दंगल की धाकड़ गर्ल जायरा वसीम की तुनकमिजाजी

गत 9 दिसंबर को विस्तारा ऐअरलाइंस की फ्लाइट से दिल्ली से मुंबई जा रही ‘दंगल’ फेम ऐक्ट्रैस जायरा वसीम ने मुंबई पहुंचने के बाद रविवार को इंस्टाग्राम पर कुछ ऐसा पोस्ट डाला कि लोग हैरान रह गए.

दरअसल, जायरा ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड किया था, जिस में वह रोतीरोती बता रही है कि कैसे बीती रात फ्लाइट में उस के साथ एक शर्मनाक घटना घटी. फ्लाइट में जायरा के ठीक पीछे बैठा शख्स अपने पैर से बारबार उस के कंधे को रगड़ता रहा. वह गरदन और पीठ पर भी पैर ऊपर नीचे करता रहा. फ्लाइट के क्रू मैंबर्स ने भी उस की मदद नहीं की. जायरा ने रिकौर्डिंग करनी चाही पर रोशनी कम होने की वजह से वह ऐसा नहीं कर सकी.

बाद में वीडियो वायरल होने पर रविवार शाम आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया. जायरा वसीम ने हाल ही में महिला पहलवान गीता फोगाट के जीवन पर आधारित बहुचर्चित फिल्म ‘दंगल’ में गीता की किशोरावस्था का किरदार निभाया था. उस के बाद वह फिल्म ‘सीक्रेट सुपरस्टार’ में भी मुख्य किरदार में नजर आई.’

इस घटना के बाद गीता फोगट ने तुरंत अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि यह बहुत ही शर्मनाक है. यदि वह वहां होती तो रोना उसे पड़ता जिस ने ऐसी हरकत की न कि उसे. वाकई जायरा ने गीता फोगट का किरदार तो निभाया पर रियल लाइफ में वैसी नहीं बन सकी.

क्यों आवाज नहीं उठातीं लड़कियां

हम लड़कियों को पढ़ालिखा कर सबल बनाने की मुहिम तो चलाते हैं, उन्हें आगे बढ़ने के मौके देने की बातें भी करते हैं, मगर उन के अंदर बैठे सामाजिक खौफ और संकोच की दीवार गिराने का प्रयास नहीं करते. उन्हें जरूरत पड़ने पर कठोर होने और अपनी सुरक्षा स्वयं करने के गुर नहीं सिखाते. मनचलों की पिटाई करने और अपराधियों से लड़ने का हौसला नहीं देते. यही वजह है कि जायरा जैसी लड़कियां पढ़ीलिखी और आत्मनिर्भर होने के बावजूद अंदर से कमजोर ही साबित होती हैं. जायरा ने इतनी कम उम्र में नाम और धन कमाया, दुनिया में अपनी काबिलीयत का लोहा मनवाया मगर जब बात आत्मबल दिखाने और छिछोरी हरकतों का मुंहतोड़ जवाब देने की आई तो वह चूक गई. गलत के खिलाफ मजबूती से खड़ी न हो सकी और उस की आंखों में आंसू आ गए. इस रुदन का औचित्य क्या है?

रुदन किसलिए

सवाल यह है कि क्या एक अनजान सामान्य सा शख्स जायरा के साथ सचमुच बदतमीजी कर रहा था या यह तुनकमिजाजी है?

कई दफा छोटी सी बात को भी बेवजह तूल दिया जाता है ताकि मीडिया का ध्यान और लोगों की सहानुभूति हासिल हो सके. महिला या सैलिब्रिटी होने का मतलब यह कतई नहीं कि बेवजह बात का बतंगड़ बनाया जाए. आजकल वैसे भी सोशल मीडिया में चीजें इतनी तेजी से वायरल होती हैं कि जरा सी बात भी कईकई दिनों तक सुर्खियों में छाई रहती है. खासकर वैसी बातें जिन का संबंध किसी स्टार से हो. जबकि वास्तव में जहां बलात्कार से ले कर हत्या तक की घटनाएं हो जाती हैं उन पर लोग सोचने या प्रतिक्रिया देने की भी जहमत नहीं उठाते. 4 पंक्तियों के संक्षिप्त से समाचार की तरह सामने आ कर ये बातें कहीं कोने में खो जाती हैं.

अगर वास्तव में जायरा के साथ अति हो रही थी तो वह उसी वक्त भड़क उठती जब पहली बार उस पुरुष ने गलत हरकत की. जोर से चिल्ला कर अपनी बात क्रू मैंबर्स के आगे रखती या बोल कर सीट बदलवा लेती तो उसे इस कदर बाद में रोते हुए वीडियो शेयर नहीं करना पड़ता.

जायरा की इस तुनकमिजाजी और रुदन से इतर महिला सुरक्षा से जुड़ी गंभीर समस्याओं और उपायों पर चर्चा करें तो कुछ बिंदुओं पर ध्यान देना जरूरी हो जाता है.

प्रतिकार जरूरी

किसी महिला / लड़की के साथ वास्तव में कोई शख्स छिछोरी हरकतें करता है, तो बेहतर होगा कि पहली बार में ही लड़की उसे आंखें दिखा कर उस की सीमा बता दे. इस के विपरीत उस की हरकतों को इगनोर करने का मतलब उस का मनोबल बढ़ाना है.

मान लीजिए कोई शख्स आप के सोने की चेनपर्स या कोई और महंगा सामान ले कर भागने का प्रयास करता है तो क्या आप शोर मचाने और उस के पीछे भाग कर उसे धर दबोचने का प्रयास नहीं करेंगी? उसे रोकने के लिए अपनी पूरी ताकत नहीं लगा देंगी? फिर इसी तरह यदि कोई शख्स आप की इज्जत पर हमला करता है या छे़ड़छाड़ करने का प्रयास करता है तो क्या यह उचित नहीं कि आप शोर मचाएं और उस के हौसले को पस्त करने में अपना दमखम लगा दें?

डर का सामना करें

मनोचिकित्सक, डा. गौरव गुप्ता कहते हैं, ‘‘डर का सामना करें, डर अपनेआप भाग जाएगा. अपने अंदर आत्मविश्वास जगाएं, यही आप की मदद करेगा.’’

जेएनयू की एक छात्रा जाह्नवी गांगुली अपना एक कटु अनुभव याद कर आज भी सिहर उठती हैं. एक आदमी उस का पीछा करता था. अश्लील इशारे भी करता. कई दिनों तक वह अपने पिताभाई को ले कर निकलती रही पर यह समस्या का समाधान नहीं था. पिताभाई कब तक साथ देते? कभी तो उसे अकेले भी निकलना ही था. वह बहुत डरी हुई रहती. अपना सामान्य जीवन नहीं जी पा रही थी. हमेशा यही सोचती कि कब घर से निकले, क्या पहन कर निकले कि उस की नजर न पड़े.

