गुलाब से पाएं कोमल और निखरती त्वचा

महिलाएं अपने चेहरे को लेकर हमेशा चिन्तित रहती हैं. वह हमेशा ये सोचती हैं कि कैसे अपने चेहरे को सबसे अच्छा दिखाया जाये. खूबसूरती को पाने के लिए महिलाएं क्या क्या उपाय नहीं करती, पर अक्सर उन्हें निराशा ही हाथ लगती है. अगर आप के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है तो अब घबराइये नहीं. इस बार हम आप के लिए लेकर आएं हैं कुछ ऐसे उपाय जिन्हें अपनाकर आप गुलाब सी कोमल और निखरती त्वचा पा सकेंगी.

गुलाब न सिर्फ अपनी खुशबू से मन को सुकून पहुंचाते हैं, बल्कि ये त्वचा में नमी लाकर अपके चेहरे को निखारने का काम करते हैं. जिस तरह इसकी पंखुडियां कोमल और सुंदर होती है उसी तरह से इसके इस्तेमाल से भी आपकी त्वचा कोमल और सुंदर हो सकती है. तो आइए जानते है कि सुंदर त्वचा पाने के लिए आप गुलाब को किस तरह से इस्तेमाल कर सकती है.

रूखेपन को दूर करता है

गुलाब की पंखुड़ियों को पानी में मिलाकर इसका इस्तेमाल करें. यह त्वचा में आयल को नियंत्रित करता है और पीएच बैलैंस बनाए रखता है. विटामिन, मिनरल और एंटीआक्सीडेंट से भरपूर होने के कारण यह आपके त्वचा का रूखापन दूर कर उसे निखार प्रदान करता है.

गुलाबजल और नींबू का रस

गुलाब जल और नींबू के रस से बना टानिक चेहरे पर लगाने से कील, मुंहासे कम होते हैं. चेहरे पर इसे 15 मिनट तक लगा रहने दे, फिर गुनगुने पानी से धो लें. ऐसा करने से आपके मुंहासे खत्म हो जाएंगे.

गुलाब जल का प्रयोग

गुलाब जल बहुत उपयोगी होता है. इसमें मौजूद एंटी-सेप्टिक और जीवाणुरोधी गुण आंखों को धूल, गंदगी, लालिमा और मेकअप उत्पादों के केमिकल से होने वाले नुकसान से बचाते हैं. दूध के साथ मिलाकर लगाने से यह आंखों के काले घेरे को भी दूर करता है. इसके अलावा अगर आप अपना चेहरा साफ करना चाहती हैं तो काटन बौल या रूई के फाहे को गुलाब जल में भिगोकर चेहरा साफ करें. यह प्राकृतिक टोनर का काम करता है.

जली त्वचा पर लगाएं

अगर आप धोखे से कहीं जल गईं है तो आपको गुलाबजल का इस्तेमाल करना चाहिए. एंटी फंगल और एंटीवायरल गुण होने के कारण यह खरोंच लगी या जली त्वचा पर भी लगाया जा सकता है.

झुर्रियों को दूर करता है

अगर आप गुलाबजल को नियमित तौर से अपने चेहरे पर लगाएं तो ऐसा करने से आपके चेहरे से की झुर्रियां खत्म हो जाती है.

मध्य प्रदेश : सरकारी स्कूलों से हुआ बच्चों का मोह भंग

मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के एक गांव के सरकारी स्कूल की तसवीर कुछ ऐसी है जिस में न तो स्कूल की घंटी बजती है और न ही बच्चों की चहलपहल सुनाई देती है. स्कूल भवन में ताला लटका रहता है. दरअसल, स्कूलों में बदलती नीतियों, सरकारी प्रयोगों और शिक्षकों से कराई जा रही बेगारी की वजहों से सरकारी स्कूलों में बच्चों का नामांकन शून्य हो गया है.

ग्राम पंचायत धौखेड़ा के तिघरा टोला का प्राथमिक स्कूल 1997 में खोला गया था. तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने प्रत्येक किलोमीटर के दायरे में शिक्षा प्रदान करने के लिए शिक्षा गारंटी कानून बनाया था. उस के तहत, गांव के कजरे टोले, जिन में 40 से अधिक बच्चे स्कूल जाने योग्य हैं, में स्कूल खोल कर बच्चों को शिक्षा की सुविधा मुहैया करवाई गई थी. 60 बच्चों के साथ प्रारंभ हुए इस स्कूल में 2 शिक्षकों की नियुक्ति पढ़ाने के लिए की गई.

20 सालों में प्रदेश के शिक्षा विभाग द्वारा औपरेशन ब्लैकबोर्ड, समाख्या, हमारी शाला कैसी हो, शालासिद्घि जैसी दर्जनों योजनाएं ला कर स्कूलों को प्रयोगशाला बनाया गया और शिक्षकों से जनगणना, चुनाव, सर्वे के साथ मध्याह्न भोजन, स्कौलरशिप, साइकिल, गणवेश वितरण जैसी विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन की बेगारी करवाई गई. नतीजतन, आज यह सरकारी स्कूल बच्चों को चिढ़ाता नजर आता है. प्रदेश में तिघरा टोला का यह स्कूल अकेला नहीं है, बल्कि रिछावर का नागल टोला, बम्हौरी के माटिया टोला और जमधान टोला जैसे कई स्कूल हैं जो नामांकन में कमी की वजह से बंद होने के कगार पर हैं.

शिक्षकों से बेगारी

शिक्षकों से दूसरे काम कराए जाने का एक ताजा मामला प्रदेश के सिंगरोली जिले में प्रकाश में आया है. सरकार द्वारा कराए जा रहे सामूहिक विवाह के आयोजन में बाकायदा कलैक्टर के निर्देश पर जिला शिक्षा अधिकारी ने 28 शिक्षकों की ड्यूटी पूरी, दाल, सब्जी परोसने में लगा दी. शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत राष्ट्रीय महत्त्व के कार्य, जैसे चुनाव और जनगणना को छोड़ कर, शिक्षकों की सेवाएं गैरशिक्षकीय कार्यों में नहीं ली जा सकतीं.

