फिल्म रिव्यू : गेस्ट इन लंदन

लेखक व निर्देशक अश्विनी धीर अपनी 2010 में प्रदर्शित फिल्म ‘‘अतिथि तुम कब जाओगे’’ का सिक्वअल ‘‘गेस्ट इन लंदन’’ लेकर आए हैं, मगर ‘‘गेस्ट इन लंदन’’ देखकर इस बात का अहसास होता है कि अश्विनी धीर ने किन्ही मजबूरी के तहत जबरन इस फिल्म को बनाया है. फिल्म में कहानी, ह्यूमर, निर्देशन सहित हर चीज का घोर अभाव है.

फिल्म ‘‘गेस्ट इन लंदन’’ की कहानी लंदन में रह रहे आर्यन ग्रोवर (कार्तिक आर्यन) और अनाया पटेल (कृति खरबंदा) के घर की कहानी है. जिनके चाचा (परेश रावल) और चाची (तनवी आजमी) उनके यहां रहने आते हैं. उसके बाद कहानी में कई मोड़ आते हैं. हास्य के कुछ क्षण पैदा होते हैं. पश्चिमी व पूर्वी संस्कृति व रहन सहन से लेकर कई अजीबोगरीब मसलों पर बहस व जोक्स होते हैं.

अति घटिया कहानी व घटिया संवादों वाली इस फिल्म का एक भी चरित्र उभर नहीं पाता है. फिल्म के गाने भी फिल्म को बेहतर नहीं बनाते हैं. फिल्म में ऐसा कुछ नहीं है, जिसके लिए दर्शक अपनी गाढ़ी कमाई लगाकर देखना चाहेगा. परेश रावल व तनवी आजमी के अलावा किसी भी कलाकार की परफार्मेंस प्रभावित नहीं करती.

दो घंटे 18 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘गेस्ट इन लंदन’’ के निर्माता कुमार मंगत पाइक, निर्देशक अश्विनीधीर, लेखक अश्विनी धीर और राबिन भट्ट, कैमरामैन सुधीर के चौधरी, कलाकार हैं – परेश रावल, तनवी आजमी, कार्तिक आर्यन, कृति खरबंदा, संजय मिश्रा आदि.

फिल्म रिव्यू : मॉम

बलात्कार के मुद्दे पर कई फिल्में लगातार बन रही हैं. कुछ माह पहले बलात्कार के मुद्दे पर ही प्रदर्शित फिल्म ‘‘मातृ’’ और श्रीदेवी के अभिनय से सजी फिल्म ‘‘मॉम’’ की कहानी में अंतर नही है. गैंगरेप और फिर बदला लेने की दास्तान है. ‘मॉम’ में मां के किरदार को बहुत ही सशक्त रूप में पेश किया गया है. मगर फिल्म ‘मॉम’ का प्रस्तुतिकरण काफी बेहतर है.

इस रोमांचक कहानी के केंद्र में दिल्ली विश्वविद्यालय में बायोलॉजी (जीवविज्ञान) की प्रोफेसर देवकी (श्रीदेवी) और उनकी सौतेली बेटी आर्या (सजल अली) और अपनी बेटी प्रिया है. देवकी अपनी दोनों बेटियों व पति आनंद (अदनान सिद्दिकी) के साथ, खुशहाल जिंदगी जी रही है. देवकी जिस स्कूल में शिक्षक है, उसी स्कूल में प्रिया व आर्या दोनों पढ़ते हैं. मोहित एक लड़की को अश्लील संदेश भेजता है, जिसकी वजह से देवकी, मोहित को सजा देती है. आर्या अपनी सौतेली मां देवकी से प्यार नहीं करती, बल्कि ‘मैडम’ कह कर बुलाती है. जबकि देवकी उसे बहुत प्यार करती है. 

देवकी व आनंद की मर्जी के विपरीत आर्या उन्हें मजबूर करती है कि वह उन्हें वेलेनटाइन डे की पार्टी में जाने की इजाजत दे. वेलेनटाइन डे की पार्टी में मोहित, उसका चचेरा भाई, जगन (अभिमन्यू सिंह) व एक अन्य दोस्त मिलकर गाड़ी के अंदर आर्या के साथ बलात्कार कर उसे सड़क किनारे एक गटर में फेंक देते हैं. बहुत बुरी हालत में आर्या अस्पताल पहुंचायी जाती है. एक कड़क मिजाज पुलिस ऑफिसर फ्रांसिस (अक्षय खन्ना) अपने काम को ईमानदारी के साथ अंजाम देने में जुटा हुआ है. मामला अदालत में पहुंचता है, मगर सभी आरोपी बरी हो जाते हैं.

देवकी के पति आनंद उदार स्वभाव के इंसान हैं. वह दूसरे वकील के माध्यम से हाई कोर्ट जाने की बात सोचता है. मगर देवकी चुप बैठने वाली मां नहीं है. वह उनमें से नहीं है, जो कि कानून के सहारे हाथ पर हाथ बांध कर बैठी रहे. अपनी बेटी की सुरक्षा के लिए वह किसी भी हद तक जा सकती है. देवकी बदला लेने के अपने मिशन पर निकल पड़ती है. वह दिल्ली के एक प्राइवेट डिटेक्टिव डी के (नवाजुद्दीन सिद्दिकी) की सेवाएं लेती है. फिर कहानी में कई मोड़ आते हैं. अंततः देवकी अपनी बेटी आर्या के अपराधियों को सजा देने में सफल हो जाती है और आर्या उन्हें ‘मॉम’ कहकर पुकारती है.

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो श्रीदेवी ने जबरदस्त अभिनय क्षमता का परिचय दिया है. खुशी, गम, बेबसी, प्रतिशोध व जीत के भाव बड़ी आसानी से उनके चेहरे पर पढ़े जा सकते हैं. श्रीदेवी अनुकरणीय कलाकार के रूप में उभरती हैं. सौतेली बेटी द्वारा स्वीकार न किए जाने का दर्द भी उनके चेहरे पर बड़ी साफगोई के साथ उभरता है. काश एक बेहतरीन कहानी व पटकथा उन्हें मिली होती. बलात्कार पीड़िता के दर्द को बयां करने में सजल अली ने कोई कसर नहीं छोड़ी. सजल अली व श्रीदेवी के बीच के कई दृश्य दर्शकों को भावुक करते हैं. सजल अली का संजीदा अभिनय तारीफ के काबिल है. नवाजुद्दीन सिद्दिकी और अक्षय खन्ना ने भी जबरदस्त परफॉर्मेंस दी है. नवाजुद्दीन सिद्दिकी लगातार साबित करते जा रहे हैं कि अभिनय में उनका कोई सानी नहीं है. नवाजुद्दीन सिद्दिकी की खामोशी और एक वाक्य के संवाद भी बहुत कुछ कह जाते हैं. अभिमन्यू सिंह के हिस्से करने को है ही नहीं. परफॉर्मेंस के लिए अदनान सिद्दिकी के हिस्से भी खास दृश्य नहीं रहे. 

कहानी व पटकथा के स्तर पर फिल्म काफी कमजोर है. कहानी के अलावा रात, बलात्कार, पुलिस कार्यवाही, मां द्वारा बदला लेना, वगैरह सब कुछ हम अब तक कई फिल्मों में इसी तरह से देखते आए हैं. इसमें कुछ भी नयापन नहीं है. मगर प्रस्तुतिकरण व कलाकारों की अति उत्कृष्ट परफॉर्मेंस के चलते फिल्म एक अलग मुकाम पर पहुंचती है. इंटरवल के बाद पटकथा में कसावट की बहुत जरुरत है. यदि कहानी व पटकथा पर और काम किया जाता तो फिल्म ज्यादा बेहतर बन सकती थी. संवाद प्रभावी नहीं है. क्लायमेक्स तक पहुंचते पहुंचते निर्देशक के हाथ से फिल्म फिसल जाती है. जॉर्जिया में देवकी, जगन व पुलिस अफसर फ्रांसिस के बीच का दृश्य जरुरत से ज्यादा मेलोड्रामैटिक हो गया है.   

संगीतकार ए आर रहमान का पार्श्व संगीत साधारण है. फिल्म का एक भी गाना जमता नहीं है. इंटरवल के बाद का गाना तो कहानी को बहुत ही ज्यादा शिथिल करता है. कैमरामैन ऐना गोस्वामी ने कुछ अच्छे दृश्य फिल्माए हैं. जॉर्जिया की खूबसूरती अच्छे ढंग से कैद हुई है.

