कभी नहीं पूरा हो पाएगा दीपिका का सपना

दीपिका पादुकोण बॉलीवुड में अब सबसे ज्यादा फीस लेने वाली एक्ट्रेस की लिस्ट में शामिल हैं. लेकिन उनकी भी एक इच्छा है जो कि अभी तक पूरी नहीं हुई है. फिल्मफेयर को इंटरव्यू देते हुए दीपिका ने बताया, ‘मेरी इच्छा थी कि एक बार फिल्ममेकर यश चोपड़ा के साथ काम जरूर करूं. मैं उनकी बहुत बड़ी फैन थी.’

हालांकि, दीपिका की यह इच्छा पूरी नहीं हो पाई. भारत में लव स्टोरी का एक नया नजरिया पेश करने वाले यश चोपड़ा का साल 2012 में निधन हो गया था. उन्होंने सिलसिला और वीर-जारा जैसी प्रेम कहानी पर आधारित मूवीज बनाई थीं.

यश चोपड़ा शाहरुख खान और अनुष्का शर्मा के साथ जब तक है जान मूवी पर काम कर रहे थे, तभी उन्हें डेंगू हो गया और उनका अचानक निधन हो गया. उनके निधन से बॉलीवुड में शोक की लहर फैल गई थी. जब तक है जान में काम करने वाली कैटरीना कैफ और अनुष्का शर्मा आखिरी एक्ट्रेस थीं, जिन्हें यश चोपड़ा के साथ काम करने का मौका मिला है. यश चोपड़ा के साथ काम नहीं करने का मौका मिलने का दीपिका को पछतावा है.

दीपिका अभी अपनी पहली हॉलीवुड मूवी के प्री-रिलीज वर्क में बिजी हैं. दीपिका अपनी पहली मूवी ट्रिपल एक्स में विन डीजल के साथ नजर आएंगी. यह मूवी साल 2017 में रिलीज होगी.

अभी दीपिका संजय लीला भंसाली की पद्मावती में काम करने की तैयारी कर कर रही हैं. संजय लीला भंसाली की यह मूवी अलाउद्दीन खिलजी का रानी पद्मावती के प्रति आकर्षण पर आधारित होगी.

अपने प्रशंसको को डराना चाहती हैं जैकलीन

ढिशूम के बाद जैकलीन फर्नांडीस की नई फिल्म फ्लाइंग जट 25 अगस्त को रिलीज होगी. फिल्म में टाइगर श्रॉफ देसी सुपरहीरो की भूमिका में हैं और उनकी हीरोईन होंगी जैकलीन. अलग-अलग फिल्मों में प्रेमिकाओं के किरदार के बाद अब जैकलीन कुछ हटकर सोच रहीं हैं.

जैकलीन के मुताबिक इंडस्ट्री में सात साल के कॅरियर में हीरोईन के रोल के बाद कुछ अलग करना चाहती है. वे अब विलेन की भूमिका निभाकर अपने प्रशंसकों को डराना भी चाहती हैं.

किक और हाउसफुल जैसी फिल्मों में काम कर चुकी जैकलीन ने कहा कि इस साल वे काफी ग्लैमरस रोल में दिखीं और अब वे विलेन जैसी भूमिका देख रही हैं. जैकलीन के मुताबिक वो प्रेमिका के किरदार को भी पंसद करती हैं.

फ्लाइंग जट में बारे में बताते हुए जैकलीन ने कहा कि उन्हें सुपरहीरो के जादू काफी पंसद हैं और उन्होंने इसका भरपूर मजा भी लिया. फिल्म में अपने सुपरहीरो के बारे में जैकलीन ने कहा कि टाइगर बहुत ही सपोर्टिव और पेशेवर को-स्टार हैं, जिन्होनें मुझे काफी प्रभावित किया हैं.

श्रीलंकन मूल की इस बॉलीवुड स्टार एक्ट्रेस ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट के बारे में भी बताया. जैकलीन ने कहा कि वो टाइटेनिक फेम लियोनार्डो डिकैप्रियो के साथ काम करना चाहती हैं. जैकलीन के मुताबिक वो लियोनार्डो डिकैप्रियो की सबसे बड़ी फैन है और वे उनके बचपन का क्रश भी हैं.

22 साल बाद साथ आएंगे सलमान-श्रीदेवी

सलमान खान बॉलीवुड के सबसे कामयाब एक्टर तो पहले ही हैं, अब बतौर प्रोड्यूसर भी काफी एक्टिव हो गए हैं. सलमान अपने बैनर तले दूसरे फिल्ममेकर्स को लगातार मौके दे रहे हैं.

