दिखना चाहती हैं सबसे खूबसूरत दुलहन, तो चेहरे के आकार के अनुसार चुनें ब्राइडल ज्वैलरी,

शादी का दिन हर लड़की के जीवन का सब से खास दिन होता है. इस दिन दुलहन का लुक परफैक्ट होना चाहिए, जिस में उस की ज्वैलरी भी अहम भूमिका निभाती है. ज्वैलरी ब्राइडल के लुक को निखारने और चेहरे के आकार को सही तरीके से उभारने का काम करती है. इसलिए ज्वैलरी चुनते समय फेसकट का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी है.

अपने फेसकट के अनुसार सही ज्वैलरी का चुनाव दुलहन के लुक को पूरी तरह से बदल सकता है. अपने चेहरे के आकार को ध्यान में रख कर अगर आप ज्वैलरी चुनेंगी, तो आप अपनी शादी के दिन न केवल खूबसूरत बल्कि बेहद कौन्फिडेंट भी नजर आएंगी.

तो आइए, जानते हैं कि किस फेसकट के लिए किस तरह की ब्राइडल ज्वैलरी सब से बैस्ट है :

गोल चेहरा : गोल चेहरे वाली महिलाओं के लिए लंबी और पतली ज्वैलरी सब से उपयुक्त होती है. इस से चेहरा थोड़ा लंबा दिखता है और संतुलित नजर आता है. लंबा और पतला मांगटीका चुनें जिस से चेहरा लंबा दिखे साथ ही लंबे और लटकने वाले झुमके जैसेकि चांदबाली या झूमर स्टाइल आप के लुक को और भी निखारेंगे. गले का हार वी (V) या यू (U) आकार में लौंग नैकलेस या चोकोर हो. इस से गरदन और चेहरा दोनों पतले और लंबे दिखेंगे.

अंडाकार चेहरा : अंडाकार चेहरा हर तरह की ज्वैलरी के लिए उपयुक्त माना जाता है. इसलिए आप को इस शेप के चेहरे के लिए ज्वैलरी चुनते समय ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है. अंडाकार चेहरे पर आप हर प्रकार का मांगटीका पहन सकती हैं, लेकिन छोटे और साधारण डिजाइन बेहतर होते हैं. स्टड्स, हुप्स या छोटे लटकने वाले झुमके अच्छे लगते हैं. नैकलेस की बात करें तो चोकर से ले कर लंबी चैन या रानी हार सभी कुछ अंडाकार चेहरे पर सूट करते हैं.

चौकोर चेहरा : चौकोर चेहरे पर मुलायम और घुमावदार डिजाइन की ज्वैलरी बेहतरीन दिखती है, जिस से चेहरे की कठोरता कम होती है. गोल डिजाइन वाले मांगटीका या माथा पट्टी चुनें ताकि चेहरे का संतुलन बना रहे.

गोल और घुमावदार झुमके जैसे हूप्स या चांदबाली सब से अच्छा विकल्प होते हैं. वी आकार का हार या लंबा नैकलेस पहनें, जो आप के चेहरे को और भी लंबा दिखाएगा.

दिल के आकार का चेहरा : इस प्रकार के चेहरे पर माथे का हिस्सा चौड़ा और ठोड़ी पतली होती है, इसलिए ऐसी ज्वैलरी आइटम चुनने चाहिए जो निचले हिस्से को उभारें और चेहरे के ऊपरी हिस्से को संतुलित करें. हलका और छोटा मांगटीका चुनें. चौड़े और नीचे की ओर चौड़े होते झुमके जैसेकि चांदबाली या कश्मीरी झुमके आप के लुक को निखारेंगे. चौकर नैकलेस से बचें. लंबा नैकलेस आप के लुक को परफैक्ट बनाएगा.

लंबा चेहरा : लंबे चेहरे वाली महिलाओं को चौड़े और घुमावदार ज्वैलरी चुननी चाहिए ताकि चेहरे में बैलेंस बना रहे. छोटा मांगटीका या माथा पट्टी से बचें. चौड़ा मांगटीका पहनें. बड़े और चौड़े झुमके जैसे झूमर, कश्मीरी या अफगानी झुमके आप के चेहरे की लंबाई को बैलेंस करेंगे. चौकर नैकलेस लंबी गरदन को उभारते हैं जिस से चेहरा सुंदर दिखता है.

बागवानी का है शौक तो, बिना मिट्टी के उगाएं ये पौधे

घर को हराभरा रखना हर किसी को पसंद होता है और इस के लिए वे अपने घर में पौधे लगाना पसंद करते हैं. पौधे न हमें स्वच्छ हवा देते हैं बल्कि हमारे घरआंगन की शोभा भी बढ़ाते हैं. लेकिन आजकल शह

रों में मिट्टी का आसानी से मिलना बड़ा मुश्किल हो गया है जिस कारण पौधे लगाने के लिए भी मिटी भी खरीदनी पड़ती है. इस वजह से कई लोग अपनी बागवानी के शौक को पूरा नहीं कर पाते.

लेकिन आप अपने शौक को खत्म न होने दें. मिट्टी की जगह आप पानी में भी पौधे उगा सकती हैं. जो बड़ी ही आसानी से उग भी जाते हैं और सुंदर भी लगते हैं.

तो चलिए, जानते हैं ऐसे ही कुछ पौधों के बारे में :

मनी प्लांट : मनी प्लांट सब से कौमन पौधरोपण है जो बड़ी ही आसानी से मिल जाता है. इस पौधे की कटिंग को आप को एक कांच की बोतल में लगाना होगा और कुछ ही दिनों में यह ग्रो करने लगेगा.

अच्छे रिजल्ट के लिए आप को 3-4 दिनों में पानी को बदलना होगा साथ में प्लांट की प्रोनिंग करना न भूलें.

फिलोडेंड्रौन प्लांट : यह एक इंडोर प्लांट है. फिलोडेंड्रौन के पौधे मध्यम से उज्ज्वल प्राकृतिक या फ्लोरोसेंट प्रकाश में सब से अच्छे से बढ़ते हैं, लेकिन ज्यादा धूप से इस के पत्ते जल जाते हैं इसलिए इन्हें कम रौशनी में रखना ज्यादा अच्छा होता है. यह मिट्टी व पानी दोनों में ग्रो कर जाता है.

इस की हार्टशेप पत्तियां इस की खूबसूरती को बढ़ाती हैं. इस पौधे को लगाने के लिए आप को ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं होती है.

स्नैक प्लांट : स्नैक प्लांट को भी बड़ी आसानी से पानी में उगाया जा सकता है. नीचे का पार्ट काटें और उसे त्रिकोण शेप दें. बाद में पानी भरी कांच की बोतल या गिलास में इसे रखें. ध्यान रखें कि इस का निचला हिस्सा ही पानी में डूबा हुआ हो. कुछ ही दिनों में उस में जड़ें निकलने लगेंगे.

कौलियस : इस पौधे की पत्तियां बहुत ही आकर्षक होती हैं. यह हरे, गुलाबी और बैगनी रंग के होते हैं. इसे उगाने के लिए पत्ते के नोड के ठीक नीचे से कटिंग लें और अतिरिक्त पत्तों को काट दें. पौधे की अच्छी ग्रोथ के लिए कटिंग के निचले हिस्से पर थोड़ा शहद या ऐलोवीरा लगा दें और तब पानी में डालें.

रोजमेरी : रोजमेरी पानी में उगाने के लिए पहले उगाए हुए रोजमेरी के पौधे की तने से कटिंग लें जिस में कम से कम 2 नोड हों और स्वस्थ पत्तियां हों. ध्यान रखें कि इस के नीचे वाले नोड को पानी में रखना है. इसे ऐसी जगह रखें जहां रोजाना 2 घंटे की धूप आती हो.

