हीरोइन नहीं हीरो बनना चाहती हूं : सोनारिका भदौरिया

साउथ की फिल्मों से अपना ऐक्टिंग कैरियर शुरू करने वाली सोनारिका भदौरिया ने माइथालौजिकल कैरेक्टर से ले कर ग्लैमरस व नौनग्लैमरस सभी तरह के किरदार बड़े ही संजीदा तरीके से निभाए हैं. इस समय वे सोनी चैनल पर प्रसारित हो रहे ऐतिहासिक शो ‘पृथ्वी वल्लभ’ में मृणाल की भूमिका निभा रही हैं.

रीयल लाइफ में कैसी हैं?

मैं जिस तरह के किरदार निभाती हूं उस के बहुत करीब रहती हूं, क्योंकि मैं जैसा सोचती हूं वैसा ही करती हूं. मैं ने कई फिल्मों में ग्लैमरस रोल किए हैं, लेकिन बहनजी टाइप सीधीसादी लड़की कभी नहीं बनी हूं. मानती हूं कि मैं बड़ी हौट हूं तभी तो साउथ से सीधे इस इंडस्ट्री में पहुंची.

किस तरह के किरदार पसंद हैं?

शुरू से ही मेरी कोशिश रही है कि मैं ऐसे किरदार निभाऊं जिन में महिला केंद्र में रहे. मैं ने महिलाओं को हमेशा कमजोर, कमतर देखा है, इसलिए एक बदले वाली सोच बचपन से रही है ताकि महिलाएं अपनेआप को कमजोर न महसूस करें. वे पुरुषों से बराबरी से कदम से कदम मिला कर चलें. मैं हमेशा ऐसा किरदार निभाना चाहती थी जो खूबसूरत होने के साथसाथ बुद्धिमान और बहादुर भी हो. जब शो ‘पृथ्वी वल्लभ’ के निर्माता सिद्धार्थ पाठक ने इस की कहानी सुनाई तो मैं ने तुरंत हां कर दी.

तो क्या पुरुषों को पसंद नहीं करतीं?

नहीं, ऐसा नहीं है कि मैं पुरुषों से नफरत करती हूं, लेकिन औरत को कभी कमजोर नहीं देखना चाहती. जब मैं छोटी थी, तो पापा मुझे बच्चा खान बोलते थे. उस समय पापा ने मेरे लिए लकड़ी के छोटेछोटे डंबल बनवा दिए थे. जब पापा वर्कआउट करते तो मैं भी उन के पीछे छोटेछोटे हाथों से डंबल उठाती. बचपन से ही रैंबो, रौकी मेरे सुपरहीरो रहे हैं. जब मैं इन्हें देखती तो हमेशा सोचती कि सभी सुपरहीरो मेल ही क्यों होते हैं, फीमेल क्यों नहीं. मैं हमेशा सोचती थी कि कुछ ऐसा करूं ताकि सब की धुनाई कर सकूं क्योंकि मैं बचपन से ही हीरोइन नहीं, हीरो की तरह बनना चाहती थी.

हीरो जैसा बनने के लिए कितनी मेहनत की?

इस शो में मैं योद्धा बनी हूं. इस रोल को निभाने के लिए मैं ने घुड़सवारी सीखी, तलवारबाजी और फाइटिंग सीखी. इन सब में कठिनाइयां तो बहुत आईं, लेकिन हीरो बनने की इच्छाशक्ति से सभीकुछ सीख लिया. जब मैं पहली बार घोड़े पर बैठी और ट्रेनर ने लगाम मेरे हाथ में दी, तब का अनुभव यादगार है.

कैसे फिट रखती हैं अपनेआप को?

मैं ने साउथ की कई फिल्में की हैं वहां हीरोइनों को ज्यादा स्लिमट्रिम नहीं दिखाया जाता. जब मुझे इस शो के लिए कास्ट किया गया तब मैं थोड़ी मोटी थी. शो के निर्माता ने मुझे वजन कम करने को कहा. उस दिन के बाद जब 2 महीने बाद मैं शूटिंग पर आई तो सब मुझे देख कर हैरान थे, क्योंकि उस समय मेरे ऐब्स भी डेवलप हो गए थे. 2 महीने मैं ने डाइट पर खासा ध्यान दिया, जम कर जिम में पसीना बहाया और एकदम नए अवतार में आ गई थी. लेकिन मेरा ऐब्स वाला लुक इस शो की हीरोइन के लिए फिट नहीं था, इसलिए दोबारा मुझे हाई कैलोरी वाली डाइट लेनी पड़ी. आज भी शूटिंग के बाद जब भी समय मिलता है, मैं ऐक्सरसाइज करना नहीं भूलती. मैं स्ट्रैस कभी नहीं लेती हमेशा खुश रहने की कोशिश करती हूं.

प्यार में कितना यकीन रखती हैं?

रोमांस के मामले में अभी तक सिर्फ फिल्मों तक ही सीमित हूं. पर्सनल ऐक्सपीरियंस इतना नहीं है कि मैं सब के साथ शेयर कर सकूं. हां, मैं अपनी फैमली, खासकर पापा के बहुत करीब हूं और बापबेटी के प्यार को मैं बड़े अच्छे से डिफाइन कर सकती हूं.

सोशल मीडिया पर किसी को ट्रोल करना सही मानती हैं?

पिछले शो में मैं ने एक माइथालौजिकल किरदार निभाया था. दर्शकों का भावनात्मक रूप में जुड़ना मैं सही मानती हूं, लेकिन यह जुड़ाव तब तक होना चाहिए जब तक मैं शो कर रही हूं. शो के बाद मेरी निजी जिंदगी है. जब मैं ने अपनी बिकनी वाली तसवीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट कीं तो लोगों ने बहुत
बुरे कमेंट दिए जिन्हें मैं सही नहीं मानती. किसी की भी निजी जिंदगी में घुसपैठ नहीं होनी चाहिए.

सनकी फैन का वल्गर मैसेज

‘महादेव’ सीरियल देखने के बाद स्वप्निल शो में पार्वती का किरदार निभाने वाली सोनारिका भदौरिया से मन ही मन प्यार करने लगा और किसी तरह ऐक्ट्रैस का मोबाइल नंबर हासिल कर लिया. उस के बाद शुरू हुआ अश्लील मैसेज और वीडियो का सिलसिला. सोनारिका के मुताबिक, स्वप्निल उसे मैसेज में लिखता था, ॑मैं तुम्हारे बिना जिंदा नहीं रहूंगा, तुम मुझ से शादी नहीं करोगी तो मैं मर जाऊंगा.’ इस सिरफिरे आशिक से तंग आ कर सोनारिका ने उस के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज कराया था. तब जा कर उस शख्स को पुलिस ने महाराष्ट्र के गढ़चिरौली से गिरफ्तार किया.

बिकिनी पर बरपा हंगामा

सोनारिका भदौरिया ने छोटे परदे पर पार्वती का किरदार अदा किया था. हाल ही में उन्होंने इंस्टाग्राम पर बिकिनी वाले कुछ फोटो पोस्ट किए. शायद वे अपनी इमेज को बदलना चाहती हैं. बिकिनी पहनी हुई तसवीर देख कुछ लोग भड़क गए. उन्होंने कमैंट्स के रूप में गालियां देनी शुरू कीं. भद्दी बातें लिखीं. इस से सोनारिका आहत हुईं. सोनारिका ने यह तसवीरें अपने अकाउंट से हटा लीं. सोनारिका का कहना है कि वे इस तरह के नकारात्मक कमैंट्स की आदी नहीं है, लिहाजा वे फोटो हटा रही हैं.

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घर पर बनाएं जैलपीनो पौपर्स

सामग्री

– 1/2 कप पनीर कद्दूकस किया

– 1/2 कप चैडर चीज कद्दूकस किया

– 1/2 कप मोजरेला चीज कद्दूकस किया

– 10 जैलपीनो मिर्चें बीज निकाल कर बारीक कटी हुई

– 1 अंडा फेंटा हुआ

– 3/4 कप ब्रैडक्रंब्स

– तलने के लिए पर्याप्त फिगारो औलिव औयल

– नमक स्वादानुसार

– थोड़ी सी धनियापत्ती बारीक कटी

विधि

एक बाउल में पनीर, चैडर चीज, मोजरेला चीज, जैलपीनो मिर्चें और नमक मिला कर मिश्रण तैयार करें. तैयार मिश्रण की छोटी-छोटी बौल्स बना कर अंडे में डिप कर के ब्रैडक्रंब्स से कोट करें और कड़ाही में गोल्डन ब्राउन होने तक डीप फ्राई करें. धनियापत्ती से गार्निश कर पसंदीदा डिप के साथ परोसें.

