निरापद

‘‘सर, मैं सस्पैंड होना चाहता हूं,’’ कर्मचारी ने अपनी हार्दिक इच्छा तब जाहिर की जब साहब अपने दफ्तर की फाइलों में मग्न थे. ऐसी स्थिति से निबटने, यानी फाइलों से बिना नजर हटाए उन के मुंह से आदतन जो निकलता था, वही हुआ, ‘‘ठीक है, मैं देख लूंगा, तुम दरख्वास्त दे दो.’’

‘‘दरख्वास्त दे दो?’’ साहब की ऐसी राय को सुन कर प्रार्थी कुछ पल को हक्काबक्का रह गया. फिर उन की समझदारी पर प्रश्नचिह्न लगाते हुए उन्हें झकझोरा, ‘‘सर, मैं सस्पैंड होना चाहता हूं और आप हैं कि दरख्वास्त देने की कह रहे हैं? भला सस्पैंड होने के लिए भी दरख्वास्त देनी पड़ती है?’’

‘‘क्या कहा?’’

‘‘जी हां. मैं ने वही कहा जो आप ने सुना. फिर कह रहा हूं, निलंबित होना चाहता हूं मैं,’’ कर्मचारी ने अपनी आवाज बुलंद की.

उस की बात से साहब को यकीन होने लगा कि कर्मचा के सिर पर सस्पैंड होने का जनून सवार है.

‘‘आप की इच्छा पूरी हो…लेकिन जरा मैं भी तो सुनूं कि आप को यह शौक चर्राया क्यों?’’ साहब ने व्यंग्य छोड़ा.

‘‘सवाल इज्जत का है, सर. मौखिक निवेदन इसीलिए कर रहा हूं,’’ गर्व से इठलाते हुए कर्मचारी ने बताया.

‘‘इज्जत का? सस्पैंड होना भी इज्जत का सवाल हो सकता है?’’ साहब ने चुटकी ली, ‘‘कहीं ऐसा तो नहीं कि आप का दिल सरकारी कामकाज से भर गया हो, जो सस्पैंड होना चाहते हो?’’

‘‘भर कैसे सकता है? आप ने तो मुझे कोई काम दिया ही नहीं है…फिर भरेगा कैसे?’’ कर्मचारी ने बड़ी सहजता से कहा.

‘‘तब तो मालगुजारी होगी ही आप की?’’ मंदमंद मुसकराते हुए साहब ने फिर कटाक्ष किया.

‘‘मालगुजारी होती तो यह दो टके की नौकरी करता ही क्यों?’’ मुंह बिचकाते हुए प्रार्थी ने बताया.

‘‘फिर भी?’’ सस्पैंड होने के कारण का रहस्योद्घाटन करने के लिए साहब ने प्रेरित किया.

‘‘ऐसा है सर,’’ प्रार्थी ने बताना शुरू किया, ‘‘नौकरी करतेकरते मेरी उम्र कटी जा रही है. आज तक मेरा न प्रमोशन हुआ न डिमोशन.’’

‘‘लेकिन आप के सस्पैंड होने से इस का क्या संबंध?’’

‘‘सर, पहले आप मेरी पूरी बात सुन लीजिए,’’ निलंबन के इच्छुक कर्मचारी ने टोका, ‘‘हां, तो जब न प्रमोशन है और न डिमोशन…फिर तो एक ही विकल्प रह जाता है, अपनी नौकरी में गतिशीलता लाने के लिए और वह है सस्पैंड होना, जो मैं होना चाहता हूं,’’ अपना दुखड़ा रोते हुए उस ने आगे बताया, ‘‘मैं तो सर, स्थायी भाव की तरह अपनी नौकरी में आए ठहराव से बोर हो गया हूं.’’

‘‘दूसरा कारण?’’ मजे लेने के लिए साहब ने पुन: प्रोत्साहित किया.

‘‘दूसरा यह सर कि सस्पैंड हो कर मैं भी साथी कर्मचारियों को दिखला देना चाहता हूं कि मैं ऐरागैरा कर्मचारी नहीं हूं. आफिस में मेरा भी कोई रुतबा है. अपना भी कोई वजूद है.’’

‘‘आप के सस्पैंड होने से यह सब सिद्ध हो जाएगा?’’ साहब प्रार्थी का उत्साह बढ़ाते जा रहे थे.

‘‘बिलकुल, सर. आप ने वह शेर नहीं सुना, ‘गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में, वो तिफ्ल क्या गिरे, जो घुटनों के बल चले’.’’

प्रार्थी के शायराना अंदाज से साहब गद्गद हो गए.

‘‘कोई और वजह, जिस के लिए आप यह कुर्बानी देना चाहते हैं?’’

‘‘हां…है न,’’ उत्साहित प्रार्थी ने सीना फुला कर बताया, ‘‘फिर मेरी गुमनामी दूर हो जाएगी. नाम रोशन हो जाएगा मेरा. यह भी हो सकता है कि मेरे नाम के चर्चे विधानसभा में होने लगें,’’ करेला ऊपर से नीमचढ़ा बनने के लिए प्रार्थी ने कोई कोरकसर नहीं छोड़ी.

‘‘विधानसभा तक में?’’

‘‘हां, सर, इस में इतनी हैरानी की क्या बात है?’’ आश्चर्य में डूबे साहब को प्रार्थी ने स्पष्टीकरण दिया, ‘‘विधानसभा में निलंबित कर्मचारियों के बारे में क्या प्रश्न नहीं पूछे जाते?’’

प्रार्थी की दूरदर्शिता से अभिभूत साहब जाने किन खयालों में खोने लगे.

थोड़ी देर के बाद मौन भंग करते हुए कर्मचारी साहब से फिर मुखातिब हुआ, ‘‘तो सर, कब सौंप रहे हैं मुझे आर्डर?’’

‘‘आर्डर…कैसा आर्डर?’’ तंद्रा भंग होते ही साहब के मुंह से खुदबखुद निकल गया.

