मैंने खुद को हमेशा टीनएजर ही समझा है : सचिन पिलगांवकर

महज 4 साल की छोटी उम्र में मराठी फिल्म ‘हा माझा मार्ग एकला’ में बाल कलाकार के रूप में काम कर राष्ट्रपति पुरस्कार जीतने वाले अभिनेता सचिन पिलगांवकर ने मराठी और हिंदी फिल्मों के अलावा भोजपुरी फिल्मों में भी काम किया है.

हिंदी फिल्म ‘बालिका वधू’ उन की चर्चित फिल्म है, लेकिन जीवन का टर्निंग पौइंट उन की फिल्म ‘गीत गाता चल’ थी. इस फिल्म में उन की और सारिका की जोड़ी को दर्शकों ने खूब पसंद किया. फलस्वरूप ‘अंखियों के झरोखों से’ फिल्म बनी. फिल्म ‘नदिया के पार’ सचिन की सब से बड़ी हिट फिल्म थी. अभिनेत्री साधना सिंह के साथ उन की यह फिल्म सुपरडुपर हिट हुई. यही वजह थी कि राजश्री प्रोडक्शन वालों ने दोबारा उस फिल्म को 1994 में सलमान खान और माधुरी दीक्षित के साथ ‘हम आप के हैं कौन’ नाम से बनाया और एक बार फिर वह कामयाब रही.

अभिनय के साथसाथ सचिन ने मराठी और हिंदी फिल्मों के लिए निर्माता और निर्देशक का काम भी किया है. इतना ही नहीं, उन्होंने सिंगिंग और कौमेडी शो भी किए हैं. सचिन हर काम को चुनौती मानते हैं. उन के कामयाब फिल्मी सफर के साथसाथ उन का पारिवारिक जीवन भी बेहद सुखद है.

सचिन और सुप्रिया एक मराठी फिल्म के दौरान मिले, प्यार हुआ और फिर शादी कर ली. दोनों की एक बेटी श्रेया पिलगांवकार है, जो अभिनेत्री है. शांत और हंसमुख स्वभाव के सचिन से बात करना रोचक रहा. पेश हैं, कुछ अंश.

वैब सीरीज में काम करने की इच्छा कैसे पैदा हुई?

वैब सीरीज भविष्य की एक बहुत बड़ी मांग है. जब मैं ने पहली बार 8-10 साल पहले सुना था तो महसूस हुआ कि यह भी औडियो विजुअल माध्यम है. यह भी किसी कहानी को कह सकता है, लेकिन इस की तकनीक अलग है. मुझे हर बदलाव को अपनाने में खुशी मिलती है. यही वजह है कि मैं ने 1995 में सब से पहले टीवी को अपनाया था. उस समय सैटेलाइट टीवी एक नई बात थी.

वैब सीरीज को भी मैं ने उसी तरह से अपनाया है. इस में अच्छी बात यह रही कि सैक्स से जुड़ी जिन बातों को समाज और परिवार कहने से कतराता है और चोरीछिपे उस बारे में बातें करता है, उसे मैं ने सामने आ कर एक सीरीज के रूप में दिखाया. इसे व्यक्ति किसी भी फोन या लैपटौप पर किसी भी समय जब चाहे देख सकता है. उसे एक आजादी मिलती है.

वैब सीरीज को करने के बाद मुझे बहुत खुशी मिली. मैं मनोरंजन के क्षेत्र से हूं और कोई काम जिस में कोई मैसेज हो तो मैं उसे तुरंत हां कर देता हूं.

बचपन से ले कर अब तक के फिल्मी कैरियर को कैसे देखते हैं?

मैं इस कामयाबी को बहुत अधिक नहीं समझता. मैं तो अभी भी खुद को 18 वर्ष का ही समझता हूं. कभीकभार बचकानी हरकतें भी कर लेता हूं. मैं ने अपनेआप को हमेशा टीनएजर ही समझा है. इसीलिए किसी भी नई चीज को करने में उत्साह महसूस करता हूं.

मैं अपनेआप को कभी लीजेंड नहीं समझता और क्या अच्छा कर सकता हूं उस के बारे में सोचता हूं. यही वजह है कि मेरी यह लंबी पारी चल रही है. जब मैं 50 साल का हुआ था तब मैं ने एक जगह कहा था कि अब मुझे लगने लगा है कि मेरी जर्नी अब शुरू हुई है. इस की वजह यह है कि अब वही करना है, जिसे अब तक नहीं किया है. मेरे लिए, आप ने कितने साल इंडस्ट्री में गुजारे, इस से अधिक किया क्या, वह अधिक महत्त्व रखता है.

लोगों का मानना है कि सैक्स वैब सीरीज या सैक्स ऐजुकेशन से समाज और परिवार बिगड़ता है, महिलाओं पर अत्याचार बढ़ता है. इस बारे में आप की क्या राय है?

जहां भी किसी बात की पाबंदी होती है, वहां लोग उसे सब से अधिक करते हैं. जिस प्रदेश में शराब पर रोक है, वहां सब से अधिक शराब की बोतलें बेची और खरीदी जाती हैं. लोग अधिक पैसे दे कर कहीं न कहीं से खरीदते हैं. जहां पर पाबंदी नहीं, वहां चोरी का धंधा नहीं है. वैसे ही सैक्स ऐजुकेशन एक ऐसी चीज है, जिस की जानकारी सब को होनी चाहिए.