क्या आपको भी है डबल चिन की प्रौब्लम, हो सकती हैं ये खतरनाक बीमारियां

मोटापे से कई तरह की परेशानियां पैदा होती हैं. इससे शरीर के सारे अंग प्रभावित होते हैं. डबल चिन मोटापे के कारण होता है. इससे आपकी सुंदरता पर बुरा असर होता है. आम तौर पर लोग इसे पसंद नहीं करते और इससे छुटकारा पाने के लिए काफी मशक्कत करते हैं, पर परिणाम हमेशा सकारात्मक नहीं होता. इस खबर में हम आपको उन कारणों के बारे में बताएंगे जिनके चलते डबल चिन की परेशानी होती है.

1. थायराइड

थायराइड डबल चिन का एक प्रमुख कारण है. आपको बता दे कि वजन बढ़ना हाइपोथायरायडिज्म सामान्य सूचक है. लेकिन क्या यह जानते हैं कि आपके जबड़े के बढ़ने का भी यही कारण हो सकता है? यदि आपके जबड़े की हड्डी के नीचे स्थित क्षेत्र में त्वचा समय के साथ फैट से भर जाती है, तो आपको डबल चिन की समस्या हो सकती है. थायराइड के बढ़ने से गर्दन में भी सूजन आ सकती है.

2. कुशिंग सिंड्रोम

कुशिंग सिंड्रोम के प्रमुक लक्षम हैं उपरी शरीर का मोटा होना और गर्दन में फैट का जमा होना. इसमें लंबे समय तक कोर्टिसोल का अधिक उत्पादन होने लगता है जिसका परिणाम पिट्यूटरी एडेनोमा के रूप में दिखता है. अगर आप एडेनोमा से पीड़ित हैं, तो ट्यूमर को निकालने के लिए सर्जरी जरूरी हो सकती है.

3. साइनस इंफेक्शन

क्रोनिक साइनसाइट के कारण लिंफ नोड्स बढ़ता है. इसके कारण आपके चेहरे और गर्दन पर मोटापा आ सकता है. इस तरह की पुरानी साइनसिसिस जो डबल चिन के लिए जिम्मेदार है उसमें एलर्जी रैनिटिस, अस्थमा, नाक की समस्याएं या स्यूनोसाइटिस शामिल हैं.

4. सलवेरी ग्लैंड इन्फ्लमेशन

कई बार लार ग्रंथी में इंफेक्शन की वजह से जबड़े वाले हिस्से में सूजन हो जाती है जिसके कारण डबल चिन हो जाती है. ओरल हाइजीन, लार की नली की समस्या, पानी में अपर्याप्त जल, पुरानी बीमारी और धूम्रपान इस सूजन के कुछ सामान्य कारण हैं.

वीकेंड पर बनाएं चना वड़ा, बहुत आसान है इसकी रेसिपी

फैस्टिव सीजन में अगर आप हेल्दी और टेस्टी रेसिपी ट्राई करना चाहती हैं तो चना वड़ा की ये आसान रेसिपी जरूर बनाएं.

सामग्री

1 कप चने कच्चे

1/2 कप आलू उबला व मैश किया

3 बड़े चम्मच चावल का आटा

3/4 कप ब्रैडक्रंब्स

1 छोटा चम्मच चाटमसाला

1/2 छोटा चम्मच अमचूर पाउडर

वड़े तलने के लिए पर्याप्त रिफाइंड औयल

लालमिर्च पाउडर व नमक स्वादानुसार.

विधि

चनों को धो कर 7-8 घंटे पानी में भिगोएं और फिर प्रैशरकुकर में पानी डाल कर गलने तक पकाएं. उबले चनों को छलनी में रखें ताकि सारा पानी निथर जाए. फिर दरदरा कर लें. सारी सामग्री मिलाएं और नीबू के बराबर थोड़ाथोड़ा मिश्रण ले कर हाथ से चपटा कर के बीच में उंगली से छेद करें और गरम तेल में मीडियम आंच पर सुनहरा सेंक लें. वड़ों को चटनी या सौस के साथ सर्व करें.

प्रैगनैंसी रोकने के लिए गर्भनिरोधक कितना फायदेमंद है?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल-

मैं 24 साल की हूं. मेरे विवाह को 2 महीने हुए हैं. प्रैगनैंसी से बचे रहने के लिए कौपर टी, कंडोम और डायाफ्राम में से कौन सा गर्भनिरोधक मेरे लिए सब से अच्छा रहेगा और ये गर्भनिरोधक कितनेकितने साल तक प्रैगनैंसी रोकने के लिए अपनाए जा सकते हैं, कृपया विस्तार से जानकारी दें?

जवाब-

प्रत्येक गर्भनिरोधक विधि के अपने लाभ और अपनी सीमाएं हैं, जिन के बारे में पूरी जानकारी पा कर आप सही फैसला ले सकती हैं. कौपर टी उन स्त्रियों के लिए उपयुक्त गर्भनिरोधक है, जो कम से कम 1 बार संतान धारण कर चुकी होती हैं. नवविवाहिताओं के लिए कौपर टी ठीक नहीं, क्योंकि इसे लगाने पर पैल्विस में सूजन होने का डर रहता है और आगे चल कर प्रैगनैंट होने में भी परेशानी हो सकती है. इस का इस्तेमाल 2 बच्चों के बीच फासला रखने के लिए ही किया जाना चाहिए.

नवविवाहिताओं के अलावा ऐसी स्त्रियां, जिन्हें पहले से पैल्विस का इन्फैक्शन हो, मासिकस्राव ज्यादा या अनियमित हो, पेड़ू में दर्द रहता हो, गर्भाशय की रसौली हो, गर्भाशयग्रीवा की सूजन हो, ऐनीमिया हो या पहले कभी ऐक्टोपिक प्रैगनैंसी हुई हो, उन के लिए भी कौपर टी का इस्तेमाल ठीक नहीं. कंडोम गर्भनिरोध का आसान और सुलभ तरीका है. इस के इस्तेमाल से पहले डाक्टर की सलाह लेना भी जरूरी नहीं. इस के कामयाब बने रहने के लिए सिर्फ इस का सही इस्तेमाल आना जरूरी है. असावधानी बरतने पर सैक्स के दौरान कंडोम के फिसल जाने या फट जाने पर परेशानी खड़ी हो सकती है. डायाफ्राम के साथ भी कंडोम जैसी ही समस्याएं हैं और इस का फेल्यर रेट भी काफी है.

नवविवाहिताओं के लिए सुरक्षा का एक और अच्छा उपाय ओरल कौंट्रासैप्टिक पिल्स हैं. इन्हें लेने से कामसुख में किसी तरह का विघ्न नहीं पड़ता और पूरीपूरी सुरक्षा भी मिलती है. लेकिन इन्हें शुरू करने से पहले डाक्टर से सलाह लेना जरूरी है. यदि डाक्टर इजाजत दे, तो इन्हें लगातार 3 साल तक ले सकती हैं. रोज 1 गोली लेनी होती है. प्रैगनैंसी का मन बने तो गोली लेना बंद करने के 1 से 3 महीनों के बाद दोबारा प्रजनन क्षमता पहले जैसी हो जाती है और प्रैगनैंसी में कोई दिक्कत नहीं आती.

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या हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- sampadak@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

पान खाए सैयां हमारो

शाम के 6 बजे जब सब 1-1 कर घर जाने के लिए अपनाअपना बैग समेटने लगे तो सिया ने चोरी से एक नजर अनिल पर डाली. औफिस में नया आया सब से हैंडसम, स्मार्ट, खुशमिजाज अनिल उसे देखते ही पसंद आ गया था. वह मन ही मन उस के प्रति आकर्षित थी.