‘‘निलंबन वाला.’’

‘‘देखो भाई, अपना जो दुखड़ा तुम रोना हते थे, रो चुके. अब जाओ यहां से,’’ शुरूशुरू में प्रार्थी की बातों में साहब ने बड़े मजे लिए लेकिन जब नागवार गुजरने लगा तो पिंड छुड़ाने के लिए उन्होंने दोटूक जवाब दिया, ‘‘नहीं कर सकता मैं तुम्हें सस्पैंड.’’

‘‘पर क्यों, सर? दूसरों को तो आप ने किया है…फिर मुझे कृतार्थ क्यों नहीं करते? क्या बिगाड़ा है मैं ने आप का?’’ सस्पैंड करने के मामले में प्रार्थी ने साहब पर पक्षपात करने का आरोप लगाया.

‘‘ऐसा है, सस्पैंड होने के लिए कुछ करना पड़ता है. मुफ्त में सस्पैंड नहीं हुआ जाता.’’ ‘कुछ करना पड़ता है’ शब्द पर जोर देते साहब ने नियमों की दुहाई दी.

‘‘इस में मेरा कोई कुसूर नहीं. आप ने मुझे ऐसा कोई काम सौंपा ही नहीं, जिस में मैं अपनी योग्यता दिखाता?’’ प्रार्थी ने सस्पैंड होने में प्रस्तुत कठिनाई के लिए साहब को दोषी ठहराया.

‘‘लेकिन भाई मेरे, कहीं ऐसा न हो कि तुम्हें सस्पैंड करने के चक्कर में मैं सस्पैंड हो जाऊं?’’ साहब ने दुविधा व्यक्त की.

‘‘मैं ने कहा न सर, यह बात आप को तब सोचनी चाहिए थी जब आप ने मुझे सरकारी कामकाज से वंचित किया था. उस समय आप ने यह नहीं सोचा कि सस्पैंड होने की जब मेरी बारी आएगी तब क्या होगा? अब आप ही जानिए…किस तरह करते हैं?’’ प्रार्थी ने साहब को धर्मसंकट में डाल दिया.

माहौल में व्याप्त सन्नाटे को भंग करते हुए प्रार्थी ने निवेदन करना चाहा, ‘‘और एक बात है, सर. बताना भूल गया था.’’

‘‘हांहां, कहो,’’ साहब ने सोचा… बात शायद उन के अनुकूल हो.

‘‘मैं ने तो निष्काम सेवा की है आप की,’’ प्रार्थी अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने की भूमिका बांधने जा ही रहा था कि साहब ने टोक दिया, ‘‘मतलब?’’

‘‘मतलब कामनारहित निस्वार्थ सेवा.’’

‘‘लेकिन तुम ने तो कोई काम किया ही नहीं, फिर कैसी निष्काम सेवा?’’

‘‘बिना काम के की गई सेवा को ही निष्काम सेवा कहते हैं, सर,’’ निष्काम सेवा की अपने अनुरूप परिभाषा गढ़ते हुए प्रार्थी ने पुन: गुजारिश की, ‘‘मैं चाहता हूं, आप इसी सेवा के बदले वरदानस्वरूप मुझे निलंबित कर दें.’’

सेवक की दार्शनिकता और गीतोपदेश को मन ही मन नमन करते हुए साहब ने उसे रुखसत करना चाहा, ‘‘बस, हो गया? अब जाओ भी यहां से.’’

‘‘जाता हूं…एक हफ्ते बाद फिर आऊंगा आप की सेवा में. तब तक सोच कर रखिए,’’ जातेजाते प्रार्थी अपनी आगामी योजना बताता गया.

बहरहाल, चारों खाने चित साहब प्रार्थी के रवाना होते ही दोनों हाथों से अपना सिर थामे आर्तनाद करने लगे, ‘‘रक्षा करो, ऊपर वालों मेरी. वरना जीना हराम कर देगा यह मेरा. और कुछ नहीं, तो हे ऊपर वाले, या तो इस का ट्रांसफर करवा दो या मेरा, लेकिन करवाना हफ्ते भर के अंदर ही.’

तैलीय त्वचा से छुटकारा पाने के प्राकृतिक उपाय

रूखी त्वचा के नुकसानों की तरह ही तैलीय त्वचा से ग्रसित लोगों को भी कई प्रकार की समस्याएं होती हैं. त्वचा से अतिरिक्त तेल निकलने के कारण आपके चेहरे पर मुहांसे की समस्या भी हो सकती हैं. एक्ने (acne) का कारण भी त्वचा से अतिरिक्त तेल का निकलना होता है. तेल का निकलना कम तथा नियंत्रित करने के लिए लोग कई तरह की आइल कंट्रोल क्रीम्स, माइस्चराइजर्स तथा अन्य सौंदर्य उत्पादों का प्रयोग करते हैं. पर आप प्राकृतिक तरीकों का प्रयोग कर त्वचा से तेल को बिना किसी परेशानी और नुकसान के दूर कर सकती हैं.

आइये जानते हैं त्वचा से तेल दूर करने के कुछ खास प्राकृतिक उपाय

सेब के रस एवं नींबू के रस की कुछ बूंदों को आपस में मिलाएं तथा इसे चेहरे पर लगाएं. जब ये मिश्रण सूख जाए तो इसे साफ कर लें. यह उपाय अत्याधिक तेल निकालकर आपकी त्नचा को साफ और निखरी हुई बनाती हैं.

दूध भी अत्याधिक तेल हटाने में आपकी मदद करता है. चेहरे को दूध का इस्तमाल काफी फायदेमंद उपचार है क्योंकि इससे त्वचा का वह तेल भी निकलता है जो कि काफी समय से त्वचा से चिपका हुआ होता है.

