डांडिया नाइट के लिए ड्रेस भी हो लाइट

अब यह गुजरे जमाने की बात हो गई जब डांडिया और गरबा नाइट के लिए स्पेशल लहंगा और खास जयपुरी साड़ी खरीदी जाती थी. वक्त के साथ ट्रेंड बदलने लगा है. इस बार ट्रडिशनल ड्रेसेज की बजाए अलग-अलग तरह के फ्यूजन वाली ड्रेसेस जैसे गाउन, स्कर्ट टौप, मैक्सी ड्रेस ट्रेंड में है. और वैसे भी अगर आप कपड़े ही संभालते रहेंगी तो डांस कब करेंगी. इसलिए डांडिया नाइट पर जमकर डांस करने के लिए लड़कियां हेवी ड्रेसेज की बजाय लाइट और ट्रेंडी कपड़ों को तरजीह दे रही हैं.

कट शोल्डर ब्लाउज का फ्यूजन

डांडिया करने के लिए कई दिनों पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं. लेकिन भारी-भारी लहंगे पहनकर गरबा ठीक से किया नहीं जाता.

अब लहंगे की जगह डांडिया में पहनने के लिए एक से बढ़कर एक ड्रेस के औप्शन भी मौजूद हैं. अब तो ब्लाउज भी इतने स्टाइलिश आने लगे हैं कि उनसे ही पूरी ड्रेस का लुक बदल जाता है. डांडिया नाइट पर आप कट शोल्डर ब्लाउज के साथ साड़ी पहन अपना लुक बदल सकती हैं. इससे आपको डांस करने में तो आराम रहेगा ही साथ ही आपका लुक भी बाकी लोगों से काफी अलग होगा.

क्रौप टौप और स्कर्ट का फैशन

सिर्फ साड़ी या चनिया चोली ही क्यूं आप क्रौप टौप और स्कर्ट में डांडिया नाइट में अपना जलवा बिखेर सकती हैं. प्रायः डांडिया नाइट में लड़कियां घागरा ही पहनती थी लेकिन घाघरा बहुत हेवी होता है और डांस करने में दिक्कत होती है. इसलिए क्रौप टौप और स्कर्ट एक बढ़िया औप्शन है. आप इसके साथ लाइट मेकअप और हल्की जूलरी कैरी करें.

साड़ी में कर सकती हैं एक्सपेरिमेंट

आप साड़ी को इंडो-वेस्टर्न स्टाइल में पहनकर डांडिया खेल सकती हैं. आप साड़ी को कुछ इस तरह ड्रेप करें कि यह साड़ी की जगह एक अलग तरह की ड्रेस लगे. इस ड्रेस को पहनकर आप बहुत अच्छे से डांस भी कर पाएंगी.

बच्चों में तेजी से फैलता है रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन

रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन (Respiratory infection) श्वासनली में होने वाला संक्रमण है जो किसी भी व्यक्ति को हो सकता है. खास तौर पर यह बच्चों को प्रभावित करता है. सर्दी, जुकाम और नजले के रूप में यह बेहद ही गंभीर समस्या है जो नाक, गला और श्वसन मार्ग पर प्रभाव डालता है.

लक्षण

इसके सामान्य लक्षणों में खांसी, नाक का बहना, गले में जलन और खुजलाहट आम है. इसके अलावा चिड़चिड़ाहट, गले में खुजली, बंद नाक, खांसी, नाक बहना आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं.

बच्चों में रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन के कारण

श्वसन मार्ग के निचले हिस्से में रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन का प्रमख कारण वायरल इफेक्ट है जो नाक और गले में दिखाई देता है. छोटे बच्चों में यह प्रभाव फेंफडों, श्वास नली और श्वसन मार्ग में दिखाई देता है. एसके अन्य कारण इस प्रकार है-

आसपास के वातावरण द्वारा

बच्चों में रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन को बढ़ावा देने में विभिन्न प्रकार के जिवाणु अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. जिन बच्चों में बहती नाक जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं यह रोग उन बच्चों को आसानी से अपने कब्जे में ले लेता है.

अगर कोई व्यक्ति खासी, जुकाम आदि से ग्रसित है तो जब वह खांसता या छींकता है तो यह वायरस द्वारा अन्य लोगों में भी फैल जाता है. यह बच्चों को जल्दी और आसानी से अपनी चपेट में ले लेता है.

साफ सफाई का ध्यान न रखना पर

साफ सफाई का उचित ध्यान न रखना भी इन्फेक्शन का एक प्रमुख कारण है. अगर बच्चा ज्यादा छोटा है तो उसके डायपर और कपड़ों पर खास ध्यान देना चाहिए. कई बार यूरिन आदि की ठीक तरह से सफाई न होने की वजह से भी यह परेशानी आती है.

बारिश में भीगने से

बच्चों को बारिश में खेलना और भीगना पसंद होता है और न चाहते हुए भी कई बार आप उन्हें को भीगने से नहीं रोक पातीं. ऐसे में अगर बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत नहीं है तो इन्फेक्शन की समस्या जल्द ही उसे अपना शिकार बना लेती है.

बचाव के उपाय

रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन से बचने के लिए साफ सफाई पर ध्यान देना बेहत जरूरी है. अपने आस पास और अपनी चीजो खासकर कपड़े, रुमाल आदि को साफ रखें.

तुलसी और शहद दोनों ही औषधिय रूप से शरीर पर असर करते हैं. जहां तुलसी में संक्रमण को कम करने का गुण पाया जाता है वहीँ शहद प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूती प्रदान करने में सहायक है. रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन के बचाव के लिए तुलसी के पत्तों का रस निकालकर शहद के साथ सेवन करना फायदेमंद होता है.

रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन से गले में खिचखिच या खुजली का अहसास होना आम परेशानी है. इसके लिए नमक मिले गुनगुने पानी से गरारा करने पर आराम मिलता है.

अगर रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन की समस्या बहुत गंभीर रूप ले चुकी हो तो वेक्सिन द्वारा इसका इलाज किया जाना चाहिए, जिससे रोगी को जल्दी राहत मिल सके.

इस तरह बचाएं टैक्स और फायदे में रहें

टैक्स बचाने के चक्कर में लोग न जानें क्या क्या करते हैं. कई लोग तो इसके लिए गैर कानूनी काम  भी कर जाते हैं. लेकिन कई ऐसे भी रास्ते हैं जिनका इस्तेमाल कर कानून के दायरे में भी रहकर टैक्स बचाया जा सकता है और भविष्य में इसका फायदा भी निश्चित रूप से होगा. दरअसल ये कुछ ऐसे प्लान हैं जिनमें निवेश करने पर टैक्स की छूट तो मिलती ही है साथ में अच्छा खासा रिटर्न भी मिल जाता है.

