निर्देशन के क्षेत्र में अपना लोहा मनवा चुके करण जौहर अभिनय जायीदी कमाल ना कर सकें, शायद यही कारण है कि वह खुद को फ्लौप अभिनेता मानते हैं. बता दें कि करण ने मराठी फिल्म बकेट लिस्ट के ट्रेलर लौन्च के मौके पर यह बयान दिया.
करण ने कहा कि वे खुद को फ्लौप एक्टर कहना पसंद करेंगे. मराठी फिल्मों में अभिनय करने के सवाल पर उन्होंने कहा, मेरी एक भी फिल्म नहीं चली. मैंने बौम्बे वेलवेट और वेलकम टू न्यूयार्क में काम किया और दोनों ही फिल्में सुपर प्लौप रहीं. इसके बाद मेरा जो अनुभव रहा वो यही है क किसी को मुझे फिल्म में नहीं लेना चाहिए. मैं एक बड़ा फ्लौप और असफल अभिनेता हूं.
बता दें कि करण ने अनुराग बसु की फिल्म बाम्बे वेलवेट से अपने अभिनय की औपचारिक पारी की शुरुआत की थी, जो एक बड़ी फ्लौप थी और हाल ही में आई उनकी वेल्कम टू न्यूयौर्क भी कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई.
बौलीवुड अदाकारा माधुरी दीक्षित फिल्म बकेट लिस्ट से अपनी मराठी सिनेमा की पारी की शुरुआत कर रही हैं. इस बीच फिल्म कलंक में संजय दत्त और माधुरी दीक्षित के बड़े पर्दे पर एक साथ नजर आने के सवाल को करण टाल गए. उन्होंने इस सवाल पर कहा कि, इस सवाल का जवाब देने के लिए यह सही समय नहीं है.
VIDEO : समर स्पेशल कलर्स एंड पैटर्न्स विद द डिजिटल फैशन
ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTubeचैनल.
क्रिकेट पसंद करने वालों के लिए इंडियन प्रीमियम लीग (आईपीएल) एक बड़ा ईवेंट माना जाता है. इस बार इसका 11वां सीजन चल रहा है. इसमें आठ टीमों को 51 दिनों तक 60 मैच खेलने हैं. निवेशक के तौर पर इस खेल से कई वित्तीय सीख ली जा सकती है. टी20 क्रिकेट के कई नियम एवं शर्तें होती हैं और जिस तरह से इसे खेला जाता है, उसे आप निवेश में लागू कर अपने वित्तीय लक्ष्य हासिल कर सकते हैं.
उदाहरण के तौर पर पावरप्ले ऐसा पीरियड होता जहां पर खेल के पहले छह ओवर्स में फील्डिंग के नियम लागू होते हैं जिनमें केवल दो प्लेयर्स 30 यार्ड के सर्किल से बाहर रह सकते हैं. यह रणनीति इसलिए अपनाई जाती है ताकि शुरुआत में ज्यादा रन बनाए जा सके.
वहीं निवेश के मोर्चे पर इसे ऐसे समझा जा सकता है कि जैसे कि आपको अपनी मासिक तनख्वाह मिलती है उसमें से 10 से 20 फीसद तक बचत के लिए अलग कर दें. इसी तरह आदत डाल लें कि शुरुआत के दिनों में अपनों खर्चों पर नियंत्रण कर बचत करें. इस बचत के लिए एक समय के बाद आप बड़ा कौर्पस जमा कर सकते हैं. इसलिए निवेशक अपने बचत पर पावरप्ले लागू कर भविष्य में अच्छी पूंजी बनाएं.
ज्यादा स्कोर करने का रखें लक्ष्य
टी-20 में अगर रन बनाने की रफ्तार को शुरू से आखिर तक मेंटेन करके रखने से टीम बड़ा स्कोर हासिल करने में सफल रहती है. इसी तरह निवेश जितनी जल्दी हो सके शुरू कर देना चाहिए क्योंकि इससे आपकी पूंजी बढ़ती है. जबतक आप रिटायर होते हैं तब तक बड़ा कौर्पस जमा हो जाता है.
निवेश से पहले करें ग्राउंड चेक
टीम और उसके कप्तान के लिए जरूरी है कि वह फील्ड और पिच को टौस से पहले देख लें. इससे उन्हें ग्राउंड की अनुकूलित स्थिति पता चलता है जिसके हिसाब से वह रणनीति बनाते हैं. इसी तरह निवेश से पहले निवेशकों को बाजार की परिस्थिति का विश्लेषण कर लेना चाहिए ताकि मार्केट ट्रैंड की मदद से सही स्टौक्स व फंड्स की खरीद या बिक्री करने का फैसला लिया जा सके.
निवेश को करें डावर्सिफाई
बड़ा स्कोर खड़ा करने के लिए टीम का सहयोग चाहिये होता है. क्रिकेट से यह सीखने की जरूरत है कि बचत और निवेश के दौरान विभिन्न श्रेणियों में (लार्ज कैप, मिड कैप, इंफ्रास्ट्रक्चर फंड्स आदि) डायवर्सिफाई करें.
अपना ध्यान केंद्रीत रखें
खराब स्थिति के बावजूद टीम आखिर कर खेलती है. इसी तरह बाजार में अस्थिरता के दौरान भी अपने वित्तीय लक्ष्य को हासिल करने के लिए ध्यान केंद्रीत रखना चाहिए.