आप त्वचा से अत्याधिक तेल हटाने के लिए शहद का भी इस्तेमाल कर सकती हैं. बस त्वचा पर शहद की एक परत लगाएं और सूख जाने पर धो दें.

दही में लैक्टिक एसिड होता है और यह त्वचा को साफ करने का काम करती है. दही त्वचा को प्राकृतिक तरीके से सुखा देती है और इस प्रक्रिया में त्वचा का प्राकृतिक तेल भी नष्ट नहीं होने देती.

बर्फ भी आपको अतिरिक्त तेल से छुटकारा दिला सकती है. यह त्वचा के अंदर तक समाए हुए अतिरिक्त तेल को निकाल देती है. बर्फ के पानी से भी समान रूप से लाभ होता है.

अंडे के सफेद भाग, अंगूर और नींबू का एक मिश्रण बनाएं. इसे अपने चेहरे पर लगाएं और 15 से 20 मिनट तक रखकर धो दें. इससे आपकी त्वचा में एक नयी ताजगी आएगी क्योंकि नींबू में त्वचा की सफाई, अंडे के सफेद भाग में त्वचा को कसने तथा अंगूर में त्वचा को सौम्य रखने के गुण होते हैं और ये सभी मिलकर त्वचा में निखार जगाती हैं.

नारियल के दूध में बहुत से खनिजों का मिश्रण होता है. इसे अपने चेहरे पर लगाएं और कुछ देर के बाद धो दें. नारियल में मौजूद तेल आपकी त्वचा में मौजूद नमी में वृद्धि कर त्वचा से तेल को कम करने का काम करती है.

तैलीय त्वचा के लिए मुल्तानी मिट्टी एक बढ़िया विकल्प है जो त्वचा को निखारने के साथ अतिरिक्त तेल की मात्रा को भी कम करती है. इसके लिए मुल्तानी मिट्टी में पानी मिलाकर चेहरे पर लगाकर सूखने दें. इसके बाद चेहरे को धोकर साफ कर लें.

एक टमाटर काटें और इसका रसभरा भाग अपने चेहरे पर अच्छे से रगडें. इसे अच्छे से अपने चेहरे पर लगा लेने के बाद इसके सूखने तक 15 मिनट प्रतीक्षा करें. इसके बाद पानी से धो लें.

बैग्स का टशन

पार्टी में जाने के लिए मेघना तैयार हो चुकी थी. मेकअप, पार्टी डै्रस, हाई हील की सैंडल, केशसज्जा सभी कुछ अपनी जगह फिट था, लेकिन फिर भी एक कमी थी जो आईने में खल रही थी. क्या रह गया है? सोचसोच कर वह परेशान थी. यह देख उस की सहेली ऋचा ने टोका, हैंडबैग कहां है मैडमजी? हां, फैशन के दौर में बैग को इग्नोर करना नामुमकिन है, क्योंकि यह आप की पर्सनैलिटी को उभारता है. जितना ध्यान एक युवती अपनी पोशाक पर देती है उतना ही अपने बैग पर भी देती है ताकि उस की चमक में कोई कमी न रह जाए.

जहां बैग हमारे फैशन का हिस्सा है वहीं वह हमारी कई जरूरतें भी पूरी करता है. कई बार मजाक में कहा जाता है कि एक युवती अपने बैग में पूरा जहान ले कर चलती है, आप ने फिल्मों में भी ऐसे मजाकिया सीन देखे होंगे जहां हीरोइन का पर्स खाली करते समय उस में से दुनियाभर का सामान निकलता है. खास बात यह है कि युवतियों की अलगअलग जरूरतों के लिए बने हैं ये डिजाइनर्स पर्स, ताकि स्टाइल के साथ उन का काम भी आसान हो जाए. जब औफिस जाना हो तो बड़ा बैग और किसी पार्टी में जाना हो तो चमकीला छोटा पर्स.

आइए, जानते हैं अलगअलग प्रकार के बैग्स के बारे में और साथ ही यह भी जानेंगे कि किस तरह के बैग आप की पर्सनैलिटी में चारचांद लगाते हैं.

स्लिंग बैग

हलकेफुलके लंबी बैल्ट वाले स्लिंग बैग आकर्षक लगते हैं. युवतियों की यह खास पसंद हैं. सस्तेसुंदर और टिकाऊ स्लिंग बैग 300 से ले कर 1,300 रुपए तक मिल जाते हैं. ऐक्सपर्ट्स मानते हैं कि इस तरह के बैग्स लेने वाली युवतियां प्रैक्टिकल अप्रोच वाली होती हैं. वे एकसाथ बहुत सारी बातों को ले कर ऐक्साइटेड रहती हैं. यही नहीं, उन के शौक और हौबीज की लिस्ट भी बहुत लंबी रहती है.

टोटबैग

ये बड़े साइज के बैग होते हैं. इन के हैंडल भी बड़े होते हैं ताकि इन्हें आसानी से कंधे पर लटकाया जा सके. इन में जगह की कोई कमी नहीं होती. जितना चाहे सामान रखें. ये सूती कपड़े, चमड़े, जूट आदि से बने होते हैं. 125 से ले कर 2,000 रुपए तक में उपलब्ध हो जाते हैं.

द सेशल

ये बैग मुलायम फ्रेम के होते हैं जो स्टाइलिश लगते हैं. इन में अधिक सामान रखा जा सकता है जिस से आप को काफी आसानी होती है. जैसे मेकअप की जरूरी चीजें, मोबाइल आदि. ये 500 से 3,000 रुपए तक मिल जाते हैं. यानी इस में आप को सस्ते से ले कर महंगे दोनों तरह की वैराइटी आसानी से मिल जाएंगी.

होबो

शौपिंग पर जाने के लिए होबो काफी अच्छे हैं. इन में अधिक जगह होने से सामान रखने में दिक्कत नहीं होती. होबो को जब ले कर चलें तब आप का पहनावा कैजुअल हो. होबो की कीमत 300 से ले कर 3,000 रुपए तक हो सकती है. जिन युवतियों को होबो भाता है वे आर्ट लवर होती हैं. इन के दिमाग में नित नए आइडिया आते हैं. साथ ही ये परफैक्शन को पसंद करने वाली भी होती हैं.

