चर्चा गुणदोषों पर होती तो अच्छा होता

जिंदगी और मौत पर किसी का बस नहीं है. यह पुरानी कहावत है. पर मौत को भुनाना तो अपने बस में है ही न? फिल्मी तारिका श्रीदेवी की सिर्फ 54 साल की उम्र में दुबई के एक होटल के कमरे में बाथटब में हुई मौत ने घंटों टीवी चैनलों को और कई दिनों तक समाचारपत्रों में सुर्खियों को चमकाने का मौका दे डाला. उन की मौत पर इस तरह की आलतूफालतू बातें हुईं मानो देश में कोई भूचाल आ गया हो.

श्रीदेवी की मौत चाहे हादसा थी, प्राकृतिक थी या फिर सुनियोजित, एक व्यक्तिगत मामले से ज्यादा नहीं थी. बोनी कपूर व श्रीदेवी कपूर में अगर अनबन थी भी और उस की मृत्यु में कोई रहस्य छिपा हुआ भी था तो भी इस बात को इतना तूल देने की जरूरत न थी. यह एक खाली बैठे समाज की पहचान है, जिसे दूसरों के गमों और गलतियों में मजा आता है ताकि वह अपने गम भुला सके. श्रीदेवी मौत के समय एक रिटायर्ड ऐक्ट्रैस थीं. 12 साल बाद घरगृहस्थी के चक्कर से निकल कर श्रीदेवी ने ‘इंग्लिशविंग्लिश’ व ‘मौम’ फिल्मों में बेहतरीन काम किया पर फिर भी वे अपनी पुरानी जगह न ले पाईं. वे न मृत्यु के समय मर्लिन मुनरो थीं और न मधुबाला.

श्रीदेवी ने बहुत सी अच्छी फिल्मों में काम किया पर उन की कम ही फिल्मों ने कोई सामाजिक असर छोड़ा. आखिरी 2 फिल्मों में मांओं और पत्नियों के रोल में वे प्रेमिकाओं और नर्तकियों से अच्छा प्रभाव दिखा सकीं. दोनों फिल्में सामाजिक मामलों पर थीं और मां को अपने विशिष्ठ स्थान दिखाने वाली थीं. उन का प्रभाव था पर ‘चांदनी’, ‘सदमा’, ‘मिस्टर एक्स’ में उन के रोल अच्छे होते हुए भी वे लंबा प्रभाव न छोड़ पाईं. ‘लमहे’ का विषय जरूर चौंकाने वाला था और आशा थी कि उसे दूसरी फिल्मों से ज्यादा सफलता मिलेगी पर उस फिल्म को भारतीय दर्शक पचा न पाए. अपनी मां के प्रेमी से प्रेम करना लोगों को इंसैस्ट की तरह लगा था. एक अभिनेत्री की मृत्यु उस के काम की समीक्षा करने का एक और मौका होता है और जो चर्चा कई दिनों तक होती रही वह फिल्मों, व्यक्तित्त्व, गुणदोषों पर होनी चाहिए थी पर होती इस बात पर रही कि मौत कैसे हुई?

कोई नकली बाथटब को दिखा रहा है, कोई शराब की बात कर रहा है तो कोई और ऊंची उड़ान उड़ रहा है. फिल्मी तारिका की इतनी चीरफाड़ की गई जितनी शायद पोस्टमार्टम में भी न की गई होगी. बेहद प्रसिद्ध तारिकाओं के गुजरने के बाद एक जनून सा छाता है और वह स्वाभाविक है पर उसे संयम से देखा जाना चाहिए, गपोड़ी किस्सों के लिए अवसर नहीं.

लव इन सिक्सटीज : क्या करें क्या नहीं, हम आप को बताते हैं

60 वर्षीय वर्माजी आजकल बड़े खुश नजर आने लगे हैं. इसी वर्ष सरकारी डाक्टर के पद से रिटायर होने के बाद उन्होंने अपना एक क्लीनिक खोल लिया है जिस में एक महिला डाक्टर के साथ बैठते हैं. मेरे पति के अच्छे मित्र हैं. एक दिन जब वे घर आए तो मेरे पति ने मजाकिया अंदाज में पूछा, ‘‘क्या बात है गुरु आजकल तो बड़े खिलेखिले नजर आते हो, कैसी कट रही है रिटायर्ड जिंदगी?’’

‘‘अरे बहुत बढि़या कट रही है. अपना क्लीनिक खोल लिया है जिस में मैं और लेडी डाक्टर मिसेज गुप्ता साथसाथ बैठते हैं. क्या सुलझी हुई महिला है यार. मैं ने आज तक अपने जीवन में ऐसी महिला नहीं देखी, एकदम फिट और कुशल. अधिकांश मरीज तो उस की मीठी वाणी सुन कर ही ठीक हो जाते हैं.’’ वर्माजी अपनी डाक्टर मित्र की तारीफ के कसीदे पढ़े जा रहे थे और मैं व मेरे पति मंदमंद मुसकरा रहे थे, क्योंकि हमें पता था कि उन की पत्नी यानी मिसेज वर्मा को उन का क्लीनिक पर बैठना जरा भी पसंद नहीं था. न तुम्हें फुरसत न हमें

इसी बात को ले कर दोनों में तनातनी होती रहती थी. बच्चे बाहर होने के कारण दोनों पतिपत्नी अकेले ही हैं. वर्माजी जहां स्वयं को क्लीनिक में व्यस्त कर के बाहर ही सुख और प्रेम तलाशते हैं वहीं उन की पत्नी की अपनी भजन मंडली हैं जिस में वे सदा व्यस्त रहती हैं. दोनों की व्यस्तता का आलम यह है कि कई दिनों तक आपस में संवाद तक नहीं होता. एक बार जब उन की बेटियां विदेश से आईं तो मातापिता का परस्पर व्यवहार देख कर दंग रह गईं. दोनों ही अपनेअपने में मस्त. बेटियों को कुछ ठीक नहीं लगा सो मां से कहा, ‘‘मां यह ठीक नहीं, हम लोग इतनी दूर विदेश में रहते हैं. ऐसे में आप दोनों को एकदूसरे का खयाल रखना होगा. यदि आप कहें तो मैं पिता से बात करूं. आप दोनों ने तो अपनी अलगअलग दुनिया बसा रखी है, यहां तक कि आप लोगों की तो कई दिनों तक आपस में बात ही नहीं होती.’’

मिसेज वर्मा को भी काफी हद तक बेटियों की बात सही लगी. ‘‘नहीं, मैं ही देखती हूं क्या कर सकती हूं.’’ कह कर बेटियों को तो बहला दिया पर उन्हें स्वयं ही अहसास होने लगा कि शायद भक्ति में वे अपने पति को ही भूलने लगी हैं और इसलिए पति घर से बाहर प्यार तलाशने लगे हैं. काफी सोचविचार के बाद वे एक दिन अपने पति से बोलीं, ‘‘आप का क्लीनिक खोलना ठीक ही रहा, कम से कम व्यस्त और फिट तो रहते हो. घर में रह कर तो आदमी अपनी उम्र से पहले ही बूढ़ा हो जाता है. आप की बगल वाली एक दुकान खाली है न, मैं भी एक बुटीक खोल लेती हूं. बोलो ठीक है न.’’

