इस सर्दी ट्राई करें गुड़ वाले मीठे मखाने

मखाने किसे पसंद नहीं होते. और सर्दियों में तो गुड़ भी खाना चाहिए. तो इस सर्दी ट्राई करें गुड़ वाले मीठे मखाने. ऐसे बनाएं गुड़ वाले मीठे मखाने.

सामग्री

50 ग्राम मखाने

50 ग्राम गुड़

1 बड़ा चम्मच देशी घी.

विधि

मखाने को घी में धीमी आंच पर करारा भून लें. एक नौनस्टिक कड़ाही में गुड़ को कद्दूकस कर के डालें व पिघलाएं. इस में मखाने डाल कर उलटेपलटें ताकि गुड़ में मखाने अच्छी तरह लिपट जाएं. सर्विंग प्लेट में निकाल लें. ठंडा होने दें. गुड़वाले मखाने तैयार हैं.

व्यंजन सहयोग: नीरा कुमार

कहीं आप भी अनचाहे सेक्स की शिकार तो नहीं

दिन ब दिन बलात्कार की घटनाओं में बढ़ोतरी होती जा रही है. इस के कई कारण हैं, जिन में एक है मानसिक हिंसा की प्रवृत्ति का बढ़ना. बलात्कार शब्द से एक लड़की या युवती पर जबरदस्ती झपटने वाले लोगों के लिए हिंसात्मक छवि उभर कर सामने आती है. इस घृणित कार्य के लिए कड़े दंड का भी प्रावधान है. मगर बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि वैवाहिक जिंदगी में भी बलात्कार वर्जित है और इस के लिए भी दंड दिया जाता है. मगर इसे बलात्कार की जगह एक नए शब्द से संबोधित किया जाता है और वह शब्द है अनचाहा सेक्स संबंध.

आज अनचाहे सेक्स संबंधों की संख्या बढ़ गई है. समाज जाग्रत हो चुका है और अपने शरीर या आत्मसम्मान पर किसी भी तरह का दबाव कोई बरदाश्त नहीं करना चाहता है. इस विषय पर हम ने समाज के विभिन्न वर्ग के लोगों से बातचीत भी की और जानने की कोशिश की कि आखिर क्या है यह अनचाहा सेक्स संबंध?

डा. अनुराधा परब, जो एक प्रसिद्ध समाजशास्त्री हैं, बताती हैं, ‘‘बलात्कार और अनचाहे सेक्स में बहुत महीन सा फर्क है. बलात्कार अनजाने लोगों के बीच हुआ करता है और एक पक्ष इस का सशरीर पूर्ण विरोध करता है. अनचाहा सेक्स परिचितों के बीच होता है और इस में एक पक्ष मानसिक रूप से न चाह कर भी शारीरिक रूप से पूर्णत: विरोध नहीं करता है. सामान्यत: यही फर्क होता है. मगर गहराई से जाना जाए तो बहुत ही सघन भेद होता है. ‘‘अनचाहा सेक्स ज्यादातर पतिपत्नी के बीच हुआ करता है और आजकल प्रेमीप्रेमिका भी इस संबंध की चपेट में आ गए हैं. आधुनिक युग में शारीरिक संबंध बनाना एक आम बात भले ही हो गई हो, फिर भी महिलाएं इस से अभी भी परहेज करती हैं. कारण चाहे गर्भवती हो जाने का डर हो या मानसिक रूप से समर्पण न कर पाने का स्वभाव, मगर अनचाहे सेक्स संबंध की प्रताड़नाएं सब से ज्यादा महिलाओं को ही झेलनी पड़ती हैं.’’

वजह वर्कलोड

एक एडवरटाइजिंग कंपनी में मार्केटिंग मैनेजर के पद पर कार्यरत पारुल श्रीनिवासन, जिन का विवाह 6 साल पहले हुआ था, एक चौंका देने वाला सत्य सामने लाती हैं. वह बताती हैं, ‘‘मैं अपने पति को बेहद प्यार करती हूं. उन के साथ आउटिंग पर भी अकसर जाती रहती हूं, मगर सेक्स संबंधों में बहुत रेगुलर नहीं हूं. इस का कारण जो भी हो, मगर मुझे ऐसा लगता है कि इस का मुख्य कारण है, हम दोनों का वर्किंग  होना. शुरूशुरू में 1 महीना हम दोनों छुट्टियां ले कर हनीमून के लिए हांगकांग और मलयेशिया गए थे. वहां से आने के बाद अपनेअपने कामों में व्यस्त हो गए. रात को बेड पर जाने के बाद सेक्स संबंध बनाने की इच्छा न तो मुझे रहती है, न मेरे पति को. पति कभी आगे बढ़ते भी हैं तो मैं टालने की पूरी कोशिश करती हूं.’’

कारण की तह तक पहुंचने पर पता चला कि शुरूशुरू के दिनों में पति सेक्स संबंध बनाना चाहता था. मगर पारुल को अपनी मार्केटिंग का वर्कलोड इतना रहता था कि वह उसी में खोई रहती थी. पति के समक्ष अपना शरीर तो समर्पित कर देती थी, मगर मन कहीं और भटकता रहता था. पति को यह प्रक्रिया बलात्कार सी लगती. कई बार समझाने, मनाने की कोशिश भी उस ने की. मगर पारुल हमेशा यही कहती कि आज मूड नहीं बन रहा है. और एक दिन पारुल ने खुल कर कह ही दिया कि वह यदि सेक्स संबंधों में रत होती भी है तो बिना मन और इच्छा के. वह अनचाहा सेक्स संबंध जी रही है. पति को यह बुरा लगा और धीरेधीरे सेक्स के प्रति उसे भी अरुचि होती चली गई.