मैं जब 6 साल का था तब मेरे पिता ने मुझे सैक्स के बारे में बताया था. 13 साल की उम्र में उन्होंने फिर से मुझे अच्छी तरह समझाया. 13 साल की उम्र में मैं और अधिक समझ सकता हूं. इसलिए उस हिसाब से समझाया. मेरी बेटी को मेरी पत्नी ने समझाया. हम दोनों आज भी अपनी 26 साल की बेटी के साथ बैठ कर बहुत सारे मुद्दों पर चर्चा करते हैं. हमारे आसपास कई ऐसे पुरुष हैं, जो हर दिन अपनी पत्नी का रेप करते हैं. उन पत्नियों को पता नहीं होता कि सैक्स और रेप में अंतर क्या है.

इसलिए सैक्स ऐजुकेशन केवल बच्चों में ही जरूरी नहीं, बल्कि महिलाओं में भी ऐसी जागरूकता होनी चाहिए. यह एक टैबू है, जिसे महिलाएं सामने आ कर बताना नहीं चाहतीं, क्योंकि उन्हें लगता है कि पति उन का भरणपोषण कर रहा है और वह कुछ भी करने का हक रखता है, जो गलत है.

आप सोशल मीडिया पर कितने ऐक्टिव हैं और क्या बच्चों पर इस का गलत असर पड़ता है?

मैं अधिक ऐक्टिव नहीं, केवल फेसबुक पर जुड़ा हूं, ट्विटर पर नहीं हूं, क्योंकि उस में हर दिन कुछ पोस्ट करना पड़ता है. मैं मुक्त परिवेश में रहना पसंद करता हूं. मैं अपनी मां, पत्नी और बेटी को भी स्पेस देता हूं. मैं किसी पर अपनी कोई बात नहीं थोपता और कोई मुझ पर अपनी बात थोपे उसे भी नापसंद करता हूं.

मेरे हिसाब से जो भी नई चीज आती है, उस का कुछ सही और कुछ गलत परिणाम होता है. उसे दोषी नहीं ठहराया जा सकता. मातापिता को नजर रखनी पड़ती है कि बच्चे सोशल मीडिया का गलत प्रयोग न करें.

इंडस्ट्री में इतने सालों तक काम करते हुए आप इंडस्ट्री में कितना बदलाव महसूस करते हैं?

मैं ने हर बदलाव को देखा है और फिर उसी के अनुसार आगे बढ़ने की कोशिश की है. अब फिल्म की कहानी और उस की तकनीक में बदलाव आया है. मैं ने हर कैमरे पर शूट किया है. ‘डेबरी’ नाम का कैमरा जिसे उठाने में 10 लोग लगते थे, उस कैमरे पर मैं ने बचपन में शूट किया. इस के बाद ‘मिचेल’, ‘मिचेल 2’, ‘एरी’ कैमरे के सारे वर्जन आए. इस तरह करतेकरते डिजिटल कैमरे का युग आ गया. मैं ने हर तरह के बदलाव को नजदीक से देखा है.

आप की फिटनैस का राज क्या है?

मैं खुद से बहुत प्यार करता हूं. मैं संयम की जिंदगी जीता हूं. खाना सब पसंद है, लेकिन उस में संयम बरतता हूं. 8 घंटे की नींद लेता हूं और हफ्ते में 5 दिन जम कर बैडमिंटन प्रोफैशनल तरीके से कोच के साथ खेलता हूं.

क्या अभी कुछ और मराठी फिल्मों का निर्देशन करने की इच्छा है?

मैं ने अभी तक हिंदी, मराठी और कन्नड़ कुल 21 फिल्मों का निर्देशन किया है. ‘कट्यार कालजात घुसली’ के बाद 2 मराठी फिल्मों ‘वारस’ और ‘जवानी जाने मन’ पर काम चल रहा है. कुछ नई कहानियां भी सुन रहा हूं. हिंदी फिल्मों में भी अभिनय करने की इच्छा है.

कभी टीवी पर नहीं आती हैं ये फिल्में

बॉलीवुड के सुपरस्टार अक्षय कुमार का नाम बॉलीवुड के मोस्ट एंटरटेनिंग स्टार्स की लिस्ट में शामिल है. वैसे देखा जाए तो अक्षय कुमार की साल में तीन से चार फिल्में तो आ ही जाती हैं और रिलीज के दो से तीन महीने बाद ही टीवी पर उनका प्रीमियर भी हो जाता है.

लेकिन आपको ये बात शायद ही पता हो कि अक्षय की कुछ फिल्में ऐसी भी हैं जो कभी टीवी पर आई ही नहीं. आज हम अक्षय की ऐसी फिल्में बता रहे हैं जो कभी टीवी पर नहीं आई.

क्या है इसकी वजह

इन कुछ फिल्मों के टीवी पर न आने की वजह है, इनके प्रोड्यूसर सुनील दर्शन. आपको जानकर हैरानी होगी कि उन्होंने आज तक अपनी फिल्मों के सैटेलाइट अधिकार, टीवी चैनल्स को नहीं बेचे हैं.

साल 2010 में दिए एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा था, ‘मैं नहीं जानता कि यह कितना सही है, लेकिन मेरा हमेशा से मानना है कि सिनेमा थिएटर्स के लिए ही बना होता है. बता दें कि साल 1988 में सुनील ने पहली फिल्म ‘इंतकाम’ प्रोड्यूस की थी, जिसमें सनी देओल और अनिल कपूर ने अहम किरदार निभाया था. सुनील को फिल्म इंडस्ट्री में 29 साल हो चुके हैं और अभी तक वे 12 फिल्में प्रोड्यूस कर चुके हैं, जिनमें से पांच फिल्में, उन्होंने अक्षय कुमार के साथ की हैं.