वर्माजी अपनी पत्नी को आश्चर्य से देखने लगे और फिर धीरे से बोले, ‘‘फिर भजन कौन करेगा.’’ ‘‘दरअसल बेटियों ने मुझे समझाया कि मम्मी कब से बुटीक खोलना आप का सपना था, तो अब खोल लीजिए. बस मुझे क्लिक कर गया. आप भी पास में रहेंगे तो मुझे कोई टैंशन नहीं रहेगी और मैं सब संभाल भी पाउंगी.’’ मिसेज वर्मा ने सफाई देते हुए कहा.

कुछ ही दिनों बाद वर्माजी ने अपनी बगल की शौप में श्रीमतीजी का बुटीक खुलवा दिया. इस बहाने दोनों एकदूसरे को वक्त देने लगे तो शीघ्र ही खोई नजदीकियां वापस आने लगीं. 55 वर्षीय गुप्ताजी जबतब अपने स्कूटर पर औफिस की महिलाकर्मियों को बैठा कर घूमते नजर आते हैं. अकसर अपनी एक महिला मित्र के साथ कौफी शौप में भी नजर आते हैं. समाज में ऐसी बातें बड़ी तेजी से फैलती हैं सो मिसेज गुप्ता के कानों में भी पड़ी.

तभी एक दिन उन की पड़ोसन, जिस के पति गुप्ताजी के औफिस में ही काम करते थे, मिसेज गुप्ता से व्यंग्यपूर्वक बोली, ‘‘क्या बात है आजकल भाईसाहब औफिस की महिलाओं के बहुत काम करवाते हैं.’’ मिसेज गुप्ता अंदर से तो बहुत आहत हुईं पर फिर कुछ संयत हो कर बोलीं, ‘‘अब औफिस हैड हैं तो आफिस वालों का ध्यान तो रखना ही पड़ता है. आप चिंता न करें. उन की चिंता करने के लिए मैं हूं न.’’

पड़ोसन के जाने के बाद वे गहरी सोच में पड़ गईं कि आखिर उन के पति ऐसा क्यों कर रहे हैं? वे सोचने लगीं चीखनेचिल्लाने या कलह करने से तो बात बनने वाली नहीं है. प्यार ही वह रास्ता है जिस से गुप्ताजी को वापस लाया जा सकता है ताकि वे घर के हो कर रहें. तलाश सच्चे साथी की

55 वर्षीया मिसेज सिन्हा लंबी कदकाठी और बला की खूबसूरती स्वयं में समेटे हैं. औफिस का प्रत्येक पुरुष उन से बात करने को लालायित रहता है. नए अधिकारी मिश्राजी की पत्नी की कुछ समय पूर्व मृत्यु हो चुकी थी. कुछ दिनों के बाद जब उन्होंने मिसेज सिन्हा को कौफी के लिए पूछा तो मिसेज सिन्हा का दिल भी बागबाग हो उठा. आखिर वे भी अपने शराबी पति की रोजरोज की चिकचिक से परेशान थीं सो दिल में सोया हुआ रोमांस मानो हिलोरें लेने लगा. मिश्राजी का औफर उन्होंने खुशीखुशी स्वीकार कर लिया. बस यहीं से दोनों के प्यार की जो रेलगाड़ी निकली वह मिसेज सिन्हा के अपने पति से तलाक और फिर मिश्राजी से शादी पर जा कर ही रुकी. आखिर वे भी कब तक पति की रोज गालीगलौज और मारपीट को सहतीं. प्यार और सुकून से जीने का हक तो संसार में सभी को है.

34 साल की तनूजा एक स्कूल में शिक्षिका हैं. एक बच्ची को पढ़ाने उस के घर जाती हैं. कुछ दिनों तक बच्ची को पढ़ाने के बाद उन्होंने नोटिस किया कि वे जितनी देर तक बच्ची को पढ़ाती हैं, बच्ची के 60 वर्षीय दादाजी किसी न किसी बहाने से कमरे में आतेजाते हैं. एक दिन जब पोती अंदर किसी काम से गई तो उन्होंने तनूजा से कहा, ‘‘मैं तुम से कुछ कहना चाहता हूं. प्लीज शाम को 4 बजे पास वाली कौफी शौप में आ जाना.’’

तनूजा पहले तो घबरा गई फिर कुछ संभल कर बोली, ‘‘क्यों अंकल?’’ ‘‘घबराओ नहीं मैं बस मिलना चाहता हूं.’’

शाम को कौफी शौप में वे दोनों आमनेसामने थे. तनूजा को देखते ही बोले, ‘‘न जाने क्यों तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो. तुम बहुत काबिल हो और मेरी पोती को बेहद अच्छे ढंग से पढ़ाती हो. मेरी पत्नी तो मुझे दुत्कारती रहती है पर तुम्हें देखना और तुम से बात करना मुझे अच्छा लगता है.’’ अपनी तारीफ सुन कर तनूजा के गाल सुर्ख लाल हो उठे. उस के बाद से वे दोनों अकसर आपस में मिलने लगे. तनूजा को भी उन से मिल कर बड़ा ही सुकून मिलता और वह दोगुने उत्साह से अपना काम करने लगती परंतु कुछ ही समय में उसे एक पत्नी और एक मां होने का अहसास होने लगा.

जब अपने पति से उस ने दादाजी की समस्या शेयर की तो पहले तो पति चौंक गए पर फिर कुछ सोच कर बोले ‘‘हम दोनों मिल कर उन की समस्या का हल निकालेंगे.’’ इस के बाद तनूजा और उस के पति ने एक अनुभवी काउंसलर से दोनों की काउंसलिंग करवाई. आज दादाजी और दादीजी तो एकदूसरे का साथ पा कर खुश हैं ही, तनूजा और उन के परिवार के घनिष्ठ पारिवारिक संबंध भी हैं. प्यार उम्र नहीं देखता

वास्तव में प्यार एक ऐसी भावना है जो न उम्र देखती है, न जाति और न धर्म. वह तो कहीं भी, कभी भी, और किसी से भी हो सकता है. जिस प्रकार किशोरावस्था या युवावस्था में व्यक्ति प्यार से वशीभूत हो कर सब भूल जाता है उसी प्रकार इस उम्र में भी प्यार का अहसास व्यक्ति को मानसिक और भावनात्मक सुकून देता है. किशोरावस्था का प्यार महज एक आकर्षण होता है जब कि युवावस्था के प्यार में गहराई और स्थायित्व होता है. इस के विपरीत 60 साल के प्यार में प्यार के सभी भाव पाए जाते हैं क्योंकि इस उम्र का व्यक्ति रिश्तों के कई बंधनों में बंध चुका होता है और प्यार के कई रूप देख चुका होता है.