आज हम आपको कुछ स्कीम के बारें में बताने जा रहें हैं जो आपके टैक्स को बचाने के साथ साथ आपको कई फायदें दिला सकतीं हैं.

कर्मचारी भविष्य निधि ( ईपीएफ)

यह वेतनभोगी कर्मचारियों की लिए फंड है जिसे उन्हें भविष्य के लिए या रिटायरमेंट के बाद दिया जाता है. यह पैसा उनकी ही सैलरी से काट कर जमा किया जाता है. इसकी खास बात यह है कि ईपीएफ पर ब्याज हर साल तय किया जाता है. 2016-17 में ब्याज दर 8.65 फीसदी है.  

पीपीएफ

यह योजना पोस्ट औफिसों की ओर से चलाई जाती है. इस में जमा रकम को 15 साल के बाद ही निकाला जा सकता है. इस योजना के तहत कम से कम 500 रुपए और अधिकम 1.5 लाख रुपया जमा कर सकते हैं. इस स्कीम का फायदा यह है कि इसमें भी ब्याज रिटर्न के साथ ही मिलता है साथ ही टैक्स बचाने में भी लाभ मिलता है. पीपीएफ के निवेशकों को अभी 7.8 फीसदी ब्याज मिल रहा है. इसके तहत 80 सी के तहत आयकर में छूट मिलती है. इसके साथ ही इसमें कमाए ब्याज पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है.

फिक्स्ड डिपौजिट

एफडी में निवेश को आज कल सबसे सुरक्षित तरीका माना जाता है. इसकी खास बात यह है कि इसमें निश्चित अंतराल पर रिटर्न मिलता है और बाजार का भी असर नहीं पड़ता है. इस योजना में बैंकों की रिटर्न ब्याज दरें अलग अलग हैं. इसमें 80 सी के तहत जितनी भी एफडी उपलब्ध हैं उनमें सबसे कम लौक इन अवधि तीन साल है.

राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस)

यह स्कीम रिटायर होने के बाद पेंशन देने की योजना की तहत शुरू की गई थी. इस योजना में अगर आप 24 साल की उम्र में 2 हजार रुपए हर महीने जमा करते हैं तो 12 फीसदी रिटर्न के हिसाब से 1 करोड़ 22 लाख रुपए रिटायर होने तक जमा कर सकते हैं और इन 35 सालों में आपको सिर्फ 8.40 लाख रुपए ही जमा करने पड़े. इतना ही नहीं आप 60 फीसदी रुपया एकमुश्त भी निकाल सकते हैं. 

नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (एनएससी) 

यह बचत योजना भारत सरकार की है. इसे डाक घरों से लिया जाता है. इसमें निवेश करने पर टैक्स की धारा 80 सी के तहत छूट मिलती है. इसे एफडी से भी ज्यादा सुरक्षित निवेश माना जाता है. एनएससी में ब्याज प्रिंसिपल के साथ मैच्युरिटी पर भी मिलता है. एनएससी पर ब्याज 8 प्रतिशत फीसदी सालाना वह भी चक्रवृद्धि ब्याज के साथ मिलता है. इसमें टीडीएस भी तहत ब्याज राशि पर नहीं काटा जाता है. 

चलिये वौटर फौल्स के सुहाने सफर पर

बात अगर वौटर फौल्स की करें तो अपना देश भी किसी से कम नहीं है, क्योंकि हमारे यहां भी एक से बढ़कर एक वौटर फौल्स मौजूद हैं, जिन्हें आप एक बार देखना जरूर चाहेंगी.   

आज हम आपको बेहतरीन वौटर फौल्स के बारें में बताएंगे और हम तो कहेंगे की यहां जाकर अपनी छुट्टियों का आनंद उठाएं.

चित्रकोट वाटरफौल, छत्तीसगढ़

भारत के छत्तीसगढ़ में स्थित है जलप्रपात चित्रकोट, इसकी ऊंचाई 90 फुट है. जगदलपुर से लगभग 39 किमी दूर इन्द्रावती नदी पर यह जलप्रपात बना है. अगर पर्यटन विशेषज्ञों की मानें तो वे इस प्रपात को आनंद और आतंक दोनों का मिश्रण कहते हैं. जब ऊपर से गर्जन करती हुई इन्द्रावती नदी की तेज धारा गिरती है तो इसका भव्‍य मनोहारी दृश्य उत्‍साह से भर कर मंत्रमुग्‍ध कर देता है. यह बस्तर क्षेत्र का भी प्रमुख जलप्रपात माना जाता है. जगदलपुर के पास होने के कारण यह एक मशहूर पिकनिक स्पाट भी बन चुका है. इस फौल का मुंह घोड़े की नाल जैसा है इसी कारण इसे भारत का निआग्रा फौल भी कहा जाता है.

होगेनक्कल वाटरफौल तमिलनाडु

इसी तरह तमिलनाडु के धर्मपुरी में मौजूद होगेनक्कल वाटरफौल को दक्षिण भारत का नियाग्रा फौल कहा जाता है. होगेनक्कल वाटरफौल कई छोटे छोटे प्रपातों का समह है. इसके आसपास में मौजूद खूबसूरत पहाड़ भी इसके सौंदर्य में चार चांद लगाते हैं. इसकी ऊंचाई करीब 20 मीटर है. कावेरी नदी पर बने इस प्रपात का प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों अपनी ओर आकर्षित करता है.

राजदरी और देवदार वाटरफाल उत्‍तर प्रदेश

उत्‍तर प्रदेश की चंद्र प्रभा वन्‍यजीव अभ्‍यारण्‍य में स्थित राजधारी और देवदारी  दो खूबसूरत जल प्रपात हैं. इनमें से, राजधारी करीब 65 मीटर ऊंचाई से गिरता है जो इस सेंचुरी का सर्वाधिक ऊंचाई से गिरने वाला प्रपात कहा जाता है. यह एक सीढ़ीदार प्रपात है और चारों तरफ से हरे भरे जंगलों से घिरा हुआ है. वहीं देवदारी राजधारी से 500 मीटर नीचे की ओर स्थित है. आजकल के मौसम में यह स्‍थान पर्यटकों को खासा आकर्षित करता है.

