तलाक एक सामाजिक दुर्घटना है

विवाह बाद तलाक होने पर जिंदगी समाप्त नहीं होती. तलाक लेना घुटन, गालीगलौच, शक, आर्थिक संकट से भरी जिंदगी से ज्यादा अच्छा है, चाहे बच्चे हों या न हों. तलाक एक अंतिम उपाय है पर यह जीवन का अंत नहीं है. तलाकशुदा पुरुष या स्त्री को न तो संदेह की दृष्टि से देखा जाना चाहिए और न ही दया का पात्र बनाना चाहिए.

तलाक एक सामाजिक, पारिवारिक दुर्घटना है, एक गंभीर बीमारी है, एक सौदे में घाटा होना है और जीवन की मांग है कि उस के बाद हाथ झाड़ो और फिर नए सिरे से जिंदगी को खोजो.

करिश्मा कपूर ने अभिनेत्री के रूप में खूब नाम कमाया, पैसा भी कमाया होगा और इसलिए जब उन का 2003 में संजय कपूर से विवाह हुआ तो संजय से लोगों को ईर्ष्या हुई होगी कि ऐसी ट्रौफीनुमा पत्नी मिली.

पर अफसोस दोनों का विवाह 2 बच्चे होने के बावजूद चल न सका और 6 साल तक अदालती मुकदमों के बाद दोनों का 2016 में तलाक हो गया. अब संजय कपूर फिर विवाह कर रहे हैं. मजेदार बात यह है कि यह संजय की तीसरी शादी होगी और होने वाली पत्नी प्रिया की दूसरी. प्रिया का पहला विवाह अमेरिका के एक अमीर भारतीय होटल मालिक से हुआ था.

यानी विवाह और तलाक जीवन को समाप्त नहीं करते. ये जीवन जीने के तरीके हैं और इन को आसानी से ढालना सीखना चाहिए. आज से 75 साल पहले जब तलाक कम होते थे तब भी लड़कियां पति का घर छोड़ कर मायके आ बैठती थीं, चाहे उन्हें तलाक न मिला हो.

1956 के हिंदू विवाह कानून के पहले पति को दूसरा विवाह करने की कानूनी व सामाजिक इजाजत थी पर औरतों को सामाजिक इजाजत बिलकुल न थी. मुसलिम औरतों को तलाक के बाद फिर विवाह करने की सामाजिक आजादी भी थी.

तलाक के बाद विवाह कर लेने का अर्थ है कि सिर्फ दोस्ती से काम नहीं चलता और संबंध को कोई कानूनी आवरण तो चाहिए ही ताकि दोनों एकदूसरे के प्रति जिम्मेदार हो सकें. कानूनों की भरमार ऐसी है कि स्त्री व पुरुष यदि चाहें तो भी लंबे समय तक साथ नहीं रह सकते. इसलिए तलाक के बाद विवाह हो तो अच्छा ही है और उसे सामाजिक जबरदस्ती नहीं, व्यक्तिगत पसंद और फैसला समझा जाना चाहिए.

ऐसे बढ़ाएं अपनी आंखों की रोशनी

आपकी आंखें शरीर का सबसे महत्वपूर्ण और संवेदनशील अंग है. ये बात तो आपको बताने की नहीं है कि ये आकार में छोटी होने के बावजूद बहुत ही उपयोगी होती हैं, क्योंकि इसकी मदद से ही हम ये बेहतरीन दुनिया को देखते हैं. आंखों के बिना हम अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते.

वैसे अक्सर देखा गया है कि आप अपनी आंखों का उतना ख्याल नहीं रखते हैं जितना कि शरीर के दूसरे अंगों का रखते हैं, जबकि आपको अपनी आंखों का विशेष ख्याल रखना चाहिए. कई ऐसी चीजें हैं जिसके जरिये हम अपनी आंखों को स्वस्थ्य बनाए रख सकते हैं. हम यहां कुछ टिप्स लेकर आए हैं जिन्हें अपनाकर आप अपनी आंखों को स्वस्थ्य रख सकते हैं-

1. फल और सब्जियां
आपकी आंखों के लिए लाभकारी गाजर के अलावा, आपको अपने पौष्टिक आहार में फलों और सब्जियों की प्रचुर मात्रा को शामिल करना चाहिए. जैसे- गहरे हरे रंग का पत्तेदार साग, स्प्राउट्स, नट्स, संतरे और नींबू.