प्राथमिक शिक्षा के गिरते स्तर के लिए कुछ हद तक हमारा समाज भी जिम्मेदार है. आज समाज में अभिभावक मौजूदा दौर को देखते हुए बच्चों को अंगरेजी माध्यम या फिर मिशनरी स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं. पर आर्थिक हालत के चलते कुछ अभिभावकों को उन्हें सरकारी प्राथमिक स्कूलों में पढ़ाना पड़ता है.

शिक्षा के बाजारीकरण ने, राजनीति की तरह शिक्षा को भी 2 धड़ों में बांट दिया है. एक वो जो अंगरेजी के तानेबाने से भरे प्राइवेट स्कूलों के भारीभरकम बस्तों पर खत्म होती है, दूसरी, शिक्षकों, सरकारी तंत्र की नीतियों के दबाव में और निकम्मे आलसी शिक्षकों की वजह से कराह रही है. गांव के सरकारी प्राथमिक स्कूलों की शिक्षा प्राइवेट स्कूलों के सामने कहीं नहीं टिकती. बच्चों के लिए दोवक्त की रोटी की व्यवस्था में लगे अभिभावक सरकारी प्राथमिक विद्यालयों, सरकार और सरकारी नीतियों के बीच पिस  रहे हैं.

मध्य प्रदेश में कुल 1 लाख 23 हजार 51 सरकारी स्कूल हैं, जिन में से 83,969 प्राथमिक, 30,460 माध्यमिक, 4,768 हाई स्कूल एवं 3,854 हायर सैकंडरी स्कूल हैं. सरकार के शिक्षा विभाग के  पोर्टल के अनुसार, वर्ष 2011-12 में जहां प्राथमिक स्कूलों में कक्षा  1 से 5 तक 66 लाख 94 हजार 402 विद्यार्थी पढ़ रहे थे, 5 वर्षों बाद 2016-17 में यही आंकड़ा 43 लाख 44 हजार 410 रह गया है. जाहिर है इन 5 सालों में केवल प्राथमिक स्कूलों में 23 लाख विद्यार्थी सरकारी स्कूलों की बदहाली के कारण अपना रुख निजी स्कूलों की ओर कर चुके हैं.

क्या कहते हैं आंकड़े

आंकड़ों पर नजर डालने से प्रतीत होता है कि नामांकन में इसी दर से कमी आती गई तो आने वाले 5 वर्षों में प्राथमिक स्कूलों का बंद होना तय है. दरअसल, सरकार भी अब प्राथमिक शिक्षा से अपने हाथ खींचने का मन बना चुकी है. यही कारण है कि पिछले 5 सालों से न तो शिक्षकों की भरती की गई और न ही भविष्य में की जाने की उम्मीद दिखाई देती है. सरकारी स्कूलों की दुर्दशा के लिए केवल सरकारी तंत्र ही जिम्मेदार हो, ऐसा नहीं है. काफी हद तक शिक्षकों की लापरवाही भी इस का प्रमुख कारण है. वैसे भी, इन स्कूलों में दलितों व अतिपिछड़ों के बच्चे आते हैं जिन्हें पढ़ाने में ऊंची जातियों के शिक्षकों की कोई रुचि है ही नहीं.

शिक्षा का अधिकार फोरम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि देश में 98,443 सरकारी प्राथमिक विद्यालय सिर्फ एक शिक्षक की बदौलत चल रहे हैं. अर्थात देश के करीब 12 फीसदी प्राथमिक स्कूलों में कक्षा 1 से 5वीं तक छात्रों की पढ़ाई की पूरी जिम्मेदारी सिर्फ एक शिक्षक पर ही निर्भर है. अब इन आंकड़ों से जाहिर है कि ये शिक्षक विद्यालयों में अलगअलग कक्षा के छात्रों को शिक्षा देने के नाम पर खानापूर्ति करते होंगे. जिस भी दिन शिक्षक की अनुपस्थिति होती होगी उस दिन वह विद्यालय बंद होता होगा.

देश में इस समय लगभग साढ़े 13 लाख प्राथमिक विद्यालय हैं. परंतु इन में 41 लाख शिक्षकों के पद रिक्त पड़े हैं और जो शिक्षक हैं उन में से लगभग साढ़े 8 लाख शिक्षक अप्रशिक्षित हैं. ऐनुअल स्टेट्स औफ एजुकेशन रिपोर्ट 2014 के अनुसार भी भारत में निजी स्कूलों में जाने वाले बच्चों का प्रतिशत 51 फीसदी हो गया है. वर्ष 2010 में यह दर 39 फीसदी थी. रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कक्षा 8वीं के 25 फीसदी बच्चे दूसरी कक्षा का पाठ भी नहीं पढ़ सकते हैं.

आज शिक्षा अपने समूचे स्वरूप में अराजकताएं, अव्यवस्थाएं, अनैतिकता और कल्पनाहीनता का पर्याय बन गई है. शिक्षा के जरिए अब न उत्पादकता का पाठ पढ़ाया जा रहा है, न तार्किक शिक्षा व समझदारी का, न दायित्व एवं कर्तव्यबोध और न ही अधिकारों के प्रति चेतना का. आज पोंगापंथी का पाठ सरकारी स्कूलों में पढ़ाया जा रहा है. शिक्षा के गिरते स्तर पर लंबीलंबी बहसें होती हैं. और अंत में उस के लिए जो शिक्षक दोषी है उसे बख्श दिया जाता है. शिक्षक के लिए शिक्षा उत्पादन है पर उस का खरीदार वह छात्र है जो पैसा नहीं दे रहा.

