कमर घटाने के आसान टिप्स

दिनभर की सारी थकान को दूर करने के लिए रात का टाइम सबसे अच्छा टाइम होता है. आप या तो रात में लाइट म्यूजिक सुनती हैं या फिर कोई बुक या मैगजीन पढ़कर रिलेक्स करती हैं. या फिर अपने प्यार के साथ लेट नाइट ड्राइव भी अच्छा ऑपश्न है. पर क्या आप जानती हैं रात को बस कुछ टिप्स अपनाकर आप अपनी कमर भी घटा सकती हैं? अगर आप अपने बढ़ते वजन से परेशान हैं तो जरा खुद के लिए भी समय निकाल लीजिए. ऐसे घटायें कमर:

1. खाने में नमक हो कम

अगर आप फैट लूज करना चाहती हैं तो रात के खाने में नमक की मात्रा को कम कर दें. डिनर में चाइनीज फूड न लें. हो सके उबली सब्जियां और सूप लें.

2. रात में करें एक्सरसाइज

एक सर्वे के अनुसार रात के समय वर्कआउट करने से अच्छी नींद आती है. अच्छी नींद से वजन वजन भी संतुलित रहता है. जब आप रात को प्रोपर नींद लेंगी तो आप सुबह भी फ्रेश फील करेंगी.

3. समय पर खायें खाना

ज्यादातर महिलायें काम के कारण ब्रेकफास्ट स्किप कर देती हैं और डायरेक्ट लंच करती हैं. पर वेट मेंटेन रखने के लिए टाइम पर खाना खाना बहुत जरूरी है.

4. बॉडी डिहायड्रेट न होने पाए

पानी आपके शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने का काम करता है. पर रात के समय ढेर सारा पानी पीने से बचें. सोने से पहले बस एक ग्लास पानी पिएं ताकि रात भर वॉशरूम जाने से बच सकें. दिन भर पानी पी कर बॉडी को डिहायड्रेट होने से बचायें.

5. सोते समय कमरे में हो अंधेरा

एक स्टडी के अनुसार हमारी बॉडी में बनने वाला मेलाटॉनिन शरीर से ब्राउन फैट को घटाने में मदद करता है. जब आप पूरी तरह अंधेरे में होती हैं तो शरीर में ज्यादा मेलाटॉनिन बनता है. इसलिए आप इस बात का ध्यान रखें कि सोते समय आपके बेडरूम का सारी लाइट्स बंद हों और कमरे में अंधेरा हो.

फिल्म रिव्यू : वजह तुम हो

बदले की भावना पर आधारित ‘‘हेट स्टोरी 2’’ और ‘‘हेट स्टोरी 3’’ के बाद विशाल पंड्या निर्देशित फिल्म‘‘वजह तुम हो’’ भी बदले की भावना पर आधारित कहानी है, जिसे चैनल हैकिंग और ईरोटिक फिल्म के रूप में प्रचारित किया गया. यह प्रचार तथा लेखक व निर्देशक की अपनी गलतियां इस फिल्म को ले डूबेगी. ‘हेट स्टोरी 2’ और ‘हेट स्टोरी 3’ का सशक्त पक्ष ईरोटिक सीन थे, जिसका ‘वजह तुम हो’ में घोर अभाव है.

लेखक निर्देशक विशाल पंड्या ने अपने आपको सिनेमा जगत का अति बुद्धिमान इंसान साबित करने के लिए कहानी व पटकथा के साथ इतने पैंतरेबाजी की, कि पूरी फिल्म तहस नहस हो गयी. दर्शक समझ ही नहीं पाता कि आखिर कौन क्या और क्यों करना चाहता है. इसके अलावा चैनल हैंकिंग का तकनीकी पक्ष इस तरह से बयां किया गया है कि वह दर्शकों के सिर के उपर से निकल जाता है. फिल्म खत्म होते होते दर्शक अपने आपको ठगा हुआ महसूस करने लगता है. निर्देशक व पटकथा लेखक वहीं अपनी फिल्म को तहस नहस कर देता है,जहां वह सोच लेता है कि वह दर्शकों को चकरघिन्नी की तरह नचाते हुए मूर्ख बना ले जाएगा.

फिल्म ‘‘वजह तुम हो’’ की शुरुआत होती है मुंबई पुलिस के एसीपी रमेश सरनाइक द्वारा एक बेगुनाह लड़के को बरी करने के लिए लड़के की प्रेमिका के साथ सेक्स संबंध बनाने से. फिर पुलिस स्टेशन जाते समय सरनाइकखुद को वफादार कुत्ता बताते हुए करण पारिख को फोन कर पैसा मांगता है. करण वादा करता है कि आज रात ही उसका हिसाब हो जाएगा. थोड़ी देर बाद एसीपी सरनाइक की कार पर हमला होता है. घायल सरनाइक गाड़ी से बाहर आता है, एक नकाबपोश उस पर कई वार कर घायल कर देता है. कुछ समय बाद ‘जीएनटीवी’चैनल पर सरनाइक की हत्या का लाइव प्रसारण होता है.

हड़कंप मच जाता है. इस कांड की जांच अपराध शाखा के ईमानदार इंस्पेक्टर कबीर देशमुख (शर्मन जोशी) करते हैं. कबीर को लगता है कर्ज में डूबे चैनल के मालिक राहुल ओबराय ने अपने चैनल की टीआरपी बढ़ाने के लिए यह सारा खेल किया है. पर राहुल व चैनल का तकनीकी हेड मैक पुलिस को संतुष्ट कर देते हैं कि यह चैनल की हैंकिंग का मसला है. राहुल ओबेराय (रजनीश दुग्गल) के बचाव में उसकी वकील सिया (सना खान) है, तो वहीं पुलिस की तरफ से सरकारी वकील रणवीर बजाज (गुरमीत चौधरी) हैं. सिया और रणवीर बजाज प्रेमी प्रेमिका भी हैं. रणवीर बजाज बार बार सिया को समझाने का प्रयास करता है कि वह राहुल से दूर रहे. राहुल सही इंसान नहीं है. कबीर की जांच के साथ फिल्म की कहानी हिचकोले लेने लगती है.