दो घंटे 27 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘मॉम’’ का निर्माण बोनी कपूर, सुनील मनचंदा, नेरश अग्रवाल, मुकेश तलरेजा, गोतम जैन, निर्देशक रवि उद्यावर, कहानी लेखक रवि उद्यावर, गिरीश कोहली व कोना वेंकट, संगीतकार ए आर रहमान, कैमरामैन ऐना गोस्वामी, पटकथा लेखक गिरीश कोहली तथा कलाकार हैं- श्रीदेवी, अदनान सिद्दिकी, साजल अली, नवाजुद्दीन सिद्दिकी, अक्षय खन्ना, अभिमन्यू सिंह व अन्य.

इस रिएलिटी शो में उतरवा दिए जाते हैं कंटेस्टेंट्स के कपड़े

दुनिया में बहुत से रिएलिटी शो हर साल आयोजित किए जाते हैं, जिनका सबसे बड़ा मकसद होता है लोगो का एंटरटेनमेंट करनाl आपने बहुत से ऐसे रिएलिटी शो देखे होंगे जिनमे बड़े बड़े कलाकार आते हैं और अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं और अंत में एक विनर बनता है.

डेटिंग के बहुत सारे शो आपने देखे और पसंद किए होंगे लेकिन ब्रिटेन के टीवी चैनल पर एक अनोखा रिएलिटी डेटिंग शो प्रसारित होता है. टीवी शो का नाम ‘नेक्ड अट्रेक्शन’ है और इसका प्रसारण चैनल 4 पर किया जाता है.

इस शो में भाग ले रहे प्रतिभागी के साथ वो होता है जो शायद ही किसी शो पर आपने देखा हो. इस शो में कंटेस्टेंटस को बिना कपड़ों के एक कांच के बॉक्स में खड़ा कर दिया जाता है और उसके बाद उनकी बॉडी का ब्योरा दिया जाता है और फिर डेटिंग के लिए एक पार्टनर चुना जाता है.

अपने अनोखे डे‍टिंग अंदाज के लिए चर्चा और विवादों में रहा ये शो एक बार फिर से दूसरा सीजन लेकर हाजिर हो चुका है. इसका पहला एपिसोड 29 जून को प्रसारित किया जा चुका है. इसके पहले एपिसोड को ही लोगों ने खूब पसंद किया गया. वजह थी इस शो में ट्रांसजेंडर और पेन सेक्सुअल कंटेस्टेंटस का शामिल होना. ऐसा पहली बार हुआ है.

इस अनोखे टीवी शो में पांच लोगों को कांच के बॉक्स में बिना कपड़ों के खड़ा कर दिया जाता है. इसके अलावा एक कंटेस्टेंट बाहर होता है. वह कांच में खड़े कंटेस्टेंटस की बॉडी को देखता है और उसका पूरा ब्यौरा लेता है.

इस शो में कंटेस्टेंटस की बॉडी नीचे से ऊपर तक दिखाई जाती है. यहां तक की उनके प्राइवेट्स पार्ट्स को दिखाते हुए फिर ऊपर जाते-जाते उनका चेहरा दिखाया जाता है.

इसके दोनों कंटेस्टेंटस को बात करने की इजाजत भी दी जाती है. बाहर रहने वाले कंटेस्टेंट को कांच के बक्से में खड़े कंटेस्टेंटस में से एक को डेट के लिए चुनना होता है.

डेट के लिए पार्टनर चुनने वाले कंटेस्टेंट को भी जाने से पहले अपने कपड़े उतारने होते हैं. हालांकि, डेट पर जाते समय दोनों कंटेस्टेंटस कपड़े पहनकर ही जाते हैं.

अन्ना रिचर्डसन शो को होस्ट कर रही हैं. रिचर्डसन टीवी प्रजेंटर, प्रोड्यूसर, लेखक और पत्रकार भी हैं. अन्ना ने अपने टीवी करियर की शुरुआत ‘द बिग ब्रेकफास्ट’ से की थी.

साल 2016 में जब नेक्ड अट्रेक्शन की पहली सीरिज प्रसारित हुई थी, तो काफी विवाद हुआ था. कई लोगों ने इसकी शिकायत की थी लेकिन उन शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.

मैं खुद को एक कर्मचारी मानता हूं : नवाजुद्दीन सिद्दीकी

फिल्म ‘पिपली लाइव’ से अभिनय के क्षेत्र में चर्चित हुए अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी मुजफ्फरनगर के एक छोटे से कस्बे बुढ़ाना के हैं. उन्हें बचपन से कुछ क्रिएटिव काम करने की इच्छा थी. फलस्वरूप दिल्ली आ गए और नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से स्नातक की उपाधि प्राप्त कर नाटकों में काम करने लगें. फिर कुछ दोस्तों के कहने पर मुंबई आयें और संघर्ष करते रहें. इस बीच वे कभी टूटे नहीं, क्योंकि उन्हें पता था कि एक दिन उनकी मंशा पूरी होगी. 12 साल की कठिन परिश्रम के बाद वे चर्चा में आये और आज एक लम्बी सफल फिल्मों की सूचीं उनके पास है. यही वजह है कि आज हर फिल्म निर्माता, निर्देशक उन्हें अपने फिल्मों में लेना पसंद करते हैं.

फिल्म ‘मुन्ना माइकल’ के प्रमोशन पर उनसे मुलाकात हुई, जहां उन्होंने खास तौर पर हमसे बात की और बताया कि कैसे वे इस मंजिल पर पहुंचे. आइये जाने उन्हीं से.

किसी भी फिल्म को चुनते समय किस बात का ध्यान रखते हैं?

फिल्मों को चुनने का तरीका बहुत अलग होता है. कितनी भी बड़ी प्रोडक्शन हाउस क्यों न हो, कितना भी पैसा क्यों न मिले, अगर मुझे भूमिका पसंद नहीं आई तो मैं फिल्म नहीं करता. मैं अपनी तरह की फिल्में करता हूं. मेरी खुद से चुनौती होती है. वैरायटी मुझे पसंद है और वह मुझे मिल रहा है. दरअसल फिल्म कोई भी हो स्टोरी वही पांच-छह ही पूरे विश्व में होती है. कहानी की सोच और बनाने का तरीका ही उसे अलग बनाती है.

फिल्म ‘मॉम’ बहुत अलग फिल्म है. मुन्ना माइकल ऐसी फिल्म है जिसे आप एन्जॉय कर सकते हैं, क्योंकि इसमें डांस, रोमांस, एक्शन, लव ट्रेंगल है. हर फिल्म की कहानी अलग होती है, उसके हिसाब से मैंने इसे चुना है, हर फिल्म में मैंने अलग दिखने की कोशिश की है.

‘बाबुमोशाय’ फिल्म में मेरी भूमिका ऐसी है जिसे कोई अधिक पसंद नहीं करता. असल में कमर्शियल फिल्मों में मैं अधिक सहज नहीं होता, पर मुझे करना है, उस असहजता से मुझे निकलने की जरुरत है. मैंने रियल लाइफ में कभी डांस नहीं किया, क्योंकि मुझे आता ही नहीं. मैं थोड़ी ‘शाय नेचर’ का हूं. मुन्ना माइकल में जब मुझे डांस करने की बात कही गयी तो मैंने अपने आप से फाइट किया और अपने अंदर के डर को भगाया. टाइगर श्रॉफ के साथ डांस करना आसान नहीं था पर मैंने किया और अलग तरीके का काम हुआ. इसके लिए दो दिन की तैयारी भी की.

अब तक की जर्नी में अपने आप में कितना बदलाव महसूस करते हैं?

बदलाव तो होता है, सालों पहले जो मैं सोचता था आज नहीं सोच सकता. आज अनुभव के बाद उसमें परिवर्तन आया है, आज मैं कुछ हद तक आगे सोच सकता हूं. पहले थिएटर करता था वही तक मेरी सोच सीमित थी. आज स्टार हूं और वैसा मैं व्यवहार करूं, ऐसा बदलाव मैं अपने अंदर नहीं लाना चाहता. एक्टिंग मेरा प्रोफेशन है और मैं वैसी ही सोच रखता हूं.

जीवन में आये उतार-चढ़ाव को आपने कैसे लिया?