भयमुक्त करना जरूरी

ऐसी कई पत्नियां हैं, जो अनचाहा सेक्स संबंध बनाने पर विवश हो जाती हैं. मगर तबस्सुम खानम की कहानी कुछ और ही है.  26 वर्षीय तबस्सुम एक टीचर हैं, उन के पति उन से 12 साल बड़े हैं. उन की एक दुकान है. वह बताती हैं, ‘‘जब मैं किशोरी थी, तभी से मुझे सेक्स संबंधों के प्रति भय बना हुआ था. सहेलियों से इस को ले कर सेक्स अनुभव की बातें करती थीं और मुझे सुन कर डर सा लगता था. मैं सहेलियों से कहती थी कि मैं तो अपने शौहर से कहूंगी कि बस मेरे गले लग कर मेरे पहलू में सोए रहें. इस से आगे मैं उन्हें बढ़ने ही नहीं दूंगी. सभी सहेलियां खूब हंसती थीं. जब मेरी शादी हुई तो शौहर हालांकि बड़े समझदार हैं, मगर शारीरिक उत्तेजना की बात करें तो खुद पर संयम नहीं रख पाते हैं.’’

थोड़ा झिझकती हुई, थोड़ा शरमाती हुई तबस्सुम बताती हैं, ‘‘मेरे पति ने मेरे लाख समझाने पर भी सुहागरात के दिन ही मुझे अपनी मीठीमीठी बातों में बहला लिया. उन का यह सिलसिला महीनों चलता रहा, मुझे आनंद का अनुभव तो होता, मगर भय ज्यादा लगता था. मेरा भय बढ़ता गया. जब भी रात होती, मेरे पति बेडरूम में प्रवेश करते, मैं डर से कांप उठती थी. हालांकि मेरे पति के द्वारा कोई भी अमानवीय हरकत कभी नहीं होती. काफी प्यार और भावुकता से वे फोरप्ले करते हुए, आगे बढ़ते थे. मगर मेरे मन में जो डर समाया था, वह निकलता ही न था. 3 महीनों के बाद जब मैं गर्भवती हो गई तो डाक्टर ने हम दोनों के अगले 2 महीनों तक शारीरिक संबंध बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया था. मुझे तो ऐसा लगाजैसे एक नया जीवन मिल गया. मेरा बेटा हुआ. इस बीच मैं ने धीरेधीरे पति को अपने डर की बात बता दी और वे भी समझ गए. मेरे पति ने भी परिपक्वता दिखाई और मुझ से दूर रह कर मुझे धीरेधीरे समझाने लगे. वे सेक्स संबंधों को स्वाभाविक और जीवन का एक अंश बताते. अंतत: उन्होंने मेरे मन से भय निकाल ही दिया.’’

इच्छाअनिच्छा का खयाल

विनोद कामलानी, जो एक प्रसिद्ध मनोचिकित्सक हैं, अपना क्लीनिक चलाते हैं, बताते हैं, ‘‘तबस्सुम के मन में बैठा हुआ सेक्स का डर था. बहुत सी लड़कियां इस भय से भयातुर हुआ करती हैं. मगर बहुत कम पति ऐसे होते हैं, जो धीरेधीरे इस भय को निकालते हैं. ऐसे कई केस मेरे पास आते हैं. पुरुषों के भी होते हैं, मगर अनचाहे सेक्स की शिकार ज्यादातर महिलाएं ही हुआ करती हैं.’’ डा. कामलानी के ही एक मरीज तरुण पटवर्धन ने बताया कि उन की शादी को 3 साल हो गए हैं, मगर आज तक उन्होंने अनचाहा सेक्स संबंध ही जीया है.

तरुण के अनुसार, विवाहपूर्व उन का प्रेम अपने पड़ोस की एक लड़की से था. किसी कारणवश शादी नहीं हो पाई, मगर प्रेम अभी भी बरकरार है. उस लड़की ने तरुण की याद में आजीवन कुंआरी रहने की शपथ भी ले रखी है. यही कारण है कि जब भी तरुण अपनी पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने की पहल करते हैं, उन की प्रेमिका का चेहरा सामने आ जाता है. उन्हें एक ‘गिल्ट’ महसूस होता है और वे शांत हो कर लेट जाते हैं. वे अपनी पत्नी से यह सब कहना भी नहीं चाहते हैं वरना उस के आत्मसम्मान को चोट पहुंचेगी. चूंकि उन की पत्नी तरुण को सेक्स प्रक्रिया बनाने में अयोग्य न समझे, उन्हें अपनी पत्नी के साथ सेक्स संबंध बनाना पड़ता है. वे सेक्स संबंध बिना मन, बिना रुचि के बनाते हैं और इस तरह वे अनचाहा सेक्स संबंध ही जी रहे हैं.

