अभिनेता अजीज अंसारी ने जीता गोल्डन ग्लोब का बेस्ट एक्टर अवौर्ड

भारतीय मूल के अभिनेता अजीज अंसारी को म्यूजिकल/कौमेडी श्रेणी में टेलीविजन सीरिज ‘द मास्टर औफ नन’में अपनी भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. अभिनेता का यह पहला गोल्डन ग्लोब्स पुरस्कार है. अंसारी इसी शो के लिए इसी श्रेणी में वर्ष 2016 में भी नामित हुए थे लेकिन उस समय वह पुरस्कार जीत पाने में असफल रहे थे. इस दौरान अभिनेता ने अपने माता-पिता का लगातार उनका साथ देने के लिए शुक्रिया भी अदा किया.

अभिनेत्री निकोल किडमैन को ‘बिग लिट्ल लाइस’में उनकी बेहतरीन अदाकारी के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार से नवाजा गया.

इस मौके पर यौन उत्पीड़न के मामलों के चलते पिछले दिनों चर्चा में रहे हौलीवुड पर परोक्ष रूप से बात करते हुए निकोल ने कहा कि सही तरह की काहानियां बयां करना जरूरी है. शो में निकोल एक शिक्षित, समृद्ध महिला के किरदार में है जो एक अपमानजनक शादी का शिकार हो जाती हैं. दूसरी ओर, एलिजाबेथ मोस ने अपनी जीत का सिलसिला यहां भी जारी रखते हुए ‘द हैंडमेड्स टेल’के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री ड्रामा टीवी श्रेणी में पुरस्कार जीता. पिछले साल अभिनेत्री ने अपनी जबरदस्त अदाकारी के लिए एमी अवार्ड भी अपने नाम किया था.

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‘लेडी बर्ड’के लिए अभिनेत्री साइओर्स रोनन को म्यूजिकल/कौमेडी श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला. ‘लेडी बर्ड’ को बेस्ट मोशन पिक्चर्स पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. दो पुरस्कार मिलने से इस साल मार्च में होने वाले औस्कर पुरस्कारों में फिल्म की स्थिति मजबूत हो गई है. निर्देशक गुइलेरमो डेल तोरो को गोल्डन ग्लोब्स के अपने पहले ही नामंकन में जीत हासिल हुई. उन्हें ‘द शेप औफ वौटर’के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के पुरस्कार से नवाजा गया. इस श्रेणी में यह उनका पहला नामंकन था. इनकी इस जीत के साथ इस फिल्म के औस्कर पुरस्कार में जीत हासिल करने की उम्मीदें भी बढ़ गई हैं.

करण जौहर सब कुछ भुल अपने शो पर करेंगे कंगना रनौत का स्वागत

जल्द ही स्टार प्लस पर शो ‘इंडियाज नेक्स्ट सुपरस्टार्स’ आने वाला है, इस शो को बौलीवुड फिल्म डायरेक्टर करण जौहर और रोहित शेट्टी जज करते नजर आएंगे. इस शो को लेकर करण जौहर ने कहा कि वह शो में एक्ट्रेस कंगना रनौत को गेस्ट के रूप में बुलाएंगे. करण का कहना है कि वह शो पर कंगना का खुशी से स्वागत करेंगे. ज्ञात हो ऋतिक-कंगना कौन्ट्रोवर्सी के दौरान कंगना ने करण को भी लपेटे में लेते हुए उन पर इंडस्ट्री में ‘नेपोटिज्म’ को बढ़ावा देने के आरोप लगाए थे.

शो को लेकर करण का कहना है, ‘आगामी शो ‘इंडियाज नेक्स्ट सुपरस्टार्स’ में वह अभिनेत्री कंगना रनौत का अतिथि के तौर पर खुशी से स्वागत करेंगे.’ करण से पूछा गया था कि क्या कंगना रनौत को इस शो में आमंत्रित किया जाएगा? इस पर करण ने कहा, ‘मुझे पूरा विश्वास है कि जब भी स्टार प्लस उन्हें आमंत्रित करेगा हम उनका खुशी से स्वागत करेंगे. हमारा दिल बड़ा है, हमारा घर सबके लिए खुला है.’ उन्होंने कहा, ‘हम खुशी, प्यार और सम्मान के साथ उनका इस शो पर स्वागत करेंगे.’

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बता दें, कंगना ने साल 2017 में करण के ही शो ‘कौफी विद करण’ में पहुंचकर उन पर नेपोटिज्म को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था. तभी से इन दोनों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला चल रहा है. इस शो में करण और रोहित शेट्टी के अलावा एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा भी नजर आएंगी. इस शो को 13 जनवरी से टेलिकास्ट किया जाएगा.

फ्लैट खरीदने से पहले जाने ये छोटी लेकिन महत्वपूर्ण जानकारी

खरीदार कई बार फ्लैट में लिखे सुपर एरिया को अपने फ्लैट का साइज मानकर फ्लैट की बुकिंग कर देते हैं. जबकि असल फ्लैट इससे काफी कम होता है. ऐसे में ग्राहकों को बिल्ट-अप, सुपर और कार्पेट एरिया के सही मायने समझ लेने चाहिए, ताकि भविष्य में उन्हें किसी परेशानी का सामना ना करना पड़े.

कार्पेट एरिया

कार्पेट एरिया उस एरिया को कहते है जहां आप कार्पेट बिछा सकें. इस एरिया में फ्लैट की दीवारें शामिल नहीं होती हैं. यह फ्लैट के अंदर का खाली स्थान होता है. यह फ्लैट का इस्तेमाल होने वाला वास्तव क्षेत्र होता है. कार्पेट एरिया में दीवार की मोटाई, बालकनी और छत शामिल नहीं होती है.

अगर सीढ़ियां घर के अंदर है तो इन एरिया में वो भी शामिल होंगी. जानकारी के लिए बता दें कि कार्पेट एरिया बिल्ट अप एरिया का 70 फीसद होता है. इसका माप करने के लिए अपार्टमेंट के कुल एरिया में से दीवार की आंतरिक मोटाई को घटा दें.

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बिल्ट-अप एरिया

बिल्ट-अप एरिया में फ्लैट की दीवारों को लेकर मापा जाता है, यानि इसमें कार्पेट एरिया के साथ-साथ पिलर, दीवारें और बालकनी जैसी जगह शामिल होती हैं. बिल्ट अप एरिया मापने के लिए इसमें कार्पेट एरिया और दीवारों की ओर से कवर किया गया क्षेत्र जोड़ लें. सामान्य तौर पर यह कार्पेट एरिया से दस से 15 फीसद ज्यादा होता है.

