फालतू खर्चों को कम कर आप बचा सकती हैं पैसे

क्या आप भी घर में हो रहे फालतू खर्चों से परेशान हैं, तो आइये हम आपको बताते हैं कि घर में हो रहे फालतू खर्चों को कैसे करें कंट्रोल. एक अनुमान के मुताबिक हर महीने खाने की जो चीजें आप खरीदते हैं उसका 30 फीसदी आप बर्बाद कर देती हैं. इससे केवल आपका खाना ही बर्बाद नहीं होता बल्कि उस पर लगाए पैसे भी बर्बाद हो जाते हैं. लेकिन चिंता की कोई बात नहीं, क्योंकि इस बर्बादी से बचना कोई रौकेट साइंस नहीं. आप चाहें तो अपनी कुछ आदतों में बदलाव करके आप इस समस्या से निजात पा सकती हैं.

आइए जानते हैं खाना बर्बाद होने से बचाने के 7 टिप्स, जो खाने के साथ-साथ बचाएंगे आपके पैसे भी.

जब आप खाना बनाने की शुरुआत करती हैं तो उससे पहले ही मेन्यू प्लान करें, यानी लंच और डिनर से पहले ही सोच लें कि क्या और कितनी मात्रा में बनाना है. कोशिश करें कि उतना ही खाना बनाएं जितना एक दिन में खप जाए.

आपको हमेशा लगता होगा कि खाना बनाने का सारा सामान एक साथ खरीद लेने से आप जब चाहें आसानी से कुछ भी बना सकेंगी, यानि सामान जमा करके, रोज-रोज सामान लाने की झंझट से आपको छुटकारा मिल जाएगा. लेकिन इस चक्कर में आप ढेर सारा सामान खरीद लेती हैं जोकि गलत है. इसलिए आपको हमेशा कम मात्रा में सामान खरीदना चाहिए. बिना वजह फ्रिज और अलमारी में सामान का ढेर लगाने का कोई मतलब नहीं है.

ग्रौसरी शौपिंग से पहले सामान की लिस्ट तैयार करें. इससे आपको खरीदारी के समय ये पता होगा कि आपको क्या खरीदना हैं और क्या नहीं. ऐसा न करने से आप कई बार वो सामान भूल जाती हैं जिसके लिए आप गई होती हैं और वो उठा लाती हैं जिसकी फिलहाल आपको जरूरत भी नहीं.

शौपिंग स्टोर की डिलिवरी सर्विस का फायदा उठाएं. हो सकता है कि आपको हर दूसरे-चौथे दिन खरीदारी करने जाने में आलस आता हो, इस चक्कर में आप एक हफ्ते का सामान एक साथ ले आती हैं. लेकिन ऐसा करने की बजाए अगर आप डिलिवरी सर्विस से रोज का रोज सामान मंगवाएंगी तो पैसे भी बचेंगे और हफ्ते के अंत में खाने की बर्बादी भी नहीं होगी.

ड्राई फूड यानी सूखे खाने के सामानों को ढंग से रखने का तरीका सीखें. जैसे आटा, दाल और चावल जैसे सूखे अन्न को हमेशा एयर टाइट डिब्बे में ही रखे जिससे ये खराब न हों. कई बार इसी लापरवाही के चलते ये खराब हो जाते हैं और आपको इन्हें फेंकना पड़ता है.

एक बात हमेशा ध्यान रखें कि जितने भी फ्रेश फूड हों यानी फल, सब्जी, मीट और दूध इन्हें हमेशा फ्रिज में रखे, बाहर रखने से ये तो बर्बाद होंगे ही साथ ही आपके पैसे भी.

कुछ ऐसे खाने के सामान होते हैं जो महीनों चलते हैं बस जरूरत है उसे सही तरीके से स्टोर करने की. हम बात कर रहे हैं टोमैटो केचअप, मक्खन, मिल्क मेड आदि जिन्हें आप फ्रिज में रखकर लंबे समय तक चला सकती हैं.

ऐसे पाएं दोमुंहे बालों से छुटकारा

खूबसूरत बालों की चाह हर युवती की होती है क्योंकि बाल सुंदरता में चार चांद जो लगा देते हैं. लेकिन जब हम बालों की अच्छे से केयर करना या फिर गलत प्रोडक्ट्स यूज करना शुरू कर देते हैं तो दोमुंहे बालों की समस्या खड़ी हो जाती है, जिस से धीरे धीरे बाल कमजोर होने लगते हैं. अगर आप भी दोमुंहे बालों की समस्या से जूझ रही हैं तो अब नो टेंशन क्योंकि हम आप को ऐसे उपाय बताएंगे जो बालों को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे, साथ ही आप के बाल बहुत कम समय में फिर से स्वस्थ हो जाएंगे.

दोमुंहे बाल क्या हैं

जब बालों में मौइश्चर की कमी हो जाती है तो वे 2 हिस्सों में बंट जाते हैं, जिस से बाल अस्वस्थ, रफ और घुंघराले घुंघराले से लगने लगते हैं और इस के कारण कई बार बाल बहुत धीरे धीरे भी बढ़ते हैं. आप को बता दें कि ये सिर्फ बालों के ऐंड्स से ही नहीं बल्कि कहीं से भी हो सकते हैं, जिस का समय रहते उपचार नहीं किया जाता तो ये बढ़ते ही हैं.

दोमुंहे बालों का कारण

अमूमन हेयर ड्रायर के ज्यादा इस्तेमाल से बालों का मौइश्चर खत्म होने लगता है, जिस से बाल ड्राई हो जाते हैं और यही उन के दोमुंहे बनने का कारण बनता है. इस के अलावा अधिक कैमिकलयुक्त प्रोडक्ट्स जैसे कलर्स, रिबौंडिंग क्रीम्स आदि का इस्तेमाल करने से भी बाल धीरे धीरे कमजोर होने के साथ साथ रफ भी होने लगते हैं, जो दोमुंहे बालों की समस्या पैदा करते हैं. कभी कभी बालों को बहुत जल्दी सौफ्ट करने के चक्कर में हम हार्ड शैंपू कंडीशनर आदि का यूज करते हैं, जिस से बालों में ड्राईनैस आ जाती है और बाल दोमुंहे हो जाते हैं.

बालों की प्रौपर केयर जैसे औयलिंग व रैगुलर ट्रिमिंग न करवाने की वजह से भी यह समस्या पैदा होती है.

यहां तक कि जब हम मौसम में आए बदलाव के अनुरूप अपने बालों की केयर नहीं करते तो दोमुंहे बालों के शिकार हो जाते हैं. अकसर हम सर्दियां शुरू होते ही बालों को गरम पानी से धोना शुरू कर देते हैं जिस से नमी खत्म होने से बाल दोमुंहे हो जाते हैं.

