कार और बाइक की खरीद पर लाखों रुपए खर्च करने वाले आम तौर पर व्हीकल इंश्योरेंस करवाते ही हैं. लेकिन ये लोग व्हीकल इंश्योरेंस से जुड़े डेट इंश्योरेंस कवर के बारे में कम जानकारी रखते हैं. हम अपनी इस खबर में आपको इसी के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं. साथ ही हम आपको यह भी बताएंगे कि यह सामान्य मोटर इंश्योरेंस कवर से कितना अलग होता हैं.
जीरो डेप्रिशियएशन इंश्योरेंस कवर सामान्य मोटर इंश्योरेंस कवर से कितना अलग: ये एक विशेष प्रकार का इंश्योरेंस कवर होता है, जिसमें व्हीकल के डेप्रिसिएशन के बाद भी फुल इंश्योरेंस की सुविधा दी जाती है. इसे डेट इंश्योरेंस भी कहा जाता है. इसमें आपको सिर्फ फाइल चार्ज देना होता है. एक बार इंश्योरेंस अप्रूवल मिलने के बाद किसी भी नुकसान की पूरी भरपाई कंपनियों की ओर से की जाती है, जबकि जनरल मोटर इंश्योरेंस कवर में आपको सिर्फ व्हीकल के चुनिंदा पार्ट्स को ही कवर करने की सुविधा मिलती है. जनरल इंश्योरेंस में सिर्फ चुनिंदा पार्ट्स पर ही कवर मिलता है लिहाजा इसका प्रीमियम कम होता है जबकि डेट इंश्योरेंस कवर का प्रीमियम काफी ज्यादा होता है क्योंकि इसमें गाड़ी के पार्ट्स नहीं बल्कि पूरी गाड़ी को कवर किया जाता है. इसमें इंश्योरेंस की वैल्यू निकालते दौरान डेप्रिसिएशन को शामिल नहीं किया जाता है.
क्या होती है डेप्रिसिएशन की दर?
डेप्रिसिएशन का मतलब यह होता है कि एक निश्चित अवधि के दौरान व्हीकल की कीमत में नुकसान के कारण कितनी गिरावट आ चुकी है. कार के अलग अलग हिस्सों के हिसाब से डेप्रिसिएशन की दर अलग अलग होती है. यह इंश्योरेंस पौलिसी के हिसाब से तय होती है. मानक दरें इस प्रकार से होती हैं:
एक्सपर्ट की राय
एक्सपर्ट्स का मानना है कि जीरो डेप्रिसिएशन कवर मोटर इंश्योरेंस पर लागू होता है. दरअसल आपकी गाड़ी हर साल डेप्रिसिएट होती है, तो आप जब भी मोटर इंश्योरेंस रिन्यू करवाते हैं तो आपके इंश्योरेंस की वैल्यू डैप्रिसिएशन के हिसाब से कम हो जाती है. मान लीजिए आपने 3 से 4 लाख में कोई मारूति 800 खरीदी थी तो 10 साल बाद उसकी इंश्योरेंस वैल्यू मुश्किल से 75,000 के आसपास रह जाएगी, क्योंकि गाड़ी की कीमत तब तक काफी गिर चुकी होगी. यह लोगों के लिए घाटे की बात थी. इसीलिए कंपनियों ने जीरो डेप्रिसिएशन के साथ इंश्योरेंस कवर लेने की सुविधा दी, जिसमें एडिशनल प्रीमियम के साथ आप इस सुविधा का लाभ ले सकते हैं. मतलब यह हुआ कि आपकी गाड़ी के इंश्योरेंस की वैल्यू पिछले साल जितनी थी उसी कीमत पर आपको इस साल भी इंश्योरेंस कवर मिल जाएगा. जीरो डेप्रिसिएशन कवर का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें इंश्योरेंस की वैल्यू निकालने के लिए डैप्रिसिएशन को नहीं जोड़ा जाता है. यानी आप समान कीमत पर हर साल इंश्योरेंस कवर प्राप्त कर सकते हैं.
क्या होता है थर्ड पार्टी इंश्योरेंस: जब मोटर वाहन से कोई दुर्घटना होती है तो कई बार इसमें बीमा कराने वाला व बीमा कंपनी के अलावा एक तीसरा पक्ष भी शामिल होता है, जो प्रभावित होता है. यह प्रावधान इसी तीसरे पक्ष यानी थर्ड पार्टी के दायित्वों को पूरा करने के लिए बनाया गया है. भारत में जब वाहन खरीदा जाता है, उसी समय वाहन डीलर बीमा कवेरज की गणना करके कीमत में जोड़ देता है. इस बीमा कवरेज में थर्ड पार्टी कवरेज का हिसाब भी होता है. थर्ड पार्टी कवरेज कुल बीमा का एक छोटा सा हिस्सा होता है.
मोटर वाहन के लिए क्यों है जरूरी?
आपको बता दें यह पौलिसी बीमा कराने वाले को नहीं, बल्कि जो तीसरा पक्ष दुर्घटना से प्रभावित होता है, उसे कवरेज देती है. कई बार ऐसा होता है मोटर वाहन चलाते समय किसी दुर्घटना में सामने वाले की मृत्यु होने या उसके घायल होने का पता चलता है और आपके पास उसके इलाज के लिए इतने पैसे नहीं होते. तो सरकार ने इस स्थिति में उस इंसान के लिए इस थर्ड पार्टी बीमा का प्रावधान रखा है, जिसे हर मोटर वाहन के लिए कानूनी तौर पर अनिवार्य कर दिया गया है. इस थर्ड पार्टी बीमा के तहत दुर्घटना में प्रभावित सामने वाले पक्ष को मुआवजा दिया जाएगा. इसलिए हर साधारण बीमा कंपनी को इस बारे में प्रावधान करना होता है.