-व्यंजन सहयोग:

शैफ आशीष सिंह

कौरपोरैट शैफ, कैफे देल्ही हाइट्स, दिल्ली

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ऐसे होगी आपके घर में कॉकरोच की ‘नो एंट्री’

बरसात के मौसम में घरों में सीलन बढ़ जाती है और कॉकरोचों के पनपने के लिए ये सबसे अनुकूल समय होता है. इनके सबसे अधि‍क पनपने की जगहें किचन और स्टोर रूम होती है.

बाजार में ऐसे कई उत्पाद मौजूद हैं जो ये दावा करते हैं कि उनके इस्तेमाल से कॉकरोच हमेशा के लिए खत्म हो जाएंगे लेकिन इन रासायनिक चीजों का इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए खतरा भी साबित हो सकता है. खासतौर पर तब जब आपके घर में छोटे बच्चें हो. ऐसे में बेहतर होगा कि आप घरेलू उपाय अपनाएं :

1. तेजपत्ते का इस्तेमाल

तेजपत्ते की गंध से कॉकरोच भागते हैं. घर के जिस कोने में कॉकरोच हों वहां तेजपत्ते की कुछ पत्ति‍यों को मसलकर रख दें. कॉकरोच उस जगह से भाग जाएंगे. दरअसल, तेजपत्ते को मसलने पर आपको हाथों में हल्का तेल नजर आएगा. इसी की गंध से कॉकरोच भागते हैं. समय-समय पर पत्ति‍यां बदलते रहें.

2. बेकिंग पाउडर और चीनी

एक कटोरे में बराबर मात्रा में बेकिंग पाउडर और चीनी मिलाएं और इस मिश्रण को जहां कॉकरोच की आवाजाही होती है वहां छिड़क दें. चीनी का मीठा स्वाद कॉकरोचों को आकर्षि‍त करता है और बेकिंग सोडा उन्हें मारने का काम करता है. समय-समय पर इसे बदलते रहें.

3. लौंग की गंध

तेज गंध वाली लौंग भी कॉकरोचों को भगाने के लिए एक अच्छा उपाय है. किचन की दरवाजों और स्टोर रूम की अलमारियों में लौंग की कुछ कलियों को रख दीजिए. इस उपाय से कॉकरोच भाग जाएंगे.

4. बोरेक्स

प्रभावित जगहों पर बोरेक्स पाउडर का छिड़काव कर दें. इससे कॉकरोच भाग जाते हैं लेकिन ये खतरनाक भी साबित हो सकता है. बोरेक्स पाउडर का छिड़काव करने के समय ये ध्यान रखें कि वो बच्चों की पहुंच से दूर हो.

5. केरोसिन ऑयल

केरोसिन ऑयल के इस्तेमाल से भी कॉकरोच भाग जाते हैं लेकिन इसकी बदबू से निपटने के लिए आपको तैयार रहना पड़ेगा.

कुछ अन्य टिप्स:

– पानी के निकास वाली सभी जगहों पर जाली लगी होनी चाहिए.

-फल-सब्जी के छिलकों को ज्यादा समय तक घर में न रहने दें.

-कॉकरोचों की संख्या बढ़ने से पहले ही हरकत में आ जाएं.

-स्प्रे करने के दौरान अपनी त्वचा को ढककर रखें.

फिल्म रिव्यू : अय्यारी

2010 में मुंबई के कोलाबा इलाके में सैनिकों की विधवाओं के लिए बनायी गयी 31 मंजिला इमारत ‘‘आदर्श हाउसिंग सोसायटी’’ का घोटाला सामने आया था और तब महाराष्ट्र राज्य के तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री अशोक चौहाण को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी थी. उसी चर्चित ‘आदर्श सोसायटी घोटाले’ पर आधारित नीरज पांडे की फिल्म ‘‘अय्यारी’’ महज एक सिर दर्द है. फिल्म के कुछ संवादों से यह बात उजागर होती है कि यह फिल्म महज वर्तमान सरकार के एजेंडे पर बनायी गयी है. जब भी फिल्मकार सरकारी एजेंडे पर काम करता है, तो वह फिल्म को बर्बाद ही करता है. कम से कम ‘वेडनेस डे’, ‘बेबी’, ‘स्पेशल छब्बीस’ जैसी फिल्मों के फिल्मकार से तो यह उम्मीद नहीं थी.

फिल्म की कहानी के केंद्र में भारतीय सेना के दो अफसर कर्नल अभय सिंह (मनोज बाजपेयी) और मेजर जय बख्शी (सिद्धार्थ मल्होत्रा) हैं. जय अपने वरिष्ठ अधिकारी  कर्नल अभय सिंह की काफी इज्जत करता है और उसका मानना है कि उसने उनसे बहुत कुछ सीखा है. सेना के सर्वोच्च अफसर यानी कि जनरल प्रताप मलिक (विक्रम गोखले) ने देश की सुरक्षा और देश के तमाम विरोधियों को खत्म करने के लिए सरकार से इजाजत लेकर सात सदस्यीय एक नई यूनिट का गठन करते हैं, जिसके मुखिया हैं कर्नल अभय सिंह. इसी यूनिट का हिस्सा हैं मेजर जय बख्शी और माया (पूजा चोपड़ा).

जनरल प्रताप मलिक ने इस यूनिट के लिए बीस करोड़ रूपए भी मुहैय्या किए हैं. कर्नल अभय सिंह के कहने पर मेजर जय बख्शी एक ऐसे हैकर की खोज करते हुए सोनिया गुप्ता (रकुल प्रीत सिंह) तक पहुंचते हैं, जो कि इंटरनेट और कंप्यूटर व लैपटाप को हैक कर सारी जानकारी हासिल कर सके. सोनिया से हैकिंग सीखते सीखते दोनो एक दूसरे के प्यार में बंध जाते हैं. जय बख्शी, सोनिया से उद्योगपति अभिमन्यू बनकर मिलते हैं, सब कुछ सीखने व प्यार में पड़ने के बाद अंततः सोनिया को पता चलता है कि वह आर्मीमैन हैं. तब जय उसे समझाता है कि उसे नाम बदलकर क्यों मिलना पड़ा. अब जय के हर काम में साथ देने के लिए मौजूद हैं सोनिया.

कर्नल अभय सिंह के कहने पर जय चार लोगों के फोन को सर्विलेंस पर डाल कर उनकी बातचीत सुनना शुरू करते हैं. पर ऐसा करते हुए उसे कुछ ऐसी जानकारी मिलती है कि वह चार की संख्या बढ़ाकर 22 कर देता है. जबकि अभय सिंह कायरो, इजिप्ट में किसी को पकड़ने गया हुआ है. जबकि भारत में रहते हुए जय के दिमाग में नया फितूर आता है और वह एक नयी योजना बनाता है. जिसके तहत वह मुंबई के कोलाबा में छह मंजिल की बजाय 31 मंजिला बनी इमारत के वाचमैन बाबूराव (नसिरूद्दीन शाह) को गुप्त तरीके से दिल्ली के एक लौज में ठहरा देता है. और सारी रिकौर्डिंग लेकर वह सोनिया के साथ लंदन जाने की तैयारी में है. इधर कर्नल अभय सिंह अपने काम को अंजाम देकर भारत वापस लौट रहे हैं.