अकसर युवतियां अपने एक हेयर स्टाइल को देख देख कर ऊब जाती हैं जिस से न्यू लुक के लिए आए दिन न्यू हेयर स्टाइल ट्राई करती रहती हैं, जिस में बालों को ज्यादा मोड़ने व खींचने की वजह से यह समस्या सामने आती है. हेयर स्प्रे और जैल का ज्यादा इस्तेमाल करने से भी यह समस्या होती है.

बालों को ठीक से पोषण नहीं मिलना व जैनेटिक कारण भी दोमुंहे बालों के लिए जिम्मेदार है. आप को बता दें कि जब हम स्विमिंग के दौरान क्लोरीनयुक्त पानी के संपर्क में रहते हैं तो उस से न सिर्फ बालों के कलर पर प्रभाव पड़ता है, बल्कि बाल दोमुंहे भी होते हैं.

कैसे करें बचाव

जब आप चाह कर भी अपने बालों को दोमुंहा होने से नहीं बचा पाती हैं तो परेशान हो उठती हैं. ऐसे में हम आप को बताते हैं कि कैसे करें बचाव जिस से बालों की खूबसूरती हमेशा बरकरार रहे. इस के लिए सनस्क्रीन लोशन को केयोकार्पिन तेल के साथ मिक्स कर के बालों की जड़ों में लगाने से दोमुंहे बालों की समस्या से छुटकारा मिलता है.

इस के अलावा ऐसे शैंपू और कंडीशनर यूज करें जो कैमिकल युक्त न हों. साथ ही फैशनेबल दिखने के चक्कर में ऐसी हेयर ऐक्सैसरीज यूज करने से बचें, जिन से बाल ज्यादा खिंचते हों क्योंकि इन से बालों के खराब होने का डर बना रहता है.

रोजाना बालों में ब्लो ड्रायर और स्ट्रेटनर यूज करने की आदत को भी छोड़ें. जितना हो सके नैचुरल हेयर प्रोडक्ट्स बालों में यूज करें. इस से बालों का मौइश्चर बना रहता है. कोशिश करें माइक्रो फाइबर टॉवेल का ही इस्तेमाल करें और पौष्टिक डाइट लेने के साथ साथ रोज 8-9 गिलास पानी जरूर पीएं.

दोमुंहे बालों से छुटकारा पाने के घरेलू नुसखे

दो अंडों को संतरे के रस और केले के साथ मिला कर उस का पेस्ट बनाएं और उसे हेयर मास्क की तरह बालों में अप्लाई करें और लगाने के 30 मिनट के बाद उसे धो लें. इसी तरह आप अंडे के पेस्ट में एक चम्मच पानी मिला कर उसे शैंपू की तरह भी यूज कर सकती हैं. इस से बालों की ड्राईनैस, डलनैस और दोमुंहे बालों की समस्या दूर होगी.

इसी तरह आप पके हुए पपीते में आधा कप दही मिला कर उस का पेस्ट तैयार करें और फिर बालों में लगा कर आधा घंटे के लिए छोड़ दें. इस से आप के बाल चमकदार होने के साथ साथ दोमुंहे बालों की समस्या से भी छुटकारा पाएंगे. इस के अलावा आप आधा कप दूध में एक चम्मच क्रीम मिला कर पेस्ट तैयार करें और फिर उस पेस्ट को 15 मिनट के लिए बालों में लगा कर छोड़ दें. इस के बाद आप बालों को अच्छे से वाश कर लें. फिर देखिए बालों में शाइनिंग आने के साथ साथ अन्य समस्याएं भी कैसे दूर होती हैं.

आप 1 चम्मच शहद में थोड़ा सा दही मिला कर बालों की जड़ों में लगा कर उसे 20 मिनट के लिए छोड़ दें और फिर बालों को अच्छे से धो लें. इस से न सिर्फ दो मुंहे बालों से राहत मिलेगी बल्कि बालों में सौफ्टनैस भी आएगी.

दोमुंहे बालों की देखभाल कैसे करें

– बालों को जितना हो सके धूल मिट्टी व तेज धूप से बचाएं. इस के लिए हफ्ते में 2 बार शैंपू करना न भूलें.

– सौफ्ट बालों के लिए आप हेयर वॉश के बाद 10 मिनट के लिए बालों में हाईडै्रटिंग मास्क लगा लें. इस से बाकी के बालों में भी दोमुंहे बालों की समस्या दूर होती है.

– अगर आप के पास पार्लर जाने का टाइम नहीं है तो आप घर में ही दोमुंहे बालों से छुटकारा पा सकती हैं. इस के अलावा आप बालों के छोटे छोटे सैक्शन ले कर उन को रस्सी की तरह गोल कर लें और जो बाल उभर कर आएं उन्हें किनारों से काट लें

– बालों में मौइश्चर खत्म न हो इस के लिए दही, शहद में केयोकार्पिन की कुछ बूंदें मिला कर बालों में लगाने से भी दोमुंहे बाल नहीं होते.

प्रिसिला, हेयर एक्सपर्ट

मैं ‘मेल कैरेक्टर’ भी कर सकती हूं : रितु शिवपुरी

फिल्म आंखेंसे अपने अभिनय करियर की शुरुआत करने वाली रितु शिवपुरी अब टीवी शो इस प्यार को क्या नाम दूंमें एक्टिंग कर रही हैं. वह कहती हैं एक्टिंग मेरे खून में है. मैं खुद को स्टार नहीं बल्कि आर्टिस्ट समझती हूं. यह मेरे माता पिता से सीखने को मिला है. मेरे माता पिता सुधा और ओम शिवपुरी ने मुझे यही सिखाया था. जब सीरियल में मुझे निगेटिव रोल औफर हुआ तो मुझे लगा कि पता नही दर्शकों की क्या प्रतिक्रिया होगी. सीरियल देखने के बाद लोगों ने मेरे रोल को जिस तरह से सराहा उससे मुझे बहुत खशी हुई. अगर रोल अच्छा हो तो मैं मेल कैरेक्टर भी कर सकती हूं. अभी भी मुझे आइटम डांस के भी औफर आ रहे हैं’.

स्टार प्लस के सीरियल इस प्यार को क्या नाम दूं में इन्द्राणी की भूमिका निभाने वाली रितु शिवपुरी कहती हैं यह सीरियल उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद शहर पर बना है. इसमें शादीशुदा कपल पर फोकस किया गया है. इसमें लव और हेट दोनों देखने को मिलेगा. इन्द्राणी के रूप में मुझे मेरा कैरेक्टर बहुत षडयंत्र वाला सस्पेंस से भरा दिखाया गया है. इस कैरेक्टर में जीवन के कई रंग दिखाये गये हैं. मैं सौतेली मां का किरदार निभा रही हूं. इसमें एक्टिंग के कई रंग दिखाने का अवसर मिला’.