क्लच

यदि आप क्लासी फैशन परस्त हैं तो क्लच एक स्टाइलिश पसंद होगी. क्लच आप के परिधान में चारचांद लगा देता है. इस में आप अपनी रोजमर्रा की छोटीमोटी चीजों को रख सकती हैं. यह दिखने में बहुत ही कूल सा लुक देता है. क्लच का अच्छाखासा कलैक्शन 200 से ले कर 2,000 रुपए तक में मिलता है. हाल ही में कुछ नए फैशनेबल बैग बाजार में आए हैं, जैसे क्विल्टेड बैग जो रजाई जैसे बुने दिखते हैं, स्टडेड बैग जिन में मेटल के बीड्स जड़े होते हैं और फ्रिंजेस बैग्स आदि. नौकरीपेशा युवतियां अपने लिए स्टाइलिश लैपटौप बैग्स भी ले सकती हैं, हालांकि इन की कीमत थोड़ी अधिक होती है, 6,500 से ले कर 10,000 रुपए तक.

स्वास्थ्य पर असर

बैग का वजन आप के वजन के 10 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए. यदि आप बैकपैक लेती हैं तो उसे दोनों कंधों पर लटकाना आप के हित में है और यदि आप उसे एक कंधे पर लटकाना पसंद करती हैं तो उस की लंबाई कमर तक होनी चाहिए. वरना कंघों पर भार पड़ने से आप के लिए प्रौब्लम खड़ी हो सकती है.बैग को शरीर के एक तरफ लटकाने से कंधे, कमर और यहां तक कि सिर में भी दर्द की समस्या हो सकती है. डा. एरिक्सन बताती हैं कि कंधे की मांसपेशियों पर जोर पड़ने से सिरदर्द की शिकायत हो सकती है.इसी तरह, पतले स्ट्रैप वाले बैग, खास कर मैटल स्ट्रैप वाले, कंधे के दर्द को और बढ़ा सकते हैं. इसीलिए चौड़ी बैल्ट वाले बैग लें, जिन में वजन बराबरी से बंट जाता है. इन बातों को ध्यान में रख कर अगर आप बैग खरीदेंगी तो आप के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा.

समय का पाबंद बनें और सुव्यवस्थित रहें

जौब चाहे छोटी हो या बड़ी, चुनौतियों का सामना तो करना ही पड़ता है, क्योंकि हर औफिस का काम का तरीका अलग होता है, जिस को समझने व उस के साथ सामंजस्य बैठाने में नए कर्मचारी को काफी मेहनत व समझदारी से काम लेना पड़ता है. जरा सी चूक नौकरी के लिए खतरा बन जाती है, साथ ही कर्मचारी को आर्थिक परेशानियों में भी डाल देती है.

जौब हर व्यक्ति के लिए ऐसे अनुभव की तरह है, जिसे वह हमेशा याद रखता है. एक फ्रैशर का फर्स्ट जौब में चुनौतियों से सामना होना आम बात है, क्योंकि औफिस कल्चर से वह पहली बार मुखातिब होता  है. काम के दौरान अकसर विपरीत परिस्थितियों से गुजरना पड़ताहै. आप यदि परेशानी से बचना चाहते हैं और औफिस में अपनी अलग पहचान बनाना चाहते हैं, तो आप को कुछ सुझावों पर अमल करना होगा :

समय के पाबंद बनें

समय पर औफिस पहुंचें. जौब  में तरक्की पाने के लिए समय का पाबंद होना बहुत जरूरी है. औफिस समय से 10 मिनट पहले पहुंचें. इस से आप हड़बड़ी से बच सकेंगे और अपनी मेज, कंप्यूटर व जरूरी फाइलें ठीक से देख कर अपना काम सुचारु ढंग से कर सकेंगे. आप का समय पर औफिस पहुंचना आप की तरक्की के द्वार खोलेगा.

सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएं

सकारात्मक सोच के साथ जौब की शुरुआत करें. यह आप को ऊर्जावान के साथसाथ प्रगतिशील भी बनाती है. याद रखें, कोई भी कार्य संपन्न करने के लिए व्यक्ति को सकारात्मक दृष्टिकोण रखना चाहिए. सकारात्मक सोच हमेशा व्यक्ति को उत्साहित करती है और टीमभावना को बढ़ावा भी देती है.

मालिनी श्रीवास्तव एक पब्लिकेशन हाउस में मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं. मालिनी को उन की व्यवहारकुशलता व सकारात्मक सोच ने समय से पहले पदोन्नति दिलाई. वे किसी भी कठिन से कठिन काम को अपनी सकारात्मक सोच से आसानी से कर लेती हैं.

सुव्यवस्थित रहें

यदि आप निरंतर तरक्की का मार्ग प्रशस्त करना चाहते हैं तो इस के लिए आप को अपना काम सुव्यवस्थित तरीके से करना होगा. अपने काम को प्राथमिकता दें. बौस से प्रतिदिन मिलने का प्रयास करें तथा नएनए विषयों पर विचारविमर्श करें. काम की सूची अवश्य बनाएं. प्रमुख कार्यों को पहले करें. सूचीबद्ध तरीके से काम करना आसान होता है.

निरीक्षण करें

हर औफिस व कंपनी की अपनी एक खास कार्यप्रणाली होती है. आप पहले जहां काम करते थे, वहां की और वर्तमान औफिस की कार्यशैली में काफी अंतर दिखेगा. इसलिए वर्तमान औफिस के क्रियाकलापों और नियमकायदों का गहराई से निरीक्षण करें. औफिस मीटिंग्स पर खास ध्यान दें. उन में कार्यक्षमता व कार्यकुशलता बढ़ाने के सुझाव अवश्य दें.

