घर में ठंड से बचाव के लिए अपनाएं ये उपाय

ठंड का मौसम बेहद सुहाना होता है. लेकिन इस मौसम में ठंड से बचने के लिए देखभाल करना भी जरूरी है. अगर आप घर की देखभाल ठीक प्रकार से करेंगी तो आप भी बीमार होने से बच जाएंगी.  आइए आज हम बताते है, कैसे आप घर को विंटर में रहने लायक बना सकती हैं.

घर के कमरे में सीलिंग के कोनों में शीशे का इस्तेमाल करें या फिर दीवार पर बडे साइज के एंटीक फ्रेम में शीशा लगवा दें. कमरों में सफेद रंग की दीवारों या औफ व्हाइट रंग के पर्दे न केवल कमरे को रोशनदार बनाते हैं, बल्कि इसे बडा लुक देने में भी मददगार हैं.

सर्दियों के दिनों में घर में पर्याप्त रोशनी पहुंच नहीं पाती तो ऎसे में कभी कभी ट्यूबलाइट जलाने से भी कमरे में कई बार रोशनी बहुत ही कम लगती है. तो ऎसे में कमरे में कम रोशनी न केवल घर की सजावट को फीका करती है, बल्कि रहने वाले लोगों की सेहत पर प्रभाव पडता है. कम रोशनी वाले कमरों में रहने वाले लोगों का एनर्जी लेवल से लेकर मूड को प्रभावित करता है.

रूखी त्वचा को कहें बायबाय

सुंदर त्वचा का राज उस की सही देखभाल में ही छिपा है. मौसम में बदलाव का असर त्वचा पर पड़ता है. सर्दी के मौसम में नमी की कमी के कारण त्वचा रुखी, बेजान और गंदी हो जाती है. ऐसे में सर्दी का मौसम शुरू होने पर त्वचा की खास देखभाल करने के साथसाथ अपनी दिनचर्या को बदलने की भी जरूरत होती है.

विंटर स्किन केयर

यदि आप की त्वचा सामान्य से रूखी है, तो चेहरा साबुन व पानी से न धोएं. इन की जगह ऐलोवेरा युक्त क्लीजिंग जैल का उपयोग करें ताकि यह नमी संतुलन बनाए रखते हुए त्वचा को साफ कर सके. इसे त्वचा पर लगाएं और नम रुई से साफ करें.

तैलीय त्वचा के लिए तुलसी व नीम या चंदन क्लींजिंग लोशन युक्त फेस वाश का उपयोग करें. क्लीजिंग के बाद त्वचा को टोन करने के लिए गुलाबजल का प्रयोग करें. गीली रुई को इस में डुबो कर उस से त्वचा साफ करें.

गुलाबजल सब से अच्छा प्राकृतिक स्किन टोनर है और सभी प्रकार की त्वचा के लिए उचित है. रुखी त्वचा के पोषण के लिए रात के समय क्लीजिंग करें. यह त्वचा में नमी बनाए रखने में मदद करता है. चेहरे पर क्रीम लगाएं और 2-3 मिनट तक त्वचा की मालिश कर गीली रुई से साफ कर लें.

मौइश्चराइजर लगा कर त्वचा को सुरक्षित किया जा सकता है. यदि आप दिन में बाहर निकलती हैं, तो सनस्क्रीन लगाएं. सूर्य की किरणें त्वचा से नमी सोख लेती हैं. यदि त्वचा तैलीय है तो सनस्क्रीन जैल का उपयोग करें. तैलीय त्वचा पर अधिक क्रीम लगाने से बचें, क्योंकि क्रीम से रोम छिद्र बंद हो जाते हैं, जिस से मुंहासे हो जाते हैं.

फेशियल मास्क भी त्वचा पर नियमित रूप से लगाएं. 2 छोटे चम्मच चोकर, 1 चम्मच बादाम या जई का तेल और 1-1 चम्मच शहद, दही और गुलाबजल को मिला कर घर में ही मास्क बना सकती हैं. इस मिश्रण को सप्ताह में 2-3 बार त्वचा पर लगाएं. 20-30 मिनट लगा रहने के बाद चेहरे को धो लें.

चेहरे के अन्य भागों की देखभाल

सामान्य त्वचा की देखभाल के अलावा चेहरे के कुछ भागों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है. जैसे होंठों की त्वचा बहुत पतली होती है और इन में चिकनी ग्रंथियों की कमी होती है. यही कारण है कि होंठ रुखे हो जाते हैं और विशेषरूप से सर्दी के मौसम में इन में दरारे पड़ जाती हैं.

चेहरा धोने के बाद मृत त्वचा को हटाने के लिए नर्म तौलिए से धीरेधीरे होंठों को रगड़ें. रोज होंठों पर दूध (मलाई) क्रीम लगाएं. 1 घंटा लगा रहने के बाद धो लें. यदि होंठ काले हैं तो दूध की क्रीम में नीबू के रस की कुछ बूंदें मिलाएं. रात में होंठों पर रोजाना शुद्ध बादाम तेल या बादाम क्रीम लगाएं और पूरी रात लगी रहने दें. मैट लिपस्टिक लगाने से बचें.

