मुझे एडवैंचर करने में बहुत मजा आता है : सिद्धार्थ मल्होत्रा

मौडलिंग से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाले अभिनेता सिद्धार्थ मल्होत्रा ने करण जौहर की फिल्म ‘स्टूडैंट औफ द ईयर’ से फिल्मों में अपनी पहचान बनाई. दिल्ली के सिद्धार्थ मल्होत्रा को मौडलिंग के दौरान लगा कि कुछ अलग करने की आवश्यकता है और मुंबई आकर करण जौहर के साथ ‘माई नेम इज खान’ के लिए सहायक निर्देशक का काम किया.

इसके बाद करण जौहर ने उन्हें फिल्म का भी औफर दिया था. पहली फिल्म बतौर अभिनेता सफल होने के बाद उन्हें कई और फिल्मों में काम मिला, लेकिन इनमें कुछ सफल, तो कुछ असफल रहीं.

सिद्धार्थ लड़कियों के बीच अपने हैंडसम लुक के लिए काफी प्रसिद्ध हैं. पहली फिल्म ‘स्टूडैंट औफ द ईयर’ में आलिया भट्ट के साथ काम करने के बाद उनकी दोस्ती आलिया से काफी बढ़ी है, वे दोनों कई बार किसी रेस्तरां या क्लब में साथसाथ भी देखे गए. इस बात को सिरे से नकारते हुए सिद्धार्थ कहते हैं कि आलिया सिर्फ उनकी दोस्त हैं, इस से अधिक कुछ नहीं. वे अत्यंत शांतप्रिय हैं और हर बात का सोच-समझ कर जवाब देते हैं. इस समय वे न्यूजीलैंड टूरिज्म के दूसरी बार ऐंबैसडर बने हैं. पेश हैं, उन से हुई बातचीत के मुख्य अंश :

ट्रैवल करना क्यों जरूरी है और आप को क्यों पसंद है?

यहां मेरा सिर्फ यह मकसद नहीं कि मैं केवल यात्रा को प्रमोट करूं, बल्कि मुझे यहां आना भी अच्छा लगता है. अगर आप घर से निकल कर कहीं घूमने जाते हैं, तो आप की सोच बढ़ती है. आप को अच्छा महसूस होता है, साथ ही आप को ऐनर्जी भी मिलती है, जो आज की भागदौड़ भरी जिंदगी के लिए बहुत आवश्यक है. ये अनुभव आप को खुद करने की जरूरत है, जो आप में एक आत्मविश्वास जगाते हैं. जो चीजें मैं ने न्यूजीलैंड में देखी हैं, वे अद्भुत हैं. यह सब तनाव को कम करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम है. हमारे यहां भी ऐसी सोच पैदा करने की आवश्यकता है. न्यूजीलैंड की संस्कृति भी बहुत अच्छी है, इस से आप प्रेरित होते हैं. मुझे एडवैंचर करने में बहुत मजा आता है.

इस के अलावा दिल्ली में इतना अधिक पर्यावरण प्रदूषण है कि वहां से निकल कर कहीं भी जाने पर मैं ताजगी महसूस करता हूं.

आप का फिल्मी सफर उतना सफल नहीं रहा, जितना होना चाहिए था, इस की वजह क्या रही?

मैं मुंबई से नहीं हूं, दिल्ली से आया हूं. ऐसे में एक विजन रख कर हमेशा चलने की जरूरत होती है. मेरा कोई गौडफादर यहां नहीं है जो मेरे हिसाब से फिल्में लिखी जाएं, जो मिला करता गया. अब मैं थोड़ा ध्यान रखता हूं कि फिल्में वही करूं जो मेरे लिए ठीक हों. लेकिन यह सोचने के बाद भी कुछ गलत हो जाता है. फिल्में नहीं चल पातीं. अभी तो मेरे काम की शुरुआत है कोशिश रहेगी कि आगे एक अच्छी फिल्म करूं.

संघर्ष का दौर खत्म हुआ है या नहीं?

अभी भी कुछ खास काम नहीं किया है, इसलिए संघर्ष का दौर अभी जारी है, क्योंकि मैं तसल्ली से बैठ कर सफलता को ऐंजौय नहीं कर सकता. रेस जारी है, जितनी सफलता मिली वह काफी है, लेकिन आगे और अधिक काम करना चाहता हूं.

किस बात से आप को डर लगता है?

डर इस बात से लगता है कि जो भी फिल्म करूं वह दर्शकों को पसंद आए ताकि वे मुझे देखने एक बार फिर हौल में जाएं. इस के लिए कुछ अलग करने की कोशिश हमेशा रहती है, जिसे ऐक्स फैक्टर कह सकते हैं. उस पर मैं अधिक ध्यान देता हूं.

कोई ड्रीम प्रोजैक्ट है?

ड्रीम प्रोजैक्ट है, मैं एक सुपर हीरो और नैगेटिव भूमिका निभाना चाहता हूं. अभी मैं एक मर्डर मिस्ट्री ‘इत्तफाक’ कर रहा हूं. उस में एक झलक सुपर हीरो की है पर पूरी तौर पर नहीं है. यह पुरानी फिल्म ‘इत्तफाक’ की रीमेक नहीं है.