एक सर्वे के अनुसार, आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में काम की होड़ और आगे निकलने की चाह ने इनसान को मशीन बना दिया है. पैसा कमाना ही एक मात्र ध्येय बन चुका है. ऐसी भागदौड़ में इनसान सेक्स संबंधों के प्रति इंसाफ नहीं कर पाता है और बिना मन और बिना प्रोपर फोरप्ले के बने हुए सेक्स संबंध, मन में सेक्स के प्रति अरुचि पैदा कर देते हैं. यहीं से शुरुआत होती है अनचाहे सेक्स संबंधों की. अपने पार्टनर की खुशी के लिए संबंध बनाना कभीकभी विवशता भी होती है. अंतत: यही संबंध ऊब का रूप धारण कर लेते हैं या पार्टनर बदलने की चाह मन में उठती है. यद्यपि यह अनचाहा सेक्स पश्चिमी देशों में तेजी से बढ़ रहा है, भारत भी इस से अछूता नहीं है, परंतु यहां का अनुपात अन्य देशों के मुकाबले नगण्य है.

विश्व एड्स दिवस 2018 : जागरूकता ही एड्स का बेहतर इलाज

इस विश्व एड्स दिवस (1 दिसंबर 2018), रोशे डायग्नोस्टिक्स इंडिया दुनिया भर में लोगों के बीच एचआईवी/एड्स के बारे में जागरूकता बढ़ाने और 2020 तक 75 प्रतिशत आबादी के बीच “एचआईवी रोकथाम” के लिए काम कर रहा है. यह लक्ष्य यूएन एड्स द्वारा निर्धारित किया गया है. वैसे तो ज्यादातर लोगों को पता है कि असुरक्षित यौन संबंध से वे एचआईवी से संक्रमित हो सकते हैं, लेकिन बहुत बडी जनसंख्या को ये नहीं मालूम कि एचआईवी संक्रमित होने का एक और तरीका है, वह है असुरक्षित रक्त चढ़ाने (रक्ताधान) की प्रक्रिया.

2017 के अंत तक भारत में अनुमानत: 21.40 लाख लोग एचआईवी संक्रमित है. खतरनाक बात ये है कि उनमें से 20 प्रतिशत अपने संक्रमित होने को ले कर अनजान हैं. हालांकि एचआईवी पर जागरूकता पैदा करने, एड्स के साथ जीने, असुरक्षित यौन संबंधों से बचने को ले कर बहुत कुछ किया जा रहा है. लेकिन आज जरूरी है कि भारत की बड़ी आबादी को विभिन्न तरीकों से एचआईवी संक्रमण के संचारित होने को ले कर जागरूक किया जाए. लोगों को इस घातक संक्रमण से बचने के लिए रक्ताधान से पहले रक्त परीक्षण के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है, ताकि जो संक्रमित है वे आगे संक्रमण न फैलाए.

2016 में किए रक्त बैंकों का राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (एनएसीओ) ने मूल्यांकन किया था. इसके मुताबिक, देश में कुल 2626 कार्यात्मक रक्त बैंक हैं. भारत को प्रति वर्ष 12.2 मिलियन करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत होती है, जिसमें से केवल 11 मिलियन ब्लड यूनिट ही मिल पाते हैं. ऐसे में, सुरक्षित रक्ताधान पर ध्यान केंद्रित करना बहुत आवश्यक है.

इस संदर्भ में, मरीजों की जरूरतों को पूरा करने और सुरक्षित व गुणवत्तापूर्ण रक्त एवं रक्त घटक की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भारत में रिजनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन सेंटर्स (आरबीटीसी) द्वारा किए जा रहे प्रयास बहुत महत्वपूर्ण है. भारत में ब्लड ट्रांसफ्यूजन इकोसिस्टम में विभिन्न संगठनों से आरबीटीसी को मिल रहा समर्थन इस सन्देश को सब किसी तक पहुंचाने के लिए महत्वपूर्ण है.

इस विषय पर व्यापक संदेश क्यों महत्वपूर्ण है? हमने ट्रांसफ्यूजन के लिए 11 मिलियन यूनिट रक्त की उपलब्धता की बात की. इनमें से 71 प्रतिशत कंपोनेंट को अलग किया जाता है, जो बताता है कि अधिकांश ब्लड यूनिट को कंपोनेंट में विभाजित किया जाता है. यानी, खून के एक बैग से लगभग 3 लोगों को लाभ मिलता है. यदि वैश्विक स्तर पर स्वीकार्य और प्रौद्योगिकियों के साथ खून की जांच नहीं की जाती है और ट्रांसफ्यूजन की प्रक्रिया निर्धारित मानकों के अनुरूप नहीं है, तो इससे एचआईवी संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.

न्यूक्लिक एसिड एम्पलीफिकेशन टेक्नोलौजी (एनएटी), पारंपरिक स्क्रीनिंग विधियों के मुकाबले अधिक प्रभावी ढंग से दान किए गए ब्लड में संक्रमण का पता लगा सकती है. यह एंटीबौडी या एंटीजीन (वायरस से मिलने वाले प्रोटीन) के बजाय वायरल जीन का पता लगाती है. वायरल जीन का पता लगने से संक्रमण का पता जल्दी चल जाता है, क्योंकि एंटीबौडी की उपस्थिति में डोनर द्वारा संक्रमण विकास के लिए समय की आवश्यकता होती है. चूंकि खून प्रवाह में उच्च स्तर पर एंटीजीन का पता लगाने के लिए समय की आवश्यकता होती है. इसलिए यदि पारंपरिक स्क्रीनिंग की जाती है तो संक्रमण का पता शायद न लग पाए.