इस उम्र में बच्चे अपनीअपनी राह पकड़ चुके होते हैं. पतिपत्नी में यदि सामंजस्य का अभाव है तो वे बाहर किसी व्यक्ति से मिले प्यार और अपनेपन के कारण मानसिक सुकून और ऊर्जा से ओतप्रोत हो उठते हैं. सामाजिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो इस प्रकार का व्यवहार अशोभनीय और मर्यादाविहीन है पर इस से परे इंसान को जहां सुकून या शांति का आभास होगा उस ओर स्वत: उस के कदम उठ ही जाएंगे. आखिर खुश हो कर जीने का अधिकार तो सभी को है. वास्तव में घर की जिम्मेदारियों, बच्चों और काम की अधिकता के कारण कई बार पतिपत्नी का वो पहले सा प्यार कहीं गुम सा हो जाता है.

जब 60 की उम्र में पति या पत्नी किसी और की तरफ आकर्षित होने लगे तो क्या करें, आइए जानते हैं:

– यदि पतिपत्नी में से किसी को भी अपने साथी के प्यार की इस अद्भुत राह पर होने का अहसास होता है, तो एक बारगी मन बेकाबू होने लगता है पर इस का हल भी आप को स्वयं ही निकालना होगा ताकि घर की बात घर में ही रहे.

– प्रेमी पति या पत्नी को वापस अपने करीब लाने के लिए कभी परिवार, पड़ोस या बच्चों का सहारा न लें. क्योंकि इस प्रकार की समस्या को जितनी अच्छी तरह आप खुद हैंडल कर सकते हैं उतनी अच्छी तरह कोई और नहीं.

– अपनी दिनचर्या का आकलन करें कि क्या आप अपने जीवनसाथी को पर्याप्त समय और अपनापन दे पा रहे हैं. कहीं ऐसा तो नहीं कि प्यार और अपनेपन के अभाव में उन्होंने बाहर की राह पकड़ ली हो.

– साथी की किसी से अंतरंगता का पता चलने पर अपने व्यवहार को शांत, मधुर और प्रेम से ओतप्रोत रखें ताकि आप समस्या का समाधान निकाल सकें .

– इस उम्र तक आतेआते आमतौर पर महिला और पुरुष दोनों जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाते हैं. शरीर पर चर्बी की मोटी परत, भद्दा व्यक्तित्व किसी को भी अपनी ओर आकर्षित नहीं करता. ऐसे में बाहरी आकर्षण व्यक्ति को अपनी ओर खींच लेता है. आवश्यकता है खुद को फिट, स्वस्थ, जिंदादिल और आकर्षक बनाए रखने की ताकि परस्पर आकर्षण और प्यार की भावना बनी रहे.

यदि आप अपने साथी को अपने प्रयासों से वापस लाने में सफल नहीं हो पा रहे हैं तो बजाय नातेरिश्तेदारों, पड़ोसी अथवा मित्रों से मदद लेने के आप प्रोफैशनल काउंसलर का सहारा लें जो आप की समस्या को भलीभांति समझ कर हल निकालेंगे.

आप भी जानिए समर ब्राइडल मेकअप की बारीकियां

शादियों का सीजन शुरू हो चुका है. मन में पिया मिलन के सपने संजोए हर दुलहन खूबसूरत दिखना चाहती है. फिर नईनवेली दुलहन जब स्टेज पर आती है तो सब का ध्यान उसी की ओर जाता है. दूल्हे राजा भी कनखियों से अपनी दुलहन को निहारने का कोई मौका नहीं छोड़ते. तो फिर क्यों न शादी से 1 महीना पहले से ही इस की तैयारी शुरू कर दी जाए ताकि आप दिखें निखरीनिखरी, संवरीसंवरी सब से खूबसूरत दुलहन.

शुरुआत अंदरूनी निखार से

अंदरूनी निखार का मतलब है आप की त्वचा प्राकृतिक रूप से खिली और निखरी नजर आए. इस के लिए उसे रोजाना देखभाल की जरूरत होगी. नियमित क्लीनिंग, टोनिंग और मौइश्चराइजिंग से त्वचा धीरेधीरे निखरने लगती है. क्लीनिंग के लिए किसी भी अच्छे क्लीनिंग लोशन से सोने से पहले चेहरे, गरदन और हाथपैरों को अच्छी तरह साफ करें. इस के बाद टोनर और मौइश्चराइजर से त्वचा की अच्छी तरह मसाज कर के सोएं.

अपनी त्वचा को सुकोमल और चमकदार बनाने के लिए दूध और दही का प्रोटीन इस्तेमाल करें. इस के अलावा ऐसेंशियल औयल भी मसाज के लिए अच्छा है. लूफा और स्क्रब से पूरे शरीर को स्क्रब करें ताकि मृत त्वचा हट जाए और त्वचा को भरपूर औक्सीजन मिल सके.

होम ब्लीचिंग

शादी की शौपिंग करतेकरते धूप में त्वचा की रंगत सांवली हो सकती है. इसे ठीक करने के लिए घर पर बनाया ब्लीच बैस्ट रहेगा. इस के लिए फुलक्रीम मिल्क पाउडर में हाइड्रोजन पैरोक्साइड की इतनी बूंदें मिलाएं कि पेस्ट बन जाए. फिर इस में ग्लिसरीन की कुछ बूंदें मिलाएं और त्वचा पर लगाएं. 15 मिनट बाद धो लें. कभीकभी ब्लीचिंग से त्वचा में रूखापन आ जाता है. अगर ऐसा हो तो कोई अच्छा सा मौइश्चराइजिंग लोशन लगाएं. अगर त्वचा में पिगमैंटेशन हैं तो विटामिन ई कैप्सूल को तोड़ कर कैस्टर औयल में मिला कर चेहरे पर लगाएं.

बालों की देखभाल

बालों की देखभाल का सब से बेहतर तरीका यह है कि उन्हें नियमित रूप से क्लीनिंग और कंडीशनिंग दें. अपने बालों की नियमित रूप से गरम तेल से मसाज करें. कैस्टर औयल, सनफ्लौवर औयल या कोकोनट औयल में कुछ बूंदें अरोमा लैंगलैंग औयल मिला कर मालिश करें. इस से बालों को पोषण तो मिलेगा ही, साथ ही वे सिल्की और खूबसूरत भी लगेंगे. बालों की कंडीशनिंग के लिए मेथीदाना और दही का पैक बना कर लगाएं. अगर बालों को कलर करवाना है तो पहले से टैस्ट कर लें. कहीं ऐसा न हो कि हेयर कलर सूट न करे और लेने के देने पड़ जाएं. बालों की स्ट्रेटनिंग सब से लास्ट में करवाएं. अगर रूसी है तो इस के लिए पहले से ट्रीटमैंट ले लें. दही बालों को प्रोटीन देने के साथसाथ रूसी को भी हटाता है. रोज सोने से पहले बालों की अच्छी तरह कौंबिंग करें. इस से बालों की भीतरी त्वचा में ब्लड सर्कुलेशन सही रहेगा, जिस से बालों की चमक बढ़ेगी.