अब खबर है, कि सलमान विपुल शाह की फिल्म को प्रोड्यूस कर सकते हैं. सलमान के प्रोडक्शन हाउस को विपुल की स्क्रिप्ट काफी पसंद आई है, जो एक मां-बेटी के रिश्ते की कहानी है. लेकिन बड़ी खबर ये है कि इस फिल्म के लिए हिंदी सिनेमा की हवा-हवाई गर्ल श्रीदेवी को एप्रोच किया जा रहा है.

ये महिला-प्रधान फिल्म होगी, जिसमें श्रीदेवी को मां का किरदार ऑफर किया गया है. सुनने में ये भी आया है, कि बेटी के रोल के लिए पहले अक्षरा हासन का नाम खबरों में आ रहा था, लेकिन पाकिस्तानी एक्ट्रेस सजल अली भी रेस में बताई जा रही हैं. वहीं नवाजउद्दीन सिद्दीकी इस फिल्म में स्पेशल एपीयरेंस करेंगे.

अगर श्रीदेवी इस फिल्म को एक्सेप्ट कर लेती हैं, तो सलमान खान के साथ उनका रीयूनियन होगा. दोनों ने नब्बे के दशक में चंद्रमुखी (1993) और चांद का टुकड़ा (1994) में काम किया था.

‘इंग्लिश-विंग्लिश’ की सक्सेस के बाद हिंदी सिनेमा ने श्रीदेवी को बदले हुए नजरिए से देखना शुरु कर दिया है. अब उन्हें ऐसे किरदार ऑफर किए जा रहे हैं, जिन्हें पर्दे पर निभाना एक चुनौती हो, और श्रीदेवी भी इस चेलेंज को स्वीकार करने के लिए तैयार दिखती हैं.

परिणीति-सूरज करेंगे ‘सर्कस’

सलमान खान के बैनर तले बनी फिल्म ‘हीरो’ से बॉलीवुड में एंट्री करने वाले सूरज पंचोली अब परिणीति चोपड़ा के साथ ‘सर्कस’ में काम करते नजर आएंगे.

फिल्म ‘सर्कस’ को कोरियॉग्राफर बॉस्को मार्टिन डायरेक्ट कर रहे हैं. यह उनके डायरेक्शन में बनने वाली पहली फिल्म होगी. सूत्रों के अनुसार, फिल्म की शूटिंग दिसंबर से शुरू कर दी जाएगी. फिल्म एक म्यूजिकल ड्रामा है, जिसमें सुनील शेट्टी भी अहम भूमिका में नजर आने वाले हैं.

वहीं हाल में खबर आई थी कि सूरज सुनील की ही फिल्म ‘धड़कन’ के सीक्वल में भी नजर आएंगे. सूरज खुद को सुनील शेट्टी के काफी करीब मानते हैं.

दरअसल, सूरज ने अपनी पहली फिल्म की शुरुआत सुनील शेट्टी की बेटी आथिया के साथ ही की थी. ऐसे में इनके बीच मजबूत बॉन्ड बनना लाजमी है. हालांकि सूरज को बॉलीवुड में टिके रहने के लिए एक हिट फिल्म की बहुत जरूरत है, क्योंकि सूरज की डेब्यू फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं कर पाई थी. वहीं ‘सर्कस’ में सूरज के ऑपोजिट काम करने जा रहीं परिणीति को भी एक हिट फिल्म की अदद तलाश है.

कहीं मुसीबत न बन जाए जंगल की सैर

कुछ लोगों को ट्रवेल करना बेहद पसंद होता है. कभी रेगिस्तान के बीहड़ की सैर तो कभी जंगल की हरियाली का मजा लेने ये लोग निकल पड़ते हैं बिना ये सोचे कि ऐसी जगहों पर जाने के लिए विशेष तैयारी की जरूरत होती है. जंगल या वाइल्‍ड एन्‍वायरमेंट में कभी भी बिना योजना बनाए नहीं जाना चाहिए. अगर आप जंगल को जानते हैं तो भी एक-दूसरे के साथ रहना जंगल में सैर के मज़े को दोगुना कर देता है. यहां हम कुछ ऐसे टिप्स बता रहे हैं जो जंगल में ट्रेवल करते जाते वक्‍त आपके लिए मददगार साबित हो सकते हैं.

अगर आप कभी किसी ऐसे एरिया में ट्रेवल करने वाले हैं जहां पर फोन, पुलिस और इनफ्रास्ट्रक्चर नहीं है तो आपको किसी को इनफॉर्म करना चाहिए कि आप कहां जा रहे हैं और आप कब तक वापस लौटकर आ पाएंगे. आपको ये भी इनफॉर्म करना चाहिए कि आप कब तक सुरक्षित आ सकते हैं .