विश्व स्वास्थ्य संगठन स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, दान किए गए रक्त में संक्रमण, रक्त समूह और अनुकूलता परीक्षण की सिफारिश करता है. एक स्क्रीनिंग तकनीक के रूप में एनएटी, वायरल संक्रमण के साथ विंडो पीरियड डोनेशन का पता लगाने में प्रभावी साबित हुआ है. दुनिया भर के कई देशों ने रक्त परीक्षण में एनएटी को अनिवार्य बनाया है. भारत के 17 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में केवल 81 साइट ही हैं, जो रक्त जांच के लिए एनएटी प्रक्रिया अपनाती है, क्योंकि यह अभी तक अनिवार्य नहीं बनाया गया है.

भारत में एचआईवी प्रसार की प्रवृत्ति भी दिलचस्प है. एचआईवी संक्रमित कुल अनुमानित लोगों में से 42 प्रतिशत महिलाएं थीं. अनुमानत:, 22,677 गर्भवती महिलाओं को एचआईवी के मां-से-बच्चे में संचरित होने से रोकने के लिए एआरटी की आवश्यकता थी. ये आकडे सुरक्षित यौन संबंध और रक्त संक्रमण के माध्यम से एचआईवी रोकथाम पर जागरूकता पैदा करने व महिलाओं पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता को बताते है. ये जरूरत अब महिला स्वास्थ्य क्षेत्र के रूप में बदला है और भारत सरकार ने एरिया ऑफ एक्शन के रूप में इसे लिया भी है.

हालांकि, हमने एचआईवी संक्रमण रोकथाम की कोशिश की है. फिर भी यह जरूरी है कि एचआईवी के लिए स्क्रीनिंग को प्रोत्साहित किया जाए, ताकि वाहक अपनी स्थिति से अवगत हों और अनजाने में संक्रमण न फैलाए. साल 2017 में लगभग 87.58 हजार नए एचआईवी संक्रमण के केस सामने आए और 69.11 हजार एड्स से संबंधित मौतें हुई.

अच्छी बात ये है कि नाको और ट्रांसफ्यूजन विशेषज्ञों के प्रयासों के कारण भारत में एचआईवी प्रसार में कमी आ रही है. इससे उम्मीद बंधती है कि यदि पूरा इकोसिस्टम एड्स संक्रमण, स्क्रीनिंग और लक्षित जनसंख्या के बीच अपना प्रयास को केंद्रित करे और जागरूकता की दिशा में काम करे, तो भारत में यूएन एड्स का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है. भारत के प्रमुख ब्लड बैंकों में एनएटी-परीक्षण इस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में पहला कदम हो सकता है!

डा संदीप सेवलिकर, हेड – मेडिकल एंड साइंटिफिक अफेयर्स, रोशे डायग्नोस्टिक्स इंडिया

9 तरीके जींस पहनने के

डैनिम अच्छी क्वालिटी वाली क्लासिक लुक का नाम है जो हमेशा फैशन में रहती है.  जींस का इस्तेमाल हम रोजाना कुछ विशेष अवसरों पर पहनने के लिए करते हैं. हमारी टिप्स के जरिए जींस को सुपर मौडल की तरह पहनना सीखें :

ब्लैक ब्यूटी

jeans

ब्लैक स्कीनी जींस को पहनने का सब से अच्छा तरीका लैदर जैकेट के नीचे ब्लैक क्रौपटौप और सेरा सैंपैओ जैसे बूट्स के साथ पहनना है. आप बूट्स के साथ ऊंची कमर वाली ब्लैक स्कीनी जींस के ऊपर जालीदार ड्रैस का भी चयन कर सकती हैं. इसे आकर्षक बनाने के लिए बूट्स पर गोल्डन कलर या कुछ चमक लगा दें.

डबल डैनिम

jeans

डैनिम फ्रिल शौट्स के साथ खुले बटन वाली रैट्रो डैनिम जैकेट और क्रौप टीशर्ट लुक को और आकर्षक बनाती हैं. शौट्स पर यैलोविश ब्राउन कलर की बैल्ट का अंदाज अलग है. इसे पहन कर आप का लुक अलग ही दिखेगा.

ग्लैमअप

अपने लुक को ग्लैमरस बनाने के लिए टायरा बैंक्स की तरह रिप्ड जींस पहनें और पैरों में चमकदार रैड पंप्स के साथ सिल्वर कलर की जैकेट के नीचे व्हाइट टी शर्ट पहनें.

डैनिम ड्रामा

कुछ हौट और आकर्षक फैशन के लिए एशले ग्राहम की जींस स्टाइल ट्राई करें. हील्स के साथ सैक्सी डीपनैक डार्क कलर की औफशोल्डर डैनिम क्रौपटौप के साथ हलके रंग वाली स्कीनी डैनिम में एशले ग्राहम का लुक लाजवाब दिखता है.