अंत में उस ने अपने कालेज में इस तरह की समस्याओं से निबटने हेतु बनाई गई समिति में शिकायत की.

समिति के जरीए उस व्यक्ति को सचेत करते हुए चेतावनी दी गई कि वह ऐसी हरकतें छोड़ दे वरना कड़ी काररवाई की जाएगी. उस के बाद ही उस व्यक्ति ने जाह्नवी का पीछा करना छोड़ दिया.

इसी तरह 28 वर्षीय स्वाति जो एक बिजनैस वूमन है ने 6 महीने की ट्रेनिंग ली, जिस में उसे आत्मरक्षा के गुर सिखाए गए. वह बताती है कि प्रशिक्षण लेने के बाद वह ज्यादा आत्मविश्वासी, जिंदादिल और शक्तिशाली होने का एहसास करती है.

जाहिर है कि असुरक्षा, छेड़छाड़ के भय से घर में बैठने से काम नहीं चलेगा न ही रोनेधोने या दूसरों पर इलजाम लगाने से कुछ मिलने वाला है. जरूरी है खुद को मजबूत बनाना और अपनी सुरक्षा के लिए स्वयं मुस्तैद रहना.

आंकड़ों पर एक नजर

हाल ही में प्रजा फाउंडेशन के शोध संस्थान हंसा रिसर्च द्वारा 24,301 परिवारों पर किए गए सर्वेक्षण के आधार पर तैयार रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराध निरंतर बढ़ रहे हैं. 2016 में महिलाओं के साथ छेड़छाड़ के कुल 3,969 मामले दर्ज हुए जबकि अपहरण के दर्ज कुल मामलों में से 59.60 मामलों का संबंध महिलाओं के अपहरण से था.

नैशनल क्राइम रिकौर्ड ब्यूरो के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 2016 में देश में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों की औसत दर 77.2% रही वहीं दिल्ली में यह दर 182% रही.

लैंगिक असमानता और असुरक्षा

गत 2 नवंबर को वर्ल्ड इकौनौमी फोरम ने ग्लोबल जैंडर गैप इंडैक्स (वैश्विक लैंगिक असमानता सूचक) 2017 की सूची जारी की, जिस में लैंगिक समानता के मामले में भारत को दुनिया के 144 देशों की सूची में 108वां स्थान मिला है. पिछले साल इस सूची में भारत का स्थान 87वां था.

भारत की खराब रैंकिंग के लिए मुख्यतया 2 कारकों को जिम्मेदार बताया गया है. इस में से एक है आर्थिक गतिविधियों में महिलाओं की घटती भागीदारी. दुनिया में भारत की रैंकिंग 139वें स्थान पर है. आर्थिक गतिविधियों के संदर्भ में देखा जाए तो 86% नाइट शिफ्ट में आतेजाते समय परेशानी महसूस करती हैं. बीपीओ, आईटी, होटल इंडस्ट्री, नागरिक उड्डयन, नर्सिंग होम, गारमैंट इंडस्ट्री आदि में लगभग 53% कामकाजी महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करतीं.

देश की राजधानी दिल्ली तक में 65% महिलाएं खुद को महफूज नहीं मानतीं. ऐसे हालात में महिलाएं पूरे आत्मविश्वास के साथ नौकरी कैसे कर पाएंगी?

मी ऐंड माईसैल्फ : उम्र भले ही ढलने लगे, पर्सनैलिटी फीकी नहीं पड़नी चाहिए

अकसर उम्र बढ़ने के साथसाथ और गृहिणी होने के कारण महिलाओं की यह सोच बन जाती है कि उन्हें किस के लिए सुंदर दिखना है. आखिर उन्हें देखने वाला ही कौन है. यह उम्र तो उन के बच्चों के सजनेसंवरने की है. सजनासंवरना तो सिर्फ उन महिलाओं के लिए जरूरी होता है जो कामकाज के सिलसिले में घर से बाहर हैं. लेकिन आज की उन की यह सोच बिलकुल गलत है, क्योंकि पहननाओढ़ना उम्र का मुहताज नहीं होता, बल्कि यह तो महिला की खुद की इच्छा पर निर्भर करता है कि वह खुद को हर उम्र में कैसे वैल मैंटेन रख कर सैलिब्रिटीज की तरह मिसाल कायम कर सकती है. इसलिए यह बात मन में बैठा लें कि उम्र भले ही ढलने लगे, लेकिन पर्सनैलिटी फीकी नहीं पड़नी चाहिए.

ये सैलिब्रिटीज हैं मिसाल

हेमामालिनी

beauty

हेमामालिनी आज करीब 69 साल की हैं और आज भी ग्लैमरस ऐक्ट्रैस मानी जाती हैं. अपने ग्लैमरस लुक को आज भी बरकरार रखते हुए वे यंग ऐक्ट्रैसेज को मात देती हैं. आज भी वे कइयों की ड्रीम गर्ल हैं. जब वे किसी फैशन शो में जाती हैं, तो उन का रैंप पर चलना ही कइयों के होश उड़ा देता है. दर्शक उन की फिल्मों के कायल हैं.

हेमामालिनी को क्लासिकल डांस में महारथ हासिल है. अपनी इसी कला से वे खुद को और ज्यादा मैंटेन रखती हैं. उन की ऐजलैस ब्यूटी का राज यह भी है कि वे मेकअप कम से कम करती हैं और ट्रैडिशनल ब्यूटी टिप्स को ही आजमाने में विश्वास रखती हैं. स्किन को ग्लोइंग बनाने के लिए वे फलों और सब्जियों को अपनी डाइट में शामिल करने पर ज्यादा जोर देती हैं. यही सब चीजें उन्हें हर उम्र में खूबसूरत और हैल्दी बनाए हुए हैं.

माधुरी दीक्षित

beauty

50 साल की होने के बावजूद माधुरी का फेस फ्रैश लुक देता है, क्योंकि वे ऐक्ट्रैस होने के बावजूद भी महंगे कौस्मैटिक प्रोडक्ट्स को यूज करने के बजाय घरेलू नुसखों पर ज्यादा विश्वास रखती हैं.

माधुरी का सभी उम्र के लोगों के लिए हमेशा यही संदेश रहता है कि भले आप की उम्र बढ़ती जाए, लेकिन आप हमेशा खुद को मैंटेन रखें ताकि देखने वाले देखते रह जाएं. माधुरी को डांस का शौक है और वे अपने इसी शौक को ऐक्सरसाइज के तौर पर प्रयोग कर खुद को फिट बनाए रखती हैं. वे दूसरों के लिए नहीं, बल्कि खुद के लिए मैंटेन रहती हैं.

