नाक से गाने पर गर्व है : हिमेश रेशमिया

हिमेश रेशमिया ने बतौर म्यूजिक डाइरैक्टर अपने कैरियर की शुरुआत बहुत पहले कर दी थी. लेकिन पहचान उन्हें गाना ‘आशिक बनाया आप ने…’ से मिली. म्यूजिक डाइरैक्शन के बाद हिमेश ने सिंगिंग के साथ ऐक्टिंग में भी हाथ आजमाया, लेकिन वे किशोर कुमार की तरह हरफनमौला नहीं बन सके और जल्द ही समझ गए कि अगर ऐक्टिंग में ज्यादा ध्यान दिया तो कहीं सिंगिंग से भी हाथ न धोने पड़ें.

वह पहली कमाई

जब हिमेश 16 साल के थे तभी से जी टीवी के लिए सीरियल प्रोड्यूस करने लगे थे और उन की पहली कमाई बतौर प्रोड्यूसर हुई थी. फिल्म ‘प्यार किया तो डरना क्या’ के लिए सलमान खान ने उन्हें म्यूजिक बनाने का मौका दिया. फिल्म के गाने सुपरहिट हुए. फिर तो उन्होंने सलमान की 20 से भी ज्यादा फिल्मों में म्यूजिक दिया और लगभग सभी गाने हिट रहे.

इस के बाद तो हिमेश सलमान खान के बड़े प्रशंसक बन गए. आज भी वे सलमान को अपना मैंटर, ट्रेनर, बड़ा भाई मानते हैं. वे कहते हैं कि अगर सलमान भाई ने मौका नहीं दिया होता तो यहां तक कभी नहीं पहुंच सकते थे.

लाइफ में चैलेंज पसंद है

‘‘जो भी चीजें मेरे लिए चैलेंजिंग हों और जो मुझे ज्यादा पुश करें काम करने के लिए, वही मुझे अट्रैक्ट करती हैं. अब मैं रोज एक गाना बनाता हूं. 300 सौंग्स में से 30 सैंपल करता हूं और उन 30 से 6 गाने बनाता हूं. यह मुझे बहुत चैलेंजिंग लगता है. ऐक्टिंग में भी एक अलग तरह का चैलेंज है. जीवन में काफी उतारचढ़ाव देखे हैं. पहले जो लोग मेरे गानों की आलोचना करते थे आज वही तारीफ करते हैं.’’

बचपन याद आता है कभी

‘‘मेरा बचपन आम बच्चों के बचपन की तरह नहीं था. भाई के गुजर जाने के बाद मैं ने अपने पूरे घर की जिम्मेदारी संभाल ली थी. मैं 16 साल की उम्र में काम करने लग गया था. पैसा कमाने और परिवार की जरूरतों को पूरा करतेकरते पता ही नहीं चला कि कब बचपन जवानी में बदल गया. इन्हीं सारी जिम्मेदारियों ने मेरा बचपन खो दिया, लेकिन जब कभी बच्चों के किसी शो का मैंटर बनता हूं या उन के साथ रहने का मौका मिलता है तो लगता है मैं भी अब बच्चा बन गया हूं.’’

अपनी नाक पर गरूर है

लोगों के ‘नाक से गाने वाला’ गायक कहे जाने पर हिमेश कहते हैं, ‘‘कोई चाहे कुछ भी कहे, लेकिन मुझे अपनी नाक पर गर्व है. हालांकि पहले मुझे बुरा लगता था, लेकिन बाद में मेरे गाने हिट होने लगे. मैं अपनी नाक से बेहद खुश हूं. इस की वजह से ही तो मुझे कई अवार्ड्स मिले हैं. अब तो कितने और गायक नाक से गाने लगे हैं. आलोचना हुई लेकिन मैं ने गाने का अंदाज नहीं बदला और उस समय के मेरे सभी गाने हिट भी हुए. मेरे गाने के अलग अंदाज ने मुझे हिट बनाया. अगर मैं किसी की कौपी करता तो सिर्फ एक औरकैस्ट्रा आर्टिस्ट ही बन पाता.’’

दर्शकों की पसंद पर ही ऐक्टर बना

‘तेरा सुरूर’ हिमेश की बतौर अभिनेता 10वीं फिल्म है. कई फिल्में पिटने के बाद भी अभिनय का मोह क्यों नहीं छूट पा रहा है? प्रश्न पर वे कहते हैं, ‘‘एक अभिनेता के रूप में मेरा सफर ठीकठाक रहा है. मैं फिल्म दर फिल्म बेहतर होता जा रहा हूं. अभी तो मेरा कैरियर शुरू हुआ है. धीरेधीरे औडिएंस मुझे भी पसंद करने लगे हैं. आगे भी मेरी फिल्में आती रहेंगी. यह औडिएंस का ही प्यार  है जिस के कारण मुझे फिल्में मिल रही हैं. हां, कुछ फिल्में मेरी जरूर फ्लौप हुई हैं, पर सिर्फ इस वजह से मैं फिल्में बनाना तो नहीं छोड़ सकता.’’

आज ज्यादा मौके हैं

‘‘जब मैं इंडस्ट्री में आया था तो उस समय लोगों के बीच पहुंचने के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़े थे. मगर आज की प्रतिभाओं को रिऐलिटी शोज लोगों के बीच पहुंचाने का मौका दे रहे हैं. लेकिन इस के बाद बच्चों को अपनी ब्रैडिंग खुद करनी होगी वरना भीड़ में खो जाएंगे. मैं नई प्रतिभाओं जो संगीत को अपना साथी बनाना चाहते हैं से कहना चाहता हूं कि गाना गाएं, लेकिन नकल कभी न करें, क्योंकि असली आवाज ही आप की पहचान बनेगी. किसी सिंगर की कौपी कर के आप सिर्फ कुछ समय के लिए सफल हो सकते हैं. संगीत में कैरियर बनाने के लिए अपनी अलग पहचान बनानी ही होगी.’’

दीपिका को सिर्फ मौका दिया था

सुना है दीपिका पादुकोण को फिल्म इंडस्ट्री में लाने का श्रेय आप को दिया जाता है? सवाल पर हिमेश मुसकराते हुए कहते हैं, ‘‘मैं ने तो सिर्फ अपने अलबम ‘मेरा सुरूर’ में ऐक्टिंग का मौका दिया था. लेकिन बौलीवुड में अपनी जगह दीपिका ने खुद बनाई है. आज वे जिस मुकाम पर हैं उस का श्रेय उन्हीं को जाता है. मैं अपने को क्रैडिट कभी नहीं दूंगा.’’