त्वचा बने चमकदार

अपने हाथपैरों और गरदन की त्वचा का खास खयाल रखें. नैचुरल देखभाल के लिए किसी भी गूदेदार फल को मैश कर के उस में मिल्क पाउडर मिला कर त्वचा पर लगाएं और 20 मिनट बाद धो लें. कुछ बूंदें औलिव औयल ले कर पूरे शरीर की मसाज करें. हैंड व फुट क्रीम रोजाना लगाएं. बादाम का तेल भी मसाज के लिए अच्छा रहेगा. नियमित मसाज से त्वचा कांतिमय बनेगी.

त्वचा के निखार के लिए फल और सब्जियां ज्यादा खाएं. साथ में सलाद भी लें. फ्रूट जूस त्वचा में प्राकृतिक चमक लाने का बेहतर उपाय है. शादी की शौपिंग के लिए नियमित बाहर जाना पड़े तो घर वापस आने पर त्वचा को रिलैक्सेशन दें. कच्चे दूध और गुलाबजल से त्वचा को टोन्ड करें.

भरपूर नींद लें

अकसर शादी की दौड़भाग, आने वाली खुशियों के बारे में सोचसोच कर और गानेबजाने के चक्कर में दुलहन की नींद पूरी नहीं होती, जिस से आंखों के नीचे काले घेरे पड़ जाते हैं. चाहे कुछ भी हो सारे सोचविचार छोड़ कर भरपूर और गहरी नींद सोएं ताकि शादी के दिन आप खिलीखिली और निखरी नजर आएं. नियमित मैडीटेशन व्यर्थ के तनाव को दूर करने में मददगार साबित होगा. नियमित मैडीटेशन से दिमाग शांत और संतुलित रहेगा, जिस से नींद अच्छी आएगी और चेहरा आभायुक्त रहेगा.

पार्लर की बुकिंग

आप जिस पार्लर में हमेशा जाती हैं वही पार्लर बुक करवाएं, क्योंकि वहां की ब्यूटीशियन आप की त्वचा के स्वभाव को अच्छी तरह जानती है. मैनीक्योर, पैडीक्योर, मसाज, फेशियल वगैरह के साथ शादी वाले दिन मेकअप भी वहीं से करवाएं, क्योंकि नियमित रूप से जाने की वजह से वह आप से भावनात्मक रूप से जुड़ी होती है, इसलिए वह आप को अपना समझ कर तैयार करेगी.

सही लहंगे का चुनाव

शादी वाला दिन दुलहन के लिए सब से खास होता है. इस दिन सभी की नजरें उसी पर होती हैं. घराती और बरातियों का अटैंशन पाना है तो सही लहंगे का चुनाव जरूरी है ताकि जब आप दुलहन बन कर स्टेज पर जाएं तो सब की निगाहें बस आप पर जम जाएं खासकर दूल्हे राजा की. अपने कद, त्वचा के रंग और शारीरिक गठन को देखते हुए लहंगे का चुनाव करें. लंबी और दुबली लड़कियों के लिए ज्यादा घेर वाला लहंगा सही रहेगा. गोरे रंग के लिए सौफ्ट पेस्टल, पिंक, पीच या लाइट सौफ्ट ग्रीन कलर खूब जंचेगा पर लहंगे का आदर्श रंग लाल ही होता है. लाल रंग के लहंगे में सजी दुलहन का रूप कुछ अलग ही निखर कर आता है.

छोटे कद वाली दुलहन के लिए कम घेरदार लहंगा सही रहेगा. अगर आप का रंग गेहुआं है तो रूबी रैड या औरेंज लहंगे का चयन कर सकती हैं. सांवली रंगत के लिए लाल या मजैंटा कलर का लहंगा ठीक रहेगा. अगर लहंगा हैवी वर्क वाला हो तो चुनरी हलकी होनी चाहिए. यह ध्यान रहे कि आप का लहंगा इतना भी हैवी न हो कि संभाला ही न जाए.

ज्वैलरी का चयन

ब्राइडल लहंगे के बाद बारी आती है सही ज्वैलरी के चयन की. मार्केट में हलकी और हैवी हर तरह की डिजाइन की ज्वैलरी मिलती है. पोलकी ब्राइड ज्वैलरी आजकल ट्रैंड में है. पोलकी सैट में सोने के अंदर बिना कटे हुए डायमंड या कीमती स्टोन्स होते हैं. स्टोन ड्रौप और पर्ल के पोलकी गहने भी जंचते हैं. अगर आप का बजट अच्छा है तो डायमंड ब्राइडल सैट खरीद सकती हैं. गोल्ड से बना पूरा सैट, जिस में मैचिंग इयररिंग्स, कड़े और मांगटीका भी शामिल हो तो वह भी खूब जंचेगा. अगर आप कुछ हट कर और यूनीक दिखना चाहती हैं, तो ऐंटीक ज्वैलरी आप को क्लासिक लुक देगी.

आपने ट्राई किया इंडियन रैप

सामग्री

– 150 ग्राम मैदा

– 80 ग्राम आटा

– 1 बड़ा चम्मच तेल

– 1 बड़ा चम्मच दही

– 100 ग्राम बेसन

– 1/2 छोटा चम्मच हरीमिर्च का पेस्ट

– 1/2 छोटा चम्मच गरममसाला

– 1 चम्मच अदरक व लहसुन का पेस्ट

– थोड़ी सी धनियापत्ती कटी हुई

– पर्याप्त तेल

– 1 प्याज कटा हुआ

– 1 पत्तागोभी कटी हुई

– 1 बड़ा चम्मच टोमैटो सौस

– 1 बड़ा चम्मच हरी चटनी

– चुटकी भर सफेदमिर्च पाउडर

– चुटकी भर लालमिर्च पाउडर

– चुटकी भर नमक

विधि

आटा, मैदा, नमक और सफेदमिर्च को अच्छी तरह मिलाएं. फिर इस मिश्रण में तेल और दही डाल कर मिश्रण को मिलाने के बाद पानी डालें औैर गूंध लें. फिर 15 मिनट के लिए अलग रख दें. अब बेसन, हरीमिर्च पेस्ट, लालमिर्च पाउडर, गरममसाला, अदरक व लहसुन का पेस्ट औैर धनियापत्ती मिलाएं. मिश्रण में पानी डालें और घोल तैयार कर लें. अब रैप के लिए पतलीपतली रोटियां बनाएं और गरम तवे पर दोनों तरफ से सेंकें. अब एक तरफ बेसन का घोल लगा कर सेंकें. अब आंच से तवे को हटा कर रैप पर प्याज और पत्तागोभी डालें. फिर टोमैटो सौस और चटनी डालें. अब रैप को रोल कर सर्व करें.

