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मेकअप से अपने चेहरे को निखारना और अपनी खूबसूरती की तारीफ बटोरना भला कौन महिला नहीं चाहती. चाहे कामकाजी महिला हों या गृहिणी, कम समय में न सिर्फ बेहतर मेकअप करना चाहती हैं, बल्कि वे चाहती हैं कि मेकअप नैचुरल भी दिखें.
यहां पेश हैं, झटपट मेकअप के आसान टिप्स:
फाउंडेशन: अपनी त्वचा से मैच करता फाउंडेशन का यूज करें. अगर आप के मेकअप का बेस ठीक रहेगा तो मेकअप नैचुरल दिखाई देगा. केक लिक्विड और पाउडर फाउंडेशन मार्केट में उपलब्ध हैं.
अगर आप धूप में ज्यादा रहती हैं, तो एसपीएफ युक्त फाउंडेशन का यूज करें. धूप से स्किन प्रभावित नहीं होगी.
पाउडर फाउंडेशन का यूज करें. इस में हाइड्रेटिंग या स्टेन फिनिश लिक्विड फाउंडेशन आजमा कर देखें.
पाउडर टच: पाउडर की तुलना में क्रीम आईशैडो और क्रीम ब्लश औन से आंखों व गालों की स्किन ज्यादा ड्राई दिखाई देती है. कुछ वक्त के बाद आंखों की स्किन पर ड्राई पैच दिखाई देता है और गालों पर झुर्रियां ज्यादा साफ दिखाई देती हैं. ऐसे में लाइट पाउडर आईशैडो और पाउडर ब्लश औन यूज करें.
आई पैसिंल: कम उम्र की युवितयां अगर आईलाइनर नहीं लगाना चाहती हैं, तो कलरफुल पैंसिल लगा सकती हैं. आजकल 2 कलर की आईपैंसिल लगाने का भी चलन है.
स्पैशल लिप कलर: फेस पर तुरंत ताजगी लाने के लिए अपनी लिपस्टिक का रंग बदलें. अगर नैचुरल कलर की लिपस्टिक लगा रही हैं, तो लिपकलर रूल भूल कर रैड शेड्स आजमाएं. आसानी से बनाए जाने वाला कुछ नया हेयरस्टाइल आजमाने और रैड लिपस्टिक लगाने पर हौट लुक आएगा.
प्योर ब्राउन शेड्स: अगर आप अपनी आंखों पर ब्राउन आईशैडो ही लगाना पसंद करती हैं, तो अपने दिल को मनाएं और यह शेड न लगाएं. इस शेड में पीले या लाल रंग के कुछ अंश होते हैं. इस से आंखें थकी हुई दिखाई देती हैं. कत्थई रंग का प्योर ब्राउन शेड लगाएं. इस से नैचुरल लुक आएगा.
आप जब बालों का स्टाइल कट कराने जाती हैं तो आप के लिए सिर्फ यही जानना काफी नहीं है कि आप के बालों का टैक्स्चर कैसा है और आप को कितने लंबे या छोटे बाल चाहिए. कोई भी हेयरकट लेने से पहले अपने चेहरे के आकार को भी ध्यान में रखना चाहिए. ऐसा करने से हेयरस्टाइल आप पर हर तरह से जंचेगी, क्योंकि आप ऐसा तो चाहेंगी नहीं कि आप का चौड़ा माथा और चौड़ा लगे या आप का गोल चेहरा और गोल लगे. आखिर अपने बैस्ट फीचर्स को हाईलाइट करना ही तो ब्यूटीफुल दिखने का सीक्रेट है. कौन से फेस शेप पर किस तरह का हेयरस्टाइल सूट करता है, आइए जानते हैं:
हार्ट शेप फेस: ऐसे चेहरे पर क्राउन पर टौप नौट सुंदर दिखती है. सैंटर फ्लिक और सैंटर पार्टिंग भी ऐसे चेहरे पर जंचती हैं. गालों के दोनों तरफ ऊंचे कर्ल या फ्लिक (जो चिन को कवर न करें) ऐसे फेस पर जंचते हैं और चेहरा ओवल नजर आता है. जहां सैंटर पार्टिंग यानी बीच की मांग चौड़े फोरहैड पर ध्यान ले जाती है, वहीं बिना फेस फ्रेमिंग लेयर्स के लंबे बाल पतली चिन को हाईलाइट करते हैं, इसलिए इन से दूर रहें.
ओवल फेस: यह एक परफैक्ट फेस है. ऐसे चेहरे पर कोई भी हेयरस्टाइल अपनी पसंद के अनुसार किया जा सकता है. अगर आप एजी क्रौप हेयरकट कराने की सोच रही हैं तो बेझिझक ट्राई करिए. आप लौंग या शौर्ट कट में लेयर्स, बैंग्स, ब्लंट जैसा कोई भी स्टाइल कैरी कर सकती हैं. इस के अलावा हेयरस्टाइलिंग के लिए पोनी, कर्ल्स को भी अपना सकती हैं. फ्रैंच नौट, मैसी बन, डच ब्रेड और साइड पोनी बना कर आप जहां एक तरफ अपने चेहरे के फीचर्स को खूबसूरती के साथ हाईलाइट कर सकती हैं, वहीं दूसरी तरफ हर दिन एक नए अवतार में नजर भी आ सकती हैं.
राउंड फेस: ऐसे चेहरे की लंबाई और चौड़ाई एकसमान होती है और कानों और गालों की तरफ का एरिया काफी ब्रौड होता है, ऐसे में फेस को लंबा और पतला दिखाने के लिए आप को जरूरत है कम वौल्यूम वाले हेयर कट की. सौफ्ट लेयर्स में कंधों तक कटे हुए बाल इस फेस पर काफी फबते हैं.
इस के अलावा इनवर्ड कर्ल में ब्लो ड्रायर भी कर सकती हैं. फ्रंट पर ऊंचा पफ बना कर भी आप अपने चेहरे को लंबाई दे सकती हैं. राउंड शेप चेहरे पर बहुत छोटा हेयरकट न लें. स्ट्रेट बौक्स फ्रिंज और ब्लंट कट राउंड शेप फेस पर अधिक नहीं जंचते. हां, लोब आप पर फबेगा और अगर आप बहुत छोटा हेयरकट ही चाहती हैं तो बहुत सारी चोप्पी व स्पाइकी लेयर्स के साथ पिक्सी कट आप के चेहरे पर अच्छा लगेगा. अपने बालों को एकदम टाइट और स्लीक पोनीटेल में न बांधें, बल्कि कुछ बाल आगे की तरफ खुले छोड़ दें ताकि वे आप के चेहरे को फ्रेम कर सकें.