तभी रिटायर्ड लेफ्टीनेंट जनरल गुंरिंदर सिंह (कुमुद मिश्रा), जनरल प्रताप मलिक से मिलते हैं. और उन पर लंदन में रह रहे पूर्व भारतीय सैनिक और वर्तमान में पूरे विश्व के मशहूर हथियार विक्रेता मुकेश कपूर (आदिल हुसेन) की कंपनी के हथियारों को चार गुना ज्यादा दामों में खरीदने के लिए दबाव डालते हैं. इसके एवज में वह सैनिकों की विधवाओं के लिए ढाई मिलियन डालर की रकम देने की पेशकश करते हैं. जब प्रताप मलिक कहते हैं कि वह नही बिकेंगे, तो गुंरिंदर सिंह धमकी देते हैं कि वह उनकी चोरी छिपे बनायी गयी यूनिट के सात सदस्यों की जानकारी ना सिर्फ पूरे देश के सामने रख देंगे, बल्कि वह यह भी साबित कर देंगे कि उन्होंने बीस करोड़ रूपए गलत तरीके से खर्च किए हैं.

वास्तव में गुरिंदर सिंह सेना का जनरल अपने पसंदीदा आर्मीमैन को बनवाना चाहते हैं. गुरिंदर सिंह के साथ एक न्यूज चैनल की मालिक काम्या भी जुड़ी हुई हैं. पता चलता है कि जय बख्शी ने दस करोड़ के एवज में गुरिंदर को सारी जानकारी देने का सौदा किया है. जनरल मलिक देश के रक्षा मंत्री से मिलकर सारी बात बताते हैं. रक्षा मंत्री कहते हैं कि इस मसले को खुद ही संभाले .

कर्नल अभय सिंह के भारत पहुंचने से पहले ही जय बख्शी तमाम रिकार्डिंग व रिकार्डस लेकर गायब हो जाता है. उधर जनरल प्रताप मलिक अपने घर पर कर्नल अभय को बुलाकर घटनाक्रम पर बात करते हैं. और उसे आदेश देते हैं कि देश की सुरक्षा पर आंच नही आनी चाहिए व देश को बेचने वाले कामयाब नहीं होने चाहिए. पर वह उसकी यूनिट को पहचानने से इंकार करने की बात भी कहते हैं. अब अभय, जय की तलाश में लग जाता है. जय एक व्हील चेअर पर बैठी औरत का रूप धर कर उसी फ्लाइट से लंदन रवाना होता है, जिसमें अभय सिंह है. अब अभय सिंह, जय बख्शी और सोनिया तीनों लंदन पहुंच जाते हैं.

लंदन में तारिक अली (अनुपम खेर) की मदद से अभय एक चाल चलकर मुकेश कपूर (आदिल हुसेन) से भी मिलता हैं. मुकेश कपूर के सामने एक प्रस्ताव रखकर जय व सोनिया को खत्म करने की बात करता है. फिर अभय सिंह, मुकेश के आदमियों से जय को बचाते हुए जय व सोनिया से मिलते हैं.

जय, अभय सिंह से कहता है कि वह गद्दार नही हैं. वह बताता है कि देश के बड़े राजनेता, नौकरशाह सहित तमाम लोग किस तरह देश को बेच रहे हैं. और वह ऐसे लोगों के खिलाफ काम कर रहा है. जय के ही कहने पर कर्नल अभय सिंह दिल्ली आकर भालेराव से मिलता है. फिर काम्या के माध्यम भालेराव द्वारा बयान की गयी ‘आदर्श घोटाले’ की कहानी को न्यूज चैनल पर प्रसारित करवाता है. हड़कंप मचता है. गुरिंदर सिंह आत्महत्या कर लेते हैं. अंत में मेजर जय बख्शी, कर्नल अभय सिंह से मिलने आते हैं.

2 घंटे 40 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘अय्यारी’’ की पटकथा में तमाम खामियों के चलते पूरी फिल्म सिरदर्द बनकर रह जाती है. फिल्म को बेवजह लंबी बनाया गया है. कहानी को सीधी सरल भाषा में बयां करने की बजाय बहुत घुमाफिरा कर बयां किया गया है. सिद्धार्थ मल्होत्रा व रकुल प्रीत की प्रेम कहानी को फ्लैश बैक में जिस तरह से दिखाया गया है, वह और अधिक बोर करती है. जबकि इसकी जरुरत ही नहीं थी. फिल्म में रोमांच कुछ है ही नहीं. निर्देशक के तौर पर नीरज पांडे अपनी प्रतिभा को खत्म कर चुके हैं. नीरज पांडे अपनी पिछली कई फिल्मों में जो कुछ नाटकीयता व जिस तरह के दृश्यों का संयोजन करते रहे हैं, उसे ही इस फिल्म में भी दोहराया है. फिल्म के शुरू होने के आधे घंटे बाद ही नीरज पांडे की फिल्म पर से पकड़़ छूट जाती है. फिल्म का गीत संगीत भी प्रभावित नहीं करता.

फिल्म का नाम अय्यारी है. इसे जायज ठहराने के लिए जबरन फिल्म में एक घटनाक्रम को फ्लैशबैक में दिखाया गया है. और कहा गया है कि कर्नल अभय सिंह अय्यारी यानी कि रूप बदलने में माहिर हैं, मगर मूल कहानी के दौरान वह कभी अपने इस रूप में नजर नहीं आते.

जय बख्शी के किरदार में सिद्धार्थ मल्होत्रा कहीं से भी नहीं जमते हैं. माया के किरदार में पूजा चोपड़ा को जाया किया गया है. सोनिया के किरदार में रकुल प्रीत सिंह महज एक ग्लैमरस गुड़िया के अलावा कुछ नजर नहीं आती. मनोज बाजपेयी, आदिल हुसैन, विक्रम गोखले, राजेश तैंलंग ने ठीक ठाक अभिनय किया है.

फिल्म को अति खूबसूरत लोकेशनों पर फिल्माया गया है. दृश्यों को नयन सुख योग्य बनाने के लिए कैमरामैन सुधीर पलसाने बधाई के पात्र हैं.

2 घंटे 40 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘अय्यारी’’ का निर्माण शीतल भाटिया, धवल गाला, जयंतीलाल गाला, करण शाह ने मोशन पिक्चर्स कैपिटल के साथ मिलकर किया है. फिल्म के लेखक व निर्देशक नीरज पांडे, संगीतकार रोचक कोहली व अंकित तिवारी, कैमरामैन सुधीर पलसाने तथा फिल्म के कलाकार हैं-मनोज बाजपेयी, सिद्धार्थ मल्होत्रा, विक्रम गोखले, पूजा चोपड़ा, रकुल प्रीत सिह, आदिल हुसैन, राजेश तैलंग व अन्य.

फिल्म रिव्यू : आपला मानूस

नयी और पुरानी पीढ़ियों के बीच उम्र का ही नहीं, बल्कि विचारों में भी बहुत ज्यादा अंतर होता है. जब ये दोनों पीढियां एक ही छत के नीचे एक साथ रहती हैं तो धीरे-धीरे उनके दिल कैसे एक दूसरे से दूर हो जाते हैं. इन बातों को “आपला मानुस” फिल्म में दिखाने का प्रयास किया गया है. यह फिल्म विवेक बेले लिखित ‘काटकोन त्रिकोण’ नाटक पर आधारित है.

फिल्म की कहानी की शुरुआत कड़कती बिजली और मूसलाधार बारिश के साथ होती है. एक ऊंची ईमारत के कंपाउंड में अचानक से जोर की एक आवाज आती है. वाचमैन छाता लेकर आवाज की दिशा में जाता है. वहां जाकर देखता है तो आबा (नाना पाटेकर) अपने घर की गैलरी से गिर कर बेहोश पड़े मिलते हैं. प्रथम दृष्टि से यह एक आत्महत्या लगती है.

आबा का बेटा राहुल (सुमित राघवन) और बहू भक्ति (इरावती हर्षे) के घर पर रहते हुए ही यह घटना घटती है. इस वजह से क्राइम ब्रांच के अधिकारी मारुती नागरगोजे (नाना पाटेकर) को राहुल और भक्ति पर शक होता है. उनका मानना होता है कि भक्ति ने पहले इन्सुलिन का एक्स्ट्रा डोज देकर आबा को मारा है, फिर गैलरी से धकेल दिया है. लेकिन थोड़ी देर बाद खुद को ही गलत ठहराते हुए उनका शक राहुल पर जाता है और उस पर आबा को धकेलने का आरोप लगाते हैं. इतना ही नहीं, सबूत के साथ सिद्ध भी करते हैं. मारुती ऐसा इसलिए कर पाते हैं, क्योंकि भक्ति और आबा के बीच कभी नहीं बनती थी. भक्ति नौकरी करती है जिसके वजह से घर पर ध्यान नहीं दे पाती है और राहुल को सारा काम करना पड़ता है, ऐसा आबा का मानना होता है. इसी बात को लेकर घर में वाद विवाद का माहौल बना रहता है. दोनों के इस झगड़े में राहुल पीसता है. इसी वजह से गुस्से में आकर राहुल ने इस काम को अंजाम दिया है. इस आरोप के साथ उसे गिरफ्तार कर लिया जाता है.

