भ्रष्टाचार कीजिए, सुरक्षित रहिए

क्या कहा? हर रोज सामने आते लाखोंकराड़ों रुपए (2जी स्पैक्ट्रम घोटाला, राष्ट्रमंडल खेल घोटाला आदि) के नएनए घोटालों ने आप के दिमाग को चकरघिन्नी कर दिया है. इन बड़ेबड़े घोटालों की रकम के शून्य देख कर आप के दिमाग के बल्ब का फ्यूज उड़ गया है. इतनी बड़ी धनराशि के विषय में सोच कर और उस के प्राप्त होने की कल्पना मात्र से आप रोमांचित हो उठते हैं. हमारे माननीयों की तरह इन्हें पाना ही अब आप के जीवन का अंतिम लक्ष्य है और अपनी इस लक्ष्यप्राप्ति के लिए आप किसी भी सीमा तक जा सकते हैं. इस भारीभरकम रकम के प्राप्त होने से अपने सुखद तथा सुरक्षित भविष्य की कल्पना से आप का मन भी विचलित होने लगा है. आप भी भ्रष्टाचार की इस बहती गंगा में डुबकी लगा कर अपना जीवन धन्य कर लेना चाहते हैं. किसी भी कीमत पर भ्रष्टाचार कर धन कमाने की आप की इच्छा कुलांचें मारने लगी है. आप भी पूर्ण गंभीरता से भ्रष्टाचार करने के विषय में सोचने लगे हैं. लेकिन पकड़े जाने के डर ने आप को मजबूरी में ही सही ईमानदारी का अप्रिय रास्ता अपनाने पर मजबूर किया हुआ है.

आप की बुजदिली आप की प्रगति के मार्ग में बाधक बन रही है. आप के विकास के रास्ते को रोक रही है. आप चाह कर भी अपना प्रिय मार्ग, जो आप को हमेशा लुभाता व ललचाता है, को नहीं अपना पा रहे हैं. बेईमान बनने की चाह रखते हुए भी गले में ईमानदारी का ढोल लटका कर पीटना पड़ रहा है. इस लादी गई ईमानदारी से बाहर निकलने का आप को कोई मार्ग नहीं सूझ रहा है. निराश मत होइए हम यहां आप को कुछ ऐसे आसान मार्ग बता रहे हैं जिन को अपनाने, जिन पर चलने के बाद आप को भ्रष्टाचार करने में न तो किसी प्रकार की शर्म महसूस होगी और न ही किसी प्रकार का भय ही सताएगा. उलटे आप पूरी दबंगई के साथ दोनों हाथों से धन कमाने और दुनिया भर के विदेशी बैंकों में धन जमा करने में लग जाएंगे. जहां पर आप का धन आप के विरोधियों की कुदृष्टि से दूर पूरी तरह सुरक्षित होगा.

इन आसान उपायों के साथ  आप निसंकोच, पूरी बेशर्मी ओढ़ कर भ्रष्टाचार करें और इतना भ्रष्टाचार करें कि सिर्फ स्वयं या अपने परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि अपने खानदान तथा मित्रों के लिए भी वैतरणी की व्यवस्था करें. अपनी सात पीढि़यों के लिए कभी न समाप्त होने वाले धन के अकूत खजाने का संग्रह करें. आप को रोकना तो दूर रहा, आप को भ्रष्टाचार करता देख लोग स्वयं दूसरी ओर मुंह कर लेंगे, जैसे उन्होंने कुछ देखा ही न हो. आप की ओर उंगली उठाने की तो किसी में हिम्मत ही न होगी. आप को डराना या भयभीत करना तो दूर उलटे लोग आप से ही भय खाएंगे. आप की हर गतिविधि को झेलने के लिए यह कृतज्ञ राष्ट्र बाध्य होगा, अन्य रास्ता होगा भी तो नहीं. तो लीजिए, आप की व्यग्रता को और न बढ़ाते हुए प्रस्तुत हैं हमारे उपाय.

यदि आप ने बहती गंगा में नहाने (हाथ धोने का नहीं) का निर्णय ले ही लिया है तो हमारी सलाह है कि सब से पहले आप किसी राजनैतिक दल (क्षेत्रीय हो तो और भी अच्छा) के सदस्य बन कर जनसेवा के क्षेत्र में आ जाएं. आप के दल के गठबंधन के सत्ता में आते ही आप के हाथों में भ्रष्टाचार का लाइसैंस आ जाएगा. फिर इस लाइसैंस का आप चाहे जैसा उपयोग करें. कोई आप को रोकनेटोकने वाला नहीं है. मुसीबत आने या विपक्षियों द्वारा हल्ला मचाने पर गठबंधन सरकार से समर्थन वापसी की आप के क्षेत्रीय दल की धमकी सरकार को आप के विरुद्ध कड़े कदम उठाने से रोकेगी. अल्पमत में आने के बदले कोई भी सरकार आप को बचाने, आप के मामलों को दबाने की अधिक कोशिश करेगी. वैसे भी इतिहास गवाह है कि भ्रष्टाचार के आरोप हमारे माननीयों पर चाहे जितने लगे हों, पर सजा शायद ही किसी को हुई हो और शायद होगी भी नहीं. सभी राजनैतिक दल भ्रष्टाचार के मामलों में बिना लाजशर्म के अपने सदस्य का बचाव करते हैं. विपक्ष द्वारा छवि बिगाड़ने के लिए किया गया दुष्प्रचार कह कर भ्रष्टाचार के गंभीर से गंभीर मामलों में वे अपनों का बचाव करते हैं. दूरसंचार मंत्री ए राजा का नाम 2जी स्पैक्ट्रम घोटाले में आने के बावजूद द्रविड़ मुनेत्र कषगम यानी द्रमुक पार्टी उन्हें ही मंत्री बनाए रखने की जिद पर अड़ी हुई थी और बहुत दिनों तक तो वह अपनी इस ब्लैकमेलिंग में कामयाब भी रही.

यदि आप के दल ने दबाव में आ कर आप को निष्कासित कर दिया है तो भी परेशान होने की कोई बात नहीं है. आप क्षेत्रीय दल बना कर चुनावों में ताल ठोक सकते हैं. विश्वास रखिए, गठबंधन सरकारों के इस दौर में वही दल, जिस ने चुनावों के पूर्व आप को निष्कासित किया था व आप से किनारा किया था, चुनावों के बाद आप के साथ मिल कर सरकार बनाने के लिए उतावला नजर आएगा. अब वह आप की सभी शर्तें मानने तथा मलाईदार विभाग देने के लिए बाध्य होगा. भारतीय राजनीति का इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है. पंडित सुखराम का उदाहरण याद है न, जिन्होंने निष्कासन के बाद हिमाचल विकास कांगे्रस की स्थापना की थी और विधानसभा चुनावों के बाद दोनों शीर्ष राजनैतिक दल (जो चुनाव के समय उन्हें भ्रष्टाचारी कहते थे) उन के साथ मिल कर सरकार बनाने के लिए उतावले थे.

भ्रष्टाचार के मामलों में आप का धर्म भी आप के लिए बहुत मददगार साबित हो सकता है. भ्रष्टाचार के किसी भी मामले में फंसने पर आप इसे एक धर्मविशेष के लोगों के साथ हो रहे अन्याय के साथ जोड़ सकते हैं. एक बार जहां आप ने अपने भ्रष्टाचार को धर्म से जोड़ा तो लाख भ्रष्टाचारी होने पर भी आप की विजय सुनिश्चित हुई समझिए, क्योंकि इस धर्मभीरु देश में किस की हिम्मत है, जो धर्म से भिड़ने की जुर्रत कर सके. भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन का उदाहरण याद है न, स्वयं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने पर उन्होंने स्वयं का बचाव करने के लिए अपने धर्म का ही सहारा लिया था. ये महाशय आजकल सांसद हैं.