शिक्षा की गुणवत्ता

स्कूलों में शिक्षक पढ़ाते नहीं हैं. शिक्षक वक्त पर पहुंचते नहीं हैं. शिक्षक वैसा शिक्षण नहीं करते जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की श्रेणी में आता है. आएदिन किसी मुद्दे को ले कर हड़ताल पर चले जाना और स्कूलों की छुट्टी हो जाना आम हो गया है. बच्चे शिक्षा पाने के लिए विद्यालय जाते हैं लेकिन वहां शिक्षक ही नदारद रहते हैं. ऐसे में शिक्षा की गुणवत्ता कहां से आएगी?

शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की बात अकसर सुनने में आती है. किंतु सुधार कहीं नजर नहीं आता. अभी कुछ दिनों से शिक्षा विभाग में बच्चों की शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार को ले कर मध्य प्रदेश में स्कूल स्तर से ले कर राज्य स्तर तक के अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा एक नाटक खेला जा रहा है. जिस में बच्चों की शैक्षिक गुणवत्ता की जांच की जा रही है. टैस्ट लेने के लिए जिले, विकास खंड, संभाग और राज्य स्तर तक के शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारी स्कूलों में जा रहे हैं और निरीक्षण कर रहे हैं.

अधिकारीगण शिक्षकों को फटकारनुमा समझाइश देते हैं कि वे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लक्ष्य को हासिल करें. यह कैसी विडंबना है कि स्कूलों में शिक्षक पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा स्थापित करने का भारी दबाव तो है मगर उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए तैयार ही नहीं किया गया. सरकार की गलत शिक्षा नीतियों के दुष्परिणाम आज सामने आ रहे हैं.     

होना क्या चाहिए, हो क्या रहा है

मध्य प्रदेश के 83 हजार 969 सरकारी प्राथमिक स्कूल शैक्षणिक गुणवत्ता में कमी, शिक्षकों के रिक्त पदों पर पदपूर्ति न होने एवं बुनियादी आवश्यकताओं के अभाव और शिक्षकों की लापरवाही, अनुशासनहीनता व बेईमानियों के चलते दम तोड़ते नजर आ रहे हैं. वातानुकूलित कक्षों में बैठे अफसर व अल्पज्ञानी मंत्री सरकारी स्कूलों में नित नए ऊटपटांग प्रयोग कर शिक्षा को रसातल की ओर ले जा रहे हैं. जिला स्तर पर होने वाली समीक्षा बैठकों में भी शिक्षा की गुणवत्ता के बजाय गैर शिक्षा योजनाओं की समीक्षा का कार्य ही होता है. इन्हीं सब कारणों से प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों के नामांकन में भारी गिरावट दर्ज की गई है.

लड़कियां क्यों छोड़ रही हैं स्कूल

देश की आजादी के 70 साल बीत जाने के बाद भी मध्य प्रदेश की गोटेगांव तहसील मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर कोडिया गांव के लिए पक्की सड़क बनवाने में जनप्रतिनिधि नाकाम रहे तो उन्हें आईना दिखाते हुए प्रदेश की मैरिट में आने वाली छात्रा विनीता का जब क्षेत्र के विधायक जालम सिंह पटेल ने सम्मान करना चाहा तो उस ने यह कह कर सम्मान को ठुकरा दिया, ‘‘भले आप मेरा सम्मान न करो पर मेरे गांव की पक्की सड़क बनवा दो…गांव से स्कूल जाने में बहुत परेशानियां होती हैं. कई छात्राएं सड़क न होने की वजह से पढ़ नहीं पातीं. बीमार अस्पताल आतेआते दम तोड़ देता है. बारिश में न खेत नजर आता है न सड़क.’’

छात्रा के जवाब से पानीपानी हुए विधायक जालम सिंह ने छात्रा के हौसले की सराहना करते हुए उसे भरोसा दिलाया कि वे जल्द ही मुख्यमंत्री से मिल कर उन्हें गांव की सड़क के लिए प्रस्ताव देंगे ताकि ग्राम कोडिया के निवासियों को पक्की सड़क हासिल हो सके. यह कहानी विकास की डींगे मारने वाले प्रदेश के मंत्री, विधायकों के मुंह पर करारा तमाचा तो है ही, साथ ही, सरकार की लड़कियों की शिक्षा के लिए किए जा रहे तमाम खोखले प्रयासों की पोल भी खोलती है. प्रदेश की सरकार गांवों के सरकारी स्कूलों में कक्षा 6वीं व 9वीं में प्रवेश लेने वाली हर छात्रा  को निशुल्क पाठ्यपुस्तक, साइकिल, स्कौलरशिप देती है. बावजूद इस के, 12वीं कक्षा के बाद 50 फीसदी लड़कियां पढ़ाई छोड़ देती हैं.

लड़कियों के पढ़ाई बीच में छोड़ने के और भी कई कारण हैं. आज भी ग्रामीण इलाकों में 16 साल के बाद लड़कियों की शादी कर दी जाती है. महिला बाल विकास विभाग नाम का सफेदहाथी चुपचाप बाल विवाह को मूक सहमति दे, अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेता है.  आज भी प्रदेश के 60 प्रतिशत ग्रामों में हाईस्कूल की सुविधा नहीं है. कक्षा 8वीं पास करने के बाद उन्हें 5 से 10 मिलोमीटर का सफर तय कर हाईस्कूल में दाखिला लेना पड़ता है जो सुरक्षा के लिहाज से हर अभिभावक को सुविधाजनक नहीं लगता.  स्कूलों में लड़कियों के लिए पृथक शौचालय, सैनीटरिंग का अभाव होने के साथ पृथक कन्या हाईस्कूल न होना भी लड़कियों की शिक्षा में बाधक हैं.