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आपको फिल्में देखने का शौक है, तो आपको फिल्मों से जुड़ा इतिहास या किस्से कहानियों को जानने में भी दिलचस्पी होगी. तो क्यों ना आज हम आपको इसी बारे में कुछ बताएं. आज हम आपको ऐसी जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां न सिर्फ आपको घूमने-फिरने में मजा आएगा बल्कि आपको फिल्मों से जुड़ी कई बात जानने को भी मिलेगी.
आज हम आपको जिन जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं वहां जाकर आपको फिल्मी इतिहास के बारें में जानने को बहुत कुछ मिलेगा तथा जिन जगहों की सैर पर हम आपको ले जाने के लिये आएं है वे जगह खुद में मशहूर पर्यटन स्थल का स्थान रखते हैं, जिसके बारे में हमने अपने पिछले कुछ लेखों में जिक्र किया है. तो आइए, जानते हैं दुनिया के मशहूर फिल्म म्यूजियम के बारे में.
चीन नेशनल फिल्म म्यूजियम
बीजिंग में दुनिया का सबसे बड़ा चीन नेशनल फिल्म म्यूजियम बना हुआ है, जो लगभग 65 एकड़ में फैला हुआ है. इस म्यूजियम को 2005 में बनाया गया था. म्यूजियम में 1500 फिल्म के प्रिंट, फोटोग्राफ्स और कई एग्जीबिशन हौल भी है. इस म्यूजियम को देखने के लिए हर साल लाखों लोग आते है.
हौलीवुड म्यूजियम
इस म्यूजियम को वर्ल्ड सिनेमा की राजधानी भी कहा जाता है, जो हौलीवुड के लिए समर्पित माना जाता है. यह म्यूजियम हौलीवुड सिटी में मौजूद है. यहां आपके हौलीवुड से जुड़ी चीजें जैसे कैमरा,कौस्ट्यूम और प्रिंट अन्य आदि देखने को मिलेगा. अनुमान है कि यहां हर एक साल में लगभग 50 लाख से ज्यादा लोग पहुंचते है.
लंदन फिल्म म्यूजियम
लंदन फिल्म म्यूजियम की स्थापना फरवरी 2008 में हुई, जिसका निर्माण जोनाथन रेत के द्वारा किया गया है. इसे म्यूजियम औफ लंदन भी कहा जाता है. यहां आपको फिल्म सेट्स, कौस्ट्यूमस अन्य आदि चीजें देखने को मिलेंगी.
म्यूजियम औफ सिनेमा
पेरिस में बने म्यूजियम औफ सिनेमा को 1936 में बनाया गया. यहां आपको सिनेमा की हर बेहतरीन फिल्मों की कौपी देखने को मिलती है. इतना ही नहीं, यहां आपको फ्रेंच सिनेमा का इतिहास भी देखने को मिल जाएंगा.
इन म्यूजियम्स को घूमने के साथ अगर आप उन जगहों को घूमना चाहती हैं जहां ये फिल्म म्यूजियम हैं तो इसके लिये आपको हमारे पिछले लेखों पर नजर दौड़ाने की जरूरत है, जिन में हमने चीन, पेरिस, हौलीवुड, तथा लंदन के पर्यटन स्थलों का विस्तार से जिक्र किया है.
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बौलीवुड के बादशाह शाहरुख खान की तरह उनकी बेटी सुहाना, बेटा आर्यन और अबराम भी हमेशा उतनी ही सुर्खियां बटोरते हैं जितना वह खुद. कभी भी सुहाना, आर्यन या अबराम कहीं स्पौट होते हैं तो उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो जाती हैं और खबरें बन जाती हैं.
वहीं शाहरुख ने भी कई मौकों पर बताया है कि सुहाना फिल्म इंडस्ट्री में ही अपना करियर बनाना चाहती हैं. वहीं हाल ही में सुहाना की मां गौरी ने भी एक इवेंट के दौरान इस बात का खुलासा किया है कि वह जल्द ही मैगजीन के लिए फोटोशूट कर सकती हैं.
दरअसल, बीते रविवार को मुंबई में आयोजित हुए एक अवौर्ड शो में शाहरुख अपनी पत्नी गौरी के साथ पहुंचे थे. इस शो के दौरान एक बात-चीत करते हुए गौरी ने कहा कि सुहाना एक मैगजीन के लिए शूट कर रही हैं और मैं उस मैगजीन का नाम तो नहीं बता सकती लेकिन मैं इसके लिए काफी उत्साहित हूं.
बता दें, इस अवौर्ड शो में रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण भी शामिल हुए थे और दोनों को यहां एंटरटेनर औफ द ईयर के अवौर्ड से सम्मानित किया गया.
. @gaurikhan backstage talks about #GauriKhanDesigns and what she’s looking forward to this year!#HHOF2018https://t.co/O1gJ6iJOT4 pic.twitter.com/0ZplNGKhL0
— SRK Universe (@SRKUniverse) March 12, 2018
वहीं सुहाना की बात करें तो यह सब ही जानते हैं कि वह जल्द ही बौलीवुड में एंट्री कर सकती हैं और शाहरुख खान ने भी कुछ वक्त पहले एक इंटरव्यू के दौरान खुलासा किया था और बताया था कि सुहाना बॉलीवुड में काम करना चाहती हैं. इसके साथ उन्होंने यह भी कहा था कि वह अभी से ही एक्टिंग सीख रही हैं और उन्होंने स्कूल प्ले में हमेशा ही अच्छा काम किया है. शाहरुख ने यह भी कहा था कि उन्हें सुहाना के फिल्म इंडस्ट्री में काम करने पर कोई आपत्ति नहीं है लेकिन सुहाना को इस इंडस्ट्री का हिस्सा बनने से पहले अपनी पढ़ाई खत्म करनी होगी.