सुपर एरिया

सुपर एरिया उस एरिया को कहते हैं, जिसमें उस प्रोजेक्ट के अंदर कौमन यूज की चीजें को शामिल किया जाता है जैसे जेनरेटर रूम, पार्क, जिम, सीढ़ियां, लिफ्ट, लौबी, टेनिस कोर्ट आदि. आमतौर पर सभी बिल्डर्स फ्लैट को सुपर एरिया के आधार पर बेचते हैं. इसमें अंडर ग्राउंड संप, वौटर टैंक, स्वीमिंग पूल, स्पोर्ट्स एरिया, फूलों की क्यारियां और मचान शामिल नहीं होते.

डिवेलपर्स बिक्री योग्य कुल क्षेत्र को 25 फीसद बढ़ा देता है. इस प्रतिशत हिस्से को लोडिंग कहा जाता है. कुछ डिवेलपर्स कुल बिक्री योग्य क्षेत्र की गणना करते हुए लोडिंग के आंकड़ों का जिक्र करते हैं. जैसे अगर कार्पेट एरिया 600 स्क्वेयर फुट है और बिल्डर 30 फीसद लोडिंग को भी जोड़ देता है तो आपको (600*30/100 = 180) 780 स्क्वेयर फुट की कीमत देनी होगी. जबकि आपके इस्तेमाल में 600 स्क्वेयर फुट एरिया ही आ रहा है.

इन देशों में भारतीय करेंसी का है बोलबाला, खूब घूमें और शौपिंग करें

कई बार हमें ऐसा लगता है कि हम जितना कमाते हैं, सब खर्च हो जाता है. हमारे देश की करेंसी की कीमत कितनी कम है, तो आप फिक्र ना करे हमारे देश की करेंसी इतनी भी कम नही है, क्योंकि आज हम आपको दुनिया के कुछ देशों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां भारतीय करेंसी का बोलबाला है. ऐसे में आप वहां जाकर घूम फिर सकती हैं और काफी शौपिंग कर सकती हैं वो भी कम पैसों में.

इंडोनेशिया

यहां पर साफ नीला पानी टूरिस्ट के लिए आकर्षण का केंद्र है. इसके अलावा टोबा झील, बालियम घाटी, माउंट ब्रोमो, कोमोडो नेशनल पार्क जैसी दिलचस्प जगह आपको जरुर पसंद आएगी. आप भारतीय करेंसी की वैल्यू का अंदाजा इसी बात से लगा सकती हैं कि भारत के 1 रुपए की कीमत इंडोनेशिया रुपया में 208 रुपए है.

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आइसलैंड

यूरोप में स्थित आइसलैंड में घूमने-फिरने की बहुत दिलचस्प जगहें है. यहां स्वार्तीफोस, ब्रिडाविक बीच, आस्कजा, स्कोगाफोस, ब्लू लगून जैसी जगह आपको जन्नत से कम नहीं लगेंगी. यहां भारत के 1 रुपए की कीमत आइसलैंडिक क्रोना (आइसलैंड करेंसी) में 1.60 रुपए के बराबर है.

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कंबोडिया

यहां जाकर आप भारत को कम मिस करेंगी क्योंकि यहां भी भारत की तरह ही कई बड़े-बड़े मंदिर हैं. कंबोडिया में दुनिया का सबसे बड़ा विष्णु मंदिर है.

यहां अंकोर वट, क्राती, कोहरोंग, मोंदूलकिरी जैसी जगहें आपका मन मोह लेंगी. यहां भारत के 1 रुपए की कीमत कंबोडियन राइल में 62.19 रुपए के बराबर है.

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वियतनाम

वियतनाम चीन प्रभाव वाला देश है. जहां पर आप राजधानी हनोई, ला लोंग की खाड़ी, वाटर पपेट (पानी की अद्भुत कठपुतलियां), फोंन नहा की गुफाएं, पैराडाइज की गुफाएं, वियतनामी वीमेंस म्यूजियम में घूम सकती हैं. यहां भारत के 1 रुपए की कीमत वियतनामी डोंग में 349 रुपए के बराबर होगी.

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नेपाल

नेपाल घूमने में आपको कुछ जगहें भारत जैसी ही दिखाई देंगी. नेपाल में बाबर महल, पुजारी मठ, गोरखा मेमोरियल म्यूजियम, पाटन म्यूजियम, चितवन नेशनल पार्क में घूमकर आप अपनी छुट्टियां दिलचस्प बना सकती हैं. यहां भारत के 1 रुपए की कीमत नेपाली रुपए में 1.60 रुपए के बराबर है.

 

मनाली में बना कंगना का बंगला, जानें खासियत

बौलीवुड क्वीन कंगना रनौत अक्सर ही सुर्खियों में बनी रहती हैं. पिछले साल उन्होंने रितिक रोशन, करण जौहर और अपनी फिल्मों को लेकर काफी सुर्खियां बटोरी. साल 2018 की शुरुआत होने के साथ ही एक बार फिर कंगना चर्चा में आ गई हैं. लेकिन इस बार उनके सुर्खियों में रहने की वजह कुछ और नहीं बल्कि उनका नया बंगला हैं.

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जी हां. कंगना ने अपने गृहराज्य हिमाचल प्रदेश के मनाली में अपना एक बंगला बनवाया है. उनका यह शानदार बंगला अब पूरी तरह से बनकर तैयार हो गया है. बता दें कि कुछ दिनों पहले कंगना वहां पंहुची थीं और बंगले के निर्माण के आखिरी टच का जायजा भी लिया था. अब जबकि बंगला पूरी तरह से तैयार हो गया है तो आसपास के इलाकों से कंगना के फैंस बंगले को देखने के लिए पहुंच रहे हैं.

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गौरतलब है कि कंगना रनौत अपने माता-पिता के साथ समय-समय पर मनाली के बंगले का जायजा लेने जाती रहती थीं. बंगले के बारे में कहा जा रहा है कि इसमें लगी एक-एक चीज कंगना ने अपने हिसाब से तैयार करवायी है. आपको बता दें कि कंगना का ये बंगला उनकी पिता का भी सपना रहा है. कंगना के पड़ोसियों को भी उनके यहां आने का बहुत इंतजार रहता है.

क्यों खास है ये बंगला

कंगना का यह बंगला कुल्लू और मनाली की परंपरागत काष्ठकुणी शैली में बनाया गया है. कंगना के घर की डिजाइनिंग मुंबई के इंजीनियरों ने की है. बेडरूम में लगाए जाने वाले झाड़-फानूस विदेश से मंगाए गए हैं. ये बंगला भूकंपरोधी है.

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मुंबई से आए वास्तुकारों ने भी इस घर की शैली को काफी सराहा है. काष्ठकुणी शैली से बने घरों में पत्थरों के बीच लकड़ी के लंबे शहतीरों का इस्तेमाल किया जाता है, जो कोनों में आपस में जुड़े रहते हैं.