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आप अपने भ्रष्टाचार को अपनी जाति के माध्यम से भी उचित ठहरा सकते हैं. जब दूसरी जाति वाले भ्रष्टाचार कर साफ बच रहे हैं तो अकेले आप को ही क्यों बलि का बकरा बनाया जा रहा है? अपने विरुद्ध जांच को आप अपनी पूरी जाति के विरुद्ध अत्याचार के रूप में प्रदर्शित कर सकते हैं. आप कह सकते हैं कि आप के प्रति जातिगत पूर्वाग्रह तथा दुर्भावना के कारण भ्रष्टाचार के इन मामलों को उठाया जा रहा है, वरना तो आप के विरुद्ध कोई केस बनता ही नहीं है. बंगारू लक्ष्मण का उदाहरण याद है न. भारतीय जनता पार्टी के भूतपूर्व अध्यक्ष जब भ्रष्टाचार के मामलों में रंगे हाथ पकड़े गए, तो स्वयं की जाति की आड़ ले कर ही बचने की कोशिश की थी. देश के सब से बड़े राज्य की मुख्यमंत्री जब भी भ्रष्टाचार के किसी नए मामले (ताज कौरीडोर) में फंसती हैं, स्वयं को ‘दलित की बेटी’ बता कर बचने की कोशिश करती हैं. जाति का नाम लेले कर लोग कहां से कहां पहुंच गए? जाति की आड़ में लोगों ने कैसेकैसे किए और आप जरा सा भ्रष्टाचार करने में घबरा रहे हैं? विश्वास कीजिए, आप की जाति आप को भ्रष्टाचार करने के लिए थोड़ीबहुत नहीं, पूरी छूट देती है. यह आप के लिए एक ऐसे सुरक्षा कवच का काम करती है, जिसे भेदना अच्छेअच्छों के बस की बात नहीं, इसलिए जातिप्रधान इस देश में जाति के महत्त्व का भरपूर दोहन करें.

यदि आप देश की रक्षा के नाम पर भ्रष्टाचार करना चाहते हैं तो आप का इस क्षेत्र में हार्दिक स्वागत है. यह इतना संवेदनशील मामला है कि देश की सुरक्षा के नाम पर आप बखूबी अपने कार्य को अंजाम दे सकते हैं. यह इतना सुरक्षित क्षेत्र है कि वर्ष दर वर्ष बीत जाते हैं, लेकिन असली अपराधी को पकड़ना तो दूर रहा, उस की पहचान तक नहीं हो पाती है. बोफोर्स तोप भूल गए जिन की धमक आज भी भारतीय राजनीति में सुनने को मिल ही जाती है. इसलिए रक्षा के क्षेत्र में निश्ंिचत हो कर भ्रष्टाचार करें.

वैसे तो भ्रष्टाचार के मामलों में पूरे राष्ट्र में गजब की एकता है. पूर्वपश्चिम, उत्तरदक्षिण, मध्य सभी क्षेत्रों के लोग भ्रष्टाचार करने व करवाने में गजब का वैचारिक साम्य रखते हैं. भ्रष्टाचार करने तथा दूसरे को न करने देने पर सभी एकमत हैं. फिर भी भ्रष्टाचार के किसी भी मामले में फंसने पर आप अपने क्षेत्र को अपनी सुरक्षा के लिए प्रयुक्त कर सकते हैं. आप का क्षेत्रीयता का कार्ड आप की सुरक्षा करने तथा वास्तविक मुद्दों से ध्यान बंटाने में आप की भरपूर मदद करेगा.

यदि भ्रष्टाचार के लिए आप ने धर्म को माध्यम चुना है तो हम आप के चयन पर आप की तारीफ करते हैं. धर्म की आड़ में आप अपने खेल को बहुत अच्छी तरह खेल सकते हैं. हमारा धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र सभी धर्मों के धर्माचार्यों का भरपूर सम्मान करता है. धर्म के नाम पर आप के द्वारा किए गए गोलमाल पर कोई उंगली उठाने की जुर्रत तक नहीं करेगा.

‘स्वभाषा उन्नति है’ अपनी स्वयं की भाषा भूल गए क्या? अपनी भाषा पर गर्व करना सीखिए. देख नहीं रहे क्या, भाषा के नाम पर लोग कैसीकैसी राजनीति कर रहे हैं, लोगों को बरगला रहे हैं, बहका रहे हैं, आपस में लड़वा रहे हैं राज ठाकरे याद हैं न. ऐसे लोगों की तो सारी राजनीति ही इस बेचारी भाषा के खेल पर टिकी हुई है. भाषा के नाम पर जब वे अपनी राजनीति की रोटियां सेंक सकते हैं तो क्या आप जरा सी कमाई नहीं कर सकते? यदि कभी कुछ होता भी है तो भाषा है न आप का बचाव करने के लिए. वहीं, गवाहों का बदल जाना, सबूतों का नष्ट हो जाना, हमारी जांच एजेंसियों की दक्षता, हमारी न्यायिक प्रणाली की त्वरित चाल ये और इन जैसी ढेरों बातें तथा इन सब के ऊपर ‘रिश्वत लेते पकड़े जाओ तो रिश्वत दे कर छूट भी जाओ’ वगैरह भी ऐसे उपाय हैं जो आप को कभी भी निराश नहीं करेंगे, सदैव आप के काम आएंगे. आप के लिए सुरक्षा कवच का काम करेंगे. इसीलिए तो हम कहते हैं, ‘भ्रष्टाचार कीजिए, सुरक्षित रहिए.

ट्रेंड में है कोल्ड शोल्डर ड्रेस

अगर आप अपने कंधों को ज्यादा दिखाना भी नहीं चाहतीं लेकिन हॉट लुक पाना चाहती हैं, तो कोल्ड शोल्डर ड्रेस आपके लिए है. फैशन की दुनिया में इस समय जगह बनाई हुई है कोल्ड शोल्डर ड्रेसेज ने.

यह 80 का हिट ट्रेंड रहा है, जो एक बार फिर इस सीजन में तेजी से पॉप्युलर हो रहा है. इस ड्रेस को पहनकर आपको स्टाइल और कम्फर्ट दोनों का ही एहसास होगा.

कोल्ड शोल्डर वाली ड्रेसेज पहनकर कंधे तो अट्रैक्टिव लगते ही हैं, साथ ही पहनने वाले को मॉडर्न लुक भी मिलता है. इस ट्रेंड की पॉपु्युलैरिटी का अंदाजा आप इस बात से ही लगा सकती हैं कि यह ट्रडिशनल से लेकर वेस्टर्न ड्रेसेज तक में छा गया है.

ऐसे करें कैरी

वैसे तो हर तरह के कंधे पर यह स्टाइल अच्छा लगता है, लेकिन इसे पहनते वक्त भी कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी है. घेरदार बाहों के कोल्ड शोल्डर टॉप को हमेशा अच्छी फिटिंग वाली जींस या स्कर्ट के साथ पहनें.

वहीं अगर अच्छी फिटिंग वाला टॉप पहन रही हैं, तो साथ में पलाजो या ए लाइन स्कर्ट पहनें. लहंगे में क्रॉप टॉप स्टाइल में कोल्ड शोल्डर खूब फबते हैं. ऑफिस वियर में हमेशा कम कट वाले कोल्ड शोल्डर टॉप या शर्ट पहनें.

हर बॉडी टाइप के लिए परफेक्ट

कोल्ड शोल्डर आपकी लोअर बॉडी से अटेंशन हटाकर गर्दन और कंधे को हाईलाइट करता है. इसी वजह से यह स्टाइल लगभग सभी तरह के बॉडी टाइप को सूट करता है. हालांकि इसके लिए अपनी बॉडी के हिसाब से सही वेस्टलाइन वाला आउटफिट चुनें.