बड़े पर्दे से छोटे पर्दे के सफर पर रितु शिवपुरी कहती हैं फिल्मों में पहले जो रोल लिखे जाते थे उनमें हीरोइन के लिये बहुत कम अवसर मिलते थे. सीरियल फिल्मों के मुकाबले ज्यादा महिला प्रधान बनते हैं. ऐसे में मुझे यहां काम करने में ज्यादा एक्टिंग दिखाने का अवसर मिल रहा है. वैसे अभी मैं अच्छी भूमिका वाली फिल्में भी कर रही हूं. पुनीत इस्सर के साथ मेरी फिल्म ही मैनआने वाली है. मैं रोल के लिये कभी इधर से उधर नहीं भागती. मैंने अपने दायरे में रहकर काम करना सीखा है. जो लोग मुझे टैलेंटड समझते हैं वह मुझे अच्छे रोल देते हैं’.

शादी के बाद दोबारा एक्टिंग के बारे में रितु शिवपुरी ने कहा शादी के बाद परिवार को समय दिया. मेरे दो जुडुवा बच्चे हैं. अब वह 10 साल के हो चुके हैं. अब वह खुद अपने को संभाल सकते हैं. तब मैंने दोबारा से एक्टिंग में कदम रखा है. मेरे लिये परिवार पहला प्यार है. रितु को ज्वेलरी और इंटीरियर डिजाइन का भी शौक है. वह कहती हैं कुछ समय मैंने ज्वेलरी डिजाइन किया. ज्वेलरी बिजनेस में जिस तरह की चतुराई की जरूरत होती है वह मुझमें नहीं थी इसलिये मैंने उसे छोड दिया. मैं इंटीरियर डिजाइन भी करती हूं. मेरे घर में सोफा से लेकर टेबिल तक मेरा अपना डिजाइन किया हुआ है’.

रितु शिवपुरी को साड़ी का सबसे अधिक शौक है. वह कहती हैं मैंने अपनी शादी में सबसे अधिक साड़ी की ही खरीददारी की थी. उनमें लखनवी चिकनकारी और जरदोजी की साड़ियां सबसे अधिक थी’.

अपनी फिटनेस के विषय में रितु शिवपुरी कहती हैं मैं खाने की बहुत शौकीन हूं. मैं शुरू से ही दिन में कई कई बार खाना खाती थी. उस समय मेरे पापा कहते थे कि एक बार खाया करो. मैं दिन भर खाती थी. अब तो डाइटीशियन भी कहती है कि हर दो घंटे में खाना खाना चाहिये. इस वजह मेरी फिटनेस बनी रहती है’.

सलमान और जैकलीन इस फिल्म में साथ आएंगे नजर

बौलीवुड के एक्टर सलमान खान यूं तो फिलहाल अपनी आने वाली फिल्म ‘टाइगर जिंदा है’ की शूटिंग में बिजी हैं लेकिन कुछ वक्त पहले ही खबर आई थी कि रेस फिल्म के सीक्वल के लिए उनका नाम फाइनल किया गया है. इस फिल्म में उनके साथ उनकी फेवरेट को-स्टार जैकलीन फर्नांडीज नजर आएंगी. बता दें कि इस फिल्म की शूटिंग इसी साल अक्टूबर में शुरू होगी और फिल्म के सेट पर काम शुरू हो गया.

खबरों के अनुसार इस फिल्म को रमेश तौरानी प्रोड्यूस कर रहे हैं. वहीं फिल्म के लिए अभी तक सलमान खान और जैकलीन फर्नांडिस का नाम कनफर्म हो गया है. लेकिन फिल्म की बाकी स्टार कास्ट के लिए अभी तक किसी के नाम को लौक नहीं किया गया है.

बता दें कि इस फिल्म को रेमो डिसूजा डायरेक्ट कर रहे हैं. इस फिल्म की शूटिंग इंटरनेशनल लोकेशन्स पर की जाएगी और फिल्म मेकर्स शूट की लोकेशन और डेट्स पर काम कर रहे हैं. हालांकि इस फिल्म की कहानी एक नई तरीके से शुरू होगी और इसका इस फिल्म के पिछले 2 पार्ट्स से कोई संबंध नहीं होगा. साथ ही फिल्म के पुराने टाइटल ट्रेक पर नए तरीके से काम किया जाएगा.

बता दें कि इस फिल्म को अगले साल जून में ईद पर रिलीज किया जाएगा.

जमाना है प्लस साइज कपड़ों का

वह जमाना गया जब लोग प्लस साइज के पुरुष या महिला को अलग नजरों से देखते थे. उन्हें पहनने के लिए ढंग के कपडे़ नहीं मिलते थे. अपनी इस कदकाठी के लिए शर्म महसूस करते थे. अपने मोटापे को कम करने के लिए वे जिम और डाइट का सहारा लेते थे. आजकल 10 में से 1 महिला प्लस साइज की दिखती है. यह आज की जीवनशैली और खानपान का असर है. आज अधिकतर महिलाएं घरेलू खाने से अधिक जंक फूड खाती हैं, जिसकी वजह से कम उम्र में ही वे प्लस साइज की हो जाती हैं. ऐसे में उन्हें सही आउटफिट की तलाश हमेशा रहती है. प्लस साइज के तहर तरह के फैशनेबल और सैक्सी कपड़े आजकल बाजार में भी आसानी से उपलब्ध हैं. डिजाइनर्स नित नए डिजाइन के प्लस साइज कपड़े बाजार में उतार रहे हैं.

कपड़ों का सही चयन

प्लस साइज महिलाओं के लिए कपड़ों का सही चयन करना बहुत जरूरी है ताकि वे सुंदर दिखें. इस बारे में जूनारोज डिजाइन ऐक्सपर्ट प्राची बताती हैं कि प्लस साइज होने में कोई बुराई नहीं है. सही ड्रैस उन्हें अच्छा लुक दे सकती है. अत: कपड़े खरीदते वक्त प्लस साइज महिलाओं को निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए:

आप फ्लोरल प्रिंट और प्लेन किसी भी रंग के वस्त्र आसानी से पहन सकती हैं, लेकिन सही फैब्रिक और रंग का चयन करना जरूरी है. कपड़े पहनने में आरामदायक, सही शेप के और टिकाऊ हों.

नैचुरल फैब्रिक, सिल्क, सौफ्ट कौटन, लिनेन, नायलोन, लायक्रा आदि ज्यादा अच्छे होते हैं.

हमेशा ए शेप कपड़े खरीदने की कोशिश करें. इन्हें पहनकर आप स्मार्ट लग सकती हैं. इसके अलावा ट्यूनिक विद लैगिंग, टौप विद जींस भी आपको अच्छा लुक दे सकता है.