पूरी फिल्म की कहानी को साधारण तरीके से समझें तो करण पारिख और राहुल ओबेराय दोस्त हैं. राहुल के चैनल जीएनटीवी में करण का भी पैसा लगा है. करण बिल्डर भी है. एक दिन करण और राहुल गैरज में चैनल की कर्मचारी रजनी का बलात्कार करते हैं. इसका गवाह एक बूढ़ा इंसान शर्मा है. बतौर सरकारी वकील रणवीर बजाज को रजनी रेप कांड पहला मुकदमा मिलता है. पर रणवीर, करण के हाथों बिक जाता है. करण,राहुल और एसीपी सरनाइक मिलकर मिस्टर शर्मा को उनके घर में ही जला देते हैं.

अदालत में केस हारने के बाद रजनी व उसका प्रेमी मैक तथा शर्मा की बेटी अंकित शर्मा उर्फ सिया अब राहुल,करण व एसीपी सरनाइक से बदला लेने की योजना पर काम करते हैं. सिया राहुल के चैनल की लीगल हेड बन जाती है. जबकि मैक, राहुल के चैनल का मुख्य तकनीकी हेड बन जाता है. सिया ही पहले सरनाइक, फिर करण की हत्या करती है. मैक चैनल हैक कर हत्या का लाइव प्रसारण करता है. अब नंबर राहुल का आता है. पर राहुल मरने से पहले बता देता है कि सिया का अपराधी रणवीर बजाज भी है.

सिया, रणवीर को लेकर उसी जगह पहुंचती है, जहां पर वह सरनाइक, करण व राहुल की हत्या कर चुकी है. रणवीर कबूल करता है कि उसने महत्वाकांक्षा और बड़ा बनने के लिए रिश्वत लेकर करण व राहुल की मदद रजनी रेप कांड में की थी. यदि उसे पता होता कि शर्मा उनके पिता हैं, तो वह उन्हें मरने न देता. रणवीर का यह अपराध कबूलनामा फोन पर कबीर सुनता रहता है. फिर रणवीर व सिया के बीच मारपीट होती है. तभी कबीर पहुंचता है. कबीर, रणवीर को अपने साथ ले जाए, उससे पहले ही सिया उसे गोलियों से भून देती है. अंत में कबीर दिल की आवाज सुनकर सिया का केस बंद कर देता है और खुद पुलिस की नौकरी छोड़ देता है.

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो गुरमीत चौधरी व शर्मन जोशी ने ठीकठीक अभिनय किया है. मगर सना खान बुरी तरह से मात खा गयी हैं. सिया के किरदार में वह कहीं से भी फिट नजर नहीं आती. रजनीश दुग्गल ने फिर साबित कर दिखाया कि वह अभिनेता नहीं सिर्फ माडल हैं.

फिल्म की कहानी गडमड होने के साथ ही बहुत ही धीमी गति से चलती है. फिल्म की पटकथा बहुत ही घटिया है. लेखक के तौर पर विशाल पंड्या को यही समझम नहीं आया कि वह ईमानदार पुलिस अफसर की कहानी बताए या अय्याश, घूसखोर व अपराध को बढ़ावा देने वाले पुलिस अफसर की कहानी बताएं. विशाल पंड्या को इस बात का भी अहसास नहीं है कि चैनलों में काम करने वाली लड़कियां किस तरह की पोशाकें पहनती है. फिल्म में बलात्कार जैसे संजीदा मसले को भी को भी बड़ा हास्यास्पद बना दिया गया है. संवाद भी घटिया हैं.

जरीन खान और शर्लिन चोपड़ा के आइटम नंबर भी फिल्म तक दर्शकों को नहीं खींच पाएंगे. जहां तक संगीत का सवाल है, तो इस फिल्म में दो पुराने क्लासिक गीतों ‘पल पल दिल के पास’ तथा ‘ऐसे न मुझे तुम देखो’ को रीमिक्स कर नए अंदाज में पेश करते समय गाने की आत्मा ही नष्ट कर दी गयी. इन्हे सुनने के बाद लोग पुराने मौलिक गीत को भी नहीं सुनना चाहेंगे.

दो घंटे सोलह मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘वजह तुम हो’’ को भूषण कुमार और किशन कुमार ने‘‘टीसीरीज’’ के बैनर तले बनाया है. फिल्म के लेखक व निर्देशक विशाल पंड्या, संगीतकार मिठुन, अभिजीत वघानी व मीत ब्रदर्स, कैमरामैन प्रकाश कुट्टी तथा कलाकार हैं- गुरमीत चौधरी, सना खान, शर्मन जोशी,रजनीश दुग्गल, शर्लिन चोपड़ा, जरीन खान, हिमांशु मल्होत्रा व अन्य.

बनें स्मार्ट ट्रैवेलर

क्या आप सर्दी की छुट्टियों में कहीं घूमने जा रही हैं? तो इन टिप्स को अपनाकर पैकिंग करें. इन्हें अपनाने से आपका जरूरी सामान भी एडजस्ट हो जाएगा और आपका ज्यादा स्पेस भी नहीं लगेगा.

– बेल्ट्स को सूटकेस के घेरे के मुताबिक रखें. ऐसे रखने से ये रोल की तुलना में कम कम स्पेस लेते हैं.

– आप अपने जूतों में छोटी-छोटा चीजों को रख सकती हैं.

– सफर में पजामे या शॉर्ट्स आरामदायक होते हैं. पर सफर में जींस पहनें. सर्दियों में यह ठंड से बचाएगा और आपका लगैज भी थोजडा हल्का होगा.

– अगर बाहर जाने के दौरान आप कपड़े धो सकती हैं, तो हर टाइप की बस दो चीजें कैरी करें. जैसे दो टी-शर्ट्स, शॉर्ट्स के दो पेयर.

– चीजों को सूटकेस के जिप कंपार्टमेंट में रखने से भी स्पेस बचता है.

– ज्यादा कपड़ों के लिए आप ‘इंटरवीविंग मेथड’ यूज करें. सूटकेस में पहले पैंट्स और लंबी ड्रेसेज रखें. फिर उनमें जैकेट, शर्ट्स वगैरह रखें. कपड़ों की हर लेयर में टिशू पेपर रखने से रिंकल्स नहीं पड़ेंगे.

