मेरे पति ही मेरा सपोर्ट सिस्टम हैं : मंदिरा बेदी

बॉयकट बालों और छरहरे बदन वाली मंदिरा बेदी अपने स्टाइल और बिंदास अंदाज के लिए जानी जाती हैं. मुंबई के पंजाबी परिवार में जन्मीं मंदिरा ने पढ़ाई के बाद ऐडवरटाइजिंग एजेंसी जौइन की थी. इसी दौरान उन्हें दूरदर्शन के धारावाहिक ‘शांति’ के लिए रोल औफर किया गया. यह उन के जीवन का टर्निंग पौइंट साबित हुआ.

धारावाहिक ‘शांति’ के बाद उन्होंने कई अन्य धारावाहिकों और फिल्मों में भी काम किया. यही नहीं, क्रिकेट में रुचि रखने वाली मंदिरा ने न सिर्फ क्रिकेट कमैंट्री की मेल डोमिनेटेड फील्ड में कदम रखा, बल्कि इस नीरस क्षेत्र में ग्लैमर गर्ल बन कर भी उभरीं. उन का नूडल्स स्ट्रैपी ब्लाउज और साड़ी का अंदाज लोगों को खूब भाया मंदिरा फैशन डिजाइनर भी हैं.

उन्होंने साल 1999 में वैलेंटाइन डे के दिन बौलीवुड फिल्म डायरैक्टर राज कौशल से शादी की. शादी के 12 साल बाद 2011 में वे मां बनीं. आज 44 साल की उम्र में एक बच्चे को जन्म देने के बाद भी उन्होंने अपनी खूबसूरती और फिटनैस को पूरी तरह मैंटेन कर के रखा है. एक इवैंट में उन से बातचीत हुई :

मां बनने के बाद क्या काम पर वापस आना कठिन हुआ?

मैं जब प्रैगनैंट थी, तो सोचती थी कि पता नहीं मां बनने के बाद मुझे काम मिलेगा या नहीं. वैसे मैं ने 18 सालों से इस इंडस्ट्री में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई हुई थी. शायद यही वजह रही कि मेरा बच्चा जब 5 माह का था तभी मुझे काम के औफर आने लगे.

1994 की लंबे बालों वाली शांति से आप अब बॉयकट बालों में आ गई हैं. इसका राज क्या है?

इस में कोई राज नहीं है. सच तो यह है कि इतने सालों में मैं बहुत स्ट्रौंग हो गई हूं. पहले थोड़ी सहमीसहमी सी रहती थी. अब बिलकुल अपोजिट हूं. शायद इस का असर बालों पर भी नजर आ रहा है.

आप खुद को मोटिवेटेड कैसे रखती हैं?

छोटीछोटी सफलताएं ही आप को और ज्यादा पाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं. मान लीजिए मैं वेट लौस जर्नी पर हूं या किसी उद्देश्य की तरफ बढ़ रही हूं, ऐसे में यदि छोटेछोटे ही मगर सकारात्मक परिणाम आते हैं, तो बड़े परिणामों के लिए प्रेरणा मिलती है. छोटी सफलता ही बड़ी सफलता की चाह पैदा करती है.

काम के साथ-साथ घरपरिवार कैसे संभालती हैं? पति का कितना सपोर्ट मिलता है?

घर-परिवार एक साथ संभालने के लिए सपोर्ट सिस्टम की जरूरत होती है. इस मामले में मेरे पति मेरा बहुत साथ देते हैं. आज यदि मैं यहां दिल्ली में हूं और मेरा बेटा मुंबई में है, तो इसलिए क्योंकि वह पिता की देखरेख में है.

यदि एक पिता बच्चे के जन्म के बाद पुन: अपने कैरियर को एक नए मुकाम तक पहुंचा सकता है, तो एक पत्नी क्यों नहीं? मेरी सास अमेरिका में रहती हैं, मेरे मम्मी पापा दिल्ली में हैं, भाई सिंगापुर में, ननद अमेरिका में और हम मुंबई में. जाहिर है मेरे पास पति के सिवा कोई और सपोर्ट नहीं है. वही मेरे सपोर्ट सिस्टम हैं.

आज भी महिलाओं को जीवन में कई तरह के कंप्रोमाइज करने पड़ते हैं. इतना ही नहीं बच्चे व परिवार की खातिर अपना कैरियर तक छोड़ना पड़ता है? क्या कहेंगी आप?

सामान्य रूप में यदि पति और पत्नी दोनों कामकाजी हैं और परिवार बढ़ा रहे हैं, तो महिला का कैरियर ही बैकसीट पर जाता है. मगर यदि मैं अपनी और अपनी सहेलियों की बात करूं तो स्थिति कुछ अलग है. हम सभी समान रिलेशनशिप में हैं. हमें कभी अपने कैरियर के साथ समझौता नहीं करना पड़ा. हां, मैं चाहती हूं कि मेरी तरह दूसरी महिलाओं को भी यह आजादी मिले.

फिटनैस के लिए आप क्या करती हैं?

अपनी फिटनैस के लिए मैं किसी डाइटीशियन या न्यूट्रिशनिस्ट के पास नहीं जाती. मैं कोई खास डाइट भी नहीं लेती हूं. मुझे पता है कि क्या चीजें मेरे लिए अच्छी हैं और क्या बुरी. कभीकभी अगर खुद से चीट भी कर लेती हूं, तो अगले ही दिन से कवर भी कर लेती हूं. मैं नियमित रूप से व्यायाम करती हूं खासकर सुबह का व्यायाम कभी मिस नहीं करती.

आप की नजर में एक महिला की सबसे बड़ी ताकत क्या है?

देखिए, एक महिला की सब से बड़ी ताकत है कि वह मल्टीटास्क कर सकती है. वह एक साथ कई भूमिकाएं निभा सकती है. एक समय में ही वह मां, पत्नी, बेटी, बहू की भूमिकाओं में रह कर अपनी श्रेष्ठता साबित करती है. पुरुष कभी भी मल्टीटास्क नहीं कर सकता.

आप को किस तरह की ड्रैसेज ज्यादा पसंद हैं, वैस्टर्न या इंडियन?

मैं दोनों ही तरह की ड्रैसेज पसंद करती हूं. कुछ खास मौकों पर या औफिशियल मीटिंग्स के दौरान साड़ी पहनती हूं, तो डेटुडे बिजनैस में जींस पहनना पसंद करती हूं.

चौकलेट फेशियल छिपाए बढ़ती उम्र

बढ़ती उम्र में भी खूबसूरती को बनाए रखना महिलाओं के लिए चुनौती भरा काम होता है. खासतौर पर उम्र के 30वें पड़ाव पर पहुंच चुकी महिलाएं अपनी त्वचा में होने वाले ढीलेपन और झुर्रियों से काफी परेशान रहती हैं. दरअसल, 30 की उम्र के बाद त्वचा में प्राकृतिक मौइश्चराइजर बनना बंद हो जाता है, जिसकी वजह से त्वचा में वह कसाव नहीं रहता है जो 30 की उम्र से पहले रहता है. चौकलेट फेशियल उम्र के 30वें पड़ाव पर पहुंच चुकी ही महिलाओं को लाभ पहुंचने के लिए ही है.

गृहशोभा फेब मीटिंग में फेशियल पर हुए स्पैशल सैशन में ब्यूटी ऐक्सपर्ट, मीनू अरोड़ा भी इस बात पर अपनी सहमति जताते हुए कहती हैं, ‘‘चौकलेट में ऐंटीऔक्सीडैंट और ऐंटीएजिंग प्रौपर्टीज होती हैं, जो लिंफैटिक ड्रैनेज के साथ त्वचा पर चढ़ी डैड सैल्स की परत को निकाल देती हैं और त्वचा पर कसाव के साथसाथ निखार और चमक भी लाती हैं.’’