व्यंजन सहयोग

रुचिता कपूर जुनेजा

ये हैं दुनिया के सबसे बेहतरीन और महंगे होटल

दुनिया में कई ऐसे शानदार नजारे हैं जिन्हें हर कोई नहीं देख पाता, लेकिन ऐसे नजारों के बारे में जानने या सुनने का शौक सभी को होता है. इसी तरह दुनिया में हर सुख-सुविधाओं से भरपूर ऐसे होटल हैं, जो सभी की पहुंच में तो नहीं हैं, लेकिन इन होटल के बारे में जानना सभी के लिए दिलचस्प है. आइए, आज हम आपको बताते हैं दुनिया के सबसे मंहगे होटल के बारे.

द मार्क होटल

अमेरिका के न्यूयौर्क शहर में बना द मार्क होटल काफी महंगा है. यहां पैंट हाऊस में एक रात का किराया करीब 55 लाख रुपए है. यहां आपको सभी सुख-सुविधाएं जैसे 24 घंटे सेलौन और सूट टेलरिंग की सर्विस आदि सब कुछ मिलेगा.

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होटल प्रेजिडेंट विल्सन

यहां लगभग एक रात ठहरने का किराया 38 लाख रुपए है. इस होटल में 12 बेडरूम, 12 बाथरूम, हैलिपैड, सेनवे ग्रैंड पियानो, बिलियर्ड टेबल, बुलेटप्रूफ विंडो जैसी सुविधाएं मिलेगी. वहीं इसके टेरेस से आपको स्विटजरलैंड की खूबसूरती देखने का मौका मिलेगा.

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फोर सीजन होटल

न्यूयौर्क में बने इस होटल में एक रात रहना चाहते हैं, तो आपको 36 लाख रुपए खर्च करनो होंगे. यहां आपको अनलिमिटेड शैंपेन और मसाज उपलब्ध करवाई जाएगी.

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लौकला आइलैंड रिसौर्ट

फिजी में स्थित इस आईलैंड को 2003 में खरीदा था, जिसको बाद में प्राइवेट रिट्रीट में बदल दिया गया. यहां एक रात रुकने का किराया 35 लाख रुपए होगा.

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द रौयल विला

ग्रीस के इस आलीशान होटल में रुकने के लिए आपको 30 लाख रुपए खर्च करने होंगे. यहां आपको प्राइवेट जेट में घुमाया जाएगा और होटल के कर्मचारी आपको सेलिब्रिटी जैसा ही ट्रीट करते हैं.

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राज पैलेस होटल

राजस्थान के जयपुर में आपको कई शाही होटल मिल जाएंगे लेकिन जयपुर में बना यह रौयल राज पैलेस होटल काफी महंगा है. यहां की दीवारों को सोने की पत्ती, शीशे से बनाया गया है. यहां एक रात ठहरने का किराया 29 लाख रुपए है.

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अगर टैक्स बचाने के लिये खरीद रही हैं बीमा पौलिसी तो रखें इन बातों का ध्यान

चालू वित्त वर्ष 2017-18, 31 मार्च को खत्म होने जा रहा है. ऐसे में अगर आप आयकर की धारा 80 सी के तहत टैक्स बचाना चाहते हैं तो जीवन बीमा पौलिसी खरीद सकते हैं. 80सी के तहत जीवन बीमा के लिए भुगतान किया जाने वाला सालाना प्रीमियम आपकी सैलरी में से घटा दिया जाता है और इस तरह से आपकी टैक्स देनदारी कम हो जाती है. ऐसे में जीवन बीमा खरीदने से पहले कुछ बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए. हम अपनी इस खबर में आपको ऐसी पांच बातें बताएंगे जिन्हें इंश्योरेंस पौलिसी खरीदते वक्त ध्यान में रखने से आपका फायदा हो सकता है.

एक्सपर्ट सलाह

एक्सपर्ट्स बताते हैं कि आपको लंबी अवधि के लिए ही इंश्योरेंस पौलिसी लेनी चाहिए. आम तौर पर लोग 3 से 5 साल के लिए ही इंश्योरेंस पौलिसी ले लेते हैं और फिर इससे पैसा निकाल लेते हैं, ऐसा नहीं करना चाहिए. दूसरी बात इंश्योरेंस प्लान और इन्वेस्टमेंट को अलग अलग रखना चाहिए, इसको एक नहीं मानना चाहिए. अगर आप लाइफ इंश्योरेंस पौलिसी ले रहे हैं तो ध्यान रखें कि वह आपके परिवार की मदद करने वाली हो. साथ ही आपको टैक्स स्लैब का ख्याल रखना चाहिए ताकि आप अपनी पौलिसी का सही फायदा उठा पाएंगे. इसके अवाला सबसे अहम बात यह है कि आपको एक वित्त वर्ष के आखिरी तीन महीनों में लाइफ इंश्योरेंस पौलिसी लेने से बचना चाहिए.

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जानिए पौलिसी खरीदते समय किन बातों का रखें ख्याल

क्या पौलिसी आपकी उम्मीदों के मुताबिक है

पौलिसी लेते वक्त आपको इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि आप जो इंश्योरेंस पौलिसी लेने जा रहे हैं क्या वो आपकी उम्मीदों के मुताबिक है. जैसा कि बाजार में तरह तरह के इंश्योरेंस प्लान उपलब्ध होते हैं लिहाजा इनमें से किसी एक का चुनाव करना थोड़ा मुश्किल होता है. जैसे कि आप टर्म प्लान चाहते हो लेकिन आपको यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान मिल जाता है. आप चाइल्ड इंश्योरेंस प्लान चाहते हो लेकिन आपको रिटायरमेंट प्लान दे दिया जाता है. ऐसे में बेहतर होगा कि आप यह पहले ही सुनिश्चित कर लें कि आपकी पौलिसी आपको वही फायदे देगी जो आप चाहते हैं.

निजी जानकारी और नौमिनी की डिटेल सही सही भरें

अगर आप अपनी निजी जानकारी और नौमिनी की डिटेल सही सही भरते हैं तो क्लेम की प्रक्रिया में काफी आसानी रहती है. ऐसा न होने की सूरत में आपको काफी परेशानी उठानी पड़ सकती है. जरा कल्पना करें कि आपके न रहने की सूरत में आपकी किसी एक गलती (गलत जानकारी भरना) का खामियाजा आपके परिवार या नौमिनी को किस तरह से उठाना होगा. इसलिए हमेशा ध्यान रखें कि आप जो भी डिटेल दे रहे हैं वो पूरी तरह से दुरूस्त हो.

अपने नौमिनी को दें जानकारी

सिर्फ इंश्योरेंस पौलिसी लेना ही काफी नहीं होता है, अगर हमने किसी पौलिसी के लिए फौर्म भरा है और उसमें किसी को अपना नौमिनी बनाया है तो आपको उस व्यक्ति को इसकी जानकारी देनी चाहिए. ताकि आपकी मृत्यु हो जाने के बाद आपका नौमिनी इसका लाभ ले सके. साथ ही पौलिसी से जुड़े सभी दस्तावेज एक सेफ जगह रखने चाहिए और इसकी जानकारी भी नौमिनी को देनी चाहिए, क्योंकि इन्हीं दस्तावेजों के आधार पर आपका नौमिनी इसका फायदा उठा पाएगा.