तैयारी का मतलब सिर्फ यह नहीं है कि आप अपनी ट्रिप के लिए क्या लेकर जा रहे हैं. तैयारी का मतलब ये भी है कि जहां आप जा रहे हैं उस जगह को कितना जानते हैं. इसलिए अपनी ट्रिप पर जाने से पहले आप रिसर्च करें और जहां जाएं वहां के वेदर कंडीशन्स और खतरों के बारे में पहले से ही पता कर लें.

जिस एरिया में आप ट्रेवल करने वाले हैं अगर उसके बारे में आपको जानकारी नहीं है तो एक लोकल गाइड हमेशा अपने पास रखें. इन गाइड्स को अकसर ऐसे रास्‍तों की जानकारी होती है जो मुसीबत में आपके काम आ कर सकते हैं.

जंगलों में कब और किस वक्त बारिश हो जाए कहा नहीं जा सकते. ऐसे में मुसीबत से बचने के लिए अपने पास एक रेनकोट जरूर रखें. जंगल में पानी देखकर अगर आपकी स्विमिंग करने की इच्‍छा जाग जाए तो ये सुनिश्चित कर लें कि इस पानी में किसी प्रकार का कोई कीड़ा या जानवर न हो.

भूलने की बीमारी है तो अपनाए ये टिप्स

एरोबिक व्यायाम करने से मेमोरी लॉस और सिजोफ्रेनिया जैसी बीमारियों के शिकार लोगों की याद्दाश्त में सुधार होती है. एक नए शोध में यह बात सामने आई है.

सिजोफ्रेनिया जैसी दीर्घकालिक मानसिक समस्या का आमतौर पर दवाइयों से इलाज किया जाता है. लेकिन इससे याद्दाश्त में बहुत ज्यादा सुधार नहीं होता. प्रमुख शोधार्थी ब्रिटेन के मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के जोसेफ फिर्थ का कहना है, सिजोफ्रेनिया जैसी बीमारी में याद्दाश्त का कमजोर पड़ना इस बीमारी का एक पहलू है.

इसके कारण लोगों का निजी और सामाजिक जीवन काफी ज्यादा प्रभावित हो जाता है. इस शोध के निष्कर्षों से पता चलता है कि 12 हफ्तों तक एरोबिक व्यायाम करने से मरीज की याद्दाश्त काफी सुधरती है.

साथ ही वह एक समय में अधिक चीजों को भी याद कर पाता है. शोधकर्ताओं ने बताया कि इस शोध से यह भी पता चला कि जिन मरीजों ने ज्यादा से ज्यादा एरोबिक कसरत की थी, उनकी याद्दाश्त पर उतना ही अच्छा प्रभाव पड़ा.

फिर्थ आगे कहते हैं, इस शोध में सिजोफ्रेनिया के मरीजों के इलाज में शारीरिक व्यायाम के असर का बड़े पैमाने पर पहली बार सबूत मिला है. वे आगे कहते हैं, इस बीमारी की शुरुआत में ही अगर कसरत शुरू कर दी जाती है तो यह दीर्घकालिक रूप से याद्दाश्त खोने जैसे दुष्प्रभाव से बचा सकता है. साथ ही मरीज जल्दी स्वस्थ भी होता है. यह शोध हाल ही में सिजोफ्रेनिया बुलेटिन में प्रकाशित हुआ है.

क्रायोथेरेपी से पाएं सुंदर बेदाग त्वचा

क्रायोथेरेपी का उपयोग हॉलीवुड की अधिकतर अभिनेत्रियां खुद को जवां रखने के लिए करती हैं. यह थेरेपी आपकी त्वचा को बेदाग रखती है. इस थेरेपी में आपको या आपकी त्वचा को -140 डिग्री या उससे नीचे के तापमान में रखा जाता है. जिसके कारण ब्लड, स्किन के सर्फेस तक पहुंच जाता है. जिससे त्वचा की अशुद्ध चीजों को खून शुद्ध करता है. जिसके बाद आपकी त्‍वचा में बेदाग निखार हो जाता है.

इस ट्रीटमेंट में क्या होता है?

इस ट्रीटमेंट में आपके त्वचा के खराब हिस्सों या घाव वाले त्वचा को तरल नाइट्रोजन के जरिये फ्रीज किया जाता है जिससे त्वचा से जुड़ी सारी अशुद्धियां तुरंत खत्म हो जाते हैं.

इसके क्या फायदे हैं?

इस ट्रीटमेंट से मस्से, अनचाहे तिल, घातक ट्यूमर या उनकी वृद्धि और सनबर्न स्कीन को ठीक किया जाता है. इसके अलावा मुँहासे और गहरे घाव के इलाज के लिए भी इस थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है.

क्या सभी इस्तेमाल कर सकते हैं?