अनिल ने भी एक नजर उस पर डाली तो वह मुसकरा दी. दोनों अपनीअपनी चेयर से लगभग साथ ही उठे. लिफ्ट तक भी साथ ही गए. 2-3 लोग और भी उन के साथ बातें करते लिफ्ट में आए. आम सी बातों के दौरान सिया ने भी नोट किया कि अनिल भी उस पर चोरीचोरी नजर डाल रहा है.

बाहर निकल कर सिया रिकशे की तरफ जाने लगी तो अनिल ने कहा, ‘‘सिया, कहां जाना है आप को मैं छोड़ दूं?’’

‘‘नो थैंक्स, मैं रिकशा ले लूंगी.’’

‘‘अरे, आओ न, साथ चलते हैं.’’

‘‘अच्छा, ठीक है.’’

अनिल ने अपनी बाइक स्टार्ट की, तो सिया उस के पीछे बैठ गई. अनिल से आती परफ्यूम की खुशबू सिया को भा रही थी. दोनों को एकदूसरे का स्पर्श रोमांचित कर गया. बनारस में इस औफिस में दोनों ही नए थे. सिया की नियुक्ति पहले हुई थी.

अचानक सड़क के किनारे होते हुए अनिल ने ब्रेक लगाए तो सिया चौंकी, ‘‘क्या हुआ?’’

‘‘कुछ नहीं,’’ कहते हुए अनिल ने अपनी पैंट की जेब से गुटका निकाला और बड़े स्टाइल से मुंह में डालते हुए मुसकराया.

‘‘यह क्या?’’ सिया को एक झटका सा लगा.

‘‘मेरा फैवरिट पानमसाला.’’

‘‘तुम्हें इस की आदत है?’’

‘‘हां, और यह मेरी स्टाइलिश आदत है, है न?’’ फिर सिया के माथे पर शिकन देख कर पूछा, ‘‘क्या हुआ?’’

‘‘तुम्हें इन सब चीजों का शौक है?’’

‘‘हां, पर क्या हुआ?’’

‘‘नहीं, कुछ नहीं,’’ कह कर वह चुप रही तो अनिल ने फिर बाइक स्टार्ट कर ली.

धीरेधीरे यह रोज का क्रम बन गया. घर से आते हुए सिया रिकशे में आती, औफिस से वापस जाते समय अनिल उसे उस के घर से थोड़ी दूर उतार देता. धीरेधीरे दोनों एकदूसरे से खुलते गए.

अनिल का सिया के प्रति आकर्षण बढ़ता गया. मौडर्न, सुंदर, स्मार्ट सिया को वह अपने भावी जीवनसाथी के रूप में देखने लगा था. कुछ ऐसा ही सिया भी सोचने लगी थी. दोनों को विश्वास था कि उन के घर वाले उन की पसंद को पसंद करेंगे.

अनिल तो सिया के साथ अपना जीवन आगे बढ़ाने के लिए शतप्रतिशत तय कर चुका था पर सिया एक पौइंट पर आ कर रुक जाती थी. अनिल की लगातार मुंह में गुटका दबाए रखने की आदत पर वह जलभुन जाती थी. कई बार उस ने इस से होने वाली बीमारियों के बारे में चेतावनी भी दी तो अनिल ने बात हंसी में उड़ा दी, ‘‘यह क्या तुम बुजुर्गों की तरह उपदेश देने लगती हो. अरे, मेरे घर में सब खाते हैं, मेरे मम्मीपापा को भी आदत है, तुम खाती नहीं न, इसलिए डरती हो. 2-3 बार खाओगी तो स्वाद अपनेआप अच्छा लगने लगेगा. पहले मेरी मम्मी भी पापा को मना करती थीं. फिर धीरेधीरे वे गुस्से में खुद खाने लगीं और अब तो उन्हें भी मजा आने लगा है, इसलिए अब कोई किसी को नहीं टोकता.’’

सिया के दिल में क्रोध की एक लहर सी उठी पर अपने भावों को नियंत्रण में रखते हुए बोली, ‘‘पर अनिल, तुम इतने पढ़ेलिखे हो, तुम्हें खुद भी यह बुरी आदत छोड़नी चाहिए और अपने मम्मीपापा को भी समझाना चाहिए.’’

‘‘उफ सिया. छोड़ो यार, आजकल तुम घूमफिर कर इसी बात पर आ जाती हो. हमारे मिलने का आधा समय तो तुम इसी बात पर बिता देती हो. अरे, तुम ने वह गाना नहीं सुना, ‘पान खाए सैयां हमारो…’ फिर हंसा, ‘‘तुम्हें तो यह गाना गाना चाहिए, देखा नहीं कभी क्या कि वहीदा रहमान यह गाना गाते हुए कितनी खुश होती हैं.’’

‘‘वे फिल्मों की बातें हैं. उन्हें रहने दो.’’

अनिल उसे फिर हंसाता रहा पर वह उस की इस आदत पर काफी चिंतित थी. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह अनिल की इस आदत को कैसे छुड़ाए.

एक दिन सिया अपने मम्मीपापा और बड़े भाई राहुल से मिलवाने अनिल को घर ले गई. अनिल का व्यक्तित्व कुछ ऐसा था कि देखने वाला तुरंत प्रभावित होता था. सब अनिल के साथ घुलमिल गए. बातें करतेकरते जब ऐक्सक्यूज मी कह कर अनिल ने अपनी जेब से पानमसाला निकाल कर अपने मुंह में डाला, तो सब उस की इस आदत पर हैरान से चुप बैठे रह गए.

अनिल के जाने के बाद वही हुआ जिस की उसे आशा थी. सिया की मम्मी सुधा ने कहा, ‘‘अनिल अच्छा लगा पर उस की यह आदत …’’ सिया ने बीच में ही कहा, ‘‘हां मम्मी, मुझे भी उस की यह आदत बिलकुल पसंद नहीं है. क्या करूं समझ नहीं आ रहा है.’’

थोड़े दिन बाद ही अनिल सिया को अपने परिवार से मिलवाने ले गया. अनिल के पापा श्याम और मम्मी मंजू अनिल की छोटी बहन मिनी सब सिया से बहुत प्यार से पेश आए. सिया को भी सब से मिल कर बहुत अच्छा लगा. मंजू ने तो उसे डिनर के लिए ही रोक लिया. सिया भी सब से घुलमिल गई. फिर वह किचन में ही मंजू का हाथ बंटाने आ गई. सिया ने देखा, फ्रिज में एक शैल्फ पान के बीड़ों से भरी हुई थी.

‘‘आंटी, इतने पान?’’ वह हैरान हुई.

‘‘अरे हां,’’ मंजू मुसकराईं, ‘‘हम सब को आदत है न. तुम तो जानती ही हो, बनारस के पान तो मशहूर हैं.’’

‘‘पर आंटी, हैल्थ के लिए…’’

‘‘अरे छोड़ो, देखा जाएगा,’’ सिया के अपनी बात पूरी करने से पहले ही मंजू बोलीं.

किचन में ही एक तरफ शराब की बोतलों का ढेर था. वह वौशरूम में गई तो वहां उसे जैसे उलटी आने को हो गई. बाहर से घर इतना सुंदर और वौशरूम में खाली गुटके यहांवहां पड़े थे. टाइल्स पर पड़े पान के छींटों के निशान देखते ही उसे उलटी आ गई. सभ्य, सुसंस्कृत दिखने वाले परिवार की असलियत घर के कोनेकोने में दिखाई दे रही थी. ‘अगर वह इस घर में बहू बन कर आ गई तो उस का बाकी जीवन तो इन गुटकों, इन बदरंग निशानों को साफ करते ही बीत जाएगा,’ उस ने इन विचारों में डूबेडूबे ही सब के साथ डिनर किया.

