पिंकाथन एम्बेसेडर मिलिंद सोमन से बातचीत

उम्र के 5 दशक पार कर चुके मिलिंद सोमन एक सुपर मॉडल, अभिनेता, फिल्म निर्माता, स्पोर्टस पर्सन हैं और फिटनेस को प्रमोट करते हैं. महाराष्ट्र के मिलिंद सोमन को फिल्मों के अलावा स्पोर्ट्स भी काफी पसंद हैं. 10 साल की उम्र से ही उन्होंने महाराष्ट्र को राष्ट्रीय स्तर पर रिप्रेजेंट करना शुरू कर दिया था. उन्होंने 4 साल तक लगातार नेशनल सीनियर स्विमिंग चैम्पियनशिप जीती है. 30 दिनों में 1500 किलोमीटर दौड़कर उन्होंने अपना नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज करवाया है. इसके अलावा उन्होंने ‘आयरन मैन’ चैलेंज को पहली ही कोशिश में 15 घंटे और 19 मिनट में पूरा किया है. इसमें साइकिलिंग, स्विमिंग और रनिंग शामिल हैं.

समय मिलने पर वे आज भी 10 से 12 किलोमीटर दौड़ते हैं और फिटनेस के लिए सबको प्रोत्साहित भी करते हैं. इस समय वे महिलाओं की मैराथन दौड़ ‘पिंकाथन’ के ब्रांड एम्बेसेडर हैं. ये उनका 5वां सत्र है जो 18 दिसम्बर को होने वाला है. हर बार मैराथन में भाग लेने वाली महिलाओं की बढ़ती संख्या को देखकर वे काफी खुश हैं. उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश.

प्र. अच्छी हेल्थ के लिए फिटनेस कितनी जरुरी है?

फिट रहने से केवल शरीर ही नहीं बल्कि मानसिक अवस्था भी अच्छी रहती है. आमतौर पर महिलाएं कुछ न कुछ बहाना बनाकर फिटनेस से भागती हैं. ऐसे में इस तरह की दौड़ उनके लिए काफी आकर्षक होती है. हमारे समाज में कुछ पुरुषों का ही कहना है कि महिलायें दौड़ नहीं सकती, यही वजह है कि मैं ‘पिंकाथन’ से जुड़ा हूं. अधिकतर महिलायें घरेलू होती हैं और उन्हें इसकी जानकारी नहीं है इसलिए आज मैं महिलाओं को अपने लिए, अपने हेल्थ के लिए दौड़ने के लिए कह रहा हूं. मेरे ख्याल से एक महिला जो सोचती है वह कर सकती है. कुछ महिलायें तो ऐसी हैं कि शादी से पहले अपने लिए सबकुछ करती हैं और शादी के बाद सब छोड़ कर घर परिवार में जुट जाती हैं, ऐसे में वे एक अच्छी सेहत को जी नहीं पाती. उनका स्ट्रेस लेवेल भी बढ़ता रहता है.

प्र. इतने सालों में महिलाओं का झुकाव इस ओर कितना बढ़ा है?

महिलाओं में अवेयरनेस बढ़ रही है. पहले हम केवल 8 शहरों में इस दौड़ का आयोजन करते थे. अब छोटे-बड़े अनेक शहरों जैसे विशाखापत्तनम, विजयवाड़ा, नागपुर आदि जगहों से भी लोग हमें बुला रहे हैं. मैंने इन छोटे-बड़े शहरों के लिए एक दूसरा इवेंट ‘इंडिया गोईंग पिंक’ भी ऑरगेनाइज किया है, इस इवेंट से जुड़े लोग सबको गाइड करते हैं और दौड़ का आयोजन करते हैं. इस बार 14 शहरों में ये दौड़ होगी. मुंबई के पहले मैराथन में केवल दो हजार महिलाओं ने भाग लिया था. पिछले साल 11 हजार महिलाओं ने भाग लिया और इस बार तो ये संख्या लाखों में होने की संभावना है.

प्र. दौड़ या फिटनेस से महिला के जीवन में कौन से खास बदलाव आते हैं?

मैं तो सबको लेकर दौड़ता हूं. अंदर जो बदलाव आते हैं यह उन्हें ही पता चलता है. उनके अंदर आत्मविश्वास बढ़ता है कि वह जो चाहे वो कर सकती हैं. वे अच्छा फील करती हैं. हमारे देश में पिछले कुछ सालों से ही महिलाएं दौड़ती हैं, जबकि अमेरिका में 40-45 साल पहले ही यह ट्रेंड शुरू हो गया था. लेकिन तब केवल प्रतियोगिता के लिए ही लोग दौड़ते थे. जिनमें अधिकतर पुरुष ही होते थे. हेल्थ या रिक्रिएशन के लिए कोई भी नहीं दौड़ता था. अभी अमेरिका में हर सप्ताह 30 मिलियन लोग दौड़ते हैं, क्योंकि उन्हें इसके फायदे पता चल चुके हैं. वहां स्पोर्ट्स कल्चर है. पर अपने देश में ऐसा नहीं है.