मैंने कल्पना तो कभी नहीं की थी कि मैं यहां तक पहुंच जाऊंगा. मैं एक्टर था और एक्टिंग की आदत थी और छोटा-मोटा काम करने आया था. मैं थिएटर में 5 से 6 नाटकों का रिहर्सल एक दिन में किया करता था. कई शो एक साथ करता था. जब मुंबई आया तो पता था कि संघर्ष करना पड़ेगा, पर इतना लंबा संघर्ष होगा, ये पता नहीं था. 12 साल तक मेरे पास कोई काम नहीं था. थोडा बहुत जो काम मिलता था, उसी से संतोष करना पड़ता था. निराशा इस बात से नहीं होती थी कि कम काम मिल रहा है, बल्कि इस बात से होता थी कि कोई काम क्यों नहीं मिल रहा. ये तो अच्छा रहा कि मैंने कोई ड्रीम नहीं पाला था. रिजेक्शन की तो आदत हो चली थी और सोच लिया था कि मैं ऐसा ही हूं.

क्या अभी उस रिजेक्शन को याद करते हैं?

मेरे हिसाब से रिजेक्शनको हमेशा याद रखना चाहिए. मैं ये अनुभव नहीं करता कि मैं एक ऊंचाई पर पहुंच गया हूं. जो ऐसा सोचते है उन्हें गिरने का भी डर रहता है. मैं अपने आप को एक कर्मचारी मानता हूं.

सकरात्त्मक सोच को कैसे बनाये रखते हैं? परिवार का कितना सहयोग होता है?

मेरे माता-पिता ने हमेशा सहयोग दिया है. मैं किसान परिवार से हूं, इसलिए उन्हें विश्वास था कि ये बिगड़ेगा नहीं. कुछ ठीक-ठाक काम कर लेगा. यही सबसे बड़ा सहयोग है. मेरी पत्नी का काफी सहयोग हमेशा से है. वह मुझसे तबसे जुड़ी हुई है, जब मैं कुछ नहीं था, अगर कल मुझे काम न भी मिले तो भी वह मेरे साथ ही रहेगी.

क्या आप हॉलीवुड जाना चाहते हैं?

मुझे अच्छा काम यहीं मिल रहा है और मैं अपने काम से संतुष्ट हूं. हॉलीवुड जाने की इच्छा नहीं है. अगर उन्हें जरुरत होगी तो वे मेरे पास आयेंगे. इसके लिए मैं एजेंट नहीं रख सकता.

क्या जिंदगी में कोई मलाल रह गया है?

मुझे काम मिलता रहे और हर बार अलग मिले यही इच्छा है. मैं चाहता हूं कि जो भी काम करूं दर्शकों को सालों साल याद रहे.

क्या नये कलाकारों के लिए कोई संदेश देना चाहते हैं?

जो यूथ छोटे शहर और गांव से अभिनय के लिए मुंबई आते हैं, उनके लिए कहना है कि वे अपनी प्रतिभा को भूलकर, किसी कलाकार को ‘इमेजिन’ कर उसके हिसाब से अभिनय करने लगते हैं. दर्शक आपकी खासियत को देखना चाहते हैं, अगर आपने उसे ही खत्म कर दिया तो कुछ बचा नहीं रहेगा और आप अपनी मंशा में कामयाब नहीं हो सकते.

आपने अपने गांव के लिए कुछ काम किये है वह क्या है? कैसे प्रेरित हुए?

मैं एक किसान हूं और फार्मिंग के क्षेत्र में हो रहे किसी भी विकास में मैं हमेशा शामिल रहता हूं. मैं फ्रांस गया था वहां मैंने सिंचाई की एक नयी पद्धति को देखा, जिसमें ऊपर से पानी खेतों में छिड़का जाता है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ग्राउंड वाटर लेवल काफी नीचे है, आज से 20 साल पहले जब मैं खेती करता था तो पानी 80 फुट पर निकल जाता था. आज वही पानी 300 फुट तक पहुंच चुका है और जो पानी ट्यूबवेल से निकाला जाता है उसमें काफी पानी नष्ट हो जाता है. बिजली का भी खर्चा अधिक होता है. मैं फ्रांस की तकनीक को यहां ले आया हूं, उपकरण बन रहे हैं. इसे ‘पाइवोट इरिगेशन सिस्टम’ कहते है. इससे पानी खेतों में ऊपर से दिया जाता है. कम पानी में बड़े क्षेत्र की सिंचाई कम खर्चे में हो जाती है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मैं चाहता हूं कि इस विधि से खेती हो, पहले मैं अपने खेतों में इसे शुरू करूंगा. बाद में जो भी किसान इस उपकरण को चाहेगा, उसे भी मैं उपलब्ध करवाऊंगा. आने वाली जेनरेशन के लिए पानी का बचाव करना बहुत जरुरी है.

कोई सुपर पावर मिले तो क्या बदलाव देश में करना चाहेंगे?

मैं चाहता हूं कि आपस में भाईचारा बनाये रखें. तभी देश की तरक्की हो सकती है. खासकर हमारी यूथ को अधिक से अधिक काम करने का मौका देना चाहूंगा.

जीवन का फलसफा क्या है?

साधारण जीवन व्यतीत करना, मेहनत करना.

क्या निवेश के लिए आमदनी बढ़ने का इंतजार कर रही हैं आप?

निवेश के लिए आमदनी बढ़ने का इंतजार कर रही हैं, तो यह आदत बदल डालिए. आप छोटी बचत से भी निवेश की शुरुआत कर सकती हैं. रेकरिंग डिपॉजिट (आरडी), सिप और सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) सहित कई ऐसे विकल्प हैं, जिसके जरिए लंबी अवधि में बड़ी पूंजी बनाई जा सकती है.

कम आय में आरडी बेहतर : डाकघर पांच साल की आरडी पर 7.3 प्रतिशत ब्याज दे रहे हैं. छोटी बचत के बावजूद इसपर बैंक की एफडी से आधा फीसदी से अधिक ब्याज मिल रहा है. डाकघर में आप 10 रुपये में आरडी खाता खुलवा सकती हैं. इसमें एक साल बाद एक बार राशि निकालने की सुविधा है और इसमें 50 फीसदी तक राशि निकाल सकती हैं. निवेश के लिए बड़ी राशि का इंतजार करने की बजाय आप आरडी के रूप में छोटी बचत से शुरुआत कर सकती हैं.

जब आपके पास पांच साल या संबंधित अवधि में उससे पयाप्र्त राशि जमा हो जाता है, तो उसे एफडी या अन्य ऊंचे रिटर्न वाले निवेश विकल्पों में निवेश कर सकती हैं. आरडी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे बचत की आदत पड़ जाती है. एक डाकघर से दूसरे डाकघर में आरडी खाता का हस्तांतरण करवा सकती हैं. 10 साल से कम उम्र के बच्चे के नाम अभिभावक आरडी खुलवा सकती हैं. 10 साल या उससे अधिक उम्र का बच्च खुद आरडी खुलवा सकता है और संचालित कर सकता है.

पीपीएफ में टैक्स की भी बचत : सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) पर आठ फीसदी ब्याज मिल रहा है. इसमें निवेश की राशि, उसके ब्याज और परिपक्वता पर मिलने वाली राशि तीनों कर मुक्त (टैक्स फ्री) है. डाकघर या बैंक में पीपीएफ खाता खोल सकती हैं. पीपीएफ खाते में हर महीने की 1 तारीख से लेकर पांच तारीख के बीच पैसा जमा कर ज्यादा फायदा उठा सकती हैं.

स्वर्ण बॉन्ड में भी कमाई : यह सोने में निवेश का सबसे सस्ता विकल्प है. इसमें एक बॉन्ड का मूल्य एक ग्राम सोने के मूल्य के बराबर है. इसने एक साल में करीब 22 फीसदी तक रिटर्न दिया है. इसपर ब्याज भी मिलता है. पिछले साल दिवाली के मौके पर स्वर्ण बॉन्ड की छठी किस्त जारी हुई जिसपर 2.5 फीसदी ब्याज देने का वादा किया गया था. हालांकि, पुराने बॉन्ड पर ब्याज दर 2.75 फीसदी थी. इसकी परिपक्वता अवधि आठ साल है और आप पांचवे साल भी इसे बेच सकती हैं. इसे शेयर बाजार में भी खरीदने-बेचने की सुविधा है.