मैंने पुरानी फिल्म नहीं देखी. मर्डर मिस्ट्री आजकल बहुत कम बन रही है इसलिए मैं इस फिल्म को करने में खुश हूं. निर्देशक जोया अख्तर, राजू हिरानी, इम्तियाज अली आदि सभी के साथ काम करना चाहता हूं.

फिटनैस पर कितना समय दे पाते हैं?

सप्ताह में 3 या 4 दिन वर्कआउट करता हूं, जिस में 45 मिनट से 1 घंटा तक समय दे पाता हूं, इस से कई बार रिकवरी भी नहीं हो पाती. अगर डांस की प्रैक्टिस करते हैं तो व्यायाम अपने-आप ही हो जाता है. मैं हमेशा शेप को बनाए रखने की कोशिश करता हूं.

क्या आप कभी अपने आप को अकेला महसूस करते हैं?

ऐक्टिंग प्रोफैशन अपने-आप में अकेलेपन को लाता है, इसके लिए मैं अपने काम पर अधिक ध्यान देता हूं जिस में मैं अपने जोनर को बारबार बदलता रहता हूं. लवस्टोरी से ले कर ऐक्शन सब तरह की फिल्में करने की कोशिश करता हूं, उस से मुझे बहुत उत्साह मिलता है. इस के अलावा अगर समय मिलता है तो कुछ दोस्त जो इंडस्ट्री से नहीं हैं उन के साथ समय बिताता हूं. वे बहुत सहयोग देते हैं. काम के अलावा यात्रा करना व पंजाबी खाना बहुत पसंद है. वैसे भी मैं बहुत फूडी हूं इसलिए हर न्यू चीज ट्राई करना पसंद करता हूं.

आप कई बार आलिया भट्ट के साथ दिखे हैं, क्या कुछ बताना चाहते हैं?

किसी के साथ घूमना फिरना, इसमें कोई बुराई नहीं है और हम दोनों अच्छे दोस्त हैं.  लोग क्या कहते हैं इस की मैं परवा नहीं करता.

सोशल मीडिया में तस्वीरें डालते वक्त रहें सावधान

पिछले दिनों चेन्नई के एक स्कूल ने एक फरमान जारी किया कि जिस बच्चे का सोशल मीडिया पर अकाउंट होगा, उस का स्कूल में दाखिला नहीं होगा. स्कूल में दाखिला लेते समय दाखिले के फार्म पर इस बात की जानकारी देनी होगी. स्कूल ने बच्चों को सोशल नैटवर्किंग साइट पर प्रोफाइल न बनने की हिदायत दी है, साथ ही जब तक बच्चे स्कूल में हैं उन के प्रोफाइल बनाने पर भी रोक लगा दी गई है. दरअसल, इन दिनों किशोरवय बच्चों के बीच फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसी सोशल साइट्स की लोकप्रियता में काफी वृद्धि दर्ज की गई है. लेकिन इन मीडिया मंचों पर 7-8 साल के बच्चों का यूजर प्रोफाइल मिलना और अधिक चौंकाने वाली बात है.

सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा मामले फोटो के दुरुपयोग के आते हैं, इसलिए अपनी निजी तस्वीरों को अपलोड ना ही करें तो बेहतर है. अगर कोई तस्वीर अपलोड करते भी हैं तो उसकी प्राइवेसी सेटिंग जरूरत के हिसाब से रखें. सोशल मीडिया पर सुरक्षा के विकल्प भी मौजूद होते हैं बस जरूरत है आपको जानकारी होने की.

सोशल मीडिया पर आजकल एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है इसमें एक लड़की अपने कपड़े बदलती हुई साफ देखी जा सकती है. इस वीडियो को स्पाई कैमरे के जरिए बनाया गया है, जिसमें साफ देखा जा सकता है कि लड़की किस तरह से अपने कपड़े बदल रही है किसी ने इस वीडियो को बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया.

आजकल हर कोई सोशल मीडिया का इस्तेमाल करता है और हर कोई इसमें अपना खासा समय व्यतीत करता है, पर कुछ शरारती तत्व इस तरह की हरकत करने से बाज नहीं आते, किसी शरारती तत्वों ने गर्ल्स हॉस्टल के बाथरूम में स्पाई कैमरा छुपा रखा था, जिससे उसने इस लड़की का पूरा वीडियो अपने कैमरे में कैद कर लिया.

अक्सर देखा जाता है सोशल मीडिया पर इस तरह के वीडियो कि अब बाढ़ सी आ गई है, फिर भी लोगों को यह समझना चाहिए कि इस प्रकार की हरकत सभ्य समाज में उचित नहीं. इस तरह की हरकत करके ना केवल वह इस लड़की का अपमान कर रहे हैं बल्कि समाज में भी गलत संदेश दे रहे हैं.

इस तरह की हरकतों को जल्द से जल्द बंद करने की जरूरत है नहीं तो यह समाज को दूषित करके एक अलग ही तरह का समाज बना देगी जहां पर हर कोई एक दूसरे को शक की नजर से नजर से देखेगा.