फिटनैस का राज 

‘‘अगर रोज एक ही चेहरा आप के सामने आने लगेगा तो आप उस से बोर हो जाएंगे और देखेंगे नहीं. यही प्रयोग मैं अपने संगीत पर करता हूं और अब लुक पर करने लगा हूं. स्लिम होने और पैक्स बनाने के लिए मैं ने 1 साल लगातार हद से ज्यादा मेहनत की है. अब तो मैं 8 बजे के बाद खाना ही नहीं खाता हूं. 40-50 मिनट वर्कआउट करता हूं. खाने का पूरा शैड्यूल चेंज हो गया है. मीठे और फ्राइड फूड से करीबकरीब तोबा कर ली है. हैवी ब्रेकफास्ट लेता हूं ताकि ऐनर्जी बनी रहे. सच बताऊं तो मैं इस समय एक 16 साल के बच्चे की तरह काम करता हूं. मुझे खुशी है कि मैं ने अपनी बौडी नैचुरल तरीके से बनाई है, बिना कोई सप्लिमैंट लिए.’’

संगीत की वैराइटी बढ़ गई है

पहले और आज के दौर के संगीत की तुलना पर हिमेश कहते हैं, ‘‘आज संगीत की बहुत वैराइटीज हैं. पहले 1 साल में बहुत ही कम गाने बनते थे, जो लोगों के जेहन में हमेशा बने रहते थे. आज एक दिन में कई गाने बनते हैं. सीधा सा मतलब है गानों की सप्लाई बढ़ गई है. पहले के दौर के और आज के संगीत में बहुत अंतर नहीं है. म्यूजिक हर इनसान अपने हिसाब से ही बनाता है. लेकिन अच्छा संगीत हमेशा पसंद किया जाता है और वह चलता भी है. संगीत नहीं बदला है बस साउंड डिजाइनिंग में परिवर्तन आया है.

गर्लफ्रैंड बनी तलाक का कारण

गायक संगीतकार और अभिनेता हिमेश रेशमिया और उन की पत्नी कोमल ने अपने 22 साल के वैवाहिक जीवन को समाप्त करते हुए तलाक ले लिया है. दोनों ने पिछले साल तलाक के लिए आवेदन किया था, जिस पर बांद्रा परिवार विवाद अदालत ने आधिकारिक रूप से तलाक की मंजूरी दे दी. दोनों के इस तरह अलगाव की वजह हिमेश की गर्लफ्रैंड सोनिया बताई जाती है.

ढिंचक पूजा को मिला नया मैंटर 

सोशल मीडिया पर अपनी बेसुरी आवाज से धमाल मचाने वाली ढिंचक पूजा को ले कर हिमेश फिल्म बनाना चाहते हैं. उन्होंने तो फिल्म का नाम भी ‘स्वैग वाला सुरूर’ फाइनल कर लिया है.

लो कैलोरी पाव भाजी

सामग्री

250 ग्राम लौकी छिली व कटी

2 गाजरें

150 ग्राम फूलगोभी

6 फ्रैंचबींस

1/4 कप मटर के हरे दाने

250 ग्राम टमाटर कद्दूकस किया

1 छोटा चम्मच अदरकलहसुन पेस्ट

1/2 कप प्याज बारीक कटा

2 बड़े चम्मच पावभाजी मसाला

2 बड़े चम्मच टोमैटो कैचअप

लालमिर्च स्वादानुसार

2 छोटे चम्मच औलिव औयल

थोड़ी सी धनियापत्ती कटी सजावट के लिए

थोड़ा सा पनीर कटा सजावट के लिए

6 पाव

1 छोटा चम्मच मक्खन

नमक स्वादानुसार

विधि

गाजरों को छील कर मोटे टुकड़ों में व फूलगोभी को भी मोटे टुकड़ों में काट लें. फ्रैंचबींस को भी 1/2 इंच टुकड़ों में काट लें.

अब सभी सब्जियों को 1/2 कप पानी और 1/2 चम्मच नमक के साथ प्रैशरकुकर में पकाएं. 1 सीटी आने के बाद लगभग 7 मिनट धीमी आंच पर और पकाएं.

एक नौनस्टिक कड़ाही में औलिव औयल गरम कर प्याज सौते करें. फिर अदरकलहसुन पेस्ट डालें. 2 मिनट बाद टमाटर और पावभाजी मसाला डाल कर भूनें.

जब मसाला भुन जाए तब इस में उबली सब्जियां डालें व मैशर से मैश करें. अच्छी तरह पकाएं. इस में टोमैटो कैचअप भी मिला दें.

भाजी तैयार हो जाए तो सर्विंग बाउल में निकालें. पनीर के टुकड़ों और धनियापत्ती से सजाएं.

एक नौनस्टिक तवे को मक्खन से चिकना कर उस पर पावभाजी मसाला बुरक तुरंत पाव को बीच से काट कर तवे पर डालें. अच्छी तरह सेंक लें. भाजी के साथ सर्व करें.

व्यंजन सहयोग: नीरा कुमार

आपकी आंखों के लिए हैं ये आसान टिप्स

आंखे हमारे चेहरे का एक खूबसूरत अंग होती है. यह आपके व्यक्तित्व में एक अलग निखार लाने के साथ आपकी खूबसूरती में चार चाँद लगा देती है. आंखों के नीचे काले घेरे, सूजन और झुर्रियां दूर करने के लिए सबसे जरुरी है पर्याप्त नींद, पर्याप्त पानी, संतुलित आहार, अल्ट्रा वायलट किरणों से बचाव और तनावमुक्त  रहना. इसलिए आज हम आपको आंखो कुछ खास टिप्स बताने जा रहे है. जिसका ध्यान रखकर आप अपनी आंखो को पहले से ज्यादा सुन्दर व आकर्षक बना सकती हैं.

आंखों की सेहत के लिए अपने आहार में विटमिन ए जैसे दूध व दूध से बने पदार्थों, मछली, अंडा, पीले फल और हरी सब्जी, गाजर, पालक, आड़ू और पपीते आदि प्रचुर मात्रा में लें.

थकी हुई और लाल आंखों को ताजगी प्रदान करने के लिए खीरे के पतले गोल टुकड़े को आधे घंटे फ्रिज में रख कर ठंडा करें. अब उस टुकड़े को अपनी आंखों पर रखकर बीस मिनट तक आराम करें. फिर गुलाबजल में रुई भिगोकर आंखों पर लगाएं. एक मिनट बाद ठंडे पानी से छीटें मारकर आंखें साफ करें.

आंखों के नीचे काले घेरे हों तो एक कच्चे आलू को कसकर काले घेरों पर लगाएं. आधे घंटे बाद ठंडे पानी से आंखें धोकर मायस्चराइजर लगा लें. हफ्ते में दो बार ऐसा करनें से आप जल्द ही काले घेरो से निजात पा सकेंगी.