जूही चावला

beauty

चुलबुले किरदार और मनमोहक मुसकान के लिए जानी जाने वाली जूही चावला 50 साल की उम्र में भी खुद को वैल मैंटेन किए हुए हैं. उन का मानना है कि भले ही हम घर पर रहें, तो भी खुद को मैंटेन रखना चाहिए. इस से हमारा कौन्फिडैंस बूस्ट होता है. वे अपनी स्किन को हमेशा तरोताजा बनाए रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीती हैं और रात को मेकअप रिमूव करने के बाद ही सोती हैं.

जूही का मानना है कि अगर खुद को बीमारियों से बचाना है तो सुबह की नींद छोड़ कर फ्रैश हवा में घूमें. फिर देखें कैसे आप पूरी उम्र जवां दिखती हैं.

कैसे संवारें खुद को

कोकिल कपूर मेकओवर के अनुसार सब से पहले हमारा चेहरा आकर्षित करता है, बाकी चीजों पर ध्यान बाद में जाता है, इसलिए स्किन केयर बहुत जरूरी है. जिस तरह समयसमय पर आप का मन मार्केट जा कर अच्छे आउटफिट्स खरीदने का होता है ठीक उसी तरह आप समयसमय पर अपने फेस को भी ब्यूटी ट्रीटमैंट दे कर और ग्लोइंग बनाएं. यह न सोचें कि मैं तो घर पर ही रहती हूं, इसलिए मुझे क्या जरूरत है. आप का ऐसा सोचना गलत है, क्योंकि आप भले ही घर में रहती हों, लेकिन किचन से वास्ता तो पड़ता ही है जहां धुआं, पसीना त्वचा को प्रभावित करते हैं. इसलिए स्किन ट्रीटमैंट लेना जरूरी है ताकि आप की स्किन हर उम्र में हैल्दी रहे.

beauty

इस के लिए महीने में 1 बार ब्यूटीपार्लर जरूर जाएं. घर पर ग्लो के लिए आप संतरे के रस में बेसन मिला कर हफ्ते में 2 बार चेहरे पर लगाएं. मुहांसों के लिए खीरे के पानी में बेसन मिला कर चेहरे पर लगाएं.

डाइट का रखें खास ध्यान

डा. पवन सेफी, रचना डाइट के अनुसार शादी से पहले तक हर लड़की हैल्थ कौंशस होती है, खुद को मैंटेन रखती है. लेकिन शादी के बाद वह खुद के प्रति केयरलैस हो जाती है, जबकि हर 5 साल में हारमोंस में बदलाव होता रहता है. वह लड़की से पत्नी और पत्नी से मां तक बन जाती है, फिर भी खुद के लाइफस्टाइल को बदलती नहीं. एक ही फ्रेम में हमेशा सैट रहती है.

पहले पति को खुश करने के लिए उस की पसंद की चीजें बनाती हैं, फिर बच्चों की पसंद की. भले ही उस के लिए वे चीजें सही हों या नहीं और कभीकभी तो बिना खाए भी पूरा दिन निकाल देती है. यही लापरवाही धीरेधीरे उसे बीमारियों की गिरफ्त में ले जाती है. ऐसे में जरूरी है हैल्दी व समय पर खाना खाना. पूरे दिन में कम से कम 10-12 गिलास लिक्विड लें ताकि खुद को फिट रख पाएं. ध्यान रखें प्रैगनैंसी के बाद दूध पीने से ज्यादा फल और सब्जियां खाएं, क्योंकि विटामिंस और मिनरल्स की पूर्ति इन्हीं से होती है.

beauty

न पड़ें मैडिकल ट्रीटमैंट के चक्कर में

बौलीवुड में खुद को खूबसूरत दिखाने की होड़ लगी रहती है और इसी होड़ में वे अपने हर अंग को खूबसूरत बनाने के लिए प्लास्टिक सर्जरी तक कराने में पीछे नहीं रहतीं. लेकिन आप को बता दें कि अनेक ऐसे उदाहरण हैं प्लास्टिक सर्जरी के, जिन के घातक परिणाम सामने आए हैं. इन में शुमार हैं कोइना मित्रा, राखी सांवत, कंगना राणावत, अनुष्का शर्मा, मिनिषा लांबा, जिन्हें बाद में अपने फैसले पर बहुत पछताना पड़ा, क्योंकि खूबसूरत दिखने की जिस चाह से उन्होंने सर्जरी कराई थी उसी ने उन्हें बदसूरत बना दिया.

आज भी लोग कंगना के मासूम चेहरे को मिस करते हैं और राखी के प्लास्टिक फेस के चर्चे तो काफी समय तक रहे. इतना ही नहीं ईशा देओल की लिप सर्जरी भी चर्चा में रही. इसलिए खुद को संवारने के लिए मैडिकल ट्रीटमैंट के चक्कर में न पड़ें.

बनाएं खुद से अपनी पहचान

आप की पहचान खुद से, आप के वर्क से, आप की पर्सनैलिटी से होनी चाहिए न कि आप के पिता, पति के नाम से. आप जब कहीं जाएं तो कोई यह न कहे कि आप फलां उद्योगपति की पत्नी हैं, बल्कि आप अपने व्यक्तित्व से मुकाम हासिल करें. लोगों की जबान पर बस आप की सफलता के ही चर्चे हों.

beauty

 

ड्रैसिंग सैंस का रखें खयाल

नोएडा स्थित केडीआई की फैशन डिजाइनर मीनाक्षी शर्मा के अनुसार आप की ड्रैसिंग सैंस हर उम्र में यूनीक होनी चाहिए ताकि आप चाहे घर में हों या बाहर सभी आप के आउटफिट्स की तारीफ करें. यह जरूरी नहीं कि महंगे आउटफिट्स से ही आप तारीफ पा सकती हैं या फिर जो कपड़े दूसरों पर अच्छे लगें वे आप पर भी अच्छे लगें. बल्कि जरूरी है कि आप अपने फीचर्स को ध्यान में रख कर कलर और कपड़ों का चयन करें. फिटिंग का ध्यान खासतौर पर रखें, क्योंकि अगर आप जरूरत से ज्यादा ढीले या टाइट कपड़े पहनेंगी तो बेढंगी लगेंगी. इसलिए फिटिंग एकदम परफैक्ट होनी चाहिए. ब्राइट कलर के कपड़े ज्यादा खरीदें और उन के साथ ऐक्सैसरीज और फुटवियर भी मैचिंग हो. सिर्फ कपड़ों पर ही नहीं, बल्कि अपने लुक और फेस पर भी ध्यान दें. फिर देखिए आप का कौन्फिडैंस अलग ही दिखेगा.