ओबलौंग फेस: यह फेस काफी हद तक ओवल फेस की तरह दिखता है, लेकिन ओवल से ज्यादा लंबा होता है. ऐेसे चेहरे पर जरूरत होती है एक ऐसे हेयरस्टाइल की, जो चेहरे की चौड़ाई को बढ़ा कर लंबाई को कम कर दे. लो साइड बन या बिना पार्टिंग की फ्रैंच चोटी ऐसे फेस पर सूट करती है. इस के अलावा रेजर या फैदर कट भी इस फेस पर काफी फबता है.
डायमंड फेस: इस चेहरे पर जरूरत होती है वौल्यूम को ऐड करने की. ऐसे में बालों को लेयर्स फौर्म में कटवा सकती हैं. इस से बाल घने नजर आते हैं और चीकबोंस कम नजर आने लगती है. इस के साथ ही लेयर कट और डिस्कनैक्शन कट भी ऐसे चेहरे के लिए अच्छे औप्शन हैं. मल्टीपल लेयर कट से फेस पर सौफ्टनैस नजर आती है और डिस्कनैक्शन कट से बालों की लैंथ बनी रहती है. फेस शेप के अनुसार छोटेछोटे फ्लिक भी मिल जाते हैं और चेहरे पर एक नया स्टाइल नजर आता है. फेस फ्रेमिंग लेयर्स के साथ शोल्डर लैंथ स्टाइल इस चेहरे पर शानदार लगते हैं. फ्रिंज और गर्ली ब्राइड्स स्ट्रौंग फीचर्स को सौफ्ट करने के लिए बहुत बढि़या स्टाइल्स हैं.
स्क्वेयर फेस: फोरहैड और जौ लाइन आमतौर पर एकसमान ही होती हैं. ऐेसे में कानों के नीचे से दिए गए वेव्स जौ लाइन की चौड़ाई को हलका कर देते हैं. इस के अलावा कर्ल्स, मैसी बन, शौर्ट स्पाइकी कट इस चेहरे के लिए परफैक्ट सलैक्शन होते हैं. चिन के आसपास लौंग फ्लिक या बौब कट अपना कर भी आप अपनी जौ लाइन पर जा रहे अटैंशन को खींच सकती हैं. बहुत छोटे हेयरस्टाइल्स आप के चेहरे के फीचर्स को बहुत अप्रिय दिखाएंगे और स्क्वेयर फेस शेप को और भी हाईलाइट करेंगे.
कभी मां, कभी बेटी तो कभी बहू बन कर वह हर परिस्थिति में घर की सारी जिम्मेदारियां बखूबी निभाती है, तभी तो नारी कहलाती है.
वह खुद को पहचानती है, वह जानती है कि उसे क्या चाहिए और अपने सपनों को वह सब से ऊपर रखती है. वह निडर है, वह आत्मसम्मान के साथ निडर हो कर खड़ी रहती है और अपने मन की बात खुल कर बोलने से कतराती नहीं, फिर चाहे लोग कुछ भी सोचें.
वह जानती है कि उस के पास सारे जवाब नहीं हैं, वह खुले विचारों वाली होने के साथसाथ आत्मविश्वास से भरी हुई है और हमेशा कुछ नया सीखने की चाह रखती है.
वह है… सशक्त नारी… फौलादी इरादों वाली नारी.
अगर आप भी इस सशक्त और फौलादी इरादों वाली नारी के लिए समान अधिकार का समर्थन करते हैं, तो “गृहशोभा” और UC News आपके लिए लेकर आया है #WChallenge. अपनी अंगुलियों से ‘W’ साइन बनाते हुए आप अपनी सैल्फी पोस्ट करें और इस अभियान का हिस्सा बनें.
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विश्व के सब से बड़े आर्ट फैस्टिवल एडिनबर्ग फ्रिंज में जब मुंबई के रेड लाइट एरिया की 15 कलाकारों ने ‘लाल बत्ती ऐक्सप्रैस टू’ नामक नाटक का मंचन किया, तो सभी दर्शक दंग रह गए. एनजीओ ‘क्रांति’ की इन लड़कियों की उम्र 15 से 23 वर्ष है. इन्होंने अपने संवाद और नृत्य द्वारा खुद पर होने वाले जुल्म, शोषण और डिप्रैशन की कहानी दर्शकों के आगे नाटक के जरिए इस तरह पेश की कि वे अपने अनुभव भी उन के साथ बांटने लगे.
अच्छी बात यह रही कि इन क्रांतिकारी लड़कियों ने इस नाटक द्वारा समाज और दुनिया के आगे एक क्रांति लाने की कोशिश की है, जिस में वे सफल रहीं और विश्वपटल पर 1 लाख शोज में उन का 10वां स्थान रहा. यह नाटक इन क्रांतिकारी लड़कियों द्वारा ही लिखा व निर्देशित किया गया है. पूरे यूरोप में इन लड़कियों ने इस नाटक के 57 परफौर्मेंस दिए. इतना ही नहीं, इस नाटक को बीबीसी ने भी दिखाया, जो उन के पिछले 10 वर्षों के रिकौर्ड को तोड़ कर सब से अधिक दर्शकों का हकदार बना.
हर जगह मिली प्रशंसा
यह नाटक अलग तरह का है, जिस में नाटक के दौरान कुछ दर्शकों को उस में शामिल कर पात्र के अनुसार अभिनय करने के लिए कहा जाता है. इस में पहले उन्हें कुछ जानवर बनने के लिए कहते हैं. लेकिन ज्यों ही उन्हें सैक्सवर्कर बनने के लिए कहा जाता है, वे चुप हो जाती हैं. यह भाव और यह सोच दर्शकों को सोचने पर मजबूर करते हैं कि आखिर वे खुद ऐसा क्यों सोचते हैं. कितना मुश्किल होता है एक सैक्सवर्कर बनना और शायद यही वजह है कि यह नाटक हर जगह पसंद किया जा रहा है.