बौस मीटिंग में क्या कह रहा है, उस पर ध्यान दें. सहकर्मियों के साथ वार्त्तालाप कैसा होना चाहिए, इस पर मनन करें. कंपनी की उन्नति के साथसाथ अपनी उन्नति के कार्यकलापों में भी विशेष रुचि दिखाएं.

हिचकिचाएं नहीं

औफिस में कुछ ऐसे काम भी करने पड़ते हैं, जिन की आप को पूरी तरह से जानकारी नहीं होती. इस स्थिति में अपने सहकर्मियों व सहयोगियों से जानकारी लें. जानकारी लेने में हिचकिचाएं नहीं. याद रखें, सहकर्मियों से छोटीछोटी जानकारियां लेना जिज्ञासा को जगाता है व काम में निपुणता लाता है .

अच्छा आचरण रखें

आप का आचरण आप की कमियों व अच्छाइयों को उजागर करता है. आप की चालढाल और बौडी लैंग्वेज से आप के स्वभाव का पता चल जाता है. धीरगंभीर चाल और चेहरे पर मुसकराहट आप को नए माहौल में ढालने में मददगार हो सकती है. आप की बौडी लैंग्वेज व आचरण ऐसा होना चाहिए कि सहकर्मी आप के साथ असहज महसूस न करें.

उदास और थके चेहरे का दूसरे व्यक्ति पर गलत प्र्रभाव पड़ता है. आप के चेहरे पर हर पल उत्साह और ऊर्जा झलकनी चाहिए. खुद को हमेशा ऐक्टिव रखें. अच्छा आचरण जहां आप को व्यवहारकुशल बनाता है, वहीं आप की तरक्की में काम भी आता है.

आत्मविश्वास

कोई भी कार्य संपन्न करने के लिए आत्मविश्वासी होना जरूरी है. यदि आप में आत्मविश्वास नहीं है तो फिर आप किसी भी काम को आसानी से नहीं कर सकते. इसलिए खुद में आत्मविश्वास जगाएं. ‘हां, मुझ में है दम’ इसी विश्वास के साथ अपने काम की शुरुआत करें.

माहौल समझें

औफिस में आजकल काफी राजनीति होती है. एकदूसरे से लड़ाईझगड़ा चलता रहता है. ऐसे माहौल में आप अपने काम पर खास ध्यान देने के साथसाथ अपने अगलबगल भी पैनी निगाह रखें. कौन आप का विश्वासपात्र है और कौन नहीं, इस पर विशेष ध्यान दें, क्योंकि कुछ कलीग्स आप के साथ राजनीति कर सकते हैं. आप ऐसे लोगों से बच कर रहें, जो काम करने के बजाय अपने व्यर्थ के काम करते हों. ऐसे में अपने को नौर्मल रखें, बहस में पड़ने के बजाय काम से मतलब रखें.

उपर्युक्त सुझावों को ध्यान में रखने  पर आप की जौब अच्छी तो चलेगी ही, साथ ही आप तरक्की की सीढि़यां भी चढ़ते जाएंगे.

इस अभिनेता के प्यार में घर छोड़कर भागने वाली थीं करीना कपूर

बौलीवुड एक्ट्रेस करीना कपूर खान इंडस्ट्री की एक सफल एक्ट्रेस मानी जाती हैं. करीना ने अपने करियर में कई हिट फिल्में दी हैं. अब करीना कपूर जल्द ही फिल्म ‘वीरे दी वेडिंग’ में नजर आएंगी. इन दिनों करीना कपूर के कुछ पिक्चर्स सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. आपको करीना की फिल्म ‘जब वी मेट’ तो याद ही होगी. इस फिल्म में करीना ने एक ऐसी लड़की का किरदार निभाया था जिसका घर से भागकर शादी करने का सपना था.

लेकिन क्या आप जानते हैं रियल लाइफ में भी करीना कुछ ऐसी ही थीं. करीना कपूर और सैफ अली खान की लव स्टोरी से तो हम सब अच्छी तरह वाकिफ हैं. दरअसल, करीना कपूर खान के घरवालों को यह रिश्ता मंजूर नहीं था और उन्होंने कई बार करीना को समझाने की कोशिश भी की कि वे सैफ से शादी के लिये जिद ना करें. लेकिन सैफ के प्यार में पूरी तरह से डूब चुकी करीना पर किसी भी बात का कोई असर नहीं हुआ.

जिसके बाद उन्होंने घर से भागने का मन बना लिया. उन्होंने अपने घरवालों से साफ साफ कह दिया था कि वो सैफ के अलावा किसी से शादी नहीं करेंगी. अगर वो उनकी शादी करवाएंगे तो ठीक नहीं तो वह घर से भाग जाएंगी. आपको बता दें कि शादी से पहले करीना और सैफ लिव इन रिलेशन में भी रह चुके हैं.

करीना कपूर का नाम सैफ अली खान से पहले शाहिद कपूर के साथ जोड़ा गया था. लेकिन इन दोनों का रिश्ता ज्यादा दिनों तक नहीं चला. वैसे तो करीना कपूर का नाम विवादों में कभी नहीं रहा, लेकिन वो अपने बिंदास अंदाज और बेबाक बयानों की वजह से अक्सर सुर्खियां बटोरतीं रही हैं. हालांकि, इन दिनों करीना कपूर खान से ज्यादा उनका बेटा तैमूर अली खान चर्चा में है.

इस वहज से बन गईं अमिताभ और राजेश खन्ना के बीच दूरियां

बौलीवुड में आए दिन किसी ना किसी के रिश्ते की खटास या उनके आपसी विवाद के बारे में अक्सर सुनने को मिलता ही रहता है. लेकिन क्या आपको पता है एक वक्त ऐसा भी था जब आनंद जैसी सुपरहिट फिल्म में काम कर चुके राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन के बीच दूरियां आ गई थी. बात 1973 की है जब हृषिकेश मुखर्जी की फिल्म ‘नमक हराम’ में राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन की जोड़ी को आखिरी बार बड़े पर्दे पर देखा गया था. इससे पहले ये दोनों फिल्म ‘आनंद’ में एक साथ काम कर चुके थे.