2. ओमेगा 3 फैटी एसिड
अपने भोजन में मछली को शामिल करें, क्योंकि इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. इन मछलियों में सल्मोन, ट्यूना, और हलिबट मछलियां प्रमुख हैं. अध्ययनों से पता चला है कि ओमेगा-3 फैटी एसिड आंखों के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है.

3. उचित वजन
शारीरिक रूप से एक्टिव रहने के लिए अपने वजन को नियंत्रित रखें, क्योंकि इससे डायविटिज का खतरा भी बढ़ सकता है, जिसका असर आपकी आंखों पर भी पड़ता है.

4. धूम्रपान या स्मोकिंग छोड़ें
स्मोकिंग सिर्फ आपके शरीर के कुछ मुख्य अंगों के लिए ही नुकसानदेह नहीं है, बल्कि ये आपकी नाजुक आंखों के लिए भी खतरनाक है. स्मोकिंग से बढ़ती उम्र से जुड़ी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है.

5. सूर्य की पराबैगनी या अल्ट्रावायलेट रोशनी से बचें
ध्यान दें कि सूर्य को कभी भी डायरेक्ट ना देखें, क्योंकि सूर्य से आ रही अल्ट्रावायलेट किरणें आपकी आंखों के रेटिना को खराब करती है. इससे आपकी आंखों में अंधापन (ब्लाइंडनेस) भी हो सकता है. 

6. आंखों को धोएं
रोज सुबह-शाम अपनी आंखों को 10 से 15 बार छींटे मारकर साफ पानी से धोएं. ऐसा करने से आपकी आंखों की थकावट दूर होगी. आप अपनी आंखों में बर्फ और ठंडे-गर्म पानी का इस्तेमाल न करें.

7. पर्याप्त नींद
रोज रात में पर्याप्त नींद लेकर सोने से आपकी आंखों को सभी आवश्यक पोषक तत्व मिलते रहते हैं और आपकी आंखें उचित तरीके से काम भी करती हैं. नींद की कमी होने पर आंखों में थकान, खुजली और जलन जैसी समस्या भी हो सकती है.

8. नियमित आंखों की जांच कराएं
अपने आंखों की दृष्टी को मजबूत बनाने के लिए नियमित रूप से आंखों की जांच कराते रहना चाहिए, फिर चाहे आप किसी भी उम्र के हों. इससे आपको आपकी आंखों की समस्या के बारे में जानकारी मिलती रहेगी और आप अपनी आंखों के प्रति सतर्क रहेंगे.

वक्त रसोई में घुस जाने का नहीं

5 राज्यों के चुनावी नतीजों ने यह साफ कर दिया है कि अब देश में एक नई तरह की राजनीति चलेगी. अब तक सामाजिक, धार्मिक मुद्दे सरकारों की नजर से अलग रहते थे पर अब जो सरकार में हैं उन की आम लोगों के सामाजिक व्यवहार, रीतिरिवाजों, धार्मिक अनुष्ठानों और परिवार व संस्कृति पर गहरी सोच है और वे उसे शासन का एक हिस्सा मानते हैं. अब सरकार केवल कर एकत्र करने, कानून व्यवस्था बनाने और सड़कों व इन्फ्रास्ट्रक्चर की ही चिंता नहीं करेगी वरन कौन क्या खाता है, क्या पहनता है, कैसे रहता है, कैसे विवाह करता है, भी सब शासन के हिस्से बन जाएंगे.

महिलाओं को अब अपनी जीवनशैली में बदलाव नजर आ सकता है, जिस के पीछे सिर्फ शिक्षा या बाजार न होगा वरन सरकारी फैसले भी हो सकते हैं. इस बारे में सरकार की नीति क्या होगी यह स्पष्ट नहीं है पर वह परंपरावादी जरूर होगी. इसलिए इन परिणामों को सिर्फ कुछ लोगों की सोच का जिम्मा मान कर रसोई में घुस जाना ठीक न रहेगा.

राजनीति जब घर में घुस जाए तो फर्क औरतों को ही पड़ता है. मुसलिम व ईसाई राजाओं ने भारत व यूरोप के देशों में सदियों औरतों पर कहर ढाया और उन्होंने जो आजादी पिछली 2 सदियों में पाई, वह केवल परिवार के पुरुषों से नहीं पाई, सरकारी फैसलों के विरुद्ध मोरचे खोल कर पाई.

देश की पिछली सरकारें आमतौर पर औरतों के अधिकारों के इक्कादुक्का कानून बना कर चुप बैठ जाती थीं. औरतों ने देश में अपने अधिकार मांगने या बढ़ाने के लिए कुछ ज्यादा नहीं किया. जो मिला वह तकनीक या आर्थिक जरूरत से मिला. फिर भी कांग्रेसी सरकारें भी लकीर की फकीर बनी रही थीं और नतीजा है कि छिटपुट हस्तियों के अलावा अधिकांश सत्ता पुरुषों के हाथ में ही रही.