युवाओं के लिए सिप : सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी या सिप) म्यूचुअल फंड (एमएफ) में निवेश का तरीका है. युवा और नौकरी की शुरुआत करने वाले निवेशकों के लिए यह बेहतर विकल्प है. इसमें हर महीने या तय अवधि में न्यूनतम 500 रुपये भी जमा करने की सुविधा होती है. यदि आप म्यूचुअल फंड में 5,000 रुपये जमा करना चाहते हैं लेकिन एक बार में यह राशि जमा नहीं कर सकती तो सिप की सहायता से इसे 10 किस्तो में जमा कर सकती हैं. सिप के तहत एमएफ कंपनियां निवेशकों को कई तरह के विकल्प देती हैं, जिसमें डेट फंड और इक्विटी फंड सहित अन्य स्कीम शामिल हैं. पिछले 10 वर्षो में इक्विटी सिप में 15 फीसदी से अधिक रिटर्न मिला है. जबकि 20 साल में 20 फीसदी से भी अधिक रिटर्न मिला है जो शेयरों में निवेश से भी अधिक है. आप सिप में महज 500 रुपये हर महीने जमा करते हैं तो 15 फीसदी के अनुमानित रिटर्न पर 20 साल में करीब 6.56 लाख रुपये की पूंजी जमा हो जाएगी. इसमें आपके द्वारा जमा की गई राशि मात्र 1.20 लाख रुपये है. जबकि 5.36 लाख रुपये ब्याज या रिटर्न है. आप यदि हर माह एक हजार रुपये जमा करते हैं इस अवधि में करीब 13 लाख रुपये की पूंजी जमा कर सकती हैं.

बेटियों को दें सुकन्या का उपहार : सरकार ने सुकन्या खाता 10 साल से कम उम्र की बेटियों के लिए शुरू किया है. इस पर अभी 8.5 फीसदी ब्याज मिल रहा है जो तय अवधि के किसी भी निवेश विकल्प में सबसे अधिक है. साथ ही इसमें निवेश पर आयकर की धारा 80सी के तहत 1.50 लाख रुपये तक टैक्स छूट भी ले सकती हैं. इसमें बेटी के 18 साल के होने पर उसकी उच्च शिक्षा या शादी के लिए 50 फीसदी राशि निकालने की सुविधा है. 21 की उम्र होने पर सुकन्या खाते की पूरी राशि निकालने की अनुमति है.

अजनबी शहर में ध्यान रखें ये बातें

नए शहर में घूमने जा रही हैं, तो कुछ बातें जरूर होंगी, जिनके बारे में आपको पता नहीं होगा. ऐसे में नए और अजनबी शहर में ट्रिप पर किसी तरह की परेशानी न हो, इसके लिए आपको कुछ जरूरी बातों का ख्याल रखना होगा.

अडवांस इवेंट बुकिंग

आप जिस शहर में जा रही हैं, वहां एक बड़ा इवेंट भी होने वाला है. यकीनन आप उसमें भी शामिल होना चाहेंगी. लेकिन ऐसा न हो कि आखिरी वक्त में आपको टिकट न मिल पाए और उसमें शामिल होने की आपकी प्लानिंग धरी की धरी रह जाए. ऐसे में किसी भी इवेंट की अडवांस बुकिंग करवा लेना सुविधा की दृष्टि से बेहतर रहेगा.

मैप और डॉक्यूमेंट्स

शहर में बिना भटके घूमना है, तो मैप तो साथ ले जाना ही होगा. और अगर अपने डॉक्यूमेंट्स भूल गए, तो सफर के किसी भी हिस्से पर आपको परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में मैप और अपने डॉक्यूमेंट्स साथ ले जाना न भूलें.

कैब बुकिंग

किसी नए शहर में जाते हुए होटल बुक करना और फैसिलिटी पर ध्यान देने पर हमारा खास फोकस रहता है, लेकिन हम अक्सर ट्रैवल के लिए कैब बुक करना भूल जाते हैं और ऐन मौके पर हमे भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है.

सेफ्टी

अजनबी शहर में हैं, तो सुरक्षा का ख्याल रखते हुए शहर के सुनसान इलाकों में देर रात को न घूमें. जहां भी घूमने जाएं, उसकी जानकारी अपने परिवार को जरूर दें. कई बार हम बस रास्ते में चलते किसी भी कैब को रोककर उसमें बैठ जाते हैं, जो सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक होता है. ऐसे में सुरक्षा और सुविधा का ख्याल रखते हुए ट्रैवल एजेंट के माध्यम से कैब की बुकिंग पहले ही करवा लें.

भ्रष्टाचार कीजिए, सुरक्षित रहिए

क्या कहा? हर रोज सामने आते लाखोंकराड़ों रुपए (2जी स्पैक्ट्रम घोटाला, राष्ट्रमंडल खेल घोटाला आदि) के नएनए घोटालों ने आप के दिमाग को चकरघिन्नी कर दिया है. इन बड़ेबड़े घोटालों की रकम के शून्य देख कर आप के दिमाग के बल्ब का फ्यूज उड़ गया है. इतनी बड़ी धनराशि के विषय में सोच कर और उस के प्राप्त होने की कल्पना मात्र से आप रोमांचित हो उठते हैं. हमारे माननीयों की तरह इन्हें पाना ही अब आप के जीवन का अंतिम लक्ष्य है और अपनी इस लक्ष्यप्राप्ति के लिए आप किसी भी सीमा तक जा सकते हैं. इस भारीभरकम रकम के प्राप्त होने से अपने सुखद तथा सुरक्षित भविष्य की कल्पना से आप का मन भी विचलित होने लगा है. आप भी भ्रष्टाचार की इस बहती गंगा में डुबकी लगा कर अपना जीवन धन्य कर लेना चाहते हैं. किसी भी कीमत पर भ्रष्टाचार कर धन कमाने की आप की इच्छा कुलांचें मारने लगी है. आप भी पूर्ण गंभीरता से भ्रष्टाचार करने के विषय में सोचने लगे हैं. लेकिन पकड़े जाने के डर ने आप को मजबूरी में ही सही ईमानदारी का अप्रिय रास्ता अपनाने पर मजबूर किया हुआ है.

आप की बुजदिली आप की प्रगति के मार्ग में बाधक बन रही है. आप के विकास के रास्ते को रोक रही है. आप चाह कर भी अपना प्रिय मार्ग, जो आप को हमेशा लुभाता व ललचाता है, को नहीं अपना पा रहे हैं. बेईमान बनने की चाह रखते हुए भी गले में ईमानदारी का ढोल लटका कर पीटना पड़ रहा है. इस लादी गई ईमानदारी से बाहर निकलने का आप को कोई मार्ग नहीं सूझ रहा है. निराश मत होइए हम यहां आप को कुछ ऐसे आसान मार्ग बता रहे हैं जिन को अपनाने, जिन पर चलने के बाद आप को भ्रष्टाचार करने में न तो किसी प्रकार की शर्म महसूस होगी और न ही किसी प्रकार का भय ही सताएगा. उलटे आप पूरी दबंगई के साथ दोनों हाथों से धन कमाने और दुनिया भर के विदेशी बैंकों में धन जमा करने में लग जाएंगे. जहां पर आप का धन आप के विरोधियों की कुदृष्टि से दूर पूरी तरह सुरक्षित होगा.

इन आसान उपायों के साथ  आप निसंकोच, पूरी बेशर्मी ओढ़ कर भ्रष्टाचार करें और इतना भ्रष्टाचार करें कि सिर्फ स्वयं या अपने परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि अपने खानदान तथा मित्रों के लिए भी वैतरणी की व्यवस्था करें. अपनी सात पीढि़यों के लिए कभी न समाप्त होने वाले धन के अकूत खजाने का संग्रह करें. आप को रोकना तो दूर रहा, आप को भ्रष्टाचार करता देख लोग स्वयं दूसरी ओर मुंह कर लेंगे, जैसे उन्होंने कुछ देखा ही न हो. आप की ओर उंगली उठाने की तो किसी में हिम्मत ही न होगी. आप को डराना या भयभीत करना तो दूर उलटे लोग आप से ही भय खाएंगे. आप की हर गतिविधि को झेलने के लिए यह कृतज्ञ राष्ट्र बाध्य होगा, अन्य रास्ता होगा भी तो नहीं. तो लीजिए, आप की व्यग्रता को और न बढ़ाते हुए प्रस्तुत हैं हमारे उपाय.