लेयरिंग वाली पोशाक भी प्लस साइज महिलाओं पर खूब फबती है. इस में लेस, किनारों पर बारीक ऐंब्रौयडरी काफी अच्छी लगती है.

वर्टीकल धारी वाले कपड़े प्लस साइज महिलाओं के लिए सही होते हैं, इनमें वे स्लिम और अधिक हाइट वाली दिखती हैं.

डार्क कलर और छोटे प्रिंट वाले कपड़े ज्यादा पहनें.

पैंट खरीदनी हो तो डैनिम, रेयन, कौटन आदि चयन करें.

देश हो या विदेश आजकल प्लस साइज कपड़ों की मांग लगातार बढ़ रही है. अब चुनौती डिजाइनर्स के लिए है कि कैसे वे अलग अलग रंगों और डिजाइनों में प्लस साइज कपड़े उतारें. लैक्मे फैशन वीक के लिए करीब 330 प्लस साइज मौडल्स रैंप पर उतरे, जिनमें 17 मौडल्स का चयन किया गया. इस अवसर पर डिजाइनर वैंडील रोड्रिक कहते हैं, ‘‘हर महिला को सुंदर दिखने का अधिकार है. यही वजह है कि मैं महिलाओं के लिए अधिक कपड़े बनाता हूं, क्योंकि वे कपड़ों को सही तरीके से कैरी करती हैं और मुझे यह पसंद है. हर देश की अपनी अलग परंपराएं और संस्कृति है. उसी के आधार पर कपड़े डिजाइन करता हूं. इस के लिए मैं हर शहर और देश में घूमता रहता हूं. प्लस साइज अभी पौपुलर नहीं हुआ, बल्कि पहले से ही था, लेकिन इसके मार्केट का विकास नहीं हुआ था, जो अब होने लगा है.’’

जब करें पार्टी वियर का चुनाव

प्लस साइज की महिलाओं को पार्टी वियर का चुनाव करते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए:

सबसे पहले यह देखें कि किस पार्टी या अवसर पर कहां जाना है. उसके हिसाब से परिधान चुनें.

बौडी की नाप के अनुसार कपड़े खरीदें. इसके लिए किसी ऐक्सपर्ट की सलाह लें.

बौडी के किस भाग को छिपाना या किसे हाईलाइट करना है यह देख लें.

स्ट्रैपलैस ड्रैस न खरीदें. वी नैकलाइन और फुलस्लीव कपड़े चुनें. ये आकर्षक बनाते हैं.

सही अंडरगारमैट्स पहनें ताकि कपड़े आप पर सही तरह से फिट हों.

रंग अपने हिसाब से ही चुनें.

ये गलतियां प्लस साइज वाली महिलाएं अकसर करती हैं:

वे अधिकतर डार्क कलर लेती हैं, जिनमें खासकर ब्लैक होता है, जबकि वे किसी भी रंग के यहां तक कि सफेद कपड़े भी पहन सकती हैं. बस कपड़े की शेप उन के बौडी टाइप के अनुसार होनी चाहिए.

लूज कपड़े कभी न पहनें. फिट ड्रैस ही पहनें.

जो भी पहनें आत्मविश्वास के साथ पहनें.

चेहरे पर मुसकान बिखेरना न भूलें.

कभी देखे हैं आपने ऐसे खतरनाक ब्रिज

दुनिया में कई ऐसी जगहें हैं जहां सफर करना खतरे से खाली नहीं है. ऐसे ही यहां कुछ खतरनाक पुल हैं जिनमें से कुछ पहाड़ों के ऊपर बने हैं और कुछ समुद्र के ऊपर. ऐंडवैंचर के शौकीन लोग ऐसी जगहों पर जाना काफी पसंद करते हैं. आइए जानिए ऐसे ही कुछ खरतनाक पुलों के बारे में.

ग्लास बौटम्ड ब्रिज

चीन में बने इस ब्रिज की ऊंचाई और लंबाई दुनिया में सबसे अधिक है. यह पुल 1230 फुट ऊंचा और 984 फुट लंबा है. यह पुल कांच का बना है और इस पर चलना खतरे से खाली नहीं है.

टिटलिस क्लिफ वाक

यह पुल स्विट्जरलैंड में बना है और यह समुद्र तल से करीब 10 हजार फुट की ऊंचाई पर बना है. दो पहाड़ियों का आपस में जोड़ने वाला यह ब्रिज यूरोप का सबसे ऊंचा पुल है. इसकी लंबाई 320 फुट और चौड़ाई 3 फुट है.

कैरिक ए रेडे ब्रिज

नार्थ आयरलैंड में बना यह ब्रिज रस्सियों से बना है और यह जमीन से लगभग 100 फुट की ऊंचाई पर है. दो पहाड़ों को आपस में जोड़ने वाले इस ब्रिज पर चलना खतरे से खाली नहीं है.

कैपिलानो सस्पेंशन ब्रिज

कनाडा में बने इस पुल का निर्माण 1889 में हुआ था और इसे नदी को पार करने के लिए बनाया गया था. इसकी ऊंचाई 230 फुट है और लंबाई 460 फुट है.

जरीन ने बिखेरा हाटनेस का जलवा, बोल्ड अवतार में आईं नजर

बड़े पर्दे पर रिलीज होने वाली फिल्म ‘अक्सर 2’ का ट्रेलर रिलीज हो गया है. यह ट्रेलर सस्पेंस और थ्रिल से भरा हुआ है. फिल्म में जरीन खान और गौतम रोडे लीड रोल में है. गौतम रोडे नेगेटिव शेड्स में दिखेंगे और बैंकर की भूमिक में नजर आएंगे जबकि जरीन खान बेहद ही बोल्ड लुक में नजर आएंगी. क्रिकेटर श्रीसंत भी इस फिल्म में हैं, जो कि एक वकील का किरदार निभा रहे हैं.

अनंत महादेवन के निर्देशन में और नरेंद्र बजाज व चिराग बजाज द्वारा निर्मित यह फिल्म 6 अक्टूबर को रिलीज होगी. इस फिल्म की शूटिंग भारत और मारीशस में की गई है. अक्सर-2 2006 की फिल्म ‘अक्सर’ का सीक्वल है. पहले पार्ट में इमरान के साथ उदिता गोस्वामी थीं. इसके पहले पार्ट के ‘झलक दिखलाजा’,  ‘सोनिए’,  ‘लागी लागी’  जैसे सान्ग्स काफी फेमस हुए थे.

इस हौरर फिल्म से सरस्वती चंद्र फेम टीवी ऐक्टर गौतम रोड बौलीवुड में अपने करियर की दस्तक देने जा रहे हैं. बता दें कि गौतम ने फिल्मों में काम तो किया लेकिन उनको फिल्मों में सफलता नहीं मिली. हालांकि उन्हें टीवी पर उनके प्रदर्शन के लिए काफी पसंद किया जाता है.