जिन देशों में औरतों के अधिकार कम हैं वहां न केवल उन पर अत्याचार ज्यादा होते हैं, वहां हिंसा और युद्ध भी ज्यादा होते हैं, क्योंकि औरतों की सुरक्षा को देश, वाद और धर्म के नाम पर कुरबान कर दिया जाता है. इराक, ईरान, लीबिया, इजिप्ट, सीरिया ही नहीं, अधिकांश कैथोलिक ईसाई शासकों के देशों में भी औरतों का हाल बुरा है.

भारत की नई राजनीति क्या पिटारे खोलती है इस का एहसास है पर यह औरतों पर निर्भर करता है कि वे अधिक अधिकार मांगें और जो मिले हैं उन्हें छद्म रूप से घटाने न दें. आर्थिक मोरचे पर जो हो सो हो पर घरेलू मोरचे पर कुछ अप्रिय न हो और बराबरी के हक मिलें, यह देखना अब औरतों को खुद करना होगा.

अमेरिका में पिंक हैट क्रांति की शुरुआत इसीलिए हुई है कि वहां के नए राष्ट्रपति बेहद दंभी हैं और औरतों को खिलौना मानते हैं. उन्होंने अपने नए बजट में औरतों की परेशानियां बढ़ाने वाले बहुत से कदम भारी विरोध के बावजूद उठाए हैं. यह बीमारी दूसरे शासकों को न लगे इस के लिए प्रतिरोध औरतों को करना होगा, कोई और न करेगा. भारत की महिलाओं को पिछले 5-6 दशकों में जो मिला है उसे वे धर्म और संस्कृति के नाम पर कहीं खो न दें, उस के लिए उन्हें होशियार रहना होगा. पुरुष साथ देंगे, इस में संदेह ही है.

मीना कुमारी : काश आप मेरे इस खत का जवाब दे पाती

प्रिय मीना… आपको नाम से बुलाने का हक तो मुझे नहीं है. पर आपके नाम के साथ कौन सा विशेषण जोड़ के बुलाऊं, इस ऊहापोह से बेहतर है कि सिर्फ नाम से ही पुकारूं. ‘जी’ शब्द भी आपके सामने बहुत छोटा ही लगता है. खूबसूरती के सारे पर्यायों से ऊपर उठ चुकी हैं आप. माहजबीन बानो… आज आपको लोगों के दिलों में जिंदा रखने की जिम्मेदारी तो हम पत्रकारों और लेखकों की ही बनती है. पर वक्त के साथ साथ यादें धुंधली पड़ने लगती है. और शायद आपके साथ भी ऐसा ही हो रहा है.

खैर जन्मदिन पर और पुण्यतिथि पर तो याद करना फर्ज बन जाता है. पर अगर मैं आपसे कहूं की आप आए-दिन मुझे याद आती हैं तो क्या आप मानेंगी? शायद आपको मेरी बातें खोखली लगें. पर हकीकत है. चलते चलते यूं ही कोई मिल गया था… पर उस सफर में भी आप याद आ गई.

आपसे इतनी लगाव की वजह तो मैं नहीं जानती. आपको ‘ट्रेजेडी क्वीन’ कहा जाता है, पर क्या वजह थी जो आपको ये ताज मिला? सिर्फ फिल्में ही वजह थी, या आपका निजी जीवन भी? इसका जवाब तो आप ही दे सकती हैं, और यह जमीनी हकीकत से परे है, क्योंकि अब इस इंसानों की दुनिया में सिर्फ आपकी कुछ फिल्में और कुछ नज्में ही बाकि हैं. हां, आप नज्में भी लिखती थी, और गुलजार साहब ने इसे प्रकाशित भी किया था. फिर भी शायरों के हुजूम में इन नज्मों को पढ़ने वाले कुछ ही लोग हैं, पर जो भी पढ़ा, इतना दर्द पाया कि आंखें चाह कर भी मुस्कुरा न पाई.

30 साल के फिल्मी करियर में 90 से ज्यादा फिल्में और फिर भी ‘ट्रेजेडी क्वीन’… उफ्फ… ये शब्द ही आपके नाम के साथ गलत जुड़ गया है. क्वीन ठीक था, पर ट्रेजेडी क्यों?