ये रहीं वो फिल्में

1. साल 1999 में आई फिल्म ‘जानवर’

सुनील दर्शन इस फिल्म के डायरेक्टर थे. इनके अलावा इस फिल्म की स्टारकास्ट में मुख्य थे, अक्षय कुमार, करिश्मा कपूर, शिल्पा शेट्टी, आशुतोष राणा और मोहनीश बहल.

2. एक रिश्ता : द बॉन्ड ऑफ लव, साल 2001

ये तो जाहिर सी बात है कि ये फिल्म कभी टीवी पर नहीं आई इसका मतलब इसे सुनील ने ही डायरेक्ट किया होगा. सुनाल के अलावा इस फिल्म की स्टारकास्ट में अक्षय कुमार के संग अमिताभ बच्चन, राखी, करिश्मा कपूर,जूही चावला और मोहनीश बहल भी शामिल थे.

3. साल 2002 की ‘हां मैंने भी प्यार किया है’

इस फिल्म के डायरेक्टर धर्मेश दर्शन थे और इसका प्रोडक्शन सुनील ने किया था. इस फिल्म में अक्षय कुमार और अभिषेक बच्चन के अलावा करिश्मा कपूर भी मुख्य भूमिका में थीं.

4. अंदाज

साल 2003 में आई इस फिल्म को डायरेक्टर, राज कंवर ने बनाया था. अक्षय कुमार की इस फिल्म में प्रियंका चोपड़ा और लारा दत्ता ने भी काम किया था.

5. दोस्ती : फ्रेंड्स फॉरएवर​

अक्षय कुमार की ये फिल्म साल 2005 में प्रदर्शित की गई थी. इस फिल्म में अक्षय के अलावा  करीना कपूर, बॉबी देओल, लारा दत्ता और जूही चावला ने भी काम किया है. इस फिल्म के डायरेक्टर, और कोई नहीं  सुनील दर्शन ही थे.

प्रेग्नेंसी में जा रही हैं घूमने तो रखें इन बातों का ख्याल

घूमना सभी को अच्छा लगता है लेकिन घूमने जाने से पहले अगर कुछ जरूरी तैयारियां कर ली जाएं तो घूमने का मजा दोगुना हो जाता है. खासतौर पर तब जब आप प्रेग्नेंट हों. यह समय काफी नाजुक होता है. एक छोटी सी भी लापरवाही होने वाले बच्चे और मां के लिए खतरनाक साबित हो सकती है.

ऐसे में अगर आप प्रेग्नेंट हैं या फिर कोई प्रेग्नेंट लेडी आपके साथ ट्रैवल करने वाली हैं तो इन बातों का ख्याल जरूर रखें.

डॉक्टर से सलाह के बाद ही बनाएं प्लान

ट्रिप प्लान करने से पहले सबसे जरूरी है कि आप अपने डॉक्टर से बात कर लें. हो सकता है कि आपको कोई ऐसी परेशानी होने का डर हो, जिसके चलते वह आपको न जाने की सलाह दे. अगर वह आपको जाने की सलाह दे देते हैं तो इसके साथ ही वह आपको पूरी यात्रा में किन बातों का, दवाओं का और खाने-पीने का ख्याल रखना है, बता देंगे. इससे आपकी यात्रा कहीं अधिक सुरक्षित हो जाएगी और इस तरह से आप ट्रिप का पूरा मजा भी ले पाएंगी.

तैयारी पक्की होनी चाहिए

आप प्रेग्नेंट हैं तो दूसरों की देखा-देखी कपड़े पहनने की गलती न करें. आपके लिए ढीले कपड़े ही अच्छे रहेंगे. जूते, चप्पल भी आरामदायक होने चाहिए. साथ ही ऐसे होने चाहिए जो जमीन पर पकड़ बनाकर चलें. अपनी दवाइयों का पैकेट हमेशा साथ रखें. एक छोटी डायरी भी रखें, जिसमें आपके डॉक्टर का नंबर और जहां आप गई हैं, वहां के किसी अच्छे अस्पताल का नंबर लिखा हो.

सही सीट की बुकिंग

आप जिस भी साधन से जा रही हों, यह जरूर ध्यान रखें कि आपकी सीट वॉशरूम के पास ही हो. बीच की सीट लेने से बेहतर होगा कि आप साइड की सीट पर ही बैठें.

हल्का-फुल्का खाना पास रखें

लंबे सफर पर जा रही हैं तो अपने पास खाने-पीने की चीजों का एक छोटा बैग जरूर रखें. इस दौरान लंबे समय तक भूखा रहना सही नहीं है.

किताबें और म्यूजिक

अपने पास कुछ ऐसा जरूर रखें जिससे समय काटना आसान हो. वरना बोर होने पर आपका मन खराब हो सकता है. किताबें और म्यूजिक सुनना इसका सबसे अच्छा साधन है.

इन एक्सेसरीज से ऑफिस में आप दिखेंगी बिल्कुल अलग

ऑफिस में एक जैसे कपड़े और एक्सेसरीज पहनने से आप बोर हो जाती होंगी. लेकिन ऑफिस में अपने लुक के साथ एक्सपेरिमेंट करना भी रिस्की रहता है.