स्ट्रैटेजिक ब्रेक का करें इस्तेमाल
हर मैच में स्ट्रैटेजिक टाइम ब्रेक होता है जहां पर टीम आने वाले ओवर्स के लिए अगले लेवल की रणनीति तैयार करती है. इसी तरह फाइनेंशियल प्लानिंग के दौरान, निवेशक को कुछ समय निकालकर अपने वित्तीय सलाहकार के साथ निवेश पोर्टफोलियो के बारे चर्चा करें.
सही इंवेस्टमेंट मिक्स रखें
एक अच्छी टीम में बेहतर बैट्समैन, बोलर्स और विकेटकीपर होते हैं जो टीम के लिए लक्ष्य को हासिल करने में सक्षम होते हैं. उस समय इनकी भूमिका अहम हो जाती है जब बाकी के टीम मेंबर्स ठीक से प्रदर्शन नहीं कर रहे होते हैं. इसी तरह अपना पोर्टफोलियो बनाते वक्त, हमेशा, इक्विटी, डेट और गोल्ड को पोर्टफोलियो में शामिल करें क्योंकि आप नहीं जानते की भविष्य में कौन सी एसेट क्लास अच्छा प्रर्दशन करेगी और कौन सी नहीं. पोर्टफोलियो में इन सभी का सभी मिश्रण बाजार में मंदी के दौरान भी ठीक ठाक रिटर्न देने में सक्षम होगा.
प्रदर्शन का करें विश्लेषण
अगर टीम में कोई प्लेयर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहा है तो कुछ गेम के बाद उसे रिप्लेस कर दिया जाता है. इसी तरह अगर आपकी स्कीम लगातार नुकसान दे रही है तो इस स्थिति में अपनी स्कीम बदल लें ताकि अच्छे रिटर्न हासिल कर सकें.
VIDEO : समर स्पेशल कलर्स एंड पैटर्न्स विद द डिजिटल फैशन
ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTubeचैनल.
प्रभास के बारे में कहा जाता है कि वो जमीन से जुड़े हुए इंसान है. प्रभास पिछले दिनों अपनी फिल्म साहो के को-स्टार नील नितिन मुकेश और उनकी पत्नी रुक्मिणी को बधाई देने के लिए पहुंचे. कुछ दिनों पहले ही नील नितिन मुकेश ने सोशल मीडिया के जरिए शेयर किया था कि उनके घर नन्हा मेहमान जल्द ही आने वाला है.
नील नितिन मुकेश ने प्रभास की तस्वीरें भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर की और कहा, ‘देश के डार्लिंग ने एक बार फिर प्रूव कर दिया, बहुत ही प्यारे और मधुर अंदाज में वो मुझसे और रूक्मिणी से मिलने और बधाई देने आए. उनसे तुरंत सबको प्यार हो जाता है.’
नील नितिन मुकेश और प्रभास साहो में एक साथ नजर आएंगे. फिल्म की शूटिंग फिलहाल अबू धाबी में चल रही है. फिल्म के एक महत्वपूर्ण एक्शन सीन की शूटिंग अबू धाबी में चल रही है जिसमें प्रभास के अलावा श्रद्धा कपूर, नील नितिन मुकेश और एवलिन शर्मा भी हैं.इस सीक्वेंस को हौलीवुड स्टंट डिजाइनर केनी बेट्स ने डिजाइन किया है. केनी भी इस शेड्यूल का हिस्सा हैं और उनकी देखरेख में पूरी शूटिंग हो रही है.
ऐसा माना जा रहा है कि ये तमिल फिल्म का अब तक का सबसे स्टाइलिश एक्शन फिल्म होगा. इस फिल्म को डायरेक्ट सुजीत रेड्डी कर रहे हैं. साहो तीन भाषा तेलुगु, हिंदी और तमिल में रिलीज होगी. इस फिल्म का म्यूजिक भी बौलीवुड के म्यूजिक कंपोजर शंकर एहसान लौय ने दिया है.
वहीं दूसरी ओर प्रभास की बाहुबली 2 भी चीन में शुक्रवार को रिलीज हुई है और चीन में भी बाहुबली 2 का जादू सर चढ़कर बोल रहा है. फिल्म 7000 स्क्रीन पर रिलीज की गई है और पहले दिन फिल्म की कमाई 16 करोड़ रही है. 2018 में रिलीज हुई सीक्रेट सुपरस्टार और हिंदी मीडियम के बाद ओपनिंग के मामले में बाहुबली 2 दूसरे नंबर पर है. फिलहाल दर्शकों को उनकी अगली फिल्म साहो का बेसब्री से इंतजार है.
VIDEO : समर स्पेशल कलर्स एंड पैटर्न्स विद द डिजिटल फैशन
ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTubeचैनल.
– फिट रहने के लिए आउटडोर वर्कआउट की बजाय इनडोर ऐक्सरसाइज को प्राथमिकता दें. घर में जुंबा ऐक्सरसाइज करें या फिर जिम जौइन करें.
– वाटर ऐरोबिक क्लासेज जौइन कर सकती हैं. फ्रैशनेस भी मिलेगी और ऐक्सट्रा कैलोरी भी बर्न होगी.