इन बॉलीवुड कपल्स ने ब्रेकअप के बाद नहीं किया साथ काम

रणबीर कपूर और कटरीना कैफ के प्यार की शुरुआत ‘अजब प्रेम की गजब कहानी’ के सेट पर हुई थी और अंत ‘जग्गा जासूस’ के सेट पर हुआ. दोनों के ब्रेकअप की चर्चा करीब एक साल से है. ब्रेकअप के बाद भी दोनों ने ‘जग्गा जासूस’ की शूटिंग जारी रखी और प्रमोशन में दोनों एक साथ कैमरे को पोज देते हैं. लेकिन ये दोनों की लास्ट मूवी है.

एक इंटरव्यू में जब कटरीना से पूछा गया कि क्या वो रणबीर के साथ काम करेंगी तो उन्होंने कहा, ये कभी नहीं होगा और रणबीर ने भी इसी तरफ इशारा किया है.

बता दें कि रणबीर और कटरीना पहले ऐसे कपल नहीं हैं, जिन्होंने ब्रेकअप के बाद एक-दूसरे के साथ काम नहीं करने का फैसला लिया. आइए जानते हैं, ऐसे दूसरे कपल्स के बारे में जिन्होंने ब्रेकअप के बाद कभी साथ काम नहीं किया.

सलमान खान-ऐश्वर्या राय बच्चन

दोनों का प्यार ‘हम दिल दे चुके सनम’ के सेट पर शुरू हुआ था. 2002 में ब्रेकअप के बाद ऐश्वर्या ने सलमान पर आरोप लगाया था कि सलमान अब तक उन्हें भुला नहीं पाए हैं और उन्हें परेशान कर रहे हैं. ऐश्वर्या ने ये भी कहा कि रिलेशलशिप के दौरान सलमान उन पर शक करते थें कि उनका दूसरों के साथ अफेयर है. ब्रेकअप के बाद दोनों ने एक-दूसरे के साथ कभी काम नहीं किया.

जॉन अब्राहम-बिपाशा बासु

9 साल तक रिलेशनशिप में रहने के बाद 2012 में ब्रेकअप करके जॉन और बिपाशा ने सबको चौंका दिया था. बिपाशा ने इसका जिम्मेदार जॉन को ठहराया था तो वहीं जॉन के दोस्तों ने बिपाशा पर उंगली उठाई थी. 2007 में दोनों ‘दन दना दन गोल’ में नजर आए थे. उसके बाद से दोनों किसी फिल्म में साथ नजर नहीं आए.

शाहिद कपूर-प्रियंका चोपड़ा

दोनों ने कई फिल्मों में साथ काम किया. दोनों के अफेयर की खबरें बहुत उड़ी लेकिन किसी ने मीडिया के सामने अपने रिश्ते को नहीं माना. हालांकि दोनों का रिश्ता ज्यादा दिन नहीं चल पाया. दोनों 2012 में ‘तेरी मेरी कहानी’ में अंतिम बार नजर आए थें.

रानी मुखर्जी-अभिषेक बच्चन

दोनों ने अपने रिश्ते को कभी भी नहीं स्वीकारा लेकिन खबरें थी कि 2000 के दशक में दोनों एक-दूसरे को डेट कर रहे थे. साल 2007 में अभिषेक ने ऐश्वर्या से शादी कर ली. दोनों अंतिम बार ‘लागा चुनरी में दाग’ में नजर आए थे.

सोनाक्षी सिन्हा-अर्जुन कपूर

दोनों का अफेयर बॉलीवुड का ओपन सीक्रेट है. दोनों कुछ साल पहले रिश्ते में थे. एआईबी के दौरान अर्जुन कपूर और रणवीर सिंह के रोस्ट ने दोनों की सच्चाई सामने ला दिया था. दोनों ने एक साथ ‘तेवर’ फिल्म की है, जो 2015 में आई थी.

जब महिलाएं लेती हैं रिटायरमेंट!

आपकी जिंदगी में भी वो एक समय आता है, जब अचानक से सबकुछ थम-सा जाता है. ना कहीं जाने की जल्दी और ना ही कहीं से घर लौटने की खुशी. ऐसा ही कुछ होता है, जब आप रिटायर्ड या सेवानिवृत होती हैं. जी हां, यहां हम बात कर रहे हैं, उन स्त्रियों की, जो एक लंबी अवधि की नौकरी के बाद रिटायर हो जाती हैं.

क्या है रिटायरमेंट ब्लूज?

जब आप काम करती हैं, तो अक्सर ही यह कहती हैं कि मैं तो इस काम से तंग आ गई हूं, पता नहीं कब इससे छुट्टी मिलेगी, पर क्या अब आपको ऐसा लगता है कि आपको यही छुट्टी चाहिए थी? कहीं रिटायरमेंट ने आपको अकेला तो नहीं कर दिया है? ऐसे कई सवाल आपके ज़ेहन में भी आते होंगे. तो आइए जानें, आपके रिटायरमेंट ब्लूज़ को. जब आप रिटायर होती हैं, तो अचानक आपको लगता है कि –

– आपकी पहचान खो गई है या आपके अस्तित्व को कोई ख़तरा है.

– अचानक आपको अपने ओहदे से जुड़े मान-सम्मान में कमी नज़र आने लगती है.

– जिस स्वतंत्रता को आप इतने सालों से पाना चाहती थीं, वह अचानक सज़ा लगने लगती है.

– अचानक आपको लगता है कि आपसे कोई बात नहीं करना चाहता और आपके साथ कोई खाना नहीं खाना चाहता.

– आप अपने आपको अकेली और अनुपयोगी पाती हैं.