जौग वाटरफाल कर्नाटक

कर्नाटक के सागर में स्थित जौग वाटरफौल न सिर्फ भारत के बल्कि दुनिया के खूबसूरत वाटरफौल्स में शामिल है. करीब 253 मीटर ऊंचा ये जलप्रपात शरावती नदी पर बना है. यह भारत का दूसरा सबसे ऊंचा जलप्रपात है. कर्नाटक के शिमोगा और उत्तर कन्नड़ जिले के बौर्डर पर स्थित इस प्रपात को गरसोपा फौल के नाम से भी पहचाना जाता है. दुनियाभर से पर्यटक इस प्रपात का आनंद लेने भारत आते हैं.

दूधसागर फौल्‍स

गोवा और कर्नाटक दो राज्यों की सीमा पर स्थित है यह दूधसागर फौल्स. यहां से निकलने वाली मंडोवी नदी पर ये प्रपात स्थित है. पणजी से लगभग 60 किमी की दूरी पर बने दूधसागर झरने की ऊंचाई 310 मीटर और चौड़ाई लगभग 30 मीटर है. मानसून के दौरान घूमने के लिए ये शानदार पर्यटन स्‍थल है. दूधसागर प्रपात को “मिल्क औफ सी’ के नाम से भी जाना जाता है. यहां कि एक खास बात यह है की दूधसागर में एक रेल स्टौप है जो एक स्टेशन नहीं हैं जहा यात्रियों को प्लेटफार्म की उम्मीद हो बल्‍कि यात्रियों और पर्यटकों को एक खड़ी सीढ़ी पर चढ़ाई कर रेल के डिब्बे तक पहुंचना पड़ता है.

क्यों सलमान के नक्शेकदम पर चलने को तैयार हैं बौलीवुड के किंग खान

बौलीवुड के किंग खान को एक अरसा हो गया, बौक्स आफिस पर तहलका मचाए. शाहरुख की पिछली फिल्में बौक्स आफिस पर एकदम ठंडी रही और कोई कमाल न कर सकी. इस साल रिलीज हुई उनकी कोई भी फिल्म ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ या ‘हैप्पी न्यू ईयर’ जैसा हंगामा करने में पूरी तरह असफल रही है. जब शाहरुख खान को ‘डियर जिंदगी’, ‘रईस’ और ‘जब हैरी मेट सेजल’ तीनों ने ही निराश किया तो वह सलमान खान के नक्शेकदम पर चलने को तैयार हो गये.

खबरें आ रही हैं कि वे सलमान की तरह ही तमिल फिल्मों के रीमेक में काम करेंगे. अब जल्द ही आपको वो तमिल की सुपरहिट फिल्म ‘विक्रम वेधा’ के हिंदी रीमेक के साथ काम करते नजर आने वाले हैं. बता दें कि फिल्म की कहानी जान पर खेल जाने वाले पुलिस आफिसर आर. माधवन और खतरनाक विलेन विजय सेतुपती की है.

खबरें आ रही थीं कि उन्होंने इसके हिंदी राइट्स खरीद लिए हैं. लेकिन विक्रम वेधा बनाने वाले स्टूडियो ने ट्वीट करके इसका खंडन किया और कहा कि उन्होंने विक्रम वेधा के किसी भी भाषा के अधिकार किसी को भी नहीं बेचे हैं. हम खुद इसे प्रोड्यूस करेंगे. आधिकारिक घोषणा जल्द ही की जाएगी.

बताते चले कि विक्रम वेधा तमिल में काफी सफल फिल्म रही है, और इसे लोगों द्वारा काफी पसंद भी किया गया है. अगर शाहरुख खान इस फिल्म को करते हैं तो यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि वे कौन-सा रोल निभाएंगे और उनके साथ दूसरा एक्टर कौन होगा.

वैसे एक समय अपने करियर में हिचकोले खा रहे सलमान खान को भी संकट से निकालने का श्रेय साउथ की रीमेक ‘वान्टेड’ को ही जाता है. ‘वान्टेड’ ने ही सलमान की डूबती नइया को पार लगाया था. साउथ की रीमेक करने के बाद सलमान खान को पीछे मुड़कर देखने का अवसर नहीं मिला. हम ऐसी ही उम्मीद शाहरुख के करियर को लेकर भी करते हैं कि उन्हें फिल्म विक्रम वेधा करने के लिए मिल जाए और सलमान की तरह उनकी भी डूबती नइया को तिनके का सहारा मिल जाये.

अपनी बेटी से शेविंग कराते हुए पकड़े गये अक्षय कुमार, देखें वीडियो

बौलीवुड के खिलाड़ी अक्षय कुमार अपनी 5 साल की बेटी नितारा के साथ अक्सर ही फोटोज और वीडियो शेयर करते रहते हैं. हाल ही में उन्होंने अपनी बेटी के साथ अपने बाथरूम का एक वीडियो इंस्टाग्राम पर शेयर किया है. इस वीडियो में नितारा उनके गालों पर शेविंग क्रीम लगाती दिखाई दे रही हैं और अक्षय बड़े मजे से बेटी से शेविंग क्रीम लगवाते नजर आ रहे हैं.

 

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अक्षय ने इस वीडियो को शेयर करते हुए एक खूबसूरत कैप्शन भी लिखा है, उन्होंने लिखा है- अनमोल समय, अनमोल क्षण! “यह हर दिन का मेरा सबसे खूबसूरत हिस्सा, जब बेटी सिंक पर बैठकर मेरी शेविंग करती है. इस वीडियो के जरिए अक्षय अपनी बेटी से एक अनुरोध कर रहे हैं कि वह बड़ी न हों.

इसमें कोई शक नहीं है कि उनकी लाडली बेटी नितारा उनकी आंखों का तारा हैं. उनके साथ अक्षय ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताने की कोशिश करते हैं. पिछले दिनों अक्की फिल्म ‘गोल्ड’ की शूटिंग में व्यस्त होने के साथ-साथ पत्नी की गैरमौजूदगी में बेटी का ख्याल भी रख रहे थे.

 

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मालूम हो कि, अक्षय कुमार और ट्विंकल खन्ना की शादी जनवरी 2001 में हुई थी. उनके बेटे का जन्म 15 सिंतबर 2002 को हुआ, जबकि बेटी 2012 में पैदा हुईं. अपने दोनों बच्चों बेटे आरव (15) और बेटी नितारा (5) से बेहद करीब हैं अक्षय और ट्विंकल.