आंखों की सूजन दूर करने के लिए एक कप गर्म पानी में एक टी स्पून नमक मिलाएं. इसमें दो छोटे काटन पैड डुबोएं और हल्का नीबू निचोड़कर आंखों पर पैड ठंडा होने तक रखें, फिर ठंडे पानी से आंखें धो लें. रात में सोने से पहले आंखों के नीचे अंडर आई क्रीम या जेल का प्रयोग करें.

धूप में बाहर जाना हो तो सनग्लासेज लगाना न भूलें.

हफ्ते में एक दिन ठंडे पानी में टी बैग को डुबोकर आंखों पर 10-15 मिनट तक रखें.  ऐसा करने से आंखों को बहुत आराम मिलेगा. आप तरोताजा महसूस करेंगी और इससे आंखों में चमक आएगी.

अगर आंखों के आसपास झुर्रियां नजर आने लगी हैं तो कैस्टर आयल, आलिव आयल और पेट्रोलियम जेली को बराबर मात्रा में अच्छी तरह मिलाकर एक जार में रख लें. इसे रोजाना आंखों पर और उसके आसपास लगाकर हल्की मालिश करें इसी के साथ प्रतिदिन सैलेड और हरी सब्जियों में एक टी स्पून वेजटेबल आयल डालकर भी खाएं.

अगर आपकी आंखों में जलन होती हो तो एक टी स्पून उबले पानी में दो टेबल स्पून गुलाबजल मिलाकर आंखो को साफ करें.

अगर आपकी आंखें कमजोर हैं और आप चश्मा लगाती हैं तो काम के हर एक घंटे बाद चश्मा उतार कर आंखें बंद करके पांच मिनट के लिए उन्हें आराम दें.

एक टी स्पून दूध और एक टी स्पून खीरे का रस मिलाकर फ्रिज में ठंडा करें. इसमें रुई भिगोकर आंखों पर दस मिनट के लिए रखें. ठंडे पानी से आंखें धो लें

आंखो का मेकअप

आंखों के मेकअप के लिए एक महत्वपूर्ण बात यह है कि भौहें (आईब्रोज) सही आकार में बनी होनी चाहिए. भौहें सही आकार में और साफ-सुथरी न हों तो आई मेकअप बहुत ख़राब लगता है. जो बाल आकार से बाहर हों, बस उन्हीं फालतू बालों को हटवाएं.

चेहरे पर बेस लगाने के बाद सबसे पहले आंखों का मेकअप किया जाना चाहिए.

आइशैडो से शुरुआत करें. आजकल लाइट शिमरी कलर्स चलन में हैं. पलकों पर पहले अपने कपड़े और त्वचा के रंग से मेल खाता हुआ आइशैडो ब्रश की सहायता से लगाएं. फिर थोड़ा हाइलाइटर आइशैडो में मिलाएं. इसके बाद आइलैशेज को कर्ल करें. वाल्यूमाइजिंग या ट्रांस्पेरेंट मस्कारा के दो कोट लगाएं.

सबसे अंत में आइलाइनर से आंखों को खूबसूरत आकार दें. आंखों का मेकअप करने के बाद अपनी आइब्रोज को कोंब करें. अंत में आइब्रो पेंसिल से उन्हें हल्का गहरा करें.

रात में आंखों का मेकअप उतारना न भूलें.

गर्भवती महिलाओं के लिये ये है अच्छी खबर

प्रेग्नेंसी डिटेक्शन किट कम्पनी प्रेगा न्यूज ने स्पाइसजेट के साथ साझेदारी कर ली है. इस साझेदारी का मकसद महिलाओं को हवाई यात्रा के दौरान अच्छी सुविधायें दिलाना है. इस साझेदारी के तहत गर्भवती महिलाओं के लिए अनेक नई पेशकश की गई हैं, ताकि उनकी यात्रा को सुखद और यादगार बनाया जा सके. इस साझेदारी के तहत स्पाइसजेट के बोइंग 737-800 सीरीज की विमान पर पूरी तरह प्रेगा न्यूज की ब्रांडिंग होगी. इस ब्रांडेड के विमान में गर्भवती महिलाओं को टिकट बुकिंग से लेकर उनकी मंजिल तक पहुंचने के दौरान विशेष सुविधाएं दी जाएंगी और स्पाइसजेट की टीम उनकी देखभाल करने में कोई कसर बाकी नहीं रखेगी.

मैनकाइंड फार्मा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजीव जुनेजा ने कहा प्रेगा न्यूज प्रेगनेंसी किट के मामले में अग्रणी ब्रांड है. हमारा ध्यान इस बात पर है कि मां बनने वाली महिलाओं के जीवन को किस तरह सुखद और आसान बनाया जाए. हम अपने अभियानों के जरिए महिला के जीवन के सबसे सुखद दिनों को यादगार बनाना चाहते हैं.

इस नए पहल के तहत 15 गर्भवती महिलाओं को मैनकाइंड फार्मा की ओर से फ्री टिकट दिए जाएंगे और उन्हें गिफ्ट वाउचर भी प्रदान किए जाएंगे. स्पाइसजेट की टीम पूरी यात्रा के दौरान इन महिलाओं का विशेष ख्याल रखेगी और चेकइन प्वाइंट से लेकर मंजिल पर उतरने के बाद उनके सामान लेने के स्थान तक कदम कदम पर उनकी देखभाल की जाएगी. तेजी से चेकइन के लिए उन्हें स्पाइमैक्स काउंटर पर ले जाया जाएगा शीघ्र बोर्डिग कराई जाएगी और उनकी सीटों को स्पाइमैक्स में अपग्रेड किया जाएगा जहां पैर फैलाने के लिए अधिक स्थान होता है और सीटें भी आरामदायक होती हैं.

कम बजट में इन खूबसूरत जगहों की करें सैर

अगर आप  घूमने फिरने और रोमांच के शौकीन हैं और आपका बजट कम है तो आप इन खूबसूरत जगहों पर जाकर छुट्टियों का आनंद ले सकती हैं.

हमारे देश में बहुत सी खूबसूरत और देखने योग्य जगह हैं जो बहुत ज्यादा सुंदर हैं. कई बार हमारा घूमने का मन करता है पर हमारे पास पैसे न होने के कारण हम घूम नहीं पाते जिससे हमारी सारी खुशियों पर पानी फिर जाता है. ऐसे में हम आज आपको ऐसे खूबसूरत और कम खर्च में घूमने की जगहों के बारे बातएंगे जहा आप जाकर छुट्टियां इन्जौय कर सकती हैं.