यदि आप ने बहती गंगा में नहाने (हाथ धोने का नहीं) का निर्णय ले ही लिया है तो हमारी सलाह है कि सब से पहले आप किसी राजनैतिक दल (क्षेत्रीय हो तो और भी अच्छा) के सदस्य बन कर जनसेवा के क्षेत्र में आ जाएं. आप के दल के गठबंधन के सत्ता में आते ही आप के हाथों में भ्रष्टाचार का लाइसैंस आ जाएगा. फिर इस लाइसैंस का आप चाहे जैसा उपयोग करें. कोई आप को रोकनेटोकने वाला नहीं है. मुसीबत आने या विपक्षियों द्वारा हल्ला मचाने पर गठबंधन सरकार से समर्थन वापसी की आप के क्षेत्रीय दल की धमकी सरकार को आप के विरुद्ध कड़े कदम उठाने से रोकेगी. अल्पमत में आने के बदले कोई भी सरकार आप को बचाने, आप के मामलों को दबाने की अधिक कोशिश करेगी. वैसे भी इतिहास गवाह है कि भ्रष्टाचार के आरोप हमारे माननीयों पर चाहे जितने लगे हों, पर सजा शायद ही किसी को हुई हो और शायद होगी भी नहीं. सभी राजनैतिक दल भ्रष्टाचार के मामलों में बिना लाजशर्म के अपने सदस्य का बचाव करते हैं. विपक्ष द्वारा छवि बिगाड़ने के लिए किया गया दुष्प्रचार कह कर भ्रष्टाचार के गंभीर से गंभीर मामलों में वे अपनों का बचाव करते हैं. दूरसंचार मंत्री ए राजा का नाम 2जी स्पैक्ट्रम घोटाले में आने के बावजूद द्रविड़ मुनेत्र कषगम यानी द्रमुक पार्टी उन्हें ही मंत्री बनाए रखने की जिद पर अड़ी हुई थी और बहुत दिनों तक तो वह अपनी इस ब्लैकमेलिंग में कामयाब भी रही.

यदि आप के दल ने दबाव में आ कर आप को निष्कासित कर दिया है तो भी परेशान होने की कोई बात नहीं है. आप क्षेत्रीय दल बना कर चुनावों में ताल ठोक सकते हैं. विश्वास रखिए, गठबंधन सरकारों के इस दौर में वही दल, जिस ने चुनावों के पूर्व आप को निष्कासित किया था व आप से किनारा किया था, चुनावों के बाद आप के साथ मिल कर सरकार बनाने के लिए उतावला नजर आएगा. अब वह आप की सभी शर्तें मानने तथा मलाईदार विभाग देने के लिए बाध्य होगा. भारतीय राजनीति का इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है. पंडित सुखराम का उदाहरण याद है न, जिन्होंने निष्कासन के बाद हिमाचल विकास कांगे्रस की स्थापना की थी और विधानसभा चुनावों के बाद दोनों शीर्ष राजनैतिक दल (जो चुनाव के समय उन्हें भ्रष्टाचारी कहते थे) उन के साथ मिल कर सरकार बनाने के लिए उतावले थे.

भ्रष्टाचार के मामलों में आप का धर्म भी आप के लिए बहुत मददगार साबित हो सकता है. भ्रष्टाचार के किसी भी मामले में फंसने पर आप इसे एक धर्मविशेष के लोगों के साथ हो रहे अन्याय के साथ जोड़ सकते हैं. एक बार जहां आप ने अपने भ्रष्टाचार को धर्म से जोड़ा तो लाख भ्रष्टाचारी होने पर भी आप की विजय सुनिश्चित हुई समझिए, क्योंकि इस धर्मभीरु देश में किस की हिम्मत है, जो धर्म से भिड़ने की जुर्रत कर सके. भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन का उदाहरण याद है न, स्वयं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने पर उन्होंने स्वयं का बचाव करने के लिए अपने धर्म का ही सहारा लिया था. ये महाशय आजकल सांसद हैं.

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आप अपने भ्रष्टाचार को अपनी जाति के माध्यम से भी उचित ठहरा सकते हैं. जब दूसरी जाति वाले भ्रष्टाचार कर साफ बच रहे हैं तो अकेले आप को ही क्यों बलि का बकरा बनाया जा रहा है? अपने विरुद्ध जांच को आप अपनी पूरी जाति के विरुद्ध अत्याचार के रूप में प्रदर्शित कर सकते हैं. आप कह सकते हैं कि आप के प्रति जातिगत पूर्वाग्रह तथा दुर्भावना के कारण भ्रष्टाचार के इन मामलों को उठाया जा रहा है, वरना तो आप के विरुद्ध कोई केस बनता ही नहीं है. बंगारू लक्ष्मण का उदाहरण याद है न. भारतीय जनता पार्टी के भूतपूर्व अध्यक्ष जब भ्रष्टाचार के मामलों में रंगे हाथ पकड़े गए, तो स्वयं की जाति की आड़ ले कर ही बचने की कोशिश की थी. देश के सब से बड़े राज्य की मुख्यमंत्री जब भी भ्रष्टाचार के किसी नए मामले (ताज कौरीडोर) में फंसती हैं, स्वयं को ‘दलित की बेटी’ बता कर बचने की कोशिश करती हैं. जाति का नाम लेले कर लोग कहां से कहां पहुंच गए? जाति की आड़ में लोगों ने कैसेकैसे किए और आप जरा सा भ्रष्टाचार करने में घबरा रहे हैं? विश्वास कीजिए, आप की जाति आप को भ्रष्टाचार करने के लिए थोड़ीबहुत नहीं, पूरी छूट देती है. यह आप के लिए एक ऐसे सुरक्षा कवच का काम करती है, जिसे भेदना अच्छेअच्छों के बस की बात नहीं, इसलिए जातिप्रधान इस देश में जाति के महत्त्व का भरपूर दोहन करें.

यदि आप देश की रक्षा के नाम पर भ्रष्टाचार करना चाहते हैं तो आप का इस क्षेत्र में हार्दिक स्वागत है. यह इतना संवेदनशील मामला है कि देश की सुरक्षा के नाम पर आप बखूबी अपने कार्य को अंजाम दे सकते हैं. यह इतना सुरक्षित क्षेत्र है कि वर्ष दर वर्ष बीत जाते हैं, लेकिन असली अपराधी को पकड़ना तो दूर रहा, उस की पहचान तक नहीं हो पाती है. बोफोर्स तोप भूल गए जिन की धमक आज भी भारतीय राजनीति में सुनने को मिल ही जाती है. इसलिए रक्षा के क्षेत्र में निश्ंिचत हो कर भ्रष्टाचार करें.

वैसे तो भ्रष्टाचार के मामलों में पूरे राष्ट्र में गजब की एकता है. पूर्वपश्चिम, उत्तरदक्षिण, मध्य सभी क्षेत्रों के लोग भ्रष्टाचार करने व करवाने में गजब का वैचारिक साम्य रखते हैं. भ्रष्टाचार करने तथा दूसरे को न करने देने पर सभी एकमत हैं. फिर भी भ्रष्टाचार के किसी भी मामले में फंसने पर आप अपने क्षेत्र को अपनी सुरक्षा के लिए प्रयुक्त कर सकते हैं. आप का क्षेत्रीयता का कार्ड आप की सुरक्षा करने तथा वास्तविक मुद्दों से ध्यान बंटाने में आप की भरपूर मदद करेगा.

यदि भ्रष्टाचार के लिए आप ने धर्म को माध्यम चुना है तो हम आप के चयन पर आप की तारीफ करते हैं. धर्म की आड़ में आप अपने खेल को बहुत अच्छी तरह खेल सकते हैं. हमारा धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र सभी धर्मों के धर्माचार्यों का भरपूर सम्मान करता है. धर्म के नाम पर आप के द्वारा किए गए गोलमाल पर कोई उंगली उठाने की जुर्रत तक नहीं करेगा.