चौकलेट फेशियल कराता है रिलैक्स फील

वैज्ञानिक तथ्य बताते हैं कि चौकलेट की सुगंध और स्वाद दोनों से ही मानव शरीर में हैप्पी हारमोन रिलीज होते हैं, जो मानसिक तनाव को कम करते हैं और खुशी का अनुभव कराते हैं. चौकलेट फेशियल का काम भी कुछ ऐसा ही है, क्योंकि यह फेशियल रक्त में मौजूद सैरोटेनिन यौगिक को बढ़ा देता है, जो तनाव को कम करने में मदद करता है.

सही स्क्रबिंग देती है सही इफैक्ट

चौकलेट फेशियल की शुरुआत दूध से चेहरे की क्लींजिंग करने से होती है. इस के बाद चेहरे को ओटमील, डिस्प्रिन की टैबलेट, शुगर फ्री चौकलेट के पिघले टुकड़े, 1 चम्मच कौफी पाउडर और शहद से स्क्रब किया जाता है.

स्क्रबिंग का सही तरीका बताते हुए मीनू कहती हैं, ‘‘कभी भी स्क्रब लगाते हुए चेहरे को रगड़ना नहीं चाहिए, बल्कि कुछ देर चेहरे पर स्क्रब लगा रहने देना चाहिए. फिर धीरेधीरे उंगलियों को सरकुलेशन मोशन में घुमाते हुए स्क्रबिंग करनी चाहिए. इस से रक्त संचार सुचारु हो जाता है और त्वचा के डैड सैल्स निकल जाते हैं.’’

कोल्ड कंप्रैशर भी जरूरी

स्क्रबिंग के बाद त्वचा को हौट कंप्रैशर देने के लिए स्टीम की जगह पानी में बोरिक ऐसिड मिला कर इस मिश्रण में रूमाल भिगो कर चेहरे पर कुछ देर रखा जाता है. हौट कंप्रैशर त्वचा के पोर्स खोल देता है और उन के आकार को बड़ा कर देता है. बड़े पोर्स बेहद भद्दे लगते हैं, इसलिए हौट कंप्रैशर के तुरंत बाद कोल्ड कंप्रैशर देना जरूरी होता है. इस के लिए ठंडे पानी या बर्फ का इस्तेमाल किया जाता है.

मसाज का महत्त्व

त्वचा को पैनीट्रेट करने के लिए चौकलेट के पिघले टुकड़ों को ऐलोवेरा जैल में मिला कर त्वचा पर लगाया जाता है और नारियल पानी के साथ अल्ट्रासोनिक मसाज दी जाती है. यदि त्वचा औयली है, तो जैल की सामग्री में चुटकी भर सी साल्ट डाल कर त्वचा को मसाज दी जाती है. दरअसल, सीसाल्ट अतिरिक्त तेल को त्वचा से खींच लेता है.

ऐंटीएजिंग फेशियल का सब से प्रमुख हिस्सा होता है स्किन टाइटनिंग क्रीम से चेहरे को दी गई मसाज. इस से त्वचा में कसाव और चमक दोनों आ जाती हैं. मीनू बताती हैं कि इस मसाज में चेहरे के खास प्रैशर पौइंट्स को दबाया जाता है, इस से रक्त संचार बढ़ता है और बहुत ही रिलैक्स महसूस होता है.

फेशियल का आखिरी चरण

सबसे आखिर में ग्लो पैक में पिघली चौकलेट को डाल कर 5 मिनट के लिए चेहरे पर लगाया जाता है. इस के बाद एक बार फिर चेहरे को हौट कंप्रैशर और कोल्ड कंप्रैशर दिया जाता है.

चौकलेट फेशियल के बाद चेहरे को साफ पानी से जरूर साफ कर लें, क्योंकि चेहरे पर चौकलेट की चिपचिपाहट रह जाती है. बिना एसपीएफ क्रीम लगाए धूप में न निकलें, क्योंकि फेशियल के बाद त्वचा में पतलापन आ जाता है और तेज धूप से पतली त्वचा झुलस सकती है.

चौकलेट फेशियल के फायदे

– चौकलेट फेशियल किसी भी प्रकार के स्किन टाइप पर किया जा सकता है.

– चौकलेट में मौजूद ऐंटीऔक्सीडैंट्स त्वचा को फ्री रैडिकल डैमेज से भी बचाते हैं.

– चौकलेट में त्वचा को टैनिंग से बचाने की क्षमता भी होती है.

– यह स्किन को हाइड्रेट भी करता है, जिस से त्वचा की कोमलता बरकरार रहती है.

द्य चौकलेट फेशियल त्वचा में तेजी से कोलोजन बनाता है, जिस से त्वचा की इलास्टिसिटी बनी रहती है.

फेशियल से पहले ध्यान रखें

– फेशियल से पहले ब्लीच न कराएं, क्योंकि ब्लीच त्वचा पर कैमिकल की एक परत चढ़ा देती है, जिस से फेशियल का असर त्वचा पर कम दिखता है.

– फेशियल से 2 घंटे पहले कुछ भी न खाएं, क्योंकि शरीर एक समय एक ही कार्य कर सकता है यानी या तो खाना पचा सकता है या फिर मानसिक थकावट को कम कर रक्त संचार बढ़ा सकता है.

– यदि चेहरे पर पिंपल्स हैं या पके दाने हैं, तो पहले उन का ट्रीटमैंट करें. फेशियल कराने के हफ्ता भर पहले कच्चे दूध में लौंग भिगो कर मिश्रण को दानों पर लगाएं. 3 दिन में दाने सूख जाएंगे.

– हर 25 दिन में ही फेशियल कराएं. यदि इस से पहले कराएंगी तो त्वचा के डैड सैल्स के साथ ऐक्टिव सैल्स भी निकल जाते हैं, जो त्वचा के लिए हानिकारक है.

शर्मनाक : जब सड़क पर लोगों ने फाड़ दिए इस लड़की के कपड़े, एक बार जरूर देखिए ये वीडियो

निगाहें! निगाहें बयां करती हैं हमारी सोच को, निगाहें बयां करती हैं हमारी मानसिकता को, कई बार सिर्फ निगाहें ही किसी को इतना कष्ट दे देती हैं कि वह जीवन भर उस दर्द और कष्ट को भूल नहीं पाता. कई बार हम देखते हैं मगर देखने का अंदाज सही नहीं होता. हम आदी हो चुके हैं गलत निगाहों के, इसलिए हमें समझ में नहीं आता कि हम क्या कर रहे हैं. कई बार हमारी निगाहें इस कदर तीखी होती हैं जो किसी धारदार हथियार सरीखी तेज होती हैं, देखने का यह अंदाज किसी को चीर देने के लिए काफी होता है.

हमारी निगाहों की ऐसी धार बेहद बुरी है हमें जानना और समझना चाहिए कि हम जो देखना चाह रहे हैं उसी नजर से कोई हमें देखे तो उसके क्या मायने हैं, कल्पना कीजिये कि आपकी तेज धारदार निगाहें किसी के बदन को ढकें कपड़ों को चीर दें तो उसकी स्थिति क्या होगी या अगले इन्सान की नजरों में आपकी हैसियत क्या होगी.

हम पुरुष ऐसी निगाहों से क्यों देखते हैं जो किसी स्त्री के शर्मिंदा करने के लिए काफी होती हैं, हमारी निगाहें अक्सर कपड़े के भीतर तक झांकने की कोशिश क्यों करती हैं. हमारी निगाहें हमारे बस में नहीं हैं या फिर हमारा मन हमारे बस में नहीं हैं, अपनी निगाहों से किसी के कपड़ों को चीर देना उसे कितना कष्टकारी हो सकता है इस बात का अंदाजा आप ऐसे नहीं लगा पाएंगे.