मालूम हो कि मनाली से पहले कंगना ने मुंबई के बांद्रा इलाके में पाली हिल रोड पर भी एक बंगला लिया था, जिसे लेकर पिछले साल विवाद भी हो गया था. जब कंगना ने इसका इस्तेमाल अपनी प्रोडक्शन कंपनी के तौर पर किया, तो सोसायटी के लोगों ने इसका विरोध किया था.

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कंगना इन दिनों जयपुर में हैं, वहां वह अपनी आनेवाली फिल्म ‘मणिकर्णिका’ के शेड्यूल में हिस्सा लेने के लिए पहुंची हैं. कंगना इस फिल्म में रानी लक्ष्मीबाई का किरदार निभा रही हैं. अप्रैल में रिलीज होने वाली इस फिल्म में कंगना के अलावा अंकिता लोखंडे, सुरेश ओबेराय और सोनू सूद भी हैं. इस फिल्म का निर्देशन साउथ के मेकर कृष ने इसका किया है और ‘बाहुबली’ फेम लेखक केवी विजयेंद्र प्रसाद ने इस फिल्म की पटकथा लिखी है.

डायबिटीज और कैंसर जैसी बीमारियों से बचाती है काली चाय

हममें से बहुत से लोगों के दिन की शुरुआत चाय के साथ ही होती है. दूध वाले चाय के अलावा कई लोग काली चाय भी पीना पसंद करते हैं. काली चाय पर हुए एक अध्ययन में पाया गया है कि हर रोज कम से कम 4 कप काली चाय पीने से मोटापा, डायबिटीज और कैंसर जैसी बीमारी से भी छुटकारा पाया जा सकता है. यह चाय आपका वजन कम करने में सहायक है.

इसके अलावा भी इसके ढेर सारे फायदे हैं.

दिल की बीमारी के खतरे होंगे कम

काली चाय में फ्लेवोनौयड्स पाया जाता है जो कोरोनरी हार्ट डिसीज के खतरे को कम करने में मददगार है. दिन भर में 4 कप काली चाय पीने से कोलेस्ट्रौल के स्तर में 6.5 प्रतिशत तक की कमी आती है. जिससे दिल के बिमारी का खतरा कम होता है.

पाचन तंत्र बने मजबूत

काली चाय पेट के लिए बेहद ही फायदेमंद पेय पदार्थ है. यह पेट में हानिकारक बैक्टीरिया को पनपने से रोकने के साथ ही यह पेट का अल्सर होने की संभावना को भी खत्म करता है.

ओवेरियन कैंसर का खतरा कम होगा

काली चाय में पौलीफेनौल्स एंटी-औक्सीडेंट्स पाए जाते हैं जिन्हें थियाफ्लेविंस कहा जाता है. ये अंडाशय का कैंसर पैदा करने वाले सेल्स के प्रोडक्शन को रोकने में मदद करता हैं. एक अध्ययन में बताया गया है कि दिन भर में कम से कम दो कप काली चाय पीने वाले लोगों में ओवेरियन कैंसर का खतरा 30 प्रतिशत तक कम हो जाता है.

डायबिटीज के खतरे को कम करने में मददगार

डायबिटीज साइलेंट किलर के नाम से जाना जाता है. काली चाय में मौजूद कैटेचिन्स और थियाफ्लेविंस शरीर को इंसुलिन सेंसिटिव बनाते हैं और बीटा सेल्स डिसफंक्शन को रोकने में मदद करते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि रोजाना दो कप काली चाय पीने वाले लोगों में टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा काफी कम होता है.

हड्डियों को बनाए मजबूत

जैसे जैसे उम्र बढ़ती है वैसे वैसे हमारी हड्डियां भी कमजोर होती जाती है. ऐसे में काली चाय की आदत आपके इस समस्या से निजात दिला सकती है.

औफिस में क्या पहनें क्या नहीं

हाल ही में दिल्ली में संपन्न हुए इंडिया रनवे फैशन वीक में जब पूर्वी रौय ने अपना कलैक्शन पेश किया तो सभी ने उसे खूब सराहा. पूर्वी ने महिलाओं के लिए कपड़ों की फौर्मल रेंज पेश की, जिस में औफिस और स्पैशल औफिशियल मीटिंग्स एवं पार्टी ड्रैसेज शामिल थीं. इस कलैक्शन ने कुछ बिंदुओं की ओर ध्यान भी खींचा जैसे क्या महिलाएं अपने औफिस वियर को ले कर जागरूक रहती हैं? औफिस में उन के लिए फौर्मल गैटअप कैरी करना कितना जरूरी है? क्या महिलाएं कैजुअल और फौर्मल ड्रैसेज में अंतर को ठीक से समझती हैं? क्या महिलाएं जितनी जागरूक अपनी कैजुअल ड्रैसेज को ले कर हैं उतना ही फौर्मल ड्रैसेज को ले कर भी हैं? क्या वे जानती हैं कि कौन से कलर और स्टाइल औफिस में अच्छे लगते हैं और कौन से नहीं? ऐसे तमाम सवाल जब सामने आए तो डिजाइनर पूर्वी रौय से ही इन के जवाब जानने चाहे.

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पूर्वी ने इस विषय पर विस्तार से बात की और फौर्मल वियर को ले कर महत्त्वपूर्ण जानकारी भी दी. आइए, जानें क्या कहती हैं पूर्वी आप के फौर्मल आउटफिट के बारे में:

आत्मविश्वास और आप की ड्रैस

आमतौर पर लोगों को लगता है कि कपड़े बस शरीर ढकने और हमें सुंदर लुक देने के लिए होते हैं जबकि यह आधा सच है. बाकी का आधा सच यह है कि हमारे पहनावे का हमारे आत्मविश्वास और हमारी बोल्डनैस से गहरा संबंध है. आज के माहौल में महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं. ऐसे में उन का पहनावा किस प्रकार उन के व्यक्तित्व को बोल्ड एवं आत्मविश्वास से भरा दिखाने में उन की मदद कर सकता है, यह जानना और समझना बहुत जरूरी है.

कपड़ों के माध्यम से आप अपना आत्मविश्वास बढ़ा सकती हैं. उदाहरण के लिए अगर आप किसी मल्टीनैशनल कंपनी में काम करती हैं, तो वहां ज्यादातर कंपनियों में केवल फौर्मल ड्रैसेज ही पहनने को कहा जाता है. जब महिलाएं फौर्मल लुक कैरी करती हैं तो देखने वाले को भी लगता है कि हां इस महिला में कुछ बात है और वह खुद भी यह महसूस करती है कि उस में पहले से ज्यादा आत्मविश्वास आ गया है. उस के अंदर बोल्डनैस भी बढ़ी हुई होती है, जिस से किसी की हिम्मत नहीं होती कि कोई उस से फालतू बात कर सके.