रुखे पैर और फटी एडि़यों को अधिक देखभाल की जरूरत होती है. अत: रात में सोने से पहले लगभग 20 मिनट तक गरम पानी में पैरों को भिगोएं. उन्हें भिगोने से पहले पानी में थोड़ा मोटा नमक और शैंपू मिलाएं. गरम पानी एडि़यों की मृत त्वचा को नर्म करता है. हील स्क्रबर की मदद से मृत कोशिकाओं को हटाने के लिए धीरेधीरे एडि़यों को रगड़ें. मैटल के स्क्रबर से बचें.

पैरों को धोने के बाद अच्छी क्रीम से एडि़यों की मालिश करें. मौइश्चराइजिंग क्रीम या वैसलीन एडि़यों पर लगाएं. जालीदार कपड़ा या सूती ऊन और सर्जिकल गेज एडि़यों पर बांधें और सूती मोजे पहनें. फिर सो जाएं. ऐसा करने पर क्रीम एडि़यों पर लगी रहेगी और बिस्तर पर नहीं लगेगी. एडि़यों पर पूरी रात लगी क्रीम उन की त्वचा को नर्म बनाती है.

चमकाएं घर की टाइल्स

घर की सफाई और खूबसूरती सबको अच्छी लगती है. पर आपने कभी घर के टाइल्स को मेंटेन रखने के बारे में सोचा है. आज के दौर में जिस प्रकार हमारी लाइफ होती जा रही हैं, उस में हर रोज घर की साफ-सफाई के लिए समय नहीं मिलता है. घर की दीवारों, कोनों, टाइल्स और रेलिंग की लंबे वक्त तक सफाई न की जाए तो उन पर पडे दाग-धब्बे उनकी चमक को धुंधला कर देते हैं.

ऐसे में पूरे घर की सफाई आप छुट्टी या संडे वाले दिन करके अपने घर को चमका सकती है. इसलिए जरूरत है कि सप्ताह में एक बार इनकी अच्छी तरह से सफाई कर दी जाए, ताकि दाग-धब्बे मिट सकें. आइए बताते है आपको, टाइल्स को चमकाने के उपाय-

सिरके के घोल– यदि आपके घर में लगी टाइल्स में किसी चीज के दाग लग गए हों ता उन्हें निकालने के लिए आप थोडा पानी गर्म करें अब इसमें आधा कप रिसका मिलाकर दाग लगी जगह पर साफ कपडे से पोछे, इससे टाइल्स पर लगें दाग आसानी से निकल जायेंगे. साफ पानी में डिटर्जेंट मिलाकर दाग साफ करने से आपको अच्छे परिणाम मिल सकते हैं और टाइल्स चमक सकती हैं.

वर्णव्यवस्था का शिकार निचली जातियां ही नहीं, ब्राह्मण भी रहे हैं

पंडितों के धार्मिक कर्मकांड व नित्य नियम के साथ पूजा, सांध्योपासना, ब्रह्मयज्ञ आदि के विषय में पहले बहुत कुछ लिखा जा चुका है. जिन से स्पष्ट होता है कि ब्राह्मणों, पंडितों के लिए कम बंदिशें न थीं.

और भी बंदिशें देखिए :

वर्जयेन्मधु मांसं च गंधं माल्यं रसान्स्त्रिय:

शुक्तानि यानि सर्वाणि प्राणिनां चैव हिंसनम्.   -2-177

अर्थात बह्मचारी मधु (शहद) मांस, सुगंधित पदार्थ, फूलों की माला, रस, स्त्री आदि और जीवों को मारना छोड़ दे.

अभ्यंगमंजनं चाक्ष्णोरुपानच्छत्र धारणम्

कामं क्रोधं च लोभं च नर्तनं गीतवादनम्.

-2-178

अर्थात ब्रह्मचारी सिर से पैर तक तेल मालिश या उबटन, आंखों में अंजन लगाना, जूता और छाता धारण करना, काम (विषयाभिलाषा) क्रोध, लोभ, नाचना, गानाबजाना छोड़ दे.

यानी उस के लिए अपनी मर्जी से जीने के लिए कुछ छोड़ा ही नहीं गया.

आज भी ब्रह्मचर्य की बात की जाती है. स्वामी देवेंद्रानंद गिरि कहते हैं कि ब्रह्मचर्य ब्राह्मण को ब्रह्म के समान बना देता है. इसीलिए कहा भी जाता है कि ब्रह्मचारी के दर्शन करना भगवान के दर्शन के बराबर है. ब्रह्मचर्य ही धर्म है और यह सब व्रतों व नियमों में सब से कठिन है.

एक: शयीत सर्वत्र न रेत: स्कंदयेत्क्वचित

कामाद्धि स्कंदयन्रेतो हिनस्ति व्रतमात्मन:.

अर्थात ब्रह्मचारी सर्वत्र अकेला ही सोए, इच्छापूर्वक वीर्यपात न करे, क्योंकि इच्छापूर्वक वीर्यपात करता हुआ ब्रह्मचारी अपने व्रत से भ्रष्ट हो जाता है.

दूरादराहृत्ये समिध: सन्निदध्याद्विहायसि

सायम्प्रातश्च  जुहुयात्ताभिरग्निमतंद्रित:.

-2-186

अर्थात दूर से समिधा ला कर उन्हें खुले स्थान में रख दे और उन समिधाओं से प्रात:काल तथा सायंकाल हवन करे.

चोदितो गुरुणा नित्यमप्रचोदित एव वा

कुर्यादध्ययने यत्नमाचार्यस्य हितेषु च.