– पासपोर्ट, बर्थ सर्टिफिकेट वगैरह को जिप-लॉक बैग में रखें. इससे सारे डॉक्युमेंट्स एक जगह रहेंगे.

– अगर ट्रैवल के दौरान आप अपने साथ लैपटॉप, आईपॉड, हेयर ड्रायर, इलेक्ट्रिक रेजर वगैरह साथ ले रही हैं, तो यूनिवर्सल अडैप्टर रखें.

– चाबियां, सनग्लासेज, घड़ी वगैरह जींस या जैकेट की पॉकेट में रखकर जगह बचा सकती हैं.

– कॉस्मैटिक्स ट्रैवल साइज में खरीदें.

– मिक्स ऐंड मैच पैटर्न की ड्रेसेज रखें.

– बैग पैक कर रही हैं, तो हल्की चीजों को नीचे और भारी आइटम्स को ऊपर रखें. इस तरह सामान भी पूरा आएगा और बैग उठाने में भारी नहीं लगेगा.

‘आलिया हैं बॉलीवुड की बेस्ट किसर’

अर्जुन कपूर हाल ही में नेहा धूपिया के चैट शो में शामिल हुए और वहां कई दिलचस्प खुलासे किए. इसी सिलसिले में अर्जुन ने आलिया भट्ट को पर्दे की बेस्ट किसर के उपाधि से नवाजा.

जी हां, दरअसल ”नो फिल्टर नेहा” में अर्जुन से पूछा गया कि परिणीति चोपड़ा, करीना कपूर खान, दीपिका पादुकोण और आलिया भट्ट में से पर्दे पर बेस्ट किसर कौन है तो उन्होंने इनमें से आलिया का नाम चुना.

आपको बता दें कि अर्जुन फिल्म ‘टू स्टेट्स’ में आलिया के साथ काम कर चुके हैं और दोनों की जोड़ी दर्शकों को काफी पसंद आई थी. यह फिल्म चेतन भगत के उपन्यास पर आधारित थी.

अब अर्जुन की अगली फिल्म ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ भी उनके उपन्यास पर ही आधारित है. इसमें अर्जुन के अपोजिट पहली बार श्रद्धा कपूर नजर आएंगी. इसके अलावा अर्जुन फिल्म ‘मुबारका’ को लेकर भी चर्चा में हैं, जिनमें वो पहली बार अपने चाचा अनिल कपूर के साथ पर्दे पर दिखेंगे.

एक बार फिर साथ नजर आएंगे राम और साक्षी

टीवी सीरयल बड़े अच्छे लगते हैं की जोड़ी साक्षी तंवर और राम कपूर जल्द ही एक बार फिर साथ काम करने वाली है. जी हां, टीवी की ये पॉपुलर जोड़ी दोबारा साथ काम करने वाले हैं, लेकिन आपको बता दें कि ये टीवी सीरीयल में नहीं बल्कि एकता कपूर की वेब सीरीज में साथ नजर आएंगे. सूत्रों की मानें तो ये एक रोमांटिक लव स्टोरी होगी और इसका नाम ‘कहते हैं अपोजिट अट्रैक्‍ट्स’ रखा गया है.

इसे एएलटी बाजाली फिल्म्स के बैनर तले रिलीज किया जाएगा. एएलटी ने ट्विटर पर दोनों का एक वीडियो भी रिलीज किया है. इसमें राम और साक्षी दोनों अपने आने वाले सीरियल के बारे में बात कर रहे हैं.

हालांकि उन्होंने ना तो सीरीयल के नाम का खुलासा किया है और ना ही अपने किरदार के बारे में कुछ बताया है. अब दोनों का सीरीयल कैसे होगा ये तो बाद में ही पता चलेगा, तब तक हमें इंतजार ही करना होगा.

साक्षी की प्रोफेशनल लाइफ के बारे में बात करें तो वह जल्द ही फिल्म दंगल में नजर आने वाली हैं. फिल्म में वह आमिर खान की पत्नी के रोल में नजर आएंगी. फिल्म 23 दिसंबर को रिलीज होगी. फिल्म के ट्रेलर और गानों को खूब पसंद किया जा रहा है.

दंगल की कहानी हरियाणा के पहलवान महावीर सिंह फोगट की वास्तविक कहानी है जिन्होंने कोई बेटा नहीं होने पर अपनी बेटियों गीता और बबीता को पहलवानी के लिए ट्रेन किया और दोनों ने कॉनमवेल्थ गेम्स में कई मेडल भी जीते.

‘बिना गॉडफादर के अच्छी भूमिका मिलना मुश्किल’

मॉडलिंग से अपने करियर की शुरुआत करने वाली अभिनेत्री सना खान मुंबई की हैं. उन्होंने कई विज्ञापनों,फीचर फिल्म और टीवी रियलिटी शो में काम किया है. 17 साल की उम्र में उन्होंने पहली एड फिल्म शूट की थी. जिसको बहुत तारीफें मिली और एक के बाद एक एड करती गई. एड से ही उन्हें फिल्मों का ऑफर मिलना शुरू हुआ. अत्यंत बोल्ड स्वभाव की सना की फिल्म ‘वजह तुम हो’ रिलीज पर है उनसे मिलकर बात करना रोचक था. आइये जाने क्या कहती है सना अपने बारें में.

इस फिल्म का मिलना आपके लिए कितना उत्साहपूर्ण था?

इस फिल्म को लेकर मैं बहुत उत्साहित हूं. ‘वजह तुम हो’ के गाने और ट्रेलर लोगों को काफी पसंद आ रहे हैं. इस फिल्म में मैं एक वकील की भूमिका निभा रही हूं जो काफी चुनौतीपूर्ण है. इस फिल्म में मैं एक बहुत बड़ाकेस खुद अपने बॉयफ्रेंड के लिए लड़ रही हूं. यह अलग तरह की थ्रिलर स्टोरी है. जो मुझे पसंद आई और मैंने अभिनय किया. इसमें हर कलाकार जो बीच-बीच में आते है, सबका चरित्र अलग-अलग दिखाया गया है जिसे समझना काफी मुश्किल होता है. लेकिन इसमें मज़ा भी खूब है. जिसे आप पॉजिटिव समझ रहे है वह अंत में निगेटिव दिखता है.