अगर आप अपने औफिस में फौर्मल ड्रैसेज पहन कर नहीं जाती हैं तो एक बार ट्राई कीजिए. एक बार थ्री पीस फौर्मल वियर कैरी तो कीजिए. जब आप थ्री पीस पहनती हैं, कोट, पैंट और शर्ट के साथ टाई लगाती हैं तो खुद को आत्मविश्वास से भरा महसूस करती हैं, साथ ही औफिस में आप के साथ डील करने वालों का नजरिया भी आप के लिए बदल जाता है. वे आप को ज्यादा आदर दे कर आप से बात करते हैं. आप खुद महसूस करती हैं कि आप का व्यक्तित्त्व पहले से ज्यादा वजनदार हो गया है.

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ऐसा इसलिए होता हैं, क्योंकि किसी भी ड्रैस का अपना रोब होता है. और जब आप उस ड्रैस को अपनाती हैं तो आप का व्यक्तित्व खिल उठता है. ड्रैस आप को आत्मविश्वास से भरी एक अलग पहचान देती है.

खुद को कैसे करें कैरी

बहुत सी महिलाओं को यह पता नहीं होता है कि अगर वे कौरपोरेट जगत में काम कर रही हैं तो उन्हें खुद को कैसे कैरी करना चाहिए. कई मामलों में वे दूसरों को कौपी करती हैं. ऐसे में महिलाओं को सलाह है कि-

– जब भी अपने औफिस के लिए ड्रैसेज खरीदें तो स्ट्रौंग कलर ही चुनें, क्योंकि जब आप कहीं जौब कर रही होती हैं तो आप अपने काम के प्रति जिम्मेदार व जवाबदेह भी होती हैं, इसलिए एक जिम्मेदार कर्मचारी की तरह दिखना भी जरूरी है. ऐसे में स्ट्रौंग कलर का चुनाव सही रहता है.

– कलर के साथसाथ इस बात का भी खयाल रखें कि आप की ड्रैस में कम से कम डिटेलिंग हो.

– आप जो भी ड्रैस अपने लिए चुन रही हैं उसे आत्मविश्वास के साथ पहनें. उस ड्रैस को पहन कर आप के अंदर किसी भी प्रकार का संकोच या झिझक नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह संकोच आप के व्यक्तित्व को बहुत डाउन कर देता है.

– आप ने जो ड्रैस चुनी है वह सुविधाजनक होनी चाहिए. अगर थोड़ा भी लगता है कि इस ड्रैस को पहन कर आप खुद को सहज महसूस नहीं कर रही हैं तो मत पहनिए. दूसरा कोई विकल्प तलाशिए, क्योंकि अगर आप ने ऐसी ड्रैस पहन ली, जिस में आप सहज नहीं हैं तो दिन भर आप असहज महसूस करती रहेंगी और उस का बुरा असर आप के काम और व्यक्तित्व पर पड़ेगा.

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– यदि आप औफिस में शर्ट पहन रही हैं तो उसे थोड़ा टक करिए और टक कर के थोड़ा सा बाहर निकालिए. शर्ट को इस तरह बाहर रखिए ताकि आप की बैल्ट लाइन न दिखे. यदि आप ट्राउजर और शर्ट पहन रही हैं तो आप की बैल्ट दिखनी नहीं चाहिए. अगर आप शर्ट को टक नहीं करना चाहती हैं और बाहर रखना चाहती हैं तो ध्यान रहे कि आप की शर्ट की लंबाई न तो बहुत छोटी हो और न ही ज्यादा लंबी, क्योंकि औफिस में खुली हुई ओवर साइज की शर्ट अच्छी नहीं लगती. इसलिए फिटिंग वाली शर्ट ही पहनिए.

– औफिसवियर स्कर्ट भी औफिस में पहनी जा सकती है, जिसे आप शर्ट या फौर्मल टौप के साथ पहन सकती हैं.

फौर्मल शर्ट्स के लिए बैस्ट कलर्स

फौर्मल शर्ट्स के लिए बैस्ट कलर है सफेद. आप के पास 1-2 सफेद शर्ट जरूर होनी चाहिए. इस के अलावा एक काली, एक ग्रे, एक नेवी ब्लू, एक औलिव ग्रीन कलर की शर्ट भी अपनी वाडरोब में जरूर रखें. आजकल पेस्टल शेड्स भी फौर्मल शर्ट में बहुत फैशन में हैं. आप उन्हें भी ट्राई कर सकती हैं.

औफिस में क्या न पहनें

टीशर्ट, फैंसी टौप, डैनिम या अन्य फैब्रिक्स की बनी छोटी स्कर्ट्स, मिनी ड्रैस आदि को औफिस में न पहनें, क्योंकि ये सभी ड्रैसेज आप को बहुत ही कैजुअल लुक देंगी. साथ ही औफिस में काम करने के लिए आरामदायक व सुविधाजनक भी नहीं होतीं. औफिस में आप का लुक फौर्मल ही होना चाहिए. कुछ औफिशियल मौकों पर आप वन पीस ड्रैस जो कि ट्यूनिक स्टाइल में हो, पहन सकती हैं.

महिलाओं की हैल्थ के लिए सब से अहम सैनिटरी नैपकिन पर जीएसटी

सरकार ने महिलाओं को धर्म के जाल में उलझाए रखने के लिए बिंदी पर लगे जीएसटी को तो कम कर दिया पर जिस तरह से सैनिटरी पैड से जीएसटी हटाने की मांग हो रही थी उसे नजरअंदाज कर दिया है. सैनिटरी पैड महिलाओं की हैल्थ और हाइजीन के लिए सब से अहम है. ऐसे में जरूरी है कि इस पर लगे टैक्स को खत्म किया जाए ताकि यह सस्ता हो और ज्यादा से ज्यादा महिलाएं इस का प्रयोग कर सकें.

महिलाओं की सुरक्षा और सेहत की बात करें तो माहवारी सुरक्षा सब से प्रमुख विषय है. आज भी भारत में 70 फीसदी महिलाएं माहवारी के दौरान सैनिटरी पैड का प्रयोग नहीं करती हैं. इस की जगह गंदे घरेलू कपड़ों का प्रयोग माहवारी के समय करती हैं. सैनिटरी पैड के अलावा महावारी के दिनों में कुछ भी प्रयोग करना सेहत के लिए खतरा होता है. इस से संक्रमण फैलता है. कई बार यह संक्रमण इतना बढ़ जाता है कि महिला बांझपन का शिकार हो सकती है. माहवारी के दौरान फैलने वाले संक्रमण से माहवारी के समय रक्तस्राव अधिक हो सकता है, जिस से महिलाओं में ऐनीमिया का रोग बढ़ सकता है.