कुछ देर बाद जमानत लेकर राहुल घर आ जाता है. इतने में एक पत्र आता है, जो आबा ने आत्महत्या का प्रयास करने के पहले लिखा था और उसे देर से मिलने  का इन्तजाम किया था. पत्र में लिखा होता है कि उन्होंने अकेलेपन से तंग आकर आत्महत्या करने की कोशिश की है. इस दौरान आबा कोमा में रहते हैं. होश आने के बाद उस घटना की रात में क्या घटा था, विस्तार से बताते हैं. यह आबा के हत्या का प्रयास था, आत्महत्या की कोशिश थी या फिर महज एक दुर्घटना, इसका वो खुलासा करते हैं.

‘क्या घटता है’ के बजाय ‘क्यों घटता है?’ इस प्रश्न पर फिल्म में ज्यादा जोर दिया गया है.

आज की पीढ़ी, पिछली पीढ़ी को नहीं समझ पाती है, उन्हें समय नहीं देती है. जिसके वजह से रिश्तों में दूरियां बढ़ने लगती है. यही फिल्म के निष्कर्ष के रूप में दिखाया गया है. लेखक की ‘जनरेशन गैप’ की कल्पना को देखने समझने का नजरिया एकतरफा और भावुक है.

किसी भी महिला को यदि कोई भी उसकी नौकरी को लेकर ताने मारता है, तो उससे समझदारी की अपेक्षा नहीं की जा सकती है. पुरानी पीढ़ी के लिए उनका संस्कार भूलना कठिन होता है, ये समझा जा सकता है. लेकिन हर व्यक्ति की सहनशीलता का एक अंत होता है. इसलिए यहां नयी पीढ़ी की भावनाएं भी समझने की जरूरत है.

पुराने और नए पीढ़ी के बीच सम्बन्ध पर टिप्पणी करने के लिए बीच का रास्ता अपनाने की आवश्यकता थी. लेकिन ऐसा ना करते हुए फिल्म में नए पीढ़ी को गलत ठहराकर हार मानने पर मजबूर किया गया है.

इरावती हर्षे और सुमित राघवन का अभिनय उत्तम है. आबा और इंस्पेक्टर नागरगोजे की दोहरी भूमिका में नाना पाटेकर हमेशा की तरह दर्शकों के उम्मीदों पर खरे उतरते हैं. निर्देशन के तौर पर सतीश राजवाड़े कुछ हद तक सफल हुए हैं. लेकिन कुछ जगहों पर गलती कर बैठे हैं जिसकी उम्मीद नहीं थी. फिल्म में आबा के केस को क्राइम ब्रांच तक ले जाने के लिए कोई ठोस कारण नहीं बताया गया है. खोजबीन के जरिये रोमांच पैदा करने की कोशिश अच्छी है. लेकिन अंत में सवाल उठता है कि इतना तामझाम किसलिए? ‘रिश्तों का महत्त्व समझाने के लिए’ ये जवाब इतना प्रभावी नहीं है. कहानी बेवजह खींचती गई है और अंत में उबाऊं हो जाती है, लेकिन फिल्म के संवाद काफी अच्छे हैं. कुल मिलाकर फिल्म ‘आपला मानुस’ ठीकठाक है, जिसे एक बार देखने में कोई बुराई नहीं है.

वैलेंटाइन डे पर जब चुनें डेटिंग ड्रैस और मेकअप

वैलेंटाइन डे एक ऐसा मौका है जब हवाओं में रंग और रोमांस का महकामहका सा एहसास होता है. आप किसी भी उम्र की हों, 16 से 76 तक की, इस दिन अपने पति या बौयफ्रैंड के साथ किसी रोमानी डेट पर जाएं और इस के लिए कुछ अलग तरह से तैयार होना न भूलें ताकि यह डेट आप के लिए यादगार बन जाए.

परिधान हो खास

इस संदर्भ में पेश हैं ऐलिगैंजा रिजूविनेशन क्लीनिक ऐंड ऐंपायर औफ मेकओवर्स की फाउंडर आशमीन मुंजाल के कुछ टिप्स:

ड्रैस हो खास: आप बौयफ्रैंड के साथ डेट पर जा रही हैं तो शौर्ट फ्लैयर्ड ड्रैस पहनें. यह आप को गर्लिश लुक देंगी. शादीशुदा हैं तो खूबसूरत साड़ी बेहतर विकल्प है, जो फैमिनिन लुक देती है. फ्लोरल प्रिंटेड, जौर्जेट फैब्रिक में लाइट पिंक या रैड कलर की साड़ी बिलकुल यशराज फिल्म्स की हीरोइनों की तरह आप को रोमांस के रंगों और एहसासों से भर देगी. जौर्जेट की साड़ी हलकी और कंफर्टेबल होती हैं जबकि हैवीवर्क वाली साड़ी पहनने पर आप उसे ही संभालती रह जाएंगी.

सेम कलर थीम: आप चाहें तो अपने जीवनसाथी के साथ सेम कलर थीम ट्राई कर सकती हैं. आजकल मेड फौर ईचअदर टी शर्ट्स/ड्रैसेज भी मिलती हैं. इसे पहन कर आप अपने जीवनसाथी के साथ चलेंगी तो आप को तो पूर्णता का एहसास होगी ही, देखने वाले भी आप की बौंडिंग के कायल हो जाएंगे.beauty

क्रिएटिविटी: ऐसे मौके पर आप शौल या पूरी बाजू का परिधान पहनने से बचें. साड़ी पहनी है तो ब्लाउज के साथ ऐक्सपैरिमैंट करें. हौल्टरनैक, नूडल्स स्ट्रैपी या स्वीट हार्टनैक वाली ड्रैसेज काफी आकर्षक लगेंगी.

बौडी शेप: परिधान के चयन में अपनी बौडी का भी ध्यान रखें. अगर आप की हाइट अधिक है तो लौंग फ्लोइंग अनारकली सूट या गाउन खूब जमेगा और यदि हाइट कम है, तो वनपीस ड्रैस या मिडी अच्छी लगेगी.

मैक्स फैशन की डिजाइनर कामाक्षी कौल के मुताबिक वैलेंटाइन डे के दिन पहनें कुछ ट्रैंडी और स्टाइलिश. जैसे:

ऐडवैंचरस डेट के लिए ड्रैस: यदि आप ने आउटडोर वैलेंटाइन डे प्लान किया है यानी किसी ट्रिप पर जा कर या स्पोर्टी इवैंट में हिस्सा लेते हुए इस दिन का आनंद लेना चाहती हैं, तो आप के लिए जींस और टौप बेहतर विकल्प हैं. जींस पहनने में कंफर्टेबल होती है. उस पर चिक टौप और लैदर की जैकेट स्मार्टनैस बढ़ाएगी. डार्क वाश स्किनीज, टौल राइडिंग बूट और कलर ब्लौक स्वैटर में भी आप स्मार्ट लुक के साथ ऐडवैंचरस डेट का मजा ले सकती हैं.

ज्वैलरी और ऐक्सैसरीज: आशमीन मुंजाल कहती हैं कि इस मौके पर कभी हैवी ज्वैलरी न पहनें. हलकी ज्वैलरी और खुले बाल आप को अलग ही आकर्षक लुक देंगे. बालों को नैचुरल लुक में रखें. चाहें तो कलर्स, रिबौंडिंग, परमानैंट वैव आदि करा कर बिलकुल अलग नजर आएं. थोड़ा स्टाइलिश दिखने के लिए सनग्लासेज, हलकी हील्स, कलरफुल बैंगल्स, स्कार्फ, नेलआर्ट, नेल ऐक्सटैंशन आदि अच्छे विकल्प हैं.beauty

लौंग जैकेट या केप: आजकल लौंग जैकेट का दौर चल रहा है. यह स्टाइलिश दिखने के साथसाथ हर तरह की ड्रैस पर फबती भी है. वैलेंटाइन डे के मौके पर साधारण कुरती के साथ भी इसे पहन कर आप स्टाइलिश लुक पा सकती हैं.