इस बात का सही अंदाजा दिलाने के लिए भोपाल के जॉइन फिल्म द्वारा करीब दो साल पहले एक वीडियो बनाया था, इस वीडियो को अब तक करीब 13 लाख लोग देख चुके हैं, इस वीडियो को बेहद अद्भुत तरीके से फिल्माया गया है, पूरे वीडियो में गिनकर 5 डायलाग भी नहीं होंगे, फिर भी यह वीडियो आपसे बेहद सटीक संवाद करेगा. आपके अन्दर एक बार के लिए खलबली जरूर मचाएगा.

देखिये इस वीडियो को, क्योंकि इस वीडियो में सड़क पर चलती महिला के कपडे फटने लगते हैं, सुबह से शाम तक कई बार उसकी शर्ट फटकर उसका बदन दिखा देना चाहती है, और अंत में उसकी शर्ट फटकर जमीन पर गिर जाती है.

‘ठग्स ऑफ हिंदोस्तान’ के लिए आमिर ने बदला लुक, देखें तस्वीर

बॉलीवुड स्टार आमिर खान ने अपनी अपकमिंग फिल्म ‘ठग्स ऑफ हिंदोस्तान’ के लिए अपना लुक पूरी तरह बदल लिया है. आमिर खान अपनी फिल्मों के लिए जी-तोड़ मेहनत करते हैं और अपने किरदारों के लिए वो अपनी बॉडी को भी बहुत जल्दी बदल लेते हैं.

अपनी फिल्म के मुताबिक लुक्स लेने वाले आमिर का दंगल के लिए किया गया उनका ट्रांसफॉर्मेशन हम कैसे भूल सकते हैं. ‘दंगल’ के लिए उन्होंने अपना वजन 120 किलो कर लिया था.

फिलहाल आमिर ‘ठग्स ऑफ हिंदोस्तान’ की शूटिंग कर रहे हैं और इस फिल्म के लिए उन्होंने अपना 50 किलो वजन कम कर लिया है. अब आमिर अपने नॉर्मल वेट 70 किलो पर आ गए हैं.

फिल्म ‘ठग्स ऑफ हिंदोस्तान’ के सेट से उनकी कुछ तस्वीरें सामने आई हैं, जिसमें वो पतले नजर आ रहे हैं. ट्विटर पर आमिर के फेन पेज ने उनकी तस्वीरें शेयर की है. इन तस्वीरों में एक्ट्रेस फातिमा सना शेख भी नजर आ रही हैं.

आमिर ने सिर्फ अपना वजन ही कम नहीं किया है बल्कि अपना बॉडी टाइप भी बदल लिया है. उनके कंधे भी अलग दिख रहे हैं.

मालूम हो कि इस फिल्म में आमिर खान और मंगल पांडे पहली बार साथ में नजर आने जा रहे हैं. फिल्म का लोगो पहले ही रिलीज किया जा चुका है.

सुपरस्टार आमिर खान का कहना है कि उनकी अगली फिल्म ‘ठग्स ऑफ हिंदुस्तान’ के शुरुआती चरण में काफी बड़े एक्शन दृश्यों की शूटिंग की जाएगी, जिसके लिए वह यूरोपीय देश माल्टा में प्रशिक्षण ले रहे हैं.

यशराज बैनर की इस फिल्म के बैनर तले पहली बार आमिर खान और अमिताभ बच्चन एक साथ काम कर रहे हैं. इस फिल्म में समुद्र में एक्शन सींस को दिखाया जाएगा. आमिर ने कहा, मैं अमिताभ बच्चन के साथ पहली बार काम करने को लेकर काफी एक्साइटिड हूं. यह सपने के सच होने जैसा है. मैं उनका हमेशा से बहुत बड़ा फैन रहा हूं. मेरे लिए उनके साथ एक पर्दे पर साख काम करना यादगार पल होगा.

 

एक सीरियस फिल्म करना चाहता हूं : कृष्णा अभिषेक

हंसना और हंसाना एक कला है जिससे सभी को शांति और सुकून मिलती है. अगर इस थिरेपी को व्यक्ति अपने जीवन में शामिल कर ले तो बहुत कम दवा की जरुरत पड़ती है. ऐसी ही सोच और कॉमेडी की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले अभिनेता कृष्णा अभिषेक स्वभाव से भी हंसमुख हैं.

टीवी धारावाहिकों के अलावा उन्होंने कई कॉमेडी फिल्में भी की हैं, जिसमें ‘बोलबचन’ और ‘एंटरटेनमेंट’ खास है. वे एक डांसर भी हैं. बचपन से ही अभिनय की शौक रखने वाले कृष्णा अभिषेक का असली नाम अभिषेक शर्मा है. इन दिनों वे कलर्स टीवी पर एक रियेलिटी शो ‘इंडिया बनेगा मंच’ में होस्ट हैं. उनसे बात करना रोचक था, पेश है अंश.

इस शो के साथ जुड़ने की खास वजह क्या थी?

ये एक अलग प्रकार की रियलिटी शो है, इसमें स्टूडियो के अंदर बैठे जजेज फैसला नहीं लेते. इसमें हर ऐतिहासिक जगह पर परफॉर्मर अपना मंच लगाकर वहां परफॉर्म करते हैं और आम जनता ही निर्णायक होती है. अधिक से अधिक लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने में समर्थ हो पाना ही इस शो की खासियत है. इसमें कैमरा छुपा कर रखा जाता है, हम सभी दूर से उसे देखते हैं कि परफॉर्मर कितना सफल हो पा रहा है. इसमें जो जितना अधिक लोगों को अपनी ओर जमा कर सकेगा, वही इस शो का अंतिम टैलेंटबाज होगा. ये बहुत ही मेहनत वाला शो है. मेरे लिए चुनौती ये है कि कॉमेडी के किसी भी शो में मस्ती, ओवर कॉमेडी, पिंनिंग आदि चलती थी, लेकिन इसमें इमोशन है, जो मुझसे जुड़ी है. दिल्ली की इंडिया गेट, कनॉट प्लेस, रेडफोर्ट और कोलकाता में हावड़ा ब्रिज, पिन्सेप घाट मुंबई में जुहू बीच आदि, देश के सभी ऐतिहासिक जगहों पर मंच लगाया जायेगा.

कॉमेडी का सफर कैसे शुरू हुआ?

मैंने कभी लाइफ में सोचा नहीं था कि मैं कभी कॉमेडी करूंगा मैं तो एक डांसर हूं. मेरी पहली शो एक डांसर के रूप में था. आज से 10 साल पहले की ये बात है. उसके बाद कॉमेडी शो का ऑफर आया मैंने सोचा कि ये भी रियलिटी शो है 4 महीने पैसे कमाकर थोड़ा एन्जॉय कर लूंगा. लेकिन उस समय किसी को यह पता नहीं था कि ये शो एक इतिहास पलटने वाला है और मनोरंजन की इंडस्ट्री में एक नया रुख देने वाला है. कॉमेडी सर्कस ने जो लोगों को मनोरंजन दिया और मेरे साथ कई कॉमेडियन को भी स्थापित किया है वह काबिलेतारीफ है. मेरे अंदर इन्बोर्न कॉमेडी सेंस थी, क्योंकि कॉमेडी सीखने से कभी नहीं आती. पॉलिश जरुर किया जा सकता है. अच्छा है कि शो चली और लोगों ने पसंद भी किया. पहला शो मैंने 23 साल की उम्र में किया था.

लोगों को हंसाना कितना मुश्किल है?