ऑफिस में आपको थोड़ा हट कर दिखने के साथ-साथ क्लासी भी दिखना होगा. जानते हैं आप अपने ऑफिस के कपड़ों के साथ किन एक्सेसरीज का प्रयोग कर सकती हैं.

रिस्टवॉच

ऑफिस में रिस्टवॉच पहनने से आपको एक अलग ही लुक मिलता है. ये प्रोफेशनलिज्म भी दिखाता है. आजकल छोटी और बड़ी दोनों ही घड़ियां चलन में है.

ईयररिंग्स

छोटे ईयररिंग्स आपके ऑफिस लुक को और क्लासी बना देंगे. ऑफिस में बड़े ईयररिंग्स पहनने से बचें.

फुटवेयर

आप लेदर के फुटवेयर ट्राई कर सकती हैं. साथ ही स्नीकर्स और पंप भी आपके लुक को कॉम्पलीमेंट करेंगे. हील्स लेते समय ध्यान रखें कि चलने पर उसमें से आवाज ना आती हो.

बेल्ट

वो जमाना गया जब बेल्ट सिर्फ जींस में ही लगाया जाता था. लेदर के पतले बेल्ट आप वन पीस पर भी ट्राई कर सकती हैं.

क्लच

हैंडबैग तो अक्सर ही ऑफिस ले जाती होंगी. लेकिन अब क्लच ट्राई कर के देखिए.

इस बीमा के बारे में नहीं जानती होंगी आप

बीमा सिर्फ मकान, दुकान और इंसान का ही नहीं होता, बल्कि आपके घर की रसोई में रखे गैस सिलेंडर का भी बीमा होता हैं. यानि आप गैस सिलेंडर से हादसा होने पर बीमा क्लेम कर सकती हैं. साथ ही क्या आप जानती हैं कि गैस सिलेंडर की एक एक्सपायरी डेट भी होती है? जागरुकता की कमी के कारण अधिकांश लोग सिलेंडर बिना एक्सपायरी डेट जांचे खरीद लेते हैं.

आपको बता दें कि गैस सिलेंडर से हादसा होने पर उपभोक्ता को कंपनी की ओर से 50 लाख रुपए तक का बीमा मिलता है. बीमा के लिए चुकाया जाने वाला प्रीमियम आपकी ओर से भुगतान की जाने वाली राशि में सम्मिलित होता है. लेकिन जानकारी के अभाव में उपभोक्ता इसका लाभ नहीं उठा पाते.

रसोई में रखे सिलेंडर पर मिलता है 50 लाख का बीमा

आरटीआई में हुए खुलासे के तहत गैस कनेक्शन लेते ही उपभोक्ता का 10 से 25 लाख रुपए तक का दुर्घटना बीमा हो जाता है. इसके तहत गैस सिलेंडर से हादसा होने पर पीड़ित बीमा क्लेम कर सकता है. साथ ही, सामूहिक दुर्घटना होने पर 50 लाख रुपए तक देने का भी प्रावधान है. इसके लिए दुर्घटना होने के 24 घंटे के भीतर संबंधित एजेंसी और लोकल थाने को सूचना देनी होती है. साथ ही दुर्घटना में मृत्यु होने पर जरूरी प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने होते हैं. इसके बाद मामला क्षेत्रीय कार्यालय और फिर क्षेत्रीय कार्यालय बीमा कंपनी को सौंप दिया जाता है.

यह है गैस सिलेंडर की एक्सपायरी डेट जानने का तरीका

गैस सिलेंडर की पट्टी पर ए, बी, सी, डी और 12, 13, 15 लेटर और नंबर की सहायता से एक कोड लिखा होता है. गैस कंपनियां वर्ष के कुल 12 महीनों को चार हिस्सों में बांटकर सिलेंडरों का ग्रुप बनाती हैं. मसलन, ‘ए’ ग्रुप में जनवरी, फरवरी, मार्च और ‘बी’ ग्रुप में अप्रैल मई जून होते हैं. ऐसे ही ‘सी’ ग्रुप में जुलाई, अगस्त, सितंबर और ‘डी’ ग्रुप में अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर होते हैं.

एक्सपायरी या टेस्टिंग का महीना सिलेंडर पर लिखा कोड़ दर्शाता है. साथ ही आगे लिखा नंबर एक्सपायरी ईयर का होता है. मसलन, अगर आपके सिलेंडर पर ‘A-16’ लिखा है तो इसका मतलब है कि एक्सपायरी डेट मार्च, 2016 है. ऐसे ही, ‘सी-16’ का मतलब सितंबर, 2016 के बाद सिलेंडर का इस्तेमाल खतरनाक है.

एक्सपायरी डेट में भी रहती है हेर फेर की संभावना

एक अनुमान के मुताबिक तकरीबन पांच फीसदी सिलेंडर एक्सपायर्ड या एक्सपायरी डेट के करीब होते हैं. लोगों के बीच जागरुकता की कमी होने के कारण से ये बार बार रोटेट होते रहते हैं. सामान्य तौर पर एक्सपायरी डेट औसतन छह से आठ महीने एडवांस रखी जाती है. चूंकि एक्सपायरी डेट पेंट से प्रिंट की जाती है, इसलिए इसमें हेर-फेर की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता. कई बार जंग लगे हुए सिलेंडर पर भी एक्सपायरी डेट डेढ़-दो साल आगे की होती है. इसपर एजेंसी वाले तर्क देते हैं कि यहां से वहां लाते ले जाते वक्त उठा-पटक से कुछ सिलेंडर पुराने दिखने लगते हैं.