यह सोच कभी मन में न लाएं कि हमें क्या जरूरत इस उम्र में ड्रैस सैंस रखने की, क्योंकि यह न सिर्फ आप के लिए, बल्कि औरों के सामने भी आप को प्रेजैंटेबल बनाती है.

बुर्ज खलीफा के सामने कुछ इस तरह डांस करती दिखीं सुष्मिता सेन

बौलीवुड स्टार सुष्मिता सेन सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाले स्टार्स में से एक हैं. सुष्मिता आए दिन खुद से जुड़ी कई जानकारियां, तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करती रहती हैं. हाल ही में सुष्मिता ने अपने दो डांसिंग वीडियो इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया है. सुष्मिता इस वीडियो में अंग्रेजी गाने में थिरकती नजर आ रही हैं. सुष्मिता जहां डांस कर रही हैं उनके पीछे बुर्ज खलीफा इमारत नजर आ रही है. सुष्मिता इस वीडियो में काफी एनर्जेटिक डांस करते हुए दिख रही हैं. डांस फ्लोर पर अपने इस परफौर्मेंस को सुष काफी एंज्वाय करती नजर आ रही हैं.

इस वीडियो को सुष्मिता ने कैप्शन भी दिया है. सुष्मिता लिखती हैं, ‘इस पल को जी रही हूं, दुनिया भुला कर ऐसे डांस करते अच्छा फील कर रही हूं. #jonasblue शुक्रिया इस गाने के लिए. मेरे साथ डांस कीजिए मेरी दुनिया में आपका स्वागत है. आप सभी को मेरा बहुत-बहुत प्यार.’ इससे पहले भी सुष्मिता सेन ने एक डांसिंग वीडियो अपने फैंस के साथ शेयर किया था. इस वीडियो में सुष्मिता अपनी छोटी बेटी के साथ डांस करती नजर आ रही हैं. दोनों गाना ‘शेप औफ यू’ में डांस कर रहे हैं.

वीडियो में सुष्मिता और उनकी बेटी शीशे में खुद को देख कर डांस कर रही हैं. वीडियो असल में कई अलग-अलग वीडियो का मेल हैं. इसके अलावा आप वीडियो में एलिजा को सुष्मिता के साथ बीच पर घूमते और मस्ती करते भी देख सकते हैं. वीडियो के कैप्शन में सुष्मिता ने लिखा- सफर का पहला चरण शुरू मजा चाहिए 3 हफ्ते तक अमेरिका और यूरोप में रहना है. बहुत सारी चीजों की उम्मीद कर रही हूं. सभी को हग और किस और बहुत प्यार.

अगर खरीद ली है गलत पौलिसी तो इस तरह बचें

समय के साथ-साथ देश में इंश्योरेंस सेक्टर का दायरा बढ़ता जा रहा है. ऐसे में गलत पौलिसी बेचने या खरीदने की घटनाएं भी तेजी से बढ़ रही हैं. अधिकांश बार इंश्योरेंस एजेंट या एडवाइजर ज्यादा कमीशन कमाने के चलते ग्राहकों को गलत पौलिसी बेच देते हैं. ऐसे में लोगों के लिए किसी भी बीमा पौलिसी की खरीद से पहले दो चीजों पर गौर करना जरूरी हो जाता है.

क्या वास्तव में यह आपके लिए जरूरी है?

कहीं एजेंट ने कमीशन के चक्कर में तो आपको गलत पौलिसी तो नहीं बेच दी है?

हाल ही में उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स ने ऐसी कंपनी का पता लगाया है जो कई वर्षों से दर्जनों भर एजेंट्स के जरिए देशभर में हजारों लोगों को नकली पौलिसी बेच रही थी. लखनऊ की यह कंपनी औनलाइन नकली पौलिसी बेच रही थी जो कि देखने में किसी भी सामान्य बीमा कंपनी की पौलिसी जैसी ही लगती थी. पुलिस ने पता लगाया है कि आई मैक्स नाम की इस कंपनी का संचालन जितेंद्र प्रताप सिंह कर रहा था. जितेंद्र अब तक इसके जरिए करोड़ों रुपये कमा चुका है. पौलिसी एजेंट्स का इस पर कहना है कि उन्हें पता ही नहीं था कि वे नकली पौलिसी बेच रहे हैं.

finance

अगर आप ऐसे ही किसी गलत पौलिसी के चक्कर में पड़ गए हैं तो इस स्थिति में फ्री लुक पीरियड आपकी निश्चित तौर पर मदद कर सकता है.

एक्सपर्ट की राय

एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर आपको फेक या नकली पौलिसी बेच दी गई है तो इंश्योरेंस कंपनी की शाखा में जाकर शिकायत दर्ज कराएं. अगर कंपनी आपकी शिकायत पर कोई जवाब नहीं देती है तो ओम्बड्समैन या कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत लेकर जाएं. वहीं एक्सपर्टस् बताते हैं कि अगर आप फेक या गलत पौलिसी खरीद से बचना चाहतें है तो कोशिश करें कि फिजिकल फौर्म को अपने हाथ से भरें. यह एजेंट को न भरने दें. अधिकांश समय जल्दबाजी में एजेंट पौलिसीधारक की मेडिकल हिस्ट्री छुपा देते हैं. ऐसे में जब भविष्य में आप क्लेम करने जाते हैं तो पौलिसीधारक को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. दूसरा इस बात का ध्यान रखें कि पौलिसी खरीदते समय एक ही एजेंट की बातों में न आएं. फाइनेंशियल एडवाइजर से पौलिसी के लाभ के बार में पता करें और उसके बाद ही पौलिसी खरीद का फैसला करें.

क्या होता है फ्री लुक पीरियड

फ्री लुक पीरियड को सरल भाषा में समझे तो यह एक तरह से ई-कौमर्स कंपनियों की ओर से दिये जाने वाले रिप्लेसमेंट गारंटी की तरह होता है. अधिकांश पौलिसीधारकों को बीमा कंपनियां फ्री लुक पीरियड की सुविधा देते हैं. बीमा नियामक इरडा के निर्देशों के तहत पौलिसी डौक्यूमेंट मिलने के 15 दिनों तक फ्री लुक पीरियड होता है. पौलिसीधारक की ओर से औनलाइन या औफलाइन पौलिसी खरीदते ही पौलिसी डौक्यूमेंट्स उसके घर के पते पर भेज दिये जाते हैं. डौक्यूमेंट के मिलते ही 15 दिन का फ्री लुक पीरियड शुरू हो जाता है. इसमें आप 15 दिनों के भीतर बिना किसी पेनल्टी के वाजिब कारण के साथ इंश्योरेंस पौलिसी कैंसिल कर सकते हैं.