डिनर के बाद अनिल सिया को घर छोड़ आया. घर आने के बाद सिया के मन में कई विचार आ जा रहे थे. अनिल एक अच्छा जीवनसाथी सिद्ध हो सकता है, उस के घर वाले भी उस से प्यार से पेश आए पर सब की ये बुरी आदतें पानमसाला, शराब, सिगरेट के ढेर वह अपनी आंखों से देख आई थी. घर आ कर उस ने अपने मन की बात किसी को नहीं बताई पर बहुत कुछ सोचती रही. 2-3 दिन उस ने अनिल से एक दूरी बनाए रखी. सिया के इस रवैए से परेशान अनिल बहुत कुछ सोचने लगा कि क्या हुआ होगा पर उसे जरा भी अंदाजा नहीं हुआ तो शाम को घर जाने के समय वह सिया का हाथ पकड़ कर जबरदस्ती कैंटीन में ले गया, वहां बैठ कर उदास स्वर में पूछा, ‘‘क्या हुआ है, बताओ तो मुझे?’’

सिया को जैसे इसी पल का इंतजार था. अत: उस ने गंभीर, संयत स्वर में कहना शुरू किया, ‘‘अनिल, मैं तुम्हें बहुत पसंद करती हूं, पर हम इस रिश्ते को आगे नहीं बढ़ा पाएंगे.’’

अनिल हैरानी से चीख ही पड़ा, ‘‘क्यों?’’

‘‘तुम्हें और तुम्हारे परिवार को जो ये कुछ बुरी आदतें हैं, मुझ से सहन नहीं होंगी, तुम एजुकेटेड हो, तुम्हें इन आदतों का भविष्य तो पता ही होगा. भले ही तुम इन आदतों के परिणामों को नजरअंदाज करते रहो पर जानते तो हो ही न? मैं ऐसे परिवार की बहू कैसे बनूं जो इन बुरी आदतों से घिरा है? आई एम सौरी, अनिल, मैं सब जानतेसमझते ऐसे परिवार का हिस्सा नहीं बनना चाहूंगी.’’

अनिल का चेहरा मुरझा चुका था. बड़ी मुश्किल से उस की आवाज निकली, ‘‘सिया, मैं तो तुम्हारे बिना जीने की कल्पना भी नहीं कर सकता.’’

‘‘हां अनिल, मैं भी तुम से दूर नहीं होना चाहती पर क्या करूं, इन व्यसनों का हश्र जानती हूं मैं. सौरी अनिल,’’ कह उठ खड़ी हुई.

अनिल ने उस का हाथ पकड़ लिया, ‘‘अगर मैं यह सब छोड़ने की कोशिश करूं तो? अपने मम्मीपापा को भी समझांऊ तो?’’

‘‘तो फिर मैं इस कोशिश में तुम्हारे साथ हूं,’’ मुसकराते हुए सिया ने कहा, ‘‘पर इस में काफी समय लगेगा,’’ कह सिया चल दी.

आत्मविश्वास से सधे सिया के कदमों को देखता अनिल बैठा रह गया.

आदतन हाथ जेब तक पहुंचा, फिर सिर पकड़ कर बैठा रह गया.

सिंगल वूमन: क्या सुमित अपनी पड़ोसिन का पा सका

सुमित औफिस से लौटा तो सुधा किचन में व्यस्त दिखी. उस ने पूछा, ‘‘क्या बात है, आज तो बाहर तक खुशबू आ रही है?’’

सुधा मुसकराई, ‘‘जल्दी से फ्रैश हो जाओ, गैस्ट आ रहे हैं.’’

‘‘कौन?’’

‘‘बराबर वाले फ्लैट में जो किराएदार आए हैं, मैं ने उन्हें डिनर पर बुलाया है.’’

‘‘अच्छा, कौन हैं?’’

‘‘एक सिंगल वूमन है और उस की 10 साल की 1 बेटी

भी है.’’

‘‘ठीक है,’’ कह कर सुमित फ्रैश होने लगा. दोनों की 20 वर्षीय बेटी तनु और 17 वर्षीय बेटा राहुल भी अपनी बुक्स समेट कर डिनर के लिए तैयार थे.

सुधा ने तनु के साथ मिल कर डिनर टेबल पर लगाया. तभी घंटी की आवाज सुनाई दी. सुधा ने दरवाजा खोला और फिर मुसकराते हुए बोली, ‘‘आओ अनीता, हैलो बेटा, अंदर आओ.’’

अनीता अपनी बेटी रिनी के साथ अंदर आई. सुधा ने अपने परिवार से उन का परिचय करवाया. सुमित उसे देखता ही रह गया. जींसटौप, कंधों तक लहराते बाल, सलीके से किया गया मेकअप… बहुत स्मार्ट थी अनीता. रिनी तनु और राहुल को हैलो दीदी, हैलो भैया कहती उन से बातें करने लगी. तनु और राहुल उस की बातों का आनंद उठाने लगे. सुमित अनीता के रूपसौंदर्य में घिर बैठा रहा. उस का अनीता के चेहरे से नजरें हटाने का मन नहीं कर रहा था. अनीता और सुधा बातों में व्यस्त थीं. सुमित कनखियों से अनीता को निहार रहा था. सुंदर गोरा चेहरा, खूबसूरत हाथपैर, उन पर लगी आकर्षक नेलपौलिश, हाथ में महंगा फोन, कान व गले में डायमंड सैट. वाह, क्या बात है, सुमित ने उसे मन ही मन खूब सराहा. फिर उन की बातों की तरफ कान लगा दिए. वह दवाओं की एक मल्टीनैशनल कंपनी में प्रोडक्ट मैनेजर थी. यहां मुंबई में इस फ्लैट में वह अपनी बेटी के साथ रहेगी. औफिस के कुछ सहकर्मियों ने उसे यह फ्लैट दिलवाया है. इस सोसाइटी में उस का अच्छा फ्रैंड सर्कल है.

खाने की तारीफ करते हुए अनीता और रिनी ने सब के साथ डिनर किया और फिर थैंक्स बोल कर चली गईं.

उन के जाने के बाद तनु ने कहा, ‘‘मम्मी, आंटी तो बहुत स्मार्ट हैं.’’

सुधा ने कहा, ‘‘मुझे भी यह अच्छी लगी. इस से आतेजाते जितनी भी बातचीत हुई वह मुझे अच्छी लगी. अकेली है इसलिए आज बुला लिया था. वैसे भी इस फ्लोर पर दोनों फ्लैट बंद पड़े थे. खालीखाली सा लगता था. अब कोई तो दिखेगा.’’

सुमित मन ही मन सोच रहा था कि सिंगल वूमन, वाह, अकेली औरत मतलब आसान शिकार. अकेली है सौ काम पड़ेंगे इसे हम लोगों से. चलो, खूब टाइमपास होगा. और फिर मन ही मन अपनी सोच पर मुसकराया. फिर सुधा से बोला, ‘‘चलो, अब तुम्हारा मन लगा रहा करेगा.’’

‘‘हां, यह तो है,’’ सुधा ने कहा.

कुछ दिन और बीत गए. अनीता का घर सैट हो गया था. इस बिल्डिंग में 2 टू बैडरूम फ्लैट थे, तो 2 वन बैडरूम फ्लैट थे. सुमित का टू बैडरूम फ्लैट था और अनीता का वन बैडरूम. सुधा बड़ी उत्सुकता से अनीता की दिनचर्या नोट कर रही थी. उस ने सुधा की मेड को ही रख लिया था. सुबह उस से काम करवा कर अनीता रिनी को अपनी कार से स्कूल छोड़ती, फिर लंचटाइम में स्कूल से ले कर सोसाइटी में ही स्थित डे केयर सैंटर में छोड़ देती. वहां से शाम को ले कर लौटती. रिनी बहुत ही प्यारी और सम?ादार बच्ची थी. अनीता ने उसे बहुत मैनर्स सिखा रखे थे. अनीता दिन में व्यस्त रहती थी. शाम को खाली होती तो सुधा से मिलती. कभी उसे अपने यहां कौफी के लिए बुला लेती तो कभी खुद सुधा के पास आ जाती. अनीता की आत्मनिर्भरता सुधा को काफी अच्छी लगती.