-2-191

अर्थात आचार्य के कहने पर अथवा न कहने पर भी ब्रह्मचारी अध्ययन और आचार्य के हित में सर्वदा प्रयत्नशील रहे.

शरीरं चैव वाचं च बुद्धींद्रियमनांसि च

नियम्य प्रांजलिस्तिष्ठेद्वीक्षमाणो गुरोर्मुखम्.

-2-192

अर्थात शरीर, वचन, बुद्धि, इंद्रिय और मन को वशीभूत कर के हाथ जोड़ कर गुरु के मुख को देखता हुआ स्थित होवे (बैठे नहीं, किंतु खड़ा रहे).

इस तरह उसे व्यक्तिपूजा की सीख ही दी गई है और एक तरह से गुरु का गुलाम बना दिया गया.

ऐसा न करने पर ब्राह्मण के लिए सजा का प्रावधान भी है :

अकृत्वा भैक्षचरणमसमिध्य च पावकम्

अनातुर: सप्तरागमवकीर्णिव्रतं चरेत्.

-2-187

अर्थात नीरोग रहता हुआ भी ब्रह्मचारी यदि बिना भिक्षा मांगे तथा बिना हवन किए 7 दिनों तक रहे तो अवकीर्णि व्रत रखे.

नित्यमुद्धृतपाणि: स्यात्साध्वाचार: सुसंयत:

आस्यतामिति चोक्त: सन्नासीताभिमुखं गुरो:.   -2-193

अर्थात ब्राह्मण सदा दुपट्टे के  बाहर दाहिना हाथ रखे, सदाचार से युक्त और अच्छी तरह संयत रहे तथा ‘बैठो’ ऐसा गुरु के कहने पर उन के सामने बैठे.

हीनान्नवस्त्रवेष: स्यात्सर्वदा गुरुसन्निधौ

उत्तिर्ष्ठेत्प्रथमं चास्य चरमं चैव संविंशेत्.

-2-194

अर्थात सर्वदा गुरु की अपेक्षा अन्न, वस्त्र तथा वेष को हीन रखे और गुरु के सो कर उठने से पहले उठे तथा सोने के बाद सोए.

इस तरह ब्राह्मण पर तरहतरह के निरर्थक नियम लादे गए हैं जिन से उसे किसी लाभ का कोई तार्किक कारण नहीं दिखाई पड़ता.

रामायण, महाभारत ही नहीं, दूसरे सभी पुराण भी इस तरह के प्रसंगों से भरे हैं जिन में ब्राह्मण कहलाए जाने पर या भूखे रहने पर राजा या देवताओं के आगे हाथ फैलाते दिखाए जाते हैं. वे खुद कुछ नहीं कर सकते, अत: उन के बचाव में दूसरों का सहारा लेना पड़ता है.

ब्राह्मण का अपमान

गं्रथों में जपतप, दान और श्राद्ध में भोजन करने की लिए भी ब्राह्मण की योग्यता तय की गई है. ग्रंथों में लिखा गया है कि वेद पढ़ा, यज्ञोपवीत धारण करने वाला ब्राह्मण ही सत्पात्र माना गया है. जो बेचारा ब्राह्मण वेद आदि न पढ़ा हो उसे शूद्र, चांडाल तक कह कर अपमानित किया गया है.

भिक्षा और मुफ्त भोजन के लिए भी ब्राह्मण की योग्यता तय की गई है :

नश्यंति हव्यकव्यानि नराणामविजानताम्

भस्मीभूतेषु विप्रेषु मोहाद्दत्तानि दातृभि:.

(मनुस्मृति-3-97)

अर्थात अज्ञानी मनुष्य के द्वारा वेद तथा वेदार्थ ज्ञान से हीन ब्राह्मण के लिए देवों तथा पितरों के उद्देश्य से दिए गए हव्य तथा कव्य नष्ट हो जाते हैं. (वे देवों तथा पितरों को नहीं मिलते).

सहस्रं हि सहस्राणामनृचां यत्र भुंजते

एकस्तान्मत्रवित्प्रीत: सर्वानर्हति धर्मत:.

(मनुस्मृति-3-131)

यानी जिस श्राद्ध में हजार गुना हजार (10 लाख) बिना पढे़ हुए ब्राह्मण भोजन करते हैं, वहां यदि वेद पढ़ने वाला एक ही ब्राह्मण भोजन कर संतुष्ट हो तो उन 10 लाख भोजन करने वाले ब्राह्मणों के योग्य होता है.

इस श्लोक में ब्राह्मणों को वेद पढ़ने की ताकीद की गई है ताकि वे मुफ्त का भोजन करने के काबिल बन सकें. वह भी महज अंधविश्वासों को परोसने वाले वेद, जो निरर्थक, थोथी बकवास के अलावा कुछ नहीं हैं.

वेदमंत्र नहीं जानने वाले ब्राह्मण को मूर्ख कह कर अपमानित किया गया है,

यावतो ग्रसते ग्रासान् हव्यकव्येष्वमंत्रवित्

तावतो ग्रसते प्रेत्य दीप्तशूलर्ष्ट्ययोगुडान्.-3-133

अर्थात वेदमंत्र को नहीं जानने वाला ब्राह्मण हव्य (यज्ञ) तथा कव्य (श्राद्ध) में जितने ग्रासों को खाता है, श्राद्धकर्ता (उक्त कर्मों में उस मूर्ख ब्राह्मण को भोजन कराने वाला) मरने पर उतने ही गरमगरम शूलर्ष्टि (दोतरफा धार वाला अस्त्र विशेष) और लोहे के पिंडों को खाता है. (अत: मूर्ख ब्राह्मण को श्राद्ध में भोजन नहीं कराना चाहिए).