कैसे बचें गलत पौलिसी खरीदने से

आपको बता दें कि फ्री लुक पीरियड केवल लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस पौलिसी पर लागू होता है. यह तीन वर्षों से ज्यादा समय के लिए पौलिसी खरीदने पर दी जाती है. पौलिसीधारक के पास पौलिसी डौक्यूमेंट इसलिए भेजा जाता है ताकि वे उसे अच्छे से पढ़ लें. इसे ठीक प्रकार से पढ़ने के बाद ही फैसला करें कि यह पौलिसी आपके लिए फायदेमंद है या नहीं. पौलिसी खरीदने के बाद अगर आपको लगे कि पौलिसी आपके काम की नहीं है तो आप उसे वापस कर सकते है. यह केवल नई पौलिसी खरीदने पर ही लागू होता है, रिन्युअल पर नहीं.

गोवा जाने की बजाय इस बार महाराष्ट्र का गोवा घूमने जाएं

हर साल गोवा जाने का प्लान बनता है और आखिरी वक्त में प्लान कैंसिल भी हो जाता है, ऐसा अगर आपके साथ भी होता है तो आप गोवा की जगह आप अलीबाग का प्लान बना लीजिए. अलीबाग को महाराष्ट्र का गोवा कहा जाता है. आइए, जानते हैं क्या है आपके लिए यहां खास.

अलीबाग का मतलब है अली का बाग. यहां अली नाम के राजा के खास सेवक ने बहुत सारे आम और नारियल के पेड़ लगाए थे. 17वीं शताब्दी में बनी इस जगह की उन्नति शिवाजी महाराज ने की थी. अलीबाग, बेनी इजराईली यहूदियों का निवास स्थान भी रह चुका है.

घूमना न भूलें इन जगहों पर 

यहां के पाल, कुडा, कोन्नन और अंबीवली में अनेक प्राचीन बौद्ध गुफा मन्दिर और ऐलिफेंटा द्वीप में शेव गुफाएं हैं. विख्यात सैरगाह और रायगढ़ दुर्ग यहां स्थित हैं.

महाराष्ट्र का गोवा

travel in hindi

‘महाराष्ट्र का गोवा’ तीन तरफ से पानी से घिरे होने के कारण अलीबाग में बहुत सारे सुंदर तट हैं. सभी तटों के किनारे पर नारियल और सुपारी के पेड़ लगे हुए हैं. यहां का मौसम बहुत सुहावना होता है. यहां की काली रेत आपको कुछ अलग दिखाई देगी, जबकि नागाओ तट पर चांदी-सी सफेद रेत बिखरी हुई है.

कोलाबा का किला

कोलाबा का किला इस बात का साक्षी है कि मराठा साम्राज्य ने भारत के इस भाग पर शासन किया था. यह किला जो इस समय जीर्णावस्था में है, अलीबाग के तट से यह साफ देखा जा सकता है. पूर्ण ज्वार के दौरान आप इस किले को देखने आ सकते हैं.

खांडेरी का किला

खांडेरी का किला जो लगभग 3 शताब्दी पुराना है. पेशवा वंश में बना यह किला अंग्रेजी शासनकाल में अंग्रेजों को सौंप दिया गया था.

कैसे पहुंचे

मुंबई से 30 किमी दूर अलीबाग रेल, वायु और सड़क से जुड़ा है. मुंबई का इंटरनेशनल एयरपोर्ट और पेन रेलवे स्टेशन इसके सबसे पास है. महाराष्ट्र राज्य के अंदर तथा बाहर के बड़े शहरों से यहां आने के लिए राज्य परिवहन और निजी बसें भी चलती है.

travel in hindi

कहां ठहरें

आपको अलीबाग में आसानी से होटल और गेस्ट हाउस 700 रुपए से 1500 रुपए में मिल जाएंगे.

घूमने का बेस्ट टाइम

आप यहां पूरे साल घूम सकती हैं. यहां का मौसम हमेशा खुशनुमा बना रहता है.

शौपिंग के साथ स्ट्रीट फूड का मजा

आप अलीबाग की लोकल मार्केट में शौपिंग के साथ यहां के स्ट्रीट फूड बौम्बी फ्राई, वड़ा पाव, भेलपुरी, कीमा पाव का मजा ले सकती हैं.

9 टिप्स बढ़ाएं होममेड खाने की क्वालिटी

घर पर खाना बनाते समय उस की न्यूट्रिशियस वैल्यू बनाए रखने की पूरीपूरी कोशिश की जाती है. एक सर्वे में पाया गया कि किसी भी भोजन को स्वादिष्ठ बनाने में उस सामग्री का रंग और उस में डाले गए तेल, मसाले, नमक खास होते हैं. इन के जरा से भी कम या ज्यादा हो जाने पर खाना बेस्वाद हो जाता है. अगर आप ने सही ढंग से सामग्री को स्टोर नहीं किया है, तो कुछ दिनों बाद उस का रंग, स्वाद और पोषकता में कमी आ जाती है. फलस्वरूप आप जैसा स्वादिष्ठ खाना बनाना चाहती हैं वैसा बन नहीं पाता है.

इस संबंध में बारबेक्यू नेशन के शैफ तारक मजूमदार बताते हैं कि खाना पकाने से अधिक उसे स्टोर करने पर ध्यान देने की जरूरत होती है.

डिश बनाएं कलरफुल

घर के खाने में फूड क्वालिटी और स्वाद सब से अच्छा होता है, लेकिन उसे साधारण रूप से पेश न कर थोड़ी सजावट के साथ पेश करने पर उस का स्वाद और अधिक बढ़ जाता है. किसी भी डिश को हमेशा कलरफुल बनाने की जरूरत होती है. जितना अधिक उस में रंग होगा वह डिश उतनी ही आकर्षक लगेगी. इस के लिए ताजा धनिया व पुदीनापत्ती, हर्ब्स, नीबू आदि अधिक प्रयोग किए जाते हैं.

पेश हैं, होममेड खाने की क्वालिटी को बनाए रखने के टिप्स:

एग, फिश, मटन आदि को फ्रिज में अच्छी तरह स्टोर करें, फ्रिज से निकालने के बाद उन्हें अपने असली रूप में आने के बाद थोड़ी तेज आंच पर पकाएं. इस से बरतन की तली में चिपक जाने पर उन की खुशबू और स्वाद दोनों ही बढ़ते हैं. ध्यान रहे, खाने को जलाएं नहीं.

ग्रिल और टोस्ट करने वाले व्यंजनों को उचित तापमान में रखें. उन के ऊपर थोड़ीथोड़ी देर बाद तेल से ब्रश करती रहें ताकि खाना सूखे या जले नहीं.

थोड़ी चीनी को औयल में मिला कर कैरेमल बना लें. इस से किसी भी मीठे व्यंजन का रंग और स्वाद अलग होगा.