महिलायें तो स्पोर्ट्स के मामले में और भी पीछे हैं. लेकिन अब हर स्कूल, गांव, शहर, क्लब आदि जगहों पर रनिंग के इवेंट कराये जा रहे हैं. लोग भाग भी ले रहे हैं. इस तरह सभी एक दूसरे से प्रेरित हो रहे हैं, यह एक अच्छी बात है. महिलाओं को लगता है कि हम अगर मन बना ले तो कुछ भी कर सकते हैं. उनकी झिझक दूर हो रही है उनके भाव खुल रहे हैं. अब उन्हें फिटनेस की गुणवत्ता समझ में आ रही है. इससे उनका स्ट्रेस दूर होता है और साथ ही कई सारी बिमारियां भी कम हो रही हैं.

स्ट्रेस को भगाना मुश्किल नहीं अगर हम अपने दैनिक रूटीन में दौड़, टहलना, व्यायाम आदि को शामिल करें. बड़े शहरों में महिलाएं सुबह से शाम तक दौड़ती रहती हैं, फिर भी बीमार रहती हैं. उन्हें लगता है कि वे काफी कसरत कर रही हैं. लेकिन वे सारा काम स्ट्रेस के साथ करती हैं. उन्हें अपने लिए थोड़ा समय निकाल कर व्यायाम या जो भी अच्छा लगे करना चाहिए. महिलाओं को अपने व्यायाम की समय सीमा खुद ही तय करनी चाहिए कि कितना वर्कआउट करने से वे अच्छा फील करती हैं. महिलाओं का सेल्फ अवेयर होना बहुत जरूरी है.

नील निभाएंगे संजय गांधी का किरदार

फिल्मों के जरिए समाज को आईना दिखाने के लिए मशहूर डायरेक्टर मधुर भंडारकर जल्द ही अपनी नई फिल्म ‘इंदु सरकार’ की शूटिंग शुरू करने वाले हैं. इस फिल्म में एक्टर नील नितिन मुकेश पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी की भूमिका निभाते नजर आएंगे.

हालांकि, मधुर ने अपनी फिल्म में नील के किरदार के बारे में तो अभी ज्यादा खुलासा नहीं किया है, मगर उन्होंने ट्विटर के जरिए यह खबर जरूर दी है कि वह एक बार फिर नील के साथ काम करने जा रहे हैं और इस बार भी नील उनकी फिल्म में एक बेहद अहम किरदार में नजर आएंगे.

हाल ही में एक इंटरव्यू में इस फिल्म की लीड ऐक्ट्रेस कीर्ति कुल्हारी ने कहा था कि फिल्म की कहानी तो काल्पनिक है, मगर फिल्म का प्लॉट 1975 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में पूरे देश में लगाई गई इमर्जेंसी और उस दौरान घटी घटनाओं पर आधारित है. यही वजह है कि इस फिल्म के लिए मधुर ने खासी रिसर्च भी की है.

बहुचर्चित फिल्म ‘पिंक’ में फलक अली का किरदार निभाकर चर्चा में आईं कीर्ति कुल्हारी इस फिल्म में ‘इंदु सरकार’ की भूमिका निभा रही हैं, जबकि इंदु के पति की भूमिका बंगाली फिल्मों के मशहूर एक्टर तोता राय चौधरी निभा रहे हैं.

अब इस फिल्म से जुड़कर नील भी बेहद खुश नजर आ रहे हैं. गौरतलब है कि नील ने मधुर भंडारकर की फिल्म ‘जेल’ में एक बेहद अहम किरदार निभाया था. ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि संजय गांधी के रोल में वह कितने दमदार नजर आते हैं. नील का मानना है कि बतौर एक्टर उनके लिए यह एक बड़ा चैलेंज है. ‘इंदु सरकार’ की शूटिंग अगले महीने से शुरू हो रही है और जनवरी के अंत तक शूटिंग खत्म भी हो जाएगी.