टी-शर्ट से लेकर वन पीस ड्रेस तक

टी-शर्ट से लेकर वन पीस तक में इस ट्रेंड को अपनाया जा रहा है. ट्रडिशनल ड्रेसेज में आप चाहे लहंगा पहनें या साड़ी या पहनें सूट, आपको कोल्ड शोल्डर ट्रेंड मिलेगा. यह ट्रेंड हर एज ग्रुप के लिए है और हर तरह की ड्रेस पर अच्छा लगता है. लेकिन इसे कैरी करते समय सही कॉम्बिनेशन बनाकर चलना जरूरी है. साड़ी को ट्रेंडी बनाने के लिए आप भी कोल्ड शोल्डर ब्लाउज पहन सकती हैं.

इसी तरह कुर्ते और शर्ट के साथ भी कोल्ड शोल्डर स्टाइल ट्राई कर सकती हैं. ट्यूनिक में भी कोल्ड शोल्डर स्टाइल बेहद जंचता है. ईवनिंग पार्टी के लिए कोल्ड शोल्डर गाउन्स आपको एलीगेंट और स्टाइलिश लुक देंगे.

पार्टी लुक

पार्टी में अलग अंदाज के लिए कोल्ड शोल्डर या फिर ढीली बाजुओं पर कट्स वाली ड्रेस पहनें. कोल्ड शोल्डर वाले ढीले टॉप और शॉर्ट पैंट्स का तालमेल इन दिनों पार्टी में ज्यादा नजर आ रहा है. हॉल्टर नेक कोल्ड शोल्डर टॉप के साथ मिनी स्कर्ट या पैंट भी पहन सकती हैं. इसके साथ फंकी ज्वेलरी खूब फबेगी.

ऐसे पाएं प्रफेशनल लुक

कोल्ड शोल्डर परिधान और टॉप्स वैसे तो कैजुअल लुक के लिए जाने जाते हैं लेकिन अगर आप इन्हें प्लेन स्किनी जींस या ट्यूब पैन्ट्स और हील्स के साथ पहनें तो आप आसानी से प्रफेशनल लुक पा लेंगी.

विंटेज लुक

ऑफ शोल्डर स्लीक फिट टॉप के साथ ए लाइन स्कर्ट आपको विंटेज अंदाज देगा. कोल्ड शोल्डर क्रॉप टॉप के साथ हाई वेस्ट वाली अच्छी फिटिंग की स्कर्ट पहनें.

पैसे और शोहरत के लालच में फंसते युवा

कुछ ही लोग ऐसे होते हैं जो सफलता की राह तक पहुंचते हैं और दूसरों के लिए मिसाल बन जाते हैं जबकि कुछ मंजिल तक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं. ऐसा ही कुछ काम किया है इंडोनेशिया के युवक हेंडी ने. उस के पिता कतर में काम करते थे. हेंडी को बचपन से ही पैसे कमाने की ललक थी.

एक बार वह छुट्टियों में पिता के पास कतर गया था. वहां उस ने कबाब खाया, जो उसे बहुत अच्छा लगा. तभी उस के दिमाग में एक आइडिया आया और वह सोचने लगा कि इतनी बेहतरीन चीज आखिर उस के देश में क्यों पौपुलर नहीं है. अगर वह इसे अपने देश में ही बना कर बेचे तो बहुत अच्छा पैसा कमाएगा.

इंडोनेशिया में उस समय तक कबाब लोगों को ज्यादा पसंद नहीं था. घर वापस आ कर हेंडी ने सीमित साधनों के साथ कबाब को जनजन तक पहुंचाने की ठान ली. 2003 में उस ने एक ठेला गाड़ी ली और कबाब बेचने के लिए अपने एक दोस्त को भी साथ ले लिया, लेकिन जब काम ज्यादा अच्छा नहीं चला तो उस दोस्त ने भी साथ छोड़ दिया, लेकिन हेंडी ने हिम्मत नहीं हारी. तब वह कालेज में द्वितीय वर्ष में पढ़ रहा था. उस ने सोचा कि ऐसे तो काम नहीं चलेगा इसलिए उस ने पढ़ाई भी छोड़ दी. परिवार वालों ने इस का काफी विरोध किया. लेकिन हेंडी ने किसी की नहीं सुनी और अपने काम में लगन से जुट गया. धीरेधीरे काम ने रफ्तार पकड़ ली. आज वह दुनिया की सब से बड़ी कबाब चेन ‘कबाब टर्की बाबा रफी’ को सफलतापूर्वक चला रहा है. आज हेंडी की कंपनी इंडोनेशिया के अलावा फिलीपींस और मलयेशिया तक फैल चुकी है. उस की कंपनी में काम करने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है और वह 2 हजार को पार कर चुकी है. उस के हजार से ज्यादा आउटलेट्स हैं. इस काम के लिए हेंडी को कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं. इस तरह उस ने साबित कर दिया कि मेहनत के बल पर इंसान किसी भी ऊंचाई को छू सकता है.

लालच से बचें

आज सभी पैसा कमाने की अंधी दौड़ में लगे हैं. युवा भी इस के दीवाने हैं. वे ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में रहते हैं. लोगों के पास आज जितना पैसा आता जा रहा है उतना ही उन का लालच भी बढ़ रहा है. कभीकभी पैसा तो मिल जाता है, लेकिन उस के चक्कर में अपने दूर हो जाते हैं. कई बार अधिक पैसा कमाने की चाह भी इंसान को गलत रास्ते पर ले जाती है. आज पैसा ही पहचान बन गया है, इसीलिए सारी भीड़ इस के पीछे भाग रही है. सब रिश्तेनाते व संबंधों में पैसे को ही प्रमुखता दी जाती है, पैसे को ही सर्वश्रेष्ठ समझा जा रहा है. यहां तक कि पैसा कमाने के लिए लोग घर से दूर शहरों में रह कर मशीन की तरह काम कर रहे हैं, जिस कारण उन के पास अपनों के लिए भी समय नहीं है.

 

विदेश जाने की चाहत

विदेश जाने की ललक, वहां रह कर पैसा कमाने की चाह, यह सपना भारत का हर नौजवान देखता है, लेकिन इसे साकार करना सब के बस की बात नहीं होती. विदेश में काम करने की प्रक्रिया इतनी कठिन है कि उस की औपचारिकता पूरी कर पाना काफी कठिन है. इस के बावजूद हजारों युवा सुनहरे भविष्य का सपना ले कर विदेश काम करने जाते हैं, लेकिन वे वहां धोखा खा जाते हैं.

आज यूरोप और अमेरिका में काम के लिए वीजा पाना टेढ़ी खीर है, लेकिन खाड़ी देशों में काम मिलने में आसानी रहती है. यही कारण है कि हमारे हजारों युवा वहां काम करने के लिए जाते हैं, लेकिन उन्हें परेशानी तब होती है जब वे किसी इसलामिक कानून के उल्लंघन में पकड़े जाते हैं.

वहां हमारे युवा ही ज्यादा क्यों पकड़े जाते हैं, इस के कई कारण हैं. एक तो वहां के सख्त इसलामिक कानून की जानकारी इन युवाओं को नहीं होती और दूसरा न ही इन युवकों को शरीअत के बारे में ज्यादा मालूम होता है. वे वहां अनजाने में इन कानूनों का उल्लंघन कर बैठते हैं, जिस से मुसीबत में फंस जाते हैं.