– शरीर में नमी बनाए रखने और त्वचा को यूवी रेज से सुरक्षित रखने में औलिव औयल की बड़ी भूमिका है. अपनी डाइट में इसे शामिल करें.
– फ्रोजन योगर्ट या आइसक्रीम बेस्ड स्मूदी से बचें. इन में कैलोरी ज्यादा होती है. फ्रैश फ्रूट जूस, नीबूपानी, नारियल पानी और वाटरी व सिट्रसी बेहतर रहेंगे.
– रैड मीट को बायबाय कहें. चिकन भी कम ही लें तो बेहतर होगा. स्टीम्ड या सैलो फ्राईड फिश ले सकती हैं.
– अपने आहार में दही और योगर्ट शामिल करें. लस्सी, छाछ भी अच्छे विकल्प हैं. ये स्वादिष्ठ होने के अलावा सहेत के लिए भी फायदेमंद हैं. स्वाद के लिए इन में थोड़ी पुदीनापत्ती डालें. धूप में जाने से पहले 1 गिलास लस्सी या छाछ लें. इस से आप डीहाइड्रेशन से बचे रहेंगे.
– दूध कैल्सियम का अच्छा स्रोत है. अत: इसे अपने आहार में जरूर शामिल करें. आप दूध से शेक, स्मूदी बना कर इस के स्वाद को कई गुना बढ़ा सकती हैं.
VIDEO : समर स्पेशल कलर्स एंड पैटर्न्स विद द डिजिटल फैशन
ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTubeचैनल.
आज धूलमिट्टी व बढ़ते प्रदूषण की वजह से बाल रूखे व बेजान हो जाते हैं. ऐसे में भले ही आप अपने बालों को कैसा भी स्टाइल दें या फिर कैसी भी हेयर ऐक्सैसरीज यूज करें लेकिन उस से पहले हेयर केयर जरूरी है और उस के लिए विटामिन ई युक्त केयोकार्पिन हेयर आयल से बालों को सौफ्ट टच देना न भूलें.
बालों की कर्लिंग व स्ट्रेटनिंग
– कर्लिंग के लिए सिरैमिक कर्लिंग आयरन चुनिए यह बालों को अंदर से बाहर की तरफ हीट देता है, जिस से आसानी से कर्ल्स बनते हैं. हां, इस बात का ध्यान रखें कि इस में आसानी से तापमान नियंत्रित करने की सुविधा हो.
– अगर आप बालों को बेहतर फिनिशिंग देना चाहती हैं तो केयोकार्पिन तेल लगाना न भूलें. इस से आप स्मूद लुक पाएंगी.
– बालों को स्ट्रेट लुक देने के लिए प्रैसिंग की प्रक्रिया शुरू करने से पहले बालों को स्मूदिंग शैंपू से धोएं. फिर कंडीशनिंग करने के बाद सुखा लें. उस के बाद थर्मल प्रोटैक्शन फ्लुइड अप्लाई कर के प्रैसिंग की प्रक्रिया शुरू करें और प्रोसैस कंप्लीट होने के बाद केयोकार्पिन लगाना न भूलें.
स्टाइलिंग हेयर प्रोडक्ट्स
– जैसे बौडी क्रीम्स स्किन में मौइश्चर बनाए रखने का काम करती हैं वैसे ही हेयर क्रीम्स जड़ों में नमी बनाए रखती है. आप भी फ्रीजी हेयर्स को स्मूद और परफैक्ट हेयरस्टाइल बनाने के लिए हेयर क्रीम्स का चयन कर सकती हैं. इस से बालों में चिपचिपापन न लग कर नैचुरल सा लुक लगता है.
– अगर आप अपने एक जैसे लुक से बोर हो गई हैं तो हेयर जैल का यूज बैस्ट है. यह बालों में लौंग टाइम तक स्टे रहने के साथसाथ उसे डिफरैंट लुक भी देता है.
– हेयर स्प्रे एक ऐसा ग्रूमिंग प्रोडक्ट है जिस का इस्तेमाल हेयरस्टाइल को पूरे दिन अपनी जगह पर होल्ड करने के लिए किया जाता है. ये बालों का वौल्यूम बढ़ाने का भी काम करता है.
– हेयर मूज़ बालों को एक्स्ट्रा वौल्यूम और शाइन देने के लिए यूज किया जाता है. इस की खास बात यह है कि ये स्टाइल को हलके से होल्ड करता है जिस से बाल नैचुरल लुक देते हैं.
पोनीटेल दे यूनीक लुक
– स्लीक पोनीटेल बनाने के लिए बालों में अच्छे से कौंबिंग कर के उन्हें रबड़ बैंड से टाई करें. फिर पोनीटेल के छोटे छोटे सैक्शन ले कर उस में केयोकार्पिन आयल लगा कर पोनीटेल की परफैक्ट लुक दीजिए.
– लो फुल पोनी बनाने के लिए मिडिल पार्टिंग करते हुए बालों को गरदन के पीछे करते हुए इस तरह कंघी करें कि किसी भी तरह बाल निकले नहीं. ध्यान रखें कि पोनीटेल गरदन के पास ही बने.
– बालों में कौंबिंग करते हुए हाई पोनीटेल बना कर रबड़ बैंड से बांधें. फिर पोनीटेल की चोटी बनाते हुए उसे नीचे से टाई करें. फिर धीरे धीरे चोटी को खोलें और उस पर स्प्रे करें.