बालिका शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे अनेक प्रयत्नों के बावजूद प्रदेश लगातार पिछड़ता जा रहा है. स्टेटस औफ एजुकेशन की 11वीं सालाना रिपोर्ट में बताया गया है कि 29.8 प्रतिशत लड़कियां अभी भी स्कूल नहीं जा रही हैं. यह आंकड़ा राजस्थान, गुजरात, ओडिशा व छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के बाद समाविष्ट होता है यानी मध्य प्रदेश इन राज्यों से भी पीछे है.

नए खुलने वाले हाईस्कूल भी बेतरतीब तरीके से खोले गए हैं. जहां ज्यादा आवश्यकता है वहां न खोल कर खानापूर्ति कर ली गई है. अनेक स्कूलों के पास अपना भवन ही नहीं है. वे या तो प्राइमरी, माध्यमिक के भवनों में संचालित हो रहे हैं या पंचायत के भवनों में. पर्याप्त जगह न होने से भी शिक्षणकार्य प्रभावित हो रहा है

बालिका शिक्षा को बेहतर बनाने की दिशा में किए जा रहे प्रयास ज्यादा कारगर साबित नहीं हो रहे हैं. सरकार को चीजें मुफ्त में देने के बजाय गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर जोर देना चाहिए. प्राइवेट स्कूलों में लड़कियां बहुतायत में पढ़ती हैं क्योंकि वहां भले ही फीस अधिक लगती हो पर शिक्षा गुणवत्तापूर्ण मिलती है. निजी स्कूलों में लड़कियों के लिए प्रसाधनगृह के अलावा तमाम वे सुविधाएं उपलब्ध हैं जो उन्हें स्कूल में आवश्यक होती हैं. अभिभावक भी बेटियों को ऐसे स्कूलों में भेजने में संकोच नहीं करते. सो, सरकार द्वारा शिक्षा में किए जा रहे प्रयोगों को बंद कर बेहतर शिक्षा की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए.

वैबसाइट्स के जरीए लूट रहे पाखंडी

पिछले कुछ सप्ताहों से हमारी पीपल्स फौर ऐनिमल्स की टीम उन धार्मिक औन लाइन वैबसाइटों को खंगाल रही थी, जिन में हिंदू धर्म के नाम पर बकवास भरी हुई है. जब से मुझे हठजोड़ी के बारे में पढ़ने को मिला है, जिसे चमत्कारी तावीज के नाम पर बेचा जा रहा है जो असल में गोह चमकी मौनिटर लिजर्ड का लिंग है और जिसे साइटों पर सेहत, धन, वशीकरण आदि पाने का उपाय मान कर बेचा जा रहा है, हम इसी बकवास के बेचे जाने के बारे में ढूंढ़ रहे हैं.

सियार सिंघी एक गीदड़ सींग के नाम पर बेची जा रही है. पहली बात गीदड़ वाइल्ड लाइफ प्रोटैक्शन एक्ट 1972 के अंतर्गत संरक्षित प्राणी है. दूसरी बात यह है कि सियार या गीदड़ के सींग होता ही नहीं है. लेकिन यह दावा किया जाता है कि जब गीदड़ सिर नीचा कर हुआंहुआं किए चीखता है तो उस के सिर पर एक सींग उग आता है और तभी उसे मारा जाए और यह सींग बालों सहित निकाल लिया जाए तो बाल हमेशा उगते रहेंगे. आप को उसे बस सिंदूर में रखना होगा.  इस से दुष्टात्माओं को दूर रखा जा सकता है. आप को पंडों को बुला कर इसे बीच में रख कर हवन कराना होगा और उस पर जो खर्च होगा, वह सहना होगा वरना यह चमत्कारी सींग काम न करेगा.

सिर्फ अंधविश्वास

यह बेहूदगी सिर्फ हिंदुओं में ही नहीं है. वरन मुसलमानों और बौद्धों में भी है. श्रीलंका में अनपढ़ लोग इस का तावीज बना कर इसे गले में पहनते हैं ताकि वे जुए में जीत सकें. नेपाल के थारू आदिवासियों में अंधविश्वास है कि अगर यह साथ हो तो अंधेरे में भी देखा जा सकता है और औरतों को वश में करा जा सकता है.

बंगाल में हठजोड़ी की तरह इसे तिजोरियों में रखा जाता है ताकि धनदौलत दिन दूनी रात चौगुनी हो जाए. यह बात दूसरी है कि जब तिजोरी के सामने पूजा की जाती है तो शातिर लोग पुजारी बन कर पैसा ही उड़ा कर अंतर्ध्यान हो जाते हैं.  कुछ साइटों पर दावा किया जा रहा है कि बाइबिल में लिखा है कि सियारी शैतान की मां है और यदि सिंघी को साथ रखा जाए तो शैतान की मां शैतान को दूर रखती है.

घट रही है संख्या

सुनहरे सियार की 13 प्रजातियां होती थीं, जिन में से अब 7 बची हैं. यह कुत्ते की तरह वन पशु है, जो फल, कीड़े, पक्षी, चूहे आदि खा कर जिंदा रहता है. आमतौर पर नर मादा व बच्चे साथ एक परिवार की तरह झुंड में रहते हैं. पंचतंत्र में इन्हें होशियार व अक्लमंद जानवर मान कर इन पर कहानियां लिखी गई हैं. सियारों की आवाज को कईर् जगह शुभ भी माना जाता है.

सियारों को मार कर खाया भी जाता है पर इन की घटती संख्या का बड़ा कारण यह काल्पनिक सींग है. अब पुलिस इन वैबसाइटों को बंद कर के इन्हें चलाने वालों को पकड़ने की कोशिश कर रही है.