‘स्वभाषा उन्नति है’ अपनी स्वयं की भाषा भूल गए क्या? अपनी भाषा पर गर्व करना सीखिए. देख नहीं रहे क्या, भाषा के नाम पर लोग कैसीकैसी राजनीति कर रहे हैं, लोगों को बरगला रहे हैं, बहका रहे हैं, आपस में लड़वा रहे हैं राज ठाकरे याद हैं न. ऐसे लोगों की तो सारी राजनीति ही इस बेचारी भाषा के खेल पर टिकी हुई है. भाषा के नाम पर जब वे अपनी राजनीति की रोटियां सेंक सकते हैं तो क्या आप जरा सी कमाई नहीं कर सकते? यदि कभी कुछ होता भी है तो भाषा है न आप का बचाव करने के लिए. वहीं, गवाहों का बदल जाना, सबूतों का नष्ट हो जाना, हमारी जांच एजेंसियों की दक्षता, हमारी न्यायिक प्रणाली की त्वरित चाल ये और इन जैसी ढेरों बातें तथा इन सब के ऊपर ‘रिश्वत लेते पकड़े जाओ तो रिश्वत दे कर छूट भी जाओ’ वगैरह भी ऐसे उपाय हैं जो आप को कभी भी निराश नहीं करेंगे, सदैव आप के काम आएंगे. आप के लिए सुरक्षा कवच का काम करेंगे. इसीलिए तो हम कहते हैं, ‘भ्रष्टाचार कीजिए, सुरक्षित रहिए.

ट्रेंड में है कोल्ड शोल्डर ड्रेस

अगर आप अपने कंधों को ज्यादा दिखाना भी नहीं चाहतीं लेकिन हॉट लुक पाना चाहती हैं, तो कोल्ड शोल्डर ड्रेस आपके लिए है. फैशन की दुनिया में इस समय जगह बनाई हुई है कोल्ड शोल्डर ड्रेसेज ने.

यह 80 का हिट ट्रेंड रहा है, जो एक बार फिर इस सीजन में तेजी से पॉप्युलर हो रहा है. इस ड्रेस को पहनकर आपको स्टाइल और कम्फर्ट दोनों का ही एहसास होगा.

कोल्ड शोल्डर वाली ड्रेसेज पहनकर कंधे तो अट्रैक्टिव लगते ही हैं, साथ ही पहनने वाले को मॉडर्न लुक भी मिलता है. इस ट्रेंड की पॉपु्युलैरिटी का अंदाजा आप इस बात से ही लगा सकती हैं कि यह ट्रडिशनल से लेकर वेस्टर्न ड्रेसेज तक में छा गया है.

ऐसे करें कैरी

वैसे तो हर तरह के कंधे पर यह स्टाइल अच्छा लगता है, लेकिन इसे पहनते वक्त भी कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी है. घेरदार बाहों के कोल्ड शोल्डर टॉप को हमेशा अच्छी फिटिंग वाली जींस या स्कर्ट के साथ पहनें.

वहीं अगर अच्छी फिटिंग वाला टॉप पहन रही हैं, तो साथ में पलाजो या ए लाइन स्कर्ट पहनें. लहंगे में क्रॉप टॉप स्टाइल में कोल्ड शोल्डर खूब फबते हैं. ऑफिस वियर में हमेशा कम कट वाले कोल्ड शोल्डर टॉप या शर्ट पहनें.

हर बॉडी टाइप के लिए परफेक्ट

कोल्ड शोल्डर आपकी लोअर बॉडी से अटेंशन हटाकर गर्दन और कंधे को हाईलाइट करता है. इसी वजह से यह स्टाइल लगभग सभी तरह के बॉडी टाइप को सूट करता है. हालांकि इसके लिए अपनी बॉडी के हिसाब से सही वेस्टलाइन वाला आउटफिट चुनें.

टी-शर्ट से लेकर वन पीस ड्रेस तक

टी-शर्ट से लेकर वन पीस तक में इस ट्रेंड को अपनाया जा रहा है. ट्रडिशनल ड्रेसेज में आप चाहे लहंगा पहनें या साड़ी या पहनें सूट, आपको कोल्ड शोल्डर ट्रेंड मिलेगा. यह ट्रेंड हर एज ग्रुप के लिए है और हर तरह की ड्रेस पर अच्छा लगता है. लेकिन इसे कैरी करते समय सही कॉम्बिनेशन बनाकर चलना जरूरी है. साड़ी को ट्रेंडी बनाने के लिए आप भी कोल्ड शोल्डर ब्लाउज पहन सकती हैं.

इसी तरह कुर्ते और शर्ट के साथ भी कोल्ड शोल्डर स्टाइल ट्राई कर सकती हैं. ट्यूनिक में भी कोल्ड शोल्डर स्टाइल बेहद जंचता है. ईवनिंग पार्टी के लिए कोल्ड शोल्डर गाउन्स आपको एलीगेंट और स्टाइलिश लुक देंगे.

पार्टी लुक

पार्टी में अलग अंदाज के लिए कोल्ड शोल्डर या फिर ढीली बाजुओं पर कट्स वाली ड्रेस पहनें. कोल्ड शोल्डर वाले ढीले टॉप और शॉर्ट पैंट्स का तालमेल इन दिनों पार्टी में ज्यादा नजर आ रहा है. हॉल्टर नेक कोल्ड शोल्डर टॉप के साथ मिनी स्कर्ट या पैंट भी पहन सकती हैं. इसके साथ फंकी ज्वेलरी खूब फबेगी.

ऐसे पाएं प्रफेशनल लुक

कोल्ड शोल्डर परिधान और टॉप्स वैसे तो कैजुअल लुक के लिए जाने जाते हैं लेकिन अगर आप इन्हें प्लेन स्किनी जींस या ट्यूब पैन्ट्स और हील्स के साथ पहनें तो आप आसानी से प्रफेशनल लुक पा लेंगी.

विंटेज लुक

ऑफ शोल्डर स्लीक फिट टॉप के साथ ए लाइन स्कर्ट आपको विंटेज अंदाज देगा. कोल्ड शोल्डर क्रॉप टॉप के साथ हाई वेस्ट वाली अच्छी फिटिंग की स्कर्ट पहनें.

पैसे और शोहरत के लालच में फंसते युवा

कुछ ही लोग ऐसे होते हैं जो सफलता की राह तक पहुंचते हैं और दूसरों के लिए मिसाल बन जाते हैं जबकि कुछ मंजिल तक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं. ऐसा ही कुछ काम किया है इंडोनेशिया के युवक हेंडी ने. उस के पिता कतर में काम करते थे. हेंडी को बचपन से ही पैसे कमाने की ललक थी.

एक बार वह छुट्टियों में पिता के पास कतर गया था. वहां उस ने कबाब खाया, जो उसे बहुत अच्छा लगा. तभी उस के दिमाग में एक आइडिया आया और वह सोचने लगा कि इतनी बेहतरीन चीज आखिर उस के देश में क्यों पौपुलर नहीं है. अगर वह इसे अपने देश में ही बना कर बेचे तो बहुत अच्छा पैसा कमाएगा.

इंडोनेशिया में उस समय तक कबाब लोगों को ज्यादा पसंद नहीं था. घर वापस आ कर हेंडी ने सीमित साधनों के साथ कबाब को जनजन तक पहुंचाने की ठान ली. 2003 में उस ने एक ठेला गाड़ी ली और कबाब बेचने के लिए अपने एक दोस्त को भी साथ ले लिया, लेकिन जब काम ज्यादा अच्छा नहीं चला तो उस दोस्त ने भी साथ छोड़ दिया, लेकिन हेंडी ने हिम्मत नहीं हारी. तब वह कालेज में द्वितीय वर्ष में पढ़ रहा था. उस ने सोचा कि ऐसे तो काम नहीं चलेगा इसलिए उस ने पढ़ाई भी छोड़ दी. परिवार वालों ने इस का काफी विरोध किया. लेकिन हेंडी ने किसी की नहीं सुनी और अपने काम में लगन से जुट गया. धीरेधीरे काम ने रफ्तार पकड़ ली. आज वह दुनिया की सब से बड़ी कबाब चेन ‘कबाब टर्की बाबा रफी’ को सफलतापूर्वक चला रहा है. आज हेंडी की कंपनी इंडोनेशिया के अलावा फिलीपींस और मलयेशिया तक फैल चुकी है. उस की कंपनी में काम करने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है और वह 2 हजार को पार कर चुकी है. उस के हजार से ज्यादा आउटलेट्स हैं. इस काम के लिए हेंडी को कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं. इस तरह उस ने साबित कर दिया कि मेहनत के बल पर इंसान किसी भी ऊंचाई को छू सकता है.