कुछ अन्य जरूरी टिप्स प्रिसिला से जानें
– बालों को डैमेज होने से बचाने के लिए जरूरी है कि हमेशा ईकोफ्रैंडली कलर्स का ही इस्तेमाल करें.
– हेयर जैल, मूज़ लगाने से बालों में ड्राईनैस आती है तो ऐसे में इस की ड्राईनैस को कम करने के लिए उस में केयोकार्पिन लाइट हेयर आयल की 5 बूंदें डालना न भूलें.
– स्टाइल को परफैक्ट बनाने के लिए हेयर ऐक्सैसरीज का यूज करना न भूलें.
– बालों को जितना हो सके धूलमिट्टी व तेज धूप से बचाएं.
– बालों के टैक्स्चर को देखते हुए ही हेयर प्रोडक्ट का इस्तेमाल करना चाहिए.
– बालों को पोषण देने के लिए हेयर मास्क लगाना न भूलें.
कैसे पाएं दोमुंहे बालों से छुटकारा
– सनस्क्रीन लोशन को केयोकार्पिन तेल के साथ मिक्स कर के बालों की जड़ों में लगाने से दोमुंहे बालों से छुटकारा मिलता है.
– दो अंडों को संतरे के रस और केले के साथ मिला कर उस का पेस्ट हेयर मास्क की तरह भी बालों में अप्लाई करने से फायदा मिलता है.
– पके हुए पपीते में आधा कप दही मिला कर बालों में लगाने से बाल चमकदार होने के साथ साथ दोमुंहे बालों की समस्या से भी छुटकारा मिलेगा.
– एक चम्मच शहद में थोड़ा सा दही मिला कर लगाने से बाल सॉफ्ट होने के साथ साथ दोमुंहे बालों से भी राहत मिलती है.
-हेयर एक्सपर्ट प्रिसिला
VIDEO : समर स्पेशल कलर्स एंड पैटर्न्स विद द डिजिटल फैशन
ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTubeचैनल.
आप रोज सुबह उठ कर अपने दांतों को टूथपेस्ट से साफ करते होंगे. पर क्या आप को पता है कि मुंहासे हटाने के लिए भी टूथपेस्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं? आइए जानते हैं, टूथपेस्ट के कुछ रोचक इस्तेमाल के बारे में..
पिंपल वाली जगह थोड़ा सा टूथपेस्ट लगा कर 15 मिनट बाद धो लें. मुंहासे कम हो जाएंगे.
अगर आप के कपड़ों पर इंक का दाग लग गया हो तो उस पर टूथपेस्ट लगा कर कुछ मिनट के लिए छोड़ दें फिर धो लें. दाग चला जाएगा.
चांदी और पीतल के बरतनों को साफ करने के लिए टूथपेस्ट का प्रयोग किया जा सकता है. सौफ्ट टूथब्रश पर थोड़ा सा पेस्ट लगा कर बरतनों को पोंछ दें और फिर पानी से धो लें. बरतन चमकने लगेंगे.
चश्मे को साफ करने के लिए हलका सा टूथपेस्ट लगा कर चश्मे को पोंछ लें.
हम अकसर चाय का कप या पानी का गिलास वुडेन फर्नीचर पर रख देते हैं, जिस से वहां पानी के छल्ले से बन जाते हैं. उन्हें हटाने के लिए हलका सा टूथपेस्ट उस जगह लगा दें और साफ कपड़े से पोंछ लें.
अगर आप रसोई में काम करते हुए जल जाएं तो तुरंत जली त्वचा को ठंडे पानी से धो कर वहां टूथपेस्ट लगा लें. आराम मिलेगा.
मच्छर या कीड़ा काट ले, तो उस जगह पर टूथपेस्ट लगा लें. यह दर्द को कम करेगा.
डायमंड रिंग को चमकदार बनाने के लिए टूथपेस्ट का इस्तेमाल करें.
बाथरूम के नलों पर लगी जंग को साफ करने के लिए टूथपेस्ट को उस पर रगड़ दें और फिर पानी से धो लें.
अपने नाखूनों को प्राकृतिक चमक देने के लिए हलका सा टूथपेस्ट नाखूनों पर लगाएं और टूथब्रश से साफ कर लें.
VIDEO : समर स्पेशल कलर्स एंड पैटर्न्स विद द डिजिटल फैशन
ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTubeचैनल.
पिछले दिनों एक खबर आई थी कि केरल के तिरुवनंतपुरम में एक तेइस वर्षीय लड़की ने एक कथित धार्मिक गुरू का प्राइवेट पार्ट काट डाला. लड़की का आरोप था कि वह ढोंगी उसका रेप करने की कोशिश कर रहा था और ऐसा पहली बार नहीं हुआ था. पिछले छह सालों से वह लड़की का यौन शोषण करता आ रहा था पर अब जब बात बरदाश्त की हद से आगे बढ़ गई, तो लड़की ने हिम्मत दिखाई . कहा तो यह भी जा रहा है कि उस ढोंगी ने लड़की की मां का भी शोषण किया था. अब सवाल है कि ऐसे ढोंगी को घर में घुसने किसने दिया और क्यों. मामले की तह तक पहुंचने पर पता चला कि लड़की के लकवाग्रस्त पिता एक लंबे अर्से से बिस्तर पर पड़े थे और उनके इलाज के बहाने इस ढोंगी ने घर में प्रवेश पा लिया. पिता तो ठीक नहीं हुए लेकिन धर्म के नाम पर बच्ची का पिछले छह सालों से लगातार यौन शोषण कर रहा था जो अब उससे और नहीं सहा गया.