फिल्म ‘नमक हराम’ के बाद एक तरफ राजेश खन्ना अपना स्टारडम खोने लगे, तो वहीं इंडस्ट्री को अमिताभ बच्चन के रूप में एक नया सुपरस्टार मिल गया. फिल्म ‘नमक हराम’ की शूटिंग के दौरान ही राजेश खन्ना अमिताभ बच्चन के सामने खुद को असुरक्षित महसूस करने लगे थे. दरअसल हृषिकेश मुखर्जी ने फिल्म ‘नमक हराम’ के क्लाइमेक्स सीन को सभी से छिपाया हुआ था. राजेश खन्ना के कई बार पूछने के बाद भी मुखर्जी इस बात का खुलासा नहीं करते हैं. लेकिन राजेश खन्ना भी क्लाइमेक्स जाने बिना शांत कहां बैठने वाले थे.

उन्होंने किसी भी तरह इस फिल्म का क्लाइमेक्स पता लगाया. जब काका को फिल्म के क्लाइमेक्स के बारे में पता चला तो उनके होश उड़ गए. क्लाइमेक्स के मुताबिक फिल्म के अंत में अमिताभ बच्चन की मौत हो जाती है. राजेश खन्ना इस बात को बखूबी जानते थे कि जब कोई एक्टर मरता है तो लोगों के दिल में उसके प्रति हमदर्दी पैदा हो जाती है और फिल्म का असली हीरो उसे ही मान लिया जाता है.

लिहाजा राजेश खन्ना ने हृषिकेश मुखर्जी पर सीन में अमिताभ के बदले खुद की मौत का दबाब बनाया. खन्ना उस समय सुपरस्टार थे और उनकी बातों को कोई भी डायरेक्टर आसानी से मना नहीं कर सकता था. जब इस बात की जानकारी बिग बी को चली तो वो राजेश खन्ना और हृषिकेश मुखर्जी से खफा हो गए. अमिताभ ने मुखर्जी को खन्ना के खिलाफ भड़काना शुरू किया और फिल्म में कुछ बदलाव करा लिए. इस बात की जानकारी राजेश खन्ना को भी नहीं दी गई.

फिल्म के अंत में राजेश खन्ना की मौत हो जाती है लेकिन इसके बाद अमिताभ उनकी मौत का बदला लेते हैं. फिल्म रिलीज होने के बाद दर्शकों ने अमिताभ बच्चन की एक्टिंग की जमकर तारीफ की. राजेश खन्ना के होते हुए फिल्म का क्रेडिट कोई और ले गया ये बात राजेश खन्ना को नागवार गुजरी. उन्होंने तय कर लिया कि आज के बाद वो कभी भी अमिताभ बच्चन के साथ काम नहीं करेंगे.

डांडिया नाइट के लिए ड्रेस भी हो लाइट

अब यह गुजरे जमाने की बात हो गई जब डांडिया और गरबा नाइट के लिए स्पेशल लहंगा और खास जयपुरी साड़ी खरीदी जाती थी. वक्त के साथ ट्रेंड बदलने लगा है. इस बार ट्रडिशनल ड्रेसेज की बजाए अलग-अलग तरह के फ्यूजन वाली ड्रेसेस जैसे गाउन, स्कर्ट टौप, मैक्सी ड्रेस ट्रेंड में है. और वैसे भी अगर आप कपड़े ही संभालते रहेंगी तो डांस कब करेंगी. इसलिए डांडिया नाइट पर जमकर डांस करने के लिए लड़कियां हेवी ड्रेसेज की बजाय लाइट और ट्रेंडी कपड़ों को तरजीह दे रही हैं.

कट शोल्डर ब्लाउज का फ्यूजन

डांडिया करने के लिए कई दिनों पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं. लेकिन भारी-भारी लहंगे पहनकर गरबा ठीक से किया नहीं जाता.

अब लहंगे की जगह डांडिया में पहनने के लिए एक से बढ़कर एक ड्रेस के औप्शन भी मौजूद हैं. अब तो ब्लाउज भी इतने स्टाइलिश आने लगे हैं कि उनसे ही पूरी ड्रेस का लुक बदल जाता है. डांडिया नाइट पर आप कट शोल्डर ब्लाउज के साथ साड़ी पहन अपना लुक बदल सकती हैं. इससे आपको डांस करने में तो आराम रहेगा ही साथ ही आपका लुक भी बाकी लोगों से काफी अलग होगा.

क्रौप टौप और स्कर्ट का फैशन

सिर्फ साड़ी या चनिया चोली ही क्यूं आप क्रौप टौप और स्कर्ट में डांडिया नाइट में अपना जलवा बिखेर सकती हैं. प्रायः डांडिया नाइट में लड़कियां घागरा ही पहनती थी लेकिन घाघरा बहुत हेवी होता है और डांस करने में दिक्कत होती है. इसलिए क्रौप टौप और स्कर्ट एक बढ़िया औप्शन है. आप इसके साथ लाइट मेकअप और हल्की जूलरी कैरी करें.

साड़ी में कर सकती हैं एक्सपेरिमेंट

आप साड़ी को इंडो-वेस्टर्न स्टाइल में पहनकर डांडिया खेल सकती हैं. आप साड़ी को कुछ इस तरह ड्रेप करें कि यह साड़ी की जगह एक अलग तरह की ड्रेस लगे. इस ड्रेस को पहनकर आप बहुत अच्छे से डांस भी कर पाएंगी.