सलमान खान के साथ जरीन ने 2010 में ‘वीर’ फिल्म से अपने बौलीवुड करियर की शुरूआत की थी. लेकिन उनकी यह फिल्म फ्लाप रही. जरीन के बारे में कहा गया कि कटरीना कैफ जैसी दिखने की वजह से सलमान ने उन्हें चुना है. फिल्मों में कुछ खासा पहचान ना बना पाने की वजह से जरीन खान ने बोल्डनेस का सहारा लिया. फिल्म ‘हेट स्टोरी 3’ में जरीन बेहद बोल्ड अवतार में दर्शकों के सामने आईं, मगर ये फिल्म भी दर्शकों को लुभा न सकी. जरीन पिछले कुछ समय से अपने हाट अंदाज के लिए सुर्खियों में रहीं हैं. देखना होगा कि इस फिल्म में जरीन अपनी हाटनेस का क्या कमाल दिखाती हैं.

नशा : विनाश की ओर बढ़ते कदम

कैलिफोर्निया में एक एलएसडी प्रेमी को नशे की झोंक में यह सनक सवार हो गई कि  वह पक्षियों की तरह हवा में उड़ सकता है. अपनी सनक को पूरा करने के लिए वह एक बहुमंजिली इमारत की 10वीं मंजिल पर चढ़ा और वहां से कूद कर मौत का शिकार हो गया. होस्टल में रह रहे एक विद्यार्थी को नशे में यह भ्रम हो गया कि वह अपने आकार से दोगुना लंबा हो गया है और उस के पैर 6 फुट लंबे हो गए हैं. उस ने अपनी लंबाई के हिसाब से पास वाली मंजिल पर कूदने के लिए छलांग लगाई और वह 8 मंजिल से नीचे जमीन पर गिर पड़ा. ये 2 उदाहरण मादक द्रव्यों के प्रभाव और उन की विध्वंसता को दर्शाते हैं.

अनुभूतियों और संवेदनाओं का केंद्र मनुष्य का मस्तिष्क है. सुखदुख, कष्टआनंद, सुविधा और अभावों का अनुभव मस्तिष्क को ही होता है तथा मस्तिष्क ही प्रतिकूलताओं को अनुकूलता में बदलने का जोड़तोड़ करता है. कई लोग इन समस्याओं से घबरा कर अपना जीवन ही नष्ट कर लेते हैं.

अधिकांश व्यक्ति जीवन से पलायन करने के लिए अजीब उपाय अपनाते हैं, जैसे शुतुरमुर्ग संकट को देख कर अपना सिर रेत में छिपा लेता है. उसी तरह की पलायनवादी प्रवृत्तियों में मुख्य है, द्रव्यों की शरण में जाना. शराब, गांजा, भांग, चरस, अफीम, ताड़ी आदि नशे वास्तविक जीवन से पलायन करने की इसी मनोवृत्ति के परिचायक हैं. लोग इन का सेवन या तो जीवन की समस्याओं से घबरा कर करते हैं या फिर अपने संगीसाथियों को देख कर इन्हें अपना कर अपना मनोबल चौपट करते हैं. मादक द्रव्यों के प्रभाव से वे अपनी अनुभूतियों, संवेदनाओं तथा भावनाओं के साथसाथ सामान्य समझबूझ और सोचनेविचारने की क्षमता भी खो देते हैं. मादक द्रव्य इतने उत्तेजक होते हैं कि सेवन करने वाले को तत्काल अपने आसपास की दुनिया से काट देते हैं और उसे विक्षिप्त कर देते हैं. ऐसी वस्तु जिस की मांग हमारा मस्तिष्क करता है लेकिन उस से शारीरिक नुकसान हो, तो वह नशा कहलाता है. मानसिक स्थिति को उत्तेजित करने वाले रसायन जो नींद, नशे या भ्रम की हालत में शरीर को ले जाते हैं, वे ड्रग्स कहलाते हैं. नशे को 2 भागों में बांटा जा सकता है.

1. पारंपरिक नशा : इस के अंतर्गत तंबाकू, अफीम, खैनी, सुल्फा और शराब आती हैं.

2. सिंथैटिक ड्रग्स : इस के अंतर्गत स्मैक, हेरोइन, आइस, कोकीन, क्रेक कोकीन, एलएसडी, मारिजुआना, एक्टेक्सी, सिलोसाइविन मशरूम, फेनसिलेडाइन मोमोटिल, पारवनस्पास, कफसिरप आदि मादक दवाएं आती हैं.

मादक दवाओं के गुण और दुष्प्रभाव

मादक दवाएं ट्रंकोलाइजर ऐंटीसाइकोटिक्स, ऐंटीडिप्रेसैंट और साइकोस्टुमुलैंट आदि हैं. इन के अधिक सेवन से मस्तिष्क विकृत हो जाता है और व्यक्ति इन का आदी हो जाता है, जिस से उसे शारीरिक, मानसिक व आर्थिक हानि उठानी पड़ती है.

कोकीन : यह ट्रोपेन एलकालाइड है. इसे सूंघ कर, धूम्रपान कर नशा किया जाता है. यह मानसिक स्थिति को कमजोर करता है. यह हृदय गति तेज कर उच्च रक्तचाप को बढ़ाता है. इस में नशा लेने वाले को आनंद की अनुभूति होती है. इस के 1 ग्राम के 8वें हिस्से की कीमत 4 हजार रुपए है.

मेथामेप्टामाइन : यह साइकोस्टूमेलैंट है, इसे मैथ या आइस भी कहते हैं. इस को धूम्रपान से या इंजैक्ट कर लिया जाता है. इस से शरीर में उत्तेजना उत्पन्न होती है और आनंद का अनुभव होता है. इस को लेने से अवसाद, उच्च रक्तचाप और नपुंसकता होती है.

क्रेक कोकीन : इस से पूरा स्नायुतंत्र प्रभावित होता है और हृदय को नुकसान पहुंचता है. इस के सेवन से हृदयगति बढ़ जाती है और धमनियां सिकुड़ जाती हैं. इस के नशे का आदी व्यक्ति अपराधी प्रवृत्ति का होता है. इस को लेने से अवसाद, अकेलापन और असुरक्षा की भावना उत्पन्न होती है. क्रेक कोकीन के नशे के आदी व्यक्ति को गलतफहमी होती है कि वह बहुत ताकतवर है.