ये तो एक किस्सा है जो लड़की की हिम्मत से सामने आ गया पर कितने ऐसे किस्से और भी होंगे जो बंद कमरों में ही घुट कर रह जाते होंगे. कभी धर्म के नाम पर तो कभी पैसे के बल पर और अगर फिर भी न दबे तो डरा-धमका कर. ऐसे ही एक नामी धर्मगुरू आसाराम बापू और उनका बेटा यौन उत्पीड़न के मामले में जेल की हवा खा रहे हैं. उन पर अपने आश्रम के अनुयायी की नाबालिग लड़कियों के यौन शोषण का आरोप लगा है. यौन शोषण का मामला चल तो काफी समय से रहा था पर एक परिवार के हिम्मत दिखाने के बाद बाकि लोग भी खुलकर सामने आए.
इससे यह पता चलता है कि ऐसा नहीं है कि ऐसे किस्से केवल छोटे शहरों या कम नामचीन ढोंगी गुरू ही करते हैं, बड़े-बड़े नाम वाले भी पीछे नहीं हैं. इन पाखंडियों का चेहरा सामने आने से एक बहस उठ खड़ी हुई है कि आखिरकार महिलाएं ही क्यों बनती हैं इनका शिकार? शायद जहां पुरुषों से ये तथाकथित धर्मगुरू धन ही उगाहते होंगे वहां महिलाओं का आर्थिक के साथ-साथ शारीरिक, मानसिक, सामाजिक यानी हर तरह से शोषण करते हैं.
कारणों की जांच-पड़ताल करें तो कहा जा सकता है सबसे बड़ा कारण है इन पीड़ित महिलाओं का कम पढ़ा-लिखा होना. इनके आश्रमों या डेरों में ऐसी महिलाओं की भरमार होती है जो देहात से आती हैं, अपने पति और बच्चों के साथ सिर पर गठरी थामे. दिल्ली के बाहरी रिंग रोड़ पर खास दिनों में भयंकर ट्रैफिक जाम होता है, क्योंकि इन दिनों दूर-दूर से भक्त अपने गुरु परिवार के दर्शनों के लिए आते हैं और उनमें भी बड़ी संख्या महिलाओं की होती है. शायद इन्हें लगता है कि इनकी हर समस्या का इलाज बाबा के पास है, चाहे वो घर गृहस्थी की हो या पप्पू के पास होने की. गंडे-ताबीज से लैस ये बाबा भी हर समस्या निदान अपनी झोली में रखते हैं.
पर सब कम पढ़ी-लिखी हैं, ऐसा भी नहीं कहा जा सकता, हाल ही में दिवंगत हुए चंद्रा स्वामी पर तो पूर्व मिस इंडिया पामेला बोर्डेस ने सेक्स फेवर्स के लिए भेजने का खुला आरोप लगाया था. राजनीतिक हलकों में अपनी नज़दीकियों के लिए जाने जानेवाले चंद्रास्वामी के विरूद्ध पामेला के बयान ने सबको सकते में डाल दिया था. किंतु ये हाई क्लास बाबाओं की पोल खोलता है. हालांकि पामेला जैसी लड़कियां मानसिक शांति की खोज में इन गुरुओं के पास जाती हैं, पर धीरे-धीरे इनके चंगुल और विश्वास में ऐसी फंस जाती हैं कि बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है. क्या ये देहात से हैं? नहीं पर यहां कह सकते हैं कि धर्म की लुभावनी फिरकी के आगे इनका आत्मबल कमज़ोर पड़ जाता है और ये महज़ कठपुतली रह जाती हैं.
ओशो का नाम किसने नहीं सुना? जाने-माने नेता, अभिनेता इस आदमी के चेले रह चुके हैं .क्या देश और क्या विदेश हर जगह से बड़ी संख्या में लोगों ने आकर पुणे के आश्रम में डेरा जमाया हुआ था. पर अगर अंदर की तस्वीरों पर विश्वास करें तो किसी फाइव स्टार से कम नहीं था ये आश्रम, जिसमें आधुनिक कैफे से लेकर स्वीमिंग पूल तक हर सुख उपलब्ध था और साथ में फ्री सेक्स अलग से. कितने दशकों तक ओशो का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोलता रहा और आज भी बोल रहा है. भगवान को पाने का ये मार्ग तो निराला ही था जहां लोगों को बांधने में महिला भक्तों की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता.
आजकल एक राधे मां जगह-जगह भक्तों की गोदी में चढ़ी दिखाई देती हैं और उनके पीछे-पीछे महिलाओं का हुजूम. उन्हें देखकर कतई नहीं लगता होगा कि इन्हें धर्म के बारे में कुछ ज्ञान भी होगा. पड़ताल करने पर पता चला कि पति फोरमैन था, एक दिन बीवी-बच्चों को छोड़कर विदेश चला गया. पहले तो पत्नी ने सिलाई करके बच्चे पालने की कोशिश की पर जब बात नहीं बनी तो एक बाबा की शरण में चली गई, जिन्होंने आश्रम में विशेष स्थान देकर नया नामकरण कर दिया और आज राधे मां के नाम से लोगों को बेवकूफ बना रही हैं. पिछले दिनों दिल्ली के एक बड़े पार्क में इनका धार्मिक आयोजन हुआ, जहां राधे मां भक्तों की गोद में चढ़ने पर शगुन के लिफाफे बटोर कर जहां डाल रही थी, आप समझ जाइए. यह देखकर पढ़े-लिखे लोगों को शर्म आ रही थी जो उत्सुकतावश वहां पहुंचे हुए थे.