अपने बारें में बताएं. यहां तक पहुचने की जर्नी कैसी रही?

जर्नी कैसी भी हो, पर उसमें आपको बहुत कुछ सीखने को मिलता है. वही आप को आगे बढ़ने में मदद करती है, क्योंकि कोई भी चीज आपको कभी भी आसानी से नहीं मिलती, हर काम में मेहनत होती है. मैंने रियलिटी शो से शुरू किया और फिल्मों की तरफ आई, काम थोड़ा स्लो हुआ है पर मैंने खुद यहां तक अपने आप को लायी हूं. आज मैं ‘वजह तुम हो’ में मुख्य भूमिका निभा रही हूं. इससे पहले साउथ की फिल्में कर चुकी हूं, अगर कुछअच्छा काम साऊथ में फिर मिले, तो करना चाहूंगी.

गॉडफादर न होने से इंडस्ट्री में काम का मिलना कितना कठिन होता है?

ये सही है कि इंडस्ट्री के बाहर के लोगो को काम का मिलना कठिन होता है. स्टार किड्स के लिए ये प्लस पॉइंट होता है कि दर्शक उनके काम को देखना चाहते हैं. उनकी पहली या दूसरी फिल्म फ्लॉप भी हो जाये तो भी उन्हें एक मौका फिर से मिलता है जो ‘आउट साइडर’ को नहीं मिलता. निश्चित तौर पर कुछ लाभ तो कुछ हानि भी होते हैं, क्योंकि उनकी तुलना उनके माता-पिता की एक्टिंग से भी की जाती है. इसके अलावा ‘स्टार किड्स’ बचपन से इंडस्ट्री के लोगों को जानते हैं, उनका ‘कम्फर्ट लेवल’ भी अच्छा रहता है. काम कहीं न कहीं उन्हें अपने दोस्तों या परिवार से मिल ही जाता है. बाहर के कलाकार को वह कठिनाई सबसे अधिक होती है.

आपको किस तरह के संघर्ष अधिक करने पड़े?

पहले तो काम का मिलना कठिन होता है फिर अच्छे रोल की चाहत होती है. कई बार ऐसे में जो भी मिलता है उसी में संतुष्ट होना पड़ता है, क्योंकि परदे पर आना, दिखना भी तो जरुरी है. एक काम से ही दूसरा काम मिलता है. अभिनय के लिए मौके का मिलना बहुत जरुरी है.

फिल्म का कौन सी पार्ट आपके लिए मुश्किल था?

फिल्म में अभिनय से अधिक डबिंग का पार्ट सबसे मुश्किल था. मैं रोज डर कर डबिंग के लिए जाती थी. सोचती थी कि किसी तरह से ये पूरा हो जाए, क्योंकि डबिंग में सीन्स के हिसाब से संवाद बोलने पड़ते हैं.

क्या फिल्मों में आना इत्तफाक था या बचपन से इच्छा थी?

इत्तफाक ही थी. मैंने कभी नहीं सोचा था कि फिल्मों में अभिनय करूंगी. मैं तो पढ़ लिखकर एक अच्छी जॉब कर सेटल होना चाहती थी. ये एक हॉबी की तरह शुरू हुआ था. कॉलेज के दौरान टाइमपास के लिए मॉडलिंग शुरू की थी और कब ये पैशन बन गया पता भी नहीं चला. अब यही करना चाहती हू.

आगे कौन सी फिल्में कर रही है?

अभी एक फिल्म ‘टॉम डिक एंड हैरी’  कॉमेडी फिल्म कर रही हूं, जिसकी शूटिंग शुरू हो चुकी है. वह अगले साल रिलीज़ होगी.

आपको किस तरह की फिल्मों में काम करना अधिक पसंद है?

मुझे रोमांटिक, एक्शन और थ्रिलर फिल्में बहुत पसंद हैं. लेकिन फिल्म चयन करते समय सबसे पहले मैं बैनर देखती हूं, उसके बाद निर्देशक, स्क्रिप्ट फिर स्टार कास्ट को देखती हूं.

आप किस तरह की फिल्में अधिक देखती हैं?

मैं हर तरह की फिल्में देखती हूं, क्योंकि हर कलाकार आपको कुछ नया सिखाता है. कही से बॉडी लैंग्वेज, तो कही से स्टाइल आदि आप ले सकते हैं और उसे अपने एक्टिंग में भी डाल सकते हैं. मुझे जेम्स बोंड और एंजेलिना जोली की फिल्में बहुत अच्छी लगती हैं.

आपके यहां तक पहुंचने में परिवार का कितना सहयोग रहा?

परिवार का सहयोग बहुत जरुरी है. मेरी मां का सबसे अधिक सहयोग रहा. मैं अपनी मां के साथ रहती हूं. मानसिक रूप से जब मैं परेशान रहती थी, तो उनका सहयोग हमेशा मिला.

तनाव आने पर क्या करती हैं?

तनाव होता है, पर उससे मैं अपने आप को दूर रखती हूं. अधिक तनाव होने पर मां से शेयर करती हूं.

कंट्रोवर्सी को कैसे लेती हैं? आप के साथ हुई घटनाओं में कितनी सच्चाई है?

कंट्रोवर्सी को मैं अधिक महत्व नहीं देती. जो हुई भी है, वह सारी अफवाह है. मैंने धीरज नहीं खोया और कानूनन जो करना है, कर रही हूं. इसलिए कई बार मैं मीडिया की खबरों पर ध्यान नहीं देती.

फिल्मों में इंटिमेट सीन्स करने में कितनी सहज हैं?

मैं तो कभी भी सहज नहीं हूं और चाहती हूं कि ऐसे दृश्य हो भी नहीं. लेकिन आज इंडस्ट्री बदल रही है. दर्शकों के टेस्ट बदल रहे हैं. स्क्रिप्ट अगर अच्छी है तो थोड़ी सी इंटिमेट सीन्स की वजह से मैं उसे छोड़ नहीं सकती, क्योंकि मैं एक कलाकार हूं और हर तरह के सीन्स करना है.