नहीं. इसका इस्तेमाल केवल कुछ लोग ही कर सकते हैं. सबसे पहले डर्मेटोलॉजिस्ट आपकी त्वचा की जांच करते हैं उसके बाद आपको ये ट्रीटमेंट रिकमेंड करते हैं.

इन लोगों के लिए नहीं है ये ट्रीटमेंट

बच्चों और 18 साल से कम किशोरों व एसएलई के मरीजों को क्रायोथेरेपी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

ट्रीटमेंट के साइडइफेक्ट

इरिटेशन, नेकरोसिस (किसी भी बॉडी टिशू का मरना) और इन्फेक्शन इस ट्रीटमेंट के साइड इफेक्ट हैं. इसके लिए फ्रीक्वेंट सीटिंग जरूरी है.

ट्रीटमेंट का चार्ज

यह ट्रीटमेंट की वेरायटी पर निर्भर करता है कि आप किस प्रकार की त्वचा के लिए ट्रीटमेंट ले रहे हैं. वैसे 2,000 रुपये इस ट्रीटमेंट का मिनिमम चार्ज है.

हैप्पी भाग जाएगीः हास्य के साथ रोमांटिक यात्रा

फिल्म की कहानी हैप्पी (डायना पेंटी) और गुड्डू (अली फजल) की प्रेम कहानी के इर्दगिर्द घूमती है. यह प्रेम कहानी लाहौर व अमृतसर यानी कि भारत व पाकिस्तान के बीच चलती है. फिल्म शुरू होती है अमृतसर में पाकिस्तानी प्रतिनिधि मंडल व भारतीय प्रतिनिधि मंडल के बीच बातचीत से. जहां पाकिस्तान के पूर्व गर्वनर जावेद अहमद (जावेद शेख) अपने बेटे बिलाल अहमद (अभय देओल) के साथ पहुंचे हैं. बिलाल की रूचि क्रिकेट में है, तो वह बैठक से गायब होकर गली के बच्चों के साथ क्रिकेट खेलने लगते हैं. उधर हैप्पी के पिता (कंवलजीत), हैप्पी की शादी स्थानीय गुंडे व कारपोरेटर बग्गा (जिम्मी शेरगिल) के साथ करा रहे हैं. जबकि हैप्पी तो गुड्डू से प्यार करती है.

इसलिए गुड्डू के साथ हैप्पी योजना बनाती है. अब हैप्पी को मेंहदी की रस्म वाले दिन गुड्डू के दोस्त विंकी के फूलों के ट्रक में बैठकर भागना है. पर वह अपने घर की खिड़की से जिस ट्रक पर कूदती है, वह ट्रक बिलाल का होता है. इसी ट्रक में रखी एक बहुत बड़ी टोकरी में हैप्पी छिप जाती है. बिलाल अपने ट्रक के साथ वापस लाहौर, पाकिस्तान पहुंच जाता है. बिलाल के घर टोकरी पहुंचने पर हैप्पी निकलती है, तो हैप्पी, गुड्डू के बारे में पूछती है. इधर बिलाल परेशान हैं कि वह लड़की उस टोकरी में कैसे? पर जब राज खुलता है कि हैप्पी अपने प्रेमी गुड्डू के लिए भागी है और वह पाकिस्तान पहुंच चुकी है, तो भी वह डरती नहीं है.

मगर बिलाल को पाकिस्तान में अपने पिता की इज्जत पर धब्बा लगने का डर सताता है. इसलिए बिलाल, हैप्पी को फिर से अमृतसर भिजवाने की बात करता है. यह सुनकर हैप्पी बिलाल के घर से भागती है. रास्ते में पाकिस्तानी पुलिस का एसीपी उस्मान अफरीदी (पीयूष मिश्रा) उसे भारतीय जासूस समझकर पकड़ लेता है. पर हैप्पी उसे धमकाते हुए बताती है कि वह अहमद साहब की मेहमान है. फिर पुलिस स्टेशन से हैप्पी को बिलाल लेकर जाता है. और अपने पिता को बिना बताए हैप्पी को घर में छिपाकर रखता है. इधर बिलाल की मंगनी उनकी बचपन की दोस्त जोया (मोमल शेख) से हो चुकी है. जब बिलाल की गाड़ी में बैठी हैप्पी पर जोया की नजर पड़ती है, तो उसे बुरा लगता है. वह बिलाल से सवाल जवाब करती है. बिलाल उसे सच बताता है, पर पहले जोया को यकीन नहीं होता. पर फिर वह भी हैप्पी को भारत वापस भिजवाने की बिलाल की योजना में मदद करना शुरू करती है.