यह सच है कि हमारे देश में सैक्सवर्कर्स की दुर्दशा से कोई अनजान नहीं है. पतली और तंग गुमनाम गलियों में इन की जिंदगी की सचाई काफी भयावह है. गरीबी और बीमारी से लड़ रही इन महिलाओं से सैक्सुअल सुखप्राप्ति के लिए लोग आते हैं. इन में गरीब से ले कर रईसजाद तक सभी वर्ग, जाति और धर्म के लोग होते हैं. काम उन का होता है पर बदनामी इन महिलाओं को मिलती है. इस से भी बदतर होती है इन के बच्चों की जिंदगी, जिन्हें न तो कोई नाम मिलता है, न प्यार और न ही सही भविष्य.
यूनाइटेड नैशंस की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 3 मिलियन कमर्शियल सैक्सवर्कर्स हैं जिन से करीब 40 प्रतिशत बच्चे जन्म लेते हैं. इन बच्चों को न तो कोई काम मिलता है, न बैंक लोन और न ही पासपोर्ट. इस दलदल से सैक्सवर्कर्स और उन की लड़कियों का निकलना भी मुश्किल होता है. रोबिन चौरसिया और बानी दास की संस्था ‘क्रांति’ इस दिशा में काम कर रही है.
‘क्रांति’ की पहल
क्रांति की संस्थापिका बानी दास बताती हैं, ‘‘एक एनजीओ के कैंपस में मुंबई के कमाठीपुरा रेड लाइट एरिया से लड़कियों को ला कर रखा जाता था. पुलिस छापा मार कर 13-14 वर्ष की लड़कियों को यह कह कर लाती थी कि इन्हें शिक्षा दे कर आत्मनिर्भर बनाया जाएगा, लेकिन वहां पढ़ाई के नाम पर कुछ भी नहीं होता था. एक कक्षा में 80 लड़कियों को एकसाथ बैठा दिया जाता था.
‘‘ये लड़कियां अलगअलग उम्र की होती थीं. उन में कुछ पढ़ीलिखी होती थीं तो कुछ अनपढ़ थीं. ऐसी लड़कियां अपने मनमुताबिक न तो काम कर सकती थीं, न ही आगे बढ़ सकती थीं और उन्हें एहसास कराया जाता था कि वे सैक्सवर्कर्स की बेटियां हैं और उन्हें पुलिस द्वारा ‘रेड’ कर लाया गया है. उन के पास यही विकल्प है. उन का कोई सपना नहीं हो सकता. उन्हें एक लैवल तक पढ़ालिखा कर अचारपापड़ बनाने, सिलाई करने या छोटेमोटे काम में लगा दिया जाता था.
‘‘लेकिन मैं ने पाया कि इन में से कुछ लड़कियां काफी प्रतिभावान हैं और वे आगे पढ़लिख कर अच्छा काम कर सकती हैं. ऐसे में मेरी मुलाकात रोबिन चौरसिया से हुई, जो अमेरिका से मुंबई आ कर कुछ सामाजिक काम करना चाहती थीं. उन की भी सोच मेरी ही तरह थी.’’
रोबिन और बानी की जोड़ी चाहती थी कि वह केवल बच्चों को शिक्षा ही न दे, बल्कि उन की प्रतिभा को निखारने और उन की इच्छाओं को भी फलनेफूलने दे. साल 2007 में उन दोनों ने कमाठीपुरा की 4 बच्चियों को ले कर क्रांति एनजीओ की स्थापना की.
संस्था की सहसंस्थापिका रोबिन चौरसिया कहती हैं, ‘‘लाल बत्ती ऐक्सप्रैस टू नाटक के मंचन का उद्देश्य यह था कि इन लड़कियों की समस्या को किसी रचनात्मक माध्यम से लोगों तक पहुंचाया जाए और लोगों में इन के प्रति जो भ्रांतियां हैं, उन्हें दूर किया जाए. मुंह से कह कर एक बार में केवल एक व्यक्ति को ही समझाया जा सकता है. इस के अलावा इन बच्चों की इच्छा थी कि सैक्सवर्कर्स क्या हैं? उन का जीवन क्या है? उन के बच्चों की गलती क्या है? वे आजाद क्यों नहीं घूमफिर सकतीं? आदि सवालों को सब के सामने लाना, लेकिन कैसे लाएं? समस्या यह थी. सैक्सवर्कर की बेटी का नाम सुनते ही लोग उसे अलग नजर से देखते हैं.
‘‘ये लड़कियां बताना चाहती थीं कि अगर कोई महिला मजदूरी करती है तो उसे वर्कर की संज्ञा दी जाती है. वैसे ही हमारी मां भी पेट पालने के लिए यह काम करती हैं. इस में बुराई क्या है? इस बात को वे एक रिसोर्स के सहारे लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए लाना चाहती थीं और इस के लिए इन लड़कियों ने नाटक का सहारा लिया. अगर 500 लोग भी साथ बैठ कर 50 मिनट के इस नाटक को देखते हैं और इस से केवल 5 लोगों के विचारों में भी यदि फर्क आ जाए, तो बड़ी बात होगी.
साल 2013 में पहली बार इसे मुंबई में मंच पर दिखाया गया था, जिस की दर्शकों ने खूब तारीफ की थी.
प्रतिभा को पहचान
रोबिन आगे बताती हैं, ‘‘मेरी अमेरिका में बहुत जानपहचान है. कुछ बच्चे पढ़ाई पूरी करने के लिए अमेरिका गए हैं, लेकिन जिन्हें पढ़ाई का शौक नहीं है और वे अभिनय करते हैं, उन्हें भी आगे बढ़ने का मौका देना चाहिए. यह सोच कर साल 2015 में मैं ने अमेरिका में इस नाटक के मंचन का प्रस्ताव रखा और इस में कामयाब हुई. 15 सदस्यों की इस नाटक टीम की परफौर्मेंस सभी ने पसंद की. न्यूयौर्क, शिकागो, येलो स्टोन आदि करीब 5 शहरों में इस नाटक का मंचन किया गया था. इस काम में एक महिला निर्देशक जया अय्यर ने भी काफी साथ दिया. वे अभिनय को एक थेरैपी बताती हैं और उसी के अनुसार अभिनय करने में लड़कियों की मदद करती हैं.
‘‘नाटक का नाम पहले ‘लाल बत्ती’ था, अब इसे ‘लाल बत्ती ऐक्सप्रैस टू’ नाम दिया गया है. इस की वजह यह है कि ये लड़कियां मानती हैं कि उन की लाइफ एक ऐक्सप्रैस टे्रन की तरह है, जिस में कई लोग चढ़ते, उतरते हैं और इस जर्नी में काफी लोगों का साथ भी रहता है. यह नाटक केवल आईओपनर ही नहीं था, बल्कि कई लोगों की निजी जिंदगी से जुड़े उन के भाव भी प्रकट कर रहा था, जैसे कि कई बार महिलाएं सामने आ कर कहती हैं कि उन के साथ भी सैक्सुअल हेरेसमैंट हुआ है, जिसे वे आज तक बता नहीं पाई हैं और अब ये छोटी लड़कियां खुल कर स्टेज पर इसे बता रही हैं. इस तरह की बातें सभी के लिए प्रेरणादायक रहीं.’’