बहुत मुश्किल होता है. ये एक सीरियस बिजनेस है. कॉमेडी में हमेशा कुछ नयी चीजें लानी पड़ती हैं. जो बोल चुके हो उसे दूबारा रिपीट करने से व्यंग्य कम हो जाता है. ऐसे में रोज नयी चीजें लाना, राइटर के साथ बैठकर चर्चा करना आदि हर कोई नहीं कर सकता ये बहुत ही मुश्किल काम है.

आज के तनाव भरे माहौल में लोगों का हंसना कितना जरुरी है?

चार्ली चैपलिन ने कहा था कि जिस दिन आप हंसे नहीं समझ लीजिये की आपका पूरा दिन खराब हो गया. तनाव भरे माहौल में मेरी कोशिश रहती है कि लोग मुझे देखकर हंसे, क्योंकि हंसने से उनके चेहरे खिल जाते हैं. असल में मैं एक अच्छा सोशल वर्कर और एक डॉकटर का काम कर रहा हूं.

पहले हिंदी फिल्मों में कॉमेडियन की एक खास जगह हुआ करती थी, आजकल ऐसा नहीं है, ऐसे में आप अपने आप को कहां पाते हैं?

ये अच्छी बात थी कि फिल्मों में कॉमेडियन की एक खास भूमिका हुआ करती थी, अब तो हीरो भी कॉमेडियन है और देखा जाय तो कॉमेडियन हीरो भी बन रहे हैं, ऐसे में कोई समस्या अब नहीं है. अब तो एक अच्छी स्टोरी और उसे परफॉर्म करने वाला एक अच्छा कलाकार चाहिए. ऐसे में जो एक्टर अच्छा कॉमेडी कर सकता है उसे निर्देशक लेते हैं.

क्या आपकी आगे कोई फिल्म है?

मैं टीवी पर अच्छा काम कर रहा हूं. अगर कोई अच्छी फिल्म मिले तो करूंगा.

कॉमेडी में आजकल डबल मीनिंग वाले शब्द अधिक प्रयोग किये जाते हैं, इस बारें में आपकी राय क्या है?

‘डबल मीनिंग’ कॉमेडी की अगर दूसरे अर्थ को कोई बड़ा व्यक्ति ही समझे, उसे बुरा नहीं मानता, लेकिन अगर कोई डायरेक्ट कॉमेडी करे, उसे मैं पसंद नहीं करता और खुद करता भी नहीं. जाने अनजाने में अगर कभी कुछ कह भी लिया तो माफी भी मांग लेते हैं और एडिट भी करवा देते हैं. वैसे डबल मीनिंग कॉमेडी के भी दर्शक है और उसे वे देखते हैं.

कॉमेडी करते वक्त किसी को बुरा लगा हो, क्या ऐसा कभी आपके साथ हुआ?

इस बात का ध्यान रखते हैं कि किसी को बुरा न लगे, क्योंकि किसी ने भी बड़ी मेहनत से अपना मुकाम पाया है, इसलिए कोई ‘हर्ट’ न हो इसका ख्याल रखता हूं.

क्या कुछ सपने हैं?

मैं अपनी लाइफ में एक सीरियस फिल्म करना चाहता हूं. मैंने लोगों का बहुत मनोरंजन किया है, आने वाले समय में मुझे एक ऐसी फिल्म करने की इच्छा है जिसे देखकर दर्शक दंग रह जाय कि इस कलाकार ने मुझे जितना हंसाया है, उतना आज रुला भी दिया.

आप अपने तनाव को कैसे दूर करते हैं?

मैं तनाव नहीं लेता. दोस्तों में चले जाते हैं, जीवन में उतार-चढ़ाव तो आते रहते हैं. उसे शांति से हैंडल करना चाहिए, क्योंकि जैसे बुरा वक्त आता है वैसे ही अच्छा वक्त भी आता है.

आपके यहां तक पहुंचने में परिवार का सहयोग कितना रहा?

परिवार का बहुत सहयोग रहा. खासकर मेरे पिता ने हमेशा साथ दिया. वैसे तो मेरी पूरी फैमिली फिल्म्स में है इसलिए बचपन से ही फिल्मी माहौल मिला. गोविंदा से मैंने बहुत कुछ सीखा है. बचपन में मैं उनके साथ शूटिंग पर जाता था. उनकी मेहनत और एक्टिंग को देखता था. आज सभी खुश हैं कि मैंने अपने बलबूते पर यहां तक पहुंच पाया हूं.

समय मिले तो क्या करते हैं?

खाना बनाता हूं. मुझे खाना बनाना बहुत पसंद है. एक्टर न होता तो शेफ होता. मुगलाई खाना, वेजिटेबल खाना, बिरयानी आदि सब बना लेता हूं.

खुश रहने का मंत्र क्या है?

दुःख को पास न आने दें. तनाव को आने न दें. मेहनत करें तो फल अवश्य मिलेगा.

टैटू बनवाने के बाद कुछ ऐसे करें त्वचा की देखभाल

आजकल टैटू एक फैशन बन गया है, लेकिन गौर करने वाली बात यह भी है कि यह सेहत के लिहाज से जानलेवा भी साबित हो सकता है. टैटू हर कोई बनवाना चाहता है पर इसका किस तरह ध्यान रखा जाए यह एक बड़ी समस्या होती है क्योंकि जरा-सी लापरवाही आपको परेशानी में डाल सकती है.

कुछ स्किन टिप्स को अपनाकर आप अपनी स्किन को सुरक्षित रख सकती हैं. टैटू बनवाने के बाद कुछ ऐसे रखें अपनी स्किन का ख्याल.

सही लोशन का प्रयोग

डॉक्टर की सलाह लेने के बाद ही टैटू वाली स्किन पर कोई लोशन लगाएं. अपना पसंदीदा लोशन लगाने से टैटू वाली स्किन पर इन्फेक्शन हो सकता है, जिससे दाने और उस जगह पर धब्बे पड़ सकते हैं.

साबुन का इस्तेमाल

डर्मटोलॉजिस्ट की सलाह के बाद ही अपनी स्किन पर कोई साबुन का प्रयोग करें. इनमें जो केमिकल्स होते हैं वो आपकी स्किन के लिए हानिकारक हो सकते हैं. सबसे बेहतर है बेबी सोप का इस्तेमाल करना क्योंकि वह एक माइल्ड सोप होता है और उनमें केमिकल्स की मात्रा भी कम होती है.

नहाने के बाद

अक्सर टैटू वाली स्किन को नहाने के बाद बिना पोंछे छोड़ दिया जाता है ऐसा नहीं करना चाहिए. इससे स्किन फूल जाती है और एलर्जी होने की संभावना होती है. टैटू वाली स्किन को हल्के कपड़े से जरूर पोंछना चाहिए जिससे वहां अधिक मात्रा में पानी ना रह जाए.

रगड़े नहीं

नहाने के बाद अक्सर हम लोग तौलिए से शरीर को पोछते हैं. टैटू वाली जगह को तौलिए से सख्ती से नहीं रगड़े, उस जगह रैशस होने की संभावना हो जाती है और स्किन भी खुरदुरी हो जाती है.

पानी से रखें दूर

अपने टैटू को पानी से जितना हो सके उतना दूर रखें. पानी टैटू वाली स्किन को नुकसान पहुंचा सकता है. अगर पानी में रखना मजबूरी हो तो बाद में जल्द ही उसे सॉफ्ट कपड़े से पोंछ लें.

धूप से बचाव

अपनी टैटू वाली स्किन को धूप से जितना बचाएंगे उतना आपकी स्किन के लिए बेहतर होगा. सूरज की तेज किरणें जब टैटू वाली स्किन पर पड़ती है तो उनका तेज इफेक्ट स्किन पर पड़ता है. जब भी धूप में निकलें टैटू वाले जगह को कवर कर लें.