प्रयोग को बढ़ावा

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि भारत में महिलाओं की स्वास्थ्य सुरक्षा को देखते हुए सैनिटरी नैपकिन के प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए. केंद्र सरकार से महिलाओं को यह उम्मीद थी कि सैनिटरी पैड के प्रयोग को देखते हुए इस पर लगने वाले टैक्स को सरकार जीएसटी में कम करेगी.

सैनिटरी नैपकिन के कम प्रयोग का सब से प्रमुख यह कारण है कि इस की कीमत ज्यादा है. बाजार में इस की कीमत क्व20 प्रति पैकेट से शुरू हो कर क्व120 प्रति पैकेट तक है. एक पैकेट में

5 से 8 पैड होते हैं. महिलाओं में माहवारी का समय 3 से 5 दिन तक रहता है. कुछ में यह 7 दिन तक भी हो जाता है. माहवारी में 2-3 पैकेट तक प्रयोग में आते हैं. ऐसे में क्व60 से ले कर क्व300 तक का खर्च सैनिटरी पैड्स पर हर माह आता है.

कम हो कीमत

माहवारी के अलावा बच्चा होने के बाद होने वाले रक्तस्राव को रोकने के लिए भी सैनिटरी पैड का प्रयोग बढ़ जाता है. नेहा तिवारी कहती हैं कि गांवों और कसबों की ज्यादातर महिलाएं सैनिटरी पैड के खर्च को नाहक समझती हैं. मगर अब लोगों के लगातार प्रयास से वे यह तो समझने लगी हैं कि इस का प्रयोग जरूरी है पर इस के खर्च को वे फुजूलखर्ची समझती हैं. ऐसे में अगर इस की कीमत कम हो जाए तो महिलाएं इस का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग कर सकती हैं. शादी के बाद कुछ दिन तक शहरों में महिलाएं सैनिटरी पैड का प्रयोग करती हैं. पर बाद में पढ़ीलिखी महिलाएं भी इस का प्रयोग बंद कर देती हैं. इस पर हर माह क्व100-200 उन्हें अखरने लगता है.

सैनिटरी पैड की कीमत को कम करने का प्रयास हर स्तर पर हो रहा है. सरकारों ने सस्ते सैनिटरी पैड बनाए, जो क्व10 से क्व20 प्रति पैकेट ही बिकते हैं पर समस्या यह है कि ये हर जगह नहीं मिलते. फिर सस्ते होने के कारण इन की क्वालिटी भी बेहतर नहीं होती, जिस से माहवारी में रक्तस्राव को रोकने में ये असफल होते हैं. ऐसे में महिलाओं को औसतन क्व30 से अधिक कीमत वाले पैकेट ही लेने पड़ते हैं.

जानकार कहते हैं कि सस्ते पैड्स की सिलाई भी अच्छी नहीं होती, जिस से वे खुल जाते हैं. इन में रक्त सोखने वाला मैटीरियल भी बेहतर नहीं होता, जिस से ये ज्यादा उपयोगी नहीं रहते हैं. ऐसे में महिलाएं केंद्र सरकार से यह उम्मीद कर रही थीं कि जीएसटी में सैनिटरी पैड पर टैक्स कम होगा, जिस से यह सस्ता हो सके पर केंद्र सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया और इस पर जीएसटी की दर 12 फीसदी ही रखी. अजीब बात यह है कि काजल, बिंदी और सिंदूर पर टैक्स कम करने वाली सरकार को सैनिटरी पैड की उपयोगिता नजर नहीं आई.

हैल्थ और हाइजीन के लिए हैं खास

जीएसटी को घटाने को ले कर महिलाएं अलगअलग स्तर पर प्रयास कर रही हैं. इसे ले कर सोशल मीडिया पर एक कैंपेन भी चली, दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका भी दाखिल हुई. इस पर सरकार ने अपने बयान में कहा कि सैनिटरी पैड बनाने में जो मैटीरिल लगाया जाता है वह विदेशों से आता है, जिस के चलते सैनिटरी पैड पर टैक्स में बदलाव संभव नहीं हो सकता है.

जानकार सवाल करते हैं कि जब काजल, बिंदी पर टैक्स कम हो सकता है जोकि बहुत जरूरी और सेहत से जुड़ी चीजें नहीं है तो फिर सैनिटरी पैड पर जीएसटी कम क्यों नहीं हो सकता? हैरानी इस बात की भी है कि एक तरफ जहां केंद्र सरकार साफसफाई को बढ़ावा देना चाहती है तो वहीं दूसरी तरफ महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए सब से जरूरी सैनिटरी पैड पर वह जीएसटी कम करने को तैयार नहीं है. ऐसे में यह साफ है कि सरकार को महिलाओं की सेहत व हाइजीन का कोई खयाल नहीं है.

सफल नहीं होगा सफाई का संदेश

सैनिटरी पैड का प्रयोग 13 साल से ले कर 50-55 साल तक की महिलाएं करती हैं. यह हर माह की जरूरत है. एक तरफ इस का प्रयोग बढ़ाने के लिए तमाम तरह के जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं तो दूसरी तरफ सरकार ने इस पर जीएसटी 12 फीसदी कर रखा है. अगर सरकार इसे कम करे तो ज्यादा से ज्यादा महिलाएं इस का प्रयोग कर सकेंगी और खुद को स्वस्थ रख सकेंगी. जब तक हर महिला सैनिटरी पैड का प्रयोग करना शुरू नहीं करेगी तब तक घरघर में शौचालय बना कर सफाई देने का संदेश भी सफल नहीं होगा. गांवों और कसबों में महिलाएं केवल शौच के लिए ही खेतों में नहीं जातीं माहवारी के समय प्रयोग किए जाने वाले गंदे कपड़ों को भी फेंकने जाती हैं. माहवारी से गंदे हुए कपड़ों की जगह पर सैनिटरी पैड का डिस्पोजल करना आसान होता है.

हस्तक्षेप करे सरकार

महिला स्वास्थ्य की दिशा में काम कर रही रागिनी उपाध्याय कहती हैं कि 35 साल के बाद बहुत सारी महिलाओं की बच्चेदानी में कई ऐसी बीमारियां फैलने लगी हैं जो माहवारी में रक्तस्राव को बढ़ा देती हैं. इसे रोकने के लिए जब गंदे कपड़ों का प्रयोग किया जाता है तो बच्चेदानी के कैंसर तक की संभावना बढ़ जाती है. ऐसे में यह जरूरी है कि महिलाएं ज्यादा से ज्यादा सैनिटरी पैड का प्रयोग करें. अगर सरकार सैनिटरी पैड पर लगे 12 फीसदी जीएसटी को माफ कर दे तो पैड की कीमत आधी रह जाएगी, जिस से महिलाएं इस का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग कर सकेंगी. उन की हैल्थ और हाइजीन के लिए यह बहुत जरूरी है.