कितनी फैशनेबल और मेकअप पसंद करती हैं?

मुझे फैशन पसंद है. कहीं भी बिना अच्छी ड्रेस किये नहीं जाती. मेकअप भी अच्छा लगता है. मैं खुद अपना मेकअप और हेयर स्टाइल करती हूं.

समय मिले तो क्या करती हैं?

समय मिलता है तो घर पर सोती हूं. टीवी देखती हूं और घरवालों से बातें करती हूं, जिम जाती हूं, रीडिंग करती हूं और फिल्में देखती हूं.

आप कितनी फूडी हैं?

मैं सबकुछ खाती हूं. मुझे थोड़ी देर-देर बाद खाने का शौक भी है.

कहां घूमने जाना पसंद करती हैं?

वह बजट के अनुसार होता है. अधिक बजट है और समय है तो विदेश चली जाती हूं. नहीं तो आस-पास के जगहों जैसे लोनावाला, खंडाला, पुणे आदि जगहों पर घूमने जाती हूं.

किस बात से गुस्सा आता है?

जो झूठी बातें करते हैं. पीठ पीछे कुछ भी कहते हैं. सामने अच्छी बातें करते हैं.

‘कास्टिंग काउच’ का सामना आपको कभी करना पड़ा?

अवश्य करना पड़ा और इंडस्ट्री में सभी को करना पड़ता है. मैं मुंबई से हूं, पर शुरुआत में बहुत संघर्ष रहा, क्योंकि तब आपको कुछ पता नहीं होता है जिसका लाभ लोग उठाना चाहते है. ऐसे कई लोग आये जिन्होंने अजीब शर्त फिल्म में काम करने के लिए रखी. मैं सोचती हूं कि क्या उन्होंने अपना चेहरा आईने में नहीं देखा? आसपास गंदे लोग बहुत हैं. जिन्हें काम देना होता है वे ऐसी घटिया बातें नहीं करते.

क्रॉस बॉर्डर को लेकर आजकल कई बातें चल रही हैं, आपकी राय इस बारें में क्या है?

मेरे हिसाब से कला की कोई सीमा नहीं होती, लेकिन देश की बात करें, तो हमारे देश के निर्णय के साथ मैं हूं. इसके अलावा हमारे देश में बहुत टैलेंट है, उन्हें पहला मौका हमेशा मिलना चाहिए. ऐसा भी नहीं है कि जिन्हें वे विदेश से ला रहे हें, वे कोई ‘माइंड ब्लोइंग’ अभिनय कर रहे हैं. इसका अर्थ यह निकलता है कि हमारे निर्माता, निर्देशक गोरी चमड़ी पर अधिक फ़िदा हैं. नहीं तो बिना अभिनय टैलेंट के कई विदेशी कलाकार ऐसेहैं जो 10-15 फिल्में कर चुके है.

बिग बॉस में आतंक मचाने आ रहे हैं इमाम सिद्दीकी

बिग-बॉस के घर में आपने रोमांस, झगड़ा, दोस्ती और रोना-धोना सब देख लिया. लेकिन अब यहां आतंक मचने वाला है. जी हां, शो में अब एक ऐसे सेलेब्रिटी की एंट्री होने जा रही है जिसने पिछले कई सीजन में प्रतिभागी को अपनी डरावनी हरकतों से सदमे में पहुंचाया था. लेकिन उनका ये अंदाज दर्शकों को खूब पसंद आता है.

हम बात कर रहें हैं बिग बॉस 6 के कंटेस्टेंट इमाम सिद्दीकी की. इमाम सिद्दीकी आने वाले कुछ दिनों में बिग-बॉस के घर में एंट्री करेंगे. पिछले सीजन में भी इमाम एक हफ्ते के लिए घर में आए थे. एक बार फिर इमाम बिग बॉस के घर में दहशत फैलाएंगे. दर्शकों को इमाम की एंट्री का बेसब्री से इंतजार है.

सीजन 6 में उनका न्यूड सूट वाला एक्ट कौन भूल सकता है. उनके इस डरावने एक्ट की वजह से आशका गोराडिया ने खूब आंसू बहाए थे. इमाम एक ऐसे कंटेस्टेंट हैं जिन्होंने सलमान खान तक को नहीं बख्‍शा. पिछले सीजन में उन्होंने मजबूत प्रतिभागी प्रिंस नरुला और मंदाना करीमी के लिए भी परेशानियां खड़ी की थीं.

श्रीमतीजी डौगी और हम

श्रीमतीजीजब भी किसी हीरोइन को डौगी के साथ देखती हैं, तो उन के मुंह से आह निकल जाती है कि काश, उन के पास भी कोई विदेशी गबराझबरा डौगी होता. उस के साथ फोटो खिंचवातीं, सहेलियों पर रोब झाड़तीं और सुबहशाम वाकिंग पर जातीं.

एक दिन हम औफिस से घर पहुंचे, तो महल्ले की महिलाओं की बैठक जमी हुई थी और श्रीमतीजी दिल का दर्द बयां कर रही थीं.

‘‘अरे, आजकल तो डौगियों का जमाना है. एक से बढ़ कर एक विदेशी डौगी मिल रहे हैं. एक डौगी मुझे भी मिल जाए, तो मजा आ जाए. इन की भी अलग ही शान होती है.’’

सहेलियों के जाने के बाद श्रीमतीजी कोपभवन में चली गईं. हमें कोसते हुए रुदाली की तरह उन का रुदन शुरू हो गया.

‘‘अरे, मेरी शादी किस कंगाल से हुई है. एक भी डौगी नहीं है इस के पास… मेरी तो किस्मत फूट गई… शादी के पहले कितने अरमान थे डौगी के साथ घूमने के.’’

 

हम सोच रहे थे कि अरे, हम क्या किसी डौगी से कम हैं. जब से शादी हुई है श्रीमतीजी के आगेपीछे ही तो घूम रहे हैं. फिर भी अगले दिन हम औफिस से छुट्टी ले कर एक डौगी की तलाश में निकल पड़े.