बिलाल योजना बनाता है कि वह अमृतसर जाकर गुड्डू को लाहौर लेकर आएगा. लाहौर में गुड्डू व हैप्पी की शादी कराकर उन्हें वापस अमृतसर भिजवा देगा. अब बिलाल अपने पाकिस्तानी पुलिस अफसर दोस्त के साथ अमृतसर जाता है. वहां पर बग्गा व गुड्डू को अलग अलग ढंग से समझाकर गुड्डू को लाहौर ले आता है. पर बग्गा को पता चल जाता है कि हैप्पी लाहौर में है. अब बग्गा, हैप्पी के पिता को साथ लेकर लाहौर आता है. इसी बीच बग्गा का साथी लाहौर के अपने दोस्त व गुंडे रशीद से कह कर हैप्पी को अगवा करा लेता है.

गुड्डू के लाहौर पहुंचने के साथ ही बिलाल अपने पिता को समझाता है कि उनकी इज्जत को बढ़ाने के लिए उसने सौ लड़कियों के सामूहिक विवाह का आयोजन करने का फैसला किया है. बिलाल इसी समारोह में गुड्डू व हैप्पी की शादी कराकर उन्हें वापस अमृतसर भेजने की योजना बना लेता है. पर इसी बीच हैप्पी को लेकर बिलाल कुछ ऐसी बातें कह जाता है, जिससे जोया को लगता है कि बिलाल, हैप्पी से प्यार करने लगा है. जोया साफ कर देती है कि यदि बिलाल उसे छोड़ना चाहे, तो भी वह खुश रहेगी.

इधर विंकी की मदद से गुड्डू को पता चल जाता है कि बग्गा उसकी तलाश में लाहौर आ रहा है. अब बिलाल अपने दोस्त व पुलिस अफसर उस्मान अफरीदी की मदद से हैप्पी की तलाश शुरू करता है. तथा वह उस्मान अफरीदी को जिम्मेदारी देता है कि बग्गा जैसे ही लाहौर के बस अड्डे पहुंचे, उसे गिरफ्तार कर लिया जाए. बग्गा गिरफ्तार होता है. इधर हैप्पी मिलती है, तो उधर पुलिस स्टेशन से बग्गा फरार हो जाता है.

कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं. अंततः गुड्डू और हैप्पी की शादी हो जाती है, दोनों वापस अमृतसर पहुंच जाते हैं. उधर बग्गा अमृतसर पहुंचकर हीरो बनने का प्रयास करता है कि वह पाकिस्तान से हैप्पी को छुड़ाकर लाया है.

पूरी फिल्म हास्य व रोमांस के साथ एक रोमांचक यात्रा है. हैप्पी की तुलना मधुबाला से की गयी है. फिल्म में दिखाया गया है कि हर कोई हैप्पी से प्यार करने लगता है, जबकि हैप्पी का किरदार उस ढंग से उभर नहीं पाता. फिल्मकार को अपने इस मकसद के लिए डायना पेंटी की जगह दूसरी कलाकार के  बारे में सोचना चाहिए था.

फिल्म का पहला भाग उत्सुकता जगाता है. मगर इंटरवल के बाद फिल्म ढीली पड़ जाती है. फिल्मकार ने कुछ दृश्यों को बेवजह जोड़ा है, जिनके बिना भी यह फिल्म ज्यादा अच्छी लगती.

जहां तक अभिनय का सवाल है तो पाकिस्तानी टीवी सीरियलों में अभिनय करने के बाद पहली बार बड़े परदे पर अभिनय करने वाली मोमल शेख ने बेहतरीन काम किया है. लेखक व निर्देशक ने उनके जोया के किरदार को सही परिप्रेक्ष्य में पेश किया है. अभय देओल व अली फजल ठीक ठाक हैं. जिम्मी शेरगिल तो हर फिल्म में छा जाते हैं. पर इस फिल्म में एक दो दृश्यों में वह भी ‘तनु वेड्स मनु’ की याद दिला देते हैं. पंजाबी लड़की के किरदार में डायना पेंटी ने ठीक ठाक ही अभिनय किया है. पीयूष मिश्रा, जावेद शेख भी सही रहे.

फिल्म के निर्देशक मुदस्सर अजीज ने अपनी पिछली फिल्म ‘‘दूल्हा मिल गया’’ के मुकाबले अपने आपको काफी सुधारा है, पर अभी उन्हे अपने आपको विकसित करने की बहुत जरुरत है. ‘‘हैप्पी भाग जाएगी’’ एक साफ सुथरी पारिवारिक फिल्म है, जिसे तर्क की किसी कसौटी पर बिना कसे एक बार देखने का लुत्फ उठाया जा सकता है.