रोगी हीनातिरिक्तांग: काण: पौनर्भवस्तथा

अवकीर्णि कुंडगोलौ कुनखी श्यावदंतक.

(याज्ञवल्क्य स्मृति, श्राद्ध प्रकरणं

वर्णनम्-222)

अर्थात श्राद्ध में ये ब्राह्मण वर्जित हैं- जो महान रोग से ग्रस्त हो, हीन या अधिक अंगों वाले, काने, द्विरूढ़ा स्त्री से उत्पन्न, स्खलित ब्रह्मचर्य वाले, कुंड अर्थात परस्त्री से उस के पति के जीवित रहते उत्पन्न, गोलक यानी पति के मर जाने के बाद परपुरुष से उत्पन्न कुत्सित नाखून वाले, काले दांतों वाले पुरुष श्राद्ध में निंदित होता है.

य: संगतानि कुरुते मोहाछ्राद्धेन मानव:

स स्वर्गाच्च्यवते लोकाच्छ्र्राद्धमित्रो द्विजाधम:.   -3-140

अर्थात जो मनुष्य मोहवश (शास्त्रज्ञान के नहीं होने से) श्राद्ध के द्वारा मित्रता करता है, श्राद्धमित्र (श्राद्ध के लिए मित्रता का निर्वाह करने वाला) वह नीच ब्राह्मण स्वर्ग से भ्रष्ट होता है. उसे स्वर्ग की प्राप्ति नहीं होती.

यत्नेन भोजयेच्छ्र्राद्धे बहवृचं वेदपारगम्

शाखांतगमथाध्वर्युं छंदोगं तु समाप्तिकम्.

-3-145

अर्थात मंत्र-ब्राह्मण शाखा को पढे़ हुए ऋग्वेदी, यजुर्वेदी, वेदों का पारगामी (संपूर्ण वेदों को पढे़ हुए) सब शाखाओं को पढे़ हुए ऋत्विज्, वेदों को पढ़ कर समाप्त कर चुके विद्वान, ब्राह्मण को प्रयत्नपूर्वक श्राद्ध में भोजन कराएं.

ये स्तेनपतितक्लीबा ये च नास्तिकवृत्तय:     तान्हव्यकव्योर्विप्राननर्हान् मनुरब्रवीत्.

-3-150

अर्थात जो ब्राह्मण चोर, पतित, नपुंसक तथा नास्तिक व्यवहार करने वाला है, उस ब्राह्मण को मनु ने हव्य (देवकार्य) तथा कव्य (पितृकार्य-श्राद्ध) में अयोग्य बताया है.

जटिलं चानधीयानं दुर्बलं कितवं तथा

याजयंति च ये पूंगास्तांश्च श्राद्धे न भोजयेत.   -3-151

यानी वेद को नहीं पढ़ता हुआ ब्राह्मण ब्रह्मचारी, दुर्बल, दूषित चमड़े वाला जिस के सिर में बाल न हों तथा लाल, भूरे बालों वाला, जुआरी, बहुतों को यज्ञ कराने वाला, इन सब को श्राद्ध में भोजन न कराएं. चिकित्सकांदेवलकान्मांसविक्रयिणस्तथा

विपणेन च जीवतो वर्ज्या: स्युर्हव्यकव्ययो:.    -3-152

, मंदिर का पुजारी, एक बार भी मांस बेचने वाला और व्यापार कर्म से जीने वाला इन ब्राह्मणों को हव्य तथा कव्य में भोजन न कराएं.

आज की बात करें तो जागरण याहू इंडिया वेबसाइट के धर्म मार्ग में वैदिक रीतिरिवाज स्तंभ पर डा. रामराज उपाध्याय श्राद्धों पर लिखते हैं, ‘‘मत्स्यपुराण में 3 प्रकार के श्राद्ध बताए गए हैं, जिन्हें नित्य, नैमित्तिक एवं काम्य के नाम से जाना जाता है. यमस्मृति में 5 प्रकार के श्राद्धों का वर्णन मिलता है. विश्वामित्र स्मृति तथा भविष्यपुराण में 12 श्राद्धों का वर्णन है. शुद्धि के निमित्त जो श्राद्ध किया जाता है उसे शुद्धयर्थ श्राद्ध कहते हैं. जैसे शुद्धि हेतु ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए.

यो न वेत्त्यभिवादस्य विप्र: प्रत्यभिवादनम्

नाभिवाद्य: स विदुषा यथा शूद्रस्तथैव स:.           -2-126

अर्थात जो ब्राह्मण अभिवादन के बाद प्रत्यभिवादन भी न जानता हो, विद्वान ब्राह्मण उस का अभिवादन भी न करें क्योंकि जैसा शूद्र है वैसा ही वह है.

एकदेशं तु वेदस्य वेदांगान्यपि व पुन:

योऽध्यापति वृत्तार्थमुपाध्याय: स उच्यते.