सुना है, आपके साथ काम करने वाले आपके नूर के आगे अपनी लाइनें भूल जाते थे. हम तो आज भी आपकी ब्लैक ऐंड व्हाइट फिल्में देखकर कायल हो जाते हैं. रंगीन में तो पता नहीं क्या होता… ट्रेजिक रोल्स को इतने बखूबी से निभाने का कारण क्या था? शायद असल जिन्दगी का अक्स भी रूपहले पर्दे पर ऊभर आता है, इसलिए तो 60 के दशक की औरतों की कहानी आपने बखूबी कही.

आपका दौर ही कुछ और था. जब एक अभिनेत्री के दम पर भी फिल्में सुपरहिट हो जाती थी. अभी का दौर अलग है कि शरीर पर कपड़ें कम हो तो फिल्में लोग पसंद करते हैं, पर यह एक तबके की बात है. आपको पसंद करने वाले लोग आज भी हैं. आपका वंशवृक्ष तो बंगाल तक फैला है. पढ़कर अचंभा हुआ की आपकी नानी रवींद्रनाथ टैगोर के परिवार से थी. नृत्य और संगीत तो आपको विरासत में मिला, पर यह ‘ट्रेजेडी’ क्यों अपना ली आपने?

इश्क भी क्या खूब था आपका, जो बागों में नहीं पर अस्पताल के गलियारों में परवान चढ़ा. पूना के उस अस्पताल में कमाल साहब को उनकी ‘अनारकली’ मिल गई और शायद आपको आपका सलीम… पर अनारकली का अंत भी दर्दनाक ही था, तो क्या उस वक्त भी आपको मुगलों की वो कहानी याद नहीं आई? देर रातों तक लंबी बातों का सिलसिला शुरु हो गया था. 19 साल की उम्र में निकाह भी कर लिया और परिवार को भी नहीं बताया. यह इंकलाब ही तो था. पर जिस इंकलाब के जरिए आपने पिता का घर छोड़ दिया, वो इंकलाब इश्क में क्यों नहीं था? जब आप सबके दिलों पर राज करती हैं तो एक ऐसे इंसान की हर छोटी-बड़ी शर्त को क्यों माना? ये भी भूल गईं कि कमाल साहब पहले से शादीशुदा थे.

आपका हमसफर ही हर जगह सफाई देता हुआ पाया गया कि आप मां बनना नहीं चाहती. पर नरगिस को आपने कुछ शब्दों में ही हकीकत बता दी ‘कौन सी औरत, मां नहीं बनना चाहती.’ इतना दर्द कैसे छिपा लिया आपने? अकसर इश्क में लोग भूल जाते हैं कि पुरुषों को स्त्रियों की शौहरत बर्दाशत नहीं होती, आपके साथ भी तो यही हुआ.

दवा भी जहर बन जाती है. सोने के लिए एक पेग ब्रान्डी आपकी आदत बन जाएगी, ये तो शायद आपने भी नहीं सोचा था. आपने तलाक नहीं लिया, इश्क वैसे भी किसी को आजादी नहीं देता, उम्रभर का कैदी बना देता है.

पाकीजा को बनने में कितने साल लगा दिए, पर कोई कह नहीं सकता, कि उस फिल्म में आपकी उम्र में दस साल का अंतर है. 16 साल… एक बहुत लंबा अरसा होता है. और सिर्फ 1 गिन्नी में इतना कमाल कर दिया? यह फिल्म शायद आपकी जिन्दगी की हर कहानी कहती है. शायद आप जानती थी, कि इसके बाद आप फिल्में नहीं कर पाएंगी.

कुछ सवाल है जो अकसर दिमाग में आते हैं, जैसे कि, आपने किसी ऐसे से इश्क ही क्यों कर लिया कि आपने खुद से मोहब्बत करना छोड़ दिया. दूसरा सवाल ये, कि जब आपको शराब के ‘गुण’ पता है तो उसे महबूब बनाने की क्या जरूरत थी? फिर दिल से ही जवाब भी मिल जाते हैं, कि इश्क सोच-समझकर नहीं किया जाता, सोच और समझ के तो सारे रास्ते बंद ही हो जाते हैं.

मुझे आपसे बेइंतहा मोहब्बत है. इतनी ज्यादा कभी किसी फनकार से नहीं हो पाई. आज की दुनिया के लोग इस लगाव को न जाने क्या नाम दे. पर मैं सिर्फ आपकी फैन नहीं हूं… फैन शब्द भी बहुत छोटा है, उस एहसास को बयां करने के लिए जो आपकी फिल्में और नज्में पढ़कर मुझे होते हैं. जिन्दगी से यही गिला है मुझे, कि एक दफा हकीकत में आपसे रूबरू होने का मौका नहीं मिला.