प्लाजो या धोतीपैंट: प्लाजो और धोतीपैंट  कुरती के साथ पहनी जाए तो बिलकुल डिफरैंट लुक देती है. आप चाहें तो एक पुरानी कुरती को बैलबौटम जींस के साथ भी पहन सकती हैं.

इनोवेटिव ब्लाउज: इस मौके पर क्लासिक साड़ी ब्लाउज के बजाय कुछ नया ऐक्सपैरिमैंट करें. एक पुराने क्रौप टौप को साड़ी या धोतीपैंट के साथ ब्लाउज की तरह पहन कर आप स्टाइलिश और डिफरैंट दिख सकती हैं.

सीक्वैंस: सीक्वैंस और लेयर्स हमेशा स्टाइल में रहे हैं. जब बात वैलेंटाइन डे की हो तो इन्हें अनदेखा कैसे किया जा सकता है. ऐंब्रौयडर्ड स्लिप या कोल्ड शोल्डर टौप के साथ डेनिम या फिर लैदर की पैंट देर रात की पार्टी में पहनी जा सकती है.       beauty

वैलेंटाइन डे स्पैशल मेकअप टिप्स

वीएलसीसी की संगीता विज के मुताबिक वैलेंटाइन डे के दिन कुछ यों तैयार हों:

– मेकअप की शुरुआत हलके फाउंडेशन से करें. फिर एक सौफ्ट पेस्टल या ब्राउन या फिर पिंक आईशैडो का प्रयोग करें. फैशनेबल दिखने के लिए फाल्स आईलैशैज का विकल्प भी चुन सकती हैं.

– मैट फिनिश लिप कलर्स भी इस सीजन की पहली पसंद हैं. अपने गालों के लिए पारंपरिक गुलाबी या फिर मौव कलर चुन सकती हैं.

– यदि आप को शाम के समय डेट पर जाना है तो स्मोकी आईज लुक कैरी करें. एक अच्छे बेस के साथ शुरुआत करें और डार्क ब्राउन कलर के साथ मिला कर एक इफैक्ट पैदा करें. ब्लैक को नजरअंदाज करते हुए स्मोकी आईशैडो का चयन करें.

– अपने आईकलर को हलके गुलाबी या मौव लिप कलर के साथ और खूबसूरत बनाएं. गालों के लिए ब्लशर प्लेट में से डार्क शेड्स चुनें. नियमित आईशैडो को ग्लिटर पिगमैंट से हलका टच दें. रैड लिपस्टिक के साथ मेकअप पूरा करें.

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वैलेंटाइन डे : ब्यूटी प्रोडक्ट्स हों खास

वैलेंटाइन डे पर खूबसूरत दिखने की चाह हर युवती, हर महिला की होती है ताकि उन का पार्टनर उन्हें देखता ही रह जाए, उन की नजरें उन पर से हटे ही नहीं. मगर वे खुद को खूबसूरत दिखाने के लिए कोई भी मेकअप प्रोडक्ट यूज कर लेती हैं जिस से उन की नैचुरल ब्यूटी भी छिप जाती है और देखने वालों के मुंह से तारीफ भी नहीं निकलती है. ऐसे में आप की उम्मीदों पर पानी न फिरे और सब आप की ब्यूटी की तारीफ किए बिना न रह सकें, इस के लिए Beyu पेश करता है कुछ कौस्मैटिक प्रोडक्ट्स की खास रेंज जो इस वैलेंटाइन आप को देंगे डिफरैंट लुक.

Beyu है यूनीक

आज वही प्रोडक्ट मार्केट में टिक पाता है जो यूनीक होता है और अपने यूनीक होने के कारण ही Beyu लोगों की पसंद बन गया है. क्योंकि यह इंटरनैशनल ट्रैंड्स, थीम और कस्टमर्स की डिमांड को ध्यान में रख कर अपने प्रोडक्ट्स को लौंच जो करता है.

आप को बता दें कि यह कंपनी हर साल करीब 120 प्रोडक्ट ले कर आती है और सभी एक से बढ़ कर एक होते है. इन प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल से ऐलर्जी प्रौब्लम नहीं होती, साथ ही ये सभी स्किन को सूट करते हैं क्योंकि इन में ऐसे तत्वों को इस्तेमाल किया गया है जो स्किन को सूट करते हैं.

डे लुक को बनाएं ऐसे बेहतर

 क्या खूब हैं तेरी आंखें: आंखों की खूबसूरती देख हर कोई आप पर मर मिटने के लिए तैयार हो जाएगा और अगर आप इस वैंलेंटाइन ऐसा कुछ करना चाहती हैं तो Beyu के कैटवौक स्टार आईब्रो पाउडर से अपनी भौंहों को बनाएं खूबसूरत. क्योंकि यह भौंहों के बीच की खाली जगह को भरने के साथसाथ उन्हें मनचाही शेप देने का काम जो करता है जिसे आप अभी तक सपना ही समझ रही थीं और दूसरों की बेहतरीन भौंहें देख कर मन ही मन बस यही सोच रही थीं कि काश मेरी भी ऐसी भौंहें होतीं तो क्या खूब होता. तो अब इसे यूज कर आप भी पा सकती हैं तारीफ.

इसी के साथ आप अपनी भौंहों को नैचुरल लुक देने के लिए ट्रांसपेरैंट जैल का यूज करें जो आप की भौंहों को पूरे दिन परफैक्ट बनाए रखेगा और अगर आप अपनी भौंहों को शेप देने के साथसाथ डिफरैंट कलर भी देना चाहती हैं तो ब्रो डिफाइनर पेंसिल का यूज करना न भूलें. इस का टैक्स्चर बहुत ही सौफ्ट होने के साथसाथ यह लंबे समय तक टिका भी रहता है जो इस की खासीयत है, साथ ही ये प्रोडक्ट्स आप की आंखों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे. इन्हें नाजुक त्वचा वाले भी बिना सोचसमझे इस्तेमाल कर सकते हैं, क्योंकि ये पैराबिन फ्री हैं व इन में किसी तरह की खुशबू को नहीं डाला गया है यानी पूरी तरह सेफ. फिर Beyu डीप ब्लैक आईलाइनर से आंखों को बनाएं और अट्रैक्टिव.

चेहरा दिखे चमकतादमकता: ‘क्या खूब दिखती हो बड़ी सुंदर लगती हो…’ अगर इस वैलेंटाइन आप अपने किसी से ऐसा कुछ सुनना चाहती हैं तो Beyu फेस प्रोडक्ट्स से खुद के चेहरे को बनाएं चमकतादमकता. और चेहरा तभी चमकतादमकता, सौफ्ट दिखेगा जब आप मेकअप से पहले प्राइमर को अप्लाई करेंगी क्योंकि यह आप के मेकअप को लंबे समय तक टिकाए रखने के साथसाथ मेकअप के बीच सुरक्षा कवच की तरह काम करता है जो बहुत जरूरी होता है तभी तो Beyu में फेस, आई और लिप प्राइमर्स की बेहतरीन रेंज हैं क्योंकि नो कौंप्रौमाइज विद फेस प्रोडक्ट्स.

हैल्दी ग्लो मेकअप बेस: आज एयरब्रश मेकअप का ट्रैंड चल पड़ा है और ऐसे में इसे और परफैक्ट बनाने के लिए इस्तेमाल करें हैल्दी ग्लो मेकअप बेस जिस से मेकअप दिखेगा खास और चेहरे पर आएगी चमक. तैलीय त्वचा वाले मैट मेकअप बेस का यूज करें यानी रिजल्ट के लिए त्वचा के हिसाब से मेकअप बेस का इस्तेमाल करना जरूरी है.