अब सब से पहले हम ने डौगी बेचने वालों से जानकारी ली. तब मालूम हुआ कि डौगी की कीमत तो हजारों में है… और वह सब तो अपनी जगह है, उन को खिलानापिलाना भी डाइट चार्ट के अनुसार पड़ता है. भले ही खुद

भूखे रहें. इस के अलावा समयसमय पर डाक्टर से चैकअप भी कराना पड़ता है और टीके भी लगवाने पड़ते हैं, चाहे अपना इलाज न करवा पाएं. खुद गरमी या ठंड में पडे़ रहें, लेकिन डौगी के लिए कूलर और हीटर का इंतजाम करना ही पड़ता है. वैसे भी ये विदेशी डौगी बड़े नाजुक होते हैं. तुरंत कुम्हला जाते हैं.

हम ने अंदाज लगाया कि यदि सब कुछ ऐसा ही रहा तब या तो डौगी रह पाएगा या फिर हम. लेकिन श्रीमतीजी कुछ सुनने को तैयार नहीं थीं.

मामले की गंभीरता को समझते हुए हम ने श्रीमतीजी को समझाया कि देशी डौगी भी अच्छे होते हैं, इसलिए महल्ले के ही किसी डौगी को पाल लेते हैं. बेचारा दुआ भी देगा. उस का मेकअप करवा देंगे. बस काम चल जाएगा.

अगली सुबह हम घूमने निकले तब एक देशी डौगी हमारे पीछेपीछे आने लगा. हम ने उसे पुचकारा तो वह घर तक आ गया. पहले तो हम ने उसे दूधरोटी खिलाई, फिर बरामदे में चेन से बांध दिया. जब श्रीमतीजी ने उसे बड़े प्यार से देखा, तो हम जलभुन गए, क्योंकि शादी के बाद से आज तक इतने प्यार से श्रीमतीजी ने हमें भी नहीं देखा था.

फिर बोलीं, ‘‘देखोजी, डौगी तो प्यार के भूखे होते हैं. अब मैं अपना पूरा प्यार इसी पर लुटाऊंगी… शादी के बाद से आज तक इतना प्यार तो तुम पर भी कभी नहीं आया.’’

अगले दिन सुबह श्रीमतीजी ने डौगी की चेन पकड़ी और वाकिंग पर निकल पड़ीं. अब देशी डौगी बड़े गर्व के साथ श्रीमतीजी के साथ चल रहा था और उस के साथी उस से ईर्ष्या कर रहे थे. इसी दौरान दूसरे महल्ले के कुछ डौगी उस के पीछे लग गए और भूंकने लगे. अब श्रीमतीजी आगेआगे और 4-5 डौगी पीछेपीछे. किसी तरह श्रीमतीजी घर आईं और पलंग पर ढेर हो गईं. मालूम हुआ उन के पैर में मोच आ गई है. श्रीमतीजी की दवा पर हजार रुपए खर्च हुए और इस के बाद वे बैड रैस्ट पर आ गईं.

हम महसूस कर रहे थे कि हमारी परेशानियां कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं. अब हमें डौगी को संभालने के लिए औफिस से छुट्टी लेनी पड़ी. उसे बांध कर रखो तो भूंकता था, इसलिए लोगों की सलाह पर हम ने उसे घर में खुला छोड़ दिया. अब पूरे घर पर उस का राज हो गया. जब जहां मन होता वहां जाता. श्रीमतीजी ने अब उसे नहलानेधुलाने की जिम्मेदारी हमारे ऊपर डाल दी.

1 महीने की छुट्टी के बाद जब कामवाली रमिया बाई आई, तो हम ने सोचा चलो घर के काम से कुछ राहत मिलेगी. लेकिन डौगी ने उस के ऊपर छलांग लगा दी. उस से बचने के लिए बाई भागी तो गिर गई और उस के पैर में फ्रैक्चर हो गया. चूंकि दुर्घटना हमारे घर हमारे डौगी से हुई थी, इसलिए

उस का इलाज भी हमें ही करवाना और बिना तनख्वाह काटे 2 महीने की छुट्टी के अलावा 10 हजार भी देने पड़े. वरना उस ने पुलिस की धमकी दी थी. अब घर और डौगी का सारा काम हमारे ऊपर आ गया था.

चूंकि घर में डौगी था, इसलिए हम लोग बेफिक्र हो कर पार्टी, फंक्शन में जाने लगे थे. लेकिन अब यह आलसी हो चला था. एक बार हमारे घर में चोरी हो गई और यह मजे से ब्रैडमटन खाता रहा. हम ने सुना था कि डौगी मालिक के साथ बेवफाई नहीं करता है, लेकिन ब्रैडमटन के आगे इस ने मालिक से भी गद्दारी कर ली थी.

इस बार फिर श्रीमतीजी ने हमें डांटते हुए कहा, ‘‘अरे डौगी पाला है, कोई चूहा नहीं. आज तक तुम ने कभी इसे ब्रैडमटन खाने को दिया? नहीं दिया न, तो जिस ने दिया उसी का वफादार यह हो गया.’’

यह भी जिंदगी का एक सच था, इसलिए हम चुप हो गए.

जिंदगी में हम ने कभी किसी से उधार नहीं लिया था. लेकिन डौगी के चक्कर में हमारे ऊपर उधारी बढ़ती जा रही थी.

एक रात को डौगी ज्यादा ही भूंक रहा था. हम ने यह महसूस किया कि जब गली के डौगी भूंकते हैं तब किसी को परेशानी नहीं होती, लेकिन किसी का पालतू डौगी भूंके तो पड़ोसियों को जरूर तकलीफ होती है. सो इस बीच किसी ने पुलिस को खबर कर दी और उसी समय हमारे घर पुलिस और पशु संरक्षण विभाग के लोग आ गए. हमारे ऊपर डौगी को भूखा रखने का इलजाम लगा दिया गया.

हम ने कहा, ‘‘भाई साहब, ऐसी कोई बात नहीं है. देखो इस के पास ब्रैडबटर अभी भी रखा है… मैं ने भले ही कर्ज लिया हो, पर डौगी को हम ने कोई दुख नहीं होने दिया है.’’