पर उपदेश कुशल बहुतेरे

संत टैलीविजन पर प्रवचन फटकार रहे थे. वे मायामोेह भगाने के लिए प्रेरणा देने से पहले चैनल प्रबंधक से अपनी रौयल्टी बढ़ाने के बारे में लंबी चर्चा कर चुके थे. उन के पर्सनल सेक्रेटरी और पी.आर.ओ. ने चैनल प्रबंधक को पहले ही आश्वस्त कर दिया था कि संतजी प्रवचनों के बीच में ‘छोटे से ब्रेक’ के दौरान पैंटी और ब्रेजरी के विज्ञापनों में दिखाई जाने वाली अधनंगी मौडलों के बारे में आपत्ति व्यक्त नहीं करेंगे. उदार हृदय संत अपने वचनों पर अडिग रहे और उन्होंने इस बारे में कोई चर्चा नहीं की.

पिछले दिनों उन्होंने एक झूठे भक्त की दानशीलता के झांसे में आ कर उसे 200 करोड़ की राशि विनियोजन के लिए सौंप दी थी जिसे ले कर वह भक्त ध्यान में बैठने की जगह अंतर्धान हो चुका था. भक्तों के इस मायाप्रेम में पड़ कर अनैतिक हो जाने से संत कुपित थे और इस हानि की जल्दी भरपाई में वे प्राणपण से जुट गए थे. वे चाहते थे कि भक्त महाठगिनी माया बंधनों से मुक्त हो कर मुक्तहस्त से दान दें ताकि आश्रम फलताफूलता रहे.

संत पहले विज्ञापनों पर नखरे दिखाते थे. वे कहते थे कि उन के प्रवचनों के बीच में दिखाए जाने वाले विज्ञापन पहले उन्हें दिखाए जाने चाहिए. एकाध बार ऐसा किया भी गया पर उन विज्ञापनों के देह- दर्शन ने उन के मन में पाप पनपा दिया था, जिस का प्रायश्चित उन्होंने आश्रम में एक कोठरी में देहभोग का कष्ट उठा कर किया था. तब से उन्होंने यह जिम्मेदारी आश्रम के मैनेजर को सौंप दी थी कि अब जो चाहे दिखाओ केवल मेरी रौयल्टी बढ़ा दो.

संत भावपूर्ण मुद्रा में उंगली उठा कर जहां ऊपर वाले पर भरोसा रखने और उस की कृपा पाने की प्रेरणा देते, वहीं विज्ञापन में पैंटी पहने मौडल मशीन पर एक्सरसाइज करती हुई जांघों और पेट पर से चरबी कम करने के लिए एशियन आसमानी शौप से एक्सरसाइज मशीन खरीदने की प्रेरणा दे रही होती. दोनों ही ऊपर आकाश की ओर इशारा करते पर जांघों की चरबी कम करने वाली मौडल की आसमानी शौप संत की आकाशी शौप से ज्यादा दमदार सिद्ध होती.

संत प्रवचन देते हैं कि मन का मैल साफ करो और वहीं ब्रेक में कोई भाभीनुमा घरेलू औरत किसी साबुन का विज्ञापन करती ढेरों कपड़े धोने के बाद भी खुशीखुशी मुसकराती हुई कपड़े का मैल साफ करने की पे्ररणा दे रही होती. संत का प्रवचन फिर पिट जाता और लोग शरीर धोने के साबुन से प्रेरित हो कर शरीर का मैल धोने की तैयारी करने लगते.

संत शैंपू से धुली अपनी दाढ़ी पर हाथ फेर कर उस में पड़ी जूं से मुक्त होने का संदेश देते होते तो कोई सुंदरी अपने केश को लहराती और किसी शैंपू का कमाल बताती आंखों के तीर चला कर चली जाती. संत का संदेश नहीं चल पाता. संत कम से कम कपड़े पहने नजर आते तो मौडल और भी कम कपड़ों में नजर आ कर छा जाती.

संत को भविष्य की चिंता सताती. अगर टी.आर.पी. कम हो गई तो धंधा कैसे चलेगा. जो पैसा भक्त के मायामोह के चक्कर में चला गया वह कैसे निकलेगा. संत ने उद्योग स्थापित कर लिए. अब वे जड़ीबूटियां और मानव खोपडि़यां आदि कुटवापिसवा कर बिकवाने लगे हैं. अगरबत्ती, साबुन, तेल, चंदन, माला, प्रवचन की पुस्तकें, आडियोवीडियो की सीडियां उन की बिक्री की आइटमें बन गई हैं.

भक्तों की जो भी जरूरतें होती हैं वे आश्रम के शोषित कर्मचारियों की दुकानों द्वारा पूरी की जा सकती हैं. बड़ी, पापड़, सिंवई, अचार आदि बनवाने के लिए विधवा आश्रम खोल दिए गए. बढ़ती बेरोजगारी, महंगाई और भुखमरी ने सेवादार, सेवादारिनी बनने का मार्ग प्रशस्त किया. वे लोग मजदूर नहीं सेवादार थे इसलिए उन्हें मजदूरी की जगह प्रसाद मिलता था. चूंकि प्रसाद की कोई कीमत नहीं होती इसलिए उन का परिश्रम भी अमूल्य था. सेवादारों  को संतोष का पाठ निशुल्क पढ़ाया जाता और विधवाओं को किसी तरह के अभावोें में नहीं रखा जाता था.

भक्त संत का प्रवचन विज्ञापन सुंदरियों की झलक पाने के लिए सुनते. प्रवचन तो ब्रेक में झेलने जैसी चीजें थीं. वे मन का मैल साफ करने की जगह घर का मैल साफ करते और मैल को सड़क पर फेंक देते. चूंकि संत मैल साफ करने की जगह का संदेश तो देते हैं पर मैल को कहां कैसे फेंकना है, उस के बारे में कुछ नहीं बताते इसलिए लोग कचरा एकदूसरे के घर के सामने फेंक कर पुण्य कमाते रहते हैं.

कोई संत यह नहीं बताता कि गुटका चबा कर उस की पीक कहां थूकनी है या नाली का पानी कहां पर निकालना है. आत्मा परम स्वतंत्र होती है. इसलिए उसे धारण करने वाली देह को अपनी सीमा से बाहर जा कर दूसरों और समाज के लिए नहीं सोचना चाहिए. सारे रिश्ते बेमानी हैं, भ्रम हैं, धोखा हैं इसलिए धोखे से बचो और मैल निकाल कर दूसरे पर पटक दो. दूसरा भी ऐसा ही करे. साथ ही तुम हमारी पत्नी को मां मानो और मैं तुम्हारी पत्नी को मां मानूं. इस तरह सब एकदूसरे के बाप बन जाओ. ऐसा होने पर जगहजगह यह संवाद सुनाई देगा, ‘रिश्ते में हम तुम्हारे बाप लगते हैं.’