दंगल की धाकड़ गर्ल जायरा वसीम की तुनकमिजाजी

गत 9 दिसंबर को विस्तारा ऐअरलाइंस की फ्लाइट से दिल्ली से मुंबई जा रही ‘दंगल’ फेम ऐक्ट्रैस जायरा वसीम ने मुंबई पहुंचने के बाद रविवार को इंस्टाग्राम पर कुछ ऐसा पोस्ट डाला कि लोग हैरान रह गए.

दरअसल, जायरा ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड किया था, जिस में वह रोतीरोती बता रही है कि कैसे बीती रात फ्लाइट में उस के साथ एक शर्मनाक घटना घटी. फ्लाइट में जायरा के ठीक पीछे बैठा शख्स अपने पैर से बारबार उस के कंधे को रगड़ता रहा. वह गरदन और पीठ पर भी पैर ऊपर नीचे करता रहा. फ्लाइट के क्रू मैंबर्स ने भी उस की मदद नहीं की. जायरा ने रिकौर्डिंग करनी चाही पर रोशनी कम होने की वजह से वह ऐसा नहीं कर सकी.

बाद में वीडियो वायरल होने पर रविवार शाम आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया. जायरा वसीम ने हाल ही में महिला पहलवान गीता फोगाट के जीवन पर आधारित बहुचर्चित फिल्म ‘दंगल’ में गीता की किशोरावस्था का किरदार निभाया था. उस के बाद वह फिल्म ‘सीक्रेट सुपरस्टार’ में भी मुख्य किरदार में नजर आई.’

इस घटना के बाद गीता फोगट ने तुरंत अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि यह बहुत ही शर्मनाक है. यदि वह वहां होती तो रोना उसे पड़ता जिस ने ऐसी हरकत की न कि उसे. वाकई जायरा ने गीता फोगट का किरदार तो निभाया पर रियल लाइफ में वैसी नहीं बन सकी.

क्यों आवाज नहीं उठातीं लड़कियां

हम लड़कियों को पढ़ालिखा कर सबल बनाने की मुहिम तो चलाते हैं, उन्हें आगे बढ़ने के मौके देने की बातें भी करते हैं, मगर उन के अंदर बैठे सामाजिक खौफ और संकोच की दीवार गिराने का प्रयास नहीं करते. उन्हें जरूरत पड़ने पर कठोर होने और अपनी सुरक्षा स्वयं करने के गुर नहीं सिखाते. मनचलों की पिटाई करने और अपराधियों से लड़ने का हौसला नहीं देते. यही वजह है कि जायरा जैसी लड़कियां पढ़ीलिखी और आत्मनिर्भर होने के बावजूद अंदर से कमजोर ही साबित होती हैं. जायरा ने इतनी कम उम्र में नाम और धन कमाया, दुनिया में अपनी काबिलीयत का लोहा मनवाया मगर जब बात आत्मबल दिखाने और छिछोरी हरकतों का मुंहतोड़ जवाब देने की आई तो वह चूक गई. गलत के खिलाफ मजबूती से खड़ी न हो सकी और उस की आंखों में आंसू आ गए. इस रुदन का औचित्य क्या है?

रुदन किसलिए

सवाल यह है कि क्या एक अनजान सामान्य सा शख्स जायरा के साथ सचमुच बदतमीजी कर रहा था या यह तुनकमिजाजी है?

कई दफा छोटी सी बात को भी बेवजह तूल दिया जाता है ताकि मीडिया का ध्यान और लोगों की सहानुभूति हासिल हो सके. महिला या सैलिब्रिटी होने का मतलब यह कतई नहीं कि बेवजह बात का बतंगड़ बनाया जाए. आजकल वैसे भी सोशल मीडिया में चीजें इतनी तेजी से वायरल होती हैं कि जरा सी बात भी कईकई दिनों तक सुर्खियों में छाई रहती है. खासकर वैसी बातें जिन का संबंध किसी स्टार से हो. जबकि वास्तव में जहां बलात्कार से ले कर हत्या तक की घटनाएं हो जाती हैं उन पर लोग सोचने या प्रतिक्रिया देने की भी जहमत नहीं उठाते. 4 पंक्तियों के संक्षिप्त से समाचार की तरह सामने आ कर ये बातें कहीं कोने में खो जाती हैं.

अगर वास्तव में जायरा के साथ अति हो रही थी तो वह उसी वक्त भड़क उठती जब पहली बार उस पुरुष ने गलत हरकत की. जोर से चिल्ला कर अपनी बात क्रू मैंबर्स के आगे रखती या बोल कर सीट बदलवा लेती तो उसे इस कदर बाद में रोते हुए वीडियो शेयर नहीं करना पड़ता.

जायरा की इस तुनकमिजाजी और रुदन से इतर महिला सुरक्षा से जुड़ी गंभीर समस्याओं और उपायों पर चर्चा करें तो कुछ बिंदुओं पर ध्यान देना जरूरी हो जाता है.

प्रतिकार जरूरी

किसी महिला / लड़की के साथ वास्तव में कोई शख्स छिछोरी हरकतें करता है, तो बेहतर होगा कि पहली बार में ही लड़की उसे आंखें दिखा कर उस की सीमा बता दे. इस के विपरीत उस की हरकतों को इगनोर करने का मतलब उस का मनोबल बढ़ाना है.

मान लीजिए कोई शख्स आप के सोने की चेनपर्स या कोई और महंगा सामान ले कर भागने का प्रयास करता है तो क्या आप शोर मचाने और उस के पीछे भाग कर उसे धर दबोचने का प्रयास नहीं करेंगी? उसे रोकने के लिए अपनी पूरी ताकत नहीं लगा देंगी? फिर इसी तरह यदि कोई शख्स आप की इज्जत पर हमला करता है या छे़ड़छाड़ करने का प्रयास करता है तो क्या यह उचित नहीं कि आप शोर मचाएं और उस के हौसले को पस्त करने में अपना दमखम लगा दें?

डर का सामना करें

मनोचिकित्सक, डा. गौरव गुप्ता कहते हैं, ‘‘डर का सामना करें, डर अपनेआप भाग जाएगा. अपने अंदर आत्मविश्वास जगाएं, यही आप की मदद करेगा.’’

जेएनयू की एक छात्रा जाह्नवी गांगुली अपना एक कटु अनुभव याद कर आज भी सिहर उठती हैं. एक आदमी उस का पीछा करता था. अश्लील इशारे भी करता. कई दिनों तक वह अपने पिताभाई को ले कर निकलती रही पर यह समस्या का समाधान नहीं था. पिताभाई कब तक साथ देते? कभी तो उसे अकेले भी निकलना ही था. वह बहुत डरी हुई रहती. अपना सामान्य जीवन नहीं जी पा रही थी. हमेशा यही सोचती कि कब घर से निकले, क्या पहन कर निकले कि उस की नजर न पड़े.