होंठों का जवाब नहीं: आप चेहरे को कितना भी खूबसूरत बना लें लेकिन होंठ परफैक्ट नहीं हों तो आप की मेहनत पर पानी फिर सकता है. इस के लिए आप Beyu स्मूदिंग लिप बेस यूज करें, क्योंकि यह लिपस्टिक और ग्लौस को लौंग स्टे देने के साथसाथ होंठों को मौइश्चर देने का काम करता है. तो इस वैलेंटाइन लिप बेस के साथ Smooth marsala cashmere लिप शैड 92 और Sacrled Red का इस्तेमाल कर बनाएं होंठों को और खूबसूरत.

और अंत में कैटवौक कौंपैक्ट ब्लश शैड नंबर 42 से मेकअप को फाइनल टच दे कर पाएं ग्लोइंग चेहरा.

नाइट लुक के लिए कुछ अलग

 वैंलेंटाइन नाइट को और रोमांटिक बनाने के  लिए आंखों को ऐसे दें स्मोकी लुक.

कलर स्विंग आइैशैडो: इस में ढेरों आईशैडो की वैरायटी है जो आप की आंखों को अमेजिंग टच देगी जिसे आप सिंगल कलर भी अप्लाई कर सकती हैं और दूसरे कलर्स के साथ खेल कर भी. लेकिन इस वैलेंटाइन Beyu का कलर स्विंग आईशैडो शैड नंबर 114 ट्राई करना न भूलें क्योंकि इस का मुकाबला कोई आईशैडो नहीं कर सकता. लेकिन अप्लाई करने से पहले आई बेस की कोटिंग करना न भूलें.

कलर बिग्गी लौंग लास्टिंग: जहां यह यूज करने में काफी आसान है वहीं इस पेंसिल को आप आईशैडो, काजल, हाईलाइटर के रूप में यूज कर इस वैलेंटाइन खुद को खास दिखा सकती हैं. इस के शैड्स 347, 375, 212 आंखों को स्मोकी लुक देने के लिए काफी हैं. इस का लौंग लास्टिंग होने के साथसाथ वाटर प्रूफ होना यूनीक क्वालिटी है साथ ही कलर स्विंग आईशैडो नंबर 174 झुर्रियों को अच्छे से कवर करने में सक्षम है.

न्यूट्री पावर फाउंडेशन: वैलेंटाइन ईव पर परफैक्ट ग्लो के लिए पेश है न्यूट्री पावर फाउंडेशन. इस में Hyaluronic  एसिड, विटामिन सी, शी बटर होने के कारण यह त्वचा को मौइश्चर देने का काम करता है और इस से चेहरे पर चमक सिर्फ कुछ देर के लिए ही नहीं बल्कि घंटों तक रहती है, जिसे देखने वाले बस देखते ही रह जाते हैं. इसे लगाना भी आसान है जिस से न तो चेहरा डल लगता है और न ही धब्बे दिखते हैं.

चीकी कलर ब्लश: फ्रैश, ग्लोइंग और नैचुरल टच के लिए Beyu का चीकी कलर ब्लश नंबर 169 परफैक्ट है सभी स्किन टोन्स के लिए ताकि आप वैलेंटाइन पर दिखें पिंकीपिंकी.

स्मूदनिंग लिप बेस: जब आप अपने किसी खास के साथ वैलेंटाइन ऐंजौय कर रही हो तो आप के होंठ अलग ही चमकें और साथ ही इतने सौफ्ट हो कि आप का कौंफिडैंस बात करते वक्त कई गुना बढ़ जाए तो इस के लिए Beyu का लिप बेस बैस्ट औप्शन है.

स्ट्रौब और डिफाइन पैलेट: आप अपनी स्किन टोन को देख कर इस के 4 डिफरैंट शैड्स को मिक्स मर्ज कर चार्मिंग लुक की मलिका बन सकती है. ये आप के फेशियल फीचर्स को परफैक्ट बनाने के साथसाथ आप को सैंटर औफ अट्रैक्शन बना देगा.

तो इस वैलेंटाइन Beyu कौस्मैटिक प्रोडक्ट्स से खुद को बनाएं ब्यूटीफुल.

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स्वच्छंदता का दूसरा नाम वैलेंटाइन, बंदिशें तोड़ सीखें प्यार की जबान

वैलेंटाइंस डे के खिलाफ हर साल 14 फरवरी के दिन तथाकथित संस्कृति और धर्म के ठेकेदार संगठन मोरल पुलिसिंग के लिए एंटी रोमियो मिशन पर निकल पड़ते हैं. वे वैलेंटाइंस डे का मतलब भले न समझें लेकिन युवाओं को इस से दूर रहने का फरमान ऐसे सुनाते हैं मानो वैलेंटाइंस डे मनाते ही किसी तरह का कोई पतन हो जाएगा, संस्कृति को जंग लग जाएगा,रोमांस से देश का आर्थिक, धार्मिक और सामाजिक विकास थम जाएगा. यदि कोई वाकई प्रेम का उत्सव मनाना चाहे तो उस में किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए.

बंदिशें तोड़ सीखें प्यार की जबान

यूथ को इन धार्मिक और कट्टर बंदिशों की परवा न करते हुए दिल की सुननी चाहिए. प्यार, स्वच्छंदता और सौहार्द के उत्सव वैलेंटाइंस डे को दिल खोल कर मनाना चाहिए. फैस्टिवल कोई भी हो, किसी भी देश का हमें तो उसे उस की उन्मुक्त शैली और सकारात्मकता के लिए मनाना चाहिए. जब तक यूथ अपने दिल की करना और सुनना शुरू नहीं करेगा, उसे अपने जीवन का लक्ष्य नहीं दिखेगा क्योंकि उस का संबंध भी दिल से है. वैलेंटाइंस अगर प्यार की भाषा समझाता है, तो इस में हमें कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए.

जिन देशों में यूथ को लव के बजाय हथियार की भाषा समझाई जाती है उन देशों की हालत खस्ता है. वहां का युवा बंदूक लिए आतंकी संगठनों से ट्रेनिंग ले रहा है. वह दोस्त, कैरियर और परिवार से दूर कुछ मौकापरस्त लोगों की बातों से ब्रेनवाश्ड हो कर अपनी जवानी में हिंसा और आतंक के शोले भर रहा है. अगर वैलेंटाइंस जैसे फैस्टिवल हर जगह मनाए जाने लगें तो युवाओं को गुमराह होने से रोका जा सकेगा. जिन युवा दिलों में एक बार प्रेम के बीज अंकुरित हो जाते हैं वहां फिर हिंसा की गुंजाइश नहीं रह जाती.

जोरजबरदस्ती का प्यार नहीं वैलेंटाइन

आजकल प्यार और एकतरफा प्यार के बीच एक महीन सी सीमारेखा रह गई है जबकि दोनों के बीच जमीनआसमान का फर्क है. प्यार तो दोनों युवा दिलों की आपसी रजामंदी, पसंद और प्रेम से होता है. लेकिन आजकल के युवा एकतरफा प्यार को भी वैलेंटाइन से जोड़ कर देखते हैं. वे किसी से प्यार करते हैं और बिना उस की मरजी जाने उसे अपना वैलेंटाइन बना देते हैं. और जब लड़कियां मना करती हैं तो इन का एकतरफा प्यार हवस, हिंसा और जनून की हद पार कर उन पर एसिड अटैक व रेप की विकृत शक्ल में सामने आता है.

ऐसी ही एक घटना गुजरात में हुई थी. वहां के भावनगर शहर में एकतरफा प्रेम में पागल युवक ने 3 सगी बहनों व एक बच्ची पर एसिड फेंक कर आत्महत्या कर ली थी. राष्ट्रीय अपराध रिकौर्ड ब्यूरो के आंकड़े  बताते हैं कि सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही 2014-15 में 97 एसिड अटैक के मामले सामने आए, जिन में से सिर्फ 4 में ही सजा हो पाई. पश्चिम बंगाल के 78 मामलों में से सिर्फ 1 में ही अपराधी को सजा मिली. अन्य राज्यों की स्थिति भी अच्छी नहीं है. प्रेम में जोरजबरदस्ती नहीं इकरार होता है.