कसौली

शिमला के पास का कसौली बेहद आकर्षक स्थान है. कम पैसे में आप यहां पहुंच सकती हैं. बिना ज्यादा पैसे दिए आप यहां की मनमोहक छटा का आनंद उठा सकती हैं. यहां की खास बात ये है की ये शिमला की तरह बिलकुल भी भीड़ वाली जगह नहीं है. इस तरह ऐसे बहुत से स्थान जो देखने में बहुत ज्यादा सुंदर और सुहाने हैं, जिसकी वजह से हमारा मन खुश हो जाता है. इस तरह हमारा ट्रिप भी सफल हो जाता है.

ऋषिकेश

लंदन ब्रिज का मजा अगर आप भारत में ही लेना चाहते हैं तो यहा जरूर जाएं. यहां पर जाने का खर्च मामूली है,  लेकिन इस जगह की छटा आपको विदेशी नजारों का आनंद करवाएंगी. अपने परिवार को लो बजट टूर करवाना चाहते हैं तो इस जगह जरूर आएं.

तवांग

बर्फ और हरियाली से भरपूर ये जगह ट्रिप का मजा दोगुना कर देती है. अरुणाचल प्रदेश में पहाड़ों के बीच में बसी ये जगह आपके लिए स्वर्ग जैसा होगी. अगर आप कम बजट में कहीं घूमने का प्लान बना रहे हैं तो यहां जरूर जाएं.

लैंस डाउन

उत्तराखंड सिर्फ भारत का ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए घूमने का एक बेस्ट प्लेस है. आप भी यहां पर परिवार के साथ जा सकते हैं. ये गढ़वाल में स्थित पहाड़ी इलाका है. यहां का मौसम बहुत ही सुन्दर लगता है. सालभर यहां पर सैलानी दूर दूर से आते हैं.

आगरा

दिल्ली से कुछ सौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित आगरा आपके और आपके परिवार के लिए बहुत ही खूबसूरत जगह होगी. आप कम पैसे में ऐतिहासिक जगह की सैर कर सकते हैं, यहां पर बहुत सी जगहें हैं, जिसे देखकर आप एक यादगार ट्रिप का आनंद ले सकते हैं.

परेशानी से बचाए एजुकेशन लोन

आज के समय में शिक्षा बहुत महंगी हो गई है. ऐसे में एजुकेशन लोन ले कर भी शिक्षा पूरी की जा सकती है. इस से पेरैंटस पर शिक्षा बोझ नहीं बनती और शिक्षा ले रहे बच्चों को भी इस बात का एहसास होता है कि वे मेहनत से पढ़ाई करें क्योंकि उसे पढ़ाई के बाद नौकरी कर के इस को चुकाना होता है.

आमतौर पर मांबाप अपने जीवनभर की कमाई बच्चों की शिक्षा में लगा देते हैं. बुढ़ापे में अगर बच्चे साथ नहीं देते तो वे दोहरी मुसीबत में फंस जाते हैं. एजुकेशन लोन के जरिए इस परेशानी को सरलता से सुलझाया जा सकता है. इस से बच्चों की शिक्षा को ले कर पेरैंटस पर अनावश्यक दबाव नहीं पड़ता है. अब अलगअलग तरह की पढ़ाई के लिए लोन मिलने लगे हैं. बैंक अब आसानी से लोन देने लगे हैं. लोन लेने से पहले जरूरी है कि उस से जुडे़ विषयों को समझ लिया जाए.  

बैंक एजुकेशन लोन देने से पहले उस की वापसी यानी रिपेमैंट सुनिश्चित करता है. आमतौर पर लोन उसे ही दिया जाता है, जो इसे वापस करने की क्षमता रखता है. रिपेमैंट लोन लेने वाले स्टूडैंट के अभिभावक कर सकते हैं या फिर लोन लेने वाला स्वयं पढ़ाई खत्म करने के बाद रिपेमैंट कर सकता है. लोन लेने के लिए गारंटर की जरूरत पड़ती है. गारंटर लोन लेने वाले का अभिभावक या फिर रिश्तेदार हो सकते हैं. बैंक किसी भी कोर्स के लिए होने वाले खर्चों की पूर्ति करने के लिए वित्तीय मदद मुहैया कराता है. एजुकेशन लोन के दायरे में देश और विदेश में पढ़ाए जाने वाले कोर्स शामिल होते हैं. आप चाहें तो किसी के लिए भी बैंक से लोन ले सकते हैं. 

जैसी पढ़ाई वैसा लोन

भारत में 12वीं की स्कूली शिक्षा, ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन, पीएचडी, इंजीनियरिंग, मैडिकल, एग्रीकल्चर, ला, डैंटल, मैनेजमैंट, कंप्यूटर, मान्यताप्राप्त प्रतिष्ठित संस्थानों के कंप्यूटर कोर्स, आईसीडब्लूए, सीए आदि जैसे कोर्सों के लिए एजुकेशन लोन ले सकते हैं. यदि आप विदेश में पढ़ाई करने की चाहत रखते हैं, तो प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी के जौब ओरिएंटेड प्रोफैशनल या टैक्निकल कोर्स, ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन, एमसीए, एमबीए, एमएस आदि के लिए भी एजुकेशन लोन बैंक से हासिल कर सकते हैं.

स्कूल, कालेज और होस्टल की फीस, परीक्षा, लाइब्रेरी और लैबोरेटरी की फीस, किताबें, इंस्ट्रूमैंटस, इक्विपमैंट, यूनिफौर्म खरीदने के लिए, विदेश में पढ़ाई के लिए यात्रा खर्च, रास्ते का खर्च, स्टडी टूर, प्रोजैक्ट वर्क, थीसिस इत्यादि के लिए एजुकेशन लोन मिल जाता है.

जरूरत के हिसाब से लें लोन

जब आप एजुकेशन लोन लेने का मन बना लेते हैं, तो आप पहले से ही यह अंदाजा लगा लें कि आप की जरूरत कितनी है? अलगअलग मद में कितना खर्च होगा? पढ़ने के लिए कहां जाना है? कितना समय लगेगा? इस पर विचार करने के बाद अपना बजट तैयार करें और तय करें कि कितना बोझ आप खुद उठा सकते हैं.

मंदी के कारण आजकल मार्केट की स्थिति बेहतर नहीं है. ऐसे में जान लें कि आप जो लोन लेने जा रहे हैं, उस की रिपेमैंट सही समय पर हो जाए. इसलिए लोन उतना लिया जाए, जितना अदा कर सकें. नौकरी लगने के बाद रिपेमैंट के औप्शन पर विचार करने से पहले सभी विकल्पों और अच्छीबुरी सभी प्रकार की संभावनाओं पर पूरी तरह विचार कर लिया जाना चाहिए.