एलएसडी : यह लाइसर्जिक अम्ल से बनती है जो अरगट में पाया जाता है. यह गोलियों के रूप में मिलती है. इस का नशा करने से व्यक्ति का मस्तिष्क अत्यंत क्रियाशील हो जाता है. करीब 30 से 90 मिनट बाद इस का प्रभाव शुरू होता है. इस मादक द्रव्य को लेने से व्यक्ति के भाव तेजी से बदलने लगते हैं. अधिक मात्रा में इस का सेवन करने से व्यक्ति के समक्ष काल्पनिक भ्रम पैदा होता है, जिस से उसे आनंद की अनुभूति होती है. इस का नशा करने वाला नशेड़ी अवसादग्रस्त, वस्तुओं के आकार और रंग में भ्रमित तथा मधुमेह व उच्च रक्तचाप का रोगी हो सकता है. एक बार नशा करने पर करीब 10 से 12 घंटे तक इस का असर रहता है.

हेरोइन : यह मादक पदार्थ मौर्फिन से बनता है. इस का नशा शीघ्र होता है. इस का नशा व्यक्ति के श्वसनतंत्र पर प्रभाव डालता है. इस नशे का सेवन करने वाले को निमोनिया की तीव्र आशंका रहती है. इस के प्रभाव से धमनियों में थक्का जमने लगता है और  फेफड़े, लिवर व किडनी खराब हो जाते हैं.

मारिजुआना : यह टेट्रा हाइड्रो कैनाबिनोलिक एसिड है जो केनिबस पौधे से प्राप्त होता है. यह एक खतरनाक नशा है और प्रतिवर्ष करीब 1 करोड़ लोग इस की चपेट में आ रहे हैं. इसे धूम्रपान के रूप में लिया जाता है. इसे हशीश भी कहते हैं. इस नशे को लेने वाले व्यक्ति की आंखें लाल रहती हैं और नींद बहुत आती है. यह नशा भ्रम उत्पन्न करता है, जिस से व्यक्ति निर्णय नहीं ले पाता और अनावश्यक बातें करता है.

एक्टेसी : इसे एमडीएमए भी  कहते हैं. यह उत्तेजना पैदा करने वाली दवा है. इस से शरीर का तापमान इतना बढ़ जाता है कि शरीर के अंग जैसे किडनी और हृदय काम करना बंद कर सकते हैं. इस के प्रभाव से मांसपेशियों में खिंचाव, उत्तेजना और भ्रम पैदा होता है.

नशे के आदी होने के कारण

मादक द्रव्यों के बढ़ते प्रचलन के लिए आधुनिक सभ्यताओं को भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जिस में व्यक्ति यांत्रिक जीवन व्यतीत करता हुआ भीड़ में इस कदर खो गया है कि उसे अपने परिवार के लोगों का भी ध्यान नहीं रहता. नशा एक अभिशाप है. यह एक ऐसी बुराई है जिस से इंसान का अनमोल जीवन मौत की आगोश में चला जाता है और उस का परिवार बिखर जाता है. व्यक्ति के नशे के आदी होने के कई कारण हो सकते हैं, जिन में से निम्न मुख्य हैं :

मातापिता की अति व्यस्तता बच्चों में अकेलापन भर देती है. प्यार से वंचित होने के कारण वे नशे की दुनिया का रुख कर लेते हैं.

परिवार में कलह का वातावरण व्यक्ति को नशे की ओर ढकेलता है.

मानसिकरूप से परेशान व्यक्ति नशे का आदी हो जाता है. यह मानसिक परेशानी पारिवारिक, आर्थिक तथा सामाजिक भी हो सकती है.

बेरोजगारी भी नशे की ओर उन्मुख होने का एक प्रमुख कारण है. खाली दिमाग शैतान का घर होता है. दिनभर घर में खाली और बेरोजगार बैठे रहने से व्यक्ति हीनभावना का शिकार होता है और इसे दूर करने के लिए वह नशे का सहारा लेता है.

शारीरिक कमजोरी व पढ़ने में कमजोर होने के कारण बच्चे उस कमी को पूरा करने के लिए नशे का सहारा लेने लगते हैं.

जो व्यक्ति तनाव, अवसाद और मानसिक बीमारी से पीडि़त है वह नशे का आदी हो जाता है.

परिवार के व्यक्ति, दोस्त तथा अपने आदर्श व्यक्ति को नशा लेते देख कर युवा नशे का शिकार होते हैं.

कुछ लोग यह सोच कर नशा लेते हैं कि नशा तनाव को दूर करता है.

किसी दूसरे की दवा को खुद पर आजमाने से व्यक्ति नशे का आदी हो जाता है. चोट या दर्द की वजह से डाक्टर दवा लिखता है, जिस से आराम मिलता है. जब भी चोट लगे या दर्द हो, वह दवा बारबार लेने लगता है, जिस से वह नशे का आदी हो जाता है.

पुरानी, दुखद घटनाओं को भूलने के लिए भी लोग नशे का सहारा लेते हैं.

लोग सोचते हैं कि ड्रग्स लेने से वह फिट और तंदुरुस्त रहेंगे, विशेषकर खिलाड़ी किसी कारण मादक द्रव्यों की चपेट में आ जाते हैं.

बच्चों में भेदभाव करने पर वे हीनभावना से ग्रसित हो जाते हैं और विद्रोह स्वरूप नशे की ओर मुड़ जाते हैं.

नशा और अपराध

अपराध ब्यूरो रिकौर्ड के अनुसार छोटेबड़े अपराधों, बलात्कार, हत्या, लूट, डकैती, राहजनी आदि तमाम तरह की वारदातों में नशे के सेवन का मामला लगभग साढ़े 73 फीसदी तक है. अपराधजगत पर गहन नजर रखने वाले मनोविज्ञानी बताते हैं कि अपराध करने के लिए जिस उत्तेजना, मानसिक उद्वेग और दिमागी तनाव की जरूरत होती है उस की पूर्ति नशा करता है, जिस का सेवन मस्तिष्क के लिए एक उत्प्रेरक की तरह काम करता है.

पुनर्वास तथा उपचार

नशे की लत वाले व्यक्ति को विभिन्न स्तरों पर उपचार की जरूरत होती है. इस के लिए कुशल चिकित्सक की देखरेख में उपचार जरूरी है. अधिकांश इलाज नशे के सेवन को बंद करने में मदद करने पर केंद्रित होते हैं, जिस के बाद उन्हें नशे के प्रयोग पर फिर लौटने से रोकने में उन की मदद करने के लिए जीवन प्रशिक्षण सामाजिक समर्थन की आवश्यकता होती है. कुछ तरीके इस प्रकार हैं :

डिटौक्सीफिकेशन : यह उपचार का शुरुआती स्तर है. इस में नशे के परिणामों को कम करने के लिए दूसरी दवाओं का प्रयोग किया जाता है. इस का प्रबंधन बहुत सतर्कता से किया जाना चाहिए. दवा उपचार, अनुकूलन और मनोवैज्ञानिक सहायता के बिना संभव नहीं है. गंभीर नशे के आदी व्यक्ति को लंबे उपचार की जरूरत पड़ती है. इस में रोगी को 24 घंटे चिकित्सक की देखरेख में रखा जाता है. इस में 8 से 12 माह लगातार सामाजिक, पारिवारिक और मानसिक स्तरों पर चिकित्सक उपचार करते हैं. छोटे उपचार में रोगी करीब 3 से 6 सप्ताह तक चिकित्सक की निगरानी में रहता है.