खाड़ी देशों में अधिकतर वे युवक जाते हैं जिन के वहां रिश्तेदार काम करते हैं या कोई परिचित रहता है. ये कम पढ़ेलिखे युवक वहां जा कर कानून की मार झेलते हैं. उन का कम पढ़ालिखा होना ही उन की परेशानी का सबब बन जाता है. वहां साइन बोर्ड अंगरेजी और अरबी में लिखे होते हैं. वे उन्हें समझ नहीं पाते और छोटीछोटी गलतियां करने के कारण पकड़ लिए जाते हैं.

कभीकभी ऐसे मामले भी देखने में आए हैं जिन में बड़े घराने के युवा पर्यटक वीजा पर वहां जाते हैं और गैरकानूनी तरीके से काम करने लगते हैं, फिर पकड़े जाने पर जेल की हवा खाते हैं.

ऐसे में भारतीय दूतावासों के सामने 2 तरह की चुनौती खड़ी हो जाती है, एक तो जो लोग अनजाने में अपराध कर बैठते हैं, उन के लिए तो वहां की सरकार से गुहार लगाई जा सकती है, लेकिन जो गैरकानूनी तरीके से वहां काम कर रहे होते हैं उन के फंसने पर मामला बहुत पेचीदा हो जाता है, जिस कारण वे जल्द जेल से निकल नहीं पाते, क्योंकि वहां का कानून बहुत कड़ा है.

विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, भारत से बाहर रहने वाले 2 करोड़ 19 लाख प्रवासी भारतीयों में से 27त्न खाड़ी देशों में काम कर रहे हैं. इन में सब से ज्यादा मजदूर वर्ग है जो युवा है. संसार के 68 देशों की जेलों में बंद भारतीयों की सब से बड़ी तादाद खाड़ी देशों में ही है, जिन में युवा ज्यादा हैं.

विदेशी जेलों में बंद कुल भारतीयों में से 45 फीसदी खाड़ी देशों में हैं. इसलामिक कानून के उल्लंघन, चोरी, धोखाधड़ी और गैरकानूनी तरीके से काम करने या वहां रहने के आरोप में खाड़ी के 8 देशों में भारतीय युवा बंद हैं.

सऊदी अरब में लगभग 1,470 और संयुक्त अरब अमीरात में करीब 825 भारतीय युवा जेलों में बंद हैं. इराक, कुवैत, ओमान, कतर, बहरीन और यमन की जेलों में करीब 2,900 भारतीय नागरिक आज भी सजा काट रहे हैं.

इन के परिवार के लोग उन्हें छुड़ाने के लिए दूतावासों और विदेश मंत्रालय के चक्कर काटतेकाटते थक जाते हैं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिलती. कितने मांबाप तो अपनी जिंदगी की पूरी कमाई भी इसी में लुटा देते हैं, लेकिन बेटे को नहीं छुड़ा पाते. इस तरह न जाने कितने युवक विदेश जा कर पैसा कमाने के लालच में अपनी जिंदगी बरबाद कर रहे हैं.

छात्रों और अभिभावकों के सामने मुख्य प्रश्न है शिक्षा द्वारा रोजगार प्राप्ति अहम हो. लेकिन यह भी सत्य है कि रोजगार प्राप्ति के लिए छात्र जो सामान्य शिक्षा हासिल करते हैं, वही काफी नहीं है. अब सामान्य शिक्षा के अतिरिक्त अपने को योग्य साबित करने के लिए विशेष डिग्रियों के लिए युवक प्रयत्न करते हैं.

विशेष शिक्षा प्राप्त करने के लिए छात्रों को अतिरिक्त परिश्रम, समय व धन की आवश्यकता होती है, लेकिन सामान्य शिक्षा में भी परीक्षा में नकल, अंकपत्र में हेराफेरी जैसे हथकंडे अपना कर जबतब वे अपनी अयोग्यता का ही परिचय देते हैं.

जो योग्य छात्र अच्छी शिक्षा हासिल कर भी लेते हैं. वे रोजगार के लिए दरदर की ठोकरें खाते हैं. बड़ीबड़ी डिग्रियां ले कर भी बेरोजगार घूमते हैं या छोटेमोटे प्राइवेट स्कूलों में कम वेतन पर नौकरी करते हैं.

अगर इतना भर भी नहीं मिला तो पैसा कमाने के लिए विदेश के रास्ते खोजे जाते हैं. कमाना बुरा नहीं है लेकिन बेइंतहा पैसा कमाने के चक्कर में पनपा लालच व्यक्ति को घोर स्वार्थी बनाता है.

स्कूलों के अलावा अब कोचिंग संस्थानों ने भी शिक्षा को एक अच्छाखासा धंधा बना दिया है. अभिभावकों का भी विश्वास सरकार द्वारा संचालित स्कूलों और कालेजों की अपेक्षा कोचिंग संस्थानों में जमता जा रहा है.

अध्यापक कोचिंग संस्थानों को कमाई का अतिरिक्त व मोटा जरिया जान कर इन में पढ़ाने से गुरेज नहीं करते. शिक्षा में प्रायोगिक शिक्षा का पहले ही अभाव है और समाज का अधिकतम हिस्सा शिक्षा के मूलस्वरूप को ही बिगाड़ने में लगा है.

ना कहना भी सीखें

श्वेता का कालेज में पहला साल था. ऐडमिशन के 2 महीने बाद ही फ्रैशर पार्टी होनी थी. सीनियर छात्रों ने श्वेता को फ्रैशर पार्टी की सारी जिम्मेदारी दे दी. श्वेता को तो ना कहने की आदत ही नहीं थी. ऐसे में वह हर काम के लिए हां कहती गई. फ्रैशर पार्टी की जिम्मेदारी निभाते श्वेता को इस बात का खयाल ही नहीं रहा कि इस काम के चक्कर में उस की पढ़ाई का नुकसान हो रहा है. वह क्लास में पूरी अटैंडैंस भी नहीं दे पाई.

फ्रैशर पार्टी पूरी होने के बाद सब ने श्वेता के काम की काफी तारीफ की. श्वेता के कालेज में हर 6 महीने में अटैंडैंस चैक की जाती थी. श्वेता की अटैंडैंस सब से कम निकली. इस का नोटिस श्वेता के घर भेज दिया गया. घर वाले परेशान हो गए. कालेज मैनेजमैंट ने फैसला लिया कि जिस स्टूडैंट की अटैंडैंस कम होगी, उसे परीक्षा में बैठने नहीं दिया जाएगा. ऐसे में दूसरे स्टूडैंट्स के साथ श्वेता भी परीक्षा नहीं दे पाई. उस का एक साल बरबाद हो गया.

श्वेता और उस के घर वालों ने कालेज प्रबंधन से काफी रिक्वैस्ट की, लेकिन कालेज प्रबंधन ने कम अटैंडैंस वाले स्टूडैंट्स को परीक्षा ही नहीं देने दी. अपना बहुमूल्य एक साल खोने के बाद श्वेता को समझ आया कि यदि उस ने इस काम के लिए पहले ही ना कह दिया होता तो उसे इस तरह की परेशानी में नहीं पड़ना पड़ता.

इस तरह के हालात से न केवल कालेज में बल्कि कई बार जिंदगी में भी रूबरू होना पड़ता है. पढ़ाई पूरी करने के बाद दिनेश ने औफिस में काम शुरू किया. वह मेहनत और लगन से अपना काम करना चाहता था.

औफिस में उसे जो भी काम करने को कहता वह चुपचाप करने लगता. इस कारण उस पर काम का बोझ बढ़ने लगा. वह अपना काम तो करता ही था साथ ही दूसरों का काम भी निबटाता था.