मेहमानों के कमरे को दें नया लुक

खास मेहमानों का कमरा भी कुछ खास होना चाहिए. ये टिप्स अपनाकर आप मेहमानों का दिल आसानी से जीत सकती हैं. मित्र हो या रिश्तेदार, वो आप के घर बार-बार मिलने आयेंगे और आपको मिलेंगी ढेर सारी तारीफें. मेहमानों का कमरा हर तरह से आरामदायक होना चाहिए क्योंकि हर मेहमान एडजस्टिंग स्वभाव के नहीं होते.

मेहमानों का कमरा सजाने के टिप्स-

1. कमरे में हल्के और न्युट्रल रंगों का प्रयोग करे जैसे ऑफ व्हाइट, बीज, क्रीम, लाइट ब्ल्यू, कूल पेस्टल टोन आदि. वाइब्रेंट वार्म कलर्स जैसे ब्राइट रेड का प्रयोग न करें क्योंकि ऐसे रंग थके होने पर आंखों को चुभते हैं और मेहमान को रिलेक्स फील करने नहीं देते.

2. मिलते-जुलते रंगों के फर्नीचर, दीवारें और परदे कमरे को आकर्षक लुक देती है. कमरा सजाते वक्त कलर कांबीनेशन का ध्यान रखें.

3. कमरे को कुछ इस तरह सजाएं कि वह होटल के किसी कमरे की तरह न लगे. इस बात का ध्यान जरूर रखें कि फर्नीचर बहुत ज्यादा भरा न हो जिससे कि कमरे में चलने-फिरने में आसानी हो.

4. एक किंग या क्वीन साइज बैड से बेहतर है दो बैड लगाना. इससे गेस्ट अलग भी सो सकते हैं और दोनों बैड को जोड़कर एक साथ भी. आप कमरे में मल्टीपर्पस फर्नीचर भी लगा सकती हैं.

5. बेड के बगल में लैम्प शेड लगायें. सीलिंग पर लगी लाइटों का तो जवाब नहीं क्योंकि ये पूरा कमरा रौशन कर देती हैं. पर बैड के बगल में लगे स्वीच को बुझाना, दरवाजे के बगल में लगे स्वीच को बुझाने से ज्यादा आसान है. रात के वक्त नींद में आपके गेस्ट फर्नीचर से टकरा भी सकते हैं, इसलिए बेड लैम्प अच्छा ऑपशन है.

6. कमरे में एक बड़ा सा मिरर लगाना न भूलें. आपके गेस्ट को भी तो तैयार होना है. डेकोरेशन के लिए छोटे मिरर का इस्तेमाल कर सकती हैं.

7. गेस्ट को कपड़े और दूसरे सामान रखने के लिए एक अलमारी जरूर होनी चाहिए. इसलिए कमरे में एक अलमारी भी ध्यान से रखें. अलमारी के नीचे के दराजों में कंबल, तौलिए आदि सामान रखें.

8. अगर आपने हार्डवुड से फ्लोरिंग करवाई है तो कारपेट बिछाना मत भूलिएगा. इससे मेहमानों को सर्दी भी नहीं लगेगी. उन्हें घर जैसी फिलींग आएगी.

9. अगर कमरे में पर्याप्त स्पेस है तो आप बीन बैग, चेयर्स और काफी टेबल भी लगा सकती हैं. अगर गेस्ट को लेटने की इच्छा न हो तो वह यहां आराम से बैठकर किताबें या मैगजीन पढ़ सकते हैं.

10. मेहमानों के कमरे में घड़ी लगाना न भूलें. बैड टेबल पर डीजिटल क्लाक एक अच्छा आपशन है. इससे मेहमान आसानी से अलार्म भी लगा सकेंगे.

11. गेस्ट रूम को स्टोरेज रूम में भी तब्दील न करें, घर की कोई भी पुरानी चीज या फिर बेकार पड़े सामान को इस कमरे की अपेक्षा स्टोर रूम में ही रखें. 

12. आप कमरे में डस्टबिन के साथ साथ ताजे फूलों का फूलदान भी रख सकती हैं. इससे भी आपके घर आने वाले मेहमानों को फ्रेश फिल होगा.

विष्‍णु ने जीता मिस्टर इंडिया 2016 का खिताब

मॉडल विष्‍णु राज मेनन ने पीटर इंग्लैंड मिस्टर इंडिया 2016 का खिताब जीत लिया है. इस मौके पर बॉलीवुड स्टार रितिक रौशन और कई फैशन डिजाइनर मौजूद थे. रितिक रौशन ने विष्‍णु को मिस्‍टर ‌इंडिया 2016 घोषित कर उन्हें क्राउन पहनाया.