शनिवार को अनीता और रिनी की छुट्टी रहती थी. दोनों मांबेटी मार्केट जातीं. कभी रिनी की फ्रैंड्स आ जातीं तो कभी अनीता की अपनी फ्रैंड्स. कुछ महीनों की दोस्ती के बाद अनीता सुधा से काफी घुलमिल गई थी. एकदिन उस ने अपने बारे में सुधा को इतना ही बताया था, ‘‘सुधाजी, मैं ने अपने पति और ससुराल वालों से निभाने की बहुत कोशिश की थी, लेकिन सब व्यर्थ गया. तलाक लेने के अलावा मेरे पास कोई रास्ता नहीं बचा था. अब मैं रिनी के साथ अपनी लाइफ से बहुत खुश हूं.’’

सुधा मन ही मन अनीता की हिम्मत की दाद देती रहती थी. दोनों के संबंध काफी

अच्छे हो गए थे. सुमित अनीता से बात करने का मौका ढूंढ़ता रहता था, लेकिन सुमित के औफिस से आने के बाद अनीता कभी सुधा के घर नहीं जाती थी. सुमित यहांवहां देखता रहता. अनीता से तो उस का आमनासामना ही नहीं हो पा रहा था. कहां वह अनीता के साथ टाइमपास के सपने देख रहा था और कहां अब अनीता की शक्ल ही नहीं दिखती थी. एक दिन सुमित ने घुमाफिरा कर बातोंबातों में सुधा से कहा, ‘‘और तुम्हारी पड़ोसिन का क्या हाल है?’’

‘‘ठीक है.’’

सुमित थोड़ा ?ाल्लाया, यह सुधा तो उस की कोई बात बताती ही नहीं, फिर दोबारा पूछा, ‘‘मिलती है या नाम की पड़ोसिन है?’’

‘‘जब उसे टाइम मिलता है, मिलती है?’’

सुमित मन ही मन झंझलाया कि कब अनीता से मिलना होगा, कुछ तो करना पड़ेगा. क्या करे वह और फिर पता नहीं क्याक्या सोचता रहा.

संडे को जैसे सुमित के मन की मुराद पूरी हो गई. अनीता ने सुबह ही घंटी बजा दी. सुधा ने दरवाजा खोला तो परेशान सी कहने लगी, ‘‘रिनी को बहुत तेज बुखार है, कोई डाक्टर है, जो घर आ जाए?’’

सुधा ने कहा, ‘‘हांहां, अंदर आ जाओ, मैं नंबर देती हूं.’’

सुमित ड्राइंगरूम में पेपर पढ़ रहा था. फौरन उठ कर खड़ा हो गया. अनीता को देख कर उस का चेहरा खिल उठा. नाइटसूट में अनीता उसे बहुत ही आकर्षक लगी फिर मन ही मन वह उस की सुंदरता की तारीफ करता रहा. प्रत्यक्षत: चिंतित स्वर में बोला, ‘‘मैं डाक्टर को फोन करता हूं.’’

‘‘नहीं, थैंक्स, आप मुझे नंबर दे दें, मैं कर लूंगी.’’

सुधा ने नंबर लिख कर दे दिया. अनीता चली गई तो सुधा ने सुमित से कहा, ‘‘मैं जरा रिनी को देख आती हूं.’’

सुमित ने फौरन कहा, ‘‘मैं भी चलता हूं.’’

सुधा के साथ सुमित पहली बार अनीता के फ्लैट में गया. अनीता के घर में चारों ओर नजर दौड़ाई. घर पूरी तरह से आधुनिक साजसज्जा से सुसज्जित था. वाह, घर भी सुंदर सजाया है अपनी तरह. सुमित मन ही मन अनीता की हर बात पर फिदा हो रहा था.

सुधा ने रिनी का माथा छुआ. बोली, ‘‘हां, तेज बुखार है.’’

अनीता डाक्टर को फोन कर रही थी. लेकिन उधर से फोन उठाया नहीं गया तो कहने लगी, ‘‘संडे है, शायद सो रहे हों. ऐसा करती हूं अस्पताल ही ले जाती हूं.’’

सुमित ने फौरन कहा, ‘‘मैं चलता हूं, आप रिनी को उठा लें. मैं कपड़े चेंज कर के गाड़ी निकालता हूं, आप नीचे आ जाओ.’’

‘‘ठीक है.’’

सुधा ने कहा, ‘‘मैं भी चलती हूं.’’

सुमित ने कहा, ‘‘नहीं, तुम क्या करोगी, बच्चों को क्लास के लिए उठाना है. मेड भी आने वाली होगी. मैं दिखा लाता हूं.’’

‘‘ठीक है,’’ कह कर सुधा अपने घर

आ गई.

सुमित कपड़े चेंज कर के बोला, ‘‘बेचारी सिंगल वूमन है, परेशानी तो होती ही है.’’

सुमित कार की चाबी उठा कर नीचे उतर गया. अनीता भी रिनी को उठा कर कार तक पहुंची. सुमित ने एक नजर उस पर डाली,

टीशर्ट और जींस में अनीता का फिगर देख

कर एक आह भरी और फिर ड्राइविंग सीट पर बैठ गया.

अनीता ने कहा, ‘‘अगर आप को बुरा न लगे तो मैं रिनी के साथ पीछे बैठना चाहूंगी.’’

‘‘हांहां, ठीक है,’’ कह कर सुमित ने मन में सोचा, चलो फिर कभी आगे बैठेगी, फिर कोई काम तो पड़ेगा ही, साथ में तो है, पीछे ही सही. शीशे में सुमित उसे कई बार देखता रहा, वह पूरी तरह से रिनी में खोई थी. उसे बहुत तेज बुखार था. वह लगभग बेसुध थी.

डाक्टर ने चैकअप के बाद उसे तुरंत ऐडमिट कर लिया. अनीता ने एक फोन किया. आधे घंटे में उस की कई सहेलियां और दोस्त पहुंच गए. सब औफिस के लोग थे. लेकिन उस के शुभचिंतक हैं यह बात सुमित ने साफसाफ महसूस की. अनीता ने सुमित का परिचय पड़ोसी कह कर करवा दिया. सब के आने से सुमित असहज हो गया और फिर बोला, ‘‘मैं चलता हूं. कोई जरूरत हो तो फोन कर देना,’’ और सुमित घर आ गया और सुधा को सारी बात बता दी.

सुधा सारे काम निबटा कर और अनीता के लिए खाना बना कर अस्पताल जाने के लिए तैयार हुई तो सुमित ने कहा, ‘‘वहां उस के कई जानपहचान वाले हैं, मैं ही जा कर दे आता हूं खाना,’’ सुमित ने मन ही मन सोचा ऐसा करने से अनीता के दिल में मेरे लिए खास जगह बनेगी. कुछ नजदीकी बढ़ेगी, मजा आएगा.

सुधा ने कहा, ‘‘ठीक है, मैं शाम को चली जाऊंगी.’’