बेशक बाजार की मांग और आपूर्ति का इस सैक्टर पर नकारात्मक असर नहीं पड़ता, लेकिन फ्लोटिंग रेट का असर जरूर पड़ता है. विशेषकर लंबी अवधि के लोन, फ्लोटिंग रेट से प्रभावित होते हैं.

बैंक अन्य लोन की तरह ही एजुकेशन लोन पर भी ब्याज वसूलता है, लेकिन यह वसूली करने के लिए उस के पास मुख्यरूप से 3 विकल्प हैं. इन में एक आकर्षक जरिया है मोरेटोरियम पीरियड जिसे रिपेमैंट हौलीडे भी कहा जाता है. इस में विकल्प होता है कि लोन लेने वाला इस की रिपेमैंट जिस कोर्स में ऐडमिशन लिया गया है, उस की समाप्ति के बाद कर सकता है. रिपेमैंट मोरेटोरियम कई बैंक कोर्स की समाप्ति के 1 वर्ष बाद या नौकरी लगने के 6 महीने बाद शुरू करने के विकल्प देते हैं. कोर्स के दौरान सिर्फ  ब्याज का भुगतान करना होगा. कोर्स पूरा करने के बाद वास्तविक ईएमआई (मूल व ब्याज) का पेमैंट करना होगा. लोन मिलने के तुरंत बाद ईएमआई का भुगतान कर सकते हैं. इस बारे में कई बैंक ब्याजदर पर डिस्काउंट भी देते हैं.

लोन पर ब्याज का रखें ध्यान

आमतौर पर एजुकेशन लोन पर ब्याज की दर पसर्नल लोन के रेट से कम होती है. कुछ बैंक फिक्स रेट चार्ज करते हैं, तो कुछ फ्लोटिंग रेट पर. इन दोनों में करीब 1 प्रतिशत का अंतर होता है. ऐक्सपर्ट सलाह देते हैं कि एजुकेशन लोन की अवधि 5 से 7 वर्ष की होती है, इसलिए रिपेमैंट के लिए फिक्स रेट का औप्शन बैंक नहीं देते. ऐसे में जरूरत है वास्तविक फिक्स रेट की जानकारी लेने की.

कई बैंक लड़कियों के लिए ब्याज की दर में डिस्काउंट का औप्शन भी देते हैं. इन दिनों कई बैंक एजुकेशन लोन के लिए प्रोसैसिंग फीस चार्ज नहीं करते. जिस बैंक से आप लोन ले रहे हैं और यदि वह आप से प्रोसैसिंग फीस की मांग कर रहा है, तो आप उस बैंक के साथ निगोशिएशन कर सकते हैं. आमतौर पर सभी बैंक उस स्थिति में प्रीपेमैंट फीस चार्ज नहीं करते जब लोन लेने वाला अपने बूते लोन की प्रीपेमैंट करता है. लेकिन लोन की बकाया राशि किसी और बैंक में ट्रांसफर करने की हालत में प्रीपेमैंट फीस वसूल की जाती है.

पहले से करें लोन की तैयारी

एजुकेशन लोन लेने के लिए कुछ औपचारिकताओं को पूरा करना पड़ता है, इस के बिना एजुकेशन लोन मिलना आसान नहीं होता है. कई बार लोन इसलिए नहीं मिलता क्योंकि संबंधित कोर्स यूजीसी द्वारा मान्यताप्राप्त नहीं होते हैं. इसलिए लोन लेने से पहले पूरी तैयारी करनी बेहद जरूरी है.

बैंक, ग्राहकों को लोन लेने में अलगअलग सुविधाएं भी प्रदान करते हैं, जैसे कि कोई बैंक लड़कियों को ब्याजदर में छूट देता है, तो कोई बैंक लोन देने में प्रीपेमैंट चार्ज नहीं लेता है. इस के अलावा, प्रत्येक बैंक की प्रोसैसिंग फीस भी अलगअलग होती है.

आमतौर पर लोन लेने से पहले कुछ प्रमाणपत्रों की जरूरत होती है जैसे ऐडमिशन मिलने का प्रमाणपत्र, स्टडी प्रोग्राम का कास्ट ब्रेकअप, लोन लेने का आवेदनफौर्म, पते, पहचान के प्रमाण, सिगनेचर वैरिफिकेशन यानी आवेदक की जानकारी, गारंटर की इनकम प्रूफ , विदेश जाने के लिए लोन लेने पर यूनिवर्सिटी का लैटर, वीजा डौक्यूमैंट और ट्रैवल पेपर्स, खर्चों की सूची, फोटोग्राफ आदि.

एजुकेशन लोन उन स्टूडैंट को ही दिया जाता है जो आगे की पढ़ाई यानी हायर, टैक्निकल या प्रोफैशनल कोर्स भारत या इस से बाहर करना चाहते हैं. एजुकेशन लोन विभिन्न कैरियर-ओरिएंटेड कोर्सों इंजीनियरिंग, मैनेजमैंट, मैडिकल आदि में प्रवेश लेने वाले स्टूडैंट्स को आसानी से मिल जाता है.

इस के अलावा, ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स करने वाले स्टूडैंट्स को भी एजुकेशन लोन दिया जाता है. वैसे, कोर्स फीस के अतिरिक्त कंप्यूटर, मैडिकल किट आदि के लिए भी लोन दिया जाता है. इस के लिए सब से पहले जिस बैंक से लोन लेना है, वहां का निर्धारित फौर्म भरना

होता है. फौर्म के अलावा, फोटोग्राफ, आईडैंटिटी प्रूफ, रैजिडैंस प्रूफ, इनकम प्रूफ, एजुकेशनल क्वालिफिकेशन से संबंधित सर्टिफिकेट्स, सीनियर सैकंड्री स्कूल की मार्कशीट, एमबीए के लिए पोस्ट ग्रेजुएट या ग्रेजुएशन की मार्कशीट, स्कौलरशिप से संबंधित डौक्यूमैंट्स (यदि कैंडिडेट के पास हैं) आदि की जरूरत होती है. इस के अलावा, ऐडमिशन लैटर और कोर्स की अवधि आदि से संबंधित प्रारूपकी भी जरूरत होती है.

एजुकेशन लोन में सावधानी

स्टूडैंट को चाहिए कि वे लोन से संबंधित जो विवरण और दस्तावेज दे रहे हैं, वे पूरी तरह सही हों और बैंक के दिशानिर्देशों के अनुरूप हों. साथ ही, कोर्स के दौरान कितना खर्च आ सकता है, उस का भी विवरण देना चाहिए. लोन की स्वीकृति बैंक के नियमों के तहत ही दी जाती है. कई बार लोन के दौरान कोर्स और यूनिवर्सिटी को भी ध्यान में रखा जाता है.