हर जगह धर्म के नाम पर महिलाएं ही सबसे ज्यादा बेवकूफ बनाई जाती हैं. आखिर क्यों? दरअसल जब तक वे अपने पर भरोसा नहीं करेंगी और परेशानियों का हल हालात का मुकाबला करने में नहीं खोजेंगी, तब तक वे ढोंगी बाबाओं के हाथ की कठपुतली ही बनी रहेंगी. ये बाबा बड़े कैलकुलेटेड तरीके से अपने भक्तों का दिमाग पढ़ते हैं और एक बार इनके हाथ में नब्ज आ गई, फिर मनचाहे तरीके से अपनी अंगुलियों पर नचाते हैं. जब तक महिलाएं स्वंय जागरूक नहीं होंगी धर्म यूं ही बिकता रहेगा और वे नाचती रहेंगी और बच्चियां ढोंगी बाबाओं की हवस का शिकार बनती रहेंगी.
– विम्मी करण सूद
VIDEO : समर स्पेशल कलर्स एंड पैटर्न्स विद द डिजिटल फैशन
ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTubeचैनल.
सेहत बनाने के लिए तो हम सभी टमाटर खाते हैं लेकिन क्या आपने कभी रूप निखारने और त्वचा की देखभाल के लिए टमाटर का इस्तेमाल किया है? टमाटर में कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं. ये त्वचा को कुदरती तौर पर निखारने का काम करता है. बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम करता है और सनस्क्रीन की तरह त्वचा की देखभाल करता है.
टमाटर में विटामिन ए, सी और एंटी-ऑक्सीडेंट की भरपूर मात्रा होती है. ये त्वचा की नमी को बनाए रखता है और पोषित करने का काम करता है. टमाटर का इस्तेमाल कई प्रकार से किया जा सकता है. आप चाहें तो अपनी आवश्यकता और सहूलियत के अनुसार टमाटर का फेस मास्क तैयार कर सकते हैं. टमाटर का फेस मास्क तैयार करना बहुत ही आसान है. आप अपनी जरूरत के आधार पर इनमें से कोई भी चुन सकते हैं.
टमाटर और छाछ का फेस मास्क
दो चम्मच टमाटर के रस में 3 चम्मच छाछ मिला लें. इन दोनों को अच्छी तरह मिलाकर चेहरे पर लगाएं. थोड़ी देर इसे यूं ही लगे रहने दीजिए. जब ये सूख जाए तो इसे साफ कर लें. टमाटर और छाछ के फेसपैक के नियमित इस्तेमाल से दाग-धब्बों की समस्या दूर हो जाती है.
ओटमील, दही और टमाटर का फेस मास्क
ओटमील, टमाटर का रस और दही ले लें. इन सभी चीजों को अच्छी तरह मिला लें. इस पेस्ट को चेहरे पर लगाकर कुछ देर के लिए यूं ही छोड़ दें. उसके बाद हल्के गुनगुने पानी से चेहरा धो लें. एक ओर जहां टमाटर के इस्तेमाल से त्वचा में निखार आता है वहीं ओटमील डेड स्किन को दूर करने का काम करता है. दही से चेहरा मॉइश्चराइज हो जाता है.
टमाटर और शहद का फेस मास्क
एक चम्मच टमाटर और शहद ले लें. इन दोनों को अच्छी तरह मिला लें और चेहरे पर लगाएं. 15 मिनट तक इस मास्क को लगा रहने दें. फिर गुनगुने पानी से चेहरा धो लें. इससे चेहरे पर निखार आ जाएगा.
VIDEO : समर स्पेशल कलर्स एंड पैटर्न्स विद द डिजिटल फैशन
ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTubeचैनल.
युवा पीढ़ी पर नशीले पदार्थों की पकड़ लगातार मजबूत हो रही है. युवतियों में भी ड्रग्स स्टेटस सिंबल बन जाने से इस बुराई की समाप्ति और भी मुश्किल होती जा रही है. स्कूलकालेज भी नशे से अछूते नहीं रहे. नशीले पदार्थों को आमतौर पर 4 भागों में बांटा जाता है- अफीम व अफीम से बने मारफिन, कोडीन, हेरोइन व ब्राउन शुगर, गांजा व गांजे से बने चरस व हशीश, कोकीन, सैन्कोटिक ड्रग्स जैसे एलएसडी, मैंड्रोक्स व पीसीपी. ये सभी बेहद खतरनाक हैं. छोटे नगरों व गांवों में सुल्फे गांजे ने अपने पैर पसार रखे हैं, तो बड़े नगरों में हेरोइन व ब्राउन शुगर ने अपनी जड़ें जमा ली हैं. मुंबई में इन का सेवन करने वालों में 14 से 25 आयुवर्ग के युवकयुवतियों की संख्या सब से अधिक है.