कैरियर और शिक्षा न हो इग्नोर

युवाओं को कैरियर, एजुकेशन को अहमियत देते हुए प्यार और दोस्ती को भी तरजीह देनी जरूरी है. दोनों के बीच संतुलन बहुत जरूरी है. कंपीटिशन के इस दौर में युवाओं के सिर पर तमाम तरह की भारीभरकम जिम्मेदारियां लाद दी गई हैं. पेरैंट्स चाहते हैं कि उन का बच्चा भी स्कूल या सोसायटी के सब से होशियार बच्चे की तरह न सिर्फ पढ़ाई में अव्वल आए बल्कि खेलकूद और अन्य क्षेत्रों में भी बैस्ट परफौर्म करे. इतनी ऐक्सपेक्टेशंस के बोझ तले दबा युवा न तो अपने दिल की सुन पाता है और न ही अपने रचनात्मक कार्यों के लिए समय निकाल पाता है. नतीजतन, तनाव और अकेलेपन का शिकार हो कर कभी वह आत्महत्या जैसा कदम उठता है तो कभी अपने हिंसक व्यवहार से समाज को सकते में डाल देता है.

ऐसे में हमारे समाज और देश में वैलेंटाइंस डे जैसे मौके की अहमियत और भी बढ़ जाती है. इस रोमांटिक फैस्ट के बहाने युवा कालेज, स्कूल और अपनी सोसायटी में एकदूसरे से अपने प्यार, दोस्ती और अपनत्व का इजहार कर लेते हैं और आपसी रिश्तों को सकारात्मक दिशा की ओर ले जाते हैं. पढ़ाई के साथसाथ अगर यूथ रोमांस भी कर लेता है तो इस में बुराई क्या है. हमारा समाज जिस तरह से युवाओं को कट्टरता व सामाजिक भेदभाव की खाई में धकेलना चाह रहा है, उस से उन्हें ऐसे ही रूमानी त्योहार बचा सकते हैं.

हर दिन हो वैलेंटाइंस डे

सिर्फ 14 फरवरी को रस्मी तौर पर वैलेंटाइंस डे मना कर खानापूर्ति करने के बजाय युवा इस फैस्ट की फिलौसफी को भी समझेंगे तो उन के लिए हर दिन वैलेंटाइन डे होगा. यह मान कर न चलें कि वैलेंटाइंस डे  सिर्फ गर्लफ्रैंड और बौयफ्रैंड के लिए ही होता है. यह तो रिलेशनशिप में रूमानियत की बात करता है. 2 दोस्त भी वैलेंटाइन डे मना सकते हैं, जरूरी नहीं है कि केवल रूमानी प्रेम की ही अभिव्यक्ति हो. मातापिता, भाईबहन और टीचरस्टूडैंट्स भी वैलेंटाइंस डे के जरिए अपने पारस्परिक प्रेम, आदर व सद्भाव को जाहिर कर सकते हैं.

प्यार तो दुनिया का सब से खूबसूरत एहसास है, जो 2 दिलों में होता है और यह भी जरूरी नहीं कि यह प्यार सिर्फ पतिपत्नी या प्रेमीप्रेमिका का ही हो. प्यार तो हर रूप में प्यारा होता है. अगर आप का पार्टनर आप से सच्चा प्यार करता है तो उस के लिए वैलेंटाइन डे कोई माने नहीं रखता. हर दिन आप के लिए वैलेंटाइंस डे हो सकता है.

प्यार के लिए उपहार जरूरी नहीं

गिफ्ट का लेनदेन आपसी संबंधों, जेब और इच्छा पर निर्भर करता है, यह कोई रस्मी दबाव नहीं होना चाहिए कि आप अपनी गर्लफ्रैंड, दोस्त या हसबैंड को वैलेंटाइंस डे के दिन कोई महंगा तोहफा दे कर ही अपने प्यार का इजहार करें. गिफ्ट तो सिंबौलिक होते हैं. संबंधों में गर्माहट तो आपसी समझ, परस्पर सम्मान से आती है. दिखावे के नाम पर अपनी भावनाओं और प्यार को बाजार के महंगे गिफ्ट वाले तराजू से न तोलें.

ऐसा बिलकुल नहीं है कि वैलेंटाइंस डे निकल जाने के बाद आप का प्यार खत्म हो जाएगा. जो बात एक चौकलेट से कही जा सकती है उस के लिए चौकलेट के बड़े और महंगे बौक्स की जरूरत नहीं. दरअसल, प्यार में कोई सौदा नहीं होता.

प्यार बांटते चलो

यंग जेनरेशन को 14 फरवरी का जितनी बेसब्री से इंतजार रहता है उतनी बेताबी शायद किसी और दिन के लिए नहीं होती. प्रेम का उत्सव व प्यार का त्योहार वैलेंटाइन डे सिर्फ प्यार को एकदूसरे तक सीमित रखना नहीं सिखाता है. नफरत और हिंसा से भरे इस समाज, दुनिया को भी प्यार की भाषा सिखाना असल मानो में वैलेंटाइन डे मनाना होगा.

आज हर कोई तनाव, हिंसा, ईर्ष्या, प्रतिस्पर्धा, लालच, साजिश, अकर्मण्यता, धार्मिक रूढि़यों, अंधविश्वास, चमत्कार और शौर्टकट के जाल में उलझा है, समाज से जैसे प्रेम शब्द गायब ही हो गया है. अगर वैलेंटाइंस डे मनाना है तो समाज में भी प्यार की भावना का संचार करना होगा ताकि सारी युवा जाति, धर्म और ऊंचनीच की बेडि़यां तोड़ कर एक स्वस्थ समाज में स्वस्थ प्यार का संचार करे. तब होगा   वैलेंटाइंस डे का असली सैलिब्रेशन.

ऐसे हुई वैलेंटाइन की शुरुआत

वैलेंटाइन डे की शुरुआत के बारे में कहा जाता है कि यह फैस्टिवल अमेरिका में संत वेलेटाइन की याद में मनाया जाता है. इस की शुरुआत सब से पहले अमेरिका में हुई फिर इंगलैंड और इस के बाद धीरेधीरे यह दिन समूचे विश्व में मनाया जाने लगा. अलगअलग देशों में इसे अलगअलग नाम से जाना जाता है.

भारत में वैलेंटाइन डे की शुरुआत 1992 से हुई. 1969 में कैथोलिक चर्च ने कुल 11 सैंट वैलेंटाइन के होने की पुष्टि की. उन के सम्मान में 14 फरवरी को पर्व मनाए जाने की घोषणा की गई. वैलेंटाइन डे एक सप्ताह तक मनाया जाना वाला पर्व है, जिस की शुरुआत 7 फरवरी से होती है और अलगअलग दिन यह अलग नाम से मनाया जाता है.

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अजब गजब वैलेंटाइंस : इन्हें जान कर आप मुसकराए बिना नहीं रह सकेंगे

भारत सहित विश्व के कई देशों में 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे मनाया जाता है. हर देश में इस दिन को अलगअलग तरीके से मनाने का रिवाज है. कुछ तरीके ऐसे भी हैं जिन्हें जान कर आप मुसकराए बिना नहीं रह सकेंगे.

जापान : मैंस औनली

जापान में वैलेंटाइन डे सिर्फ पुरुष मनाते हैं. इस दिन महिलाएं अपने पिता, भाई, दोस्त, प्रेमी आदि का आभार प्रकट करने के लिए उन्हें चौकलेट्स देती हैं.

दक्षिण कोरिया : प्रेम है तो गिफ्ट दो

इस देश में वैलेंटाइन डे मनाने का तरीका बड़ा ही दिलचस्प है. इस दिन महिलाएं पुरुषों को चौकलेट्स और तोहफे देती हैं, पुरुष इस दिन कुछ नहीं देते. हां, अगर उन्हें प्रेम है तो वह अगले 14 मार्च को ‘व्हाइट डे’ के मौके पर महिलाओं को रिटर्न गिफ्ट दे कर प्यार का इजहार करते हैं.