सुमित अच्छी तरह तैयार हो कर अनीता के लिए खाना ले कर अस्पताल पहुंचा तो उसे अकेली देख कर खुश हुआ. वह रिनी के पास अकेली बैठी थी. सब दोस्त जा चुके थे. अनीता ने खाने के लिए कई बार थैंक्स कहा. सुमित अनीता के साथ कुछ समय रह कर खुश था. वह थोड़ी देर रिनी की तबीयत के बारे में बात करता रहा. वह अपनी तरफ से अनीता को प्रभावित करने

का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहता था. तभी अनीता की एक सहेली भी खाना ले आई, तो अनीता हंस पड़ी. बोली, ‘‘मेरा ध्यान रखने वाले कितने लोग हैं.’’

थोड़ीबहुत बातों के बाद सुमित घर लौट आया. शाम को सुधा अनीता के लिए डिनर ले कर गई. अनीता ने प्यार से सुधा का हाथ पकड़ लिया, ‘‘आप मेरे लिए कितना कर रही हैं… थैंक्यू वैरी मच.’’

‘‘तो क्या हुआ अनीता, हम दोस्त हैं, पड़ोसी हैं, इतना तो हमारा फर्ज बनता ही है, तुम बेकार की औपचारिकता में न पड़ कर बस रिनी की देखभाल करो. और हां, सुबह तो तुम ऐसे ही उठ कर आ गई थीं, रात को रुकने के लिए तुम्हें कपड़े चाहिए होंगे न. ऐसा करो मैं यहां बैठी हूं, जो चाहिए जा कर ले आओ.’’

‘‘हां, यह ठीक रहेगा. मैं अपना कुछ सामान ले आती हूं.’’

सुमित फौरन खड़ा हो गया, ‘‘आइए, मैं ले चलता हूं.’’

अनीता ने हां में सिर हिलाया तो सुमित का मन खिल उठा कि कार में बस वह और अनीता, वाह.

बराबर की सीट पर बैठी अनीता को सुमित ने कनखियों से कितनी बार देखा, अपने मन के चोर को उस ने किसी भी हावभाव से बाहर नहीं आने दिया. बाहर से वह एकदम शिष्ट, सभ्य पुरुष बना हुआ था, लेकिन अंदर ही अंदर मन में कुटिलता लिए एक अकेली औरत को प्रभावित करने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहता था.

रास्ते भर दोनों की कोई खास बात नहीं हुई, लेकिन सुमित खुश था. अनीता के कई दोस्त आ गए तो सुधा और सुमित घर लौट आए. रात को बैड पर सुमित की आंखों के आगे अनीता का चेहरा आता रहा.

सुधा ने प्यार से कहा, ‘‘आज तो संडे को काफी व्यस्त रहे तुम, आराम नहीं कर पाए.’’

‘‘तो क्या हुआ? सिंगल वूमन है पड़ोस

में, इतना तो करना ही पड़ता है… बेचारी

अकेली औरत…’’

‘‘हां, यह तो है. लेकिन काफी हिम्मती है, घबराती नहीं है बिलकुल भी. मु?ो उस की यह बात बहुत अच्छी लगती है.’’

अगले दिन सोमवार को सुमित ने औफिस जाते हुए कार अस्पताल के बाहर रोकी, अनीता उसे सुबहसुबह देख कुछ हैरान हुई. रिनी ठीक थी. जब अनीता ने बताया कि शाम तक छुट्टी मिल जाएगी तो सुमित ने कहा, ‘‘ठीक है, औफिस से सीधा इधर ही आ जाऊंगा, साथ ही चलेंगे.’’

‘‘नहींनहीं, मेरी फ्रैंड आ जाएगी कार ले कर.’’

‘‘अरे, एक ही जगह जाना है, उन्हें क्यों परेशान करेंगी?’’

‘‘अच्छा ठीक है, मैं उन्हें फोन कर के मना कर दूंगी.’’

सुमित औफिस चला गया और दिन भर अनीता के खयालों में डूबा रहा. शाम को अनीता और रिनी को ले कर घर आ गया.

अनीता घर आ कर भी बारबार सुधा और सुमित को थैंक्स बोलती रही. सुधा ने कहा, ‘‘मैं तुम्हारा खाना ले कर आती हूं, रिनी के लिए मैं ने सूप और खिचड़ी बना दी है.’’

‘‘आप मेरा कितना ध्यान रखती हैं सुधाजी.’’

सुधा ने अनीता का कंधा प्यार से थपथपा दिया. अगले दिन अनीता ने औफिस से छुट्टी ले ली थी. उस की फ्रैंड्स आतीजाती रहीं. फिर पुराना रूटीन शुरू हो गया. कुछ दिन और बीत गए. अब अनीता और रिनी सुधा से और खुल चुकी थीं. कभीकभी सुमित टूर पर होता तो तीनों मूवी देखने जातीं. बाहर खातीपीतीं. तनु और राहुल तो अनीता आंटी के फैन थे. कुल मिला कर सब सामान्य था. बस सुमित के मन में अनीता को ले कर क्या चलता रहता था, यह वही जानता था. अब उसे इस बात का विश्वास हो गया था कि अनीता भी उस से इंप्रैस्ड है और अगर वह कोई हरकत करता है तो वह पक्का आपत्ति नहीं करेगी. किसी पुरुष के साथ की उसे भी तो जरूरत होती होगी. सुधा के प्यार और विश्वास की एक बार भी चिंता न करते हुए वह अनीता से नजदीकी के सपनों में डूबा रहता.

एक दिन अचानक सुधा के मायके से फोन आया. दिल्ली में उस की मम्मी की तबीयत खराब थी.

सुमित ने फौरन दिल्ली के लिए उस की फ्लाइट बुक की. मेड को खाना बनाने के कई निर्देश दे कर सुधा दिल्ली के लिए फौरन तैयारी करने लगी. सुधा को एअरपोर्ट छोड़ कर आते हुए सुमित कई तरह की योजनाएं बनाता रहा. तनु और राहुल कालेज चले जाते, सुमित अनीता से बात करने के मौके ढूंढ़ता रहता. लेकिन सुधा के जाने के बाद अनीता बच्चों से तभी मिलती जब सुमित औफिस में होता. सुमित सोचता रहा और 6 दिन बीत गए थे. सुमित सोच रहा था आज तनु और राहुल को एक बर्थडे पार्टी में जाना है, सुधा कल सुबह आ जाएगी, उस की मम्मी अब ठीक है, रिनी 8 बजे तक सो ही जाती है. आज ही मौका है, आज ही वह अनीता के और करीब जाने की कोशिश करेगा. वह मन ही मन कई योजनाएं बनाता रहा.

शाम को तनु और राहुल पार्टी में चले गए. कह कर गए थे 11 तो बज ही जाएंगे. सुमित ने नहाधो कर बढि़या कुरतापाजामा पहना, परफ्यूम लगाया, घर में बढि़या रूमस्प्रे किया, बैडरूम ठीक किया. मेड जो खाना गरम कर के रख गई थी, गरम कर के खाया. समय देखा, 9 बज रहे थे. सुधा से भी फोन पर बात कर ली थी. तनु व राहुल से भी बात कर ली थी. उन्हें आने में अभी काफी समय था. रिनी सो ही चुकी होगी. सब मन ही मन हिसाब लगा कर सुमित ने अनीता के घर की घंटी बजाई. उस ने दरवाजा खोला तो सुमित ने कहा, ‘‘एक तकलीफ देनी है आप को.’’

‘‘जी, कहिए.’’

‘‘प्लीज, 1 कप कौफी बना देंगी? पता नहीं सुधा ने कहां रखी है, मिल नहीं रही है. सिर में बहुत दर्द हो रहा है, आप को कोई प्रौब्लम तो नहीं होगी न?’’

‘‘अरे नहीं, आप चलिए, मैं लाती हूं.’’

‘‘आप को भी इस समय कौफी पीने की आदत है न, अपनी भी ले आइए, साथ ही पी लेंगे,’’ कह कर सुमित अपने घर आ गया.