संत का अपना टैंट हाउस चलता है. वे किसी दूसरे टैंट हाउस वाले के शामियाने में प्रवचन नहीं करते. टैंट का किराया कुल 10 लाख रुपए प्रतिदिन है. जिस ने संन्यासी का मेकअप कर के घर छोड़ दिया उस ने अरबों का आश्रम का कारोबार जमा लिया और अपनी गाड़ी में चल कर अपने टैंट में ही भाषण देता है.

सारे ब्रह्मांड में उसी एक परमपिता परमेश्वर का वास है. पर टैंट हाउस हमारा अपना अलग है जिस में हमारे अपने भक्तों के पान की पीक लगी है. अध्यात्म उसी में पनपता है. एडवांस किराया न देने पर नहीं पनपेगा. आप को पनपवाना हो तो जल्दी बुकिंग करवाओ वरना संत किसी और को डेट दे देंगे.

आज की बचत, कल की सुरक्षा

अर्थशास्त्रियों का मत है कि जितना कमाएं उस में से 20 फीसदी पैसा भविष्य के लिए जमा करें. जो ऐसा नहीं करता वह अंत समय में आई परेशानी या अकस्मात आई मुसीबत के समय दूसरों का मुंह देखता है. ऐसे समय में सुनाने वाले या मदद देने वाले भी यही कहते हैं कि सारी जिंदगी कमाते रहे और खाते रहे. ऐश में सब उड़ाया लेकिन इस वक्त के लिए कुछ न बचाया.

जरूरी है कि शुरू से ही बचत की आदत डाली जाए, हाथ खींच कर पैसा खर्र्च किया जाए, अपनी कमाई में से जितना अधिक बचा सकें, बचाया जाए ताकि रिटायरमैंट के बाद जेब खाली न रहे. और कल सुरक्षित रहे.

बच्चों पर अंधाधुंध खर्च न करें :  अकसर पेरैंट्स अपने बच्चों के चेहरों पर मुसकान देखने के लिए उन की हर मांग पूरी करने की कोशिश करते हैं. चाहे उन के लिए उन्हें अपनी जमापूंजी खर्च करनी पड़े या फिर किसी से उधार लेना पड़े. ऐसा करने से बच्चे भले ही खुश हो जाएं लेकिन इस से नुकसान आप का ही होता है. एक बार अगर आप ने उन की जिद पूरी की तो अगली बार से वे आप के सामने फरमाइशों की लिस्ट रखनी शुरू कर देते हैं. तब, आप को, न चाहते हुए भी, उन्हें पूरा करना पड़ता है.

शुरू से ही कंट्रोल रखें यानी जब जरूरत हो, चीज तभी दिलवाएं. जैसे, अगर आप ने अपने बच्चे को 2 महीने पहले ही मोबाइल दिलवाया है और  4 महीने बाद बच्चा फिर कोई दूसरे मोबाइल की डिमांड करने लग जाए तो आप उस की इस मांग को पूरा न करें बल्कि शुरू से समझा कर चलें कि अगर हम आज बचा कर नहीं चलेंगे तो कल तुम्हें उच्च शिक्षा कैसे दिलवा पाएंगे. इस से वे आप को समझेंगे. लेकिन ऐसे प्रयास शुरूआत से करने जरूरी हैं.

बाहर के महंगे खाने से बचें :  आप की न्यूक्लियर फैमिली है और आप दोनों पतिपत्नी वर्किंग हैं. ऐसे में लेटनाइट घर आ कर खाना बनाना मुश्किल होता है और आप आएदिन बच्चों के  साथ रात का डिनर करने बाहर पहुंच जाते हैं. इतना ही नहीं, जब कभी भूख लगे तो घर से भी और्डर कर देते हैं. भले ही आप की सैलरी अच्छी है लेकिन आप की यह आदत न तो सेहत के लिहाज से सही है और न ही पौकेट के हिसाब से.

घूमने का साल में बनाएं एकाध प्रोग्राम :  बच्चों की छुट्टियां पड़ते ही तुरंत कहीं बाहर जाने का प्रोग्राम बना लें या फिर बच्चों की फरमाइश पर ट्रेन का टिकट नहीं मिलने पर फ्लाइट का टिकट बुक करवा लें. बच्चों को यह न लगे कि उन के बाकी फ्रैंड्स घूमने जा रहे हैं और उन्हें घर पर बोर होना पड़ेगा. लेकिन घूमने पर पानी की तरह पैसा बहाने न ल जाएं, भले ही इस पर आप की सेविंग ही क्यों न लग रही हो. इस में कोई समझदारी नहीं है.

निजी वाहन का इस्तेमाल कम करें :  आज हर कोई अपने स्टेटस के लिए घर में गाड़ी रखना पसंद करता है. लेकिन घर में गाड़ी होने का यह मतलब नहीं है कि थोड़ीथोड़ी दूरी पर जाने के लिए भी गाड़ी ही ले जाएं. इस से एक तो आदत बिगड़ती है, दूसरे जो काम सस्ते में हो सकता है वह डबल खर्च में होता है. इसलिए अगर आप अपने खर्चों पर लगाम लगाना चाहते हैं तो थोड़ी दूरी के लिए गाड़ी के इस्तेमाल को अवौइड करें.

दोनों हाथों से कमाएं  : आज महंगाई व खर्च बढ़ने के कारण परिवार के एक सदस्य का कमाना काफी नहीं होता. जरूरी है कि पति के साथ पत्नी भी कमाए. इस के लिए बाहर जा कर ही कमाना जरूरी नहीं, बल्कि आज महिलाओं के लिए अनेक ऐसे फ्रीलांस वर्क हैं जिन्हें वे घर पर कर के अच्छाखासा पैसा कमाने के साथसाथ अपना आत्मविश्वास भी बढ़ा सकती हैं.

इस से फायदा यह होगा कि एक की सैलरी से जहां जरूरतें पूरी होंगी वहीं दूसरे की सेविंग करने में काम आएगी. लेकिन यह सब निर्भर करेगा आप की स्मार्ट प्लानिंग पर.