साथ ही, पेरैंट्स या कोएप्लिकैंट के फाइनैंशियल स्टेटस पर भी नजर रखी जाती है. 4 लाख रुपए तक के एजुकेशन लोन पर किसी सिक्योरिटी की जरूरत नहीं होती है. लेकिन इस के लिए पेरैंट्स के फाइनैंशियल स्टेटस का अप्रेजल किया जाता है.

यदि 4 लाख रुपए से अधिक लोन लेते हैं, तो लोन के अनुरूप सिक्योरिटी की जरूरत होती है या किसी थर्ड पार्टी को गारंटी लेनी पड़ती है. कोर्स के दौरान पहले साल उपयोग किए गए लोन का सिंपल इंटरैस्ट ही अदा करना होता है. लेकिन कोर्स खत्म होने के बाद रिपेमैंट की प्रक्रिया शुरू होने के 5 वर्षो में पूरा पेमैंट करना होता है.

बरातों में नागिन डांस

शहर की सड़कों पर बरातों का निकलना आम बात है. इन की वजह से सड़क संकरी हो जाती है और सड़कों पर जाम लगने लगता है. यदि बरात चौराहे पर हो तो फिर चारों तरफ के रास्तों पर लंबा जाम लग जाता है. राहगीर हौर्न बजाते रह जाते हैं जबकि लोग नाचने में मगन रहते हैं. मेरे शहर की बरातों का तो क्या कहना, बरातियों का जोश देखते ही बनता है. बरात में नागिन डांस मुख्य आकर्षण का केंद्र रहता है. इस डांस के लिए बरातियों में बड़ा जोश दिखाई देता है. कुछ युवा तो इस डांस के लिए जम कर प्रैक्टिस भी करते हैं.  नागिन डांस करने वाला एक बराती रूमाल का एक छोर मुंह में दबा कर और दूसरा छोर हाथ में पकड़ कर सपेरा बन जाता है और बीन बजाने का अभिनय करता है जबकि दूसरा बराती नागिन की तरह डोलता है और बीचबीच में नागिन की तरह फुंफकारता भी है.

कपड़ों की परवा किए बिना दोनों नागिन की धुन पर डांस करतेकरते सड़क पर लेट भी जाते हैं. यह तो एक उदाहरण है जो सड़कों पर निकलने वाली बरातों का आम नजारा पेश करता है. इस तरह के कई और डांस हैं जो बरात के चिरपरिचित हिस्सा हैं.  बरात में दूल्हे के दादादादी, नानानानी, मातापिता, चाचाचाची, भाईबहन, जीजाबहन से ले कर सारे करीबी और दूर के रिश्तेदारों को एकएक कर के डांस करने के लिए जबरदस्ती पकड़ कर लाया जाता है. कुछ तो डांस करने के इच्छुक ही रहते हैं. दूल्हे के मित्रगण बरात में डांस करने के लिए शराब का सेवन भी करते हैं और इस बाबत दूल्हे से पहले ही कमिटमैंट कर उचित राशि प्राप्त कर ली जाती है. अब तो बरात में महिलाएं भी डांस करने में पीछे नहीं हैं. वे भी बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं.  इतने सारे लोग जब एक बरात का हिस्सा बनेंगे तो बरात को गंतव्य तक पहुंचने में समय तो लगेगा ही. जिस का खमियाजा सड़क पर चलने वाले राहगीरों को उठाना पड़ेगा. इन सब बातों से बरातियों को कोई लेनादेना नहीं. उन्हें तो बस अपना उत्साह दिखाना है. कुछ ऐसे भी राहगीर देखने को मिल जाएंगे जिन्हें डांस करने का बड़ा शौक होता है. वे भी इन बरात में अपनी नृत्यकला का प्रदर्शन करने से नहीं चूकते.

लेकिन बड़े दुख के साथ इन बरातियों को यह बताना पड़ेगा कि अब वे  बरात में नागिन डांस नहीं कर पाएंगे क्योंकि इस डांस के कारण ही बरात को विवाहस्थल तक पहुंचने में विलंब होता है और सड़कों पर यातायात भी बाधित हो जाता है.

बरातियों पर जुर्माना

इसलिए मेरे प्रदेश के एक जिले के स्थानीय जिला प्रशासन ने निर्णय लिया है कि यातायात में बाधा बनने वाली इन बरातों के विरुद्ध कार्यवाही करने हेतु अब दूल्हे के घर वालों को बरात निकालने से पहले निकटतम थानों में जा कर इस की जानकारी देनी होगी कि बरात कहां से निकलेगी और कहां जा कर समाप्त होगी. इस दौरान आने वाली सूचनाओं के आधार पर ही यातायात और थाने की पुलिस बरातियों का मार्ग तय कर के देगी. जो बराती इस का पालन नहीं करेंगे उन बरातियों पर जुर्माना लगाया जाएगा.  ऐसे में लगता है कि आगे चल कर बरात को ज्यादा समय तक सड़कों पर विचरण करने पर भी प्रतिबंध लगेगा. जिस बरात में डांस करने का बरातियों को इंतजार रहता है, उस बरात का तो प्रशासन ने कबाड़ा ही कर दिया. अब तो बरात ऐसी लगेगी जैसे कोई मौन जुलूस जा रहा है.

मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में एक बैंड पार्टी काफी मशहूर है. वह विदेशों में भी अपने बैंड का प्रदर्शन कर चुकी है. यही नहीं, कुछ फिल्मों में भी यह बैंड पार्टी नजर आई है. दूल्हा अपनी शादी में इसी बैंड पार्टी की मांग करता है. यदि इस बैंड की बुकिंग नहीं हो पा रही है तो घर वाले शादी की तारीख आगे बढ़ाने का भी मन बना लेते हैं. बरात कब निकलेगी, यह तो बैंड पार्टी पर निर्भर रहता है क्योंकि शहर में अच्छी बैंड पार्टियां कम होने के कारण ये बैंड 2 शिफ्ट में काम करते हैं. एक शिफ्ट शाम को 7 बजे से और दूसरी रात 9 बजे से. बराती भी यह पता लगा लेते हैं कि बैंड किस टाइम का है, उसी हिसाब से घर से निकलते हैं.

बैंड पार्टी में 2 व्यक्ति तो डमी होते हैं जो कोई वाद्ययंत्र नहीं बजाते मात्र न्योछावर में लुटाए जा रहे रुपयों को हथियाने का काम करते हैं. मुंह में नोट फंसा कर, हाथों में नोट थाम कर डांस करने वालों से नोट कैसे प्राप्त करने हैं, वे बखूबी जानते हैं. इन बरातों में कुछ जेबकतरे भी शामिल हो जाते हैं. बरात में दूल्हा चाहे घोड़ी पर बैठा हो या बग्घी पर या कार में, उस का पूरा ध्यान अपने बरातियों पर रहता है कि कौन डांस कर रहा है और कौन नहीं कर रहा है. कुछ रसूखदार अपनी आन, बान और शानोशौकत दिखाने के लिए जम कर हवाई फायर करते हैं. बरात में बिंदास बंदूकें दागी जाती हैं. अपनी खुशी जाहिर करने के लिए खुलेआम बंदूकें और पिस्तौल का इस्तेमाल कर बरात की शोभा बढ़ाई जाती है. चाहे किसी की जान चली जाए, इन्हें कोई परवा नहीं.