जब भी पाकीजा देखती हूं, एक टीस उठती है दिल से… काश, कुछ साल और.. फिर लगता है हर खूबसूरत चीज का अंत खूबसूरत हो, ये जरूरी नहीं.

आपके एक जवाब के इंतजार में…

 

– संचिता पाठक

 

ये है विदेशी गाने का क्लासिकल तड़का

इन दिनों विदेशी सिंगर ‘एड शीरेन’ का गाना ‘शेप ऑफ यू’ काफी चर्चा में है. भारत में अब तक कई लोग इस गाने पर अपने डांस का जलवा भी दिखा चुके हैं. बॉलीवुड के सितारो से लेकर स्टूडेंट्स तक सभी अपने-अपने अंदाज में इस गाने पर अच्छा खासा परफॉर्मेंस दे रहे हैं.

आईआईटी रुड़की के चार लड़कों के इस गाने पर डांस के बाद अब पांच लड़कियों का डांस काफी फेमस हो रहा है. ‘एड शीरेन’ के गाने ‘शेप ऑफ यू’ पर अब तक कई तरह के डांस हो चुके हैं. वैसे अब तक इस गाने पर ज्यादातर हॉट और रोमांटिक परफॉर्मेंस ही हुई है. लेकिन भारत की इन पांच लड़िकयों ने इस गाने पर क्लासिकल डांस कर इसे एक नई ऊंचाई दे दी है.

इन लड़कियों ने इस विदेशी गाने पर अपने क्लासिकल डांस का ऐसा तड़का लगाया है कि जिसने भी इस गाने को देखा है वो इन सभी का फैन बन गया है. बता दें कि ये क्लासिकल डांस उड़ीसा का क्लासिकल डांस ओडिसी है, जो बहुत ही प्रसिद्ध नृत्य माना जाता है. इस डांस को सुन्दर पोषाक पहनकर खूबसूरत लोकेशन पर शूट किया गया है. इस वीडियो को देखकर आपका मन भी थिरकने को मजबूर हो जाएगा.

आईआईटी रुड़की के स्टूडेंट्स से लेकर देश कनाडा के ‘मेरीटाइम ग्रुप’ ने इस गाने पर अपने अलग अंदाज में डांस वीडियो बनाया और लोगों ने पसंद भी किया. बॉलीवुड सितारे भी इस गाने पर अपना हुनर दिखा चुके हैं. दिशा पटानी ने अपने डांस कोरियोग्राफर के साथ और सुष्मिता सेन ने अपनी बेटी के साथ इस गाने पर डांस किया है.

 

आरामदायक नींद के लिए सही पोजीशन

उपयुक्त तरीके से सोना उस अवस्था को माना जाता है जिसमें सबसे अधिक आरामदायक स्थिति में आनंद से नींद ली जा सके. यहां आज हम कुछ ऐसे बेहतरीन पोजीशन या स्थिति के बारे में बताने जा रहे हैं जो न केवल आपको सही मुद्रा में नींद लेने के बारे में जानकारी देता है, बल्कि इन अवस्था में शरीर को आराम भी मिलता है और साथ ही आप पूरे दिन ऊर्जावान भी महसूस करते हैं.

आप किस स्थिति में नींद लेते हैं इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता, बल्कि इस बात का असर जरूर पड़ता है कि, आपके सिर की स्थिति सही होनी चाहिए.

इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि गर्दन को सीधा रखने के लिए जगह मिले और सही तरीके से आराम या सहारा मिले. गर्दन मुड़ी हुई या ज्यादा तनी होने की वजह से नींद में सांस लेने में समस्या हो सकती है और साथ ही इसकी वजह से गर्दन में दर्द भी महसूस हो सकता है.

सोते समय बैक पोजीशन या पीठ की स्थिति (Back position) सबसे अच्छी मानी जाती है. पीठ के बल सोना या लेटना नींद की सबसे बेहतर स्थितियों में से एक है. इस अवस्था में आपका सिर, गर्दन, रीढ़ की हड्डी और शरीर तटस्थ और आराम की मुद्रा में रहते हैं. सोने की यह स्थिति बाकी सभी स्थितियों की अपेक्षा सबसे बेहतर है.