कम्फर्टेबल स्टाइल

jeans

सांझ ढलने के साथ आप कैंडल जेनर की स्टाइल में सजधज कर आकर्षक लग सकती हैं. इस के तहत स्ट्रेट लेग्ड जींस, हाई हील बैली और कमर में कैरी पाउच के साथ आउट गोइंग करें.

कूल और कैजुअल

कार्ली क्लौस की स्ट्रीट स्टाइल लुक की तरह ब्लैक टैंक टौप के साथ बूट कट जींस ट्वीड ब्लैजर और बैलेरीना फ्लैट्स पहन कर क्यूट, कैजुअल और क्लासी वाइब्स के साथ अपनी स्टाइल दिखाएं.

स्पोर्टी स्टाइल

एक टौप, जैकेट से मैच करती बेल्ट, कैप और पैरों में स्टाइलिश स्नीक्स की जोड़ी के साथ मौम जींस बेला हडीड का स्पोर्टी लुक है. अब आप भी इस के साथ रौक कर सकती हैं. स्टाइलिश लुक के लिए ब्लैक गोगल्स भी पहनें.

क्लासी चिक

मिरांडा कर्र की तरह ट्रैंच कोट के नीचे सीक्वैंस्ड टौप के साथ स्कीनी जींस पहनें. इस के साथ एक बड़ा हैंडबैग लें और बूट्स पहनें. स्टाइल के साथ घर से बाहर निकलें.

व्हाइट वंडर

औफ शौल्डर गाजरी रंग के टौप के साथ व्हाइट स्कीनी जींस एड्रियाना लीमा का लुक आकर्षक बनता है और ऐसा ही लुक आप को भी चाहिए. दोपहर के ब्रंच टाइम के लिए यह परफैक्ट लुक है.

पुरुष भी दिखाते हैं महिलाओं वाले इन 5 कामों में दिलचस्पी

पुरुष और महिला के स्वभाव का जब आंकलन किया जाता हैं तो दोनों की आदतों में बहुत फर्क नजर आता है. लेकिन कहीं ना कहीं पुरुष उन कामों में दिलचस्पी दिखाते हैं जिनके लिए महिलाओं को जाना जाता है, लेकिन पुरुष इसे मानने से कतराते हैं.

आज हम आपको महिलाओं के वो काम बताने जा रहे हैं जिसमें पुरुष अपनी दिलचस्पी दिखाते हैं और मानने से कतराते हैं. तो आइये जानते हैं इन कामों के बारे में.

शौपिंग के होते हैं क्रेजी

शौपिंग का नाम सुनते ही हर किसी के दिमाग में यह बात आती है कि औरतें शौपिंग के बिना नहीं रह सकती. लेकिन पुरुष भी इस मामले में किसी से कम नहीं होते. उन्हें नए-नए और स्टाइलिश कपड़े पहनना बहुत पसंद होता है. खुद को वे लड़कियों से ज्यादा मेंटेन रखना चाहते हैं.

पार्लर जाना होता है पसंद

लड़के लड़कियों की तरह पार्लर जाना भी बहुत पसंद करते हैं. वह पैडीक्योर,हेड मसाज,फेशियल, हेयर आदि बहुत से ट्रीटमेंट भी लेते हैं.

गौसिप में भी पीछे नहीं पुरुष

वैसे तो गौसिप में औरतों का ही नाम लिया जाता है लेकिन पुरुष इसमें पीछे नहीं होते. जब 2 या 4 दोस्त इकट्ठे हो जाते हैं तो राजनीति से लेकर लव लाइफ तक की गौसिप उनकी बातों का हिस्सा बनती है.

कुकिंग करना

महिलाओं को रसोई की रानी कहा जाता है लेकिन यह बात भी सही है कि बेहतर खाना बनाने में पुरुष ज्यादा बेहतर होते हैं. कुछ लड़कों को अलग-अलग फ्लेवर का खाना बनाना अच्छा लगता है.

इमोशनल भी होते हैं पुरुष

अक्सर बात-बात पर रोना महिलाओं की आदत होती हैं. वहीं, बड़ी से बड़ी परेशानी में भी पुरुष आंसू नहीं बहाते लेकिन वह इमोशनल होते हैं. कुछ बातों में वह खुद पर काबू नहीं रख पाते और किसी अपने के सामने रो पड़ते हैं.

हनीमून के लिए परफेक्ट हैं ये लोकेशन

शादी का सीजन शुरू हो चुका है और इस दौरान हनीमून डेस्टिनेशन पर रौनक काफी बढ़ जाती है. तो आज बताते  है आपको, न्‍यूली वेड कपल्‍स के लिए  हनीमून डेस्टिनेशन  के बारे में. यहां आकर इस मौसम में  भरपूर मजा ले सकते हैं.

gowa

गोवा– दिसम्बर  का महीना गोवा जाने के लिए एकदम परफेक्‍ट है. इस वक्‍त यहां का मौसम बहुत ही सुहाना होता है. यह इंडियन कपल्स के बीच काफी मशहूर हनीमून डेस्टिनेशन भी है. गोवा में करने के लिए काफी कुछ है. यहां खूबसूरत बीच के अलावा आप सनसोक भी कर सकती हैं.