थेरैपी द्वारा मानसिक उपचार
कम उम्र में जब सैक्सुअल हेरेसमैंट होता है, तो बच्चा उसे अपनी गलती मान, अकेले रहने की कोशिश करता है. कई बार तो मां और घर वाले भी उसे चुप रहने की सलाह देते हैं, जबकि गलती उस की नहीं, शोषण करने वाले की होती है. यहां बच्चों को थेरैपी द्वारा उन की खोई हुई मानसिक शक्ति को फिर से वापस लाया जाता है.
क्रांति की सब से पुरानी और 10 वर्षों से क्रांतिकारी रही श्वेता कट्टी के साथ भी बचपन में सैक्सुअल अब्यूज हुआ था, लेकिन क्रांति ने उस की जिंदगी बदल दी. साल 2014 में यूएन यूथ करेज अवार्ड मिलने के साथ अमेरिका जा कर पढ़ने वाली वह पहली रेड लाइट एरिया की लड़की थी.
वहां रहने वाली कविता बताती है, ‘‘मैं कमाठीपुरा से यहां 18 साल की उम्र में आई थी. मैं ने 12वीं की परीक्षा दी, कमाठीपुरा में आगे पढ़ाई की कोई सुविधा नहीं है और उस उम्र में वहां रहना भी मुश्किल था. मैं वहां दादी के साथ 4 साल की उम्र से रह रही थी. उन्होंने ही मुझे पाला है. दादी की आर्थिक स्थिति काफी खराब थी. वे आगे मुझे रख नहीं पा रही थीं. मैं दादी से बहुत जुड़ी हुई थी और उन्हें छोड़ कर नहीं आना चाहती थी. मेरी हाफसिस्टर श्वेता क्रांति में सालों से रहती है, उस ने ही मुझे यहां आने की सलाह दी.
‘‘कमाठीपुरा में रहने वाली सभी लड़कियां सोचती हैं कि जल्दी से कुछ छोटीमोटी जौब कर, शादी कर यहां से निकल जाओ. मैं ऐसा नहीं चाहती थी. मैं अपने तरीके से जिंदगी जीना चाहती थी. 7 साल की उम्र में मेरे साथ भी सैक्सुअल अब्यूज हुआ है. मैं ने इस बारे में कभी किसी को नहीं बताया क्योंकि मुझे डरा कर रखा गया था.
‘‘जहां मैं रहती थी, वहां सैक्सवर्कर, डब्बे वाले और सामान्य सरकारी लोग रहते थे. वहां पास के एक अंकल मुझे अपनी गोदी में बिठा कर गलत तरीके से हर जगह छूते थे और मुझ से भी छूने के लिए कहते थे, जो मुझे अच्छा नहीं लगता था. उन्होंने कहा था कि अगर मैं इस बात को किसी से बताऊंगी तो वे मुझे जान से मार देंगे.
‘‘थोड़ी बड़ी होने के बाद मुझे सहीगलत का फर्क समझ में आया. वह दर्द और गुस्सा आज तक मेरे मन से गया नहीं है, पर क्रांति संस्था में आ कर मुझे अपनी पहचान मिली है. मैं चाहती हूं कि बचपन से ही मातापिता अपनी बच्चियों को बताएं कि गुड टच और बैड टच क्या होता है. मेरी दादी भी पहले सैक्सवर्कर ही थीं और बाद में कुछ घरों में काम किया करती थीं लेकिन मेरी मां सैक्सवर्कर नहीं थीं. मां की जब शादी हुई और मैं पैदा हुई, उसी दौरान मेरे पिता को एचआईवी होने से उन की मृत्यु हो गई. पिता के परिवार वालों ने 23 साल की उम्र में मां को ही पिता की मृत्यु का दोषी ठहराया. तब मेरी दादी ने मुझे अपने पास रख लिया और पढ़ाया. मां को उन के मायके भेज दिया गया.
‘‘मुझे याद है, दादी वेश्यालय की हैड थीं और वहां जा कर वेश्याओं की बच्चियों को संभाला करती थीं. मैं भी वहीं दादी के साथ रहती थी. मुझे याद आता है जब मैं बचपन में वहां की लड़कियों को शाम को पेटी निकाल कर, गजरा लगा कर सजते हुए देखती थी, तब बड़ा अच्छा लगता था. बाद में दादी भी वहां से हट गईं और कमाठीपुरा में दूसरी जगह रहने लगीं. मैं अभी भी यह सोचने पर मजबूर होती हूं कि मैं और मेरी दादी यहीं क्यों रहीं, कहीं और क्यों नहीं चली गईं. कभी दादी से पूछा भी तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.
‘‘यह भी सही था कि किसी सैक्सवर्कर को आम लोगों के साथ रहने का अधिकार नहीं होता. इस के अलावा कभी किसी सैक्सवर्कर ने मुझे उस फील्ड में नहीं धकेला. वे चाहती थीं कि मैं कोई अच्छा काम कर घर बसा लूं क्योंकि उन्हें जीने की जो आजादी नहीं मिली वह मुझे मिले. बड़ी होने पर मैं ने कई बार एनजीओ के साथ काम किया, पर मैं आगे नहीं बढ़ पा रही थी.
‘‘12 साल बाद मैं मां से मिलने कर्नाटक गई थी. दादी से मिलने भी मैं वहीं जाती हूं. मैं अब गायिका बनना चाहती हूं. मैं पढ़ना पसंद नहीं करती. मैं एक अलग संस्था मेटा क्रांति से जुड़ कर कमाठीपुरा की लड़कियों को पढ़ाना चाहती हूं, ताकि वे आगे बढ़ें.’’
सैक्स : एक जरूरत
कविता आगे कहती है, ‘‘भारत में सैक्स को एक टैबू बना कर रखा गया है, जबकि यहां जनसंख्या बहुत अधिक है और सैक्सुअल अपराध भी अधिक होते हैं. दरअसल, सैक्स शरीर की एक जरूरत है, इस पर खुल कर बातचीत होनी चाहिए.’’