मौल से ज्यादा लोकल मार्केट से करें शौपिंग  :  आज यह कहना गलत नहीं होगा कि मौल से शौपिंग करना स्टेटस सिंबल बन गया है. इसी कारण हर पेरैंट्स अपने बच्चों को मौल से ही शौपिंग कराना पसंद करते हैं. हालांकि यह पौकेट पर बोझ पड़ता है. मौल में हमें हर चीज दोगुने दामों पर मिलती है. इस बात से हम वाकिफ भी होते हैं लेकिन फिर भी स्टेटस के चक्कर में ही फंसे रहते हैं. इसलिए जरूरत है समझदार बनने की और इस के लिए आप को चाहिए कि आप ज्यादा से ज्यादा चीजें लोकल मार्केट से ही खरीदें. आप को देखदेख कर आप के बच्चे भी समझदार बनेंगे और बचत भी हो जाएगी.

पैंशन प्लान से करें टैंशन दूर : आप सरकारी नौकरी में हैं तब तो आप को रिटायरमैंट के बाद पैंशन की टैंशन नहीं होगी लेकिन अगर आप प्राइवेट नौकरी कर रहे हैं तो आप को अभी से पैंशन प्लान लेना होगा. इस के लिए अभी से आप को निश्चित अवधि तक रैगुलर किस्त भरनी होगी. इस से फायदा यह होगा कि जब आप की रिटायरमैंट की उम्र होगी तब आप को हर माह पैंशन मिलनी शुरू हो जाएगी. इस से रिटायर्ड होने के बाद भी आप टैंशन फ्री रह पाएंगे.

पीपीएफ है फायदेमंद  :  आजकल कई कंपनियों में पीएफ नहीं कटता. ऐसे में आप बैंक वगैरा में अपना पीपीएफ अकाउंट (पब्लिक प्रौविडैंट फंड खाता) खोल कर सेविंग कर सकते हैं. इस में आप को अपने अकाउंट को ऐक्टिव रखने के लिए साल में कम से कम 500 रुपए जमा करवाने जरूरी हैं. आप ज्यादा भी जमा करवा सकते हैं.

इस की परिपक्वता अवधि 15 साल है. लेकिन अगर आप अपना पैसा वापस निकालना चाहते हैं तो इस में 5 साल से पहले आप नहीं निकाल सकते.

और भी फायदेमंद स्कीम्स

किसान विकास पत्र  : यह भी सेविंग का एक बहुत अच्छा माध्यम है. इस में मैच्योरिटी पर पैसा डबल हो कर मिल सकता है.

फिक्स्ड डिपौजिट : जब क में किसी खास अवधि के लिए आप अपना पैसा निवेश करते हैं तो उसे फिक्स्ड डिपौजिट कहते हैं. इस में आप को ब्याज ज्यादा मिलता है.

डाकघर रेकरिंग जमा खाता योजना  :  कोई भी व्यक्ति देश के किसी भी डाकघर में आरडी खाता खोल सकता है. यह सिंगल और जौइंट दोनों तरह का हो सकता है. हर महीने इस में निवेश करना होता है. आप को इस में ब्याज मिलता है. इस में एक यह फायदा होता है कि एक साल के बाद आप को 50 फीसदी तक रकम निकालने की अनुमति होती है. इस में आप कितना भी पैसा निवेश कर सकते हैं.

इस के अलावा भी बाजार में कई ऐसे प्लान हैं जो आप के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं. इस के लिए आप को बैंकों या विशेषज्ञों से बात करनी होगी.  इस तरह, आप आज बचत कर के अपना कल सुरक्षित बना सकते हैं.     

मैडिकल इंश्योरैंस  बड़े काम का

जीवन में कब दुर्घटना घटित हो जाए या फिर हम बीमार पड़ जाएं, किसी को पता नहीं होता. ऐसे में अगर कोई मैडिकल इंश्योरैंस न लिया हुआ हो तो मुसीबत की घड़ी में अपनी जेब से पैसा खर्च करना मजबूरी हो जाती है. इसलिए समझदारी इसी में है कि अपना फैमिली मैडिकल इंश्योरैंस करवा कर चलें. आप का एक सही निर्णय आप के जीवन को सुरक्षित बना देगा.

आप के पास रुपयों से बड़ी चीज है

हमारे पास ऐसी कीमती चीजें हैं जिन के बारे में हम को ज्ञान  नहीं है. हमारे पास चीजें हैं– हमारा शरीर, हमारा चिंतन, हमारा वक्त,  हमारा श्रम, हमारा पसीना, हमारा आत्मविश्वास, हमारा स्वास्थ्य, हमारा साहस, हमारा ज्ञानविज्ञान, हमारा हृदय, हमारा मस्तिष्क, हमारा अनुभव, हमारी भावनाएंसंवेदनाएं आदि.

ये इतनी बड़ी चीजें हैं कि इन का रुपए से कोईर् संबंध नहीं है. रुपया तो इन के सामने धूल के बराबर है, मिट्टी के बराबर है. रुपया किसी काम का नहीं है इन के आगे. इन अनमोल चीजों को महान उद्देश्य के लिए इस्तेमाल करें.  सृष्टि के पीछे छिपी भावना हरेक जीव के कल्याण की है. इस ब्रह्मांड में पृथ्वी सहित सभी ग्रह तारे, सूर्य, चंद्रमा का आपस में आदानप्रदान के सहारे ही अस्तित्व बना हुआ है. ब्रह्मांड की अब तक की खोज में मनुष्य सब से बुद्घिमान प्राणी है. मनुष्य के पास इन अनमोल चीजों के बलबूते अर्जित की गई विभिन्न क्षेत्रों की कुछ ऐतिहासिक उपलब्धियों के बारे में आप भी जानिए.

‘‘खुश रहना जीवन का मूलमंत्र है. जब तक आत्मसंतुष्टि नहीं होगी, तब तक सबकुछ गलत और विपरीत लगेगा. अच्छे कर्म से खुशी मिलेगी और खुशी से आनंद आएगा. इसी आनंद से संतुष्टि मिलगी.’’ ये विचार कोयंबटूर के ईशा फाउंडेशन के संस्थापक वासुदेव के हैं.

जब मनुष्य जन्म लेता है तो बड़ा होतेहोते उस पर 5 प्रकार के ऋण आ जाते हैं. उन में से एक ऋण राजा का होता है. आज के जमाने में राज्य का स्वरूप बदल गया है और अब राजा नहीं होता, उस की जगह हमारी चुनी हुई सरकार ने ले ली है. राजा का यह ऋण अब हम सरकार को ही टैक्स दे कर चुकाते हैं. इस के बदले में सरकार हमें विभिन्न प्रकार के साधन मुहैया करवाती है, ताकि हम अपना जीवन सुचारु रूप से चला सकें. हमें जीवनोपयोगी साधनों का उपयोग अपनी आवश्यकता के अनुसार करना चाहिए. ईमानदारी से नौकरी या व्यवसाय करना ही अपने विकास का सब से सरल व एकमात्र उपाय है.