-2-141

अर्थात जो ब्राह्मण वेद के एकदेश (मंत्र तथा ब्राह्मण भाग) को तथा वेदांगों (शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, ज्योतिष और छंदशास्त्र) को जीविका के लिए पढ़ाता है वही उपाध्याय कहलाता है.

निषेकादीनि कर्माणि य: करोति यथाविधि

संभावयति चान्नेन स विप्रो गुरुच्यते.

-2-142

यानी जो शास्त्रानुसार गर्भाधानादि संस्कारों को करता है और अन्नादि के द्वारा पालनपोषण करता है उस ब्राह्मण को गुरु कहते हैं.

इस का मतलब हुआ बाकी ब्राह्मण न गुरु बन सकते हैं और न कहला सकते हैं. केवल कर्मकांड करने वाले ब्राह्मण यानी अंधविश्वास फैलाने वाले ही गुरु कहलाते हैं. आगे भी लिखा है-

सम्मानाद् ब्राह्मणो नित्यमुद्विजेत विषादिव

अमृतस्येव चाकांक्षेदवमानस्य सर्वदा.

-2-162

यानी ब्राह्मण विष के समान सम्मान से सर्वदा घबराता रहे. (सम्मान से प्रेम न करे) तथा अमृत के समान अपमान की सर्वदा आकांक्षा करे. (अपमान करने पर क्षमा करें)

लो, ब्राह्मण को मानसम्मान की आकांक्षा रखने से भी वंचित किया जा रहा है.

रूढि़वादी व्यवस्थाओं पर आधारित हिंदू धर्म ने इस वर्ग की तरक्की को तो अवरुद्ध किया ही है, उसे घोर अंध- विश्वासी और अपमानग्रस्त भी बना दिया है. पढ़ालिखा ब्राह्मण आज धर्म की इन बातों से शर्म महसूस करता है. कई जगहों पर वह हंसी, अपमान का पात्र बना है. इसी व्यवस्था के कारण वह गरीबी, अशिक्षा से भी जूझ रहा है.

देश की राजनीति व शिक्षा में ब्राह्मणों को बड़े स्थान मिले हुए हैं पर इन ग्रंथों और प्राचीन व्यवस्था के ढोने की मानसिकता के कारण वे लगभग पंगु से बने रहते हैं. इन के पास न बड़े उद्योग हैं न व्यवसाय. वे सफल मौलिक वैज्ञानिक भी नहीं हैं. कुशल प्रचारकों में उन का नाम नहीं आता. सेना में तो उन की गिनती है ही नाममात्र की.

वर्णव्यवस्था के खिलाफ यदि किसी को विद्रोह करना चाहिए तो वे ब्राह्मण ही हैं जो आज ही नहीं, सदियों से इस के शिकार होते रहे हैं. हां, आदर तो पाते रहे हैं लेकिन परजीवी बने रहे हैं. दलितों को मायावती व अंबेडकर जैसे नेता मिल गए, वैश्यों को गांधी जैसों का सहारा मिला पर ब्राह्मणों के नेताओं ने उन धर्मग्रंथों को थोपने की कोशिश की जो उन के हाथ काटते रहे हैं.

सिंपल स्पैनिश राइस

सामग्री

– 1 बड़ा चम्मच औलिव औयल

– 2 कप पके हुए चावल

– चुटकीभर केसर

– 1/2 कप प्याज कटा

– 1/4 कप सैलरी कटी

– 3-4 तुलसी की पत्तियां

– 1/4 कप हरी शिमलामिर्च कटी

– 1/4 कप लाल शिमलामिर्च कटी

– थोड़ा सा लहसुन का पेस्ट

– 2 बड़े चम्मच टोमैटो सौस

– 1 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

– 1/2 छोटा चम्मच चीनी

– 1/2 कप भुने टमाटर का गूदा

– नमक स्वादानुसार.

विधि

चावलों में केसर डाल कर पकाएं.

फिर पैन में औलिव औयल गरम कर प्याज, सैलरी और शिमलामिर्च डाल कर 2 मिनट तक फ्राई करें.

अब टोमैटो सौस, टमाटर, मसाले और चीनी डाल कर पकाएं.

फिर इस में पके चावल डाल कर अच्छी तरह से मिक्स कर के गरमगरम सर्व करें.

-व्यंजन सहयोग: रनवीर बरार

बिना जिम और एक्सरसाइज किए ऐसे करें फैट कम

क्या आप अपनी बड़ी कमर से परेशान हैं? क्या आप चाहती हैं कि आपकी कमर पतली हो जाए? लोग अपनी कमर को पतली करने के लिए क्या नहीं करते, पर कुछ खासा असर नहीं होता. यहां से शुरू हुई परेशानी उनके लिए बौडी शेमिंग का रूप ले लेती है. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि बिना जिम गए, बिना किसी एक्सर्साइज के, बस कुछ घरेलू उपायों से आपकी कमर कैसे पतली होगी.

मछली है उपयोगी

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आपके पेट की चर्बी को कम करने के लिए मछली काफी लाभकारी है. मछली का सेवन आप कई तरह से कर सकती हैं. इसको पका कर खाना हो या इसका तेल, दोनों ही चर्बी घटाने में काफी असरदार होते हैं.

बता दें कि मछली के ओमेगा 3 फैटी एसिड में मौजूद आईकोसिपेंटिनोइक एसिड, डोकोसुहेक्सीनोइक एसिड व लिनोलेनिक एसिड़ पेट की चरबी को घटाने में मदद करते हैं.