इस पर इंस्पैक्टर ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘तो भाई साहब, अब थोड़ा सा कर्ज और ले लीजिए ताकि यह मामला भी सुलट जाए वरना जानवर पर अत्याचार के इलजाम में जेल और जुरमाना दोनों हो जाएंगे.’’

 

अक्लमंद के लिए इशारा ही काफी होता है, यह सोचते हुए हम ने अगले दिन औफिस में डौगी को पालने के लिए भविष्यनिधि से पैसा निकालने का आवेदन दे दिया. आदमी से ज्यादा डौगी को महत्त्व देते हुए हमारे औफिस वालों ने तुरंत 30 हजार रुपए स्वीकृत कर दिए, जबकि हम अपनी बीमारी के लिए पैसा निकलवाने के लिए चक्कर लगा रहे थे, जो अभी तक स्वीकृत नहीं हुआ था.

हमारे लिए यह खुशी की बात थी कि अब श्रीमतीजी का डौगी प्रेम कम होता जा रहा था, इसलिए एक दिन हम से बोलीं, ‘‘देखोजी, जो होना था सो हो गया. लेकिन कुछ भी हो डौगी से घर में शान तो रहती ही है और हम ने बाहर गेट पर ‘डौगी से सावधान’ का बोर्ड भी लगा दिया है. अब इसे निकालेंगे तो महल्ले में हमारी बदनामी होगी कि हम डौगी नहीं पाल सकते. वैसे भी यह मेरी भूल थी कि मैं ने कभी भी तुम्हें डौगी के बराबर इज्जत नहीं दी. मैं ने तो पहली रात को ही महसूस कर लिया था कि तुम ही मेरे सब से ज्यादा वफादार हो. अब भी तुम्हें वफादारी तो निभानी ही पड़ेगी. अब बस इतना करना है

कि जैसे ही दरवाजे पर किसी के आने की आहट हो तब तुम भूं…भूं… करने लगना. तब मैं कहूंगी कि सुनते हो जी, जरा डौगी को पीछे के बरामदे में बांध देना. समझ गए न?’’

इस डौगीपुराण से हम इतने आजिज आ चुके थे कि श्रीमतीजी की कोई भी शर्त मानने को तैयार हो गए. फिर एक रात के अंधेरे में हम ने चुपके से देशी डौगी को आजाद कर दिया.

अब श्रीमतीजी और घर की शान के लिए वक्तबेवक्त हमें ही भों…भों… करनी पड़ती है.

स्वादिष्ट थाई बैसिल चिकन

चिकन की तो बहुत सारे रेसिपी आपने ट्राई किया होगा लेकिन क्या आपने कभी थाई बैसिल चिकन बनाया है. नहीं ना. तो ट्राई करें बेहद ही स्वादिष्ट और लाजावाब थाई बैसिल चिकन.

सामग्री

1 बड़ा चम्मच औलिव औयल

1 बड़ा चम्मच अदरकलहसुन बारीक कटा

1 बड़ा चम्मच लैमन ग्रास बारीक कटी

1/4 कप हरे प्याज का सफेद भाग बारीक कटा

450 ग्राम चिकन कीमा

1 बड़ा चम्मच सोया सौस

1 छोटा चम्मच हौट सौस

नमक स्वादानुसार

1 छोटा चम्मच मिर्च क्रश्ड

1/4 छोटा चम्मच चीनी

7-8 बैसिल लीव्स

1/2 कप चिकन स्टौक

सजाने के लिए

1 अंडे का आमलेट

विधि

एक पैन में तेल गरम कर के अदरक, लहसुन व लैमन ग्रास सौटे करें. अब इसमें प्याज डाल कर भूनें और फिर चिकन कीमा के साथ बाकी सारी सामग्री मिला कर चिकन के पक जाने तक भूनें. आमलेट से गार्निश कर के गरमगरम परोसें.

व्यंजन सहयोग

शैफ रनवीर बरार

रुपयों का पेड़ उगायें

बहुत सारे पढ़ेलिखे लोग रुपएपैसे के मामले में ज्यादा जानकारी नहीं रखते हैं. जबकि बहुत सारे अनपढ़ लोग वित्तीय निर्णय के मामले में पढ़ेलिखे लोगों से भी ज्यादा समझदार व बुद्घिमान होते हैं. कई लोग पैसों को फुजूलखर्ची से बचा कर उस की हिफाजत करना और उन्हें सुरक्षित जगह इकट्ठा कर के रखना ही बुद्धिमानी भरा कदम मानते हैं. जबकि यह बिलकुल नामसमझी और अपने पैसों को नुकसान पहुंचाने वाला निर्णय होता है. ऐसा करने वाले अपने संचित धन की क्रयशक्ति को छीजने के लिए छोड़ देते हैं.

बुद्धिमान लोग अपनी बचत और कमाई के पैसों को वित्त बाजार रूपी खेत में बीज की तरह इस्तेमाल कर के उस से रुपयों के पेड़ उगाते हैं. इन्हें पैसों की खेती करनी आती है और सही जगह निवेश कर के रुपयों का पेड़ उगाना आता है. संचित धन कभी बढ़ता नहीं, बल्कि छीजता है जबकि निवेशित धन निरंतर बढ़ता है और अपने स्वामी को पूरा लाभ पहुंचाता है.

आइए जानते हैं कुछ बातें जिन से आप भी अपनी बचत के बीजों को रुपयों के पेड़ में तबदील कर सकेंगे.

पैसा छिपाएं नहीं, लगाएं

ज्यादातर लोगों में एक आम प्रवृत्ति होती है, पैसे को छिपा कर रखने और उस का गुप्त भंडारण करने की. इस की मूल वजह है टैक्स की बचत. लेकिन इस से मन में सदैव डर, संदेह और कर विभाग द्वारा जब्ती का जोखिम बना रहता है. वहीं, अगर आप पैसा एक नंबर में रखते हैं और उसे किसी अच्छी जगह निवेश करते हैं, तो न आप के मन में डर या संदेह रहेगा, न कर विभाग द्वारा छापामारी का भय. साथ ही, आप की रकम के बढ़ने की उम्मीद भी रहेगी.