ऐसे कई महापुरुषों के उदाहरण हमारे सामने हैं जो लोक कल्याण की भावना से अपनी नौकरी या व्यवसाय द्वारा अपने व्यक्तित्व का विकास कर के युगोंयुगों तक अपनी पहचान बना ली. भारतीय मैनेजमैंट शिक्षा प्रणाली अब हुनर व कुशलता आधारित शिक्षा पर ज्यादा जोर दे रही है, क्योंकि तेजी से बदलते इस आधुनिक युग में कौर्पोरेट्स को भी ऐसे ही कुशाग्र बुद्घि वाले हुनरमंद उम्मीदवारों की आवश्यकता है.

हौलीवुड की मूवी ‘आयरनमैन’ में दिखाया गया है कि जारविस नाम का सुपर कंप्यूटर एक इशारे पर हीरो की हर बात समझ कर उसे पूरा कर देता है. इस से प्रेरणा ले कर फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग ने भी अपने घर के लिए जारविस को डिजाइन कर लिया है.

जुकरबर्ग ने यह सिस्टम अपने बिजी शेड्यूल से समय निकाल कर खुद डिजाइन किया है. वे जारविस को इतना स्मार्ट बनाना चाहते हैं कि वह उन के लिए खाना भी बना सके. इतना ही नहीं, जुकरबर्ग इस सौफ्टवेयर को दुनियाभर के लोगों के लिए फ्री में उपलब्ध कराने के बारे में भी सोच रहे हैं. लेखक अर्नेस्ट हेमिंग्वे कहते हैं, ‘‘आप दूसरों पर विश्वास कर सकते हैं, यह जानने का एक ही तरीका है कि उन पर विश्वास करें.’’

स्टीव जौब्स ने कहा है, ‘‘काम जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा है. संतुष्ट होने का एक ही तरीका है कि वह करें, जिसे अच्छा मानते हैं. अच्छा तभी होगा कि जो कर रहे हैं, उस से प्यार करें. अगर अभी अपनी पसंद का काम नहीं मिला है तो उसे ढूंढ़ते रहें, समझौता न करें.’’

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित बौब डिलन कहते हैं, ‘‘वही सफल है जो सुबह उठता है और रात को बिस्तर पर जाता है और इस बीच वही करता है, जो वह करना चाहता है.’’

प्रोत्साहन दें

एक बार इंगलैंड की रौयल अकादमी के हौल को उत्कृष्ट चित्रों से सजाने  की योजना बनाई गई. इस के लिए देशविदेश के बेहतरीन चित्रकारों से श्रेष्ठतम चित्र भेजने को कहा गया. कुछ ही दिनों में रौयल अकादमी के पास चित्रों का ढेर लग गया. अकादमी की विशेषज्ञ समिति सुंदर चित्रों को चुनने लगी. चुनने के बाद उन्हें हौल में सजाया गया तो सारा हौल चित्रों से भर गया. लेकिन अभी भी चुने गए चित्रों में से एक चित्र बच गया.

वह चित्र बेहद खूबसूरत था और उसे एक युवा चित्रकार ने बनाया था. यह देख कर समति के एक सदस्य ने कहा, ‘‘चित्र तो वाकई बहुत सुंदर है, मगर दुख है कि हौल पूरा भर गया है और इसे कहीं भी नहीं लगाया जा सकता. इसलिए, इसे ससम्मान चित्रकार के पास वापस भेज दिया जाना चाहिए.’’ यह सुन कर विशेषज्ञ समिति के सभी सदस्यों ने सहमति में सिर हिलाया.

इंगलैंड के सुप्रसिद्घ चित्रकार टर्नर भी उस विशेषज्ञ समिति के सदस्य थे. उन्होंने कहा, ‘‘इतने खूबसूरत चित्र को वापस भेजना उचित नहीं है.’’ इस पर दूसरा सदस्य बोला, ‘‘किंतु अब इसे लगाने के लिए कहीं, कोई भी स्थान नहीं बचा है.’’ टर्नर बोले, ‘‘अभी भी एक स्थान ऐसा बचा हुआ है जहां पर यह चित्र लगाया जा सकता है.’’ टर्नर उठे और उन्होंने अपना चित्र उतार कर उस की जगह उस युवा चित्रकार का चित्र लगा दिया और बोले, ‘‘युवा चित्रकार को प्रोत्साहन मिलना चाहिए, क्योंकि इस से दुनिया को एक महान कलाकार मिलने की राह खुलती है.’’ युवा चित्रकार को जब इस बात का पता चला तो वह महान चित्रकार टर्नर के प्रति हृदय से नतमस्तक हो गया.

आज की जरूरत

अपने मस्तिष्क की कीमत समझने वाले प्रसिद्घ भौतिकशास्त्री स्टीफन हाकिंस ने कहा, ‘‘हमारी धरती के लिए यह बहुत खतरनाक समय है. हमारे पास धरती को नष्ट करने की तकनीक तो मौजूद है, पर हम वह नहीं तलाश पाए, जो इसे बचा सके. संभव है, कुछ सौ वर्षों में हम नक्षत्रों के आसपास भी अपनी कालोनी बना और बसा ले जाएं, मगर फिलहाल हमारे पास एक ग्रह पृथ्वी है और सब से बड़ी जरूरत इसे बचाने के लिए मिल कर काम करने की है. ऐसा करने के लिए हमें तमाम देशों के अंदर और बाहर की सभी बाधाएं तोड़नी पड़ेंगी.

‘‘ऐसे समय में, जब सिर्फ नौकरी ही नहीं, उद्योगों की संभावनाएं भी क्षीण हो रही हों, हमारी जिम्मेदारी है कि लोगों को एक नए विश्व के लिए तैयार करें. लेकिन जरूरी होगा कि विश्व के सभी विद्वान अतीत से सबक लें. हम मानवता के विकास के सब से बुरे दौर में हैं. हर हाथ में फोन तो है, भले पानी न हो. इसी चमक को देख हमारे ग्रामीण व गरीब बड़ीबड़ी उम्मीदें ले कर झुंड के झुंड शहरों और कसबों की ओर पलायन कर रहे हैं और हर दिन एक नए मायाजाल में उलझते चले जा रहे हैं.’’