साथ ही वीरेन बरमन को फर्स्ट रनरअप और अल्तमश फराज को सेकेंड रनरअप चुना गया. फैशन डायरेक्टर निवेदिता सबू और हेयर आर्टिस्ट माल्कोम फर्नांडिस ने तीनों कंटेस्टेंट के साथ फोटो शूट करवाया. ये कॉन्टेस्ट क्लोदिंग कंपनी पीटर इंग्लैंड की ओर से आयोजित किया गया था.

इस कॉन्टेस्ट में मिस्टर इंडिया 2015 प्रतीक गुजराल और रितिक रौशन को सेलेब्रिटी गेस्ट के तौर पर आए थे. इसका आयोजन मुंबई के प्ले ब्वॉय क्लब में हुआ. रितिक और प्रतीक के अलावा यहां कई नामचीन हस्तियों ने भी शिरकत की.

क्राउन सेरेमनी के बाद दोनों रनरअप अल्तमश फराज और वीरेन बर्मन ने भी मीडिया के लिए फोटोशूट करवाया. इस कॉन्टेस्ट में मिस्टर इंडिया 2015 के ‌फर्स्ट रनरअप राहुल राजेशखरन को भी इनवाइट किया गया था.

मिस्टर इंडिया 2016 विनर विष्‍णु राज मेनन को 50 हजार रुपए दिए गए. वहीं फर्स्ट रनरअप वीरेन बर्मन को 40 हजार और सेकेंड रनरअप अल्तमश फराज को 30 हजार रुपए की इनामी राशि दी गई. ये तीनों अब पीटर इंग्लैंड ब्रांड के नए चेहरे होंगे.

“लोग मेरी फिगर व बोलचाल का मजाक उड़ाते थे”

‘क्वीन’ फिल्म से चर्चा में आने वाली अभिनेत्री कंगना रनौत आज बॉलीवुड की क्वीन कही जाती हैं. बेहद स्पष्ट भाषी और बोल्ड स्वभाव की कंगना ने फिल्मी दुनिया में गॉडफादर न होने के बावजूद अपने अभिनय के बल पर अपनी मंजिल पाईं. थिएटर से फिल्मों की ओर रुख करने वाली कंगना को बचपन से ही अभिनय का शौक था. उनके इस सफर में काफी मुश्किलें आईं, पर उन्होंने उन्हें दरकिनार कर अपना रास्ता तय किया.

शुरुआत में कई बार उनकी ईमानदारी, बोलने के लहजे और शरीर के आकार को ले कर काफी आलोचना की गई. लेकिन कंगना ने इस सब को नजरअंदाज किया. हिमाचल प्रदेश के एक छोटे से गांव की कंगना ने ‘गैंगस्टर’ फिल्म से अपने करियर की शुरुआत की थी. ‘क्वीन’ फिल्म उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट थी, जहां से वे फिल्म इंडस्ट्री में छा गईं.

अपने काम और उस की सफलता को ले कर वे अधिक चिंतित नहीं रहतीं, क्योंकि उन्हें हमेशा अभिनय करते रहना पसंद है. वे एकमात्र ऐसी अभिनेत्री हैं, जिसने ‘बी ग्रेड’ फिल्मों में भी काम किया है. चेतन भगत के नॉवल ‘वन इंडियन गर्ल’ के विमोचन पर उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश पेश हैं.

इस किताब की कोई ऐसी घटना, जिस से आप अपनेआप को रिलेट कर सकती हैं?

यह एक सैंसिटिव किताब है जिस की कई घटनाएं मुझ से जुड़ी हुई हैं खासकर कामकाजी महिलाओं से मैं अपने आप को जोड़ सकती हूं. मैंने कई जगह देखा है कि अगर कोई महिला पुरुष से सफल होती है तो उसकी वैल्यू कम हो जाती है.

अधिकतर पुरुष महिला को अपने से कमतर देखना चाहते हैं. वे आगे बढ़ने पर उसे कुछ न कुछ बात कह कर यह प्रूव करना चाहते हैं कि उनकी सोच सही नहीं. ऐसा मेरे साथ भी हुआ. इस से मुझ में और अधिक मेहनत करने की प्रेरणा जगी. दरअसल, किसी पुरुष की सफलता को महिला सब से अधिक सैलिब्रेट करती है. मुझे याद है कि मेरा रिलेशनशिप पार्टनर हमेशा मेरे विरुद्ध रहा.

जब मैं सफल नहीं थी, उस ने साथ दिया और ज्यों ही मैं सफल हुई, मेरा पार्टनर मुझ से ईर्ष्या करने लगा. उस का विश्वास मुझ से उठ गया और मेरा रिश्ता टूट गया. मैं बहुत दुखी हुई पर कोई चारा नहीं था, क्योंकि मैं अब पीछे नहीं जा सकती थी.