यहां रहने वाली 17 वर्षीया रानी 5 वर्ष पहले क्रांति में आई थी. उस की मां कर्नाटक में देवदासी थी. पिता की मृत्यु के बाद उस के सौतेले पिता ने उस की मां को पहले पुणे, फिर मुंबई के कमाठीपुरा में ला कर डाल दिया. वह कहती है, ‘‘मेरे पिता रोज मुझे मारते थे. वहां मैं नरक जैसे हालात में जी रही थी. मैं ने अपनी इच्छा से क्रांति को चुना है. पुलिस वाले भी हमें वहां से छुड़ाने आते थे, लेकिन सब दिखावा होता था. वे वहां की महिलाओं से पैसा वसूल कर निकल जाते थे.
‘‘मेरी मां आज भी जो कमाती हैं, उस में से कुछ हिस्सा पुलिस वालों को देना पड़ता है. हर व्यक्ति से वे लोग कम से कम 2,000 रुपए ऐंठते हैं. मेरे साथ भी 7 साल की उम्र में मेरे कजिन ने यौनशोषण किया और इस बारे में घर वालों को बता कर भी कुछ लाभ नहीं हुआ. मुझे तो एक बार ऐसा लगने लगा था कि मैं ही गलत हूं. अपनेआप से घृणा होने लगी थी, लेकिन क्रांति की बानी से मिल कर मैं यहां पहुंची और डांस थेरैपी से ठीक हुई.’’
अपनी पहचान को बनाए रखने और अपनेआप को समझने में क्रांति संस्था बहुत बड़ा काम कर रही है. वित्तीय सहायता के बारे में पूछे जाने पर बानी कहती हैं, ‘‘हमें वित्तीय सहायता बहुत कम मिलती है.
3 महीने में एक छोटी ग्रांट ग्लोबल की तरफ से वुमन राइट्स और वुमन शिक्षा के लिए मिलती है. कुछ लोग तो सीधे स्कूलकालेज में पढ़ने वाले बच्चों की फंडिंग करते रहते हैं. इस के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है. लोगों को बताना पड़ता है कि वे कैसे क्या कर रही हैं.
‘‘सरकार की तरफ से यह संस्था फंडिंग नहीं चाहती, क्योंकि इस से सरकार की दखलंदाजी अधिक हो जाती है. सरकार काम से अधिक पाबंदी लगाती है और सही काम नहीं करने देती. केवल 20 रुपए एक लड़की के खाने के लिए देती है, बाकी पैसे की व्यवस्था खुद करनी पड़ती है. इतना ही नहीं, अगर कभी रेड लाइट एरिया में रेड हुई, तो पकड़ी गई सारी लड़कियों को मेरे यहां बिना पूछे डाल देगी, जिन्हें 3 सप्ताह तक यहां रखना पड़ता है, जिस से यहां का माहौल बिगड़ता है. कहीं जानेआने के लिए सरकार की अनुमति लेनी पड़ती है.
बानी कहती हैं, ‘‘क्रांति इन लड़कियों का घर है और इस में बच्चों को मैं पूरी आजादी देना चाहती हूं. मेरी एक बेटी है. मैं अपनी बेटी की तरह सारी लड़कियों को देखती हूं. मेरे यहां की 20 क्रांतिकारी लड़कियां ही आगे और 20 को सुधार सकती हैं, यही मेरा लक्ष्य है. हम गुणवत्ता को अधिक महत्त्व देते हैं.’’
अलग कहानी अलग वेदना
यहां रहने वाली हर लड़की की अपनी कहानी और मनोवेदना है, जो हृदय विदारक है. आंखों में आंसू लिए 18 वर्ष की अस्मिता बताती है, ‘‘बचपन में मेरा यौनशोषण हुआ. हमारे जानने वाले, जो हमारी देखभाल करते थे, मां के काम पर जाने के बाद मेरे साथ गंदी हरकतें करते थे. मैं ने इस बारे में अपनी बड़ी बहन और मां को बताया था लेकिन उन्होंने चुप रहने की सलाह दी. मेरी मां एक कंपनी में काम करती थीं. मेरा वहां से निकलना बहुत मुश्किल था. मैं 2 साल पहले 16 साल की उम्र में क्रांति में आई हूं. जो माहौल मुझे वहां नहीं मिला, वह यहां मिला है. यहां मुझे सबकुछ करने की आजादी है. क्रांति में मैं ने अपनेआप को पाया है.’’
यहां यौनशोषण से ग्रसित लड़कियों को एक थेरैपी दी जाती है, जिस से वे फिर से अपने अस्तित्व को पा सकें. अस्मिता की जिंदगी में काफी बदलाव आ गया है. पहले उस के अंदर जो डर था, अब नहीं है, उसे पहचान मिली है. वह मैंटली चैलेंज्ड बच्चों के साथ काम करना चाहती है.
अस्मिता कहती है, ‘‘मेरे हिसाब से पूरे विश्व में यौनशोषण का सामना बहुत सारी लड़कियों को करना पड़ता है. उन से मेरा कहना है कि रेप या यौनशोषण के लिए अपनेआप को दोषी समझ कर कभी आत्महत्या न करें. ऐसा मानसिक विकृति वाले लोग ही करते हैं. आप इस से निकल कर नई जिंदगी शुरू करें.’’
अस्मिता की तरह 20 साल की पिंकी की जिंदगी भी बहुत भयावह थी. 9 साल की उम्र में उस की शादी करा दी गई थी. उस के चाचा और पति ने बारबार उसे मानसिक व शारीरिक रूप से अब्यूज किया. परिणामस्वरूप, 10 साल की कच्ची उम्र में उसे ऐबौर्शन कराना पड़ा. आज यहां पर उसे सुकून की जिंदगी मिली है.
रहने का आसरा
क्रांति में आने के लिए लड़कियों के और उन की मांओं के लगातार फोन आते रहते हैं, पर संस्था के पास जगह की कमी है. बानी और रोबिन कमाठीपुरा की और लड़कियों को भी शरण देना चाहती हैं. इस के लिए उन्हें खुद का घर बनाने की इच्छा है, क्योंकि अभी 20 लड़कियों के लिए उन्होंने 5 मकान बदले हैं और किराए के मकान में केवल 20 ही लड़कियों को रखने की परमिशन मिलती है. इतना ही नहीं, अधिकतर लोग इन्हें घर देने से भी मना कर देते हैं.