‘‘कलर येलो प्रोडक्शन’’ के बैनर तले आनंद एल राय व कृषका लुल्ला निर्मित फिल्म ‘‘हैप्पी भाग जाएगी’’ के लेखक व निर्देशक मुदस्सर अजीज तथा कलाकार हैं- अभय देओल, डायना पेटी, अली फजल, मोमल शेख, पीयूष मिश्रा, जिम्मी शेरगिल व अन्य.

मुंबइया मसाला फिल्म है ‘अन इंडियन’

कई अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सवों में धूम मचाने के बाद मूलतः अंग्रेजी भाषा की रोमांटिक कॉमेडी फिल्म ‘‘अन इंडियन’’ में पहली बार आस्टेलिया के मशहूर क्रिकेटर ब्रेट ली, भारतीय अदाकारा तनिष्ठा चटर्जी के साथ मुख्य भूमिका में हैं. मगर यह इंडियन क्रास ओवर फिल्म स्वाभाविक घरेलू नाटकीय दृश्यों से युक्त मुंबइया मसाला फिल्म के अलावा कुछ नही है. सिडनी में फिल्मायी गयी यह फिल्म अब 19 अगस्त को भारतीय सिनेमाघरों में प्रदर्शित हो रही है.

आस्ट्रेलिया में बसे एक भारतीय परिवार के इर्द गिर्द यह कहानी घूमती है. एक कंपनी में मार्केटिंग से जुड़ी मीरा (तनष्ठिा चटर्जी) अपनी माता (सुप्रिया पाठक) व पिता (आकाश खुराना) के घर में उन्ही के साथ अपनी बेटी स्मिता (बेबी माया सथी) के साथ रहती है. उसका अपने पति दीपक (गुलशन ग्रोवर) से तलाक हो चुका है. मीरा की मां, मीरा की दुबारा शादी कराना चाहती हैं. उसे चिंता है कि उनके न रहने के बाद मीरा का भविष्य क्या होगा. जबकि मीरा को अब शादी में कोई रूचि नहीं है. वह अपनी बेटी स्मिता को भी खुद से जुदा नहीं होने देना चाहती. मीरा की मां को लगता है कि उनकी बेटी मीरा आस्ट्रेलिया में रहते हुए धीरे धीरे माडर्न होती जा रही है. उन्हे मीरा के आधुनिक पहनावे पर भी एतराज है.

आस्ट्रेलिया में बसे भारतीयों द्वारा होली का बहुत बड़ा जश्न मनाया जाता है. इसी जश्न में मीरा भी अपनी बेटी व माता पिता के साथ शामिल हुई है. जहां मीरा की मां मीरा की मुलाकात हृदय रोग विशेषज्ञ डाक्टर समीर (निकोलस ब्राउन) से कराती है, क्योंकि मीरा की मां मीरा की शादी समीर से कराना चाहती हैं. समीर भी मीरा पर लट्टू हो जाते हैं. पर मीरा को समीर में कोई रूचि नहीं है. इसी होली की पार्टी में मीरा के हाथों सफेद जैकेट पहने हुए विल (ब्रेट ली) की सफेद जैकेट पर लाल रंग पड़ जाता है. इसका बुरा मानने की बजाय विल होली खेलना शुरू कर देते हैं. पर वह मन ही मन मीरा पर लट्टू हो जाते हैं.

विल अंग्रेजी भाषा के शिक्षक हैं, जो कि लोगों को आस्ट्रेलियन अंदाज में अंग्रेजी बोलना सिखाते हैं. उनके विद्यार्थियों में दूसरे देशों के साथ साथ भारतीय भी हैं. होली की पार्टी के बाद से विल, मीरा की तलाश शुरू कर देते हैं. वैसे विल का भारतीय दोस्त टी के (अर्का दास) उसकी मदद को आगे आता है. टी के ही डिजीटल मीडिया के लिए कूकिंग का कार्यक्रम बनाने के लिए विल को अपने साथ कैमरामैन के रूप में मीरा के घर ले जाता है. पर वहां भी ऐन वक्त पर समीर पहुंच जाता है और मीरा की मां के कहने पर वह कैमरामैन की तरह काम करने लगता है. पर इस बीच विल, स्मिता से दोस्ती कर लेता है. उसके बाद मीरा व विल की मुलाकातें बढ़ती हैं. मीरा की मां विल को पसंद नहीं करती. उसका मानना है कि वह लोग भारतीय हैं, जबकि विल आस्ट्रेलियन है. दोनो की सभ्यता व संस्कृति में जो अंतर है, उसके कारण शादी सफल नहीं हो सकती.