अभी आप एक सफल और सब से अधिक मेहनताना पाने वाली अभिनेत्री बन चुकी हैं. ऐसे में आप क्या कुछ खो रही हैं?

जीवन में सफलता के साथ प्यार जरूरी है और यह हर महिला के लिए आवश्यक है, जो मुझे नहीं मिला. जब मैं सफल हुई मुझ से मेरा प्यार छूट गया. मैंने हमेशा एक अच्छे जीवनसाथी की कल्पना की थी, जो मेरी सफलता को ऐंजौय करे, जो मुझे नहीं मिल पाया. ऐसे कम पुरुष होते हैं जो महिलाओं को सहयोग देते हैं. आज ऐसे पुरुषों की परिवार में आवश्यकता है. मुझे याद आता है जब मुझे पहली बार अवार्ड मिलने पर मैं ने एक पार्टी रखी तो मेरा बौयफ्रैंड खुश होने के बजाय अजीब नजर आया.

आप अपनी जर्नी को कैसे देखती हैं?

मैं ने जो करना चाहा, किया. मुझे इस बात का दुख नहीं कि मैं ने ‘बी ग्रेड’ फिल्में की हैं. मुझे जो फिल्म उत्साहित करे, उसे करती हूं. कोई मानदंड मैं ने अपने लिए तैयार नहीं किया है. मैं आगे बढ़ना चाहती हूं, इस में जो फिल्म मिल जाए उसे करती हूं. हर फिल्म मेरे लिए एक चुनौती ले कर आती है और जब फिल्म सफल होती है तो खुशी मिलती है.

एक आउटसाइडर को किसी फिल्म को न कहने का हक नहीं होता. यही वजह है कि आज मैं सफल अभिनेत्री बन पाई. फिल्म ‘गैंगस्टर’, ‘फैशन,’ ‘वो लम्हे,’ ‘तनु वैड्स मनु,’ ‘क्वीन,’ ‘कृष’ आदि सभी फिल्मों के द्वारा मेरी पहचान बनी. पहले लोगों ने मेरे पहनावे, बोलचाल और फिगर को ले कर मेरा काफी मजाक उड़ाया, पर मैं ने उसे नजरअंदाज किया. आज मेरे पहनावे की सब तारीफ करते हैं.

आप ऋतिक के साथ हुई कंट्रोवर्सी को कैसे लेती हैं?

मुझे बहुत अजीब लगता है कि 43 साल के बेटे को बचाने उस के पिता हमेशा क्यों आगे आते हैं. सारे बड़े नाम वाले पिता अपने बेटों को कितना अपने पीछे छिपा कर रखेंगे. उन का बेटा एडल्ट है. अपनी समस्या खुद सुलझा सकता है. वह मेरे सामने आए, मैं उस के किसी भी प्रश्न  का उत्तर देने के लिए तैयार हूं.

अगर आप को सुपर पावर मिले तो क्या बदलना चाहेंगी?

मैं पुरुष और समाज की सोच को बदलना चाहती हूं ताकि महिलाओं को अपनी इच्छानुसार सब कुछ करने का मौका मिले. उन की दखलंदाजी महिलाओं के जीवन में न हो.

आप के सपनों का राजकुमार कैसा होगा?

ऐसा इनसान जो मेरी सफलता से खुश हो, पर मिलना मुश्किल है. जब आप सफल नहीं होते तब आप का कोई मोल नहीं होता और सफल होने पर एक कंपीटिशन का सामना हमेशा करना पड़ता है. जब मैं सफल नहीं थी तो मैं क्या पहनूं, ड्रैस का मूल्य कितना है, कब सैक्स करूं, यह सब उस की मरजी पर निर्भर था. पर जब सफल हुई तो ‘ईगो’ सामने आया. इसलिए अब मैं सतर्क हो चुकी हूं और अपने काम पर ध्यान दे रही हूं.

क्या आप फैमिनिस्ट हैं?

नहीं, मैं नारीवादी हूं. मैं इसे ह्यूमनिज्म कहूंगी, जो एक पुरुष में होना चाहिए, जो बिना किसी शर्त के महिलाओं का साथ दे. सालों से महिलाएं त्याग के नाम पर प्रताडि़त की जा रही हैं. परिवार में बच्चों की देखभाल को एक जिम्मेदारी का नाम दिया जाता है. परिवार संभालने का काम कम नहीं होता. महिलाएं एक भविष्य का निर्माण कर रही हैं. मेरे हिसाब से एक हाउसवाइफ को मानसम्मान नहीं मिलता और करियर औरिऐंटेड महिला को प्यार और विश्वास नहीं मिलता. आधुनिक महिलाओं को ऐसी परिस्थिति से गुजरना पड़ रहा है.