खुजली होने पर

अगर आपकी टैटू वाली स्किन पर बहुत खुजली हो रही हो तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें. अक्सर डॉक्टर उस स्किन पर बेबी आयल लगाने की सलाह देते हैं या कोई एंटिसेपटिक लोशन या क्रीम लगाने की सलाह देते हैं. बेबी आयल हमारी स्किन के लिए काफी लाभदायक होता है.

आपके दुपट्टे को बनाइये अपना स्टाइल स्टेटमेंट

दुपट्टा सिर्फ ड्रेस का हिस्सा नहीं, यह स्टाइल स्टेटमेंट भी बन गया है. कंधे पर यूं ही लटकाकर इसके असर को कम न करें. इसमें भी अपनी रचनात्मकता दिखाइए और दुपट्टे को यूं ही लहराने का सिलसिला खत्म कर दीजिए. दुपट्टे का इस्तेमाल नए तरीके से कैसे करें, आइए जानें :

एपल कट कुर्ते पर स्कार्फ जैसा दुपट्टा

आप कुर्ते भी ऐसे पहनती हैं जो पारंपरिक कम और स्टाइलिश ज्यादा लगते हैं या कहें आपको वेस्टर्न लुक देते हैं, तो दुपट्टे के कारण अपना यह लुक बर्बाद न करें. फैशन डिजाइनर श्रुति संचेती कहती हैं, ‘अगर आपने एपल कट कुर्ता पहना हुआ है तो दुपट्टे को गले पर कई राउंड में डाल कर पहनिए. फिर देखिए, आप पारंपरिक कपड़े को वेस्टर्न स्टाइल में पहनकर भी शानदार दिखेंगी.’

स्कार्फ की तरह दुपट्टा

दुपट्टा पहनना मतलब बोरिंग ड्रेस और बोरिंग लुक. आप भी ऐसा मानती हैं तो दुप्पट्टे को हर उस तरह से पहनिए जैसे स्कार्फ पहना जा सकता है. जैसे एक बार क्रॉस करके या दो राउंड के बाद दोनों छोरों को आगे की तरफ डालना या फिर दुपट्टे को बालों में बांध कर दोनों सिरों को आगे की ओर ले आएं. इसके अलावा पूरे दुपट्टे को सिर्फ गले पर ही लपेट कर भी इसका बेहतरीन इस्तेमाल किया जा सकता है. श्रुति कहती हैं, ‘पहले ढाई मीटर के दुपट्टे आते थे. उनकी चौड़ाई भी काफी होती थी, ऐसे में उनकी स्टाइलिंग कर पाना उतना आसान भी नहीं होता था. पर, अब ऐसा नहीं है. आप हल्के और कम चौड़ाई वाले दुपट्टे के साथ मनमर्जी की स्टाइलिंग आजमा सकती हैं. हल्के दुपट्टे की स्टाइलिंग आप आसानी से स्कार्फ की तरह से कर सकती हैं.’

शेरोन की तरह भी अच्छा लगेगा

साधारण-सा सूट पहना है आपने, कुछ नयापन नहीं लग रहा. पर दुपट्टा बहुत सुंदर कसीदाकारी वाला है तो क्या करेंगी? उसे फैला कर पूरे कंधों से डाल लेंगी? अगली बार ऐसा मत कीजिए. अगली बार सूट पर कसीदाकारी वाला दुपट्टा पहना हो तो उसे शेरोन की तरह पहनिए. शेरोन यानी बीच पर लड़कियां बिकनी के ऊपर जिसे पहनती हैं ताकि स्टाइलिश दिखने के अलावा बॉडी भी ढकी रहे. आप तरह-तरह के स्टाइल को मिक्स और मैच भी कर सकती हैं.

साड़ी के पल्लू सा दुपट्टा

आप जिस-जिस तरह से साड़ी पहनती हैं न, बस उसी तरह से दुपट्टे को पहनना शुरू कर दीजिए. जैसे दुपट्टे का एक सिरा कमर पर ठीक वैसे ही लगाइए जैसे साड़ी में पल्लू दिखता है. दुपट्टे का दूसरा सिरा पीछे यूं हीं लटकने दीजिए. इसके अलावा दुपट्टे के साथ आप सीधे पल्लू वाली साड़ी का स्टाइल भी आजमा सकती हैं. या फिर कंधे पर एक तरफ दुपट्टे के बीच वाले हिस्से में पिन लगा दीजिए. अब एक हिस्सा पीछे थोड़ा लटकने दीजिए, फिर दूसरे हिस्से के दोनों कोनों में से एक को दूसरे कंधे पर पिन कीजिए. अब दुपट्टे का प्रिंट उस छोड़े हुए कोने के साथ पूरे सूट की खूबसूरती बढ़ाएगा.

बेल्ट भी लगेगी सुंदर

स्टाइलिश दिखने के लिए आप सूट पर बेल्ट भी बांध सकती हैं. ऐसा करने से आपके सलवार-सूट को वन-पीस ड्रेस वाला लुक मिलेगा. बस इसके लिए करना यह है कि दुपट्टे को बेसिक तरीके से डालिए. पीछे की ओर दोनों सिरे छोड़ दीजिए और फिर इन सिरों के साथ बेल्ट लगा लीजिए. मतलब ऐसे कि सिरे इसमें दब जाएं. यह लुक सच में बहुत अच्छा लगेगा. दुपट्टे की किसी और स्टाइल के साथ भी आप बेल्ट लगा सकती हैं.

शिक्षाप्रद फिल्मी गीत

फिल्में हमारे जीवन का अटूट हिस्सा हैं या कहें कि फिल्में समाज का आईना हैं तो अतिशयोक्ति न होगी. लोग फिल्मों से प्रभावित होते थे, होते हैं और होते रहेंगे. भला इस में किसे संदेह हो सकता है? बात बच्चों की करें तो यह तथ्य आसानी से समझ में आ जाता है कि चाहे उन्हें पाठ्यपुस्तकों में लिखी बातें समझ में आएं या न आएं लेकिन फिल्मों के गीत, संवाद ऐसे कंठस्थ हो जाते हैं जैसे तोता रटंत विद्या में पारंगत हो जाता है.

इसलिए हम आज के फिल्म उद्योग ‘बौलीवुड’ के हृदय से आभारी हैं. कारण, जनमत को जगाने और ‘शिक्षाप्रद’ फिल्मी गीतों की रचना में जो जिम्मेदारी उस ने उठा रखी है वह वाकई काबिलेतारीफ है. आजकल जनहित में ऐसेऐसे शिक्षाप्रद फिल्मी गीतों का निर्माण हो रहा है कि उन्हें सुनसुन कर दर्शकों का मन प्रफुल्लित हो जाता है. दिल में एक नया जोश, उमंग और अरमान उठने लगते हैं. ऐसी अद्भुत काव्य रचनाएं बच्चे, युवा और बुजुर्ग पीढ़ी की जबान पर इस कदर रचबस गई हैं कि ये फिल्मी गीत प्रेरणास्रोत का कार्य कर रहे हैं.

इन फिल्मी गीतों के ‘गूढ़ संदेश’ को आसानी से समझा जा सकता है. बशर्ते, हम अपने दिमाग का इस्तेमाल इन्हें समझने में कतई न करें. ‘तर्क’ या ‘बुद्धि’ से इन गीतों को समझना नामुमकिन है, इन्हें समझने के लिए एकदम ‘बुद्धिहीन’ होना पड़ेगा. आज के फिल्मी गीतों पर गौर फरमा लीजिए, आप भी हमारी बात आसानी से समझ जाएंगे.