रोबिन कहती हैं, ‘‘ये लड़कियां सैक्सवर्कर्स की बेटियां हो सकती हैं, पर इन की सोच आम लड़कियों से अलग और अच्छी है. मेरी पूरी जिंदगी इन्हें हौसला और अच्छी जिंदगी देने में ही बीतेगी, यही मेरा मकसद है.’’
आज 3 क्रांतिकारियों ने पढ़ाई पूरी कर ‘मेटा क्रांति’ नामक संस्था बनाने की सोच बनाई है. इन लड़कियों का उद्देश्य है सैक्सवर्कर्स की लड़कियों को शिक्षा दे कर उन्हें आगे बढ़ाने में मदद करना. इन में कोई ड्रम, तो कोई संगीत या पेंटिंग में माहिर हैं. इन लड़कियों की कोशिश रहेगी कि उन के इस हुनर के जरिए कमाठीपुरा से आने वाली सभी लड़कियों के मनोबल को आर्ट थेरैपी द्वारा ऊंचा उठाया जाए ताकि वे मानसिक तनाव से अपनेआप को मुक्त कर सकें.
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हर साल नई फाइनेंशियल प्लानिंग जरूरी है. लेकिन, उससे ज्यादा जरूरी है कि पहले से ही इसकी तैयारी की जाए. सुरक्षित निवेश के लिए ये जानना जरूरी है कि कौन सी स्कीम या फंड्स ऐसे हैं जहां निवेश किया जा सकता है. निवेश से लिए सिर्फ पैसा होना जरूरी नहीं, बल्कि बेहतर विकल्प की समझ जरूरी है.
ऐसे में आपके लिए यह जरूरी है कि अपनी कमाई ऐसी जगह निवेश करें, जहां दूसरे विकल्प की तुलना में आपको ज्यादा इनकम हो और आपके पैसे भी सुरक्षित भी रहें. साथ ही निवेश विकल्प का चयन करते समय उसपर लगने वाले टैक्स का भी ध्यान रखें. हम आज आपको ऐसी ही कुछ विकल्प बताएंगे, जहां आपका पैसा दूसरी स्कीमों से ज्यादा सुरक्षित रहेगा. साथ ही, उस पर बेहतर रिटर्न भी मिलेगा.
किन 5 जगहों पर लगाएं पैसे
पीपीएफ
साल 2018 में पीपीएफ अकाउंट में पैसे डालना बेहतर औप्शन है. पीपीएफ का सबसे बड़ा फायदा है कि इसमें जमा की गई रकम पर मिलने वाला ब्याज टैक्स फ्री होता है. इतना ही नहीं ब्याज और मैच्योरिटी पर मिलने वाली रकम टैक्स फ्री होती है. पीपीएफ पर फिलहाल सालाना 7.6 फीसदी रिटर्न मिलता है. हर तीन माह पर पीपीएफ की ब्याज दर की समीक्षा होती है. अकाउंट में न्यूनतम निवेश 500 रुपए सालाना और अधिकतम 150000 रुपए सालाना है.
सुकन्या समृद्धि योजना
सुकन्या समृद्धि योजना एक सरकारी योजना है. इसमें निवेश किया गया पैसा बिल्कुल सुरक्षित है. 10 साल से कम उम्र की बेटी के नाम पर बैंक या पोस्ट औफिस में इसका खाता खुलवाया जा सकता है. योजना में निवेश अवधि 14 साल तक है. बेटी के 21 साल होने पर मेच्योर हो जाएगा. अकाउंट में निवेश किए गए पैसों पर इनकम टैक्स की धारा 80C के तहत छूट भी मिलेगी. योजना में 8.1 फीसदी ब्याज मिलता है. ब्याज की गणना कंपाउंड आधार पर की होती है, जिससे रिटर्न थोड़ा ज्यादा मिलता है. हर साल मिनिमम 1000 रुपए और अधिकतम 1.5 लाख रुपए निवेश किया जा सकता है.
लिक्विड फंड
नए साल में निवेश के लिए लिक्विड फंड बेहतर औप्शन है. इस फंड में सेविंग्स अकाउंट पर मिलने वाले ब्याज के मुकाबले ज्यादा रिटर्न मिलता है. साथ ही, इससे पैसा आसानी से निकाला जा सकता है. पिछले एक साल में ज्यादातर लिक्विड फंड योजनाओं ने 9 फीसदी से ज्यादा रिटर्न दिया है, जो एफडी पर मिल रहे मौजूदा रिटर्न से भी ज्यादा है. लिक्विड फंड एक तरह के म्युचुअल फंड हैं, जिनमें जोखिम कम होता है. इनकी कोई लौक-इन अवधि नहीं होती. मतलब आप निवेश करने के दूसरे दिन भी पैसे निकाल सकते हैं. जब चाहें एक्स्ट्रा पैसे जमा कराएं या निकालें. यह योजना बैंक या पोस्ट औफिस की आरडी की तरह काम करेगी.
पोस्ट औफिस
बैंक तो डिपौजिट रेट घटाने में लगे हुए हैं, लेकिन फिलहाल डाकघर की बचत योजनाओं की ब्याज दरों में कमी नहीं की गई है. इनवेस्टर्स को बैंक डिपॉजिट पर अभी मैक्सिमम 6 से 7 फीसदी के बीच ब्याज मिल रहा है. जबकि, डाकघर की जमा योजनाओं पर 7.9 फीसदी ब्याज मिल रहा है. इस लिहाज से आपकी रकम इस स्कीम में 9 साल में दोगुनी हो जाएगी.
सरकारी बौन्ड्स
सरकारी बौन्ड्स में पैसा लगाना आपके लिए बैंक से बेहतर विकल्प हो सकता है. जहां बैंकों में अधिकतम 7 फीसदी तक ब्याज मिल रहा है, वहीं, सरकारी बौन्ड्स पर अभी 7.8 फीसदी ब्याज दर है. इस लिहाज से आपकी रकम भी बैंक की तुलना में यां जल्दी डबल हो जाएगी.
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बौलीवुड एक्ट्रेस सनी लियोनी ने फिर से दो बच्चों को गोद लिया है. इनका नाम अशर सिंह वेबर और नोहा सिंह वेबर रखा गया है. सनी के पति डेनियल ने सोमवार को इन दोनों की तस्वीरें ट्विटर पर शेयर की है. सनी द्वारा शेयर की गई इस तस्वीर में उनकी गोद ली हुई बेटी निशा कौर वेबर भी नजर आ रही हैं. सनी ने अपनी पोस्ट में लिखा है कि इतना खूबसूरत और बड़ा परिवार पाकर मैं और मेरे पति डेनियल बेहद खुश हैं.