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गर्मी का मौसम आ गया है, इस बदलते मौसम में की गई जरा सी लापरवाही आप पर भारी पड़ सकती है. इस समय साइनोसाइटिस की की ज्यादा समस्या देखने को मिल रही है. ऐसे में इससे बचना बेहद जरूरी है.
आइये जानते हैं यह समस्या कब और कैसे होती है-
हमारी नाक के आस-पास मौजूद साइनस में वायरल इन्फेक्शन, प्रदूषण, इम्यूनिटी की कमी की वजह से, ठंडे पानी या कूलर के ज्यादा इस्तेमाल आदि से साइनोसाइटिस की समस्या सामने आती है. ऐसे में नाक में ज्यादा म्यूकस (नाक का पानी) बनने लगता है, जिससे बार-बार नाक आना, सिरदर्द, बुखार, नाक बंद होना, सर्दी-खांसी, बदन दर्द, आंखों से आंसू आना, दांतों में दर्द या छींक आना जैसी समस्या होने लगती है. साइनस दरअसल नाक के अंदर खतरनाक धूलकणों को पहुंचने से रोकने के काम आता है.
ऐसे रोके साइनोसाइटिस होने से
हमेशा हाइड्रेटेड रहें
दिन में ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की कोशिश करें. इससे शरीर हाइड्रेटेड तो रहता ही है साथ ही म्यूकस भी पतला होता है, जिससे नाक की ब्लॉकेज खत्म होती है और साइनोसाइटिस को रोकने में मदद मिलती है.
नाक को हमेशा रखें साफ
साइनोसाइटिस से बचने के लिए नाक को साफ रखना बेहद जरूरी है. इसके लिए सवेरे-सवेरे अपनी नाक में थोड़ा पानी डालकर सफाई करें. यह काम आप सोने से ठीक पहले भी कर सकते हैं.
नाक के प्रति बरतें नरमी
साइनोसाइटिस या नाक की किसी भी समस्या से परेशान होकर नाक के साथ ज्यादती करने से बचें. इसे जोर से मसलना हानिकारक हो सकता है.
भाप लें
नाक को साफ रखने का सबसे बेहतरीन तरीका होता है भाप लेना. भाप लेने से साइनस में ज्यादा मात्रा में बनने वाला म्यूकस पिघलता है और नाक साफ रहती है. भाप लेने के लिए एक लीटर पानी को उबालकर उसमें थोड़ा सा कपूर मिलाएं. अब इससे तकरीबन 10-15 मिनट तक भाप लें. आराम मिलने तक इसे दुहराते रहें.
रूखे वातावरण से रहें दूर
अगर आपके पास वायु को नम रखने वाला ह्यूमिडिफायर है तो इसका इस्तेमाल कम कर दें. यह आपके नसल पासेज को रूखा बना देता है. इससे साइनस में सूजन को रोकने में मदद मिलती है. शुष्क वातावरण में देर तक बैठने से भी परहेज करें.
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बौलीवुड एक्ट्रेस सोनम कपूर इन दिनों अपनी आने वाली फिल्म ‘वीरे दी वेडिंग’ की शूटिंग में बिजी हैं. इस फिल्म के बाद सोनम जल्द ही अनुजा चौहान के बेस्ट सेलिंग उपन्यास ‘द जोया फैक्टर’ पर बन रही फिल्म में नजर आएंगी. इस फिल्म में सोनम के साथ दलकीर सलमान नजर आएंगे. दलकीर सलमान कन्नड़ फिल्मों के सुपरस्टार हैं. यानी कि एक बार फिर बौलीवुड में नौर्थ और साउथ का मिलन होने वाला है.
इस फिल्म की शूटिंग शुरू होने में अभी वक्त है, लेकिन इसके लिए फोटोशूट हो चुका है. इसमें सलमान और सोनम काफी मजेदार अंदाज में नजर आ रहे हैं. सोनम कपूर जोया का किरदार निभा रही हैं जबकि दलकेर भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान निखिल खोड़ा का किरदार निभाएंगे.
बता दें कि जोया फैक्टर राजपूत लड़की जोया सोलंकी की कहानी है, और एक विज्ञापन एजेंसी में एग्जीक्यूटिव है. अपने काम के दौरान उसकी मुलाकात भारतीय क्रिकेट टीम से होती है, 2010 के क्रिकेट वर्ल्ड कप में वे टीम का लकी चार्म बन जाती है. जोया सोलंकी का जन्म 1983 तब हुआ था जब भारत ने क्रिकेट विश्व कप जीता था. इस रोमांटिक कौमेडी को ‘तेरे बिन लादेन’ जैसी फिल्मों का निर्देशन कर चुके निर्देशक अभिषेक शर्मा कर रहे हैं.
Now this one is really special for me! Introducing #ZoyaFactor a movie based on Anuja Chauhan’s bestseller. Releasing on April 5, 2019! Co-starring @sonamakapoor, directed by #AbhishekSharma. #AdlabsFilms @foxstarhindi pic.twitter.com/1dxzuYYysS
— dulquer salmaan (@dulQuer) March 13, 2018
फिल्म के डायरेक्टर अभिषेक शर्मा का कहना है, क्रिकेट को रोमांटिक कौमेडी में पिरोया गया है, और इसमें अंधविश्वास से लेकर लक तक जैसा दिलचस्प पहलू जुड़े हुए हैं. इस किताब में कई लेयर्स, कैरेक्टर्स और ट्रैक हैं. जोया के किरदार के लिए मेरे दिमाग में सबसे पहला नाम सोनम का ही आया था.