अकसर वरमाला के समय हवाई फायर किए जाते हैं, जिस के कारण कभीकभी लोगों की जानें भी चली जाती हैं. इस पर तो पहले से ही प्रतिबंध है, फिर भी पुलिस वाले इन्हें क्यों नहीं रोक पाते? यह सोचने की बात है.

बेवजह फुजूलखर्ची

इतने सारे प्रतिबंधों के साथ अगर बरात निकलती है तो बरातियों को क्या मजा आएगा. शहर में एक बार बहुत बड़ा भूकंप आया था. उस वर्ष शहर की जनता ने सार्वजनिक दुर्गा उत्सव समितियों के पदाधिकारियों से निवेदन किया था कि भूकंप से हुई बरबादी के कारण इस वर्ष दशहरा मितव्ययिता के साथ मनाया जाए, यानी जो भी चंदा इकट्ठा हो, उस में से कुछ हिस्सा शहर के विकास में लगा दिया जाए. लेकिन समितियों के इन पदाधिकारियों का यह कहना था कि दशहरा साल में एक बार ही आता है, उसे भी हम अच्छे से न मनाएं, संभव नहीं है. हम तो हर साल की तरह ही दशहरा मनाएंगे. यही सिद्धांत बरात पर भी लागू होता है. लड़का एक बार ही दूल्हा बनता है और एक ही बार बरात निकलती है. सो, बरात का जो उत्साह है उस में कमी नहीं की जा सकती.

ऐसे में यदि बरात शीघ्रता से और किस मार्ग से निकलेगी, यह स्थानीय यातायात और थाने की पुलिस तय करेगी तो कहां तक उचित है. बरातियों की खुशियों का दमन किया जा रहा है. बरात तो हम निकाल रहे हैं, बरात का सारा खर्च हम उठा रहे हैं लेकिन बरात निकलेगी तो यातायात और थाने की पुलिस की सलाह पर. जैसा वे कहेंगे वैसा ही करना पड़ेगा. बरात को विवाहस्थल तक पहुंचने में यदि समय लग रहा है तो ये लोग बरातियों को दौड़ाने पर मजबूर कर सकते हैं. यदि कुछ ज्यादा ही कठोर कानून बना दिए  और पालन न करने पर पता लगा दूल्हे और बरातियों को जेल ही जाना पड़ जाएगा. शहरवासी हर त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं. दशहरा का चलसमारोह तो ऐतिहासिक होता ही है, अब गणेशोत्सव भी धूमधाम से मनाया

जाता है. इन दोनों चलसमारोहों में बैंड की धुनों पर समितियों के सदस्य नाचते और नागिन डांस करते हुए नजर आ जाएंगे. चाहे वह चलसमारोह हो या बरात, नृत्यकला का प्रदर्शन विशेष आकर्षण का केंद्र रहता है. ऐसे में यदि चलसमारोह या बरात को गंतव्य तक जल्द पहुंचने पर प्रशासन द्वारा दबाव बनाया जाता है, तो शहर की इन प्रतिभाओं का क्या होगा? नृत्य करने की इस परंपरा को लोग भूल ही जाएंगे.        

नागिन डांस ने तोड़ी शादी

देश में हर शादी बिना नागिन डांस के पूरी नहीं होती. लेकिन किसी को नागिन डांस से इतनी एलर्जी भी हो सकती है कि वह बरात ही लौटा दे तो सुन कर ताज्जुब होगा. बात अजीब है, लेकिन सच भी. उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में 29 जून, 2017 को अनुभव मिश्र की बरात प्रियंका त्रिपाठी के घर गई.  जब अनुभव मिश्र की बरात प्रियंका त्रिपाठी के घर पहुंची तो सभी बराती डांस कर रहे थे. जोश में दूल्हा भी बैंडबाजे की धुन पर नागिन डांस करने लगा. डांस में चूर हो कर वह यहांवहां गिर रहा था, इसलिए जब फेरे पड़ने की बारी आई तो दुलहन ने पिता से कहा कि वह शादी नहीं करेगी क्योंकि दूल्हा शराबी है.  लड़की के पिता प्रमोद त्रिपाठी ने इस मामले में लड़की का साथ दिया. पुलिस और पंचायत के हस्तक्षेप के बाद मामला दहेज वापस करने पर शांत हुआ. नागिन डांस करने के बाद दूल्हे का नशा जब कम हुआ तो उस ने लड़की को काफी मनाया लेकिन तब तक दुलहन अपना मूड बना चुकी थी. बेचारे दूल्हे को बिन दुलहन खाली हाथ लौटना पड़ा. नागिन डांस की कीमत अनुभव को यों चुकानी पड़ेगी, किसी ने सोचा न था.

यह कैसी हठधर्मिता

पेड़ जीवन के लिए आवश्यक हैं पर उन के कहीं भी उग आने पर उन्हें सदा के लिए राम, अंबेडकर की मूर्तियों या मजारों की तरह मान लेना और काटने पर हल्ला मचाना गलत है. दिल्ली के प्रगति मैदान में लगभग 1500 पेड़ 30-40 सालों से हैं पर अब पूरे इलाके को नए सिरे से बनाने के लिए उन्हें काटना जरूरी है, तो इस पर भरपूर हल्ला मचाया जा रहा है. इसी तरह दिल्ली की एक सड़क चौड़ी तो हो गई पर वहां दसियों पेड़ बीच में अडे़ हैं और लोग उन्हें बचाने की जिद कर रहे हैं.

घर के बाहर या आंगन में  पेड़ लगाना हजारों सालों से परंपरा के रूप में चल रहा है पर जरूरत पड़ने पर अगर पेड़ के काटने पर रोक लग गई तो लोग नए पेड़  लगाने बंद कर देंगे. पेड़ तभी तक लगाए जाएंगे जब तक मानव के लिए सुख देंगे. यदि उन्हें आराध्य या प्रकृति के लिए अनिवार्य मान कर जबरन थोपा जाएगा तो लोग उन्हें लगाना ही छोड़ देंगे.