करें नींबू पानी का सेवन

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नींबू पानी किसी भी तरह के फैट को कम करने में काफी लाभकारी और प्रभावशाली होता है. नींबू पानी आपके शरीर में चर्बी को घटाने वाले एंजाइम को भी बढ़ाता है.

अदरक का सेवन

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अदरक भी कई तरह से हमारे शरीर में बढ़ने वाली चर्बी को कम करने में असरदार होता है. हमारे व्यंजनों में अदरक का इस्तेमाल नियमित रूप से होता है, क्योंकि इससे हमारे शरीर में गर्मी पैदा होती है जो शरीर के लिए काफी लाभकारी है. ये हमारे शरीर का तापमान बढ़ाता है जिससे हमारे शरीर की चर्बी गलती है. अदरक का सेवन शरीर में कोर्टिसोल के उत्पादन को घटाता है तथा आपके शरीर की ऊर्जा को नियंत्रित रखता है. आप इसका उपयोग खाने में या किसी भी पेय में भी कर सकती हैं.

लहसुन

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जानकारों की माने तो लहसुन का सेवन शरीर में कई तरह के वसा को बनने से रोकता है. ये शरीर की कोषिकाओं को वसा में बदलने नहीं देता. हालांकि इसे कच्चा खाना थोड़ा मुश्किल होता है. इसलिए इसका प्रयोग सब्जियों में जरूर करें. आपके कमर या पेट की चर्बी कम करने में ये काफी लाभकारी होगा.

क्रैनबेरी का रस

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फैट बर्न के लिए क्रैनबेरी एक बेहद कारगर इलाज है. इसमें भर पूर मात्रा में मेलिक एसिड, साइट्रिक एसिड व क्यूनिक एसिड मौजूद होते हैं जोकि पाचन एंजाइमों के रूप में काम करते हैं. ये एसिड जमा हुई चर्बी को हजम करते हैं जोकि आम तौर पर शरीर में पच नहीं पाता. इससे आपकी कमर पर जमी चर्बी गलती है. इसका रोज सेवन काफी लाभकारी होता है.

चक्कर को ना लें हल्के में, इन घरेलू उपायों से करें इलाज

कभी कभी चक्कर आना बहुत बड़ी समस्या नहीं है. पर अगर आपको अक्सर चक्कर की शिकायत है तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए. ऐसा हमेशा होना वर्टिगो बीमारी के लक्षण हो सकता है. वर्टिगो को आम भाषा में चक्कर आना भी कहते हैं. हमेशा सिर दर्द, चक्कर या मिचली होना वर्टिगो बीमारी का लक्षण है. इस बीमारी में मरीज को हमेशा चक्कर आता है.

इस खबर में हम आपको उन घरेलू उपायों के बारे में बताएंगे जिनसे आप चक्कर की समस्या का उपचार कर सकती हैं.

करें आंवले के पाउडर का सेवन

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सूखे आंवले को पीस कर चूर्ण बना लें. फिर 10 ग्राम आंवला चूर्ण को 10 ग्राम धनिया पाउडर के साथ मिला कर 1 गिलास पानी में मिला लें, इसके नियमित सेवन से आपको काफी आराम मिलेगा.

नारियल का पानी

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नारियल का पानी इन परेशानियों में काफी लाभकारी होता है. इसके नियमित प्रयोग से वर्टिगो की समस्या का उपचार किया जा सकता है.

खरबूजे का बीज

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वर्टिगो की परेशानी में खरबूजे का बीज काफी असरदार है. इसको गाय के घी में भुन कर पीस लें और रोग सुबह शाम 5 ग्राम पानी के साथ लें. इससे ये परेशानी जल्दी खत्म हो जाएगी.

लेट जाएं

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जब भी आपको चक्‍कर आए तुरंत लेट जाएं. और ध्यान रखें कि सिर के नीचे तकिया जरुर हो.

चाय कौफी कम पिएं

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जिन लोगों को चक्कर की शिकायत है उन्हें चाय कौफी से दूरी बना लेनी चाहिए. इससे चक्कर की शिकायत बढती है.

पिएं ठंडा पानी

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जब भी आपको चक्कर महसूस हो आप तुरंत ठंडा पानी पिएं. इससे आपको काफी आराम मिलेगा.

अदरक का करें प्रयोग

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खाने में और चाय में अदरक का भरपूर प्रयोग करें. अदरक चक्‍कर में काफी फायदेमंद होता है.

तुलसी

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तुलसी के 20 पत्तों को सुखा कर पीस लें और शहद के साथ उसे रोज चाटे. चक्कर की शिकायत में या काफी लाभकारी होता है.

चौकलेट कोकोनट फज

सामग्री

– 2 कप नारियल कद्दूकस किया

– 1 बड़ा चम्मच घी

– 1/2 कप कैस्टर शुगर

– 1/4 कप दूध

– 1 कप डार्क चौकलेट चिप्स

– 1/4 कप क्रीम

– 1/2 छोटा चम्मच इलायची पाउडर

विधि

धीमी आंच पर पैन को गरम करें. फिर इस में कद्दूकस नारियल और घी डाल कर पकाएं. अब इस में दूध के साथ कैस्टर शुगर डाल कर तब तक पकाएं जब तक चीनी अच्छी तरह घुल न जाए.