आगे कौन सी फिल्में कर रही हैं?

कई फिल्में हैं. अभी मैं ‘सिमरन’ फिल्म की शूटिंग कर रही हूं, जिस में मैं एक तलाकशुदा महिला की भूमिका निभा रही हूं.

मनोज बाजपेयी सर्वश्रेष्ठ अभिनेता अवॉर्ड से सम्मानित

भारतीय अभिनेता मनोज बाजपेयी ने 10वें ‘एशिया पेसिफिक स्क्रीन अवार्ड्स’ में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीता. मनोज ने नवाजुद्दीन को मात देते हुए यह अवॉर्ड जीता. नवाजुद्दीन को इसी श्रेणी में एक विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

फिल्म जगत के क्षेत्र में सर्वोच्च सम्मान के तौर पर पहचाने जाने वाले ‘एशिया पेसिफिक स्क्रीन अवार्ड्स’ (एपीएसए) की घोषणा ब्रिस्बेन में आयोजित एक समारोह के दौरान की गई. आस्ट्रेलियाई अभिनेता डेविड वेन्हम ने इसकी मेजबानी की. 2016 में आयोजित यह समारोह ‘एशिया पेसिफिक स्क्रीन अवार्ड्स’ का 10वां संस्करण था.

दुनिया के सबसे तेजी से विकसित हो रहे फिल्मी क्षेत्र की सिनेमाई उत्कृष्टता और सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देने और पहचान दिलवाने के लिए इसका आयोजन किया जाता है.

मनोज बाजपेयी को निर्देशक हंसल मेहता की फिल्म ‘अलीगढ़’ में निभाई उनकी प्रोफेसर ‘सिरास’ की भूमिका के लिए यह पुरस्कार मिला. एपीएसए में यह उनका दूसरा नामंकन था. इससे पहले 2012 में उन्हें अनुराग कश्यप की फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ के लिए भी नामंकन मिला था.

नवाजुद्दीन सिद्दीकी को अनुराग कश्यप की फिल्म ‘रमन राघव 2.0’ के लिए विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

डेली डियो लगाने वाले हो जायें सावधान

हममें से 80 परसेंट लोग डेली परफ्यूम या डियो का इस्तेमाल करते हैं. कोई खुशबू बिखेरने के लिए इसका उपयोग करता है तो कोई पसीने की गंध से बचाव के लिए इसका इस्तेमाल करता है. प्रतिदिन त्वचा पर इस्तेमाल किए जाने वाले डियोडरेंट या परफ्यूम आपकी त्वचा और सेहत को बिगाड़ भी सकते हैं.

रोजाना आपके द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले डियोडरेंट या परफ्यूम में हानिकारक केमिकल मौजूद होते हैं, जो त्वचा में जलन पैदा कर उसे बुरी तरह से क्षतिग्रस्त करते हैं.

यह त्वचा में खुजली पैदा कर उसे हानि पहुंचाते हैं. कई बार इनमें मौजूद न्यूरो टोक्सिन सेंट्रल नर्वस सिस्टम को प्रभावित करते है. कई बार इनके कारण त्वचा में घाव या अजीब तरह के निशान बन जाते हैं जिनमें बैक्टीरिया पनप सकते हैं. इनमें मौजूद कुछ केमिकल सेहत को बिगाड़कर, हार्मोन्स में असंतुलन पैदा कर सकते हैं. हार्मोनल इम्बेलेंस का प्रभाव न केवल आपकी सेहत पर बल्कि आपके सौंदर्य पर भी पड़ता है. इसके अलावा महिलाओं में डियोडरेंट या परफ्यूम का प्रयोग मासिक धर्म संबंधी समस्याओं को जन्म दे सकता है.

कुछ डियोडरेंट या परफ्यूम पसीने को रोकने का कार्य भी करते हैं. इस प्रकार के उत्पाद में मौजूद केमिकल बेहद खतरनाक होते हैं. शरीर में से पसीना न निकलने के कारण कई हानिकारक व अवांछित तत्व बाहर नहीं निकल पाते है, जो सेहत के लिहाज से बेहद हानिकारक साबित होते हैं. डियोडरेंट या परफ्यूम में मौजूद केमिकल आपको अल्जाइमर दे सकते हैं. इसके अलावा सांस संबंधी समस्याएं पैदा करने में यह केमिकल सहायक साबित होते हैं. अत्यधिक तेज गंध होने के कारण यह नाक के तंतुओं को भी क्षतिग्रस्त कर सकते हैं.