न फसें मायाजाल में

इस तिलिस्मी हड्डी के बहुत से गुण बताए जाते हैं, बशर्ते आप सही पूजा करवा लें. धन मिलेगा, केस जीतोगे, जीवनसाथी के साथ सुख पाओगे, स्वास्थ्य लाभ होगा, संपत्ति मिलेगी, डिप्रैशन समाप्त हो जाएगा. यही नहीं इस से बहुत सी गंभीर बीमारियां जैसे मानसिक रोग, औटिज्म, खाने में गड़बड़, पागलपन आदि भी दूर होंगी

आप को बस सिंघी सामने रख कर मंत्र पढ़ने होंगे. इन वैबसाइटों पर अलगअलग धर्मों में अलगअलग मंत्र भी सुझाए गए हैं- मुमकरया कुरु कुक नम:, ओम पद्माश्रिम, ओम हरीओम.

 पूर्व दक्षिण उत्तर पश्चिम, अधिक तरल पदार्थ सभी जन्य आज्ञाकारी कुरुकुरु नम: वगैरह पढ़ना जरूरी है. 1 बार नहीं 21 से 108 बार ये मंत्र जपने होंगे. और हां यदि इसी साइट पर बिक रही चमत्कारी मणियों की माला नहीं खरीदी तो यह सियार सिंघी काम नहीं करेगी.

महज बकवास है  मुसलमानों को बताया जाता है कि अल्लाह ने इस में खास ताकत भरी है. कुछ साइटों पर पैसा कमाने की और भी तरकीबें भी ठूंसी गई हैं. इन्हीं साइटों में बताया गया है कि इसे सियार सिंघी को पारे में रखने से इस की ताकत बढ़ जाती है और यह सिंघी पारे को खा लेती है 

यदि 21वीं सदी में भी लोग इस तरह की बकवास पर विश्वास करेंगे तो वे धनवान हों न हों पर बेचने वाले जरूर हो रहे हैं.

अपने जन्मदिन पर आसिन को मिला यह प्यारा तोहफा

बौलीवुड में इन दिनों सेलेब्रिटी माम्‍स सुर्खियों में बनी हुई है. जहां एक तरफ मम्‍मी करीना कपूर अपने बेटे तैमूर के साथ आएं दिन खबरों में रहती हैं तो वहीं हाल ही में हेमा मालिनी की बेटी और एक्‍ट्रेस ईशा देओल ने भी एक बेटी को जन्‍म दिया है.

अब इसके बाद एक और सुपरहिट रही एक्‍ट्रेस के मां बनने की खबर सामने आई है. हम बात कर रहे हैं ‘रेडी’ और ‘गजनी’ जैसी सुपरहिट फिल्मों में काम कर चुकी बौलीवुड एक्‍ट्रेस आसिन की. जी हां, ईशा देओल के बाद अब एक्‍ट्रेस आसिन थोट्टुमकल ने भी एक बेटी को जन्म दिया है.

एक्‍ट्रेस आसिन ने अपनी खुशी का इजहार सोशल मीडिया पर किया और अपने फैन्‍स को बताया कि वह एक बेटी की मां बन गई हैं.

आसिन ने लिखा, ‘यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि हमारे घर एक नन्‍हीं परी आई है. आप सब के प्‍यार और दुआओं के लिए बहुत बहुत शुक्रिया. यह मेरे जन्‍मदिन का सबसे प्‍यारा तोहफा है.’ बता दें कि आज 26 अक्‍टूबर को आसिन का जन्‍मदिन है जिसके एक दिन पहले यानी 26 अक्‍टूबर को उनकी बेटी ने इस दुनिया में कदम रखा है.

आसिन के पति राहुल शर्मा ने भी अपने एक बयान में कहा, ‘हमें बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि हमें परी जैसी बेटी हुई है. पिछले 9 महीने हम दोनों के लिए बेहद खास रहे, इस दौरान हमारे लिए दुआ करने वालों और साथ देने वालों को उनके प्यार और साथ के लिए शुक्रिया.’

बता दें कि साउथ और बौलीवुड फिल्मों में काम कर चुकी आसिन ने पिछले साल मोबाइल कंपनी माइक्रोमैक्स के को-फाउंडर राहुल शर्मा से हिंदू और क्रिश्‍चन रीति रिवाज से शादी की थी. शादी के बाद आसिन ने फिल्मों से दूरी बना ली. फिल्म ‘खिलाड़ी 786’ में आसिन ने अक्षय कुमार के साथ काम किया और अक्षय ने ही आसिन और राहुल को भी मिलवाया था. अक्षय, आसिन के बेहद करीबी दोस्तों में से एक हैं. आसिन की आखिरी फिल्म ‘आल इज वेल’ 2015 में आई थी.

‘वीरे दी वेडिंग’ की एक और झलक के साथ रिलीज डेट हुई फिक्स

करीना कपूर, सोनम कपूर, स्वरा भास्कर और शिखा सुल्तानिया की मोस्ट अवेटेड फिल्म ‘वीरे दी वेडिंग’ शूटिंग के पहले दिन से ही सुर्खियां बटोर रही हैं. फिल्म का नाम सुनकर और पोस्टर को देखकर ही समझ आ रही है कि फिल्म पूरी तरह से शादी के मूड वाली है.

आपको बता दें कि हाल ही में करीना कपूर खान की कमबैक फिल्म ‘वीरे दी वेडिंग’ का दिल्ली शेड्यूल पूरा होने पर दिल्‍ली में जबरदस्‍त पार्टी हुई और उसके कुछ दिन बाद इस फिल्म की पहली झलक भी दर्शकों के सामने आई थीं. जिसमें फिल्‍म की चारों लीड एक्‍ट्रेस खूबसूरत लहंगों में नजर आ रही थीं. बताते चलें कि ‘वीरे दी वेडिंग’ की शूटिंग अब भी चल रही है. हाल ही में इसके दिल्ली शेड्यूल को निबटाया गया था.