इसी दौरान माइक्रोवेव में एक बाउल में चौकलेट में क्रीम मिला कर 40 सैकंड तक बेक करें. फिर निकाल कर अच्छी तरह मिलाएं ताकि थिक ग्लौसी मिश्रण बन जाए.

फिर जैसे ही नारियल का रंग बदलने लगे तो उस में इलायची पाउडर डाल कर अच्छी तरह मिक्स करें.

फिर मोल्डस पर घी लगा कर उस पर कोकोनट मिक्स्चर डाल कर दबाएं.

इस पर मिश्रण डाल कर 3 घंटे के लिए फ्रिज में रख दें. ठंडा होने पर टुकड़ों में काट कर सर्व करें.

शैफ: माइकल स्वामी

फ्रूटी गाजर हलवा

सामग्री

– 2 बड़े चम्म्च किशमिश

– 1/2 कप औरेंज जूस

– 1/4 कप घी

– 8-10 गाजरें कद्दूकस की

– 1 लिटर दूध

– 1 कप खोया

– 1 छोटा चम्मच इलायची पाउडर

– 3/4 कप चीनी

– संतरे के छोटेछोटे टुकड़े

– बादाम और पिस्ता.

विधि

औरेंज जूस में किशमिश डाल कर भीगने दें.

जब अच्छी तरह भीग जाएं तो एक गहरे पेंदे के पैन में घी गरम कर उस में कद्दूकस गाजर डाल कर तब तक चलाती रहें जब तक गाजर का पानी सूख न जाए और वह नर्म न हो जाए.

फिर इस में दूध और खोया डाल कर तब तक चलाएं जब तक वह अच्छी तरह मिक्स न हो जाए.

अब जूस व किशमिश डालें.

चलाते हुए इस में चीनी डाल कर फूलने तक पकाएं.

फिर आंच से उतार कर संतरे के टुकड़े मिक्स कर बादाम और पिस्ता से सजा कर गरमगरम सर्व करें.

  • शैफ: माइकल स्वामी 

काले गोरे का कोई हिसाब मैं नहीं करता : रेमो डिसूजा

बचपन से माइकल जैक्सन के वीडियो के मूव्स को देखते हुए डांस सीखकर बड़े हुए कोरियोग्राफर और निर्देशक रेमो डिसूजा बंगलुरु के हैं. उन्होंने डांस का कोई प्रशिक्षण नहीं लिया, क्योंकि उनकी वित्तीय अवस्था अच्छी नहीं थी. बाद में उन्होंने डांस क्लास खोली और लोगों को डांस सिखाने लगे. उनका शुरुआती दौर बहुत संघर्षपूर्ण था, लेकिन एक डांस कौम्पिटिशन ने उनकी जिंदगी बदल दी. जिसमें उनका ग्रुप विजयी हुआ और रेमो के हुनर को नजदीक से पहचाना गया.

सबसे पहले फिल्म ‘रंगीला’ में वे एक डांसर के तौर पर नजर आये, उनके डांस की आलोचकों ने तारीफ की और वे कोरियोग्राफर अहमद खान को एसिस्ट करने लगे. एक साल के बाद ही उन्होंने सोनू निगम के वीडियो एल्बम के लिए अकेले कोरियोग्राफी की और इंडस्ट्री में अपने आपको स्थापित करने में कामयाब रहे. इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों की कोरियोग्राफी और निर्देशन किया, जो कमोवेश बौक्स आफिस पर चली. बड़े पर्दे के अलावा रेमो ने छोटे पर्दे पर जज के रूप में काफी काम किया है. वो सबसे पहले रियलिटी शो ‘डांस इंडिया डांस’ के जज बनें. इससे वे काफी पोपुलर हुए और कई बार जज बने. अभी वे स्टार प्लस के डांस रियलिटी शो ‘डांस प्लस 4’ में सुपर जज की भूमिका निभा रहे हैं. उनसे मिलकर बात हुई पेश है, कुछ खास अंश.

डांस की प्रेरणा आपको कैसे और कहां से मिली ?

ये अचानक आया था, मैं उस समय 15 साल का था और माइकल जैक्सन का एक वीडियो देखा था. उसे देखकर मैं चकित हो गया कि इस व्यक्ति में ऐसा क्या है कि लोग इसे देखने के लिए पागल हो रहे हैं. तब लगा कि मुझे ये बनना है और मैंने वहीं से डांस की शुरुआत की.

इसमें परिवार का कितना सहयोग था?

मेरी मां माधवी अम्मा का बहुत सहयोग था, पर पिता गोपी नायर एयरफोर्स में थे, वे नहीं चाहते थे कि मैं इस क्षेत्र में जाऊं, लेकिन मेरी रूचि इसमें थी और मैं संघर्ष कर यहां तक पहुंचा हूं.

सफलता और असफलता ये दो शब्द आपके जीवन को किस तरह से प्रभावित करते हैं?