आज के यूथ की सोच पर बनी फिल्म ‘डियर जिंदगी’

आज के यूथ और उनकी सोच को लेकर बनी निर्देशक गौरी शिंदे की फिल्म ‘डियर जिंदगी’ कुछ हद तक इसे दिखाने में सफल हुई है. ये सही है कि आज के युवा हर चीज जल्दी पा लेने की कोशिश करते हैं, पर रास्ते में आई समस्याओं से वे डर कर पीछे हट जाते हैं. ऐसे में क्या सही, क्या गलत इसकी समझ से परे, वे अपनी जिंदगी से दूर भागना चाहते हैं. जिसमें उनकी नींद, चैन सब कुछ खो जाती है. हर रिश्ता उनके लिए जंजाल लगता है.

‘इंग्लिश विंग्लिश’ की अपार सफलता के चार साल बाद गौरी शिंदे ने इस फिल्म को बनाई है, जिसमें अलिया भट्ट ने पूरी मेहनत कर अपनी अभिनय को निखारा है. उनका बार-बार अलग-अलग तरह का व्यवहार करना, उनका मानसिक रूप से टूट जाना, अकेले रहना आदि सभी भाव उन्होंने बखूबी निभाया है. इसमें आलिया का साथ अंगद बेदी, कुनाल कपूर, अली जफर, आदित्य रॉय कपूर और शाहरुख खान ने दिया है. शाहरुख खान मनोरोग चिकित्सक के रूप में जंचे हैं. फिल्म में गोवा और मुंबई के लोकेशन को अच्छी तरह फिल्माया गया है.

कहानी इस प्रकार है

कायरा (अलिया भट्ट) विदेश से सिनेमेटोग्राफी का कोर्स करने के बाद मुंबई में अपने दोस्तों के साथ मिलकर ऐड फिल्म्स बना रही होती है और उसे आगे चलकर बड़ी फीचर फिल्म बनाने की इच्छा है. काम के दौरान उसकी अच्छी पहचान रघुवेंद्र (कुनाल कपूर) के साथ होती है. दोनों की रिलेशनशिप ‘बेड’ तक पहुँच जाती है. ऐसे में जब वह अपने पुराने बॉयफ्रेंड सिड (अंगद बेदी) से यह बात कहती है तो वह उससे मुह मोड़ लेता है.

इधर कायरा जब वापस राघुवेंद्र के पास आती है तो उसे पता चलता है कि रघुवेंद्र अमेरिका एक बड़ी प्रोजेक्ट को लेकर अकेला जाने वाला है. वहां जाकर कुछ वजह से वह कायरा को इग्नोर करता है. ऐसे में कायरा गोवा अपने पेरेंट्स के पास जाती है, जहां उसे जाना कतई पसंद नहीं. वहां वह अपने पिता के एक दोस्त के होटल का वीडियो शूट करने के दौरान डॉ जहांगीर खान (शाहरुख खान) उर्फ जग से मिलती है. वह प्रभावित होती है और बार-बार मिलना जरुरी समझती है. वह उन्हें जीने की अलग-अलग तरीके बताते है. इस तरह कहानी धीरे-धीरे अंजाम तक पहुचती है.

कहानी अपने आप में पूरी है, लेकिन एक माता पिता अगर आर्थिक समस्या की वजह से अपने छोटी बच्ची को कुछ दिनों के लिए नाना-नानी या दादा-दादी के पास छोड़ जाते हैं और थोड़े दिनों बाद वापस आते हैं, तो गलत नहीं है. ऐसा हो सकता है. लेकिन ऐसे में बेटी का अपने माता-पिता से दूरियां बना लेना, हेट करना, किसी समस्या से भागना आदि कुछ हजम नहीं हुई.

फिल्म का पहला भाग अच्छा था पर दूसरे भाग में फिल्म धीमी थी और जरुरत से अधिक संवाद डॉक्टर जहांगीर और कायरा के बीच सिटींग में थी, जिसे कटशॉर्ट किया जा सकता था. फिल्म का टाइटल सांग ‘लव यू जिंदगी…’ कहानी के अनुसार थी. इसे थ्री स्टार दिया जा सकता है.

कम उम्र में ही सीख लें निवेश के गुर

सही समय पर अगर सही निवेश किया जाए तो आपका भविष्य सुनहरा हो सकता है. यहां निवेश से जुड़े कुछ ऐसे टिप्स हैं जो आपके सिक्योरड फ्यूचर के लिए जरूरी हैं.