कश्मीर– कश्‍मीर की हसीन वादियों में पार्टनर के साथ वक्‍त बिताना हर किसी का सपना होता है. यहां बर्फ के स्‍पौर्ट्स स्‍कीइंग और आइसिंग आपको अडवेंचर ट्रिप का भी भरपूर मजा देंगे. कश्‍मीर की खूबसूरत डल लेक कपल्‍स के फेवरिट डेस्टिनेशन में से एक है.

केरल– हनीमून के लिए केरल भारतीय पर्यटकों की सूची में हमेशा से ही टौप पर रहा है. प्राकृतिक खूबसूरती से भरा यह राज्य हर साल लाखों पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है. बैकवाटर, रेत से भरे शांत समुद्र तट, हरियाली, कोहरे से ढकी पहाड़ियां और इन जैसे अनेक जादुई अनुभव केरल में बिखरे पड़े हैं. केरल पहुंचने के बाद आपको मैदान, पहाड़, झील और हाउसबोट का एक परफेक्‍ट कौम्बिनेशन देखने को मिलेगा.

फोर्ब्स के इस दिग्गजों की लिस्ट में शामिल भारतीय मूल की 4 महिलाएं

हाल ही में प्रसिद्ध मैगजीन फोर्ब्स ने अमेरिका में तकनीक के क्षेत्र में 50 दिग्गज महिलाओं की सूची जारी की है. इस लिस्ट में खास ये है कि इसमें शुमार महिलाओं में 4 महिलाएं भारतीय मूल की हैं. इसमें सूची में विश्व की दिग्गज कंपनियों की शीर्ष पदों पर बैठी महिलाओं के नाम शामिल हैं, जो अपने क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं.

फोर्ब्स की इस लिस्ट में आईबीएम की मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिनी रोमेटी और नेटफ्लिक्स की कार्यकारी एनी एरोन शामिल हैं. इसके अलावा इसमें सिस्को की पूर्व चीफ टेक्नौलजी औफिसर पद्मश्री वारियर, ऊबर की सीनियर डायरेक्टर कोमल मंगतानी, कोंफ्लूएंट की को-फाउंडर और चीफ टेक्नौलजी औफिसर नेहा नारखेड़े, प्रबंधन कंपनी ड्राब्रिज की फाउंडर और सीईओ कामाक्षी शिवराम कृष्णन का नाम शामिल है. ये चारो महिलाएं भारतीय मूल की हैं.

‘अमेरिका की 2018 में प्रौद्योगिकी क्षेत्र की शीर्ष 50 महिलाओं’ के इस अंक में फोर्ब्स ने इन महिलाओं पर टिप्पणी करते हुए लिखा है कि महिलाएं भविष्य का इंतजार नहीं करती हैं. ये सूची महिलाओं की तीन पीढ़ियों का प्रतिनिधित्व कर रही हैं जो करीब एक दशक से अधिक समय तक दुनिया भर के तकनीक के क्षेत्र में शीर्ष पर हैं.

आपको बता दें कि पद्मश्री वारियर ने मोटोरोला और सिस्को दोनों ही कंपनियों में अहम भूमिका निभा चुकी हैं. वहीं मंगतानी, गुजरात की धर्मसिंह देसाई अभी ऊबर के बिजनेस इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट की प्रमुख हैं.

नेहा नारखेडें लिंक्डइन में सौफ्टवेयर इंजीनियर थी. अपाचे काफका को विकसित करने में इनका अहम योगदान था. उन्होंने अपने एक सहयोगी के साथ मिल कर एक कंपनी की स्थापना की जो डाटा आकलन क्षेत्र की प्रमुख कंपनी है. इसके ग्राहकों में नेटफ्लिक्स और उबर जैसी कंपनियां शामिल हैं.

वहीं, शिवरामकृष्णन की कंपनी ड्राब्रिज बड़े स्तर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का उपयोग करती है. इस कंपनी में शिवरामकृष्णन का योगदान अथक है. उन्होंने इसके लिए कई बड़े कारनामें किएं.

शिमरी ड्रेस में उर्वशी रौतेला ने दिखाया हौट अवतार, वीडियो वायरल

बौलीवुड अदाकारा उर्वशी रौतेला सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं और अपनी फोटो और वीडियो शेयर करती रहती हैं. हाल ही में उनका शेयर किया गया वीडियो काफी वायरल हो रहा है. इस वीडियो में वे अपनी शिमरी ड्रेस को फ्लान्ट कर रही हैं. उर्वर्शी खुले बालों में बेहद खूबसूरत दिखाई पड़ रही हैं. वीडियो में उर्वशी की अदाएं देखते ही बन रही हैं. उनका यह कातिलाना अंदाज उनके फैंस को काफी पसंद आ रहा है.

इसके अलावा इस वीडियो में उनके ईयररिंग्स भी लोगों का खासा ध्यान खींच रहे हैं. वीडियो के कैप्शन में उर्वशी ने पहने हुए कपड़ों और एसेसरीज के ब्रांड के नाम लिखे हुए हैं. उर्वशी ने रेड और ब्लैक फ्रौकनुमा ड्रेस पहनी हुई है और वे काफी सेक्सी पोज दे रही हैं. इसी के साथ वीडियो के बैकग्राउंड में म्यूजिक बज रहा है. आप देख सकते हैं कि उर्वशी के ड्रेस पर बड़े बड़े शब्दों में लिखा है ईगो.