रोम : परची में नाम

वैलेंटाइन डे को रोम में रोमन ल्युपर केलिया नाम से भी जाना जाता है. इस दिन युवा एक दिलचस्प खेल खेलते हैं. लड़का मनपसंद लड़की का नाम एक परची पर लिखता है, फिर उसे मोड़ कर चुपचाप एक डब्बे में रख देता है. ऐसा सभी करते हैं. अंत में डब्बे से परचियां निकाली जाती हैं. अब जिस परची पर जिस लड़की का नाम निकलता है, लड़का उसी के साथ वैलेंटाइन डे मनाता है.

दक्षिण अफ्रीका : तुम मेरे हो

इस देश में वैलेंटाइन डे मनाने का तरीका कुछ अलग है. महिलाएं जहां प्रेमी का नाम आस्तीन पर टांक लेती हैं, वहीं प्रेमी दिलनुमा आकृति को बाजुओं में बांध कर प्रेम का इजहार करते हैं.

इंगलैंड : अंधविश्वास हावी

इस दिन महिलाएं अपने तकिए पर 5 तेजपत्ते रखती हैं. वे ऐसा इसलिए करती हैं ताकि उन के होने वाले पति उन के सपने में आएं.

वेल्स : तोहफे में चम्मच

यहां प्रेमी जोड़े एकदूसरे को तोहफे में चम्मच देते हैं, जिन्हें लव स्पून्स कहते हैं. इस में कुछ संदेश भी लिखा होता है. अब हमारे यहां अगर कोई लड़का किसी लड़की को प्रेम का इजहार चम्मच दे कर करे, तो? न…न…आजमाना भी मत.

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हर किसी को वैलेंटाइन डे मनाना चाहिए : साकिब सलीम

‘‘मुझसे फ्रेंडशिप करोगे’’, ‘‘हवा हवाई’’ सहित सात आठ फिल्मों में अभिनय कर चुके अभिनेता साकिब सलीम एक तरफ तापसी पन्नू के संग अपने रोमांस को लेकर चर्चा में हैं, तो दूसरी तरफ वह नौ मार्च को प्रदर्शित होने वाली रोमांटिक एडवेंचरस और कौमेडी फिल्म ‘‘दिल जंगली’’ में सुमित उप्पल का रोमांटिक किरदार निभा रहे हैं. साकिब सलीम खुद को वैलेंटाइन डे का प्रबल समर्थक बताते हैं.

फिल्म ‘‘दिल जंगली’’ के अपने किरदार सुमित उप्पल की प्यार की जो सोच है, उसके साथ उनके निजी जिंदगी की सोच के मेल खाने की चर्चा करते हुए साकिब सलीम ने कहा- ‘‘सुमित उप्पल की प्यार को लेकर जो सोच है, उससे मेरी निजी जिंदगी की प्यार की सोच कहीं कहीं मेल खाती है, कहीं नहीं भी. कलाकार के तौर पर हर किरदार में कुछ प्रतिशत साकिब होता ही है. उसके बाद उसे बनाने की कोशिश करता हूं. सुमित उप्पल में पचास प्रतिशत साकिब है, क्योंकि इसे मैने जिया है, बाकी मेरा द्वारा गढ़ा गया है.’’

इन दिनों युवा पीढ़ी के बीच प्रचलित ‘‘काफी डे वाला प्यार’’ को प्यार न मानते हुए साकिब सलीम कहते हैं

‘‘यह प्यार नही, सिर्फ शारीरिक आकर्षण है, जो कि गलत है. प्यार तो वह होता है, जो एक नजर में हो जाए, आप मन की बात कह जाएं. और प्यार हमेशा जिंदा रहे, फिर भले मिले या ना मिले. मैं तो वह लड़का हूं, जो ‘वीर जारा’ जैसी फिल्म देखकर रोता है.’’

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वह आगे कहते हैं- ‘‘मेरी राय में ‘काफी डे’ वाला प्यार इसलिए शुरू हो गया है, क्योंकि अब लोगों के पास औप्शन बहुत हैं. अब वक्त ऐसा बदला है कि लोग तलाक होने पर शर्मिंदा महसूस नहीं करते. अब लोग सुख सुविधा तलाशने और दूसरों को दिखावे वाली जिंदगी जीते हैं. लोग सोचते हैं कि शादी के दस साल हो गए, पर बन नही रही है, तो छोड़ दो.’’

वह आगे कहते हैं- ‘‘प्यार तो सदैव बना रहता है. इंस्टाग्राम पर ह्यूमन औफ बौम्बे करके एक पेज है. इसमें 102 साल के एक पति पत्नी की कहानी आयी थी. शायद मुंबई के नजदीक मीरा रोड के रहने वाले थे. पत्नी की मौत के दो घंटे बाद ही पति की भी मौत हो गयी. ऐसा इनके बीच प्यार था. दोनों ने 76 साल एक साथ जिंदगी जी. दोनों हर दिन कम से कम एक घंटे तक गार्डेन में जाकर बैठते थे. तो यह प्यार है.’’

वह प्यार का एक अलग उदाहरण देते हुए कहते हैं- ‘‘मैं अपने एक दोस्त को जानता हूं, जिसने 34 साल पहले किसी से प्यार किया था, लेकिन दोनों मिल नहीं पाए. दोनों की अलग अलग जगह शादी हो गयी. अब उनके बच्चों की भी शादियां हो रही हैं. पर दोनों एक दूसरे से अभी भी प्यार करते हैं. प्यार ऐसा अहसास है, जिसमें शारीरिक मिलन की जरुरत नही होती. मुझे जब भी प्यार हुआ है, तो ऐसा ही हुआ है कि मुझे उसके बिना रहा नही गया. फिर चाहे आप मुझे फिल्मी कह लो. अब लोग प्यार नही बल्कि सामने वाले की संपत्ति से या उसके शरीर से आकर्षित होकर करते हैं. यह प्यार नहीं अपराध है.

साकिब सलीम आगे कहते हैं- ‘‘कुल मिलाकर यह समय ऐसा है, जहां लोग सिर्फ मौके की तलाश में रहते हैं. इसलिए मैं लोगों से कहता हूं कि आप शादी तभी करें, जब आप शादी करने के लिए पूरी तरह से तैयार हों. यदि आपको पहली शादी करना गलती लगी, तो इस बात की क्या गारंटी है कि दूसरी बार गलती नही होगी?

वेंलेटाइन डे की चर्चा करते हुए साकिब सलीम कहते हैं- ‘‘हर किसी को मनाना चाहिए. सच कहूं तो यह दिन आर्चीस वालों ने अपना कार्ड बेचने के लिए बनाया है. मैं तो हर दिन सिर्फ अपनी प्रेमिका से नहीं मां बाप भाई बहन सबसे प्यार करता हूं. मैं अपने दोस्तों से भी कहता हूं कि प्यार करो. प्यार से बढ़कर कोई इमोशन नहीं,  कोई ताकत नहीं. जो लोग वैलेंटाइन डे मनाना चाहते हैं, जरूर मनाएं. प्यार का जश्न मनाना चाहिए. जो लोग वेलेनटाइन डे का विरोध करते हैं, वह गलत हैं. क्योंकि प्यार करना गलत नहीं है.’’

जब हमने उनसे पूछा कि क्या आपको नहीं लगता कि वैलेंटाइन डे के नाम पर प्यार का बाजार वाद हो गया है?

तो साकिब ने कहा- ‘‘यदि ऐसा है, भी तो इसमें गलत क्या है? जिनके पास पैसा है, वह खर्च कर रहे हैं. प्यार करने से भागना नहीं चाहिए. मैं यह कह सकता हूं कि प्यार करने के लिए कोई दिन नही होता. लेकिन दुनिया ने कोई दिन बना दिया है, लोगों के पास पैसा है, तो उन्हें खर्च करने दीजिए. भले आप किसी को गुलाब भी ना दे, लेकिन यदि कोई महंगा गिफ्ट अपने प्रेमी या प्रेमिका को दे रहा है, तो कम से उसे ना रोकें.’’

तापसी पन्नू को अच्छी दोस्त बताते हुए वह कहते हैं- ‘‘ हम दोनों दिल्ली से हैं और अच्छे दोस्त हैं. खुद हम दोनों एक साथ काम करना चाहते हैं. मुझे उनके साथ काम करने में मजा आता है. रोमांस का कोई मसला नहीं है.’’

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