अगर आप भी ऐसा ही महसूस कर रही हैं, तो चिंता की कोई बात नहीं है. हर रिटायर होती स्त्री ऐसी ही कशमकश में होती है. इसे ट्रांजिशन पीरियड कहा जाता है, मतलब आप इस समय अपने जीवन के बहुत बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही होती हैं. ऐसा नहीं है कि सिर्फ स्त्रियां ही इससे गुजरती हैं, पुरुष भी इस कठिन समय का सामना करते हैं, पर यह समय स्त्रियों के लिए अधिक संवेदनशील इसलिए हो जाता है, क्योंकि उम्र का यह वही पड़ाव है, जिसमें वे मेनोपॉज़ से भी जूझ रही होती हैं. मानसिक और शारीरिक दोनों ही आक्षेपों में यह समय काफ़ी नाज़ुक और कठिन होता है.

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार चाहे कोई स्त्री ऐच्छिक सेवानिवृत्ति ले या फिर अपनी सेवाएं पूरी करने के बाद रिटायर हो, ये तनाव सा दोनों ही जगहों पर देखने को मिलता है. इसका मतलब है, अचानक अकेलेपन का एहसास होना. ऐसा लगता है, जैसे अब किसी को आपकी जरूरत नहीं है. मेनोपॉज के समय वैसे ही हार्मोंस काफी डिस्टर्ब हो जाते हैं. इस अवस्था को डिप्रेशन तो नहीं कहा जा सकता, पर हां, यह डिप्रेशन के काफी करीब है.

इसके शुरुआती दिनों को ङ्गट्रांजिशन पीरियड कहते हैं. इस समय सबसे जरूरी है, समय के बहाव के साथ बहना. अपने साथ किसी तरह की जबर्दस्ती ना करें. खुद को समय दें. धीरे-धीरे आप खुद ही नई परिस्थिति में ढल जाएंगी.

रिटायरमेंट के लिए क्या है जरूरी?

जीवन के हर मोड़ पर प्लानिंग बहुत ज़रूरी है. आज जीवनशैली और सामाजिक संरचना में काफी बदलाव आए हैं, तो उस हिसाब से हमें भी अपनी सोच को बदलना होगा.

आज हो सकता है कि आपके रिटायरमेंट के बाद आपके बच्चे या नाती-पोते आपको समय ना दे पाएं, या फिर वे आपके साथ भी ना रह पाएं, तो उसमें उनको दोष ना दें, क्योंकि हो सकता है कि वाकई उनके पास समय का अभाव हो.

यह हमेशा ध्यान में रखें कि आप अपने जीवन में जो भी कदम उठाती हैं, वह आप सिर्फ अपने लिए उठा रही हैं, दूसरों के लिए अपने जीवन के निर्णय ना लें. तात्पर्य यह है कि अगर आप को अपनी नौकरी छोड़नी है, तो अपने लिए छोड़िए, यह मत कहिए कि आपने नौकरी बच्चों के लिए या फिर पति के लिए या फिर घर के लिए छोड़ी है, क्योंकि आपको ऐसा लगता है कि बच्चों को आपकी जरूरत है, पर हो सकता है कि ऐसा ना हो.

दूसरी मुख्य बात यह है कि हमेशा ध्यान रखें कि एक आत्मनिर्भर मां अपने बच्चों को भी आत्मनिर्भर ही बनाएगी, तो सेवानिवृत्ति के बाद यह सोचना कि बच्चे हर छोटी बात के लिए आप पर निर्भर होंगे, यह गलत है. बदलाव आपके जीवन में आया है, दूसरों के नहीं. बस खुद को समय दीजिए, अपनी सोच को सकारात्मक रखिए.

कैसे लड़ें रिटायरमेंट ब्लूज से?

रिटायरमेंट के कुछ समय पहले से खुद को उसके लिए तैयार करें.

– रिटायरमेंट को अपने जीवन की दूसरी पारी की शुरुआत बनाएं. यह अंत नहीं है.

– कल बिताए हुए समय के लिए अपने आज को दांव पर ना लगाएं अर्थात् अपने अस्तित्व को अपने काम से जोड़कर ना रखें.

– ऑफिस के बाहर भी अपना सामाजिक सर्कल रखें. ऑफिस के अलावा भी अपने मित्र बनाएं.

– रिटायरमेंट के बाद भी अपने आपको किसी ना किसी काम में व्यस्त रखें, जैसे- बच्चों को पढ़ाना, संगीत या ऐसी ही किसी हॉबी में खुद का समय व्यतीत करना.

– अपने अकेलेपन के लिए किसी और को दोषी ना ठहराएं. इसकी जगह दूसरों की व्यस्तताओं को समझने का प्रयत्न करें.

– खुद को किसी एनजीओ या संस्था से जोड़ें. हमउम्र लोगों के साथ समय व्यतीत करें.

– अगर इन सबके बावजूद आपकी मानसिक स्थिति में कोई बदलाव नहीं आ रहा है, तो एक बार किसी मनोवैज्ञानिक से मिलने में कोई बुराई नहीं है. आपका जीवन आपका अपना है. आपकी अहमियत, आपकी महत्ता किसी नौकरी से जुड़ी नहीं है, बल्कि आपकी सकारात्मक सोच से जुड़ी है, तो अपने पंखों को पूरा खोलिए, जो आज तक कई बंधनों से जकड़े थे और सकारात्मक सोच की हवा में अपने आसमान पर जी भरकर उड़ान भरिए.