‘मुन्नी बदनाम हुई…’ इस लोकप्रिय गीत ने आजकल देशविदेश में खूब धूम मचाई है. इस गीत के मूल संदेश को सब आसानी से समझ गए हैं, ‘बदनामी’ में ही लोकप्रियता का राज छिपा है. पहले भी एक नामचीन शायर महोदय ने फरमाया था, ‘बदनाम होंगे तो क्या…नाम भी तो होगा…’ वही बात हुई न? पल भर में सुपरडुपर लोकप्रियता पाने का इस से अच्छा दूसरा उपाय क्या हो सकता है?

मुन्नीजी ने अपनी बदनामी का गली- गली ढिंढोरा पिटवा कर रातोंरात लोक- प्रियता का चरम छू लिया. इस से तो हमें भी जलन होती है. इतना लिखलिख कर अभी तक हम अपने लिए एक अदद पुरस्कार या सम्मान नहीं जुटा सके. अजी, कौन भाव देता है हमें. हम तो बस कलम घिसे जा रहे हैं. एक बार एक साहित्य सेवी संस्था ने हमें सम्मानित करने का ‘सशुल्क औफर’ भी दिया था लेकिन हमारी मजबूरी थी कि हमारे पास उतनी रकम नहीं थी, सो लोकप्रियता पाने से चूक गए.

यह गीत ‘शौर्टकट’ में प्रसिद्धि पा लेने का नायाब गुरुमंत्र है. मुन्नीजी आज सब की आदर्श और प्रेरणास्रोत बन चुकी हैं. आज हालत यह है कि उन की प्रेरणा पा कर उच्च, मध्यम और निम्न परिवारों की कन्याएं यथाशीघ्र बदनाम होने में जुट गई हैं ताकि वे भी लोकप्रियता की बुलंदी पा लें और जम कर पैसा बटोर सकें. हमारे लाखों युवा मुन्नीजी के बताए बदनामी के रास्ते पर चल कर फटाफट लोकप्रियता की बुलंदियों पर पहुंचने को बेताब हैं.

लेकिन एक बात समझ से बाहर है कि बदनाम हो कर ‘लोकप्रियता’ पाने का ‘झंडूबाम’ से भला क्या संबंध है? हो सकता है कि कवि ने इस ‘रूपक’ को इस गीत की रचना में किसी खास प्रयोजन के लिए इस्तेमाल किया हो. यह हमारी कमअक्ली ही है जो प्रसिद्धि पाने और ‘झंडूबाम’ होने के बीच के अनिवार्य और शाश्वत संबंध को नहीं समझ पा रहे हैं. यह निश्चय ही कोई खास संदेश देती कालजयी काव्य रचना है.

‘मुन्नी की बदनामी’ का एक हमसाथी गीत ‘शीला की जवानी…’ और भी ज्यादा शिक्षाप्रद फिल्मी गाना है. ‘शीला’ अपनी जवानी और सैक्सी फिगर का सार्वजनिक प्रदर्शन करकर के युवा, बुजुर्ग और बच्चों में एक नया जोश भर रही है. कितना सुखद अनुभव होता है जब नर्सरी के बच्चे ‘शीला-सैक्सी-शीला की जवानी’ जैसी विशुद्ध साहित्यिक शब्दावली का धड़ल्ले से उच्चारण करते हुए बुलंद आवाज में इस गीत को गाते नजर आते हैं.

दिल को बड़ा संतोष होता है कि फिल्मों के जरिए ही सही बच्चों का सामान्य ज्ञान और ‘आई क्यू’ तेजी से ‘इंपू्रव’ हो रहे हैं. ये दृश्य मन को प्रफुल्लित करते हैं. हमारे देश में वैसे तो चाहे ‘सैक्स शिक्षा’ के नाम पर कितना ही विवाद या बहस क्यों न हो लेकिन इन शिक्षाप्रद फिल्मी गानों से ‘सैक्स’ जैसे नाजुक और संवेदनशील विषय की जानकारी कितनी आसानी से दी जा सकती है, यह इस गीत का गूढ़ प्रयोजन प्रतीत होता है.

एक और गीत बड़ा महत्त्वपूर्ण है. ‘जोर का झटका हाय जोरों से लगा… शादी बन गई उम्रकैद की सजा…’ लगता है  इस गाने की रचना जनसंख्या और परिवार कल्याण मंत्रालय के सौजन्य से हुई है. यह गीत देश की विस्फोटक होती जनसंख्या की समस्या और शादीब्याह से उत्पन्न होने वाले लफड़ोें पर हमारा ध्यान आकृष्ट कराता है. जनसंख्या के बारे में सरकारी हिदायतों व संदेशों पर चाहे जनता ध्यान न देती हो लेकिन इस गीत ने बड़े सुंदर ढंग से गृहस्थी में होने वाले रोजरोज के लफड़ों को बखूबी समझाने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया है.

गीत पर गौर फरमाएं. इस में बाकायदा विश्लेषण किया गया है कि हमें उस ‘तथाकथित’ पहले बुद्धिहीन ‘जोड़े’ को ढूंढ़ना चाहिए जिस ने अपने रोमांस के मजे के चक्कर में अक्षम्य गलती कर के इस सृष्टि को आदमजात से भर दिया. वहीं से गृहस्थ जीवन में अंतहीन आफतों, लफड़ों का पुलिंदा शुरू हुआ. ‘हम दो हमारे दो’ की भी क्या जरूरत है? शादी के लफड़े में फंसना ही मूर्खता है. अगर इस ‘मूल मंत्र’ को युवा समझ लें तो जनसंख्या वृद्धि, बेरोजगारी, दहेज प्रथा, तलाक और हत्या जैसी सामाजिक समस्याओं का समाधान क्षणमात्र में संभव है.

हम उस महान कवि के आगे भी नतमस्तक हैं जिन्होंने एक अमूल्य रहस्यवादी गीत ‘चोली के पीछे क्या है’ रच कर जनता पर बड़ा उपकार किया था. इस गीत ने पहली बार उस रहस्य की ओर सब का ध्यान खींचा था कि आखिर ‘चोली के पीछे’ क्या रहस्य छिपा है?

हमें लगता है इस से पहले तक दुनिया पागल थी, जो इस ‘रहस्य’ को सार्वजनिक करने की तरफ ध्यान ही नहीं दे रही थी. इस रहस्य को उजागर करने का एकमात्र श्रेय उस गीत के रचनाकार को ही दिया जाना चाहिए. हम यह नहीं मान सकते कि पहले किसी व्यक्ति को चोली के पीछे के रहस्य का ज्ञान नहीं था, हमें शिकायत इस कारण है कि अनुभवी बुजुर्ग पीढ़ी इस दिव्य ज्ञान को अब तक छिपाए क्यों बैठी थी? यह युवा पीढ़ी के साथ सरासर अन्याय और उन के ‘राइट टू नो’ का खुला उल्लंघन था. इस पहेली को इस संगीत ने चुटकियों में सुलझा दिया. इस गीत ने ही बच्चेबच्चे का ध्यान चोली के पीछे छिपे गूढ़ रहस्य की तरफ आकर्षित किया और बच्चों के सामान्य ज्ञान में अभूतपूर्व वृद्धि कर दी.

एक और गीत देखिए, ‘तेरे इश्क से मीठा कुछ भी नहीं…’ भला इस गीत से क्या शिक्षा मिलती है? साफसुथरा निष्कर्ष है कि दुनिया में सब से मीठा ‘इश्क’ है. इस तथ्य को समझ लें तो देश में चीनी के बढ़ते दामों की समस्या को यह गाना चुटकियों में हल कर सकता है.