कई बार तो काम ठीक तरह से हो जाता लेकिन कभीकभी काम सही तरीके से नहीं हो पाता या बिगड़ जाता तो लोग उस पर ही पूरी जिम्मेदारी थोप देते. ऐसे में दूसरों का काम कर के भी दिनेश लोगों को संतुष्ट नहीं कर पाता था. दिनेश को दोस्तों ने समझाया कि हर काम के लिए हां करने से कुछ भला नहीं होने वाला, अपना काम ठीक से करो, बेवजह दूसरों के काम करने से मना कर दो.

जब से दिनेश ने काम के लिए ना करना सीखा है, तब से वह अपना काम ठीक से कर पाता है. हर काम को हां करने की आदत असल में अधिकतर लोगों में होती है. उन को लगता है कि काम के लिए मना करने से दूसरों को बुरा लग सकता है.

गुणवत्ता में कमी

‘एक साधे सब सधे, सब साधे सब जाए’ कहावत का मतलब है कि अच्छे से एक काम करने से सब का भला होता है. सब काम एकसाथ करने से हमेशा काम खराब होने का खतरा रहता है. पर्सनैलिटी डैवलपमैंट की क्लास चलाने वाली रिचा श्रीवास्तव कहती हैं, ‘‘कई काम एकसाथ करने से काम की गुणवत्ता में कमी आने का खतरा रहता है.

‘‘ऐसे में जरूरी है कि जिस काम को सही तरीके से समय पर कर सकें उस की ही हामी भरें. कई कामों के लिए हां करने से उन के समय पर पूरा न होने का खतरा रहता है. उसी काम की कीमत होती है जो समय पर सही तरह से पूरा हो जाए. ऐसे में हर काम के लिए हां करने के पहले यह जरूर देखसमझ लें कि आप की क्षमता क्या है और कितना काम कर सकते हैं. केवल वाहवाही लूटने के लिए हर काम के लिए हां न करें.’’

हर काम की हां के पीछे यही सोच होती है कि लोग आप की तारीफ करें. आप को तरक्की और प्रशंसा मिले. परेशानी की बात यह है कि हर काम के लिए हां करने से आप की परेशानियां बढ़ती हैं. इस से काम की गुणवत्ता प्रभावित होती है और आप आलोचना का शिकार होते हैं.

ऐसे में जरूरी है कि हर काम के लिए हां करने की अपनी आदत को सुधारें और ना कहना भी सीखें. यह सोच गलत है कि किसी के बिना कोई काम रुकता है. आप के मना करने पर कोई दूसरा उस काम को कर लेगा. ऐसे में अपनी क्षमता साबित करने के लिए हर काम को करने का बीड़ा उठा कर न केवल आप काम का नुकसान करते हैं बल्कि अपने संगठन का भी नाम खराब करते हैं. ऐसे में आप की अच्छी आदत बुरे परिणाम देती है.

क्षमता का विकास करें

यह सही बात है कि हर किसी को हर काम में दक्ष होना चाहिए. आज का लाइफस्टाइल औलराउंडर पर्सनैलिटी वाला है. ऐसे लोग जल्दी तरक्की की सीढि़यां चढ़ते हैं. सही बात तो यह है कि ऐसे लोगों को देख कर ही दूसरे लोग हर काम के लिए हां करने लगते हैं. हर किसी की क्षमता एक जैसी नहीं होती. आप को औलराउंडर बनना है तो सब से पहले अपनी क्षमता का विकास करना होगा. हर काम को सीखने के बजाय यह देखें कि आप की पसंद के क्या काम हैं और किन कामों की आप को जरूरत है. आप अपनी जानकारी बढ़ा कर अपनी क्षमता का विकास कर सकते हैं.

जब आप की क्षमता का विकास हो जाएगा तो आप एकसाथ कई काम कुशलता से कर सकेंगे. जब तक आप की क्षमता का सही तरह से विकास न हो जाए एकसाथ कई काम करने से बचें.

रिचा श्रीवास्तव कहती हैं, ‘‘यह बात सही है कि आज के दौर में औलराउंडर लोगों की मांग है. हर काम के लिए ना कहना अच्छी बात नहीं है. जरूरत इस बात की है कि आप अपनी क्षमतानुसार मेहनत और लगन से काम करें. काम ठीक ढंग से होना, उस का समय पर होना और एक काम करने से दूसरे काम का नुकसान नहीं होना चाहिए.

‘‘अगर किसी में यह क्षमता है तो वह औलराउंडर की तरह काम कर सकता है. जब तक आप में इस तरह की क्षमता का विकास नहीं हो जाता तब तक आप को अपने काम पर फोकस करना चाहिए. परफैक्ट होने के लिए हर तरह के काम और उस से जुड़ी जानकारी बढ़ाते रहना जरूरी है. कई बार लोग बिना परफैक्ट जानकारी के ओवरस्मार्ट बनते हुए औलराउंडर बनने की कोशिश करते हैं, जो सही नहीं है.’’      

ना करें समझदारी से

– हर काम के लिए हां ही नहीं ना करना भी जरूरी होता है. किसी भी काम के लिए ना करते समय पूरी समझदारी दिखानी चाहिए. सच में जो काम आप नहीं कर पा रहे हों उस के लिए ही ना करें. ना करते समय ऐसा न लगे कि आप इस काम को कर सकते थे, इस के बाद भी ना कर रहे हैं.

– यह मत सोचिए कि आप के ना करने से दूसरे पर आप की पर्सनैलिटी का बुरा प्रभाव पड़ेगा. काम को खराब करने से अच्छा है कि उस के लिए मना कर दिया जाए. इस से कोई आप से बेहतर व्यक्ति इस काम को कर सकेगा.

– काम का बोझ तनाव और कार्यक्षमता को बढ़ा देता है. ऐसे में जिस काम को आप सही से करने की हालत में होते हैं वह भी नहीं हो पाता है. उस में तमाम गलतियां होने लगती हैं. काम में गलतियां हों उस से अच्छा है कि आप काम के बोझ को न बढ़ाएं और कुछ काम करने से मना भी करें.

– कई बार जिन लोगों में क्षमता नहीं होती वे केवल दिखावा करने या चापलूसी करने के लिए हर काम को करने की हां कर देते हैं. ऐसे में काम में देरी और खराब होने का खतरा होता है. अगर आप में काम करने की क्षमता नहीं है तो अपना और दूसरे का समय खराब करने से बेहतर है कि काम के लिए ना कर दें.

– काम की असल कीमत उस की गुणवत्ता से होती है. औलराउंडर पर्सनैलिटी का अलग ही स्थान होता है. इस के लिए सही माने में अपनी क्षमता का विकास करें. जब तक आप में क्षमता न हो, हर काम के लिए हां करने से बेहतर है कि जो काम कर सकें उसे ही करें, दूसरे काम के लिए ना.

पाकिस्तानी एक्ट्रेस वीना मलिक बनीं न्यूज एंकर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय अपने ऐतिहासिक इजरायली दौरे पर हैं. वो पहली बार इस देश मे जाने वाले भारतीय प्रधानमंत्री बन गए हैं. यह खबरें जहां काफी सुर्खियां बटोर रही हैं वहीं इसी बीच वीना मलिक का एक वीडियो काफी देखा जा रहा है. बिग बॉस में हिस्सा ले चुकीं पाकिस्तानी एक्ट्रेस अब एक चैनल पर न्यूज एंकर के तौर पर काम कर रही हैं.

ऐसा लगता है कि पाकिस्तानी चैनल पीएम मोदी और इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू की मुलाकात से काफी दुखी है. इसी वजह से एक बार फिर विवादों की क्वीन वीना खबरों में हैं. बेशक वो वीडियो में खबर पढ़ रही हैं लेकिन उन्हें भारत और इजरायली प्रधानमंत्रियों के खिलाफ बोलते हुए साफ सुना जा सकता है. वो दोनों की इस मुलाकात की आलोचना कर रही हैं.