फिल्म के इन धमाकों के बीच अब एक और धमाका किया गया है. जी हां, अबकी बार फिल्म का दूसरा पोस्टर रिलीज किया गया और इसी के साथ ही फिल्म की रिलीज डेट की घोषणा भी कर दी गई है. फिल्म 18 मई, 2018 को रिलीज होगी.

बता दें कि फिल्म का दूसरा पोस्टर पहले पोस्टर से बिल्कुल हटकर या यूं कहे कि उसके बिल्कुल विपरीत है. इस बार फिल्म की चारों खूबसूरत अदाकारा लहंगों में नहीं बल्कि शेरवानी और पगड़ी पहने नजर आ रही हैं. सोनम कपूर तो भरपूर मस्ती के मूड में हैं, करीना भी अदाएं दिखा रही हैं तो वहीं स्वरा भास्कर कुछ सोचती हुई दिखाई दे रही हैं.

बताते चलें कि मां बनने के बाद करीना कपूर की यह पहली फिल्म है. आखिरी बार वह फिल्म ‘की एंड का’ में नजर आईं थी. इसके बाद बेटे तैमूर अली खान के जन्म और उनकी परवरिश में बिजी हो गई थीं. इस फिल्म की पूरी शूटिंग के दौरान करीना कपूर के साथ उनके बेटे तैमूर भी मौजूद रहे. इस फिल्‍म का निर्देशन शशांक घोष कर रहे हैं. अनिल कपूर की बेटी रिया कपूर इस फिल्म की प्रोड्यूसर और एकता कपूर इस फिल्‍म की को-प्रोड्यूसर हैं. बता दें कि ‘वीरे दी वेडिंग’ में अनिल कपूर की दोनों बेटियां एक बार फिर साथ काम करते नजर आएंगी.

मैंने पार्किंग में किया था किस : करिश्मा शर्मा

फिल्म निर्माता एकता कपूर की अपकमिंग फिल्म ‘रागिनी एमएमएस रिटर्न्स’ की एक्ट्रेस करिश्मा शर्मा एक बार फिर सुर्खियों में हैं. करिश्मा के सुर्खियों में आने की वजह उनके फर्स्ट किस का एक्सपीरियंस है, जिसे खुद करिश्मा ने शेयर किया है.

करिश्मा ने बताया कि उनका फर्स्ट किस काफी शानदार था. करिश्मा लीड एक्ट्रेस के रूप में फिल्म ‘रागिनी एमएमएस रिटर्न्स’ से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत करने जा रही हैं. इस फिल्म के बोल्ड पोस्टर्स की वजह से करिश्मा पहले से ही खबरों में बनी हुई हैं. वहीं, एक इंटरव्यू के दौरान करिश्मा ने कुछ ऐसा खुलासा किया जिसके बाद वह एक बार फिर सुर्खियों में आ गईं.

इस इंटरव्यू में उन्होंने अपने फर्स्ट किस के एक्सपीरियंस को शेयर करते हुए कहा, ”यह मेरे पिछले ब्वौयफ्रेंड्स में से एक के साथ था, हमने एक दूसरे को पार्किंग एरिया में किस किया.” करिश्मा ने कहा कि यह काफी हौट और कामुक था.

इसके साथ ही उन्होंने अपने वेब मीडियम में आने की वजह के बारे में भी खुलासा किया. उन्होंने कहा कि टीवी पर स्किन शो नहीं कर सकते हैं. यही वजह है कि डिजिटल मीडियम आगे बढ़ रहा है क्योंकि हम यहां खुद को जैसा चाहें दिखा सकते हैं. ये एकमात्र माध्यम है जहां एक्ट्रेस, निर्माता और निर्देशक खुद को अपने तरीके से एक्सप्रेस कर सकते हैं.

एकता कपूर ने जब से इस फिल्म के हौट पोस्टर शेयर करने शुरू किए थे तभी से करिश्मा चर्चा में आ गईं थीं. वहीं ट्रेलर में उन्होंने साबित कर दिया कि वह यहां बौडी शो करने में परहेज नहीं करेंगी. करिश्मा से इंटरव्यू में इस फिल्म के लिए उनके परिवार की प्रतिक्रिया के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, ”मेरे पेरेंट्स इस बात पर विश्वास करते हैं कि मैं क्या करती हूं. वह काफी सपोर्टिव हैं.” वेब सीरीज के ट्रेलर के दौरान उन्होंने जमकर इंटीमेट सीन दिए. जिन्हें देख लगता है कि फिल्म में नाममात्र का पर्दा रखा गया है.

बता दें कि करिश्मा छोटे पर्दे पर एकता के ही चर्चित धारावाहिक ‘ये है मोहब्बतें’ में निगेटिव रोल निभा चुकी हैं. इसके अलावा वह ‘पवित्र रिश्ता’ और फिल्म ‘प्यार का पंचनामा 2’ में भी नजर आईं थीं. एक लीड एक्ट्रेस के रूप में ‘रागिनी एमएमएस रिटर्न्स’ इनकी पहली फिल्म है.

रागिनी एमएमएस मुख्य रूप से एक इरोटिक लव स्टोरी है. इस सीरिज की पहली फिल्म 2011 में आई थी. फिल्म में एक्टर राजकुमार राव और एक्ट्रेस कैनाज लीड रोल में थे. इस सीरीज की दूसरी यानि रागिनी एमएमएस 2 साल 2014 में आई. इस फिल्म में बोल्ड सनी लियोन और प्रवीण डबास लीड रोल में थे. फिल्म में बोल्ड सीन की भरमार थी.

कहीं देखे हैं पेड़ों पर झूलते हुए ऐसे घर

आज हम आपको दुनिया के कुछ अजीबो गरीब घरों के बारे में बताने जा रहे हैं, क्या आपको पता है किसी ऐसे घर के बारे में जो पेड़ पर बना हो और वो भी लग्जरी हो. नहीं पता ना तो चलिये हम आपको दुनिया में मौजूद कुछ ऐसे ही घरों के बारे में बताएंगे, जो चिड़िया के घोंसले की तरह ही पेड़ों पर बने हैं, लेकिन उसमें इंसान रहते हैं.