बाह्य रोगी उपचार : यह उपचार रोगी की स्थिति तथा मादक द्रव्य के असर पर निर्भर करता है. यह उपचार ग्रुप या व्यक्तिगत रूप से दिया जाता है. इस में रोगी को आंशिक रूप से अस्पताल में भरती होना पड़ता है.

व्यक्तिगत परामर्श : व्यक्तिगत परामर्श उपचार में रोगी के संपूर्ण इतिहास पर परामर्श दिया जाता है. रोगी की पारिवारिक पृष्ठभूमि, रोजगार, सामाजिक और आर्थिक स्थिति के बारे में गहन अध्ययन पर चिकित्सक उस के योग्य उचित सलाह तथा इलाज का परामर्श देते हैं. परामर्शदाता 12 सप्ताह तक रोगी को नशे से दूर रहने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.

अन्य उपचार जोकि व्यक्ति के नशे के आदी के स्तर पर चिकित्सक द्वारा प्रस्तावित किए जाते हैं, ये हैं-

  1. आचरण या व्यवहारवाद उपचार
  2. मानववादी उपचार.
  3. संज्ञानात्मक व्यवहार उपचार
  4. द्वंद्वात्मक व्यवहार उपचार
  5. मानसंगति उपचार
  6. अर्थपूर्ण उपचार
  7. एकीकृत उपचार
  8. हार्म रिडक्शन ट्रीटमैंट
  9. जानवर आधारित उपचार.

नशा रोकने के उपाय

नशे से लड़ने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पारिवारिक, सामाजिक और सामूहिक संकल्प की आवश्यकता है. सिर्फ सरकार या नशामुक्ति संस्थाएं इस के लिए पर्याप्त नहीं हैं. नशा रोकने में सब से बड़ी समस्या है कि हम सिर्फ जागरूकता पर जोर देते हैं, उस की रोकथाम के प्रयास कम करते हैं. जागरूकता सिर्फ बड़ों को नशे की लत से दूर करती है जबकि रोकथाम बचपन से नशे की लत न लगे, इस के लिए जरूरी है. राष्ट्रीय स्तर पर चेतना जरूरी है. नशे को रोकने के लिए निम्न प्रयासों का क्रियान्वयन किया जाना चाहिए.

  1. सामाजिक स्तर पर नशा रोकथाम कार्यक्रम बनना चाहिए.
  2. नशे का व्यापक फैलाव समाज से संबंधित है, सो, ऐसे समाजों को चिह्मित कर के व्यापक जागरूकता अभियान चलाना चाहिए.
  3. स्वस्थ, सफल और सुरक्षित छात्र कैसे बनें, इस थीम पर सभी विद्यालयों में नशामुक्ति अभियान को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना होगा.
  4. नशा रोकने के लिए कारगर रणनीति राष्ट्रीय स्तर पर क्रियान्वित होनी चाहिए.
  5. राष्ट्रीय युवा नशामुक्ति आंदोलन महाविद्यालयी स्तर पर पाठ्यक्रम में लागू होना चाहिए.
  6. बच्चे नशे से दूर रहें, ऐसे क्षेत्रों में नशा रोकथाम केंद्र होने चाहिए. इस के लिए 3 स्थानों विद्यालय, कालेज और कार्यक्षेत्र पर विशेष ध्यान देना चाहिए.
  7. नशे की रोकथाम वाली संस्थाओं और कानून तथा न्याय संस्थाओं में आपसी समन्वय व सूचनाओं का आदानप्रदान होना चाहिए.
  8. नशे की हालत में गाड़ी चलाने पर रोकथाम के लिए कड़े कानून का प्रावधान होना चाहिए.
  9. मादक दवाओं से जुड़े लोगों पर कठिन दंड का प्रावधान होना चाहिए.
  10. आवासीय उपचार कार्यक्रमों को बढ़ावा मिलना चाहिए.
  11. विद्यालय तथा परिवार में बच्चों और युवाओं का नशे के संकेत पहचानने वाले कार्यक्रमों का आयोजन एवं प्रशिक्षण देना चाहिए.

नशीले पदार्थों के सेवन से विश्व स्तर पर आपातस्थिति बन गई है. नशे के प्रभाव से न केवल एक जीवन बल्कि संपूर्ण परिवार का विनाश हो जाता है. शस्त्र तथा पैट्रोलियम उद्योग के बाद अवैध मादक द्रव्यों का धंधा विश्व का तीसरा सब से बड़ा उद्योग है. नशे के फैलाव से देशों का आर्थिक विकास पिछड़ रहा है और समाज में आपराधिक प्रवृत्तियां पनप रही हैं.    

भयावह आंकडे़

ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे औफ इंडिया की रिपोर्ट काफी चौंकाने वाली है. युवा किस तरह से नशे का शिकार हो रहा है इस की बानगी इन आंकड़ों से स्पष्ट झलकती है :

भारत में तंबाकू व मादक द्रव्य का सेवन करने वालों में खैनी का प्रयोग सब से ज्यादा किया जाता है. करीब 13 फीसदी लोग इस का सेवन करते हैं.

2009-10 के ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे के मुताबिक भारत में तब 12 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन कर रहे थे.

तंबाकू से होने वाली बीमारियों के इलाज पर 2011 में भारत में 1,04,500 करोड़ रुपए खर्च हुए.

  1. एक सिगरेट आप की जिंदगी के 9 मिनट पी जाती है.
  2. तंबाकू की एक पीक आप की जिंदगी के 3 मिनट कम कर देती है.
  3. हर 7 सैकंड में तंबाकू और अन्य मादक द्रव्यों से एक मौत होती है.
  4. भारत में हर साल साढ़े 10 लाख मौतें तंबाकू के सेवन से होती हैं.
  5. 90 फीसदी  फेफड़े का कैंसर, 50 फीसदी ब्रोंकाइटस एवं 25 फीसदी घातक हृदय रोगों का कारण धूम्रपान है.

राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय दिवस

  1. 31 मई को अंतर्राष्ट्रीय तंबाकू निषेध दिवस.
  2. 26 जून को अंतर्राष्ट्रीय नशा निवारण दिवस.
  3. 2 से 8 अक्तूबर तक मद्यपान निषेध सप्ताह.
  4. 18 दिसंबर को मद्यनिषेध दिवस. 