बच्चों में तेजी से फैलता है रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन

रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन (Respiratory infection) श्वासनली में होने वाला संक्रमण है जो किसी भी व्यक्ति को हो सकता है. खास तौर पर यह बच्चों को प्रभावित करता है. सर्दी, जुकाम और नजले के रूप में यह बेहद ही गंभीर समस्या है जो नाक, गला और श्वसन मार्ग पर प्रभाव डालता है.

लक्षण

इसके सामान्य लक्षणों में खांसी, नाक का बहना, गले में जलन और खुजलाहट आम है. इसके अलावा चिड़चिड़ाहट, गले में खुजली, बंद नाक, खांसी, नाक बहना आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं.

बच्चों में रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन के कारण

श्वसन मार्ग के निचले हिस्से में रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन का प्रमख कारण वायरल इफेक्ट है जो नाक और गले में दिखाई देता है. छोटे बच्चों में यह प्रभाव फेंफडों, श्वास नली और श्वसन मार्ग में दिखाई देता है. एसके अन्य कारण इस प्रकार है-

आसपास के वातावरण द्वारा

बच्चों में रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन को बढ़ावा देने में विभिन्न प्रकार के जिवाणु अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. जिन बच्चों में बहती नाक जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं यह रोग उन बच्चों को आसानी से अपने कब्जे में ले लेता है.

अगर कोई व्यक्ति खासी, जुकाम आदि से ग्रसित है तो जब वह खांसता या छींकता है तो यह वायरस द्वारा अन्य लोगों में भी फैल जाता है. यह बच्चों को जल्दी और आसानी से अपनी चपेट में ले लेता है.

साफ सफाई का ध्यान न रखना पर

साफ सफाई का उचित ध्यान न रखना भी इन्फेक्शन का एक प्रमुख कारण है. अगर बच्चा ज्यादा छोटा है तो उसके डायपर और कपड़ों पर खास ध्यान देना चाहिए. कई बार यूरिन आदि की ठीक तरह से सफाई न होने की वजह से भी यह परेशानी आती है.

बारिश में भीगने से

बच्चों को बारिश में खेलना और भीगना पसंद होता है और न चाहते हुए भी कई बार आप उन्हें को भीगने से नहीं रोक पातीं. ऐसे में अगर बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत नहीं है तो इन्फेक्शन की समस्या जल्द ही उसे अपना शिकार बना लेती है.

बचाव के उपाय

रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन से बचने के लिए साफ सफाई पर ध्यान देना बेहत जरूरी है. अपने आस पास और अपनी चीजो खासकर कपड़े, रुमाल आदि को साफ रखें.

तुलसी और शहद दोनों ही औषधिय रूप से शरीर पर असर करते हैं. जहां तुलसी में संक्रमण को कम करने का गुण पाया जाता है वहीँ शहद प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूती प्रदान करने में सहायक है. रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन के बचाव के लिए तुलसी के पत्तों का रस निकालकर शहद के साथ सेवन करना फायदेमंद होता है.

रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन से गले में खिचखिच या खुजली का अहसास होना आम परेशानी है. इसके लिए नमक मिले गुनगुने पानी से गरारा करने पर आराम मिलता है.

अगर रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन की समस्या बहुत गंभीर रूप ले चुकी हो तो वेक्सिन द्वारा इसका इलाज किया जाना चाहिए, जिससे रोगी को जल्दी राहत मिल सके.

इस तरह बचाएं टैक्स और फायदे में रहें

टैक्स बचाने के चक्कर में लोग न जानें क्या क्या करते हैं. कई लोग तो इसके लिए गैर कानूनी काम  भी कर जाते हैं. लेकिन कई ऐसे भी रास्ते हैं जिनका इस्तेमाल कर कानून के दायरे में भी रहकर टैक्स बचाया जा सकता है और भविष्य में इसका फायदा भी निश्चित रूप से होगा. दरअसल ये कुछ ऐसे प्लान हैं जिनमें निवेश करने पर टैक्स की छूट तो मिलती ही है साथ में अच्छा खासा रिटर्न भी मिल जाता है.

आज हम आपको कुछ स्कीम के बारें में बताने जा रहें हैं जो आपके टैक्स को बचाने के साथ साथ आपको कई फायदें दिला सकतीं हैं.

कर्मचारी भविष्य निधि ( ईपीएफ)

यह वेतनभोगी कर्मचारियों की लिए फंड है जिसे उन्हें भविष्य के लिए या रिटायरमेंट के बाद दिया जाता है. यह पैसा उनकी ही सैलरी से काट कर जमा किया जाता है. इसकी खास बात यह है कि ईपीएफ पर ब्याज हर साल तय किया जाता है. 2016-17 में ब्याज दर 8.65 फीसदी है.  

पीपीएफ

यह योजना पोस्ट औफिसों की ओर से चलाई जाती है. इस में जमा रकम को 15 साल के बाद ही निकाला जा सकता है. इस योजना के तहत कम से कम 500 रुपए और अधिकम 1.5 लाख रुपया जमा कर सकते हैं. इस स्कीम का फायदा यह है कि इसमें भी ब्याज रिटर्न के साथ ही मिलता है साथ ही टैक्स बचाने में भी लाभ मिलता है. पीपीएफ के निवेशकों को अभी 7.8 फीसदी ब्याज मिल रहा है. इसके तहत 80 सी के तहत आयकर में छूट मिलती है. इसके साथ ही इसमें कमाए ब्याज पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है.

फिक्स्ड डिपौजिट

एफडी में निवेश को आज कल सबसे सुरक्षित तरीका माना जाता है. इसकी खास बात यह है कि इसमें निश्चित अंतराल पर रिटर्न मिलता है और बाजार का भी असर नहीं पड़ता है. इस योजना में बैंकों की रिटर्न ब्याज दरें अलग अलग हैं. इसमें 80 सी के तहत जितनी भी एफडी उपलब्ध हैं उनमें सबसे कम लौक इन अवधि तीन साल है.

राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस)

यह स्कीम रिटायर होने के बाद पेंशन देने की योजना की तहत शुरू की गई थी. इस योजना में अगर आप 24 साल की उम्र में 2 हजार रुपए हर महीने जमा करते हैं तो 12 फीसदी रिटर्न के हिसाब से 1 करोड़ 22 लाख रुपए रिटायर होने तक जमा कर सकते हैं और इन 35 सालों में आपको सिर्फ 8.40 लाख रुपए ही जमा करने पड़े. इतना ही नहीं आप 60 फीसदी रुपया एकमुश्त भी निकाल सकते हैं. 

नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (एनएससी) 

यह बचत योजना भारत सरकार की है. इसे डाक घरों से लिया जाता है. इसमें निवेश करने पर टैक्स की धारा 80 सी के तहत छूट मिलती है. इसे एफडी से भी ज्यादा सुरक्षित निवेश माना जाता है. एनएससी में ब्याज प्रिंसिपल के साथ मैच्युरिटी पर भी मिलता है. एनएससी पर ब्याज 8 प्रतिशत फीसदी सालाना वह भी चक्रवृद्धि ब्याज के साथ मिलता है. इसमें टीडीएस भी तहत ब्याज राशि पर नहीं काटा जाता है. 

चलिये वौटर फौल्स के सुहाने सफर पर

बात अगर वौटर फौल्स की करें तो अपना देश भी किसी से कम नहीं है, क्योंकि हमारे यहां भी एक से बढ़कर एक वौटर फौल्स मौजूद हैं, जिन्हें आप एक बार देखना जरूर चाहेंगी.   

आज हम आपको बेहतरीन वौटर फौल्स के बारें में बताएंगे और हम तो कहेंगे की यहां जाकर अपनी छुट्टियों का आनंद उठाएं.

चित्रकोट वाटरफौल, छत्तीसगढ़

भारत के छत्तीसगढ़ में स्थित है जलप्रपात चित्रकोट, इसकी ऊंचाई 90 फुट है. जगदलपुर से लगभग 39 किमी दूर इन्द्रावती नदी पर यह जलप्रपात बना है. अगर पर्यटन विशेषज्ञों की मानें तो वे इस प्रपात को आनंद और आतंक दोनों का मिश्रण कहते हैं. जब ऊपर से गर्जन करती हुई इन्द्रावती नदी की तेज धारा गिरती है तो इसका भव्‍य मनोहारी दृश्य उत्‍साह से भर कर मंत्रमुग्‍ध कर देता है. यह बस्तर क्षेत्र का भी प्रमुख जलप्रपात माना जाता है. जगदलपुर के पास होने के कारण यह एक मशहूर पिकनिक स्पाट भी बन चुका है. इस फौल का मुंह घोड़े की नाल जैसा है इसी कारण इसे भारत का निआग्रा फौल भी कहा जाता है.

होगेनक्कल वाटरफौल तमिलनाडु

इसी तरह तमिलनाडु के धर्मपुरी में मौजूद होगेनक्कल वाटरफौल को दक्षिण भारत का नियाग्रा फौल कहा जाता है. होगेनक्कल वाटरफौल कई छोटे छोटे प्रपातों का समह है. इसके आसपास में मौजूद खूबसूरत पहाड़ भी इसके सौंदर्य में चार चांद लगाते हैं. इसकी ऊंचाई करीब 20 मीटर है. कावेरी नदी पर बने इस प्रपात का प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों अपनी ओर आकर्षित करता है.

राजदरी और देवदार वाटरफाल उत्‍तर प्रदेश

उत्‍तर प्रदेश की चंद्र प्रभा वन्‍यजीव अभ्‍यारण्‍य में स्थित राजधारी और देवदारी  दो खूबसूरत जल प्रपात हैं. इनमें से, राजधारी करीब 65 मीटर ऊंचाई से गिरता है जो इस सेंचुरी का सर्वाधिक ऊंचाई से गिरने वाला प्रपात कहा जाता है. यह एक सीढ़ीदार प्रपात है और चारों तरफ से हरे भरे जंगलों से घिरा हुआ है. वहीं देवदारी राजधारी से 500 मीटर नीचे की ओर स्थित है. आजकल के मौसम में यह स्‍थान पर्यटकों को खासा आकर्षित करता है.

जौग वाटरफाल कर्नाटक

कर्नाटक के सागर में स्थित जौग वाटरफौल न सिर्फ भारत के बल्कि दुनिया के खूबसूरत वाटरफौल्स में शामिल है. करीब 253 मीटर ऊंचा ये जलप्रपात शरावती नदी पर बना है. यह भारत का दूसरा सबसे ऊंचा जलप्रपात है. कर्नाटक के शिमोगा और उत्तर कन्नड़ जिले के बौर्डर पर स्थित इस प्रपात को गरसोपा फौल के नाम से भी पहचाना जाता है. दुनियाभर से पर्यटक इस प्रपात का आनंद लेने भारत आते हैं.

दूधसागर फौल्‍स

गोवा और कर्नाटक दो राज्यों की सीमा पर स्थित है यह दूधसागर फौल्स. यहां से निकलने वाली मंडोवी नदी पर ये प्रपात स्थित है. पणजी से लगभग 60 किमी की दूरी पर बने दूधसागर झरने की ऊंचाई 310 मीटर और चौड़ाई लगभग 30 मीटर है. मानसून के दौरान घूमने के लिए ये शानदार पर्यटन स्‍थल है. दूधसागर प्रपात को “मिल्क औफ सी’ के नाम से भी जाना जाता है. यहां कि एक खास बात यह है की दूधसागर में एक रेल स्टौप है जो एक स्टेशन नहीं हैं जहा यात्रियों को प्लेटफार्म की उम्मीद हो बल्‍कि यात्रियों और पर्यटकों को एक खड़ी सीढ़ी पर चढ़ाई कर रेल के डिब्बे तक पहुंचना पड़ता है.

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