महान वैज्ञानिक के भविष्य के गर्भ में झांक कर निकाले गए इन संकेतों को गंभीरता से लेना चाहिए. हमें जागरूक हो कर मानव जाति के सुरक्षित भविष्य के लिए कार्य करना चाहिए. अपने मस्तिष्क की कीमत समझने वाले इसरो के महान भारतीय वैज्ञानिकों  ने नवीनतम रिमोट सैंसिग सैटेलाइट रिसोर्ससैट-2ए को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित कर दिया. यह आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी-सी36 की मदद से लौंच किया गया था. यह रिसोर्ससैट-1 और 2 की कड़ी का उपग्रह है. कुल 12.35 किलोग्राम वजनी यह उपग्रह भारत की वन संपदा और जल संसाधनों के बारे में जानकारी देगा. इस से यह जानने में मदद मिलेगी कि देश के किन इलाकों में कौन से मिनरल हैं.

प्रकृति में इंसान की आवश्यकता के लिए भरपूर तत्त्व हैं. कुदरत की इस देन पर पृथ्वी में पलने वाले प्रत्येक जीव का अधिकार है.  मानव जाति की उपरोक्त विभिन्न क्षेत्रों की ऐतिहासिक उपलब्धियों को पढ़ कर यह विश्वास होता है कि मनुष्य यदि संकल्प कर ले तो जीवन में क्या नहीं अर्जित कर सकता. विचार के नियमों को गहराई से समझ कर मनुष्य 100 प्रतिशत अपनी प्रतिभा का सर्वोच्च कार्य समाज को दे कर उसे लाभान्वित कर सकता है.   

बालों को शैम्पू करने का ये है सही तरीका

क्या आप जानती हैं कि आपके बाल झड़ने के विभिन्न कारणों में एक कारण बालों में गलत तरीके से शैम्पू करना भी शामिल है. अक्सर महिलाएं अलग अलग तरीके से बालों में शैम्पू करती हैं और यही समझती हैं कि वो जिस तरह से शैम्पू कर रही हैं वही शैम्पू करने का सही तरीका है. अगर आप भी कुछ ऐसा ही सोच रही हैं तो आप गलत हो सकती हैं क्योंकि वास्तव में ऐसा नहीं है. आपको बता दें कि बालों में शैम्पू लगाने का फायदा तभी मिलेगा जब आप शैम्पू ठीक तरह से करेंगी. आइये आज हम आपको बालों में शैम्पू लगाने का सही तरिका बताते हैं-

शैम्पू करने से पहले करें कंघी

शैम्पू करने से पहले बालों को कंघी कर लेना चाहिए. ऐसा करने से बाल सुलझ जाएंगे और शैम्पू आसानी से बालों की जड़ों तक पहुंच जाएगा.

एक ही ब्रांड

हम एक ही तरह का शैम्पू और कंडीशनर इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में बालों को इनकी आदत हो जाती है और असर कम होने लगता है. मौसम के हिसाब से शैम्पू बदल लें.

गलत शैम्पू

शैम्पू लेने से पहले हम ये नहीं चेक करते की उसमे क्या है ? केमिकल सल्फेट वाले शैम्पू स्कैल्प खराब करते हैं. इसमें मौजूद पैराबीन से डेंड्रफ हो सकता है.

शैम्पू से पहले कंडीशनर का करें इस्तेमाल

अक्सर बालों को शैम्पू करने के बाद महिलाएं कंडीशनर का इस्तेमाल करती हैं अगर आप भी ऐसा ही कर रही हैं तो आज ही इस आदत को थोड़ा बदल दीजिए. बालों में शैम्पू करने से पहले कंडीशनर का इस्तेमाल करें और उसके बाद ही बालों को शैम्पू से धोएं. ऐसा करने से बालों को पोषण मिलता है और कंडीशनिंग का बालों पर लंबे समय तक असर दिखाई देता है.

कंडीशनर का इस्तेमाल करने के बाद बालों को कम से कम 10 मिनट तक लगे रहने दें. इस बीच बालों को किसी कपड़े से ढक लें.

शैम्पू की मात्रा

ज्यादा शैम्पू लगाने से बालों को नुकसान पहुंचता है साधारणतः एक चम्मच शैम्पू काफी होता है. अगर बाल लम्बे हैं तो थोड़ा ज्यादा शैम्पू लगा सकती हैं.

पूरे बाल गीले किये बिना शैम्पू लगाना

बाल ठीक से गीले किये बिना ही हम शैम्पू लगा लेते हैं, इससे शैम्पू का असर पूरी तरह से नहीं होता. पहले बाल पूरी तरह गीले करें और फिर शैम्पू लगाएं.

सिर की त्वचा पर ही लगाएं शैम्पू

शैम्पू करते समय इस बात का ध्यान रखें कि शैम्पू बालों की बजाय सिर की त्वचा यानि कि स्कैल्प पर लगाएं. शैम्पू को बालों के किनारे या फिर बीच में लगाने से बाल नहीं बढ़ते हैं. इसलिए शैम्पू को सिर की त्वचा पर लगाकर उंगलियों के इस्तेमाल से मालिश करें.

शैम्पू का बालों की जड़ों तक पहुंचना जरूरी होता है क्योंकि वह आपकी त्वचा पर जमी गन्दगी को साफ करती है, इसलिए शैम्पू अच्छी तरह करें. ऐसा करते समय इस बात का ध्यान रखें कि नाखून का इस्तेमाल न हो.

सही समय

हम शैम्पू को लगाते ही धो लेते हैं इससे बाल ठीक से साफ नहीं हो पाते और डेंड्रफ बनता है. कम से कम 3 मिनट तक शैम्पू लगे रहने के बाद सिर धोएं.

कम से कम एक मिनट तक धोएं

कई बार जल्दी में शैम्पू सिर से पूरी तरह साफ नहीं हो पाता. शैम्पू सिर में ही जमा रहने से डेंड्रफ बढ़ता है और बाल झड़ने लगते हैं. कम से कम एक मिनट तक धोएं.

पोछने के लिए नरम कपड़े का करें इस्तेमाल

बाल बहुत नाजुक होते हैं इसलिए बालों को पोछने के लिए सख्त कपड़ो के इस्तेमाल के बजाय अपनी किसी पुरानी टी-शर्ट या फिर किसी और मुलायम कपड़े का इस्तेमाल करें. ऐसा करने से बाल उलझते नहीं हैं.

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