मीरा, विल की विद्यार्थी प्रिया (सराह राबर्ट) को नौकरी पाने में मदद करती है और एक दिन मीरा, विल के प्रस्ताव को स्वीकार कर लेती है. विल एक संदेश लिखकर फूलों का गुलदस्ता मीरा को भेजता है, जिसे सबसे पहले मीरा की बेटी स्मिता देखती है और वह नाराज हो जाती है. यह बात फोन करके मीरा, विल को बताती है. विल वहां जाता है, जहां  गेम खेलने के लिए स्मिता गयी है. विल उसे समझाने में कामयाब हो जाता है.

फिर शनिवार की छुट्टी की रात विल, मीरा के साथ मनाना चाहता है. पर मीरा यह कह कर मना कर देती है कि उसे अपनी दोस्त शांति (पल्लवी शारदा) के साथ जाना है. शांति उसे रात्रि भोज के लिए होटल ले जाती है, जहां समीर भी होता है. अनचाहे मीरा को समीर से बात करनी पड़ती है. दूसरे दिन सुबह समीर, विल के सामने मीरा से पूछ देता है कि शनिवार की रात उसे समीर के आनंद आया होगा. यह सुनकर विल को गुस्सा आ जाता है और वह मीरा से दूर हो जाता है. पर फिर स्मिता की वजह से दोनों नजदीक आ जाते हैं.

इसके बाद स्कूल के कार्यक्रम के लिए विल व मीरा, स्मिता को विदा करने के बाद प्रेम में खो जाते हैं और मीरा के ही बेडरूम में दोनो रात भर हम बिस्तर रहते हैं. सुबह जब इसका पता मीरा के माता पिता को लगता है, तो वह नाराज होते हैं और तब पता चलता है कि पहला तलाक होने में मीरा की गलती नहीं थी. मीरा का पहला पति दीपक ‘गे’ था, जिसे वह प्रयास करके भी सुधार न सकी.

अब स्मिता ने विल के साथ अपने पापा दीपक से मिलना शुरू कर दिया. पहले विल पूरा समय दीपक के घर पर स्मिता के साथ मौजूद रहता था. पर इसकी भनक मीरा को नहीं थी. एक दिन वह स्मिता को दीपक के पास छोड़कर बाहर आ जाता है, जहां वह मीरा से मिलता है. बात बात में वह बता देता है कि स्मिता अपने पापा के साथ है. मीरा नाराज होने के साथ दीपक का सच बता देती है. दीपक ताकतवर है और वह स्मिता को भारत ले जाना चाहता है. तुरंत विल, दीपक के घर के लिए भागता है. पता चलता है कि दीपक, स्मिता के साथ भारत के लिए निकल चुका हुआ है. पर विल उसे पकड़ लेता है. मीरा पुलिस के साथ पहुंचकर दीपक को गिरफ्तार कर लेती है. अब मीरा, विल से संबंध खत्म करने की बात कहती है. पर अंततः विल और मीरा एक हो जाते हैं. अब मीरा के माता पिता भी विल को स्वीकार करते हुए कहते है कि चलो अब उनकी अगली पीढ़ी के बच्चे भी गोरे होंगे.

यदि हम इस बात को नजरंदाज कर दें कि आस्ट्रेलिया में रह रही एक भारतीय महिला एक आस्ट्रेलियन युवक से प्यार करने लगती है और दोनों शादी कर लेते हैं, तो इस रोमांटिक कॉमेडी फिल्म में कुछ भी नयापन नहीं है. कथानक के स्तर पर भी कोई नवीनता नहीं है. इंटरवल के बाद फिल्म को जबरन खींचे जाने का अहसास होता है. फिल्म की लंबाई बड़ी आसानी से कम की जा सकती है. फिल्म की शुरूआत से ही दर्शक समझ जाता है कि फिल्म का अंत क्या होगा. मीरा के पूर्व पति द्वारा अपनी बेटी को अपने साथ ले जाने का मुद्दा फिल्म में उभर ही नहीं पाया.

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो तनिष्ठा चटर्जी एक उत्कृष्ट अदाकारा हैं, इसमें कोई दो राय नही है. उन्होने इस फिल्म में एक बार फिर बेहतरीन अभिनय किया है. सुप्रिया पाठक, गुलशन ग्रोवर भी अपनी भूमिका में जमें हैं. पल्लवी शारदा ने यह फिल्म क्यों की, यह बात समझ से परे है. मगर क्रिकेटर ब्रेट ली भी बेहतरीन अभिनय कर सकते हैं, यह कोई सोच नहीं सकता, पर उन्होने अच्छी परफार्मेंस दी है.

फिल्म में तनिष्ठा चटर्जी के होने का अर्थ सेक्स सीन का होना अनिवार्य सा हो गया है. अब तक मैने तनिष्ठा चटर्जी की जितनी भी फिल्में देखी हैं, उन सभी फिल्मों में उनके सेक्स सीन जरुर नजर आए हैं. जहां तक फिल्म ‘‘अन इंडियन’’ का सवाल है, तो यदि इसमें तनिष्ठा चटर्जी और ब्रेट ली के बीच हम बिस्तर होने का सीन न होता तो भी फिल्म पर असर न पड़ता. तनिष्ठा चटर्जी जैसी अदाकारा को सेक्स दृश्यों की जरुरत क्यों पड़ती है, यह समझ से परे है.