10 मिनट बाद घंटी बजी. अनीता ट्रे में 1 कप कौफी लिए आई. उस ने अनीता को हाथ से अंदर आने का इशारा किया. अनीता जैसे ही अंदर आई, सुमित ने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया. पूछा, ‘‘आप अपने लिए

नहीं लाईं?’’

ट्रे टेबल पर रख कर अनीता जैसे ही सीधी हुई, सुमित ने उस के कंधे पर हाथ रख कर कहा, ‘‘बैठो न, कब से तुम से कुछ कहना चाह रहा था,’’ फिर अचानक अनीता की बगल में दबे बैग को देखते हुए बोला, ‘‘इस में क्या है?’’

अनीता ने एक व्यंग्यभरी मुसकान उस पर डाली, बैग की चेन खोल कर स्प्रे निकाला. बोली, ‘‘यह खास स्प्रे है. क्या आप देखेंगे कि कैसे काम करता है?’’ सुमित ने सोचा कि कोई मादक स्प्रे होगा. वह और निकट खिसका तो अनीता ने उस पर स्पे्र कर दिया.

अनीता गुर्राई, ‘‘उन लंपट पुरुषों का इलाज हमेशा मेरे पास रहता है, जो सिंगल वूमन को आसान शिकार सम?ाते हैं,’’ फिर सुमित का चेहरा देख कर बोली, ‘‘उफ सौरी यह तो आप पर स्प्रे हो गया.’’

सुमित बुरी तरह कराह रहा था. अनीता बोली, ‘‘आप मुंह धो लो. शायद रात भर में उतर जाए और कोई गलतफहमी हो तो वह भी दूर हो जाएगी,’’ और फिर अनीता बड़े आराम से सुमित के घर से निकल कर चली गई.

सुमित छटपटाता हुआ जल्दी से बाथरूम में शौवर के नीचे खड़ा हो गया, आंखें बुरी तरह जल रही थीं, वह अनीता को गालियां दे रहा था. आंखों की जलन कम हुई तो जल्दी से गीले कपड़े मशीन में डाले, कपड़े बदले. तनु, राहुल आए तो सुमित की लाल आंखें देख कर परेशान हो उठे.

‘‘बस, आई इन्फैक्शन है, तबीयत कुछ ठीक नहीं है,’’ कह कर सुमित जल्दी सोने चला गया.

सुबह सुधा खुद ही टैक्सी ले कर आ गई थी. आ कर सब से बातें करती रही, फिर दिल्ली से लाई मिठाई अनीता को देने गई. फिर लौट कर बोली, ‘‘कितनी तेज बारिश हो रही है… देखो पहले रिनी को स्कूल छोड़ेगी, फिर औफिस जाएगी, बेचारी सिंगल वूमन, कितनी परेशानियां होती हैं इन की लाइफ में.’’

‘‘कोई बेचारीवेचारी नहीं होती हैं सिंगल वूमन,’’ सुमित ने कहा तो सुधा कुछ सम?ा तो नहीं, बस उस का मुंह देखती रह गई जो अभी तक लाल था.

मेरे हसबैंड चाहते हैं कि मैं उनके दोस्त के साथ सैक्स करूं…

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मेरी शादी को 15 साल हो गए, हम हाल ही में लखनऊ शिफ्ट हुए हैं. बच्चों की पढ़ाई के लिए हमें गांव से इस शहर में आना पड़ा. पति को नई जौब भी मिल गई और एक आदमी से उनकी गहरी दोस्ती भी हो गई है. दोनों एकदूसरे के घर आते-जाते हैं. लेकिन समस्या यह है कि मेरे पति ने एक दिन मुझसे कहा कि मैंने अपने दोस्त की बीवी के साथ सैक्स किया है, वह भी तुम्हारे साथ सैक्स करने के लिए किसी दिन आएगा. ये सुनकर मेरे होश उड़ गए है. मैं उन पर बहुत चिल्लाई कि आपकी हिम्मत कैसे हुई, दोस्त की बीवी के साथ सैक्स करने की, तो उन्होंने कहा कि ये आजकल नौर्मल बात है. तुम भी मेरे दोस्त के साथ सैक्स कर लेना. वह मेरी कोई भी बात समझने को तैयार ही नहीं है… अब मैं उनकी हरकतों के कारण उनसे अलग होना चाहती हूं, कुछ समझ नहीं आ रहा कैसे क्या करूं?

जवाब

आपके हसबैंड ने सबसे बड़ी गलती की, अपनी दोस्त की बीवी के साथ सैक्स किया, अब वह आपसे डिमांड कर रहे हैं कि आप भी उनके दोस्त के साथ सैक्स करें, यह बहुत ही गलत है. अभी आप अलग होने की बात न सोचें… आप पहले आराम से अपने पति को समझाएं, अगर वह आपकी बात नहीं मानते हैं, तो आप अपने परिवार वालों से मदद ले सकती हैं. शायद किसी दूसरे व्यक्ती के कहने पर वह ये बात समझ जाएं कि उन्होंने खुद गलत किया और आपसे भी गलत डिमांड कर रहे हैं.

अगर वह अपनी गलत आदत नहीं छोड़ते हैं, तो आप उनसे तलाक ले सकती हैं. शादी में हसबैंड-वाइफ को एक दूसरे की सम्मान करना बेहद जरूरी है. यह बराबरी का रिश्ता है, सिर्फ पति का आदेश मानना जरूरी नहीं है, महिलाओं का भी उतना ही हक जितना कि एक पुरुष का..

पत्नी कोई प्रौपर्टी नहीं है कि अदलबदल कर उसे एक दूसरे को इस्तेमाल करने के लिए दिया जा सके. ऐसा पति कभी भरोसे लायक नहीं होगा, यह याद रखें.

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प्यार कितना भी गहरा हो पर कोई भी कपल हर समय एकदूसरे के प्यार में डूबे नहीं रहते. उन्हें अपनी जिम्मेदारियां भी निभानी होती है. कामकाज पर जाना पड़ता है. जिंदगी के उतारचढ़ाव सहने पड़ते हैं. मगर इन वजहों से प्यार का एहसास नहीं घटता. जब भी मिलते हैं उतनी ही शिद्दत से प्यार महसूस करते हैं.

मगर कभीकभी ऐसी परिस्थितियां भी आती हैं जब अपने प्रेमी या पति के करीब हो कर भी आप को प्यार महसूस न हो. करीब हो कर भी वे आप को दूर लगें. अगर ऐसा है तो समझ जाइए कि वह  वाकई आप से दूर जा रहे हैं यानी आप का ब्रेकअप होने वाला है.

पहले से इस बात का आभास रहे तो इस दर्द को सहना थोड़ा आसान हो जाता है. ध्यान दीजिए आप के करीब रहने पर उन की कुछ खास शारीरिक गतिविधियों पर.

जब आप किसी के साथ रिलेशन में होते हैं या प्यार करते हैं तो रातदिन उसे ही देखना और महसूस करना चाहते हैं. मगर जब कोई आप का दिल तोड़ जाता है या उस के लिए आप के मन में प्यार नहीं रह जाता तो उस का सामना करने या उस की तरफ देखने से भी कतराने लगते हैं.

प्यार में इंसान करीब जाने और बातें करने के बहाने ढूंढता है मगर दूरी बढ़ने पर एकदूसरे से दूर जाने के बहाने ढूंढने लगता है. कपल्स जो इमोशनली जुड़े होते हैं उन की बौडी लैंग्वेज ही अलग होती है. जैसे कि अनजाने ही एकदूसरे की ओर सर झुकाना, गीत गुनगुनाना, केयर करना और एकदूसरे की बातें ध्यान दे कर सुनना आदि.