अंत में उस ने अपने कालेज में इस तरह की समस्याओं से निबटने हेतु बनाई गई समिति में शिकायत की.

समिति के जरीए उस व्यक्ति को सचेत करते हुए चेतावनी दी गई कि वह ऐसी हरकतें छोड़ दे वरना कड़ी काररवाई की जाएगी. उस के बाद ही उस व्यक्ति ने जाह्नवी का पीछा करना छोड़ दिया.

इसी तरह 28 वर्षीय स्वाति जो एक बिजनैस वूमन है ने 6 महीने की ट्रेनिंग ली, जिस में उसे आत्मरक्षा के गुर सिखाए गए. वह बताती है कि प्रशिक्षण लेने के बाद वह ज्यादा आत्मविश्वासी, जिंदादिल और शक्तिशाली होने का एहसास करती है.

जाहिर है कि असुरक्षा, छेड़छाड़ के भय से घर में बैठने से काम नहीं चलेगा न ही रोनेधोने या दूसरों पर इलजाम लगाने से कुछ मिलने वाला है. जरूरी है खुद को मजबूत बनाना और अपनी सुरक्षा के लिए स्वयं मुस्तैद रहना.

आंकड़ों पर एक नजर

हाल ही में प्रजा फाउंडेशन के शोध संस्थान हंसा रिसर्च द्वारा 24,301 परिवारों पर किए गए सर्वेक्षण के आधार पर तैयार रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराध निरंतर बढ़ रहे हैं. 2016 में महिलाओं के साथ छेड़छाड़ के कुल 3,969 मामले दर्ज हुए जबकि अपहरण के दर्ज कुल मामलों में से 59.60 मामलों का संबंध महिलाओं के अपहरण से था.

नैशनल क्राइम रिकौर्ड ब्यूरो के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 2016 में देश में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों की औसत दर 77.2% रही वहीं दिल्ली में यह दर 182% रही.

लैंगिक असमानता और असुरक्षा

गत 2 नवंबर को वर्ल्ड इकौनौमी फोरम ने ग्लोबल जैंडर गैप इंडैक्स (वैश्विक लैंगिक असमानता सूचक) 2017 की सूची जारी की, जिस में लैंगिक समानता के मामले में भारत को दुनिया के 144 देशों की सूची में 108वां स्थान मिला है. पिछले साल इस सूची में भारत का स्थान 87वां था.

भारत की खराब रैंकिंग के लिए मुख्यतया 2 कारकों को जिम्मेदार बताया गया है. इस में से एक है आर्थिक गतिविधियों में महिलाओं की घटती भागीदारी. दुनिया में भारत की रैंकिंग 139वें स्थान पर है. आर्थिक गतिविधियों के संदर्भ में देखा जाए तो 86% नाइट शिफ्ट में आतेजाते समय परेशानी महसूस करती हैं. बीपीओ, आईटी, होटल इंडस्ट्री, नागरिक उड्डयन, नर्सिंग होम, गारमैंट इंडस्ट्री आदि में लगभग 53% कामकाजी महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करतीं.

देश की राजधानी दिल्ली तक में 65% महिलाएं खुद को महफूज नहीं मानतीं. ऐसे हालात में महिलाएं पूरे आत्मविश्वास के साथ नौकरी कैसे कर पाएंगी?

मी ऐंड माईसैल्फ : उम्र भले ही ढलने लगे, पर्सनैलिटी फीकी नहीं पड़नी चाहिए

अकसर उम्र बढ़ने के साथसाथ और गृहिणी होने के कारण महिलाओं की यह सोच बन जाती है कि उन्हें किस के लिए सुंदर दिखना है. आखिर उन्हें देखने वाला ही कौन है. यह उम्र तो उन के बच्चों के सजनेसंवरने की है. सजनासंवरना तो सिर्फ उन महिलाओं के लिए जरूरी होता है जो कामकाज के सिलसिले में घर से बाहर हैं. लेकिन आज की उन की यह सोच बिलकुल गलत है, क्योंकि पहननाओढ़ना उम्र का मुहताज नहीं होता, बल्कि यह तो महिला की खुद की इच्छा पर निर्भर करता है कि वह खुद को हर उम्र में कैसे वैल मैंटेन रख कर सैलिब्रिटीज की तरह मिसाल कायम कर सकती है. इसलिए यह बात मन में बैठा लें कि उम्र भले ही ढलने लगे, लेकिन पर्सनैलिटी फीकी नहीं पड़नी चाहिए.

ये सैलिब्रिटीज हैं मिसाल

हेमामालिनी

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हेमामालिनी आज करीब 69 साल की हैं और आज भी ग्लैमरस ऐक्ट्रैस मानी जाती हैं. अपने ग्लैमरस लुक को आज भी बरकरार रखते हुए वे यंग ऐक्ट्रैसेज को मात देती हैं. आज भी वे कइयों की ड्रीम गर्ल हैं. जब वे किसी फैशन शो में जाती हैं, तो उन का रैंप पर चलना ही कइयों के होश उड़ा देता है. दर्शक उन की फिल्मों के कायल हैं.

हेमामालिनी को क्लासिकल डांस में महारथ हासिल है. अपनी इसी कला से वे खुद को और ज्यादा मैंटेन रखती हैं. उन की ऐजलैस ब्यूटी का राज यह भी है कि वे मेकअप कम से कम करती हैं और ट्रैडिशनल ब्यूटी टिप्स को ही आजमाने में विश्वास रखती हैं. स्किन को ग्लोइंग बनाने के लिए वे फलों और सब्जियों को अपनी डाइट में शामिल करने पर ज्यादा जोर देती हैं. यही सब चीजें उन्हें हर उम्र में खूबसूरत और हैल्दी बनाए हुए हैं.

माधुरी दीक्षित

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50 साल की होने के बावजूद माधुरी का फेस फ्रैश लुक देता है, क्योंकि वे ऐक्ट्रैस होने के बावजूद भी महंगे कौस्मैटिक प्रोडक्ट्स को यूज करने के बजाय घरेलू नुसखों पर ज्यादा विश्वास रखती हैं.

माधुरी का सभी उम्र के लोगों के लिए हमेशा यही संदेश रहता है कि भले आप की उम्र बढ़ती जाए, लेकिन आप हमेशा खुद को मैंटेन रखें ताकि देखने वाले देखते रह जाएं. माधुरी को डांस का शौक है और वे अपने इसी शौक को ऐक्सरसाइज के तौर पर प्रयोग कर खुद को फिट बनाए रखती हैं. वे दूसरों के लिए नहीं, बल्कि खुद के लिए मैंटेन रहती हैं.