 

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साल 2012 में मिस इंडिया रह चुकीं उर्वशी रौतेला एक बार मिस यूनिवर्स की रनरअप रह चुकी हैं. उर्वशी अपने बालों को काफी अच्छी तरह से कैरी करती हैं जिस कारण उनकी जमकर तारीफ भी होती हैं. उर्वशी ने खूबसूरत आई मेकअप किया हुआ है और वे करीब से कैमरे पर मेकअप की बारीकी दिखा रही हैं. ये पहली बार नहीं है जब उर्वशी ने अपने इंस्टाग्राम पर कोई बोल्ड फोटो या वीडियो शेयर की हो. वे पहले भी इस तरह की कई फोटो और वीडियो शेयर करती रहती हैं.

पैपर कौर्न चीज रोल्स

 सामग्री

– 1/2 कप शिमलामिर्च, औलिव्स, टमाटर, प्याज, गाजर बारीक कटे

– 1/4 कप मक्के के दाने

– 2 बड़े चम्मच मक्खन

– 21/4 बड़े चम्मच मैदा

– 1/2 कप दूध

– थोड़ा सा नमक और कालीमिर्च पाउडर

– थोड़े से चीज के टुकड़े

विधि

– स्प्रिंग रोल शीट विधि एक गहरे नौनस्टिक पैन में बटर गरम कर उस में मैदा डाल कर हलकी आंच पर 1-2 मिनट तक भूनें.

– फिर इस में दूध डाल कर 2-3 मिनट तक यानी गाढ़ा होने तक पकाएं.

– अब इस में नमक व कालीमिर्च पाउडर डाल कर अच्छी तरह मिक्स कर आंच से उतार कर ठंडा होने दें.

– जब ठंडा हो जाए तो उस में शिमलामिर्च, औलिव्स, टमाटर, प्याज व अदरक मिलाएं और स्प्रिंग रोल शीट के एक तरफ इस मिक्स्चर को डाल कर अच्छी तरह फोल्ड कर उस के किनारों को लौक करें.

– नौनस्टिक कड़ाही में तेल गरम कर सुनहरा होने तक फ्राई करें और गरमगरम सर्व करें.

विश्वास या अंधविश्वास : शरीर को कष्ट पहुंचा कर सुख की प्राप्ति कैसे संभव

टेलीफोन से रुकरुक कर आवाज आ रही थी, ‘‘दादी, मैं बड़ी मुश्किल में फंस गई हूं. पिछले सप्ताह स्कूटर से स्कूल जाते हुए गिरने से बहुत चोट लग गई…बाईं ओर गिरने से बाईं भुजा और टांग पर गहरी चोटें आई हैं…हाथ तो उठाया ही नहीं जा रहा… चेहरे के बाईं ओर सूजन अभी भी है… पूरा जबड़ा हिल गया है…सामने के 2 दांत भी टूट गए हैं…’’ कहतेकहते उस ने सिसकी भरी.

उस की पीड़ा से दुखी और टक्कर मारने वाले पर क्रोध से उफनते हुए मैं ने पूछा, ‘‘लेकिन यह किया किस ने?’’

उत्तर में कुछ देर लगी… झिझकते हुए वह बोली, ‘‘दादी, असल में गलती मेरी ही थी. किसी ने टक्कर नहीं मारी. मैं ही चक्कर आ जाने से गिर पड़ी क्योंकि उस दिन मेरा एकादशी का व्रत था.’’

पूरी बात सुनते ही मैं ने फोन रख कर दोनों हाथों से अपना सिर थाम लिया. मेरी आंखों में अपनी चचेरी बहन कुमुद की फूल जैसी नाजुक एवं सुंदर आकृति घूम गई. अभी 2 वर्ष पहले ही उस का विवाह एक सैन्य अधिकारी से हुआ था. पति अभीअभी प्रोमोट हो कर किसी नए स्थान पर गया था और नवविवाहिता पत्नी घायल हो कर बिस्तर पर पड़ गई थी.

किंतु इस के लिए दोषी कौन है? अपनी ही मूर्खता? मूर्खता का कारण है यह विश्वास कि एकादशी का व्रत करने में पति को लाभ होगा, गृहस्थी में समृद्धि बढ़ेगी, मोक्ष की प्राप्ति होगी आदि.

इसे क्या कहें? विश्वास या अंधविश्वास. विश्वास का आधार है, विवेक. विश्वास को बल देता है खुद का अनुभव.

जिस व्रत या अनुष्ठान के द्वारा शरीर को असहनीय कष्ट पहुंचे उसे केवल किसी के धार्मिक आदेश से मान लेना अंधविश्वास को बढ़ाना है जिस का परिणाम आनंद नहीं दुख ही होगा. इसे कोई भी धर्म स्वीकार नहीं करेगा. स्वयं ईश्वर…जो सच्चिदानंद कहलाता है, वह भी इसे उचित नहीं ठहराएगा. खुद कृष्ण ने ‘गीता’ में कहा है, ‘शरीरम् आद्यं खलु धर्म साधनम्’ अर्थात शरीर ही सब धर्म निभाने का साधन है. अत: इस की संभाल एवं सुरक्षा करनी चाहिए.

शारीरिक कष्ट द्वारा व्रत या अनुष्ठानों का पालन ईश्वरीय आदेश नहीं, ना ही इस के न निभाने पर कठोर दुख की शर्त है. यह तो तथाकथित धर्म प्रचारकों या पंडेपुरोहितों द्वारा फैलाया हुआ भ्रामक प्रचार है.