1. कम बचत भी बेहतर

छोटी बचत भी बड़े काम की होती है. इसलिए हमें छोटी बचत में भी बड़ा फायदा सोचते हुए बचत की आदत डालनी चाहिए. मसलन, 8 वर्षों तक हर महीने 1000 रुपए इक्विटी फंड में निवेश कर आप तकरीबन 1 लाख रुपए की टैक्स फ्री रकम जमा कर सकते हैं.

2. टैक्स बचत की सही जानकारी

आमतौर 25 साल की उम्र में टैक्स सेविंग को लेकर युवा बहुंत गंभीर नहीं होते हैं. रेंट रिसिप्ट के जरिए मामूली टैक्स सेविंग के अलावा कोई बड़ी बचत या निवेश रणनीति युवाओं के दिमाग में नहीं आती. लेकिन उम्र के इस पड़ाव में अगर हम ELSS (Equity Linked Savings Scheme) जैसे निवेश विकल्पों में निवेश करने से टैक्स की बचत के साथ साथ अच्छे रिटर्न की भी संभावनायें हैं.

3. इक्विटी में निवेश की हो बेहतर जानकारी

लंबे समय तक इक्विटी फंड्स में निवेश आपको बेहतर रिटर्न दे सकता है. बीते 20 वर्षों के आंकड़े पर नजर डालें तो सेंसेक्स करीब 15 फीसदी की सालाना दर रिटर्न देने में सक्षम रहा है. ऐसे में अगर लंबे समय तक इंडेक्स फंड में ही आप सिप के माध्यम से निवेश करती हैं तो निश्चित तौर पर लंबी अवधि में बड़े रिटर्न प्राप्त कर सकती हैं.

4. उचित निवेश विकल्प का करें चुनाव

हमेशा ध्यान रखें कि अपनी बचत की रकम को ऐसी जगह निवेश करें जहां आपको रिटर्न महंगाई दर से ज्यादा मिले. मसलन, अगर आप बैंक में 8 फीसदी सालाना दर पर एफडी करवाती हैं और महंगाई की दर भी 8 फीसदी ही है तो आपके रिटर्न को महंगाई खत्म कर देती है. ऐसे में लंबे समय में आपके निवेश से आपको कोई फायदा नहीं होता है.

बालों से हर वक्त आयेगी भीनी-भीनी खुशबू

यह काफी नहीं है कि आपके बाल केवल दिखने में ही खूबसूरत लगें, बल्कि अगर उनमें खुशबू है तो आप किसी का भी ध्यान अपनी ओर खींच सकती हैं. बालों में खुशबू भरने के लिये आपको महंगे सीरम का प्रयोग करना जरुरी नहीं है बल्कि आप तो प्राकृति चीजों का भी प्रयोग कर सकती हैं.

बालों को अगर खुशबूदार बनाना है तो उन्हें गंदा बिल्कुल मत छोड़िये. क्या आप जानती हैं कि खुशबूदार तेल लगाने से भी आपके बाल महक सकते हैं. आज हम आपको कुछ आसान उपाय बताएंगे जिससे आप अपने बालों को महका सकती हैं.

बॉडी स्प्रे

अपने बालों पर बॉडी स्प्रे भी छिड़क सकती हैं. इससे आपके बालों में दिनभर खुशबू रहेगी. एक अच्छी क्वालिटी का स्प्रे खरीदें और उसे बालों से थोड़ी दूर पर स्प्रे करें, नहीं तो इसमें मौजूद अल्कोहल बालों की जड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है.

खुशबूदार शैंपू लगाएं

रेगुलर शैंपू खरीदने के मुकाबले खुशबूदार शैंपू थोड़ा महंगे होते हैं. मगर कुछ खास मौके के लिये आपके पास इस तरह का शैंपू भी होना चाहिये.

ड्राय शैंपू

जब आपके पास बालों को शैंपू करने का समय ना हो तो, आपको ड्राय शैंपू लगाना चाहिये. इससे आपके बाल ना तो चिपचिपे होंगे और उनमें अच्छी सी खुशबू भी आती रहेगी.

लीव-ऑन कंडीशनर

बहुत सारे लीव ऑन कंडीशनर में फलों की खुशबू आती है, जो कि काफी अच्छी लगती हैं. ये बालों को नमी प्रदान करते हैं.

तकिये का कवर चेंज करें

अपने तकिये के कवर को हर हफ्ते बदलें क्योंकि तकिये के कवर पर धूल मिट्टी जल्दी भर जाती है.

हेयर मास्क लगाएं

अपने बालों में हर हफ्ते एक हेयर मास्क लगाएं. इनसे मिलने वाली खुशबू पूरे हफ्ते बालों में रहती है. इसके अलावा यह आपके बालों में मजबूती भी भरता है.

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