वीना इस समय पाकिस्तानी चैनल पाक न्यूज के लिए काम कर रही हैं. चैनल द्वारा अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर किए गए इस वीडियो में साफ नजर आ रहा है कि वो किसी बुलेटिन को होस्ट कर रही हैं और पीएम मोदी और पीएम बेंजामिन की ऐतिहासिक मुलाकात की खबर पढ़ते हुए काफी गुस्से में हैं. वो यहां तक कहती हैं कि दो वैश्विक नेता हजारों मुस्लिमों की जिंदगी बर्बाद करने के लिए मुलाकात कर रहे हैं. उन्होंने मोदी को सपोला तक कहा. एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान बहुत करीबी से पीएम मोदी के इजरायली दौरे पर नजरें गड़ाए हुए हैं क्योंकि इससे उसपर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं. और वीना मलिक की न्यूज की यह वीडियो इस बात का सबूत है.

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर के अनुसार पाकिस्तान आधिकारिक तौर पर सरकारों और राज्यों के अन्य प्रमुखों के द्विपक्षीय दौरे पर टिप्पणी नहीं करता है, लेकिन वो करीबी से मोदी के दौरे को फॉलो कर रहा है. वीडियो में वीना भारत और पाकिस्तान को बुरा देश बताती हैं जिनका लक्ष्य मुस्लिमों को प्रभावित करना है. पूर्व बिग बॉस कंटेस्टेंट से इस तरह के शब्द सुनना काफी हैरानी वाली बात है. वीना ने भारत में कई प्रोजेक्ट्स पर काम किया है. हालांकि वो हमेशा से विवादों में रही हैं. ऐसा लगता है कि एंकर बनने के बावजूद उन्हें विवादों में रहना पसंद है. एक बात तो निश्चित है कि इस वीडियो की वजह से वो दोबारा लाइमलाइट में आ गई हैं.

गुड़हल के फूल से होते हैं ढेरों स्वास्थ्य लाभ

गुड़हल एक फूल होने के साथ-साथ कई तरह के स्वास्थ्य वर्धक गुणों से भी परिपूर्ण होता है. गुड़हल के फूल में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, आयरन, खनिज शरीर को कई बीमारियों से राहत दिलाने में मदद करते हैं. ये आपके बालों की समस्या को भी दूर कर देता हैं.

इसके साथ ही इसमें विटामिन सी की मात्रा भी प्रचुर मात्रा में होती है, जिससे आप इसका जूस या चाय बनाकर भी पी सकते हैं.

तो आइये आज हम आपको बताते हैं, गुड़हल का फूल हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना लाभदायक होता है.

1. एंटी एजिंग की समस्या होती है दूर

बहुत से लोगों को एंटी एजिंग और समय से पहले झुर्रियों की समस्या हो जाती है. जिसके लिए आप गुड़हल की चाय का सेवन कर सकते हैं. क्योंकि इस चाय में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो बढ़ती उम्र के संकेतों को कम करते हैं साथ ही आपकी त्वचा से खोई हुई नमी को दोबारा वापस दिलाने में मदद करते हैं.

2. घाव के लिए फायदेमंद

गुड़हल के रस में एंटीबैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं. जो घावों को भरने में मदद करते हैं. इसकी चाय के सेवन से आसानी से किसी भी घाव को भरा जा सकता है.

3. लीवर को सुरक्षित रखने में मदद करता है

गुड़हल में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट के गुण कई तरह की बीमारियों से राहत दिलाने में मदद करते हैं. एंटीऑक्सीडेंट हमारे शरीर में मौजूद ऊतकों में फ्री रेडिकल को निष्क्रिय करते हैं ताकि शरीर को कई बीमारियों से बचाया जा सके. गुड़हल की चाय का सेवन करने से कई अंगों की सुरक्षा की जा सकती है.

4. हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करता है

गुड़हल हाई ब्लड प्रेशर को ठीक करने का एक सबसे प्रभावी उपाय है. इसके साथ ही यह हाई कोलेस्ट्रॉल के लेवल को भी कम करने में मदद करता है. गुड़हल की चाय में बायोफ्लेवोनोइड कंपाउंड होता है जिससे कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर भी नियंत्रित हो जाता है.

5. बालों को स्वस्थ रखता है

गुड़हल में विटामिन सी और खनिज पाए जाते हैं. यह बालों की कई परेशानियों से भी निजात दिलाने में मदद करता है. गुड़हल के फूलों व पत्तियों का प्रयोग हेयर ट्रीटमेंट के लिये किया जाता है. इससे प्राकृतिक पैक, मास्क व तेल बनाया जाता है, जो बालों की समस्याओं को दूर करता है. यह बालों को केमिकल के दुष्प्रभावों से बचाने में मदद करता है. यह स्कैल्प को स्वस्थ बनाने के साथ लालिमा व खुजली की समस्या को भी दूर करता है. साथ ही इसके फूलों में मौजूद रसायन बालों को तेजी से बढ़ने में मदद करता है.

मेरी समस्या थोड़ी अजीब है. मेरे पति सहवास से पहले आलिंगन, चुंबन व स्तन मर्दन काफी देर तक करते हैं. बताएं मैं क्या करूं.

सवाल

मैं शादीशुदा युवती हूं. मेरी समस्या थोड़ी अजीब है. मेरे पति सहवास से पहले आलिंगन, चुंबन व स्तन मर्दन आदि काफी देर तक करते हैं. उन्हें इस में पता नहीं क्या आनंद आता है, जबकि मैं थक जाती हूं. मैं चाहती हूं कि फटाफट संबंध बना कर फारिग हो सो जाएं. बावजूद इस के वे पूरी तरह से इस में तल्लीन हो जाते हैं. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब

आलिंगनचुंबन आदि सहवास पूर्व की रति क्रीड़ाएं हैं. इन से कामोत्तेजना बढ़ती है और सहवास का आनंद दोगुना हो जाता है. आप को पति को पूर्ण सहयोग देना चाहिए. सहवास में तन के साथसाथ मन से भी प्रवृत्त होना चाहिए, तभी पतिपत्नी दोनों को आनंदानुभूति होती है. आप को मालूम होना चाहिए कि सैकस दांपत्य जीवन की धुरी होती है. अत: इस से विमुख न हों.

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होंठों को होंठों से मिलने दो जरा

हर युवक अपनी प्रेमिका के साथ जीभर कर वक्त बिताना चाहता है, उसे किस करना चाहता है. लेकिन प्यार का मतलब यह तो नहीं कि सारी सीमाएं ही लांघ दी जाएं, सारी मर्यादाएं तोड़ दी जाएं. ऐसे में जरूरी है प्रेमिका की रजामंदी. बिना प्रेमिका की अनुमति के किस करने की भूल न करें, क्योंकि इस से बात बिगड़ सकती है.

पहले प्यार की पहली मुलाकात और पहले प्यार की पहली किस हमेशा यादगार रहती है. इसे और अच्छा बनाने के लिए आप को निम्न बातों पर अमल करना होगा

– डेट पर जाते समय फ्रैश हो कर जाएं.

– अगर आप की बौडी से पसीने की बदबू आती है तो डियो लगाना न भूलें.

– काफी लंबा सफर तय कर के अगर आप अपनी प्रेमिका से मिलने जा रहे हैं तो माउथफ्रैशनर चबा कर ही अपनी प्रेमिका से बात करें.

– गाड़ी से जा रहे हैं तो उस के बैठने के लिए कार का दरवाजा आप खुद खोलें. इस से अच्छा प्रभाव पड़ेगा.

– डेट पर जाते समय धूम्रपान करने की भूल बिलकुल न करें.

– अपने होंठों पर खास ध्यान दें कि वह फटे या ड्राई तो नहीं हैं. अगर ड्राई हों तो लिपगार्ड का प्रयोग करें.