ध्यान रहे, टैक्स की चोरी कर के, चोरीछिपे रखा धन आप का होने के बावजूद आप कभी भी उस के स्वामित्व का दावा नहीं कर सकते और न ही खुल कर उस का मजा ले सकते हैं. बेहतर होगा कि कर सलाहकार से टैक्स बचाने की तकनीकी जानकारी हासिल कर के उसे किसी अच्छी जगह लगाएं ताकि वह बढ़ कर आप के पास आए.

निवेश और बचत में फर्क

बचत और निवेश 2 अलगअलग चीजें हैं. माना कि बचत एक अच्छी आदत है लेकिन निवेश के बिना इस का पूरा फायदा नहीं उठाया जा सकता और असली मकसद भी पूरा नहीं हो सकता. जैसे, एक अच्छा बचतकर्ता बनने के लिए अनुशासन और दीर्घ अवधि की लगन की जरूरत होती है, ठीक उसी प्रकार उस के निवेश के लिए बेहद सावधानी और चुस्त,  सक्रिय दिमाग की जरूरत होती है. सही निवेश के लिए आप को थोड़ा सा लालची भी होना पड़ेगा ताकि आप अपनी गाढ़ी कमाई से बचाई गई रकम का अधिक से अधिक फायदा उठाने के लिए तत्पर रहें.

कई लोग यह सोच कर कि उन्हें तो वित्तीय मामलों की जानकारी नहीं, अपडेट, विश्लेषण करने की क्षमता नहीं, हाथ पर हाथ धर कर बैठ जाते हैं और अपने पैसे बैंक अकाउंट में डाल कर संतुष्ट हो जाते हैं या फिर इधरउधर से सुनीसुनाई टिप्स के आधार पर शेयर्स खरीद लेते हैं. ऐसे लोगों को समझना होगा कि जैसे आप चिकित्सा के लिए डाक्टर और मुकदमा लड़ने के लिए वकील की मदद लेते हैं, ठीक उसी प्रकार वित्तीय मामलों के लिए अच्छे फाइनैंशियल एडवाइजर की मदद लेनी पड़ती है.

बचत खाते में न रखें सारा पैसा

आप के बचत खाते में सारी रकम को इकट्ठा रखना नादानीभरा निर्णय है. इस से आप को बमुश्किल 4-5 फीसदी सालाना ब्याज मिल पाता है. अगर आप के पास पैसा है और आप उस के सही निवेश का निर्णय नहीं ले पा रहे या निवेश के लिए सही समय या माध्यम का इंतजार कर रहे हैं, तो भी बड़ी रकम को बचत खाते में संचित रखना बेकार है.

इस के बजाय आप को उक्त अवधि के लिए बैंक में फिक्स्ड डिपौजिट कर देना चाहिए जहां आप को 8.5 फीसदी के आसपास रिटर्न मिलता रहता है या फिर बैंक में ‘स्विप इन’ या फ्लैक्सी अकाउंट खोलें, जिस में एक खास सीमा के बाद आप के रुपए फिक्स्ड डिपौजिट अकाउंट में चले जाते हैं, जिन्हें आप जब चाहें बिना पैनल्टी दिए निकाल सकते हैं.

अलग अलग जगह लगाएं पैसा

इन्वैस्टमैंट का एक गोल्डन रूल है- सारा पैसा कभी भी एक जगह निवेश न करें. दरअसल, कोई भी जगह या माध्यम सौ फीसदी सुरक्षित या जोखिम रहित नहीं है. अपने वित्तीय सलाहकार और अपने शुभचिंतक, क्वालीफाइड लोगों से राय लेने के बाद, खुद की सूझबूझ से रकम को अलगअलग कई हिस्सों में बांट लें और उन्हें रिटर्न मिलने व जोखिम की दर के मुताबिक कम या ज्यादा अलगअलग जगह निवेश कर दें.

निवेश के लिए कई रास्ते हैं जैसे म्यूचुअल फंड में कुछ पैसा एकमुश्त लगाएं, तो कुछ पैसा एसआईपी यानी सिस्टेमैटिक इन्वैस्टमैंट प्लान के माध्यम से लगाएं, कुछ पैसा बैंक में फिक्स्ड डिपौजिट करें, कुछ पैसा शेयर बाजार में फंडामैंटली स्ट्रौंग कंपनियों के शेयर खरीदने में लगाएं, कुछ पैसों का सोना खरीदें और प्रौपर्टी भी खरीदें. इस प्रकार आप का पैसा चौतरफा लगा रहेगा, तो कभी भी किसी अनहोनी में आप पर वज्रपात जैसी स्थिति उत्पन्न नहीं होगी. वैसे तो लाइफ इंश्योरैंस पौलिसी का मूल उद्देश्य मृत्यु के बाद पतिपत्नी और बच्चों के लिए कुछ व्यवस्था करने का होता है पर यह भी अप्रत्यक्ष रूप से निवेश  का एक साधन है, जिसे हर किसी को अपनाना चाहिए.

फाइनैंस वर्ल्ड की रखें खबर

वित्त संबंधी निर्णय सही तरीके से लेने में खुद को सक्षम बनाने के लिए आप को मनी वर्ल्ड की खबरों से अपडेट होना पड़ेगा. यह काम बहुत कठिन नहीं है. बस, आप को अपने दैनिक अखबार में फाइनैंस और कारोबार से जुड़ी खबरों पर ध्यान देना होगा, फाइनैंस से जुड़े अखबार पढ़ने की आदत डालनी होगी और बिजनैस खबरों पर केंद्रित व फाइनैंस से जुड़े टीवी चैनल देखने होंगे.

इन सब चीजों से आप को वित्तीय जगत से जुड़ी बहुत सारी जानकारियां मिलने लगेंगी और आप काफी हद तक निवेश व रुपएपैसों से जुड़ी बारीकियां समझने लगेंगे. इन सब के साथ, अच्छे लेखकों व वित्तीय सलाहकारों की किताबें पढ़ने की आदत भी डालें. इस से आप को निवेश की सही योजना बनाने में सुविधा होगी.

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