जितना जरुरी सफलता है उतना ही जरुरी असफलता है. अगर मैं जीवन में फेल नहीं होता तो मैं शायद कभी सफल नहीं हो पाता. असफलता से ही आप सीखते हैं कि सफलता के लिए आपको करना क्या है. आसानी से सफल होने पर व्यक्ति उसकी कीमत को नहीं समझ पाता. मेरे जीवन में बचपन से लेकर मुंबई पहुंचने तक सिर्फ फैल्योर ही था. मसलन लुकवाईज मुझे कोई पसंद नहीं करता था. मुंबई में आकर जब डांस का औडिशन देने गया तो लोगों ने कहा कि ये डांस क्या करेगा इसका तो लुक ही अच्छा नहीं है. कभी मुझे सफलता मिली ही नहीं, लेकिन जब मैंने अपने आपको वापस ग्रूम किया, तो मुझे इसकी अहमियत पता चली. मुझे याद आता है कि मैंने अहमद खान की एसिस्टेंट स्मिता को कहा था कि आप मेरा डांस देखने के बाद मुझे मना करें, मेरे लुक पर न जाएं. तब उन्होंने मेरे डांस को देखा और मुझे चुना इसके बाद से मेरे अंदर एक आत्मविश्वास आया. इसके अलावा पहले की फिल्मों में हीरो के पीछे डांस करने वाले लड़के भी सारे गोरे-गोरे हुआ करते थे. सावले रंग वालों को पीछे कर दिया जाता था. मैं जबसे आया तब से परिवर्तन हुआ, जिसकी जैसी प्रतिभा है, उस हिसाब से मैं उन्हें खड़ा करता हूं. काले गोरे का कोई हिसाब नहीं करता.

क्या इस अलगाव से आपको डिप्रेशन हुआ?

डिप्रेशन बहुत बार हुआ, क्योंकि जब काम नहीं मिल रहा था तो लगा था कि यहां अब कुछ नहीं हो सकता वापस जाना पड़ेगा. उस समय में 19 साल का था, लेकिन मेरे अंदर एक डर था कि अगर मैं वापस जाऊंगा, तो लोग मुझे भला-बुरा कहेंगे. इसी डर ने मुझे यहां रहने पर मजबूर किया. अंत में मैं कामयाब रहा.

आजकल के यूथ कम समय में अधिक पैसा कमाने की इच्छा रखते हैं, ऐसे में आपकी राय उनके लिए क्या है?

सफलता के लिए बहुत धैर्य की जरुरत होती है और अगर आप सफल हो गए, तो पैसा अपने आप ही आपके पास आ जाता है.

आपकी निर्देशित फिल्में उतनी नहीं चली, जितना कि आप एक कोरियोग्राफर के रूप में सफल हैं, इसकी वजह क्या मानते हैं?

मुझे आजतक पता नहीं चला कि फिल्म ‘रेस 3’ उम्मीद से कम क्यों चली, क्योंकि इस फिल्म को बनाने में मैंने मेहनत बहुत की थी. पैसे तो निकल गए, लेकिन सलमान खान के होते हुए भी फिल्म सफल नहीं रही. शायद इसमें स्क्रिप्ट और डायरेक्टर का मेल सही नहीं हो पाया, क्योंकि इसकी स्क्रिप्ट दूसरे की थी.

इससे आपने क्या सीखा?

मैं सबसे अधिक स्क्रिप्ट पर काम करूंगा, उस पर ध्यान दूंगा. जबतक स्क्रिप्ट सही नहीं होगी, मैं काम नहीं करूंगा.

आपने बहुत सारे बच्चों की कोरियोग्राफी अलग-अलग जगहों पर की है, क्या आगे कोई इंस्टिट्यूशन खोलना चाहेंगे?

मेरे पास समय की कमी है. मुझे फिल्म मेकिंग और कोरियोग्राफी ही करनी है, ऐसे में कोई संस्था खोलने पर उधर खुद ध्यान देना पड़ता है, जो अभी संभव नहीं.

आप किस तरह की फिल्म बनाने का ड्रीम रखते हैं?

मैं एयरफोर्स परिवार से हूं इसलिए उस तरह की फिल्में बनाने का शौक रखता हूं, जो एयरफोर्स से जुड़ा हो.

अब तक की जर्नी में संघर्ष किस प्रकार के थे?

बचपन से ही कुछ न कुछ संघर्ष चलता रहा है. पढ़ाई में मैं बहुत अच्छा नहीं था, किसी तरह से पास होता था, पर विज्ञान के प्रोजेक्ट बहुत अच्छा करता था. एक समय के बाद समझा कि मुझे डांस में ही कुछ करना है, फिर उसमें मेहनत किया और आगे बढ़ा. आज एक अच्छी फिल्म बनाने का संघर्ष चल रहा है.

आज के दौर के बच्चों में डांस के क्षेत्र में क्या कमी देखते हैं?

आज के बच्चों को थोडा सीखकर लगता है कि वे बहुत अच्छा डांस करते हैं. वे आगे अधिक एक्स्प्लोर नहीं करते, जो इस क्षेत्र में बहुत जरुरी है.

क्या आपके बच्चों का रुझान डांस की तरफ है?

रुझान नहीं है, पर वे डांस अपने लिए करते हैं. एक तो लेखक बनना चाहता है, तो दूसरा फुटबालर है.

आगे की योजनायें क्या है?

मैं एक डांस बेस्ड फिल्म बना रहा हूं, जिसमें वरुण धवन और कैटरीना कैफ होंगे. उसकी तैयारियां चल रही हैं.

किस एक्टर के बारें में आपने सोचा है कि एकदिन उससे अच्छा डांस करवायेंगे?

आमिर खान

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