लालच से बचें

आज सभी पैसा कमाने की अंधी दौड़ में लगे हैं. युवा भी इस के दीवाने हैं. वे ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में रहते हैं. लोगों के पास आज जितना पैसा आता जा रहा है उतना ही उन का लालच भी बढ़ रहा है. कभीकभी पैसा तो मिल जाता है, लेकिन उस के चक्कर में अपने दूर हो जाते हैं. कई बार अधिक पैसा कमाने की चाह भी इंसान को गलत रास्ते पर ले जाती है. आज पैसा ही पहचान बन गया है, इसीलिए सारी भीड़ इस के पीछे भाग रही है. सब रिश्तेनाते व संबंधों में पैसे को ही प्रमुखता दी जाती है, पैसे को ही सर्वश्रेष्ठ समझा जा रहा है. यहां तक कि पैसा कमाने के लिए लोग घर से दूर शहरों में रह कर मशीन की तरह काम कर रहे हैं, जिस कारण उन के पास अपनों के लिए भी समय नहीं है.

 

विदेश जाने की चाहत

विदेश जाने की ललक, वहां रह कर पैसा कमाने की चाह, यह सपना भारत का हर नौजवान देखता है, लेकिन इसे साकार करना सब के बस की बात नहीं होती. विदेश में काम करने की प्रक्रिया इतनी कठिन है कि उस की औपचारिकता पूरी कर पाना काफी कठिन है. इस के बावजूद हजारों युवा सुनहरे भविष्य का सपना ले कर विदेश काम करने जाते हैं, लेकिन वे वहां धोखा खा जाते हैं.

आज यूरोप और अमेरिका में काम के लिए वीजा पाना टेढ़ी खीर है, लेकिन खाड़ी देशों में काम मिलने में आसानी रहती है. यही कारण है कि हमारे हजारों युवा वहां काम करने के लिए जाते हैं, लेकिन उन्हें परेशानी तब होती है जब वे किसी इसलामिक कानून के उल्लंघन में पकड़े जाते हैं.

वहां हमारे युवा ही ज्यादा क्यों पकड़े जाते हैं, इस के कई कारण हैं. एक तो वहां के सख्त इसलामिक कानून की जानकारी इन युवाओं को नहीं होती और दूसरा न ही इन युवकों को शरीअत के बारे में ज्यादा मालूम होता है. वे वहां अनजाने में इन कानूनों का उल्लंघन कर बैठते हैं, जिस से मुसीबत में फंस जाते हैं.

खाड़ी देशों में अधिकतर वे युवक जाते हैं जिन के वहां रिश्तेदार काम करते हैं या कोई परिचित रहता है. ये कम पढ़ेलिखे युवक वहां जा कर कानून की मार झेलते हैं. उन का कम पढ़ालिखा होना ही उन की परेशानी का सबब बन जाता है. वहां साइन बोर्ड अंगरेजी और अरबी में लिखे होते हैं. वे उन्हें समझ नहीं पाते और छोटीछोटी गलतियां करने के कारण पकड़ लिए जाते हैं.

कभीकभी ऐसे मामले भी देखने में आए हैं जिन में बड़े घराने के युवा पर्यटक वीजा पर वहां जाते हैं और गैरकानूनी तरीके से काम करने लगते हैं, फिर पकड़े जाने पर जेल की हवा खाते हैं.

ऐसे में भारतीय दूतावासों के सामने 2 तरह की चुनौती खड़ी हो जाती है, एक तो जो लोग अनजाने में अपराध कर बैठते हैं, उन के लिए तो वहां की सरकार से गुहार लगाई जा सकती है, लेकिन जो गैरकानूनी तरीके से वहां काम कर रहे होते हैं उन के फंसने पर मामला बहुत पेचीदा हो जाता है, जिस कारण वे जल्द जेल से निकल नहीं पाते, क्योंकि वहां का कानून बहुत कड़ा है.

विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, भारत से बाहर रहने वाले 2 करोड़ 19 लाख प्रवासी भारतीयों में से 27त्न खाड़ी देशों में काम कर रहे हैं. इन में सब से ज्यादा मजदूर वर्ग है जो युवा है. संसार के 68 देशों की जेलों में बंद भारतीयों की सब से बड़ी तादाद खाड़ी देशों में ही है, जिन में युवा ज्यादा हैं.

विदेशी जेलों में बंद कुल भारतीयों में से 45 फीसदी खाड़ी देशों में हैं. इसलामिक कानून के उल्लंघन, चोरी, धोखाधड़ी और गैरकानूनी तरीके से काम करने या वहां रहने के आरोप में खाड़ी के 8 देशों में भारतीय युवा बंद हैं.

सऊदी अरब में लगभग 1,470 और संयुक्त अरब अमीरात में करीब 825 भारतीय युवा जेलों में बंद हैं. इराक, कुवैत, ओमान, कतर, बहरीन और यमन की जेलों में करीब 2,900 भारतीय नागरिक आज भी सजा काट रहे हैं.

इन के परिवार के लोग उन्हें छुड़ाने के लिए दूतावासों और विदेश मंत्रालय के चक्कर काटतेकाटते थक जाते हैं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिलती. कितने मांबाप तो अपनी जिंदगी की पूरी कमाई भी इसी में लुटा देते हैं, लेकिन बेटे को नहीं छुड़ा पाते. इस तरह न जाने कितने युवक विदेश जा कर पैसा कमाने के लालच में अपनी जिंदगी बरबाद कर रहे हैं.

छात्रों और अभिभावकों के सामने मुख्य प्रश्न है शिक्षा द्वारा रोजगार प्राप्ति अहम हो. लेकिन यह भी सत्य है कि रोजगार प्राप्ति के लिए छात्र जो सामान्य शिक्षा हासिल करते हैं, वही काफी नहीं है. अब सामान्य शिक्षा के अतिरिक्त अपने को योग्य साबित करने के लिए विशेष डिग्रियों के लिए युवक प्रयत्न करते हैं.

विशेष शिक्षा प्राप्त करने के लिए छात्रों को अतिरिक्त परिश्रम, समय व धन की आवश्यकता होती है, लेकिन सामान्य शिक्षा में भी परीक्षा में नकल, अंकपत्र में हेराफेरी जैसे हथकंडे अपना कर जबतब वे अपनी अयोग्यता का ही परिचय देते हैं.

जो योग्य छात्र अच्छी शिक्षा हासिल कर भी लेते हैं. वे रोजगार के लिए दरदर की ठोकरें खाते हैं. बड़ीबड़ी डिग्रियां ले कर भी बेरोजगार घूमते हैं या छोटेमोटे प्राइवेट स्कूलों में कम वेतन पर नौकरी करते हैं.

अगर इतना भर भी नहीं मिला तो पैसा कमाने के लिए विदेश के रास्ते खोजे जाते हैं. कमाना बुरा नहीं है लेकिन बेइंतहा पैसा कमाने के चक्कर में पनपा लालच व्यक्ति को घोर स्वार्थी बनाता है.

स्कूलों के अलावा अब कोचिंग संस्थानों ने भी शिक्षा को एक अच्छाखासा धंधा बना दिया है. अभिभावकों का भी विश्वास सरकार द्वारा संचालित स्कूलों और कालेजों की अपेक्षा कोचिंग संस्थानों में जमता जा रहा है.

अध्यापक कोचिंग संस्थानों को कमाई का अतिरिक्त व मोटा जरिया जान कर इन में पढ़ाने से गुरेज नहीं करते. शिक्षा में प्रायोगिक शिक्षा का पहले ही अभाव है और समाज का अधिकतम हिस्सा शिक्षा के मूलस्वरूप को ही बिगाड़ने में लगा है.

ना कहना भी सीखें

श्वेता का कालेज में पहला साल था. ऐडमिशन के 2 महीने बाद ही फ्रैशर पार्टी होनी थी. सीनियर छात्रों ने श्वेता को फ्रैशर पार्टी की सारी जिम्मेदारी दे दी. श्वेता को तो ना कहने की आदत ही नहीं थी. ऐसे में वह हर काम के लिए हां कहती गई. फ्रैशर पार्टी की जिम्मेदारी निभाते श्वेता को इस बात का खयाल ही नहीं रहा कि इस काम के चक्कर में उस की पढ़ाई का नुकसान हो रहा है. वह क्लास में पूरी अटैंडैंस भी नहीं दे पाई.