कोई भी फूड प्रोडक्ट खरीदते समय उस की पैकेजिंग और प्रयोग के समय को अच्छी तरह देख लें.

हरी सब्जियों के रंग को बनाए रखने के लिए उन्हें पकाते वक्त थोड़ा नमक डाल दें.

खाने को स्टोर करने से पहले उस के कंटेनर को अच्छी तरह धो लें.

फूड क्वालिटी बनाए रखने के लिए किचन की साफसफाई पर भी पूरापूरा ध्यान दें. समयसमय पर रसोईघर में पेस्ट कंट्रोल करवाएं.

खाने की क्वालिटी बनाए रखने के लिए हाथ से फूड को अधिक न छुएं. फूड को छूने से पहले हाथों में ग्लव्स पहनें. खाना बनाने से पहले हाथों को साबुन से अच्छी तरह धो लें.

रहें हमेशा चहकती महकती : नई उमंग के साथ जिंदगी जीने के तरीके जानिए

माया जब 5 वर्ष बाद अपनी बड़ी बहन सिया से मिली तो उसे वह बड़ी उदास सी दिखाई दी. उस ने पूछ ही लिया, ‘‘दीदी, क्या बात है, आप के चेहरे की तो रौनक जैसे खो ही गई, कोई परेशानी है क्या?’’

‘‘परेशानी तो नहीं है माया बस ढलती उम्र है, हड्डियां जवाब देने लगी हैं और ऊपर से बाल झड़ना और चेहरे की झुर्रियां. यों कहो उम्र अपना असर दिखा रही है. चेहरा तो उदास दिखेगा ही,’’ सिया बोली.

‘‘आप ऐसा क्यों सोचती हैं दीदी. उम्र से क्या फर्क पड़ता है. थोड़ा बनठन कर और चुस्तदुरुस्त रहा करो.’’

‘‘किस के लिए माया. अब इस उम्र में कौन देखने वाला है? बच्चे भी होस्टल में हैं. फिर मैं एक विधवा हूं. बनठन कर रहूंगी तो लोग क्या कहेंगे? लोग मुझे शक की नजरों से देखने लगेंगे,’’ सिया ने कहा.

‘‘अरे, इस में क्या बुरा है? क्यों शक करेंगे लोग? कोई देखने वाला नहीं और विधवा होना आप का दोष तो नहीं. अपने जीवन व शरीर के प्रति उदासीन हो जाना ठीक नहीं. जब बच्चे अपनेअपने परिवार में व्यस्त हो जाएंगे तो कौन संभालने वाला है आप को. यदि आज जीजू होते तो वे आप का ध्यान रखते. लेकिन अब उन के न होने से आप को ही अपनेआप का ध्यान रखना चाहिए वरना 40 के बाद बढ़ती उम्र के साथसाथ शरीर में बीमारियां भी घर करने लगती हैं.’’

‘‘कहती तो तुम ठीक ही हो माया, लेकिन अकेलापन खाए जाता है. पहले तो बच्चों में व्यस्त रहती थी, पर अब सारा दिन अकेली घर बैठे रहती हूं. वक्त काटे नहीं कटता,’’ सिया ने कहा.

ऐसे न जाने कितने उदाहरण हमारे आसपास होंगे, जो महिलाएं किसी कारण से सिंगल रह जाती हैं और 40 के बाद अपने जीवन के प्रति उदासीन हो जाती हैं.

मेरे ही पड़ोस में रहने वाली स्मिता एक फार्मा कंपनी में कार्यरत है. अपने पिता के आकस्मिक निधन के बाद 2 छोटी बहनों की जिम्मेदारी उस पर आ गई. मां ज्यादा पढ़ीलिखी नहीं थीं. स्मिता ने स्वयं नौकरी कर अपनी दोनों बहनों को अपने पैरों पर तो खड़ा किया ही, उन के लिए योग्य वर ढूंढ़ कर उन के विवाह भी किए. बहनों के तो घर बस गए, लेकिन वह स्वयं जीवन भर के लिए अकेली रह गई. पहले तो मां के साथ रहती थी, लेकिन 2 साल पहले उन का भी देहांत हो गया. स्मिता 45 वर्ष की है. नौकरी कर रही है. अब जीवन का एकाकीपन और शरीर में जोड़ों का दर्द उसे परेशान करने लगा है. कल तक अपने कंधों पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी लेने वाली स्मिता चेहरे व मन से बुझीबुझी सी दिखने लगी है.

एक दिन मैं ने उसे सोसायटी में होने वाले कार्निवाल का आमंत्रण पत्र थमाते हुए कहा, ‘‘जरूर आना, बहुत मजा आएगा.’’

‘‘तुम्हारे तो बच्चे हैं, मैं वहां आ कर क्या करूंगी?’’ स्मिता बोली.

‘‘आप आइए तो सही. आप के लिए भी एक चेंज हो जाएगा.’’

मेरे जोर देने से वह कार्निवाल में आई. अब वह सोसायटी के हर प्रोग्राम में सहर्ष आती है और महत्त्वपूर्ण भूमिका भी निभाती है.

इस से न सिर्फ स्मिता के चेहरे की रंगत निखर गई है, बल्कि ऐक्टिव रहने से उस में आत्मविश्वास भी आया है. सोसायटी के बच्चे उसे बहुत पसंद करते हैं, क्योंकि वह उन के लिए साल भर कोई न कोई आयोजन करती रहती है.

सिंगल्स को भी पूरा हक है कि वे अपने जीवन को संपूर्ण रूप से जिएं और अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि 40 के बाद सिंगल महिला हो या परिवार वाली, सभी की मेनोपौज की उम्र आ जाती है. 40 से 50 वर्ष की उम्र में महिलाओं का मासिकचक्र खत्म होने के कगार पर होता है, जिस के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. कई बार ये समस्याएं बहुत कष्टदायक होती हैं. इन के कारण शारीरिक व मानसिक दोनों परिवर्तन आने लगते हैं.

सुस्ती आना, नींद न आना, शरीर में शिथिलता आना, मोटापा बढ़ना, शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द होना आदि समस्याएं अकसर 40 के बाद ही होने लगती हैं. ऐसे में कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है:

अपने आहार पर ध्यान दें

आप अपने खाने में ऐसी चीजों को शामिल करें, जिन में आप के लिए जरूरी न्यूट्रिशंस हों, क्योंकि 40 वर्ष की आयु तक पहुंचतेपहुंचते आप का पाचनतंत्र कमजोर होने लगता है. यही कारण है कि मसल मास 45% तक कम होने लगता है, जिस कारण शरीर में फैट बढ़ने लगता है.

बढ़ती उम्र के साथ आप का मैटाबौलिज्म स्लो होने लगता है. ऐसे में आप को पहले के मुकाबले कम कैलोरी की आवश्यकता होती है. इसलिए आप जो भी खाएं कैलोरी पर जरूर ध्यान रखें.