पहले भी एक बच्ची को लिया है गोद
बता दें, इससे पहले सनी लियोनी और डेनियल ने कुछ वक्त पहले ही एक बच्ची को गोद लिया है. इस बच्ची का नाम उन्होंने निशा वेबर रखा है. हाल ही में एक इंटरव्यू में सनी ने बताया था कि निशा के घर आने के बाद उनके घर की रौनक लौट आई है. उन्होंने कहा था, हम दोनों पति-पत्नी में सुबह होते ही धक्का-मुक्की होने लगती है की कौन सुबह सबसे पहले उसके कमरे में जाकर उसे गुड मार्निंग विश करेगा.
सनी ने बताया, बेटी को गोद लेने के बाद से वह बेहद खुश थीं. हाल ही में सनी लियोनी ने कहा कि अभिनेता राम कपूर काफी मजाकिया स्वभाव के हैं और खूब हंसाते हैं. सनी ने डिस्कवरी जीत के सीरियल ‘कौमेडी हाई स्कूल’ के दो एपिसोड लिए राम कपूर के साथ शूटिंग की. सनी ने एक बयान में कहा कि राम कपूर से मैं काफी दिनों बाद मिली.
राम कपूर के साथ की शूटिंग
सनी ने कहा कि राम कपूर काफी मजाकिया स्वभाव के हैं और खूब हंसाते हैं. राम कपूर ने भी कहा कि उन्हें भी सनी लियोनी के साथ शूटिंग में काफी मजा आया. ‘कौमेडी हाई स्कूल’ में गोपाल दत्त, पारितोष त्रिपाठी, कृष्णा भट्ट, जसमीत भाटिया और दीपक दत्ता भी नजर आएं. सनी लियोनी की भूमिका वाला एपिसोड शनिवार को प्रसारित किया गया था.
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आप घर पर हों या बाहर घूमने जा रही हों, सही तरीके से ड्रेसअप होना बेहद जरूरी है. यात्रा पर निकलने से पहले सुनिश्चित कर लें कि आप जहां जा रही हैं, उसी जगह के मुताबिक अपने आउटफिट्स का चयन करें.
पहाड़ों के लिये
इस बार गर्मियों की छुट्टी में किसी पहाड़ी इलाके में जाने की योजना बना रही हैं तो कपड़े भी वहां के मौसम के अनुसार चुनें. इन जगहों पर ऊबड़-खाबड़ रास्तों और बदलते मौसम का सामना करना पड़ सकता है. इसके लिए पहले से तैयार रहें.
बहुत ढीले-ढाले या हलके कपड़े यहां के मौसम और रास्तों के अनुकूल नहीं होंगे. अपने साथ ढेर सारे भारी-भरकम कोट्स या स्वेटर रखने के बजाय कुछ ऐसे गर्म कपड़े रखें, जो देखने में हलके लगें लेकिन आपको गर्म रखें. अलग-अलग रंगों के बजाय ब्लैक, ब्राउन, ग्रे जैसे कौमन कलर्स साथ रखें ताकि उन्हें अन्य कपड़ों के साथ मैच करके पहन सकें. पैंट्स और जींस के साथ शौल भी रख सकती हैं. पहाड़ी इलाकों में चलना ज्यादा पड़ता है, इसलिए स्नीकर्स और फ्लैट्स ही लेकर जाएं. ये पैरों को आराम देंगे.
गर्म जगहों के लिए
यदि किसी गर्म जगह पर जा रही हैं तो कौटन फैब्रिक बेहतर आइडिया है. ऐसी जगहों पर टैनिंग का खतरा रहता है इसलिए हाफ की जगह फुल स्लीव्स के आरामदायक और ढीले कपड़ों का चुनाव करें. लाइट रंग के कपड़े शरीर को ज्यादा राहत दिलाएंगे, आरामदायक होगी.
लौन्ग स्कर्ट्स भी पहनी जा सकती हैं, ताकि पैरों को धूप और टैनिंग से बचाया जा सके. यात्रा के दौरान फुटवेयर्स का चुनाव सावधानी से करें. हाई हील्स बिल्कुल न ले जाएं. अच्छे ब्रैंड के सनग्लासेज और कैप साथ में जरूर रखें.
अगर बीच पर जाने की तैयारी
अगर किसी आईलैंड पर जाने की तैयारी कर रही हैं तो साथ में शौर्ट्स, गाउन, फ्लोइंग फैब्रिक की ड्रेसेज के साथ अच्छे स्विमवेयर्स भी रखें. स्विमिंग का मन हो तो अच्छी क्वालिटी के स्विमसूट का एक पेयर जरूर रखें. फ्लिप-फ्लौप, सनग्लासेज और अंब्रैला भी साथ में रखें. दरअसल बीच एरिया में तेज धूप से त्वचा टैन हो सकती है. इसके लिए अच्छा एसपीएफ लोशन अपने साथ जरूर ले जाएं. हैट्स जरूरी हैं. यहां हलके फ्लोरल आउटफिट्स कूल एहसास कराएंगे.
रखें खयाल
सनग्लासेज सिर्फ धूप से ही सुरक्षा नहीं करते बल्कि बर्फ गिरने के दौरान आंखों को सुरक्षित भी रखते हैं. यात्रा के दौरान भारी भरकम और महंगी ज्यूलरी न ले जाएं. कानों में सिंपल स्टड्स पहनें, स्काव्र्स का एक पेयर जरूर रखें.
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हर महिला की चाहत होती है खूबसूरत, घने और लम्बे बाल पाने की. घने और सिल्की बाल आपकी खूबसूरती में चार चांद लगाने का काम करते हैं, पर बदलते मौसम के साथ अक्सर ही हमें बालों से संबंधित कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. बालों में रूसी की शिकायत, कम उम्र में ही बालों का सफेद होना और उनका झड़ना ये आम समस्याएं कई बार हमारी परेशानी की बड़ी वजह होती है. कई तरह के महंगे उत्पादों का इस्तेमाल करने के बाद भी हमें इससे पूरी तरह से छुटकारा नहीं मिलता.