देश में चीनी का कम उत्पादन हो और दाम 50 रुपए से बढ़ कर 100 रुपए प्रतिकिलो तक भी जा पहुंचे तो क्या फर्क पड़ता है. ‘इश्क’ चीनी से कहीं ज्यादा स्वीट है तो फिर खूब ‘इश्क’ फरमाएं और शुगर की समस्या से हाथोंहाथ नजात पाएं. न ‘डायबिटीज’ का अंदेशा और न ‘शुगर की समस्या’. हो गई न लाइफ स्वीट और शुगर फ्री.

‘लेले ले, लेले मजा ले…रात का जम के मजा ले…’ कितना प्यारा और मासूम सा शिक्षाप्रद गीत है. यह गीत भटकों का पथप्रदर्शक तो है ही, साथ ही अनजान लोगों को ‘रात’ के मजे लूटने की मासूम प्रेरणा देता है. यह गीत घायल पड़े ‘आम आदमी’ को मरहम लगाने का बेहतरीन कार्य भी करता है.

‘आम आदमी’ का जीवन समस्याओं के जाल में इस कदर जकड़ा हुआ है कि उसे हमेशा दो जून की रोटी की चिंता ही सताती रहती है. बेचारे के पास रोमांस के लिए न तो समय है और न ही मूड. बेचारा ‘रात के मजे’ की कल्पना करे तो कैसे? महंगाई से टूटी कमर और बेरोजगारी, भुखमरी ने पहले ही उस की ‘रोमांस की कैपेसिटी’ को छूमंतर कर दिया है लेकिन यह गीत पलपल मानसिक सपोर्ट देने के साथ आम आदमी को ‘मोर ऐक्टिव’ और आशावादी बनने की पे्ररणा देता प्रतीत होता है.

‘तेरे मीठेमीठे होंठों की शबनम पी लूं… तेरे संग एक खुमारी है…’ यह गीत देश से पेयजल और नशे की लत छुड़ाने वाला उद्धारक प्रतीत होता है. होंठों की शबनम से प्यास बुझती है, यह कितनी अहम जानकारी हुई. भारत से पेयजल की समस्या तो हो गई न छूमंतर. क्या समाधान है, अधरों का रसपान करें और प्यास बुझा लें. तृप्ति का मुफ्त समाधान. न कोल्ड ड्रिंक की जरूरत और न बीयरशीयर की. खुमारी का एहसास भी होंठों से ही मिल रहा है.

यह तो बहुउपयोगी जानकारी हुई. इस ज्ञान से तो देश से मद्यपान की बुराई को आसानी से मुक्त किया जा सकता है. महात्मा गांधी बेचारे पूरे जीवन शराब की लत छुड़वाने के लिए संघर्ष करते रहे किंतु निष्ठुर जनता ने उन की एक न सुनी. हमें इस गीत से एक नई उम्मीद की किरण दिखाई पड़ती है. हो सकता है इस गीत को शराब कंपनियों और बोतल बंद पानी विक्रेता पसंद न करें किंतु यह गीत है बड़ा लोक कल्याणकारी.

एक गीत और देखें, ‘बीड़ी जलइ ले…जिगर मा बड़ी आग है…’ यह गीत ईंधन की समस्या का शर्तिया इलाज नजर आता है. ‘पावर क्राइसिस’ का क्रांतिकारी समाधान है. बीड़ी जिगर से जल सकती है तो फिर गैसचूल्हा भी आसानी से जल सकता है. लोग पता नहीं क्यों इन शिक्षाप्रद बातों को ग्रहण नहीं करते. देश की जनता फालतू ईंधन की किल्लत के लिए त्राहिमामत्राहिमाम का तांडव रचती है.

‘एक, दो, तीन, चार, पांच… दस, ग्यारह, बारह, तेरह…’ 90 के दशक में इस गीत ने प्राथमिक शिक्षा का कितना प्रचारप्रसार किया था. अध्यापक बेचारे बच्चों को 1 साल में भी 1 से 10 तक की गिनती नहीं सिखा पाते. वह काम इस गीत ने चुटकियों में कर दिखाया. मानेंगे न आप फिल्मों के असर के महत्त्व की बात को.

शिक्षाप्रद फिल्मी गानों की लंबी सूची है. कहां तक वर्णन करें? अच्छी बात यही है कि हम इन फिल्मी गीतों के सकारात्मक पहलू को परखें, उन के संदेशों को दिल से अपनाएं, ये गीत लोककल्याणकारी हैं. इन में न जाने कितनी ही समस्याओं के स्थायी और मुफ्त समाधान उपलब्ध हैं.

बड़े खर्चों की टेंशन के लिए छोटी सी प्लानिंग

क्या आप लंबे समय से कार खरीदने के बारे में सोच रही हैं, लेकिन समय समय पर बड़े खर्चे आने के कारण आपको अपनी कार के ड्रीम प्‍लान को आगे खिसकाना पड़ता है. किसी समय जब आप कार के डाउनपेमेंट के लिए राशि जुटा पाती हैं, तो पता चलता है कि कार की कीमत भी और बढ़ गई है. तब आपको एक बार फिर से पैसे जमा होने का इंतजार करना होगा. ऐसा अक्‍सर आपके साथ अक्सर होता होगा.

अगर आप आने वाले एक या दो साल में कोई बड़ी राशि की चीज खरीदना चाहती हैं, तो इसके लिए जरूरी है प्रोपर प्लानिंग. इसके लिए कुल राशि को जानें और उसे बराबर हिस्सों में बांट लें. ऐसा करने से आपको पैसे जमा करने का पर्याप्त समय मिल जाएगा. मंहगी चीज जैसे कि गाड़ी या स्कूटी के लिए पहले से प्लानिंग जरूरी है. नीचे दिए गए चार स्टेप्स ये जानिए आप कैसे कर सकती हैं प्लानिंग…

1. अपने टार्गेट अमाउंट को जानें

किसी भी चीज को खरीदने से पहले उसकी कीमत जान लें. इसके बाद अपनी आर्थिक क्षमता के अनुसार फैसला करें क्या आप उस खरीदने की स्थिति में हैं या नहीं. महंगी चीज खरीदने से पहले सुनिश्चित कर लें कि आपकी कितनी जरूरतें है.

उदाहरण के तौर पर अगर आप 60,000 रुपए की स्कूटी खरीदना चाहती हैं तो यह राशि आपका टार्गेट अमाउंट है.

2. अपने टार्गेट अमाउंट को बराबर हिस्सों में बांट लें

एक बार अपनी टार्गेट राशि को जानने के बाद इसे बांट लें. मान लीजिए जैसे आपका टार्गेट अमाउंट 60,000 रुपए है तो इसे 12 महीनों में बांटने से हर महीने का 6000 रुपए बनेगा. ऐसा करने से आप पूरे साल अपने टार्गेटिड अमाउंट को ध्यान में रखकर बचत कर पाएंगी.

3. इस टार्गेट अमाउंट को जमा करने के लिए कैसे करें निवेश

जमा करने के लिए आप हर महीने अपनी सैलरी से बचत कर के बैंक में जमा कर सकती हैं या फिर कोशिश करें कि अपने पैसे को ऐसी जगह निवेश करें जहां से आपको ज्यादा से ज्यादा ब्याज मिल सकता है. इससे आप साल के अंत तक अपनी अनुमानित राशि से ज्यादा जमा कर पाएंगी.

4. क्या करें अगर टार्गेटिड अमाउंट बहुत ज्यादा है

मान लीजिए कि आपकी टार्गेटिड राशि 2.5 लाख रुपए है. ऐसे में आपको 21000 रुपए महीने की बचत करनी होगी. ऐसे में बैंक में जमा करना करने आपको ज्यादा ब्याज नहीं मिलेगा. निवेश और पूंजी बढ़ाने के लिए ऐसे निवेश विकल्प का चयन करें, जिससे आपको ज्यादा से ज्यादा ब्याज मिल सकें. इस स्थिति में सिर्फ बचत काम नहीं आएगी आपको निवेश की ओर भी बढ़ना होगा.