सलमान को साउथ फिल्म इंडस्ट्री में हिट मशीन के तौर पर जाना जाता है. वह ‘बेंगलूरू डेज’, ‘ओ कधाल कनिमणि’ और ‘कमातिपादम’ जैसी सुपरहिट फिल्मों में नजर आ चुके हैं. सलमान पहले रोनी स्क्रूवाला की फिल्म कारवां की शूटिंग पूरी करेंगे. इसमें वह इरफान खान के साथ काम कर रहे हैं. इसके बाद वह जोया फैक्टर की शुटिंग में शामिल होंगे. सोनम कपूर और साउथ के स्टार दलकेर सलमान की फ्रेश जोड़ी फिल्म ‘द जोया फैक्टर’ 5 अप्रैल, 2019 को रिलीज होगी.
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एक बोध कथा है जिस में अलौकिकता पर न जाएं. कथा के अनुसार, एक दिन शैतान मनुष्य के पास आया और बोला, ‘तुम सब मरने ही वाले हो. मैं तुम्हें मौत से बचा सकता हूं बशर्ते, तुम अपने नौकर को मार डालो, अपनी पत्नी की पिटाई करो या यह शराब पी लो.’
मनुष्य ने कहा, ‘मुझे जरा सोचने दीजिए अपने विश्वसनीय नौकर की हत्या करना मेरे लिए संभव नहीं, पत्नी के साथ दुर्व्यवहार करना बेतुकी बात होगी. हां, मैं यह शराब पी लूंगा.’ उस के बाद उस ने शराब पी ली और नशे में धुत हो कर पत्नी को पीटा तथा जब नौकर ने उस की पत्नी का बचाव करने की कोशिश की तो नौकर को मार डाला.
उपरोक्त बोधकथा से मद्यपान के हमारे जीवन पर पड़ने वाले कुप्रभाव को भलीभांति समझा जा सकता है. निसंहेद मद्यपान का हमारे जीवन पर घातक प्रभाव पड़ता है. किंतु इस के बावजूद आज जिधर देखो उधर युवाबूढ़े, स्त्रीपुरुष, अमीरगरीब सभी इस घातक जहर की चपेट में नजर आते हैं. शराब पीना आजकल फैशन सा बन गया है. फैशनपरस्त लोगों ने साजसिंगार तथा वेशभूषा तक ही सीमित न रह कर शराब को भी उस के दायरे में समेट लिया है. शराब पीने से इनकार करने वाले को अब पुराने विचारों का तथा रूढि़वादी करार दिया जाता है और अपने को आधुनिक व प्रभावशाली साबित करने का इच्छुक हर व्यक्ति उस के खतरों को नजरअंदाज करते हुए या जानेअनजाने में इस के जानलेवा जाल में फंसता जा रहा है.
क्यों पीते हैं शराब
इस के कई कारण हैं. अकसर देखने में आता है कि मानसिक तनाव के कारण लोग शराब पीते हैं. जब व्यक्ति किसी समस्या का हल पाने में असफल होता है तो शराब पी कर उसे भूलने की चेष्टा करता है. अधिकांश मामलों में यही देखा गया है कि हताशा मद्यपान का कारण बनती है. पारिवारिक कलह, आर्थिक अभाव या कभीकभी शारीरिक यंत्रणा से मुक्ति पाने के लिए लोग इसे मुंह से लगा बैठते हैं. किंतु क्या इसे उचित कहा जा सकता है? शराब किसी समस्या का समाधान तो नहीं हो सकती या शराब पी कर भूलने से आप की समस्या का अंत तो नहीं हो जाता. किसी भी परेशानी से घबरा कर शराब पीना एक और परेशानी को गले लगाना है, उस से छुटकारा पाना नहीं.
शराब पीने के लिए लोगों के पास बहानों की कमी नहीं है. कुछ व्यक्ति केवल इसलिए शराब पीते हैं कि लोग उन्हें विशिष्ट समझें, वे शराब को स्टेटस व संपन्नता का प्रतीक मानते हैं. वे यह भूल जाते हैं कि शराब का सेवन करना दिमागी खोखलेपन की निशानी भी है. दिनभर मेहनत करने के बाद शाम को शराब पीने वालों का तर्क होता है कि इस से थकान दूर हो जाती है. ये लोग शराब पीने के बाद डगमगा कर चलने व बेहोश हो जाने को ही शायद थकान का दूर होना समझते हैं.
आजकल किसी भी सामाजिक उत्सव या त्योहार पर गिलासों की खनखनाहट होनी आम बात होती है. ऐसे अवसरों पर अकसर ही यह सुना जाता है कि सोसायटी में रहना है तो उस के हिसाब से ही चलना होगा, और फिर सोसायटी में यह सब चलता ही है. इन चीजों को अपनाए बगैर कोई भी उन्नति नहीं कर सकता. यहां ये लोग शायद यह भूल जाते हैं कि कोई भी व्यक्ति अपने परिश्रम व लगन से उन्नति करता है, शराब पीने से नहीं.
शराब के संपर्क में आने के बाद व्यक्ति के पास चरित्र नाम की कोई चीज नहीं रह जाती है. कहने को इस के बचाव में वह कुछ भी कहता रहे, शराब पी कर वह केवल अपनेआप को धोखा देता है और जो व्यक्ति अपनेआप को धोखा देता है उस का क्या चरित्र हो सकता है.