अगर आप भी इस तरह की समस्याओं से परेशान हैं और बालों को खूबसूरत बनाने वाले महंगे शैम्पू को इस्तेमाल करके थक चुकी हैं तो ये खबर शायद आपके लिए ही है. क्या आप जानती हैं कि अमरूद की पत्तियों से बना पाउडर सफेद बालों को प्राकृतिक तरीके से काला करने के साथ-साथ झड़ते बालों को भी रोकता हैं. जी हां, ये बिल्कुल सच है, तो अब सारे चोचले छोड़ अमरूद के पत्ते इस्तेमाल करना शुरू कर दीजिए. इन पत्तियों से बना हेयर पैक न सिर्फ आपके बालों को झड़ने से रोकेगा बल्कि सफेद हो चुके बालों को भी दोबारा से काला बनाएगा.
आइये जानते हैं इसके फायदे और हेयर पैक बनाने के तरिके-
रूसी दूर करने के लिए
अमरूद की पत्तियों के साथ नींबू का रस मिलाकर लगाने से रूसी दूर होती है. इसके लिए 15 से 20 अमरूद की पत्तियों को पीस कर पाउडर बना लें. इस पाउडर में 2 से 3 बूंदे नींबू का रस मिला लें. इस पेस्ट को 20 मिनट के लिए सिर पर लगा छोड़ दें. फिर पानी से अच्छी तरह धो डालें. ऐसा करने से आपकी रूसी की समस्या दूर हो जाएगी.
असमय सफेद बालों के लिए
अमरूद की पत्तियों को कड़ी पत्तियों के साथ उपयोग करने से असमय सफेद बालों से छुटकारा मिलता है. इसके लिए 4-5 अमरूद की पत्तियों में मुठ्ठीभर कडी पत्तियां मिक्स कर के उबाल लें. 15 मिनट बाद इस पानी को ठंडा होने के लिये रख दें. ठंडा होने के बाद इस पानी से अपना सिर धो लें. इसके बाद 5 मिनट के बाद अपने बालों को किसी अच्छे शैंपू से धो लें. हफ्तेभर में आपके सफेद बाल काले हो जाएंगे.
बालों का झड़ना
झड़ते बालों को रोकने के लिए अमरूद की पत्तियों के साथ आंवले के तेल का उपयोग करें. इसके लिए सबसे पहले 1 चम्मच अमरूद की पत्तियों के पाउडर में 2 चम्मच आंवले का तेल मिक्स कर लें. इस तेल से हल्के हाथ से सिर पर मसाज करने के बाद 30 मिनट तक ऐसे ही लगा छोड़ दें. बाद में बालों को शैंपू से धोकर कंडीशनर लगा लें.
इस तरह से आप अमरूद की पत्तियों का हेयर पैक बनाकर इस्तेमाल कर सकती हैं और बालों में होने वाली तमाम समस्याओं से राहत पा सकती हैं.
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आप चुस्तदुरुस्त रहना चाहती हैं, तो कुछ गुरों को अपनाना होगा. अपना वजन घटाने के लिए आप व्यायाम करना शुरू कर देती हैं और डाइट को भी कंट्रोल कर लेती हैं. शुरुआत तो बहुत जोशखरोश से होती है, लेकिन कुछ समय बाद यह जोश घटने लगता है और आप फास्टफूड खाना शुरू कर देती हैं. फिर धीरेधीरे उसी पुराने ढर्रे पर आ जाती हैं, ऐसा आप ही नहीं वरन हर महिला करती है.
फिट रहने के लिए करें लक्ष्य तय: आप को सब से पहले लक्ष्य तय करना होगा कि किस तरह फिटनैस चाहती हैं. इस के लिए आप बड़े नहीं छोटे लक्ष्य तय करें. फिटनैस दिवा शिल्पा शेट्टी के अनुसार फिट रहने के लिए स्मार्ट लक्ष्य तय करें. स्मार्ट लक्ष्य से तात्पर्य ऐसे व्यायाम, जिन्हें आसानी से किया जा सके और परिणाम भी जल्दी सामने आएं. लंबी दौड़ शुरू करने के शुरू के कुछ महीने कुछ ही मील दौड़ें जो कि 15-20 मिनट में पूरे किए जा सकें.
प्लान कर के तैयार करें भोजन: काम की जल्दबाजी हो या और कोई जरूरी कार्यक्रम, खाना टाल दिया जाए या न खाना जाए या फिर जो मिला खा लिया, यह लापरवाही सही नहीं. प्लान कर के पूरे हफ्ते के लिए पोषक तत्वों से भरपूर भोजन बनाएं. थोड़ा समय निकाल कर पोषक तत्वों से भरपूर भोजन गरम कर के ग्रहण करें. यदि घर से बाहर जा रही हैं, तो अपना खाना व पानी साथ ले जाएं.
अच्छा साथ ढूंढ़ें: फिट रहने के लिए एक अच्छे साथी का साथ बना लें. इस से आप के अंदर उत्साह रहेगा, दोनों एकदूसरे को प्रेरित करेंगे और रोज की दिनचर्या में ढील नहीं होगी. संभव हो तो किसी व्यायाम सिखाने वाले इंस्ट्रक्टर की सलाह लें.
मन को काबू में रखें: मान लीजिए बर्गर, पिज्जा, चाट आप की कमजोरी हैं और आप इन्हें देख कर खुद को काबू नहीं कर पातीं, तो अपना रास्ता बदल दीजिए. मन ललचाए, रहा न जाए वाली फीलिंग पर कंट्रोल आप के अपने हाथ में है.
व्यायाम का आनंद लें: सिर्फ कैलोरी जलानी है, यह सोच रखते हुए व्यायाम न करें. आप जिस भी कार्य को करने में आनंद महसूस करते हैं जैसे घर की सफाई, बागबानी, नृत्य आदि पूरे मनोयोग से करें. ऐंजौय करते हुए बैडमिंटन, रस्सी कूदना, टैनिस खेलना आदि फिटनैस मैंटेन करने के आसान तरीके हैं.
अपनेआप को बदलें: अगर रोजमर्रा की जिंदगी से बोर हो रही हैं तो कुछ नया करें, जिस से आप को खुशी महसूस हो. जब दिल ऊबने लगे तो कुछ नया करें चाहे कुकिंग हो, डांसिंग हो या और कुछ भी हलकाफुलका जिस में आप ऐंजौय करें.
व्यस्त रहें स्वस्थ रहें: पतला होना है, यह सोच कर अपनेआप पर जुल्म न करें. न खाना या फिर रूखासूखा खाना सही नहीं. मन पर काबू करते हुए हलकाफुलका व पौष्टिक खाएं. खूब पानी पीएं. खाली पेट न रहें और नियमित व्यायाम करें. सच मानिए आप को देख कर आईना भी शरमा जाएगा.