क्या है पैल्विक इनफ्लैमेटरी डिजीज?

पैल्विक इनफ्लैमेटरी डिजीज यानी पीआईडी गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब्स और अंडाशय में होने वाला इन्फैक्शन होता है. कई बार यह इन्फैक्शन पैल्विक पेरिटोनियम तक पहुंच जाता है. पीआईडी का उचित इलाज कराना जरूरी है, क्योंकि इस के कारण महिलाओं में ऐक्टोपिक प्रैगनैंसी या गर्भाशय के बाहर प्रैगनैंसी अथवा पैल्विक में लगातार दर्द की शिकायत हो सकती है. आमतौर पर यह बैक्टीरियल इन्फैक्शन होता है, जिस के लक्षणों में पेट के निचले हिस्से में दर्द, बुखार, वैजाइनल डिसचार्ज, असामान्य ब्लीडिंग, यौन संबंधों या यूरिनेशन के दौरान तेज दर्द महसूस होना शामिल है.

क्या हैं पीआईडी के प्रारंभिक कारण

जब बैक्टीरिया योनि या गर्भाशय ग्रीवा द्वारा महिलाओं के प्रजनन अंगों तक पहुंचते हैं, तो पैल्विक इनफ्लैमेटरी डिजीज का कारण बनते हैं. पीआईडी इन्फैक्शन के लिए कई प्रकार के बैक्टीरिया जिम्मेदार होते हैं. अधिकांशतया यह इन्फैक्शन यौन संबंधों के दौरान होने वाले बैक्टीरियल इन्फैक्शन के कारण होता है. इस की शुरुआत क्लैमाइडिया और प्रमेह के रूप में होती है. एक से अधिक सैक्सुअल पार्टनर होने की स्थिति में भी पीआईडी होने का खतरा बढ़ जाता है. कई मामलों में क्षयरोग भी इस के होने का कारण बनता है. 20 से 40 वर्ष की महिलाओं में इस के होने की आशंका अधिक रहती है, लेकिन कई बार मेनोपौज की अवस्था पार कर चुकी वृद्ध महिलाओं में भी यह समस्या देखी जाती है.

यह होती है परेशानी

पीआईडी के कारण कई बार प्रजनन अंग स्थाई रूप से क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और फैलोपियन ट्यूब्स में भी जख्म हो सकता है. इस के कारण गर्भाशय तक अंडे पहुंचने में बाधा आती है. ऐसी स्थिति में स्पर्म अंडों तक नहीं पहुंच पाता या एग फर्टिलाइज नहीं हो पाते हैं, जिस की वजह से भू्रण का विकास गर्भाशय के बाहर ही होने लगता है. क्षतिग्रस्त होने और बारबार समस्या होने पर इन्फर्टिलिटी का खतरा बढ़ जाता है. वहीं जब पीआईडी की समस्या टीबी के कारण होती है तो मरीज को ऐंडोमैट्रियल ट्यूबरक्लोसिस होने की आशंका रहती है और यह भी इन्फर्टिलिटी का कारण बनती है. यहां तक कि कई बार महिलाओं में पीआईडी के कारण मासिकस्राव के बंद होने की भी शिकायत हो जाती है.

पहचान और उपचार

पीआईडी को रोकना संभव है. भले ही पीआईडी की समस्या के कुछ लक्षण नजर आते हों, बावजूद इस के इस का पता लगाने के लिए किसी प्रकार की जांच प्रक्रिया मौजूद नहीं है. मरीज से बातचीत के जरीए और लक्षणों के आधार पर ही डाक्टर इस की पुष्टि करते हैं. डाक्टर को इस बात का पता लगाने की आवश्यकता हो सकती है कि किस प्रकार के बैक्टीरिया के कारण पीआईडी की समस्या हो रही है. इस के लिए क्लैमाइडिया की जांच की जाती है. फैलोपियन ट्यूब्स में इन्फैक्शन का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड किया जा सकता है. पीआईडी का इलाज ऐंटीबायोटिक्स द्वारा किया जाता है. मरीज को दवा का कोर्स पूरा करना जरूरी होता है.

पीआईडी के बाद प्रैगनैंसी

जिन महिलाओं में पीआईडी के बाद प्रजनन अंग क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें फर्टिलिटी विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए ताकि सेहतमंद गर्भावस्था को बनाए रखा जा सके. पैल्विक इन्फैक्शन के कारण गर्भाशय के बाहर प्रैगनैंसी होने का खतरा 6-7 गुना तक बढ़ जाता है. इस खतरे को दूर करने और फैलोपियन ट्यूब्स में समस्या होने पर आईवीएफ थेरैपी कराने की सलाह दी जाती है, क्योंकि आईवीएफ के जरीए ट्यूब्स को पूरी तरह पार किया जा सकता है. फैलोपियन ट्यूब्स में किसी प्रकार का अवरोध होने की स्थिति में रिप्रोडक्टिव टैक्नोलौजी ट्रीटमैंट की सलाह दी जाती है.