– प्रेमिका से मिलते ही किस न करें.

– जब पहली बार मिलें तो उस से उस का हालचाल जरूर पूछें फिर दिल खोल कर अपने मन की बात करें.

– प्रेमिका की तारीफ करना न भूलें, क्योंकि तारीफ सुन कर वह आप की ओर आकर्षित होगी.

– ऐसा माहौल क्रिऐट करने की कोशिश करें जिस से वह खुद ब खुद आप को किस देने के लिए तैयार हो जाए.

– उस की आंखों में आंखें डाल कर अपने प्यार का इजहार करें. इस से उसे लगेगा कि आप सच में उस से प्यार करते हैं.

– अगर आप उसे किस करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं और आप को अपनी तरफ बढ़ता देख वह मुसकरा रही है तो इस का मतलब इस में उस की भी सहमति है. ऐसे में आप पहले उस के हाथों पर, माथे पर फिर होंठों पर किस करें.

– पहली बार चूमते वक्त आक्रामक हो कर चुंबन की बौछार न करें. होंठों के बिलकुल पास होंठ ले जाएं और सांसों से सांसें मिलने दें. यह अंदाज आप को और भी रोमांटिक बना देगा.

– प्रेमिका के होंठों पर पहला किस बहुत धीरे से और प्यार से करें.

– सिर्फ किस तक ही सीमित रहें. कोई भी अश्लील हरकत न करें.

चुंबन लेना बहुत ही अंतरंग क्षण हैं. लेकिन इस का प्रदर्शन न हो इस बात का खास ध्यान रखें. जैसे :

– चुंबन लेने के लिए एकांत स्थान का चुनाव करें.

– सार्वजनिक स्थलों पर किस न लें.

– आप के निजी क्षण राह चलते लोग देखें तो यह सही नहीं होगा.

फायदे भी हैं चुंबन के :

– किस करने से मन खुश रहता है.

– किस आप के चेहरे की रौनक को और बढ़ाती है.

– किस करने से होंठ गुलाबी हो जाते हैं.

– किस करने से तनाव दूर होता है.

– किस करने से प्यार बढ़ता है.

किन-किन भाषाओं में बात कर सकते हैं ये बॉलीवुड सितारे

कुछ लोगों ने तो भारत में अंग्रेजी बोलने वाले को ज्ञानी मान लिया है, फिर चाहे उसे किसी चीज की समझ हो या न हो. लेकिन अगर कोई अंग्रेजी बोलना जानता है तो उसे हमारे समाज में कई लोग बुद्धिमान मान लेते हैं.

खैर भारत में हिंदी या अंग्रेजी बोलने वालों की कमी नहीं है और न ही हमारे बॉलीवुड में. बॉलीवुड के कई सेलिब्रिटीज और कलाकार तो ऐसे भी हैं जो हिंदी इंग्लिश के अलावा भी कई और भाषाओं बोल. पढ़ और समझ सकते हैं. हिंदी सिनेमा के कुछ सितारे तो ऐसे भी हैं जो कई विदेशी भाषओं का ज्ञान भी रखते हैं. आइये हम आपको मिलवाते हैं बॉलीवुड के ऐसे ही कुछ होनहार सितारों से…

रजनीकांत

सुपरस्टार रजनीकांत की एक्शन फिल्में तो आपने देखी हैं. इन एक्शन फिल्मों की तरह ही भाषा ज्ञान के क्षेत्र में भी वो अन्य लोगों से जरा हट कर हैं. ये बात को शायद आप जानते ह होंगे कि अभिनेता रजनीकांत की मातृ भाषा मराठी है, पर इसके अलावा भी वे कन्नड़, तमिल, तेलुगु, मलयालम, हिंदी और इंग्लिश भी एकदम फर्राटेदार बोलते हैं.

असिन थोडरमल

भाषा के क्षेत्र में बॉलीवुड हो या साउथ इंडिया, फिल्म इंडस्ट्री में असिन का मुकाबला करने वाले कम ही लोग हैं. इस एक्ट्रेस की मातृ भाषा तो मलयालम है, पर इसके अलावा कन्नड़, तमिल, तेलुगु, हिंदी, फ्रेंच और इंग्लिश भी वे फर्राटेदार बोल लेती हैं. खबरों की मानें तो असिन को इटालियन, जर्मन, स्पेनिश और मराठी भी बोलते देखा गया है.

कमल हसन

कमल भी कन्नड़, तमिल, तेलुगु, मलयालम, हिंदी और इंग्लिश भाषाओं को बोल सकते हैं.

प्रकाश राज

यूं तो भारतीय अभिनेतो प्रकाश की मातृभाषा तुलु है, लेकिन प्रकाश मराठी, कन्नड़, तमिल, तेलुगु, मलयालम, हिंदी और इंग्लिश भी बपुत अच्छे से बोल लेते हैं.

विद्या बालन

आज की सफल अभिनेत्रियों में से एक विद्या बालन के घर में, वैसे तमिल और मलयालम दोनों भाषाएं बोली जाती हैं. पर इसके अलावा भी हिंदी, मराठी, अंग्रेजी और बंगाली भी बोलना जानती हैं विद्या.

ऐश्वर्या राय

प्रकाश राज की तरह ही, ऐश्वर्या राय बच्चन की मातृभाषा भी तुलु है, लेकिन वे इसके अलावा हिंदी, अंग्रेजी, बांग्ला, मराठी और तमिल भाषाओं का ज्ञान रखती हैं.

शाहरुख खान

ये बात तो आज पूरी दुनिया जानती है कि बॉलीवुड के किंग खान दिल्ली से संबंध रखते हैं. शाहरुख हिंदी के अलावा अफ्गानी, अंग्रेजी और कन्नड़ भी बोलना जानते हैं.

अमिताभ बच्चन

बॉलीवुड के शहंशाह और महानायक अमिताभ बच्चन की मातृभाषा पंजाबी थी. आपको जानकर हैरानी होगी कि इसके अलावा अमिताभ हिंदी,इंग्लिश,पंजाबी और अवधी भाषा भी तेजी से बोल सकते हैं.

कंगना रनौत

बॉलीवुड में बिंदास बोल के लिए जानी, जाने वाली अभिनेत्री कंगना की मातृभाषा तो हिमाचली है, पर इसके साथ-साथ वे हिंदी, अंग्रेज़ी और फ्रैंच भी बोल लेती हैं.

अगर आप भी हैं अपनी नौकरी के नोटिस पीरियड पर तो ध्यान दें

नौकरी कर रहे व्यक्ति को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने राहत दे दी है. अब नोटिस पीरियड नहीं देने के कारण अगर कोई कंपनी पैसा काटती है तो फिर उस व्यक्ति को इनकम टैक्स नहीं देना पड़ेगा.

इनकम टैक्स अपीलीय प्राधिकरण ने इस बारे में आदेश देते हुए कहा है कि अब कोई भी कंपनी ऐसे किसी भी व्यक्ति का इनकम टैक्स नहीं काट सकेगी. इस मामले से जुड़ी दो कंपनियों के विवाद को निपटाते हुए प्राधिकरण ने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता है कि कंपनी दोनों तरफ से उस व्यक्ति को आर्थिक रुप से नुकसान पहुंचाएं.

प्राधिकरण की अहमदाबाद बेंच ने आदेश देते हुए कहा था कि व्यक्ति को मिलने वाली सैलरी पर ही टैक्स काट सकते हैं और उन पर टैक्स नहीं लगेगा जिनको नोटिस पीरियड सर्व नहीं करने के कारण काटा गया है.