खरीदारी में समझदारी

शौपिंग का शौक भला किसे नहीं होता. बस, यह बात अलग है कि किसी को कपड़े खरीदने का शौक होता है तो किसी को ज्वैलरी का. अच्छा ग्राहक वही है जो शौपिंग तो करे, लेकिन अपनी पौकेट का भी ध्यान रखे ताकि शौपिंग के बाद टैंशन न हो.

यह बात टीनएजर्स पर तो और भी ज्यादा लागू होती है, क्योंकि उन्हें गिनीगिनाई पौकेटमनी जो मिलती है और उसे ही उन्हें इस तरह खर्च करना होता है जिस से गर्लफ्रैंड भी खुश हो सके और अपने ऐंजौयमैंट पर भी वे पूरा खर्च कर सकें. आइए जानें, कैसे करें शौपिंग :

इंटरनैट का इस्तेमाल करें : आप जो भी सामान खरीदना चाहते हैं उस की जानकारी के लिए एक बार इंटरनैट का इस्तेमाल जरूर करें. इस से आप को अलगअलग ब्रैंड्स के प्रोडक्ट की कीमत का पता चल जाएगा. इसे तुलनात्मक खरीदारी कहा जाता है.

आमतौर पर हम एक मल्टीब्रैंडेड स्टोर पर चले जाते हैं और वहां एक ही प्रोडक्ट के विकल्प तलाशते हैं ऐसे में स्टोर के पास पूरा मौका होता है कि वह आप की जेब टटोल कर ब्रैंडेड प्रोडक्ट्स की अलगअलग कीमत बताए. इसलिए इंटरनैट पर कीमत की जानकारी लेना आप की जेब को हलका नहीं होने देगा.

शौपिंग की जगह तय करें : शौपिंग से पहले हम अकसर यह नहीं सोचते कि हमें कहां से क्या खरीदना है. शौपिंग वाले दिन हम पर्स ले कर घर से चल देते हैं मौल्स और स्टोर्स में जगहजगह चक्कर लगाने लगते हैं. आखिर में जो दिखाई दे जाता है उसे खरीद लेते हैं. इस से न सिर्फ समय बल्कि पैसा भी बरबाद होता है इसलिए पहले यह तय कर लें कि आप को कहां से सामान खरीदना है. इस से आप को अच्छी चीजें खरीदने में भी आसानी होगी.

सूची तैयार करें : आप उन जगहों की सूची बना लें जहां आप की पसंद का सामान सही दाम में मिलता है, इस से समय और पैसे दोनों की बचत होती है और सामान भी अच्छी क्वालिटी का मिल जाता है.

बजट 20 फीसदी कम करें : शौपिंग पर निकलने से पहले आराम से बैठ कर बजट तैयार करें कि आप को किस के लिए क्या और कितना खरीदना है. सूची तैयार करते समय ध्यान रखें कि चीजों को प्राथमिकता देते हुए लिखें, ताकि सही समय पर सही चीज खरीदी जा सके. चीजों पर कितना खर्च होगा, उसे जोड़ें और अब 20 फीसदी कम कर दें. खयाल रखें कि अब जो खर्च आया है, उसी पर टिके रहें.

सीजन में जहां भी सेल लगी हो उस का ध्यान रखें और अपने बजट व पसंद के मुताबिक खरीदारी करें. खरीदारी के दौरान अपने बजट पर बारबार ध्यान दें ताकि आप बजट से ज्यादा न खर्च दें.

रिटर्न पौलिसी भी जानें : अगर घर जाने पर कोई सामान पसंद नहीं आया तो वह कितने दिन में वापस किया जा सकता है, इस के बारे में भी बात करें. वापस करने पर पैसे मिलेंगे या फिर कोई पर्ची आदि मिलेगी यह भी पूछें.

लेटैस्ट ट्रैंड क्या है पता करें : शौपिंग पर जाने से पहले अखबारों में आने वाले विज्ञापन, इंटरनैट पर सर्च कर लें कि मार्केट में लेटैस्ट क्या चल रहा है ताकि आप कोई आउट औफ फैशन चीज न खरीद लाएं.

सेल में करें समझदारी से शौपिंग : सेल के सीजन में ग्राहकों को लुभाने के लिए कई लुभावने औफर होते हैं. जैसे 2 शर्ट खरीदने पर 1 शर्ट फ्री आदि. 2 शर्ट की जरूरत न होने पर भी हम लालच में खरीद लेते हैं और अपना बजट बिगाड़ लेते हैं इसलिए इस तरह के प्रलोभन में न आएं और उतना ही खरीदें जितनी आप को जरूरत हो.

कौपीराइट मार्क देखें : वैबसाइट के होमपेज पर कौपीराइट मार्क भी जरूर देखें. कौपीराइट साल, मौजूदा साल या एक साल से ज्यादा पुराना न हो. साथ ही वैबसाइट पर कस्टमर केयर का नंबर दिया है या नहीं, यह भी देखना जरूरी है.

शिपिंग औफर : कई साइट्स आप को प्रोडक्ट लेने पर फ्री शिपिंग चार्ज की सुविधा देती हैं जिस से प्रोडक्ट की कीमत और भी कम हो जाती है. अगर फ्री शिपिंग नहीं है तो हमेशा प्रोडक्ट की कीमत शिपिंग चार्ज को जोड़ कर ही देखें, क्योंकि शिपिंग का खर्च भी आप की जेब पर ही पड़ रहा है.

औनलाइन रिव्यू पढ़ें : किसी भी औनलाइन शौपिंग वैबसाइट पर अपने क्रैडिट कार्ड की जानकारी देने से पहले उस के बारे में लोगों के रिव्यू जरूर पढ़ लें.

कंपनी की शर्तों पर भी ध्यान दें : शौपिंग वैबसाइट्स 500 रुपए से अधिक की खरीदारी पर ज्यादातर डिलीवरी फ्री रखती हैं जिसे कस्टमर एक बड़ी सुविधा के रूप में देखता है, लेकिन कभीकभार फ्री डिलीवरी के साथ शर्तें भी लिखी होती हैं, जिन को कस्टमर तवज्जो नहीं देते और देख कर भी नहीं पढ़ते, जिस के कारण कस्टमर को अनजाने में अतिरिक्त पैसे चुकाने पड़ते हैं.

पेटीएम से करें शौपिंग और बनें स्मार्ट ग्राहक : पेटीएम एक प्रकार का औनलाइन बटुआ है, जिस में आप पैसे रख सकते हैं और फिर इस पैसे के जरिए औनलाइन खरीदारी कर सकते हैं. हालांकि इस बटुए में पैसे डालने के लिए आप को डैबिट कार्ड, क्रैडिट कार्ड या फिर औनलाइन बैंकिंग का सहारा लेना पड़ता है, लेकिन एक बार आप इस में पैसे डाल दें तो फिर आप सिर्फ पेटीएम के जरिए ही उसे खर्च कर सकते हैं.

इस में पैसे रखने की सीमा करीब 10 हजार रुपए है जिसे कुछ कागजी कार्यवाही करने के बाद बढ़ाया जा सकता है. पेटीएम के जरिए आप अपने रोजमर्रा के काम बिना समय गवाए कर सकते हैं. जैसे कि मोबाइल रिचार्ज कराना, बिल भरना, औनलाइन शौपिंग करना, सिनेमा के टिकट बुक कराना और अब तो चाय वाले से ले कर किराना स्टोर तक पेटीएम से भुगतान ले रहे हैं.

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