(डा. सागरिका अग्रवाल, इंदिरा हौस्पिटल, नई दिल्ली मेंं आईवीएफ ऐक्सपर्ट हैं.)

किताबों के हैं शौकीन तो जरूर जाएं इन कैफेज में

अगर आपको किताबें पढ़ने का शौक है तो आपको अपनी फेवरिट लाइब्रेरी या घर के टेरेस तक सीमित रहने की जरूरत नहीं है. अब आपके पास ढेरों ऑप्शन जहां आप क्रिएटिव सेटिंग, बेहतरीन ऐंबियंस और स्वादिष्ट खाने का लुत्फ उठाते हुए अपने इस शौक को पूरा कर सकती हैं.

इन दिनों देशभर में बुक कैफेज का चलन तेजी से बढ़ रहा है. एक नजर देश के कुछ ऐसे ही बेहतरीन बुक कैफेज पर.

चा-बार ऑक्सफोर्ड बुकस्टोर

देशभर के कई शहरों में मौजूद है चा बार जहां आप चाय की चुस्की के साथ बेहतरीन किताबों का लुत्फ उठा सकती हैं. इस बुक कैफे में बुक रीडिंग सेशन, बुक लॉन्च और बुक साइनिंग जैसे कई इवेंट भी होते हैं.

कैफे स्टोरी, कोलकाता

इस कैफे का सेकंड फ्लोर पूरी तरह से किताबों से भरा पड़ा है लिहाजा अगर आप किताबी कीड़ें हैं तो यह जगह आपके लिए ही है. साथ ही इस कैफे में इटैलियन और कॉन्टिनेंटल खाने के साथ फ्री वाइ-फाइ भी मिलता है.

कैफे वॉन्डरलस्ट, गुरुग्राम

कैफे वॉन्डरलस्ट एक ट्रैवल कैफे है जहां ढेरों ट्रैवल बुक्स और मैग्जीन्स मौजूद हैं. यहां आकर आप अपनी अगली ट्रिप प्लैन कर सकती हैं. साथ ही आप यहां स्वादिष्ट भोजन का लुत्फ उठाते हुए ट्रैवल अडवाइजर से बात भी कर सकती हैं.

कैफे बुकवर्म, लखनऊ

लखनऊ में यह कैफे महज 4 साल पहले 2013 में शुरू हुआ है. इस कैफे की खासियत यह है कि आप यहां एक अच्छे ऐंबियंस में बैठकर फ्री में किताबें पढ़ सकती हैं.

कॉफी कप, सिकंदराबाद

इस बुक कैफे में कॉफी टेबल बुक्स की लाइब्रेरी होने के साथ ही आप यहां से किताबें खरीद भी सकती हैं.

पगडंडी, पुणे

जैसा की नाम से पता चल रहा है इस कैफे में ऐसे लोगों को प्रमोट किया जाता है जिन्हें कम लोग जानते हैं. इस कैफे में नए और कम मशहूर लेखकों और पब्लिशर्स की किताबों को जगह दी जाती है. साथ में चाय और नाश्ता तो है ही.

लिटराटी, गोवा

अगर आप गोवा में बीच और चर्च देखकर थक चुके हैं और कुछ अलग देखना चाहते हैं तो आप इस कैफे में अपना टाइम बिता सकते हैं. इस बुक कैफे में नई और पुरानी हर तरह की किताबों के साथ अच्छा खाना भी मिलता है.

क्रिस्पी दम अरबी करी

सामग्री

10-12 पीस अरबी

2 मध्यम आकार के प्याज का पेस्ट

1 चम्मच अदरक लहसुन का पेस्ट

2 टमाटरों का पेस्ट

1/2 छोटा चम्मच अजवाइन

1 चम्मच धनिया पाउडर

1/4 छोटा चम्मच हलदी पाउडर

1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

1/2 छोटा चम्मच गरममसाला

1/2 छोटा चम्मच हरीमिर्चे का पेस्ट

2 चम्मच धनियापत्ती कटी

अरबी तलने और छौंक के लिए तेल

1 चम्मच दही

नमक स्वादानुसार

विधि

अरबी को उबाल छील कर हाथों से हलका सा दबा लें. फिर इस में हलदी पाउडर व नमक

मिला कर गरम तेल में तलें. अब एक कड़ाही में तेल गरम कर के अजवाइन, हींग भूनें.

फिर प्याज का पेस्ट, अदरक लहसुन का पेस्ट व हरीमिर्च पेस्ट भून लें. तैयार मिश्रण में टमाटर पेस्ट, धनिया पाउडर, लालमिर्च पाउडर मिला कर तेल छोड़ने तक भूनें.

अब अरबी के तले टुकड़े, गरम मसाला, नमक, पानी व दही मिला कर उबाल आने तक पकाएं. धनियापत्ती से सजा कर सर्व करें.

-व्यंजन सहयोग: ज्योति मोघे

गर्मियों में निखरी त्वचा के लिए लगाएं ये पैक

गर्मियां बढ़ती जा रही है और ऐसे में चेहरे को चमकदार बनाए रखने के लिए त्वचा में नमी बनाए रखना और उसका पोषण बेहद जरूरी है. घर पर बने खीरे का पैक, टमाटर का रस, हल्दी, बेसन, दही और नींबू के रस से बना फेसपैक आपकी त्वचा में निखार और चमक बनाए रखने के लिए सबसे उपयुक्त है.