इनकम टैक्स एक्ट में है यह प्रावधान

इनकम टैक्स एक्ट के अनुसार सैलरी पर टैक्स देय होता है, वो चाहे कंपनी अपने कर्मचारियों को दे अथवा नहीं देती है. जब कोई कर्मचारी संस्थान नोटिस पीरियड देने के बजाए सीधे इस्तीफा दे देता है, तो कंपनी सैलरी में से पैसे काट लेती है. लेकिन इनकम टैक्स अधिकारी इस तरह की कटौती को नहीं मानते हैं और वो नेट सैलरी पर इनकम टैक्स लगाते हैं.

प्राधिकरण ने माना रियल इनकम का कंसेप्ट

इनकम टैक्स अपीलीय प्राधिकण ने कहा कि जिस सैलरी के भाग को कंपनी ने पहले ही काट लिया है, उस पर इनकम टैक्स काटना सही नहीं है. इसलिए इनकम टैक्स अधिकारी उस राशि को कुल टैक्स राशि देय का हिस्सा नहीं मान सकते है.

आप नहीं जानते हैं वासेपुर की ये कहानियां

बॉलीवुड की सबसे चर्चित फिल्मों में से एक है, फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’, आइये जानते हैं इस फिल्म से जुड़ी ऐसी कुछ खास बातें जो आपको कोई और नहीं बताएगा…

– मनोज बापजेयी ने अनुराग कश्यप की लिखी सत्या, शूल और कौन में काम किया है लेकिन गैंग्स ऑफ वासेपुर से पहले तक उनकी बात नहीं होती थी. इस फिल्म के लिए अनुराग ने मन बनाकर उन्हें फोन किया. पूछा कि एक स्क्रिप्ट है, करेंगे? मनोज ने कहा, क्यों नहीं! तो वे रात 11.30 बजे अनुराग के पास पहुंचे.

– कुरैशियों से झगड़ा होने के बाद जब शाहिद खान (अहलावत) वासेपुर छोड़ धनबाद आता है तो कोयले की खदान में मजदूरी करने लगता है. एक सीन है जब वो कोयला तोड़ रहा है, बरसात हो रही है और बरसात का पानी अंदर आ रहा है. लेकिन किसी त्रासदी की संभावना में भी सब काम कर रहे हैं और बाहर से गेट बंद है. इसका संदर्भ और इशारा 1975 में धनबाद के पास हुई चसनाला खदान त्रासदी की ओर भी जाता है जब विस्फोट से खदान ढह गई और उसमें भयंकर पानी भर गया. इस त्रासदी में 370 से ज्यादा लोग मारे गए थे. ऐसी कई खदान त्रासदियां हुई हैं.

– विपिन शर्मा ने इस कहानी में कसाई अहसान कुरैशी का रोल किया है. इसके कुछ सीन असल कसाईबाड़े में चित्रित किए गए. जहां जमीन पर पूरा ख़ून और कीचड़ बिखरा था, जानवरों के शरीर के अंग कटे गिरे थे. वहां दृश्यों को शूट करते हुए उन्हें कई बार उल्टी हुई.

– गैंग्स ऑफ वासेपुर में शाहिद खान का किरदार जयदीप अहलावत ने निभाया था. शाहिद खान का बेटा होता है सरदार खान जो रोल मनोज बाजपेयी ने किया है. फिल्म में जयदीप को कास्ट करने का सुझाव अनुराग को मनोज ने ही दिया था.

– फिल्म की टीम लोकेशन हंट करने जब गई तो उन्हें ऐसा घर नहीं मिला जहां सरदार खान को रहते हुए दिखाया जाना था. बाद में अनुराग ने उत्तर प्रदेश में जो लोकेशन चुनी, वो दरअसल वही घर था जहां वे बचपन में रहते थे, और जहां उनके छोटे भाई अभिनव (दबंग के निर्देशक) का जन्म हुआ था. फिल्म के लिए उन्होंने ज्यादातर लोकेशन बनारस, ओबरा, अनपरा, मिर्जापुर वगैरह चुनी जहां उनका बचपन गुजरा या जो पहले से उनके जेहन में थीं.

– इस फिल्म के दो गानों में अनुराग के असिस्टेंट डायरेक्टर भी नजर आते हैं. भूस के ढेर में राई का दाना गाने में वासन बाला दिखते हैं जो अग्ली, बॉम्बे वेलवेट में सह-लेखक रहे हैं और पैडलर्स के निर्देशक. उसी तरह आई एम अ हंटर गाने में श्लोक शर्मा नजर आते हैं जिनकी पहली फिल्म हरामखोर सेंसर ने रोक रखी है. वे भी अनुराग के असिस्टेंट रहे हैं.

– इतने विशाल सेटअप वाली फिल्म में भारी बजट चाहिए होता है लेकिन अनुराग ने पूरी फिल्म को 10 करोड़ से भी कम की लागत में पूरा किया जो रिकॉर्ड है. भाग-2 को मिलाकर इसकी लागत करीब 18 करोड़ से भी कम रही. कश्यप मानते हैं कि उनकी जगह कोई और होता तो ये फिल्म 80 करोड़ से कम में नहीं बनती.

– मेकिंग में अनुराग ने कई स्थान पर चतुराई बरती. जैसे एक सीन में रमाधीर सिंह खड़े हैं और पीछे एक आधा ब्रिज बना दिख रहा है. ऐसा नहीं है कि उन्होंने कंप्यूटर ग्राफिक्स से वो आधा ब्रिज बनाया. उन्होंने मौजूदा दौर में बने हुए ब्रिज को सीजीआई से अलग-अलग जगह से मिटा दिया जिससे ये लगने लगा कि ये कुछ दशक पहले का दौर है जब ब्रिज निर्माणाधीन अवस्था में था.

– फिल्म में पीयूष मिश्रा नासिर का रोल निभाते हैं और तिग्मांशु धूलिया रमाधीर सिंह का. बताया जाता है कि अनुराग ने इन दोनों को ये दोनों रोल ऑफर किए थे और उन्हीं पर छोड़ा था कि वे कौन सा किरदार करना चाहते हैं.

21. कहानी में एक जगह सरदार खान का मुकाबला करना रमाधीर सिंह (तिग्मांशु धूलिया) के लिए मुश्किल हो जाता है तो मंदिर में एक आदमी रमाधीर से मिलता है और कहता है, “मुसलमानों से लड़ना है तो मुसलमानों को जोड़ लो साथ में”. इसके बाद रमाधीर सुल्तान कुरैशी (पंकज त्रिपाठी) को अपने साथ मिलाता है. इस आदमी की शक्ल भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर से मिलती-जुलती है. असल में ये पात्र चंद्रशेखर पर ही आधारित बताया जाता है. दरअसल रमाधीर का पात्र धनबाद जिले के झरिया से विधायक रहे सूरज देव सिंह पर आधारित है. इन सूरज देव को राजनीति में गाइड करने वाले चंद्रशेखर ही थे. फिल्म में यहां यूं दोनों का रिश्ता दिखाया जाता है.

– गैंग्स ऑफ वासेपुर-2 के अंत में फैजल खान मारा जाता है. लेकिन जिस फहीम खान पर नवाज का ये रोल आधारित है वो आज भी जिंदा है और धनबाद की जेल में बंद है.

– जब भाग-2 में फैजल खान के घर पर हमला होता है और वो छत के रास्ते से होते हुए निकलता है तो इस सीन में पहले आठ बार कोशिशें ज़ाया गईं. इसमें नवाजुद्दीन के वायर बांधे गए थे जिस वजह से उन्हें एक छत से दूसरी पर कूदने और फिर काफी नीचे तक उतरने में दिक्कत होती है. फिर नवाज ने कहा कि वे इसके बिना वायर कर सकते हैं. नौवीं कोशिश में उन्होंने बिना किसी वायर के ये किया और एक ही टेक में शॉट ओके हो गया.

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