व्यायाम को बनाएं दिनचर्या का हिस्सा

व्यायाम करने से आप स्वस्थ रहेंगी और अपनेआप को जवां महसूस करेंगी. इस से आप की मांसपेशियों को ताकत मिलेगी, आप को अच्छी नींद आएगी, शरीर में लचीलापन आएगा और आप का आत्मविश्वास भी बढ़ेगा.

कई बार 40 के बाद जोड़ों में दर्द की समस्या हो जाती है, जिस के कारण जिम में व्यायाम करना मुश्किल हो जाता है, यहां तक कि पैदल चलने में भी तकलीफ होने लगती है. ऐसे में वाटर ऐक्सरसाइज भी लाभदायक है. आप व्यायाम किसी भी रूप में कर सकती हैं जैसे मौर्निंग वाक, ऐरोबिक्स, नृत्य, स्विमिंग आदि. जुम्बा डांस भी ऐक्सरसाइज के तौर पर समूह में किया जा सकता है. इस से न सिर्फ आप शारीरिक रूप से चुस्त रहती हैं, बल्कि म्यूजिक के साथ सहेलियों के संग नृत्य का आनंद भी ले सकती हैं.

हारमोंस में बदलाव

40 के बाद मेनोपौज शुरू होने के कारण हारमोंस में भी बदलाव आता है, जिस कारण वजन बढ़ता है, लेकिन हारमोंस पर ध्यान न दे कर अपनी फिटनैस पर ध्यान दें ताकि आप अपने शरीर में हो रहे हारमोंस में बदलाव को संतुलित कर सकें.

प्रोटीन युक्त भोजन लें

उम्र के साथ नाखून खराब होने लगते हैं, बाल झड़ने लगते हैं और त्वचा में झुर्रियां पड़ने लगती हैं. इस के लिए भोजन में प्रोटीन लेने से शरीर के साथसाथ मांसपेशियां, बाल, त्वचा और कनैक्टिव टिशू अच्छे रहते हैं. मांसपेशियां फिर से बनने लगती हैं, साथ ही लंबे समय तक भूख भी नहीं लगती है. कुछ प्रोटीन युक्त आहार जो आप खाने में ले सकती हैं उन में मुख्य हैं मांस, मछली, चिकन, अंडा, दूध, दही, दाल, पालक, छोले, राजमा, स्प्राउट्स, सोयाबीन, मूंगफली, अंजीर, बादाम, अखरोट आदि.

थोड़ा सोशल भी रहें

जो महिलाएं अपने परिवार के साथ हैं, उन्हें तो किसी न किसी बहाने दूसरे लोग आमंत्रित करते रहते हैं, लेकिन सिंगल महिला के लिए यह एक समस्या है कि वह किस से बोले, क्योंकि उस का विषय दूसरों से मैच नहीं होता.

ऐसे में आप अपनी सोसायटी में होने वाले कार्यक्रमों में हिस्सा लें. उन को सफल बनाने में अपना योगदान दें ताकि आप के समय का सदुपयोग हो सके और सोसायटी में आप की अपनी पहचान हो. आप के सहयोग को देख कर लोग स्वयं आप को आमंत्रित करने लगेंगे और इस बहाने आप का लोगों से मिलनाजुलना बढ़ जाएगा, जिस से आप का एकाकीपन दूर होगा.

इस के अलावा आप स्वयं महिलाओं के साथ एक मासिक किट्टी पार्टी की शुरुआत कर सकती हैं, जिस में अलगथलग थीम रख कर नए गेम्स रखें ताकि आप को भी अपनी पसंद के कपड़े पहनने का मौका मिले.

यदि आप कामकाजी महिला हैं तो दफ्तर की पिकनिक और्गेनाइज कर सकती हैं. इस तरह से आप का टेलैंट भी सब के सामने आएगा और आप सब की चहेती बन कर रहेंगी.

यहां एक खास बात यह है कि जो महिलाएं अपने परिवार के साथ हैं उन का वक्त व जरूरत के हिसाब से कोई न कोई खयाल करने वाला होता है, लेकिन सिंगल्स के पास यह सुविधा नहीं होती है. ऐसे में अपने दफ्तर और आसपास के लोगों से दोस्ती आप के आड़े वक्त काम आएगी. स्वयं हर तरह से अपना खयाल रखें.

वूमन फ्रैंडली हैं ई बाइक्स : अनूठा और सराहनीय विकल्प

महिलाओं के आगे बढ़ने की राह में एक बड़ी बाधा है कहीं भी आनेजाने के लिए उन की पिता, पति या पुत्र पर निर्भरता. बाइक हो या गाड़ी, ड्राइविंग आसान नहीं होती. इसी वजह से ज्यादातर पुरुष ही ड्राइविंग सीट पर बैठते हैं.

मगर समय के साथ इस दिशा में भी अभूतपूर्व परिवर्तन हुए हैं. नई तकनीकों ने ड्राइविंग को आसान बना दिया है. इस का बढि़या उदाहरण हैं ई बाइक्स, जिन्हें खासतौर पर बुजुर्गों, छात्रों और महिलाओं के लिए तैयार किया गया है.

पिछले 8 सालों में हीरो इलैक्ट्रिक करीब डेढ़ लाख ई बाइक्स बना चुकी है. इन में से करीब 35% ई बाइक्स महिलाएं ही प्रयोग में ला रही हैं. पिछले दिनों हीरो इलैक्ट्रिक के ग्लोबल बिजनैस के चीफ ऐग्जीक्यूटिव औफिसर सोहिंदर गिल से मुलाकात हुई. पेश हैं, उन से की गई बातचीत के मुख्य अंश:

ई बाइक्स वूमन फ्रैंडली कैसे हैं?

ई बाइक्स को चलाना बहुत आसान है. सब से बड़ी बात यह है कि इन में वियर ऐंड टियर पुरजे नहीं होते. सामान्य गाडि़यों में क्लच, गियर जैसे इतने झमेले होते हैं कि आएदिन कुछ न कुछ खराब होता रहता है. हर 3 माह बाद सर्विसिंग कराओ, ईंधन डालो. मगर हीरो इलैक्ट्रिक में सिवा एक मोटर के कोई वियरटियर पार्ट नहीं है. इसलिए ये गाडि़यां कभी सर्विस स्टेशन नहीं जातीं.