विचारशक्ति खत्म होती है
कभीकभी कुछ व्यक्ति केवल झगड़ा करने के लिए शराब पीते हैं ताकि स्फूर्ति आ जाए. जबकि, ऐसा होता नहीं है. शराब पीने के बाद आदमी सामान्य नहीं रह पाता है क्योंकि हमारे मस्तिष्क में कुछ ऐसे तंत्र होते हैं जो हमारे बोलनेचालने या काम करने के तौरतरीके आदि को नियंत्रित करते हैं. शराब पीने के बाद वह नियंत्रण समाप्त हो जाता है और आदमी के सोचनेसमझने की शक्ति खत्म हो जाती है. वह उचितअनुचित का भेद नहीं कर पाता है और सभ्यता व शिष्टाचार की सीमा लांघ कर अपशब्द बोलने लगता है. इस के अतिरिक्त, कुछ व्यक्ति यह सोच कर भी शराब पीते हैं कि वे जिस से झगड़ा करने जा रहे हैं वह उन्हें नशे में देख कर डर जाएगा. पर मजा तो तब आता है जब इस का उलटा होता है और इन की पिटाई हो जाती है क्योंकि नशे में इन की प्रतिरोध क्षमता खत्म हो जाती है.
जो व्यक्ति शराब के आदी नहीं होते हैं वे कभीकभी मित्रों आदि पर रोब गांठने के लिए पी लेते हैं तो कुछ लोग यह सोचते हैं कि जहां अन्य सभी पीने वाले हों, वहां एक व्यक्ति शराब को हाथ नहीं लगाता है तो लोग उसे बेवकूफ समझेंगे और उसे इग्नोर करने लगेंगे. इसलिए वह न चाहते हुए भी अपनी श्रेष्ठता साबित करने के लिए पीतापिलाता रहता है. ऐसा कर के वह सोचता है कि वह भी आधुनिक और उच्च श्रेणी में आ गया है. किंतु पीने के बाद यही व्यक्ति नशें में धुत हो कर जब घर जाता है और अपनी पत्नी व बच्चों को पीटता है तो ऐसा कर के वह अपनी नीचता का ही प्रदर्शन करता है, आधुनिकता या श्रेष्ठता का नहीं.
छोटेछोटे बालक शुरू में अपने बड़ेबुजुर्गों की देखादेखी शराब पीना शुरू करते हैं, क्योंकि जब वे उन्हें पीता देखते हैं तो उन के बालसुलभ मन में भी वैसा ही करने की स्वाभाविक इच्छा जागृत होती है. इस तरह वे छिप कर शराब पीना शुरू कर देते हैं और आगे चल कर इस के आदी हो जाते हैं.
पीने की आदत
एक बार शराब का सेवन करने के बाद व्यक्ति इस की गिरफ्त में आ जाता है और फिर एक आदत बन जाती है. पहली बार शराब का सेवन करते समय आदमी यह सोचता है कि वह शराब का आदी थोड़े ही बन रहा है. पर वह यह नहीं जानता है कि एक बार पीना शुरू कर देने पर इतना विवेक किस में होता है कि अच्छाबुरा सोच सके.
शराब पीने की आदत पड़ जाने पर लोग पैसा न हो तो उधार ले कर पीना शुरू कर देते हैं. उधार न मिलने पर शराब प्राप्त करने के लिए लोग चोरी, जेबकतरी और रिश्वतखोरी आदि करते हैं. घर में कलह शुरू होता है और घर बरबाद हो जाता है. शराब के नशे में गाडि़यां चला कर दुर्घटनाएं, हत्याएं, बलात्कार व अन्य जघन्य अपराध करने के समाचार हम प्रतिदिन पढ़ते, सुनते व देखते हैं. ऐसा कौन सा कुकृत्य है जो शराब के नशे में और शराब को प्राप्त करने के लिए नहीं किया जाता.
इन सब बातों के विपरीत कोई शराबी यह नहीं चाहता कि उस की संतान शराब को हाथ लगाए. वह यह भी नहीं चाहता कि उस के निवास स्थान के पास शराब की दुकान या होटल आदि हो. क्या यह तथ्य यह बात सिद्ध करने के लिए पर्याप्त नहीं है कि एक शराबी भी शराब को घृणा की दृष्टि से देखता है.
इन सब बातों को जानते व समझते हुए भी बहुत से लोग शराब पीना छोड़ना नहीं चाहते हैं. कुछ लोग छोड़ना चाहते हुए भी कहते हैं कि क्या करें, छूटती ही नहीं. माना शराब मनुष्य की बहुत बड़ी कमजोरी है पर कमजोरियों पर विजय भी तो मनुष्य ने ही पाई है. ऐसा कोई भी कार्य नहीं है जिसे मनुष्य पूरी इच्छा से करना चाहे और न कर सके. आवश्यकता केवल दृढ़प्रतिज्ञ होने की है.
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‘‘अजगर करे न चाकरी पंछी करे न काम, दास मलूका कह गए सब के दाता राम,’’ संत दास मलूक की यह पंक्ति आज के वक्त में बिलकुल ठीक बैठती है. खासकर बात जब सरकारी नौकरी की हो. देश में लाखों लोग सरकारी नौकरी में लगे हुए हैं जिन में कई लाख केंद्र सरकार में नौकरी कर रहे हैं और बाकी लोग विभिन्न राज्यों में. केंद्र और राज्य सरकारें इन कर्मचारियों पर अरबों रुपए हर माह खर्च करती हैं, लेकिन सरकार के खर्च के अनुरूप सरकारी मुलाजिम काम नहीं करते.