युवक युवतियों में नशाखोरी की वजह उन का किसी न किसी समस्या से ग्रस्त होना है. आर्थिक दिक्कत, नौकरी की तलाश, असफल प्रेम, मनचाही सफलता न मिलना, परीक्षा में फेल हो जाना, सुखशांति न मिलना, परिवार में इग्नोर फील करना, किसी काम में मन न लगना जैसे कितने ही कारण हैं, जिन से बचने के लिए उन्हें नशे का सेवन ही आसान व एकमात्र उपाय नजर आता है. जबकि नशा किसी समस्या का हल नहीं है.
नशे की गिरफ्त में लड़कियां
पश्चिमी सभ्यता व आधुनिक विचार अपनाने वाले कितने ही परिवारों की लड़कियां स्कूल व कालेज से ही नशीले पदार्थों का सेवन करने लगती हैं. शुरू में वे चोरीछिपे अपना शौक पूरा करती हैं, पर बाद में यह शौक लज्जा व शर्म की सारी हदें लांघ जाता है. नशे को आधुनिकता का पर्याय व नई पीढ़ी की पहचान समझने वाली लड़कियां फैशन, पारिवारिक परिस्थिति, कुंठा, हीनभावना, तनाव आदि से मुक्ति के लिए इसे अपनाती हैं. इंडियन काउंसिल औफ मैडिकल रिसर्च लड़कियों के नशा करने के पीछे 3 कारण मानता है- मित्रों का प्रभाव, अपने से बड़ों की नकल व भूख को दबाना. इन में दोस्तों के प्रभाव में नशा करने वाली लड़कियों की संख्या सर्वाधिक है. युवतियों में सिगरेट व शराब पीने की निरंतर बढ़ रही प्रवृत्ति तो हानिकारक है ही, नशीले पदार्थों का सेवन तो इस से भी ज्यादा घातक है.
इन को अपने भविष्य की चिंता नहीं है. नशे के आगोश में डूबी इन लड़कियों का शरीर इस से वास्तविक सुंदरता तो खोता ही है, नशीले पदार्थ के सेवन से गर्भ में पल रहे शिशु पर भी इस का बुरा प्रभाव पड़ता है. सिगरेट व मादक द्रव्यों के प्रयोग से गर्भाशय की मांसपेशियां कमजोर हो जाने के कारण जहां गर्भधारण में दिक्कत आती है, वहीं उन्हें और कई जटिलताओं का भी सामना करना पड़ता है.
दांपत्य जीवन में दरार
शरीर में मादकता की अधिकता रक्तचाप व विक्षिप्तता को जन्म देती है, जिस से आंखों में मोतियाबिंद की शिकायत अंधत्व में बदल सकती है. महिला की कार्यक्षमता कम हो जाती है. मादक पदार्थों के सेवन से दांपत्य जीवन में दरार पैदा हो जाती है. पति, सासससुर व बच्चों आदि के साथ मनमुटाव घर को नर्क बना देता है. दक्षता प्रभावित होने से कार्य क्षेत्र से जुड़ी महिलाएं दफ्तर व संस्थानों में उपहास व क्रोध का पात्र बनती हैं. सरकार ने जनसामान्य के स्वास्थ्य को महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय कर्तव्यों में शामिल करते हुए संविधान के अनुच्छेद 47 के अनुसार, चिकित्सीय प्रयोग के अतिरिक्त स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नशीले पदार्थों व वस्तुओं के उपयोग को निषिद्ध करने केलिए 1985 में नशीली दवाएं व मनोविकारी पदार्थ कानून- एनडीपीएस ऐक्स बनाया. इस कानून को लागू करने के साथ ही मादक पदार्थों का सेवन करने वालों की पहचान, इलाज, शिक्षा, बीमारी के बाद देखरेख, पुनर्वास व समाज में पुनर्स्थापना के लिए जोरदार प्रयास किए जा रहे हैं, किंतु समाज में नशाखोरों की बढ़ती संख्या इन पर पानी फेर रही है.
इसे रोकने के लिए फिल्मों व टीवी धारावाहिकों में सिगरेट, शराब व नशीली वस्तुओं के सेवन वाले अनावश्यक दृश्यों के चित्रण व प्रदर्शन पर पूर्णतया पाबंदी लगनी चाहिए. टीनऐजर्स युवतियां समाज की अमूल्य धरोहर हैं. घरपरिवार व समाज को आदर्श रूप देने में अहम भूमिका निभाने वाली. इन का शिक्षित, प्रशिक्षित व आदर्शवान होना जरूरी है. अत: टैलीविजन पर दिखाए जाने वाले धारावाहिकों व फिल्मों में उन का आदर्श चित्रण व प्रस्तुतिकरण भी आवश्यक है.
VIDEO : समर स्पेशल कलर्स एंड पैटर्न्स विद द डिजिटल फैशन
ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTubeचैनल.