मगर जब रिश्ता बैकअप के कगार पर पहुंच चुका होता है तो वे बातें कम और बहस ज्यादा करने लगते हैं. एकदूसरे के बगल में बैठने के बजाय आमनेसामने बैठते हैं और केयर करने के बजाए इग्नोर करने लगते हैं.

व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या इस नम्बर 8588843415 पर  भेजें. 

या हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- sampadak@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

खतरनाक गुंडों को सबक सिखाएगी आध्या, क्या फिर से Anupama को देख कहीं चली जाएगी दूर?

टीवी सीरियल अनुपमा में लगातार ट्विस्ट देखने को मिल रहा है. सीरियल में इन दिनों हाईवोल्टेज ड्रामा देखने को मिल रहा है. शो में लीप आने के बाद आध्या और अनुपमा की जिंदगी पूरी तरह से बदल गई है. शो में दिखाया जा रहा है कि आध्या अनुपमा को छोड़कर भाग गई है. वह दूसरे जगह नए नाम से रह रही है. लेकिन अनुपमा अपनी बेटी आध्या की हर जगह तलाश कर रही है.

अनुपमा के बीते एपिसोड में आपने देखा था कि अंश के साथ अनुपमा द्वारका जाती है इसी बीच बा से उसकी बहस होने लगती है. दूसरी तरफ शो में आध्या की लव स्टोरी को दिखाया जा रहा है. शो में प्रेम और आध्या की दिलचस्प कैमिस्ट्री देखने को मिल रही है. अब शो के अपकमिंग एपिसोड में बड़ा ट्विस्ट देखने को मिलेगा.

आध्या ने बर्थडे सेलिब्रेट करने से किया मना

सीरियल अनुपमा में दिखाया गया कि आश्रम के लोग आध्या के बर्थडे की तैयारी करते हैं, लेकिन आध्या गुस्सा होती है और वह अपना बर्थडे सेलिब्रैट करने से मना करती है. दूसरी तरफ तोषु अपनी आदतों से बाज नहीं आता है और बारबार जताता है कि उसे पर ही सारे काम का प्रेशर है. इतना ही नहीं वह माही को सुनाता भी है.

गुंडों से लड़ेगी आध्या

आश्रम पर गुंडे हमला कर देते हैं और सारा सामान घर से बाहर निकालते हैं. तभी आध्या उन्हें सबक सिखाती है और वहां से भगा देती है. शो में आगे दिखाया जाएगा कि अनुपमा गेस्ट बनकर आश्रम में फोन करती है. आध्या को पता नहीं होता है कि वह अनुपमा ही है. वह गेस्ट को लेने के लिए बस स्टैंड निकलती है. तभी वह रास्ते में प्रेम से टकरा जाती है, इस दौरान दोनों की घाट पर बहस हो जाती है. दूसरी तरफ आध्या का फोन भी पानी में गिर जाता है.

घाट पर ही अनुपमा-आध्या का होगा आमनासामना

इसके बाद वह आश्रम में दूसरे नंबर से फोन कर अनुपमा का नंबर मांगती है, इसी बीच उसे पता चलता है कि जो गेस्ट आने वाले हैं, वो लोग अहमदाबाद से आ रहे हैं, तो वह शौक्ड हो जाती है और उन्हें आश्रम में लाने से मना करती है. शो में ये भी दिखाया जाएगा कि घाट पर ही आध्या अनुपमा को देख लेगी. अब सीरियल में ये देखना दिलचस्प होगी कि क्या फिर से अपनी मां को देखकर आध्या भाग जाएगी ?

Diwali Special: त्यौहारों में बालों को दें कुछ अलग लुक  

त्यौहारों के मौसम में हर कोई सजना सवरना पसंद करते है. ऐसे में नए लुक, परिधान हेयर और मेकअप सब सही हो इसकी कोशिश पुरुष और महिला सभी करते है. इसके लिए वे पार्लर में जाकर भी अपनी लुक को बदलने से कतराती नहीं. इस बारें में गोदरेज प्रोफेशनल की एजुकेशन एम्बेसेडर आशा हरिहरन जो पिछले 35 सालों से इस क्षेत्र में है कहती है कि आजकल की महिलाएं बालों को अलग-अलग लुक में देखना पसंद करती है.

1. स्किन टोन के हिसाब से कलर

स्किन टोन के हिसाब से केशों को कलर करने से परिधान अधिकतर स्टाइलिस्ट बन जाता है. ट्रेंडी और न निकलने वाले रंग लोग खूब पसंद करते है. इसमें पीकौक ब्लू कलर जो बबली, फनलविंग और एडवेंचर पसंद करने वाली महिलाओं के लिए है और उन्हें अधिक सूट करता है. इसमें कान के नीचे वाईव्रेंट और उसके उपर डार्क रंग का प्रयोग किया जाता है.

2. औफिस के लिए परफेक्ट है ये हेयर कलर

काम पर जाने वाली महिलाओं के लिए ये सबसे अच्छा हेयर कलर है. औफिस में फौर्मल लुक पसंद किया जाता है, लेकिन त्यौहार या पार्टी में फनलविंग महिलाओं के लिए भी ये अच्छा कलर है. दूसरा हेयर कलर हेयर स्टाइलिस्ट रायन ने बनाया है और वह ब्राउन है. ये इंडियन हेयर पर बहुत जंचता है, क्योंकि हमारी स्किन टोन लाइट और मीडियम है. ब्राउन में भी कई अलग-अलग रंग है, जैसे कौफी ब्राउन, ऐश ब्राउन पर्पल ब्राउन आदि है. इसकी पौपुलैरिटी की वजह फैशन में रेट्रो लुक का फिर से आना है.

3. पर्सनैलिटी बेस्ड हो कलर

हेयर कलर व्यक्ति के व्यक्तित्व पर आधारित होना सही होता है इससे ब्यूटी निखर कर आती है. आशा आगे कहती है कि ब्लौन्ड हेयर को मैंने इस बार परिचय करवाया है, जिसे बालयाग कहते है. ये पश्चिमी देशों में बहुत प्रचलित है और ये लुक इन्स्पीरेशनल होता है. कलरिस्ट हाई लाइट्स कलर करता है. इसके अलावा ब्लॉन्ड में भी कई रंग होते है, मसलन ऐश ब्लौन्ड में सिल्वर टोन अधिक होता है, जबकि प्लेटिनम ब्लौन्ड में लाइट शेड होता है, वेनीला ब्लौन्ड में क्रीम कलर का ब्लौन्ड, गोल्ड ब्लौन्ड में सुनहरे रंग की अधिकता होती है.

4. लाइफस्टाइल के हिसाब से

लाइफस्टाइल के हिसाब से ब्लौन्ड का प्रयोग किया जाता है. इसमें बहुत सारा कैलकुलेशन होता है जिसे सैलून में ही किया जा सकता है. इसमें बाल को बिना नुक्सान के रंग देना मेरे लिए चुनौती होती है. इस त्यौहार में ब्लौन्ड विथ ब्राउन या रेड विथ ब्राउन चर्चा में है. इसके अलावा पीकॉक ब्लू, रेड, ब्राउन आदि भी इस त्यौहार में प्रयोग कर सकती है.

5. हेयर कलर के बाद कुछ सावधानियां,

  • सभी रंग अमोनिया फ्री है, इसलिए इसका फोर्मुलेशन माइल्ड होना चाहिए,
  • सही रंग का चयन करना जरुरी,
  • कलर ऐसे लगानी चाहिए,ताकि वह स्कैल्प को प्रोटेक्ट करें,
  • शैम्पू रंग को प्रोटेक्ट करने वाली होनी चाहिए, ताकि 6 महीने बाद भी हेयर सुंदर लगे.
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