पीपल के पेड़ों को काटने  पर धार्मिक रोक है और इसलिए लोग इन्हें कम से कम लगाते हैं  और ये दिखते हैं तो केवल इसलिए कि ये अपनेआप कहीं भी उग  जाते हैं.  पेड़ों की रक्षा जरूरी है और नए पेड़ लगाने भी जरूरी हैं पर उन्हें आवश्यकता के अनुसार हटाने की सुविधा भी होनी चाहिए. पेड़ इतने जरूरी हैं कि चीन पूरा एक शहर ही इस तरह का बनवा रहा है जिस में हर मंजिल पर  भी पेड़ लगाने का प्रबंध है और  30 हजार की आबादी लगेगी कि एक जंगल में रह रही है. यह तभी संभव है जब पेड़ों के बारे में हठधर्मी बंद हो.  देश में आज भी लकड़ी की कमी है और इसीलिए पेड़ गरीबों द्वारा खूब काटे जाते हैं पर उन पर तो यह प्रतिबंध भी लागू नहीं होता. वे रातोंरात पेड़ का सफाया कर देते हैं.

स्लमों में पेड़ न के बराबर दिखेंगे, क्योंकि उन्हें काट कर  खाना बनाने के लिए इस्तेमाल कर लिया जाता है और फिर गरमियों  में लोग भट्ठी में रहते हैं. यह  समझ का अभाव है जिस के पौधे हरेक के मन में लगाने सड़कों या कालोनियों के पेड़ों को बचाने से ज्यादा जरूरी हैं.  पर्यावरण के नाम पर  धार्मिक पोंगापंथी सा पैतरा अपना लेना मूर्खता है. यह पर्यावरण के लिए हानिकारक है. शहरों का विकास होगा तो पेड़ कटेंगे ही.  हां, उन की जगह नए भी लगेंगे. कोई शहर, कालोनी या मकान  अच्छा तभी लगता है जब पेड़ हों. आदमी पेड़ का दुश्मन तब बनता  है जब बेवकूफ हो.

ऐसी होगी फूड हैबिट्स तो बच्चे रहेंगे स्वस्थ

बच्चों को पता नहीं होता कि उनकी सेहत के लिए क्या खाना सही है और क्या गलत. बच्चें अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण भी नहीं रख पाते हैं. ऐसे में उनकी सेहत का मामला काफी संवेदनशील हो जाता है. बच्चों की इन आदतों को अच्छी आदतों में बदलने के लिए उनके पैरंट्स पर बड़ी जिम्मेदारी होती है.

बड़ों के लिए अपने बिजी शेड्यूल में हर दिन नाश्ता कर पाना हमेशा संभव नहीं हो पाता. लेकिन बच्चों के विकास के लिए एक भी दिन नाश्ता छोड़ देना उनकी सेहत के लिए काफी नुकसानदेह हो सकता है.

अच्छे स्वास्थ्य के लिए कठिन मेहनत करनी होती है. अच्छी आदतों को जीवन में उतारने के साथ ही साथ खान-पान पर नियंत्रण भी रखना जरूरी है, अच्छी सेहत  रातोरात नहीं  मिलती इसलिए क्या खाना है और क्या नहीं इन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए.

एक शोध में यह बताया गया है कि जो बच्चे नाश्ता छोड़ने के आदती होते हैं उनमें कुपोषित होने का खतरा ज्यादा हो जाता है. बच्चों में विकास के लिए महत्वपूर्ण पोषक तत्वों जैसे कैल्शियम, आयरन और आयोडीन की पर्याप्त मात्रा की जरूरत होती है.

बच्चों को स्नैक्स खाने का बड़ा शौक होता है. खेलते हुए अपनी भूख मिटाने के लिए वो इसका इस्तेमाल ज्यादा करते हैं. ऐेसे में पैरेंट्स को चाहिए कि बच्चों के लिए हेल्दी स्नैक्स का विकल्प ढूंढें. बच्चों को आइसक्रीम, कैंडीज और बबल गम्स भी काफी पसंद होते हैं. इनमें मौजूद सुगर आगे चलकर उनमें डायबिटीज जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ा सकता है.

एक शोध में यह बात सामने आई है कि भारतीय बच्चे अपनी जरूरत से तीन गुना ज्यादा चीनी का सेवन दिन भर में करते हैं. बच्चों में शारीरिक और मानसिक विकास के लिए हरी सब्जियों की बहुत जरूरत होती है ऐसे में आप इनसे स्वादिष्ट डिश बनाकर उनमें हरी सब्जियों को खाने की अच्छी आदत डलवा सकते हैं.

‘कारपोरेट स्टूडियो से सिनेमा को नुकसान हो रहा है’

हौलीवुड की तरह बौलीवुड में भी कारपोरेट स्टूडियेा आए, मगर कई कारपोरेट स्टूडियो अपनी दुकान बंद कर चुके हैं. जबकि कुछ कारपोरेट स्टूडियो अभी भी फिल्म निर्माण से जुड़े हुए हैं. यूं तो इनमें से कई नुकसान में चल रहे हैं.

उधर तमाम बड़े कलाकार दावा कर रहे हैं कि सिनेमा को कारपोरेट स्टूडियो के चलते फायदा हो रहा है. मगर बहुत जल्द प्रदर्शित होने वाली फिल्म ‘मि. कबाड़ी’ की लेखक व निर्देशक सीमा कपूर का मानना है कि इनसे सिनेमा का नुकसान हो रहा है.

हमसे खास बात करते हुए सीमा कपूर ने कहा, ‘‘कला को आप बांध कर नहीं रख सकते. कला को कोई भी कारपोरेट गाइड नहीं कर सकता. कला निजी काम है. कारपोरेट की कार्यशैली ऐसी है, जैसे कि बिरजू महाराज की बजाय दस लोग मिलकर नृत्य के भाव को पेश कर रहे हों. मैं इसमें यकीन नहीं करती. कारपोरेट के आने के बाद एक खास संस्था के विचार के अनुरूप सिनेमा बनने लगता है. जिससे इंडीविज्युअल लेखक, निर्देशक, निर्माता, वितरक आदि मारे जाते हैं. सिनेमा में विविधता खत्म हो रही है. यह शहरी पृष्ठभूमि के लोग कस्बाई पात्रों के बारे में जानते ही नहीं हैं. इसी वजह से कारपोरेट कंपनियों की फिल्मों के पात्र बनावटी लगते हैं. मेरी समझ में आज तक नहीं आया कि कौन से कस्बे की लड़की सिगरेट पीती है या मोटरसायकल पर घूमती है. कस्बे में लाख में से किसी एक लड़की ने सिगरेट पी ली तो आप उस एक लड़की की कहानी सुनाएंगे या निन्यानबे हजार लोगों की. आप ध्यान देंगे तो पता चलेगा कि हर बड़ा लेखक कस्बा से ही निकला है.’’

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