द वुड्समैन ट्री हाउस

इंग्‍लैंड के डोरसेट में बने द वुड्समैन ट्री हाउस औक्‍स के पेड़ों पर बने हुए हैं. ये पेंड़ प्रचीन काल से यहां पर हैं. इन ट्री हाउस को गाय मेलिंसन ने बनाया है. इस ट्री हाउस को लग्‍जरी बनाया गया है. यहां आपको एक डबल बैड के साथ शानदार हौट बाथ टब मिलेगा. यहां आप खुली हवा में भी शौवर का मजा भी ले सकती हैं.

ट्री होटल, स्‍वीडन

स्‍वीडन के नौर्बोटेन में बना ट्री होटल दुनिया की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक हैं. यहां ऊंचे-ऊंचे पेड़ों पर शानदार तरीके से लग्‍जरी होटल रूम को तैयार किया गया है. यहां द कैबिन, द मिररक्‍यूब, द ड्रेगन फ्लाई, द ब्‍लू कोन, द यूएफओ, द बर्ड नेस्‍ट और सेवेंथ रूम मिलेगा. यहां से आप नौर्दर्न लाइट को देख सकते हैं.

ट्री टौप्‍स ट्री हाउस, इंग्‍लैंड

इंग्‍लैंड के डीवोन में बना ट्री टौप्‍स ट्री हाउस 250 साल पुराने औक के पेड़ों पर बना हुआ है. यहां रहना आपके लिए एक अनोखा एहसास होगा. यहां पर आपको लिविंग रूम, किचेन, बाथरूम और लग्‍जरी कौपर बाथटब मिलेगा. इस जगह को बहुत ही खूबसूरती के साथ बनाया गया है.

इको फ्रेंडली ट्री हाउस, फ्रांस

फ्रांस कैबैने डे सलाग्नैक में क्रिस्‍टेला और सिबेस्टियन इको फ्रेंडली ट्री हाउस ने यहां पर 6 बनाए हैं. ये ट्री हाउस कोरेजे के जंगलों में बने हुए हैं. लिविंग रूम में बहुत ही खूबसूरती के साथ ग्‍लास का प्रयोग किया गया है. ट्री हाउस की बालकनी में खड़े होकर आपको हर ओर हरियाली ही नजर आएगी.

केसा बार्थल ट्री हाउस, इटली

इटली के फ्लोरेंस में केसा बार्थल ट्री हाउस बहुत ही खूबसूरती के साथ बनाया गया है. यहां बगीचे में बना हुआ ट्री हाउस आपको बहुत सुकून के पल देगा. इसे एलेना बार्थल ने डिजाइन किया है. यहां एक छोटी स्‍वीमिंग पूल, टेनिस कोर्ट और शानदार बाथरूम दिया गया है. बैड रूम से आपको बाहर का खूबसूरत नजारा देखने को मिलेगा.

ट्री हाउस, जमाइका

जमाइका के गीजाम में बना ट्री हाउस दुनिया की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है. इस ट्री हाउस को जंगलों के बीचोबीच बनाया गया है. पेड़ की चोटी से इस ट्री हाउस का व्‍यू देखने में शानदार नजर आता है. यहां ट्री हाउस एवोकाडो पेड़ों पर बनाया गया है. यह पेड़ सौ सालों से भी अधिक पुराने हैं. ट्री हाउस में आपको रिसौर्ट के साथ बालकनी से बेहतरीन व्‍यू मिलेगा.

अगर हैं ये समस्याएं, तो बदलें अपना फेसवाश

चेहरे की खूबसूरती को बरकरार रखने और अपनी त्वचा साफ रखने लिए महिलाएं कई तरह के ब्यूटी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करती हैं, इतना ही नहीं वह समय समय पर अपने चेहरे को फेसवाश से धोती रहती हैं. लेकिन कई बार ये सारी चीजे करने और कई सारी सावधानियां बरतने के बाद भी के हमारे चेहरे पर कील व मुंहासो को साथ ही कई सारी समस्याएं हो जाती हैं.

अगर आप भी इस तरह की समस्याओं से परेशान हैं तो आपको आज ही अपने फेसवाश को बदलने की आवश्यकता है, क्योंकि कई बार हम अपनी त्वचा के विपरीत फेसवाश का इस्तेमाल करने लगते हैं. तो चलिए जानते हैं कि आप कैसे पहचाने की आपका फेसवाश आपकी त्वचा के अनुरूप है भी या नहीं.

जलन

अगर फेसवाश के इस्तेमाल से आपके चेहरे पर जलन होती है तो ऐसे में आपको सावधान हो जाने की आवश्यकता है. अगर आप भी इस समस्या से परेशान हैं तो ध्यान दें कि सल्फेट फ्री फेसवाश का ही इस्तेमाल करें.

मुंहासें

यदि आपके चेहरे पर कुछ दिनों के गैप में मुंहासे निकल रहें हैं तो आप समझ जाइये कि आपको अपना फेसवाश बदलने की जरूरत है. चेहरे पर होने वाले मुंहासों के पीछे कई कारण हो सकते हैं, लेकिन इनमें से एक कारण हमारा फेसवाश भी हो सकता है. इसलिए आपको अपना फेसवाश खरीदते समय इस बात का ध्यान रखना चाहियें कि इसके अंदर बेनजोयल पेरोक्साइड मिला है या नहीं. अगर ये तत्व फेसवाश में न हो तो आप ऐसे फेसवाश को खरीदने से बचें.

लाल धब्बे होना

फेसवाश से अगर आपके चेहरे पर लाल धब्बे हो गए हैं, तो ये आपको इशारा करता हैं कि आप अपने फेसवाश को जल्द से जल्द बदल दें और हैल्योरोनक एसिड व ग्लिसरीन युक्त फेसवाश का इस्तेमाल करें.