इस में एक तर्क दिया जाता है कि अनपढ़ या ग्रामीण स्त्रियां ही ऐसे अंधविश्वासों से ग्रस्त होती हैं. किंतु वस्तुस्थिति ऐसी नहीं है. आज की पढ़ीलिखी महिलाएं, (पुरुष भी) नगरों में रहने वाली आधुनिकाएं भी ऐसे अंधविश्वासों में जकड़ी हुई हैं जैसे हमारी चचेरी बहन कुमुद एम.ए. तक शिक्षित एवं स्कूल में अध्यापिका है. तब प्रश्न उठता है कि इन अंधविश्वासों का स्रोत क्या है?

इस का प्रमुख स्रोत है : बिना विचार किए किसी सुनी या पढ़ी बात पर विश्वास कर लेना. अर्थात अपनी बुद्धि एवं विवेक का प्रयोग न कर आंख मूंद कर चल पड़ना. यह तो बुद्धि का अपमान है. मनुष्य को पशु से इसी कारण अलग एवं श्रेष्ठ माना गया है क्योंकि उस के पास है विवेकशक्ति, जिस के द्वारा वह सहीगलत व अच्छाबुरा समझ कर स्वयं निर्णय कर सकता है.

यदि मनुष्य भी बिना अपनी बुद्धि के विवेचन से किसी का आंख मूंद कर अनुकरण करने लगे तो उस में और पशु में क्या अंतर होगा? क्योंकि पशु भी पाश से बंधा ही चलता है. इसी को लक्ष्य मान कर महान विचारक स्वामी विवेकानंद ने कहा था, ‘मेरी कही हुई बात का भी अंधानुकरण न करो. तुम्हारा अपना विवेक ही कसौटी होना चाहिए. जो विश्वास आप की विचारशक्ति की कसौटी पर खरा उतरता है वही विश्वास कहलाने योग्य है अन्यथा अंधविश्वास है.’ विवेकानंद ने आजीवन इन अंधविश्वासों पर चोट कर धर्म के नाम पर प्रचलित अनेक कुरीतियों की आलोचना की थी. उन के किए धर्म का अर्थ है : स्वविवेक से अनुभूत ज्ञान का मार्ग.

अंधविश्वासों का दूसरा स्रोत है : लोभ. तुरंत धनवान बनने का लोभ या संतान प्राप्ति अथवा व्यापार या परीक्षा में सफलता पाने की अदम्य इच्छा. ऐसी अनेक इच्छाएं हैं जो लोभी चित्त को प्रेरित करती हैं. इन्हीं इच्छाओं की पूर्ति का प्रलोभन दे कर तथाकथित धर्मोपदेशक, पुरोहित, काजी या गुरु आप को भ्रमित कर देते हैं. अनेक प्रकार के व्रत, अनुष्ठान, सत्संग, प्रवचन आदि इस के उदाहरण हैं. चूंकि ये इच्छाएं बुद्धि या तर्क से पूरी होती दिखाई नहीं देतीं, इसलिए लोभी मन इन की पूर्ति के लिए अंधविश्वासों के भ्रमजाल में फंस जाता है. इन तथाकथित धार्मिक रीतियों या अनुष्ठानों के पीछे यदि सचमुच विवेक एवं भक्तिभाव ही होता तो आज हमारे समाज का यह रूप न होता. आज तो यह स्थिति है कि जितने व्रत, अनुष्ठान व सत्संग बढ़ रहे हैं उतने ही अपराध बढ़ते जा रहे हैं. ऐसा विरोधाभास क्यों?

इस का एकमात्र कारण है, लोभ से प्रेरित भ्रामक धर्मकृत्य. यही है अंधविश्वास. विश्वास का आधार होता है विवेक एवं साधन होता है पुरुषार्थ. विश्वास से भरा व्यक्ति कभी भी तुरंत लाभ के लालच में नहीं आता और न ही वह व्रत, अनुष्ठान के शौर्टकट लेता है. उसे अपने बुद्धिबल एवं पुरुषार्थ पर विश्वास होता है.

अंधविश्वास का तीसरा कारण है : भय. भय तो अंधविश्वास की फसल को खाद बन कर बढ़ाता रहता है. जरा इन व्रतकथाओं को पढ़ लीजिए. हरेक के अंत में भयप्रद चेतावनियां भरी हैं. यदि इस व्रत में पानी पी लोगे तो पति को हानि होगी, यदि इस पूजा को अधूरा छोड़ दोगे तो संतान पर विपत्ति होगी, यदि यह अनुष्ठान पूरा न होगा तो घर की संपत्ति का नाश होगा. ऐसी ही न जाने कितनी नसीहतें बताई गई हैं. लगता है जैसे ईश्वर नहीं अपितु वह एक कठोर थानेदार है जिस के हाथ में चाबुक है, जो नियम भंग करने वाले की पीठ पर चोट करने को तैयार है. स्वर्ग व पुण्य का लालच प्रबल है तो नरक एवं पाप का भय भी कम नहीं है. इन से प्रेरित जितने भी धार्मिक कृत्य हैं वे ही हैं अंधविश्वास. द्य

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