एक्सपायर्ड सिलेंडर मिलने पर लें एक्शन

एक्सपायर्ड सिलेंडर मिलने पर उपभोक्ता एजेंसी को सूचना देकर सिलेंडर को रिप्लेस करवा सकता है. गैस एजेंसी के रिप्लेसमेंट से मना करने पर वह खाद्य या प्रशासनिक अधिकारी से शिकायत कर सकता है. इस सेवा में भी कमी दिखने पर उपभोक्ता फोरम में मामला दायर किया जा सकता है.

बीमा लेने के लिए पूरी करनी होती हैं ये शर्तें

शर्तों के तहत आपके घर में इस्तेमाल होने वाला गैस कनेक्शन वैध होना चाहिए. साथ ही आईएसआई मार्क वाले गैस चूल्हे का ही उपयोग होना चाहिए. गैस कनेक्शन में एजेंसी से मिली पाइप-रेग्युलेटर ही इस्तेमाल हो. गैस इस्तेमाल की जगह पर बिजली का खुला तार न हो. चूल्हे का स्थान, सिलेंडर रखने के स्थान से ऊंचा होना चाहिए.

अनुराग कश्यप ने दबंग सलमान से लिया बदला

बॉलीवुड में कुछ ही ऐसे लोग हैं जो सीधा सलमान खान से पंगा ले पाते हैं. देखा जाए तो यही लोग बॉलीवुड के असली दबंग हैं. बात कर रहें हैं अनुराग कश्यप और सलमान खान की. अनुराग कश्यप अपनी नई फिल्म ला रहे हैं जिसका नाम है मुक्काबाज़. लेकिन इससे भी ज़्यादा दिलचस्प है फिल्म का प्लॉट. फिल्म एक प्रेम कहानी है. यूपी के लड़के की प्रेम कहानी. वो यूपी का लड़का जो कि एक रेसलर है. बस इसी कारण से हमें अनुराग कश्यप और सलमान खान एक साथ याद आ गए. अब देखिए जो बात आगे हम कहेंगे वो है बेहद बेतुकी और बचकानी. पर भैया क्या किया जाए, सलमान में बात ही कुछ ऐसी है, उनके छींकने की खबर लिखेंगे तो भी आप पढ़ लेंगे. और फिर ये बात बेतुकी भले ही है पर किस्सा बड़ा मज़ेदार है. पहली बात तो ये कि अनुराग कश्यप का हीरो अगर रेसलर है तो ज़ाहिर सी बात है कि वो सुलतान से बेहतर होगा. यानि कि सुलतान का सिंहासन तो गया. वहीं दूसरी तरफ ये फिल्म 10 नवंबर को रिलीज़ हो रही.

अगर इसमें अनुराग कश्यप ने गैंग्स ऑफ वसेपुर वाला जलवा बिखेर दिया तो फिर एक महीने बाद आ रही टाईगर ज़िंदा है पर ग्रहण लगना तय है. लेकिन अनुराग और सलमान का दिलचस्प किस्सा यहीं खत्म नहीं होता. तेरे नाम फिल्म को लेकर सलमान खान ने अनुराग कशयप की एक बात दिल पर ले ली थी. और इसी वजह से सलमान खान ने इस फिल्म में इतनी जान लगा दी कि फिल्म ठीक ठाक बन गई. अब अनुराग कश्यप की वो बात भी बता दें. दरअसल अनुराग ने सलमान को साफ कहा था कि आप फिल्म के हीरो नहीं लग पाएंगे. जानिए तेरे नाम का ये पूरा मज़ेदार किस्सा – रीमेक फिल्म थी तेरे नाम तेरे नाम तमिल की एक फिल्म सेतु का रीमेक. इसके राइट्स रामगोपाल वर्मा ने खरीदे थे और मैं इसे लिख रहा था. फिल्म किसी और को डायरेक्ट करनी थी. उस समय फिल्म के हीरो संजय कपूर थे और सलमान खान नहीं. अचानक हुई सलमान की एंट्री इसके बाद प्रोजेक्ट में कई बदलाव होने लगे. स्क्रिप्ट कई जगह घूमने लगी औऱ नए प्रो़ड्यूसर फिल्म में आ गए. बाद में मुझे पता चला कि फिल्म का हीरो सलमान खान है और फिल्म को मुझे डायरेक्ट करने को कहा गया.

अब अनुराग कश्यप की मानें तो फिल्म का हीरो मथुरा, आगरा का था. अनुराग खुद यूपी के हैं तो सलमान को यूपी वाले लड़के के किरदार में अनुराग नहीं देख पा रहे थे. फिर भी वो कोशिश करना चाहते थे तो उन्होंने सलमान को छाती के बाल उगाने की सलाह दी. इस बात पर वो मुझे देखता रहा और मेरी पूरी बात उसने सुनी. पर कुछ बोला नहीं. अगले ही दिन अनुराग कश्यप को प्रोड्यूसर का फोन आया. अनुराग उमसे मिलने पहुंचे. तो उनकी तरफ एक कांच की बोतल उड़ते हुए आई. इसके बाद प्रोड्यूसर चीखा – साले तू सलमान को बाल उगाने को बोलेगा. अनुराग कश्यप की मानें तो उन्हें बिना बताए ही फिल्म से रिप्लेस कर दिया गया. इसके बाद फिल्म किसी औऱ डायरेक्टर ने बनाई और ताबड़तोड़ चली भी. सलमान के बारे में अनुराग कश्यप ने एकदम दो टूक बात कही कि हम दोनों ही एक दूसरे को पसंद नहीं करते हैं. मुझे नहीं लगता कि वो भी मुझे पसंद करते हैं. वो मेरी तरफ देखना भी पसंद ना करें.