पटकथा लेखक तुषी साथी ने फिल्म के अंदर नस्लवाद/रंगभेद, कम्यूनिटी, अप्रवासी भारतीयों के पूजा पाठ, आत्मप्रशंसा व आत्मनिंदा को बहुत भद्दे ढंग से फिल्म का हिस्सा बनाया है. अंग्रेजी भाषा की इस फिल्म में पंजाबी गाना भी है. कुछ संवाद हिंदी में भी हैं. अति साधारण व कई कमियों के बावजूद समय बिताने के लिए यह फिल्म देखी जा सकती है.

मूलतः अंग्रेजी भाषा में बनी एक घंटे 42 मिनट की इस फिल्म का निर्माण अनुपम शर्मा और लिसा डिफ ने मिलकर किया है. फिल्म के निर्देशक अनुपम शर्मा, लेखक तुषी साथी, संगीतकार सलीम सुलेमान, कैमरामैन मार्टिन मैकग्राथ हैं. फिल्म के कलाकार हैं-ब्रेट ली, तनिष्ठा चटर्जी, सुप्रिया पाठक, आकाश खुराना, पल्लवी शारदा व अन्य.

क्या आपने गलत इंश्योरेंस पॉलिसी खरीद ली है?

देश में तेजी से इंश्‍योरेंस सेक्‍टर विस्‍तार कर रहा है और उतनी तेजी से गलत पॉलिसी बेचने की घटनाएं भी बढ़ रही हैं. इंश्‍योरेंस एजेंट या एडवाइजर अधिक कमीशन के चलते कई बार आपको ऐसी पॉलिसी थमा देते हैं, जिसकी वास्‍तव में आपको जरूरत ही नहीं होती. देश में बढ़ रही मिस सेलिंग की घटनाओं के लिए बीमा नियामक आयोग ने कर्इ प्रावधान किए हैं. जिसके तहत आप बीमा कंपनी के खिलाफ मामला तक दर्ज कर सकते हैं.

मिस सेलिंग से बचाता है फ्री लुक पीरिएड

फ्री लुक पीरिएड को आप ठीक उस तरह मान सकते हैं जिस तरह ई-कॉमर्स कंपनियां रिप्‍लेसमेंट गारंटी देती हैं. सभी इंश्योरेंस पॉलिसी लेने वालों को बीमा कंपनियों की ओर से फ्री लुक पीरियड  सुविधा मिलती है. फ्री लुक पीरियड पॉलिसी डॉक्यूमेंट मिलने के 15 दिनों तक होता है. ऑनलाइन पॉलिसी खरीदने पर फ्री लुक पीरियड 30 दिन होता है. हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में 3 साल से ज्यादा की पॉलिसी खरीदने पर ही ये सुविधा मिलती है. पॉलिसी डॉक्यूमेंट मिलने की तारीख साबित करना पॉलिसी होल्डर की जिम्मेदारी होती है.

कैसे उठाएं फ्री लुक पीरिएड का फायदा

पॉलिसी डॉक्‍यूमेंट आपके पास इसी लिए भेजा जाता है, कि जिससे आप अपनी पॉलिसी को ठीक प्रकार से पढ़ लें, उसकी बातों को समझ लें, यदि वह आपके लिए फायदेमंद है, तभी आगे निवेश करें. फिर भी अगर आपको लगता है कि पॉलिसी आपके काम की नहीं है तो उसे आप वापस कर सकते हैं.

फ्री लुक पीरिएड से जुड़ी जरूरी बातें

– पॉलिसी होल्डर को पॉलिसी डॉक्यूमेंट का लिफाफा फ्री लुक पीरियड तक संभालकर रखना चाहिए.

– फ्री लुक पीरियड सिर्फ नई पॉलिसी लेने पर लागू होता, रिन्युअल पर नहीं लागू होता.

– फ्री लुक पीरियड में कंज्यूमर के पास पॉलिसी लौटाने का विकल्प होता है.

– फ्री लुक पीरियड में पॉलिसी लौटाने पर प्रीमियम का रिफंड मिल जाता है.

– कंज्यूमर को बताना होता है कि पॉलिसी लौटाने की वजह क्या है.

– रिफंड में से इंश्योरेंस कंपनी अपने खर्च घटा देती है,जिसमें मेडिकल जांच, स्टांप ड्यूटी का खर्च आदि शामिल होता है.

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