातापिता भी सुलझे हुए और आधुनिक विचारों के लगे. दहेज की भी कोई मांग नहीं थी. उन्होंने सोचा जरूर कोई गंभीर समस्या है, जो चित्रा को विवाह के बाद ही पता चलने के कारण उस ने ऐसा निर्णय लिया है. लेकिन उन्होंने जब उस से कारण पूछा तो उन को समझ नहीं आया कि वे क्या प्रतिक्रिया दें.

चित्रा ने बताया कि समीर, जोकि विवाह के पहले उसे इतना प्यार करता था, विवाह के बाद हर समय उसे टोकता रहता है कि मैं ऐसा कुछ न करूं, जिस से कि उस के मातापिता को बुरा लगे. सुबह 6 बजे ही उठ कर किचन में नाश्ता तैयार करने के लिए कहता है.

चित्रा जौब भी कर रही थी. लौट कर थकीहारी होने पर भी सासूमां के साथ किचन में हाथ बंटाना पड़ता है, सासूमां तो कुछ नहीं कहतीं, लेकिन समीर नहीं चाहता कि उस की मां अकेले ही सब काम करे. समीर चित्रा का हाथ बंटाना चाहता है, लेकिन विवाह के पहले उस ने कभी किचन में काम किया नहीं. इसलिए उस के मातापिता क्या सोचेंगे, यह सोच कर संकोच करता है. सारी गड़बड़ समीर के मातापिता के कारण है, इसलिए अब वह उस के साथ अकेला रहेगा तभी वहां जाएगी.

चित्रा के मातापिता ने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि उन की लाडली इतनी छोटीछोटी बातों के पीछे अपना ससुराल छोड़ कर आ जाएगी. उन्हें लगा कि उन की परवरिश में ही कुछ कमी रह गई, जिस के कारण उन को यह दिन देखना पड़ रहा है.

आखिर चित्रा के इस निर्णय के पीछे की मानसिकता के क्या कारण हो सकते हैं, आइए जानने की कोशिश करते हैं:

–  मातापिता के अत्यधिक लाड़प्यार के परिणामस्वरूप उस की हर उचितअनुचित मांग को पूरी करना, जिस के कारण वह आत्मकेंद्रित हो गई है.

– उस को किताबी शिक्षा तो बहुत दी गई, लेकिन व्यावहारिक ज्ञान नहीं दिया गया रिश्तों के प्रति संवेदनशील रहना और रिश्तों के साथ समझौता करना तो सिखाया ही नहीं गया. जबकि विवाह संस्था का आधार ही समझौता है.

–  बेटियों का अत्यधिक ध्यान रखना भी वजह हो सकती है. कुछ भी काम करने की आदत नहीं होने से किसी भी काम को करने के लिए आत्मनिर्भर नहीं बन पातीं. इसलिए वे थोड़ा सा भी काम करने की जिम्मेदारी लेने से कतराने लगती हैं.

–  आज की महिलाओं के पक्ष में बने विशेष कानूनों के कारण भी विवाह जैसी संस्था के प्रति उन की प्रतिबद्धता में कमी आई है. महिलाएं उन का सदुपयोग कम और दुरुपयोग अधिक कर रही हैं.

–  आजकल की महिलाओं में सहनशीलता की बहुत कमी है. विवाह के पहले मनमाने दैनिक कार्यकलाप होने के कारण, जरा सा भी जीवन में बदलाव उन को असहनीय लगता है और वे विद्रोह करने लगती हैं.

–  समाज का विवाह के प्रति बदलता दृष्टिकोण भी दोषी है. आएदिन मीडिया द्वारा या जानपहचान के लोगों द्वारा तलाक की खबरें भी उन्हें गुमराह करती हैं.

–  मातापिता भी अपनी बेटियों के विवाह के बाद उन के जीवन में हस्तक्षेप करने से नहीं चूकते और बिना किसी ठोस कारण के उन को ससुराल वालों से अलग रहने के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं.

–  परिवार से दूर रह कर पढ़नेलिखने से या नौकरी करने से उन्हें परिवार की महत्ता का एहसास ही नहीं होता.

–  महिलाएं विवाह से अधिक अपने कैरियर को महत्त्व देती हैं. विवाह के बाद घरगृहस्थी संभालना या ससुराली रिश्तों को समय देना उन्हें अपने कैरियर में बाधा लगती है.

कुछ अहम सुझाव

इस से पहले कि बेटी या बेटे की वैवाहिक जिंदगी प्रभावित हो, निम्न सुझावों पर अमल कर उन की जिंदगी बेहतर बना सकते हैं :

–  बचपन से ही मातापिता द्वारा बेटियों को घर के कार्यों में हाथ बंटाना सिखाना चाहिए. लेकिन आजकल वे नौकरी कर के पति को आर्थिक सहयोग भी देती हैं, इसलिए बेटों को भी गृहकार्य में रूचि लेना सिखाना चाहिए.