त्वचा रूखी होना

फेसवाश का इस्तेमाल करते समय कई बार हमारे चेहरे की त्वचा रूखी हो जाती है. ऐसी समस्या अगर आपके साथ भी हो रही है, तो आपका फेसवाश आपकी त्वचा के मुताबिक नहीं है. त्वचा रूखी होने पर आपके लिए हैल्योरोनक एसिड तत्व वाले फेसवाश का प्रयोग करना ही सही रहेगा.

पायरिया की समस्या से ऐसे बचें

दांत हमारे शरीर का महत्वपूर्ण हिस्सा है, तो पायरिया उनमें होने वाली एक गंभीर समस्या. अगर रोजाना इनकी ठीक से देखभाल और सफाई न की जाए तो भी पायरिया का खतरा बढ़ सकता है. पायरिया दांतों में होने वाला एक ऐसा रोग है जो दांतों और मसूढ़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.

पायरिया के कारण और उससे होने वाली समस्या

दरअसल, हमारे मुंह में तकरीबन 700 किस्म के बैक्टीरियां पाए जाते हैं, जो हमारे दांतो को स्वस्थ रखने में मददगार होते हैं. लेकिन जब हम मुंह की सफाई ठीक तरह से नहीं करते तो यही बैक्टीरिया हमारे दांतों और मसूढ़ों को नुकसान पहुंचाने लगते हैं.

इस रोग में दांतों में तेज दर्द होने के साथ ही मसूढ़े भी कमजोर होने लगते हैं. इसके अलावा मसूढ़े खराब हो जाते हैं और उनमें से खून आने लगता है.

दांत कमजोर होकर हिलने लगते हैं तथा दो दांतों के बीच में गैप हो जाता है.

इसकी वजह से सांसों से बदबू भी आनी शुरू हो जाती है और दांतों की संवेदनशीलता बढ़ जाती है. गर्म और ज्यादा ठंडा पानी पीने पर दांतों की संवेदनशीलता बर्दाश्त नहीं होती.

पायरिया होने पर दांत कमजोर होकर गिरने का भी खतरा रहता है.

शरीर में कैल्शियम की कमी की वजह से भी पायरिया जैसा गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है. ऐसे में समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो ये गंभीर परेशानी खड़ी हो सकती है.

पायरिया के उपचार

मसूढ़ों से खून निकलने पर नींबू के रस का प्रयोग काफी फायदेमंद होता है. इससे खून का निकलना बंद हो जाता है. साथ ही इससे दांतों में मजबूती भी आती है.

पीपल की छाल या फिर उसके कोमल डंठल को पानी में डालकर उसका काढ़ा बनाकर पीने से भी पायरिया पूरी तरह से ठीक हो जाता है.

सरसो के तेल में थोड़ा सा नमक मिलाकर रोजाना सुबह और शाम मसूढ़ों पर मलने से भी पायरिया ठीक हो जाता है.

एक गिलास गुनगुने पानी में 5-6 बूंद लौंग का तेल मिलाकर प्रतिदिन गरारे और कुल्ला करने से भी पायरिया की समस्या काभी हद तक दूर हो जाती है.

क्या आपने देखी ‘वीरे दी वेडिंग’ की पहली झलक

करीना कपूर, सोनम कपूर, स्वरा भास्कर और शिखा सुल्तानिया की मोस्ट अवेटेड फिल्म ‘वीरे दी वेडिंग’ शूटिंग के पहले दिन से ही सुर्खियों में छायी रही है. कभी फिल्‍म के सेट पर अपने बेटे तैमूर को ढूंढती करीना तो कभी इस फिल्‍म के सेट से वायरल होती करीना, कभी सोनम और स्‍वरा की खूबसूरत तस्‍वीरें तो कभी सेट पर हीरोइनों में हुए झगड़े और तो और कभी झगड़े की गोसिप पर भड़कती सोनम कपूर के साथ ही इस फिल्‍म से जुड़ी कई ऐसी चीजें रहीं जिसने जमकर सुर्खियां बटोरी.

हाल ही में दिल्‍ली में इस फिल्‍म की शूटिंग पूरी होने पर जबरदस्‍त पार्टी की गई और अब इस फिल्‍म का पहला लुक भी सामने आ गया है. जिसमें फिल्‍म की चारों लीड एक्‍ट्रेस करीना, सोनम, स्वरा और शिखा सुल्तानिया बेहद ही खूबसूरत लहंगों में नजर आ रही हैं.

इस पोस्टर में जहां स्‍वरा और शिखा का चेहरा नजर आ रहा है, वहीं सोनम कपूर अपनी बैक दिखा रही हैं और एक एक खूबसूरत पंखे से उन्होंने करीना कपूर का चेहरा भी ढ़क रखा है.

बताते चलें कि मां बनने के बाद करीना कपूर की यह पहली फिल्म हैं. आखिरी बार वह फिल्म ‘की एंड का’ में नजर आईं थी. इसके बाद बेटे तैमूर अली खान के जन्म और उनकी परवरिश में बिजी हो गई थीं. इस फिल्म की पूरी शूटिंग के दौरान करीना कपूर के साथ उनके बेटे तैमूर भी मौजूद रहे. लेकिन इस पार्टी में नन्हें तैमूर की झलक हमें देखने को नहीं मिली.

मालूम हो कि इस फिल्‍म का निर्देशन शशांक घोष कर रहे हैं. अनिल कपूर की बेटी रिया कपूर इस फिल्म की प्रोड्यूसर और एकता कपूर भी इस फिल्‍म की को-प्रोड्यूसर हैं. बता दें कि ‘वीरे दी वेडिंग’ में अनिल कपूर की दोनों बेटियां एक बार फिर साथ काम करते नजर आएंगी.

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