अनुराग कश्यप के भाई अभिनव कश्यप ने दबंग बनाई लेकिन दबंग 2 को लेकर कुछ गड़बड़ हुई और अभिनव कश्यप ने दबंग 2 छोड़ दी. लेकिन अनुराग को बताया गया कि अभिनव को फिल्म से निकाला गया है जिस पर अनुराग ने भड़क कर कुछ ट्वीट कर डाले. अनुराग ने बताया कि उस दौरान सलमान फैन्स ने ट्विटर पर तमाशा बना दिया था. सब मेरी तरफ पत्थर फेंक रहे थे. बाद में मुझे पता चला कि अभिनव को निकाला नहीं गया है तो मैंने ट्वीट डिलीट कर दी. अनुराग कश्यप ने सलमान हों या कोई औऱ हर एक्टर के बारे में दो टूक बात कही है और यही कारण है कि बॉलीवुड के असली दबंग वही कहे जाते हैं. वैसे हम तो अभी भी सोच रहे हैं कि अगर तेरे नाम पर अनुराग कश्यप की मोहर होती तो फिल्म कैसी होती.

आपके दिल का ख्याल रखता है बैंगन

बैंगन में कई गुणकारी तत्व पाए जाते है. जो शरीर में होने वाली विभिन्न बीमारी के खतरे को कम करता है. शरीर के अंदर होने वाले नुकसान और तनाव को दूर करता है. ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के खतरे को कम करता है. डॉ. हेमशंकर शर्मा ने बताया कि रिसर्च में साबित हो चुका है कि बैंगन में कई गुणकारी तत्व पाए जाते है. यह शरीर में फैल रहे जहर की मात्रा को भी कम करता है.

ये हैं बैंगन खाने के 6 फायदे

– इससे शरीर के वजन में तेजी से गिरावट आती है. क्योंकि बैगन में कैलोरी की मात्रा कम होती है. और फाइबर भरपूर रहता है. जिससे वजन कम होता है.

– बैंगन में कोलेस्ट्रॉल नहीं होता है. बल्कि यह कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करने में मदद करता है.

– यह खून में जमा कोलेस्ट्रॉल को भी कम करता है. जिसकी वजह से हद्य की बीमारी का खतरा कम होता है. साथ ही पाचन तंत्र में मौजूद टॉक्सिन्स भी साफ हो जाता है.

– इसकी कम मात्रा लेने पर भी पेट जल्दी भर जाता है. और आप ओवर इटिंग से बच जाते है.

– यह शरीर में एंटी ऑक्सीडेंट एजेंट के रूप में काम करता है. इससे शरीर में होने वाले नुकसान और तनाव को यह कम करता है.

– बीपी और डायबिटीज के मरीजों के लिए यह फायदेमंद होता है. क्योंकि इसमें कार्बोहाइड्रेड कम और फाइबर की मात्रा अधिक होती है.

फिल्म रिव्यू : गेस्ट इन लंदन

लेखक व निर्देशक अश्विनी धीर अपनी 2010 में प्रदर्शित फिल्म ‘‘अतिथि तुम कब जाओगे’’ का सिक्वअल ‘‘गेस्ट इन लंदन’’ लेकर आए हैं, मगर ‘‘गेस्ट इन लंदन’’ देखकर इस बात का अहसास होता है कि अश्विनी धीर ने किन्ही मजबूरी के तहत जबरन इस फिल्म को बनाया है. फिल्म में कहानी, ह्यूमर, निर्देशन सहित हर चीज का घोर अभाव है.

फिल्म ‘‘गेस्ट इन लंदन’’ की कहानी लंदन में रह रहे आर्यन ग्रोवर (कार्तिक आर्यन) और अनाया पटेल (कृति खरबंदा) के घर की कहानी है. जिनके चाचा (परेश रावल) और चाची (तनवी आजमी) उनके यहां रहने आते हैं. उसके बाद कहानी में कई मोड़ आते हैं. हास्य के कुछ क्षण पैदा होते हैं. पश्चिमी व पूर्वी संस्कृति व रहन सहन से लेकर कई अजीबोगरीब मसलों पर बहस व जोक्स होते हैं.

अति घटिया कहानी व घटिया संवादों वाली इस फिल्म का एक भी चरित्र उभर नहीं पाता है. फिल्म के गाने भी फिल्म को बेहतर नहीं बनाते हैं. फिल्म में ऐसा कुछ नहीं है, जिसके लिए दर्शक अपनी गाढ़ी कमाई लगाकर देखना चाहेगा. परेश रावल व तनवी आजमी के अलावा किसी भी कलाकार की परफार्मेंस प्रभावित नहीं करती.