–  घर से दूर रहते हुए भी उन को रिश्तों के प्रति संवेदनशीलता सिखाइए. रिश्तेदारों या जानपहचान वालों के किसी भी समारोह का उन को भी हिस्सा बनने की प्रेरणा दीजिए.

–  उन को आत्मकेंद्रित न बनने देने के लिए उन की हर इच्छा पूरी मत कीजिए, जिस से कि वे सिर्फ अपने बारे में ही न सोचें और उन को कमी में भी रहने की आदत पड़े.

– उन्हें समझाइए कि पढ़ाई और नौकरी के साथ वैवाहिक जीवन का सुचारु रूप से निर्वहन करना भी एक महिला का कर्तव्य है. कैरियर से अधिक परिवार को महत्त्व देना सिखाइए. किताबी ज्ञान के साथ उन्हें व्यावहारिक ज्ञान भी दीजिए.

–  बेटी की सहेलियों पर कड़ी नजर रखिए. अच्छी संगत का हमारे जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और बुरी संगत का नकारात्मक.

– विवाह के बाद सासससुर के साथ रहने के फायदे उन्हें बताइए. उन्हें बताइए कि थोड़ा सा त्याग करने से उन के द्वारा मिला हुआ आशीर्वाद किसी वरदान से कम नहीं है. घर में बड़ेबजुर्गों के साथ रह कर उन के  अनुभवों से हम बहुत कुछ सीखते हैं.

–  नई बहू को ससुराल के नए वातावरण में ढलने के लिए, सासससुर को उस को थोड़ा स्पेस भी देना चाहिए. विवाह होते ही उस पर किचन की पूरी जिम्मेदारी नहीं लाद देनी चाहिए.

– बहूबेटे को आपसी सामंजस्य बैठाने के लिए अकेले रहने का समय देना चाहिए. उन को अकेले घूमने जाने देना चाहिए, जिस से कि उन के वैवाहिक जीवन की नींव मजबूत हो.

–  बदले समय के साथ सासससुर की नई बहू के प्रति सोच में बदलाव आना बहुत आवश्यक है. यदि हम अपने जमाने से तुलना करेंगे तो बहू हमारी कल्पना में कभी फिट नहीं बैठेगी. पहले जमाने में बहू ससुराल के तौरतरीकों के लिए समर्पित रहती थी, लेकिन विपरीत इस के आधुनिक समय में आत्मनिर्भर होने के कारण, उन की अपनी भी व्यक्तिगत सोच होती है और उस आधार पर वे तर्क करती है. इसलिए उन के मूल्यों को भी महत्त्व देना ससुराल वालों का कर्त्तव्य है.

कुछ विशेष कारणों को छोड़ कर मातापिता द्वारा बेटियों और बेटों की परवरिश पर ही विवाह सफल और असफल होने की जिम्मेदारी है. यदि इस का ध्यान रखा जाए तो उन की जिंदगी खुशहाल रहेगी.

बच्चों के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं खिलौने

याद करिए वो दिन जब आप बच्चे थे और आपके वो दिन अलगअलग भूमिका निभाने में ही बीतते थे. लेकिन वो पुराने दिन सिर्फ मस्ती तक ही सीमित नहीं थे, बल्कि उससे भी कहीं ज्यादा.

आपको बता दें कि रोल प्ले करना बच्चों के विकास का मुख्य चरण माना जाता है, क्योंकि इससे बच्चा क्रिएटिव सोंचना, समस्याओं को सुलझाना, व्यावहारिक समझ, घुलनामिलना व बात करना सीखता है. यहां तक कि वह नए रोल निभाने की भी कोशिश करता है और दुनिया को अपने नजरिए से देखने लगता है. उसमें सहानुभूति व कल्पनाशीलता का भी विकास होता है.

यही नहीं इससे बच्चा विभिन्न परिस्थितियों व समस्याओं से जूझना सीखता है जिसको लेकर अकसर हम चिंतित रहते हैं. जैसे बच्चा अपनी गुडि़या को इंजैक्शन लगाते समय उसे यह एहसास कराता है कि ‘इससे तुम्हें दर्द नहीं होगा.’ जो बच्चे के डाक्टर के पास जाने के डर को दूर करता है.

इतना ही नहीं बच्चों में खेलों के जरिए रोजाना बदलाव आने के साथ वे नई चीजें जानने के साथ कुछ नया करने की कोशिश करते हैं. कल्पनाशीलता उन्हें समर्थ बनाती है जो उनके जीवन की नई दिशा देने का काम करती है.

इसी दिशा में अमेरिका की मल्टीनैशनल टोए कंपनी मेटल काफी वर्षों से प्रयासरत है ताकि वे बच्चों को क्रिएटिव बनाने की दिशा में अहम रोल अदा कर सकें.

रोल प्ले गेम्स जैसे चैटर टेलीफोन, एल ऐंड एल स्मार्ट स्टेजिस स्मार्ट फोन, ग्रे स्वीट मैनर टी सैट, मैडिकल किट न सिर्फ दिखने में स्मार्ट है बल्कि बच्चों के विकास में इनका अहम योगदान है.

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