21वीं सदी में भारत जैसे विकासशील देश में हर युवा की यही ख्वाहिश होती है कि पढ़लिख कर किसी भी तरीके से उसे सरकारी नौकरी का तमगा मिल जाए. दुनिया में जहां विकसित देश के युवाओं का रुझान प्राइवेट जौब की तरफ है, वहीं हमारे देश में सरकारी नौकरी का मोह हर किसी को है. सरकारी नौकरी आज के दौर में भारत के नौजवानों की पहली पसंद बनी होने की कई वजहें हैं.
बेरोजगारी का आलम
आज के युवाओं की सीधी सी सोच है कि किसी भी तरह 12वीं पास या ज्यादा से ज्यादा ग्रेजुएशन कर के सरकारी नौकरी की तलाश में लग जाएं. देश में बेरोजगारी बहुत ज्यादा है और नौकरियां काफी कम. पहले तो सरकारी नौकरियां निकलती नहीं, अगर निकलती भी हैं तो पदों की संख्या काफी कम रहती है जबकि आवेदक काफी होते हैं.
देश में बेरोजगारी का आलम यह है कि पिछले साल उत्तर प्रदेश में क्लर्क की वैकेंसी में 250 से अधिक आवेदन पीएचडीधारकों ने भेजे थे. इस बात से साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकारी नौकरी पाने के लिए वे किस कदर बेचैन हैं.
सरकारी नौकरी में सिर्फ एक ही पेंच है और वह है आप को किसी भी तरह एक बार नौकरी मिल जाए, फिर तो आप राजा बन गए. जो लोग सरकार की तरफ से सारी सुखसुविधाओं का भोग करते हैं, उन में से ज्यादातर लोग कामचोरी करते हैं. काम करने का भी उन का अलग अंदाज होता है. हर काम के लिए चढ़ावा (रिश्वत) लेते हैं. चढ़ावा भी काम के हिसाब से रहता है. अगर छोटा काम तो कम पैसों में बात बन जाती है, वरना मोटी रकम अदा करनी पड़ती है. यह हाल देश के लगभग सभी विभागों का है.
बात चाहे लाइसैंस बनवाने की हो, वोटर आईडी कार्ड की हो, पैंशन की हो या किसी भी प्रकार की, हर जगह कुछ ऐसे लोग मिल जाएंगे, जो बिना रिश्वत के आप की फाइल को आगे नहीं बढ़ाते. सरकारी नौकरी का सब से ज्यादा सुख प्राथमिक स्कूल के शिक्षक भोग रहे हैं. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार के स्कूलों का सब से बुरा हाल है. वहां के स्कूलों में शिक्षक कम हैं और जो हैं भी, वे पढ़ाते नहीं.
उत्तर प्रदेश में तो शिक्षक कईकई दिनों तक स्कूलों की शक्ल भी नहीं देखते. सरकार ने तमाम तरीके अपना लिए हैं, लेकिन शिक्षकों की कामचोरी पर अभी तक लगाम नहीं लग पाई. सरकारी नौकरी क्यों लोगों की पहली पसंद बनी हुई है? आखिर क्या कारण है कि लाखों रुपए के पैकेज को छोड़ कर सरकारी नौकरी करने की चाहत आज भी कम नहीं हो पा रही? इस के एक नहीं, बल्कि कई कारण हैं, जिन के चलते युवा सरकारी नौकरी पाने के पीछे कई साल लगा देते हैं.
सरकारी बनाम प्राइवेट जौब
प्राइवेट नौकरी में आप को अपने बौस के सीट से उठने का इंतजार होता है और देररात तक औफिस में रुक कर बौस के मेलमैसेज आने का इंतजार करना पड़ता है. मेल नहीं तो कभी किसी और जरूरी काम से रुकना पड़ता है. वहीं, सरकारी नौकरी में ऐसा कोई चक्कर ही नहीं है. यहां आप सिर्फ 8 घंटे के कर्मचारी हैं. उस के बाद तो कुरसी से उठ कर बेहतरीन सी अंगड़ाई लीजिए और घर जा कर परिवार के साथ मस्त शाम बिताइए.
प्राइवेट नौकरी में तरक्की और सैलरी पैकेज आप की परफौर्मेंस पर निर्भर करते हैं. आप अगर औफिस में बौस के मुताबिक अच्छा परफौर्म नहीं कर पाए तो सालों तक एक ही पद पर और एक ही सैलरी स्केल पर काम करना पड़ सकता है. वहीं, सरकारी नौकरी में अगर सैंट्रल गवर्नमैंट ने पे-कमीशन लागू कर दिया तो आप भले ही कामचोर या निकम्मे कर्मचारी हों, आप की तनख्वाह बढ़नी तय है.
प्राइवेट नौकरी में तो अकसर ओवरटाइम के नाम पर औफिस के पैंडिंग कामों को पूरा करने के लिए संडे को भी बुला लिया जाता है. अब बेचारे क्या करें, बौस का आदेश है. नौकरी करनी है तो परिवार के साथ एंजौयमैंट को भूलना ही पड़ेगा. वहीं, सरकारी मुलाजिम की तो हर हफ्ते छुट्टियां तय हैं. संडे तो संडे, हर शनिवार भी औफिस का गोला लग ही जाता है.
अगर आप प्राइवेट नौकरी कर रहे हैं और आप का ऐक्सिडैंट हो जाता है तो आप को जितने दिनों की छुट्टियां चाहिए, उतने दिनों की पगार कटवानी होगी. इस के विपरीत सरकारी मुलाजिमों को मैडिकल लीव मिलती है और उस पर पूरे महीने की पगार भी मिलती है. सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए मैडिकल की सुविधा दे रखी है. इलाज के लिए सरकार की तरफ से मैडिकल अलाउंस यानी चिकित्सा भत्ता मिलता है. इस भत्ते से पीडि़त का पूरा इलाज भी होता है. यही नहीं, किसी भी सरकारी अस्पताल में पूरी तरह से फ्रीचैकअप की भी सुविधा मिलती है.