आखिर क्यों कपिल के सेट से सेलेब्स को लौटना पड़ रहा है खाली हाथ

कौमेडियन कपिल शर्मा की परेशानियां हैं जो दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है, खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है. एक तरफ उनकी तबीयत ठीक होने का नाम नहीं ले रही जबकि दूसरी ओर बार-बार वे न चाहते हुए भी बौलीवुड स्टार्स को नाराज कर देते है. कपिल के सेट से खबरें आ रही हैं कि शो के मेहमानों को एक बार फिर लौटना पड़ा है. दरअसल, फिल्म ‘बादशाहो’ की टीम वक्त पर सेट पर पहुंच चुकी थी लेकिन कपिल शर्मा गायब थे.

हाल ही में कपिल शर्मा के शो में अपनी फिल्म का प्रमोशन करने पहुंचे फिल्म ‘बादशाहो’ के सितारे अजय देवगन, ईशा गुप्ता, इमरान हाशमी और इलियाना डिक्रूज को काफी देर तक कपिल का इंतजार करना पड़ा. जब कपिल काफी देर तक नहीं आए तो सभी सितारों को खाली हाथ लौटना पड़ गया. हालांकि, इस बारे में सोनी की पीआर टीम ने बताया कि तबीयत बिगड़ने की वजह से कपिल सेट पर नहीं आ सके.

वैसे, यह पहला मौका नहीं है जब कपिल शर्मा के सेट से कोई सेलेब लौटा हो. इसके पहले वे शाहरुख खान, अनुष्का शर्मा, अनिल कपूर, अर्जुन कपूर को बिना शूटिंग घर लौटा चुके हैं. अभी कुछ दिनों पहले ही कपिल ने शाहरुख खान और अनुष्का शर्मा की फिल्म ‘जब हैरी मेट सेजल’, अनिल कपूर की फिल्म ‘मुबारकां’ और ‘गेस्ट इन लंदन’ के साथ शूट किए जाने वाले एपिसोड को अपनी खराब तबीयत के कारण कैंसल कर दिया था. इसके अलावा कपिल ने आदित्य राय कपूर और श्रद्धा कपूर को 5 घंटे इंतजार करवाया था.

जिंदगी को रफ्तार देती स्किल्स

हर जरूरी स्किल क्लासरूम में नहीं सिखाई जाती. कुछ स्किल्स जिंदगी से भी सीखी जाती हैं. इन्हीं स्किल्स से कैरियर की नींव तैयार होती है. अगर आप के पास इन स्किल्स का अभाव है, तो आप की प्रोफैशनल ग्रोथ में परेशानी हो सकती है. आइए जानते हैं इन स्किल्स के बारे में :

निर्णय लेना : हमें हर समय कोई न कोई निर्णय लेना पड़ता है. गलत निर्णय लेने से कैरियर खराब हो सकता है. क्या आप जानते हैं कि अच्छा निर्णय किस तरह से लिया जाए? खुद से 3 सवाल पूछें : क्या इस से आप के कैरियर के लक्ष्य की तरफ कदम बढेंगे? क्या इस से आप की प्रोफाइल मजबूत होगी? क्या इस से आप की ग्रोथ के मौके पैदा होंगे? अब अपने निर्णय की कीमत और इस से कंपनी, टीम व आप को होने वाले फायदों के बारे में विचार करें.

खुद को प्रमोट करना : अगर आप खुद का प्रमोशन नहीं करेंगे, तो इस काम को आप के बदले कोई भी नहीं करेगा. अपने बौस, टीम और कंपनी के सामने खुद को प्रमोट करने के लिए आप को खुद प्रयास करने चाहिए. इस बात को सीखें कि बेहतर सीवी किस तरह से बनाएं. छोटी बातचीत में अपनी खूबियों के बारे में बताना सीखें. आप ने अच्छे काम किए हैं, तो उन के बारे में लोगों को बताने से न चूकें.

बिजनैस को समझना : बिजनैस का लक्ष्य होता है, लाभ कमाना. क्या आप को पता है कि रेवन्यू कहां से आता है? कस्टमर आप की फर्म से क्यों जुड़े हैं? आप की फर्म के बड़े खर्चे क्या हैं? क्या आप कंपनी की कौस्ट कम करने या रेवन्यू बढ़ाने में मदद करते हैं? इन के  जवाब खोजने से खुद का महत्त्व पता लगेगा.

ध्यान से सुनना : प्रोफैशनल की सब से बड़ी गलती होती है कि वे सही तरह से सुनने की कला नहीं जानते. इस से कम्युनिकेशन स्किल्स अधूरी रहती है. सुनने के लिए पूरी तरह उस के शब्दों के चयन, आवाज की टोन और बौडी लैंग्वेज पर गौर करना पड़ता है. स्पीकर के पूरे मैसेज के साथ अनकही बात को भी समझना पड़ता है.

कनैक्शन बनाना :  आप वर्कप्लेस पर लोगों से कट कर नहीं रह सकते. अपनी कोर स्किल्स के बल पर आप हर लक्ष्य हासिल नहीं कर सकते, अगर लोग आप के साथ काम करना पसंद नहीं करते, मदद नहीं करते और वे आप से नहीं जुड़ते तो परेशानी हो सकती है.

समय निकालना : सफल लोग ज्यादा काम करते हैं, इसलिए बड़ी सफलता हासिल करते हैं. आम लोग अपने टारगेट्स पूरा करने के लिए ही ओवरटाइम करते हैं. सफल लोग अपने रूटीन में से समय निकालना जानते हैं. समय को वे सीखने या ज्यादा अनुभव प्राप्त करने में खर्च करते हैं. समय बचाने के लिए दिन के खास काम पहले करें. कठिन कार्य दैनिक रूटीन में शामिल करें. डैडलाइंस सैट करें. मल्टीटास्किंग के चक्कर में काम की क्वालिटी से समझौता न करें. काम के दौरान आने वाली बाधाओं से दूर रहने का प्रयास करें. दिन में एक घंटे का समय सोचने, प्रशिक्षण लेने और खुद के विकास के लिए निकालें. खुद के लिए समय नहीं निकालेंगे तो परेशान रहेंगे.                                       

ऐसे न बनें

गुस्से वाला : भले ही आप समझदार हों, लेकिन यदि बातबात पर गुस्सा करते हैं, तो बात बिगड़ सकती है.

कठिनाई से बचने वाला : भले ही आप काबिल हों, पर समस्या के दौरान यदि भागने की कोशिश करते हैं तो इस से कैरियर में दिक्कत आ सकती है.

ज्यादा काम लेने वाला : क्षमता से ज्यादा जिम्मेदारियां लेने वाला व्यक्ति प्रमोशन के बजाय विफलता को न्योता देता है, इसलिए अपनी क्षमताएं पहचानें.

ज्यादा क्रैडिट लेने वाला : अपनी टीम को क्रैडिट देने के बजाय सारा श्रेय खुद लेने वाले व्यक्ति के बारे में देरसवेर सब को पता लग जाता है. इस से उसे कैरियर में नुकसान होता है.

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