कहां से खरीदें पौलिसी

औनलाइन इंश्योरेंस पौलिसी औनलाइन ब्रोकर या फिर सीधे इंश्योरेंस कंपनी से खरीदी जा सकती है. यदि पौलिसी खरीदते समय किसी भी असमंजस में है तो वेबसाइट पर तुलना जरूर कर लें. ऐसा करने से आप कई विकल्पों में चुनाव कर सकते हैं. लेकिन इसका एक नुकसान भी होता है. आपको बता दें कि वेबसाइट्स को आपकी निजी जानकारी तक का एक्सेस मिल जाता है. यदि कोई इंश्योरेंस कंपनी आपको किसी भी तरह की छूट औफर कर रहा है तो ध्यान रखें कि वह इसके बदले में आपको कम फीचर्स की पेशकश करेगा.

कीमतों के साथ सर्विसेस पर भी दें ध्यान

औनलाइन प्लेटफौर्म पर एक ही जगह कई प्रोडक्ट्स की तुलना करने की सुविधा मिल जाती है. कीमतों में तुलना जरूर करें, लेकिन खरीदारी के समय कंपनी की ओर से दी जाने वाली सर्विसेज पर भी विशेष ध्यान दें. हेल्थ पौलिसी का चयन करते समय नेटवर्क अस्पताल और क्लेम रिस्पौन्स पर भी ध्यान देना चाहिए. कभी सस्ती पौलिसी के लालच में न पड़े. उदाहरण के तौर पर अगर कंपनी महज 50 फीसदी क्लेम ही सेटल कर पाती है तो उसका चयन करना नासमझी है.

खरीदने से पहले कीमतों में तुलना जरूर करें

अगर गौर से देखा जाए तो एग्रीगेटर की वेबसाइट और औनलाइन इंश्योरेंस ब्रोकर की वेबसाइट पर इंश्योरेंस कंपनी की ओर से औफर की जाने वाली कीमतें एक जैसी ही होती हैं. आप चाहे एग्रीगेटर से खरीदें, औनलाइन खरीदें या फिर औनलाइन ब्रोकर से खरीदें प्रीमियम भुगतान केवल इंश्योरर वेबसाइट पर ही होता है. ऐसा ट्रांजेक्शन की सुरक्षा के मद्देनजर किया जाता है.

खूबसूरती रहेगी बरकरार, बस ये गलतियां न हों बार बार

वैसे तो महिलाएं हमेशा ही अपने चेहरे, लुक्स और खूबसूरती को लेकर काफी सजग रहती हैं. हर तरह से अपनी स्किन का ख्याल रखती हैं, लेकिन इसके बावजूद कई बार जानकारी के अभाव में या आलस के चलते वे ऐसी गलतियां कर जाती हैं, जिनसे उनको भारी नुकसान हो सकता है. तो चलिए एक नजर उन गलतियों या लापरवाहियों पर डालें जिन्हें नजरअंदाज करना आप और आपकी खूबसूरती के लिए जरा भी ठीक नहीं…

हर दिन शैंपू का इस्तेमाल करने से बचें

कई लड़किया हर दिन बालों में शैंपू करती हैं ताकि उनके बाल साफ और स्वस्थ रहें. हेल्थी बालों के लिए उनका साफ रहना जरूरी है, लेकिन इसके लिए हर रोज शैंपू करना ही एकमात्र विकल्प नहीं है. शैंपू में केमिकल्स होते हैं जो बालों के नैचुरल औयल को निकाल देते हैं और ऐसा हर रोज करने पर बालों से वो कोटिंग हट जाती है जो धूप और प्रदूषण से बालों की सुरक्षा के लिए जरूरी होती है. इसलिए हर दिन शैंपू करने की जगह आप हफ्ते में दो बार बालों में शैंपू करें. इसके अलावा आप जब भी बाहर निकलें हैट या स्कार्फ से बालों को ढंकना ना भूलें. ये भी ख्याल रखें कि आपका हेयर ब्रश साफ है, क्योंकि इनसे भी बालों में बहुत गंदगी होती है

हेयर ड्रायर, ब्लोअर का इस्तेमाल कम करें

बालों की स्टाइलिंग के लिए तो हम हेयर ड्रायर और ब्लोअर का इस्तेमाल करते ही हैं, लेकिन कईबार नहाने के बाद भी बालों को जल्दी सुखाने के चक्कर में हम बालों पर ब्लोअर या ड्रायर फेर देते हैं. अगर आप भी ऐसा करती हैं, तो अब अपनी इस आदत को सुधार लें,, क्योंकि ये चीजे बालों को कमजोर करते हैं. इसलिए जितना हो सके खुद को इन उपकरणों से दूर ही रखें.

मेकअप ब्रश की रेगुलर सफाई करें

मेकअप ब्रश के ब्रिसिल्स काफी नाजुक होते हैं. लिहाजा उनकी सफाई भी खास तरीके से की जाती है, जिसमें अच्छा खासा वक्त लगता है. इसलिए आलस के कारण महिलाएं नियमित तौर पर अपने मेकअप किट, खासतौर पर मेकअप ब्रश की सफाई नहीं करतीं. लेकिन अगर आप ऐसा नही करेंगी तो गंदगी से न सिर्फ आपको इंफेक्शन का खतरा है, बल्कि आपका मेकअप भी अच्छे से ब्लेंड नहीं हो पाएगा. इसलिए चाहे मेकअप ब्रश हो या फिर फेशियल या फेसपैक के लिए इस्‍तेमाल किया जाने वाला ब्रश हो समय समय पर इनकी सफाई करती रहें.

हाथों पर फाउंडेशन और लिपस्टिक की शेड टेस्ट करना

आमतौर पर जब हमें फाउंडेशन या लिपस्टिक खरीदना होता है तो हम इन्हें हाथों पर टेस्ट करते हैं. अगर आप भी ऐसा करती हैं, तो अब से ये तरीका न अपनाएं, क्योंकि ये तरिका बिल्कुल गलत है. हम सभी जानते हैं कि हमारे हाथ और चेहरे की रंगत और टेक्सचर में काफी फर्क होता है. चेहरे पर हाथों से ज्यादा सूरज की रौशनी पड़ती है. साथ ही चेहरे की त्वचा हाथों की त्वचा से ज्यादा मुलायम होती है. इसलिए इन्हें खरीदते वक्त हमेशा सही जगह टेस्ट करें. फिर जरूरत हो तो क्लिंजिंग मिल्क से साफ कर लें.

गलत लाइटिंग में मेकअप ना करें

आप जिस जगह के लिए तैयार हो रही हैं. कोशिश करें कि वैसी ही लाइटिंग में मेकअप भी करें. इससे आपको मेकअप ब्लेंड करने और सही शेड के चयन में सुविधा होगी. वर्ना अगर आप ‘बीच-पार्टी’ के लिए टंगस्टन लाइट में मेकअप करेंगी तो आपको मेकअप कितना और कैसा करना है इसका अंदाजा नहीं हो पाएगा.