जूही चावला

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चुलबुले किरदार और मनमोहक मुसकान के लिए जानी जाने वाली जूही चावला 50 साल की उम्र में भी खुद को वैल मैंटेन किए हुए हैं. उन का मानना है कि भले ही हम घर पर रहें, तो भी खुद को मैंटेन रखना चाहिए. इस से हमारा कौन्फिडैंस बूस्ट होता है. वे अपनी स्किन को हमेशा तरोताजा बनाए रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीती हैं और रात को मेकअप रिमूव करने के बाद ही सोती हैं.

जूही का मानना है कि अगर खुद को बीमारियों से बचाना है तो सुबह की नींद छोड़ कर फ्रैश हवा में घूमें. फिर देखें कैसे आप पूरी उम्र जवां दिखती हैं.

कैसे संवारें खुद को

कोकिल कपूर मेकओवर के अनुसार सब से पहले हमारा चेहरा आकर्षित करता है, बाकी चीजों पर ध्यान बाद में जाता है, इसलिए स्किन केयर बहुत जरूरी है. जिस तरह समयसमय पर आप का मन मार्केट जा कर अच्छे आउटफिट्स खरीदने का होता है ठीक उसी तरह आप समयसमय पर अपने फेस को भी ब्यूटी ट्रीटमैंट दे कर और ग्लोइंग बनाएं. यह न सोचें कि मैं तो घर पर ही रहती हूं, इसलिए मुझे क्या जरूरत है. आप का ऐसा सोचना गलत है, क्योंकि आप भले ही घर में रहती हों, लेकिन किचन से वास्ता तो पड़ता ही है जहां धुआं, पसीना त्वचा को प्रभावित करते हैं. इसलिए स्किन ट्रीटमैंट लेना जरूरी है ताकि आप की स्किन हर उम्र में हैल्दी रहे.

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इस के लिए महीने में 1 बार ब्यूटीपार्लर जरूर जाएं. घर पर ग्लो के लिए आप संतरे के रस में बेसन मिला कर हफ्ते में 2 बार चेहरे पर लगाएं. मुहांसों के लिए खीरे के पानी में बेसन मिला कर चेहरे पर लगाएं.

डाइट का रखें खास ध्यान

डा. पवन सेफी, रचना डाइट के अनुसार शादी से पहले तक हर लड़की हैल्थ कौंशस होती है, खुद को मैंटेन रखती है. लेकिन शादी के बाद वह खुद के प्रति केयरलैस हो जाती है, जबकि हर 5 साल में हारमोंस में बदलाव होता रहता है. वह लड़की से पत्नी और पत्नी से मां तक बन जाती है, फिर भी खुद के लाइफस्टाइल को बदलती नहीं. एक ही फ्रेम में हमेशा सैट रहती है.

पहले पति को खुश करने के लिए उस की पसंद की चीजें बनाती हैं, फिर बच्चों की पसंद की. भले ही उस के लिए वे चीजें सही हों या नहीं और कभीकभी तो बिना खाए भी पूरा दिन निकाल देती है. यही लापरवाही धीरेधीरे उसे बीमारियों की गिरफ्त में ले जाती है. ऐसे में जरूरी है हैल्दी व समय पर खाना खाना. पूरे दिन में कम से कम 10-12 गिलास लिक्विड लें ताकि खुद को फिट रख पाएं. ध्यान रखें प्रैगनैंसी के बाद दूध पीने से ज्यादा फल और सब्जियां खाएं, क्योंकि विटामिंस और मिनरल्स की पूर्ति इन्हीं से होती है.

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न पड़ें मैडिकल ट्रीटमैंट के चक्कर में

बौलीवुड में खुद को खूबसूरत दिखाने की होड़ लगी रहती है और इसी होड़ में वे अपने हर अंग को खूबसूरत बनाने के लिए प्लास्टिक सर्जरी तक कराने में पीछे नहीं रहतीं. लेकिन आप को बता दें कि अनेक ऐसे उदाहरण हैं प्लास्टिक सर्जरी के, जिन के घातक परिणाम सामने आए हैं. इन में शुमार हैं कोइना मित्रा, राखी सांवत, कंगना राणावत, अनुष्का शर्मा, मिनिषा लांबा, जिन्हें बाद में अपने फैसले पर बहुत पछताना पड़ा, क्योंकि खूबसूरत दिखने की जिस चाह से उन्होंने सर्जरी कराई थी उसी ने उन्हें बदसूरत बना दिया.

आज भी लोग कंगना के मासूम चेहरे को मिस करते हैं और राखी के प्लास्टिक फेस के चर्चे तो काफी समय तक रहे. इतना ही नहीं ईशा देओल की लिप सर्जरी भी चर्चा में रही. इसलिए खुद को संवारने के लिए मैडिकल ट्रीटमैंट के चक्कर में न पड़ें.

बनाएं खुद से अपनी पहचान

आप की पहचान खुद से, आप के वर्क से, आप की पर्सनैलिटी से होनी चाहिए न कि आप के पिता, पति के नाम से. आप जब कहीं जाएं तो कोई यह न कहे कि आप फलां उद्योगपति की पत्नी हैं, बल्कि आप अपने व्यक्तित्व से मुकाम हासिल करें. लोगों की जबान पर बस आप की सफलता के ही चर्चे हों.

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ड्रैसिंग सैंस का रखें खयाल

नोएडा स्थित केडीआई की फैशन डिजाइनर मीनाक्षी शर्मा के अनुसार आप की ड्रैसिंग सैंस हर उम्र में यूनीक होनी चाहिए ताकि आप चाहे घर में हों या बाहर सभी आप के आउटफिट्स की तारीफ करें. यह जरूरी नहीं कि महंगे आउटफिट्स से ही आप तारीफ पा सकती हैं या फिर जो कपड़े दूसरों पर अच्छे लगें वे आप पर भी अच्छे लगें. बल्कि जरूरी है कि आप अपने फीचर्स को ध्यान में रख कर कलर और कपड़ों का चयन करें. फिटिंग का ध्यान खासतौर पर रखें, क्योंकि अगर आप जरूरत से ज्यादा ढीले या टाइट कपड़े पहनेंगी तो बेढंगी लगेंगी. इसलिए फिटिंग एकदम परफैक्ट होनी चाहिए. ब्राइट कलर के कपड़े ज्यादा खरीदें और उन के साथ ऐक्सैसरीज और फुटवियर भी मैचिंग हो. सिर्फ कपड़ों पर ही नहीं, बल्कि अपने लुक और फेस पर भी ध्यान दें. फिर देखिए आप का कौन्फिडैंस अलग ही दिखेगा.

यह सोच कभी मन में न लाएं कि हमें क्या जरूरत इस उम्र में ड्रैस सैंस रखने की, क्योंकि यह न सिर्फ आप के लिए, बल्कि औरों के सामने भी आप को प्रेजैंटेबल बनाती है.

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