नियमित तौर पर पैक लगाने से सिर्फ चेहरे की सफाई ही नहीं टोनिंग और मॉइश्चराइजिंग भी की जा सकती है.

तरबूज फेशियल, खीरा फेशियल, स्ट्रॉबेरी फेशियल और आलू का इस्तेमाल कर फेशियल किया जा सकता है. ये चीजें आपके चेहरे को ताजगी का एहसास देगी और त्वचा को रिजूविनेट करेंगी. इससे गर्मी के मौसम में त्वचा को ठंडक महसूस होगा.

टमाटर का गूदा और रस त्वचा पर से टैनिंग हटाने में काफी मददगार होता है. यह त्वचा को कोमल, चमकदार बनाने के साथ ही रंग साफ भी करता है. इसे बालों पर भी लगाया जा सकता है, जिससे बालों में चमक आती है और तेज धूप में सुरक्षा प्रदान करता है.

त्वचा को हानिकारक पराबैंगनी किरणों से बचाए रखने का यह सही समय है, क्योंकि तेज धूप से टैनिंग, दाग-धब्बे पड़ने और झुर्रियां पड़ने जैसी समस्या हो सकती है.

एक नींबू को दो हिस्सों में काट लें. आधे हिस्से को सीधे त्वचा पर गोल-गोल घुमाते हुए मलें. ऐसा कम से कम पांच मिनट करें, उसके बाद ठंडे पानी से चेहरा धो लें. नींबू का रस विटामिन-सी से भरपूर होता है, जो त्वचा का रंग हल्का करता है. हल्दी और दही का पेस्ट इस्तेमाल करना भी कारगर होगा.

महिलाएं त्वचा में निखार लाने के लिए खीरा, बादाम और शहद से बना पैक भी लगा सकती हैं.

खीरे का ओवरनाइट फेसपैक बनाने के लिए सबसे पहले मिक्सर के इस्तेमाल से खीरे का रस निकाल लें, अब इसमें गुलाब जल और ग्लिसरीन समान मात्रा में मिलाएं. पेस्ट को न ज्यादा पतला बनाएं न ज्यादा गाढ़ा बनाएं और अब इसे रात में सोने से पहले लगा लीजिए. सुबह में चेहरे को साफ पानी से धो लें और थपथपाकर सुखा लें. कुछ दिनों में आपको अपने चेहरे के रंग में काफी बदलाव नजर आएगा.

एलोवेरा, खीरा और चंदन से बना फेसपैक टैनिंग को दूर करता है.

कार्टून से रचा गया नवाजुद्दीन का किरदार

बॉलीवुड के अंदर काफी लंबे समय से फिल्म ‘मॉम’ में नवाजुद्दीन सिद्दिकी के किरदार का लुक चर्चा का विषय बना हुआ है. इस फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दिकी ने दिल्ली के दरियागंज इलाके में पाए जाने वाले दयाशंकर कपूर का किरदार निभाया है.

फिल्म में नवाजुद्दीन का गेटअप बहुत अलग है, आंख में चश्मा पहने हुए चौड़ा माथा, गर्दन से नीचे तक जा रहे लंबे बाल, जो कि पीछे की तरफ कंघी से किए गए हैं. यह बहुत अनूठा गेटअप है.

अब तक नवाजुद्दीन सिद्दिकी ही क्यों कोई भी कलाकार इस तरह के लुक में नजर नहीं आया. जब से यह गेटअप सामने आया है, तब से लोग चर्चा कर रहे थें कि यह लुक किसने कैसे सोचा?

अब नवाजुद्दीन के इस लुक का सच सामने आ गया है. यह लुक फिल्म के निर्देशक रवि उद्यावर के दिमाग की उपज है. खुद रवि उद्यावर बताते हैं, ‘‘नवाजुद्दीन के किरदार का लुक क्या हो, यह सोचते सोचते एक दिन मैंने पहले उसका स्केच बनाया था. वह भी पहले मैंने एक कार्टून बनाया था. फिर उसको पॉलिश करते करते हम जिस रूप में पहुंचे, वही नवाजुद्दीन का किरदार बन गया.’’

मेरे पति ही मेरा सपोर्ट सिस्टम हैं : मंदिरा बेदी

बॉयकट बालों और छरहरे बदन वाली मंदिरा बेदी अपने स्टाइल और बिंदास अंदाज के लिए जानी जाती हैं. मुंबई के पंजाबी परिवार में जन्मीं मंदिरा ने पढ़ाई के बाद ऐडवरटाइजिंग एजेंसी जौइन की थी. इसी दौरान उन्हें दूरदर्शन के धारावाहिक ‘शांति’ के लिए रोल औफर किया गया. यह उन के जीवन का टर्निंग पौइंट साबित हुआ.

धारावाहिक ‘शांति’ के बाद उन्होंने कई अन्य धारावाहिकों और फिल्मों में भी काम किया. यही नहीं, क्रिकेट में रुचि रखने वाली मंदिरा ने न सिर्फ क्रिकेट कमैंट्री की मेल डोमिनेटेड फील्ड में कदम रखा, बल्कि इस नीरस क्षेत्र में ग्लैमर गर्ल बन कर भी उभरीं. उन का नूडल्स स्ट्रैपी ब्लाउज और साड़ी का अंदाज लोगों को खूब भाया मंदिरा फैशन डिजाइनर भी हैं.