कुछ दिनों पहले चर्चा में आई केरल की एक मासिक पत्रिका के कवर पेज पर एक महिला अपने बच्चे को स्तनपान कराते हुए नजर आती है, जिसमें ना वह अपने स्तन को आंचल से ढकी है ना ही पीठ पीछे करके बैठी है. अपना स्तन दिखाने में शर्म आने के बजाय उसके चेहरे पर एक संतोषजनक मुस्कुराहट है. इसका उद्देश्य था सार्वजनिक जगहों पर स्तनपान कराने में महिलाओं को होने वाली दुविधा से सम्बंधित चर्चा कराना. पत्रिका में उससे सम्बंधित लेख भी थे. चर्चा तो हुई… लेकिन फिजूल के विषय पर. मासिक पत्रिका हो या कहीं और, कभी कोई स्त्री के इस तरह से अपने शरीर का प्रदर्शन करना भारत जैसे रुढ़िवादी देश में पचाना मुश्किल है, क्योंकि ‘न्यूड’ यानी नग्न शब्द का उच्चारण मात्र से ही बहुत लोगों के मन में अश्लील भावना आ जाती है, लेकिन अश्लीलता के अलावा नग्नता का एक दूसरा पहलू भी है, जिसे कला कहते हैं. यह कला जिसे दिखती है वो कलाकार होता है. नग्नता में छुपी कला को सही मायने में बताने में रवि जाधव निर्देशित फिल्म ‘न्यूड’ एक बेहद ही अनोखी कलाकृति के रूप में सफल साबित होती है.
फिल्म में पति की निष्क्रियता और उसके विवाहेत्तर संबंधों से तंग आ चुकी यमुना (कल्याणी मुले) एक दिन गांव छोड़कर बेटे लहान्या (मदन देवधर) के साथ मुंबई में अपनी मौसी चंद्राक्का (छाया कदम) के पास आती है. चंद्राक्का एक बिंदास और निडर औरत है. वह यमुना को भी अपने जैसा ढीठ बनाती है. लेकिन वो क्या काम करती है किसी को भी नहीं बताती है. यमुना यहां-वहां काम ढूंढती है, क्योंकि वह चंद्राक्का पर बोझ नहीं बनना चाहती है. जब कहीं काम नहीं मिलता है तो चंद्राक्का का पीछा करते हुए उसके काम का पता लगाने का प्रयास करती है. इस दौरान जो पता चलता है वह उसके लिए बहुत ही धक्कादायक और शर्मिंदगी भरा होता है. सर जे.जे. कला कौलेज में चंद्राक्का निर्वस्त्र बैठी हुई होती है और कुछ पुरुष उसका चित्र बना रहे होते हैं. घर आने पर यमुना चंद्राक्का से इस बारे में पूछती है, जब उसे पता चलता है कि घर चलाने के लिए यह काम करने में चंद्राक्का को बिलकुल शर्म नहीं आती है. साथ ही पैसे भी अच्छे मिलते है. चंद्राक्का लहान्या की पढ़ाई लिखाई के लिए यमुना को भी यही काम करने की सलाह देती है. लहान्या के लिए यमुना अपने मन पर पत्थर रखकर इस काम के लिए तैयार होती है. लेकिन इस सच से लहान्या और समाज को दूर रखती है. कौलेज में वह स्वयं को साफ सफाई का काम करते हुए दिखाती है. बेटे को एक बड़ा चित्रकार बनाने के लिए कौलेज में घंटों निर्वस्त्र बैठती है लेकिन कौलेज के बाहर भी विद्यार्थियों के लिए पर पोज देने जाती है. इस पुरे समय में जयराम (ओम भुतकर) नाम का एक विद्यार्थी हमेशा उसके साथ रहता है. वह उसका बहुत अपनेपन से ख्याल रखता है. बेटे की पढाई के लिए निर्वस्त्र होकर कला की सेवा करने वाली इस मां के आंचल में अंत में जो आता है उसे देखकर आंखों में आसूं आ जाएंगे.
रवि जाधव ने हमेशा की तरह न्यूड में भी अपने निर्देशन का कमाल दिखाया है. पूरी फिल्म में बार-बार नग्न दृश्य होते हुए भी कहीं भी अश्लीलता या अति नहीं दिखाया गया है. पटकथा लेखक सचिन कुंदलकर ने अपना काम बखूबी निभाया है, जिससे फिल्म के संवाद बहुत सहज हो जाते हैं. छाया कदम और कल्याणी मुले चंद्राक्का और यमुना की भूमिका में एक निडर व्यक्तित्व को उभारने में सफल हुई हैं. खासकर शुरुआत में न्यूड मौडल के रूप में यमुना के मन की उलझन और कुछ समय बाद उसमें आया आत्मविश्वास का भाव कल्याणी के चेहरे पर स्पष्ट दिखाई देता है. अन्य कलाकारों ने भी अपनी-अपनी भूमिका में योग्य न्याय किया है. एक महान चित्रकार की भूमिका में नसीरुद्दीन शाह की कुछ मिनटों की विशेष उपस्थिति उल्लेखनीय है.
सालों साल स्त्री-पुरुष चित्रकारों के सामने निर्वस्त्र होकर बैठने के बाद भी फिल्म के किसी भी दृश्य में यमुना के साथ कहीं ज्यादती होती हुई दिखाई नहीं देती है. हर चित्रकार उसे ‘न्यूड’ नहीं बल्कि ‘न्यूड कलाकृति’ के रूप में देखता है, इससे ही कलाकारों की अपनी कला के प्रति निष्ठा दिखाई देती है. मानव शरीर को केवल एक शरीर की तरह ना देखते हुए, एक कलाकृति के रूप में देखने की दृष्टि फिल्म ‘न्यूड’ देती है.