सरकारी कर्मचारियों को अपने पदों के अनुसार घरकिराया भत्ता भी मिलता है. इस के अलावा उच्च पदों वाले सरकारी कर्मचारियों को तो वेलमेंटेंड आवासीय भत्ता दिया जाता है. ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत कर्मचारियों को तो बड़े घरों की सुविधा मिलती है, जिस में लौन और आंगन जरूर होता है. एक आईएएस औफिसर को बड़े सरकारी घर के साथ घर में काम करने वाले नौकर व सिक्योरिटी गार्ड तक मिलते हैं. इस के अलावा सरकारी कर्मचारियों को दूसरी सहूलियतें भी मिलती हैं.
आज के दौर में कंपीटिशन इतना ज्यादा बढ़ गया है कि प्राइवेट संस्थान आप को तभी पगार देगा जब आप अपनी पगार से कई गुना ज्यादा संस्थान को कमा कर दें. मंदी के समय प्राइवेट संस्थान में काम करने वालों को दिनरात टैंशन में काम करना पड़ता है. हर वक्त नौकरी जाने का खतरा सताता रहता है. अगर एक बार आप की नौकरी गई तो सेविंग्स के अलावा आप के पास आमदनी का कोई जरिया नहीं होगा. वहीं, सरकारी नौकरी लग गई तो जीवनभर की फुरसत. नौकरी से रिटायर होने के बाद भी आप को तनख्वाह के तौर पर घर बैठे पैंशन व अन्य लाभ मिलते रहेंगे.
प्राइवेट नौकरी पर रहते हुए अगर आप किसी काम के लिए बैंक में लोन के लिए अप्लाई करते हैं, तो आप को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. इस का कारण यह है कि आप की जौब कभी भी जा सकती है. इस के अलावा उस पर जुड़ने वाला इंट्रैस्ट रेट हर महीने आप को डराता है. सरकारी मुलाजिमों को सरकारी नौकरी के आधार पर आसानी से लोन भी मिल जाता है और उस पर ब्याज की दर भी कम पड़ेगी.
सुरक्षित भविष्य का मोह
उपरोक्त तमाम बातों से साफ है कि आज के आधुनिक युग में भी हमारे देश के युवाओं की पहली पसंद सरकारी नौकरी करना है. सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर कोचिंग संस्थान अरबों रुपए का बिजनैस कर रहे हैं. सिविल सर्विसेज परीक्षा में हर साल लाखों परीक्षार्थी बैठते हैं, जिन में से बामुश्किल कुछ सौ परीक्षार्थियों को नौकरी मिल पाती है. इतना सब होने के बाद भी सरकारी नौकरी से युवाओं का मोह भंग नहीं हो रहा है.
अगर आप किसी विभाग में बड़े ओहदे पर पहुंच गए तो आप की अफसरशाही अलग ही रहेगी. कुल मिला कर सरकारी नौकरी मिलने से भविष्य सुरक्षित हो जाता है और यह सुकून रहता है कि जिंदगी की गाड़ी अगर बहुत तेज भी न चली, तो इस बात पर शक नहीं है कि आराम से चलती रहेगी.
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मार्च का महीना आ गया है और सर्दियों की सुरमई शामें विदा ले चुकी हैं और गर्मियों का मौसम बाहें फैला रहा है. अब गर्म कपड़ो की बजाय हल्के-फुल्के कपड़ो में तितली की तरह उड़ते जाने को हर किसी का मन बेताब है. मगर धूप और गर्म मौसम हमारे सारे उत्साह को खत्म कर देता है, पर यदि ऐसे में मसाज ली जाए तो तन-मन में ताजगी आ जाती है और हमारा पूरा बदन निखर उठता है.
मसाज को लेकर ज्यादातर लोगो का मानना यह है कि मसाज सिर्फ सर्दियों में ही ज्यादा लाभ पहुंचाती है और गर्मियों में तो इसकी कल्पना करना मुश्किल है. झुलसाती गर्मियां और उस पर तेल का चिपचिपापन! सच तो यह है कि यह सिर्फ ऊपरी और गलत तस्वीर है. मसाज थेरैपी, सुंदरता और स्वास्थ्य निखारने का एक ऐसा जरिया है, जो हर मौसम में लाभ पहुंचता है.
गर्मियों में और जरूरी है मसाज
मसाज की जरूरत गर्मियों में और ज्यादा इसलिए भी हो जाती है, क्योकि ऋतु परिवर्तन के समय शरीर में मौजूद विकारो को अगर ठीक न किया जाए तो यह गर्मियों के दौरान कई समस्याओं को बढ़ा सकता है. इसके अलावा गर्मियों में हमारे शरीर की ऊर्जा शक्ति पसीने और बाहरी वातावरण के ताप से काफी कमजोर हो जाती है. मसाज से इसमे भी राहत मिलती है और ऊर्जा शक्ति बढ़ती है .
मसाज से न सिर्फ शरीर को गहराई तक आराम मिलता है, बल्कि संवेदनाएं भी जागृत होती है. तेज रक्त संचार से शरीर में मौजूद विषाणु पसीने और मूत्र के रूप में बाहर आ जाते हैं. यह शरीर के अतिरिक्त ताप को कम करता है और बाहर से शरीर की मृत त्वचा भी साफ होती है, जिससे शरीर की चमक और नैसर्गिकता बढ़ती है.
मसाज करने से आपकी त्वचा में भी निखार आता है और आप दिन भर खिला खिला महसूस करती हैं.