मेकअप हटाए बिना सोना

कई बार हम घर आने के बाद थकान और आलस के चलते अपने चेहरे पर से बिना मेकअप उतारे सो जाते हैं. ऐसे में हमारी त्वचा सांस नहीं ले पाती. नतीजतन न सिर्फ चेहरे का ग्लो कम होता है बल्कि हर दिन ऐसी लापरवाही से त्वचा संबंधी रोग भी हो सकते हैं.

प्रदूषण की देन फेफड़ों का कैंसर

दिल्ली अब दुनिया की सब से अधिक प्रदूषित राजधानी हो गई है. इस का प्रदूषण स्तर चीन के बीजिंग को भी निरंतर पीछे छोड़ रहा है. प्रदूषण एक धीमा लेकिन पक्का हत्यारा है. आज के लोग जिन जहरीले तत्वों का सामना कर रहे हैं, वे लोगों के जीवनकाल को कई दिन या हफ्तों तक कम कर देंगे.

वायु प्रदूषण, कई स्वास्थ्य स्थितियों से जुड़ा हुआ है. विशेषरूप से फेफड़े के कैंसर से. एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, फेफड़े का कैंसर सभी तरह कैंसरों का 6.9 प्रतिशत है और पुरुषों व महिलाओं दोनों में कैंसर संबंधी मौतों में इस का योगदान 9.3 प्रतिशत है. हम में से हर एक के लिए समझना जरूरी है कि वायु प्रदूषण किस तरह से हमारे फेफड़ों और पूरे स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है.

फेफड़े के कैंसर के कारण

फेफड़े के ऊतकों में कोशिकाएं जब अनियंत्रित हो कर बढ़ने लगती हैं तब अंदर एक ट्यूमर बनने लगता है, जिसे फेफड़े कैंसर या लंग कार्सिनोमा कहते हैं. यह मैटास्टासिस प्रक्रिया से पास के ऊतकों या शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है. कार्सिनोमा के 2 मुख्य प्रकार हैं : लघु कोशिका लंग कार्सिनोमा (एससीएलसी) और गैरलघु कोशिका लंग कार्सिनोमा (एनएससीएलसी).

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अधिकांश मामलों में फेफड़ों के कैसर की वजह होती है लंबे समय तक धूम्रपान. हालांकि, धूम्रपान न करने वालों में भी इस का 10 से 15 प्रतिशत तक जोखिम रहता है. इस के अलावा, इस कंडीशन में योगदान देने वाले अन्य कारकों में जैनेटिक्स और वायु प्रदूषण के जरिए शरीर में पहुंचने वाले विभिन्न हानिकारक पदार्थ शामिल हैं. जिन के परिवार में पहले किसी को यह समस्या है या जिन्होंने पहले रेडिएशन थेरैपी ली है उन को भी इस स्थिति का जोखिम बना रहता है.

संकेत और लक्षण

एससीएलसी और एनएससीएलसी दोनों के लक्षण समान हैं और इन में प्रमुख हैं- बिगड़ी हुई खांसी, खांसते समय कफ में खून आना, छाती का दर्द जो खांसते या हंसते समय बढ़ जाता हो, सांस की तकलीफ, घरघराहट, कमजोरी व थकान, भूख की कमी और वजन घटना. कुछ लोगों को सांस के संक्रमण जैसे निमोनिया या ब्रोंकाइटिस का अनुभव हो सकता है. जब कैंसर फैलता है तो प्रभावित क्षेत्र के अनुसार लक्षण भिन्न होते हैं.

वायु प्रदूषण व फेफड़ों का कैंसर

आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली में हर साल 3,000 मौतों के लिए वायु प्रदूषण जिम्मेदार है, यानी प्रतिदिन 8 मौतें. मानव स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के प्रभाव बहुत जटिल होते हैं. इस का कारण यह है कि इस के विभिन्न स्रोत हैं, और प्रत्येक का हमारे स्वास्थ्य पर एक अलग प्रभाव होता है. वायु प्रदूषण तत्व फेफड़ों और श्वसन प्रणाली पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं. वे रक्त परिसंचरण प्रणाली में घुलमिल जाते हैं और शरीर में हर ओर पहुंचने लगते हैं. इस के अलावा, ये वायु प्रदूषक तत्व मिट्टी, पौधों और पानी में भी जमा हो सकते हैं, जिस से कैंसर से जुड़े जोखिम में वृद्धि हो सकती है.

जैविक प्रदूषक ज्यादातर एलर्जीकारक होते हैं जो अस्थमा, फीवर और अन्य एलर्जी रोगों का कारण हो सकते हैं. वाष्पशील कार्बनिक पदार्थ नाक और गले में जलन पैदा करते हैं. वे लंबे समय तक सिरदर्द, मतली, और बैलेंस में कमी का कारण बन सकते हैं और जिगर व शरीर के अन्य भागों को भी नुकसान पहुंचाते हैं. औद्योगिक तथा वाहन उत्सर्जन से निकलने वाली नाइट्रोजन औक्साइड, विशेषरूप से सर्दी में, बच्चों को सांस की बीमारियों के प्रति अतिसंवेदनशील बनाती है. कार्बन मोनोऔक्साइड हीमोग्लोबिन के साथ मिल कर औक्सीजन की क्षमता को कम कर सकती है. इस के अलावा, यह मस्तिष्क और हृदय के लिए भी हानिकारक है.

स्मौग धूल, धूएं और धुंध का मिश्रण है. यह फेफड़ों और दिल दोनों के लिए बहुत खतरनाक है. सल्फरडाइ औक्साइड की उच्च मात्रा ब्रोंकाइटिस को बढ़ा सकती है.

डब्लूएचओ की इंटरनैशनल एजेंसी फौर रिसर्च औन कैंसर ने बाहरी वायु प्रदूषण को कार्सिनोजेन (कैंसर-कारक एजेंट) के रूप में वर्गीकृत किया है. यह अनुमान 5 महाद्वीपों से प्राप्त 1,000 से अधिक वैज्ञानिक कागजात और अध्ययनों का विश्लेषण कर के निकाला गया. प्रदूषित हवा में छोटे धूल कण होते हैं जिन्हें पर्टिकुलेट मैटर (पीएम) कहते हैं. यह बहुत छोटे ठोस कणों और तरल बूंदों, जो हवा में पाए जाते हैं तथा जोखिम पैदा करते हैं का एक संयोजन है.