दो घंटे 18 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘गेस्ट इन लंदन’’ के निर्माता कुमार मंगत पाइक, निर्देशक अश्विनीधीर, लेखक अश्विनी धीर और राबिन भट्ट, कैमरामैन सुधीर के चौधरी, कलाकार हैं – परेश रावल, तनवी आजमी, कार्तिक आर्यन, कृति खरबंदा, संजय मिश्रा आदि.

फिल्म रिव्यू : मॉम

बलात्कार के मुद्दे पर कई फिल्में लगातार बन रही हैं. कुछ माह पहले बलात्कार के मुद्दे पर ही प्रदर्शित फिल्म ‘‘मातृ’’ और श्रीदेवी के अभिनय से सजी फिल्म ‘‘मॉम’’ की कहानी में अंतर नही है. गैंगरेप और फिर बदला लेने की दास्तान है. ‘मॉम’ में मां के किरदार को बहुत ही सशक्त रूप में पेश किया गया है. मगर फिल्म ‘मॉम’ का प्रस्तुतिकरण काफी बेहतर है.

इस रोमांचक कहानी के केंद्र में दिल्ली विश्वविद्यालय में बायोलॉजी (जीवविज्ञान) की प्रोफेसर देवकी (श्रीदेवी) और उनकी सौतेली बेटी आर्या (सजल अली) और अपनी बेटी प्रिया है. देवकी अपनी दोनों बेटियों व पति आनंद (अदनान सिद्दिकी) के साथ, खुशहाल जिंदगी जी रही है. देवकी जिस स्कूल में शिक्षक है, उसी स्कूल में प्रिया व आर्या दोनों पढ़ते हैं. मोहित एक लड़की को अश्लील संदेश भेजता है, जिसकी वजह से देवकी, मोहित को सजा देती है. आर्या अपनी सौतेली मां देवकी से प्यार नहीं करती, बल्कि ‘मैडम’ कह कर बुलाती है. जबकि देवकी उसे बहुत प्यार करती है. 

देवकी व आनंद की मर्जी के विपरीत आर्या उन्हें मजबूर करती है कि वह उन्हें वेलेनटाइन डे की पार्टी में जाने की इजाजत दे. वेलेनटाइन डे की पार्टी में मोहित, उसका चचेरा भाई, जगन (अभिमन्यू सिंह) व एक अन्य दोस्त मिलकर गाड़ी के अंदर आर्या के साथ बलात्कार कर उसे सड़क किनारे एक गटर में फेंक देते हैं. बहुत बुरी हालत में आर्या अस्पताल पहुंचायी जाती है. एक कड़क मिजाज पुलिस ऑफिसर फ्रांसिस (अक्षय खन्ना) अपने काम को ईमानदारी के साथ अंजाम देने में जुटा हुआ है. मामला अदालत में पहुंचता है, मगर सभी आरोपी बरी हो जाते हैं.

देवकी के पति आनंद उदार स्वभाव के इंसान हैं. वह दूसरे वकील के माध्यम से हाई कोर्ट जाने की बात सोचता है. मगर देवकी चुप बैठने वाली मां नहीं है. वह उनमें से नहीं है, जो कि कानून के सहारे हाथ पर हाथ बांध कर बैठी रहे. अपनी बेटी की सुरक्षा के लिए वह किसी भी हद तक जा सकती है. देवकी बदला लेने के अपने मिशन पर निकल पड़ती है. वह दिल्ली के एक प्राइवेट डिटेक्टिव डी के (नवाजुद्दीन सिद्दिकी) की सेवाएं लेती है. फिर कहानी में कई मोड़ आते हैं. अंततः देवकी अपनी बेटी आर्या के अपराधियों को सजा देने में सफल हो जाती है और आर्या उन्हें ‘मॉम’ कहकर पुकारती है.

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो श्रीदेवी ने जबरदस्त अभिनय क्षमता का परिचय दिया है. खुशी, गम, बेबसी, प्रतिशोध व जीत के भाव बड़ी आसानी से उनके चेहरे पर पढ़े जा सकते हैं. श्रीदेवी अनुकरणीय कलाकार के रूप में उभरती हैं. सौतेली बेटी द्वारा स्वीकार न किए जाने का दर्द भी उनके चेहरे पर बड़ी साफगोई के साथ उभरता है. काश एक बेहतरीन कहानी व पटकथा उन्हें मिली होती. बलात्कार पीड़िता के दर्द को बयां करने में सजल अली ने कोई कसर नहीं छोड़ी. सजल अली व श्रीदेवी के बीच के कई दृश्य दर्शकों को भावुक करते हैं. सजल अली का संजीदा अभिनय तारीफ के काबिल है. नवाजुद्दीन सिद्दिकी और अक्षय खन्ना ने भी जबरदस्त परफॉर्मेंस दी है. नवाजुद्दीन सिद्दिकी लगातार साबित करते जा रहे हैं कि अभिनय में उनका कोई सानी नहीं है. नवाजुद्दीन सिद्दिकी की खामोशी और एक वाक्य के संवाद भी बहुत कुछ कह जाते हैं. अभिमन्यू सिंह के हिस्से करने को है ही नहीं. परफॉर्मेंस के लिए अदनान सिद्दिकी के हिस्से भी खास दृश्य नहीं रहे. 