फ्रैशर पार्टी पूरी होने के बाद सब ने श्वेता के काम की काफी तारीफ की. श्वेता के कालेज में हर 6 महीने में अटैंडैंस चैक की जाती थी. श्वेता की अटैंडैंस सब से कम निकली. इस का नोटिस श्वेता के घर भेज दिया गया. घर वाले परेशान हो गए. कालेज मैनेजमैंट ने फैसला लिया कि जिस स्टूडैंट की अटैंडैंस कम होगी, उसे परीक्षा में बैठने नहीं दिया जाएगा. ऐसे में दूसरे स्टूडैंट्स के साथ श्वेता भी परीक्षा नहीं दे पाई. उस का एक साल बरबाद हो गया.

श्वेता और उस के घर वालों ने कालेज प्रबंधन से काफी रिक्वैस्ट की, लेकिन कालेज प्रबंधन ने कम अटैंडैंस वाले स्टूडैंट्स को परीक्षा ही नहीं देने दी. अपना बहुमूल्य एक साल खोने के बाद श्वेता को समझ आया कि यदि उस ने इस काम के लिए पहले ही ना कह दिया होता तो उसे इस तरह की परेशानी में नहीं पड़ना पड़ता.

इस तरह के हालात से न केवल कालेज में बल्कि कई बार जिंदगी में भी रूबरू होना पड़ता है. पढ़ाई पूरी करने के बाद दिनेश ने औफिस में काम शुरू किया. वह मेहनत और लगन से अपना काम करना चाहता था.

औफिस में उसे जो भी काम करने को कहता वह चुपचाप करने लगता. इस कारण उस पर काम का बोझ बढ़ने लगा. वह अपना काम तो करता ही था साथ ही दूसरों का काम भी निबटाता था.

कई बार तो काम ठीक तरह से हो जाता लेकिन कभीकभी काम सही तरीके से नहीं हो पाता या बिगड़ जाता तो लोग उस पर ही पूरी जिम्मेदारी थोप देते. ऐसे में दूसरों का काम कर के भी दिनेश लोगों को संतुष्ट नहीं कर पाता था. दिनेश को दोस्तों ने समझाया कि हर काम के लिए हां करने से कुछ भला नहीं होने वाला, अपना काम ठीक से करो, बेवजह दूसरों के काम करने से मना कर दो.

जब से दिनेश ने काम के लिए ना करना सीखा है, तब से वह अपना काम ठीक से कर पाता है. हर काम को हां करने की आदत असल में अधिकतर लोगों में होती है. उन को लगता है कि काम के लिए मना करने से दूसरों को बुरा लग सकता है.

गुणवत्ता में कमी

‘एक साधे सब सधे, सब साधे सब जाए’ कहावत का मतलब है कि अच्छे से एक काम करने से सब का भला होता है. सब काम एकसाथ करने से हमेशा काम खराब होने का खतरा रहता है. पर्सनैलिटी डैवलपमैंट की क्लास चलाने वाली रिचा श्रीवास्तव कहती हैं, ‘‘कई काम एकसाथ करने से काम की गुणवत्ता में कमी आने का खतरा रहता है.

‘‘ऐसे में जरूरी है कि जिस काम को सही तरीके से समय पर कर सकें उस की ही हामी भरें. कई कामों के लिए हां करने से उन के समय पर पूरा न होने का खतरा रहता है. उसी काम की कीमत होती है जो समय पर सही तरह से पूरा हो जाए. ऐसे में हर काम के लिए हां करने के पहले यह जरूर देखसमझ लें कि आप की क्षमता क्या है और कितना काम कर सकते हैं. केवल वाहवाही लूटने के लिए हर काम के लिए हां न करें.’’

हर काम की हां के पीछे यही सोच होती है कि लोग आप की तारीफ करें. आप को तरक्की और प्रशंसा मिले. परेशानी की बात यह है कि हर काम के लिए हां करने से आप की परेशानियां बढ़ती हैं. इस से काम की गुणवत्ता प्रभावित होती है और आप आलोचना का शिकार होते हैं.

ऐसे में जरूरी है कि हर काम के लिए हां करने की अपनी आदत को सुधारें और ना कहना भी सीखें. यह सोच गलत है कि किसी के बिना कोई काम रुकता है. आप के मना करने पर कोई दूसरा उस काम को कर लेगा. ऐसे में अपनी क्षमता साबित करने के लिए हर काम को करने का बीड़ा उठा कर न केवल आप काम का नुकसान करते हैं बल्कि अपने संगठन का भी नाम खराब करते हैं. ऐसे में आप की अच्छी आदत बुरे परिणाम देती है.

क्षमता का विकास करें

यह सही बात है कि हर किसी को हर काम में दक्ष होना चाहिए. आज का लाइफस्टाइल औलराउंडर पर्सनैलिटी वाला है. ऐसे लोग जल्दी तरक्की की सीढि़यां चढ़ते हैं. सही बात तो यह है कि ऐसे लोगों को देख कर ही दूसरे लोग हर काम के लिए हां करने लगते हैं. हर किसी की क्षमता एक जैसी नहीं होती. आप को औलराउंडर बनना है तो सब से पहले अपनी क्षमता का विकास करना होगा. हर काम को सीखने के बजाय यह देखें कि आप की पसंद के क्या काम हैं और किन कामों की आप को जरूरत है. आप अपनी जानकारी बढ़ा कर अपनी क्षमता का विकास कर सकते हैं.

जब आप की क्षमता का विकास हो जाएगा तो आप एकसाथ कई काम कुशलता से कर सकेंगे. जब तक आप की क्षमता का सही तरह से विकास न हो जाए एकसाथ कई काम करने से बचें.

रिचा श्रीवास्तव कहती हैं, ‘‘यह बात सही है कि आज के दौर में औलराउंडर लोगों की मांग है. हर काम के लिए ना कहना अच्छी बात नहीं है. जरूरत इस बात की है कि आप अपनी क्षमतानुसार मेहनत और लगन से काम करें. काम ठीक ढंग से होना, उस का समय पर होना और एक काम करने से दूसरे काम का नुकसान नहीं होना चाहिए.

‘‘अगर किसी में यह क्षमता है तो वह औलराउंडर की तरह काम कर सकता है. जब तक आप में इस तरह की क्षमता का विकास नहीं हो जाता तब तक आप को अपने काम पर फोकस करना चाहिए. परफैक्ट होने के लिए हर तरह के काम और उस से जुड़ी जानकारी बढ़ाते रहना जरूरी है. कई बार लोग बिना परफैक्ट जानकारी के ओवरस्मार्ट बनते हुए औलराउंडर बनने की कोशिश करते हैं, जो सही नहीं है.’’      

ना करें समझदारी से

– हर काम के लिए हां ही नहीं ना करना भी जरूरी होता है. किसी भी काम के लिए ना करते समय पूरी समझदारी दिखानी चाहिए. सच में जो काम आप नहीं कर पा रहे हों उस के लिए ही ना करें. ना करते समय ऐसा न लगे कि आप इस काम को कर सकते थे, इस के बाद भी ना कर रहे हैं.

– यह मत सोचिए कि आप के ना करने से दूसरे पर आप की पर्सनैलिटी का बुरा प्रभाव पड़ेगा. काम को खराब करने से अच्छा है कि उस के लिए मना कर दिया जाए. इस से कोई आप से बेहतर व्यक्ति इस काम को कर सकेगा.

– काम का बोझ तनाव और कार्यक्षमता को बढ़ा देता है. ऐसे में जिस काम को आप सही से करने की हालत में होते हैं वह भी नहीं हो पाता है. उस में तमाम गलतियां होने लगती हैं. काम में गलतियां हों उस से अच्छा है कि आप काम के बोझ को न बढ़ाएं और कुछ काम करने से मना भी करें.

– कई बार जिन लोगों में क्षमता नहीं होती वे केवल दिखावा करने या चापलूसी करने के लिए हर काम को करने की हां कर देते हैं. ऐसे में काम में देरी और खराब होने का खतरा होता है. अगर आप में काम करने की क्षमता नहीं है तो अपना और दूसरे का समय खराब करने से बेहतर है कि काम के लिए ना कर दें.

– काम की असल कीमत उस की गुणवत्ता से होती है. औलराउंडर पर्सनैलिटी का अलग ही स्थान होता है. इस के लिए सही माने में अपनी क्षमता का विकास करें. जब तक आप में क्षमता न हो, हर काम के लिए हां करने से बेहतर है कि जो काम कर सकें उसे ही करें, दूसरे काम के लिए ना.

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