मसाज का जरूरी है सही तरीका
मसाज थेरैपी से जुड़े फायदे तो बहुत है, मगर यह सार्थक तभी होगा जब इसे सही तरीके से किया जाए. इसके लिए जरूरी है कुछ सावधानियां –
-गर्मियों मे मसाज करने के लिए सबसे पहले जिस जगह मसाज करनी हो, उस जगह के तापमान पर ध्यान दे. मसाज एयरकंडीशनर कमरे में बिलकुल न कराएं. कमरे का तापमान सामान्य होना चाहिए. मसाज किये जाने वाला पानी न तो काफी ठंडा हो न हो गर्म.
-कमरे में रोशनी बहुत ही हल्की होनी चाहिए, जिससे पूरी तरह से आराम महसूस किया जा सके. धीमें संगीत की स्वरलहरी इस माहौल को प्रभावी बना सकती है.
-सिरहाने पानी के बर्तन में जलता सुगंधित दीया (अरोमा थेरैपी में खासतौर से प्रयोग होता है) मानसिक शांति में बहुत कारगर साबित होता है.
-गर्भावस्था के दौरान भी मसाज न लें .
-मसाज हमेशा हल्के हाथों और सही प्रेशर प्वाइंट्स पर दबाब डालते हुए ही की जानी चाहिए और स्पर्श सहलाने जैसा होना चाहिए. इसलिए विशेषज्ञ से मसाज करना फायदेमंद रहता है.
-मसाज के लिए प्रयोग होने वाला तेल या क्रीम हमेशा व्यक्ति के शरीर की प्रवृत्ति व मौसम के अनुसार ही प्रयोग में लाना चाहिए.
-मसाज के बाद स्टीम बाथ और शावर ली जा सकती है.
-मसाज के बाद कुछ देर आराम जरूर करे और तुरंत ही तेज धूप या तेज हवा में ना निकले. अगर ऐसा करना ही पड़े तो शरीर पर पहले सनस्क्रीन लोशन वगैरह जरूर लगा लें.
-तंबाकू और एल्कोहल (अगर लेते हो तो) का प्रयोग अगले 24 घंटों तक बिलकुल न करें.
-पानी ज्यादा-से-ज्यादा पिए, जिससे मसाज से निकलने वाले विषैले तत्व तेजी से शरीर के बाहर निकल सके.
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आज के समय में अधिकतर लड़कियों के साथ ये समस्या होती है कि जब वह अपने बालों की चोटी बनाती हैं तो कुछ छोटे बाल खड़े हो जाते हैं. अक्सर आपके साथ होगा कि आप कहीं बाहर पार्टी में अच्छी सी हेयर स्टाइल बना कर जाती हैं, लेकिन ये छोटे बाल खड़े हो जाते हैं. जिसके कारण आपका पूरा लुक खराब हो जाता है. इन्हें फ्लाई-अवे कहते हैं. इनके कारण आपके बाल सेट नहीं लगते हैं. इसके साथ एक सबसे बड़ी समस्या होती है कि यह बढ़ते नहीं हैं. जस के तस बने रहते हैं. जिसके कारण आप कोई भी हेयर स्टाइल कैरी नहीं कर पाती हैं.
अगर आपके साथ भी यही समस्या है तो हम आपको उपायों के बारे में बता रहे हैं. जिन्हें करके आप आसानी से अपने इन छोटे बालों को एक लुक दे सकती हैं. जानिए इन टिप्स के बारे में.
– अगर आपके बाल बिल्कुल स्ट्रेट हैं या फिर आप स्ट्रेटनर का इस्तेमाल कर रही हैं. अगर आपकी नजर में छोटे बाल आते हैं तो उनकी जगह पर थोड़ी सी वैसलीन लगा लें. इससे आपके बाल स्ट्रेट हो जाएगे. साथ ही इस बात क ध्यान रहे कि थोड़ी मात्रा में ही वैसलीन का इस्तेमाल करें, नहीं तो आपके बाल ऑयली हो जाएंगे.
– कभी भी शावर लेने के बाद बालों को तौलिए से रगड़कर न खुलाएं, क्योंकि इससे आपके बाल कमजोर होंगे साथ ही अधिक मात्रा में टूटेंगे भी. इसलिए धोने के बाद मुलायम कपड़े से तौलिया बनाकर बालों को पोंछे.
– अगर आप पोनी चोटी बना रही हैं, तो बालों के ऊपर थोड़ा सा बादाम का तेल, ऑलिव आयल लगाकर बालों को बिठाएं. इससे आसानी से आपके बाल नहीं दिखेंगे.
– ऐसे में ब्लो ड्रायर काम आते हैं. इसके इस्तेमाल से फ्लाई-अवे हेयर सेट हो जाते हैं. बस ऊपर से नीचे की ओर ब्लो ड्राई करें और कंघा करें.
– आप एक टूथब्रश लें और उसमें थोड़ा हेयर स्प्रे डालें. इस टूथब्रश से बालों को ब्रश करें. इससे बाल काफी घंटों के लिए सेट हो जाएंगे. इस तरीके से लगाए जाने पर हेयर स्प्रे आपके बालों को चिपचिपा भी नहीं बनाएगा और उन्हें बहुत देर तक सेट रखेंगे.
– ड्राई हेयर होने पर ज्यादा टूटे और उड़ने वाले बाल नजर आते हैं. ऐसे में मॉश्चराइजिंग शैंपू का ही इस्तेमाल करें. बालों को सॉफ्ट बनाने और सेट रखने के लिए सप्ताह में एक बार हेयर मास्क का इस्तेमाल जरूर करें.
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