पीठ के बल सोने के फायदे-

– गर्दन के दर्द से राहत

– कमर दर्द से बचाव

– झुर्रियां कम होती हैं

– शरीर सुडौल एवं शरीर के अंग स्वस्थ रहते हैं

इसके अलावा पीठ के बल सोने पर आपकी काया सुडौल बनी रहती है, इसकी वजह से आपके शरीर के निचले अंगों का दर्द भी खत्म हो जाता है. अगर आपको कमर में दर्द महसूस होता हो या सुबह उठने पर कमार्य पैरों में अकड़न सी रहती हो तो सोते वक्त पैरों के नीचे एक टाकिया रख लें. इससे आपका शरीर संतुलित होता है और किसी प्रकार का दर्द नहीं होता.

करवट लेकर सोना

करवट लेकर सोना सम्पूर्ण सेहत के लिए फायदेमंद होता है इसकी वजह से रीढ़ की हड्डी सीधी रहती है. गर्भावस्था के दौरान जब महिलाएं बाईं ओर करवट लेकर सोती हैं तो इससे उनके स्वास्थ्य पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है. बाईं ओर करवट लेकर सोने से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है जो दिल की सुरक्षा के लिए बहुत लाभकारी है. हालांकि एक तरफ करवट लेकर सोने से चेहरे में झुर्रियां पड़ने का खतरा रहता है, अगर आप एक तरफ करवट लेकर सोते हैं तो आपको अपने पैरों के बीच में तकिया रखना चाहिए, यह शरीर को समतल बनाता है और नितंबों को भी सपोर्ट मिलता है. यह पोजीशन शरीर को आरामदायक मुद्रा में सोने के लिए प्रेरित करता है. इस दौरान करवट बदलते रहें.

पेट के बल सोना

स्वस्थ रहने के लिए पेट के बल सोने की आदत का त्याग करना उचित होता है. पेट के बल सोने को नींद का एक गलत तरीका माना जाता है क्योंकि इस पोजीशन में शरीर को पर्याप्त आराम नहीं मिल पाता. इसकी वजह से पैर या गर्दन में दर्द व अकड़न, रीड की हड्डी में दर्द आदि समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं. अगर आप पेट के बल सन अहि चाहते हैं तो तकिये को सिर की बजाए नितंब के नीचे रखकर सोएं. पेट के बल सोना, शरीर में अम्लीयता को बढ़ा सकता है.

तेज धूप में करें अपने बालों की देखभाल

गर्मियों के मौसम में जिस तरह तेज धूप से त्वचा को बचाने की जरूरत है, उसी तरह बालों की देखभाल भी जरूरी है. धूप में बाल सफेद हो जाते हैं जिसके लिए लोग तरह-तरह के उपाय करते हैं लेकिन अगर आप इन सब से बचना चाहते हैं तो हमारे द्वारा बताए गए ये टिप्स आपके काम के हो सकते हैं…

1. रात में बालों पर लीव-इन कंडीशनर लगाकर सोएं. जब सुबह उठेंगे तो आपको बाल सुलझे हुए और मुलायम मिलेंगे.

2. अपने बालों के लिए प्लास्टिक की कंघी की बजाय ब्रश का इस्तेमाल करें. दरअसल, प्लास्टिक की कंघी से बालों में घर्षण उतपन्न होता है, इससे बाल सेट होने की जगह रूखे और बिखरे हो जाते हैं.

3. रूखे बालों से निजात पाने के लिए सीरम का इस्तेमाल करें. इससे बालों में नई चमक भी जाती है और ये आपके उलझे बालों को सुलझाने में भी मदद करता है.

4. कई बार आप फैशन के चलते अपने बाल खुले रखती हैं जिससे बाल जल्दी उलझ जाते हैं. इस समस्या से निजात पाने के लिए रात में बाल बांधकर रखें और अपने बालों को धोने से पहले तेल जरूर लगाएं.

चाईल्ड एक्टर्स, उम्र छोटी और कमाई मोटी

बॉलीवुड मूवीज में हीरो-हिरोइन के अलावा चाईल्ड एक्टर्स भी होते हैं. आजकल इनकी डिमांड बढ़ती ही जा रही है. जिस हिसाब से इनकी डिमांड बढ़ रही है उसी हिसाब से इनकी फीस में भी इजाफा हो रहा है.

आप नहीं जानते होंगे की ये बाल कलाकार अभिनेताओं से कम फीस नहीं लेते हैं. कुछ ऐसे बाल कलाकार जो कस उम्र में ही मोटी कमाई करते है.

हर्षाली मल्‍होत्रा
‘बजरंगी भाईजान’ में सलमान खान के साथ काम करने के बाद मुन्नी यानि हर्षाली मल्‍होत्रा रातों-रात स्‍टार चाइल्‍ड एक्‍टर बन गई हैं. इस फिल्‍म के लिए उन्‍हें 2 लाख रुपये मिले. सिर्फ सात साल की उम्र में लाखों रुपये कमाना कोई आसान काम नहीं.

दर्शिल कुमार
‘ब्रदर्स’ और ‘प्रेम रतन धन पायो’ जैसी बड़ी फिल्‍मों में दर्शिल कुमार नजर आ चुके हैं. उसके बाद दर्शिल वरुण के साथ फिल्म “ढ़िसुम” में नजर आए थे. उस समय खबर मिली थी कि इस फिल्‍म के लिए दर्शिल ने छह दिनों तक शूटिंग की और इसके लिए उन्‍हें 30000 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से दिए गए थे.

हर्ष मायर

फिल्‍म ‘आई एम कलाम’ के लिए हर्ष मायर को वाह-वाही के साथ-साथ काफी पैसे भी मिले. हर्ष को इस फिल्‍म की 21 दिन की शूटिंग के लिए 1 लाख रुपये मिलने थे. पांच साल की उम्र में सिर्फ 21 दिनों में एक लाख रुपये की कमाई बुरी नहीं है.

सारा अर्जुन
एक्‍टर राज अर्जुन की बेटी सारा अर्जुन के जलवे किसी स्‍टार से कम नहीं हैं. वह ऐश्‍वर्या राय बच्‍चन की फिल्‍म ‘जज्‍बा’ में नजर आई थी. उसके बाद वह इरफान खान के साथ एक हॉलीवुड फिल्‍म की शूटिंग में बिजी थी.

दिया
जॉन अब्राहम की फिल्‍म ‘रॉकी हैंडसम’ में नजर आईं बच्ची दिया थी. इससे पहले वो ‘किक’ और ‘पिज्‍जा’ जैसी फिल्‍मों में नजर आ चुकी हैं. ‘रॉकी हैंडसम’ के लिए दिया को प्रतिदिन 25000 हजार रुपये मिले. फिल्‍म की शूटिंग 31 दिनों तक चली. अब आप जोड़ लीजिए कितनी महंगी चाइल्‍ड एक्‍ट्रेस हैं दिया. टीवी एड के लिए तो दिया और भी ज्‍यादा चार्ज करती हैं. एक एड के लिए 50 से 60 हजार रुपये लेती हैं दिया.

ट्राई करें राइस ऐप्पल सलाद

राइस तो आपके डेली डायट का हिस्सा है. पर वही कूकर वाले चावल या कढ़ाई वाली फ्राइड राइस रोज रोज खाना बोरिंग हो जाता है. घर पर बनाएं राइस ऐप्पल सलाद, और राइस के टेस्ट में लाएं अलग ट्विस्ट

सामग्री

– 3 कप बासमती चावल पके

– 1 लाल सेब कटा

– 1 हरा सेब कटा

– 1 छोटा चम्मच भुना जीरा

– 1/2 छोटा चम्मच चिली फ्लैक्स

– 3 बड़े चम्मच धनियापत्ती कटी

– 2 बड़े चम्मच नीबू का रस

– 3 बड़े चम्मच औलिव औयल

– नमक व कालीमिर्च स्वादानुसार.

विधि

एक बाउल में सारी सामग्री को चावलों के साथ मिला कर टौस करें और सर्व करें.

 

– व्यंजन सहयोग : शैफ एम. रहमान

 

उत्तरी ध्रुव के अद्भुत दृश्य

गरमियों में पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में बसे आइसलैंड, नौर्वे, ग्रीनलैंड, स्वीडन, फिनलैंड, रूस इत्यादि देशों में रात के 12 बजे भी सूर्य अपनी चमक बिखेरता नजर आता है. इसलिए इन देशों को अर्द्धरात्रि के सूर्य वाले देश भी कहा जाता है.

चूंकि पृथ्वी अपनी धुरी पर 23.5 डिग्री झुकी है और इसी झुकाव के साथ जब वह गरमियों में अपनी धुरी पर चक्कर लगाते समय सूर्य की परिक्रमा करती है तब पृथ्वी का ऊपरी हिस्सा दिनरात सूर्य के सामने ही रहता है जिस से रात 12 बजे भी वहां सूर्य अस्त नहीं होता जबकि सर्दियों में इस के विपरीत होता है. जब पृथ्वी इसी झुकाव के साथ सूर्य से दूसरी ओर अपनी धुरी पर चक्कर लगाते हुए पहुंच जाती है तब पृथ्वी का ऊपरी हिस्सा दिनरात सूर्य के सामने नहीं रहता, जिस से सर्दियों में उत्तरी गोलार्ध में बसे इन देशों में 6 महीने रात रहती है. इस तरह उत्तरी ध्रुव में वर्ष में एक बार ही सूर्य उगता है और एक बार ही डूबता है. दक्षिणी गोलार्ध में इसी समय ठीक इस के विपरीत होता है.

प्रकृति के इस अद्भुत खेल को देखने की मेरी इच्छा बचपन से ही रही है. कैसा लगता होगा जब रात के 12 बजे भी सूर्य आसमान पर अपनी रोशनी बिखेरे रखता है? मुझे उत्तरी ध्रुव के आखिरी छोर पर बसे इन देशों में जाने का अवसर तो नहीं मिल पाया, लेकिन अभी हाल ही में, गरमियों के मौसम मईजून में मुझे बालटिक समुद्र के किनारे बसे यूरोप के एक देश लिथुआनिआ जाने का अवसर मिला. चूंकि यह देश भी उत्तरी गोलार्ध के अंतर्गत आता है अत: मुझे यहां भी अर्द्धरात्रि के सूर्य के दृश्य के साथसाथ अन्य कईर् अद्भुत दृश्य देखने को मिले. शाम साढ़े 9-10 बजे यहां सूर्य ऐसी धूप ऐसे बिखेर रहा था जैसे भारत में दोपहर 2 ढाई बजे तेज धूप निकली होती है.

एशिया से आने वाले पर्यटक इस चमकती धूप के कारण समय का सही अंदाजा लगाने में उस समय असफल हो जाते हैं, जब उन्हें रात के 10 बजे के बाद यहां के बाजार, रैस्टोरैंट इत्यादि बंद मिलते हैं. इस देश में आबादी बहुत कम होने के कारण शहर से बाहर निकलते ही बड़ेबड़े खेतखलिहान देखने को मिलते हैं. गांवों में तो दूरदूर तक इक्कादुक्का घर ही दिखाई देते हैं.

यहां खुले आसमान का आकार उलटी टोकरी के समान गोलाई लिए दिखाई देता है. आसमान धरती के बहुत नजदीक लगता है. दूर, धरती से छूते आसमान के किनारों का यह अद्भुत दृश्य उस समय और भी रोमांचक हो जाता है जब वर्षा के बादलों की काली घटाएं हवा के झोंकों के साथ उमड़तीघुमड़ती एकसाथ आती हैं. तब ऐसा लगता है जैसे पृथ्वी के किनारों से ही शरारती बादल अठखेलियां करते, पृथ्वी पर ही लोटपोट हो कर उड़ते हुए आ रहे हों.

रात के समय जब आकाश साफ होता है उस समय चांदसितारे इतने चमकीले और नजदीक दिखाई देते हैं जैसे हम उन्हें किसी ऊंची बिल्डिंग की छत से उछल कर आसानी से अपने हाथों से पकड़ सकते हैं.

इस देश में एक अद्भुत दृश्य जो हमें देखने को मिला वह था रात के साढ़े 11 बजे, जब सूर्यास्त हो रहा था तब आधा आसमान अंधेरे की कालिमा से घिरा हुआ था और सामने की ओर अस्त होता सूर्य अपनी लालिमा आसमान पर बिखेरे हुए था.

यही नहीं सुबह 3 बजे से सूर्य फिर से दस्तक देने निकल पड़ा. रात को जिस दिशा में सूर्य अस्त होता दिखाई दिया था, सुबह वहीं कुछ दूरी पर फिर से सूर्य निकल आया.

वास्तव में पृथ्वी की गोलाई उत्तरी गोलार्ध में कम हो जाने के कारण ही ऐसा दृश्य उत्पन्न होता है. लिथुआनिया के एक बड़े शहर क्लाइपेडा से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर एक छोर ऐसा है जहां अगस्त में अद्भुत रंगबिरंगी नार्थन लाइट्स का मनमोहक दृश्य देखने को मिलता है.

सूर्य से आने वाली गरम हवाएं जब अंतरिक्ष में बिखरे अरबों कणों के साथ घुलमिल कर आगे बढ़ती हैं तब यह दृश्य बनता है. पृथ्वी के चुंबकीय तत्त्व अंतरिक्ष के टुकड़ों, कणों को खुद से दूर फेंकते हैं, लेकिन उत्तरी ध्रुव के पास कुछ जगहों पर ये चुंबकीय क्षेत्र काम नहीं करते, जिस से यह अद्भुत दृश्य बनता है.

– सुरेश चौहान

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