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पीएम 2.5 नामक सब से छोटे कण विशेषरूप से अत्यधिक हानिकारक हैं. सूक्ष्म होने के कारण वे आसानी से फेफड़े के टिश्यू में प्रवेश कर सकते हैं. पीएम 2.5 के कुछ स्रोतों में डीजल इंजन से निकलने वाला धुआं शामिल है. सर्दी में हालात और बदतर हो जाते हैं क्योंकि स्मौग के कारण इन कणों का फेफड़े के अंदर पहुंचना आसान हो जाता है. रेडोन एक रेडियोऐक्टिव गैस है, जो घर के अंदर जमा हो सकती है और जिस के संपर्क में आने पर फेफड़ों के कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है. हालांकि श्वसन तंत्र में प्रदूषकों के प्रवेश को रोकने के लिए नाक के बाल, बलगम और मैक्रोफेज जैसे रक्षा तंत्र मौजूद होते हैं परंतु ये तब विफल हो सकते हैं जब प्रदूषण का स्तर उच्च होता है.

घर के अंदर वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण का एक अन्य आम स्रोत धुआं घर के अंदर होता है जो कोयला जलाने से उत्पन्न होता है आमतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में खाना पकाने के दौरान. आंकड़े बताते हैं कि कोयले के धुएं के संपर्क में रहने वाली महिलाओं में फेफड़ों के कैंसर का जोखिम दोगुना होता है. दुनियाभर में घरेलू वायु प्रदूषण के कारण लगभग 2.4 अरब लोगों के जीवन को खतरा है. इस कारण होने वाले लंग कैंसर से करीब 1.5 अरब लोगों की मृत्यु हो जाती है. शहरी क्षेत्रों में, इस के आम स्रोतों में शामिल हैं मच्छर भगाने वाली कौइल और सिगरेट का धुआं.

क्या करें

कुछ ऐसे तरीके हैं जिन से वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है और फिर फेफड़ों के कैंसर की आशंका को भी कम किया जा सकता है. यह प्रयास व्यक्तिगत स्तर से शुरू होना चाहिए. जितना संभव हो, पैदल चलिए और साइकिल चलाइए. दिन में उस वक्त बाहर निकलें जब वायु प्रदूषण का स्तर सब से कम हो. मास्क पहन कर चलना हो तो एन95 वाला मास्क चुनें क्योंकि वह अधिक छोटे कणों को फेफड़ों में प्रवेश करने से रोक सकता है.

एक अन्य तरीका यह है कि उन क्षेत्रों से दूर रहें जहां वायु की गुणवत्ता बहुत अच्छी नहीं है. यह आवश्यक है कि सरकार और स्थानीय अधिकारी एक व्यापक रणनीति विकसित करने के लिए एकसाथ काम करें ताकि वायु प्रदूषण से होने वाले खतरों, जैसे कि लंग कैंसर, को कम किया जा सके.

सर्विकल कैंसर

महिलाओं को प्रभावित करने वाले सभी कैंसरों में सर्विकल कैंसर भारत में कैंसर संबंधी मौतों का दूसरा सब से आम कारण है. यह मुख्यतया ह्यूमन पैपिलोमा वायरस या एचपीवी के कारण होता है. यह एक ऐसी स्थिति है जो मुख्यतया गर्भाशय ग्रीवा यानी सर्विक्स की परत, या गर्भाशय के निचले हिस्से को प्रभावित करती है. यह कैंसर धीरेधीरे विकसित होता है और समय के साथ पूर्ण विकसित हो जाता है. कैंसर के कुछ लक्षणों में योनि से असामान्य रक्तस्राव, रजोनिवृत्ति या यौन संपर्क के बाद योनि से रक्तस्राव, मासिकधर्म की सामान्य से अधिक मात्रा या लंबी अवधि, असामान्य योनि स्राव, और यौनक्रिया के दौरान रक्तस्राव या दर्द प्रमुख हैं.

समय पर स्क्रीनिंग और रोग का पता लगाना सर्विकल कैंसर से मुकाबला करने के 2 महत्त्वपूर्ण पहलू हैं, क्योंकि यह पूरी तरह से इलाजयोग्य स्थिति है. इस के अलावा, महिलाओं को संक्रमण से बचने के लिए जीवनशैली में परिवर्तन करने चाहिए. इस में कई साथियों के साथ यौन संपर्क से बचाव, नियमित जांच, धूम्रपान का त्याग, फलों, सब्जियों व साबुत अनाज का सेवन और शरीर का वजन ठीक रखना प्रमुख कदम हैं.

– डा. एम उदय कुमार मैया

 (लेखक पोर्टिया मैडिकल के मैडिकल डायरैक्टर हैं.)

अपने कपड़े रिपीट करने पर ट्रोलर्स को निया शर्मा ने दिया जवाब

सेलेब्स की हर सिंगल डिटेल उनके फैंस जानते हैं. वहीं हर वक्त पब्लिक की नजर फैशन पुलिस की तरह सेलिब्रिटीज के ड्रेसिंग सेंस और स्टाइल पर रहती है. ऐसे में अगर किसी सेलेब ने किसी खास ओकेजन पर अपने ड्रेस को रिपीट कर लिया तो देखने वाले झट से पहचान जाते हैं.

हाल ही में टीवी की पौपुलर एक्ट्रेस निया शर्मा ने अपने ड्रेस रिपिटेशन को लेकर एक ट्वीट किया. ये ट्वीट उन लोगों का मुंह बंद करने के लिए था जो सेलेब्स को कपड़े रिपीट करने पर खरी खोटी सुनाते हैं और ऐसी बातें करते हैं जैसे कपड़े रिपीट कर उन्होंने गुनाह कर दिया हो.

‘जमाई राजा’ फेम एक्ट्रेस निया शर्मा ने अपने ट्वीट पर लिखा, ‘मैं अपने कपड़ों को रिपीट करने से नहीं डरती. खासतौर पर जो कपड़े मेरे फेवरेट हैं, मुझे मत बताएं कि ये कपड़े मैंने कल पहने थे.’ निया शर्मा ने ये ट्वीट करने के बाद ऐसे लोगों को करारा जवाब दिया जो सेलेब्स के कपड़े रिपीट करने पर उन्हें काफी कुछ कहते हैं. निया के इस ट्वीट के सामने आने के बाद निया के फैंस ने उनकी इस बात का समर्थन किया. निया के एक फैन ने लिखा, “इसीलिए हम आपको चाहते हैं, आप दूसरे सेलेब्स की तरह नहीं हैं. ‘एक दफा कुछ पहना तो दोबारा नहीं पहनना’ यह अपने आप में बहुत बेवकूफाना है. बेवजह का शोऔफ.”

बता दें, निया शर्मा को यूके की एक मैगजीन द्वारा एशिया की सबसे सेक्सी वुमन होने का गौरव हासिल है. निया ने अपने करियर की शुरुआत टीवी की दुनिया से की. स्टार प्लस सीरियल ‘एक हजारों में’ से उन्होंने एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा था. इस शो में निया सेकिंड लीड पर थीं. इसके बाद निया जीटीवी के सीरियल ‘जमाई राजा’ में नजर आईं. शो में निया के अपोजिट रवि दूबे थे. निया खतरों के खिलाड़ी के आखिरी सीजन में भी नजर आई थीं. वहीं इस वक्त निया वेब सीरीज में कौन्संट्रेट कर रही हैं.

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