उन्होंने साल 1999 में वैलेंटाइन डे के दिन बौलीवुड फिल्म डायरैक्टर राज कौशल से शादी की. शादी के 12 साल बाद 2011 में वे मां बनीं. आज 44 साल की उम्र में एक बच्चे को जन्म देने के बाद भी उन्होंने अपनी खूबसूरती और फिटनैस को पूरी तरह मैंटेन कर के रखा है. एक इवैंट में उन से बातचीत हुई :

मां बनने के बाद क्या काम पर वापस आना कठिन हुआ?

मैं जब प्रैगनैंट थी, तो सोचती थी कि पता नहीं मां बनने के बाद मुझे काम मिलेगा या नहीं. वैसे मैं ने 18 सालों से इस इंडस्ट्री में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई हुई थी. शायद यही वजह रही कि मेरा बच्चा जब 5 माह का था तभी मुझे काम के औफर आने लगे.

1994 की लंबे बालों वाली शांति से आप अब बॉयकट बालों में आ गई हैं. इसका राज क्या है?

इस में कोई राज नहीं है. सच तो यह है कि इतने सालों में मैं बहुत स्ट्रौंग हो गई हूं. पहले थोड़ी सहमीसहमी सी रहती थी. अब बिलकुल अपोजिट हूं. शायद इस का असर बालों पर भी नजर आ रहा है.

आप खुद को मोटिवेटेड कैसे रखती हैं?

छोटीछोटी सफलताएं ही आप को और ज्यादा पाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं. मान लीजिए मैं वेट लौस जर्नी पर हूं या किसी उद्देश्य की तरफ बढ़ रही हूं, ऐसे में यदि छोटेछोटे ही मगर सकारात्मक परिणाम आते हैं, तो बड़े परिणामों के लिए प्रेरणा मिलती है. छोटी सफलता ही बड़ी सफलता की चाह पैदा करती है.

काम के साथ-साथ घरपरिवार कैसे संभालती हैं? पति का कितना सपोर्ट मिलता है?

घर-परिवार एक साथ संभालने के लिए सपोर्ट सिस्टम की जरूरत होती है. इस मामले में मेरे पति मेरा बहुत साथ देते हैं. आज यदि मैं यहां दिल्ली में हूं और मेरा बेटा मुंबई में है, तो इसलिए क्योंकि वह पिता की देखरेख में है.

यदि एक पिता बच्चे के जन्म के बाद पुन: अपने कैरियर को एक नए मुकाम तक पहुंचा सकता है, तो एक पत्नी क्यों नहीं? मेरी सास अमेरिका में रहती हैं, मेरे मम्मी पापा दिल्ली में हैं, भाई सिंगापुर में, ननद अमेरिका में और हम मुंबई में. जाहिर है मेरे पास पति के सिवा कोई और सपोर्ट नहीं है. वही मेरे सपोर्ट सिस्टम हैं.

आज भी महिलाओं को जीवन में कई तरह के कंप्रोमाइज करने पड़ते हैं. इतना ही नहीं बच्चे व परिवार की खातिर अपना कैरियर तक छोड़ना पड़ता है? क्या कहेंगी आप?

सामान्य रूप में यदि पति और पत्नी दोनों कामकाजी हैं और परिवार बढ़ा रहे हैं, तो महिला का कैरियर ही बैकसीट पर जाता है. मगर यदि मैं अपनी और अपनी सहेलियों की बात करूं तो स्थिति कुछ अलग है. हम सभी समान रिलेशनशिप में हैं. हमें कभी अपने कैरियर के साथ समझौता नहीं करना पड़ा. हां, मैं चाहती हूं कि मेरी तरह दूसरी महिलाओं को भी यह आजादी मिले.

फिटनैस के लिए आप क्या करती हैं?

अपनी फिटनैस के लिए मैं किसी डाइटीशियन या न्यूट्रिशनिस्ट के पास नहीं जाती. मैं कोई खास डाइट भी नहीं लेती हूं. मुझे पता है कि क्या चीजें मेरे लिए अच्छी हैं और क्या बुरी. कभीकभी अगर खुद से चीट भी कर लेती हूं, तो अगले ही दिन से कवर भी कर लेती हूं. मैं नियमित रूप से व्यायाम करती हूं खासकर सुबह का व्यायाम कभी मिस नहीं करती.

आप की नजर में एक महिला की सबसे बड़ी ताकत क्या है?

देखिए, एक महिला की सब से बड़ी ताकत है कि वह मल्टीटास्क कर सकती है. वह एक साथ कई भूमिकाएं निभा सकती है. एक समय में ही वह मां, पत्नी, बेटी, बहू की भूमिकाओं में रह कर अपनी श्रेष्ठता साबित करती है. पुरुष कभी भी मल्टीटास्क नहीं कर सकता.

आप को किस तरह की ड्रैसेज ज्यादा पसंद हैं, वैस्टर्न या इंडियन?

मैं दोनों ही तरह की ड्रैसेज पसंद करती हूं. कुछ खास मौकों पर या औफिशियल मीटिंग्स के दौरान साड़ी पहनती हूं, तो डेटुडे बिजनैस में जींस पहनना पसंद करती हूं.

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