चलाते वक्त थ्रौटल जीरो कर दो, गाड़ी रुक जाएगी और बैटरी भी कटऔफ हो जाएगी. आप  रैड लाइट पर खड़े हैं तो यह नहीं कि स्विचऔफ करना पड़ेगा. बस थ्रौटल जीरो कर दो. बैटरी की खपत बंद हो जाएगी. आप चाबी लगाने के बाद जैसे ही थ्रौटल को घुमाएंगे गाड़ी चलनी शुरू हो जाएगी. न क्लच, न गियर न ही कुछ और. हाथ में केवल साइकिल ब्रेक. स्पीड उसी से कम या ज्यादा कर सकते हैं. अगर आप ने 1-2 बार साइकिल चलाई है तो आप को इसे चलाने में कोई दिक्कत नहीं होगी.

घर में जो मोबाइल सौकेट है उसी से बैटरी चार्ज कर ली. अगर आप फ्लैट में रहते हैं तो इस की बैटरी इतनी हलकी है कि ब्रीफकेस की तरह घर ले जाएं, मोबाइल सौकेट में लगाएं और शांति से सो जाएं. सुबह तक यह 70 किलोमीटर तक के सफर के लिए चार्ज हो जाएगी. 1 यूनिट से 6 रुपए में 70 किलोमीटर घूम कर आ सकते हैं.

इस की स्पीड कैसी है?

2 तरह की गाडि़यां हैं. पहली गाड़ी सिंपल है. अगर आप के पास लाइसैंस नहीं है, तो भी आप यह गाड़ी चला सकते हैं. इस की स्पीड 25 किलोमीटर प्रति घंटा है, दूसरी वाली गाड़ी की स्पीड 55 किलोमीटर प्रति घंटा है.

मैं ने देखा है कि जिन्हें घर के आसपास जाना हो, आसपास के रोजमर्रा के काम निबटाने हों, बच्चों को स्कूल छोड़ना या लाना हो वे 25 किलोमीटर स्पीड वाली गाड़ी पसंद करते हैं.

इस में बारबार इंश्योरैंस नहीं कराना पड़ता, रजिस्ट्रेशन टैक्स नहीं देना पड़ता. शोरूम से निकलने के बाद इस पर कोई खर्चा नहीं होता. इसीलिए लोग 25 किलोमीटर स्पीड वाली गाड़ी पसंद करते हैं. अगर आप को कहीं दूर आनाजाना है तो 55 किलोमीटर स्पीड वाली गाड़ी ले सकते हैं.

आप इसे वूमन ऐंपावरमैंट से कैसे जोड़ सकते हैं?

हम 2 तरह की गाडि़यां बना रहे हैं. पहली जो 55-60 किलोमीटर की रफ्तार वाली है, वह स्कूलकालेज जाने वाले लड़केलड़कियों के लिए है और दूसरी गाड़ी जो कम स्पीड वाली है उसे हम वूमन ऐंपावरमैंट के लिए बना रहे हैं.

यह इतनी इकोनौमिकल है कि किसी को खलती नहीं. इस से बड़ा ऐंपावरमैंट और क्या हो सकता है? आप जहां भी जा रहे हैं अगर वहां सौकेट लगा है तो वहीं बैटरी रिचार्ज कर लें. पैट्रोल पंप जाने का झंझट ही नहीं. यही नहीं इसे महिला सुरक्षा को ध्यान में रख कर भी तैयार किया गया है.

आप सुरक्षा के लिए क्या करेंगे?

जीपीएस वाली या इमरजैंसी सायरन वाली गाड़ी लेंगे. इस गाड़ी में ये  दोनों ही सुविधाएं हैं. इस से महिला अपना कंट्रोल, अपनी लोकेशन, अपने पति, दोस्तों या बच्चों को दे सकती है.

जब किसी महिला के पास अपनी ई बाइक है तो वह बस या औटो से उतर कर पैदल घर क्यों जाए? सड़क पर पैदल क्यों चले? किसी और के आने का इंतजार क्यों करे?

ई बाइक्स की तरह ई कैब या ई कार कब लाएंगे?

अभी हमारा पूरा फोकस टू व्हीलर पर है. हमें लगता है कि भारत टू व्हीलर्स का देश है. इस वक्त 2 करोड़ टू व्हीलर बनते हैं जबकि कारें तो सिर्फ 30 लाख बनती हैं. वैसे हम थ्री और फोर व्हीलर भी जल्दी लाएंगे. इस वक्त ई टैक्सी नागपुर में चल रही है.

क्या ई बाइक्स प्रदूषण कम करने में भी मदद करती हैं?

एक बार जब आप के हाथ में ई बाइकस आ जाएगी तो समझिए कि आप ने हर 3 साल में एक बहुत बड़ा ट्री प्लांट कर दिया. यदि आप ने 8-10 साल ई बाइक चलाई तो 4-5 ट्री प्लांट के बराबर प्रदूषण कम कर दिया. जो गाडि़यां सड़कों पर धुआं छोड़ती हैं वे 3-4 गुना प्रदूषण फैलाती हैं जबकि ई बाइक जीरो प्रदूषण फैलाती है. इस में साइलैंसर नहीं है और न ही इंजन है तो प्रदूषण कैसे होगा?

भारत में चिकित्सा शिक्षा में है सुधार की जरूरत

अमेरिका में अब मैडिकल कालेजों में लड़कियों की संख्या लड़कों से ज्यादा हो गई है. अश्वेत, लैटिनो भी बढ़ने लगे हैं. अब तक अमेरिकी चिकित्सा क्षेत्र मेल डौमिनेटेड और व्हाइट डौमिनेटेड था. अब नए कालेज भी खुल रहे हैं और विविधता भी आ रही है जबकि मैडिकल शिक्षा महंगी है और स्टूडैंट लोन के बल पर पढ़ाई की जाती है.

भारत में चिकित्सा शिक्षा लड़खड़ा रही है. पहले जब तक सरकारी थी, पर्याप्त डाक्टर नहीं मिल रहे थे. अब प्राइवेट हो गई है तो पढ़ाने की मंडी की तरह हो गई है, जहां दाखिले से ले कर अंतिम परिणामों तक बोलियां लगती हैं.

दुनिया की नई मांग चिकित्सा सुविधाओं की है. सब से ज्यादा लाभदायक उद्योग चिकित्सा क्षेत्र ही है. समृद्ध देशों में मकानों और नौकरियों की कमी नहीं, अपने बढ़ते बुढ़ापे में देखभाल और दवाओं की कमी खल रही है. महिला डाक्टर ये रोल ज्यादा अच्छी तरह से अदा कर सकती हैं.

भारत का चिकित्सा क्षेत्र अमेरिका की ओर बहुत देखता है और ज्यादातर सफल डाक्टरों के पीछे उन के अमेरिकी अनुभव रहते हैं, जहां नई सोच और नई तकनीकों पर प्रयोग होते रहते हैं. वहां किसी भी तरह का सुखद बदलाव यहां असर डालता ही है और अमेरिकी मैडिकल कालेजों का बदलता रंग भारत की औरतों को भी प्रोत्साहित करेगा.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें