डिजिटल बनाए जीवन आसान

डिजिटल भुगतान एक वर्चुअल शौपिंग मौल की तरह है, जहां आप के पास बैंक, दुकानें, टैक्सियां, ईटरीज एवं मनोरंजन की सुविधाएं आदि उपलब्ध होती हैं, लेकिन आप के पास किसी भी प्रकार का भौतिक संवाद नहीं होता. फिर भी आप की सभी आवश्यकताओं का ध्यान रखा जाता है.

कैसे बनें डिजिटल

– सब से पहले आप के पास एक स्मार्ट फोन अथवा एक इंटरनैट कनैक्शन के साथ एक कंप्यूटर होना जरूरी है.

– आप का एक ईमेल ऐड्रैस होना चाहिए जहां पर आप के सभी पत्राचार दस्तावेज के तौर पर दर्ज होते हैं.

– आप को उन बैंक/खरीदारी करने वाले स्थान इत्यादि की वैबसाइट पर जाना चाहिए, जिन के साथ आप सौदा करना चाहते हैं और इस के लिए आप उन की वैबसाइट खोलें अथवा उन के मोबाइल ऐप को डाउनलोड करें.

– अधिकांश वैबसाइट्स आप को यूजरनेम व पासवर्ड उपलब्ध कराएंगी, जिसे आप के ईमेल ऐड्रैस पर भेज दिया जाएगा.

– उदाहरण के लिए बैंकिंग में आप को एक यूजर आईडी व पासवर्ड (अपने बैंक से एक बार आप इंटरनैट बैंकिंग के लिए निवेदन कर सकते हैं) दिया जाएगा और इस प्रकार आप इस का इस्तेमाल कर सकते हैं.

औनलाइन खरीदारी सस्ती और आसान

औनलाइन खरीदारी के लिए आप किसी भी अग्रणी वैबसाइट जैसे अमेजन, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील इत्यादि पर जा कर अपनी खरीदारी वाले विभिन्न उत्पादों की जांच कर सकते हैं. आप कीमत की तुलना कर सकते हैं और अपनी पसंद की वस्तु का चयन कर सकते हैं. खरीदारी करने के लिए आप को केवल और्डर देना होगा और अपने बैंक अथवा क्रैडिट/डैबिट कार्ड अथवा मोबाइल वौलेट्स जैसे पेटीएम, फ्रीचार्ज एवं अन्य के माध्यम से इलैक्ट्रौनिक तरीके से भुगतान करना होगा.

हर बार जब आप खरीदारी के लिए लेनदेन करेंगे, आप के मोबाइल पर आप के बैंक की तरफ से एक वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) भेजा जाएगा, जो यह सुनिश्चित करेगा कि आप वास्तव में खाते के मालिक हैं और इस लेनदेन को अंजाम देने जा रहे हैं. एक बार जब आप अपनी पसंद का सामान मंगा लेते हैं, तब आप उस वैबसाइट से सामान भेजे जाने की स्थिति पर औनलाइन नजर रख सकते हैं, जहां से आप ने सामान मंगवाया है.

त्वरित और सुविधाजनक

अब यदि आप एक मित्र, रिश्तेदार अथवा आपूर्तिकर्ता को धन का हस्तांतरण करना चाहते हैं, तब आप इंटरनैट बैंकिंग का इस्तेमाल कर इसे बहुत आसानी से पूरा कर सकते हैं. इस के लिए आप को केवल ‘प्राप्तिकर्ता’ (जिसे आप धन भेजना चाहते हैं) को फंड ट्रांसफर के सैक्शन के अंतर्गत जोड़ना होगा और प्राप्तिकर्ता का खाता नंबर, बैंक का नाम और शाखा का पता अथवा आईएफएससी कोड का विवरण भरना होगा, जोकि प्राप्तिकर्ता की चैकबुक पर दिया गया है (अधिकांश बैंकिंग साइट्स आप को अपनी स्वयं की साइट पर ऐसा करने में सहायता करती हैं). इस के बाद आप एक बार फिर सुरक्षा के लिए ओटीपी प्रमाणन की प्रक्रिया से गुजर कर आसानी से धन का हस्तांतरण कर सकते हैं.

यदि ‘प्राप्तिकर्ता’ एक ऐसा व्यक्ति है, जिस के साथ आप नियमित रूप से सौदे करना चाहते हैं, तब आप को हस्तांतरण के लिए हर बार पंजीकृत होने की आवश्यकता नहीं है, आप को केवल रजिस्टर्ड (पेईज) की सूची में जाने की आवश्यकता होगी और उस का नाम चुन कर धन हस्तांतरण को अंजाम देना होगा. सब से बड़ी सुविधा की बात यह है कि यह सुविधा 24५7 उपलब्ध है, इसलिए आप को पैसा भेजने के लिए हर बार बैंक जाने की आवश्यकता नहीं है. इस के इतिरिक्त आप को चैकबुक की भी आवश्यकता नहीं है, क्योंकि अब हर चीज डिजिटल है.

यदि आप नियमित अंतराल पर किसी अन्य पक्ष को विशिष्ट धनराशि हस्तांतरित करना चाहते हैं, तो अपने वित्तीय संस्थान को ऐसा करने के लिए स्थायी अनुदेश दे सकते हैं. एक बार यह स्थायी अनुदेश देने के बाद आवश्यक धनराशि अपनेआप ही दी गई तारीख पर उस पक्ष को हस्तांतरित हो जाएगी.

डिजिटल वौलेट्स का करें इस्तेमाल

हालिया विमुद्रीकरण के बाद नकदी की बड़ी कमी रही है, लेकिन डिजिटल भुगतान के ढेर सारे तरीके उपलब्ध हैं. आप भुगतान के लिए अपने कै्रडिट अथवा डैबिट कार्ड को स्वाइप कर सकते हैं अथवा इंटरनैट बैंकिंग के माध्यम से अन्य व्यक्ति के खाते में मनी ट्रांसफर कर सकते हैं. यदि ये विकल्प उपलब्ध नहीं हैं, जैसेकि आप के सब्जी विक्रेता के पास यह जरीया नहीं उपलब्ध है, तब आप पेटीएम अथवा फ्रीचार्ज इत्यादि के इस्तेमाल से उसे भुगतान कर सकते हैं. यह विकल्प बहुत आसानी से मोबाइल फोन के जरीए काम करता है. इस के लिए आप को केवल पेटीएम ऐप डाउनलोड करना पड़ेगा. एक बार डाउनलोड पूरा होने पर आप अपने बैंक खाते से धन को कुछ उपायों का इस्तेमाल कर पेटीएम में हस्तांतरित कर सकते हैं और इस के बाद आप उस व्यक्ति का नंबर डालें जिसे आप धन हस्तांतरित करना चाहते हैं. सामान्य तौर पर पैसा भेजने वाला और पैसा प्राप्त करने वाला व्यक्ति इस राशि को अपने बैंक के खाते में हस्तांतरित कर निकालना नहीं चाहता. ऐसी स्थिति में उसे औसतन 4 से 6% का भुगतान करना पड़ता है.

इस के अतिरिक्त आप फ्लाइट, होटल और रेलवे बुकिंग के लिए भी डिजिटल विकल्प को अपना सकते हैं. आप आसानी से मेकमाईट्रिप, ईजमाईट्रिप इत्यादि जैसी वैबसाइट्स पर ऐअरलाइंस की दरों की तुलना कर सकते हैं और सर्वश्रेष्ठ सौदे प्राप्त कर सकते हैं अथवा ओयो, गोआईबिबो, क्लियरट्रिप इत्यादि होटल बुकिंग की वैबसाइट्स का इस्तेमाल कर सकते हैं. आप बुक माई शो पर अपने मूवी टिकट बुक कर सकते हैं.

राशन की खरीदारी भी अब डिजिटल हो गई है. बिगबास्केट, लोकलबन्या और ग्रोफर्स के साथ आप अपनी सुविधा से अपने राशन की खरीदारी कर सकते हैं और अपनी आवश्यकता के अनुसार सामान प्राप्त करने के लिए अपनी सुविधानुसार समय का चयन कर सकते हैं. अगले 4 दिनों की डिलिवरी स्लौट के लिए ऐक्सप्रैस डिलिवरी (60 से 90 मिनट में डिलिवरी) का विकल्प उपलब्ध कराया गया है. ताजा सब्जियों से ले कर फ्रोजन आइटम्स तक, पोल्ट्री से मछली और मांस तक अब सब कुछ औनलाइन उपलब्ध है. कैश औन डिलिवरी विकल्प के अतिरिक्त आप नैटबैंकिंग, क्रैडिट/डैबिट कार्ड अथवा वौलेट्स के जरीए भुगतान कर सकते हैं. वौलेट के इस्तेमाल से आप को अकसर अच्छे सौदे हाथ लग जाते हैं और छूट जैसी कई लुभावनी पेशकश भी मिलती हैं.

बैंकिंग आप की उंगलियों पर बैंक बाजार, डील4लोन्स, पौलिसी बाजार इत्यादि वैबसाइट्स पर जा कर आप सस्ते कर्ज अथवा बीमा पौलिसियों को भी प्राप्त कर सकते हैं. व्यक्तिगत ऋण के लिए आप बैंक की शाखा में जाए बगैर औनलाइन आवेदन जमा कर सकते हैं. यदि आप निवेशक हैं, तब आप इस के चयन के पूर्व विभिन्न बैंकों की एफडी दरों की तुलना कर सकते हैं, जिस से आप को सर्वश्रेष्ठ दर की जानकारी प्राप्त होगी.

इसी के समान एक विकल्प के तहत आप प्रत्येक माह क्व500 तक के न्यूनतम निवेश के साथ एक आरडी (रैकरिंग डिपौजिट) खोल सकते हैं. आप डिजिटल विकल्प का इस्तेमाल कर म्यूचुअल फंड्स की औनलाइन खरीदारी भी कर सकते हैं. यदि आप शेयर बाजार में प्रत्यक्ष निवेशक हैं तब आप औनलाइन तौर पर एक डीमैट खाता खोल कर बिना किसी परेशानी के लेनदेन कर सकते हैं. इस के जरीए आप अपनी संभावित खरीदारी वाले प्रत्येक स्टौक की कीमत की जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं.                  

डिजिटल ही भविष्य है

काफी चुनौतियों के बावजूद डिजिटल लेनदेन जिंदगी जीने का एक ढंग बन जाएगा. जितनी जल्दी हम इसे अपनाएंगे, उतनी जल्दी हमारे लिए आसान और शानदार जीवन का मार्ग भी प्रशस्त होगा. अपने बैंक बैलेंस की जांच से ले कर एफडी बनाने और बिलों का भुगतान करने तक डिजिटल विकल्प व्यक्तिगत वित्त जीवन को असुविधा और झंझट से छुटकारा दिलाएगा. आप किसी को एक बार भुगतान कर सकते हैं अथवा कुछ सैकंड्स में अपने धन की जानकारी मिल जाती है और साथ ही साथ उस की उपयोगिता का भी पता चल जाता है. ऐसे में आप अपने फोन अथवा कंप्यूटर के इस्तेमाल से चलतेफिरते आर्थिक व निवेश संबंधी महत्त्वपूर्ण निर्णय ले सकते हैं. इस प्रकार आप कुछ उपायों का इस्तेमाल कर स्वयं ही अपने सलाहकार और प्रबंधक बन सकते हैं.

दुरुपयोग से बचने के उपाय

जब आप औनलाइन गतिविधियों में शामिल होते हैं, तब आप को कुछ एहतियात बरतने की भी आवश्यकता है, क्योंकि ये वैबसाइट्स कुछ चुनौतियां भी ले कर आती हैं:

– यदि आप अपना फोन गंवा देते हैं, तो आप के वौलेट बैलेंस का गलत इस्तेमाल हो सकता है.

– यदि आप अपने बैंक अकाउंट आईडी व पासवर्ड को मिसप्लेस कर देते हैं, तो इस का गलत इस्तेमाल हो सकता है.

– यदि आप असुरक्षित स्थान पर क्रैडिट कार्ड्स का इस्तेमाल करते हैं तब वहां पर जालसाजी की संभावना काफी बढ़ जाती है.

– यदि आप यात्रा और ठहरने की तिथि के चयन में किसी प्रकार की गलती कर देते हैं तब आप को उसे रद्द कराने अथवा उस में सुधार करने के लिए अनावश्यक भुगतान भरना पड़ सकता है.

– आप जिन वैबसाइट्स को डाउनलोड करते हैं, वे एसएमएस सहित आप की फोन की गतिविधियों को ट्रैक कर सकती हैं, इसलिए अनजानी वैबसाइट्स को डाउनलोड करते समय सावधान रहें, जो असुरक्षित हो सकती हैं.

 

– राकेश मक्कड़

फुलर्टन इंडिया क्रैडिट कंपनी लिमिटेड

मसालेदार जायका : दाल तड़का

सामग्री

1/2-1/2 कप मूंग दाल, चना दाल, तूअर दाल

1/2 छोटा चम्मच हलदी

2 छोटे चम्मच घी

1/2 छोटा चम्मच लहसुन बारीक कटा

1/2 कप प्याज बारीक कटा

1/2 कप टमाटर बारीक कटा

1 सैशे टाटा संपन्न दाल तड़का मसाला

1 कप पानी

धनियापत्ती

नमक स्वादानुसार

विधि

1/2-1/2 कप मूंग दाल, चना दाल और तूअर दाल प्रैशर कुकर में पका लीजिए. उस में 1/2 छोटा चम्मच हलदी और स्वादानुसार नमक मिला दीजिए. 1 छोटा चम्मच बारीक कटे लहसुन को 2 चम्मच घी में डाल कर कुछ सैकंड भून लीजिए. 1/2 कप बारीक कटा प्याज सुनहरा रंग आने तक अच्छी तरह से भून लीजिए.

अब 1/2 कप बारीक कटा टमाटर मुलायम होने तक पका लीजिए. उस में 1 सैशे टाटा संपन्न दाल तड़का मसाला मिला कर हलकी आंच पर 1/2 मिनट तक भून लीजिए. इस मिश्रण में पकी हुई दाल और 1 कप पानी मिला कर अच्छे से मिक्स करें और मिश्रण उबालने रखें. धनियापत्ती से सजा कर गरमगरम दाल तड़का कर परोसें.

पनीर लबाबदार

सामग्री

• 500 ग्राम पनीर • 1 शिमलामिर्च कटी • 1/2 छोटा चम्मच छोटी इलायची • 1/2 छोटा चम्मच जीरा • 2 प्याज कटे हुए • 5 टमाटरों की प्यूरी • 2 सूखी कश्मीरी लालमिर्चों का पाउडर • 4 हरीमिर्चें कटी हुई • 1 छोटा चम्मच लहसुन पेस्ट • 1/2 छोटा चम्मच सफेद तिल • 1/2 कप दूध • 2 बडे़ चम्मच ताजा क्रीम • 1 छोटा चम्मच मक्खन बिना नमक वाला • 1 छोटा चम्मच कसूरी मेथी • 3/4 छोटे चम्मच टाटा सम्पन्न हलदी पाउडर • 1/2 छोटा चम्मच टाटा सम्पन्न लालमिर्च पाउडर • 1 छोटा चम्मच टाटा सम्पन्न पनीर मसाला • 1/2 छोटा चम्मच टाटा सम्पन्न गरममसाला • 1/2 छोटा चम्मच टाटा सम्पन्न धनिया पाउडर • 2 छोटे चम्मच तेल, थोड़ी सी धनियापत्ती कटी • थोड़ी सी पुदीनापत्ती कटी 1/2 छोटा चम्मच अदरक लंबाई में कटा • नमक स्वादानुसार.

विधि:

तिलों को रोस्ट कर पाउडर बना कर एक तरफ रख लें. फिर एक बरतन में तेल गरम कर जीरा और छोटी इलायची चटकाएं. अब इस में हरीमिर्च, लहसुन का पेस्ट मिला कर भूनें. फिर नमक और प्याज डाल कर अच्छी तरह भूनें. इस में टोमैटो प्यूरी, लालमिर्च, हलदी, धनिया पाउडर, छोटी इलायची पाउडर मिला कर तेल छोड़ने तक भूनें. अब इस में कटी शिमलामिर्च, दूध और तिलों का पाउडर मिला कर उबाल आने तक पकाएं. इस में पनीर काट कर डालें. फिर टाटा सम्पन्न पनीर मसाला और गरममसाला डाल कर अच्छी तरह मिला कर 1-2 मिनट पकाएं. फ्रैश क्रीम, कसूरी मेथी डाल कर धीमी आंच पर पकाएं. अब आंच से उतार कर मक्खन पिघला कर डालें. ऊपर से कश्मीरी मिर्च पाउडर डालें. अदरक और धनियापत्ती व पुदीनापत्ती से सजा कर सर्व करें.

घर पर तैयार करें नैचुरल गुलाब जल

गुलाब जल का इस्तेमाल त्वचा की नियमित देखभाल के लिए किया जाता है. इससे त्वचा में निखार आता है और त्वचा सॉफ्ट बनती है.

वैसे भी गुलाब जल का इस्तेमाल सदियों से किया जा रहा है और इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह नैचुरल होने की वजह से त्वचा को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता. कुछ लोग इसका इस्तेमाल टोनर के रूप में करते हैं तो कुछ फेस पैक बनाने के लिए.

गुलाब जल त्वचा की नमी को बरकरार रखने में मददगार है. यह त्वचा पर मौजूद दाग-धब्बों को साफ करने के साथ साथ एक बेहतरीन क्लींजर का काम करता है. यह डार्क सर्कल दूर करने का गुलाब जल एक अच्छा उपाय है.

आप चाहें तो घर पर ही गुलाब जल बना सकती हैं. इसे घर पर बहुत आसानी से बनाया जा सकता है.

इसके लिए इन चीजों की पड़ेगी जरूरत

गुलाब का एक फूल

एक बड़े बर्तन में पानी

कैसे बनाएं गुलाब जल

गुलाब का फूल लेकर उसकी पंखुड़ियों को सावधानी से अलग कर लें. एक बड़े और गहरे बर्तन में उबलने के लिए पानी रख दें.

पानी में अच्छी तरह उबाल आ जाने दीजिए. अब इसमें गुलाब की पंखुड़ियों को डाल दीजिए और प्लेट से ढक दीजिए.

अब इसे ढककर कुछ देर अच्छी तरह उबलने दीजिए. धीरे-धीरे पंखुड़ियों का रंग फीका पड़ने लगेगा. जब रंग फीका हो जाए तो आंच बंद कर दें.

इसे ठंडा होने के लिए कुछ घंटों के लिए रख दें. एक बार जब पानी ठंडा हो जाए, इसे किसी बोतल में भरकर फ्रिज में रख दें.

नई पीढ़ी की किस आदत के खिलाफ हैं आलिया भट्ट

‘कपूर एंड संस’, ‘हम्टी शर्मा की दुल्हनिया’ व दस मार्च को प्रदर्शित होने वाली फिल्म ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ में भी परिवार और रिश्तों की बात की गयी है. अलिया भट्ट ने इन तीनों ही फिल्मों में अभिनय किया है. निजी जिंदगी में आलिया भट्ट के लिए पारिवारिक रिश्ते बहुत अहमियत रखते हैं. पर उन्हें इस बात का गम है कि आज की पीढ़ी परिवार को नजरंदाज कर मोबाइल से चिपकी रहती है.

आलिया भट्ट ने कहा कि ‘‘आज की युवा पीढ़ी के लिए रिश्ते नाते परिवार मायने नहीं रखता. आज की पीढ़ी मोबाइल वाली पीढ़ी है, डिनर टेबल पर पूरे परिवार के साथ बैठकर भी यह सभी अपने अपने मोबाइल से चिपके रहते हैं. देखिए,मैं भी यंग हूं. मैं भी इसी पीढ़ी की हूं. पर जब भी मैं अपने परिवार के साथ होती हूं, तो फोन को हाथ कम लगाती हूं. एक तो मुझे परिवार के साथ समय बिताने का समय कम मिलता है. इसलिए मैं अपना मोबाइल हमेशा साइलेंट पर रखकर रख देती हूं. मुझे अपने परिवार की कीमत पता है. आज की पीढ़ी से कहना चाहूंगी कि मोबाइल फोन वास्तविकता नहीं है. यह एक ऐसी सुविधा है, जिसका उपयोग इमरजेंसी में किया जाना चाहिए, 24 घंटे नहीं. यदि आप अपने माता पिता के साथ बैठे हैं और उनसे बातें कर उनके अनुभवों से कुछ सीखने की बजाए आप मोबाइल फोन पर लगे हैं, तो इसके मायने यह हैं कि आप अपना भविष्य खराब कर रहे हैं.’’

भ्रष्ट, भ्रष्टाचार और कानून

कालेधन पर यज्ञ का आह्वान करने वाले नरेंद्र मोदी का वादा खोखला और बनावटी है, यह इस बात से स्पष्ट है कि प्रिवैंशन औफ करप्शन ऐक्ट 1988 के तहत सूर्यनारायण मूर्थि बनाम आंध्र प्रदेश मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के मद्देनजर उन की सरकार कालेधन की शेष शय्या पर निद्रा में हैं और लक्ष्मी उन के पैर दबा रही हैं. इस फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि सरकारी अफसर पर रिश्वत लेने का अपराध तभी माना जाएगा जब अदालत में यह साबित हो जाए कि उस ने रिश्वत मांगी थी. अगर कोई नागरिक खुदबखुद किसी अफसर को कुछ दे जाए तो यह रिश्वत न होगी, न्यायालय ने व्याख्या की है.

सर्वोच्च न्यायालय ने रिश्वत विरोधी कानून में एक छोटी खिड़की ही नहीं छोड़ी, उस ने चारों ओर की दीवारें ही हटा लीं क्योंकि रिश्वत लेने के किसी मामले में यह साबित करना असंभव है कि रिश्वत कब और कैसे मांगी गई. कोई अफसर लिखित में परचा तो नहीं देगा कि काम कराना है तो 5 लाख रुपए बैंकड्राफ्ट से पत्नी के नाम भेज दो और अफसर परचे पर हस्ताक्षर कर दे.

आमतौर पर रिश्वत के वे मामले पकड़े जाते हैं जिन में नागरिक शिकायत करता है और भ्रष्टाचार विरोधी अफसर निशान लगे नोट संबंधित अफसर को दिलवाते हैं और उसी समय भ्रष्ट अफसर को पकड़ लिया जाता है. सर्वोच्च न्यायालय ने इन मामलों में अभियुक्त अफसरों को बरी कर नौकरी पर पुनर्नियुक्त कर दिया है और नरेंद्र मोदी, जो अध्यादेश प्रेमी हैं, कालेधन के नाम पर देश को कतारों में खड़ा तो कर देते हैं, लेकिन इस कानून को ठीक करने की बात तक नहीं कर रहे.

भ्रष्टाचार विरोधी कानून में वैसे भी सजा 6 माह की ही है और अदालतें अफसरों के विरुद्ध यदाकदा ही फैसला देती हैं. यही कारण है देश का कालाधन 8 नवंबर के बाद भी वैसा का वैसा रहा है क्योंकि अफसरों ने तो पुराने नोटों को बैंकरों से मिल कर बिना कमीशन के बदलवा लिया था. उन्हें तो आयकर अफसर भी नोटिस न भेजेंगे और न ही कोई लोकायुक्त या लोकपाल उन का कुछ बिगाड़ सकेगा.

सर्वोच्च न्यायालय का यह फैसला कि जब तक रिश्वत मांगी न जाए, रिश्वत नहीं है, सरकारी अफसरों की पहुंच और निडरता का सुबूत है. देश की जनता को हांकने में नेता और अफसर हर रोज और ज्यादा मुखर होते जा रहे हैं.

ट्रंप का अमेरिका

अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी की दोपहर से सत्ता में आ गए और वाशिंगटन की उस दिन की मटमैली धूप की तरह दुनिया के देशों के राष्ट्रप्रमुखों पर रोशनी कम हो गई. डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले भाषण में ऐसा कुछ नहीं कहा जिस से लगे कि चुनावी भाषणों में उन्होंने जो भी कहा था वह सिर्फ तालियां बजवाने या वोट बटोरने के लिए था. बिजनैसमैन डोनाल्ड ट्रंप का वादा है मुनाफे का, केवल अमेरिका के मुनाफे का और किसी भी तरह गोरे अमेरिकियों को सत्ता लौटाने का.

अमेरिका ने एक बदलाव की ओर कदम रखा है. दुनिया में अब कहीं भी मानवाधिकारों का हनन हो, एक मजबूत देश किसी कमजोर देश पर हमला करे, कहीं भुखमरी, प्राकृतिक हादसा हो, महामारी हो, सरकार द्वारा अपनी जनता को तंग करना हो, अमेरिका को तब तक मतलब नहीं होगा जब तक उस को कोई हानि न हो. अमेरिका अब दुनिया का पुलिसमैन नहीं है, अमेरिका अब स्वतंत्रताओं, उदारता, बराबरी, बर्बरता, कट्टरता की चिंता नहीं करेगा. अमेरिका को ट्रंप की सौगात है कि अमेरिकी फलेफूलें, वह भी गोरे अमेरिकी.

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप का चुना जाना भारत के लिए एक मिश्रित परिणाम है. ट्रंप जैसे विचार हमारे वर्तमान शासकों के भी हैं कि वहां के गोरों की तरह यहां ऊंचे, सवर्णों, अमीरों, सरकारी अफसरों का राज चले. अमेरिकियों की तरह भारत का एस्टेब्लिशमैंट भी इसलामी आतंकवाद को समाप्त करना चाहता है चाहे उसे करने में निर्दोष औरतें, बच्चे, आदमी मारे जाएं. पर, डर यह भी है कि अमेरिकी राष्ट्रपति अमेरिकी कंपनियों को भारत से सस्ता सामान नहीं खरीदने देंगे. अमेरिकी कंपनियों को अमेरिकियों की जगह, सस्ते होने के कारण भारतीयों को नौकरी पर रखने की इजाजत न देंगे.

ट्रंप की दृष्टि में अमेरिका अमेरिकियों के लिए है, उन गोरे, यूरोप से गए अमेरिकियों के लिए जिन के पुरखों ने एक बियाबान, उजाड़ भूभाग को आबाद किया, दुनिया का सब से अमीर और खुशहाल देश बनाया. अमेरिकियों ने अगर दूसरों को आने दिया तो गुलामों की तरह. उन को व उन की संतानों को अपनी जगह फिर वहीं बना लेनी चाहिए. डोनाल्ड ट्रंप का दिया संदेश है कि किसी के पास अमेरिकी पासपोर्ट या ड्राइविंग लाइसैंस होना बराबरी का हक नहीं देता. यह केवल सेवा करने की इजाजत देता है, गोरे अमेरिकियों की. इसी मिशन के चलते डोनाल्ड ट्रंप जीते हैं और यही अमेरिका की नई पहचान है.

आज बहुमत में न होने के बावजूद डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति हैं और वे उस आवरण को फाड़ देना चाहते हैं जिस ने अमेरिका की प्रतिभा को सुरक्षा दी, परिश्रम को बचाया, प्रतिबद्धता को रंग दिया, प्रजा को रोबोट बनने से बचाया. डोनाल्ड ट्रंप की बातों पर जाएं तो चंगेज खां, तैमूर लंग, रूसी जार पीटर द इविल, हिटलर, स्टालिन, माओ, पौल पौट की याद आती है कि क्या वे उन की तरह के विध्वंसक नेता साबित होंगे?

कहानी : फांस

सलोनी. हां यही नाम था उस सौंदर्य की सौम्य मूर्ति का, जो अपनी व्यथा कथा सुना कर मुझे स्तब्ध कर चुकी थी. मेज पर पड़ा कागजों का पुलिंदा, राइटिंग पैड और 2 खूबसूरत पैन ऐसे लग रहे थे जैसे सलोनी के साथ वे भी आग्रहपूर्वक मुझे निहार रहे हों.

सलोनी के एकएक शब्द ने मुझे झकझोर कर रख दिया था. ‘आप एक वकील हैं. बताइए कि क्या और कोई तरीका है मेरी समस्या के समाधान का?’

सलोनी अपनी भावनाओं के तीव्र प्रवाह में मुझे बहा ले गई. मैं बिना हिलेडुले उस का कहा एकएक शब्द ध्यान से सुन रही थी.

‘तलवार की चोट से कलम की चोट ज्यादा मारक होती है. आप जो भी मामला बनाएंगी उस में इस बात का खुलासा कर देंगी न?’ आंखों में जिज्ञासा भर उस ने मासूमियत से पूछा था. मैं ने आंखों ही आंखों में उस के सवाल का जवाब दे दिया था.

मेरे दिलोदिमाग में कशमकश चल रही थी. किंतु विषय ही कुछ ऐसा था, जो बारबार मामला डिक्टेट कराने में हिचकिचा रहा था.

आकर्षक और मोहक व्यक्तित्व की धनी सलोनी का विवाह तय होते ही घर भर में खुशी की लहर दौड़ गई थी. सुर्ख जोड़े में सजीसंवरी, हाथों में पिया के नाम की मेहंदी लगा कर, पलकों में सुनहरे सपने संजोए सलोनी मातापिता का घर छोड़ पिया के घर जा पहुंची थी. खुशी से इतराती, इठलाती, मुसकराती वह बांहें फैला कर पूरे आकाश को अपने आंचल में समेट लेना चाहती थी. शादी के बाद की पहली रात में वह प्यार की बरसात में नहा गई थी.

 

सूरज आकाश में पूरी तरह छा गया था, लेकिन समीर की बांहों में सिमटी सलोनी गहरी नींद में थी. दरवाजे पर हो रही दस्तक को सुन कर सलोनी की आंखें खुलीं तो उस ने तुरंत खुद को व्यवस्थित कर दरवाजा खोला तो बाहर ननद मानसी चाय की ट्रे लिए खड़ी थी.

‘‘सोते ही रहोगे क्या?’’ उस के स्वर में झुंझलाहट भरी थी. फिर कमरे की प्रत्येक वस्तु को देखती हुई मानसी ने सलोनी को अजीब नजरों से देखा.

सलोनी सकपका कर बोली, ‘‘गुड मौर्निंग दीदी, उठने में देर हो गई.’’

मानसी की निगाहें एकटक समीर को निहार रही थीं. समीर बेचैन हो उठा था. मानसी चाय की ट्रे रख कर कमरे से बाहर चली गई तो समीर ने मौका पा कर तुरंत सलोनी को भींच कर चूम लिया था.

सलोनी का पूरा दिन समीर और घर के लोगों के बीच रस्मोरिवाज निभाने में बीता. जब भी सलोनी की नजरें समीर से टकरातीं वह मुग्ध नजरों से सलोनी को निहार रहा होता. सलोनी का मन गद्गद हो उठता.

दोनों को हनीमून यात्रा के लिए शिमला जाना था. दोनों ही उत्साहित और रोमांचित थे. टैक्सी में बैठने से पूर्व सासससुर को प्रणाम करती सलोनी समीर के बगल में खड़ी मानसी की ओर मुड़ी तो मानसी के कपोलों पर झलक रहे आंसुओं को देख हैरान हो गई.

‘‘दीदी आप रो रही हैं. एक सप्ताह का ही तो प्रोग्राम है. घूमफिर कर हम फिर यहां वापस आ जाएंगे,’’ वह बोली.

मानसी सलोनी को नजरअंदाज कर करीब खड़े समीर से लिपट गई थी. समीर ने भी सहजता से अपनी बांहें फैला दी थीं, ‘‘रोओ मत प्लीज, अच्छा बताओ तुम्हारे लिए क्या लाऊं?’’

‘‘बस समीर तुम जल्दी वापस आ जाना. मुझे कुछ और नहीं चाहिए…’’

समीर ने मानसी के गालों को प्यार से थपथपाया, ‘‘मैं जा नहीं पाऊंगा मानू, पहले हंस कर दिखा एक बार…’’

‘‘अच्छा समीर वहां अपना खयाल रखना…’’ मानसी ने रुंधे कंठ से समीर को विदा किया.

 

हनीमून ट्रिप के दौरान आधी रात में तो कभी वक्तबेवक्त मानसी के फोन समीर के मोबाइल पर आते ही रहते. समीर लपक कर मोबाइल उठा लेता और कुछ दूर जा कर उस से बातें करने लगता.

हनीमून के वे दिन जल्दी ही बीत गए. दोनों वापस मुंबई आ गए. सलोनी अपना नया घर व्यवस्थित करने व सजानेसंवारने में जुट गई.

समीर मुंबई की एक प्रतिष्ठित बहुराष्ट्रीय कंपनी में ऊंचे ओहदे पर कार्यरत था. ऊंची तनख्वाह, ऊंचा स्टेटस. एक लड़की अपने भावी जीवनसाथी में जो गुण देखना चाहती है, वे सभी गुण समीर में देख सलोनी इतराती थी. सलोनी स्वयं भी एक कौन्वैंट में अध्यापिका थी. दोनों की ही शनिवार और रविवार की छुट्टी रहती थी. दोनों अपनी कार से पुणे आतेजाते थे. सलोनी की ससुराल और मायका दोनों ही पुणे में थे. मानसी भी पुणे में ही रहती थी. उस की ससुराल, अपने मायके से मात्र 3 किलोमीटर के फासले पर ही थी.

समीर और सलोनी का 2 दिनों का अवकाश मस्ती में परिजनों के संग बीत जाता, लेकिन सलोनी के हृदय में एक हलकी सी टीस उठती, क्योंकि मानसी उस से खिंचीखिंची ही रहती थी. सलोनी उस से हंसनेबोलने का कितना प्रयास करती, किंतु उस के चेहरे पर सलोनी को देख जो कठोरता के भाव आ जाते उन्हें देख कर सलोनी सहम जाती. सलोनी यही सोच कर खुद को तसल्ली दे लेती कि अभी दिन ही कितने हुए हैं. नए लोगों को घुलनेमिलने में समय तो लगता ही है.

पुणे में समीर व्यस्त रहता. मातापिता के साथसाथ मानसी के घर की हर जरूरत को पूरा करने के प्रयास में वह लगा रहता. मानसी को महंगे तोहफे व कीमती सामान दे कर बहन के ससुराल वालों को खुश रखता.

पुणे पहुंच कर समीर मानसी को उस की ससुराल से लेने चला जाता, लेकिन हैरत की बात तो यह थी कि मानसी को ले कर 3-4 घंटे बाद ही लौटता.

एक दिन सलोनी ने समीर से जल्दी वापस आने को कहा, तो वह बोला, ‘‘जानू, दीदी को शौपिंग करवानी है. 1-2 काम और भी हैं, इसलिए वापस आने में देर हो जाएगी. तुम घर के कामकाज निबटा कर तैयार रहना, तुम्हें भी तुम्हारे मम्मीपापा से मिलवा लाऊंगा.’’

समीर के चले जाने के बाद सासूमां ने उस से कहा था, ‘‘अब जल्दी वापस नहीं आएंगे समीर और मानू… घूमफिर कर ही वापस आएंगे दोनों.’’

सलोनी असहज हो जाती. शौपिंग करेंगे… घूमेंगे… लेकिन मुझे क्यों हर बार घर छोड़ जाते हैं?

सामानों से लदेफंदे दोनों भाईबहन हंसतेखिलखिलाते घर में घुसते तो मानसी जानबूझ कर सलोनी को नजरअंदाज करती. दोनों खुसुरफुसुर करते मां के बैडरूम में चले जाते. सास सुमनलता अपने दोनों बच्चों की हंसीठिठोली पर बलिहारी जातीं. कहतीं, ‘मेरे बच्चों को किसी की नजर न लग जाए.’

एक दिन सलोनी ने समीर और मानसी द्वारा बाजार से लाए गए सामान को देखने का प्रयास किया था. और देख कर तो वह चकित रह गई थी. सैक्सी ब्रापैंटीज, सैनिटरी नैपकिंस, कौस्मैटिक्स वगैरह. अपना एकदम निजी सामान भी दीदी अपने भाई के साथ जा कर खरीदती हैं, यह जान कर सलोनी को अटपटा लगा था.

एक दिन सलोनी ने समीर और मानसी दीदी के साथ बैठने के लिए अपने कमरे में जाना चाहा तो सास का स्वर सुन उस के कदम ठिठक गए, ‘‘सलोनी, रसोई में आ जाओ, देखो कितना काम पड़ा है.’’

सलोनी ने सासूमां की कही बात अनसुनी कर शयनकक्ष की ओर कदम बढ़ाया ही था कि सास ने उस का हाथ थाम, उस के बढ़ते कदमों पर विराम लगा दिया था, ‘‘5 दिन मुंबई में तेरे साथ दिनरात रहता है, अब अगर एकाध दिन मानू के साथ कुछ समय बिता लेगा तो कौन सी आफत आ जाएगी? कौन सी तेरे खजाने में कमी आ जाएगी.’’

सास की जलीकटी बातें सलोनी को सहमा गईं. किंतु मायके जा कर सलोनी का तनाव व नकारात्मक विचार छूमंतर हो गए थे. फिर हंसतेखिलखिलाते वे दोनों मुंबई लौट आए थे और फिर व्यस्त दिनचर्या आरंभ हो गई थी.

किंतु एक रात की घटना ने सलोनी को फिर से झकझोर कर रख दिया. आधी रात का वक्त था. सलोनी की नींद टूट गई थी. कंठ सूख रहा था, इसलिए सलोनी फ्रिज से पानी की ठंडी बोतल निकाल कर घूंट भरने ही वाली थी कि दूसरे कमरे से समीर का अस्फुट स्वर सुनाई दे गया.

 

मोबाइल कान से सटाए समीर बातचीत में मगन था. सहज भाव से सलोनी समीर के करीब पहुंच गई थी. सलोनी को अपने सामने देख पल भर को समीर सकपकाया, किंतु तुरंत ही मोबाइल बंद कर सलोनी को अपनी बांहों के घेरे में कैद कर लिया.

‘‘किस का फोन था समीर… इतनी रात को?’’

‘‘मेरे दोस्त का फोन था यूएसए से.’’

‘‘इतनी रात को?’’ सलोनी ने शंका व्यक्त की.

‘‘अरे जानू, यहां इंडिया में रात है, अमेरिका में तो दिन होगा न,’’ समीर ने सहजता से सलोनी की जिज्ञासा दूर कर दी थी.

समीर विवाह से पहले 2 साल अमेरिका में रह चुका था, इसलिए सलोनी ने उस की बात मान ली.

लेकिन अगले रोज सलोनी ने सरसरी तौर पर समीर का मोबाइल चैक किया तो उस की आंखें अचरज से फैल गईं. रात 2 बजे आने वाली काल अमेरिका से नहीं बल्कि पुणे से मानसी दीदी की थी.

मानसी दीदी ने बेवक्त फोन क्यों किया और समीर को इस फोन के विषय में झूठ बोलने की जरूरत क्यों पड़ी? यह प्रश्न नश्तर की भांति सलोनी को बेचैन कर गया. फिर उस ने रोज समीर का मोबाइल चैक करना शुरू किया, तो वह यह देख कर स्तब्ध थी कि औफिस में भी मानसी की 5-6 काल रोज आती थीं.

5 दिन फुर्र से बीत जाते और पुन: पुणे जाने का दिन आ जाता. वे इस बार पुणे गए तो सारे परिवार ने डिनर पर बाहर जाने का कार्यक्रम बनाया. समीर ने एक बढि़या से मौल के रेस्तरां में टेबल बुक करवा ली.

वेटर मेन्यू कार्ड सलोनी के हाथों में थमा गया तो सभी ने कहा कि सलोनी जो कुछ मंगवाएगी वही हम सब खाएंगे. उन का स्नेहपूर्ण आग्रह सुन कर सलोनी ने अपनी नजरें कार्ड पर जमा दीं. इसी बीच मानसी का बेटा रोहन अपनी सीट से उठ कर इधरउधर घूमते हुए दुकानों की मन लुभाती विंडोज को देखने लगा. मानसी भी बेटे के साथ हो ली और देखते ही देखते समीर भी अपनी सीट से उठ कर उस के साथ शामिल हो गया.

लगभग पौन घंटा होने को था. और्डर दिया जा चुका था और खाना भी सर्व हो चुका था. सलोनी समीर की प्रतीक्षा कर रही थी.

‘‘आप खाना खाओ सलोनीजी,’’ मानसी के पति लापरवाही से बोले.

‘‘मैं बुला कर लाती हूं उन्हें,’’ सलोनी अधीरता से बोली.

‘‘अरे, इतने बड़े मौल में कहां ढूंढेंगी?’’

सासससुर और नरेंद्र ने खाना शुरू कर दिया. सलोनी उन्हें ढूंढ़ने निकली तो जल्दी ही वे दोनों दिखाई दे गए. दोनों एकदूसरे से सट कर खड़े थे. दोनों के हाथों में आइसक्रीम के कप थे और वे एकदूसरे को खिला रहे थे. सलोनी को देख मानसी के चेहरे पर नागवारी के भाव आ गए थे.

‘‘खाना ठंडा हो रहा है, चलिए दीदी…’’

‘‘मुझे समीर ने डोसा खिला दिया है और उस ने भी खा लिया है…’’

सलोनी के मन में टीस सी उठी किंतु खुद को संभाल कर उस ने चेहरे पर मुसकान संवार ली.

समीर, मानसी और सलोनी जब आ कर अपनीअपनी कुरसियों पर बैठ गए तो समीर टेबल के नीचे से सलोनी की टांगें सहलाने लगा. प्रणयी पति की आंखों ने सलोनी का सारा तनाव दूर कर दिया.

घर आ कर रात में सलोनी ने शिकायती स्वर में उस से कारण जानना चाहा, किंतु रात की निस्तब्धता में कोई पुरुष प्रेमालाप के अतिरिक्त कुछ और कहनेसुनने की इच्छा रखता है क्या?

समीर का अपनी बहन मानसी की ओर विचित्र सा झुकाव देख सलोनी असमंजस में पड़ जाती थी. मानसी मिल कर चली जाती तो समीर अनमना सा हो जाता. वह घर आती तो उस की बगल में ही जा बैठता तो कभी नीचे बैठ जाता और सोफे से लटकती चूड़ीदार पाजामी में तनीकसी उस की टांगों को दबाने लगता. कभीकभी समीर के हाथ टांगों से सरकते, बेशर्मी से मानसी की जांघों पर चले जाते. वह जांघें सहलाता और उस की गोद में सिर छिपा लेता. मानसी खिलखिला कर हंसती जाती और समीर के केशों में उंगलियां फेरती जाती.

‘‘मानू दीदी, तुम हंसते हुए बहुत सुंदर लगती हो. यह सच है न सलोनी? देखो इन के गाल कितने चिकने और सौफ्ट हैं,’’ समीर कहता.

हर बार पुणे प्रवास के दौरान ऐसे असामान्य व अस्वाभाविक दृश्य सलोनी को विचलित कर देते, किंतु वह यह सोच कर मन मसोस कर रह जाती कि नया घर, नया परिवेश कहीं उस से कुछ भूल न हो जाए.

मानसी का ड्रैस सैंस भी विचित्र था.

खुले गले का छोटा सा ब्लाउज, अर्धनग्न पीठ और नाभि प्रदर्शना साड़ी ये सब निर्लज्ज आमंत्रण देते प्रतीत होते. सलवारकमीज पहनी होती तो ऊपरी हिस्से से दुपट्टे का शिकंजा दूर करने में उसे जरा भी देर न लगती. पारदर्शी कमीज की चुस्त फिटिंग अंगों को बेशर्मी से उजागर करती.

मानसी अपने बेतरतीब परिधान के प्रति लापरवाह रहती और समीर की आंखें जैसे मनोहारी दृश्य को देख बहकती जातीं. सलोनी तिलमिला कर रह जाती.

प्रकृति ने हर औरत को शायद तीसरा नेत्र दिया है. अस्वाभाविक संबंध उस की नजरों से छिप नहीं सकते. असामान्य संबंधों की गंध वह पा ही जाती है. किंतु सलोनी की सास सुमनलता भी तो नारी हैं. मर्यादाहीन आचरण उन की नजरें सहजता से क्यों देख रही हैं?

– क्रमश:

– नीता दानी

खौफ का दूसरा नाम है बॉलीवुड की ये फिल्में

हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में हर साल 1000 से भी ज्यादा फिल्में रिलीज होती हैं. इनमें से कुछ तो फिल्म इंडस्ट्री के इतिहास में अपनी जगह बना लेती हैं, पर सब फिल्मों के नसीब में सेंसर बोर्ड की कैंची से बचना नहीं लिखा है. लिपस्टिक अंडर माई बुरका, इसका सबसे नया उदाहरण है.

पर कुछ फिल्में ऐसी भी हैं जिन्हें पर्दे पर पहुंचना नसीब हुआ. बॉलीवुड में हर जॉनर की फिल्में बनती हैं और हर जॉनर के दर्शक भी हैं. रामसे ब्रदर्स, राम गोपाल वर्मा, विक्रम भट्ट सबने हॉरर फिल्मों में अपना हाथ आजमाया है.

हॉरर फिल्में बच्चों से लेकर बड़ों तक सबको पसंद आती हैं. पर आजकल बन रही हॉरर मूवी में डर कम और बोल्ड सीन ज्यादा दिखाए जाते हैं. सेक्स जीवन का हिस्सा है तो जाहिर सी बात है कि इसे फिल्मों में भी बड़ी ही गर्मजोशी के साथ पेश किया जाता है. पिछले कुछ सालों में हॉरर जॉनर में बन रही हिन्दी फिल्में डराने से ज्यादा लोगों को बोर कर रही हैं. अंग्रेजी फिल्मों की चुराई हुई स्क्रिप्ट के सहारे घिसी-पीटि हॉरर मूवी बनाने का चलन जोरों पर है. स्क्रिप्ट चुराना एक बात है, पर देसी दर्शक के हिसाब से उसे बनाना भी एक कला ही है. पिछले हफ्ते रिलीज हुई मूवी ‘मोना डार्लिंग’ भी दूसरी फिल्मों से प्रेरित है और इसने भी बड़े पर्दे पर कुछ नया नहीं परोसा है.

ये सच है कि कुछ फिल्में बॉलीवुड के नाम पर काले धब्बे के जैसी थी, पर हिन्दी फिल्मों के अथाह सागर में भी कई ऐसी हॉरर फिल्में बनी जिसे देखने के लिए जिगरा चाहिए. आज हम आपको बताते हैं ऐसी कुछ फिल्मों के बारे में जिन्हें देखकर आपकी चीख निकल जाएगी. अपनी सुरक्षा के लिए ये फिल्में अकेले न ही देखें तो बेहतर होगा. बाकी आगे आपकी मर्जी…

1. महल (1949)

महल को बॉलीवुड की पहली हॉरर फिल्म खिताब हासिल है. बॉलीवुड की ‘टाइमलेस ब्यूटी क्वीन’ मधुबाला ने इस फिल्म में अभिनय किया था. ‘पुनर्जन्म’ पर बनी इस फिल्म ने दर्शकों को खूब डराया था. इसी फिल्म के जरिए स्वर कोकिला ‘लता मंगेशकर’ ने बॉलीवुड संगीत की दुनिया में कदम रखा था. ‘आएगा आने वाला’ गाना हिट हो गया और लता जी ने देश के हर घर में अपनी जगह बनाई.

2. बीस साल बाद (1962)

शर्लोक होम्स की एक कहानी से प्रेरित यह फिल्म उस साल की सुपरहिट फिल्म थी. बंगाली अभिनेता विश्वजीत और वहिदा रहमान ने इस फिल्म में काम किया था. गांव का एक ताकतवर ठाकुर एक लड़की का रेप कर देता है. इसी को लेकर फिल्म की कहानी आगे बढ़ती है.

3. वीराना (1988)

डरावनी और बोल्ड सीन वाली यह फिल्म 90 के दशक के बच्चों के जहन में बसी हुई है. वीराना… नाम में ही एक डर का एहसास है. रामसे ब्रदर्स द्वारा निर्मित इस फिल्म की हीरोइन ‘जेस्मिन’ न जाने कितने दर्शकों के ख्वाबों की मल्लिका बन गई थी. जेस्मिन की नशीले और डरावने अभिनय ने दर्शकों का दिल जीत लिया था. गौरतलब है कि वीराना वाली हीरोइन की ज्यादा फिल्में नहीं आई और ये किसी को नहीं पता कि आज वो कहां है. वीराने की हीरोइन खुद वीराने में गुम हो गई…

4. रात (1992)

राम गोपाल वर्मा द्वारा निर्मित फिल्मों में एक बेहतरीन फिल्म. एक बिल्ली की मौत के इर्द-गिर्द पूरी फिल्म घूमती है. आज के दर्शकों को यह पुरानी लग सकती है. पर यह फिल्म अपने समय की बेहतरीन फिल्म है. इस फिल्म को देखने के बाद आपको बिल्लीयां क्यूट नहीं लगेंगी…

5. राज (2002)

हॉलीवुड फिल्म ‘What lies beneath’ से प्रेरित इस फिल्म के बाद से ही ‘संजना…’ नाम ही डरावना नाम बन गया था. मर्डर और बदले के ऊपर बनी इस फिल्म में बिपाशा बसु, डिनो मोरया, आशुतोष राणा ने अभिनय किया था. मीडिया में बिपाशा ‘स्क्रीम क्वीन’ के नाम से फेमस हो गई थी. इस फिल्म ने दर्शकों को जितना डराया, इस फिल्म का कोई भी सिक्वल दर्शकों को उतना डराने में असफल रहा.

6. भूत (2003)

रामू की सबसे डरावनी फिल्मों में से एक फिल्म है भूत. मीडिय रिपोर्ट्स की माने तो इस फिल्मों को देखते हुए कई लोगों की मौत हो गई थी. इस फिल्म को अकेले देखने का खतरा मोल न ले. उर्मिला मातोंडकर के दमदार अभिनय ने ढेर सारी तारीफें बटोरी थीं.

7. डरना मना है (2003)

6 शॉर्ट फिल्मों से बनी एक दमदार फिल्म. एक बड़े कास्ट के साथ इस फिल्म ने दर्शकों को खूब डराया था. 7 दोस्त बीच रात में गाड़ी खराब होने पर फंस जाते हैं. कहानी इन्हीं के चारों ओर घूमती है.

इस फिल्म के सिक्वल ‘डरना जरूरी है’ को भी दर्शकों को बहुत पसंद किया. फिल्म में यह संदेश भी दिया गया है, कि डर ही आपकी जान लेता है.

बहुत से लोग भूत-प्रेत, पिशाच, डायन, चुड़ैल आदि को हमारे समाज की भ्रांतियों में गिनते हैं. लोगों के दिमाग से किसी भी बात को निकालना आसान नहीं है. झूठ को सच और सच को झूठ मानना तो दुनिया का दस्तूर है. अभिव्यक्ति की आजादी का पूर्ण उपयोग करते हुए फिल्मकार मनोरंजन के लिए कई तरह की फिल्में बनाई. पर ये दर्शकों को समझना चाहिए कि क्या हकीकत है और क्या कहानी.

ये 10 सीरियल देख आप नहीं रोक पाएंगे अपनी हंसी

यूं तो हिंदी टीवी सीरियल सास-बहू की कहानियों के लिए प्रसिद्ध हैं. लेकिन समय के साथ-साथ छोटे पर्दे का भी ट्रेंड बदल रहा है. आज छोटा पर्दा सिर्फ सास-बहू या प्रेम कहानियों तक सिमित नहीं है बल्कि टीवी जगत में भी अब बोल्ड कंटेंट दिखाए जा रहे हैं. लोगों की सोच बदल रही है, संस्कृति के प्रति सम्मान बढ रहा है. यह कहना गलत नहीं होगा की टीवी जगत में पहले के मुकाबले काफी बदलाव आया है.

जहां तक कॉमेडी सीरियलों की बात है तो ऐसे सीरियल पहले भी पसंद किए जाते थे और आज भी. टावी जगत के हास्य कलाकारों ने हमेशा ही लोगों को हंसाया है, गुदगुदाया है. तो आइए जानते हैं टॉप 10 हिंदी कॉमेडी सीरियल के बारे में.

तारक मेहता का उल्टा चश्मा

साल 2008 से शुरू हुआ यह नाटक भारतीय टीवी इतिहास के सबसे सफल सीरियल्स में से एक है और सबसे लम्बे समय तक चलने वाले सीरियल भी. सफलता के लगभग सभी रिकार्ड्स तोड़ चुका यह सीरियल 4 सब के अनोखे अवार्ड जीत चूका है और 10 सिटकॉम अवार्ड भी इसकी झोली में है. यह शो गोकुलधाम सोसायटी की है. इस सोसायटी की हर सिचुएशन एक नई कॉमेडी लेकर आती है.

भाभी जी घर पर है

यह कहानी कानपुर के दो पड़ोसी परिवारों की है. दोनों ही परिवार के पति को दूसरे की पत्नी से प्यार हो जाता है और वह उनसे मिलने आदि के लिए कोई भी कार्य करते हैं वह सभी गलत तरीके से हो जाता है और वह उन सभी में फंसते रहते हैं. इस सीरियल का डायलॉग सही पकड़े हैं काफी लोकप्रिय है.

श्रीमान श्रीमती

श्रीमान श्रीमती सबसे प्रसिद्ध सीरियल्स में से एक है जो 1995 में दूरदर्शन पर आता था. इस सीरियल में राकेश बेदी, रीमा लागू, जतिन कनाकिया और अर्चना पूरण सिंह ने मुख्या भूमिका निभाई थी.

F.I.R.

सब टीवी पर सबसे लम्बे समय तक आने वाले सीरियल में से एक है ‘F.I.R.’, जिसमे कविता कौशिक ने चंद्रमुखी चौटाला का रोल निभाया था जो बहुत हिट भी रहा था. यह सीरियल की कहानी ‘ईमान चौकी’ के आसपास घुमती है जिसमें चौटाला कैसे अलग अलग मुजरिमों को पकड़ती है दिखाया गया है.

ऑफिस ऑफिस

प्रसिद्ध एक्टर पंकज कपूर का एक बेहतरीन सीरियल ‘ऑफिस ऑफिस’ सरकारी भ्रष्टाचार के ऊपर आधारित एक फेमस कॉमेडी सीरियल था जिसमें पंकज कपूर ने मुसद्दीलाल की भूमिका निभाई थी. इस सीरियल के लिए पंकज कपूर को कई अवार्ड भी प्राप्त हुए हैं.

तू तू मैं मैं

एक बेहतरीन कॉमेडी सीरियल जो पहले दूरदर्शन पर आता था लेकिन बाद में स्टार प्लस इसका प्रसारण करने लगा. यह प्रसिद्ध सीरियल सास बहु के हास्य संबंधो पर आधारित था जो अपने को श्रेष्ठ दिखने की होड़ में अलग अलग कारनामे करती हैं.

हम पांच

हम पांच, जी टीवी पर आने वाले सबसे कॉमेडी सीरियल्स में से एक है जो 1995 में आता था जो एक मिडिल क्लास आदमी ‘आनंद माथुर’ के इर्द गिर्द घूमती है. आनंद हमेशा अपनी पांच बेटियों के कारण अपने को अजीब अजीब मुसीबतों में पाते थें.

साराभाई वर्सेज साराभाई

यह सीरियल ‘साराभाई’ फॅमिली के इर्द गिर्द घूमता है, जिसमें किस तरह से एक परिवार में हास्य उत्पन्न होता है दिखाया गया है. इस नाटक में सतीश कौशिक और रत्ना पाठक ने अपनी बेहतरीन अभिनय के लिए काफी वाह वाही भी लूटी थी .

खिचड़ी

खिचड़ी को हम एक ऐसा सीरियल कह सकते हैं जिसमें कोई चुटकुले या हास्य लाइनों का प्रयोग नहीं किया जाता था बल्कि समस्याओं और उनके सुलझाने के आधार पर ही गजब कॉमेडी बनती थी. यह नाटक एक गुजराती ‘पारीख’ फॅमिली के आसपास घूमता है जिसमें कुछ कैरेक्टर दिमाग से ढीले थे और उन्हीं के कारण अनेक हास्य परिस्थितियों का निर्माण होता था. इस नाटक के ऊपर मूवी भी बन चुकी है.

देख भाई देख

दीवान फैमिली के इर्द गिर्द घुमने वाले इस सीरियल को देखे बिना तो कई लोगों का खाना हजम नहीं होता था. इस सीरियल को ‘जया बच्चन’ ने प्रोड्यूस किया था और नवीन निश्चल, फरीदा जलाल और शेखर सुमन ने इसमें बेहतरीन भूमिका निभाई थी.

‘जुड़वा 2’ के लिए कुछ ऐसा कर रही हैं जैकलीन

अभिनेत्री जैकलीन फर्नांडिस फिल्म ‘जुड़वा 2′ में करिश्मा कपूर वाला किरदार निभाने जा रही हैं और वह करिश्मा के जैसा अभिनय करने के लिए उनकी फिल्में देख रही हैं. ‘जुड़वा’ का निर्देशन डेविड धवन ने किया था और इसमें सलमान खान दोहरी भूमिका में नजर आए थें.

एक कार्यक्रम में यह पूछे जाने पर कि क्या करिश्मा से उस भूमिका निभाने के लिए उनहें कोई सलाह मिली है तो जैकलीन ने बताया, ‘नहीं, करिश्मा से मुझे कोई सलाह नहीं दी. लेकन मैं उनकी कई फिल्में देख रही हूं. वह एक बहुत ही अच्छी अभिनेत्री हैं.’

‘जुडवा 2′ में वरुण धवन, सलमान के जगह पर दिखेंगे जबकि तापसी पन्नू, रंभा के चरित्र को जीवंत करेंगी. इससे पहले जैकलीन और वरुण अपने भाई रोहित की फिल्म ‘ढिशूम’ में साथ नजर आए थें. यह पहली बार है जब वे तापसी के साथ नजर आएंगे.

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