कहानी व पटकथा के स्तर पर फिल्म काफी कमजोर है. कहानी के अलावा रात, बलात्कार, पुलिस कार्यवाही, मां द्वारा बदला लेना, वगैरह सब कुछ हम अब तक कई फिल्मों में इसी तरह से देखते आए हैं. इसमें कुछ भी नयापन नहीं है. मगर प्रस्तुतिकरण व कलाकारों की अति उत्कृष्ट परफॉर्मेंस के चलते फिल्म एक अलग मुकाम पर पहुंचती है. इंटरवल के बाद पटकथा में कसावट की बहुत जरुरत है. यदि कहानी व पटकथा पर और काम किया जाता तो फिल्म ज्यादा बेहतर बन सकती थी. संवाद प्रभावी नहीं है. क्लायमेक्स तक पहुंचते पहुंचते निर्देशक के हाथ से फिल्म फिसल जाती है. जॉर्जिया में देवकी, जगन व पुलिस अफसर फ्रांसिस के बीच का दृश्य जरुरत से ज्यादा मेलोड्रामैटिक हो गया है.   

संगीतकार ए आर रहमान का पार्श्व संगीत साधारण है. फिल्म का एक भी गाना जमता नहीं है. इंटरवल के बाद का गाना तो कहानी को बहुत ही ज्यादा शिथिल करता है. कैमरामैन ऐना गोस्वामी ने कुछ अच्छे दृश्य फिल्माए हैं. जॉर्जिया की खूबसूरती अच्छे ढंग से कैद हुई है.

दो घंटे 27 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘मॉम’’ का निर्माण बोनी कपूर, सुनील मनचंदा, नेरश अग्रवाल, मुकेश तलरेजा, गोतम जैन, निर्देशक रवि उद्यावर, कहानी लेखक रवि उद्यावर, गिरीश कोहली व कोना वेंकट, संगीतकार ए आर रहमान, कैमरामैन ऐना गोस्वामी, पटकथा लेखक गिरीश कोहली तथा कलाकार हैं- श्रीदेवी, अदनान सिद्दिकी, साजल अली, नवाजुद्दीन सिद्दिकी, अक्षय खन्ना, अभिमन्यू सिंह व अन्य.

इस रिएलिटी शो में उतरवा दिए जाते हैं कंटेस्टेंट्स के कपड़े

दुनिया में बहुत से रिएलिटी शो हर साल आयोजित किए जाते हैं, जिनका सबसे बड़ा मकसद होता है लोगो का एंटरटेनमेंट करनाl आपने बहुत से ऐसे रिएलिटी शो देखे होंगे जिनमे बड़े बड़े कलाकार आते हैं और अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं और अंत में एक विनर बनता है.

डेटिंग के बहुत सारे शो आपने देखे और पसंद किए होंगे लेकिन ब्रिटेन के टीवी चैनल पर एक अनोखा रिएलिटी डेटिंग शो प्रसारित होता है. टीवी शो का नाम ‘नेक्ड अट्रेक्शन’ है और इसका प्रसारण चैनल 4 पर किया जाता है.

इस शो में भाग ले रहे प्रतिभागी के साथ वो होता है जो शायद ही किसी शो पर आपने देखा हो. इस शो में कंटेस्टेंटस को बिना कपड़ों के एक कांच के बॉक्स में खड़ा कर दिया जाता है और उसके बाद उनकी बॉडी का ब्योरा दिया जाता है और फिर डेटिंग के लिए एक पार्टनर चुना जाता है.

अपने अनोखे डे‍टिंग अंदाज के लिए चर्चा और विवादों में रहा ये शो एक बार फिर से दूसरा सीजन लेकर हाजिर हो चुका है. इसका पहला एपिसोड 29 जून को प्रसारित किया जा चुका है. इसके पहले एपिसोड को ही लोगों ने खूब पसंद किया गया. वजह थी इस शो में ट्रांसजेंडर और पेन सेक्सुअल कंटेस्टेंटस का शामिल होना. ऐसा पहली बार हुआ है.

इस अनोखे टीवी शो में पांच लोगों को कांच के बॉक्स में बिना कपड़ों के खड़ा कर दिया जाता है. इसके अलावा एक कंटेस्टेंट बाहर होता है. वह कांच में खड़े कंटेस्टेंटस की बॉडी को देखता है और उसका पूरा ब्यौरा लेता है.

इस शो में कंटेस्टेंटस की बॉडी नीचे से ऊपर तक दिखाई जाती है. यहां तक की उनके प्राइवेट्स पार्ट्स को दिखाते हुए फिर ऊपर जाते-जाते उनका चेहरा दिखाया जाता है.

इसके दोनों कंटेस्टेंटस को बात करने की इजाजत भी दी जाती है. बाहर रहने वाले कंटेस्टेंट को कांच के बक्से में खड़े कंटेस्टेंटस में से एक को डेट के लिए चुनना होता है.

डेट के लिए पार्टनर चुनने वाले कंटेस्टेंट को भी जाने से पहले अपने कपड़े उतारने होते हैं. हालांकि, डेट पर जाते समय दोनों कंटेस्टेंटस कपड़े पहनकर ही जाते हैं.

अन्ना रिचर्डसन शो को होस्ट कर रही हैं. रिचर्डसन टीवी प्रजेंटर, प्रोड्यूसर, लेखक और पत्रकार भी हैं. अन्ना ने अपने टीवी करियर की शुरुआत ‘द बिग ब्रेकफास्ट’ से की थी.

साल 2016 में जब नेक्ड अट्रेक्शन की पहली सीरिज प्रसारित हुई थी, तो काफी विवाद हुआ था. कई लोगों ने इसकी शिकायत की थी लेकिन उन शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.

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